प्यार हर इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा होता है. पर वैलेंटाइन डे आते ही हर इंसान को अपने भूले बिसरे प्यार की भी याद आती है. तो वहीं कुछ लोग इस फिक्र में घुलने लगते हैं कि वह अपने प्रेमी या प्रेमिका को उपहार में क्या दें. यानी कि वैलेंटाइन डे पर प्यार बाजार के रूप में नजर आने लगता है. इसी मसले पर हमने बात की फिल्मकार ओनीर से, जो कि अब तक अपनी हर फिल्म में रोमांस, प्यार व रिश्तों को पूरी अहमियत के साथ चित्रित करते आए हैं.
वैलेंटाइन डे के मौके पर आप अपने पहले प्यार का जिक्र करना चाहेंगे?
अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं, तो मेरा पहला प्यार खुशी भी था गम भी था. पर मुझे सिर्फ खुशी के दिन याद है.
यूं तो इंसान के तौर पर मुझे किसी बात से डर नहीं लगता. मेरी सोच यह रहती है कि मैंने अपना काम ईमानदारी से किया, परिणाम चाहे जो रहे. फिल्म को बनाना हो, प्यार हो या रिश्ता हो, मैं अपनी तरफ से सौ प्रतिशत देता हूं. इसके बावजूद यदि कुछ बिखरता है, तो उसमें मेरी क्या गलती?
उस वक्त मैं सिर्फ अच्छे पलों को याद करता रहता हूं. कौलेज के दिनों में कलकत्ता में मुझे एक लड़की से प्यार हुआ था. पर वह प्यार बिखर गया था. लेकिन हमने प्यार करना बंद नहीं किया. उस बिखराव के गम से उभरने में मुझे समय लगा. पर मैंने महसूस किया कि कभी हम दोनों एक दूसरे की जिंदगी के बहुत बड़ा हिस्सा थे, तो बिखराव के बाद उसे क्यों खो दिया जाए? तो हम दोनों ने तय किया कि रोमांस के पक्ष को भुलाकर दोस्त बने रहते हैं. इससे वह हमारी जिंदगी से हमेशा के लिए अलग नहीं हुई. हमारी अच्छी दोस्त है, बातचीत व मुलाकात होती रहती है. एक दूसरे के प्रति हमारे मन में कोई कड़वाहट नहीं है, मगर मैं उनका नाम उजागर नहीं करना चाहता.
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