लेखिका- डा. रंजना जायसवाल
अनुपमा शुक्ला, सरकारी स्कूल से प्रधानाचार्य के पद से कुछ साल पहले ही रिटायर हुई थीं. पति की कुछ साल पहले सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. वर्षों का आनाजाना था. एकदूसरे के सुखदुख के साथी. नियति ने दोनों के जीवनसाथी को छीन लिया था. मनोज की 2 बेटियां ही थीं. दोनों ही शादी कर के अपने घर चली गई थीं. अनुपमाजी का एक ही बेटा था, जो बंगलोर में अपने परिवार के साथ रहता था.
“मिसेज शुक्ला… कैसी हैं आप?””बिलकुल ठीक… आप बताइए.””मैं भी… लगता है, चश्मे का पावर बढ़ गया है. चश्मा चेक कराना पड़ेगा…”अनुपमा जी मंदमंद मुसकराने लगी.”गुप्ता जी… पावर नहीं… आंखें पोंछिए. सब साफसाफ दिखने लगेगा.”
मनोज झेंप से गए… क्या सोचेंगी मिसेज शुक्ला… उन्होंने झट से रूमाल निकाला… आंसू गाल तक ढुलक आए थे.”भाभीजी की याद आ रही थी क्या…?””हम्म…””आप को नहीं आती शुक्ला भाईसाहब की…???”
एक अजीब सी मुसकराहट अनुपमा के चेहरे पर तैर गई”मनोजजी, जवानी में घरपरिवार की जिम्मेदारी निभातेनिभाते खुद के लिए कभी समय ही नहीं मिला. उम्र के जिस पड़ाव पर हूं, वहां दिलों में भावों के उफानों को एक ठहराव सा मिल जाता है. अब तितलियों के पीछे भागने, शहर के नुक्कड़ पर चटपटे गोलगप्पे और किसी फिल्मी हीरोइन के द्वारा पहने गए कपड़ों को सब से पहले खरीदने की होड़ नहीं रहती. अब तो अपने बच्चों को आगे बढ़ते हुए देखने का एक अजीब सा सुकून है, उन के साथ टेढेमेढे मुंह बना कर तसवीरें खिंचवाने की खुशी है…
जब तक ये थे… तो कभी आंखों के आसपास उभर आई आड़ीतिरछी रेखाओं को सौंदर्य प्रसाधनों से छुपाने की पुरजोर कोशिश रहती थी, तो कभी बगल वाली मिसेज राय की अपेक्षा अपनेआप को फिट और स्लिम दिखाने की कवायद जारी रहती थी. पति के ताने… जो कभी दिल को चीर देते थे कि दिनभर करती क्या हो, बिस्तर पर फैली भीगी तौलिया, यहांवहां बेकदरी से पड़े जूतेचप्पलें, बच्चों की चिल्लपों और उन की फरमाइश पूरी करने वाले हाथ अब उन आवाजों को सुनने के लिए बेकरार रहते हैं…
पर अब कहीं कुछ खोया सा महसूस होता है. इन के जाने के बाद जीवन खाली सा हो गया है… ऐसा नहीं कि मैं अपने वर्तमान से संतुष्ट या खुश नहीं हूं, पर उम्र के इस पड़ाव पर अतीत के अरमान, वो सपने, जिन्हें हम कहीं बहुत पीछे छोड़ आए थे… मुझे दोबारा पुकारने लगे हैं. कभी आईने के सामने खड़ी होती हूं, तो अपना ही चेहरा अनजाना सा लगता है. आज एक बार फिर… उम्र के इस पड़ाव पर अपनेआप से दोबारा मिलने की ख्वाहिश है.”
मनोज अनुपमा को चुपचाप देखते रह गए…अकेलापन जाति, धर्म या लिंग का कभी भेदभाव नहीं करता. अनुपमा की हालत भी तो कुछ उस की तरह ही तो थी… बेखयाली में भी जिस का खयाल कभी नहीं भूलता, शायद उसे ही जीवनसाथी कहते हैं. मनोज की नजर कलाई में बंधी घड़ी पर अचानक ही चली गई, “ओह… आज तो बहुत देर हो गई. अनुपमाजी चलता हूं.”
“अरे मनोजजी क्या हुआ? आप यों अचानक क्यों उठ गए? आज तो रविवार है? फिर…””ओह… हां, मैं तो भूल ही गया था.””अब उठ ही गए तो चलिए आप को एक बढ़िया सी अदरक वाली चाय पिलाती हूं.”चाय की कितनी तलब हो रही थी मनोज को… मनोज को तो मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई, पर…”अरे, आप क्यों परेशान हो रही है? राम सिंह एक घंटे में आ ही जाएगा… फिर कभी…””फिर कभी क्यों… उस के लिए भी मुहूर्त निकालना पड़ेगा. आप के बहाने मैं भी पी लूंगी.”
मनोज चाह कर भी मना नहीं कर पाए…”आप मानेंगी नहीं… आप चाय चढ़ाइए, मैं तब तक गीजर औन कर आऊं.”एक दीवार का फासला ही भर तो था दोनों घरों में, मुकद्दर ने दोनों घरों की किस्मत न जाने क्यों एकजैसी ही लिख दी थी. एक सा दर्द… एक सा खालीपन… एक सा ही सूनापन.”मनोजजी, चाय ठंडी हो रही है. कहां रह गए आप?” अनुपमा ने गेट से आवाज लगाई.
“आ रहा हूं अनुपमाजी. बस एक मिनट…” मनोज ने दरवाजे पर कुंडी चढ़ाई और अनुपमा के घर की ओर चल दिए.”कहां रह गए आप? ठंड की वजह से चाय भी ठंडी हो गई है… रुकिए… बस एक मिनट में गरम कर के लाती हूं.””जाने दीजिए, मैं पी लूंगा…””अरे, ऐसे कैसे? मैं हूं न.”
“वो असल में… निक्की का फोन आ गया था. बस, उस से बात करने में वक्त लग गया. वो तो अभी और बात करने के मूड में थी… वैसे तो जल्दी फोन करती नहीं. जब करती है तो जल्दी रखती नहीं… वो तो उस से कहना पड़ा कि तेरी आंटी चाय बना कर इंतजार कर रही है, फोन रख… बाद में बात करते हैं,” कह कर मनोज मुसकराने लगे.
“अनुपमाजी, ये रहा आप का डब्बा. मजा आ गया गाजर का हलवा खा कर…” “पसंद आया आप को…””हां बिलकुल… लता भी बहुत अच्छा हलवा बनाती थी.””आप को शायद पता नहीं… मैं ने हलवा बनाना उन्हीं से सीखा था.””अरे वाह…तभी आप के हाथ का हलवा खा कर मुझे लता की याद आ गई.”
