लेखिका-डा. क्षमा चतुर्वेदी
लेखिका-डा. क्षमा चतुर्वेदी
रोशनी रावत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 25 किलोमीटर दूर गोसाईगंज के चांद सराय गांव की रहने वाली लडकी थी. वह पढी लिखी थी. दलित बिरादरी में अभी भी कम उम्र में ही शादी का चलन है. ऐसे में बालिग होने की खानापूर्ति होते ही 19 साल की उम्र में उसकी शादी अपनी ही बिरादरी के शिवम रावत से तय हो गई. शिवम भी गोसाईगंज इलाके के ही चमरतलिया गांव का रहने वाला था. शादी तय होने के बाद शिवम और रोशनी आपस में फोन पर बातें करने लगे थे. धीरेधीरे दोनो की दोस्तो से बातें होनी शुरू हुई. यही पर किसी ने शिवम को यह कह दिया कि रोशनी के गांव में रहने वाले किसी लडके से सबंध है.
दुनियां भले ही चांद सितारे पर पंहुच जाये पर उसकी सोच और समझ में कोई फर्क नहीं पडता. ऐसे में शिवम को भी यकीन हो चला कि रोशनी के साथ ऐसा हो सकता है. शिवम ने यह भी नहीं सोंचा कि जो आदमी उसे भडका रहा है या उसे बता रहा है उसकी अपनी मंशा क्या होगी ? गांव में अभी भी कई लोग इस मानसिकता के होते है कि वह बनते रिश्ते बिगाडने की कोशिश में रहते है. जब शिवम ने रोशनी को यह बात बताई और रिश्ते के तोडने वाली बात कही तो रोशनी डर गई. उसकी आंखों के सामने अपने ही नहीं अपने पिता घर परिवार के टूटते सपने और दुखी निराश चेहरे एक ही पल में घूम गये. वह समझ रही थी कि केवल उसका रिश्ता ही नहीं टूट रहा. उसकी हिम्मत और घर परिवार का नाम और इज्जत भी टूट कर मिटटी में मिलने वाली है.
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रिश्ता किसी भी तरह से टूटे गलती लडकी की होती है. दूसरी तरफ शिवम था. जो किसी भी हालत में यह सोचने को तैयार नहीं था कि उसकी होने वाली पत्नी के चरित्र पर कोई भी उंगली उठ सके. रोशनी ने उसको समझाते हुये यह भी कहा था कि अगर हमारी शादी हो जाती और उसके बाद कोई ऐसा आरोप लगाता तो भी क्या तुम हमको छोड देते ? शिवम ने ऐसा कोई जवाब नहीं दिया जिससे रोशनी की आंखो में उम्मीद की लौ जगती. शादी के पहले आरोप लगी लडकी के साथ शादी करना शिवम के लिये आंख मूंद कर दूध में पडी मक्खी वाला दूध पीने जैसा ही था. इसके लिये वह राजी नहीं था. ऐसे में शिवम और रोशनी का रिश्ता शादी पहले ही दोराहे पर खडा हो चुका था.
इसी बीच अचानक 4 मई 2020 को रोशनी अपने घर से गायब हो गई. उसके पिता बंशीलाल ने सबसे पहले उसका हर जगह तलाश किया. किसी भी तरह से जब रोशनी की सूचना उनको नहीं मिली तो वह गोसाईगंज थाने गये और इंसपेक्टर धीरेन्द्र प्रताप कुशवाहा से मिले उनको अपनी बेटी के गायब होने की जानकारी दी. पुलिस ने अपने हिसाब से तलाश करती रहीं और बंशीलाल और बाकी परिवार अपने हिसाब से रोशनी को तलाश रहे थे. रोशनी को कुछ पता नहीं चल रहा था. रोशनी के साथ ही उसका मोबाइल और कपडे भी गायब थे. तमाम लोग यही सोंच रहे थे कि रोशनी घर छोड कर भाग गई. पर इस बात का भी किसी के पास कोई प्रमाण नहीं मौजूद था. एक एक कर के दिन गुजर रहे थे पर रोशनी का पता नहीं चल रहा था.
रोशनी की गुमशुदगी के 6 दिन बाद गोसाईगंज की पुलिस को सूचना मिली कि चमरतलिया कं जंगल मंे किसी लडकी की लाश मिली है तो पूरी तरह से कंकाल हो चुकी है. पुलिस ने अपने इलाके की गायब लडकियों के बारे में पता कर उसको देखना चाहा तो रोशनी की गुमशुदगी का मामला भी पता चला. गोसाईगंज पुलिस ने रोशनी के पिता बंशीलाल को भी बुलाया और लाश को देखने के लिये कहा. लाश को देखने के बाद कपडो और बाकी शरीर को देखकर बंशीलाल को लगा कि यह उनकी बेटी रोशनी ही है.
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रोशनी की मौत का राज खोलना अब गोसाईगंज पुलिस के लिये चुनौती बन चुका था. रोशनी के गायब होने से लेकर उसकी हत्या तक के बीच एक भी सुराग पुलिस को नहीं मिल रहा था. पूरी तरह से ब्लाइंड मर्डर था. पुलिस जो भी कडी मिला रही थी वह अंजाम तक नहीं पहंुच रही थी. मोहनलालगंज सर्किल के पुलिस औफिसर संजीव मोहन ने इंसपेक्टर गोसांईगंज धीरेन्द्र प्रताप कुशवाहा को इस मामले के जल्द ही जल्द खुलासे का आदेश दिया. इंसपेक्टर गोसांईगंज धीरेन्द्र प्रताप कुशवाहा बहुत तेज तर्रार अधिकारी की तरह मामले को सुलझाने मे पूरी टीम के साथ लग गये. सबसे पहले पुलिस ने रोशनी के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया. एक सप्ताह के बाद 16 मई को उस मोबाइल पर चमरतलिया गांव के शिवम का नम्बर उस मोबाइल पर एक्टिव दिखाने लगा. पुलिस को इस बात का पक्का सूबत मिल गया कि रोशनी को मोबाइल शिवम के पास है. पुलिस की विवेचना मंे रोशनी से शादी के रिश्ते का भी खुलासा हो गया.
