2014 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश से कांग्रेस को महज 2 सीटें मिली थी, पहली थी छिंदवाड़ा जहां से कमलनाथ जीते थें और दूसरी थी गुना जिस पर से सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव को भाजपा और नरेंद्र मोदी का जादू दोनों चुनौती नहीं दे पाये थें. 2013 के विधानसभा चुनावों में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का दबदबा साफ साफ दिखा था तब मध्यभारत की जो अहम सीटें कांग्रेस ने जीती थीं उनमे गुना संसदीय क्षेत्र की मुंगावली और कोलारस भी थीं. इन दोनों सीटों पर अब कांग्रेसी विधायकों की मौतों के बाद 24 फरवरी को उपचुनाव हैं जिनके नतीजे 28 फरवरी को घोषित होंगे.

ये उपचुनाव कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के लिए अहम हो चले हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी भी कीमत पर ये सीटें भाजपा के खाते में डलवाकर खुद की लोकप्रियता तो सिद्ध करना ही चाहते हैं साथ ही यह भी जताना चाहते हैं कि उनकी सरकार के कामकाज का मूल्यांकन कोलारस और मुंगावली के वोटर ने सिंधिया और कांग्रेस को नकारते हुये किया, लिहाजा वे अपराजेय हैं और अगली सरकार भी उन्हीं के नेतृत्व में ही भाजपा बना पाएगी.

भाजपा के लिए ये दोनों सीटें करो या मरो वाली इसलिए भी हैं कि साल के आखिर में सूबे में विधानसभा चुनाव होना हैं और गुजरात का चुनाव भाजपा लड़खड़ाते हुए जीती थी. उसकी चिंता राजस्थान के 2 लोकसभा और एक विधानसभा उपचुनाव के नतीजे ने और भी बढ़ा दी है जहां कांग्रेस कुछ इस तरह जीती थी मानो भाजपा वहां मुकाबले में थी ही नहीं. ऐसे में जाहिर है ये सीटें उसके लिए गैरमामूली हो गईं हैं जिनकी हार जीत शिवराज सिंह का कद और वजूद तय करेगी.

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