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Nutrition Week: हेल्थ और ब्यूटी के लिए बेहद फायदेमंद है ‘ओटमील’

ओटमील ऐसा पोषक आहार है, जिस में प्रोटीन, फाइबर और बीटा ग्लूकोन काफी मात्रा में होता है. यह कोलैस्ट्रौल को तो नियंत्रित करता ही है, साथ ही स्वादिष्ठ भी होता है. ओटमील (जौ का दलिया) बाजार में कई फ्लेवर्स और वैराइटीज में मौजूद है.

ओट्स की किस्में 

1.- ओट ग्रोट्स (जई का दलिया): ग्रोट्स बनाने के लिए ओट्स का बाहरी छिलका हटा दिया जाता है. ग्रोट्स को भिगो कर या पका कर खाया जा सकता है.

2.- स्टील कट ओट्स: इसे आइरिश या स्कौच ओट्स भी कहा जाता है. वास्तव में ये काट कर बनाए गए ग्रोट्स हैं. ये ग्रोट्स की तुलना में जल्दी पक जाते हैं और चबाने में भी आसान होते हैं.

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3.- ओल्ड फैशंड ओट्स: इन्हें रोल्ड ओट्स भी कहा जाता है. इस में दानों को चटका कर दिया जाता है ताकि वे जल्दी पक जाएं. पकने के बाद भी ये थोड़े कड़क रहते हैं.

4.- क्विक ओट्स: इन्हें भी रोल किया जाता है, लेकिन ये ओल्ड फैशंड ओट्स की तुलना में पतले होते हैं. ये सिर्फ 1 मिनट में पक जाते हैं और पकने के बाद मुलायम हो जाते हैं.

5.- इंसटैंट ओटमील: ये पतले, पहले से पके फ्लैक्स होते हैं, जिन्हें खाने से पहले किसी गरम पेयपदार्थ में मिलाया जा सकता है.

ओट्स के फायदे

6- इन में ऐंटीऔक्सीडैंट भरपूर मात्रा में होता है: ओटमील में ऐंटीऔक्सीडैंट की मात्रा बहुत अधिक होती है जो शरीर को स्वस्थ बनाता है.

7- कार्डियोवैस्क्युलर रोगों से बचाता है: ओटमील में कैल्सियम और पोटैशियम होता है, जो ब्लड प्रैशर को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी है.

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8- ब्लड शुगर को करता है नियंत्रित: ओटमील का ग्लाइसैमिक इंडैक्स कम होता है. इस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए यह ब्लड शुगर पर नियंत्रण रखने के लिए बेहद फायदेमंद है.

9- कैंसर की संभावना कम करता है:  इस में मौजूद लिगनेन दिल की बीमारियों के अलावा हारमोन से जुड़े कैंसर की संभावना को भी कम करता है.

10- हाइपरटैंशन/उच्चरक्तचाप को कम करता है: ओटमील तनाव पैदा करने वाले हारमोनों का स्तर कम करता है और सिरोटोनिन को बढ़ाता है, जिस से मन शांत रहता है.

11- कोलन कैंसर की संभावना कम करता है: ज्यादा फाइबर से युक्त आहार का सेवन करने से कोलन कैंसर की संभावना कम होती है. भोजन में फाइबर ज्यादा होने से आहार नाल में भोजन और व्यर्थ पदार्थ का प्रवाह आसानी से होता है. सौल्यूबल फाइबर पानी में घुल जाता है. इस से लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है. इन्सौल्यूबल फाइबर पानी में नहीं घुलने के कारण कब्ज पैदा करता है. यही कारण है कि फाइबर से युक्त ओट्स कोलन यानी मलाशय को स्वस्थ बनाए रखते हैं.

12- कब्ज से बचाता है: ओटमील में सौल्यूबल और इन्सौल्यूबल फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो कब्ज से बचाती है. ओट्स खाने से पेट अच्छी तरह साफ हो जाता है.

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13- हड्डियों के लिए फायदेमंद: ओट्स में कुछ जरूरी विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी हैं. ओट्स में सिलिकौन भी पाया जाता है, जो हड्डियों के लिए जरूरी है. सिलिकौन महिलाओं में मेनोपौज के बाद होने वाले औस्टियोपोरोसिस के इलाज में भी मददगार है. फाइबर का ज्यादा मात्रा में सेवन करने से महिलाएं मेनोपौज के बाद चिड़चिड़ापन महसूस नहीं करतीं.

14- ऊर्जा देता है: ओटमील कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन से भरपूर होता है, जो कैलोरी और ऊर्जा देता है. ओटमील जैसे खाद्यपदार्थों में ग्लाइसेमिक का स्तर कम होता है, जो व्यायाम के दौरान फैट बर्निंग के अनुकूल है.

15- वजन कम करने में मदद करता है: ओट्स कम कैलोरी से युक्त खाद्यपदार्थ है, जो धीरेधीरे पचता है, जिस से बारबार भूख नहीं लगती.

16- प्राकृतिक क्लींजर: ओट में मौजूद सैपोनिन त्वचा से हानिकारक पदार्थों को निकाल कर उसे गहराई से साफ करता है. ओट्स को पानी में भिगोने से कुछ देर बाद उन से मिल्क निकलता है, जिसे त्वचा पर लगाने से वह न केवल साफ होती है, बल्कि चमकदार और जवां भी दिखती है.

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17- मुंहासों के लिए कारगर इलाज: ओट्स त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद हैं. मुंहासों का कारण त्वचा में बनने वाला ज्यादा तेल होता है. इस के लिए उबले ओट्स का पेस्ट बना कर चेहरे पर लगाएं. यह पेस्ट त्वचा से अतिरिक्त तेल और हानिकारक रसायनों को सोख लेता है. इसे स्क्रब की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से त्वचा से डैड सैल्स निकल जाते हैं और डार्क स्पौट्स हलके होने लगते हैं.

18- बाल झड़ने से रोकता है: अगर आप के बाल झड़ रहे हैं, तो 1 चम्मच ओटमील, थोड़ा सा ताजा दूध और थोड़ा सा बादाम का दूध मिला कर पेस्ट बना कर उसे बालों में लगाएं.

– श्रुति शर्मा

बैरिएट्रिक काउंसलर और न्यूट्रिशनिस्ट
जेपी हौस्पिटल, नोएडा

एक मोड़ पर-भाग 3 : आखिर क्या था जया की इस बेरुखी का राज

पत्नीत्व का सुख दिया है? विनोद दफ्तर से लौटता है और तुम मुसकरा कर उस का स्वागत करने के बजाय उसे जलीकटी सुनाने लगती हो. उस पर तरहतरह के लांछन लगाती हो. आखिर कोई कब तक बरदाश्त कर सकता है? वह होटल में नहीं जाएगा तो क्या करेगा?’’ वह क्रोध और आवेश में सुनयना पर बरस पड़ा. सुनयना इस अपमान को बरदाश्त नहीं कर पाई. तिलमिला कर उठ गई, ‘‘जीजाजी, आप मेरा अपमान कर रहे हैं. हमारी घरेलू जिंदगी में दखल दे रहे हैं आप.’’