मनोज लता को याद कर भावुक हो गए. अनुपमा चाय गरम करने के लिए अंदर चली गई. एक जानीपहचानी सी खुशबू से मनोज की तंद्रा टूट गई.”अरे वाह… घुघरी… अनुपमाजी आप को विश्वास नहीं होगा, आज मुझे घुघरी खाने का बहुत मन कर रहा था.”
” वाह… लीजिए आप की इच्छा पूरी हो गई. बातें तो होती रहेंगी. पहले अब आप गरमागरम घुघरी का आनंद लीजिए.”मनोज गरमागरम घुघरी और अदरक वाली चाय के स्वाद में डूब गए. अनुपमा ने डब्बे को उठाया, तो उन्हें कुछ भारी सा लगा…”मनोजजी… इस डब्बे में कुछ है क्या …”
“वो चौक की तरफ गया था, तो दुकान पर चिक्की मिल रही थी, तो सोचा आप के लिए भी ले लूं. आपके ब्लड प्रेशर की दवा का पत्ता भी उसी में रखा है…”
हमारे यहां जुलाई का महीना खेती के नजरिए से किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि इस महीने तक देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून आ चुका होता है, जिस से इस दौरान खरीफ सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई और रोपाई का काम शुरू हो जाता हैं. जुलाई महीने में खेती के नजरिए से खरीफ की सब से अहम खेती धान की होती है. जो किसान धान की नर्सरी समय से डाल चुके होते हैं, वे धान की रोपाई जुलाई महीने के पहले हफ्ते से शुरू कर सकते हैं.
देर से नर्सरी डालने वाले किसान नर्सरी में पौधों के 20 से 30 दिन के हो जाने पर ही रोपाई करें. धान की जल्दी पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई महीने के दूसरे पखवारे तक की जा सकती है. जिन किसानों ने काला नमक धान, बासमती जैसी सुगंधित प्रजातियों की नर्सरी डाली है, वे रोपाई का काम इस महीने के आखिरी हफ्ते तक कर लें. धान के पौधों की रोपाई के समय यह ध्यान रखें कि कतार से कतार की दूरी 20 सैंटीमीटर रखी जाए और एक जगह पर एकसाथ 2 से 3 पौधे लगाए जाएं. जिन किसानों ने ढैंचा की फसल बो रखी है, वे रोपाई के 3 दिन पहले ही उसे मिट्टी पलटने वाले हल से पलट कर सड़ने के लिए खेत में पानी भर दें. खेत में उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की जांच के आधार पर ही करें.
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जिन किसानों ने अपने खेत में मिट्टी की जांच नहीं कराई है, वे अधिक उपज वाली फसलों में रोपाई के पहले प्रति हेक्टेयर की दर से 60 किलोग्राम नाइट्रोजन के साथसाथ 60 किलोग्राम फास्फेट और 60 किलोग्राम पोटाश को लेव लगाते समय खेत में मिला दें. धान की रोपाई से पहले 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जिंक सल्फेट खेत में जरूर मिलाएं. लेकिन यह जरूर ध्यान रखें कि फास्फोरस वाले उर्वरक के साथ जिंक सल्फेट कभी न मिलाएं. जब भी खेत में दानेदार रसायनों का प्रयोग करें, तो उस के पहले यह तय कर लें कि खेत में 2 से 3 सैंटीमीटर पानी जरूर भरा हो. अगर किसान धान की फसल में नैनो यूरिया का प्रयोग करते हैं, तो उर्वरकों पर लागत में काफी कमी लाई जा सकती है. किसान को अगर खेत में खैरा रोग का प्रकोप दिखाई पड़े, तो प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट व ढाई किलोग्राम चूना को 800 लिटर पानी में मिला कर घोल बना लें और इस घोल को रोगग्रस्त फसल पर छिड़कें.
जिन किसानों ने मक्के की बोआई समय से कर दी है, वे बोआई के 15 दिन बाद फसल की पहली निराईगुड़ाई का काम पूरा करें. इसी के साथ दूसरी गुड़ाई फसल के 30 से 35 दिन के हो जाने पर करें. मक्का के पौधे जब घुटने के बराबर हो जाएं, तो पौधों को 40 किलोग्राम नाइट्रोजन यानी 87 किलोग्राम यूरिया कतारों के बीच डालें. ज्वार की बोआई का काम किसान जुलाई महीने की 15 तारीख तक पूरा कर लें. एक हेक्टेयर खेत के लिए ज्वार की तकरीबन 10 से 15 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. यह ध्यान रखें कि ज्वार के बीज के कतार से कतार की दूरी 45 सैंटीमीटर व बीज की दूरी 15 से 20 सैंटीमीटर पर की जाए. बाजरा की खेती करने वाले किसान उन्नत बीज की प्रजातियों का ही प्रयोग करें.
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इस में आईसीएमवी-155, डब्ल्यूसीसी-75, राज-171, पूसा-322, पूसा-23 और आईसीएमएच-451 जैसी किस्मों का चयन करें. बाजरा की बोआई 15 जुलाई के बाद से पूरे महीने की जा सकती है. इस के लिए एक हेक्टेयर में 4-5 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. जो किसान मूंग और उड़द की खेती करते हैं, उन के लिए जुलाई का महीना सही माना जाता है. इस के लिए एक हेक्टेयर खेत में 12 से 15 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. उड़द या मूंग को खेत में बोने के पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना न भूलें. बीज को खेत में बोते समय 15 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फेट और 20 किलोग्राम गंधक का प्रयोग करें. जिन किसानों ने अरहर की बोआई कर दी है, वे बोआई के 20 से 30 दिन बाद फसल की निराईगुड़ाई कर खरपतवार निकाल दें. वहीं जिन किसानों ने अभी तक अरहर की बोआई नहीं की है, वे जुलाई महीने के पहले हफ्ते तक यह काम निबटा लें. इस की अगेती उन्नत प्रजातियां पारस, टाइप-21, पूसा-992, उपास-120 वगैरह हैं,
वहीं देर से पकने वाली प्रजातियां पूसा-9, नरेंद्र अरहर-1, आजाद अरहर-1, मालवीय विकास, मालवीय चमत्कार आदि हैं. अरहर को खेत में बोने से पहले बीज को 2 ग्राम थीरम या एक ग्राम कार्बंडाजिम से प्रति एक किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लेना चाहिए. बीज को खेत में बोने से पहले एक पैकेट राइजोबियम कल्चर से 10 किलोग्राम बीज को शोधित कर के बो देना चाहिए. सोयाबीन की बोआई के लिए जुलाई के दूसरे हफ्ते तक का समय उपयुक्त होता है. बीज को खेत में बोने के पहले उसे राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना न भूलें. इस की उन्नत किस्में जेएस-335, जेएस-93-05, जेएस-95-60, एनआरसी-86, पूसा-16, पूसा-20, पीके-416 हैं. जो किसान मूंगफली की खेती करते हैं, वे बोआई का काम इस महीने के पहले हफ्ते तक पूरा कर लें. इस की उन्नत किस्में एचएनजी-10, गिरनार-2, प्रकाश, अंबर, उत्कर्ष, टीजी-37, जीजी-14 व 21, एचएनजी-69 व 123, राज मूंगफली-1, टीबीजी-39, प्रताप मूंगफली-1 और 2, जेजीएन-3 व 23, एके-159, जीजी-8 आदि हैं.
