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दीवार – भाग 2 : क्या आनंद अंकल सच में जया और राहुल के अपने थे?

अगली सुबह जया ने कहा, ‘‘आनंद अंकल के नाश्ते के बरतन मैं जानकी से भिजवाना भूल गई. तुम शाम को जानकी से कहना, दे आएगी.’’

लेकिन शाम को राहुल खुद ही बरतन लौटाने के बहाने आनंद के घर चला गया. आनंद बालकनी में बैठे थे, उन्होंने राहुल को भी वहीं बुला लिया.  ‘‘स्वच्छ तो खैर नहीं कह सकते लेकिन खुली हवा यहीं बैठ कर मिलती है और चलतीफिरती दुनिया भी नजर आ जाती है वरना तो वही औफिस के वातानुकूलित कमरे या घर के बैडरूम, ड्राइंगरूम और टैलीविजन की दुनिया, कुछ अलग सा महसूस होता है यहां बैठ कर,’’ आनंद ने कहा, ‘‘सुबह का तो खैर कोई मुकाबला ही नहीं है. यहां की ताजी हवा में कुछ देर बैठ जाओ तो दिनभर स्फूर्ति और चुस्ती बनी रहती है.’’  ‘‘तभी आप ने बहुत ऊंचे दामों में कपिल से यह फ्लैट बदला है,’’ राहुल बोला.  आनंद ने उसे गहरी नजरों से देखा और बोले, ‘‘कह सकते हो वैसे बालकनी के सुख देखते हुए यह कीमत कोई ज्यादा नहीं है. चाहो तो आजमा कर देख लो. सुबह अखबार तो पढ़ते ही होगे?’’

‘‘जी हां, चाय भी पीता हूं.’’

‘‘तो कल यह सब बालकनी में बैठ कर करो, सारा दिन ताजगी महसूस करोगे.’’

अगले दिन जया और राहुल सवेरे ही आनंद अंकल की बालकनी में आ कर बैठ गए. आनंद की बात ठीक थी, राहुल और जया अन्य दिनों की अपेक्षा दिन भर खुश रहे इसलिए रोज सुबह बालकनी में बैठने और आनंद के साथ खबरों पर टिप्पणियां करने का सिलसिला शुरू हो गया.  एक रविवार की सुबह आनंद ने जया  को आराम से अखबार पढ़ते देख कर पूछा, ‘‘आज संडे स्पैशल बे्रकफास्ट बनाने का मूड नहीं है क्या?’’

जया ने इनकार में सिर हिलाया, ‘‘संडे को हम ब्रेकफास्ट करते ही नहीं अंकल, चलतेफिरते फल, नट्स आदि खाते रहते हैं.’’

‘‘मैं तो भई संडे को हैवी ब्रेकफास्ट करता हूं, भरवां परांठे या पूरीभाजी का और फिर उसे पचाने के लिए जी भर कर गोल्फ खेलता हूं. तुम्हें गोल्फ का शौक नहीं है, राहुल?’’  राहुल ने उन की ओर हसरत से देखा और कहा, ‘‘है तो अंकल, लेकिन कभी खेलने का या यह कहिए देखने का मौका भी नहीं मिला.’’

‘‘समझो मौका मिल गया. चलो मेरे साथ.’’ और आनंद ने मुरली को आवाज दे कर राहुल और जया के लिए भी नाश्ता बनाने को कहा. नाश्ता कर आनंद और राहुल गोल्फ क्लब पहुंचे.  राहुल और आनंद के जाने के बाद मुरली गाड़ी में जया को ब्यूटी पार्लर ले गया. आज उस ने रिलैक्स हो कर पार्लर में आने का मजा लिया.  राहुल की तो बरसों पुरानी गोल्फ क्लब जाने की तमन्ना पूरी हो गई. खेलने के बाद अंकल के दोस्तों के साथ बैठ कर बीयर पीना और लंच लेना, फिर घर आ कर कुछ देर इतमीनान से सोना.  यह प्रत्येक रविवार का सिलसिला बन गया. जया भी इस सब से बहुत खुश थी, मुरली बगैर कहे सफाई के अलावा भी कई और काम कर देता था. मुरली के साथ जा कर वह अपने उन रिश्तेदारों या परिचितों से भी मिल लेती थी जिन से मिलने में राहुल को दिलचस्पी नहीं थी. शाम वह और राहुल इकट्ठे गुजारते थे. संक्षेप में आनंद अंकल के पड़ोस में आने से उन की जिंदगी में बहार आ गई थी. जया अकसर उन की पसंद का गाजर का हलवा या नाश्ता बना कर उन्हें भिजवाती रहती थी, कभी पिक्चर या सांस्कृतिक कार्यक्रम में जाने के लिए बगैर पूछे अंकल का टिकट भी ले आती थी.

कुछ अरसे तक तो सब ठीक चला फिर राहुल को लगने लगा कि जया का झुकाव अंकल की तरफ बढ़ता ही जा रहा है. औफिस से जल्दी लौटने पर वह अंकल को जबरदस्ती घर पर बुला लेती थी, कभी उन्हें अपनी शादी का वीडियो दिखाती थी, कभी साहिल की शादी का या राहुल के बचपन की तसवीरें.  अंकल भी उसे खुश करने के लिए दिलचस्पी से सब देखते रहते थे. तभी राहुल को प्रमोशन मिल गया. जाहिर है, जया ने सब से पहले यह खबर आनंद अंकल को सुनाई और उन्होंने उसी रात इस खुशी में क्लब में पार्टी दी जिस में कपिल, पूजा और अपार्टमैंट में रहने वाले कुछ और लोगों को भी बुलाया. जब राहुल के औफिस वालों ने दावत मांगी तो राहुल ने किसी रेस्तरां में दावत देने की सोची लेकिन खर्च बहुत आ रहा था. जया ने कहा कि दावत घर पर ही करेंगे. मुरली भी साथ रहेगा.  ‘‘लेकिन अंकल शाम को गाड़ी नहीं चलाते. अगर मुरली यहां रहेगा तो वे क्लब कैसे जाएंगे, शनिवार की शाम उन्हें घर में गुजारनी पड़ेगी,’’ राहुल ने कहा.

‘‘कमाल करते हो, राहुल. हमारी पार्टी छोड़ कर अंकल क्लब जाएंगे या अपने घर में शाम गुजारेंगे, यह तुम ने सोच भी कैसे लिया?’’

‘‘यानी अंकल पार्टी में आएंगे?’’ राहुल ने हैरानी से पूछा, ‘‘तुम ने यह भी सोचा है जया कि यह जवान लोगों की पार्टी है. उस में अंकल को बुलाने से हमारा मजा किरकिरा हो जाएगा.’’

जया चौंक गई. उस ने आहत स्वर में पूछा, ‘‘हर रविवार को अंकल के साथ गोल्फ क्लब जाने या कभी शाम को जिमखाना क्लब जाने में तुम्हारा मजा किरकिरा नहीं होता?’’  खैर, पार्टी बढि़या रही, अंकल ने पार्टी के मजे में खलल डालने के बजाय जान ही डाली और औफिस के लोग राहुल के उच्चकुलीन वर्ग के लोगों से संपर्क देख कर प्रभावित भी हुए. लेकिन राहुल को जया का अंकल से इतना लगाव चिढ़ की हद तक कचोटने लगा था.

एक शाम वह औफिस से लौटा तो जया को देख कर हैरान रह गया.

‘‘तुम आज औफिस से जल्दी कैसे आ गईं, जया?’’

दीवार – भाग 1 : क्या आनंद अंकल सच में जया और राहुल के अपने थे?

आस्ट्रेलिया में 6 सप्ताह बिताने के बाद जया और राहुल जब वापस आए तो घर खोलते ही उन्हें हलकी सी गंध महसूस हुई. यह गंध इतने दिनों तक घर बंद होने के कारण थी.  सफर की थकान के कारण राहुल और जया का मन चाय पीने को कर रहा था, जया बोली, ‘‘जानकी कल शाम पूजा के फ्रिज में दूध रख गई होगी, तुम खिड़कियां व दरवाजे खोलो राहुल, मैं तब तक दूध ले कर आती हूं.’’

‘‘दूध ले कर या चाय का और्डर कर के?’’ राहुल हंसा.

‘‘आस तो नाश्ते की भी है,’’ कह कर जया बाहर निकल गई.  बराबर के फ्लैट में रहने वाले कपिल और पूजा से उन की अच्छी दोस्ती थी.  कुछ देर बाद जया सकपकाई सी वापस आई और बोली, ‘‘कपिल और पूजा ने यह फ्लैट किसी और को बेच दिया है. मैं ने घंटी बजाई तो दरवाजा एक नेपाली लड़के ने खोला और पूजा के बारे में पूछा तो बोला कि वे तो अब यहां नहीं रहतीं, यह फ्लैट हमारे साहब ने खरीद लिया है.’’

जया अभी राहुल को नए पड़ोसी के बारे में बता ही रही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बजी. जया ने जैसे ही दरवाजा खोला तो देखा कि जानकी दूध के पैकेट लिए खड़ी थी.

‘‘माफ करना मैडम, आने में थोड़ी देर हो गई, पूजा मैडम का नया फ्लैट…’’

‘‘कोई बात नहीं,’’ जया ने बात काटी, ‘‘यह बता, पूजा मैडम कहां गईं?’’

‘‘7वें माले पर, मगर क्यों, यह नहीं मालूम,’’ जानकी ने रसोई में जाते हुए कहा.

‘‘चलो, है तो सोसायटी में ही, मिलने पर पूछेंगे कि तीसरे माले से 7वें माले पर क्यों चढ़ गई? चाय तो जानकी पिला देगी मगर नाश्ता तो खुद ही बनाना पड़ेगा,’’ जया ने राहुल से कहा.

‘‘नाश्ते के लिए इडलीसांभर और फल ला दूंगा.’’

राहुल के बाजार जाने के बाद दरवाजा बंद कर के जया मुड़ी ही थी कि फिर घंटी बजी. जया ने दरवाजा खोला. बराबर वाले फ्लैट का वही नेपाली लड़का एक ढकी हुई टे्र लिए खड़ा था.  ‘‘साहब ने नाश्ता भिजवाया है,’’ कह कर उस ने बराबर वाले फ्लैट की ओर इशारा किया जहां एक संभ्रांत प्रौढ़ सज्जन दरवाजे पर ताला लगा रहे थे. ताला लगा कर वे जया की ओर मुड़े और मुसकरा कर बोले, ‘‘मैं आप का नया पड़ोसी आनंद हूं. मुझे पूजा और कपिल से आप के बारे में सब मालूम हो चुका है. आस्टे्रलिया की लंबी यात्रा के बाद आप थकी हुई होंगी इसलिए पूजा की जगह मैं ने आप के लिए नाश्ता बनवा दिया है.’’