‘‘मैं मानता हूं कि मैं तुम्हारी घरेलू जिंदगी में दखल दे रहा हूं. मगर तुम्हें भी हमारे घरेलू मामलों में दखल देने का क्या अधिकार है? तुम क्यों हमारे घर की बरबादी पर जश्न मनाना चाहती हो? तुम यहां किसलिए आती हो? इसीलिए न कि तुम जया को हम सब के खिलाफ भड़का सको, इस घर की शांति को भी खत्म कर सको? अपना घर तो तुम ने तबाह कर ही लिया है, अब हमारा घर तबाह करने पर तुली हुई हो.’’ सुनयना इस अपमान को झेल नहीं पाई. क्रोध और आवेश में आ कर वह जाने लगी, ‘‘जया, मैं नहीं जानती थी कि इस घर में मेरा इस प्रकार अपमान होगा.’’ जया ने उसे रोकना चाहा मगर वह उसे मना करते हुए बोला, ‘‘उसे जाने दो, जया, और उस से कह दो कि फिर कभी हमारे घर न आए. हमें ऐसे हितचिंतकों की जरूरत नहीं है.’’ सुनयना चली गई तो जया रोने लगी,  ‘‘यह आज आप को क्या हो गया है? आप ने मेरी बहन का अपमान किया है.’’

उस ने जया को समझाया, ‘‘उसे अपनी बहन मत कहो. जो औरत तुम्हारी बसीबसाई गृहस्थी उजाड़ना चाहती है, तुम्हारे सुखों को जला डालना चाहती है, उसे बहन समझना तुम्हारी बहुत बड़ी भूल है. जानती हो विनोद की क्या हालत है? अपना घर और अपनी पत्नी होते हुए भी वह बेचारा आवारों जैसी जिंदगी जी रहा है. न उस के रहने का कोई ठिकाना है न खाने का. कभी कहीं पड़ा रहता है, कभी कहीं. उस की यह दशा किस ने की है? तुम्हारी इसी प्यारी बहन ने. सुनयना उसे चैन से नहीं जीने देती. उस से हर समय झगड़ती रहती है. वह न खुद शांति से रहती है न दूसरों को रहने देती है. वही सुनयना हर रोज तुम्हें कोई न कोई पाठ पढ़ा जाती है. हर रोज तुम्हें किसी नए षड्यंत्र में उलझा जाती है क्योंकि उसे तुम्हारा सुख बरदाश्त नहीं है. अपनी तरह वह तुम्हें भी उजाड़ डालना चाहती है.

‘‘जया, जरा याद करो पहले हम कितने सुखी थे. तुम भी खुश रहती थी. मां भी खुश थीं. कैसी हंसीखुशी से हमारी जिंदगी बीत रही थी. न तुम्हें किसी से कोई शिकायत थी और न किसी को तुम से. लेकिन आज क्या हालत है? दिनरात तुम क्रोध और घृणा से भरी रहती हो. हर रोज मां से तुम्हारी लड़ाई होती है. तुम्हें किसी से प्यार नहीं रह गया है. मुझ से भी तुम प्यार के बजाय शिकायतें ही करती रहती हो. क्यों? सिर्फ सुनयना की वजह से. वह एक मक्कार और धूर्त औरत है. कुछ लोग ऐसे ही होते हैं जो कभी किसी का सुख बरदाश्त नहीं कर पाते. सुनयना ऐसी ही औरत है.

‘‘मुझे समझने की कोशिश करो, जया. मेरी जिम्मेदारियों को समझने की कोशिश करो. सुनयना की बातों से हट कर सोचने की कोशिश करो. इस घर को उजाड़ने के बजाय बसाने की कोशिश करो.’’ जया भौचक्की सी रह गईं. उसे लगा  जैसे उस के दिमाग के परदे खुलने शुरू हो गए हैं. उस की आंखों में आंसू आ गए. वह पति के कंधे पर सिर रख कर आत्मग्लानि व आत्मसमर्पण से सिसकने लगी. आज कितने दिनों बाद वह घर में सुख महसूस कर रहा था.

 

एक मोड़ पर-भाग 2 : आखिर क्या था जया की इस बेरुखी का राज

जया उस के पास ही बैठ जाती है. फिर एकाएक कहती है, ‘‘मैं पूछती हूं, आखिर मुझे कब तक इसी तरह जलना होगा? कब तक मुझे मां की गालियां सुननी होंगी? कब तक देवरननदों के नखरे उठाने पड़ेंगे?’’

रोटी का कौर उस के मुंह में ही अटक जाता है. उस का मन जया के प्रति घोर नफरत से भर जाता है. वह क्रोधभरे स्वर में कहता है, ‘‘आखिर तुम्हें कब अक्ल आएगी, जया? तुम मेरा खून करने पर क्यों तुली हुई हो? कभी थोड़ाबहुत कुछ सोच भी लिया करो. कम से कम खाना तो आराम से खा लेने दिया करो. यदि तुम्हें कोई शिकायत है तो खाना खाने के बाद भी तो कह सकती हो. क्या यह जरूरी है कि जब भी मैं खाने बैठूं, तुम अपनी शिकायतें ले कर बैठ जाओ? प्यार की कोई बात करना तो दूर, हमेशा जलीकटी बातें ही करती रहती हो.’’ हमेशा की तरह जया रोने लगती है, ‘‘हां, मैं तो आप की दुश्मन हूं. आप का खून करना चाहती हूं. मैं तो आप की कुछ लगती ही नहीं हूं.’’

‘‘देखो जया, मैं मां से अलग नहीं हो सकता. इस घर के प्रति मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं. मैं उन से भाग नहीं सकता. तुम्हारे लिए अच्छा यही है कि तुम मां के साथ निभाना सीखो. अलग होने की जिद छोड़ दो.’’

‘‘नहीं,’’ वह रोतेरोते ही कहती है, ‘‘मैं नहीं निभा सकती. मुझ से मां की गालियां नहीं सही जातीं.’’