अब पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि रोशनी के बारे में शिवम को जानकारी होगी. पुलिस ने शिवम को पकडा तो शिवम के पास से रोशनी के कपडे भी मिले. शिवम ने बताया कि जब रोशनी से उसकी शादी तय हो चुकी थी. वह आपस में बात करने और मिलने जुलने लगे थे. इसी बीच पता चला कि रोशनी के संबंध किसी और से भी है. इस बात को जानकर मैने शादी करने से मना किया. तो रोशनी शादी के लिये जिद करने लगी. ज बवह किसी तरह से मानने को तैयार नहीं हुई उल्टा हमको फंसाने की धमकी देने लगी तो उसको मार दिया. लाश को जंगल में छिपाने के बाद मोबाइल और कपडे लेकर अपने घर चला आया.
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पुलिस ने शिवम के पास से रोशनी का फोन, कपडे, और घटना में प्रयोग की गई बाइक को बरामद कर लिया. शिवम ने रोशनी के फोन से उसका सिम निकाल कर तालाब में फेंक दिया. मोबाइल लेकर घर चला आया. कुछ दिन बाद जैसे ही उसने रोशनी के मोबाइल में अपना सिम कार्ड डाला पुलिस को सूचना मिल गई और उसने शिवम को धर दबोचा. पुलिस ने शिवम को रोशनी की हत्या और उसके शव को छिपाने के आरोप मे जेल भेज दिया.
लेखिका-डा. क्षमा चतुर्वेदी
सब के जाने के बाद फिर रात को वीणा ने परी से बात की, ‘‘बेटा, घनश्यामजी और सुनीता भाभी अपने बेटे के साथ मिले होंगे तुम से, क्या बात हुई?’’ ‘‘हां, मां आए तो थे, अचानक औफिस में ही आ गए, पर आप क्यों पूछ रही हैं?’’
‘‘अब, अब इस वीकएंड में तू घर आ जा, फिर बात करेंगे…’वैसे तो दिल्ली से चंडीगढ़ अकसर परी शनिवार, इतवार को आ ही जाती थी. ‘‘कुछ खास बात है क्या मां…?’’परी पूछ रही थी.
‘‘हां बेटा, खास ही है, जरूरी बात करनी है.’’ परी शायद तब भी कुछ समझ नहीं पाई थी, और वीणा सोच रही थी कि बेटी को अब एक नए सिरे से समझाना पड़ेगा, ताकि शादी को ले कर उस के मन में उत्साह जगे, वह तो साध्वी बनी बैठी है.
वैसे, अगले शनिवार को परी आ भी गई थी. फिर बात को घुमाफिरा कर वीणा ने घनश्यामजी का मन्तव्य बता ही दिया. ‘‘मां…’’ परी चौंक गई थी.‘‘तुम तो जानती हो न कि मेरी अब कोई इच्छा नहीं रही इस प्रकार के बंधन में बंधने की. मैं आप को पहले ही बता चुकी हूं कि इतनी बार टूटने के बाद मेरी उस प्रकार की इच्छाएं ही खत्म हो गई हैं. अब मैं ने अपनी जिंदगी से समझौता कर लिया है और मैं खुश हूं, और अब कोई बदलाव भी नहीं चाहती, आप लोगों ने हां कैसे कर दी?’’
परी तो एक प्रकार से बिखर ही पड़ी थी और इसी बात की आशंका थी वीणा को. ‘‘देख बेटा, हम तो कहीं गए नहीं, न ही कोई प्रयास किया, वह तो घर बैठे ही रिश्ता आया है तो लगता है कि इस में ऊपर वाले की ही कोई मरजी है, तभी तो घरपरिवार सब जानापहचाना…’’
‘‘मां, क्या जानापहचाना, प्रमेश और मैं कितना जानते हैं एकदूसरे को, क्या एक बार देख लेने से ही सारी बातें हो जाती हैं, मेरा स्वभाव, मेरी कमियां… क्या जानते हैं वे लोग…’’
‘‘नहीं बेटा, सब जान कर ही उन लोगों ने तुझे पसंद किया है. इसीलिए हम ने स्वीकृति दी है.’’परी को इस विवाह के लिए तैयार करने के लिए वीणा के साथ ही विशाल को भी काफी प्रयास करने पड़े,
‘‘देख बेटा, अभी तो हम लोग हैं, पर बाद में तू अकेली पड़ जाएगी, इसीलिए तो यह विवाह संस्था बनाई गई है. अब तेरा घर बस जाएगा, तो हम भी बेफिक्र हो जाएंगे.
नहीं तो जिंदगीभर यही मलाल रहेगा कि हम अपना कर्तव्य पूरी तरह निभा नहीं पाए…’’ कहते हुए विशाल का स्वर कुछ भावुक हो गया था.‘‘ठीक है, तू आत्मनिर्भर है, पर सोच अभी तो व्यस्तता है, पर बाद में उम्र ढलने पर एक साथी की तो जरूरत रहेगी न… जिस के साथ अपने सुखदुख बांट सके…’’
काफी दलीलों के बाद किसी प्रकार परी इस रिश्ते के लिए अपनी स्वीकृति दे पाई थी. फिर महीनेभर के अंदर ही विवाह संपन्न हो गया था. प्रमेश ने भी फिर दिल्ली की ही किसी कंपनी में जौब ले लिया था.
