महंगी होती इमारती व फर्नीचर की लकड़ी, कागज के बढ़ते दाम, जंगलों का घटता क्षेत्रफल, खाने के लिए सब्जियों व खाद्यान्न की मांग में बढ़ोतरी व खेती योग्य जमीनों का घटता रकबा, ये सभी समस्याएं एकसाथ ही उभरी हैं. एक तरफ वन क्षेत्रों के अंधाधुंध कटान से पर्यावरण को होने वाले नुकसान सामने आ रहे हैं, वहीं कागज निर्माण उद्योग व फर्नीचर उद्योग में लकड़ी की मांग में तेजी से उछाल आया है, इसलिए घटते जमीन के रकबे को देखते हुए अनाज, फल, सब्जियों व पेड़पौधों की खेती को एकसाथ करने पर जोर दिया जा रहा है. इसे एग्रो फोरैस्ट्री के नाम से जाना जाता है. एग्रो फोरैस्ट्री के तहत किसान अपने खेतों में इमारती लकड़ी वाले पेड़ व अनाज, फल व सब्जियों की खेती साथसाथ कर सकते हैं.
किसान एग्रो फोरैस्ट्री अपना कर एक ही खेत से न्यूनतम लागत में ज्यादा लाभ ले सकते हैं. कैसे शुरू करें एग्रो फोरैस्ट्री? किसानों द्वारा अकसर सहफसली खेती के तौर पर अनाजों व फलसब्जियों की खेती की जाती रही है, लेकिन इमारती लकडि़यों वाले पेड़ों के साथ अनाज कम पैदा होता है, पर हाल के सालों में इमारती लकडि़यों की उन्नत प्रजातियों का विकास हुआ है, जो कम छायादार होने के साथ ही कम समय में तैयार हो जाती है. किसानों को चाहिए कि वे एग्रो फोरैस्ट्री के तहत अनाज व पेड़ों की खेती एकसाथ करने से पहले यह तय कर लें कि जो पेड़ एग्रो फोरैस्ट्री के लिए चुन रहे?हैं, वे तेजी से बढ़ने वाले हों और उन में टहनियां व पत्ते भी कम हों. एग्रो फोरैस्ट्री में लिए जाने वाले पेड़ 5-10 सालों में तैयार हो जाने चाहिए. पेड़ों का चयन व रोपण एग्रो फोरैस्ट्री के लिए यूकेलिप्टस व पौपलर सब से अच्छे पेड़ होते हैं. इन के साथ अनाज व सब्जियों की खेती तो की ही जा सकती है, इस के अलावा पेड़ों के बीच में सामान्य पौधों व औषधीय पौधों की भी फसल ली जा सकती है. आजकल पेड़ों के पौध ऊतक संवर्धक विधि से तैयार किए जा रहे?हैं, जो काफी तेजी से बढ़ते हैं.