वह जानता है कि गालीगलौच करने की आदत मां की नहीं है. चूंकि जया अलग होना चाहती है, इसलिए हमेशा मां के खिलाफ बातें बनाती है. उसे समझाना बेकार है. वह समझना ही नहीं चाहती. उस के दिमाग में तो बस एक ही बात बैठी हुई है- अलग होने की. दुखी और परेशान हो कर वह खाना बीच में ही छोड़ कर उठ खड़ा होता है. घर से बाहर आ कर वह सड़कों पर घूमने लगता है. अपने दुख को हलका करने का प्रयास करता है. सोचता रहता है, यही जया कभी उस की मां से कितना स्नेह करती थी. आज उसे किस ने भड़का दिया है? किस ने उसे सलाह दी है अलग हो जाने की? कौन हो सकता है वह धूर्त इंसान? उसे ध्यान आता है जब से सुनयना इस घर में आने लगी है तभी से जया के तेवर भी बदलते जा रहे हैं. सुनयना जया की मौसेरी बहन है. वह अकसर घर में आती है. दोनों बहनें अलग कमरे में बैठी देर तक बातें करती रहती हैं. पता नहीं वे क्याक्या खुसुरफुसुर करती रहती हैं.

सुनयना के पति विनोद को भी वह जानता है. विनोद बीमा विभाग में क्लर्क है. सुनयना और विनोद के बीच हमेशा खटपट रहती है. दोनों के बीच कभी नहीं बनती, किसी न किसी बात पर दोनों झगड़ते रहते हैं. विनोद की आदत लड़नेझगड़ने की नहीं है. मगर सुनयना उसे चैन से जीने नहीं देती. वह बहुत झगड़ालू और ईर्ष्यालु औरत है. तरहतरह के इलजाम लगा कर वह विनोद को लांछित करती रहती है. रोजरोज के इन्हीं झगड़ों से तंग आ कर विनोद अकसर घर नहीं आता. होटल में खाना खा लेता है और कहीं भी जा कर सो जाता है. घर और पत्नी के होते हुए भी वह बेघर इंसान की जिंदगी जी रहा है. विनोद की मां या भाई उसे मना कर वापस घर ले आते हैं, सुनयना के साथ उस का समझौता करा देते हैं. कुछ दिन तो सब ठीकठाक रहता है, मगर थोड़े ही दिनों में सुनयना फिर अपनी असलियत पर उतर आती है और वह फिर घर छोड़ने के लिए विवश हो जाता है. वही सुनयना अब उस के घर को भी तबाह करने पर तुली हुई है. कुछ लोग अत्यंत नीच प्रकृति के होते हैं. वे न तो स्वयं सुखी रहते हैं और न किसी दूसरे को सुखी रहने देना चाहते हैं. दूसरों के घर उजाड़ना उन की आदत हो जाती है. सुनयना भी ऐसी ही औरत है. अपना घर तो वह उजाड़ ही चुकी है, अब इस घर को तबाह करने पर तुली हुई है.

सुनयना से उसे हमेशा ही नफरत रही है. वह उस से कभी बात तक नहीं करता. वह सोचा करता है जो औरत अपने पति के साथ निभा न सकी, जिस ने अपने हाथों से अपना घर बरबाद कर लिया, जो अपने अच्छेभले पति पर लांछन लगाने से बाज नहीं आती, वह किसी दूसरे की हितचिंतक कैसे हो सकती है? जिस का अपना पति होटलों में खाता है, जिस के व्यवहार से दुखी हो कर उस का पति घर भी लौटना नहीं चाहता, ऐसी औरत किसी दूसरे के घर का सुख कैसे बरदाश्त कर सकती है?

सुनयना जब भी इस घर में आती है वह उस की उपेक्षा कर देता है. जया जरूर उस से घंटों बतियाती रहती है. शायद इसीलिए इस घर की रगों में उस जहरीली नागिन का जहर फैलता जा रहा है, इस घर की शांत और सुखी जिंदगी तबाह होती जा रही है. लेकिन सुनयना पर इलजाम लगाने से पूर्व वह पूरी तरह इतमीनान कर लेना चाहता था कि इस स्थिति के लिए वाकई वही जिम्मेदार है. अगर वही इस सब की जड़ में है तो उसे काटना ही होगा. उस की काली करतूत का मजा उसे चखाना ही होगा. इस सांप के फन को यहीं कुचल देना होगा. काफी रात गए तक वह सड़कों पर घूमता रहा. फिर वापस लौट आया इस निर्णय के साथ कि वह सही स्थिति का पता लगा कर रहेगा, असली अपराधी को दंडित कर के रहेगा.

अगले दिन सुबहसुबह ही सुनयना आ धमकी. चेहरे पर झलकती वही कुटिल मुसकान और आंखों में वही कमीनापन. उसे देखते ही वह क्रोध से भर गया. उस ने सोच लिया कि आज फैसला कर के ही रहेगा. सुनयना और जया हमेशा की तरह अलग कमरे में बैठ गईं. दोनों के बीच खुसुरफुसुर होने लगी. वह दरवाजे के पास खड़ा हो कर दोनों की बातें सुनने लगा. सुनयना धीमेधीमे स्वर में कह रही थी, ‘‘तुम तो मूर्ख हो, जया. तुम समझतीं क्यों नहीं? तुम इस घर की बहू हो, कोई लौंडीबांदी तो हो नहीं. तुम्हें क्या पड़ी है कि तुम सास की मिन्नतचिरौरी करती फिरो? तुम क्यों किसी की धौंस सहो? आखिर इस घर में कमाता कौन है? तुम्हारा पति ही तो. फिर तुम्हें देवरननदों के नखरे उठाने की क्या जरूरत है?’’

वह चुपचाप सुनता रहा. सुनयना जया को समझाती रही. जया उसे अपनी सब से बड़ी हितचिंतक समझती थी जबकि वह उसे बरबाद करने पर तुली थी. काफी देर तक वह सुनता रहा. वह अपनेआप को रोक नहीं पाया. दरवाजे की ओट से निकल कर वह भीतर चला गया. उसे इस प्रकार अप्रत्याशित रूप से आया देख कर दोनों बहनें सकपका गईं. मगर सुनयना तुरंत ही संभल गई. वह मुसकरा कर बोली, ‘‘आइए जीजाजी. आप तो कभी हमारे साथ बैठते ही नहीं, हम से कभी बोलते ही नहीं.’’

‘‘आज मैं तुम से बातें करने के लिए ही आया हूं,’’ वह बोला. उस की आवाज में व्यंग्य का पुट था.

सुनयना सकपका सी गई, फिर बोली, ‘‘आप की तबीयत कैसी है?’’

‘‘तुम्हारी मेहरबानी से अच्छा ही हूं,’’ कटु और व्यंग्यभरी आवाज में बोला. लेकिन फिर अपने स्वर को मधुर बना कर पूछा, ‘‘विनोद भाईसाहब के क्या हाल हैं?’’

‘‘ठीक हैं,’’ सुनयना ने जवाब दिया. इस प्रसंग से वह बचना चाहती थी. यह उस का एक कमजोर पहलू जो था.