अपनी सादगी से रहने वाली बेटी को सजासंवरा देख कर वीणा की खुशी का ठिकाना न था.परी सुंदर तो थी कि अब लाल चुनरी और गहनों में सजी किसी राजकुमारी से कम नहीं लग रही थी. रूप खिल गया था मानो, अगर उठ कर चले नहीं तो कोई कह नहीं सकता कि शरीर में कोई कमी है…
“सदा खुश रहे मेरी बेटी…वीणा के होंठ बुदबुदा उठे थे.शादी के बाद परी ने भी अपनेआप को काफी बदला था. वीणा हर 2-4 दिन में हालचाल पूछती रहती थी.‘‘हां मां, हम लोगों ने नया फ्लैट लिया है, अब उसे सजा रहे हैं…’’ परी के शब्द उत्साह भरे होते.
‘‘मां, प्रमेश मेरा बहुत ध्यान रखते हैं. हमें अब एक हफ्ते की छुट्टी मिल गई है, तो घूमने जा रहे हैं.’’‘‘हां बेटा, खुश हो कर जाओ.’’वीणा सोचती कि हमेशा गुमसुम और चुप रहने वाली बेटी को अब जिंदगी में रस आने लगा है.
बीच में 1-2 बार वह मिलने आई तो कितनी खुश लग रही थी. हो सकता है कि अब शायद इस के पैर की समस्या भी कुछ कम हो जाए. प्रमेश के साथ जोड़ी कितनी जंच रही हैचलो, अब हमारा यह आखिरी कर्तव्य भी पूरा हुआ.
‘‘अब हम लोग तीर्थयात्रा भी कर आए,’’ वीणा ने उस दिन विशाल से कहा था.‘‘हां बस, इस बारिश के खत्म होते ही प्रोग्राम बनाते हैं. मैं तो सोच रहा हूं कि चारों धाम ही इकट्ठे कर लें, घर पर कोई चौकीदार रख जाएंगे.’’
‘‘यह भी ठीक रहेगा,’’ सोच कर वीणा ने कुछ तैयारियां भी शुरू कर दी थीं. अब चारों धाम की यात्रा होगी तो महीने, दो महीने घर से बाहर रहना होगा, जाएंगे तो अच्छी तरह घूमेंगे.
सब जगह की जानकारी भी वह इकट्ठी करती जा रही थी.पर, अब परी के फोन कम ही आते थे, आते भी तो संक्षिप्त से…‘‘क्या बात है, आजकल क्या औफिस में बहुत व्यस्त रहती है?’’ वीणा ने कहा भी था.
‘‘हां मां, व्यस्त तो हूं, पर मुझ से अधिक तो प्रमेश व्यस्त हैं. देखो रात के 10 बज रहे हैं, पर अभी तक आए नहीं हैं. कभीकभी तो रात के 11 भी बज जाते हैं.’’
‘‘अरे, तो तू पूछती नहीं.’’‘‘मां, काम रहता होगा.’’‘‘बेटा, तू बहुत भोली है, पर अब मेरी बात सुन. शादी के इतने दिन हो गए हैं. तुम लोग अब बच्चे की प्लानिंग करो. वैसे भी शादी भी देर से हुई है.’’
‘‘मां, आप भी कहां की बात कहां ले जाती हो,’’ परी ने हंस कर बात टाल दी थी.पर, वीणा सोच रही थी कि परी का स्वर कुछ निराशा भरा क्यों लगने लगा है, शायद औफिस में काम अधिक हो तो थक जाती हो, आजकल ये कंपनी वाले पैसा देते हैं तो काम भी तो उसी अनुपात में लेते हैं.
फिर एक रात देर से अचानक परी का फोन आया, ‘‘मां, प्रमेश अब तक घर नहीं आए हैं, मैं ने सोचा कि हमेशा की तरह लेट होंगे, पर अभी मुझे मेज पर पेपरवेट से दबा उन का पत्र मिला. लिखा है कि घर छोड़ कर जा रहा हूं. तुम अपनी जिंदगी अपने अनुसार जिओ. मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता…” कहते हुए परी फोन पर ही फूटफूट कर रो पड़ी थी.
‘‘अरे, ऐसे कैसे… ऐसे कैसे घर छोड़ कर जा सकता है,’’वीणा की तो जैसे चीख ही निकल गई थी.उधर, विशाल की भी नींद खुल गई.‘‘क्या हुआ? कैसे हुआ!’’ सब अवाक थे.आननफानन दूसरे दिन दिल्ली पहुंचे./परी का तो रोतेरोते बुरा हाल था. वीणा ने किसी तरह उसे संभाला, घर की व्यवस्था कुछ ठीक की. जबरदस्ती बेटी को कुछ खिलाया, विशाल ने तब तक घनश्याम से बात करनी चाही, उस का फोन ही मुश्किल से लग पाया था.
‘‘हां, मैं भी सोच रहा हूं कि कहां गया होगा प्रमेश, जब परी से ही कुछ कह कर नहीं गया, तब हम से क्या कहता…”विशाल की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे. विशाल की कंपनी में पूछताछ की तो पता चला कि वहां से तो वह बहुत पहले ही इस्तीफा दे चुका था.