‘‘आप ने तकलीफ क्यों की? राहुल गए हैं न नाश्ता लाने…’’

‘‘तो यह आप लंच में खा लेना,’’ आनंद नौकर की ओर मुड़े. ‘‘मुरली, टे्र अंदर टेबल पर रख दो.’’

मुरली ने लपक कर टे्र अंदर टेबल पर रख दी और फिर आनंद का ब्रीफकेस उठा कर लिफ्ट की ओर चला गया.  ‘‘इतना संकोच करने की जरूरत नहीं है, बेटी,’’ आनंद ने प्यारभरे स्वर में कहा, ‘‘अब हम पड़ोसी हैं, एकदूसरे का सुखदुख बांटने वाले.’’

जया भावविह्वल हो गई, ‘‘थैंक यू, अंकल…’’

‘‘साहब, लिफ्ट आ गई,’’ मुरली ने पुकारा.

‘‘शाम को मिलते हैं, टेक केयर,’’ आनंद ने लिफ्ट की ओर जाते हुए कहा.

तभी राहुल आ गया और खुशबू सूंघते हुए बोला, ‘‘मैं गया तो था न नाश्ता लाने फिर तुम ने क्यों बना लिया?’’  ‘‘मैं ने नहीं बनाया, हमारे नए पड़ोस से आया है,’’ जया ने राहुल के मुंह में परांठे का टुकड़ा रखते हुए कहा, ‘‘खा कर देखो, क्या लाजवाब स्वाद है.’’

‘‘सच में मजा आ गया,’’ राहुल बैठते हुए बोला, ‘‘अब तो यही खाएंगे. परांठे तो बढि़या हैं, आनंद साहब कैसे हैं?’’

‘‘तुम्हें उन का नाम कैसे मालूम?’’ जया ने चौंक कर पूछा.

‘‘नीचे सोसायटी का सेके्रटरी श्रीनिवास मिल गया था. उसी ने बताया कि अमेरिकन बैंक के उच्चाधिकारी आनंद विधुर हैं, बच्चे भी कहीं और हैं. बस एक नौकर है जो उन की गाड़ी भी चलाता है इसलिए अकेलापन काटने के लिए ऐसा फ्लैट चाहते थे जिस की बालकनी से वे मेन रोड की रौनक देख सकें. अपनी बिल्ंिडग में जो फ्लैट बिकाऊ हैं उन से मेन रोड नजर नहीं आती. श्रीनिवास के कहने पर उन्होंने 7वें माले का फ्लैट ले तो लिया पर उस में रहने नहीं आए. बाद में श्रीनिवास को बगैर बताए उन्होंने कपिल से अपना फ्लैट बदल लिया. इस अदलाबदली का कमीशन न मिलने से श्रीनिवास बहुत चिढ़ा हुआ है.’’

जया हंसने लगी, ‘‘कपिल से या आनंद अंकल से?’’

‘‘अरे वाह, तुम ने उन्हें अंकल भी बना लिया?’’

‘‘जब उन्होंने मुझे बेटी कहा तो मुझे भी उन्हें अंकल कहना पड़ा. वैसे भी उन की उम्र के व्यक्ति को तो अंकल ही कहना चाहिए.’’  पेट भर नाश्ता करने के बाद दोनों आराम करने लगे. अगले रोज से काम पर जाना था इसलिए दोनों कुछ देर बाद उठे और घर का सामान लाने बाजार चले गए. लौटते समय लिफ्ट में आनंद मिल गए. अपने फ्लैट का ताला खोलने से पहले राहुल ने कहा, ‘‘अंकल, आज हमारे साथ चाय पीजिए.’’

‘‘जरूर पीऊंगा बेटा, मगर फिर कभी.’’

‘‘वह फिर कभी न जाने कब आए, अंकल,’’ जया बोली, ‘‘कल से काम पर जाने के बाद घर लौटने का कोई सही वक्त नहीं रहेगा.’’  आनंद अपने फ्लैट की चाबी मुरली को पकड़ा कर राहुल और जया के साथ अंदर आ गए. उन के चेहरे से लगा कि वे घर की सजावट से बहुत प्रभावित लग रहे हैं.

‘‘आस्ट्रेलिया का ट्रिप कैसा रहा?’’ आनंद ने बातचीत के दौरान पूछा.

‘‘बहुत बढि़या. मेरे छोटे भाई साहिल ने हमें खूब घुमाया. बहुत मजा आया. वैसे भी आस्टे्रलिया बहुत सुंदर है,’’ राहुल ने कहा.

‘‘वहां जा कर बसने का इरादा तो नहीं है?’’

‘‘अरे नहीं अंकल, रहने के लिए अपना देश ही सब से बढि़या है.’’

‘‘यह बात छोटे भाई को नहीं समझाई?’’

‘‘ऐसी बातें किसी के समझाने से नहीं, अपनेआप ही समझ आती हैं, अंकल.’’

‘‘यह बात तो है. मुझे भी औरों की बात समझ नहीं आई थी और जब आई तो बहुत देर हो चुकी थी,’’ आनंद ने लंबी सांस ले कर कहा.

‘‘कौन सी बात, अंकल?’’ जया ने पूछा.

‘‘यही कि अपना देश विदेशों से अच्छा है,’’ आनंद ने सफाई से बात बदली, ‘‘लंबे औफिस आवर्स हैं आप दोनों के?’’

‘‘मेरे तो फिर भी ठीक हैं लेकिन जया रायजादा गु्रप के चेयरमैन की पर्सनल सेके्रटरी है इसलिए यह अकसर देर से आती है,’’ राहुल ने बताया.

‘‘खानेवाने का कैसे चलता है फिर?’’

‘‘जानकी रात का खाना बना कर रख जाती है, सवेरे मैं देर से जाती हूं इसलिए आसानी से कुछ बना लेती हूं.’’

‘‘फिर भी कभी कुछ काम हो तो मुरली से कह देना, कर देगा.’’

‘‘थैंक्यू, अंकल. आप को भी जब फुरसत हो यहां आ जाइएगा. मैं तो 7 बजे तक आ जाता हूं,’’ राहुल ने कहा.  आनंद के जाने के कुछ देर बाद कपिल आया. बोला, ‘‘माफ करना भाई, फ्लैट बदलने के चक्कर में तुम्हारे आने की तारीख याद…’’

‘‘लेकिन बैठेबिठाए अच्छाभला फ्लैट बदलने की क्या जरूरत थी यार?’’ राहुल ने बात काटी.

‘‘जब उस बालकनी की वजह से जिसे इस्तेमाल करने की हमें फुरसत ही नहीं थी, आनंद साहब मुझे उस फ्लैट की मार्केट वैल्यू से कहीं ज्यादा दे रहे थे तो मैं फ्लैट क्यों न बदलता?’’  राहुल ने खुद को कहने से रोका कि हमें तो अभी तुम्हारी कमी महसूस नहीं हुई और शायद होगी भी नहीं. उसे न जाने क्यों आनंद अंकल अच्छे या यह कहो अपने से लगे थे. सब से अच्छी बात यह थी कि उन का व्यवहार बड़ा आत्मीय था.

प्रेम कबूतर : भाग 3

नादिरा कहती-“पुतुल तो अखिल का बैंक बन गयी है”

मिठू कहती-“पुतुल कामधेनु गाय है जो अखिल के हाथ लगी है”

लेकिन मैं खुश थी.

उनके सभी मजाक पर अखिल के कहे वे प्रेम से भींगे शब्द भारी पड़ जाते थें-“पुतुल तुम मेरी जान हो.”

-“पुतुल हम लवर हैं”

‘लवर’, शब्द सुनकर बहुत अच्छा लगता. दिल करता उसके लिये सात समुद्र-तेरह नदियां, सभी पार कर जाऊं.

लेकिन प्रेम की कसौटी में छात्र जीवन कहाँ फिट बैठता है.

मेरी यूनिट टेस्ट का परिणाम आया और आशा के अनुरूप ही आया. यह परिणाम मेरे छात्र जीवन का सबसे बेकार परिणाम था. मम्मी-पापा तो सकते में आ गये थें. सहम तो मैं भी गयी थी! लेकिन परिणाम के कारण नहीं, अखिल के व्यवहार के कारण.

परीक्षा में मेरे प्रदर्शन से जहाँ मैं दुःखी थी, वहीं अखिल के व्यवहार में किसी भी प्रकार की संवेदना का अभाव था. दो दिन पहले परिणाम आया था. तब से आज तक उसने मात्र दो बार फोन किया था. एक बार उसका फोन रिचार्ज कराने के लिये और दूसरी बार रिचार्ज प्लान बताने के लिये.

जब मैंने अपना दर्द उससे बाँटना चाहा तो बोला-“अरे यार.पढ़ना चाहिये था! अब रोकर क्या फायदा! चियर अप”

वो मुझे पढ़ने पर सुझाव दे रहा था, जिसने आजतक बिना मेरी सहायता के एक परीक्षा भी पास नहीं की थी!

मैं शाम को बरामदे में उदास बैठी थी.

मम्मी मेरे पास आयीं और बोलीं-“तुम आजकल कहाँ गायब रहती हो!”

-“कही नहीं.”

-“तुम परसो कहाँ गयी थी?”

-“नादिरा के घर. क्यों?”

-“ये फोन पर इतना क्यों लगी रहती हो?”

-“मम्मी, ये क्या हैं!?”

-“सुनो, मुझसे मत छिपाओ. तुम्हारा हाव-भाव आजकल कुछ ठीक नहीं लग रहा. पापा को तुम्हारे मार्क्स से धक्का लगा है. बेटा, शिक्षा वह पतवार है जो हर तूफान से तुम्हें निकाल लेगी. दिन-भर सोचते रहने से क्या होगा! जो गलत कर रही हो, उसे सुधारो!”

मम्मी की बात सुनकर मैं अंदर ही अंदर चौंक गयी. कहीं इन्हें सन्देह तो नहीं हो गया. मेरे होठों से कुछ नहीं निकला. सिर झुकाए बैठी रही. तभी दीदी आ गयी थीं.

-“तुम जाओ मम्मी, मैं इससे बात करती हूँ”

मम्मी चली गयी थीं. दीदी मेरे पास आकर बैठ गयी. कुछ समय तक हमारे बीच का चुप बोलता रहा और हम खामोश बैठे रहें.

फिर न जाने क्या सोचकर मेरे केशों को सहलाते हुये दीदी बोली थीं-“पुतुल, क्या हुआ”

यदि वे डांटती, तानें देतीं अथवा मेरी हँसी उड़ातीं; तो मैं झेल लेती. किन्तु उनकी प्रेम मिश्रित चिंता के स्वर ने मुझे तोड़ दिया. मैं उनके गले लगकर रो पड़ी थी.

-“दीदी, कुछ समझ नहीं आ रहा! उसका व्यवहार कष्ट दे रहा है. अपनी मूर्खता भी नजर आ रही है. लेकिन फिर भी दिल में कुछ फँसा हुआ है.”

