देश और सरकार उपदेशों व प्रवचनों के बजाय वैज्ञानिक व तकनीकी राह अपनाते तो कोरोना के हालात भयावह न होते. कुंभ और रैलियों ने कोरोना का कहर इतना बढ़ा दिया कि जगहजगह लाशों के अंबार लग गए जैसे महाभारत के युद्ध के बाद लगे थे. लड़ाई तब भी सत्ता की थी और आज भी है. महाभारत इकलौता धर्मग्रंथ है जिसे हिंदू घर में नहीं रखते. माना यह जाता है कि जिस घर में महाभारत की किताब रखी होगी उस में कलह जरूर होगी. यह पूरी किताब ही सब से बड़े राजनीतिक युद्ध की वजह से ही वेद व्यास ने लिखी जिस के कर्णधार, सूत्रधार और नायक कृष्ण हैं.
उस में कलह ही कलह है जिस से लोग डरते हैं कि यह हमारे यहां न हो. इस महाकाव्य को घरों में न रखने की सलाह देना एक और धार्मिक चालाकी है कि लोग अगर इसे पढ़ व सम झ लेंगे तो उन्हें यह भी सम झ आ जाएगा कि कैसेकैसे छलकपट, झूठफरेब, व्यभिचार और धूर्तता हिंदुओं के वे आदर्श बिना किसी लिहाज के करते थे जिन्हें भगवान बना कर घरघर में पूजा जाता है. यह सच ढका रहे, इसलिए कलह का डर लोगों, खासतौर से औरतों को दिखाया गया और उन्हें श्रीमद्भगवतगीता पढ़ने को कहा गया जो इसी किताब का बहुत छोटा सा हिस्सा है. धर्म के ठेकेदारों का एक बड़ा डर यह भी है कि लोग कहीं यह न पूछने लगें कि जब इतना विनाश होना ही था जितना कि युद्ध के बाद हुआ, तो क्या युद्ध जरूरी था? क्या इसे टरकाया नहीं जा सकता था?