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बिग बॉस 14 : राखी सावंत के नए अवतार को देखकर बुरा हुआ जैस्मिन भसीन का हाल

बिग बॉस 14 में अलग ही तरह का नाजारा देखऩे को मिल रहा है. वाइल्ड कार्ड एंट्री ली राखी सावंत अपने बेबाक अंदाज से जमकर फैंस का मनोरंजर करती नजर तो आ रही हैं लेकिन इसके साथ ही अगले एपिसोड में राखी सावंत का खतरनात रूप देखने को मिलने वाला है.

इस नए रूप को देखने के बाद फैंस भी हैरान हैं. आइए जानते हैं कैसा होगा राखी सावंत का खतरनाक लुक और क्यों नजर आ रही हैं ऐसे., दरअसल बिग बॉस शो का अपकमिंग एपिसोड का प्रोमो जारी किया गया है जिसमें राखी सावंत अजीबो गरीब हरकत करती नजर आ रही हैं.

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नए प्रोमो में राखी सावंत वॉशरूम एरिया के बाहर अंधेरे में कुछ मंत्र पढ़ती नजर आ रही हैं. उन्हें देखकर ऐशा लग रहा है मानो उनके अंदर कोई खौफनाक ताकत घुस गया हो. वहीं वॉशरूम एरिया में मौजूद जस्मिन भसीन उन्हें गौर से देख रही हैं कि राखी को हो क्या गया है.

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अगले ही पल जब जस्मिन राखी के करीब जाती हैं तो उनका चेहरा देखकर डर जाती हैं. बीती रात राहुल वैद्या ने राखी सावंत पर कमेंट करते हुए उनके मुंह को बल ढ़ोलकी बताया है.

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जिसके बाद एक और नया अवतार राखी सावंत का देखने को मिला है. वहीं अर्शी खान चिल्ला चिल्लाकर कहती हैं कि राखी सावंत एक माचिस है जो सिर्फ आग लगाना जानती हैं.

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साल 2007 में शुरू हुई टीवी सीरियल बिदाई लगभग हर घर में देखा जाता था. इसका नाम सुपरहिट सीरियल्स में लिया जाता था. इस सीरियल में अहम किरदार निभाने वाली दो कलाकार संध्या औऱ रागिनी को खूब पसंद किया जाता था.

संध्या और रागिनी दो बहने थें जो एक- दूसरे से खूब प्यार करती थीं. करीब तीन साल तक  सभी के दिलों में राज करने के बाज यानि 2010 में इस सीरियल को ऑफ एयर कर दिया गया.

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जिसके बाद से फैंल लगातार इन दोनों बहनों का कर रहे थें कि एक बार फिर ये दोनों साथ में नजर आएं लेकिन इतने लंबे वक्त के बाद यह इंतजार अब पूरा होने जा रहा है.

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जल्द ही रागिनी औऱ संध्या एक साथ नजर आने वाली हैं. इस बात को जानने के बाद फैंस बेहद खुश हैं. कुछ समय पहले ही यह खबर आई है कि पारुल चौहान और सारा अली खआन एक साथ नजर आने वाली हैं. ये दोनों बहने एक साथ स्क्रिन शेयर करती हुई नजर आएंगी.

 

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वहीं कुछ दिनों पहले सारा अली खान ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरे शेयर कि थी जिसमें वह पारुल चौहान के साथ पोज देती नजर आ रही हैं.

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दरअसल, सारा खान एक इवेंट में हिस्सा लेने गुरुग्राम पहुंची थी जहां वह पारुल चौहान से टकरा गई थी जिसके बाद दोनों ने साथ बैठकर पुराने दिन को याद किया औऱ बहुत सारे फोटोज क्लिक करवाएं.

पारुल चौहाल और सारा अली खान को एक साथ देखने के बाद फैंस खुशी से झूम उठे हैं. यही वजह है कि विदाई सिस्टर्स सारा अली खान और पारुल चौहान की तस्वीर वायरल हो रही है  सोशल मीडिया पर.

गाजरघास की बनाएं खाद

ज्यादा फसल लेने के चक्कर में कैमिकल खादों का ज्यादा इस्तेमाल करने से इनसान की सेहत व आबोहवा पर होने वाला असर किसी से छिपा नहीं है. उस से मिट्टी की उर्वरा कूवत में भी लगातार गिरावट आती जा रही है. कैमिकल खादों का आबोहवा व इनसान पर होने वाला असर देखते हुए जैविक खादों का महत्त्व बढ़ रहा है. ऐसे में गाजरघास से जैविक खाद बना कर हम आबोहवा को महफूज करते हुए इसे आमदनी का जरीया भी बना सकते हैं, लेकिन किसान ऐसा करने से डरते हैं.

क्यों डरते हैं किसान : सर्वे में पाया गया है कि किसान गाजरघास से कंपोस्ट खाद बनाने में इसलिए डरते हैं कि अगर गाजरघास कंपोस्ट का इस्तेमाल करेंगे तो खेतों में और ज्यादा गाजरघास हो जाएगी.

दरअसल हुआ यह कि कुछ किसानों से जब गाजरघास से अवैज्ञानिक तरीके से कंपोस्ट खाद बना कर इस्तेमाल की गई, तो उन के खेतों में ज्यादा गाजरघास हो गई. इस में हुआ यह कि इन किसानों ने फूलों सहित गाजरघास से नाडेप तकनीक द्वारा कंपोस्ट खाद बना कर इस्तेमाल की. इस से उन के खेतों में ज्यादा गाजरघास हो गई.

इस के अलावा उन गांवों में, जहां गोबर से खाद खुले हुए टांकों यानी गड्ढों में बनाते हैं, जब फूलों सहित गाजरघास को खुले गड्ढों में गोबर के साथ डाला गया तो भी इस खाद का इस्तेमाल करने पर खेतों में ज्यादा गाजरघास हो गई.

कृषि वैज्ञानिकों ने अपने तजरबों में पाया कि नाडेप तकनीक द्वारा खुले गड्ढों में फूलों सहित गाजरघास से खाद बनाने पर इस के छोटे बीज खत्म नहीं हो पाते हैं. एक तजरबे में नाडेप तकनीक द्वारा गाजरघास से बनी हुई केवल

300 ग्राम खाद में ही 350-500 गाजरघास के पौधे अंकुरित होते हुए पाए गए. यही वजह है कि किसान गाजर घास से कंपोस्ट बनाने में डरते हैं. पर, अगर वैज्ञानिक तकनीक से गाजरघास से कंपोस्ट बनाई जाए तो यह एक महफूज कंपोस्ट खाद है.

खाद बनाने का तरीका : वैज्ञानिकों द्वारा हमेशा यही सलाह दी जाती है कि कंपोस्ट बनाने के लिए गाजरघास को फूल आने से पहले उखाड़ लेना चाहिए. बिना फूल वाली गाजरघास का कंपोस्ट खाद बनाने में इस्तेमाल बिना किसी डर के नाडेप तकनीक या खुला गड्ढा तकनीक द्वारा किया जा सकता है.

गाजरघास के सर्दीगरमी के प्रति असंवेदनशील बीजों में सुषुप्तावस्था न होने की वजह से एक ही समय में फूल वाले और बिना फूल के गाजरघास के पौधे खेतों में पैदा होते हैं.

निराईगुड़ाई करते समय फूल वाले पौधों को उखाड़ना भी जरूरी हो जाता है. फिर भी किसानों को गाजरघास को कंपोस्ट बनाने में इस्तेमाल करने के लिए यह कोशिश करनी चाहिए कि वे उसे ऐसे समय उखाड़ें, जब फूलों की मात्रा कम हो. जितनी छोटी अवस्था में गाजरघास को उखाड़ेंगे, उतनी ही ज्यादा अच्छी कंपोस्ट खाद बनेगी और उतनी ही फसल की उत्पादकता बढ़ेगी.

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ऐसे बनाएं खाद : अपने खेत में थोड़ी ऊंचाई वाली जगह पर, जहां पानी जमा न हो,  3×6×10 फुट (गहराई × चौड़ाई × लंबाई) आकार का गड्ढा बना लें. अपनी सहूलियत और खेत में गाजरघास की मात्रा के मुताबिक लंबाईचौड़ाई कम कर सकते हैं, लेकिन गहराई 3 फुट से कम नहीं होनी पाएंगे.

*     अगर मुमकिन हो सके तो गड्ढे की सतह और साइड की दीवारों पर पत्थर की चीपें इस तरह लगाएं कि कच्ची जमीन का गड्ढा एक पक्का टांका बन जाए. इस का फायदा यह होगा कि कंपोस्ट के पोषक तत्त्व गड्ढे की जमीन नहीं सोख पाएगी.

*     अगर चीपों का इंतजाम न हो पाए, तो गड्ढे के फर्श और दीवार की सतह को मुगदर से अच्छी तरह पीट कर समतल कर लें.

*     खेतों की फसलों के बीच से, मेंड़ों और आसपास की जगहों से गाजरघास को जड़ के साथ उखाड़ कर गड्ढे के पास इकट्ठा कर लें.

*     गड्ढे के पास ही 75 से 100 किलोग्राम कच्चा गोबर,  5-10 किलोग्राम यूरिया या रौक फास्फेट की बोरी, 1 या 2 क्विंटल भुरभुरी मिट्टी और एक पानी के ड्रम का इंतजाम कर लें.

*     तकरीबन 50 किलोग्राम गाजरघास को गड्ढे की पूरी लंबाईचौड़ाई में सतह पर फैला लें.

