Download App

Hyundai Creta हर वक्त आपका साथ देता है

किसी भी शादी में किसी गाड़ी के ऊपर बहुत सी जिम्मेदारियों का बोझ रहता है, और उसे हर वक्त  किसी न किसी काम के लिए तैयार रहना है लेकिन इसका मतलब ये नहीं हम काम के वक्त कुछ मजे न करें,

ये भी पढ़ें- Hyundai Creta के साथ पहुंचे अपने मंजिल तक

तो हमें जब भी मौका मिला हमने भी इसकी रफ्तार से सड़कों पर खूब धूल उड़ाई, मज़ाल की कभी #Creta ने हमें ना उम्मीद किया हो.
#RechargeWithCreta

Hina Khan ने शेयर किया इमोशनल वीडियो, बताया रोज ऐसे करती हैं अपने पापा से बात

टीवी एक्ट्रेस हिना खान ने कुछ वक्त पहले ही अपने पापा को खो दिया है. जिस वजह से वह काफी ज्यादा दुखी रहती हैं. हिना खान के लिए ये साल मुश्किलों भरा है लेकिन समय के साथ हिना खान के जख्म भी भर जाएंगे.

हिना बीते कुछ समय से अपने सोशल मीडिया पर अपने पापा को लेकर वीडियो शेयर करती रहती हैं जिसमें वह बहुत ज्यादा इमोशनल रहती हैं. हिना खान ने हाल ही में एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह अपने बालकनी में खड़ी हैं  और वहां से इशारा करते हुए बता रही हैं कि वह हर रोज अपने पापा से यहीं से बात करती हैं मतलब जिधर उनके पापा को दफनाया गया है उस तरफ इशारा करती नजर आ रही हैं.

ये भी पढ़ें- Video: बिग बॉस फेम राहुल वैद्य ने दिशा परमार के साथ ‘नागिन 6’ के लिए कि

 

View this post on Instagram

 

A post shared by HK (@realhinakhan)

हिना के इस वीडियो को देखने के बाद सभी फैंस काफी ज्यादा परेशान हो गए और इमोशनल भी हो गए . उन्होंने इस वीडियो पर कमेंट करते हुए हिना को सात्वना भी दिया है.

ये भी पढ़ें- फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ कि कहानी है मजेदार

बता दें कि हिना खान के पापा कि जब डेथ हुई थी, उस वक्त वह घर पर नहीं कश्मीर में किसी काम के सिलसिले में गई हुईं थीं. जहां उनके इस दुख भरी घटना का पता चला, जिसके बाद वह तुरंत वहां से आ गई. हिना को हमेशा इस बात का दुख रहेगा कि वह आखिरी वक्त में अपने पापा के पास नहीं थीं.

ये भी पढ़ें- Khatron Ke Khiladi 11 : शो का पहला एलिमिनेशन, बाहर हुआ ये हैंडसम कंटेस्टेंट

खैर वह धीरे- घीरे इस सदमें से बाहर आएंगी लेकिन उनके लिए यह समय थोड़ा कठिन होगा. इस वक्त उन्हें खुद कोऔर परिवार वालों को संभालने की जरुरत है.

Video: बिग बॉस फेम राहुल वैद्य ने दिशा परमार के साथ ‘नागिन 6’ के लिए की एकता कपूर से ये गुजारिश

बिग बॉस फेम राहुल वैद्य इन दिनों केपटाउन में खतरों कि खिलाड़ी के शूटिंग में व्यस्त हैं. जिस वजह से वह लगातार सुर्खियों में छाएं हुए हैं. पिछले 11 दिनों से वह शूटिंग में व्यस्त हैं.

बीते रात उन्होंने इंस्टाग्राम लाइव किया था, जिसमें उनके साथ उनकी गर्लफ्रेंड दिशा परमार और दोस्त अली गोनी जुड़े थें. इस दौरान वह अपने फोन के कई फिल्टर का इस्तेमाल कर रहे थें, एक फिलटर में उनकी आंखे चमकने लगी, जिसमें उनकी आंखे नागिन कि तरह दिख रही थी. राहुल वैद्य के इस लुक को देखने के बाद  दिशा परमार और अली गोनी ने  उन्हें नागिन कहने लगे.

ये भी पढ़ें- फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ कि कहानी है मजेदार

 

View this post on Instagram

 

A post shared by RKV ? (@rahulvaidyarkv)

इस दौरान राहुल ने एकता कपूर से रिक्वेस्ट करते हुए कहा कि मैम अगर आप तक यह वीडियो पहुंचे तो आप नागिन 6 बनाने कि सोच रही हैं तो आप एक बार मेरे बारे में जरुर सोचिएगा,  क्योंकि अभी तक लड़का नाग के रूप में नजर नहीं आया है. उन्होंने खुद को नाग बताते हुए कहा कि प्लीज एक मौका जरूर दीजिएगा.

ये भी पढ़ें- Khatron Ke Khiladi 11 : शो का पहला एलिमिनेशन, बाहर हुआ ये हैंडसम कंटेस्टेंट

इस वीडियो को देखने के बाद फैंस के खुशी का ठिकाना नहीं है. वहीं फैंस एकता कपूर को टैग करके कहने लगे हैं कि नागिन 6 में राहुल वैद्य को ही लेना. कुछ फैंस कह रहे हैं कि नागिन 6 में राहुल को जरुर देखें.

ये भी पढ़ें- Indian Idol 12 : मेकर्स से नाराज हुए फैंस , कहा जल्द बंद करो शो

राहुल वैद्य ने बात करते हुए बताया था कि वह 45 दिन के लिए आए हुए हैं. शूटिंग करके वह वापस मुंबई आ जाएगें.  इसके साथ ही इस वीडियो में राहुल परमार ने दिशा परमार की खूब खिंचाई कर रहे थें.

Crime Story : रास्ते का कांटा

सौजन्या- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी के थाना सुबेहा क्षेत्र में एक गांव है ताला रुकनुद्दीनपुर. पवन सिंह इसी गांव में रहता था. 14 सितंबर, 2020 की शाम पवन सिंह अचानक गायब हो
गया. उस के घर वाले परेशान होने लगे कि बिना बताए अचानक कहां चला गया. किसी अनहोनी की आशंका से उन के दिल धड़कने लगे. समय के साथ धड़कनें और बढ़ने लगीं. पवन का कोई पता नहीं चल पा रहा था. पवन की तलाश अगले दिन 15 सितंबर को भी की गई. लेकिन पूरा दिन निकल गया, पवन का कोई पता नहीं लगा.

