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यह पूरा खिलाड़ी, क्या है आधा कप्तान?

एक बार जब सचिन तेंदुलकर से पूछा गया था कि उन के बनाए गए रिकार्ड्स को कौन सा बल्लेबाज खिलाड़ी तोड़ सकता है तो उन्होंने बेझिझक विराट कोहली और रोहित शर्मा का नाम लिया था. तब से अब तक ये दोनों खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट टीम को अपनी सेवाएं दे रहे हैं और विराट कोहली तो जिस अंदाज में फिलहाल खेल रहे हैं, उस से लगता है कि वे सचिन तेंदुलकर की कही बात को सच साबित कर दिखाएंगे.

30 साल के विराट कोहली ने अब तक 77 टेस्ट मैच खेले हैं जिन में उन्होंने 53.76 पगलऔसत से 6,613 रन बना लिए हैं. उन्होंने अब तक 25 शतक भी लगा लिए हैं. वनडे मैचों की बात करें तो उन्होंने 226 मैच खेल कर 59.79 की औसत से 10,823 रन बटोर लिए हैं. उन्होंने अब तक 41 शतक भी जमाए हैं.

ट्वेंटी20 मैचों में भी विराट कोहली कमाल का खेल रहे हैं. उन्होंने ऐसे 67 मैचों में 50.28 की औसत से 2,263 रन ठोंक डाले हैं. हालांकि उन्होंने अभी तक कोई शतक नहीं लगाया है.

अपने बल्ले से इतने कारनामे करने के बाद भी विराट कोहली की बतौर कप्तान इमेज ज्यादा अच्छी नहीं बन पाई है, क्योंकि आज भी जब वे मैच में कहीं फंस जाते हैं तो महेंद्र सिंह धौनी की ओर ताकने लगते हैं. अभी हाल ही में औस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में खेला गया चौथा वनडे मैच उन की कप्तानी पर ही सवाल उठा गया है. इस मैच में 358 रन बनाने के बाद भी भारत हार गया था. उस मैच में महेंद्र सिंह धौनी को नहीं खिलाया गया था.

इसी मसले पर हमारे पूर्व क्रिकेटर भारतीय स्पिनर और कप्तान बिशन सिंह बेदी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कल दिल्ली में होने वाले भारतऑस्ट्रेलिया के बीच 5वें और आखिरी वनडे मैच से पहले कहा कि विराट कोहली टीम के ‘आधे कप्तान’ हैं. महेंद्र सिंह धौनी की गैरहाजिरी में वे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे वनडे में असहज नजर आ रहे थे.

बिशन सिंह बेदी ने सवाल उठाया कि आखिर महेंद्र सिंह धौनी को आखिरी के 2 वनडे मैचों में आराम देने की क्या जरूरत थी? हालांकि बिशन सिंह बेदी मानते हैं कि धौनी अब युवा नहीं रह गए हैं, लेकिन मैदान में कप्तान विराट कोहली को उन की जरूरत होती है. उन के बिना वे असहज नजर आते हैं. ये अच्छे संकेत नहीं हैं.

इन बातों में इसलिए भी दम लग रहा है क्योंकि औस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे इतिहास में यह पहला मौका था जब भारतीय क्रिकेट टीम को 350 से ज्यादा रन बनाने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा. इस से पहले भारत को 23 बार साढ़े 3 सौ से ज्यादा रन बनाने पर हमेशा जीत मिली थी. अब मोहाली में मिली हार से विराट कोहली की कप्तानी पर सवाल उठने लगे हैं. लोग दबी जबान में कहने लगे हैं कि महेंद्र सिंह धौनी के न रहने से विराट कोहली की कप्तानी कमजोर पड़ जाती है.

इस की जो सब से अहम वजह दिखाई पड़ती है वह यह है कि विराट कोहली में महेंद्र सिंह धौनी की तरह ‘कैप्टन कूल’ होने का गुण नहीं दिखाई देता है. वे आज भी मैदान पर किसी 18 साल के नए खिलाड़ी जैसा बरताव करते दिखाई देते हैं. वे जैसे जीतने के लिए ही खेलते हैं. इस जज्बे में कोई बुराई नहीं है पर जब भी उन के हाथ से मैच फिसलता दिखाई देता है तो तनाव उन के चेहरे पर हावी हो जाता है. मुश्किल घड़ी में किसे क्या कहना है या क्या काम कराना है उस में उन के जैसे हाथपैर फूल जाते हैं.

ऑस्ट्रेलिया के साथ हो रही वनडे मैचों की इस सीरीज के तीसरे मैच में जब ऑस्ट्रेलिया को आखिरी ओवर में जीतने के लिए 14 रन चाहिए थे तो महेंद्र सिंह धौनी के कहने पर ही विराट कोहली ने विजय शंकर को गेंद पकड़ाई गई थी. उस के बाद का नतीजा सब जानते हैं.

अभी तो विराट कोहली का बल्ला खूब बोल रहा लेकिन कल को अगर उन पर ‘बैड फॉर्म’ की गाज गिरेगी तो इस का असर उन की कप्तानी पर भी पड़ेगा. तब कहीं यह ‘आधी कप्तानी’ भी उन के हाथ से न निकल जाए.

रूसी को जड़ से मिटाने में एलोवेरा है कारगर

क्या आप भी रूसी से परेशान रहते हैं और उससे छुटकारा पाने के लिये किसी भी प्रकार का घरेलू नुस्‍खा अपनाने से नहीं चूकते. यह आपके सिर और बालों के लिए काफी फायदेमंद है.

एलोवेरा लगाने से सिर की खुशकी दूर होती है. इसमें कीटाणुओं को नाश करने के गुण होते हैं जो रूसी पैदा करने वाले इंफेक्‍शन को दूर करता है. इसके अलावा एलोवेरा बालों की जड़ों को भी मजबूत बनाता है तथा बालों में शाइन भी भरता है. आइए जानें अगर सिर में रूसी है तो एलोवेरा जैल और अन्‍य प्राकृतिक सामग्रियां मिला कर कैसे रूसी को दूर करें.

एलोवेरा और नीम तेल

नीम का तेल एंटीबैक्‍टीरियल गुणों से भरा है जो सिर में पपड़ी नहीं जमने देता. इसे लगाने से सिर की खुजली भी बंद हो जाती है. 3 चम्‍मच एलोवेरा जैल ले कर उसमें 9 बूंद नीम की बूंद मिक्‍स करें. फिर इसे सिर पर लगाएं और थोड़ी देर के बाद सिर धो लें.

ताजा एलोवेरा जैल

इसे लगाने के लिये आप सीधे एलोवेरा की पत्‍ती से जैल को छील कर निकाल सकते हैं. फिर इसे सिर पर लगाएं और रातभर ऐसे ही छोड़ दें. उसके बाद दूसरे दिन सुबह सिर धो लें.

कपूर के साथ एलोवेरा जैल

कपूर को सिर पर लगाने से सिर को ठंडक मिलती है और संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणुओं का भी नाश होता है. इस पेस्‍ट को बनाने के लिये 3 चम्‍मच एलोवेरा जैल में थोड़ा सा कपूर पीस कर मिक्‍स करें और सिर पार लगा कर कुछ घंटों में सिर धो लें.

एलोवेरा और नींबू

नींबू में अम्लीय गुण रूसी पैदा करने वाले फंगस को खतम कर देते हैं. जब इसे एलोवेरा के साथ मिक्‍स किया जाता है तो रूसी तुरंत ही खतम होनी शुरु हो जाती है. 3 चम्‍मच एलोवेरा जैल में 2 चम्‍मच नींबू का रस मिलाएं और सिर पर 20 मिनट तक लगाए रखने के बाद सिर धो लें.

एलोवेरा और टी ट्री आयल

टी ट्री आयल लगाने से सिर में कभी रोगाणु नहीं पैदा होंगे क्‍योंकि यह एंटीबैक्‍टीरियल गुणों से भरा है. एलोवेरा जैल में अगर 5 बूंद टी ट्री आयल मिक्‍स कर के सिर पर लगाएं तो रूसी की समस्‍या नहीं होगी. इसे रात में लगा कर सो जाइये और दिन में सिर धो लीजिये.