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जिन किसानों ने गन्ने की फसल ले रखी है, वे फसल में मिट्टी चढ़ाने का काम पूरा कर लें. सूरजमुखी की खेती करने वाले किसान बोआई का काम इस महीने के दूसरे हफ्ते तक निबटा लें. सूरजमुखी के पौधे जब 15-20 दिन के हो जाएं, तो फालतू पौधों को निकाल कर पौधों की दूरी 20 सैंटीमीटर तक कर दें. जो किसान पशुपालन से जुड़े हुए हैं, वे चारे के लिए लोबिया, ग्वार, मक्का, ज्वार, बाजरा व बहुकटाई वाली चरी की बोआई कर लें. जुलाई के महीने में बैगन, मिर्च और अगेती फूलगोभी की रोपाई की जा सकती है. ठंड में ली जाने वाली टमाटर की फसल के लिए बैड बना कर नर्सरी डालें. खरीफ सीजन के लिए बोए जाने वाले प्याज के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 12 से 15 किलोग्राम बीज का प्रयोग करते हुए 10 जुलाई तक नर्सरी डाल दें. जो किसान साग की खेती करते हैं, वे चौलाई की बोआई पूरे महीने कर सकते हैं.
एक हेक्टेयर में चौलाई के 2-3 किलोग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. जिन किसानों ने भिंडी की बोआई जून महीने में कर दी है, वे फसल में 76 से 87 किलोग्राम की दर से यूरिया दें. बरसात वाली भिंडी की बोआई जुलाई महीने में भी की जा सकती है. सब्जी की खेती करने वाले लौकी, खीरा, चिकनी तोरी, करेला, टिंडा की बोआई कर सकते हैं. जिन किसानों ने लतावर्गीय सब्जियों की बोआई जून महीने में कर दी हो, वे बरसात के पानी से फसल को होने वाले नुकसान से मचान बना कर सहारा दें. जिन किसानों ने अदरक और हलदी की फसल ले रखी है, वे बोआई के 40 दिन बाद प्रति हेक्टेयर की दर से हलदी में 87 किलोग्राम व अदरक में 54 किलोग्राम यूरिया दें. वहीं सूरन की फसल लेने वाले किसान जुलाई महीने में फसल की बोआई 60 दिन बाद 130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से दें. जुलाई का महीना कुंदरू की रोपाई के लिए सही होता है. इस की रोपाई पौध से पौध और कतार से कतार की दूरी 3 मीटर रखते हुए करनी चाहिए.
कुंदरू में नर और मादा अलगअलग होते हैं. इसलिए भरपूर उपज के लिए 9 मादा पौधों के बीच में एक नर पौधा जरूर लगाएं. जुलाई का महीना फलदार पौधों की रोपाई के लिए सब से मुफीद होता है. इस महीने आम, अमरूद, लीची, आंवला, कटहल, नीबू, जामुन, बेर, केला, पपीता आदि की रोपाई की जा सकती है. जो किसान नर्सरी का व्यवसाय करना चाहते हैं, वे लीची और नीबू में गूटी बांध सकते हैं. जिन किसानों ने गुलाब की फसल ले रखी है, वे फसल से वर्षा जल निकास का उचित प्रबंध कर लें. वहीं रजनीगंधा की खेती करने वाले किसान फसल से खरपतवार निकाल कर पोषक तत्त्वों के घोल का छिड़काव करें. इसी के साथ ही समयसमय पर रजनीगंधा के पुष्प डंडियों की तुड़ाई का काम पूरा कर लें. जो किसान औषधीय और सुगंध पौधों की खेती करना चाहते हैं, वे औषधीय गुणों से भरपूर लैमनग्रास की खेती कर सकते हैं. किसान लैमनग्रास की एक बार फसल लगाने के बाद 4-5 साल तक पैदावार ले सकते हैं.
इस के अलावा सतावर की रोपाई भी जुलाई महीने में की जाती है. किसान कई गुणों से भरपूर ब्राह्मी की रोपाई भी इसी महीने में कर सकते हैं. इस का उपयोग कब्ज, गठिया, रक्तशुद्धी, दिमाग को तेज करने व याददाश्त बढ़ाने में बहुतायत होता है. इस से कैंसर, एनिमिया, दमा, किडनी और मिरगी जैसी बीमारियों के इलाज के लिए दवाएं भी बनाई जाती हैं. जो किसान कौंच की खेती करना चाहते हैं, वे इस के बीजों की बोआई 15 जुलाई तक कर दें. इस के लिए प्रति एकड़ 6 से 8 किलोग्राम की दर से बीज की जरूरत होती है. इसी के साथ एलोवेरा की रोपाई के लिए सब से उपयुक्त समय जुलाई से अगस्त माह का होता है. इस मौसम में रोपाई करने से पौधे पूरी तरह जीवित रहते हैं और बढ़वार अच्छी होती है. पशुपालक अपने पशुओं को गलघोंटू और लंगड़ी या बुखार का टीका जरूर लगवाएं. इसी के साथ ही पशुओं को कीड़े मारने की की दवा खिलाएं. पशुओं के चारे में खडि़या मिलाना पक्का करें. बरसात के महीने में लगने वाली सीलन से मुरगियों को बचाने का उचित प्रबंध करें. साथ ही, मुरगीखाने में प्रकाश का उचित इंतजाम जरूर करें.