16 सितंबर को पवन के भाई लवलेश बहादुर को उस के मोबाइल पर सोशल मीडिया के माध्यम से एक लाश की फोटो मिली. फोटो लवलेश के एक परिचित युवक ने भेजी थी. लाश की फोटो देखी तो लवलेश फफक कर रो पड़ा. फोटो पवन की लाश की थी. दरअसल, पवन की लाश पीपा पुल के पास बेहटा घाट पर मिली थी. लवलेश के उस परिचित ने लाश देखी तो उस की फोटो खींच कर लवलेश को भेज दी. जानकारी होते ही लवलेश घर वालों और गांव के कुछ लोगों के साथ बेहटा घाट पहुंच गया.

ये भी पढ़ें- Crime Story: जब टूटी मर्यादा

लाश पवन की ही थी. पीपा पुल गोमती नदी पर बना था. गोमती के एक किनारे पर गांव ताला रुकनुद्दीनपुर था तो दूसरे किनारे पर बेहटा घाट. लेकिन बेहटा घाट थाना सुबेहा में नहीं थाना असंद्रा में आता था. लवलेश ने 112 नंबर पर काल कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. कुछ ही देर में एसपी यमुना प्रसाद और 3 थानों असंद्रा, हैदरगढ़ और सुबेहा की पुलिस टीमें मौके पर पहुंच गईं. पवन के शरीर पर किसी प्रकार के निशान नहीं थे और लाश फूली हुई थी. एसपी यमुना प्रसाद ने लवलेश से आवश्यक पूछताछ की तो पता चला कि वह अपनी हीरो पैशन बाइक से घर से निकला था. बाइक पुल व आसपास कहीं नहीं मिली. पवन वहां खुद आता तो बाइक भी वहीं होती, इस का मतलब था कि वह खुद अपनी मरजी से नहीं आया था. जाहिर था कि उस की हत्या कर के लाश वहां फेंकी गई थी.

पवन की बाइक की तलाश की गई तो बाइक कुछ दूरी पर टीकाराम बाबा घाट पर खड़ी मिली. यह क्षेत्र हैदरगढ़ थाना क्षेत्र में आता था. वारदात की पहल वहीं से हुई थी, इसलिए एसपी यमुना प्रसाद ने घटना की जांच का जिम्मा हैदरगढ़ पुलिस को दे दिया. हैदरगढ़ थाने के इंसपेक्टर धर्मेंद्र सिंह रघुवंशी ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर लवलेश को साथ ले कर थाने आ गए. इंसपेक्टर रघुवंशी ने लवलेश की लिखित तहरीर पर अज्ञात के विरुद्ध भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की सही वजह पता नहीं चल पाई. इंसपेक्टर रघुवंशी के सामने एक बड़ी चुनौती थी. क्योंकि कोई भी सुराग हाथ नहीं लगा था. उन्होंने पवन की पत्नी शिम्मी उर्फ निशा और भाई लवलेश से कई बार पूछताछ की, लेकिन कोई भी अहम जानकारी नहीं मिल पाई. पवन के विवाह के बाद ही उस की मां ने घर का बंटवारा कर दिया था. पवन अपनी पत्नी निशा के साथ अलग रहता था. इसलिए घर के अन्य लोगों को ज्यादा कुछ जानकारी नहीं थी.

ये भी पढ़ें- Crime Story: आदित्य मर्डर केस, 5 साल की जद्दोजहद के बाद

स्वार्थ की शादी

समय गुजरता जा रहा था, लेकिन केस का खुलासा नहीं हो पा रहा था. जब कहीं से कुछ हाथ नहीं लगा तो इंसपेक्टर रघुवंशी ने अपनी जांच पवन की पत्नी पर टिका दी. वह उस की गतिविधियों की निगरानी कराने लगे. घर आनेजाने वालों पर नजर रखी जाने लगी तो एक युवक उन की नजरों में चढ़ गया. वह पवन के गांव का ही अजय सिंह उर्फ बबलू था. अजय का पवन के घर काफी आनाजाना था. वह घर में काफी देर तक रुकता था.

अजय के बारे में और पता किया गया तो पता चला कि अजय ने ही पवन से निशा की शादी कराई थी. निशा अजय की बहन की जेठानी की लड़की थी. यानी रिश्ते में वह अजय की भांजी लगती थी. पहले तो उन को यही लगा कि अजय अपना फर्ज निभा रहा है लेकिन जैसेजैसे जांच आगे बढ़ी तो उन्हें दोनों के संबंधों पर संदेह होने लगा. इंसपेक्टर रघुवंशी ने उन दोनों के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला, दोनों के बीच हर रोज काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों के बीच जो रिश्ता था, उस में इतनी ज्यादा बात होना दाल में काला होना नहीं, पूरी दाल ही काली होना साबित हो रही थी.

ये भी पढ़ें- Crime Story : ढाई करोड़ की चोरी का रहस्य

7 फरवरी, 2021 को इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने अजय को टीकाराम मंदिर के पास से और निशा को गांव अलमापुर में उस की मौसी के घर से गिरफ्तार कर लिया. जिला बाराबंकी के सुबेहा थाना क्षेत्र के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में अजय सिंह उर्फ बबलू रहता था. अजय के पिता का नाम मान सिंह था और वह पेशे से किसान थे. अजय 3 बहनों में सब से छोटा था. इंटर तक पढ़ाई करने के बाद अजय अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने लगा था.

निशा उर्फ शिम्मी अजय की बड़ी बहन अनीता (परिवर्तित नाम) की जेठानी की लड़की थी. शिम्मी के पिता चंद्रशेखर सिंह कोतवाली नगर क्षेत्र के भिखरा गांव में रहते थे, वह दिव्यांग थे, किसी तरह खेती कर के अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. निशा की एक बड़ी बहन और 2 बड़े भाई बबलू और मोनू थे. बबलू पंजाब में फल की दुकान लगाता था. मोनू सऊदी अरब काम करने चला गया था. निशा अलमापुर में रहने वाली अपनी मौसी के यहां रहती थी. हमउम्र अजय और निशा रिश्ते में मामाभांजी लगते थे. जहां निशा हसीन थी, वहीं अजय भी खूबसूरत नौजवान था. निशा ने 11वीं तक तो अजय ने इंटर तक पढ़ाई की थी.
दोनों जब भी मिलते, एकदूसरे के मोहपाश में बंध जाते. दोनों मन ही मन एकदूसरे को चाहने लगे थे. लेकिन रिश्ता ऐसा था कि वे अपनी चाहत को जता भी नहीं सकते थे. लेकिन चाहत किसी भी उम्र और रिश्ते को कहां मानती है, वह तो सिर्फ अपना ही एक नया रिश्ता बनाती है, जिस में सिर्फ प्यार होता है. ऐसा प्यार जिस में वह कोई भी बंधन तोड़ सकती है.