साधु संतों की असलियत

साधुसंतों और पंडेपुजारियों की बात भगवान क्यों नहीं सुन रहा, इस का जवाब शायद ही भगवान के ये दलाल दे पाएं, मगर इन का विरोधप्रदर्शन करना यह साबित करता?है कि भगवान का वजूद कोरी गप है.

भक्तों को दिनरात भगवान की महिमाएं गागा कर बताने वाले साधुसंत पिछले 1 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार के सामने कभी गिड़गिड़ाते हैं तो कभी धौंस देने लगते हैं कि हमारी मांगें पूरी करो नहीं तो हम सरकार गिरा देंगे, श्राप दे देंगे या फिर राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ेंगे.

इन में से कुछ नहीं कर पाते तो मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने की धमकी देने लगते हैं. इन संतों को यह ज्ञान प्राप्त हो गया है कि जो उन्हें चाहिए वह मंदिर में बैठी पत्थर की मूर्ति नहीं दे सकती, चाहें तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जरूर दे सकते हैं.

क्या हैं मांगें

सुबहशाम आरती, प्रवचन, यज्ञहवन कर भक्तों से पैसा झटक अपना पेट पालने वाले इन मुफ्तखोर साधुसंतों की मांगें बेहद साफ हैं कि मठमंदिरों की जमीनजायदाद हमें दे दो, खेतीकिसानी के लिए भी जमीन दो, मठमंदिरों में सरकारी दखलंदाजी बंद करो और चूंकि भक्त को भगवान तक हम पहुंचाते हैं इसलिए उस की पेंशन भी दो.

ज्यादातर साधुसंत कितनी शाही जिंदगी जीते हैं यह इन्हें नजदीक से देखने वाले बेहतर जानते हैं. शुद्ध घी में डुबो कर निकाली गई तर रोटी और पकवान ये खाते हैं. इन के साथ सूमो छाप अधनंगे चेलों की पूरी फौज चलती है तो डर लगता है कि मांगने पर नहीं दिया गया तो छीन लेने की कूवत इन में है. लिहाजा, चुपचाप दे दो.

फिर भी ये साधु बड़े ‘सीधे’ होते हैं. भक्तों को बेवजह तंग नहीं करते, धर्म क्या होता है इस की नुमाइश भर करते हैं. कुंभ के मेले में इन की शानोशौकत की नुमाइश व दुकान देखने लायक होती है. भाला, कटार, तलवार से ले कर आधुनिक रिवाल्वर तक ये रखते हैं.

भगवान के इन बंदों को डर किस का है यह तो इन का भगवान ही कहीं हो तो जाने लेकिन उजागर यह होता है कि कथनी और करनी के मामले में ये नेताओं के भी पितामह हैं.

अब शायद प्रदेश के साधुसंतों को चलनेफिरने में भी तकलीफ होने लगी है, लिहाजा, ये चाहते हैं कि सबकुछ इन का हो, खासतौर से मठमंदिर की जमीनें और जायदाद, जिस की कीमत अरबोंखरबों में होती है. लोगों को माया के मोह से दूर रहने का पाठ पढ़ाने वाले साधुसंत खुद किस हद तक माया के फेर में पड़े हैं यह इन की मंशा और मांगों से साफ जाहिर होता है.

कहां है भगवान

भगवान सर्वव्यापी है,  पालनहार है, दाता है और जो मांगो वह देता है जैसे प्रचलित वाक्यों को बांच और बेच कर जी रहे इन साधुसंतों की मांगों की फेहरिस्त देख हैरत कम चिंता ज्यादा होती है कि यदि सच में भगवान होता तो अपने इन विक्रेताओं की तो जरूर सुनता.

धर्मग्रंथों के मुताबिक सबकुछ भगवान का है बाकी जो हो रहा है वह उस की लीला है. राज्य सरकार इस लीला पर यकीन न करते हुए इन की मांगों पर गौर नहीं कर रही तो जाने क्यों साधुसंत सब से बड़ी अदालत यानी भगवान के दरबार में गुहार नहीं लगा रहे.

दरअसल, इन्हें बेहतर मालूम है कि भगवान एक ऐसी कल्पना है जिस से मंदिर में बैठ कर तबीयत से पैसा कमाया जा सकता है. लोगों का भरोसा बना रहे इसलिए धार्मिक प्रपंच चलते रहने चाहिए.

दिनरात भगवान की सेवा करने वालों ने सरकार के सामने गिड़गिड़ाते हुए भगवान की पोल खोल  कर रख दी है कि वह कहीं नहीं है. होता तो किसी और के सामने रिरियाने की जरूरत नहीं पड़ती, न किसी मंत्री, मुख्यमंत्री का घर घेरना पड़ता.

भगवान हिफाजत करता है, यह दावा भी कितना खोखला है. इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विंध्य इलाके में सरकार पंडेपुजारियों को लाइसेंसी रिवाल्वर देने की घोषणा कर चुकी है क्योंकि आएदिन वहां मंदिर लुटते रहते हैं यानी सरकार को भी मालूम है कि भगवान नहीं है. आज तक किसी मूर्ति ने लुटेरे की गर्दन नहीं पकड़ी.

चूंकि कमाई का जरिया चला जाता है इसलिए साधुसंत इकट्ठा हो कर हायतौबा मचाने लगते हैं कि देखो, क्या जमाना आ गया है कि भगवान का घर भी चोरलुटेरे नहीं छोड़ रहे. हकीकत यह है कि भगवान को यह नहीं छोड़ रहे. छोड़ दें तो न मंदिर रहेंगे न जायदाद न फसाद तो लूटपाट की नौबत ही नहीं आएगी.

ये चोरलुटेरे हैं तो कानूनन अपराधी ही, मगर इन का ज्ञान साधुसंतों से बड़ा और ज्यादा लगता है. इन्हें मालूम है कि पंडितजी वगैर कुछ किए, सारी दक्षिणा ले जा कर पंडिताइन को दे आएंगे तो हम क्यों रहम करें. जो भी है भगवान का है. अब चाहे उसे सेवक उठाए या हम लें, फर्क क्या पड़ता है सिवा इस के कि पकड़े गए तो फौजदारी का मुकदमा चलेगा और हमें सजा हो जाएगी. इन की नजर में सजा भी भगवान की मरजी है.

कौन है असली भगवान

धर्म के नाम पर मठ व मंदिरों की अरबों की जमीनों पर कब्जा जमाए बैठे साधुसंत कानूनन इसे अपने नाम चाहते हैं. भगवान होता तो शायद दे देता मगर सरकार जाने क्यों हिचकिचा रही है, जो न श्राप से डर रही न सत्ता छिन जाने का खौफ खा रही है.

भगवान के होते आंदोलन और भूख हड़ताल जैसा बेकार का काम कर रहे साधुसंत मुख्यमंत्री के आगे हाथ जोड़ कर गिड़गिड़ाएं तो लगता है असली भगवान तो यही हैं जिन्हें जनता ने वोट दे कर चुना है, किसी भगवान ने मनोनीत नहीं किया.

इन साधुसंतों की दादागीरी शिवराज सिंह 1 साल से बरदाश्त कर रहे हैं और इन की धार्मिक व राजनीतिक अहमियत समझते, उन्हें टरका भी रहे हैं. मगर आंदोलन खत्म नहीं हो रहा. वजह, तमाम हिंदूवादी संगठन इन साधुसंतों के साथ हैं और विधानसभा चुनाव में भाजपा को जिताने को इन्होंने वोट जुटाए.

अपने किए की जरूरत से ज्यादा कीमत ये मांग रहे हैं और सरकार इन की मांगें पूरा कर आम आदमी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाह रही. लोकसभा चुनावों की शिकस्त भाजपा गले नहीं उतार पा रही है और इसी साल स्थानीय निकायों के चुनाव भी हैं. ऐसे में वोटर अगर बिदक गया तो सिंहासन हिलना तय है. इस धर्मसंकट से शिवराज सरकार कैसे निबटेगी यह देखना वाकई दिलचस्पी वाली बात होगी.

अहम बात इन साधुसंतों द्वारा यह जता देना है कि भगवान कहीं नहीं है. फिर धर्म के नाम पर ढोंग, पाखंड और लूटपाट क्यों. जो नहीं है उस के नाम पर पैसा कमाना, बादशाहत चलाना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं.