*    5-7 किलोग्राम गोबर को 20 लिटर पानी में घोल बना कर उस का गाजरघास की परत पर छिड़काव करें.

*  इस के ऊपर 500 ग्राम यूरिया या 3 किलोग्राम रौक फास्फेट का छिड़काव करें.

* ट्राइकोडर्मा विरिडि या ट्राइकोडर्मा हार्जीनिया नामक कवक के कल्चर पाउडर को 50 ग्राम प्रति परत के हिसाब से डाल दें. इस कवक कल्चर को डालने से गाजरघास के बड़े पौधों का अपघटन भी तेजी से हो जाता है और कंपोस्ट जल्दी बनती है.

*   इन सब मिलाए हुए अवयवों को एक परत या लेयर मान लें.

*  इसी तरह एक परत के ऊपर दूसरी, तीसरी और अन्य परत तब तक बनाते जाएं, जब तक गड्ढा ऊपरी सतह से एक फुट ऊपर तक न भर जाए. ऊपरी सतह की परत इस तरह दबाएं कि सतह गुंबद के आकार की हो जाए. परत जमाते समय गाजरघास को अच्छी तरह दबाते रहना चाहिए.

*     यहां पर गाजरघास को जड़ से उखाड़ कर परत बनाने को कहा गया है. जड़ से उखाड़ते समय जड़ों के साथ ही काफी मिट्टी आ जाती है. अगर आप महसूस करते हैं कि जड़ों में मिट्टी ज्यादा है, तो 10-12 किलोग्राम भुरभुरी मिट्टी प्रति परत की दर से डालनी चाहिए.

*     अब इस तरह भरे गड्ढे को गोबर, मिट्टी, भूसा वगैरह के मिश्रण से अच्छी तरह बंद कर दें. 5-6 महीने बाद गड्ढा खोलने पर अच्छी खाद हासिल होती है.

*     यहां बताए गए गड्ढे में 37 से  42 क्विंटल ताजा उखाड़ी गाजरघास आ जाती है, जिस से 37 से 45 फीसदी तक कंपोस्ट हासिल हो जाती है.

कंपोस्ट की छनाई : 5-6 महीने बाद भी गड्ढे से कंपोस्ट निकालने पर आप को महसूस हो सकता है कि बड़े व मोटे तनों वाली गाजरघास अच्छी तरह से गली नहीं है, पर वास्तव में वह गल चुकी होती है. इस कंपोस्ट को गड्ढे से बाहर निकाल कर छायादार जगह में फैला कर सुखा लें.

हवा लगते ही नम व गीली कंपोस्ट जल्दी सूखने लगती है. थोड़ा सूख जाने पर इस का ढेर बना लें. अगर अभी भी गाजरघास के रेशे वाले तने मिलते हैं, तो इस के ढेर को लाठी या मुगदर से पीट दें. जिन किसानों के पास बैल या ट्रैक्टर हैं, वे उन्हें इस के ढेर पर थोड़ी देर चला दें. ऐसा करने पर घास के मोटे रेशे व तने टूट कर बारीक हो जाएंगे, जिस से और ज्यादा कंपोस्ट हासिल होगी.

इस कंपोस्ट को 2-2 सैंटीमीटर छेद वाली जाली से छान लेना चाहिए. जाली के ऊपर बचे ठूंठों के कचरे को अलग कर देना चाहिए. खुद के इस्तेमाल के लिए बनाए कंपोस्ट को बिना छाने भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह हासिल हुई कंपोस्ट को छाया में सुखा कर प्लास्टिक, जूट के बड़े या छोटे थैलों में भर कर पैकिंग कर दें.

पोषक तत्त्व : कृषि वैज्ञानिकों ने अपने तजरबों में यह पाया है कि गाजरघास से बनी कंपोस्ट में पोषक तत्त्वों की मात्रा गोबर खाद से दोगुनी और केंचुआ खाद के बराबर होती है. इसलिए गाजरघास से कंपोस्ट बनाना उन का एक अच्छा विकल्प है.

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इन बातों पर दें खास ध्यान

*     गड्ढा छायादार, ऊंची और खुली हवा वाली जगह में, जहां पानी का भी इंतजाम हो, बनाएं.

*     गाजरघास को हर हाल में फूल आने से पहले ही उखाड़ना चाहिए. उस समय पत्तियां ज्यादा होती हैं और तने कम रेशे वाले होते हैं. खाद का उत्पादन ज्यादा होता है और खाद जल्दी बन जाती है.

*     गड्ढे को अच्छी तरह से मिट्टी, गोबर व भूसे के मिश्रण के लेप से बंद करें. अच्छी तरह बंद न होने पर ऊपरी परतों में गाजरघास के बीज मर नहीं पाएंगे.

*     एक महीने बाद जरूरत के मुताबिक गड्ढे पर पानी का छिड़काव करते रहें. ज्यादा सूखा महसूस होने पर ऊपरी परत पर सब्बल वगैरह की मदद से छेद कर पानी अंदर भी डाल दें. पानी डालने के बाद छेदों को बंद कर देना चाहिए.

Crime Story: मौत जो बन गई पहेली

6जनवरी 2020 को रात करीब 10 बजे का वक्त था. ग्रेटर नोएडा के गौर सिटी एवेन्यू-5 में रहने
वाले 40 साल के वर्किंग प्रोफेशनल गौरव चंदेल गुरुग्राम स्थित अपने दफ्तर से नोएडा एक्सटेंशन में स्थित अपने घर लौट रहे थे. रास्ते में चंदेल ने अपनी पत्नी प्रीति को फोन कर के कहा कि वह रात 10 बजे तक घर पहुंच जाएंगे. लेकिन वे दिल्ली एनसीआर के हमेशा रहने वाले जाम के कारण जब समय पर घर नहीं पहुंचे तो आदतन उन की पत्नी प्रीति ने रात करीब साढ़े 10 बजे फिर से गौरव चंदेल को फोन कर के पूछा कि वह घर कब तक पहुंचेंगे.

ज्यादा बात तो नहीं हो सकी लेकिन गौरव ने पत्नी को इतना जरूर बताया कि वह पर्थला चौक पर हैं और थोड़ी देर में घर पहुंच जाएंगे. पूछने पर उन्होंने पत्नी को इतना ही बताया था कि वह इस वक्त अपनी गाड़ी के पेपर चैक करा रहे हैं. इस के बाद गौरव ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया. लेकिन उस के पहले प्रीति ने फोन पर दूसरी तरफ से स्पष्ट सुना था. गौरव से कोई कह रहा था कि कार सड़क किनारे ले लो. प्रीति को लगा कि शायद पुलिस वाले होंगे जो चैकिंग कर रहे होंगे.

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पर्थला चौक से चंदेल का घर महज 4 किलोमीटर ही रह गया था. कायदे से अगले 10 या 15 मिनट में गौरव चंदेल को अपने घर पर होना चाहिए था. लेकिन काफी वक्त गुजर जाने के बाद भी वह अपने घर नहीं पहुंचे.आमतौर पर जब भी काम से फुरसत होती, गौरव अपनी पत्नी से फोन पर बातें किया करते थे. इस रोज भी दफ्तर से रवाना होने से पहले उन्होंने प्रीति को फोन किया था. इस हिसाब से गौरव को रात करीब 10 बजे तक गुरुग्राम से नोएडा एक्सटेंशन के अपने फ्लैट पर पहुंच जाना चाहिए था. गौरव चंदेल गुरुग्राम के उद्योग विहार स्थित सर्जिकल इक्विपमेंट बनाने वाली 3एम इंडिया लिमिटेड कंपनी में रीजनल मैनेजर थे.

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गौरव चंदेल ने पत्नी से फोन पर जो कहा था, उस के हिसाब से गौरव को कम से कम अगले आधे घंटे यानी रात पौने 11 या 11 बजे तक घर पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन जब 40-45 मिनट गुजर जाने के बाद भी गौरव घर नहीं पहुंचे तो प्रीति की बेचैनी बढ़ने लगी.अब उस ने गौरव को एक के बाद एक कई फोन किए. घंटी बजती रही लेकिन गौरव ने फोन नहीं उठाया. प्रीति को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अपनी गाड़ी के कागज चैक करवा रहे गौरव के साथ बीच रास्ते में ऐसा क्या हुआ कि वह न तो घर लौटे और न ही फोन उठा रहे हैं. ये हालत प्रीति ही नहीं, बल्कि पूरे चंदेल परिवार और रिश्तेदारों को बेचैन करने के लिए काफी थे.

लिहाजा प्रीति ने अब अपने पड़ोसियों से बात की और फोन पर ही कुछ और देर तक गौरव का पता लगाने की कोशिश चलती रही. लेकिन जब सारी कोशिशें नाकाम हो गईं तो उस ने आसपड़ोस में रहने वाले लोगों को बुलाया और सभी लोग सीधे बिसरख पुलिस स्टेशन पहुंचे.

थाने में उन के साथ वैसा ही हुआ जैसा कि आमतौर पर पुलिस थानों में होता है, बिसरख थाने के पुलिस वालों ने परेशान चंदेल परिवार को बहुत ठंडा रिस्पौंस दिया और ये समझाने की कोशिश की कि गौरव अपनी मरजी से कहीं चले गए होंगे और खुद ही वापस लौट आएंगे.चूंकि गौरव की पत्नी प्रीति को पूरे सीक्वेंस यानी घटनाक्रम का पता था तो वह पुलिस की बात मानने को तैयार नहीं हुई. ऐसे में जिद करने पर बिसरख के पुलिस वालों ने चंदेल परिवार को पहले थाना फेस-3 फिर चेरी काउंटी पुलिस चौकी और तब गौड़ सिटी पुलिस चौकी के लिए टरका किया.