दोनों बैठ कर खूब बातें करते. बातें जुबां पर कुछ और होतीं लेकिन दिल में कुछ और. आंखों के जरिए दिल का हाल दोनों ही जान रहे थे लेकिन पहल दोनों में से कोई नहीं कर रहा था. दोनों की चाहत उन्हें बेचैन किए रहती थीं. दोनों एकदूसरे के इतना करीब आ गए थे कि एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते थे. लेकिन प्यार के इजहार की नौबत अभी तक नहीं आई थी.

आखिरकार अजय ने सोच लिया कि वह अपने दिल की बात निशा से कर के रहेगा. संभव है, निशा किसी वजह से कह न पा रही हो. अगली मुलाकात में जब दोनों बैठे तो अजय निशा के काफी नजदीक बैठा. निशा के दाहिने हाथ को वह अपने दोनों हाथों के बीच रख कर बोला, ‘‘निशा, काफी दिनों की तड़प और बेचैनी का दर्द सहने के बाद आज मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’ कह कर अजय चुप हो गया. निशा अजय के अंदाज से ही जान गई कि वह आज तय कर के आया है कि अपने दिल की बात जुबां पर ला कर रहेगा. इसलिए निशा ने उस के सामने अंजान बनते हुए पूछ लिया, ‘‘ऐसी कौन सी बात है जो तुम बेचैन रहे और तड़पते रहे, मुझ से कहने में हिचकते रहे.’’

अजय ने एक गहरी सांस ली और हिम्मत कर के बोला, ‘‘मेरा दिल तुम्हारे प्यार का मारा है. तुम्हें बेहद चाहता है, दिनरात मुझे चैन नहीं लेने देता. इस के चक्कर में मेरी आंखें भी पथरा गई हैं, आंखों में नींद कभी अपना बसेरा नहीं बना पाती. अजीब सा हाल हो गया है मेरा. मेरी इस हालत को तुम ही ठीक कर सकती हो मेरा प्यार स्वीकार कर के… बोलो, करोगी मेरा प्यार स्वीकार?’’ ‘‘मेरे दिल की जमीन पर तुम्हारे प्यार के फूल तो कब के खिल चुके थे, लेकिन रिश्ते की वजह से और नारी सुलभ लज्जा के कारण मैं तुम से कह नहीं पा रही थी. इसलिए सोच रही थी कि तुम ही प्यार का इजहार कर दो तो बात बन जाए. तुम भी शायद रिश्ते की वजह से हिचक रहे थे, तभी इजहार करने में इतना समय लगा दिया.’’

‘‘निशा, यह जान कर मुझे बेहद खुशी हुई कि तुम भी मुझे चाहती हो और तुम ने मेरा प्यार स्वीकार कर लिया. नाम का यह रिश्ता तो दुनिया का बनाया हुआ है, उसे हम ने तो नहीं बनाया. हमारी जिंदगी है और हम अपनी जिंदगी का फैसला खुद करेंगे न कि दूसरे लोग. रिश्ता हम दोनों के बीच वही रहेगा जो हम दोनों बना रहे हैं, प्यार का रिश्ता.’’ निशा अजय के सीने से लग गई, अजय ने भी उसे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया. दोनों ने एकदूसरे का साथ पा लिया था, इसलिए उन के चेहरे खिले हुए थे. कुछ ही दिनों में दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता भी कायम हो गया.

समय के साथ दोनों का रिश्ता और प्रगाढ़ होता चला गया. दोनों जानते थे कि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाएंगे, फिर भी अपने रिश्ते को बनाए रखे थे. निशा का विवाह उस के घर वाले कहीं और करें और निशा उस से दूर हो जाए, उस से पहले अजय ने निशा का विवाह अपने ही गांव में किसी युवक से कराने की ठान ली. जिस से निशा हमेशा उस के पास रह सके. पवन सिंह अजय के गांव ताला रुकनुद्दीनपुर में ही रहता था. पवन के पिता दानवीर सिंह चौहान की 2008 में मत्यु हो चुकी थी. परिवार में मां शांति देवी उर्फ कमला और 3 बड़ी बहनें और 3 बड़े भाई थे.

मनमर्जी की शादी

अजय ने निशा का विवाह पवन से कराने का निश्चय कर लिया. अजय ने इस के लिए अपनी ओर से कोशिशें करनी शुरू कर दीं. इस में उसे सफलता भी मिल गई. 2012 में दोनों परिवारों की आपसी सहमति के बाद निशा का विवाह पवन से हो गया. निशा मौसी के घर से अपने पति पवन के घर आ गई. विवाह के बाद पवन की मां ने बंटवारा कर दिया. पवन निशा के साथ अलग रहने लगा. इस के बाद पवन की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई. पवन पिकअप चलाने लगा. लेकिन अधिक आमदनी हो नहीं पाती थी. जो होती थी, वह उसे दारू की भेंट चढ़ा देता था. कालांतर में निशा ने एक बेटी शिवांशी (7 वर्ष) और एक बेटे अंश (5 वर्ष) को जन्म दिया.

अजय ने भी निशा के विवाह के एक साल बाद फैजाबाद की एक युवती जया से विवाह कर लिया था. जया से उसे एक बेटा था. लेकिन निशा और अजय के संबंध बदस्तूर जारी थे. पवन शराब का इतना लती था कि उस के लिए कुछ भी कर सकता था. एक बार शराब पीने के लिए पैसे नहीं थे तो पवन निशा के जेवरात गिरवी रख आया. मिले पैसों से वह शराब पी गया. वह जेवरात निशा को अजय ने दिए थे. पवन की हरकतों से निशा और अजय बहुत परेशान थे. अपनी परेशानी दूर करने का तरीका भी उन्होंने खोज लिया. दोनों ने पवन को दुबई भेजने की योजना बना ली. इस से पवन से आसानी से छुटकारा मिल जाता. उस के चले जाने से उस की हरकतों से तो छुटकारा मिलता ही, साथ ही दोनों बेरोकटोक आसानी से मिलते भी रहते.

