कई मामले ऐसे होते हैं, जिन में कत्ल के बाद भी कातिल का गुस्सा लाश पर उतरता है, ऐसा ही इस मामले में भी हुआ था. उस दिन तारीख थी 15 मार्च, 2019. जगह बठिंडा के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीशकंवलजीत सिंह बाजवा की अदालत. बाजवा साहब की अदालत में उस दिन एक ऐसे अपराध का फैसला सुनाया जाना था, जिस में अपराधियों ने क्रूरता की सारी सीमाएं पार कर दी थीं. यह एक ऐसा अपराध था, जिसे सुन कर लोगों की रूह तक कांप उठी थी. अपराधियों को कानून के कटघरे तक पहुंचाने में पुलिस ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी.

आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए तत्कालीन एसएसपी स्वप्न शर्मा के आदेश पर एसपी (औपरेशन) गुरमीत सिंह और डीएसपी (देहात) कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक सर्च टीम तैयार की गई थी, जिस में एयरफोर्स के कई अधिकारियों सहित 40 जवानों, छोटेबड़े 90 पुलिसकर्मियों और 30 मजदूरों सहित एयरफोर्स के स्निफर डौग एक्सपर्ट की टीम को भी शामिल किया गया था.

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अभियोजन पक्ष ने इस मामले में कुल मिला कर 39 गवाह बनाए थे, जिन में से 3 गवाह प्रमुख थे. अभियुक्तों की ओर से इस मुकदमे की पैरवी एडवोकेट सुनील त्रिपाठी कर रहे थे, जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील हरविंदर सिंह गिल थे.

पेश मामले में गवाहों की गवाहियों के बाद दोनों पक्षों की बहस पूरी हो चुकी थी और अब जज साहब को अंतिम फैसला सुनाना था. फैसले के लिए 15 मार्च की तारीख मुकरर्र की गई थी. फैसले तक पहुंचने से पहले इस खौफनाक अपराध के बारे में जान लिया जाए तो बेहतर होगा.

8 फरवरी, 2017 की बात है. रात का खाना खाने के बाद विपिन अपनी पत्नी कुमकुम से यह कह कर घर से निकला था कि वह टहल कर आता है. रात का खाना खा कर टहलना विपिन की पुरानी आदत थी. घर का काम निपटाने के बाद कुमकुम बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी.

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विपिन मूलरूप से गांव बेनीनगर, जिला गोंडा, उत्तर प्रदेश का रहने वाला था. उस के पिता का नाम त्रिवेणी शुक्ला था. 27 साल का विपिन कई साल पहले पंजाब के जिला बठिंडा में आ कर बस गया था. वहां उसे बठिंडा एयरबेस के एयरफोर्स स्टेशन में एयरफोर्स कर्मचारियों द्वारा बनाई गई कैंटीन एयरफोर्स वाइव्ज एसोसिएशन में नौकरी मिल गई थी. इस कैंटीन में ज्यादातर एयरफोर्स के अधिकारियों की पत्नियां ही घरेलू सामान खरीदने के लिए आया करती थीं.

विपिन सुबह 9 बजे से शाम के 7 बजे तक कैंटीन में रहता था. उस के बाद घर आ क कुछ देर आराम करता था. फिर रात का खाना खा कर टहलने निकल जाता था. टहलते हुए एयरफोर्स कालोनी का एक चक्कर लगाना उस की दिनचर्या में शामिल था.

एयरफोर्स की कैंटीन में काम करने की वजह से उसे रहने के लिए एयरफोर्स कालोनी का स्टाफ क्वार्टर मिला हुआ था, जिस में वह अपनी पत्नी के साथ रहता था. उन दिनों उस के यहां गांव से उस के पिता और चाचा संतोष शुक्ला आए हुए थे. बहरहाल, बिस्तर पर लेटेलेटे कुमकुम की आंख लग गई. जब उस की नींद टूटी तब तक विपिन लौट कर नहीं आया था. घबरा कर उस ने घड़ी की ओर देखा तो उस समय रात के 12 बजने वाले थे.