लेखिका- डा. रंजना जायसवाल
सर्द गुलाबी सुबह… बगीचे में पड़ी लकड़ी की बेंच और उस पर नटखट सा लुकाछिपी खेलता धूप का एक टुकड़ा… मखमली हरी दूब में मोती सा चमकता, लरजता ओस का एक कतरा… ऐसा लगा मानो ओस को अपने माथे पे मुकुट सा सजाए वो दंभ से इठला रहा हो… पर, शायद वो यह नहीं जानता था कि उस का यह दंभ क्षणभर का है. धूप का वो टुकड़ा… जी हां, वो धूप का वही टुकड़ा, जो अब तक लकड़ी के बेंच पर अपने पांव पसार चुका था. अपने आगोश में धीरेधीरे उसे भर लेगा और वो धीरेधीरे पिघल कर धुआं बन कर अस्तित्वहीन हो जाएगा. जाड़े के दिन… इनसान हो या पंछी सब को कितना लालची बना देता है.. एक धूप का टुकड़ा.
गौरैया का एक जोड़ा बेंच के एक सिरे पर अपने पंख पसारे चहचहा रहा था. मनोज अपनी ठंड से ऐंठती लंबीलंबी उंगलियों को पूरी ताकत से हथेलियों के बीच रगड़ कर गरम करने की कोशिश कर रहे थे.
मनोज गुप्ता 58-60 साल की उम्र… सरकारी नौकरी करते थे. बालों में सफेद चांदनी मुंह चिढ़ाने लगी थी. नौकरी के दोचार साल ही रह गए थे. कैसा भी मौसम हो, पर मनोज पार्क आना नहीं भूलते… पार्क की नरमनरम घास, क्यारियों में लगे रंगबिरंगे फूल उन्हें हमेशा से आकर्षित करते थे. लता अकसर चुटकी लेती थी… टहलने ही जाते हैं न…???
और मनोज मुसकरा कर रह जाते. जैसेजैसे ठंड बढ़ती जा रही थी, पार्क में आने वालों खासकर बुजुर्गों की संख्या घटती जा रही थी.मनोज ने पार्क में 4 चक्कर लगाए और वहीं लकड़ी की एक बेंच पर आ कर बैठ गए. क्यारियों में लगे रजनीगंधा, गुलदाउदी और गेंदे के खिलेअधखिले फूल और उस धूप के टुकड़े के धीरेधीरे बढ़ते कदम को अपनी ओर आता महसूस कर खिलखिलाने लगे थे.
काश… आज लता जिंदा होती. कितनी तलब हो रही थी उसे. जाड़े की गुलाबी ठंड, गरमागरम आलूमटर की घुघरी, अदरक व कालीमिर्च की चाय और बस धूप का एक छोटा टुकड़ा… पर, अब लता कहां, वो तो उन्हें छोड़ कर कब की चली गई थी… दूर बहुत दूर उन सफेद बादलों के पार. उसे सफेद रंग कितना पसंद था… साड़ी की दुकान पर उस की निगाहें सफेद साड़ी या सूट को ही ढूंढ़ती रहती.
“लता, सुहागिन स्त्री को सफेद रंग नहीं पहनना चाहिए.. मां हमेशा कहती थी… अपशकुन होता है.”…और वो खिलखिला कर हंस पड़ती, “आप भी न…किस जमाने की बात करते हैं. ये तो ऐसा रंग है, जो सारे रंगों को खुशीखुशी, हंसतेहंसते स्वीकार कर लेता है. जीवन भी कुछ ऐसा ही तो है.
“चिंता न करिए… देख लीजिएगा. आप से पहले मैं ही जाऊंगी इस दुनिया से… वो भी सुहागन. ये शगुनअपशकुन कुछ नहीं होता.”और मनोज मुसकरा कर रह जाते.”ये तुम्हें कैसे पता कि कौन पहले जाएगा…???”
“चलिए शर्त लगाते हैं. अगर आप जीते तो… आप जो कहेंगे, मैं वो करने को तैयार हूं. और अगर मैं जीती तो आप मुझे मौल से वही साड़ी दिलाएंगे, जो पिछली बार शोरूम पर देखी थी.”लता जब भी शर्त जीतती, तो बच्चों की तरह खुश हो जाती… उस की खुशी की खातिर मनोज कई बार जानबूझ कर भी हार जाते, पर न जाने क्यों… इस बार वो उसे जीतने नहीं देना चाहते थे… पर, वो हमेशा की तरह इस बार भी जीत गई.
मनोज यादों के अथाह सागर में डूबते चले गए. सूरज अपनी पूर्ण लालिमा के साथ अवसान के लिए तत्पर था और शायद कहीं उस के भीतर भी बहुतकुछ डूब रहा था. घाट की सीढ़ियों पर बैठे मनोज को घंटों हो गए थे. दिल में कुछ टूट सा रहा था. आंखों से आंसू सारे बंधन तोड़ कर बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे. हाथ में पकड़े उस अस्थि कलश को बारबार विसर्जित करने की कोशिश नाकाम हो रही थी. मनोज हर बार अपनेआप को एकत्र करते, उस को अपनेआप से पूर्ण रूप से मुक्त कर देने के लिए जिस ने हर परिस्थिति में उस का साथ दिया… पर, मनोज चाह कर भी ऐसा नहीं कर पा रहे थे.
कैंसर से जूझती लता की शिथिल देह, पलकों से विहीन उस की कातर दृष्टि जैसे बारबार मनोज से कह रही हो, “जाने दो मुझे, अब तो जाने दो…”कंकाल हो चुके उस शरीर में जब नर्स अपने बेरहम हाथों से सुई चुभोती थी, लता की आंखों के कोर आंसुओं से भीग जाते.
मनोज दर्द और वितृष्णा से मुंह फेर लेते. पर मनोज की खातिर लता एक बेजान सी मुसकान बिखेर देती और मनोज भी उस का साथ देने के लिए मुसकरा देते. उस से हमेशा के लिए अलग हो जाने के विचार मात्र से ही मनोज की आत्मा सिहर उठी. बेबसी से मनोज ने मुट्ठियां भींच लीं और आंखें बंद कर लीं.
मनोज अपनी आंखों से उसे विदा होते नहीं देख सकते थे… लता का मोह मनोज को बारबार अपनी ओर खींच रहा था, पर वो फिर से शर्त जीत गई थी. अस्पताल ने उसे उस के पसंदीदा रंग में लपेट कर मनोज के हाथों में सौंपा था. देखा कहा था न… तुम से पहले जाऊंगी, मैं फिर से हमेशा की तरह जीत गई न. लता के चेहरे पर एक सुकून था… शायद ये सुकून उस की एक बार फिर से जीत जाने का सुकून था. सुकून तो मनोज के चेहरे पर भी था… लता का दर्द उस से देखा नहीं जाता था.