निशा और अजय ने मिल कर अयोध्या जिले के भेलसर निवासी कलीम को 70 हजार रुपए दे कर पवन को दुबई भेजने की तैयारी की. लेकिन दोनों की किस्मत दगा दे गई. लौकडाउन लगने के कारण पवन का पासपोर्ट और वीजा नहीं बन पाया. पवन को दुबई भेजने में असफल रहने पर उस से छुटकारा पाने का दोनों ने दूसरा तरीका जो निकाला, वह था पवन की मौत. अजय ने निशा के साथ मिल कर पवन की हत्या की योजना बनाई. 13 सितंबर को अजय ने पवन से कहा कि वह बहुत अच्छी शराब लाया है, उसे कल पिलाएगा. अच्छी शराब मिलने के नाम से पवन की लार टपकने लगी.

अगले दिन 14 सितंबर की रात 9 बजे पवन अपनी बाइक से अजय के घर पहुंच गया. वहां से अजय उसे टीकाराम बाबा के पास वाले तिराहे पर ले गया. अजय ने वहां उसे 2 बोतल देशी शराब पिलाई. पिलाने के बाद वह उसे पीपा पुल पर ले गया. वहां पहुंचतेपहुंचते पवन बिलकुल अचेत हो गया. अजय ने उसे उठा कर गोमती नदी में फेंक दिया. उस के बाद वह घर लौट गया.

लेकिन अजय और निशा की होशियारी धरी की धरी रह गई और दोनों पकड़े गए. आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद इंसपेक्टर धर्मेंद्र रघुवंशी ने दोनों को न्यायालय में पेश कर दिया, वहां से दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया.

पुजारियों को सरकारी दानदक्षिणा क्यों

मध्य प्रदेश में आम लोग जाएं तेल लेने. युवाओं को न नौकरी न बेरोजगारी भत्ता, किसानों को राहत नहीं, कर्मचारियों को एरियर व महंगाई भत्ता नहीं और महिलाओं को सुरक्षा नहीं. लेकिन धर्म की दुकानदारी में बिलकुल भी कमी नहीं, इस के लिए पंडेपुजारियों को सरकारी दानदक्षिणा जारी है.

कोई नहीं पूछता कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया जाता, किसानों को राहत और इमदाद खासतौर से सुपात्रों को क्यों वक्त पर नहीं दी जा रही. सरकार जनता का पैसा निकम्मे पंडेपुजारियों पर क्यों लुटा रही है, कर्मचारियों को एरियर और महंगाई भत्ता देने को सरकार के खजाने में पैसा नहीं है लेकिन पैसा उन पुजारियों के लिए ही क्यों है जो कुछ नहीं करते.

ये भी पढ़ें- देश में कोरोना से बिगड़ते हालात: कुव्यवस्था से हाहाकार

अव्वल तो तमाम धर्मग्रंथ इन नसीहतों से भरे पड़े हैं कि ब्राह्मण को दानदक्षिणा देते रहने में ही कल्याण और सार्थकता है लेकिन महाभारत का अनुशासन पर्व तो खासतौर से गढ़ा ही इसीलिए गया है. इस पर्व में भीष्म पितामह और युधिष्ठिर का संवाद है जिस में युधिष्ठिर एक जिज्ञासु की तरह भीष्म से पूछ रहा है कि दान और यज्ञ कर्म इन दोनों में से कौन मृत्यु के पश्चात महान फल देने वाला होता है और ब्राह्मणों को कब और कैसे दान देना चाहिए.

दानधर्म पर्व के अध्याय 61 को पढ़ें तो यह पूरा ब्राह्मणों की दान महिमा से रंगा हुआ है. श्लोक 1 से ले कर श्लोक 38 तक में भीष्म युधिष्ठिर को बता रहे हैं कि :

तुम नियमपूर्वक यज्ञ में सुशील सदाचारी तपस्वी वेदवेत्ता, सब से मैत्री रखने वाले तथा साधु स्वभाव वाले ब्राह्मणों को संतुष्ट करो.

ये भी पढ़ें- थाली बजाई, दिया जलाया, अब ‘यज्ञ’ भी

1.   यज्ञ करने वाले ब्राह्मणों का सदा सम्मान करो.

2 .जो बहुतों का उपकार करने वाले ब्राह्मणों का पालनपोषण करता है वह उस शुभकर्म के प्रभाव से प्रजापति के समान संतानवान होता है.

3 . युधिष्ठिर, तुम समृद्धिशाली हो इसलिए ब्राह्मणों को गाय, बैल, अन्न, छाता, घोड़े, जुते हुए रथ आदि की सवारियां, घर और शैया आदि वस्तुएं देनी चाहिए.

4.  ब्राह्मणों के पास जो वस्तु न हो उसे उन को दान देना और जो हो उस की रक्षा करना भी तुम्हारा नित्य कर्तव्य है. तुम्हारा जीवन उन्हीं की सेवा में लग जाना चाहिए.

5.  यदि तुम्हारे राज्य में कोई विद्वान ब्राह्मण भूख से कष्ट पा रहा हो तो तुम्हें भ्रूणहत्या का पाप लगेगा.

6.    जिस राजा के राज्य में स्नातक ब्राह्मण भूख से कष्ट पाता है उस के राज्य की उन्नति रुक जाती है.

ये सब व ऐसी कई हाहाकारी डराने वाली बातें सभी धर्मग्रंथों में कही गई हैं जिन्हें पढ़ कर नास्तिक से नास्तिक आदमी को भी एक बार भ्रम हो जाता है कि बात में कोई तो दम होगा. जबकि हकीकत यह है कि ब्राह्मण जैसी श्रेष्ठ जाति को मेहनतमजदूरी जैसा तुच्छ काम न करना पड़े, इसलिए यह साजिश रची गई, जो लोकतंत्र के इस दौर में भी कायम है और जनप्रतिनिधि भी इस का आचरण व पालन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- लाशों पर लड़ी सत्ता और धर्म की लड़ाई

शिवराज सिंह बने युधिष्ठिर 

इस हाहाकारी पर्व को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने न केवल अच्छी तरह घोंट लिया है बल्कि इस पर अमल करना भी शुरू कर दिया है. राज्य के चालू साल के बजट में उन्होंने सभी मठमंदिरों के पुजारियों को 8 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है. यह हालांकि भीष्म ने जो और जितना बताया उस के लिहाज से तो ऊंट के मुंह में जीरा सरीखी है लेकिन मुफ्तखोरी के लिहाज से उन की धर्मराज की इमेज गढ़ने के लिए काफी है. अब उन के राज्य में ब्राह्मण प्रसन्न हैं और उन पर आशीर्वाद बरसा रहे हैं.

