अच्छे दिन वाकई आ गए हैं. अब इतनी सारी जांचें हो रही हैं कि ये अच्छे दिन छिपे कहां पड़े हैं. दिल्ली में ईडी यानी ऐनफोर्समैंट डिपार्टमैंट 20-30 घंटों की पूछताछ कर रहा है कि प्रियंका गांधी के पति रौबर्ट वाड्रा ने ये अच्छे दिन कहां छिपा रखे हैं. उधर सीबीआई कोलकाता पुलिस के ममता बनर्जी के चहेते राजीव कुमार से शिलांग में पूछताछ कर रही है कि ये अच्छे दिन बंगाल में कहां हैं.
सरकारी वकील व अफसर पैरिस, लंदन, एंटीगुआ, पोर्ट औफ स्पेन जैसी जगह जा कर विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी से पूछ रहे हैं कि कहीं अच्छे दिन, नौकरियां, 15 लाख वहां तो नहीं छिपे हुए हैं. सरकार जोशखरोश से पूछ रही है कि अगस्ता हैलीकौप्टरों की फाइलों के पीछे तो नहीं हैं न अच्छे दिन.
सुप्रीम कोर्ट भी पूछने लगा है. मायावती से पूछा जा रहा है कि दलित स्मारकों में बनी मूर्तियों पर अच्छे दिन तो नहीं बैठे. सुप्रीम कोर्ट ने काफी दिन तक सहारा के सुब्रतो राय को जेल में रखा कि सरकार के अच्छे दिनों का बता दे.
किसी को यह नहीं पूछना कि अच्छे दिन तो पटेल की बेमतलब की विशाल मूर्ति में गंवाए जा चुके हैं. कोई यह नहीं जानना चाहता कि कितने अच्छे दिन कुंभ मेले के पाखंडियों पर बरबाद कर दिए गए हैं. सबरीमाला में सुरक्षा पर देश के अच्छे दिन लग रहे हैं पर इन की गिनती कोई नहीं करना चाहता. राफेल हवाईजहाजों के साथ जनता के कितने ही अच्छे दिन फ्रांस पहुंच चुके हैं पर उस की पूछताछ नहीं की जा रही.