-“अब क्या कह रहा है”

“कल उसका जन्मदिन है. मुझे बुला रहा है”

-“ह्म्म्म!” दीदी ने मात्र इतना ही कहा और फिर कुछ सोचने लगी थीं.

मैं थोड़ी लज्जित होकर बोली-“वैसे यह गलत भी नहीं है. जन्मदिन पर अपनी गर्लफ्रैंड को तो बुलायेगा ही मैं भी क्या-क्या सोचने लगती हूँ”

दीदी ने मेरे कंधें को हिलाते हुये बोला-“वो तुझे पार्टी के लिये बुला रहा है वो वो स्वार्थी तेरे ऊपर खर्च करेगा  मैं नहीं मानती.”

-“तो फिर मेरे साथ चलो और स्वयं फैसला कर लो .अब तो मैं भी देखना चाहती हूँ.आज सब कुछ सामने होगा.”

मेरी इस बात पर दीदी बोली कुछ नहीं, मात्र मुस्कुरा दी थी.

अगले दिन सज-धजकर करीब साढ़े-बारह बजे मैंने और सम्पा दीदी ने ऑटो लिया. ऑटो वाले को खोखन कॉफी हाउस चलने को कहा. वैसे भी कोई गली-कूची तो थी नहीं. हम समय पर पहुंच गये थें.

अखिल गेट पर ही खड़ा था. मुझे देखते ही लपका लेकिन, दीदी को देखकर ठिठक गया.

मैं कुछ कहती इससे पहले ही दीदी बोल पड़ी थीं-“हैप्पी बर्थडे अखिल! तुमसे मिलना तो था ही, इसलिये जब सुना कि आज तुम्हारा बर्थ डे है तो मैं भी पुतुल के साथ चली आयी. तुम्हें बुरा तो नहीं लगा!”

अखिल का चेहरा प्रसन्न तो नहीं लग रहा था. लेकिन उसने कहा-” ऐसी कोई बात नहीं है. यु आर मोस्ट वेलकम!”

मैंने भी आगे बढ़ अखिल को गले लगाकर जन्मदिन की शुभकामनाएं दी. हमने एक साथ ही कैफ़े के भीतर प्रवेश किया. लेकिन भीतर पहुँचते ही मैं चौंक पड़ी थी.

वहाँ अखिल के कई मित्र खड़ें मुस्कुरा रहे थें. उनमें से कई लड़कों को तो मैं जानती भी नहीं थी. लेकिन उनकी नजरों से बरसती बेशर्मी की अग्नि मुझे जला रही थीं. मैंने सम्पा दीदी की तरफ देखा. वे भी मुझे ही देख रही थीं.

दीदी धीमे से मेरे कानों में बोलीं-“तुमने तो कहा था, सिर्फ तुम और अखिल हो इस पार्टी में!”

-“मुझे भी अभी-अभी पता चला!”

तभी उन लड़कों में से एक बोला-“अरे अखिल, इन दोनों में तेरी सोने का अंडा देने वाली मुर्गी कौन सी है!” उसके इतना कहते ही अन्य लड़कें हँसने लगे थें. मेरी गर्दन शर्म से झुक गयी.

अखिल मेरे बचाव में आने का नाटक करते हुये बोला-“अरे गधों इसे प्यार कहते हैं. तुम्हें पुतुल जैसी कोई नहीं मिली, इसलिये जल रहे हो! अब चुप करो सब”

मेरा मोह भंग हो चुका था. सत्य मेरे सामने था. मैं एक पल भी वहाँ नहीं रुकना चाहती थी. लेकिन दीदी ने मुझे रुकने का इशारा किया और मुझे रुकना पड़ा था.

उसके बाद केक कटा, डांस हुआ. जम कर खाना-पीना हुआ. फिर आया बिल देने का समय. वेटर बिल लेकर आया और जैसा कि उसे समझाया गया था, उसने बिल मेरे सामने रख दिया.

अखिल बेशर्मी से हँसते हुये बोला-“मेरी पुतुल ऐसी ही है. मुझे खर्च करने ही नहीं देती!”

बहुत देर से मेरी दायीं हथेली को सम्पा दीदी ने अपनी हथेली में पकड़ रखा था, जैसे मेरी पीड़ा और क्रोध की उफनती नदी पर उन्होंने एक बाँध बना रखा हो. लेकिन अखिल के इतना कहते ही, उन्होंने मेरी हथेली को हल्का सा दबाकर छोड़ दिया था. मैं समझ गयी थी.

मैंने बिल को उठाया और अखिल के सामने रख दिया-“अरे ! ऐसा कैसे! बर्थ डे तुम्हारा तो पार्टी भी तुम ही दोगे, मैं क्यों दूँ! वैसे भी आज मैंने सोचा तुम्हारी सभी शिकायतें दूर कर दूँ! चलो, आज जी भरकर खर्च कर लो! मैं कुछ नहीं बोलूंगी!

फिर सम्पा दीदी बोलीं-“अच्छा हम चलते हैं! घर पर मेहमान आने वाले हैं तो मम्मी ने घर जल्दी आने बोला है. थैंक्स फ़ॉर लवली पार्टी!”

इतना कहकर हम कॉफी हाउस से बाहर निकले ही थें कि, जैसा हमारा अनुमान था अखिल चिल्लाता हुआ हमारे पीछे आया. मैं उसे आता हुआ देख रही थी लेकिन मेरा हृदय भावनाशून्य था. जो चेहरा कभी मुझे प्रिय था, आज कुरूप प्रतीत हो रहा था.

अखिल मेरे करीब आकर गुस्से में बोला-“तुम मुझे ब्रेकअप करने को मजबूर कर रही हो!”

मुझे उसके इस अहंकार पर क्रोध भी आ रहा था और हँसी भी. लेकिन मैं कुछ बोली नहीं. उस पर एक व्यंग्यात्मक तीखी मुस्कान का प्रहार करके आगे बढ़ने को ही थी कि उसने मेरी कलाई पकड़ ली.

-“मैं मजाक नहीं कर रहा! मैं तुम्हें छोड़ दूँगा!”

मैंने अपनी कलाई पर कसी उसकी मुट्ठी को एक झटके में हटा दिया और फिर बोली-“मजाक तो मैंने भी नहीं किया है! घमण्ड के काले बादल जो तुम्हारी आँखों पर छाये हुये हैं, उनके कारण तुम शायद देख नहीं पाये होंगे कि प्रेम कबूतर तो कब का उड़ चूका है!”

इतना कहने के बाद हम दोनों बहनें घर आकर नेटफ्लिक्स पर आयी एक नयी सीरीज देखने में व्यस्त हो गये थें.

वहाँ अखिल के साथ क्या हुआ, कॉफी हाउस के मैनेजर ने उसके और उसके दोस्तों के साथ क्या किया और अखिल को उसके दोस्तों से उपहार में क्या मिला, यह मैं पाठकों की कल्पनाशक्ति पर छोड़ती हूँ.

महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक : मुख्यमंत्री

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में ‘राष्ट्रीय पोषण माह, 2021’ का शुभारम्भ किया.

कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने गोद भराई कार्ड ‘शगुन’ तथा आई0सी0डी0एस0 विभाग के मैस्कॉट ‘आँचल’ का विमोचन किया. राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने 05 गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की तथा 10 बच्चों को उपहार स्वरूप फलों की टोकरी वितरित की.

राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर प्रदेश के 24 जनपदों में लगभग 4,142 लाख रुपये की लागत से नवनिर्मित 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया. कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों को प्रशस्ति-पत्र तथा उ0प्र0 लोक सेवा आयोग द्वारा नवचयनित 91 बाल विकास परियोजना अधिकारियों को नियुक्ति-पत्र वितरित किया गया.

राज्यपाल जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश व प्रदेश को सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया है. राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है. कुपोषण से छुटकारा दिलाने में जनसहभागिता की उपयोगी भूमिका है.

मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना को साकार करने के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है. इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्ष 2018 से देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया. आज चौथे राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारम्भ किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि प्रत्येक माता एवं बच्चा स्वस्थ व सुपोषित हो. राष्ट्रीय पोषण माह के प्रभावी ढंग से संचालन तथा समाज के अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए कार्यक्रम में जनसहभागिता आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण अभियान, 2021’ के तहत विभिन्न गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा. पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा. इसके तहत सरकारी स्कूलों, आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए. माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान किशोरियों, बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा. तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री, अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे. चौथे सप्ताह के दौरान सैम व मैम बच्चों के चिन्हांकन का कार्य किया जाएगा. सभी से चार सप्ताह के इस विशेष अभियान से जुड़कर इसे सफल बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ समाज के सशक्तीकरण का महाअभियान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के सुपोषण के सम्बन्ध में अनेक अभिनव प्रयोग किये हैं, जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं. इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मियों यथा आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं, बाल विकास परियोजना अधिकारियों को आज प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अस्थायी अथवा किराये के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपना भवन उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है. इसके तहत आज 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का लोकार्पण किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के साथ ही प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्कूली शिक्षा का कार्य भी समुचित ढंग से आगे बढ़े. वर्ष 2020 में कोरोना के आगमन से यह प्रयास बाधित हुआ. वर्तमान में राज्य में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित स्थिति में है. आज प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 22 मामले प्रकाश में आये हैं. अधिकतर जिलों में कोरोना का संक्रमण समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अब तक कोरोना की 07 करोड़ 39 लाख से अधिक जांच करायी गयी है तथा 08 करोड़ 08 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है. कोरोना की जांच और वैक्सिनेशन दोनों में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. आंगनबाड़ी से सम्बन्धित गतिविधियों को आगे बढ़ाने का यह उपयुक्त समय है.

मुख्यमंत्री जी ने नवनियुक्त बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चयन हेतु बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर अभ्यर्थियों का चयन पूरी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ मेरिट के आधार पर सम्पन्न कराया गया है. उन्होंने कहा कि नवनियुक्त अधिकारी राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप राष्ट्रीय पोषण माह अभियान से जुड़कर ईमानदारी से कार्य करें. उन्होंने कहा कि बच्चे ईश्वर की कृति हैं. शासन द्वारा इन्हें प्रदान की जा रही स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं सुलभ होनी चाहिए. यह राष्ट्र की आधारशिला को सुदृढ़ करने की दिशा में किया गया कार्य है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तीकरण हेतु सार्थक प्रयास किये हैं. मिशन शक्ति-3 का संचालन किया जा रहा है. महिला आरक्षियों को बीट की जिम्मेदारी दी गयी है. यह आरक्षी महिलाओं के सम्बन्ध में जागरूकता का प्रसार का कार्य भी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, आशा वर्कर्स तथा एएनएम द्वारा स्क्रीनिंग और मेडिसिन किट वितरण का कार्य किया गया. इससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी सहायता मिली. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों तथा आशा वर्कर्स के मानदेय की वृद्धि के सम्बन्ध में कार्यवाही संचालित है. इनके बकाया भुगतान के निर्देश भी दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सितम्बर माह साग-सब्जियों और फलों के पौधरोपण के लिए उचित समय है. इस दौरान बेसिक शिक्षा परिषद तथा माध्यमिक स्कूलों में किचन गार्डेन स्थापित किया जा सकता है. उन्होंने कुपोषित माँ व बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए दूध की उपलब्धता हेतु जिला प्रशासन को जनपद स्तर पर निराश्रित गोवंश में से गाय उपलब्ध कराये जाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश के पालन हेतु प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराये जा रहे हैं.

महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बच्चों से लेकर बुजुर्गाें तक को सशक्त और स्वावलम्बी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं. उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए कुपोषण से मुक्ति जरूरी है. प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पोषण माह अभियान की नींव रखी. मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में इस अभियान का प्रभावी ढंग से संचालन किया जा रहा है.

कार्यक्रम के अन्त में प्रमुख सचिव महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती वी. हेकाली झिमोमी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती सारिका मोहन, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

नीतीश कुमार: पीएम मैटेरियल या पलटीमार मैटेरियल

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बात को लेकर चर्चा में है कि वह राजनीति में किस टाइप के मैटेरियल है. जनता दल यूनाइटेड के नेता उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि नीतीश कुमार पीएम मटैरियल हैं. जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी कहते है कि नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की योग्यता है, लेकिन वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. बिहार में विपक्ष की भूमिका निभा रही राजद यानि राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल नहीं पलटीमार मैटेरियल है. नीतीश कुमार को लेकर यह पेशबंदी अचानक नहीं है. इसके पीछे 2024 के लोकसभा चुनाव की राजनीति है.

पश्चिम बंगाल चुनाव में जिस तरह से भाजपा को मुंह की खानी पडी है उसका प्रभाव बिहार के राजनीति पर पडा है. कमजोर दिख रहे नीतीश कुमार अब भाजपा के खिलाफ खडे होने लगे है. ताजा घटनाक्रम को देखे तो यह बात साफ हो जाती है. जातीय जनगणना के मुददे पर वह भाजपा के खिलाफ और विरोधी दलों के साथ खडे नजर आते है. उनकी पार्टी के नेता नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताने लगे है. नीतीश कुमार अनुभवी नेता है. वह नरेन्द्र मोदी उतरती गोल्ड प्लेटिंग को देख रहे है. नीतीश को दिख रहा है कि भाजपा अब हताश होने लगी है. वह चुनाव नहीं जीत सकती. क्योकि उसने मोदी को चमकाने के चक्कर में नये नेता नहीं बनने दिये. ऐसे में भाजपा नीतीश को हटाये उसके पहले नीतीश खुद अपने कद को बडा कर ले.

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वैसे तो बिहार में राजग यानि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार चल रही है. नीतीश कुमार इस गठबंधन के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री है. 2020 में जब से बिहार में यह सरकार बनी है नीतीश कुमार और भाजपा यानि भारतीय जनता पार्टी के बीच शह और मात का खेल चल रहा है. पश्चिम बंगाल चुनाव में भाजपा ने जैसा चुनाव परिणाम सोंचा था वैसा नहीं आ सका इस कारण बिहार में वह बदलाव नहीं कर सकी. जिसकी वजह से नीतीश कुमार की कुर्सी थोडी मजबूत दिखने लगी. इसके बाद भी अंदर ही अदंर नीतीश कुमार यानि जनता दल युनाइटेड जदयू और भाजपा के बीच रस्साकशी चल रही है. नीतीश में पीएम मैटरियल दिखने वाले बयान इसका ही प्रमुख कारण है.

नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल:

जनता दल यूनाइटेड के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुमार भी पीएम मैटेरियल हैं. उपेंद्र कुशवाहा संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं. उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा आज की तारीख में पीएम मोदी के अलावा और भी कई पीएम मटैरियल हैं और नीतीश कुमार उन्हीं में से एक हैं. उन्होने आगे कहा कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर पूरे देश में एक माहौल बनाने की जरूरत है और उसमें नीतीश कुमार की बहुत बड़ी भूमिका हो सकती है. इसके पहले भी जदयू के विधायक गोपाल मंडल ने भी ऐसा ही बयान देते कहा ‘नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल है और उनकी असली कुर्सी दिल्ली में है.’

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नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल बताने के बयान से भाजपा-जदयू के बीच माहौल तल्ख होने लगा तब जदयू की तरफ से बीच बचाव करने वाले बयान आने लगे. जदयू के प्रधान महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री बनने की योग्यता है, लेकिन वह प्रधानमंत्री पद के दावेदार नहीं हैं. हमारी पार्टी मजबूती के साथ राजग में है, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. जदयू केंद्र और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी है. गठबंधन का पुरजोर समर्थन करते हैं. पार्टी विभिन्न विषयों पर मुद्दों को हल करने के लिए समन्वय समिति के गठन का स्वागत करेगी. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान समन्वय समिति का गठन कर कई काम किए गए थे. जदयू और भाजपा के बीच रिष्तों में कई पेंच अभी भी फंसे है. समन्वय समिति का गठन उनमें से एक है.

जाति जनगणना के पक्ष में नीतीश :

जाति जनगणना के पक्ष में नीतीश कुमार और उनकी पार्टी का खडा होना यह बताता है कि वह पिछडा वर्ग के बीच अपनी छवि को मजबूत करना चाहते है. 2024 के लोकसभा चुनाव में पिछडा वर्ग का वर्चस्व बने इसके लिये जनगणना जरूरी है. पिछडा वर्ग समर्थक नेताओं का मानना है कि 100 से 60 की हिस्सेदारी पिछडा वर्ग की है. बिना जनगणना के उनको वाजिब हक नहीं मिल रहा है. अगर सामाजिक न्याय की लडाई मे नीतीश कुमार की भूमिका को देखे तो पता चलता है कि वह सामाजिक न्याय की लडाई की राह का रोडा ही रहे है.

90 के दशक में जब बिहार में सवर्णवादी राजनीति हाशिये पर पहंुच रही थी. लालू प्रसाद यादव ने पिछडी जातियों को बिहार की मुख्यधारा में स्थापित करने का काम किया. इस वजह से उनको सामाजिक न्याय के नेता के रूप में स्वीकार किया जाता है. लालू प्रसाद यादव को कमजोर करने के लिये नीतीश कुमार ने पहले पिछडी जातियों में सेंधमारी फिर सवर्णवादी राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ समझौता करके बिहार में उनके जनाधार को बढाने का काम किया. पिछडी जातियों में सेंधमारी के लिये नीतीश कुमार ने जातियों के वर्ग के बीच उपवर्ग और जातियों की श्रेणियों को तैयार किया. पिछडा वर्ग को सबसे अधिक नुकसान मोस्ट ओबीसी के अलग होने से हुआ. नीतीश कुमार ने पिछडा वर्ग से 22 फीसदी मोस्ट ओबीसी, 12 फीसदी कोइरी, कुर्मी और कुषवाहा, 8 फीसदी महादलित को अलग करके अपना एक नया वोट बैंक तैयार किया. इस वर्ग ने 16 फीसदी अगडों का साथ देकर पिछडा वर्ग की राजनीति को बिहार से उखाड कर फेंक दिया.

पलटीमार नीतीश कुमार:

नीतीश कुमार ने नौकरी छोड कर 1975 में राजनीति में प्रवेश किया और जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ गए. इंदिरा सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभाई. नीतीश कुमार ने 1977 में विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव हार गये. इसके बाद भी नीतीश ने हार नहीं मानी.इसके बाद 1980 में विधानसभा चुनाव लड़ने का मौका मिला लेकिन इसमें भी उनको हार मिली. भले ही ये लगातार चुनावों में हार रहे थे. लेकिन इन पर हार का कोई विशेष प्रभाव नहीं था पडा. 1985 में पहली बार नीतीश कुमार को जीत मिली. इसके बाद युवा लोकदल के अध्यक्ष और बाद में जनता दल के प्रदेश सचिव बन गये.

1990 में केन्द्र की चन्द्रशेखर सरकार वह पहली बार केन्द्रीय मंत्रीमंडल में कृषि राज्यमंत्री बने. 1991 में वह एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गये. इस साल ही जनता दल का राष्ट्रीय सचिव भी चुना गया. इसके संसद में वह जनता दल के उपनेता भी बने. 1989 और 2000 में वह बाढ़ लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 1989-1999 में वह केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री भी रहे. अगस्त 1999 में गैसाल में हुई रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से अपना इस्तीफा दे दिया. जौर्ज फर्नाडिस की समता पार्टी के साथ काम किया. साल 2000 में इनको कृषि मंत्री बना दिया गया और 2001 में फिर से रेल मंत्री बना दिया गया.

2005 में बिहार में चुनाव हुये इस समय तक नीतीश कुमार ने जनता दल युनाइटेड नाम से अपनी अलग पार्टी बना ली थी. लालू यादव के जंगलराज और परिवारवाद के खिलाफ जनता को विकास का वादा करके चुनाव जीतने में सफल रहे. भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन के साथ बिहार के मुख्यमंत्री बन गए. 2010 में फिर मुख्यमंत्री के चुनाव हुए. इसमे नीतीश को भारी जीत मिली. अब तक नीतीष को भाजपा की जरूरत खत्म हो गई थी तो वह भाजपा से अलग हो गये. इस समय तक भाजपा में नरेंद्र मोदी का उदय शुरू हो चुका था. नीतीश नरेन्द्र मोदी की आलोचना करने लगे थे. 2014 के लोकसभा चुनावों में नीतीश को तीसरे मोर्चे का नेता मान प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी माना जा रहा था. नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह सारे कयास धरे के धरे रह गये.

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश ने भाजपा से नाता तोड़ कर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ महागठबंधन कर लिया. इस चुनाव में नीतीश की पार्टी जदयू बिहार में तीसरे नम्बर पर थी इनको 17 फीसदी वोट और 71 सीटे मिली, राजद को 18 फीसदी वोट और 80 सीटे मिली और भाजपा को 24 फीसदी वोट और 50 सीटे मिली. कांग्रेस को 7 फीसदी वोट और 27 सीटे मिली. इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहने के बाद भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री और राजद नेता लालू प्रसाद यादव के बेटे और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम बन गये.

नीतीश और तेजस्वी यादव के बीच संबंधों की खींचतान के कारण महागठबंधन में विवाद शुरू हुआ था. 26 जुलाई 2017 को सीबीआई द्वारा एफआईआर में उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव के नाम आने के बाद नीतीश कुमार ने गठबंधन सहयोगी राजद के बीच मतभेद के चलते इस्तीफा दे दिया था. 20 महीने पुरानी महागठबंधन सरकार गिर गई तो नीतीश कुमार पाला बदल कर वापस भाजपा की तरफ आ गये. वह एनडीए गठबंधन में शामिल हुए और मुख्यमंत्री पद की पुनः शपथ ली. भाजपा के सहयोग से सरकार चलाने लगे. इस तरह से बदलती विचारधारा के साथ नीतीश कुमार ने बिहार पर राज किया. इसके बाद भी बिहार की हालत में कोई बदलाव नहीं दिख रहा. बिहार में सामाजिक न्याय की लडाई को नुकसाद हुआ जिससे दलित और पिछडे वर्ग के लोग वापस ऊंची जातियों के पीछे चलते दिखाई दे रहे है.