परिवार के लोग पड़ोसियों के साथ इस चौकी से उस चौकी तक भटकते रहे, लेकिन हर जगह उन्हें वहां तैनात पुलिस वालों ने यह कह कर टरका दिया कि ये हमारे क्षेत्र का मामला नहीं है.इस तरह गौरव के परिवार वाले रात भर थाने और पुलिस चौकी में ढूंढते और पुलिस से फरियाद करते रहे. आधी रात बीत जाने के बाद परिवार के लोग फिर से बिसरख थाने पहुंचे. जहां इस बार उन्हें बिसरख थानाप्रभारी मनोज पाठक मिले.

पाठक को जब सारी बात पता चली तो उन्होंने गौरव की गुमशुदगी दर्ज करवा कर उन के फोन की लोकेशन ट्रेस करने के लिए उसी समय कुछ पुलिसकर्मियों को काम पर लगा दिया. कुछ ही देर में बिसरख पुलिस को पता चल गया कि गौरव के मोबाइल फोन की लोकेशन एक्टिव थी.पुलिस को नोएडा एक्सटेंशन के ही रोजा जलालपुर और हैबतपुर जैसे गांवों का पता चला जहां गौरव के मोबाइल फोन की लोकेशन नजर आ रही थी. परिजनों ने राहत की सांस ली. उन्हें लगा कि गौरव कुशल से है, लिहाजा परिवार तथा पड़ोस के लोगों ने पुलिस पर दबाव बनाया कि वह इन जगहों पर चल कर गौरव को तलाशने के लिए उन के साथ चले.

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पुलिस को जिन मामलों में अपना कोई फायदा नजर नहीं आता, उन में वह बहुत मेहनत नहीं करना चाहती. लिहाजा पुलिस अनमने ढंग से चंदेल परिवार के साथ गौरव को ढूंढने के लिए गई. लेकिन रात के अंतिम पहर में इधरउधर भटकने के अलावा उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली.घर वाले खुद गौरव की तलाश में जुट गए. घर वालों ने पड़ोसियों के साथ मिल कर एक बार फिर पर्थला गोल चक्कर से गौड़ सिटी तक गौरव को ढूंढने का काम शुरू किया. क्योंकि गौरव को इसी रूट से अपने घर आना था और आखिरी बार उस की अपनी बीवी प्रीति से पर्थला चौक पर ही फोन पर बात हुई थी. इसी तमाम भागदौड में सुबह के करीब साढ़े 4 बज गए थे.

चंदेल परिवार से जुड़े लोगों की गाड़ी पर्थला चौक से गौड़ चौक की तरफ सर्विस लेन पर चल रही थी.
तभी उन्हें हिंडन पुलिया से पहले एक क्रिकेट ग्राउंड के पास कोई जमीन पर पड़ा नजर आया.बेचैन घर वालों ने अंधेरे में उस शख्स को टटोलने की कोशिश की, लेकिन करीब पहुंचते ही सब के पैरों तले जमीन खिसक गई. क्योंकि ये गौरव ही थे, जो औंधे मुंह जमीन पर पड़े थे और उन के सिर से खून निकल रहा था. यहां तक की सांसें भी थम चुकी थीं.

प्रीति ने पति को इस हाल में देखा तो उस के जान हलक में आ गई और वह छाती पीट कर रोने लगी. लेकिन परिवार के कुछ लोगों को फिर भी करिश्मे की उम्मीद थी, लिहाजा वे सब फौरन गौरव को नजदीक के अस्पताल ले कर गए लेकिन वहां पहुंचते ही चिकित्सकों ने बताया कि उन की सांसें थम चुकी हैं.
गौरव की मौत की खबर पूरे चंदेल परिवार पर बिजली बन कर गिरी. रात भर गौरव को तलाशते रहे घर वालों को अब ये समझ नहीं आ रहा था कि वे करें तो क्या करें, क्योंकि गौरव तो मिल चुका था मगर जिंदा नहीं मुर्दा.

कुछ परिजनों ने खुद को संयत किया और तत्काल गौरव चंदेल की हत्या की सूचना बिसरख पुलिस को दी. जैसे ही बिसरख थानाप्रभारी मनोज पाठक को गौरव चंदेल की हत्या और उन का शव मिलने की सूचना मिली. वे आननफानन में अपने आला अधिकारियों को इस की सूचना दे कर सहयोगियों को ले कर उस निजी अस्पताल में पहुंचे, जहां परिजन गौरव चंदेल को ले कर गए थे.

पाठक ने अस्पताल जा कर परिजनों से पूछताछ कर के जानकारी हासिल की. उन्होंने पुलिस की एक टीम को मौके पर ही आगे की काररवाई करने के लिए छोड़ दिया और खुद एक टीम ले कर परिवार के कुछ सदस्यों को ले कर उस जगह पहुंच गए, जहां गौरव चंदेल की लाश मिली थी.घटनास्थल पर इलाके के सीओ और क्राइम टीम के लोग भी पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल की फोटोग्राफी और रिकौर्डिंग करवाई ताकि अपराधियों तक पहुंचने का कोई सुराग मिल सके. लेकिन पुलिस को कोई ऐसी चीज हाथ नहीं लगी, जिस से कामयाबी मिलती. सवाल यह था कि अगर गौरव चंदेल की लाश वहां थी तो उन की कार
कहां गई.

इसी सवाल का जवाब पाने के लिए पुलिस की कुछ टीमों को आसपास के इलाकों में दौड़ाया गया. एक बात साफ हो रही थी कि गौरव चंदेल की हत्या ऐसे लोगों ने की थी, जिन का मकसद लूटपाट करना रहा होगा.  बहरहाल, पुलिस ने गौरव चंदेल की गुमशुदगी को अपराध संख्या 17 पर भारतीय दंड संहिता में लूटपाट की नीयत से हुई हत्या का मामला दर्ज कर लिया.इस की जांच का काम इंसपेक्टर मनोज पाठक को सौंप दिया गया. इधर, गौरव चंदेल की रहस्यमय ढंग से हुई गुमशुदगी और उन का शव बरामद की जानकारी मीडिया को भी लग चुकी थी. लिहाजा मीडिया ने पुलिस के खिलाफ अगले ही दिन से गौरव चंदेल हत्याकांड में बरती लापरवाही को ले कर परतें उधेड़नी शुरू कर दीं.

इधर उच्चाधिकारियों ने मामले के तूल पकड़ने पर न सिर्फ एसटीएफ को इस मामले का खुलासा करने की जिम्मेदारी सौंप दी बल्कि बिसरख पुलिस से एसएसपी ने जवाबतलब भी कर लिया कि किन परिस्थितियों में पुलिस ने लापरवाही बरती.इधर पुलिस जांच आगे बढ़ती रही, उधर वक्त बीतने के साथ पुलिस के खिलाफ लोगों का गुबार सामने आता रहा. नोएडा में गौरव चंदेल के परिवार को न्याय दिलाने के लिए लोग सडकों पर उतर आए. कैंडल मार्च से ले कर पुलिस के खिलाफ विरोध प्रर्दशन शुरू हो गए.
परेशानी यह थी कि गौरव अपने परिवार का एकलौता सहारा थे. परिवार में उन की वृद्ध मां और पत्नी प्रीति के अलावा 14 साल का एक बेटा ही था. दूर के कुछ रिश्तेदार जो नोएडा या आसपास के इलाकों में रहते थे, वे ही मामले का खुलासा कराने के लिए पुलिस के पास भागदौड़ कर रहे थे.

कानून व्यवस्था को ले कर जब सवाल खड़े होते हैं तो उस पर सियासत भी शुरू हो जाती है. सरकार और पुलिस के खिलाफ विपक्षी राजनीतिक दलों ने भी सवाल खड़े करने शुरू किए तो लखनऊ से सरकार ने भी नोएडा पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया.पुलिस भी अब तक की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी थी. सवाल यह था कि गौरव चंदेल के मोबाइल पर आखिरी काल रात करीब साढ़े 10 बजे पत्नी की आई थी. तब चंदेल की लोकेशन पर्थला चौक थी.

इस के बाद अगले कुछ घंटों में चंदेल का मोबाइल 3 अलगअलग लोकेशन बता रहा था. पर्थला चौक के बाद दूसरी लोकेशन हैबतपुर थी. हैबतपुर पर्थला चौक से करीब साढ़े 3 किलोमीटर दूर है. लेकिन हैबतपुर चंदेल के घर के रूट पर नहीं पड़ता तो चंदेल उधर क्यों गया था. कहीं ऐसा तो नहीं उसे जबरन ले जाया गया?हैबतपुर के बाद चंदेल की दूसरी लोकेशन करीब 9 किलोमीटर दूर रोजा जलालपुर की थी. रोजा जलालपुर के बाद चंदेल के मोबाइल ने जिस आखिरी लोकेशन का पता दिया, वह थी सैदुल्लापुर. रोजा जलालपुर से करीब ढाई किलोमीटर आगे. ये तीनों ही लोकेशन मेनरोड से हट कर कच्ची सड़कों की थीं और चंदेल के घर के रूट पर तो बिलकुल भी नहीं.