यह कोई पहला मौका नहीं है जब शिवराज सिंह पुजारियों पर मेहरबान हुए हों. इस के पहले लौकडाउन के दौरान वे 16 मई, 2020 को 8 करोड़ रुपए की गुजारा राशि दे चुके हैं. दूसरे रोजगारधंधों की तरह कड़की के उन दिनों में पुजारियों को भी कथिततौर पर खानेपीने के लाले पड़े थे, तब शिवराज सिंह को भीष्म पितामह के वचन याद आए थे. यह और बात है कि तब राज्य के भूखेप्यासे, मेहनतकश मजदूरों के लिए उन का दिल नहीं पसीजा था जो चिलचिलाती गरमी में नंगे पांव देश के कोनेकोने से भाग कर अपने घरों को लौट रहे थे. इन लोगों का गुनाह इतनाभर था कि वे ब्राह्मण या पुजारी नहीं, बल्कि अधिकांशतया दलित व पिछड़े तबके के थे.

अपने चौथे कार्यकाल के पहले ही बजट में उन्होंने पुजारियों का दिल खुश करते ब्राह्मण श्राप से मुक्ति पा ली है जिस के चलते साल 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार  झेलनी पड़ी थी. उस हार के बाद से उन्होंने दानधर्म पर्व को पूरी तरह आत्मसात कर लिया.

यों लगा था ब्राह्मण श्राप

बात मई 2016 की है जब मध्य प्रदेश में भाजपा को सम झ आ गया था कि सत्ताविरोधी लहर के चलते उस की कुरसी खतरे में है. तब दलित वोटों को लुभाने को उस ने एक अनूठा और नए किस्म का शिगूफा छोड़ा था कि वह दलित युवाओं को ट्रेनिंग दे कर पुजारी बनाएगी. इस बाबत हरी  झंडी मिलते ही अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम ने राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था जिस में कहा गया था कि अनुसूचित जाति की सामाजिक व आर्थिक उन्नति और समरसता के लिए पुरोहित प्रशिक्षण योजना शुरू की जाए.

तब राज्य सरकार की दलील यह थी कि प्रत्येक समाज में धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों के लिए पर्याप्त संख्या में पंडित नहीं मिल पाते. ऐसे में मनमानी दक्षिणा वसूलने व कई जगहों पर जातिगत भेदभावों के मामले सामने आते हैं. तब अनुसूचित जाति कल्याण मंत्री ज्ञान सिंह ने बड़े गर्व से यह ज्ञान बघारा था कि धार्मिक अनुष्ठानों में कुछ विशेष वर्ग (जाहिर है ब्राह्मणों) का एकाधिकार है. अगर अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग के लोग कर्मकांडों में प्रशिक्षित होंगे तो यह एकाधिकार टूटने लगेगा और दलितों को रोजगार मिलने लगेगा.

उस वक्त ब्राह्मणों ने आसमान सिर पर उठा लिया था और जगहजगह सड़कों पर उतरते इस फैसले का विरोध किया था. एक शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने इस योजना का विरोध करते हुए सरकार को चेतावनी दी थी कि वह सनातन धर्म की परंपराओं को न तोड़े. कामदगिरी के पीठाधीश्वर राजीव लोचनदास ने कहा था कि मंदिर में पुजारी कौन बनेगा, इस का फैसला सरकार न करे. यह राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था है. सरकार को चाहिए कि वह पुजारी बनाना छोड़ प्रहरी बनाए जिस से लोगों को रोजगार मिल सके.

धर्म के इन दोनों व सरकार के उक्त फैसले से तिलमिलाए कई ठेकेदारों ने सीधेसीधे वर्णव्यवस्था का पाठ पढ़ाते धौंस यह दी थी कि शूद्र को शूद्र ही रहने दो, उसे कोई नाम न दो. बुंदेलखंड ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष भरत तिवारी ने तो दुर्वासाई रूप दिखाते सरकार को श्राप सा दे दिया था कि सरकार ब्राह्मणों के आशीर्वाद से बनती है और श्राप से गिर जाती है. यही हाल रहा तो 2018 के चुनाव में ब्राह्मण वर्ग भाजपा का श्राद्ध कर देगा.

और ऐसा हुआ भी कि कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छीन ली. हालांकि इस की वजह कांग्रेस की एकजुटता और शिवराज सरकार से आम लोगों की नाराजगी थी लेकिन यह भी सच है कि ब्राह्मणों ने भी भाजपा को वोट नहीं किया था या फिर वे वोट देने बूथ तक गए ही नहीं थे और जो गए थे वे नोटा का बटन दबाने गए थे जिस का कि फतवा भी 25 सितंबर, 2018 को पुजारी महासंघ के अध्यक्ष नरेंद्र दीक्षित ने जारी किया था. इस से आरएसएस और भाजपा के रणनीतिकार थर्रा उठे थे कि दांव तो उलटा पड़ गया. इस के बाद कांग्रेस की फूटमफाट के चलते भाजपा को फिर सत्ता मिली, तो शिवराज सिंह ब्राह्मणों के आगे नतमस्तक हो गए और अब सपने में भी दलितों को पुजारी बनाने का बेहूदा खयाल दिल में नहीं लाते. उन्हें सम झ आ गया है कि क्यों ब्राह्मण को ब्राह्मण कहा जाता है और क्यों भीष्म ने युधिष्ठिर को इस वर्ग को प्रसन्न व संतुष्ट रखने की सलाह दी थी.

नए बजट में पुजारियों को मानदेय देने की घोषणा फैसला कम बल्कि पुराने पापों का प्रायश्चित्त ज्यादा है. अब तकरीबन 25 हजार पुजारी उन पर फूल बरसा रहे हैं जिन्हें 3 से ले कर 6 हजार रुपए तक हर महीने बैठेबिठाए मिलेंगे और नियमित चढ़ावा व दक्षिणा मिलेगी, सो अलग.

कमलनाथ पर नहीं बरसी थी कृपा

15 साल बाद 2018 में कांग्रेस सत्ता में आई और कमलनाथ मुख्यमंत्री बने तो प्रदेश की जनता को लगा था कि अब धार्मिक पाखंडों से मुक्ति मिल जाएगी और प्रदेश तरक्की के रास्ते चलेगा लेकिन तजरबेकार कमलनाथ आम लोगों की उस उम्मीद व मंशा को सम झ नहीं पाए. उन के कुरसी पर बैठते ही धर्मकर्म का खेल और जोरशोर से चलने लगा. हर कहीं, हर कभी यज्ञहवन पूर्ववत होते रहे. इन में भी मिर्ची यज्ञ शहरशहर हुआ तो लोग चकरा और  झल्ला उठे कि आखिर यह हो क्या रहा है. अगर यही सब हमें देखना व भुगतना था तो भाजपा ही क्या बुरी थी.