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ऐसा कभी नहीं हुआ था कि विपिन ने लौटने में इतनी देर लगाई हो. वह आधे घंटे में लौट कर आ जाता था. चिंतित कुमकुम उठी और बगल वाले उस कमरे में गई, जहां विपिन के पिता और चाचा सो रहे थे. उस ने दोनों को जगा कर विपिन के घर न लौटने की बात बताई.

चिंतित हो कर वे लोग तुरंत विपिन की तलाश में निकल पड़े. उन के साथ पड़ोस के 5-7 लोग भी थे. लेकिन पूरी रात ढूंढने पर भी विपिन का कहीं पता नहीं चला. अगले दिन यानी 9 फरवरी, 2017 की सुबह कुमकुम अपने ससुर और चचिया ससुर के साथ कैंटीन पर गई, विपिन वहां भी नहीं था.

इस के बाद कुमकुम ने एयरफोर्स के अधिकारियों को विपिन के लापता होने की सूचना दी. उसी दिन उस ने बठिंडा के थाना सदर की पुलिस चौकी बल्लुआना जा कर विपिन की गुमशुदगी दर्ज करा दी. इस के बाद पुलिस और घर वाले सभी अपने स्तर पर विपिन की तलाश करते रहे. पर उस का कहीं कोई सुराग नहीं मिला.

धीरेधीरे विपिन को लापता हुए एक सप्ताह बीत गया. इस मामले में एयरफोर्स के अधिकारियों ने भी कोई विशेष काररवाई नहीं की. पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया था.

हर ओर से निराश हो कर 14 फरवरी, 2017 को कुमकुम बठिंडा के तत्कालीन एसएसपी स्वप्न शर्मा के औफिस जा कर उन से मिली और पति के लापता होने की जानकारी दे कर निवेदन किया कि उस के पति की तलाश करवाई जाए.

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एसएसपी स्वप्न शर्मा ने उसी समय फोन पर थाना सदर के थानाप्रभारी वेदप्रकाश को आदेश दिया कि मुकदमा दर्ज कर के इस मामले में तुरंत काररवाई करें. उन के निर्देश पर पुलिस चौकी बल्लुआना में नए सिरे से कुमकुम के बयान दर्ज किए गए. अपने बयान में कुमकुम ने आशंका व्यक्त की कि या तो उस के पति विपिन शुक्ला का अपहरण हुआ है या हत्या कर के लाश कहीं छिपा दी गई है.

कुमकुम के इस बयान के आधार पर पुलिस ने विपिन के अपहरण का मुकदमा दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी. पुलिस की काररवाई शुरू होने के बाद भी विपिन की गुमशुदगी को एक सप्ताह और बीत गया.

इन 15 दिनों में पुलिस और एयरफोर्स के अधिकारियों द्वारा ढंग से कोई काररवाई नहीं की गई. फलस्वरूप विपिन शुक्ला का कोई सुराग नहीं मिला. इस बीच कुमकुम एसएसपी स्वप्न शर्मा से 2-3 बार मिल कर गुहार लगा चुकी थी.

पुलिस हर तरह से विपिन शुक्ला की तलाश कर के थक चुकी थी. मुखबिरों का भी सहारा लिया गया था. लेकिन उन से भी कोई लाभ नहीं हुआ. शहर के बदनाम लोगों से भी पूछताछ की गई, पर नतीजा शून्य ही रहा.

इंसपेक्टर वेदप्रकाश पर एसएसपी स्वप्न शर्मा की ओर से काफी दबाव डाला जा रहा था. इसलिए उन्होंने नए सिरे से जांच शुरू करते हुए एयरफोर्स कालोनी के निवासियों और कैंटीन कर्मचारियों से पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्हें लगा कि विपिन की गुमशुदगी में कालोनी के ही किसी आदमी का हाथ है. उन्होंने अपने मुखबिरों को कालोनी वालों पर नजर रखने को कहा. पुलिस और मुखबिर कालोनी में सुराग ढूंढने में लग गए.