लता ने कितनी बार कहा था कि छोड़ दो मुझे. अब तो जाने दो, पर मनोज उस की स्मृतियों को अपने से दूर नहीं करना चाहते थे परंतु… इस परंतु का उत्तर मनोज के पास नहीं था.मनोज ने दर्द से अपनी आंखें बंद कर लीं और मिट्टी के घड़े और अपनी स्मृतियों को गंगा के उस शीतल जल में प्रवाहित कर दिया.मनोज ने अपनेआप से कहा… अब मैं कैसे रहूंगा उस के बिना, वह दूर जा रही है मुझ से… दूर बहुत दूर…
मनोज उस कलश को अपने से दूर नहीं करना चाहते थे… परंतु अंतहीन बेबसी, अप्रत्याशित बेचारगी, अकल्पनीय असहायता और अनंत प्रतिबंधनों की असंख्य भुजाओं ने किसी औक्टोपस की भांति मनोज को जकड़ लिया था. अदृश्य सा कोई था, जो मनोज को न चाहने पर भी लता से दूर कर देना चाहता था. संस्कार या भौतिक मजबूरियां… मनोज तय नहीं कर पा रहे थे. घबरा कर मनोज ने अपनी आंखें बंद कर लीं और उन के हाथों ने यंत्रवत मिट्टी के उस घड़े और स्मृतियों के समंदर को गंगा के उस शीतल और पावन जल में बहा दिया था. लता के अवशेष और फूल बहते हुए पानी की धारा के साथ आगे बहते चले गए और मनोज की आंखों से ओझल हो गए. मनोज भरे मन से चलने को उठे, पर…
घाट की सीढ़ियों पर खरपतवार में एक फूल अटक गया था और शायद कहीं मनोज का मन भी… “रोक लो मुझे, मत जाने दो…”अब तो सिर्फ उस की यादें ही रह गई थी. लता की याद करतेकरते आंखें कब भर आईं, पता ही नहीं चला…तभी एक मीठी सी आवाज कानों में रस से घोल गई, “क्यों, भाभीजी की याद आ रही है क्या…”
फिटनैस को हमेशा बनाए रखना जरूरी है. ज्यादातर महिलाएं इस मौसम में सुस्त हो जाती हैं. चाहे गृहिणी हो या वर्किंग महिला, मौनसून में बाहर निकल कर वर्कआउट करना पसंद नहीं करती. ऐसे में पाचनशक्ति कमजोर होने के साथसाथ कई और बीमारियां भी घेर लेती हैं. ऐसे में अगर आसान फिटनैस टिप्स मिल जाएं तो घर पर भी वर्कआउट करना आसान हो जाता है.
मुंबई के साईंबोल डांस ऐंड फिटनैस सैंटर की फिटनैस ऐक्सपर्ट, मनीषा कपूर कई वर्षों से महिलाओं को ट्रेनिंग दे रही हैं. पेश हैं, मनीषा द्वारा सुझाए गए फिटनैस टिप्स:
– उमस भरे मौसम में पसीना अधिक आता है. ऐसे में पानी ज्यादा पीना चाहिए. दिन में 10-12 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए.
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– इस मौसम में खीरा, मौसमी फल जिन में तरबूज, खरबूज आदि अधिक मात्रा में लें. इन में पानी ज्यादा होता है.
– वर्कआउट को ऐंजौय के रूप में करें, केवल व्यायाम के रूप में ही नहीं. अगर आप को डांस पसंद है तो वह भी कर सकती हैं. कम से कम 15 से 20 मिनट वर्कआउट करें.
– गरमी और बारिश में बाहर जाना संभव नहीं होता, इसलिए घर पर रह कर बौडी वेट ऐक्सरसाइज, स्ट्रैचेस आदि किए जा सकते हैं.
– वर्कआउट से पहले प्रौपर वार्मअप होना न भूलें वरना पेशियों में इंजरी का खतरा रहता है.
– वर्कआउट के बाद कूल डाउन पोजीशन में अवश्य रहें.
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– वैसे तो कभी भी वर्कआउट कर सकती हैं, लेकिन सुबह और शाम वर्कआउट करना अच्छा रहता है. इस समय मौसम थोड़ा ठंडा रहता है.
– वर्कआउट के दौरान श्वास हमेशा नाक से ही लें, हालांकि इस से आप थोड़ी धीमी हो जाएंगी, लेकिन आप की कैलोरी बिना थकान के जल्दी बर्न हो जाएगी.
– वर्कआउट के समय हमेशा हलके रंग के आरामदायक कपड़े पहनें.
– वर्कआउट करते वक्त अगर थकान अनुभव करें तो तुरंत रुक कर पंखे के नीचे बैठ कर सुस्ता लें.
– व्यायाम के समय मन को शांत रखने के लिए कोई मनपसंद गाना सुन सकती हैं. इस से मन में आए किसी भी विचार से मुक्ति पा सकती हैं, क्योंकि भले ही दिन भर आप भागदौड़ का काम करती हों, लेकिन उस समय आप का मन किसी टारगेट या काम को खत्म करने का होता है. जब आप वर्कआउट करती हैं तो आप का मस्तिष्क उसे फौलो करता है.
– व्यायाम परिवार या फ्रैंड्स के साथ मिल कर भी कर सकती हैं. इस से आलस नहीं आएगा और फिटनेस रुटीन बना रहेगा.
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– सही डाइट इस मौसम में बहुत जरूरी होती है. अधिक मिठाई और तलीभुनी चीजों से परहेज करें. अपने भोजन में फलसब्जियां अधिक शामिल करें.
– मौनसून में बाहर जाती हैं, तो केला, खरबूज, सेब आदि काट कर रख लें. इन के अलावा नीबू पानी, आम पन्ना, छाछ, कोकम शरबत आदि भी ले सकती हैं.
– बाहर निकलें तो पानी की बोतल साथ जरूर रखें. इस पानी में पुदीना पत्ती, खीरा और नीबू छोटे आकार में काट कर रख लें. पानी पीएंगी तो उस में इन सब का स्वाद और कूलनैस आ जाती है, जिस से आप फ्रैश फील करती हैं.
– जंक फूड जिस में नमक की मात्रा अधिक हो, खासकर चिप्स, अचार और चटनी कम खाएं.
– खाना बनाने में धनिया पत्ती, पुदीना पत्ती और सौंफ का अधिक प्रयोग करें, क्योंकि इस से शरीर ठंडा रहता है. गरममसाले का प्रयोग कम करें.
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– अधिक देर तक खुले और कटे हुए फल गरमियों या मौनसून में न खाएं, क्योंकि इस मौसम में बैक्टीरिया जल्दी पनपता है.
– सब्जियों को पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें. जरूरत पड़े तो थोड़े कुनकुने पानी में नमक डाल कर उन्हें धो लें.