तमाशा और बात यहीं खत्म नहीं हुई. कमलनाथ ने ब्राह्मणों का दिल, जो द्यआज तक अजेय है, को जीतने के लिए 1 फरवरी, 2019 को घोषणा कर दी कि पुजारियों का मानदेय तीनगुना बढ़ाया जाएगा, इस के अलावा सरकार ऐसे मंदिरों को आर्थिक सहायता देगी जो अपनी भूमि पर गौवंश पालेंगे. इस के कुछ दिनों बाद कमलनाथ भी एक नामी हनुमान मंदिर में एक नामी पंडित के सान्निध्य में समारोहपूर्वक सुंदरकांड और हनुमान चालीसा पढ़ते नजर आए तो ठोकने वालों ने अपना सिर ठोकते सम झ लिया कि अब हो गया विकास. विकास चाहिए, रोजगार चाहिए तो गला फाड़फाड़ कर चिल्लाओ, ‘को नहीं जानत है जग में कपि, संकट मोचन नाम तिहारो…’

जाने क्यों हनुमान ने कमलनाथ पर कृपा नहीं बरसाई, उलटे, बलबुद्धि के इस देवता ने कांग्रेस से उपेक्षित चल रहे दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बुद्धि इतनी भ्रष्ट कर दी कि वे अपने गुट के 22 विधायकों को ले कर भगवा खेमे में पहुंच गए. नतीजतन, 22 मार्च, 2021 को शिवराज सिंह चौथी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन बैठे और ब्राह्मणों को पूर्ववत रेवडि़यां बांटनी शुरू कर दीं. अब किसी को गिलाशिकवा उन से नहीं है. ब्राह्मण खुश हो गया है, यह खबर भीष्म पितामह तक पहुंचा दी गई है.

बुद्धिजीवियों के राज्य मध्य प्रदेश में अब कोई नहीं पूछता कि युवाओं को बेरोजगारी भत्ता क्यों नहीं दिया जाता, किसानों, खासतौर से सुपात्रों को राहत और इमदाद क्यों वक्त पर नहीं दी जा रही. सरकार जनता का पैसा निकम्मे पंडेपुजारियों पर क्यों लुटा रही है, कर्मचारियों को एरियर और महंगाई भत्ता देने को सरकार के खजाने में पैसा नहीं है लेकिन पैसा उन पुजारियों के लिए ही क्यों है जो कुछ नहीं करते. संविधान के कौन से अनुच्छेद में लिखा है कि पूजापाठ करने वालों को सरकार अपने खजाने से पैसा देगी. ऐसा कर के क्या वह हजारों पुजारियों को निठल्ला नहीं बना रही, वह भी दूसरे गरीबों का पेट काट कर. सवाल बड़े पैमाने पर पूछा जाना तो बनता है.

फिल्म ‘सरदार का ग्रैंडसन’ कि कहानी है मजेदार

रेटिंग: दो स्टार

निर्माताः जाॅन अब्राहम,भूषण कुमार, किशन कुमार,दिव्या खोसला कुमार, मोनिषा अडवाणी व निखिल अडवाणी

निर्देशकः काशवी नायर
कलाकारः अर्जुन कपूर,रकूल प्रीत सिंह, नीना गुप्ता,कुमुद मिश्रा,जाॅन अब्राहम, अदिति राॅय हादरी,सोनी राजदान,कंवलजीत,दिव्या सेठ, मसूद अख्तर,आकषदीप साबिर व अन्य.
अवधिः दो घंटा उन्नीस मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म: नेटफ्लिक्स

कुछ समय पहले खबर आयी थी कि विज्ञान के विकास के साथ तकनीक भी विकसित हो चुकी है.जिसके चलते अब किसी भी इमारत या मंदिर आदि को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने के लिए उसे ध्वस्त कर नई जगह पर बनाने की जरुरत नही रही.कुछ वर्ष पहले अहमदाबाद में ‘मामचंद एंड संस’ नामक कंपनी ने एक चार मंजिला मंदिर को उसकी नींव के नीचे से उठाकर लोडर ट्क पर लाद कर चार सौ मीटर दूर दूसरी जगह पर ज्यों का त्यों स्थांतरित कर दिया था.

ये भी पढ़ें- Khatron Ke Khiladi 11 : शो का पहला एलिमिनेशन, बाहर हुआ ये हैंडसम कंटेस्टेंट

शायद इसी तरह की खबर से प्रेरित होकर फिल्मकार काशवी नायर एक भावनाप्रधान रोमांटिक ड्रामा वाली फिल्म ‘‘सरदार का ग्रैंडसन’’ लेकर आयी हैं,जिसे अनुजा चैहाण,अमितोष नागपाल और काशवी नायर ने लिखा है.इसमें 1947 में देश के बंटवारे के समय लाहौर में छूट गए मकान को सत्तर वर्ष बाद लाहौर से उठाकर अमृतसर में स्थापित किए जाने की कहानी है.

इस भावनात्मक फिल्म की पटकथा में कई कमियां हैं.इस फिल्म में भारतीय राजनीति व ब्यूरोके्रट्स को लेकर संकेत में बहुत कुछ कहा गया है.बहरहाल,इस फिल्म को ओटीटी प्लेटफार्म पर 18 मई से देखा जा सकता है.पूरी फिल्म देखने के बाद फिल्म की निर्देशक काशवी नायर का पाकिस्तान प्रेम उभरकर आता है कि पाकिस्तान अति उदारता दिखाते हुए फिल्म के नायक अमरीक को उनकी दादी का पुश्तैनी मकान उखाड़ कर ट्रॉलर पर ले जाने देता है.

ये भी पढ़ें- Indian Idol 12 : मेकर्स से नाराज हुए फैंस , कहा जल्द बंद करो शो

कहानीः
फिल्म की शुरूआत अमरीका के लास एंजेल्स षहर में अपनी प्रेमिका राधा (रकूल प्रीत सिंह)के घर ग्रीन कार्ड धारी अमरीक सिंह(अर्जुन कपूर)के पहुॅचने से होती है. अमरीक सिंह कोई भी काम सही ढंग से नही करते हैं.राधा के घर पहुॅचते ही अमरीक सिंह के हाथों कुछ न कुछ टूटता रहता है.इसी वजह से राधा से मनमुटाव हो जाता है.वैसे अमरीक सिंह वहां पर एक माॅल में नौैकरी करते हैं.अचानक अमृतसर से अमरीक के पिता गुरकीरत सिंह(कंवलजीत सिंह)उसे फोन करके कहते है कि जल्दी भारत आ जाए.

