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Winter Special: प्रेग्नेंसी के दौरान जरूर कराएं ये 5 टेस्ट

गर्भधारण करना किसी भी महिला के लिए सब से बड़ी खुशी की बात और शानदार अनुभव होता है. जब आप गर्भवती होती हैं, तो उस दौरान किए जाने वाले प्रीनेटल टैस्ट आप को आप के व गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देते हैं. इस से ऐसी किसी भी समस्या का पता लगाने में मदद मिलती है, जिस से शिशु के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है जैसे संक्रमण, जन्मजात विकार या कोई जैनेटिक बीमारी. ये नतीजे आप को शिशु के जन्म के पहले ही स्वास्थ्य संबंधी फैसले लेने में मदद करते हैं.

यों तो प्रीनेटल टैस्ट बेहद मददगार साबित होते हैं, लेकिन यह जानना भी महत्त्वपूर्ण है कि उन के परिणामों की व्याख्या कैसे करनी है. पौजिटिव टैस्ट का हमेशा यह मतलब नहीं होता है कि आप के शिशु को कोई जन्मजात विकार होगा. आप टैस्ट के नतीजों के बारे में अपने डाक्टर से बात करें और उन्हें समझें. आप को यह भी पता होना चाहिए कि नतीजे मिलने के बाद आप को सब से पहले क्या करना है.

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डाक्टर सभी गर्भवती महिलाओं को प्रीनेटल टैस्ट कराने की सलाह देते हैं. कुछ महिलाओं के मामले में ही जैनेटिक समस्याओं की जांच के लिए अन्य स्क्रीनिंग टैस्ट कराने की जरूरत पड़ती है.

5 नियमित टैस्ट

गर्भावस्था के दौरान कुछ नियमित टैस्ट यह सुनिश्चित करने के लिए होते हैं कि आप स्वस्थ हैं. आप का डाक्टर आप के खून और पेशाब की जांच कर कुछ परिस्थितियों का पता लगाएगा. इन में निम्नलिखित टैस्ट शामिल हैं:

– हीमोग्लोबिन (एचबी)

– ब्लड शुगर एफ और पीपी

– ब्लड ग्रुप टैस्ट

– वायरल मार्कर टैस्ट

– ब्लड प्रैशर.

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अगर आप गर्भधारण करने के बारे में सोच रही हैं, तो डाक्टर आप को फौलिक ऐसिड (सप्लिमैंट्स) टैबलेट्स लेने की सलाह दे सकता है. ये टैबलेट लेने की सलाह आप को तब भी दी जा सकती है, जब आप स्वस्थ हों और अच्छा आहार भी ले रही हों. विटामिन बी सप्लिमैंट्स और कैल्सियम लेने की सलाह सभी गर्भवती, स्तनपान करा रही महिलाओं और स्तनपान कर रहे शिशुओं को दी जाती है. इन्हें शुरू करने से पहले डाक्टर से सलाह जरूर ले लें.

अन्य टैस्ट

स्कैनिंग टैस्ट: अल्ट्रासाउंड आप के शिशु और आप के अंगों की पिक्चर लेने के लिए ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करता है. अगर आप की गर्भावस्था सामान्य है, तो आप को 2-3 बार यह कराना होगा. पहली बार शुरुआत में यह देखने के लिए कि क्या स्थिति है, दूसरी बार शिशु का विकास देखने के लिए करीब 18-20 सप्ताह का गर्भ होने पर, जिस से यह सुनिश्चित हो सके कि शिशु के शरीर के सभी अंग अच्छी तरह विकसित हो सकें.

जैनेटिक टैस्ट: प्रीनेटल जैनेटिक टैस्ट विशेष तौर पर उन महिलाओं के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं, जिन के शिशु को जन्मजात विकार या जैनेटिक समस्या होने का जोखिम ज्यादा होता है. ऐसा निम्न परिस्थितियों के दौरान होता है:

– आप की उम्र 35 वर्ष से अधिक है.

– आप को कोई जैनेटिक बीमारी है या आप के व आप के साथी के परिवार में किसी जैनेटिक बीमारी का इतिहास हो.

– आप का पहले गर्भपात हुआ हो या मृत शिशु पैदा हुआ हो.

डा. मोनिका गुप्ता, एमडी, डीजीओ गाइनोकोलौजिस्ट के अनुसार, स्वस्थ गर्भावस्था के लिए इन जांचों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है. प्रीनेटल टैस्ट में ब्लड टैस्ट शामिल है, जिस से आप के ब्लड टाइप, आप को ऐनीमिया है या नहीं इस के लिए आप के हीमोग्लोबिन का स्तर, डायबिटीज की जांच के लिए ब्लड ग्लूकोज का स्तर, आप का आरएच फैक्टर (अगर आप का ब्लड आरएच नैगेटिव है और शिशु के पिता का ब्लड आरएच पौजिटिव है, तो शिशु में भी पिता का आरएच पौजिटिव ब्लड हो सकता है, जिस से आप के शरीर में ऐंटीबौडीज बननी शुरू हो सकती हैं और उस से आप के गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है) जांचा जाएगा. एचआईवी, हैपेटाइटिस सी और बी जैसी बीमारियों के लिए आप का वायरल मार्कर टैस्ट भी होगा, क्योंकि गर्भावस्था के दौरान ये बीमारियां हो सकती हैं.

अगर आप को पहले से जानकारी हो कि आप को व आप के साथी को एक खास बीमारी है, तो आप पहले से ही भावनात्मक तौर पर तैयार हो सकती हैं. पहले से जानकारी होने पर आप को परिस्थितियों पर बेहतर नियंत्रण रखने में आसानी होगी.

– डा. सुनीता यादव, प्रमुख क्वालिटी कंट्रोल, डालमिया मैडिकेयर

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Crime Story: मौत के सौदागर

सौजन्या-सत्यकथा

घटना 5 जुलाई, 2020 की है. मध्य प्रदेश का शाजापुर शहर जब गहरी नींद में सो रहा था, शहर के सदर बाजार क्षेत्र में रहने वाले एक प्रतिष्ठित व्यापारी का परिवार बड़े जोरशोर से अपनी बेटी की शादी की तैयारी में जुटा था.

इस परिवार की खूबसूरत और सुशील बेटी सोनू परिवार की शान मानी जाती थी. सोनू शहर के ही सरस्वती स्कूल में उपप्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थी तथा अपनी योग्यता और व्यवहार के कारण स्कूल के सभी विद्यार्थियों की चहेती भी.

सोनू की शादी उज्जैन जिले के नागदा के रहने वाले प्रतिष्ठित बागरेचा परिवार के बेटे के साथ होने जा रही थी. दूल्हे के मामा जावरा सर्राफा बाजार में रहते थे.

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मामा चाहते थे कि भांजे की शादी जावरा से हो, इसलिए दोनों परिवारों ने एक मत हो कर 5 जुलाई को जावरा के कोठारी रिसोर्ट से विवाह करने की तैयारी कर ली. इसलिए सोनू का परिवार उस दिन सुबह जल्दी ही शाजापुर से जावरा के लिए निकलने वाला था.

ऐसे में जिस लड़की की शादी हो, उसे नींद कैसे आ सकती है. इसलिए सोनू भी परिवार वालों के साथ जाग रही थी.

सोनू के अलावा रतलाम के दीनदयाल नगर इलाके में रहने वाला एक युवक राम यादव भी जाग रहा था. वैसे राम इस परिवार का सदस्य नहीं था लेकिन राम के इस तरह जागने का कारण सोनू की शादी से जरूर जुड़ा था.

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इसलिए सुबह को जिस वक्त सोनू अपने परिवार के साथ जावरा को रवाना हुई, लगभग उसी समय राम यादव भी अपने एक दोस्त पवन पांचाल के साथ मोटरसाइकल पर सवार हो कर जावरा के लिए निकल पड़ा.

दोनों एक ही शहर के लिए रवाना हुए थे, मगर उन की मंजिलें अलगअलग थीं. सोनू की मंजिल उस का होने वाला पति था तो राम यादव की मंजिल सोनू थी.

सुबह कोई साढ़े 8 बजे सोनू अपने परिवार के साथ जावरा के कोठारी रिसोर्ट पहुंच गई. लौकडाउन के कारण शादी में ज्यादा मेहमानों को शामिल करने की मनाही होने के कारण दोनों पक्षों के गिनेचुने खास मेहमान ही शामिल होने के लिए आए थे. इसलिए उस रिसोर्ट में बहुत ज्यादा चहलपहल नहीं थी.

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सुबह के 9 बजे के आसपास सोनू अपनी चचेरी बहन के साथ शृंगार करवाने के लिए पहले से बुक किए ब्यूटीपार्लर जाने को तैयार हुई तो उस के भाई ने दोनों बहनों को कार में बैठा कर आंटिक चौराहे पर स्थित ब्यूटीपार्लर के सामने सड़क पर छोड़ दिया.

इधर रतलाम से जावरा पहुंचा राम यादव पिछले 2 घंटे से पागलों की तरह सड़कों पर सोनू को तलाश रहा था. संयोग से जैसे ही चौराहे पर सोनू अपनी बहन के साथ कार से उतरी वैसे ही उस पर राम की नजर पड़ गई. लेकिन जब तक वह उस के पास पहुंचता सोनू बिल्डिंग में दाखिल हो गई.

बिल्डिंग के अंदर ब्यूटीपार्लर देख कर राम समझ गया कि सोनू पार्लर में आई होगी, इसलिए उस ने दोस्त पवन के मोबाइल से सोनू के मोबाइल पर फोन लगाया.

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सोनू मेकअप सीट पर बैठ चुकी थी, इसलिए उस का फोन साथ आई चचेरी बहन ने रिसीव किया. जिस से राम को पता चल गया कि सोनू पार्लर में ही है. इसलिए फोन काटने के बाद वह चारों दिशाओं का जायजा ले कर पार्लर में दाखिल हो गया.

मेकअप सीट पर बैठी सोनू ने सामने लगे आइने में दरवाजे से राम को अंदर आता देखा तो उस का दिल धड़क उठा. लेकिन इस से पहले कि वह कुछ कर पाती राम ने तेजी से पास आ कर सोनू का मेकअप कर रही लड़की को जोर से धक्का दे कर एक तरफ गिरा दिया. फिर झटके के साथ जेब से बड़ा सा चाकू निकाल कर सोनू की गरदन रेत दी और वहां से फरार हो गया.