‘‘सुना है पिछले कई दिनों से वे घर पर नहीं लौटे.’’ सुनयना का चेहरा पीला पड़ गया. भरे बाजार में जैसे उसे किसी ने निर्वस्त्र कर दिया हो. कोई उपयुक्त जवाब उसे नहीं सूझा. फिर भी उस ने कहा, ‘‘यह तो उन की मरजी है, मैं क्या कर सकती हूं?’’

‘‘सुना है आजकल खाना भी वे होटल में ही खाते हैं,’’ वह एक के बाद एक सवाल करता गया. सुनयना की असली तसवीर को वह जया के सामने प्रकट कर देना चाहता था ताकि जया पहचान सके कि सुनयना कैसी औरत है. जया सुनयना को अपनी सब से बड़ी हितचिंतक समझती थी. वह उस की बातों में आ कर, उस पर विश्वास कर के अपने घर को तबाह करने पर तुली हुई थी. जया के सामने सुनयना की पोल खोल देना बहुत जरूरी थी. जया बड़ी हैरानी से उसे देख रही थी. उसे आश्चर्य हो रहा था कि आज वह कैसी बातें कर रहा है, सुनयना का अपमान करने पर क्यों तुला हुआ है. सुनयना अपनी सफाई देती हुई बोली, ‘‘अब देखिए न, जीजाजी, उन के लिए घर में क्या जगह नहीं है? घर में खाना नहीं है? लेकिन मुझे बदनाम करने के लिए वे होटलों में रहते हैं.’’

‘‘होटलों में सोनेखाने का न तो विनोद को शौक है और न ही वह तुम्हें बदनाम करना चाहता है. तुम अपनी गलतियों पर परदा क्यों डालना चाहती हो? तुम यह क्यों नहीं स्वीकार करतीं कि तुम्हारे व्यवहार की वजह से ही विनोद यह जिंदगी जीने को

विवश हुआ है? मैं मानता हूं कि वह घर में होगा तो उसे सोने की जगह और खाने को रोटी मिल जाएगी,  मगर घर सिर्फ खाने और सोने के लिए ही नहीं होता. वहां और भी बहुत कुछ होता है. प्यार होता है, मधुर संबंध होते हैं. तुम ने कभी अपने पति को प्यार दिया है,

एक मोड़ पर-भाग 1 : आखिर क्या था जया की इस बेरुखी का राज

दुकान से घर लौटते हुए वह अचानक ही उदास हो उठता है. एक अजीब तरह की वितृष्णा उस के भीतर पैदा होने लगती है. वह सोचने लगता है, घर लौट कर भी क्या करूंगा? वहां कौन है जो मुझे प्यार दे सके, अपनत्व दे सके, मेरी थकान मिटा सके, मेरी चिंताओं का सहभागी बन सके? पत्नी है, मगर उस के पास शिकायतों का कभी न खत्म होने वाला लंबा सिलसिला है. न वह हंसना जानती है न मुसकरा कर पति का स्वागत करना.

वह जब भी दुकान से घर लौटता है, जया का क्रोध से बिफरा और घृणा से विकृत चेहरा ही उसे देखने को मिलता है. जब वह खाने बैठता है तभी जया अपनी शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ जाती है. कभी मां की शिकायतें तो कभी अपने अभावों की. शिकायतें और शिकायतें, खाना तक हराम कर देती है वह. जब वह दुकान से घर लौटता है तब उस के दिल में हमेशा यही हसरत रहती है कि घर लौट कर आराम करे, थकी हुई देह और व्याकुल दिमाग को ताजगी दे, जया मुसकरा कर उस से बातें करे, उस के सुखदुख में हिस्सेदार बने. मगर यह सब सुख जैसे किसी ने उस से छीन लिया है. पूरा घर ही उसे खराब लगता है.

घर के हर शख्स के पास अपनीअपनी शिकायतें हैं, अपनाअपना रोना है. सब जैसे उसी को निचोड़ डालना चाहते हैं. किसी को भी उस की परवा नहीं है. कोई भी यह सोचना नहीं चाहता कि उस की भी कुछ समस्याएं हैं, उस की भी कुछ इच्छाएं हैं. दिनभर दुकान में ग्राहकों से माथापच्ची करतेकरते उस का दिमाग थक जाता है. उसे जिंदगी नीरस लगने लगती है. मगर घर में कोई भी ऐसा नहीं था जो उस की नीरसता को खत्म कर, उस में आने वाले कल के लिए स्फूर्ति भर सके. जया को शिकायत है कि वह मां का पक्ष लेता है, मां को शिकायत है कि वह पत्नी का पिछलग्गू बन गया है. लेकिन वह जानता है कि वह हमेशा सचाई का पक्ष ही लेता है, सचाई का पक्ष ले कर किसी के पक्ष या विपक्ष में कोई निर्णय लेना क्या गलत है? जया या मां क्यों चाहती हैं कि वह उन्हीं का पक्ष ले? वे दोनों उसे समझने की कोशिश क्यों नहीं करतीं? वह समझ नहीं पाता कि ये औरतें क्यों छोटीछोटी बातों के लिए लड़तीझगड़ती रहती हैं, चैन से उसे जीने क्यों नहीं देतीं?

उसे याद है शादी के प्रारंभिक दिनों में सबकुछ ठीकठाक था. जया हमेशा हंसतीमुसकराती रहती थी. घर के कामकाज में भी उसे कितना सुख मिलता था. मां का हाथ बंटाते हुए वह कितना आनंद महसूस करती थी. देवरननदों से वह बड़े स्नेह से पेश आती थी. मगर कुछ समय से उस का स्वभाव कितना बदल गया है. बातबात पर क्रोध से भर जाती है. घर के कामकाज में भी हाथ बंटाना उस ने बंद कर दिया है. मां से सहयोग करने के बजाय हमेशा उस से लड़तीझगड़ती रहती है. किसी के साथ भी जया का सुलूक ठीक नहीं रहा है. समझ नहीं आता कि आखिर जया को अचानक हो क्या गया है…इतनी बदल क्यों गई है? उस के इस प्रकार ईर्ष्यालु और झगड़ालू बन जाने का क्या कारण है? किस ने उस के कान भरे कि इस घर को युद्ध का मैदान बना डाला है?

अब तो स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि जया अलग से घर बसाने के लिए हठ करने लगी है. अपनी मांग मनवाने के लिए वह तमाम तरह के हथियार और हथकंडे इस्तेमाल करने लगी है. वह जब भी खाना खाने बैठता है, उस के साथ आ कर वह बैठ जाती है. लगातार भुनभुनाती, बड़बड़ाती रहती है. कभीकभी रोनेसिसकने भी लगती है. शायद इस सब का एक ही उद्देश्य होता है, वह साफसाफ जतला देना चाहती है कि अब वह मां के साथ नहीं रह सकती, उसे अलग घर चाहिए.