जो चीजें भगवान नहीं दे पाया अगर सरकार दे देगी तो जाहिर है, भगवान से बड़ी साबित हो जाएगी और लोगों का भरोसा भगवान से उठे यह भाजपा सरकार नहीं चाहती. रही बात साधुसंतों की तो वे अपनी पर उतारू हो आए हैं और कानून अपने हाथ में लेने का संकेत देने लगे हैं. ऐसे में समाज पर भार और परजीवी साधुसंतों को दानदक्षिणा दे कर पालने वाले लोग खुद का, समाज और देश का नुकसान कर रहे हैं.

अच्छे दिनों की तलाश

अच्छे दिन वाकई आ गए हैं. अब इतनी सारी जांचें हो रही हैं कि ये अच्छे दिन छिपे कहां पड़े हैं. दिल्ली में ईडी यानी ऐनफोर्समैंट डिपार्टमैंट 20-30 घंटों की पूछताछ कर रहा है कि प्रियंका गांधी के पति रौबर्ट वाड्रा ने ये अच्छे दिन कहां छिपा रखे हैं. उधर सीबीआई कोलकाता पुलिस के ममता बनर्जी के चहेते राजीव कुमार से शिलांग में पूछताछ कर रही है कि ये अच्छे दिन बंगाल में कहां हैं.

सरकारी वकील व अफसर पैरिस, लंदन, एंटीगुआ, पोर्ट औफ स्पेन जैसी जगह जा कर विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी से पूछ रहे हैं कि कहीं अच्छे दिन, नौकरियां, 15 लाख वहां तो नहीं छिपे हुए हैं. सरकार जोशखरोश से पूछ रही है कि अगस्ता हैलीकौप्टरों की फाइलों के पीछे तो नहीं हैं न अच्छे दिन.

सुप्रीम कोर्ट भी पूछने लगा है. मायावती से पूछा जा रहा है कि दलित स्मारकों में बनी मूर्तियों पर अच्छे दिन तो नहीं बैठे. सुप्रीम कोर्ट ने काफी दिन तक सहारा के सुब्रतो राय को जेल में रखा कि सरकार के अच्छे दिनों का बता दे.

किसी को यह नहीं पूछना कि अच्छे दिन तो पटेल की बेमतलब की विशाल मूर्ति में गंवाए जा चुके हैं. कोई यह नहीं जानना चाहता कि कितने अच्छे दिन कुंभ मेले के पाखंडियों पर बरबाद कर दिए गए हैं. सबरीमाला में सुरक्षा पर देश के अच्छे दिन लग रहे हैं पर इन की गिनती कोई नहीं करना चाहता. राफेल हवाईजहाजों के साथ जनता के कितने ही अच्छे दिन फ्रांस पहुंच चुके हैं पर उस की पूछताछ नहीं की जा रही.

प्रधानमंत्री तरह तरह की टोपियां लगा कर लोगों को कहना चाह रहे हैं कि सारे अच्छे दिन इन टोपियों में हैं. टोपी वाला इस देश में महान माना जाता है और दलितों को सदियों टोपी पहनने की इजाजत नहीं थी. केरल में तो औरतों को ऊपरी कपड़ा पहनने तक की इजाजत नहीं थी और बाल विधवाओं को एक छोटी सूती साड़ी पहन कर अच्छे दिन गुजारने पड़ते थे. लगता तो यही है कि भाजपा सरकार उन्हीं अच्छे दिनों को लाना चाह रही है जब भूख, अकाल, प्लेग, अनाथ अच्छे दिनों की पहचान थे.

ये सारी जांचें क्या पता करेंगी? सहीगलत तो वर्षों में पता चलेगा. अभी तो अदालत तक मामला भी नहीं गया है. अभी किसी भी जांच में साबित नहीं हुआ है कि कोई दोषी है या नहीं. संप्रग सरकार में लाखोंकरोड़ों के घोटाले भाजपा के छिपे समर्थक सीएजी विनोद राय ने देश पर थोपे थे पर उस में से 5 साल में 2 भी अच्छे दिन नहीं निकले हैं.

ये जांचें सिर्फ तंग करने के लिए हैं, यह तो अब साफ है क्योंकि सिर्फ भाजपा विरोधियों के खिलाफ हो रही हैं. एक भी भाजपा के दूर के रिश्तेदार के खिलाफ नहीं है जिस ने अच्छे दिन अपने मंदिर में छिपा रखे हैं. वह तो पुण्य का काम है. इंद्र अगर अहल्या को भोगे तो दैविक काम है. अहल्या शिकार बने तो पापिन है. उस के अच्छे दिन तब आएंगे जब राम का पैर लगेगा. सही पैरों में लोट लो, अच्छे ही अच्छे दिन हैं.

आशीर्वाद (दूसरा भाग)

पिछले अंक में आप ने पढ़ा था: शादी के बाद मेनका को पता चला कि उस का पति अमित हरिद्वार के किसी गुरुजी का परम भक्त है. सुहागरात पर जब अमित ने मेनका को गुरुजी की लिखी एक किताब के उपदेश सुनाए तो वह ठगी सी रह गई. बाद में उन की एक बेटी भी हो गई पर अमित का अपने गुरुजी के प्रति मोह न छूटा. इस से मेनका की गुरुजी के प्रति नफरत बढ़ती जा रही थी. एक दिन अमित ने मेनका को हरिद्वार ले जाने की जिद की. अब पढि़ए आगे…

‘‘मैं नहीं जाऊंगी. तुम पता नहीं क्यों बारबार मुझे अपने गुरुजी के पास ले जाना चाहते हो जबकि मैं किसी गुरुवुरु के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती. अखबारों में और टैलीविजन पर आएदिन अनेक गुरुओं की करतूतों का भंडाफोड़ होता रहता?है,’’ मेनका बोली.

‘‘सभी गुरु एकजैसे नहीं होते. आज मैं ने जब गुरुजी से फोन पर कहा कि आप के दर्शन करना चाहता हूं तो उन्होंने कहा कि मेनका को भी साथ लाना. हम उसे भी आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मुझे किसी आशीर्वाद की जरूरत नहीं है. तुम ही चले जाना.’’

‘‘मैं ने गुरुजी को वचन दिया है कि तुम्हें जरूर ले कर आऊंगा. तुम्हें मेरी कसम मेनका, तुम्हें मेरे साथ चलना होगा. अगर इस बार भी तुम मेरे साथ नहीं गईं तो मैं वहीं गंगा में डूब जाऊंगा,’’ अमित ने अपना फैसला सुनाया.

यह सुन कर मेनका कांप कर रह गई. वह जानती थी कि अमित गुरुजी के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंस चुका है. उस पर गुरुजी का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा है. वह भावुक भी है. अगर वह साथ न गई तो हो सकता है कि गुरुजी अमित को इतना बेइज्जत कर दें कि उस के सामने डूब कर मरने के अलावा कोई दूसरा रास्ता न बचे.

मेनका को मजबूरी में कहना पड़ा, ‘‘ऐसा मत कहो… मैं तुम्हारे साथ हरिद्वार चलूंगी.’’

अमित के चेहरे पर मुसकान फैल गई, ‘‘यह हुई न बात. मेनका, तुम्हें गुरुजी से मिल कर बहुत अच्छा लगेगा. वहां मुझे, तुम्हें और पिंकी को आशीर्वाद मिलेगा.’’

मेनका ने कोई जवाब नहीं दिया.

एक हफ्ते बाद अमित मेनका और पिंकी के साथ हरिद्वार जा पहुंचा. रेलवे स्टेशन से बाहर निकल कर उस ने एक आटोरिकशा किया और गुरुजी के आश्रम जा पहुंचा. शिष्यों ने उन के लिए एक कमरा खोल दिया.

सामान रख कर अमित ने मेनका से कहा, ‘‘कुछ देर आराम कर लेते हैं. शाम को गुरुजी से मिलेंगे और आरती देखेंगे. 2-3 दिन हरिद्वारऋषिकेश घूमेंगे.’’