यह सूचना वरवधू के घर वालों को मिली तो वे सदमे में आ गए. घटनास्थल पर तड़पती सोनू को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले उस की मृत्यु हो गई. कुछ ही घंटे बाद फेरे लेने जा रही दुलहन की हत्या की खबर फैलते ही जावरा में सनसनी फैल गई.

इस घटना की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी बी.डी. जोशी पुलिस टीम के साथ पहुंच गए. उन के पहुंचने के थोड़ी देर बाद सीएसपी पी.एस. राणावत भी मौके पर पहुंच गए. सोनू के साथ पार्लर गई उस की चचेरी बहन से पूछताछ की गई, लेकिन उस का कहना था कि वह हत्यारे को नहीं जानती.

उस ने बताया कि इस घटना से 2 मिनट पहले ही सोनू के मोबाइल पर एक फोन आया था. वह किस का था, यह पता नहीं. थानाप्रभारी ने वह नंबर हासिल कर लिया. वह समझ रहे थे कि हत्यारे तक पहुंचने के लिए वह नंबर पहली सीढ़ी हो सकता है.

इस बीच घटना की खबर पा कर एसपी गौरव तिवारी तथा आईजी (उज्जैन) राकेश गुप्ता भी जावरा पहुंच गए. उन के निर्देश पर पुलिस टीम ने चारों तरफ नाकेबंदी कर जावरा से बाहर जाने वाले रास्तों पर संदिग्ध मोटरसाइकिल की तलाश की.

इस जांच में पुलिस को एक बाइक एमपी43डीटी 8979 पर सवार 2 युवक राजस्थान की तरफ तेजी से भागते दिखे. लेकिन वह पुलिस के हाथ न लग सके.

सोनू के साथ घटना जावरा में हुई जरूर थी, लेकिन वह जावरा की रहने वाली नहीं थी, इसलिए पुलिस को शक था कि उस का हत्यारा उस के पीछे शाजापुर या किसी अन्य शहर से आया होगा. इसलिए जब बाइक नंबर के आधार पर रतलाम में बाइक की तलाश की गई तो एक सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि इस बाइक पर सवार 2 युवक सुबह करीब 6 बजे रतलाम से जावरा की तरफ निकले थे.

इसलिए सीसीटीवी के आधार पर इस बात की संभावना नजर आई कि वह युवक रतलाम के ही होंगे. लिहाजा पुलिस ने सीसीटीवी से ले कर दोनों युवकों के फोटो पहचान के लिए सभी थानों में भिजवा दिए.

इस प्रयास में दीनदयाल नगर थाने में तैनात एक आरक्षक ने फुटेज के फोटो देखते ही दोनों की पहचान राम यादव और पवन पांचाल के रूप में कर दी, जो जाटों का वास इलाके के रहने वाले थे. चूंकि राम यादव पहले भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिला कार्यकारिणी में पदाधिकारी था, जिस से पुलिस ने उसे आसानी से पहचान लिया.

इस पर पुलिस ने राजस्थान के रास्ते पर नाकाबंदी कर दी. क्योंकि सीएसपी राणावत को भरोसा था कि इन में से पवन पांचाल वापस रतलाम लौट सकता है क्योंकि ब्यूटीपार्लर में लगे सीसीटीवी कैमरे में केवल राम यादव पार्लर में जाते और निकल कर भागते दिखाई दिया था. इस से साफ था कि हत्या राम यादव ने की है जबकि पवन उस की मदद करने की गरज से साथ गया था.

सीएसपी राणावत का सोचना एकदम सही साबित हुआ. पवन जल्द ही उस समय पुलिस की गिरफ्त में आ गया, जब वह राजस्थान से वापस लौट रहा था. पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बता दिया कि सोनू की हत्या राम यादव ने की थी तथा वह उसे बांसवाड़ा डिपो पर छोड़ कर वापस आ रहा था.

राम को पवन के पकड़े जाने की खबर नहीं थी, इसलिए पुलिस ने पवन से उसे फोन करवाया. राम यादव ने उसे बताया कि कि वह सावरियाजी में है. यह पता चलते ही पुलिस ने एक टीम तुरंत सावरियाजी भेज दी. वहां से पुलिस ने राम को भी गिरफ्तार कर लिया.

एक दिन में ही सोनू के हत्यारे पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे, जिन से पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त बड़ा चाकू और राम के खून सने कपड़े भी बरामद कर लिए. पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की तो सोनू की निर्मम हत्या के पीछे की कहानी इस प्रकार से सामने आई.

शाजापुर के व्यापारी परिवार की बेटी सोनू गुणों के संग रूप की भी खान थी. नातेरिश्तेदार, सहेलियां सभी उसे चाहते थे. सोनू के लिए उस के पिता ने काफी सोचसमझ कर वर का चुनाव कर सन 2010 में उस की शादी उज्जैन निवासी सजातीय युवक से कर दी. लेकिन पति के साथ सोनू की पटरी नहीं बैठने के कारण दोनों में विवाद होने लगा, जो इस हद तक बढ़ा कि शादी के 4 साल बाद ही उस का पति से तलाक हो गया.

तलाक के बाद सोनू वापस मायके में आ कर रहने लगी. उच्चशिक्षित तो वह थी ही, इसलिए उस ने शाजापुर आ कर स्थानीय सरस्वती विद्यालय में शिक्षिका की नौकरी कर ली, जहां वह जल्द ही अपनी योग्यता के आधार पर वह उप प्राचार्य के पद तक पहुंच गई.

सोनू की हत्या की कहानी की भूमिका 3 साल पहले सन 2017 में उस वक्त शुरू हुई, जब वह अपने एक रिश्तेदार के घर शादी में शामिल होने के लिए रतलाम गई. वह रिश्तेदार रतलाम शहर के दीनदयाल नगर में रहते थे.

उन के पड़ोस में ही राम यादव रहता था. ज्वैलर्स की दुकान पर काम करने वाला राम भाजयुमो का नेता था. इस शादी में राम यादव भी शामिल हुआ था.

यहीं पर राम यादव की सोनू से पहली मुलाकात हुई. राम सोनू से उम्र में 7 साल छोटा था फिर भी सोनू के रूप ने उस पर ऐसा जादू डाला कि वह पूरी शादी में उस के आगेपीछे घूमता रहा.

इस दौरान औपचारिकतावश दोनों में बातचीत हुई तो राम ने सोनू से उस का मोबाइल नंबर ले लिया, जिस से शादी के बाद दोनों की अकसर सोशल मीडिया पर बातचीत होेने लगी.

सोनू खुले विचारों की थी ही, इसलिए उसे समाज के इस राजनैतिक युवक की बातों में बहुत कुछ सीखने को मिलने लगा. वह भी राम से अकसर चैटिंग करने लगी. लेकिन उसे नहीं मालूम था कि राम के मन में उसे ले कर क्या चल रहा है. वह खुद राम से उम्र में काफी बड़ी थी, इसलिए वह सोच भी नहीं सकती थी कि राम उस में अपनी प्रेमिका तलाश रहा है.

बहरहाल, इस सब के बीच राम के साथ सोनू की दोस्ती काफी गहरी होती गई तो राम ने एक दिन उस के सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया.

सोनू समझदार थी. वह जानती थी कि ऐसे दीवाने अचानक मना करने से कुछ बवाल खड़ा कर सकते हैं, इसलिए उस ने समझदारी दिखाते हुए राम को टालते हुए कहा कि उस ने कभी इस बारे में नहीं सोचा. सोचने का समय दो, फिर अपना निर्णय बता सकूंगी.

राम को लगा कि टीचर होने के नाते सोनू प्यार सीधे स्वीकार नहीं कर पा रही है, कुछ दिन बाद वह राजी हो जाएगी. इसलिए वह लगातार उस से फोन कर के या फेसबुक वाट्सऐप पर चैट करते हुए प्रणय निवेदन करता रहा.दोनों की अकसर फोन पर बातें भी होती थीं. इसलिए जून के अंतिम दिनों में फोन पर बात करते हुए जब राम ने एक बार फिर सोनू के सामने शादी कर प्रस्ताव रखा तो सोनू ने उस से कहा, ‘‘राम, यह संभव नहीं है. एक तो तुम्हारी उम्र मुझ से काफी कम है. दूसरे मैं एक बार तलाक का दंश झेल चुकी हूं, इसलिए अब मैं वहीं शादी करने जा रही हूं, जहां मेरे पिता ने कहा है.’’

‘‘क्याऽऽ तुम शादी कर रही हो?’’ राम ने चौंकते हुए पूछा.‘‘हां, 5 जुलाई को मेरी शादी है और घर वालों ने जावरा में एक रिसोर्ट भी बुक करा दिया है. ‘‘कहां, किस से.’’ राम ने पूछा तो मन की साफ सोनू ने उसे सब कुछ बता दिया. यह सुन कर राम गुस्से में पागल हो गया तथा उस ने सोनू को यह शादी न करने की धमकी दी. लेकिन सोनू ने उस की नहीं सुनी और आगे से उस का फोन अटैंड करना भी  बंद कर दिया.

राम सोनू को ले कर न जाने क्याक्या सपने देख चुका था. सोनू की शादी की खबर ने उस के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया. इस से उसे गुस्सा आ गया. उस ने उसी समय फैसला ले लिया कि यदि सोनू उस की नहीं हुई तो वह किसी और की नहीं हो सकती. यह बात राम ने अपने दोस्त पवन पांचाल को बताई तो वह राम का साथ देने को तैयार हो गया. उस ने 5 जुलाई को ही सोनू की हत्या करने की ठान ली.

इस के बाद 5 जुलाई को उस ने दोस्त पवन के साथ जावरा पहुंच कर उस की हत्या कर दी.इधर सोनू के परिवार वालों का कहना है कि उन की बेटी का किसी से कोई संबंध नहीं था. आरोपी अपने अपराध को छिपाने के लिए उन की बेटी पर गलत आरोप लगा रहा है. पुलिस ने आरोपी राम यादव और पवन पांचाल से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.

पड़ोसिन- पति की बात सुनकर सुधा क्यों घबराई

रविवार को सुबह ही घर की घंटी ने हम सब को जगा दिया. मैं दरवाजा खोलने के लिए उठने लगी तो पति ने कहा, ‘‘रुको, मैं देखता हूं. हो सकता है अखबार वाला हिसाब लेने आया हो. उस की खबर लेता हूं. महीने में 5-6 दिन पेपर नहीं डाला उस ने. ’’

पति अखबार वाले को कोसते हुए दरवाजा खोलने चले गए. मैं ने फिर चादर से मुंह ढक लिया.