उसे हैरानी है कि आखिर जया एकाएक अलग घर बसाने की जिद क्यों करने लगी है. यहां उसे क्या तकलीफ है? वह सोचती क्यों नहीं कि उन के अलग हो जाने से यह घर कैसे चलेगा? मां का क्या होगा? छोटे भाईबहनों का क्या होगा? कौन उन्हें पढ़ाएगालिखाएगा? कौन उन की शादी करेगा? पिताजी की मौत के बाद इस घर की जिम्मेदारी उसी पर तो है. वही तो सब का अभिभावक है. छोटे भाई अभी इतने समर्थ नहीं हैं कि उन के भरोसे घर छोड़ सके. अभी तो इन सब की जिम्मेदारी भी उस के कंधों पर ही है. वह कैसे अलग हो सकता है? जया को उस ने हमेशा समझाने की कोशिश की है. मगर जया समझना ही नहीं चाहती. जिद्दी बच्चे की तरह अपनी जिद पर अड़ी हुई है. वह चाहता है इस मामले में वह जया की उपेक्षा कर दे. वह उस की बात पर गौर तक करना नहीं चाहता. मगर वह क्या करे, जया उस के सामने बैठ कर रोनेबुड़बुड़ाने लगती है. वह उस का रोनाधोना सुन कर परेशान हो उठता है.

तब उस का मन करता है कि वह खाने की थाली उठा कर फेंक दे. जया को उस की बदतमीजी का मजा चखा दे या घर से कहीं बाहर भाग जाए, फिर कभी लौट कर न आए. आखिर यह घर है या पागलखाना जहां एक पल चैन नहीं?

इच्छा न होते भी वह घर लौट आता है. आखिर जाए भी कहां? जिम्मेदारियों से भाग भी तो नहीं सकता. उसे देखते ही जया मुंह फुला कर अपने कमरे में चली जाती है. अब उस का स्वागत करने का यही तो तरीका बन गया है. वह जानता है कि अब जया अपने कमरे से बाहर नहीं आएगी. इसलिए वह अपनेआप ही बालटी में पानी भरता है. अपनेआप ही कपड़े उठा कर गुसलखाने में चला जाता है. नहा कर वह अपने कमरे में चला जाता है. जया तब भी मुंह फुलाए बैठी रहती है. उसे उबकाई सी आने लगती है. क्या पत्नी इसी को कहते हैं? क्या गृहस्थी का सुख इसी का नाम है. वह जया से खाना लाने के लिए कहता है. वह अनमने मन से ठंडा खाना उठा लाती है. खाना देख कर उसे गुस्सा आने लगता है, फिर भी वह खाने लगता है.

मैं 30 वर्षीय महिला हूं, मेरे शादी के पांच साल बाद मुझे बच्चा हुआ , अब दूध कम होता है क्या करें?

सवाल 

मैं 30 वर्षीया महिला हूं. शादी के 5 वर्षों बाद काफी इलाज के बाद बच्चा हुआ है. शुरू के कुछ दिन तो मैं स्तनपान कराती रही लेकिन अब ज्यादा दूध नहीं आता है. बच्चे का पेट नहीं भरता, इसलिए रोता है. आखिर में उसे ऊपरी दूध देना पड़ रहा है. बच्चे को मिल्क पाउडर वाला दूध पिलाते वक्त बहुत दुखी होती हूं. हर वक्त उस की सेहत की चिंता सताती रहती है. क्या करूं?

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जवाब

देखिए, सब से पहले तो आप डाक्टर से मिल कर परामर्श लीजिए कि स्तनों में दूध न आने की वजह क्या है. दूध का न आना मां के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है, जैसे मोटापा भी शरीर में दूध उत्पादन की प्रक्रिया के धीमा होने का कारण हो सकता है. शिशु के जन्म के समय तनाव, रक्त में लौह तत्त्व के स्तर को भी सीधे दूध के उत्पादन दर से संबंधित माना जाता है. कुछ दवाओं का उपयोग करने से भी यह समस्या हो सकती है.

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लेकिन, तब तक आप की समस्या है नवजात शिशु को ऊपरी दूध पिलाने की. देखिए, कई बार मजबूरी हो जाती है कि बच्चे को मां के दूध के बजाय मिल्क पाउडर से बना दूध दिया जाता है. बेबी मिल्क पाउडर तरल दूध को वाष्पीकृत कर के कृत्रिम रूप से बनाया जाता है. यह पूरी तरह से एक नवजात की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मददगार होता है. मां के दूध का यह सुरक्षित विकल्प है. इस में वे सभी पोषक तत्त्व होते हैं जो एक नवजात शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं. यह बच्चे को एनीमिया से बचाने और संक्रमण के खिलाफ लड़ने के लिए मजबूत बनाता है. सो, ज्यादा चिंता न करें. तनावमुक्त रह कर खुशी के साथ अपने बच्चे को बेबी मिल्क पाउडर से बना दूध पिलाएं और उस की देखभाल करने में ध्यान लगाएं.

अमिताभ बच्चन ने खरीदी नई कार तो लोगों ने दिया कुछ ऐसा रिएक्शन

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी अपकमिंग टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ की शूटिंग शुरू कर दी है. अमिताभ बच्चन इस शो के जरिए लोगों के अधूरे सपने को पूरा करते हैं. इस शो के शुरुआत से पहले ही अमिताभ बच्चन ने खुद को तोहफा दे डाला है. अमिताभ बच्चन ने एक नई कार खरीदी है.

बिग बी ने एक्स क्लास मर्सिडीज को अपने पसंदीदा कारों के लिस्ट में शामिल किया है. इस कार की किमत 1 करोड़ 38 लाख रुपये है. खास बात यह है कि यह कार आज ही इंडिया में लॉच कि गई है. इंडिया में दस्तक देते ही बिग बी ने इस कार को अपना बना लिया.

गौरतलब है कि अमिताभ बच्चन के घर पर एक से बढ़कर एक गाड़ियां मौजूद है. जिसमें रोल्स रॉयज ,मर्सिडीज-बेंज एस-क्लास S500, ऑडी A8L, बेंटले कॉन्टिनेंटल जीटी जैसी महंगी कारों का नाम शामिल है.

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बता दें कि अमिताभ बच्चन ने इस कार को अपने बेटे अभिषेक बच्चन के लिए खरीदा है. वो अलग बात है कि अमिताभ बच्चन के इस नए कार को देखकर लोग भड़क गए हैं. लोगों का मानना है कि इस कोरोना काल में अमिताभ बच्चन को नई कार नहीं खरीदनी चाहिए यह अमाउंट उन्हें लोगों के दान में दे देनी चाहिए.

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ऐसे में लोगों ने लगातार अमिताभ बच्चन को ट्रोल करना शुरू कर दिया है. उन्हें कई तरह के अलग-अलग मैसेज भी आ रहे हैं जिसमें उन्हें फैंस उल्टा सीधा सुनाते नजर आ रहे हैं.