इन 3 लोकेशन के बाद 7 जनवरी की सुबह खुद चंदेल की लाश जिस हिंडन नदी के किनारे मिली, वह इन तीनों लोकेशन से अलग थी. इस से साफ था कि गौरव चंदेल के साथ किसी कार जैकर गिरोह ने वारदात की थी.यह अनुमान इसलिए भी लगाया जा रहा था कि अभी तक न तो गौरव चंदेल की कार मिली थी और न ही उस में रखा लैपटौप और मोबाइल आदि बरामद हुए थे. गौरव चंदेल का मोबाइल भी आखिरी लोकेशन मिलने के बाद से लगातार बंद चल रहा था.

चूंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि गौरव चंदेल के सिर में 2 गोलियां मारी गई थीं. आमतौर पर इस तरह की वारदात को लूटपाट करने वाले गिरोह ही अंजाम देते हैं. इसलिए नोएडा पुलिस ने अब सारा फोकस आसपास के इलाकों में सक्रिय उन गिरोह पर कर दिया जो कार जैकिंग और लूटपाट की वारदातों को अंजाम देते हैं.पुलिस की सब से बड़ी परेशानी कत्ल के साथसाथ कातिल की पहचान को ले कर भी थी. क्योंकि चंदेल की पत्नी प्रीति के मुताबिक आखिरी बातचीत के दौरान चंदेल अपनी गाड़ी के कागजात दिखा रहे थे. अब कागजात पुलिस वाले ही चैक करते हैं. तो क्या चंदेल की आखिरी मुलाकात पुलिसवालों से ही हुई थी? या फिर पुलिस के वेश में लुटेरे थे?

पुलिस सोच रही थी कि ये काम लुटेरों के अलावा किसी और का भी हो सकता है. चंदेल के किसी दुश्मन का तो ये काम नहीं था. इस बिंदु पर भी जांच हुई, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा.अब सवाल ये भी था कि आखिर गौरव की ब्रैंड न्यू सेल्टोस कार कहां है? 2 मोबाइल, लैपटौप और दूसरी कीमती चीजें भी गायब थीं. तो क्या ये मामला लूट और उस के लिए हुए कत्ल का है.

अब तक की जांच में पुलिस के सामने खुलासा हुआ था कि गुरुग्राम की एक कंपनी में रीजनल मैनेजर का काम करने वाले गौरव खुशमिजाज इंसान थे. उन्हें कारों से बड़ा लगाव था और शायद यही वजह थी कि गौरव ने अपनेलिए बमुश्किल महीने भर पहले हाल ही में लौंच हुई किया सेल्टोस कार खरीदी थी.
कार खरीदने के दौरान शोरूम में खिंचवाई गई गौरव की तसवीर उस की खुशी और जिंदगी को ले कर उस की उम्मीदों की गवाह बन कर रह गई है. लेकिन इसी गौरव के साथ 6 और 7 जनवरी की दरमियानी रात को जो कुछ हुआ वो भी मानो एक पहेली बन कर रह गया.

गौरव चंदेल की हत्या में पुलिस की भूमिका को ले कर सवार यूं ही नहीं उठ रहे थे. अगर वारदात की रात सचमुच ग्रेटर नोएडा पुलिस की कार्यशैली पर गौर करें, तो सामने आ रहा था कि गौरव की जिंदगी बचाने के लिए पुलिस ने उस रात वह नहीं किया, जो उसे करना चाहिए था.बल्कि सच्चाई तो यह है कि मोबाइल फोन की लोकेशन निकाल लेने के बावजूद सीमा विवाद में उलझी ग्रेटर नोएडा की पुलिस उसे ढूंढने के बजाय टोपी ट्रांसफर करने के खेल में उलझी रही और यही वजह रही कि नोएडा के आखिरी एसएसपी वैभवकृष्ण ने बिसरख थाने के एसएचओ से इस सिलसिले में जवाबतलब किया था.

पुलिस की कई टीमें गौरव चंदेल हत्याकांड के आरोपियों तक पहुंचने के लिए लगातार काम कर रही थीं. पुलिस टीमें चंदेल की कार के अलावा उस के मोबाइल फोन को लगातार ट्रैक किया जा रहा था.

इसी दौरान 15 जनवरी को अचानक सर्विलांस टीम को गौरव चंदेल का एक मोबाइल फोन एक्टिव होने का पता चला. पुलिस टीमों ने उसी रात मोबाइल की लोकेशन के आधार पर मजदूरी करने वाले एक शख्स को हिरासत में ले लिया और उस से पूछताछ की जाने लगी.पूछताछ करने पर पता चला कि वह शख्स एक फैक्ट्री में काम करने वाला मामूली सा मजदूर था. 7 जनवरी को उसे गौरव चंदेल का मोबाइल फोन लावारिस अवस्था में उस स्थान से थोड़ी दूर झाडि़यों में पड़ा मिला था, जहां गौरव चंदेल की लाश मिली थी. रामकुमार नाम के इस राहगीर ने लावारिस पड़े इस मोबाइल को अपने पास रख लिया.

1 सप्ताह अपने पास रखने के बाद रामकुमार ने इस मोबाइल को 15 जनवरी की सुबह जैसे ही अपना नंबर डाल कर फोन किया, बिसरख पुलिस ने उसे दबोच लिया. पुलिस ने हर बिंदु पर इस बात की पुष्टि कर ली कि रामकुमार का संबंध किसी गैंग या अपराधी गिरोह से नहीं है.पूरी संतुष्टि होने के बाद पुलिस ने उसे रिहा तो कर दिया लेकिन न सिर्फ उस की निगरानी शुरू कर दी, बल्कि उसे यह भी ताकीद कर दिया कि पुलिस को जब भी उस की जरूरत पड़ेगी, वह पूछताछ के लिए थाने में हाजिर होगा.

मोबाइल फोन की इस बरामदगी से पुलिस को गौरव  चंदेल हत्याकांड की गुत्थी सुलझने की उम्मीद बढ़ गई थी. पुलिस चंदेल के मोबाइल की काल डिटेल्स खंगाल ही रही थी कि इसी दौरान पड़ोसी जनपद गाजियाबाद पुलिस की मसूरी थाना पुलिस को गौरव चंदेल की किया सेल्टोस कार लावारिस अवस्था में बरामद हो गई.

मसूरी पुलिस ने 16 जनवरी को ग्रेटर नोएडा से लगभग 40 किलोमीटर दूर गाजियाबाद के मसूरी की आकाश नगर कालोनी से कार लावारिस हालत में बरामद की थी. बरामदगी के वक्त कार लौक्ड थी.
गौरव चंदेल की कार किया सेल्टोस नंबर यूपी16सी एल0133 को कब्जे में ले कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी. पुलिस ने कार की फोरैंसिक जांच भी शुरू करवा दी.

हालांकि बरामद की गई कार पर नंबर प्लेट नहीं लगी हुई थी. दरअसल हत्यारों ने गाड़ी की पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट तोड़ डाली थी, लेकिन कार के शीशे पर लगे गेट पास से कार के चंदेल की होने की पुष्टि हो गई.आकाश नगर में  जिस मकान के बाहर यह कार खड़ी हुई थी, उस के आसपास सीसीटीवी कैमरे लगे थे. जब उन्हें खंगाला गया तो पुलिस को उस में कार को खड़ा करने वाले नजर आ गए. सीसीटीवी में दिख रहे लोगों की पहचान करने की कोशिश की गई मगर तसवीरें इतनी धुंधली थीं कि उन की पहचान नहीं हो सकी.

फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट की टीम ने गाड़ी की जांच की, मगर उस से कोई मदद नहीं मिली. अलबत्ता गौरव चंदेल का लैपटौप बैग, आईडी, मोबाइल व दूसरे सामान कार में नहीं मिले.इस मामले में नया ट्विस्ट तब आया, जब 3 दिन बाद मसूरी थाना पुलिस ने ही आकाश नगर इलाके में गौरव चंदेल की कार से करीब एक किलोमीटर दूर चिराग अग्रवाल नाम के एक कारोबारी की टियागो कार को बरामद किया. उस कार की नंबर प्लेट बदली गई थी, लेकिन कार पर लगे स्टिकर से कार के सही नंबर का पता चल गया.चिराग अग्रवाल की टियागो कार मिलने के बाद यह बात साफ हो गई कि इस इलाके में सक्रिय कोई गिरोह है, जिस ने इन वारदातों को अंजाम दिया है. नोएडा और गाजियाबाद पुलिस के साथ यूपी एसटीएफ की टीम इलाके के बदमाशों और सक्रिय गैंगों की कुंडली खंगालने लगी. पुलिस की जांच मसूरी इलाके में सक्रिय मिर्ची गैंग पर आ कर ठहर गई.

एसटीएफ ने मिर्ची गैंग की फाइलें खंगालीं तो पता चला कि इस गिरोह का सरगना आशु जाट है. गैंग में कई और गुर्गे भी हैं जिन में से ज्यादातर का ताल्लुक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर इलाके से है. ये गैंग दिल्ली के अलावा एनसीआर में वारदात को अंजाम दे कर वापस अपनेअपने इलाकों में लौट आता है.
यही वजह है कि पुलिस या तो इन तक पहुंच नहीं पाती या फिर उसे इन तक पहुंचने में काफी वक्त लग जाता है. इन का यानी वारदात को अंजाम देने का तरीका यह है कि ये या तो किराए की गाड़ी या आटो से किसी मौल या पौश इलाकों में घूम कर पहले रेकी करते हैं और फिर जैसे ही इन्हें कोई अकेला आदमी नजर आता है ये उसे टारगेट करते हैं.