‘‘सुधासुधा, जरा बाहर आना,’’ पति की आवाज सुन कर मैं चादर को एक ओर फेंक कर जल्दी से बाहर आ गई. दरवाजे पर सीमा को खड़ी देख मुझे अजीब लगा.

‘‘भाभीजी, आप अब तक सो रही हैं? चलो जाने दो. यह देखो मैं आप सब के लिए इडलीसांभर बना कर लाई हूं,’’ कह कर सीमा ने 2 बड़े बरतन मेरी ओर बढ़ा दिए. न चाहते हुए भी मुझे बरतन पकड़ने पड़े.

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‘‘अच्छा भाभीजी मैं चलती हूं,’’ कह कर सीमा चली गई.

‘‘क्या बात है सुधा… नई पड़ोसिन से अच्छी बन रही है तुम्हारी …थोड़े दिन पहले कोफ्ते और आज इडलीसांभर …बढि़या है,’’ पति ने अखबार के पन्ने पलटते हुए कहा, पर मैं मन ही मन कुढ़ रही थी.

सीमा को हमारे पड़ोस में आए अभी 1 महीना ही हुआ है, पर वह हर किसी से कुछ ज्यादा ही खुलने की कोशिश करती है खासकर मुझ से, क्योंकि हम आमनेसामने के पड़ोसी थे. इसीलिए वह बिना बताए बिना बुलाए किसी भी वक्त मेरे घर आ धमकती, कभी कुछ देने तो कभी कुछ लेने. हम पिछले 5 सालों से यहां रह रहे हैं. इस कालोनी में सब अपने में मस्त रहते हैं. किसी को किसी से कोई लेनादेना नहीं. बस कभीकभार महिलाओं की किट्टी पार्टी में या फिर कालोनी के पार्क में शाम को मिल जाते हैं. इतने सालों में मैं शायद ही कभी किसी के घर गई हूं. इसीलिए सीमा की यह आदत आजकल चर्चा का विषय बनी हुई थी.

रविवार को सारा दिन आराम करने में निकल गया. शाम को बच्चों ने पार्क चलने को कहा तो पति भी तैयार हो गए. बच्चे और मेरे पति फुटबौल खेलने में व्यस्त हो गए, तो मैं कालोनी की महिलाओं के साथ बातों में लग गई.

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‘‘और सुधाजी, आप की पड़ोसिन के क्या हालचाल हैं… यार, सच में कमाल की औरत है. आज सुबहसुबह आ कर इडलीसांभर दे गई… सारी नींद खराब कर दी हम सब की,’’ कह हमारे घर से 4 मकान छोड़ कर रहने वाली एकता ने बुरा सा मुंह बनाया.

‘‘अरे अच्छा ही हुआ जो इडली दे गई. मेरी नाश्ता बनाने की छुट्टी हो गई,’’ पड़ोसिन सविता हंसते हुए बोली.

‘‘अरे बरतन देखे थे …आज स्टील के बरतन कौन इस्तेमाल करता है? हमारी तो सारी क्रौकरी विदेशी है… बच्चे तो स्टील के बरतन देखते ही चिढ़ गए,’’ एकता बोली.

आजकल कालोनी में जब भी महिलाओं का ग्रुप कहीं एकसाथ नजर आए तो समझ लीजिए सीमा ही चर्चा का विषय होगी. कमाल है यह सीमा भी.

तभी सामने से सीमा आती दिखी तो एकता दबी जबान में बोली, ‘‘देखो तो जरा इसे… इस का दुपट्टा कहीं से भी सूट से मेल नहीं खा रहा… कैसी गंवार लग रही है यह.’’

‘‘क्या हाल हैं भाभीजी… आप सब को इडली कैसी लगी?’’ सीमा ने बहुत उत्साह से पूछा.

‘‘अरे, कमाल का जादू है तुम्हारे हाथों में सीमा… बहुत अच्छा खाना बना लेती हो तुम…’’ सब ने एक ही सुर में सीमा की तारीफ की. फिर थोड़ी देर बाद उस के जाने पर सभी उस का मजाक उड़ाते हुए हंसने लगीं.

कुछ दिन बाद कालोनी के शादी के हौल में एकता ने अपने बेटे का जन्मदिन मनाया. हर कोई बनठन कर पहुंचा. सीमा इतनी चटक रंग की साड़ी और इतने भारी गहने पहन कर आई गोया किसी शादी में आई हो. फिर एक बार वह सब के बीच मजाक का पात्र बन गई. आए दिन कालोनी में उस का या उस के पति का यों ही मजाक उड़ता. पूरी कालोनी की कारें साफ करने के लिए हम सब ने मिल कर 2 लोगों को रखा हुआ था. पर सीमा का पति दिन में 2-3 बार खुद अपनी कार साफ करता था. आए दिन कालोनी में सीमा का मजाक उड़ता और मैं भी उस में शामिल होती. हालांकि सीमा की काफी बातें मुझे अच्छी लगतीं पर कहीं सब इस की तरह मेरा भी मजाक न उड़ाएं, इसलिए मैं उस से दूरी बनाए रखती.

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कुछ दिन बाद मेरी बूआ सास को दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल में दाखिल कराया गया. देवर का फोन आते ही मैं और मेरे पति अस्पताल भागे. वहां हमें काफी समय लग गया. मैं ने घड़ी देखी तो खयाल आया कि बच्चे स्कूल से आते ही होंगे. जल्दबाजी में मैं चाबी चौकीदार को देना भूल गई. मुझे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं. मैं ने एकता को फोन किया तो वह बोली कि यार सौरी मुझे शौपिंग के लिए जाना है. अभी घर पर ताला ही लगा रही थी और उस ने फोन काट दिया. एकता के अलावा मेरे पास और किसी का फोन नंबर नहीं था. मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा था कि इतने सालों में मैं ने किसी का फोन नंबर लेने की भी कोशिश नहीं की. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं. फिर मैं ने इन से कार की चाबी ली और घर चल दी. रास्ते में जाम ने दुखी कर दिया. घर पहुंचतेपहुंचते काफी देर हो गई.

सोच रही थी कि बच्चे 1 घंटे से दरवाजे पर खड़े होंगे. खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था. कार पार्क कर के घर पहुंची तो दरवाजे पर बच्चे नहीं थे. मैं घबरा उठी कि बच्चे कहां जा सकते हैं. पति को फोन मिलाने लगी तो देखा कि किसी अनजान नंबर से 4 मिस कालें आई थीं और 1 मैसेज भी था कि मम्मी आप, फोन क्यों नहीं उठा रहीं… हम सीमा आंटी के घर में हैं. मैसेज पढ़ कर मेरी जान में जान आई. मैं सीमा के घर पहुंची तो बच्चे खाना खा कर टीवी देख रहे थे.

‘‘अरे भाभी, आप कहां चली गई थीं? बच्चे स्कूल से आ कर घंटी बजा रहे थे, तो मैं यहां ले आई. भाभी, आप मुझे बोल जातीं तो जल्दी घर नहीं आना पड़ता… अच्छा जाने दो… 1 मिनट रुको,’’ कह सीमा अंदर जा कर एक डब्बा ले आई. बोली, ‘‘भाभी, आप थक गई हैं… इस में सब्जीरोटी है. आप खा कर आराम कर लेना.’’

मैं उसे थैंक्यू कह कर बच्चों को ले कर घर आ गई. बच्चे कपड़े बदल कर पढ़ने बैठ गए. मैं मेज पर रखे डब्बे को देख रही थी. स्टील का डब्बा बिलकुल वैसा जैसा हम स्कूल ले कर जाते थे… मुझे याद है कि जब मां घर नहीं होती थीं, तो हम अपने पड़ोसी के घर खाना खा लेते थे और अगर मां को देर से आना होता था तो वहीं सो भी जाते थे. कभी घर मेरी पसंद की सब्जी नहीं बनी होती थी, तो साथ वाली लीला चाची के घर जा कर खाना खा आती थी. कभी मां या पिताजी की तबीयत ठीक नहीं होती थी तो लीला चाची, कमला मौसी हमारा घर संभाल लेती थीं. मां अकसर कहती थीं कि सुधि हारी बीमारी में रिश्तेदारों से पहले पड़ोसी काम आते हैं. पर अब देखो कालोनी में अगर कोई मर भी जाए तो उस का पता भी कालोनी के नोटिस बोर्ड से चलता है. मैं ने एक ठंडी सांस ली और डब्बा खोल कर खाना खा लिया.

अगले दिन बच्चों के स्कूल जाने से पहले मैं उन को सीमा के घर ले गई और बोली, ‘‘देखो बच्चों स्कूल से सीधा सीमा मौसी के घर आना …और सीमा बच्चो का खयाल रखना. मुझे आज अस्पताल में देर हो जाएगी.’’ मेरी बात सुन कर सीमा के चेहरे पर खुशी के भाव आ गए, तो मेरे पर संतोष के.

कपास को कीड़ों से बचाएं

कपास भारत में उगाई जाने वाली खास रेशेदार व नकदी फसल है. गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सूबे मिल कर देश के उत्पादन का करीब 90 फीसदी कपास पैदा करते?हैं. देश की करीब 60 फीसदी कपास की पैदावार केवल 3 राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में होती है. दूसरे खास कपास उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा हैं.

विश्व के कपास के कुल रकबे की तुलना में भारत में कपास की खेती सब से ज्यादा रकबे 78.11 लाख हेक्टेयर में होती है. हमारे देश में कपास की खेती महाराष्ट्र में सब से?ज्यादा रकबे में होती?है. इस के बाद गुजरात, मैसूर, मध्य प्रदेश और पंजाब में कपास की खेती होती है. कपास के गुणों पर बारिश, गरमी व हवा वगैरह का बहुत असर पड़ता है.

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कपास की फसल को कीड़ों से बहुत ज्यादा नुकसन पहुंचता?है. यहां कपास में लगने वाले कीड़ों व उन से बचाव के बारे में विस्तार से बताया जा रहा?है.

रस चूसक कीट

माहू (एफिड गौसीपाई) : यह काले या पीले रंग का छोटा कीड़ा है, जिस का आकार 4 से 6 मिलीमीटर होता है. ये कीड़े झुंड में पाए जाते?हैं. ये कीड़े 2-3 हफ्ते तक जिंदा रहते?हैं. मादा रोजाना 5 से 20 अर्भक पैदा करती है. अर्भक करीब 5 दिनों में बड़े कीड़े में बदल जाते?हैं. इस का असर दिसंबर से मार्च तक ज्यादा होता?है. इस के बच्चे व बड़े पत्तियों व फूलों से रस चूसते?हैं, जिस से पत्तियां किनारों से मुड़ जाती?हैं. ये चिपचिपा पदार्थ अपने शरीर से बाहर निकालते?हैं, जिस से पत्तियों के ऊपर काली फफूंद आ जाती है, इस से पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया पर असर पड़ता है.