विद्या बालन ने किया रिया चक्रवर्ती को सपोर्ट, तो लोगों ने कहा- पाखंडी

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद पहली बार दिंवगत अभिनेता की गर्लफ्रेंड ने एक चैनल पर इंटरव्यू देते हुए अपनी बातों को रखने की कोशिश की थी. सुशांत सिंह मामले में सीबीआई जांच कर रही है तो वहीं सुशांत के पिता ने रिया चक्रवर्ती को बेटे की मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए एफआईआर दर्ज करवाया था. जिसके बाद से यह मामला और भी चर्चा का विषय बन गया.

वहीं कुछ लोगों ने रिया चक्रवर्ती का समर्थन किया था इस मामले में तो वहीं कुछ लोग रिया को सोशल मीडिया पर उलटे सीधे सवाल कहने लगे थें. वहीं बॉलीवुड की अदाकारा विद्या बालन ने भी अपने ट्विट में रिया चक्रवर्ती का सपोर्ट किया है लेकिन उनके ट्विट के रिएक्शन को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि विद्या के ट्विट लोगों को पसंद नहीं आया है.

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विद्या बालन ने लिखा है कि कैसे एक प्रतिभाशाली एक्टर के मौत का सर्कस बनाया जा रहा है और सीबीआई का बयान आने से पहले रिया चक्रवर्ती को दोषी ठहराया जा रहा है. हालांकि लोगों को विद्या का बयान पसंद नहीं आया. कुछ लोग विद्या बालन के इस ट्विट के बाद उन्हें पाखंड़ी भी बोलने लगे हैं.

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वहीं कुछ लोगों ने कहा कि वह रिया चक्रवर्ती का समर्थन कर रही है. गौरतलब है कि विद्या बालन अपने ट्विट के जरिए ये बताने की कोशिश कर रही है कि रिया चक्रवर्ती दोषी नहीं हैं.

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कुछ दिनों पहले रिया चक्रवर्ती एक इंटरव्यू के दौरान खुद को सही साबित करने की कोशिश कर रही थी और सुशांत की बहन और उनके परिवार वालों पर आरोप लगा रही थीं. उन्होंने अपने इंटरव्यू के दौरान कंगना रनौत और सुशांत कि एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडें पर भी आरोप लगाए थें.

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अब पूरा सच तो सामने सीबीआई के जांच के बाद ही आएगा पूरी जनता को उम्मीद है कि सीबीआई अपना जांच ईमानदारी पूर्वक कर रही है.

 

 डॉक्टर से औनलाइन परामर्श कैसे लें

औनलाइन डाक्टरी परामर्श से आप अपने मर्ज का निदान पा सकते हैं. डाक्टर की सलाह से आप पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं, तो परामर्श लेने से पहले क्या और कैसे पूछना है, यह आप को पता होना चाहिए.

डाक्टर्स ऐप की शुरुआत लोगों की व्यस्त जीवनशैली को देखते हुए की गई थी. बिना किसी अपौइंटमैंट के आप अपनी हैल्थ के बारे में घर बैठे डाक्टर से औनलाइन परामर्श ले सकते हैं.

आज कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल जाने के बारे में सोचते हुए ही लोगों के मन में दहशत सी होने लगती है. कारण साफ है, एक तो अस्पताल जाना अपनेआप को संक्रमण से ग्रसित होने की दावत देने के समान है, दूसरा, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और अव्यवस्थित स्थिति है.

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ऐसी हालत में यही बेहतर लगता है कि घर बैठे ही डाक्टर से सलाह ले कर उपचार कर लिया जाए. ऐसा सोचना बिलकुल सही है. लेकिन, यहां भी एक समस्या सामने आती है, वह यह है कि औनलाइन डाक्टर के सामने आने के बाद मरीज कई बार अपनी समस्या पूरी तरह से डाक्टर के सामने रख नहीं पाता. ऐसा लगता है डाक्टर को अपनी प्रौब्लम पूरी तरह से समझा नहीं पाए और दूर बैठा डाक्टर फिजिकल एग्जामिन कर के मर्ज को जान ले, ऐसा हो नहीं सकता. इसलिए महसूस होता है कि पता नहीं उपचार सही मिला भी है या डाक्टर हमारी बात समझा भी है या नहीं. बेकार ही हम ने रुपए डाक्टर परामर्श के नाम पर बरबाद कर दिए.सो, डाक्टर के साथ औनलाइन सलाह लेने पर इन बातों का ध्यान अवश्य रखें.

आप को जो भी तकलीफ महसूस हो रही है उसे किसी पेपर पर नोट कर लें ताकि डाक्टर जब पूछे तो बताना न भूलें.कई बातें बहुत छोटी लगती हैं लेकिन बताने में झिझकें नहीं, डाक्टर से खुल कर अपनी बात कहें.

यदि आप की कोई केस हिस्ट्री है तो शुरुआत उसी से कीजिए और बाद में अपनी करंट सिचुएशन के बारे में विस्तार से बताएं. क्योंकि सर्दीजुकाम, पेटदर्द, छोटीमोटी चोट लगना आम बात है लेकिन किडनी रोग, डायबिटीज, कैंसर ऐसी गंभीर बीमारियां हैं जिन की बीमारी को समझने व समझाने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए ऐसे मरीजों को जब कोई तकलीफ होती है और वे औनलाइन डाक्टरी परामर्श लें तो अपनी हिस्ट्री जरूर बताएं.

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बारबार डाक्टर न बदलें. यदि एक डाक्टर के उपचार से फायदा हुआ है तो अगली बार उसी से संपर्क करें. डाक्टर आप की मैडिकल प्रौब्लम जान चुका होता है तो उसे भी उपचार करने में आसानी रहती है और आप भी डाक्टर से बात करने में कम्फर्टेबल महसूस करते हैं. हां, यह दूसरी बात है यदि आप को लगता है कि फलां डाक्टर से अच्छा इलाज नहीं मिल रहा है तो डाक्टर बदल लें.

यदि आप औनलाइन सलाह लेने में घबरा रहे हैं तो आप को एक बार पहले चैकअप करवा लेना चाहिए. ऐसा करने से आप डाक्टर को अपनी समस्या मिल कर बता सकते हैं और आप के मन को संतुष्टि भी हो जाती है. ऐसा करने के बाद आप डाक्टर से औनलाइन सलाह लेने में खुद को परेशान नहीं पाएंगे.

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लोगों की बढ़ती व्यस्त जीवनशैली ने औनलाइन प्लेटफौर्म को काफी बढ़ावा दिया है. एक डाक्टर से औनलाइन सलाह लेना भविष्य में और भी तेजी से बढ़ेगा. जब आप वास्तव में यह समझेंगे कि यह आप का कितना समय बचाता है तब आप खुद इसे अपनाने लगेंगे.   —

डाक्टर ऐप के फायदे

1. आप को कहीं भी जाने की जरूरत नहीं होती और घर बैठेबैठे ही हैल्थ प्रौब्लम का ट्रीटमैंट करा सकते हैं.