2014 में भी पीएम मैटेरियल:

नीतीश कुमार को 2014 के लोकसभा चुनाव में भी तीसरे मोर्चे के नेता के रूप में देखा जा रहा था. नीतीश कुमार की छवि को देखते हुये उनको ‘सुशासन बाबू‘ के नाम से जाना जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार का नाम तीसरे मोर्चे के प्रधानमंत्री के रूप में लिया जाने लगा था. भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलने के बाद जब नरेन्द्र मोदी देष के प्रधानमंत्री बने तो नीतीश कुमार ने राजनीति की गति को समझा और धीरेधीरे वह ‘मोदी मय‘ होते गये. नीतीश कुमार केवल बिहार का विकास ही नहीं कर पाये यहां की सामाजिक सरंचना को भी नहीं बचा पाये.

जिस समाजवादी विचारधारा के नेता जय प्रकाष नारायण के साथ नीतीश ने अपनी राजनीति शुरू की थी बाद में वह कांग्रेस के विरोध के नाम पर भाजपा की धर्मवादी सोंच का हिस्सा बन गये. मोदी के प्रखर धर्म और राष्ट्रवाद आने के बाद नीतीश कुमार उसका हिस्सा बनते गये. सुशासन बाबू का सुशासन कहीं खो गया. नीतीश कुमार ने धर्म की आड में गरीब पिछडों की आवाज को दबा दिया. नीतीष के शासन में बिहार की हालत पहले से भी बद से बदत्तर होती गई. बिहार में बेकारी, बदहाली, अपराध, स्वास्थ्य और षिक्षा का बुरा हाल रहा है. नीतीश कुमार ने केवल पल्टीमार दांव के चलते ही कुर्सी पर अपना कब्जा जमा कर है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू की सीटे कम होने के बाद भी भाजपा ने उनको मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. नीतीश कुमार एक बार फिर से अपने लिये नये अवसर देख रहे है.

पलटीमार मैटेरियल:

जदयू के लोग नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल मान रहे है. वही राजद के नेता तेजस्वी यादव उनको पलटीमार मैटेरियल बताते है. राजनीति में जिस तरह से नीतीश कुमार की सफलता पाने के लिये पाला बदलने का काम किया उससे उनकी छवि पल्टीमार नेता की हो गई. कई लोग इसको उनको पलटीमार दंाव भी कहते है. नीतीश कुमार ने जय प्रकाश की समाजवादी विचारधारा से राजनीति शुरू की. पिछडो की अगुवाई करने वाले लालू प्रसाद यादव को हाशिये पर ढकेलने के लिये ऊंची जातियों ने नीतीश कुमार का प्रयोग किया.

कांग्रेस की विचारधारा का विरोध करने वाले नीतीश कुमार भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर पिछडे वर्ग को कमजोर करने का काम किया. ऊंची जातियों ने पिछडो के नेता लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को आमने सामने करके लालू यादव की ताकत को बिहार में खत्म कर दिया. नीतीश जनगणना के मुददे को लेकर खुद को पिछडा वर्ग का नेता दिखाना चाहते है. उनको लगता है कि भाजपा अब जो भी व्यवहार उनके साथ करेगी इससे वह मजबूत होगे. जानकार लोग मानते है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की चमक फीकी पडेगी. नीतीश कुमार यह बदलता रंग देखकर पलटीमारने की तैयारी में दिख रहे है.

Top 10 Crime Story in Hindi : टॉप 10 बेस्ट क्राइम कहानियां हिंदी में

Crime story in hindi : इस लेख में हम आपके लिए लेकर आएं हैं सरिता की top 10 Crime Story in HIndi 2021. इन क्राइम स्टोरी को आप पढ़कर जान पाएंगे कि समाज परिवार और रिश्तों की आड़ में लोग किस तरह अपराध करते हैं. घटना के तह तक जानें के बाद पता चलता है कि कोई अपना ही आपके साथ साजिश रच रहा था. इन Crime story को पढ़कर आप जीवन के कई पहलुओं से परिचित होंगे. तो अगर आप भी क्राइम स्टोरी पढ़ने के शौकिन हैं तो पढ़िए सरिता की Top 10 Crime Story in Hindi

1.Satyakatha : रजनी को भाया प्रेमी

शादी से पहले सुलतान छोटामोटा काम कर के गुजरबसर कर लेता था, लेकिन 3 बच्चों का बाप बन जाने से घर के खर्चे भी बढ़ गए थे. वहीं रजनी की बढ़ती ख्वाहिशों ने उस के खर्चों में काफी इजाफा कर दिया था.
आर्थिक परेशानी से उबरने के लिए वह एक शोरूम में रात के समय चौकीदारी भी करने लग गया था. इस दौरान उसे शराब पीने की भी लत लग गई, जिस की वजह से वह पैसे शराबखोरी में उड़ा देता था. इस के चलते घर की माली हालत डांवाडोल होने लगी थी. यहां तक कि उस ने कई लोगों से कर्ज ले लिया था.उधर जब से कोविड के कारण लौकडाउन लगा, तब से सुलतान की मजदूरी और चौकीदारी का काम भी छूट गया था. इस के बावजूद वह लोगों से पैसा उधार ले कर शराब पी लेता था और हद तो तब हो गई जब अपनी पत्नी रजनी उर्फ कुंजावती को शराब के नशे में जराजरा सी बात पर पीटना शुरू कर देता था.
पति की ये आदतें रजनी को काफी सालती थीं. सुलतान के पड़ोस में अजीत उर्फ छोटू कोरी रहता था. वह रजनी को भाभी कहता था, इसलिए दोनों में हंसीमजाक होता रहता था. रजनी को अजीत से मजाक करने में किसी तरह का संकोच नहीं होता था. एक दिन दोनों हंसीमजाक कर रहे थे तो रजनी ने कहा, ‘‘देवरजी, कब तक इस तरह हंसीमजाक कर के दिन काटोगे? कहीं से घरवाली ले आओ

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2. खून के छींटे : मालिनी किसे देखकर सन्न रह गई थी ?

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मालिनी का रास्ता रोकने वाले सड़क पर गिरे देवानंद की पीठ में 2 और गरदन पर एक गोली लगी थी. वहां से खून निकलना शुरू हो चुका था. अचानक उस के मुंह से खून का थक्का निकला और परनाले सा बह चला. वे दोनों नौजवान बाइक सहित भाग चुके थे. वह उसे सड़क पर छटपटाते देख रही थी, जिस से डर कर वह भागना चाहती थी, अभी वही उसे कातर शिकायती निगाहों से देख रहा था, जैसे वे उसी के आदमी हों, जिन्होंने यह करतूत की थी. समय और हालात कितनी जल्दी बदल जाते हैं. अब वह बिलकुल शांत था. बाजार की भीड़ देवानंद की ओर बढ़ते हुए घेरा बना कर खड़ी हो चुकी थी. सड़क पर अब गाडि़यां तेजी से भागने लगी थीं, ताकि वे किसी बंद वगैरह के चक्कर में न फंसें.

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3.Satyakatha : जीजा के प्यार में खूनी बनी साली

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बरामद लाश को देख कर इतना तो साफ हो गया था कि उस की हत्या कर तालाब में फेंकी गई थी. उस का घर नजदीक के माता चौक पर मल्टी में बताया गया. इस की सूचना मिलते ही मृतक का भाई और परिवार के अन्य सदस्य भी वहां पहुंच गए. उन्होंने ही बताया कि शबाना संजय की ब्याहता पत्नी नहीं है, बल्कि वह उस के साथ पिछले 2 सालों से लिव इन में रह रही थी. उन्होंने हत्या का सीधा आरोप शबाना पर ही मढ़ दिया. घर वालों से शुरुआती पूछताछ के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

एसपी (खंडवा) ललित गठरे ने इस केस का खुलासा करने के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. टीम में टीआई बी.एल. मंडलोई, एसआई राजेंद्र सोलंकी, चौकी इंचार्ज (रामनगर) सुभाष नावड़े, परिणीता बेलेकर, एएसआई रमेश मोरे, हिफाजत अली, हैड कांस्टेबल ललित कैथवास, पंकज सोलंकी, कांस्टेबल ब्रजपाल चंदेल, आकाश जादौन, लक्ष्मी चौहान, निकता तिवारी आदि को शामिल किया.

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4.Crime Story: ममता, मजहब और माशूक

mamta majhab

इस साल भी जनवरी के दूसरे सप्ताह से ही चित्रकूट में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था, जिन का इंतजार पंडेपुजारियों के अलावा स्थानीय व्यापारी भी करते हैं. कहा जाता है कि मकर संक्रांति की डुबकी श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक लाभ पहुंचाती है और यदि डुबकी सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय लगाई जाए तो हजार गुना ज्यादा पुण्य मिलता है.

14 जनवरी, 2018 को मकर संक्रांति की डुबकी लगाने के लिए लाखों लोग चित्रकूट पहुंच चुके थे. श्रद्धालु अपनी हैसियत के मुताबिक लौज, धर्मशाला व मंदिर प्रांगणों में ठहरे हुए थे. वजह कुछ भी हो पर यह बात दिलचस्प है कि चित्रकूट आने वालों में बहुत बड़ी तादाद मामूली खातेपीते लोगों यानी गरीबों की रहती है. उन्हें जहां जगह मिल जाती है, ठहर जाते हैं और डुबकी लगा कर अपने घरों को वापस लौट जाते हैं.

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5. Crime Story: बेवफाई की सजा

प्रियंका ने अशोक की कमजोरी का फायदा उठा कर उसे अपनी अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया. वह सुबह 8 बजे घर से निकलता और फिर रात 8 बजे ही घर लौटता था. वह पूरी पगार प्रियंका के हाथ पर रख देता था.अशोक मूलरूप से सरसौल का रहने वाला था. उस के 2 भाई सर्वेश व कमलेश थे. मातापिता की मृत्यु के बाद तीनोें भाइयों में घर, खेत का बंटवारा हो गया था. कमलेश खेती करता था, जबकि सर्वेश प्राइवेट नौकरी कर रहा था. अशोक की अपने भाई कमलेश से नहीं पटती थी, इसलिए अशोक ने अपने हिस्से की जमीन बंटाई पर दे रखी थी.