रोकथाम

* कीड़े के असर वाले भागों को तोड़ कर खत्म कर दें.

* माहू का असर होने पर पीले चिपचिपे ट्रैप का इस्तेमाल करें, ताकि माहू ट्रैप पर चिपक कर मर जाएं.

* परभक्षी काक्सीनेलिड्स या सिरफिड या क्राइसोपरला कार्निया का संरक्षण कर 50000-100000 अंडे या सूडि़यां प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़ें.

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* नीम का अर्क 5 फीसदी या 1.25 लीटर नीम का तेल 100 लीटर पानी में मिला कर छिड़कें.

* बीटी का 1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* जरूरत के हिसाब से थायोमिथाक्सोम 25 डब्लूपी 100 जी या मिथाइल डेमीटान 25 ईसी 1 लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 1.0 मिलीलीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करना चाहिए.

सफेद मक्खी (बेमीसिया टेबेसी) : इस के निम्फ धुंधले सफेद होते?हैं. निम्फ व वयस्क दोनों ही पत्ती की निचली सतह पर बैठना पसंद करते?हैं. इन के शरीर पर सफेद मोमिया पर्त पाई जाती है.

मादा मक्खी पत्तियों की निचली सतह पर 1-1 कर के अंडे देती है, जिन की संख्या तकरीबन 100-150 तक होती है. निम्फ अवस्था 81 दिनों में पूरी हो जाती है. इस का प्रकोप पूरी फसल के समय में बना रहता, साथ ही साथ दूसरी फसलों पर पूरे साल इस का प्रकोप पाया जाता?है. निम्फ व वयस्क पत्तियों की निचली सतह पर झुंड में पाए जाते?हैं, जो पत्तियों की कोशिकाओं से रस चूसते हैं, जिस से पत्तियां कमजोर हो कर गिर जाती हैं.

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रोकथाम

* पीले चिपचिपे 12 ट्रैप प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल करें.

* क्राइसोपरला कार्निया के 50000-100000 अंडे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छोड़ें.

* कीट लगे पौधों पर नीम का तेल 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें या मछली रोसिन सोप का 25 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

* बीच या बाद की अवस्था में थायोमिथाक्सोम 25 डब्ल्यूपी 100 जी का छिड़काव करें या?क्लोथिनीडीन 50 फीसदी डब्ल्यूडीजी 20-24 ग्राम 500 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें या एक्टामाप्रिड 20 एसपी या फोसलोन 35 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या क्यूनालफास 25 ईसी का 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं.

लीफ हौपर (अमरासका डेवासटेंस) : यह बहुत ही छोटा कीट है, जिस की लंबाई करीब 4 मिलीमीटर होती है. इस का रंग भूरा, पंख पर छोटे काले धब्बे व सिर पर 2 काले धब्बे होते?हैं. इस की मादा निचले किनारे पर पत्ती की शिराओं के अंदर पीले से अंडे देती है. ये अंडे 6 से 10 दिनों में फूटते?हैं. पंखदार वयस्क 2 से 3 हफ्ते तक जिंदा रहते हैं. इस के शिशु व वयस्क पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते?हैं, जिस से पत्तियों के किनारे मुड़ जाते हैं और लालभूरे हो जाते?हैं और पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं.

रोकथाम

* पौधे के कीटग्रस्त भाग को तोड़ कर खत्म कर देना चाहिए.

* प्रपंची फसलें जैसे भिंडी का इस्तेमाल करना चाहिए.

* क्राइसोपरला कार्निया परभक्षी के 50000 अंडे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छोड़ें.

* जरूरत पड़ने  डाईमेथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

थ्रिप्स (थ्रिप्स?टैबेकी) : ये बहुत ही?छोटे आकार के कीट होते?हैं. वयस्क कीट का रंग भूरा व अर्भक का रंग हलका पीलापन लिए होता है. इस की लंबाई करीब 1 मिलीमीटर होती?है. इस की मादा हरे पौधों के?ऊतकों के अंदर 1-1 कर के हर रोज गुर्दे की शक्ल के 4-5 अंडे देती?है. इन में से 5 दिनों में निम्फ निकल आते?हैं. निम्फ का जीवनचक्र 5 दिनों, प्यूपा का 4-5 दिनों व वयस्क का 2-4 हफ्ते का होता?है. वयस्क कीट भूरे रंग का कटे पंख वाला होता?है. इस की इल्ली व वयस्क पत्ती की सतह फाड़ कर रस चूसते?हैं, इस से पत्तियां मुड़ जाती?हैं और सूख कर नीचे गिर जाती?हैं.

रोकथाम

* पौधे के उन भागों को जहां कीट का हमला होता?है, तोड़ देना चाहिए.

* बीजों को इमिडाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूएस 7 ग्राम प्रति किलोग्राम से उपचारित करने से फसल 8 हफ्ते तक खराब नहीं होती?है.

* क्राइसोपरला कार्निया परभक्षी के 50000 से 75000 अंडे प्रति हेक्टेयर छोड़ें.

* जरूरत होने पर थायोमिथाक्सोम 25 डब्ल्यूपी 100 जी या क्लोथिनीडीन 50 फीसदी डब्ल्यूडीजी 20-24 ग्राम 500 लीटर पानी में या डाईमैथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर या मेटासिसटाक्स का 1.5-2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

लाल कीड़ा (डिस्डर्कस सिंगुलेटस) : यह कीट गहरे लाल रंग का होता?है. इस के अगले पंख के पिछले भाग पर काले धब्बे होते?हैं. मादा कीट नरम मिट्टी या जमीन की दरारों में 100 से 130 अंडे देती?है. इस का विकास 49 से 89 दिनों में पूरा होता?है. सर्दियों में यह वयस्क अवस्था में रहता है. वयस्क लंबे गोलाकार फैले हुए गहरे लाल रंग के होते?हैं. उदर पर एक ओर से दूसरी ओर तक सफेद पट्टी होती?है. इस की इल्ली व वयस्क हरे गूलरों का रस चूस कर उन में छेद कर देते?हैं. इस से गूलरों पर सफेद से पीले धब्बे बनते?हैं. ये रेशों को अपने मल द्वारा खराब कर देते हैं, जिस से फोहा रेशा पीला हो जाता है.

रोकथाम

* अंडे व प्यूपा को शुरू में ही इकट्ठा कर के खत्म करते रहना चाहिए.

* गूलर खिलते ही चुनाई कर लें.

* 5 फीसदी नीम अर्क के?घोल का इस्तेमाल करना चाहिए.

* रासायनिक रोकथाम के लिए डाईमैथोएट 30 ईसी का 1.0-1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

गूलर खाने वाले कीट

पत्ती लपेटक कीट (साइलेप्टा डेरोगेटा) : प्रौढ़ कीट का रंग हलका पीलापन लिए हुए सफेद होता?है, जिस पर कालेभूरे रंग के धब्बे होते?हैं. इस की मादा पत्ती की निचली सतह पर 1-1 कर के 250-350 अंडे देती?है. सूंड़ी अर्द्धपारदर्शी हरापन लिए सलेटी या गुलाबी रंग की होती है. इस का प्यूपा मिट्टी या लिपटी हुई पत्तियों में पाया जाता?है. जीवनचक्र 23-53 दिनों में पूरा होता है. इस कीट की केवल सूंड़ी ही नुकसानदायक होती है. सूंड़ी किनारे या मध्य से 2-3 पत्तियों को एकसाथ मोड़ कर उन का हरा भाग खाती रहती है, जिस से पत्तियों से?भोजन बनना बंद हो जाता है और वे सूख जाती?हैं.

रोकथाम

* ग्रसित पत्तियों को हाथ से चुन कर सूंडि़यों सहित खत्म कर देना चाहिए.

* ट्राइकोकार्ड (ट्राइकोग्रामा बेसिलिएनसिस) के 50000 से 100000 अंडे प्रति हेक्टेयर की दर से छोड़ें.

* प्रकोप बढ़ने पर क्लोरपाइरीफास

20 ईसी 2.0 लीटर प्रति हेक्टेयर या डाइक्लोरवास डब्ल्यूएससी 1 लीटर प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 14.5 फीसदी

एससी (1 मिलीलीटर प्रति 2 लीटर)

प्रति लीटर का छिड़काव करें.

तंबाकू की सूंड़ी (स्पोडोप्टेरा लिट्यूरा) : इस के वयस्क पतंगों के पंख सुनहरे भूरे रंग के सफेद धारीदार होते?हैं. हर मादा पतंगा 1000-2000 अंडे गुच्छों में पत्तियों के नीचे देती है. इस के अंडे के गुच्छे बादामी रोओं से ढके रहते?हैं. अंडे 3-5 दिनों में फूटते हैं. सूंड़ी मटमैले से काले रंग की, शरीर पर हरीनारंगी धारियां लिए होती है. इस की साल में 6-8 पीढि़यां पनपती हैं. सूंडि़यां झुंड में पत्ती की निचली सतह पर हरा पदार्थ खा कर व चूस कर नुकसान पहुंचाना शुरू करती हैं. आखिर में पत्तियों की शिराएं बाकी बचती?हैं. पत्तियों के बाद ये फूलों की कलियों व डंठलों वगैरह को खाती हैं. कपास के अलावा इन का हमला फूलगोभी, तंबाकू,?टमाटर व चना वगैरह पर पाया जाता है.

रोकथाम

* अंडे या सूंड़ी के गुच्छों को हाथ से पत्ती के साथ तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएं.

* खेत में चारों ओर अरंडी की फसल की बोआई करें.

* ट्राइकोग्रामा कीलोनिस 1.5 लाख प्रति हेक्टेयर या किलोनस ब्लैकबर्नी या?टेलिनोमस रिमस के 100000 अंडे प्रति हेक्टेयर 1 हफ्ते के अंतराल पर छोडें़.

* 5 किलोग्राम धान का भूसा, 1 किलोग्राम शीरा व 0.5 किलोग्राम कार्बारिल को मिला कर पतंगों को आकर्षित करें.

* एसएलएनपीवी 250 एलई का प्रति हेक्टेयर की दर से 8-10 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें.

* 1 किलोग्राम बीटी का प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* प्रकोप बढ़ने पर फिपरोनिल 5 एससी या क्वालीनोफास 25 ईसी 1.5-2.0 का प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.