– 7-8 घंटे जरूर सोएं.
– इस मौसम में कोई नई हौबी अपनाने की कोशिश करें.
– बाहर से घर आते ही मेडिकेटेड साबुन से हाथपैर धो कर अपनेआप को फ्रैश रखें. यह पर्सनल हाईजीन के लिए जरूरी है.
– इस मौसम में पैरों का खास ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि बारिश में बाहर का गंदा पानी पैरों की उंगलियों में इन्फैक्शन कर सकता है. पैर सूखे रहें, इस पर ध्यान दें. जरूरत पड़े तो बोरिक ऐसिड या पाउडर का छिड़काव पांवों में करें.
– अनावश्यक बारिश के पानी में भीगना मौसमी बीमारी की वजह बन सकता है. इस से बचें.
– मौसम भले ही खराब हो, पर उस समय अच्छा फील करने के लिए मनपसंद संगीत का आनंद लें, किताबें पढ़ें और खुश रहने की कोशिश करें. इस से मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकती हैं.
आज से ही इन बातों पर अमल करें और फुहारों के मौसम में भी चुस्तदुरुस्त रहें.
अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “रुद्राक्ष” अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन करेंगे. उनके साथ जापान के प्रतिनिधि भी रहेंगे. रुद्राक्ष को जापानी शैली में सजाया जा रहा है. जैपनीज़ फूलों की सुगंध रुद्राक्ष में फ़ैलेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसन सेंटर परिसर में प्रधानमंत्री रुद्राक्ष के पौधे को भी लगाएंगे. कार्यक्रम के दौरान रुद्रक्ष कन्वेंसन सेण्टर में इन्डोजापन कला और संस्कृति की झलक भी दिखेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसशन सेण्टर पर बने 3 मिनट के ऑडियो विज़ुअल को भी “रुद्राक्ष ” में प्रधानमंत्री मेहमानों के साथ देखने की संभवना है . प्रधानमंत्री का यहां करीब 500 लोगों से संवाद करना भी प्रस्तावित है . संभावना है कि वीडियो फ़िल्म के माध्यम से जापान के प्रधानमंत्री देंगे शुभकामनाएं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बदलते बनारस की तस्वीर दुनिया देखेगी.
सर्व विद्या की राजधानी काशी में धर्म ,अध्यात्म ,कला, संस्कृति और विज्ञान पर चर्चा होती है, तो इसका सन्देश पूरी दुनिया में जाता है.
बनारस में संगीत के सुर,लय और ताल की त्रिवेणी अविरल बहती रहती है. 2015 में वाराणसी को यूनेस्को के ‘सिटीज ऑफ म्यूजिक‘ से नवाजा गया था. शिल्पियों की थाती वाले शहर बनारस ने दुनिया को कला की प्राचीन नमूनों से परिचित कराया है, जिसका कायल पूरा विश्व है.
दुनिया के सबसे प्राचीन और जीवंत शहर काशी को जापान ने भारत से दोस्ती का एक ऐसा नायाब तोहफ़ा रुद्राक्ष के रूप में दिया है ,जहां आप बड़े म्यूजिक कंसर्न , कांफ्रेंस,नाटक और प्रदर्शनियां जैसे कार्यक्रम दुनिया के बेहतरीन उपकरणों और सुविधाओं के साथ कर सकेंगे. कन्वेंशन सेंटर की नींव 2015 में उस समय पड़ गई थी, जब जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी लेकर आए थे.
शिवलिंग की आकृति वाला वाराणसी कन्वेंशन सेण्टर जिसका नाम शहर के मिज़ाज के अनुरूप रुद्राक्ष है. इसमें स्टील के एक सौ आठ रुद्राक्ष के दाने भी लगाए गए है. जितना खूबसूरत ये देखने में लग रहा है ,उतनी ही इसकी खूबियां भी है.
सिगरा में ,तीन एकड़ (13196 sq mt ) में ,186 करोड़ की लागत से बने रुद्राक्ष में 120 गाड़ियों की पार्किंग बेसमेंट में हो सकती है. ग्राउंड फ्लोर ,और प्रथम तल ,को लेकर हाल होगा जिसमे वियतनाम से मंगाई गई कुर्सियों पर 1200 लोग एक साथ बैठ सकते है. दिव्यांगों के लिए भी दोनों दरवाजो के पास 6 -6 व्हील चेयर का इंतज़ाम है. इसके अलावा शैचालय भी दिव्यांगों फ्रेंडली बनाए गए है. हाल में बैठने की छमता पार्टीशन से कम या ज़्यादा भी किया जा सकता है. इसके अलावा आधुनिक ग्रीन रूम भी बनाया गया है. 150 लोगों की छमता वाला दो कॉन्फ्रेंस हाल या गैलरी भी है. जो दुनिया के आधुनिकतम उपकरणों से सुसज्जित है. इस हॉल को भी जरूरत के मुताबिक घटाया और बढ़ाया जा सकता है.
रुद्राक्ष को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फंडिंग किया है. डिजाइन जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने किया है. और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है.
रुद्राक्ष में छोटा जैपनीज़ गार्डन बनाया गया है. 110 किलोवाट की ऊर्जा के लिए सोलर प्लांट लगा है. वीआईपी रूप और उनके आने-जाने का रास्ता भी अलग से है .
रुद्राक्ष को वातानुकूलित रखने के लिए इटली के उपकरण लगे है.दीवारों पर लगे ईंट भी ताप को रोकते और कॉन्क्रीट के साथ फ्लाई ऐश का भी इस्तेमाल किया गया है. निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए ,ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट ( GRIHA ) की और से रुद्राक्ष को ग्रेडिंग तीन मिली है. रुद्राक्ष में कैमरा समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम है. आग से भी सुरक्षा के उपकरणों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.
रुद्राक्ष को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फण्ड किया है. डिजाइन जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने ही किया है, और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है. इसका निर्माण 10 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था . अब भारत जापान की दोस्ती का प्रतीक रुद्राक्ष बन कर तैयार हो गया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास की योजनाएं तभी सार्थक हैं जब सभी लोग सुरक्षित रहें. सरकार प्रदेश की 24 करोड़ जनता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है. प्रदेश की सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को किसी भी सूरत में छूट नहीं दी जा सकती, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी ही होगी.
सीएम योगी मंगलवार को गोरखपुर में नगर निगम की 94 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली 370 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कर रहे थे. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम सभी को विकास के साथ ही सुरक्षा के प्रति लगातार सजग रहना होगा. सुरक्षा के प्रति थोड़ी सी सजगता से कई लोगों का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली जानकारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दो साजिशों को बेपर्दा किया गया है. मूक बधिर बच्चों के जेहादी धर्मांतरण से राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध लगाने का षडयंत्र किया जा रहा था. इसमें पकड़े गए लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.
इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने लखनऊ में पकड़े गए दो संदिग्धों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान परस्त आतंकियों के साथ मिलकर आजादी के जश्न में खलल डालने की साजिश रची जा रही थी. ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली सूचना पर सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें बेपर्दा कर दिया. बारूद का जखीरा, बम व अत्याधुनिक हथियार मिले. समय रहते ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में क्या हो रहा है, जनता की सजगता से इसे जाना जा सकता है और जानकारी पर समय रहते राष्ट्र विरोधी तत्वों के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जनता से निरन्तर संवाद बनाए रखने में पार्षदों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.
विकास की योजना गरीब का हक : मुख्यमंत्री योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की योजना हर गरीब का हक है. अच्छा जनप्रतिनिधि चुने जाने पर विकास की योजनाएं हर गरीब तक पहुंचती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी थी, पैसा पहले भी था लेकिन तब अराजकता होती थी, पैसों का बंदरबांट होता था. आज सिस्टम वही है बस चेहरे बदल गए हैं तो आमजन को योजनाओं का लाभ मिल रहा है. हर व्यक्ति तक सड़क, पेयजल, बिजली की सुविधा है. गरीब को पीएम आवास योजना से मकान मिल रहा है. यह सारे काम पहले भी हो सकते थे लेकिन अपने पूर्वजों के नाम योजनाओं के नामकरण में जुटे लोगों को गरीबों की चिंता नहीं थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को आवास योजना की सौगात दी है. गोरखपुर में 25 हजार गरीबों को पीएम आवास मिला है. जो स्ट्रीट वेंडर पहले कुछ लोगों के लिए शोषण करने का जरिया थे, आज स्वनिधि योजना से आत्मनिर्भर होकर तरक्की की राह पकड़ रहे हैं.
यूपी से गायब होता दिखाई दे रहा कोरोना : सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंदगी दूर कर और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के साथ बिना भेदभाव सबको स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिलाकर हमनें इंसेफेलाइटिस को दूर किया है. कोविड प्रोटोकाल के अनुपालन और सबको त्वरित स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराते हुए कोरोना पर भी काबू पाया है. अब तो उत्तर प्रदेश से कोरोना गायब होता दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री ने कोविड के सेकेंड वेव में निगरानी समितियों व पार्षदों की भूमिका की प्रशंसा की. उन्होंने पार्षदों को प्रेरित करते हुए कहा कि बेहतर कार्य पद्धति ही आपकी पहचान बनेगी, आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी इसलिए बेहतर कार्य निरन्तर होने चाहिए. जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए अहर्निश प्रयास करना होगा.
कार्यक्रम में महापौर सीताराम जायसवाल, नगर विधायक डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक बिपिन सिंह, सहजनवा के विधायक शीतल पांडेय, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू चौधरी आदि की प्रमुख मौजूदगी रही.
370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण
इसके साथ ही सीएम योगी ने मंगलवार की शाम शहर को 93.89 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया. इनमें 150 परियोजनाओं का शिलान्यास और 220 परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ. मुख्यमंत्री ने नगर निगम परिसर में प्राइवेट, पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल से संचालित होने वाले म्यूजिकल फाउंटेन और फूड पार्क का भी लोकार्पण किया. सीएम शाम चार बजे मुख्यमंत्री गोरखपुर क्लब पहुंचे. स्वागत महापौर सीताराम जायसवाल ने किया. सभी परियोजनाएं 14वें व 15वें वित्त आयोग, अवस्थापना विकास निधि, अमृत योजना, सीवरेज एवं जल निकासी योजना और स्वच्छ भारत मिशन से है. मुख्यमंत्री ने वार्ड नंबर पांच में एक करोड़ 12 लाख 77 हजार रुपये से बनी डामर सड़क का भी लोकार्पण किया. चार करोड़ 11 लाख 67 हजार रुपये से लालडिग्गी पार्क में हुए जीर्णोद्धार कार्य का लोकार्पण कर मुख्यमंत्री ने पार्क को नागरिकों को सौंपा.
मिलेगा शुद्ध पानी
8.81 करोड़ रुपये की लागत से 13 गहरे नलकूप और आठ मिनी नलकूप का भी मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया. इन नलकूप से हजारों नागरिकों को शुद्ध पानी मिलेगा.
यहां लगेंगे गहरे नलकूप
भैरोपुर ओवरहेड टैंक परिसर में, बशारतपुर निकट एल्यूमीनियम फैक्ट्री रोड सुडिय़ा कुआं, राजेंद्र नगर पश्चिमी, राजेंद्र नगर पूर्वी, लच्छीपुर शिव मंदिर के पीछे मलिन बस्ती, पूर्व महापौर डा. सत्या पांडेय के घर के पास, ट्रांसपोर्टनगर स्थित गालन टोला मोहल्ला, धर्मशाला पुलिस लाइन बाउंड्री के अंदर, रुस्तमपुर, अलीनगर, सिविल लाइन द्वितीय पड़हा में रियाज हास्पिटल के बगल में, गोरखनाथ मंदिर परिसर में संस्कृत पीठ के पास और सिविल लाइन चौराहा के पास कार्य कराया जाएगा.
यहां लगेंगे मिनी नलकूप
जटेपुर उत्तरी काली मंदिर के पास, अंधियारीबाग रामलीला मैदान मलिन बस्ती, नरसिंहपुर, पार्षद जितेंद्र सैनी के आवास के पीछे, कृष्णा नगर, माधोपुर, रामप्रीत चौराहा काली मंदिर के पास और चक्सा हुसैन में.
बौलीवुड में हर इंसान स्टार बनने के सपने देखता है.बौलीवुड में हर शुक्रवार लोगों की किस्मत बदलती है.कलाकार के कैरियर की पहली फिल्म की सफलता व असफलता से ही उसके कैरियर की दिशा तय की जाती है.मगर फिल्म‘‘दिल बेचारा’’से चर्चा में आयी अदाकारा संजना सांघी के कैरियर की पहली फिल्म‘‘बनाना’’आजतक प्रदूषित नही हुई, जिसमें उनके साथ आदर्श गौरव ने भी अभिनय किया था.मगर फिल्म ‘‘बनाना’’ ने ही संजना सांघी को अहसास करया कि अभिनय ही उनकी जिंदगी हैऔर यही उन्हे जीवंत बनाए रख सकता है.
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खुद संजना सांघी अपनी इस फिल्म की चर्चा करते हुए कहती हैं-‘‘एक कहानी है,जो मैंने वास्तव में कभी नहीं बताई. वह यह है कि मैं अपनी 12 वीं कक्षा में थी,जब मैंने अपनी बोर्ड परीक्षा से चार माह पहले एक फीचर फिल्म ‘‘बनाना’’ की शूटिंग की थी.मैं इस फिल्म की शूटिंग के लिए पूरे दो माह दिए थे.एक गेस्ट हाउस में रही, जिसमें मेरा आधा सूट केस मेरी किताबों से भरा था.मैं दिल्ली में अपने ट्यूटर्स और शिक्षकों के साथ परीक्षा के प्रश्न पत्रों और अभ्यास पत्रों को कूरियर से मंगवाती थी.क्योंकि मैं हमेशा से टपर रहा करती थी.लेकिन मैं वहां जो कर रही थी,वह 12 घंटे की शूटिग होती थी.फिर उस थोड़ी ऊर्जा के साथ दो से तीन घंटे पढ़ाई करने की कोशिश करती थी।फिल्म ‘‘बनाना’’में मेरे साथ आदर्ष गौरव भी थे ,जिन्होने फिल्म ‘व्हाइटटाइगर’में मुख्य भूमिका निभायी है.पर यह फिल्म कभी प्रदर्षित ही नही हुई.
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शायद इसी वजह से मुझे जिंदगी में अच्छे नंबर नही मिले थे और किसीअच्छे व प्रतिष्ठित कॉलेज में प्रवेश नही मिला था.लेकिन किसी तरह मैंने बोर्ड में भी अच्छा प्रदर्शन किया.भले ही फिल्म ‘बनाना’ कभी रिलीज नहीं हुई,लेकिन इस फिल्म ने मुझे एहसास कराया कि अभिनय मुझे जीवंत महसूस कराता है.इसने मुझे अहसास कराया कि मैं पूरी जिंदगी यही करना चाहती हॅूं.इस फिल्म का रिलीज न होने से भी मैं रूकी नही.यह तब होता है,जब आप गिरते हैं और अपने घुटने को कुरेदते हैं और यह थोड़ा सा खून बहता है कि आप इसे ठीक करना सीखते हैं, और वापस उठ जाते हैं.यह बिना खेल के नहीं हो सकता है और इसके साथ आने वाला थोड़ा जोखिम भी हो सकता है.’’
सीरियल कुछ रंग प्यार के ऐसे भी 3 की धमाकेदार शुरुआत टीवी पर हो चुकी है. जिसे फैंस काफी ज्यादा पिछले कुछ सालों से मिस कर रहे थें. दरअसल, शाहीर शेख और एरिका फर्नांडिंस की जोड़ी को फैंस खूब प्यार देते हैं. शायद यही वजह है कि फैंस इन्हें देखना भी पसंद करते हैं.
कुछ रंग प्यार के ऐसे भी 3 की शुरुआत देव और सोनाक्षी के जिंदगी से होती है. और और सोनाक्षी देव दो खूबसूरत बच्चे सुहाना और शुभ के पेरेंट्स बन चुके हैं. बच्चों का ध्यान रखने के साथ-साथ यह अपने कैरियर में भी काफी ज्यादा व्यस्त हैं.
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हालांकि सीरियल की शुरुआत होते ही मेकर्स ने इस सीरियल में ड्रामे का बम फोड़ दिया है. जिससे यह पता चलता है कि आयुष्मान देव का बेटा है और और सुहाना रोहित की बेटी है. अस्पताल में उसके परिवार के कहने पर नर्स ने दोनों बच्चों की अदला बदली कर दी.
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जब इस बात को देव रोहित के मुंह से सुनता है तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है. रोहित देव से कहता है कि उसके पास अब सिर्फ कुछ ही दिन बच्चें हैं और वह चाहता है कि बच्चों का भविष्य अच्छा हो इसलिए वह देव को सारी बात बताता है.
देव और सोनाक्षी आयुष्मान से मिलने उसके घर जाते हैं और सारी बातों के बारे में जानकारी लेते हैं.
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अगर इस सीरियल के आने वाले एपिसोड के बारे में पता करे तो देव और सोनाक्षी इस पर डीएनए टेस्ट की मदद लेंगे. आगे जानकारी आपको नेक्सट एपिसोड में पता चलेगा. क्या आयुष्मान देव सोनाक्षी को अपनाएगा.
बिग बॉस 14 के फर्स्ट रनर अप रहे राहुल वैद्य दो दिन बाद दुल्हा बनने वाले हैं, उन्हें अपने सपनों की राजकुमारी मिल चुकी है. जी हां दिशा और राहुल 16 जुलाई को शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. ऐसे में दोनों के परिवार वाले जोर शोर से तैयारी में लगे हुए हैं.
इसी बीच राहुल वैद्य और दिशा परमार के फैंस यह सवाल पूछने में लगे हुए है कि दिशा और राहुल शादी के बाद घूमने के लिए कहा जाने वाले हैं. जब राहुल वैद्य से इस विषय पर पूछा गया कि शादी के बाद वह कहा घूमने के लिए जाएंगे तो राहुल वैद्य ने हंसते हुए कहा कि हम लोनावाला जाएंगे.
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आगे बात करते हुए राहुल वैद्य ने कहा कि हम समय को देखते हुए अपनी प्लानिंग करेंगे, क्योंकि पहले तो हम शादी के एक सप्ताह तक घर पर रहेंगे जहां रूककर मुझे अपने कुछ टॉस्क पूरे करने हैं.
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इसके बाद उन्होंने कहा कि हम स्वीटजरलैंड या अस्ट्रिया की प्लानिंग कर रहे हैं लेकिन देखते हैं हमारा विजा और पासपोर्ट रेडी हो पाता है या नहीं.
वैसे राहुल वैद्य के परिवार में अभी से कार्यक्रम शुरू हो चुका है जिसमें सभी दोस्त औऱ उनके करीबी रिश्तेदार एंजॉय करते नजर आ रहे हैं.
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बता दें कि राहुल वैद्य ने बिग बॉस 14 के घर में दिशा परमार को शादी के लिए प्रपोज किया था. जहां पर पूरी दुनिया को इस बात का पता चल गया था कि दिशा और राहुल एक-दूसरे को पसंद करते हैं. इनके शादी का इंतजार इनके फैंस को भी है. राहुल और दिशा को फैंस दुल्हन के जोड़े में देखने के लिए काफी ज्यादा एक्साइटेड हैं.