वारदात को अंजाम देने वाला ये गैंग लाल मिर्च का पाउडर ले कर चलता है. किसी बहाने से बात की शुरुआत करने की कोशिश करते हैं. और जैसे ही कोई इन के जाल में वह फंस जाता है तो ये उस की आंखों में लाल मिर्च झोंक देते हैं. फिर उसे या तो जख्मी कर के लूट लेते हैं या फिर ये गैंग उस का अपहरण कर लेते हैं और मार देते हैं. दिल्ली एनसीआर में पिछले कई सालों में मिर्ची गैंग ने ऐसी कई वारदातों को अंजाम दिया है.

पुलिस का टारगेट अब मिर्ची गैंग और उस का सरगना आशु जाट था. आशु जाट तक पहुंचना इतना आसान नहीं था, लेकिन पुलिस ने उस तक पहुंचने के लिए मसूरी इलाके में ही रहने वाली आशु जाट की पत्नी पूनम की निगरानी शुरू करा दी और पूनम के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. गौरव चंदेल हत्याकांड के बाद आशु जाट एसटीएफ के अलावा आसपास के जिलों की पुलिस की नजरों में भी चढ़ चुका था. सब अपनी तरह से उस तक पहुंचने की रणनीति पर काम कर रहे थे.

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लेकिन सफलता मिली हापुड़ पुलिस को. 26 जनवरी को हापुड़ जिले की सर्विलांस टीम को सूचना मिली कि आशु जाट की पत्नी पूनम आशु के एक करीबी सहयोगी के साथ मोटरसाइकिल पर सवार हो कर धौलाना थाना क्षेत्र के करणपुर जट्ट गांव में किसी से मिलने जाने वाली है.इस सूचना के बाद सर्विलांस टीम ने स्वाट टीम और धौलाना पुलिस के साथ उस इलाके की घेराबंदी कर दी. सूचना सटीक निकली और पुलिस टीम ने दोनों को दबोच लिया. उस के पास से एक .32 बोर की पिस्टल भी बरामद हुई. आशु जाट की पत्नी पूनम से महिला पुलिस पूछताछ करने लगी, जबकि धौलाना थाने के एसएसआई राजीव कुमार शर्मा, शिकारपुर, बुलंदशहर निवासी उमेश से उस के गिरोह के सरगना आशु जाट के बारे में पूछताछ  करने लगे.

आशु जाट के बारे में तो उमेश कोई सटीक जानकारी नहीं दे सका, लेकिन उस ने बताया कि 6 जनवरी की रात उस ने आशु जाट व अपने 3 साथियों के साथ मिल कर ग्रेटर नोएडा में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी और उस की सेल्टोस कार लूट ली थी.जैसे ही पुलिस को पता चला कि उन के सामने गौरव चंदेल हत्याकांड का एक आरोपी है तो पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए लूट के सामान की बरामदगी का प्रयास शुरू कर दिया.उमेश ने बताया कि वे लूटे गए एक मोबाइल व लैपटौप को नोएडा के फेस-3 इलाके से बरामद करवा सकता है तो राजीव शर्मा की टीम उसे माल बरामद करने के लिए रवाना हो गई.

लेकिन उमेश पुलिस टीम की उम्मीदों से कहीं ज्यादा शातिर और चालाक निकला. पुलिस की गाड़ी जब गुलावठी मसूरी रोड पर डहाना गांव के पास से गुजर रही थी तो अचानक वह शौच के बहाने गाड़ी से उतरा. वह एसएसआई राजीव शर्मा के हाथ से उन की सरकारी पिस्टल छीन कर
भागने लगा.पुलिस ने पहले तो उसे पकड़ने की कोशिश की, मगर जब देखा कि वह उन की पकड़ से निकल सकता है तो उन्होंने उस पर गोली चला दी. एक के बाद एक 2 गोलियां उमेश के दाएं पैर में लगी और वो वहीं गिर पड़ा. इस के बाद पुलिस उसे घायलावस्था में ले कर अस्पताल पहुंची.

पूछताछ करने पर पता चला कि उमेश ने भागने का रास्ता खोजने के लिए ही पुलिस को लूट का माल बरामद करवाने का झांसा दिया था. लेकिन पुलिस को इतना तो पता चल ही चुका था कि मिर्ची गैंग ने ही गौरव चंदेल की हत्या को लूट के इरादे से अंजाम दिया था.पुलिस ने उसी दिन कविनगर के काजीपुरा इलाके में रहने वाले आशु जाट उर्फ प्रवीण उर्फ धर्मेंद्र की पत्नी पूनम के साथ उमेश के खिलाफ शस्त्र अधिनियम का मामला दर्ज कर लिया और आगे की काररवाई के लिए एसटीएफ तथा नोएडा पुलिस को सूचित कर दिया.

नोएडा पुलिस व एसटीएफ की टीम सूचना मिलने के तत्काल बाद धौलाना पहुंच गई और इस मामले की आगे की जांच अपने हाथ में ले ली. उमेश पर लूटपाट, अपहरण और हत्या के एक दरजन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इस गैंग के बौस यानी सरगना आशु जाट पर भी ऐसे ही 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.

पुलिस उमेश की गिरफ्तारी को बड़ी उपलब्धि मान रही थी. लेकिन आशु जाट की गिरफ्तारी न होना और बदमाशों से लूट का कोई भी माल बरामद न होना उस की काररवाई पर प्रश्नचिह्न खड़े कर रहा था. हालांकि हापुड़ पुलिस की उमेश से पूछताछ के आधार पर दावा किया था कि 6 जनवरी को नोएडा के गौरव चंदेल का कत्ल मिर्ची गैंग ने ही किया था और इस कत्ल और लूटपाट में उमेश भी शामिल था.

उमेश ने पुलिस को पूछताछ में बताया था कि गौरव चंदेल वारदात वाली रात करीब साढ़े 10 बजे हिंडन विहार स्टेडियम के करीब सड़क किनारे अपनी कार रोक कर फोन पर बात कर रहे थे. उसी उमेश व उस के साथी कार के करीब पहुंचे. इस के बाद गौरव को .32 बोर के पिस्टल से 2 गोली मारीं और उन की कार ले कर मौके से फरार हो गए. हापुड़ पुलिस के मुताबिक गौरव चंदेल को जिस .32 बोर के पिस्टल से गोरी मारी गई वह पिस्टल और उस के साथ 3 गोलियां भी उमेश से बरामद हो गई हैं.

हापुड़ पुलिस का कहना है कि गौरव चंदेल के कत्ल का असली मास्टरमाइंड मिर्ची गैंग का सरगना आशु जाट है, जो अभी फरार है. लेकिन इतना सब होने के बाद भी नोएडा पुलिस हापुड़ पुलिस के इस दावे को ले कर चुप्पी साधे हुए है. पर क्यों? क्या हापुड़ पुलिस के दावे में कोई झोल है या फिर बात कुछ और है?
मामला चूंकि समूची राज्य की पुलिस की विश्वसनीयता का है, इसलिए हो सकता है कि नोएडा पुलिस हापुड़ पुलिस के दावों पर चुप हो. नोएडा पुलिस अब इस कोशिश में है कि किसी तरह मिर्ची गैंग का सरगना आशु उस के हाथ लग जाए तो उस की कुछ इज्जत बच सकती है.

इसी इंतजार में अभी तक गौरव चंदेल के कत्ल की गुत्थी सुलझा लेने का दावा करने से पुलिस बच रही है. दूसरा नोएडा पुलिस उमेश के बयान पर आंख मूंद कर भरोसा करने के बजाए पहले केस की सारी कडि़यों को भी जोड़ लेना चाहती है, ताकि आगे फजीहत न हो.
दिलचस्प बात यह है कि अपने गुडवर्क को बढ़ाचढ़ा कर बताने वाली नोएडा पुलिस न तो इस मामले में कोई जानकारी साझा कर रही है और न ही इस मामले में उसे अभी कोई दूसरी सफलता मिली है.

ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या पुलिस ने शासन के दबाव और फजीहत से बचने के लिए मिर्ची गैंग के सरगना पर इस हत्या व लूटकांड का ठीकरा फोड़ा है या वास्तव में इसी गिरोह ने इस वारदात को अंजाम दिया था?

लेकिन ऐसे कई सवाल हैं जिस से ये पूरा मामला एक पहेली बन गया है. अगर आशु जाट के मिर्ची गैंग ने ही इस पूरी वारदात को अंजाम दिया था तो उन्होंने वारदात के बाद गौरव चंदेल से लूटी गई किया सेल्टोस कार मसूरी इलाके में लावारिस क्यों छोड़ी?

आमतौर पर लूटपाट के लिए वारदात को अंजाम देने वाले इन बदमाशों ने कीमती कार छोड़ कर सिर्फ गौरव चंदेल का एक मोबाइल व लैपटाप लूटा था. जबकि एक मोबाइल वे पहले ही उस जगह फेंक चुके थे, जहां गौरव चंदेल की हत्या कर के उसके शव को फेंका था.

पुलिस अभी तक गौरव चंदेल के डेबिट व क्रेडिट कार्ड तथा उस की सोने की चेन व अंगूछी के बारे में नहीं बता सकी है कि वे किस के पास हैं. अगर उमेश इस वारदात में शामिल था, तो पुलिस उस से इन सामानों का खुलासा क्यों नहीं करवा सकी? अगर पुलिस की कहानी पर विश्वास कर भी लिया जाए तो वे लूटे गए सामान कहां हैं?