क्योंकि उसकी नब्बे वर्षीय दादी रूपिंदर कौर उर्फ सरदार कौर( नीना गुप्ता ) अब अपनी जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर हैं.अमरीक को देखकर दादी खुश हो जाती है.वह अमरीक से कहती है कि वह एक बार पाकिस्तान के लाहौर षहर जाना चाहती हैं.रूपिंदर उर्फ सरदार कौर लाहौर जाकर अपने स्व.पति गुरशीर सिंह(जाॅन अब्राहम )द्वारा लाहौर में बनवाए गए अपने मकान के अंदर बैठकर एक बार उनसे माफी मांगना चाहती हैं.पता चलता है कि वर्तमान में अमृतसर की मशहूर सायकल कंपनी ‘‘चैपियन सायकल’’ की नींव लाहौर में 70 वर्ष पहले गुरशेर सिंह ने रखी थी.

और लाहौर में कई मंजिला मकान बनवाकर युवा रूपिंदर कौर(अदित राव हादरी)के संग खूबसूरत रोमांटिक जिंदगी बिता रहे थे.पर 1947 में देश के बंटवारे के वक्त कुछ मुस्लिमों ने उनके घर में घुसकर गुरषेर सिंह की हत्या कर दी थी.तब रूपिंदर कौर अपने छोटे बेटे को पीठ पर बांधकर सायकल पर बैठकर बाघा बार्डर से अमृतसर पहुॅची थी.इस बात को सत्तर वर्ष हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें- Broken But Beautiful 3: सिद्धार्थ शुक्ला के नए शो का ट्रेलर रिलीज, देखें वीडियो

अब वह पोते पोती वाली हैं और लोग उन्हे सरदार कौर(नीना गुप्ता) बुलाते हैं.अमरीक वादा करता हे कि वह अपनी दादी को लाहौर लेकर जाएगा.दादी कह देती हैं कि यदि उसने ऐसा किया,तो वह उसे ‘चैंपियन सायकल’ कंपनी का सीईओ बना देंगी.अमरीक अपना व अपनी दादी का वीजा बनवाने जाता है.ग्रीन कार्ड होने के कारण उसका वीजा बन जाता है.मगर सरदार कौर का वीजा नही बनता.क्योंकि उसे पाकिस्तान ने बैनर कर रखा है.वास्तव में एक बार क्रिकेट मैच के दौरान एक पाकिस्तानी अधिकारी नियाजी (कुमुद मिश्रा)द्वारा भारतीय खिलाड़ी हरभजन सिंह के खिलाफ अपषब्द कह दिए थे,तब सरदार कौर ने उसकी दाढ़ी नोंच ली थी.

इस वीडियो के वायरल होने के बाद सरदार कौर पाकिस्तान में बैन कर दी गयी थी.अब दादी को उदास देखकर अमरीक सोच में पड़ जाता है.तभी वह यूट्यूब पर एक वीडियो देखता है जिसमे एक अमरकीन कंपनी एक बड़े पेड़ को जड़ सहित उठाकर एक जगह से दूसरी जगह तबादला करती है.तो अमरीक को लगता है कि इस तरह वह लाहौर से दादी का मकान लाकर यहां अमृतसर में रख सकता है.वह इस तैयारी में लग जाता है.भारत सरकार के अधिकारी कह देते हैं कि उसके इस काम में भारत सरकार का कोई जुड़ाव नही है.अमरीक लाहौर पहुॅचता है,तो देखता है कि उसकी दादी के मकान को तोड़ने की काररवाही की जा रही है.वह किसी तरह ऐसा नही होने देता.इसमे वहां पर चाय बेचने वाला एक बालक मदद करता है.पर हंगामा इतना हो जाता है और वीडियो वायरल हो जाता है.

पुलिस आती है और अमरीक को पकड़ कर ले जाती है.पर मकान का टूटना बंद हो जाता है.वह चाय वाला लड़का पाकिस्तान में मौजूद भारत के राजदूत को बुलाकर लाता है,जो कि अमरीक की जमानत कराते हैं.पर भारतीय राजदूत, अमरीक से कहते हैं,‘हमारा नाम कहीं भी मत लेना.तुम्हारी जमानत से भारतीय दूतावास या मेरा कोई संबंध नही है.यहीं से सब कुछ भूल जाओ.’पर अमरीक लाहौर के कमिश्नर के पास मकान को उठाकर भारत ले जाने की इजाजत लेने जाते है,तो पता चलता है कि यह तो वही नियाजी हैं जिनकी दाढ़ी उनकी दादी ने नोची थी.नियाजी उस पुरानी घटना को याद कर इजाजत देने से इंकार कर देते हैं.

इसी बीच अमरीका से अमरीक की प्रेमिका राधा भी लाहौर पहुॅच जाती है.फिर मकान के सामने खड़े होकर चाय वाले लड़के के इशारे पर अमरीक व राधा मकान को न तोड़ने देने की नारे बाजी करते हैं.राधा आर्कियोलाॅजी के ‘के पी केविन 1997’का हवाला देती है.यह वीडियो पूरे विश्व में वायरल हो जाता है.अब मजबूरन भारत के प्रधानमंत्री, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से फोन पर बात करते हैं.पाकिस्तानी वजीरे आजम इजाजत दे देते हैं.पर नाजी अपनी तरफ से अड़चन लगा देते हैं.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.अंततः मरणासन्न दादी का मकान लेकर अमरीक अमृतसर पहुॅच जाते है. दादी खुश हो जाती हैं.फिर वह सात साल तक जीती हैं.अमरीक व राधा की भी षादी हो जाती है.

लेखन व निर्देशनः
विदेश में पली बढ़ी निर्देशक काशवी नायर ने जिस तरह से इस फिल्म में भारतीय रिश्तों की कड़ी को पिरोया है,उसके लिए वह बधाई की पात्र हैं.मगर फिल्म में भावनाओ का ज्वार नजर नही आता.पारिवारिक संघर्ष भी बहुत दबा हुआ है.यह उनकी पहली फिल्म है.उनके अनुभव की कमी इस फिल्म में स्पष्टरूप से नजर आती है.

फिल्म की पटकथा में कमियां ही कमियां है,जिसके चलते यह न तो बेहतरीन हास्य फिल्म बन पायी और न ही अच्छी सामाजिक व राजनीतिक फिल्म ही बन पाती है. निर्देशक काशवी की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी यह है कि अनुभवहीनता के चलते कहें अथवा एक बड़ा परिवार दिखाने के चक्कर में उन्होने किरदार काफी जोड़ दिए,कलाकारों  की लंबी चैड़ी फौज भी खड़ी कर दी,मगर अधिकांष किरदारों के संग वह न्याय करने में पूरी तरह से विफल रही हैं.अमरीक के किरदार मे अर्जुन कपूर का चयन भी गलत ही है.अमरीक व राधा की प्रेम कहानी ठीक से उभरती ही नही है.