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6. Satyakatha : दिल्ली रेप केस – श्मशान में हवस के भेड़िए

पहली अगस्त की शाम के करीब साढ़े 5 बजे लक्ष्मी ने अपने बाबा से जिद की कि उसे खेलने के लिए बाहर जाना है. उस समय घर पर सिर्फ मोहन और उस की बेटी लक्ष्मी ही थे. सुनीता घर पर मौजूद नहीं थी, वह पीर बाबा दरगाह पर थी.मोहन ने अपनी बेटी को उस के खेलने जाने से पहले उसे श्मशान घाट से ठंडा पानी ले कर आने की शर्त रखी. जिस के लिए लक्ष्मी तुरंत मान गई, क्योंकि ये काम गरमियों के समय उन के घर पर हर दिन के रुटीन की तरह ही बन गया था.

मोहन को सब्जी लेने जाना था, इसलिए उस ने तकिए के पास पड़ा थैला उठाया और बोला, ‘‘बेटा, तू जल्दी से पानी ले आ. और हां, ज्यादा देर मत करना आने में. मुझे भी मंडी से सब्जी लेने के लिए जाना है. तेरी मां आएगी तो खाना बनाएगी.’’ उस 9 साल की प्यारी बच्ची ने अपने दोनों हाथों में 2 पानी की छोटी खाली बोतलें उठाईं और अपने पिता से कहा, ‘‘ठीक है बाबा, मैं अभी आती हूं.’’ कह कर वह निकल गई. मोहन को नहीं पता था कि वह अपनी प्यारी सी बच्ची को आखिरी बार देख रहा है.

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7. Satyakatha : ऊंचे ओहदे वाला रिश्ता

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दिल्ली के तिलकनगर इलाके के रहने वाले अशोक कुमार को बेटी के आर्मी में सेलेक्शन के वक्त बधाइयां देने वालों का तांता लग गया था. तब वह खुशी से फूले नहीं समाए. जाहिर है यह बड़े गर्व की बात थी.
साक्षी की शादी नवनीत शर्मा के साथ हुई थी. नवनीत वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर थे. दोनों ही हरियाणा की अंबाला छावनी में तैनात थे. उन का 2 साल का एक बेटा भी था. लोग अशोक कुमार को खुशनसीब इंसान मानते थे. कामयाब बेटी के पिता होने के नाते लोगों का सोचना भी ठीक था, लेकिन किसी इंसान की असल जिंदगी में क्या कुछ चल रहा होता है, इस बात को कोई नहीं जान पाता.

अशोक कुमार के साथ भी कुछ ऐसा ही था. बेटी को ले कर वह परेशान रहते थे. इस की बड़ी वजह यह थी कि बेटी का वैवाहिक जीवन उम्मीदों के विपरीत था. 20 जून, 2021 की रात का वक्त था, जब अशोक कुमार के मोबाइल पर साक्षी का फोन आया. उन्होंने बेटी से बात शुरू की. ‘‘हैलो! साक्षी बेटा कैसी हो?’’
‘‘पापा, यहां कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा, मैं बहुत परेशान हो चुकी हूं.’’ साक्षी के लहजे में परेशानी छिपी हुई थी, जिसे अशोक कुमार ने भांप लिया था. उन्होंने धड़कते दिल से पूछा, ‘‘क्या हुआ बेटा?’’
‘‘पापा, नवनीत मुझे लगातार परेशान करते हैं, हद इतनी हो गई है कि मेरे साथ मारपीट भी की जाती है. पता नहीं कब तक ऐसा चलेगा.’’ वह बोली.

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8. Satyakatha: दूसरे पति की चाहत में

dusre pati ki chahat

घटनास्थल की जांच कर वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई गई. मृतक की पत्नी मंजू ओझा से भी पूछताछ की गई. मंजू ने बताया कि रात में राकेश ने किसी समय साड़ी का फंदा गले में डाल कर फांसी लगा ली. आज सुबह जब मैं उठ कर कमरे में आई तो इन्हें फांसी पर लटका देख कर नीचे उतारा कि शायद जिंदा हों. मगर यह तो चल बसे थे. इतना कह कर वह फिर रोने लगी.

पुलिस ने वहां मौजूद मृतक के भाइयों और अन्य परिजनों से भी पूछताछ की. पूछताछ के बाद पुलिस को मामला संदिग्ध लग रहा था. आसपास के लोगों ने थानाप्रभारी को बताया कि राकेश आत्महत्या नहीं कर सकता. उसी समय मंजू रोने का नाटक करते हुए पुलिस की बातों को गौर से सुन रही थी. पुलिस वाले जब चुप होते तो वह रोने लग जाती. पुलिस वाले आपस में बोलते तो मृतक की पत्नी चुप हो कर सुनने लगती.
थानाप्रभारी गुरुदत्त सैनी ने संदिग्ध घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे कर दिशानिर्देश मांगे. जयपुर (पश्चिम) डीसीपी प्रदीप मोहन शर्मा के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी राम सिंह शेखावत, एसीपी (झोटवाड़ा) हरिशंकर शर्मा ने कालवाड़ थानाप्रभारी से राकेश ओझा की संदिग्ध मौत मामले की पूरी जानकारी ले कर उन्हें कुछ दिशानिर्देश दिए.

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9.Satyakatha : ये कैसी दुश्मनी

ye kaisi dusmani

राजकुमार पांडेय ने पत्नी की बातों को गंभीरता से न लेते हुए कहा, ‘‘इस में इतना परेशान होने की क्या बात है, अपने किसी दोस्त के यहां चला गया होगा. हो सकता है वहां फोन का नेटवर्क न हो.’’
पति की इन बातों से गीता देवी को थोड़ी राहत तो मिली लेकिन मन अशांत ही रहा.
राजकुमार पांडेय ने पत्नी गीता देवी को तो धीरज दे दिया लेकिन अपने काम में उन का भी मन नहीं लग रहा था. उन्होंने अपने चचेरे भाई मनोज कुमार पांडेय को फोन पर सारी बातें बताई और वह घर जल्दी आ गए थे. फिर वह मनोज के साथ मिल कर राज की तलाश में लग गए थे.

अपने आसपास और जानपहचान वालों से पूछताछ करने के बाद जब उन्होंने राज के उन दोस्तों से संपर्क किया, जिन के साथ वह अकसर क्रिकेट खेलने जाया करता था तो उन की बेचैनी और बढ़ गई.उस के साथ क्रिकेट खेलने वाले दोस्तों ने उन्हें बताया, ‘‘अंकल, राज हमारे साथ क्रिकेट खेलने आया तो जरूर था लेकिन वह 2 बजे मैदान से यह कह कर निकल गया था कि 15-20 मिनट में वापस आएगा. मैदान में एक मोटरसाइकिल आई थी. उस पर बैठे लड़के ने जब राज को पुकारा तो वह उस की ओर देख कर मुसकराया था और वह उस की मोटरसाइकिल पर बैठ कर निकल गया तो फिर वापस नहीं आया.’’

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10. Satyakatha : ललिता की खतरनाक लीला

lalita ki kharatnaak

ललिता भी अपनी पसंद के लड़के से नैन लड़ाने लगी. इस के बाद तो दिन प्रतिदिन उस की आकांक्षाएं बढ़ने लगीं तो अनेक लड़कों के साथ उस के नजदीकी संबंध हो गए.दुल्ली के कुछ शुभचिंतक उसे आईना दिखाने लगे, ‘‘तुम्हारी बेटी ने तो यारबाजी की हद कर दी. वह खुद तो खराब है, गांव के लड़कों को भी खराब कर रही है. लड़की जब दरदर भटकने की शौकीन हो जाए तो उसे किसी मजबूत खूंटे से बांध देना चाहिए. जितनी जल्दी हो सके, ललिता का विवाह कर दो, वरना तुम बहुत पछताओगे.’’

अपमान का घूंट पीने के बाद दुल्ली ने एक दिन ललिता को समझाया. उसी दौरान मां राजवती ने ललिता की पिटाई करते हुए चेतावनी दी, ‘‘आज के बाद तेरी कोई ऐसीवैसी बात सुनने को मिली तो मैं तुझे जिंदा जमीन में दफना दूंगी.’’उस समय ललिता ने कसम खा कर किसी तरह अपनी मां को यकीन दिला दिया कि वह किसी लड़के से बात नहीं करेगी.

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Salman Khan के हिट एंड रन केस पर बने गेम Selmon Bhoi पर कोर्ट ने लगाया बैन

फिल्म इंडस्ट्री के भाईजान सलमान खान आएं दिन चर्चा में बने रहते हैं, कभी अपनी फिल्म को लेकर तो कभी अपने निजी जीवन में चल रहे विवाद को लेकर , इस बार चर्चा का विषय एक गेम है जो सलमान खान के नाम पर अधारित है.

इस गेम को सलमान खान के हिट एंड रन केस मामले से जोड़कर बनाया गया है, इस गेम ने इंटरनेट पर आते ही तहलका मचा दिया था. जैसे ही इसकी जानकारी सलमान खान के लीगल टीम को मिली उनकी लीगल टीम इस गेम को बंद करवाने में जुट गई.

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इस पर सलमान खान ने बयान देते हुए कहा है कि इससे उनकी छवि को चोट पहुंच रही है. मंगलवार को कोर्ट ने इस गेम पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. इसे प्ले स्टोर से भी डाउनलोड करने पर पाबंदी लगा दी गई है.

साथ ही इस गेम को बनाने वाली कंपनी पर भी पाबंदी लगा दी  गई है. कोर्ट ने कहा है कि सलमान खान ने भी इस गेम के लिए सहमति नहीं दी है. कोर्ट का कहना है कि जब वादी ने आपको इस गेम को बनाने के लिए सहमति नहीं दी है तो आपको कोई हक नहीं है इस गेम को बनाने का .

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दरअसल सलमान खान ने इस गेम के खिलाफ पिछले महीने याचिका दायर किया था औऱ कहा था कि इस गेम का नाम उनके नाम से मैच करता है इसलिए इस गेम पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए. गेम में कहा गया है कि सोलेमन भाई का उच्चारण सलमान भाई से मिलता जुलता है.

हालांकि यह पहली बार नहीं है कि सलमान खान के साथ ऐसी घटना हुई है इससे पहले भी सलमान खान के साथ कई तरह के विवाद हो चुके हैं.

बरसात में न कटने दें खेत की मिट्टी

बारिश न हो या कम हो तो सभी किसान परेशान रहते हैं, लेकिन समझदार किसान लगातार तेज बारिश से भी घबराते हैं, क्योंकि इस से मिट्टी का कटाव होता?है, जो खेत का आकार तो बिगाड़ता ही है, साथ ही जरूरी पोषक तत्त्वों को भी साथ बहा ले जाता है. फलां जगह की मिट्टी दमदार है या फलां जगह की मिट्टी कमजोर है, यह कहने के पीछे वजह मिट्टी में पोषक तत्त्वों की मौजूदगी रहती?है, जिस पर तेज बारिश का खासा असर पड़ता?है. उपजाऊ मिट्टियों में पोषक तत्त्व इफरात से पाए जाते?हैं, पर इन की खूबी यह होती है कि ये मिट्टी की ऊपरी सतह पर ही रहते हैं.

