लेखक-डॉ. बिमल छाजेड़

हार्ट अटैक मुख्य रूप से धमनियों में वसा के जमने के कारण होता है, जो न सिर्फ खून के प्रवाह को रोकता है, बल्कि मांसपेशियों को भी कमजोर कर देता है. कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर दो महत्वपूर्ण कारक हैं, जो धमनियों को ब्लॉक करके खून के प्रवाह में रुकावट का काम करते हैं. इससे हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इन दोनों कारकों को एक प्रकार से माफिया कहा जा सकता है क्योंकि विश्वस्तर पर हर साल हार्ट अटैक से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है. बावजूद इसके, कई हृदय रोग विशेषज्ञ कोलेस्ट्रॉल स्तर 180 एमजी/1 से अधिक और ट्राइग्लिसराइड्स स्तर 160एमजी/डी1 से अधिक की अनुमति देते हैं.

मोटापा और हृदय रोगों में संबंध

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि मोटापा किस प्रकार हृदय रोगों को बढ़ावा देता है. शरीर कैलोरी की मदद से ऊर्जा उत्पन्न करता है। हम जो कुछ भी खाते हैं वह ग्लूकोस के रूप में मांसपेशियों तक पहुंचता है, जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है. शरीर इंसुलिन की मदद से यह सुनिश्चित करता है कि कैलोरी सही मात्रा में इस्तेमाल हो रही है. अतिरिक्त कैलोरी वसा यानी कि फैट के रूप में जमा होता रहता है.ऐसे में ग्लूकोस के स्तर को संतुलित रखने के लिए इंसुलिन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है. जमा हुआ अतिरिक्त फैट शरीर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) की कार्यप्रणाली को बिगाड़ता है.चूंकि, इस स्थिति में मांसपेशियां ग्लूकेगन को सोखने में असमर्थ हो जाती है, जिससे इंसुलिन और अधिक मात्रा में उत्पन्न होने लगता है.यदि इसके बावजूद प्रक्रिया में कोई सुधार नहीं आता है, तब व्यक्ति डायबिटीज का शिकार हो जाता है. शरीर का ज्यादा वजन न सिर्फ डायबिटीज का कारण बनता है बल्कि मोटापा और उच्च रक्तचाप का कारण भी बनता है.

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