सवाल उठ रहे हैं कि पुलिस ने इस मामले में फजीहत से बचने और गरदन बचाने के लिए केस का खुलासा तो कर दिया, लेकिन अभी तक उस के पास हत्या की ठोस वजह नहीं है.हो सकता है कि गौरव चंदेल की हत्या उस के किसी दुश्मन की सोची- समझी साजिश का कारनामा हो लेकिन पुलिस उस चक्रव्यूह को तोड़ने में नाकाम रही है. पुलिस ने सिर्फ मिर्ची गिरोह की कार्यशैली को देख कर इस के ऊपर हत्याकांड का ठीकरा फोड़ दिया है.

कोरोना के नए वर्जन से हड़कंप

ब्रिटेन में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन सामने आया है जो काफी खतरनाक है. यह नया स्‍ट्रेन पहले के वायरस की तुलना में 70 फीसदी अधिक तेजी से फैलता है. इसी वजह से यूरोप के कई देशों ने ब्रिटेन के लिए ‘दरवाजे’ बंद कर दिए हैं. भारत ने भी ब्रिटेन से आने-जाने वाली फ्लाइट्स पर 31 दिसंबर तक के लिए रोक लगा दी है. इस बीच जो  दिल्ली सरकार ने पिछले 2 हफ्ते में ब्रिटेन से आए सभी लोगों की घर-घर जाकर जांच करने का फैसला किया है. गौरतलब है कि 9 दिसंबर से अब तक ब्रिटेन से लगभग 7,000 लोग दिल्ली पहुंचे हैं. वहीं, ब्रिटेन से भारत आए 20 यात्री कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

उन सभी को क्वारंटीन कर दिया गया है और उनके सैंपल टेस्ट के लिए भेज दिए गए हैं. टेस्ट के नतीजों से जवाब मिलेगा कि ब्रिटेन का नया वायरस भारत में दाखिल हुआ है या नहीं. ये भी गौर करने वाली बात है कि फ्लाइट बंद होने से पहले ब्रिटेन से भारत पहुंचे 8 यात्रियों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात पता चली थी. उनमें से 6 यात्री लंदन से एयर इंडिया के विमान से दिल्ली पहुंचे थे.  इनमें से एक यात्री ने दिल्ली से चेन्नई के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट ली थी. उसे चेन्नई में टेस्ट के बाद कोरोना पॉजिटिव पाया गया. वहीं ब्रिटेन से कोलकाता पहुंचे 2 यात्रियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया. इन सभी के सैंपल पुणे भेजे गए हैं ताकि ये पता लगाया जा सके कि क्या इनमें ब्रिटेन में फैला कोरोना वायरस का नया वर्जन है या नहीं.

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ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है. ब्रिटेन के एक लैब में आरटी-पीसीआर टेस्ट के दौरान कोरोना वायरस के इस खतरनाक स्ट्रेन का पता चला है. टेस्ट के दौरान पता चला कि यह वायरस पहले के कोविड-19 वायरस की तुलना में ज्यादा संक्रामक है और सुपर स्प्रेडर है. हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इस नए वायरस के कारण कोरोना की वैक्सीन के कम प्रभावकारी होने की उम्मीद नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी पूरी स्थिति पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. भारत सरकार भी लगातार बैठक कर रही है. इस बीच, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल से साफ किया है कि ब्रिटेन वाला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन अभी तक भारत में सामने नहीं आया है.

ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया रूप बेहद संक्रामक माना जा रहा है और इसका युवाओं को सबसे ज्यादा प्रभावित करने की आशंका है. केंद्र सरकार ने इस वायरस को लेकर चेतावनी जारी की है और पिछले एक महीने में ब्रिटेन से भारत आने वाले यात्रियों की जांच या उन पर निगरानी रखी जा रही है. ब्रिटेन में इस नए वायरस के प्रसार के बाद वहां के कई इलाकों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. भारत समेत 40 से ज्यादा देशों ने ब्रिटेन से आने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है.

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नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल का कहना है कि ‘कोरोना का नया रूप बहुत ज्यादा संक्रामक है और यह तेजी से फैल सकता है. यूरोपीय सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार, यह वायरस युवाओं को ज्यादा प्रभावित कर रहा है. वैज्ञानिकों ने इस नए वायरस का नाम बी.1.1.7. रखा है. हालांकि, अब तक उपलब्ध आंकड़ों, विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि घबराने की कोई बात नहीं है, लेकिन और सतर्क रहना पड़ेगा. हमें इस नई चुनौती से निपटना होगा. यह वायरस 70 गुना ज्यादा संक्रमण फैलाता है. एक तरीके से कह सकते हैं कि यह ‘सुपर स्प्रेडर’ है लेकिन इससे मृत्यु, अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा नहीं बढ़ता है. सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि यह तेजी से लोगों में संक्रमण फैलाता है. वायरस के स्वरूप में बदलाव के मद्देनजर इलाज को लेकर दिशा-निर्देश में कोई बदलाव नहीं किया गया है और खास कर देश में तैयार किए जा रहे टीकों पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा. पॉल ने कहा कि स्वरूप में बदलाव से वायरस ज्यादा संक्रामक हो सकता है. यह जल्दी संक्रमण फैला सकता है.’

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कोरोना वायरस को लेकर होने वाली स्वास्थ्य मंत्रालय की रोज़ाना प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया है कि तकरीबन साढ़े पांच महीनों के बाद देश में एक्टिव मामलों की संख्या तीन लाख से कम हुई है. मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण ने कहा, ‘पिछले 7 हफ्तों में औसत दैनिक नए मामलों में कमी आई है. 57 फीसदी नए मामले मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और केरल से सामने आए हैं. 61 फीसदी मौतें यूपी, छत्तीसगढ़, दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र से हुई हैं.’

अचानक आ जाएं मेहमान तो ट्राय करें ये 20 कुकिंग TIPS

अगर अचानक मेहमान आ जाएं या फिर कुछ खाने का मन करे तो गौर फरमाएं इन नुसखों पर:

-1.उरद दाल की बडि़यों को छोटे टुकड़ों में तोड़ कर मिक्सी में दरदरा पीस लें. खस्ता कचौरी में भरने का मसाला मिनटों में तैयार है.

2 बेसन के पतलेपतले चीले बनाएं. ठंडा होने पर इन के पतलेपतले रिबन काट लें. राई व करीपत्ते का तड़का लगाएं. बारीक कटी धनियापत्ती व कसे नारियल से सजा कर सर्व करें.

3. दाल के पापड़ को लंबेपतले टुकड़ों में काट कर तल कर टेस्टी डिप के साथ परोसें.

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4. 8-10 रस्क का मिक्सी में पाउडर बना लें. इस में 1 कप पनीर, मिक्स दरदरा मेवा, इलायची पाउडर व थोड़ी सी पिसी हुई चीनी मिला कर मनचाहा आकार दें.

5.1 कप सूजी और 1 कप दूध डाल कर हलवे जैसा गाढ़ा पकाएं. पकाते समय इस में बारीक कटी मिक्स सब्जियां, गाजर, शिमलामिर्च, पत्तागोभी, प्याज, धनियापत्ती व हरीमिर्च मिला दें. ठंडा होने पर थोड़ाथोड़ा मिश्रण ले कर कटलेट का आकार दें. कौर्नफ्लोर के घोल में डुबोएं, ब्रैड के चूरे में लपेटें व धीमी आंच में तल लें. पौष्टिक कटलेट को सौस या चटनी के साथ परोसें.

6.बेड़मी पूरियां बनाने के लिए उरद दाल की बडि़यों को 10-15 मिनट गरम पानी में भिगो दें. बाद में हाथ से मसल लें. बेड़मी की भरावन तैयार है.

7.यदि अचानक मूंगदाल के चीले खाने का मन करे और दाल न भिगोई हो तो घर में रखी मूंग दाल की मंगोडि़यों को कुनकुने पानी में 10-12 मिनट भिगोएं. फिर उन्हें कुछ क्षण मिक्सी में चला कर कटी धनियापत्ती डालें और तुरंत तवे पर गरमगरम चीले तैयार कर लें. ध्यान रखें कि मंगोडि़यों में पहले से ही हींग, नमक व मिर्च आदि पड़ी होती है. अत: अतिरिक्त मसाला डालने की जरूरत नहीं होती है.

8.2 पैकेट ग्लूकोज बिस्कुट का पाउडर बनाएं. फिर दूध डाल कर पकौड़ों जैसा घोल बनाएं. इस में चुटकी भर खाने वाला सोडा मिला कर 5 मिनट तक बेक कर अखरोट के टुकड़े या 1 बड़ा चम्मच बादाम का चूरा मिलाएं. झटपट टेस्टी केक तैयार है.

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9.घर में आइसक्रीम ब्रिक रखी हो तो उस में दूध व कटा मेवा डाल कर टेस्टी ड्रिंक तैयार कर लें.

10.झटपट समोसे बनाने हों तो आलू उबाल कर मसाला बनाने के झंझट में न पड़ें. नमकीन मूंग दाल को मिक्सी में दरदरा करें. इस में कटी धनियापत्ती, अदरक व कटी किशमिश मिला कर समोसों में भरें. नए स्वाद के समोसे तैयार हो जाएंगे.

11.मीठे बिस्कुटों को दरदरा कर लें. फिर उन में थोड़ा कटा मेवा व कोको पाउडर डाल कर मिलाएं. अब कंडैंस्ड मिल्क मिलाएं और फिर छोटेछोटे रोल्स बना कर नारियल के चूरे में लपेटें. टेस्टी स्वीट डिश तैयार है.