* फसल में जहर चारा 12.5 किलोग्राम राईसबीन, 1.25 किलोग्राम जगेरी, कार्बेरिल 50 फीसदी डब्ल्यूपी 1.25 किलोग्राम और 7.5 लीटर पानी के?घोल का शाम के समय छिड़काव करें, जिस से जमीन से सूंडि़यां निकल कर जहर चारा खा कर मर जाएंगी.

अमेरिकन गूलर सूंड़ी (हेलिकोवरपा आर्मिजेरा) : यह कीट साल भर विभिन्न फसलों पर सक्रिय रहता?है. प्रौढ़ कीट का पंख विस्तार 3-4 सेंटीमीटर होता?है और इस के शरीर की लंबाई 2 सेंटीमीटर होती?है. इस का रंग हलका हरापन लिए हुए पीला या भूरा होता?है, जिस पर काले या?भूरे धब्बे पाए जाते हैं. मादा का रंग नर से गहरा होता?है. मादा पौधे के कोमल अंगों पर 1-1  कर के सफेद अंडे देती है. एक मादा 500 से 700 तक अंडे देती?है. ये अंडे 3-4 दिनों में फूटते?हैं. अंडों की अवस्था 3-5 दिनों, सूंड़ी की 17-35 दिनों व प्यूपा की 17-20 दिनों की होती है. 25-60 दिनों में इस का जीवनचक्र पूरा हो जाता है. इस का प्यूपा मिट्टी में बनता है. हर साल 7-8

पीढि़यां बनती हैं. इस की सूंड़ी हरे से पीले रंग की होती है, शरीर पर उभरे हुए निशान होते हैं.

रोकथाम

* सूंड़ी सहित कीट लगे भागों को खत्म कर दें.

* जाल फसल के लिए बीचबीच में टमाटर की लाइन लगाएं.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रेप प्रति हेक्टेयर की दर से 20-25 मीटर की दूरी पर लगाएं.

* अंडों व सूंड़ी के गुच्छों को हाथ से पत्ती सहित तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिए.

* कीट का आक्रमण या अंडे दिखाई पड़ते ही ट्राइकोग्रामा किलोनिस 1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर प्रति हफ्ते के अंतराल पर 6-8 बार छोडें़.

* सूंड़ी दिखाई देते ही एनपीवी की 250 एलई या 3 ग 1012 पीओबी का प्रति हेक्टेयर की दर से 7-8 दिनों के अंतराल पर

छिड़काव करें.

* उस के बाद 1 किलोग्राम बीटी का छिड़काव करें. इस के अलावा 5 फीसदी नीम की निबोली के सत का इस्तेमाल कर सकते?हैं.

* स्पाइनोसैड 45 एससी, इंडोक्सकार्ब 14.5 एससी व थायोमेंक्जाम 70 डब्ल्यूएससी का 1 मिलीमीटर प्रति लीटर का इस्तेमाल करें.

गुलाबी सूंड़ी (पेक्टीनोफोरा गोसीपिएला) : ये कीट छोटे आकार के तकरीबन 1 सेंटीमीटर लंबे होते?हैं. ये पतंगे कलियों, टहनियों और नई छोटी पत्तियों पर सफेद अंडे देते?हैं. काले रंग की मादा पतंगा अंडे देने के लिए रोएंदार भाग पसंद करती?है. इन से 8-41 दिनों में सूंड़ी निकलती है. छोटी सूंड़ी पहले पीले रंग की व बाद में गुलाबी हो जाती?है. भूरा सिर इस की खास पहचान है. सूंड़ी

छोटे गूलर बनने की अवस्था में ही अंदर घुस जाती है और बिना पके कच्चे बीज बिनौला खाती है. यह फल में घुसने के बाद छेद को बंद कर लेती है. सूड़ी गिरी हुई पत्तियों में अपना कुकून बनाती?है और 16-29 दिनों तक इस अवस्था में रहती है.

रोकथाम

* खेत की गहरी जुताई करें, जिस से खाली वाली अवस्था सूंड़ी व प्यूपा खत्म हो जाएं.

* खेत में 20 फेरोमोन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से 20-25 मीटर की दूरी पर लगाएं.

* ट्राइकोग्रामा किलोनिस 1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर प्रति हफ्ते के अंतराल

पर 6-8 बार छोंडे़.

* परभक्षी क्राइसोपरला कार्निया के 50000 से 100000 अंडे खेत में छोड़ें.

* 1 किलोग्राम बीटी का प्रति हेक्टेयर छिड़काव करें.

* प्रकोप ज्यादा होने पर ट्राफाईजोफोस 40 ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर या कलोरोपाइरीफास 20 ईसी का 2.5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए.

चित्तीदार सूंड़ी (एरियास फेबिया) : यह कीट पीलापन लिए हुए हरे रंग का होता?है. इस का पंख विस्तार 25 सेंटीमीटर होता?है. इस के वयस्क के पंखों में फन के आकार की हरी धारी पंख के शुरू से आखिर तक होती?है. मादा पतंगा 1-1 कर फूलों की पंखडि़यों पर 200-400 अंडे देती है.

सूंड़ी 10 से 16 दिनों तक बनी रहती है. प्यूपा 4-9 दिनों व वयस्क 8-22 दिनों तक रहता है. प्यूपा नीचे पुरानी पत्तियों में बनता है. सूंड़ी शुरू में सिरे की छोटी टहनियों में छेद कर देती है, जिस से शाखाएं सूख जाती?हैं. ग्रसित फूल व कलियां नीचे गिर जाती हैं. ग्रसित गूलर नीचे गिरने से खराब हो जाते?हैं और गूलर

के अंदर की रुई सड़ने के कारण बेकार हो जाती है.

रोकथाम

* सब से पहले अंडों के समूहों को इकट्ठा कर के खत्म कर देना चाहिए.

* फसल में?ट्रैप फसल भिंडी की बोआई करनी चाहिए.

* बोआई के 40 दिनों बाद या कीड़े दिखाई पड़ते ही ट्राइकोग्रामा किलोनिस

1.5 लाख अंडे प्रति हेक्टेयर 8-10 दिनों के अंतराल पर 4-6 बार छोड़ें.

सहचारिणी-भाग 3 : छोटी मां के आते ही क्या परिवर्तन हुआ

अब मैं तुम्हारी हर हरकत पर नजर रखने लगी. तुम कहांकहां जाते हो, किसकिस से मिलते हो, क्याक्या करते हो… यानी तुम्हारी छोटी से छोटी बात मुझे पता होती थी. इस के लिए मुझे कई पापड़ बेलने पड़े, क्योंकि यह काम इतना आसान नहीं था.

अब मैं दिनरात अपनेआप में कुढ़ती रहती. जब भी सुंदर और कामयाब स्त्रियां तुम्हारे आसपास होतीं, तो मैं ईर्ष्या की आग में जलती. तब कोई न कोई कड़वी बात मेरे मुंह से निकलती, जो सारे माहौल को खराब कर देती.

यहां तक कि घर में भी छिटपुट वादविवाद और चिड़चिड़ापन वातावरण को गरमा देता. मेरे अंदर जलती आग की आंच तुम तक पहुंच तो गई पर तुम नहीं समझ पाए कि इस का असली कारण क्या था. तुम्हारी भलमानसी को मैं क्या कहूं कि तुम अपनी तरफ से घर में शांति बनाए रखने की पूरी कोशिश करते रहे. तुम समझते रहे कि घर में छोटे बच्चे का आना ही मेरे चिड़चिड़ेपन का कारण है. उसे मैं संभाल नहीं पा रही हूं. उस की देखभाल की अतिरिक्त जिम्मेदारी के कारण मैं थक जाती हूं, इसीलिए मेरा व्यवहार इतना रूखा और चिड़चिड़ा हो गया है. तुम्हें अपने पर ग्लानि होने लगी कि तुम मुझे और बच्चे को इतना समय नहीं दे पा रहे हो, जितना देना चाहिए.

आज तुम्हारे सामने एक बात स्वीकारने में मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं होगी. भले ही मेरी नादानी पर तुम जी खोल कर हंस लो या नाराज हो जाओ. अगर तुम नाराज भी हो गए तो मैं तुम से क्षमा मांग कर तुम्हें मना लूंगी. मैं जानती हूं कि तुम मुझ से ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह सकते. सच कहूं? मेरी आंखें खोलने का सारा श्रेय मेरी सहेली सुरुचि को जाता है. जानते हो कल क्या हुआ था? मुझे अचानक तेज सिरदर्द हो गया था. लेकिन वास्तव में मुझे कोई सिरदर्द विरदर्द नहीं था. मैं अंदर ही अंदर जलन की ज्वाला में जल रही थी. यह बीमारी तो मुझे कई दिनों से हो गई थी जिस का तुम्हें आभास तक नहीं है. हो भी कैसे? तुम्हें उलटासीधा सोचना जो आता नहीं है. मगर सुरुचि को बहुत पहले ही अंदाजा हो गया था.

कल शाम मुझे अकेली माथे पर बल डाले बैठी देख वह मेरे पास आ कर बैठते हुए बोली, ‘‘मैं जानती हूं कि तुम यहां अकेली बैठ कर क्या कर रही हो. मैं कई दिनों से तुम से कहना चाह रही थी मगर मैं जानती हूं कि तुम बहुत संवेदनशील हो और दूसरी बात मुझे आशा थी कि तुम समझदार हो और अपने परिवार का बुराभला देरसवेर स्वयं समझ जाओगी. मगर अब मुझ से तुम्हारी हालत देखी नहीं जाती. तुम जो कुछ भी कर रही हो न वह बिलकुल गलत है. अपने मन को वश में रखना सीखो. लोगों को सही पहचानना सीखो. तुम्हारा सारा ध्यान अपने पति के इर्दगिर्द घूमती चकाचौंध कर देने वाली लड़कियों पर है. उन की भड़कीली चमक के कारण तुम्हें अपने पति का असली रूप भी नजर नहीं आ रहा है. अरे एक बार स्वच्छ मन से उन की आंखों में झांक कर देखो, वहां तुम्हारे लिए हिलोरें लेता प्यार नजर आएगा.

‘‘तुम पुरु भाईसाहब को तो जानती ही हो. वे इतने रंगीन मिजाज हैं कि रंगरेलियों का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते. वही क्यों? इस ग्लैमर की दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग हैं. ऐसे माहौल में तुम्हारे पति ऐसे लोगों से बिलकुल अलग हैं. पुरु भाई साहब की बीवी, बेचारी मीना कितनी दुखी होगी अपने पति के इस रंगीन मिजाज को ले कर. सब के बीच कितनी अपमानित महसूस करती होगी. किस से कहे वह अपना दुख? तुम जानती नहीं हो कि कितने लोग तुम्हारी जिंदगी से जलते हैं.