अगले दिन यानी 21 फरवरी को वेदप्रकाश ने शैलेश को पूछताछ करने के लिए थाने बुलाना चाहा तो पता चला कि बिना एयरफोर्स अधिकारियों से इजाजत लिए पूछताछ करना संभव नहीं है. इस पर अगले दिन इंसपेक्टर वेदप्रकाश ने एयरफोर्स के अधिकारियों से इजाजत ले कर सार्जेंट शैलेश से अधिकारियों के सामने पूछताछ शुरू की.

दूसरी ओर एसएसपी स्वप्न शर्मा के आदेश पर एसपी (औपरेशन) गुरमीत सिंह व डीएसपी (देहात) कुलदीप सिंह के नेतृत्व में एक सर्च टीम तैयार की गई, जिस में करीब 150 थे. इस टीम में पुलिस के अवाला एयरफोर्स के अधिकारियों और जवानों को शामिल किया गया था.

इस भारीभरकम टीम ने एयरफोर्स कालोनी में सुबह 9 बजे से सर्च अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत कालोनी के एकएक क्वार्टर की तलाशी लेनी शुरू की गई. दूसरी ओर सार्जेंट शैलेश से पूछताछ चल रही थी.

पूछताछ में शैलेश ने बताया कि अन्य लोगों की तरह उस की भी विपिन से जानपहचान थी, पर वह उस की गुमशुदगी के बारे में कुछ नहीं जानता. लेकिन थानाप्रभारी के पास कुछ ऐसी जानकारियां थीं, जिन्हें शैलेश छिपाने की कोशिश कर रहा था.

शैलेश से अभी पूछताछ चल ही रही थी कि कालोनी में सर्च अभियान चलाने वाली टीम में शामिल स्निफर डौग भौंकते हुए सार्जेंट शैलेश शर्मा के क्वार्टर में घुस गया.

स्निफर डौग के पीछेपीछे पुलिस अफसर भी घुस गए. सार्जेंट शैलेश शर्मा को भी वहीं बुला लिया गया. पूरे क्वार्टर में अजीब सी दुर्गंध फैली थी. जब विश्वास हो गया कि इस क्वार्टर में लाश जैसी कोई चीज है तो पुख्ता सबूत के लिए इलाका मजिस्ट्रैट और तहसीलदार भसीयाना (बठिंडा) को भी मौके पर बुला लिया गया.

जब सब की मौजूदगी में सार्जेंट शैलेश के क्वार्टर की तलाशी ली गई तो वहां से जो बरामद हुआ, उस की किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. वहां का लोमहर्षक दृश्य देख कर पत्थर दिल एयरफोर्स और पुलिस के जवानों के भी दिल कांप उठे.

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लापता विपिन शुक्ला की लाश के 16 टुकड़ों को काले रंग की 16 अलगअलग पौलीथिन की थैलियों में पैक कर के फ्रिज में रखा गया था. लाश के टुकड़े बरामद होते ही सार्जेंट शैलेश ने इलाका मजिस्ट्रैट, तहसीलदार, एयरफोर्स के अधिकारियों और पुलिस के वरिष्ठ अफसरों के सामने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

शैलेश ने बताया कि उस ने अपनी पत्नी अनुराधा और अपने साले शशिभूषण के साथ मिल कर विपिन शुक्ला की हत्या की थी. हत्या के बाद उस के टुकड़े कर के फ्रिज में रख दिए थे. पुलिस ने लाश के टुकड़े और फ्रिज कब्जे में ले लिया. लाश के टुकड़ों का पंचनामा कर के उन्हें पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भेज दिया गया.

अपहरण की धारा 365 के तहत दर्ज इस मुकदमे में योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या की धारा 302, 120बी और लाश को खुर्दबुर्द करने के लिए धारा 201 और जोड़ दी गईं. सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. इस हत्या का तीसरा आरोपी शशिभूषण फरार था.