 

2.   डाक्टर ऐप पर डाक्टर की फीस उन की क्लीनिक फीस से बहुत कम होती है. अगर आप डाक्टर ऐप के जरिए डाक्टर से सलाह लेते हैं तो 60 फीसदी तक सेविंग कर सकते हैं.

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3.  यहां आप को स्पैशलिस्ट डाक्टर मिलते हैं जो एमडी और एमबीबीएस होते हैं. डाक्टर से मिलने के बाद आप उन की प्रोफाइल भी पढ़ कर उन के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं.

 

4.  डाक्टर से की गई आप की हैल्थ ऐडवाइज 3 दिनों तक वैलिड होती है और उस के बाद वह खुदबखुद बंद हो जाती है. लेकिन अगर आप को डाक्टर से कोई और प्रश्न करना है तो पुरानी चैट में जा कर उन से दोबारा बात भी कर सकते हैं.

 

5.   डाक्टर ऐप का प्रयोग करने के लिए आप की उम्र 18+ होनी जरूरी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस उम्र में व्यक्ति को अपनी प्रौब्लम के बारे में अच्छी तरह से पता होता है और अच्छी तरह से दूसरे को समझा भी सकता है.  साथ ही, डाक्टर के परामर्श को गहन रूप से समझ सकता है.

 

महेंद्र सिंह धौनी – शायराना अंदाज में कहा क्रिकेट को अलविदा

कोरोना कहर के बीच महेंद्र सिंह धौनी और सुरेश रैना के संन्यास की खबरें बेचैनी को और बढ़ाने वाली हैं. इन दोनों ही खिलाडि़यों ने भारतीय क्रिकेट को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है. इन दोनों को नजरंदाज करना किसी के लिए भी आसान नहीं होगा क्योंकि इन की उपलब्धियों के पीछे जीत के जज्बे का सबक भी है.

‘मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है…’ गीत की इस पंक्ति के साथ पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया. धौनी ने इंस्टाग्राम पर क्रिकेट के सफर की अपनी यादोंभरी  झलकियों के साथ लिखा, ‘‘आज तक के लिए आप के प्यार और साथ के लिए धन्यवाद. शाम के 7 बज कर 29 मिनट से ही मु झे रिटायर्ड सम िझए.’’ 15 अगस्त को धौनी की इस घोषणा के साथ ही हर तरफ प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. हर फैन अपने कैप्टन कूल के लिए उदास है, तो हर शख्स क्रिकेट जगत में माही के समर्पण को याद कर रहा है.

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बीसीसीआई के अध्यक्ष सौरव गांगुली कहते हैं, ‘‘यह एक युग का अंत है. वैश्विक क्रिकेट और देश के लिए खिलाड़ी रहे हैं वे. उन के नेतृत्व गुणों की बराबरी करना किसी के लिए बहुत मुश्किल होगा, खासकर क्रिकेट के छोटे फौर्मेट में.’’

39 वर्षीय एम एस धौनी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन की कप्तानी में आईसीसी वर्ल्ड कप के सभी खिताब भारत ने जीते हैं. धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में आईसीसी ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप, 2011 में आईसीसी वर्ल्ड कप और 2013 में आईसीसी चैंपियंस ट्रौफी जीती. धौनी ने 350 ओडीआई, 90 टैस्ट व 95 टी20 इंटरनैशनल क्रिकेट में भारत का नेतृत्व किया है. वे ओडीआई के महारथी हैं जिन्होंने ज्यादातर 5वें व 6वें स्थान पर खेलते हुए एक दिवसीय मैच में 50.58 औसत की दर से रन बनाए. साथ ही, इस तथ्य को  झुठलाया नहीं जा सकता कि धौनी भारत के सब से सफल विकेटकीपर हैं. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 195 स्टंपिंग तथा 634 कैच अपने नाम लिखने वाले धौनी की बराबरी शायद ही कोई और कर पाए.

दरअसल, उन्होंने कभी सैयद किरमानी की कमी महसूस नहीं होने दी जो अच्छे विकेटकीपर होने के साथसाथ बेहतरीन बल्लेबाज भी थे. आजकल के व्यावसायिक क्रिकेट में वही टीम ज्यादा सफल होती है जिस का विकेटकीपर भरोसेमंद बल्लेबाज भी हो और मध्यक्रम में अच्छा स्कोर कर सके. महेंद्र सिंह धौनी की इसी खूबी के चलते उन का नाम विस्फोटक बल्लेबाजों में शुमार होता है जिस की शैली की दुनिया मुरीद है खासतौर से उन का हैलिकौप्टर शौट जो तकनीकी रूप से मान्य किया जा चुका है, ठीक वैसे ही जैसे 70 के दशक में गुंडप्पा विश्वनाथ का स्क्यावर कट मान्य किया गया था.

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शुरुआती जिंदगी कुछ यों थी

एम एस धौनी, जिन का पूरा नाम महेंद्र सिंह पानसिंह धौनी है, रांची, तब बिहार अब  झारखंड के एक निम्न मध्यवर्गीय परिवार में पैदा हुए थे. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा डीएवी जवाहर विद्या मंदिर, रांची,  झारखंड से पूरी की. वे बैडमिंटन, फुटबौल व क्रिकेट में पारंगत हैं. धौनी एक लोकल क्लब के लिए फुटबौल खेलते थे जिस में वे गोलकीपर थे. परंतु यह क्रिकेट था जिस में धौनी की अद्भुत विकेटकीपिंग स्किल्स को देखते हुए उन्हें क्रिकेट की तरफ जाने की सलाह दी गई. उन्होंने 1995-98 में कमांडो क्रिकेट क्लब के लिए विकेटकीपिंग की और वीनू मांकड़ ट्रौफी अंडर-16 के लिए 1997-98 सैशन के लिए चुने गए. इस के बाद हाईस्कूल से ही धौनी ने सिर्फ क्रिकेट पर फोकस किया.

वे न तो तो बहुत साधनसंपन्न थे और न ही उन्हें यह मालूम था कि भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए कैसेकैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं लेकिन धुन के पक्के धौनी की लगन उन्हें उस मुकाम तक ले ही गई जहां पहुंचना हरेक भारतीय युवा क्रिकेटर का सपना होता है. क्रिकेट में उन का कोई गौडफादर नहीं था लेकिन अपने प्रदर्शन के दम पर उन्होंने हमेशा चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी तरफ खींचा और टीम में न केवल जगह बनाई बल्कि हर बार खुद को साबित भी किया. धौनी ने साबित यह भी किया कि क्रिकेट मुंबई, दिल्ली या दक्षिणी राज्यों के खेमेबाजी से परे बिहार व  झारखंड जैसे पिछड़े राज्यों में भी शिद्दत से खेला जाता है और हिंदीभाषी राज्यों से भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाएं निकलती हैं.