12.झटपट टेस्टी डोसा बनाने के लिए 1 कप सूजी में 1/2 कप दही, हरीमिर्च व अदरक का पेस्ट, 1 बड़ा चम्मच चावल का आटा मिला कर गाढ़ा घोल बनाएं. कसी हुई गाजर, बारीक कटी पत्तागोभी, शिमलामिर्च व कुटी धनियापत्ती प्लेट में रखें. 2 बड़े चम्मच घोल नौनस्टिक तवे पर फैलाएं. 1 चम्मच कटी सब्जियां फैला दें. फिर दोनों तरफ से सुनहरा होने तक सेंक कर मनपसंद चटनी के साथ परोसें.

13.1 कप गाढ़े दही में 1/2 चुकंदर मिलाएं. कटी धनियापत्ती, चुटकी भर पिसी चीनी और स्वादानुसार पिसी कालीमिर्च व नमक मिलाएं. टेस्टी डिप तैयार है.

14.पेठे की मिठाई को कद्दूकस करें. 1 कप पेठे में 1 कप पनीर, 1/2 कप मिल्क पाउडर, 1/4 कप दरदरा मिक्स मेवा व चुटकी भर खाने वाला पीला रंग मिला दें. थोड़ाथोड़ा मिश्रण हाथ में ले कर इसे हार्ट शेप दें.

15.2 कप दही को 10-12 मिनट बांध कर लटका दें. फलों को छोटे टुकड़ों में काट लें. दही को मथ लें. इस में 2 बड़े चम्मच मलाई या क्रीम, दूध पाउडर व 1 कप दूध डाल कर मिलाएं. फिर 2 बड़े चम्मच मिक्स फू्रट जैम डाल कर अच्छी तरह मिलाएं. फ्रिज में ठंडा कर के टेस्टी स्वीट डिश परोसें.

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16.पनीर को कद्दूकस कर थोड़ी सी पिसी चीनी मिलाएं और छोटेछोटे पेड़ों जैसा बना कर 5 मिनट स्टीम करें. टेस्टी संदेश तैयार है.

17.200 ग्राम खजूर को एकदम छोटे टुकड़ों में काट लें. इस में 2-2 बड़े चम्मच भुने सफेद तिल, खरबूजे के बीज, भुनी व दरदरी मूंगफली और सूखे नारियल का बुरादा अच्छी तरह मिला दें. इस की 3 इंच लंबी व 1 इंच चौड़ी पट्टी बना दें. बच्चों व बड़ों के लिए ऐनर्जी बार तैयार है.

18.इंस्टैंट टेस्टी खीर बनाने के लिए 2 कप दूध उबलने रखें. धीमी आंच पर 2 मिनट पकाने के बाद 2 बड़े चम्मच पाउडर मिल्क मिलाएं. 1 मिनट उबालें. पेठे की मिठाई को कद्दूकस कर के मिलाएं. पनीर को छोटे टुकड़ों में काट कर मिलाएं. टेस्टी खीर तैयार है.

19.बच्चों को दलिया खिलाना हो तो दलिया की मीठी इडली बनाएं. 1 कप दलिया को चीनी मिले 1/2 कप दूध में भिगो कर 5 मिनट रखें. इस में कटी किशमिश, बादाम, अखरोट व अंजीर मिला दें. फिर इन्हें इडली मोल्ड में 1-1 चम्मच मिश्रण डाल कर सटीम कर लें. मलाई व रंगबिरंगे जैम से सजा कर बच्चों को परोसें.

20.अचानक मेहमान आ जाएं तो नमकीन या मीठे बिस्कुटों पर चीज, मलाई, क्रीम या जैम लगाएं. फिर चैरी या नमकीन आलू भुजिया से सजा कर सर्व करें.

मेरा रिश्ता टूट गया है, लगता है डिप्रैशन में जा रही हूं,मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं दिल्ली की रहने वाली 26 वर्षीया लड़की हूं. कुछ हफ्तों पहले मेरी अरेंज मैरिज होने वाली थी. मैं मौडल हूं और एक्टिंग में कैरियर बनाना चाहती हूं. जिस लड़के से मेरी शादी होने वाली थी वह इंजीनियर था. उस लड़के को मेरे कैरियर से कोई परेशानी नहीं थी. मेरे मम्मीपापा को लड़का और उस का घरबार बेहद पसंद था. शुरूशुरू में तो सब ठीक था लेकिन जैसेजैसे शादी का दिन करीब आता गया, लड़के के घरवालों की मांगें बढ़ती गईं. हम उन की मांगें पूरी करने में असमर्थ थे जिस कारण रिश्ता तोड़ना पड़ा. ऐसा लगने लगा है जैसे मुझ पर वज्रपात हुआ है. लगता है जैसे मैं डिप्रैशन में जा रही हूं. क्या करूं, समझ नहीं आता. कोई उपाय दीजिए.

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जवाब

देखिए, आप यह सोचिए कि कितना अच्छा हुआ जो आप एक लालची परिवार में जाने से बच गईं. वह व्यक्ति जो आप की प्रतिभा न देख कर आप का पैसा देखे, आप का चरित्र न देख कर आप की हैसियत देखे, वह आप के लिए सुयोग्य हो ही नहीं सकता.

शादी से पहले जब वह मुंह खोल कर मांग पर मांग किए जा रहा था तो सोचिए शादी के बाद आप को और आप के परिवार को कितना तंग करता.

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आप का दुखी होना जायज है. आप की शादी टूटी है, आप को आघात लगा है. लेकिन इस दुख को डिप्रैशन का रूप लेने से रोकना खुद आप के  हाथ में है. आप के सामने आप का कैरियर है. जिस स्थिति में अभी आप हैं उस में 2 ही चीजें हो सकती हैं, एक कि आप डिप्रैस्ड हो कर अपनी जिंदगी के कुछ कीमती महीने या साल खराब कर लें, दूसरा, कि आप अपने कैरियर में आगे बढ़ें और उस व्यक्ति को दिखा दें कि उस ने क्या खोया है.

दूसरी स्थिति ज्यादा सही लगती है, है न? अपने दुख को अपना प्रेरणास्रोत बना कर आगे बढि़ए, अपने दिलोदिमाग में इस एक घटना को घर करने मत दीजिए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

‘शाहीनबाग‘ सा व्यवहार ‘किसान आन्दोलन’ के साथ

‘शाहीनबाग‘ की तरह ‘किसान आन्दोलनकारियों’ पर लांछन लगाकर, नकली और लालची बताकर आन्दोलन को फेल करने का काम किया जा रहा है. जाति और धर्म की बात से अधिक महत्वपूर्ण है कि किस तरह से सरकार के खिलाफ उठती आवाज को दबा दिया जाये. ऐसे में सरकार के लिये ‘शाहीनबाग‘ और ‘किसान आन्दोलन’ में कोई फर्क नहीं रह गया है.दिल्ली की सडको पर आन्दोलन कर रहे किसान ठंड और डिप्रेशन जान गंवा रहे है. केन्द्र सरकार इनको किसान मानने के लिये तैयार नहीं है. किसानों को गुमराह मान रही है. सोशल मीडिया पर अन्नदाताओं को आतंकवादी, खालिस्तानी बताया जा रहा है. इनको चीन और पाकिस्तान से प्रेरित बताया जा रहा है. अच्छे खाने, रहने और पब्लिसिटी का भूखा बताया जा रहा. कुछ पैसों के लालच का भूखा बताया जा रहा. यह ठीक वैसे ही लांछन है जैसे दिल्ली के ‘शाहीनबाग‘ में नागरिकता कानून के खिलाफ धरना देने वालो पर लगाये गये थे. केन्द्र सरकार भले ही खुलकर किसानों को विरोध ना कर रही हो पर सरकार समर्थक प्रौपेगंडा टीम पूरी तरह से किसानों के औचित्य पर सवाल खडे करते रहे है.

23 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान दिवस पर कई घोषणायें की. पूरे देश में भाजपा षासित राज्यों में इस तरह के कार्यक्रम तेज कर दिये गये. जिससे इन कार्यक्रमों की चमक में किसान आन्दोलन को धुमिल किया जा सके. 28 साल के युवा किसान शुभम सिंह कहतें है ‘आज के समय में खेती करने वालों में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है. जिसका कारण बेरोजगारी, जागरूकता और खेती के आधुनिक साधन है. युवा को लगता है कि 10-12 हजार की नौकरी करने की जगह पर अपने खेत में मालिक बनकर काम किया जाये. यह युवा मोदी सरकार के कृषि कानूनों की हकीकत को जानते है. यह कानून किसान विरोधी है. हम इसके विरोध को जारी रखेगे.‘

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35 साल के उमेश सिंह ने इस साल पुरानी धान गेंहू की खेती को छोडकर पपीता की खेती की है. वह कहते है हमें एमएसपी की गारंटी चाहिये. केन्द्र सरकार हमको बरगला नहीं सकती है. वह किसान आन्दोलन के खिलाफ कितना भी प्रचार कर ले हमें खेती का निजीकरण स्वीकार नहीं है. हमारे जैसे तमाम युवा इस आन्दोलन के समर्थन में खडे है. वाराणसी के रहने वाले अजय पटेल युवा है. अपनी खेती और किसानी के साथ सामाजिक कार्यो के प्रति भी सजग है. वह कहते है ‘कृषि कानून खेती पर कंपनी राज की तरह कब्जा करने वाले है. सरकार हमको बरगला नहीं सकती है. हम पूरी तरह से सजग है. अब खेती में भी युवाओं की संख्या अधिक है.