उस की तलाश में पुलिस टीम उत्तराखंड भेजी गई. उसी दिन शाम को यानी 21 फरवरी, 2017 को एसपी (औपरेशन) गुरमीत सिंह ने प्रैसवार्ता कर के इस हत्याकांड के संबंध में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही दोनों गिरफ्तार अभियुक्तों शैलेश और अनुराधा को मीडिया के सामने पेश किया.

पुलिस अधिकारियों द्वारा पूछताछ करने पर सार्जेंट शैलेश और अनुराधा ने विपिन शुक्ला की गुमशुदगी से ले कर हत्या करने तक की जो कहानी बताई, वह बदनामी से बचने के लिए की गई खूनी वारदात थी.

सार्जेंट शैलेश मूलरूप से उत्तराखंड का रहने वाला था. करीब 7 साल पहले उस की शादी अनुराधा से हुई थी. उस का 5 साल का एक बेटा है. उन दिनों उस की पत्नी गर्भवती थी.

इस कहानी की शुरुआत 5 साल पहले सन 2014-15 में हुई थी. 27 साल का विपिन शुक्ला खूबसूरत युवक था. हंसीमजाक उस की आदत में शामिल था. वह एयरफोर्स वाइव्ज एसोसिएशन की कैंटीन में काम करता था.

सार्जेंट शैलेश की खूबसूरत पत्नी अनुराधा भी यहां से सामान खरीदा करती थी. एक बच्चे की मां अनुराधा काफी खूबसूरत थी. उसे देखते ही शादीशुदा विपिन अपना दिल हार बैठा था. उस ने बात को आगे बढ़ाने के लिए पहल करते हुए अनुराधा से हंसीमजाक और छेड़छाड़ शुरू कर दी.

अनुराधा ने इस का विरोध करते हुए विपिन को काफी खरीखोटी भी सुनाई. पर उस ने उस का पीछा नहीं छोड़ा. धीरेधीरे अनुराधा को विपिन की छेड़छाड़ और हंसीमजाक में आनंद आने लगा. इस से विपिन की हिम्मत बढ़ गई. पहले दोनों में प्यार का इजहार हुआ, फिर मुलाकातें शुरू हुईं.

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वक्त के साथ दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. इसी बीच अनुराधा गर्भवती हो गई और शादीशुदा होते हुए भी विपिन पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. उस का कहना था कि वह अपने पति को छोड़ देगी. वह भी अपनी पत्नी को तलाक दे दे. फिर दोनों शादी कर के साथ रहेंगे. लेकिन विपिन ने अनुराधा की यह बात मानने से इनकार कर दिया.

इस बीच शैलेश को भी अपनी पत्नी के विपिन शुक्ला के साथ अवैध संबंधों और उस के गर्भवती होने की जानकारी मिल गई थी. उस ने अनुराधा को आड़े हाथों लेते हुए खूब फटकार लगाई. इस बात को ले कर पतिपत्नी के बीच क्लेश शुरू हो गया.

रोजरोज के क्लेश से तंग आ कर शैलेश अनुराधा को अपनी ससुराल उत्तराखंड ले गया और वहां उस ने यह बात अनुराधा के मातापिता और भाई को बता दी. उन्होंने भी अनुराधा को डांटफटकार कर फौरन विपिन से संबंध खत्म करने को कहा.

शैलेश और अनुराधा कुछ दिन वहां रह कर बठिंडा लौट आए. वापस आने के बाद अनुराधा ने विपिन से बातचीत बंद कर दी. बारबार बुलाने पर भी जब अनुराधा ने विपिन से बात नहीं की तो वह उसे बदनाम करने लगा.

वह कालोनी के लोगों और कैंटीन में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को अपने और अनुराधा के संबंधों की कहानियां चटखारे लेले कर सुनाता. इस से सार्जेंट शैलेश और उस की पत्नी अनुराधा की बदनामी होने लगी. नतीजा यह हुआ कि शैलेश अपने अधिकारियों और कालोनी वालों से नजर मिलाने में कतराने लगा.