शाम को तकरीबन 6 बजे अमित मेनका व पिंकी के साथ गुरुजी के कमरे के बाहर इंतजार में बैठ गया. कुछ देर बाद शिष्य ने उन को कमरे में भेजा.

कमरे में पहुंचते ही अमित ने हाथ जोड़ कर गुरुजी के चरणों में सिर रख दिया. मेनका ने भी चरण छू कर प्रणाम किया.

‘‘सदा सुखी रहो, सौभाग्यवती रहो,’’ गुरुजी ने आशीर्वाद दिया, ‘‘तुम्हारे घर में अपार सुख और वैभव आ रहा?है मेनका. तुम्हें जल्दी पुत्र रत्न भी प्राप्त होगा.

‘‘यह तुम्हारा पति अमित बहुत भोला और सीधासादा सच्चा इनसान है.’’

मेनका कुछ नहीं बोली.

गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा, ‘‘शाम की आरती में जरूर शामिल होना.’’

‘‘जी गुरुजी,’’ अमित ने तुरंत जवाब दिया.

शाम को साढ़े 7 बजे आश्रम के मंदिर में खूब जोरशोर से आरती हुई. गुरुजी और शिष्य आरती में लीन थे.

प्रसाद ले कर कमरे में लौट कर अमित ने कहा, ‘‘मुझे तो यहां आ कर बहुत अच्छा लगता है मेनका. तुम्हें कैसा लगा?’’

‘‘ठीक है.’’

कुछ देर बाद एक शिष्य ने आ कर कहा, ‘‘गुरुजी मेनका को बुला रहे हैं.’’

‘‘अभी आ रही है,’’ अमित बोला.

‘‘जाओ मेनका. लगता है, गुरुजी तुम्हें कुछ खास आशीर्वाद देना चाहते हैं.’’

‘‘मैं अकेली नहीं जाऊंगी,’’ मेनका ने कहा.

‘‘अरे मेनका, हम तो भाग्यशाली हैं. गुरुजी हमें बुला कर दर्शन और आशीर्वाद दे रहे हैं. बहुत से लोग तो इन से मिलने को तरसते रहते हैं. जाओ, देर न करो. पिंकी यहीं है मेरे पास,’’ अमित ने कहा.

मेनका को अकेले ही जाना पड़ा. वह धड़कते दिल से नमस्कार कर गुरुजी के सामने बैठ गई.

तख्त पर बैठे हुए गुरुजी ने उस की ओर देख कर कहा, ‘‘मेनका, तुम्हारा भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है. जरा अपना हाथ दिखाओ. हम देखना चाहते हैं कि तुम्हारा भाग्य क्या कह रहा है?’’

मेनका ने न चाहते हुए भी गुरुजी की तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया. उस की कोमल हथेली पकड़ कर गुरुजी गंभीर मुद्रा में खो गए.

मेनका के दिल की धड़कनें बढ़ने लगीं. उसे यह सब जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था.

‘‘देखो मेनका, जब तक अमित तुम्हारे पास है तुम्हें बहुत सुख मिलेगा, पर…’’ कहतेकहते गुरुजी रुक गए.

‘‘लेकिन क्या गुरुजी…?’’ मेनका चौंकी.

‘‘अमित ज्यादा दिनों तक तुम्हारी जिंदगी में नहीं रहेगा. वह तुम्हारी जिंदगी से काफी दूर निकल जाएगा. बिना पति के पत्नी की हालत कटी पतंग की तरह होती है. यह तुम भी अच्छी तरह जानती हो. मुझे अमित और तुम्हारे बीच के संबंध के बारे में पूरी जानकारी है. जो तुम चाहती हो, वह नहीं चाहता.’’

‘‘गुरुजी, इस में गलती पर कौन है?’’ मेनका ने पूछा.

‘‘गलती पर कोई नहीं है. अपनेअपने सोचने का ढंग है. मैं तुम्हारे मन की हालत समझ रहा हूं. तुम एक प्यासी नदी की तरह हो मेनका. तुम सुंदर ही नहीं, बहुत सुंदर हो, पर तुम्हारे रूप का असर अमित पर जरा भी नहीं पड़ रहा है. अमित इस समय मेरे प्रभाव में है. अगर मैं चाहूं तो वह कभी भी सबकुछ छोड़ कर मेरी शरण में आ सकता है,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

‘‘आप कहना क्या चाहते हैं?’’

‘‘मेनका, तुम जितनी सुंदर हो, अमित उतना ही भोला है. वह तुम्हारी इच्छाओं को आज तक समझ नहीं पाया. तुम्हारा यह सुंदर रूप देख कर मेरी प्यास बढ़ गई है. मैं भी एक प्यासा सागर हूं,’’ कहते हुए गुरुजी ने मेनका की हथेली चूमनी चाही.

मेनका को लगा, जैसे उस के शरीर में कोई बिच्छू डंक मार देना चाहता है. उस ने एक झटके से अपना हाथ छुड़ा कर कहा, ‘‘यह क्या कर रहे हैं आप? यहां बुला कर आप ऐसी हरकतें करते हैं क्या?’’

‘‘मेनका, तुम्हें मेरी बात माननी होगी, नहीं तो तुम्हारा अमित तुम्हें छोड़ कर मेरी शरण में आ जाएगा. उस के बिना क्या तुम अकेली रह लोगी?’’

‘‘मैं अकेली रह लूंगी या नहीं, यह तो बाद की बात है, लेकिन मैं आप की असलियत जान चुकी हूं. इस देश में आप की तरह अनेक ढोंगी व पाखंडी गुरु हैं जिन के बारे में अखबारों में छपता रहता है.

‘‘अमित भोला है, पर मैं नहीं. मैं तो यहां आना ही नहीं चाहती थी. मुझे तो अमित की कसम के सामने मजबूर होना पड़ा. अब मैं आप के इस आश्रम में नहीं रहूंगी,’’ मेनका ने गुस्से में कहा.

यह सुनते ही गुरुजी खिलखिला कर हंस पड़े. मेनका हैरान सी गुरुजी की ओर देखती रह गई.

‘‘सचमुच तुम बहुत समझदार हो मेनका, तुम भोली नहीं हो. मैं तो तुम्हारा इम्तिहान ले रहा था. मैं यह देखना चाह रहा था कि तुम कितने पानी में हो. अब तुम जा सकती हो,’’ गुरुजी ने मेनका की ओर देखते हुए कहा.

मेनका बाहर निकली और तेजी से कमरे में लौट आई. आते ही मेनका ने कहा, ‘‘अब हम यहां नहीं रहेंगे.’’

‘‘क्यों, क्या बात हुई?’’ अमित ने हैरान हो कर पूछा.

‘‘यह तुम्हारे गुरुजी भी उन ढोंगी बाबाओं की तरह हैं जो पकड़े जा रहे हैं. असलियत खुल जाने पर जिन की जगह आश्रम में नहीं, जेल में होती है. कई गुरु जेल में हैं. देखना, किसी न किसी दिन तुम्हारा यह ढोंगी गुरु भी जरूर पकड़ा जाएगा.’’

‘‘क्या हुआ? कुछ बताओ तो सही? तुम तो गुरुजी के पास आशीर्वाद लेने गई थीं, फिर क्या हो गया जो तुम गुरुजी के लिए ऐसे शब्द बोल रही हो?’’

‘‘मैं तो पहले ही यहां आने के लिए मना कर रही थी. पर तुम्हारी कसम ने मुझे मजबूर कर दिया,’’ कहते हुए मेनका ने पूरी घटना सुना दी.

अमित कुछ कहने ही वाला था, तभी एक शिष्य ने कमरे में आ कर कहा, ‘‘अमितजी, आप को गुरुजी बुला रहे हैं.’’

अमित शिष्य के साथ चल दिया.

मेनका धड़कते दिल से कमरे में बैठी रही. उस की आंखों के सामने बारबार गुरुजी का चेहरा और वह सीन याद आ रहा था, जब गुरुजी ने उस का हाथ पकड़ कर चूमना चाहा था. उस के मन में गुरुजी के प्रति नफरत भर उठी.