‘‘तुझ से कुछ कहा नहीं, बताया नहीं,’’ वीणा बारबार बेटी को टटोल रही थी. पर, परी के तो आंसू ही नहीं थम रहे थे.
‘गुमराह’व ‘सावधान इंडिया’जैसे सीरियलो,‘यह है पैरा नाॅर्मल इश्क; और ‘तोरबाज’जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकी अदाकारा स्नेहा नमानंदी इन दिनों सीरियल ‘बड़े अच्छे लगते है’के दूसरे सीजन में नजर आ रही हैं. तो वही वह पशु प्रेमी भी हैं. हाल ही मेंउ न्होने अपने पालतू जानवर माउ और मिगु एल के साथ अंतर्राष्ट्रीयकुत्ता दिवस मनाया. वह कहती हैं-‘‘लोगों को पालतू जानवरों के महत्व को समझने की जरूरत है.
चार पैरों वाले पालतू जानवर बात नहीं कर सकते, इसलिए हमें उनके प्रति अधिक प्यार और देखभाल करने की आवश्यकता है. बहुत से लोग अपने जीवन में पालतू जानवरों और कुत्तों के मूल्य को नहीं समझते हैं क्योंकि उनके पास एक नहीं है. खैर, कभी-कभी यह उन लोगों के लिए भी सच होता है जिनके पास पालतू जानवर होते हैं.मेरी राय में हम कुत्तों / पालतू जानवरों जानवरों को नहीं चुनते हैं,बल्कि वह हमें चुनते हैं.
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यही आपके जीवन में सबसे भाग्यशाली चीज है.अगर वास्तव में एक कुत्ता आपके जीवन में आता है,तो यह अच्छी बात है.’’स्नेहा नमानंदी आगे कहती हैं- ‘‘पालतू जानवर बड़े होकर हमारे जैसे बन जाते हैं.अगर हम चिंतित होते हैं ,तो वह भी चिंतित हो जाते हैं.
अगर हम दुखी होते हैं,तो वह दुखी हो जाते हैं.इसलिए मैं हमेशा खुश रहने और उनके चारों ओर मुस्कुराने की कोशिश करती हूं. मुझे लगता है कि हर कोई जो खर्च कर सकता है उसके पास एक पालतू जानवर होना चाहिए.वह अपने मालिक की मदद करते हैं.आप प्यार, जिम्मेदारी और मानवता के मूल्य को समझते हैं.‘‘
स्नेहा नमानंदीप शुक्रूरता के सख्त खिलाफ हैं.वह कहती हैं-‘‘यह न केवल मानव में है बल्कि यह सिर्फ दयनीय है … जानवरों की भलाई और कल्याण के लिए, हम वास्तव में दान कर सकते हैं.जानवरों की भलाई के लिए काम करने वाले विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और समूह को दिए गए इस पैसे को भी अनिवार्य किया जाना चाहिए.
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मैं आवारा जानवरों को भोजन खिलाने की दिशा में अपनी पहल जारी रखूंगी.मुझे पता है कि बहुत से लोग कुत्तों से डरते हैं. ऐसे लोगों को लेकर मैं कुछ नही कह सकती.लेकिन अगर वह चाहें तो उनका यह डर खत्म हो सकता है.उन्हें कुत्तों पर भरोसा करना होगा.
कोई भी जानवर अपनी तरफ से किसी को भी नुकसान पहुंॅचाने की पहल नही करता.वह तो बिना शर्तप्यार चाहते हैं. मनुष्यों के विपरीत उनके दिल में कोई शिकायत याद्वेष नहीं है.मेरी राय में जिन परिवारों में बच्चे हैं,उन्हें एक कुत्ते को गोद लेना चाहिए.वह बच्चों को मजबूत और जिम्मेदा रबनाते हैं. ’’
बिग बॉस ओटीटी का प्रीमियर पिछले महीने हुआ था, तबसे लेकर अब तक यह शो दर्शकों का मनोरंजन करने में कामयाब रहा है. हर दिन बिग बॉस में किसी न किसी नए चेहर की एंट्री होती है . अब बिग बॉस में एक और नया चेहरा आने वाला है. जिसे दर्शक देखने के लिए काफी ज्यादा उत्सुक हैं.
ताजा मिली जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है कि इस बार सलमान खान के शो में सीरियल तुझसे राब्ता है कि फेम एक्ट्रेस रीमा शेख नजर आने वाली हैं.
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एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि रीमा शेख जल्द ही बिग बॉस 13 में हिस्सा लेने वाली हैं. मेकर्स काफी दिनों से इस शो में रीमा शेख की एंट्री को लेकर चर्चा में जुटे हुए हैं. हालांकि उस वक्त रीमा शेख अपने सीरियल की शूटिंग में व्यस्त रहती थी तो शो में आने को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाती थीं, लेकिन अब शो ऑफएयर हो गया है तो उन्होंने बिग बॉस में वापस आने का मन बना लिया है.
अब वह जल्द बिग बॉस के घर में कंटेस्टेंट के तौर पर नजर आने वाली हैं. रीमा शेख टीवी इंडस्ट्री की पॉपुलर एक्ट्रेस में से एक हैं. उन्होंने कई सारे सीरियल जैसे ना तुम बोले ना मैं में भी काम किया है. इसके अलावा चक्रवर्ती सम्राट और तू आशिकी जैसे सीरियल्स में काम कर चुकी हैं.
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अब देखना यह है कि रीमा बिग बॉस के घर में आकर खुद को कैसे ढ़ालती हैं.