तेज बारिश का पानी इन्हें बहा ले जाता?है, तो इस का बुरा असर मिट्टी की क्वालिटी और सेहत पर भी पड़ता?है. बारिश में मिट्टी का कटाव होना तय रहता है, पर यह ज्यादा हो तो खेत का हुलिया तो बिगड़ता ही है, साथ ही पैदावार पर भी बुरा असर पड़ता?है. बारिश के पानी से मिट्टी के कटाव को पूरी तरह से तो नहीं रोका जा सकता, लेकिन कुछ उपाय किए जाएं तो इतना कम जरूर किया जा सकता है कि नुकसान न के बराबर हो. खेतीकिसानी के माहिरों का जोर हमेशा से ही मिट्टी संरक्षण पर रहा?है कि कैसे मिट्टी का कटना कम किया जाए और ऐसे तरीके ईजाद किए जाएं, जिन्हें किसान अपने तौर पर अपना सकें. इस साल भी मानसून कमजोर?है और इसे कमजोर मानसून की खूबी कह लें या खामी, पर इस में कुछ दिनों के लिए लगातार और तेज बारिश होती है,

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जिस का दूरगामी असर मिट्टी की पैदावार कूवत और खेती की बनावट पर पड़ता है. बहुत ज्यादा तेज बारिश हो तो खेत के खेत गायब हो जाते हैं यानी मिट्टी बह जाती?है और गड्ढे, नालियां और बीहड़ बन जाते?हैं. इस से जमीन ऊबड़खाबड़ हो कर बेकार हो जाती?है. यहां कुछ ऐसे उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपना कर किसान मिट्टी का कटाव रोक सकते?हैं. कंटूर खेती पहाड़ी इलाकों में जहां बारिश ज्यादा होती?है, वहां कंटूर खेती पर जोर दिया जाता है. इस में ढलान के विपरीत यानी नीचे से ऊपर की तरफ कृषि क्रियाएं की जाती हैं. इस में सब से अहम?है जुताई. ढलान के ऊपर की तरफ जुताई करते रहने से ढलान कम होती?है, जिस से मिट्टी का कटाव कम होता?है और उस के पोषक व उपजाऊ तत्त्व ज्यादा तादाद में नहीं बह पाते. अगर फसलों की खेती न की जानी हो, तो ढलान पर मोटे तने वाले पेड़ या ऐसी घासें लगानी चाहिए, जिन की जड़ें मिट्टी में ज्यादा फैलती हों और मजबूती से मिट्टी से चिपकी रहती हों.

इस से मिट्टी का बहाव और कटाव कम होता है. बीचबीच में एक तयशुदा दूरी पर ब्रेकर भी मेंड़ की शक्ल में बनाए जा सकते?हैं, जिस से मिट्टी एकदम नीचे न जाने पाए. फैलने वाली फसलें बारिश में मिट्टी का कटाव रोकने का कारगर व सरल तरीका यह?है कि ऐसी फसलों की खेती की जाए, जो ज्यादा जगह घेरती हों यानी फैलती ज्यादा हों. मसलन, लोबिया और मूंग. इन की जड़ें, तने व पत्तियां मिट्टी का कटाव कम करते?हैं. सीधेसीधे कहें, तो मिट्टी और उस के कणों को ज्यादा बहने नहीं देते. एक सर्वे की रिपोर्ट में यह बात मानी भी गई?है कि अगर ये फसलें बोई जाएं, तो मिट्टी का कटाव 1 हेक्टेयर रकबे से 26 टन के लगभग होता?है, जबकि खेत खाली छोड़ दिया जाए, तो यही कटाव 42 टन प्रति हेक्टेयर एक साल में होता?है. जाहिर है, किसी भी सूरत में खरीफ की फसल में खेत खाली छोड़ना नुकसानदेह साबित होता?है.

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माहिरों का मशवरा यह भी है कि ज्यादा जगह घेरने वाली फसलों के साथ क्यारियों में कम जगह घेरने वाली फसलें भी लगाई जाएं, जैसे मूंगफली, उड़द और सोयाबीन के साथ मक्का और अरंडी को लगाया जाए, तो मिट्टी का कटाव कम होता?है. पट्टीदार खेती इस तरीके में ऐसी फसलें जो घनी होती?हैं, बोई जाती?हैं. ये मिट्टी का कटाव रोकती हैं. लेकिन ऐसी फसलें जो दूरदूर बोई जाती?हैं और मिट्टी का कटाव नहीं रोकतीं, उन्हें संकरी पट्टियों में बोया जाता है. ये पट्टियां ढाल के आरपार बनाई जाती?हैं. इस पट्टीदार खेती की खासीयत यह?है कि घनी बोई जाने वाली फसलें मिट्टी का कटाव रोकती हैं, मसलन मूंगफली और मोठ को ज्वार या मक्का के साथ पट्टियां बना कर लगाया जाता?है.

घास लगाना घास हालांकि खरपतवार है, लेकिन मिट्टी का कटाव रोकने के गुण इस में मौजूद हैं. वजह इस की जड़ें और तना हैं, जो खूब फैलती है. मिट्टी के कणों को घास बांध कर रखती है. मिट्टी का कटाव रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कुछ खास घासें हैं, जैसे अंजन घास, दूब घास, कुशल घास, मूंज घास और ब्लू पेनिक घास. हालांकि बारिश के पानी से मिट्टी का कटाव रोकने के और भी तरीके?हैं, लेकिन वे कारगर इसलिए नहीं हो पाते क्योंकि वे महंगे पड़ते हैं और छोटी जोत वाले किसान उन्हें आसानी से अपना नहीं सकते. जैसे जगहजगह मेंड़ें बनाना, नाली और गली बनाना वगैरह, लेकिन वृक्ष रोपण आसान काम?है, इस से भी मिट्टी का कटाव कम किया जा सकता है. ऐसे इलाकों में जहां फसलें न ली जाती हों, पेड़ लगा कर इस परेशानी को काबू किया जा सकता है.

यूकेलिप्टस का पेड़ इस के लिए मुफीद साबित होता है. रसायनों का इस्तेमाल कुछ रसायन ऐसे भी हैं, जिन के छिड़काव से मिट्टी का कटाव कम किया जा सकता?है. पौली विनाइल एल्कोहल नाम के रसायन को अगर 500 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़का जाए, तो मिट्टी के कण आपस में मजबूती से बंध जाते?हैं और उस की परत आसानी से टूटती नहीं है. इसी तरह विटूमिन नाम के रसायन के इस्तेमाल से भी मिट्टी के कण आपस में मजबूती से बंध जाते?हैं. वैसे ये रसायन महंगे पड़ते हैं, लेकिन गोबर की खाद, हरी खाद और फसलों के अवशेषों से भी मिट्टी का कटाव कम किया जा सकता है.

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इन्हें पूरे खेत में फैला देना चाहिए. आमतौर पर भारत के किसान इस तरह के तरीके आजमाने से कतराते?हैं. इस से लगातार मिट्टियों का कटाव बढ़ रहा?है और उन की क्वालिटी भी गिर रही है. हर जगह खेतों में मिट्टी का कटाव होता देखा जा सकता है, जो अकसर ढाल के आसपास से शुरू होता है और वक्त रहते न रोका जाए तो साल दर साल बढ़ कर पूरे खेत को बहा डालता है. इसलिए किसानों को बारिश में मिट्टी के कटाव को ले कर सावधानी बरतनी चाहिए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, हमारे देश में हर साल 5,337 मिलियन टन यानी प्रति हेक्टेयर 16.35 टन मिट्टी इधर से उधर हो जाती?है, जो कतई अच्छी बात नहीं है.

मन मंदिर के दीप : भाग 1

लेखिका-डा. क्षमा चतुर्वेदी

‘‘वीणा… वीणा, अरे कहां हो, सुनती हो?’’ बाहर दरवाजे से आ रही विशाल की आवाज से वीणा चौंक गई थी. अभी बाहर पार्क से आ कर लौटे होंगे, पर ऐसी क्या आफत आ गई आती ही.

नाश्ता बनाते हुए वीणा के हाथ और तेजी से चलने लगे थे. आज वैसे ही सुबह से हर काम में देरी हो रही है, शायद जोरों से भूख लग आई होगी, सोचते हुए वीणा ने वहीं से जवाब दिया,

‘‘बस 5 मिनट ठहरो, अभी सब टेबल पर लगाती हूं.’’‘‘अरे, मैं खाने की बात नहीं कर रहा हूं, तुम तो गैस बंद कर के यहां आओ, बरामदे में, बड़ी खुशखबरी देनी है, ऐसी खुशी, जिस की तुम ने कल्पना भी नहीं की होगी.’’‘‘अरे, ऐसी कौन सी बात हो गई?’’ वीणा ने नाश्ते के लिए तैयार आलू एक तरफ रखे, दूध का भगौना नीचे उतारा, फिर हाथ पोंछते हुए बाहर आई.

‘‘हां, अब यहां बैठो आराम से और पूरी बात सुनो ध्यान से,’’ कहते हुए विशाल ने वीणा के लिए भी बरामदे में ही कुरसी खींच दी थी.‘‘हां कहो,’’ वीणा भी उत्सुक थी.

‘‘अरे, आज अभी घूमने में घनश्याम मिल गए, तो मैं ने ऐसे ही पूछ लिया कि कहां थे हफ्तेभर से, घूमने तो आए नहीं, तो घनश्याम मुझे हाथ पकड़ कर पास की बेंच पर ले गए…”

‘‘यार, तुझे ही ढूंढ़ रहा था, बहुत जरूरी बात है.’’‘‘हां… हां कहो.’’फिर उस ने कहा कि दिल्ली गया था. बेटा प्रमेश लंदन से आया हुआ था तो सोचा कि दिल्ली में ही मिल लें, क्योंकि बाद में इसे बेंगलुरु के लिए निकलना था. फिर दिल्ली में हम बेटी परी से मिल ने उस के औफिस गए थे.

’’‘‘परी से मिलने क्यों?’’अब तो वीणा भी चौंकी थी.‘‘वही तो मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं, घनश्याम ने कहा कि परी को वे लोग बचपन से जानते हैं, सब की देखीभाली है, देखा तो प्रमेश ने भी है, पर चूंकि प्रमेश बरसों से बाहर रहा है, तो एक बार और देख लें तो बात पक्की करें.’’

‘‘क्या…?’’ वीणा अब भी समझ नहीं पा रही थी.‘‘हां भई, घनश्याम और सुनीता भाभी अपनी परी को उन के घर की बहू बनाना चाहते हैं, बस प्रमेश को और दिखाना चाह रहे थे. तो अब आगे सुनो, प्रमेश से परी का परिचय कराया और दोनों को बाहर कौफी पीने भेज दिया, ताकि तसल्ली से बात कर सकें, प्रमेश ने हां कर दी है.’’