युवा किसान 30 साल के आशीष कुमार कहते है ‘कृषि कानून में खाद्यान के भंडारण को लेकर जो बदलाव किये गये है वह किसानों के लिये उचित नहीं है. इससे कारोबारियों में जमाखोरी बढेगी. उपभोक्ताओं को मंहगे दर पर सामान मिलेगा. किसान से सस्ते में खरीदकर भंडारण करके मंहगे में बेचा जायेगा. सरकार किसानों को बरगलाने का प्रयास कर रही है. अब किसान पढा लिखा है वह कानून के दांव पेंच को समझ रहा है. किसानों में बडी संख्या में युवा है. जो इस आन्दोलन की मजबूत रीढ है. सरकार के दांवपेंच को बेनकाब करने के लिये वह अपना अखबार भी निकाल रहे और सोशल मीडिया के जरीये जनता को सच बताने का काम भी कर रहे है.

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सरकार को किसान हितैषी बताने का प्रयास:
‘शाहीनबाग‘ में धरने के समय भी इसी तरह के लांछन लगाये जा रहे थे. बात जाति और धर्म की नहीं विरोध के उठते हुये स्वर की है. उसको दबाने के लिये सरकार एक जैसा ही व्यवहार करने लगी है. कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद किसान आंदोलन कानूनी खानापूर्ति में फंस गया. किसानों को सडक के साथ ही साथ कोर्ट में भी अपनी पैरवी करनी पडी. सरकार ने किसान आन्दोलन को दरकिनार करने के लिये पूरे देश में किसानों को लेकर अलग तरह का अभियान शुरू कर दिया. जिसमें किसान नेता कहे जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह के जन्मदिवस पर 23 दिसम्बर को भव्य आयोजन किया गया. किसानों की पूरानी योजनाओं का जोरदार प्रचार किया गया. जिससे पूरे देश को यह समझ आ जाये कि भाजपा की केन्द्र सरकार किसानों की कितनी हितैषी है. यह प्रचार का वह तरीका है जिसमें सच को झूठ साबित किया जा सके.

सरकार के लिये शाहीनबाग और किसान आन्दोलन में कोई फर्क नहीं है. जो लोग हिन्दू-मुसलिम की बात कह कर शाहीनबाग के आन्दोलनकारियों को खारिज कर रहे थे वह किसान आन्दोलन को देखकर हतप्रभ है. शाहीनबाग के समय जनता को लग रहा था कि सरकार हिन्दुत्व के एजेंडें के कारण शाहीनबाग की अनदेखी कर रही है. किसान आन्दोलन करने वालों के समय भी केन्द्र सरकार और उसकी पूरी प्रौपोगंडा टीम वैसा ही व्यवहार कर रही है. पुलिस और प्रशासन ने किसानों पर जाडे के मौसम में पानी भिगाने का काम किया. किसानों के रास्ते में बुलडोजर चलाये गये. सडको को खोद दिया गया. किसानों का तरह तरह से उत्पीडन शुरू किया गया. किसान आन्दोलन को देख कर जनता को पिछले साल सर्दियों के इन्ही महीनों का शाहीनबाग याद आ गया.

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किसानों को बदनाम करने की साजिश :
सबसे पहले तो किसानों को किसान मानने से इंकार किया. इसके बाद यह भ्रम फैलाया गया कि किसान आन्दोलन पूरे देश की जगह पंजाब, हरियाणा और पष्चिम उत्तर प्रदेश वाले ढाई प्रदेश का है. आन्दोलन करने वाले किसानों को देशद्रोही बताने के साथ ही साथ पाकिस्तान, चीन और खालिस्तान समर्थक बताया गया. किसानों के रहने खाने, कपडे, घडी पहनने, मोबाइल का इस्तेमाल करने और मंहगी कार से चलने पर सवाल उठाये गये. पूरे देश और किसानों को यह समझाने का काम किया गया कि एमएसपी यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य का सबसे अधिक लाभ हरियाणा और पंजाब के बडे किसान लेते है इस कारण यह परेशान है. अब देश भर के किसानों को यह लाभ मिलेगा.

किसानों के धार्मिक धुव्रीकरण का प्रयास भी किया गया. इसके तहत यह समझाया गया कि आन्दोलन करने वाले किसान नहीं आढतिया है. आढतियों का साथ उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी दे रहे है. किसानों के खाने तक पर सवाल उठाये गयेे. किसान है तो पिज्जा, बर्गर क्यों खा रहे ? लंगर में खाना कैसे बन रहा. इसके बाद भी जब किसान अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं हुये तो किसान संगठनों में फूटडालने का काम किया गया. केन्द्र सरकार के कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर और गृहमंत्री अमित शाह ने ऐसे किसान नेताओं से बात की जो किसान आन्दोलन का हिस्सा ही नहीं थे. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर भाजपा का छोटे से छोटा कार्यकर्ता किसान आन्दोलन के विरोध में बोलने लगे. किसानों को विपक्ष द्वारा गुमराह बताया जाने लगा.

सरकारी संसाधनो का प्रयोग :
केन्द्र सरकार और भाजपा ने अपने साधनों और प्रचारतंत्र के जरीये यह बताने का काम शुरू किया कि सरकार किसानों और खेती के हित में काम कर रही है. आन्दोलन करने वाले गुमराह और नासमझ है. पूरे देश के किसानों को किसान आन्दोलन के खिलाफ खडा करने के लिये जनसभाएं होने लगी. भाजपा वाले राज्यों की सरकारों ने किसानो के लिये चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार शुरू कर दिया. एक तरह से केन्द्र सरकार ने किसान आन्दोलन को झूठा और भ्रामक साबित करने के लिये हर स्तर पर काम शुरू कर दिया है. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट को भी पूरे मामलें में सामने ला खडा किया है.

दिल्ली में ही नागरिकता कानून के खिलाफ जब शाहीन बाग में धरना दिया गया तो उसको बदनाम करने के लिये इसी तरह से काम किये गये थे. आज वही काम किसान आन्दोलन को लेकर किया जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता और मैग्सेसे अवार्ड विजेता संदीप पांडेय कहते है ‘सरकार अपने विरोध को हर स्तर पर जाकर दबाना चाहती है. यह आवाज जो भी उठायेगा उसके साथ यही सलूक होगा. सरकार ने शाहीनबाग के समय भी तय कर लिया था कि उसे कानून में कोई बदलाव नहीं करना है. सरकार ने किसान आन्दोलन के समय भी यही तय कर रखा है कि उसे कृषि कानूनों को वापस नहीं लेना है. ऐसे में आन्दोलन करने वाले किसानों को बदनाम करने, उनके हौसले को तोडने का काम करना है. सरकार इसी तरह हर आवाज को दबाने का काम करेगी. चाहे भी जो उस आवाज को उठायें.’

कार ड्राइविंग के दौरान इन नियमों का करें पालन

इन दिनों ड्राइविंग करते वक्त कौन सी ऐसी चीज है जो आपको सबसे ज्यादा परेशान करती है? लॉकडाउन के बाद बहुत सारे लोग हर दिन सड़क पर बेसिक ट्रैफिक नियमों का उल्लंधन कर रहे हैं, लोग छोटी सी ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं कर पा रहे हैं.

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चाहे सिग्नल तोड़ना हो या ट्रैफिक में गलत तरीके से कार को निकालना हो वह अपने साथ- साथ लोगों का दिन भी खराब कर रहे है. ऐसे ही लोगों के साथ बड़ी दुर्घटना हो जाती है. तो क्यों ना इस हफ्ते हम ट्रैफिक नियमों का पालन करने का संकल्प लें. जिससे हम खुद भी दुर्घटना से बचेंगे और लोगों को भी एक्सीडेंट होने से बचाएंगे. #BeTheBetterGuy!

बिग बॉस 14 : राखी सावंत का बयान, साल 2021 बनेगी मां

बिग बॉस 14 में धमाकेदार एंट्री करने वाली राखी सावंत इन दिनों जमकर दर्शकों का मनोरंजन करते नजर आ रही हैं. राखी के आने के बाद से बिग बॉस के टीआरपी में भी इजाफा हुआ है. दर्शक राखी सावंत को खूब पसंद भी कर रहे हैं.

बता दें कि राखी सावंत के आने के बाद से बिग बॉस के घर से हर दिन कुछ न कुछ नया देखने और सुनने को मिलते रहता है. वहीं राखी सावंत जमकर लोगों का जवाब भी देती नजर आती हैं. राखी सावंत अपने बोलने के अंदाज से ज्यादा मशहूर हैं फैंस के सामने.

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राखी सावंत ने बिग बॉस के घर में इस बात का खुलासा किया है कि वह साल 2021 में अपनी फैमली प्लानिंग करने वाली हैं ऐसा उनके पति रितेश ने कहा है. इसके बाद राखी ने कहा उनके पति इस बात से बहुत ज्यादा खुश है कि वह बिग बॉस के घर में आई है वह चाहते है कि राखी सावंत यहां से खिताब जीतकर घर वापस जाए.

बता दें कि पिछले साल ही राखी सावंत ने अपने शादी का खुलासा किया था कि वह शादी एक एनआरआई से कि हैं. अभी वह अपने पति के बारे में खुलासा नहीं करना चाहती हैं लेकिन इस खबर के बाद से आज तक राखी सावंत के पति के बारे में किसी को पता नहीं चल पाया है कि आखिर कौन है राखी का पति.

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हालांकि राखी इन दिनों बिग बॉस के टीआरपी को जमकर ला रही हैं. अपने बेबाक अंदाज से दर्शकों को एंटरटेन कर रही हैं. अब देखना यह है कि क्या वाकई राखी सावंत फाइनल तक पहुंच पाएंगी या नहीं.

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