टीवी जगत का सबसे पॉपुलर शो कौन बनेगा करोड़पति में हर हफ्ते शक्रवार को अलग-अलग सेलिब्रिटी हिस्सा लेने आते हैं. इस बार का केबीसी हमेशा के सीजन से काफी ज्यादा अलग है. इस सीजन में बहुत कुछ बदलाव भी हुए हैं.
बीते शुक्रवार को इंडियन आइडल के फाइलिस्ट आएं थें, इसके अलावा शो का हिस्सा बनने पहुंची , दीपिका पादुकोण और फराह खान. जहां पर उन्होंने अमिताभ बच्चन के कई सारे सवाल के जवाब दिए.
शो के प्रोमो में यह साफ हो गया है कि अभी तक दीपिका पादुकोण और फराह खान 12.5 लाख रूपये जीत चुकी हैं, लेकिन इसमें यह भी दिखाया जा रहा है कि अगला सवाल अमिताभ बच्चन दीपिका पादुकोण से 25 लाख रूपये का करते नजर आ रहे हैं. हालांकि यह अभी साफ नहीं हो पाया है कि दीपिका पादुकोण और फराह इस सावल का जवाब दे पाई हैं या नहीं.
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वहीं इंडियन आइडल के सभी फाइनलिस्ट शो को खूब एंजॉय करते दिखे, उन्हें इस को सामने बैठकर देखने का पहली बार मौका मिला था , जो उनके लिए किसी बड़ी ऑपरचूनिटी से कम नहीं थी. ऐसे में वह इस शो को खूब एंजाय किए.
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वहीं शो के आखिरी में सभी कंटेस्टेंट अमिताभ बच्चन के साथ सेल्फी लेते हुए भी नजर आएं, अमिताभ बच्चन भी उन सभी से मिलकर काफी ज्यादा एक्साइटेड थें.
वहीं शो में फराह खान अमिताभ बच्चन को एक्टिंग सिखाती हुई नजर आईं, जो कि अमिताभ बच्चन ठीक से कर नहीं पा रहे थें तो बार – बार फराह खान उनसे रिपीट करवा रही थीं. इस शो में अमिताभ बच्चन खूब हंसते और एंजॉय करते नजर आएं.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में देश ने सर्वांगीण विकास के नये प्रतिमान स्थापित किये हैं. कृषि एवं कृषि कल्याण के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है. देश में पहली बार मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किये गये. न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य प्रदान करने के साथ ही, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अन्तर्गत किसानों को आर्थिक सहायता सुलभ करायी गयी. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सहित विभिन्न योजनाएं प्रभावी ढंग से क्रियान्वित की गयीं.
मुख्यमंत्री जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के सम्बन्ध में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. वर्चुअल माध्यम से 03 चरणों में इस सम्मेलन का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय भारत सरकार द्वारा किया जा रहा है. सम्मेलन को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने भी सम्बोधित किया.
मुख्यमंत्री जी ने सम्मेलन के आयोजन के लिए केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री तथा केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री के प्रति आभार जताते हुए कहा कि इस आयोजन से राज्यों को कृषि एवं किसान कल्याण के सम्बन्ध में रणनीति बनाने में सहायता मिलेगी. इस प्रकार निर्मित रणनीति का सफल क्रियान्वयन करके प्रधानमंत्री जी के किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकेगा.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. विषम परिस्थितियों में भी कृषि और किसानों का कल्याण प्रदेश सरकार का मुख्य लक्ष्य है. कोविड-19 की वैश्विक महामारी देश के लिए चुनौतीपूर्ण रही है. स्वस्थ जीवन, व्यक्ति की सबसे बड़ी आवश्यकता है. समुचित पोषण एवं सुरक्षित भोजन वर्तमान परिवेश की सबसे बड़ी चुनौती है. कोविड कालखण्ड में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किसानों द्वारा अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, दूध आदि की प्रचुर उपलब्धता आमजन को सुनिश्चित करायी गई है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत लगभग साढ़े चार वर्षाें में प्रदेश ने खाद्यान्न उत्पादन में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में प्रति वर्ष धान का औसत उत्पादन 139.40 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह औसत बढ़कर 163.45 लाख मीट्रिक टन हो गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में धान की खरीद 123.61 लाख मीट्रिक टन रही. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 214.56 लाख मीट्रिक टन हो गई. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 14,87,519 कृषकों को 17,119 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में 31,88,529 कृषकों को अब तक 37,885 करोड़ रुपए धान मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में गेहूं उत्पादन 288.14 लाख मीट्रिक टन था. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में यह बढ़कर 369.47 लाख मीट्रिक टन हो गया है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 की अवधि में 94.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई थी. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में ही 209.67 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 19,02,098 कृषकों को 12,808 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया गया. वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष की अवधि में ही 43,75,574 कृषकों को 36,405 करोड़ रुपए गेहूं मूल्य का भुगतान किया जा चुका है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि खरीफ फसलों की बुआई के समय डी0ए0पी0 उर्वरक की कीमतें अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ने के कारण प्रति बोरी मूल्य 2400 रुपए हो गया था. प्रधानमंत्री जी द्वारा 500 रुपए अनुदान प्रति बोरी से बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति बोरी कर दिया गया. इससे किसानों को पूर्व की भांति 1200 रुपए प्रति बोरी की दर पर पर्याप्त मात्रा में डी0ए0पी0 उपलब्ध हुई. खरीफ 2020-21 में 57 लाख मीट्रिक टन उर्वरक वितरण लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 52.95 लाख मीट्रिक टन उर्वरक की उपलब्धता कराते हुए 36.76 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण कराया गया है. दानेदार यूरिया के स्थान पर इफ्को द्वारा विकसित नैनो तरल यूरिया का कृषकों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गन्ना किसानों को वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक की अवधि में 95,215 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान हुआ. वर्तमान सरकार द्वारा 45.74 लाख गन्ना कृषकों को अब तक 1,42,366 करोड़ रुपए से अधिक का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य का भुगतान कराया जा चुका है. वर्ष 2020-21 में कुल 21.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 1783.40 लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हुआ है, जो 818.07 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जुलाई, 2021 तक प्रदेश में कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड का वितरण किया गया. वर्ष 2012 से वर्ष 2017 के मध्य 239515.07 करोड़ रुपए का ऋण वितरण हुआ था, जबकि वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष में यह बढ़कर 471723.82 करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. इस प्रकार वर्तमान सरकार के कार्यकाल में फसली ऋण वितरण में पूर्व की सरकार के सापेक्ष 96.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जैविक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत 36 जनपदों में 585 क्लस्टर के 11,700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है. प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन हेतु 35 जनपदों के 38,670 हे0 क्षेत्रफल की 03 वर्ष के लिए 197 करोड़ रुपए की कार्य योजना भारत सरकार को प्रेषित की गई है. नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत 3,309 क्लस्टर (66,180 हे0) स्थापित कर 1,03,442 कृषकों को लाभान्वित किया गया है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा भारत सरकार द्वारा कृषि अवसंरचना निधि की स्थापना की गयी है, जिससे कृषक अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त कर सकें. इस उद्देश्य को पूर्ण करने हेतु भारत सरकार द्वारा फार्मगेट एवं समेकन केन्द्र (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादन संगठन, कृषि उद्यमी, स्टार्टअप, मण्डी समिति, एफ0पी0ओ0) के वित्त पोषण के लिए एक लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सुविधा कृषि अवसंरचना निधि द्वारा प्रदान की गयी है. उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि अवसंरचना निधि का पोर्टल अंग्रेजी भाषा में होने के कारण कृषकों को योजना समझने एवं आवेदन करने में कठिनाई हो रही है. अतः पोर्टल को हिन्दी भाषा में भी संचालित कराया जाए.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि योजना के अन्तर्गत प्रदेश के शेड्यूल कॉमर्शियल बैंकों को कुल 197 परियोजनाओं के आवेदन प्राप्त हुए, जिनकी लागत 218 करोड़ रुपये है. इन आवेदनों में से लगभग 20 करोड़ रुपए की 20 परियोजनाओं की स्वीकृति के बाद प्रथम किस्त वितरित की गई है. वर्तमान में सेण्ट्रल पी0एम0यू0 तथा विभिन्न शेड्यूल कॉमर्शियल बैंक के स्तर पर 74 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं. इनकी परियोजना लागत 126 करोड़ रुपए है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि अवस्थापना निधि के अन्तर्गत उत्तर प्रदेश के पैक्स को नाबार्ड की मल्टी सर्विस सेण्टर योजना के तहत लगभग 1,100 पैक्स के आवेदन पोर्टल पर प्राप्त हुए हैं. इनमें से नाबार्ड द्वारा 549 पैक्स के लगभग 120 करोड़ रुपए की डी0पी0आर0 स्वीकृत की गई है. इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश द्वितीय स्थान पर है. लगभग 45 करोड़ रुपए की लागत के 250 पैक्स के प्रस्ताव स्वीकृत हैं. 170 पैक्स को, प्रति पैक्स 4.25 लाख रुपए की दर से, प्रथम किस्त के रूप में कुल 10 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी कृषक 250.09 लाख हैं. 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए जा चुके हैं.योजना के प्रारम्भ से वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह अगस्त, 2021 तक 250.09 लाख कृषकों के बैंक खातों में कुल 32571.29 करोड़ रुपए की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से हस्तान्तरित की गई है. कुल 07 जनपदों में 100 प्रतिशत तथा 14 जनपदों में 90 प्रतिशत या उससे अधिक किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. 17 जनपदों में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक तथा केवल 01 जनपद में 25 प्रतिशत से कम किसान क्रेडिट कार्डधारक कृषक हैं. इन जनपदों में अभियान चलाकर किसान क्रेडिट कार्ड बनाए जाने की कार्यवाही प्रगति पर है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माह जनवरी, 2020 तक कुल 111.13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बने थे, जबकि जुलाई, 2021 तक कुल 165.55 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बन गए थे. इस प्रकार जनवरी, 2020 से जुलाई, 2021 तक की अल्प अवधि में ही कुल 54.42 लाख किसान क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं. कुछ जनपदों में किसान क्रेडिट कार्ड कम बनने का मुख्य कारण, कृषकों का अप्रवासी होना तथा छोटी जोत के कृषकों द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए जाने में रुचि न लेना है. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि पीएम किसान के लाभार्थियों का डाटाबेस तथा किसान क्रेडिट कार्ड का डाटाबेस भारत सरकार के पास है, यदि दोनों डाटा की मैचिंग राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी जाए, तो किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में गति आएगी.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा देश के किसानों का एक डाटाबेस तैयार किए जाने की योजना है, जिसमें किसानों के कल्याण के लिए संचालित सभी योजनाओं को लिंक किया जाएगा, किसानों को समय-समय पर एडवाइजरी उपलब्ध करायी जाएगी तथा उनके उत्पादों के उचित विपणन की व्यवस्था की जाएगी. पायलट प्रोजेक्ट के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के 03 जनपदों-मथुरा, मैनपुरी तथा हाथरस को सम्मिलित किया गया है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तिलहनी फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु भारत सरकार द्वारा पुरोनिधानित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (ऑयल सीड्स) योजना प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में संचालित है. कृषकों की आय में वृद्धि करने हेतु योजना के अन्तर्गत तिलहनी फसलों के मिनीकिट भारत सरकार द्वारा निःशुल्क प्रदान किए जाते हैं. वर्तमान वर्ष में खरीफ में 13,960 तिल एवं मूंगफली के बीज मिनीकिट कृषकों को निःशुल्क वितरित कराए जा चुके हैं. राई/सरसों एवं अलसी के 4,77,500 बीज मिनीकिट का वितरण कराया जाना प्रस्तावित है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गत वर्ष कुल तिलहनी फसलों (खरीफ व रबी) से 11.93 लाख हे0 भूमि आच्छादित की गई तथा कुल 12.71 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन हुआ. वर्ष 2021-22 हेतु कुल तिलहनी फसलों से 13.68 लाख हे0 क्षेत्रफल को आच्छादित करने का लक्ष्य है तथा कुल 15 लाख मीट्रिक टन तिलहनी फसलों का उत्पादन सम्भावित है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोविड से प्रभावित होने के बावजूद वर्ष 2020-21 के दौरान प्रदेश से कृषि निर्यात 17,58,479.29 मीट्रिक टन रहा, जिसका मूल्य 2,389,89 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. गत वर्ष 2019-20 में उत्तर प्रदेश से 15,15,784.59 मीट्रिक टन कृषि निर्यात, जिसका 2,227.87 मिलियन यू0एस0 डॉलर था. रुपए के सन्दर्भ में यह कीमत बढ़कर 17,699.12 करोड़ रुपए हो गई, जबकि गत वर्ष 2019-20 में 15,902.78 करोड़ रुपए थी. वित्तीय वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक वृद्धि नॉन-बासमती चावल के निर्यात में रही. मात्रा के सन्दर्भ में यह वृद्धि 50.34 प्रतिशत बढ़कर 3,60,897.38 मीट्रिक टन हो गयी है. वित्तीय वर्ष 2019-20 में यह निर्यात 24,0043.93 मीट्रिक टन था. रुपए के सन्दर्भ में यह बढ़कर 913.16 करोड़ रुपए हो गई है. वर्ष 2019-20 में 689.70 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत सरकार की कृषि निर्यात नीति के सामंजस्य में प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019 में अपनी राज्य कृषि निर्यात नीति अधिसूचित की गई है. इसका उद्देश्य राज्य से वर्ष 2019 के निर्यात से वर्ष 2024 तक कृषि निर्यात को दोगुना करना है. राज्य स्तर की निर्यात निगरानी समिति, मण्डल स्तरीय कृषि निर्यात निगरानी समिति और जिला स्तर पर क्लस्टर फैसिलिटेटिंग सेल बनाकर राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत तंत्र विकसित किया गया है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत 06 माह में कानपुर से गंगा जी के किनारे उत्पादित जामुन का मई-जून, 2021 में लगभग 5,000 किलोग्राम का प्रथम बार यूनाईटेड किंगडम को निर्यात किया गया है. जामुन निर्यात से किसानों को 35 रुपए से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के स्थान पर लगभग 70 रुपए प्रति किलोग्राम प्राप्त हुआ है. प्रदेश में कृषि निर्यात हेतु दो पैक हाउस लखनऊ एवं सहारनपुर में स्थापित हैं. लखनऊ पैक हाउस का इण्टीग्रेटेड पैक हाउस के रूप में आधुनिकीकरण किया जा रहा है तथा अमरोहा एवं वाराणसी में नये पैक हाउस निर्मित किये जा रहे हैं.
शहरी मौडर्न लड़की से शादी की चाहत रखने वाले शेखर की शादी जब गांव की रहने वाली सुधा से हुई तो वह बातबात पर तलाक की धमकियां देने लगा, मगर वह इस बात से अनजान था कि उस की ये धमकियां उस पर ही एक दिन भारी पड़ने वाली हैं… शेखरऔर सुधा की मैरिज ऐनिवर्सरी थी और अच्छी बात यह भी हो गई कि शनिवार था तो आराम से सब सैलिब्रेशन के मूड में थे कि यदि पार्टी लेट भी चले तो कोई परेशानी नहीं, क्योंकि संडे रात को देर होने पर महानगरों में औफिस जाने वाले लोगों को मंडे ब्लूज सताते हैं. अनंत और प्रिया ने पार्टी का सब इंतजाम कर लिया था, अंजू और सुधीर से भी बात हो गई थी. वे भी सुबह ही आ रहे थे. प्रोग्राम यह था कि पहले पूरा परिवार एकसाथ घर पर लंच करेगा,
फिर डिनर करने सब बाहर जाएंगे, इस तरह पूरा दिन सब एकसाथ बिताने वाले थे. शेखर और सुधा अपने बच्चों के साथ समय बिताने के लिए अति उत्साहित थे. अनंत तो अपनी पत्नी प्रिया और एक बेटी पारुल के साथ उन के साथ ही रहता था. बेटी अंजू अंधेरी में अपने पति सुधीर और बेटे अनुज के साथ रहती थी. मुंबई में होने पर भी मिलनाजुलना जल्दी नहीं हो पाता था. बहूबेटा, बेटीदामाद सब वर्किंग थे. इसलिए जब भी सब एकसाथ मिलते, शेखर और सुधा बहुत खुश होते थे. सब की बौंडिंग बहुत अच्छी थी, सब जब भी मिलते, महफिल खूब जमती, जम कर एकदूसरे की टांग खिंचाई होती. कोई किसी की बात का बुरा न मानता. बच्चों के साथ शेखर और सुधा भी खूब हंसतेहंसाते. 12 बजे अंजू सुधीर और अनुज के साथ आ गई. सब ने एकदूसरे को प्यार से गले लगाया. शेखर और सुधा के साथसाथ अंजू सब के लिए कुछ न कुछ लाई थी.