फिल्म की गति काफी ढीमी है.इसे एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी.फिल्म के कई दृष्य बेमानी हैं.फिल्म कई जगह बहुत ही ज्यादा उबाउ है. अमितोष नागपाल के संवाद बेसिर पैर के हैं.फिल्म में एक जगह चाय बेचने वाला लड़का अर्जुन कपूर से कहता है-‘‘आपके देश में लोग चाय वाले को अंडरइस्टीमेंट बहुत करते हैं.’’इस संवाद के माध्यम से वह क्या कहना चाहते हैं,वही जाने.इसके अलावा कई संवाद भारत सरकार की कार्यशैली पर चोट करने के लिए रखे गए हैं,मगर वह न स्तरीय हैं और न ही असरदार हैं. भारत व पाकिस्तान के राजनेताओं और ब्यूरोक्रेसी पर बहुत डर के भाव लेखकोें ने कलम चलाई है.

अभिनयः
कुछ वर्ष पहले ‘‘बधाई हो’’से जिस तरह नीना गुप्ता ने वापसी करते हुए अपने अभिनय का लोहा मनवाया था,उसके चलते अब लोग उन्हे षीर्ष भूमिका में लेकर फिल्में बनाने लगे हैं.यह फिल्म पूर्णरूपेण नीना गुप्ता के ही इर्दगिर्द घूमती है.नब्बे वर्ष की सरदार कौर के किरदार में नीना गुप्ता ने कमाल का अभिनय किया है.मगर उनके अभिनय पर मेकअप हावी हो गया है. 90 साल का दिखने के लिए नीना गुप्ता को प्रोस्थेटिक मेकअप भी कराना पड़ा है,पर वह उसमें भी सुंदर ही नजर आती हैं.इस फिल्म की कमजोर कड़ियों में अमरीक का किरदार निभाने वाले अभिनेता अर्जुन कपूर भी हैं.वह अपने अभिनय से कहीं  भरी प्रभावित नही करते.रकूल प्रीत सिंह सुंदर जरुर नजर आयी हैं,मगर अर्जुन कपूर संग उनकी केमिस्ट्री बेदम है.रूपिंदर कौर के किरदार में अदिति राव हादरी ने भी बेहतरीन अभिनय किया है.

लाहौर के काइयां कमिष्नर नियाजी के किरदार में कुमुद मिश्रा एक बार फिर अपेन अभिनय का जलवा दिखा जाते हैं.कंवलजीत सिंह व जाॅन अब्राहम पूर्णरूपेण निराष करते हैं.चाय वाले का किरदार निभाना वाला बालक अपनी अमिट छाप छोड़ जाता है.मगर सोनी राजदान,आकादीप शब्बीर,मसूद अख्तर,रवजीत सिंह आदि के किरदारों को अहमियत ही नही दी गयी.

Hyundai Creta के साथ पहुंचे अपने मंजिल तक

The Nuptial Test को पार करने के लिए @HyundaiIndia #Creta को बहुत से लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने का काम करना है,

ये भी पढ़ें- भारत में Hyundai Creta

वो भी आरामदायक तरीके से खासकर बुजुर्ग लोगों को. साथ ही अच्छे म्यूज़िक से उनका मनोरंजन भी तो जरुरी है.

Hyundai Creta के साथ आरामदायक सफर

The Nuptial Test के लिए खुद को चैलेंज करने वाला @HyundaiIndia #Creta ही है जो अपने ड्यूल टोन में लाजवाब लगता है.

ये भी पढ़ें-Hyundai Creta के साथ सफर

साथ ही हुड के नीचे मौजूद 1.4 लीटर का टर्बो पेट्रोल इंजन जो 7-स्पीड DCT के साथ गजब का है.एक झटके में 140bph की रफ्तार पकड़ ले हाईवे पर उससे बेहतर और क्या हो सकता है?

 

Khatron Ke Khiladi 11 : शो का पहला एलिमिनेशन, बाहर हुआ ये हैंडसम कंटेस्टेंट

टीवी के खतरनाक स्टंट  रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी 11 ‘ की शूटिंग शुरू हो चुकी है. रोहित शेट्टी के इस शो कि शूटिंग केपटाउन में हो रही है. इस महीने सभी कंटेस्टेंट केपटाउन पहुंचे थें, इस शो से जुड़ी खास जानकारी बाहर आई है.

एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस शो के कंटेस्टेंट विशाल आदित्या सिंह शो से बाहर जा चुके हैं. उन्हें टॉस्क के दौरान बाहर किया गया है. खबर है कि विशाल आदित्या सिंह का हाल पहले ही टास्क में बेहाल हो गया. जिसके बाद रोहित शेट्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.

ये भी पढ़ें- Indian Idol 12 : मेकर्स से नाराज हुए फैंस , कहा जल्द बंद करो शो

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Vishal Aditya Singh (@vishalsingh713)

खबर आ रही है कि विशाल के साथ अनुष्का और निक्की भी बॉटम में थी. यह खबर विशाल के फैंस के लिए एक झटके के समान है. विशाल आदित्या ने सलमान खान के रियलिटी शो बिग बॉस 13 में भी हिस्सा लिए थें. इससे पहले वह नच बलिए में भी नजर आ चुके हैं.

ये भी पढ़ें- Broken But Beautiful 3: सिद्धार्थ शुक्ला के नए शो का ट्रेलर रिलीज, देखें

हालांकि एक रिपोर्ट में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि यह मेरा पहला रियलिटी शो होगा जहां मैं एक्चुअल में क्या हूं वही दिखूगां इससे पहले मैं जो था वह रियलिटी नहीं दिखाई जा रही थी. हमेशा कुछ अलग मुझे दिखाया गया इसलिए मैं इसे अपना पहला रियलिटी शो मानता हूं.

ये भी पढ़ें- Neha Kakkar और Rohanpreet का नया गाना इस दिन होगा रिलीज, सड़क पर दिया धांसू पोज

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Vishal Aditya Singh (@vishalsingh713)

आगे उन्होंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि इस शो में बाकी अन्य जगहों कि तरह ड्रामा नहीं होगा. खैर फैंस को इस बात का इंतजार है कि इस शो का विनर कौन बनेगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें