लेखक-डा. मनोज कुमार पांडेय, फसल सुरक्षा विशेषज्ञ, डा. एके चतुर्वेदी, उद्यान विशेषज्ञ

भदोही जनपद के विकासखंड डीध के शेरपुर पिंडरा गांव के निवासी संदीप कुमार गौड़, पिता स्वर्गीय नगेंद्र बहादुर गौड़, उम्र 42 वर्ष, गणित से परास्नातक हैं और कोचिंग चलाते हैं, लेकिन पिछले सालभर से ज्यादा समय से लौकडाउन होने के कारण कोचिंग बंद है, इसलिए घरपरिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है. संदीप के परिवार के लोग पहले से चले आ रहे धान और गेहूं की खेती किया करते थे, लेकिन उस से घर के खर्चे, बच्चों की पढ़ाई का खर्चा वगैरह निकालना संभव नहीं रहा.

कृषि विज्ञान केंद्र, बेजवां, भदोही के फसल सुरक्षा विशेषज्ञ डा. मनोज कुमार पांडेय ने बताया कि संदीप कुमार गौड़ एक दिन कृषि विज्ञान केंद्र पर आए और उन्होंने अपनी खेती से आय बढ़ाने की चर्चा की. इस दौरान संदीप को सब्जियों की वैज्ञानिक खेती के बारे में बताया गया और प्रेरित किया गया. इस से प्रभावित हो कर उन्होंने अपने खेतों की तारबंदी करा कर सब्जी की खेती करना शुरू कर दिया. केंद्र के उद्यान विशेषज्ञ डा. एके चतुर्वेदी ने परवल की खेती, खरबूज, तरबूजा, बजरबट्टू (लोबिया), ककड़ी आदि की खेती के बारे में विस्तार से प्रशिक्षित किया.

ये भी पढ़ें- Food Preservation-भाग 3: घर पर ऐसे प्रिजर्व करें आलू, अदरक, आम और

संदीप गौड़ 15 बीघा (10 एकड़) में सब्जियों की खेती करते हैं, जिस में अभी उन के 10 बीघा में सब्जियां लगी हुई हैं. इस में मुख्य रूप से परवल 5 बीघा, ककड़ी 1 बीघा, खरबूज 1 बीघा, बजरबट्टू 1.5 बीघा और तरबूजा 1.5 बीघा में लगा हुआ है. परवल की खेती पिछले सितंबरअक्तूबर, 2020 से कर रहे हैं, जिस में उन्हें अच्छी आमदनी का अनुमान है. इन्होंने पिछले वर्ष गाजीपुर जा कर 60,000 रुपए की परवल की लतर लाए थे और अपने खेतों में लगा दिया था. अभी इन के खेत से हर तीसरे दिन 1.5 क्विंटल परवल निकल रहा है, जो कि बाजार में 30 से 35 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहा है. इस से संदीप को लग रहा है कि परवल से अच्छी आमदनी होगी और जिन लोगों ने गंगा नदी के किनारे परवल लगाया है, उस से ज्यादा दिनों तक इन का परवल चलेगा,

ये भी पढ़ें- जानें क्या है सब्जी और फल Preservation और इसके फायदे- भाग 1

क्योंकि जुलाई के महीने में बरसात होने से नदी में पानी भर जाने से वहां का लगा हुआ परवल खत्म हो जाता है, जबकि इन का सितंबरअक्तूबर माह तक चलेगा. साथ ही, जो लोग नदी के किनारे पर लगाते हैं, वे हर वर्ष परवल की लतर लगाते हैं, क्योंकि बाढ़ से परवल की लतर गल जाती है. लेकिन इन की खेत में लगी परवल के साथ ऐसा नहीं होगा और यही परवल अगले वर्ष भी चलेगा. उम्मीद यह भी है कि सितंबर, 2021 में कुछ लतर भी बेच लेंगे. इस तरह एक बीघा परवल से 70,000 से 80,000 रुपए की आमदनी हो रही हैं. सब्जियों की सिंचाई के लिए अपने खेत में रेन गन लगा रखा है, जिस से पानी कम लगता है, समय की बचत होती है, साथ ही साथ पौधों की बढ़वार भी अच्छी हो जाती है. रेन गन से सिंचाई करने पर ऊबड़खाबड़ खेत होने पर सभी जगह पानी समान मात्रा में पहुंच जाता है.

ये भी पढ़ें- Food Preservation-भाग 2: जानें फल और सब्जियों को सुखाने की विधि

इस में ज्यादा गुड़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है, क्योंकि मिट्टी बैठती नहीं है. साथ ही, सब्जियों में लगने वाली जड़ व तना गलन की बीमारी भी कम लगती है. कृषि विज्ञान केंद्र, बेजवां, भदोही की टीम बराबर इन के खेत का भ्रमण करती रहती है और समय के अनुसार सुझाव देती है, ताकि खेत में लगी सब्जियों को कीट और बीमारियों से सुरक्षा हो सके. इस समय जो सब्जियां लगी हैं, उस में मुख्य रूप से जड़ गलन, तना गलन, डाउनी मिल्ड्यू, धब्बा रोग, फल सड़न आदि रोग और कद्दू का लाल कीड़ा, फल मक्खी आदि प्रमुख कीट लगते हैं, जिस से बचाव के उपाय बताए जाते हैं. संदीप के खेत में लगी सब्जियों को देखने के लिए गांव और अगलबगल के लोग आते रहते हैं और संदीप कुमार गौड़ से जानकारी ले कर प्रेरणा लेते हैं. इस क्षेत्र के कई किसानों ने प्रेरित हो कर सब्जियों की खेती करना शुरू कर दिया है और बराबर राय लेते रहते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...