‘‘पुरु भाईसाहब जैसे लोग जब उन्हें गलत कामों के लिए उकसाते हैं. तब जानती हो वे क्या कहते हैं? देखो, घर के स्वादिष्ठ भोजन को छोड़ कर मैं सड़क की जूठी पत्तलों पर मुंह मारना पसंद नहीं करता. मेरी पत्नी मेरी सर्वस्व है. वह अपना सब कुछ छोड़छाड़ कर मेरे साथ आई है और अपना सर्वस्व मुझ पर निछावर करती है. उस की खुशी मेरी खुशी में है. वह मेरे दुख से दुखी हो कर आंसू बहाती है. ऐसी पत्नी को मैं धोखा नहीं दे सकता. वह मेरी प्रेरणा है. मेरी और मेरे परिवार की खुशहाली उसी के हाथों में है.’’

फिर सुरुचि ने मुझे डांटते हुए कहा ‘‘तुम्हें तो ऐसे पति को पा कर निहाल हो जाना चाहिए और अपनेआप को धन्य समझना चाहिए.’’

उस की इन बातों से मुझे अपनेआप पर ग्लानि हुई. उस के गले लग कर मैं इतनी रोई कि मेरे मन का सारा मैल धुल गया और मुझे असीम शांति मिली. मुझे ऐसा लगा जैसे धूप में भटकते राही को ठंडी छांव मिल गई. मैं तुम से माफी मांगना चाहती हूं और तुम्हारे सामने समर्पण करना चाहती हूं. अब ये तुम्हारे हाथ में है कि तुम अपनी इस भटकी हुई पुजारिन को अपनाते हो या ठुकरा देते हो.

सीमा रेखा : क्या धीरेन दा को इस बात का एहसास हो पाया

‘‘सो मू, उठ जाओ बाबू…’’ धीरेन दा लगातार आवाज दिए जा रहे थे जिस से रूपल की नींद में बाधा पड़ने लगी तो वह कसमसाती हुई सोमेन के आगोश से न चाहते हुए भी अलग हो गई और पति सोमेन को लगभग धकियाती हुई बोली, ‘‘अब जाओ, उठो भी, नहीं तो तुम्हारे दादा सुबहसुबह पूरे घर को सिर पर उठा लेंगे. छुट्टी वाले दिन भी आराम नहीं करने देते.’’

सोमेन अंगड़ाई लेता हुआ उठ बैठा और ‘आया दादा’ कहता हुआ बाथरूम की ओर लपका. जब फे्रश हो कर जोगिंग करने के लिए टै्रकसूट और जूते पहन कर कमरे से बाहर निकला तो दादा रोज की तरह गरम चाय लिए उस का इंतजार करते मिले. उसे देखते ही मुसकरा कर प्यालों में चाय डालते हुए बोले, ‘‘सोमू, रूपल और बच्चों से भी क्यों नहीं कहता कि सुबह जल्दी उठ कर कुछ देर व्यायाम कर लें. सुबह की ताजा हवा से दिन भर तरावट महसूस होती है और साथ में स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है.’’ ‘‘दादा, रोज तो उन्हें जल्दी जागना ही पड़ता है, सो कम से कम रविवार को उन्हें नींद का मजा लेने दीजिए. चलिए, हम दोनों जोगिंग पर चलते हैं,’’ कहता हुआ सोमेन चाय की खाली प्याली रख कर उठ खड़ा हुआ.

दोनों भाइयों ने नजदीक के पार्क में धीमी गति से जोगिंग की. फिर धीरेन दा बैंच पर बैठ कर हाथपांव हिलाने लगे और उन के पास ही सोमेन एक्सरसाइज करने लगा. धीरेन दा 55 से ऊपर के हो चले थे और सोमेन भी 34 बसंत पार कर चुका था. लेकिन धीरेन दा हरपल सोमेन का ऐसे खयाल रखते जैसे वह कोई नादान बालक हो. धीरेन दा की दुनिया सोमेन से शुरू हो कर उसी पर खत्म हो जाती थी. कुदरत की इच्छा के आगे किसी का बस नहीं चलता. धीरेन दा के जन्म के बाद काफी कोशिशों के बावजूद उन के मातापिता की कोई दूसरी संतान नहीं हुई फिर भी वे डाक्टर की सलाह पर दवा लेते रहे और फिर 16 साल बाद अचानक सोमेन का जन्म हुआ.

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सोमेन के जन्म से धीरेन दा बहुत खुश थे मानो सोमेन के रूप में उन्हें कोई जीताजागता खिलौना मिल गया हो. उन के बाबूजी की माली हालत कुछ खास अच्छी नहीं थी इसलिए मां को ही घर का हर काम करना पड़ता था. ऐसे में मां का हाथ बंटाने के लिए धीरेन दा ने सोमेन की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली थी. सोमेन ज्यादातर समय धीरेन दा की गोद में होता या जहां वह पढ़ते थे उन के पास ही पालने में सोया या खेलता रहता.

देखतेदेखते सोमेन 4 साल का हो गया. धीरेन दा उस दिन बहुत खुश थे क्योंकि बी. काम. फाइनल में उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में टाप किया था. घर आ कर जब उन्होंने यह खबर मांबाबूजी को सुनाई तो वे बहुत खुश हुए. इस खुशी को अपने पड़ासियों के साथ बांटने के लिए वे दोनों मिठाई लेने ऐसे निकले कि कफन ओढ़ कर घर वापस आए. रास्ते में एक बस ने उन्हें बुरी तरह से कुचल दिया था. एक पल को धीरेन दा को यों लगा मानो उन का सबकुछ खत्म हो गया. पर मासूम सोमेन को बिलखते देख उन्हें भाई से पिता रूप में परिवर्तित होने में तनिक भी वक्त नहीं लगा. उसी वक्त उन्होंने मन ही मन प्रण किया कि वह न सोमेन को अनाथ होने देंगे और न ही कभी उसे मातापिता की कमी महसूस होने देंगे.

इस घटना के कुछ महीनों बाद ही धीरेन दा की बैंक में नौकरी लग गई. नौकरी मिलने के 1 साल बाद उन्होंने रजनी के साथ विवाह रचा लिया. रजनी के गृहप्रवेश करते ही धीरेन दा की दुनिया बदल गई. सोमेन को भी रजनी भाभी कम और मां ज्यादा लगतीं. 2 साल का प्यार भरा समय कैसे गुजर गया, पता ही न चला. एक दिन रजनी को अपने भीतर एक नवजीवन के पनपने का एहसास हुआ तो धीरेन दा की खुशियों की सीमा न रही. सोमेन को भी चाचा बनने की बेहद खुशी थी. पर उन लोगों की सारी खुशियां रेत के घरौंदे की तरह पलक झपकते ही बिखर गईं. एक दिन रजनी बारिश में भीगते कपड़ों को समेटने गई और फिसल कर गिर पड़ी. अंदरूनी चोट इतनी गहरी थी कि लाख कोशिशों के बावजूद डाक्टर मां और बच्चे में से किसी को नहीं बचा सके.

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रजनी की मौत के बाद धीरेन दा ने किसी भी स्त्री के लिए अपने दिल के दरवाजे हमेशाहमेशा को बंद कर लिए. अब उन के जीने का मकसद सिर्फ और सिर्फ सोमेन था. अब वह सोमेन की नींद सोते और जागते थे. उस की हर जरूरत का ध्यान रखना, उसे खुश रखना और उस के विकास के बारे में चिंतनमनन करना ही जैसे उन का एकमात्र ध्येय रह गया था. कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई खत्म होते ही जब सोमेन को एक बड़ी इंटरनेशनल कंपनी में नौकरी मिल गई तो सोमेन से कहीं ज्यादा खुशी धीरेन दा को हुई. सोमेन के प्रति उन की बस आखिरी जिम्मेदारी बाकी रह गई थी और वह जिम्मेदारी थी सोमेन की शादी.

साल भर बाद धीरेन दा ने अपने मित्र रमेशजी की मदद से आखिर रूपल जैसी गुणवती, सुंदर और मासूम लड़की को अपने अनुज के लिए तलाश ही लिया. रूपल के रूप में उन्हें एक बेटी का ही रूप नजर आता. रूपल थी भी इतनी प्यारी और नेकदिल कि सोमेन और धीरेन दा के दिलों में बसने के लिए उसे जरा भी वक्त नहीं लगा. सबकुछ ठीक चल रहा था. रूपल को कुछ अखरता था तो वह धीरेन दा का सोमेन को ले कर जरूरत से ज्यादा पजेसिव होना. भाई के प्यार में वह इस कदर डूबे हुए थे कि अकसर रूपल की उपस्थिति को नजरअंदाज कर जाते. वह भूल जाते कि उन की तरह रूपल भी सुबह से सोेमेन का इंतजार कर रही है. पति को देखने को व्याकुल उस नवविवाहिता की आंखें शाम से ही दरवाजे पर टिकी हुई हैं.

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सोमेन भी घर आते ही रूपल को बांहों में ले कर प्यार की बौछार कर देने को आतुर रहता पर घर में प्रवेश करते ही धीरेन दा को अपना इंतजार करते बैठा देखता तो मर्यादा के तहत मन को वश में कर वहीं बैठ जाता और उन से वार्तालाप में मस्त हो जाता. बीच में कभी कपड़े बदलने के बहाने से तो कभी बाथरूम जाने के बहाने से अंदर जा कर झुंझलाईबौखलाई रूपल पर ऐसे तेज गति से चुंबनों की झड़ी लगा देता कि रूपल सारा गुस्सा भूल कर कह उठती, ‘‘अब बस भी करो मेरे सुपर फास्ट राजधानी एक्सप्रेस, बाहर भैया चाय के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं.’’ फिर दोनों भाई शतरंज खेलते. इस बीच खाना बना कर रूपल बेमन से टीवी का चैनल बदलती रहती. कभी सोमेन आवाज लगाता तो चाय या पानी दे जाती. उस की मनोस्थिति से सर्वथा अनजान धीरेन दा शतरंज की बिसात पर नजरें जमाए हुए कहते, ‘‘रूपल, तुम भी शतरंज खेलना सीख जाओ तो मजा आ जाए.’’