कुछ देर बाद अमित लौटा और बोल उठा, ‘‘मेनका, यह तुम ने अच्छा नहीं किया जो गुरुजी की बेइज्जती कर दी. गुरुजी ने तो तुम्हें आशीर्वाद देने के लिए बुलाया था लेकिन तुम ने गुरुजी की शान में ऐसी बातें कह दीं, जो नहीं कहनी चाहिए थीं. अब तुम्हें मेरे साथ चल कर गुरुजी से माफी मांगनी पड़ेगी.’’

यह सुन कर मेनका समझ गई कि गुरुजी ने अमित से झूठ बोल दिया है. वह बोली, ‘‘अमित, यहां आ कर तो मैं बेइज्जत हुई हूं. गुरुजी ने जो हरकत मेरे साथ की है, उस के बाद तो मैं ऐसे गुरु की शक्ल भी देखना नहीं चाहूंगी. माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं उठता है.’’

अमित का भी पारा ऊपर चढ़ने लगा. वह मेनका को घूरता हुआ बोला, ‘‘मेनका, मुझे गुस्सा न दिलाओ. मेरे गुरुजी झूठ नहीं बोलते. मेरे साथ चल कर तुम्हें माफी मांगनी पड़ेगी.’’

‘‘मुझे नहीं जाना तुम्हारे ढोंगी गुरु के पास.’’

अमित अपने गुस्से पर काबू न रख सका. उस ने एक जोरदार थप्पड़ मेनका के मुंह पर दे मारा और कहा, ‘‘मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहता…’’

‘‘मैं यहां से चली जाऊंगी अपनी बेटी को ले कर. आज की रात किसी होटल में रुक जाऊंगी. कल सुबह होते ही बस या टे्रन से वापस मेरठ चली जाऊंगी. तुम चाहे जितने दिन बाद आना.

‘‘देख लेना किसी न किसी दिन इस ढोंगी गुरु की पोल भी खुलेगी और यह भी जेल में पहुंचेगा.’’

मेनका ने एक बैग में अपने व पिंकी के कपड़े भरे और पिंकी को गोद में उठा कर आश्रम से बाहर निकल गई.

मेनका एक होटल में पहुंची और एक कमरा ले कर बिस्तर पर कटे पेड़ की तरह गिर पड़ी.

आश्रम के कमरे में बैठे अमित को बारबार मेनका पर गुस्सा आ रहा था. मेनका ने गुरुजी की बेइज्जती कर दी. वह माफी मांगने भी नहीं गई. वह बहुत हठी है. न जाने खुद को क्या समझती है वह. चली जाएगी जहां जाना होगा, वह तो अब उस से कभी बात नहीं करेगा. उसे ऐसी पत्नी नहीं चाहिए जो गुरुजी और उस की बात ही न सुने. इस के लिए उसे तलाक भी लेना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगा.

(क्रमश:)

क्या मेनका और अमित की शादी वाकई तलाक के कगार तक जा पहुंची थी? क्या मेनका ने गुरुजी से माफी मांगी? पढि़ए अगले अंक में…

अधर में शिवराज

हालिया चुनावी हार से सदमे में डूबे शिवराज सिंह चौहान अपनी मौजूदा स्थिति को सहज तरीके से नहीं ले पा रहे हैं. अब उन्हें अपनी ही पार्टी से दरकिनार होने का भय सता रहा है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान 16 जनवरी को उज्जैन में थे, लेकिन इस बार हमेशा की तरह उन्होंने प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में जा कर पूजापाठ और अभिषेक नहीं किया. उन के इर्दगिर्द पहले की तरह अधिकारियों, नेताओं और पत्रकारों का जमावड़ा नहीं था, बल्कि उन के समर्थक के तौर पर इनेगिने भाजपा कार्यकर्ता ही थे. शिवराज सिंह को अब जनता में भगवान दिखने लगा है.

यह स्वभाविक है कि 13 साल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान विपक्ष के नेता भी नहीं हैं. वे विधायक ही रह जाते अगर भाजपा आलाकमान उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नहीं बनाता. हालांकि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2 और हारे राज्यों के मुख्यमंत्रियों राजस्थान से वसुंधरा राजे सिंधिया और छत्तीसगढ़ से रमन सिंह को भी पार्टी उपाध्यक्ष बनाया है जिस का मकसद इन तीनों को राज्यों से निकालना है. राष्ट्रीय राजनीति में लाना ही इस फैसले का मकसद है, यह लोकसभा चुनाव के वक्त पता चलेगा.

यह भी सच है कि प्रदेश के लोगों ने पूरी बेरहमी से भाजपा और शिवराज सिंह को नहीं नकारा है बल्कि 230 में से 109 सीटेें दे कर भाजपा और उन का थोड़ाबहुत लिहाज किया है. लेकिन आम लोगों को उन पर तरस ही आता है और दिलों में हमदर्दी भी पैदा होती है जब वे यह देखते हैं कि शिवराज सिंह चौहान अभी भी मुख्यमंत्रीपना छोड़ नहीं पा रहे हैं यानी अपनी स्थिति को सहज तरीके से नहीं ले पा रहे हैं. इस चक्कर में वे और असहज हो उठते हैं. वे कभी खुद को बाहुबली बताते हैं तो कभी कहते हैं कि टाइगर अभी जिंदा है.

पार्टी ने भी मुंह फेरा

भाजपा के यूज ऐंड थ्रो कल्चर का शिकार होने से शिवराज सिंह चौहान भी खुद को बचा नहीं पा रहे हैं.

वे चाहते हैं कि पार्टी की जो साख मध्य प्रदेश में बची है उस का श्रेय उन्हें ही दिया जाए, जबकि अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी अब उन से धीरेधीरे और कूटनीतिक तरीके से किनारा करने में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपना फायदा देख रही है. इस में मोदीशाह का साथ अब तक हाशिए पर पड़े दूसरी पंक्तिके महत्त्वाकांक्षी नेता दे रहे हैं. इन में भी ब्राह्मण लौबी प्रमुख है जिस के अपने सटीक तर्क शिवराज सिंह चौहान को ले कर हैं.

भारी पड़ी ब्राह्मण लौबी

हार के बाद कई वजहें सभी ने गिनाईं लेकिन उमा भारती के नजदीकी माने जाने वाले नेता रघुनंदन शर्मा ने दोटूक कह डाला कि शिवराज सिंह चौहान का ‘माई के लाल’ वाला बयान और वायरल हुआ वीडियो हार की वजह रहा.

इस वीडियो में शिवराज सिंह चौहान दलितों के एक समारोह में हाथ उठा कर यह कहते नजर आ रहे हैं कि जब तक वे हैं तब तक कोई माई का लाल आरक्षण नहीं हटा सकता. इस वीडियो से नाराज सवर्णों ने भाजपा को वोट नहीं दिया और अपनी अलग पार्टी सपाक्स बना ली. चुनाव में उतर कर सपाक्स कुछ खास नहीं कर पाई, लेकिन उस ने भाजपा को खास नुकसान पहुंचाया.

शिवराज सिंह चौहान विपक्ष का नेता बनना चाहते थे लेकिन ब्राह्मण खेमे ने दूसरे नाम इस पद के लिए उछालने शुरू किए. इस पद के लिए जो 3 नाम उछले, हैरत की बात यह है कि वे सभी ब्राह्मणों के थे. मसलन, नरोत्तम मिश्रा, राजेंद्र शर्मा और गोपाल भार्गव.

जब बात मतदान के जरिए नेता प्रतिपक्ष चुनने की होने लगी तो मध्य प्रदेश का मसला निबटाने की जिम्मेदारी अमित शाह ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी जो भोपाल आए और पंडित गोपाल भार्गव को नेता प्रतिपक्ष बनवा गए.

16 जनवरी को उज्जैन में ही उन्होंने फिर अपनी मंशा जता दी कि वे प्रदेश की जनता की सेवा अपनी जान जाने तक करते रहेंगे. यह कोरी भावुकता नहीं थी लेकिन इसे व्यावहारिकता भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि धीरेधीरे शिवराज सिंह का कद पार्टी में बौना होता जा रहा है.

दिग्विजय जैसा हो रहा हाल

चमत्कारों में यकीन करने वाले शिवराज सिंह चौहान बारबार कमलनाथ सरकार को अल्पमत वाली सरकार कहते उस के गिरने का अंदेशा जताते रहते हैं क्योंकि कांग्रेस सरकार 2 बसपा, 1 सपा और 4 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है.

न केवल शिवराज सिंह चौहान, बल्कि पूरी भाजपा के सभी नेता कमलनाथ सरकार जल्द गिराने की बात कहते रहते हैं. लेकिन कमलनाथ के कानों पर ऐसे बयानों से जूं तक नहीं रेंगतीं. उलटे, कमलनाथ हर कभी भाजपा को अपना घर देखने की सलाह दे कर जता देते हैं कि 4-6 भाजपा विधायक फोड़ कर कांग्रेस में शामिल करना उन के लिए मुश्किल बात नहीं.

अब शिवराज सिंह चौहान अपनी उपयोगिता और महत्त्व दोनों बनाए रखना चाहते हैं. लेकिन इस के लिए उन के साथ किसी राष्ट्रीय नेता का समर्थन या आश्वासन नहीं है. भले ही शिवराज खेमे में 50 विधायक गिनाए जाते हों पर कांग्रेस और भाजपा में यह मौलिक और सनातनी फर्क कई बार उजागर हो चुका है कि भाजपा अपने नेताओं को पनपने नहीं देती.

इस का एक बेहतर उदाहरण मध्य प्रदेश की धाकड़ और फायरब्रैंड साध्वी उमा भारती हैं जिन्हें हुबली कांड के पहले मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था. उमा भारती ने साल 2003 के चुनाव में भाजपा की शानदार वापसी मध्य प्रदेश में कराई थी लेकिन जब मुकदमे से निबट कर वे वापस आईं तो आलाकमान ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया. इस से गुस्साईं उमा भारती ने अपनी अलग भारतीय जनशक्ति पार्टी बना ली थी, लेकिन भाजपा का वोटबैंक वे नहीं तोड़ पाई थीं, इसलिए खामोशी से भाजपा में वापस आ गई थीं और अब केंद्रीय मंत्री हैं.

डेयरी और खेती हैं विकल्प

अब शिवराज सिंह चौहान क्या करेंगे, यह सवाल या जिज्ञासा अच्छेअच्छों को मथे डाल रही है. उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए जाने का फैसला आरएसएस का ज्यादा प्रतीत होता है क्योंकि वह लोकसभा चुनाव तक इन तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों को होल्ड पर रखना चाहता है. इस पद ने शिवराज सिंह का कद बढ़ाने के बजाय घटाया ही है क्योंकि यह सम्मान है तो वह छत्तीसगढ़ में 90 में से महज 15 सीटें हासिल कर भाजपा की फजीहत कराने वाले रमन सिंह को भी बख्शा गया है और 200 में से 73 सीटें लाने वाली वसुंधरा राजे को भी.

जाहिर है यह लोकसभा चुनाव तक के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था है. इस में शिवराज सिंह चौहान का रोल अहम इसलिए भी है कि वे आरएसएस के ज्यादा नजदीक हैं और उन के भविष्य के बारे में आखिरी फैसला मोहन भागवत को ही करना है जो 3 राज्यों की हार के बाद से खामोश हैं. हर कोई उन की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा है. जब तक वशिष्ठ और विश्वामित्र जैसे ऋषिमुनि नहीं बोलेंगे, तब तक, बस, बयानबाजी और कयासबाजी होती रहेगी.

यदि आरएसएस ने भी शिवराज सिंह को उन की प्रतिष्ठा व लोकप्रियता से परे उन की इच्छा के मुताबिक जगह नहीं दी तो उन के पास एकलौता रास्ता या सुनहरा मौका विदिशा का अपना जमींदारों जैसा फार्महाउस और डेयरी की देखभाल करने का बचेगा जिसे मुख्यमंत्री रहते उन्होंने दिल से बनाया है. आरोप या चर्चा यह भी है कि विदिशा में बैस टीला गांव से ले कर ढोलाखेड़ी तक की अधिकतर जमीनें शिवराज ने खरीद रखी हैं. जमीनों की पैदावार और विदेशी नस्लों वाली भैसों के दूध से ही उन्हें करोड़ों की आमदनी हो रही है.

कई मानों में दिग्विजय सिंह और शिवराज सिंह की हालत एक सी है. दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्धन सिंह की खातिर राहुल गांधी की घुड़कियां सुनते रहे थे तो अब अगर शिवराज सिंह भी कार्तिकेय को राजनीति में लाने की सोच रहे होंगे तो उन्हें भी कई समझौते करने पड़ेंगे. लेकिन ब्राह्मण लौबी उन का वजूद खत्म करने पर आमादा हो आई है, इस से वे कैसे निबटेंगे, यह देखना दिलचस्पी की बात होगी.

नाथ से भी खा रहे मात

हकीकत में कमलनाथ हर लिहाज से शिवराज सिंह पर भारी पड़ रहे हैं. इस की वजह कमलनाथ का तजरबा और प्रशासनिक क्षमता है. अपने चहेते छिंदवाड़ा से विधायक दीपक सक्सेना को प्रोटेम स्पीकर बनाते वक्त भी उन्होंने सख्त तेवर दिखाते शिवराज सिंह से कहा था कि मुझे कायदेकानून मत सिखाइए, मैं खुद लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर रह चुका हूं. चुनाव के पहले जब भाजपाइयों ने कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान की दोस्ती की अफवाह उड़ाई थी और खुद शिवराज सिंह ने उन्हें दोस्त कहा था तो बेरुखी दिखाते कमलनाथ ने उन्हें नालायक दोस्त करार दिया था.

पहली दफा राजनीतिक दुर्दशा का शिकार हो रहे कल के इस कद्दावर नेता की हालत त्रिशंकु जैसी होती जा रही है, तो बात कतई हैरानी की नहीं, बल्कि एक सबक ही है कि चढ़ते सूरज को सभी सलाम करते हैं.  द्य

सिरफिरा आशिक

काफी हताश होने के बाद आखिर कन्नू लाल ने तय कर लिया कि अब वह अपने बेटे लल्लू को तलाश करने में समय बरबाद नहीं करेगा और इस के लिए पुलिस की मदद भी लेगा. यह बात उस ने अपनी पत्नी और रिश्तेदारों को भी बताई. फिर उसी शाम वह अपने पड़ोसी भानु को ले कर लुधियाना के थाना डिवीजन नंबर-2 की पुलिस चौकी जनकपुरी जा पहुंचा.कन्नू लाल मूलरूप से गांव मछली, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. कई साल पहले वह काम की तलाश में अपने किसी रिश्तेदार के साथ लुधियाना आया था और काम मिल जाने के बाद यहीं का हो कर रह गया था. काम जम गया तो कन्नू लाल ने गांव से अपनी पत्नी कंचन और बच्चों को भी लुधियाना बुला लिया था.

लुधियाना में वह इंडस्ट्रियल एरिया में लक्ष्मी धर्मकांटा के पास अजीत अरोड़ा के बेहड़े में किराए का कमरा ले कर रहने लगा था. कन्नू लाल के 4 बच्चे थे, 2 बेटे और 2 बेटियां. बड़ी बेटी कुसुम 20 साल की थी और शादी के लायक थी. कन्नू लाल का सब से छोटा बेटा वरिंदर उर्फ लल्लू 11 साल का था, जो कक्षा-4 में पढ़ता था.

27 जुलाई, 2017 को लल्लू दोपहर को अपने स्कूल से लौटा और खाना खाने के बाद गली में बच्चों के साथ खेलने लगा. यह उस का रोज का नियम था. कन्नू की पत्नी कंचन और बाकी बच्चे घर में सो रहे थे. शाम करीब 4 बजे कंचन ने चाय बना कर लल्लू को बुलाने के लिए आवाज दी.

लेकिन लल्लू गली में नहीं था. लल्लू हमेशा अपने घर के आगे ही खेलता था, दूर नहीं जाता था. कंचन ने गली में खेल रहे बच्चों से पूछा तो सभी ने बताया कि लल्लू थोड़ी देर पहले तक उन के साथ खेल रहा था, पता नहीं बिना बताए कहां चला गया. चाय पीनी छोड़ कर सब लल्लू की तलाश में जुट गए.

