कानपुर शहर का एक घनी आबादी वाला मोहल्ला है जूही बम्हुरिया. इसी मोहल्ले के रहने वाले रामलाल के परिवार में पत्नी पार्वती के अलावा 2 बेटियां रूपा, विमला और 2 बेटे रूपेश व विमलेश थे. दोनों बेटे छोटामोटा काम कर रहे थे, जिस से रामलाल के परिवार की गुजरबसर आराम से हो रही थी.

2 साल पहले रूपा की शादी सोनू से हुई थी. सोनू ड्राइवर था. हंसीखुशी से 2 साल कब बीत गए, दोनों को पता ही नहीं चला. इन 2 सालों में रूपा एक बेटी की मां बन गई थी. बेटी के जन्म के बाद खर्चा तो बढ़ गया लेकिन आमदनी नहीं बढ़ सकी. घर में आर्थिक परेशानी होने लगी, जिस से सोनू का रूपा से झगड़ा होेने लगा. दरअसल सोनू शराब का लती था.

वह अपनी कमाई के आधे पैसे अपने खानेपीने में खर्च कर देता था. रूपा उस की आधी कमाई से जैसेतैसे करके घर का खर्च चलाती थी, जिस से दोनों में तकरार होने लगी. इसी तकरार में सोनू रूपा की पिटाई भी कर देता था.सोनू का एक दोस्त प्रदीप प्रजापति था. वह लक्ष्मीपुरवा का रहने वाला था और डिप्टी पड़ाव स्थित एक होटल में काम करता था. सोनू अकसर उसी के होटल पर खाना खाता था. वहीं पर दोनों की जानपहचान हो गई. एक शाम को प्रदीप सोनू के घर के सामने से गुजर रहा था तो सोनू ने उसे रोक लिया और चाय पी कर जाने को कहा.

प्रदीप को यही चाय पिलाना सोनू को भारी पड़ गया. सोनू की पत्नी रूपा प्रदीप चाय ले कर आई, तो उस पर नजर पड़ते ही वह उस का दीवाना हो गया. इस पहली मुलाकात में प्रदीप को रूपा का बोलनाबतियाना इतना अच्छा लगा कि वह कोई न कोई बहाना बना कर सोनू की गैरहाजिरी में उस के घर आने लगा. वह रूपा को भाभी कहता था.

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