‘‘जी दादा, सीखूंगी,’’ संक्षिप्त सा उत्तर दे कर वह वापस अंदर की ओर मुड़ जाती. तब सोमेन का मन शतरंज छोड़ कर उठ जाने को करता. वह चाहता कि रूठी हुई रूपल को हंसाए, गुदगुदाए पर दादा का एकाकीपन अकसर उस के मन पर अंकुश लगा देता. रात को अपने अंतरंग क्षणों में वह रूपल को मना लेता और समझा भी देता कि धीरेन दा ने सिर्फ मेरे लिए अपनी सारी खुशियों की आहुति दे दी. अब हमारे किसी काम से उन्हें यह एहसास नहीं होना चाहिए कि हम उन की परवा या कद्र नहीं करते. रूपल ने भी धीरेधीरे यह सोच कर नाराज होना छोड़ दिया कि जब बच्चे हो जाएंगे तब सब ठीक हो जाएगा पर वैसा कुछ हुआ नहीं. पिंकी व बंटी के होने के बाद भी धीरेन दा की वजह से सोमेन रूपल को वक्त नहीं दे पाता.

यों ही और 8 साल बीत गए. अब तो पिंकी 10 और बंटी 8 साल के हो गए थे. अगर बच्चे कहते, ‘‘पापा, हमें किसी बच्चों के पार्क में या चिडि़याघर दिखाने ले चलिए,’’ तो सोमेन का जवाब होता कि बेटे, हम वहां जाएंगे तो ताऊजी अकेले हो जाएंगे.

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‘‘तो फिर ताऊजी को भी साथ में ले चलिए न,’’ पिंकी ठुनकती हुई कहती. इस पर सोमेन प्यार से उसे समझाते हुए कहता, ‘‘बेटे, इस उम्र में ज्यादा चलनाफिरना ताऊजी को थका देता है. हम फिर कभी जाएंगे,’’ और वह दिन बच्चों के लिए कभी नहीं आया था.

यह सब देखसुन कर रूपल कुढ़ कर रह जाती. उस ने अपनी सारी इच्छाएं दफन कर डालीं पर अब बच्चों के चेहरों पर छाई मायूसी उस के मन में धीरेन दा के लिए आक्रोश भर देती. इन सब का परिणाम यह हुआ कि धीरेधीरे रूपल के व्यवहार में अंतर आने लगा और बोली में भी कड़वापन झलकने लगा.

धीरेन दा कुछ महीनों से रूपल के व्यवहार में आए परिवर्तन को देख रहे थे पर बहुत सोचने पर भी उस की तह तक नहीं पहुंच पाए. अंत में हार कर उन्होंने अपने मित्र रमेश से परामर्श करने की सोची. रमेश से उन का कोई दुराव- छिपाव न था. एक बार फिर रमेश ने उन्हें मर्यादा और व्यावहारिक ज्ञान से रूबरू कराया. रमेश ने धीरेन दा की कही हरेक बातें ध्यान से सुनीं और उन से उन के और घर के हर सदस्यों की दिनचर्या के बारे में विस्तार से जानकारी हासिल की, फिर थोड़ी देर के लिए खामोश हो गए. पल भर के मौन के बाद धीरेन दा को समझाने के लहजे में बोले, ‘‘देख, धीरेन, ऐसा नहीं है कि रूपल अब तुम्हें बड़े भाई का मान नहीं देती. पर मेरे यार, तुम एक बात भूल गए कि कोई भी इनसान किसी एक का नहीं होता.

‘‘सोमेन की शादी से पहले की बात और थी. तब तुम्हारे सिवा उस का कोई नहीं था लेकिन विवाह के बाद वह किसी का पति और किसी का पिता बन गया. तुम्हारी ही तरह पिंकी, बंटी और रूपल को सोमेन से विभिन्न अपेक्षाएं हैं जो वह सिर्फ इसलिए पूरी नहीं कर पा रहा कि कहीं तुम स्वयं को उपेक्षित न समझ बैठो. उलटे तुम्हें हमेशा खुश रखने के प्रयास में वह न तो अच्छा पति साबित हो रहा है और न ही एक अच्छा पिता. हर रिश्ता एक मर्यादा और सीमारेखा से बंधा होता है जिस का अतिक्रमण बिखराव और ऊब की स्थिति ला देता है. ‘‘मेरे यार, अनजाने ही सही, तुम भी रिश्तों की सीमारेखा को लांघने लगे हो. माना कि तुम्हारी नीयत में कोई खोट नहीं पर कौन सी ऐसी पत्नी होगी जो कुछ वक्त अपने पति के साथ अकेले बिताना नहीं चाहेगी या फिर कौन से बच्चे अपने पापा के साथ कहीं घूमने नहीं जाना चाहेंगे. कहते हैं न, जब आंख खुली तभी सवेरा समझो. अब भी देर नहीं हुई है. तुम्हारे घर की खोती हुई खुशियां और रूपल की निगाहों में तुम्हारे प्रति सम्मान फिर से वापस आ सकता है. बस, तुम अपने और सोमेन के रिश्ते को थोड़ा विस्तृत कर लो. खुले मन से अपने साथ रूपल और बच्चों को समाहित कर लो…’’

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सहसा धीरेन दा के चेहरे पर एक चमक आ गई और वह रमेशजी को बीच में ही टोकते हुए बोले, ‘‘बस यार, मेरी आंखें खोलने के लिए तुम्हारा बहुतबहुत धन्यवाद. अब मैं चलता हूं, पहले ही बहुत देर हो चुकी है…अब मैं और देर नहीं करना चाहता,’’ फिर तेजतेज कदमों से वह घर की ओर चल पड़े मानो भागते हुए समय को खींच कर पीछे ले जाएंगे. रमेशजी ने जाते हुए अपने मित्र को और रोकना उचित नहीं समझा और मुसकरा पड़े.

अगले दिन रविवार था. सालों के नियम को भंग करते हुए धीरेन दा अकेले ही सुबहसुबह कहीं गायब हो गए. रूपल की नींद खुली तो सुबह के 8 बज रहे थे. वह उठ कर पूरे घर का एक चक्कर लगा आई. बाहर का दरवाजा भी यों ही उढ़का हुआ था. घबरा कर उस ने सोमेन को जगाया, ‘‘सुनोसुनो, जल्दी उठो, 8 बज गए हैं और दादा का कहीं पता नहीं है. दरवाजा भी खुला हुआ है.’’ सोमेन घबरा कर उठ बैठा. बच्चे भी मम्मीपापा के बीच का होहल्ला सुन कर जाग गए. सब मिल कर सोचने लगे कि धीरेन दा कहां जा सकते हैं? आखिर 10 बजे घर के बाहर आटो रुकने की आवाज आई. पिंकी व बंटी दरवाजे से बाहर झांक कर चिल्लाए, ‘‘ताऊजी आ गए, ताऊजी आ गए.’’

सोमेन और रूपल ने चैन की सांस ली. धीरेन दा के घर में घुसते ही रूपल ने सवालों की झड़ी लगा दी, ‘‘दादा, आप कहां चले गए थे? कह कर क्यों नहीं गए? हम से नाराज हैं क्या? क्या हम से कोई गलती हो गई?’’

धीरेन दा मुसकराते हुए बोले, ‘‘अरे, नहीं बेटा, ऐसी कोई बात नहीं है. मैं तो अपनी गलती सुधारने गया था.’’ कुछ न समझने की स्थिति में सोमेन और रूपल एकदूसरे का मुंह देखने लगे.

धीरेन दा बोले, ‘‘अरे, बाबा, मैं तुम लोगों को सरप्राइज देना चाहता था इसलिए ‘सिंह इज किंग’ की 2 टिकटें लाया हूं. आइनोक्स में यह फिल्म लगी है, आज तुम दोनों देख आना.’’ रूपल की आंखें आश्चर्य और खुशी से भर गईं. आज तक उसे आइनोक्स में फिल्म देखने का मौका जो नसीब नहीं हुआ था. वह तो कहीं भी आनेजाने की उम्मीद ही छोड़ बैठी थी.

‘‘पर दादा, बच्चे और आप…’’ ‘‘उस की तुम चिंता मत करो. हम तीनों आज ‘एडवेंचर आइलैंड’ जाएंगे, बाहर खाना खाएंगे और खूब मस्ती करेंगे. क्यों बच्चो?’’

‘‘दादाजी, आप कितने अच्छे हैं?’’ यह कहते हुए दोनों बच्चे धीरेन दा के पैरों से लिपट गए तो धीरेन दा भावुक हो उठे.

सहचारिणी-भाग 2 : छोटी मां के आते ही क्या परिवर्तन हुआ

तुम ने मुझे अपनी बांहों में भरते हुए कहा, ‘‘तो सुनो. तुम ने यह प्रश्न कई बार मुझ से कहे अनकहे शब्दों में पूछा. मगर हर बार मैं हंस कर टाल गया. आज जैसा मैं तुम्हें दिख रहा हूं मूलतया मैं वैसा नहीं हूं. मुझे डर था कि कहीं एक अनाथ जान कर तुम मुझ से दूर न हो जाओ. मैं ने जब से होश संभाला अपनेआप को एक अनाथाश्रम में पाया. सभी अनाथाश्रम फिल्मों या कहानियों जैसे नहीं होते. इस अनाथाश्रम की स्थापना एक ऐसे दंपती ने की थी जिन्हें ढलती उम्र में एक पुत्र पैदा हुआ था और वह बेशुमार दौलत और ऐशोआराम पा कर बुरी संगत में पड़ गया था. वह जिस तरह दोनों हाथों से रुपया लुटाता था और ऐश करता था, उसी तरह उसे दोनों हाथों से ढेरों बीमारियां भी बटोरनी पड़ीं. शादीब्याह कर अपना घर बसाने की उम्र में वह इन का घर उजाड़ कर चल बसा.

‘‘वे कुछ समय तक तो इस झटके को सह नहीं पाए और गहरे अवसाद में चले गए. पर अचानक एक दिन उन के घर के आंगन में मैं उन्हें मिल गया तो मेरी देखभाल करते हुए उन्हें जैसे अचानक यह बोध हुआ कि इस दुनिया में ऐसे कई बच्चे हैं, जो मातापिता के प्यार और सही मार्गदर्शन के अभाव में या तो सड़कों पर भीख मांगते हैं या गलत राह पर चल पड़ते हैं. उन्होंने निश्चय किया कि उन के पास जो अपार धनदौलत है उस का सदुपयोग होना चाहिए.

‘‘फिर उन्होंने एक ऐसे आदर्श अनाथाश्रम की स्थापना की जहां मुझ जैसे अनाथ बच्चों को घर की शीतल छाया ही नहीं, मांबाप का प्यार भी मिलता है.