एक दिन शैलेश ने विपिन से मिल कर उसे समझाया, ‘‘देखो शैलेश, गलती चाहे किसी की भी रही हो, अब यह बात यहीं दफन कर दो. पिछली बातों को भूल कर हमें बदनाम करना बंद कर दो.’’

विपिन ने उस समय तो शैलेश की बात मान कर वादा कर लिया लेकिन वह अपनी बात पर कायम नहीं रह सका. उस की छिछोरी हरकतें जारी रहीं. विपिन जब अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और पानी सिर से गुजरने लगा तो शैलेश ने अपने साले शशिभूषण को बठिंडा बुला लिया. शशिभूषण नेवी में था. जब शशिभूषण बठिंडा आ गया तो शैलेश, अनुराधा और शशिभूषण ने रोजरोज की इस बदनामी से पीछा छुड़ाने के लिए विपिन का गला घोंट कर दफन करने की योजना बना डाली.

इस योजना पर अच्छी तरह सोचविचार कर उसे अमली जामा पहनाने के लिए सब से पहले शैलेश ने अपने अधिकारियों को अपना क्वार्टर बदलने की अरजी दी. उसे एयरफोर्स कालोनी में क्वार्टर नंबर 214/10 अलाट था. उस ने अधिकारियों को मौजूदा क्वार्टर में कुछ कमियां बता कर नया क्वार्टर अलाट करा लिया.

योजना के अनुसार, नए क्वार्टर में जाने की तारीख 8 फरवरी, 2017 तय की गई. 8 फरवरी को रात का खाना खा कर विपिन अपनी आदत के अनुसार टहलने के लिए निकला तो शैलेश उसे अपने क्वार्टर के पास ही मिल गया. विपिन को देखते ही शैलेश ने कहा, ‘‘यार, मैं तुम्हारे घर ही जा रहा था.’’

‘‘क्यों, क्या बात हो गई?’’ विपिन ने हैरानी से पूछा तो शैलेश ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम तो जानते हो कि आज मुझे क्वार्टर बदलना है. काफी सामान पैक कर चुका हूं, फिर भी कुछ सामान बचा है. तुम चल कर पैक करवा दो. उस के बाद अनुराधा के हाथ की चाय पीएंगे.’’ शैलेश ने यह बात जानबूझ कर कही थी. विपिन इस के लिए तैयार हो गया. शैलेश विपिन को ले कर अपने पुराने क्वार्टर पर पहुंचा.

सामान पैक करते हुए जब विपिन नीचे की ओर झुका, तभी उस ने पीछे से उस के सिर पर कुल्हाड़ी का भरपूर वार कर दिया. बिना चीखे ही विपिन फर्श पर ढेर हो गया. शशिभूषण ने भी उस की गरदन पर एक वार कर के सिर धड़ से अलग कर दिया.

इस के बाद तीनों ने मिल कर विपिन की लाश को एक बड़े ट्रंक में डाल कर बाहर से ताला लगा दिया और घर के अन्य सामान के साथ लाश वाला ट्रंक भी नए क्वार्टर में ले आए.

विपिन की हत्या करने के बाद शैलेश ने चैन की सांस तो ली, लेकिन उसे यह चिंता भी सताने लगी कि लाश को ठिकाने कैसे लगाया जाए. वह कुछ सोच पाता, उस के पहले ही उसे अगले दिन अपने अधिकारियों से पता चला कि विपिन रात से घर से लापता है. यह सुन कर उस ने लाश ठिकाने लगाने का इरादा त्याग दिया.

उस ने सोचा कि कुछ दिनों में मामला ठंडा हो जाएगा तो इस बारे में सोचेगा. पर विपिन की पत्नी कुमकुम के एयरफोर्स और पुलिस अधिकारियों के पास चक्कर लगाने से मामला ठंडा होने के बजाए और गरमाता गया.लाश को ठिकाने लगाना जरूरी था. फरवरी का महीना होने के कारण मौसम बदल रहा था. ज्यादा दिनों तक लाश को घर में नहीं रखा जा सकता था, इसलिए सोचविचार कर शैलेश ने 19 फरवरी को विपिन की लाश के छोटेछोटे 16 टुकड़े किए और उन्हें पौलीथिन की अलगअलग थैलियों में भर कर फ्रिज में रख दिया ताकि बदबू न फैले.