शाम को जब लल्लू को पिता कन्नू लाल काम से लौट कर घर पहुंचा तो वह भी बेटे की तलाश में जुट गया. पूरी रात तलाशने के बाद भी लल्लू का कहीं पता नहीं चला. सभी यह सोच कर हैरान थे कि आखिर 11 साल का बच्चा अकेला कहां जा सकता है. इस के पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था.

अगला दिन भी लल्लू की तलाश में गुजरा. शाम को कन्नू लाल ने लल्लू की गुमशुदगी पुलिस चौकी में दर्ज करा दी. ड्यूटी अफसर हवलदार भूपिंदर सिंह ने धारा 146 के तहत कन्नू की गुमशुदगी दर्ज कर के यह सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. साथ ही लल्लू का हुलिया और उस का फोटो आसपास के सभी थानों में भेज दिया गया.

लल्लू की तलाश में न तो पुलिस ने कोई कसर छोड़ी और न उस के मातापिता और रिश्तेदारों ने. पर लल्लू का कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. कन्नू लाल गरीब मजदूर था, जो दिनरात मेहनत कर के अपने बच्चों का पालनपोषण करता था, इसलिए फिरौती का तो सवाल ही नहीं था. हां, दुश्मनी की बात सोची जा सकती थी.

दुश्मनी के चक्कर में कोई लल्लू को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकता था, इसीलिए पुलिस बारबार कन्नू से यह पूछ रही थी कि उस का किसी से लड़ाईझगड़ा तो नहीं है. लल्लू को गुम हुए एक सप्ताह गुजर चुका था पर कहीं से भी उस का कोई सुराग नहीं मिला.

घटना के 9 दिन बाद अचानक कन्नू लाल के मोबाइल फोन पर एक शख्स का फोन आया. फोन करने वाले का कहना था कि लल्लू उस के कब्जे में है. अगर बेटा सहीसलामत और जिंदा चाहिए तो 2 लाख रुपया बैंक एकाउंट नंबर 0003333 में डलवा दो. लल्लू मिल जाएगा.

कन्नू लाल ने तुरंत इस फोन की सूचना पुलिस को दे दी. अब मामला केवल लल्लू की गुमशुदगी का नहीं रह गया था. उस का अपहरण फिरौती के लिए किया गया था सो पुलिस हरकत में आ गई. एडीसीपी गुरप्रीत सिंह के सुपरविजन में एक टीम का गठन किया गया, जिस का इंचार्ज एसीपी वरियाम सिंह को बनाया गया. पुलिस ने पहले दर्ज मामले में धारा 365 और 384 भी जोड़ दीं.

अपहरण के 9 दिन बाद 4 अगस्त को लल्लू के पिता कन्नू लाल के मोबाइल पर फोन कर के 2 लाख रुपए फिरौती मांगने के बाद फोनकर्ता ने नंबर स्विच्ड औफ कर दिया था. जांच आगे बढ़ाते हुए कन्नू लाल के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई गई. साथ ही उस के फोन को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया.

काल डिटेल्स से पता चला कि कन्नू लाल को स्थानीय बसअड्डे से फोन किया गया था. यह सोच कर तुरंत एक पुलिस टीम वहां भेजी गई कि हो न हो कोई संदिग्ध मिल जाए, क्योंकि बसअड्डा क्षेत्र काफी बड़ा और भीड़भाड़ वाला इलाका था. पास में ही रेलवे स्टेशन भी था. लेकिन वहां पुलिस को कुछ नहीं मिला.

पुलिस यह मान कर चल रही थी कि लल्लू का अपहरणकर्ता जो भी रहा हो, वह कन्नू लाल का कोई नजदीकी या फिर रिश्तेदार ही होगा. क्योंकि अपहरणकर्ता ने जो 2 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी, वह कन्नू लाल की हैसियत देख कर ही मांगी थी.

भले ही कन्नू लाल गरीब था, पर अपने बच्चे के लिए 2 लाख का इंतजाम तो कर ही सकता था. इस के लिए उसे गांव की जमीन भी बेचनी पड़ती तो वह भी बेच देता. अपहर्त्ता जो भी था, कन्नू के परिवार को गांव तक जानता था.

इस सोच के बाद पुलिस ने कन्नू लाल और उस के परिवार के हर छोटेबड़े सदस्य से पूछताछ की. कुछ खबरें पड़ोसियों से भी ली गईं. मुखबिरों का भी सहारा लिया गया. आखिर अंदर की बात पता चल ही गई. इस से पुलिस को लगने लगा कि अब वह जल्द ही अपरहणकर्ता तक पहुंच कर लल्लू को सकुशल बचा लेगी.

कन्नू लाल के परिवार से पता चला कि कुछ दिन पहले उन का अजमल आलम से झगड़ा हुआ था. 30 वर्षीय अजमल आलम उन के पड़ोस में ही रहता था और कपड़े पर कढ़ाई का बहुत अच्छा कारीगर था. उस की कमाई भी अच्छी थी और उस का कन्नू के घर काफी आनाजाना था. वह उस के परिवार के काफी करीब था और सभी बच्चों से घुलामिला हुआ था. खासकर कन्नू की बड़ी बेटी कुसुम से. 7 साल पहले जब अजमल आलम की उम्र करीब 22-23 साल थी और कुसुम की 14 साल तभी दोनों एकदूसरे के करीब आ गए थे.

अजमल मूलरूप से गांव भयंकर दोबारी, जिला किशनगंज, बिहार का रहने वाला था. 7 साल पहले उस ने खुद को अविवाहित बता कर कुसुम को अपने प्रेमजाल में फांस लिया था. इस के 2 साल बाद उस ने कुसुम से शादी करने का झांसा दे कर उस से शारीरिक संबंध भी बना लिए थे. यह सिलसिला अभी तक चलता रहा था.

कह सकते हैं कि उस ने 7 वर्ष तक कुसुम का इस्तेमाल अपनी पत्नी की तरह किया था. अजमल से कुसुम के संबंध कितने गहरे हैं, यह बात कन्नू और उस की पत्नी कंचन को भी पता थी.

उन की नजरों में अजमल अविवाहित था और अच्छा कमाता था. वह कुसुम से बहुत प्यार करता था और शादी करना चाहता था. कन्नू लाल और उस की पत्नी कंचन को इस पर कोई ऐतराज नहीं था. फलस्वरूप जैसा चल रहा था, उन्होंने वैसा चलने दिया. उन लोगों ने न कभी बेटी पर कोई अंकुश लगाया और न अजमल को अपने घर आने से रोका.

जून 2018 में अचानक किसी के माध्यम से कंचन और कुसुम को पता चला कि अजमल पहले से ही शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था. इतनी बड़ी बात छिपा कर वह कुसुम के साथ लगातार 7 सालों तक दुष्कर्म करता रहा था.

हकीकत जान कर मांबेटी के होश उड़ गए. उस समय अजमल अपने कमरे पर ही था. कुसुम और कंचन ने जा कर उस के साथ झगड़ा किया और उस की खूब पिटाई की. यह बात मोहल्ले की पंचायत तक भी पहुंची. पंचायत के कहने पर कंचन ने अजमल को धक्के मार कर मोहल्ले से बाहर निकाल दिया.

अजमल ने भी वहां से चुपचाप चले जाने में ही अपनी भलाई समझी. क्योंकि मोहल्ले वालों के सामने हुई जबरदस्त बेइज्जती के बाद वह वहां नहीं रह सकता था, इसलिए वह अपना सामान लिए बिना मोहल्ले से चला गया था.

यह कहानी जान लेने के बाद पुलिस को लगा कि लल्लू के अपहरण के पीछे अजमल का ही हाथ हो सकता है. कुसुम वाले मामले में उस की काफी बेइज्जती हुई थी. यहां तक कि उसे अपना घर भी छोड़ कर भागना पड़ा था. बदला लेने के लिए वह कुछ भी कर सकता था.

कन्नू के परिवार के पास अजमल का फोन नंबर था. पुलिस ने वह नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया और उस की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश करने लगी.