‘‘मैं ने डै्रस डिजाइनिंग में स्नातकोत्तर परीक्षा पास की. उस के बाद एक दोस्त के आग्रह पर उस के काम से जुड़ गया. दोस्त पैसा लगाता है और मैं उस के व्यापार को कार्यान्वित करता हूं. तुम तो जानती ही हो कि इस क्षेत्र में कितनी होड़ लगी रहती है. इस के लिए पैसे तो चाहिए ही. पर पैसों से ज्यादा अहमियत है एक क्रिएटिव माइंड की और मेरे मित्र को इस के लिए मुझ पर भरोसा ही नहीं गर्व भी है. और मेरी इस खूबी का खादपानी यानी जान तुम ही हो,’’ तुम ने मेरी नाक को पकड़ कर झिंझोड़ते हुए कहा तो मुझे अपने आप पर गर्व ही नहीं हुआ मानसिक शांति भी मिली. तुम ने आगे कहना जारी रखा, ‘‘मगर तुम्हारे अंदर एक बहुत बड़ा अवगुण है, जो मुझे बहुत खटकता है.’’

‘‘क्या?’’ मेरा गला सूख गया.

‘‘आत्मविश्वास की कमी. तुम जो हो, अपनेआप को उस से कम समझती हो. मैं ने लाख कोशिश की पर तुम मन के इस भाव से उबर नहीं पा रही हो.’’

यह सब सुन कर मैं अपनेआप पर इतराने लगी थी. मुझे लग रहा था कि मैं दुनिया की ऐसी खुशकिस्मत पत्नी हूं जिस का पति उसे बहुत प्यार करता है और मानसम्मान देता है. मैं और भी लगन से तुम्हारे प्रति समर्पित हो गई.

तुम रातरात भर जागते तो मैं भी तुम्हारे रंगीन कल्पनालोक में तुम्हारे साथसाथ विचरण करती. तुम जब अपने सपनों को स्कैचेज के रूप में कागज पर रखते तो मुझे दिखाते और मेरे सुझाव मांगते तो मुझे बहुत खुशी होती और मैं अपनी बुद्धि को पैनी बनाते हुए सुझाव भी देती.

लेकिन जैसा हर कलाकार होता है, तुम भी बड़े संवेदनशील हो. अपनी छोटी सी असफलता भी तुम से बरदाश्त नहीं होती. तुम्हारी आंखों की उदासी मुझ से देखी नहीं जाती. मैं जी जान से तुम्हें खुश करने की कोशिश करती और तुम सचमुच छोटे बच्चे की तरह मेरे आगोश में आ कर अपना हर गम भूल जाते. फिर नए उत्साह और जोश के साथ नए सिरे से उस काम को करते और सफलता प्राप्त कर के ही दम लेते. तब मुझे बड़ी खुशी होती और गर्व होता अपनेआप पर. धीरेधीरे मेरा यह गर्व घमंड में बदलने लगा. मुझे पता ही नहीं चला कि कब और कैसे मैं एक अभिमानी और सिरफिरी नारी बनती गई.

मुझे लगने लगा था कि ये सारी औरतें, जो धनदौलत, रूपयौवन आदि सब कुछ रखती हैं. वे सब मेरे सामने तुच्छ हैं. उन्हें अपने पतियों का प्यार पाना या उन्हें अपने वश में रखना आता ही नहीं है. मेरा यह घमंड मेरे हावभाव और बातचीत में भी छलकने लगा था. जो लोग मुझ से बड़े प्यार और अपनेपन से मिलते थे, वे अब औपचारिकता निभाने लगे थे. उन की बातचीत में शुष्कता और बनावटीपन साफ दिखता था. मुझे गुस्सा आता. मुझे लगता कि ये औरतें जलती हैं मुझ से. खुद तो नाकाम हैं पति का प्यार पाने में और मेरी सफलता इन्हें चुभती है. इन के धनदौलत और रूपयौवन का क्या फायदा?

उसी समय हमारी जिंदगी में अनुराग आ गया, हमारे प्यार की निशानी. तब जिंदगी में जैसे एक संपूर्णता आ गई. मैं बहुत खुश तो थी पर दिल के किसी एक कोने में एक बात चुभ रही थी. कहीं प्रसव के बाद मेरा शरीर बेडौल हो गया तो? मैं सुंदरी तो नहीं थी पर मुझ में जो थोड़ाबहुत आकर्षण है, वह भी खो गया तो? पता नहीं कहां से एक असुरक्षा की भावना मेरे मन में कुलबुलाने लगी. एक बार शक या डर का बीज मन में पड़ जाता है तो वह महावृक्ष बन कर मानता है. मेरे मन में बारबार यह विचार आता कि तुम्हारा वास्ता तो सुंदरसुंदर लड़कियों से पड़ता है. तुम रोज नएनए लोगों से मिलते हो. कहीं तुम मुझ से ऊब कर दूर न हो जाओ. मैं तुम्हारे बिना अपने बारे में कुछ सोच भी नहीं सकती थी.

बिग बॉस 14: कविता कौशिक ने जब एजाज खान के मोलेस्टेश पर उठाया सवाल , फैंस ने सोशल मीडिया पर किया ट्रोल

बीते दिन बिग बॉस में कुछ ऐसा देखने और सुनने को मिला जिसके बारे में पहले आपने कभी नहीं सुना होगा. एजाज खान ने अपने की कहानी सुनाई जिसमें वह मोलेस्टेशन के शिकार हो चुके हैं.

एजाज खान बताते हैं आज भी वह उस दिन को याद करते हैं तो उनका रूहकांप कांप उठता है. इस स्टोरी को सुनने के बाद घरवालों के आंखों में भी आंसू आ गए थें.

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कविता कौशिक ने इमोशनल होकर एजाज खान को गले लगा लिया था. जिसके बाद सभी घर वाले एजाज को समझाने लगे थें.

हालांकि कुछ समय बाद ही कविता कौशिक अपने अंदाज को बदलते हुए कहा कि अगर वाकई में एजाज खान को छूने स इतन दिक्कत होती है तो वह बिग बॉस में आकर इतनी गंदी हरकत नहीं करते.

जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने एजाज खान का सपोर्ट करना शुरू कर दिया और कविता कौशिक को उल्टा सीधा कहने लगे. वहीं ट्विटर पर भी लोगों ने कविता कौशिक को ट्रोल करना शुरू कर दिया.

कुछ लोगों ने कविता कौशिक को बुरा भला सुनाते हुए कहा कि आपकी सोच इतनी गंदी है कभी सोचा नहीं था. वहीं कुछ लोगों ने एफआईआर दर्ज करने को कहा .

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लगातार कविता के खिलाफ ट्वीट आ रहे हैं. लेकिन कविता ने अभी तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है.

बीते दिन बिग बॉस में कुछ ऐसा देखने और सुनने को मिला जिसके बारे में पहले आपने कभी नहीं सुना होगा. एजाज खान ने अपने की कहानी सुनाई जिसमें वह मोलेस्टेशन के शिकार हो चुके हैं.

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एजाज खान बताते हैं आज भी वह उस दिन को याद करते हैं तो उनका रूहकांप कांप उठता है. इस स्टोरी को सुनने के बाद घरवालों के आंखों में भी आंसू आ गए थें.

कविता कौशिक ने इमोशनल होकर एजाज खान को गले लगा लिया था. जिसके बाद सभी घर वाले एजाज को समझाने लगे थें.

हालांकि कुछ समय बाद ही कविता कौशिक अपने अंदाज को बदलते हुए कहा कि अगर वाकई में एजाज खान को छूने स इतन दिक्कत होती है तो वह बिग बॉस में आकर इतनी गंदी हरकत नहीं करते.

जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने एजाज खान का सपोर्ट करना शुरू कर दिया और कविता कौशिक को उल्टा सीधा कहने लगे. वहीं ट्विटर पर भी लोगों ने कविता कौशिक को ट्रोल करना शुरू कर दिया.

कुछ लोगों ने कविता कौशिक को बुरा भला सुनाते हुए कहा कि आपकी सोच इतनी गंदी है कभी सोचा नहीं था. वहीं कुछ लोगों ने एफआईआर दर्ज करने को कहा .

लगातार कविता के खिलाफ ट्वीट आ रहे हैं. लेकिन कविता ने अभी तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है.

‘कपिल शर्मा शो’ में दिखे नेहा और रोहनप्रीत , हनीमून को लेकर कपिल ने खींची टांग

कॉमेडियन कपिल शर्मा शो का नया प्रोमो आया है जिसमें कपिल शर्मा के साथ में रोहनप्रत और नेहा कक्कड़ नजर आ रहे हैं. दरअसल, इस हफ्ते कपिल शर्मा शो में रोहनप्रीत औऱ नेहा कक्कड़ मेहमान बनकर पहुंचेगे.

प्रोमो में रोहनप्रीत और नेहा कक्कड़ प्यार कि बातें करते नजर आ रहे हैं. वहीं बीच- बच में कपिल शर्मा जमकर इन दोनों की टांग खंचाई करते नजर आ रहे हैं.

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वहीं एक जगह कपिल शर्मा कह रहे हैं कि हनीमून पर कमी रह गई तो आप लोग यहां शुरू हो गए. कपिल शर्मा क बातों को सुनकर नेहा कक्कड़ जोर- जोर से हंसने लगती हैं.

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कुछ दिनों पहले ही नेहा कक्कड़ औऱ रोहनप्रीत सिंह हनीमून से वापस आएं हैं. दोनों की शाद बेहद धूमधाम से हुई थी. नेहा और रोहन की शादी के बाद से आएं दिन सोशल मीडिया पर छाएं रहते हैं.

कभी अपने शादी के फोटो को लेकर तो कभी अपने हनीमून के फोटो को लेकर. दोनों कपल साथ में बहुत ज्यादा क्यूट लगते हैं. इन दोनों की शादी को करीब एक महीना से ज्यादा हो गया है.

कुछ दिन पहले पति रोहन से नेहा को सरप्राइज मिला था जिसका वीडियो नेहा ने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया था.

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नेहा कक्कड़ एक बेहतरीन सिंगर है. वहीं रोहनप्रीत भी पंजाबी सिंगर है. शादी से कुछ वक्त पहले से ये दोनों एक-दूसरे को जानते हैं. इससे पहले नेहा कक्कड़ का नाम हिमांश कोहली के साथ जुड़ चुका है.

हालांकि नेहा और हिमांश ज्यादा लंबे समय तक एक –दूसरे के साथ नहीं रह पाएं थे. कुछ वक्त बाद ही दोनों का ब्रेकअप हो गया था.

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