‘‘तो…’’”तो क्या, अब घनश्याम कह रहे हैं कि चट मंगनी पट ब्याह कर दो, अगले महीने फिर प्रमेश को कहीं बाहर न जाना पड़े.’’ ‘‘पर, इतनी जल्दी यह सब…’’

‘‘पर, यह तो सोचो कि जिस बेटी के रिश्ते के लिए हम बरसों से परेशान थे, कहांकहां नहीं भटके. उसी बेटी का रिश्ता आज घर पर आ गया. तभी तो कभीकभी हो पाता है कि लड़का बगल में और ढिढोरा शहर में.’’

अब तो वीणा भी पुलक में डूब गई थी. यह तो सचमुच एक बहुत बड़ी खुशखबरी थी, पतिपत्नी दोनों ही अब तय कर चुके थे कि परी का विवाह होना मुश्किल है, और इसी बात से समझौता करना होगा. पर अब…

‘‘देखो, शाम को घनश्याम और सुनीता भाभी दोनों आ रहे हैं, तय करेंगे कि कैसे क्या करना है, थोड़ीबहुत नाश्ते की तैयारी भी कर लेना…’’‘‘हां, वो तो सब हो जाएगा, पर…’’‘‘पर क्या…?’’ विशाल चौंक  गए.‘‘अरे, अभी हम लोगों ने अपनी बेटी से तो बात की ही नहीं.’’

‘‘तो क्या… जब वे लोग मिले होंगे तो कुछ तो बिटिया समझ ही गई होगी, उन का मन्तव्य, फिर इस परिवार से तो वह भी अच्छी तरह परिचित है.’’‘‘है तो सही…’’ कहते हुए वीणा फिर सोच में डूब गई थी.

अभी तो घर के ढेरों काम पड़े थे, पर मन कहीं और उलझा रहा. 3 बेटियों में सब से छोटी है परी. जब परी होने वाली थी, तो दोनों  पतिपत्नी की इच्छा थी कि इस बार बेटा हो. वीणा स्वयं एक रूढ़िवादी परिवार से थी, अधिक पढ़ीलिखी भी नहीं थी और सोच भी पारंपरिक ही थी. बेटा होगा तो वंश चलेगा.

फिर बेटी हुई तो दोनों पतिपत्नी मायूस हो गए थे.हालांकि परी बहुत सुंदर थी, गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें, घुंघराले घने बाल, इसलिए जब थोड़ी बड़ी हुई तो विशाल ने ही उस का नाम रख दिया था, परी…

पर, विधाता को तो कुछ और ही मंजूर था. अभी दोनों पतिपत्नी बेटी की लालसा से मुक्त भी नहीं हो पाए थे कि छोटी सी उम्र में ही एक एक्सीडेंट में परी का पैर मुड़ गया, काफी इलाज भी हुआ, पर फिर भी वह लंगड़ा कर ही चल पाती थी.

एक तो बेटी, फिर वह भी विकलांग… वीणा की तो जैसे रातों की नींद ही गायब हो गई थी. बड़ी दोनों बेटियों की तो जल्दी शादी हो गई थी. मुंह मांग कर ससुराल वाले ले गए थे…

पर, परी… इस का क्या होगा…परी की इच्छा थी कि खूब पढ़े तो मन मार कर यही करना पड़ा और कोई चारा भी नहीं था.पर, वीणा की दूसरी चिंता परी की संवेदनशीलता को ले कर थी, जरा कभी कोई कुछ कह देता या शारीरिक दोष की तरफ इशारा कर देता तो वह झेल नहीं पाती थी. वह घंटों रोती रहती थी. कई बार तो रोते हुए वह शिकायत करती.

‘‘मां, मैं क्या ओरों की तरह डांस नहीं कर सकती, मेरा भी मन करता है… मैं क्यों खेलों में हिस्सा नहीं ले सकती? क्यों मां… क्यों… सब मुझे चिढ़ाते हैं, मेरी चाल देख कर हंसते हैं…’’तब वीणा को भी दिलासा देनी पड़ती थी.

‘‘कोई बात नहीं बेटा, तू बस अपनी पढ़ाई में मन लगा, लोग क्या कहते हैं, इस की चिंता छोड़…’’और हुआ भी यही. कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग में टौप करते ही एक बड़ी कंपनी में परी को नौकरी मिल गई थी.

काफी आकर्षक तनख्वाह थी उस की. शायद अब इस की शादी की भी कहीं बात बन जाए, बहुत से लोग कामकाजी बहू चाहते हैं तो विशाल और वीणा ने काफी प्रयास किए, परी के रिश्ते के लिए…

लड़के वाले आते, परी को देखते, फिर कुछ दिनों में मनाही आ जाती. अब परी के लिए उस के स्टेटस का लड़का देखना भी जरूरी था और वही नहीं मिल पा रहा था.

बारबार अस्वीकार कर देने के कारण परी का मन भी टूटने लगा था, वैसे ही वह जरूरत से अधिक संवेदनशील थी.फिर एक बार रोते हुए उस ने मां से कह भी दिया,‘‘मां, अब मेरे लिए रिश्ते देखना बंद करो. मैं एक साध्वी की तरह जीवन बिता दूंगी, इस प्रकार बारबार टूट कर मरना मुझे गवारा नहीं है.’’

तब वीणा और विशाल ने भी अपने मन पर पत्थर रख कर यह स्वीकार कर लिया था कि परी अब जीवनभर अविवाहित ही रहेगी.

पर अब… अब यह तपतेसूखे रेगिस्तान में अचानक यह ठंडी बयार कहां से आ गई. वीणा समझ नहीं पा रही थीशाम को घनश्याम और सुनीता भी आ गए थे, तब वीणा ने पूछ भी लिया था,

‘‘भाई साहब, आप ने प्रमेश से अच्छी तरह बात तो कर ली है न. देखिए, बेटी को आप बचपन से जानते हैं और क्या कमी है यह भी जानते हैं तो…’’

‘‘अरे नहीं भाभीजी, ऐसी कोई बात नहीं है. असल में मैं और सुनीता तो शुरू से ही चाहते थे कि परी हमारे घर की बहू बने, बस प्रमेश से ही एक बार बात करनी थी, इसीलिए सोचा कि पहले प्रमेश देख ले परी को.  हां कर दे, फिर हम आप से बात करें और इसीलिए हम लोग खासतौर पर दिल्ली गए, परी और प्रमेश को अकेले में भी मिलवाया.’’उधर सुनीता जोर दे कर कह रही थी, ‘‘भीभीजी, आप तो बस अब शादी की तैयारियां शुरू कर दे.’’

संपादकीय

किसानों की मांगों को न मान कर भारतीय जनता पार्टी एक ऐसी भूल कर रही है जिस के लिए उसे लंबे समय तक पछताना पड़ेगा. यह सोचकर भारतीय जनता तो हिंदूमुसलिम, राम मंदिर, महाशालाओं, पाखंडी पूजापाठों से बहकाई जा सकती है, एक छलावा है. किसानों को दिए गया है कि भारतीय जनता पार्टी के कृषि कानूनों से उन को कोई फायदा नहीं होगा और इसीलिए धीरेधीरे ही सही, यह आंदोलन हर जगह पनप रहा है.

भाजपा को अगर खुशी है कि सारे देश में एकदम सारे किसान उठ खड़े नहीं हुए तो यह बेमतलब की है. किसानों के लिए किसी आंदोलन में भाग लेना आसान नहीं क्योंकि उन के लिए खेती जरूरी है और 10-20 दिन धरने पर बैठ कर या जेल में बंद रह कर फसल की देखभाल नहीं करी जा सकती. इसलिए हर गांव के कुछ लोग ही आंदोलन में हिस्सा लेते हैं और वे भी हर रोज नहीं, केवल तभी जब उन के आसपास हो रहा है.

वैसे सरकार ने इस कानून को ठंडे बस्ते में डाल रखा है और न मंडियां तोड़ी गई हैं और न न्यूतम्म मूल्य पर खरीदी बंद हुई है. मंच पर पाठ कर तो नेता यही कह रहे हैं कि उन्होंने रिकार्ड खरीद की है. और रिकार्ड खरीद की होती और किसानों के हाथों में पैसा होता तो 90 करोड़ लोगों को 4 माह तक मुफ्त 5 किलो अनाज देने की जरूरत ही नहीं पड़ती.

अगर गांवों में बरकत हो रही होती तो अमेरिका की तरह यहां मजदूरों का अकाल पड़ रहा होता. यहां तो बेरोजगारी बढ़ रही है जिन में अगर शहरी पढ़ेलिखे युवा हैं तो गांव के अधपढ़े भी करोड़ों में क्यों हैं? किसानों को दिख रहा है कि किस तरह छोटे पैसे से आज टैक कंपनियों ने कितने ही क्षेत्रों में मोनोपौली खड़ी कर ली है. आज छोटी कंपनियों का सामान बिक ही नहीं रहा. एमेजान और फ्लिपकार्ड ने कितने के दुकानों के सामने संकट खड़ा कर दिया है. ओला ने छोटे टैक्सी स्टेडों की टैक्सियों का सफाया कर डाला है.

अडानीअंबानी चाहे न आएं और हजारों दूसरे व्यापारी भी आएं, किसान कानून छोटे किसानों, छोटे आढ़तियों, छोटे व्यापारियों को लील ले जएंगे, यह दिख रहा है. इन के पास केवल पीठ पर सामान लाद कर घरघर पहुंचाना रह जाएगा और पैसा भी नहीं दिखेगा.

किसानी बीघाओं में हजारों एकड़ों में होगी जैसी चाय की होती है जहां पहले से बहुत बड़ी कंपनियों ने अंग्रेजों में पहाड़ खरीदे थे.

किसान कानून मुनाफे वाली सारी उपज अमीरों के हाथों में पहुंचा सकते हैं और सस्ती उपजों काो गरीब किसान और गरीब व्यापारी तक ही बांध सकते हैं. इस कानून का समर्थन सिर्फ पूजापाठी लोग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मोदी सरकार हर हालत में बचानी है जो मंदिर के धंधे को और जाति की ऊंचनीच को बनाए रखे. भाजपा अपने आज के मतलब के लिए समाज को इस तरह बांट रही है कि जब लूट हो तो काोई एक दूसरे की तरफदारी करने न आए.

पंजाब से चला यह आंदोलन आज सिख किसानों के बाद उत्तर प्रदेश के किसानों में बुरी तरह फैल गया है. अब तो भाजपा को रैलियों में लोग मिलने बंद हो गए है क्योंकि पहले किसानों को बस की सवारी और 4 बार हलवापूरी के नाम पर हांक कर तो आया जा सकता था. अब वे 100 रुपए लीडर के डीजल को खर्च कर के टेढ़ेमेढ़े रास्तों से टै्रक्टरों पर इधर से उधर आंदोलन के लिए जा रहे हैं तो इस में दम है, बहुत दम है.

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