कन्नू को किए गए पहले फोन के 2 दिन बाद फोन कर के उस से दोबारा पैसों की मांग की गई. इस बार फोन कैथल, हरियाणा से आया था. पुलिस टीम फोन की लोकेशन ट्रेस करते हुए जब कैथल पहुंची तो कन्नू को दिल्ली से फोन किया गया. इस बार फोन करने वाले ने रुपयों की मांग के साथ कुसुम से बात करने की भी इच्छा जताई तो साफ हो गया कि लल्लू के अपरहण में अजमल का ही हाथ है. इस के बाद वह कन्नू को बारबार मैसेज करता रहा.

अजमल को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमों ने कैथल व दिल्ली में एक साथ 15 जगह रेड डाली लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अब तक की जांच में सामने आया कि जो बैंक खाता नंबर उस ने फिरौती के पैसे डलवाने के लिए दिया था, वह लुधियाना के एक युवक का था.

खास बात यह कि उस युवक से अजमल की दूरदूर तक कोई जानपहचान नहीं थी. फिर भी पुलिस ने उसे शक के दायरे में ही रखा. आखिर लंबे चले इस चोरसिपाही के खेल के बाद पुलिस ने अजमल की फोन लोकेशन का पीछा करते हुए उसे 8 अगस्त को दिल्ली से धर दबोचा.

अगले दिन 9 अगस्त को पुलिस ने अजमल को अदालत में पेश कर के लल्लू की बरामदगी और आगामी पूछताछ के लिए उसे 5 दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया. पूछताछ के दौरान अजमल ने बताया कि लल्लू की हत्या उस ने उसी दिन यानी 27 जुलाई को ही कर दी थी और उस की लाश को सतलुज नदी में बहा दिया था.

उस ने बताया कि मोहल्ले से बेइज्जत होने के बाद वह अपनी बहन के पास कैथल चला गया था. लेकिन कुसुम के बिना उस का मन नहीं लग रहा था. उस ने कुसुम से प्यार किया था और वह भी उसे प्यार करती थी, लेकिन अब उस ने बेवफाई की थी.

उस का मन बारबार कहता था कि कुसुम और उस की मां से बेइज्जती का हिसाब लिया जाए. इस के लिए वह लुधियाना छोड़ कर जाने के डेढ़ महीने बाद 27 जुलाई को ट्रेन से लुधियाना आया. दोपहर को जब लल्लू स्कूल से वापस घर जा रहा था तो उस ने उसे रोक कर साथ चलने को कहा, लेकिन उस ने मना कर दिया और घर जा कर अपनी बहन को उस के आने की सूचना दी.

बाद में जब लल्लू खेलने के लिए घर से बाहर निकला तो उस ने लल्लू को घुमाने का लालच दिया और आटो में बिठा कर सतलुज नदी पर ले गया. नदी पर पहुंच कर अजमल ने लल्लू को नदी में नहाने और तैरना सिखाने के लिए उकसाया.

जब लल्लू नहाने के लिए कपड़े उतार कर अजमल के साथ दरिया में घुसा तो अजमल ने नहाते समय लल्लू की गरदन पकड़ कर उसे पानी में डुबो कर मार दिया और उस की लाश पानी में बहा कर बस द्वारा वापस कैथल चला गया. बाद में वह दिल्ली पहुंच गया था. वहीं से वह कन्नू को फोन पर एसएमएस भेजता था.

अजमल की निशानदेही पर पुलिस ने सतलुज में गोताखोरों की टीम को उतारा. पर लल्लू की लाश नहीं मिली. बरसात के दिन होने के कारण नदी में पानी का तेज बहाव था. ऐसे में संभव था कि लाश पानी में तैरती हुई कहीं दूर निकल गई हो. पुलिस लल्लू की लाश को कई दिनों तक नदी में दूरदूर तक तलाशती रही लेकिन लाश नहीं मिली.

रिमांड की अवधि खत्म होने के बाद 13 अगस्त, 2018 को अजमल को फिर से अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जिला जेल भेज दिया गया. खेलखेल में लल्लू की गुमशुदगी से शुरू हुआ यह ड्रामा अंत में इतने भयानक अंजाम तक पहुंचेगा, इस बात की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.  ?

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कुसुम परिवर्तित नाम है.

उपमा मिक्स ढोकला

सामग्री

– 3/4 कप उपमा रेडी मिक्स आटा

– 1/4 कप गाढ़ा दही

– 1/2 कप कुनकुना पानी

– 1 छोटा चम्मच इनो फ्रूट साल्

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

सामग्री तड़के की

–  1 छोटा चम्मच राई

– 1 छोटा चम्मच जीरा

– थोड़ा सा हींग पाउडर

– 9-10 करीपत्ते

–  2 हरीमिर्चें बीच से चीरी हुईं

– 1 बड़ा चम्मच रिफाइंड औयल

बनाने की विधि

– उपमा रैडी मिक्स आटे में दही और गुनगुना पानी मिला कर 10 मिनट के लिए ढक कर रख दें.

– यदि पानी कम लगे तो थोड़ा और मिला लें.

– फिर इस में गुनगुना रिफाइंड औयल और ईनो फू्रट साल्ट मिलाएं.

– चिकनाई लगे डब्बे में10 मिनट भाप में पकाएं.

– तड़का लगा कर मनचाहे आकार में काट कर सर्व करें.

पोटैटो चंक्स विद वड़ा पाउडर मिक्स

सामग्री

– 2/3 कप वड़ा पाउडर मिक्स

– 20 छोटे आलू उबले

– 2 बड़े चम्मच हरी चटनी

– 2 छोटे चम्मच अदरक व हरीमिर्च पेस्ट

– थोड़ी सी धनियापत्ती बारीक कटी

– चंक्स तलने के लिए रिफाइंड औयल

–  नमक स्वादानुसार

बनाने की विधि

– रैडी मिक्स वड़ा पाउडर के आटे को पानी से गाढ़ा घोल कर ढक कर 15 मिनट रखें.

– प्रत्येक उबले आलू में बीच में थोड़ा चीरा लगा कर हरी चटनी लगा दें.

– वडे़ वाले मिश्रण में अदरक व हरीमिर्च पेस्ट, धनियापत्ती व नमक मिलाएं.

– प्रत्येक आलू को इस मिश्रण में डिप कर तेल में सुनहरा तल लें.

– चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

जानिए सुबह से पानी पीने के फायदे

अच्छे स्वास्थ की चाबी है पानी. अगर आप हमेशा स्वस्थ रहना चाहते हैं तो जरूरी है कि आप खूब पानी पिएं. पानी का भरपूर इस्तेमाल आपको कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है, साथ में कई महत्वपूर्ण अंगों की भी रक्षा करता है. शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भी पानी का अहम योगदान है.

सुबह जागने के बाद सबसे पहले पानी पीना जरूरी होता है. चूंकि रात में सोने के बाद हम पानी नहीं पीते, सुबह तक शरीर में पानी की जरूरत आ पड़ती है. इसलिए जरूरी है कि सुबह में जागते ही पानी पीया जाए. इस खबर में हम आपको सुबह में जागते ही पानी पीने के फायदों के बारे में बताएंगे.

सुबह जागते ही पानी पीने से शरीर में मौजूद बहुत से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. इससे खून साफ होता है. स्वच्छ खून से त्वचा पर चमक रहती है.

शरीर की इम्यूनिटी के लिए भी पानी काफी लाभकारी होता है. जानकारों की माने तो सुबह खाली पेट पानी पीने से सिर दर्द, शरीर दर्द, ह्रदय की बीमारियों, तेज ह्रदय गति, एपिलेप्सी, अत्यधिक मोटापे, अस्थमा, टीबी, किडनी व यूरीन की बीमारियां, उल्टी, गैस, डायबिटीज, डायरिया, पाइल्स, कब्ज, कैंसर, आंख, नाक, कान और गले संबंधी परेशानियां नहीं होती.

अगर आप अपना वजन कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो सुबह जागते ही पानी पीना बेहद जरूरी है. ऐसा करने से शरीर की मेटाबौलिज्म एक्टिविटीज अच्छे से होती हैं और शरीर की नई कोशिकाओं का निर्माण भी होता है. मांसपेशियां मजबूत होती हैं, मासिक धर्म, आंखों, पेशाब और किडनी संबंधी कई समस्याएं शरीर से दूर रहती हैं.

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