शैलेश ने सोचा था कि वह किसी रोज मौका देख कर 2-3 थैलियों को बाहर ले जा कर वीरान जगह पर फेंक देगा, जहां कुत्ते या जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे. बाकी कुछ टुकड़ों को जला देगा और कुछ को नाले या गटर में फेंक देगा. लेकिन इस के पहले ही 21 फरवरी को पुलिस ने उसे और उस की पत्नी अनुराधा को गिरफ्तार कर के उस के घर से फ्रिज में रखे लाश के 16 टुकड़े बरामद कर लिए.

थानाप्रभारी वेदप्रकाश ने अभियुक्त सार्जेंट शैलेश कुमार और अनुराधा को उसी दिन अदालत में पेश कर के 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

रिमांड अवधि में शैलेश और अनुराधा की निशानदेही पर उन के घर से हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी और मृतक विपिन शुक्ला का मोबाइल बरामद कर लिया गया.

पूछताछ और पुलिस काररवाई कर के दोनों को 23 फरवरी को अदालत में पेश किया गया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए शैलेश ने योजना तो फूलप्रूफ बनाई थी, लेकिन लाश ठिकाने लगाने में की गई देर ने उस की पोल खोल दी.

बठिंडा के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने मृतक विपिन की लाश के टुकड़ों का पोस्टमार्टम करने से इनकार करते हुए कहा था कि तकनीकी कारणों और पुख्ता सबूतों के लिए पोस्टमार्टम फरीदकोट के मैडिकल कालेज में करवाना ठीक रहेगा.

इस मामले में मृतक की पत्नी कुमकुम का आरोप है कि अगर एयरफोर्स और स्थानीय पुलिस सही समय पर काररवाई करती तो उस के पति की लाश इस तरह 16 टुकड़ों में न मिलती. विपिन की लाश 12 दिनों तक सलामत थी. इस के बाद ही हत्यारों ने उस के टुकड़े किए थे.

दोनों पक्षों की बहस और दलीलें सुनने के पश्चात इस मामले में अदालत अपना निर्णय सुनाती, उस के पहले बचावपक्ष के वकील सुनील त्रिपाठी ने अदालत से अनुरोध करते हुए इस बात का हवाला दिया था कि इस मामले की आरोपी और सहअभियुक्त अनुराधा गिरफ्तारी के समय गर्भवती थी और उस के बाद अब तक का समय उस ने बड़ी पीड़ा और कष्ट से गुजारा है. उस का एक बच्चा भी है. सो अदालत उस पर रहम करते हुए कम से कम सजा सुनाने की कृपा करे.

15 मार्च, 2019 को अपना फैसला सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश बठिंडा कंवलजीत सिंह बाजवा ने कहा, ‘‘कई बार इंसान जुर्म करते हुए दरिंदा बन जाता है. कई मामले तो ऐसे हुए हैं, जिन में कत्ल के बाद भी गुस्सा लाश पर उतर गया. कई मामलों में सबूत मिटाने के मकसद से मुर्दा जिस्मों के साथ हैवानियत दिखाई गई.

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‘‘यह मामला भी घृणित अपराध की सीमाओं को पार कर देने वाला है. इसलिए तमाम सबूतों और गवाहों के बयानों की रोशनी में यह अदालत इस केस की सहअभियुक्ता अनुराधा को 5 साल की सजा सुनाती है. जबकि शैलेश को विपिन की हत्या कर उस की लाश को खुर्दबुर्द करने के इरादे से शरीर के 16 टुकड़े करने के अपराध में सजाएमौत की सजा सुनाती है. सजा सुन कर जज साहब उठ कर अपने केबिन में चले गए थे.’’

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