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फिल्म ‘एम एस धौनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ धौनी के जीवन पर बनी सुपरहिट बौलीवुड फिल्म है जिसे देख सभी इतना तो जान गए थे कि धौनी का शुरुआती जीवन कितना कशमकश और उतारचढ़ाव भरा रहा. फिल्म के धौनी की तरह ही असल जिंदगी के धौनी ने 2001-2003 तक रेलवे में ट्रैवलिंग टिकट एग्जामिनर का काम किया लेकिन उन का दिल क्रिकेट की ओर जाने के लिए तड़प रहा था. धौनी ने अपने दिल की सुनी और जिंदगी का सब से बड़ा जोखिम उठाते नौकरी छोड़ अपने क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने निकल गए.

अपने कैरियर के शुरुआती दौर में जब धौनी भारतीय क्रिकेट टीम में पैर जमाने की कोशिश में लगे थे तभी उन की मुलाकात प्रियंका  झा से हुई.

फिल्म में दिखाया गया है कि साल 2002 में प्रियंका की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, ये उन की जिंदगी के टूटन के दिन थे लेकिन शायद क्रिकेट के जनून के साथसाथ प्रियंका की यादों ने उन्हें बिखरने नहीं दिया और इस में उन के साथ रहीं उन की पत्नी साक्षी जो अभी तक उन का साथ निभाते हर तरह से उन का खयाल रखती हैं. 4 जुलाई, 2010 में धौनी ने साक्षी रावत से शादी कर ली. यह धौनी के जीवन का वह समय था जब वे टीम इंडिया के कप्तान बन चुके थे और अपने कैरियर के शिखर पर थे.

इसी दौर में उन के प्रशंसकों की तादाद बढ़ी जिन्होंने जाना कि शर्मीले स्वभाव के धौनी तरहतरह की बाइकों के शौकीन हैं और कंधे तक  झूलते उन के बाल उन्हें बेहद आकर्षक बनाते हैं. अब तक वे युवाओं के रोलमौडल बन चुके थे और उन के मैदान पर आते ही सनाका खिंच जाता था. स्लौगओवर्स के रोमांच में उन की तूफानी बैटिंग दर्शकों की सांसें रोक देती थीं और दिलचस्प बात यह है कि आखिरी ओवरों में जब भी वे बल्लेबाजी के लिए आए तो 80 फीसदी मैचों में देश को जीत दिलाई. संन्यास की उन की घोषणा सुन कर लोगों के उन्हें याद करने की यह बड़ी वजह है.

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2015 में धौनी की बेटी जीवा का जन्म हुआ जिस समय धौनी विश्वकप खेलने के लिए जा चुके थे. धौनी ने कहा, ‘‘मैं नैशनल ड्यूटी पर हूं, अन्य चीजें इंतजार कर सकती हैं.’’ यह कह कर माही ने एक बार फिर देश का दिल जीत लिया था.

धौनी पर कप्तान होने के नाते कई बार खिलाडि़यों को निजी कारणों से टीम से निकालने या टीम में शामिल न करने के इलजाम भी लगे हैं. इन में से कितने सच हैं कितने  झूठ, यह नापने का कोई पैमाना नहीं, लेकिन, भारतीय क्रिकेट के इस कड़वे सच का शिकार वे खुद भी हो चुके थे. यह और बात है कि हर बार वे अपनी प्रतिभा और टीम में उपयोगिता के चलते वापस लिए गए.

धौनी ने ऐसे वक्त में संन्यास लिया है जब कोरोना के कहर के चलते तमाम अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं पर अनिश्चितता का साया है और सुशांत सिंह राजपूत की मौत का बवंडर देशभर में मचा हुआ है. गौरतलब है कि सुशांत ने ‘एम एस धौनी – द अनटोल्ड स्टोरी’ फिल्म में धौनी का किरदार बड़े सधे ढंग से निभाया था और इसी फिल्म से उन्हें पहचान भी मिली थी. सुशांत की मौत से वे भी कम आहत नहीं हैं.

धौनी के संन्यास के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि वे लंबा क्रिकेट खेल चुके हैं और उम्रजनित थकान का भी शिकार होने लगे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि क्या कोई नया खिलाड़ी धौनी की जगह भर पाएगा जो विकेट कीपिंग के साथसाथ बल्लेबाजी में भी माहिर हो.

निश्चितरूप से धौनी की कमी मैदान और टीम दोनों में खलेगी लेकिन यह भी सच है कि कोई भी खिलाड़ी हमेशा नहीं खेल सकता. पुराने का जाना और नए का आना भी खेल का हिस्सा है. पर, महेंद्र सिंह धौनी की बात और है जो पल दो पल के नहीं, बल्कि दशकों के क्रिकेटर हैं जिन के बारे में दिलचस्पी की नई बात उन के राजनीति में आने की अटकलें हैं. भाजपा भी उन पर डोरे डाल रही है और हेमंत सोरेन के जरिए कांग्रेस भी उन्हें घेरने की कोशिश कर रही है. देखना दिलचस्प होगा कि खुद को वे राजनीति के आकर्षण से मुक्त रख पाते हैं या नहीं.    द्य

रैना का भी यही है कहना

महेंद्र सिंह धौनी के साथ ही औलराउंडर सुरेश रैना ने भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया. धौनी जहां विश्वकप 2019 के सैमीफाइनल मुकाबले के बाद से मैदान में नहीं दिखे तो वहीं सुरेश रैना ने भी टीम इंडिया में वापसी के लिए कोशिश की, पर जगह नहीं बना पाए.

चेन्नई सुपरकिंग्स के फैंस के बीच ‘चिन्ना थाला’ नाम से मशहूर रैना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक फोटो शेयर की और फोटो का कैप्शन दिया, ‘माही आप के साथ खेलना अच्छा था. पूरे दिल से गर्व के साथ मैं आप की इस यात्रा में शामिल होना चाहता हूं. थैंक यू इंडिया. जय हिंद.’

अपने कैरियर में 18 टैस्ट, 226 एकदिवसीय मैच और 78 टी-20 इंटरनैशनल खेलने वाले रैना का कैरियर शानदार रहा. टैस्ट में जहां उन्होंने एक शतक के साथ 768 रन बनाए तो वनडे में 5 शतकों के साथ 5,615 रन जोड़े. सुरेश रैना पहले ऐसे बल्लेबाज हैं जिन्होंने तीनों फौर्मेटों यानी टैस्ट, वनडे और टी-20 में शतक लगाया है. दूसरी पारी के लिए बधाई ‘मिस्टर धाकड़.’

 

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