पारुल और अनुज तो अपने में बिजी हो गए. हंसीमजाक के साथसाथ खाना भी लगता रहा. लंच भी बाहर से और्डर कर लिया गया था, पर प्रिया ने सासससुर के लिए खीर और दहीवड़े उन की पसंद को ध्यान में रख कर खुद बनाए थे, जिन्हें सब ने खूब तारीफ करते हुए खाया. खाना खाते हुए सुधीर ने बहुत सम्मानपूर्वक कहा, ‘‘पापा, आप लोगों की मैरिड लाइफ एक उदाहरण है हमारे लिए, कभी आप लोगों को किसी बात पर बहस करते नहीं देखा. इतनी अच्छी बौंडिंग है आप दोनों की. मेरे मम्मीपापा तो खूब लड़ लेते थे, आप लोगों से बहुत कुछ सीखना चाहिए.’’ फिर जानबू?ा कर अंजू को छेड़ते हुए कहा, ‘‘इसे भी कुछ सिखा दिया होता… बहुत लड़ती है मु?ा से. कई बार तो शुरूशुरू में लगता था कि इस से निभेगी भी या नहीं.’’ अंजू ने प्यार से घूरा, ‘‘बकवास बंद करो, तुम से कभी नहीं लड़ी मैं… ?ाठे.’’ प्रिया ने भी कहा, ‘‘हां, जीजू आप ठीक कह रहे हैं, मम्मीपापा की कमाल की बौंडिंग है,
दोनों एकदूसरे का बहुत ध्यान रखते हैं, बिना कहे ही एकदूसरे के मन की बात जान लेते हैं. यहां तो अनंत को मेरी कोई बात ही याद नहीं रहती. काश, अनंत भी पापा की तरह केयरिंग होता.’’ अनंत से भी रहा नहीं गया, ?ाठमूठ गले में कुछ फंसने की ऐक्टिंग करता हुआ बोला, ‘‘मेरी प्यारी बहन, अंजू, ये हम दोनों भाईबहन क्या सुन रहे हैं, क्यों न आज मम्मीपापा की बहू और दामाद को इस बौंडिंग की सचाई बता दें? हम कब तक ये ताने सुनते रहेंगे?’’ कहताकहता अनंत अंजू को देख कर शरारत से हंस दिया. शेखर ने चौंकते हुए कहा, ‘‘अरे, कैसी सचाई? क्या तुम बच्चों से अपने पेरैंट्स की तारीफ सहन नहीं हो रही?’’ अनंत हंसा. बोला, ‘‘मम्मीपापा तैयार हो जाइए, आप की बहू और आप के दामाद से हम भाईबहन आप की इस बौंडिंग का राज शेयर करने जा रहे हैं,’’ फिर नाटकीय स्वर में अंजू से कहा, ‘‘चल बहन, शुरू हो जा.’’ अंजू ने जोर से हंसते हुए बताना शुरू किया, ‘‘जब हम छोटे थे, हम रोज देखते कि पापामम्मी को हर बात में कहते हैं कि मैं तुम्हारे साथ एक दिन नहीं रह सकता, मेरी अम्मांपिताजी ने मेरे साथ बहुत बुरा किया है कि तुम से मेरी शादी करवा दी,
मेरे जैसे स्मार्ट लड़के के लिए पता नहीं कहां से गंवार लड़की ले कर मेरे साथ बांध दी.’’ यह सुनते ही प्रिया और सुधीर ने चौंकते हुए शेखर और सुधा को देखा, शेखर बहुत शर्मिंदा दिखे और सुधा की आंखों में नमी सी आ गई थी जिसे देख कर शेखर और शर्मिंदा हुए. अनंत ने कहा, ‘‘और एक मजेदार बात यह थी कि हमें रोज लगता कि बस शायद कल मम्मी और पापा अलग हो जाएंगे पर हम अगले दिन देखते कि दोनों अपनेअपने काम में रोज की तरह व्यस्त हैं. सारे रिश्तेदारों को पता था कि दादादादी ने अपनी पसंद की लड़की से पापा की शादी कराई है और पापा को मम्मी पसंद नहीं है. ‘‘हम किसी से भी मिलते, हम से पूछा जाता कि अब भी तुम्हारे पापा को तुम्हारी मम्मी पसंद नहीं है क्या… हमें कुछ सम?ा न आता कि क्या कहें पर सब ही मम्मी की खूब तारीफ करते, सब का कहना था कि मम्मी जैसी लड़की बहुत कम को मिलती है पर पापा घर में हर बातबात पर यही कहते कि उन की लाइफ खराब हो गई है. यह शादी उन की मरजी से नहीं हुई है. उन्हें किसी शहर की मौडर्न लड़की से शादी करनी थी और उन के पेरैंट्स ने अपने गांव की लड़की से उन की शादी करवा दी.
‘हालांकि मम्मी बहुत पढ़ीलिखी हैं पर प्रोफैसर पापा अलग ही दुनिया में जीते और अंजू मम्मीपापा के तलाक के डर के साए में जीते रहे. कभी अनंत मु?ो सम?ाता, तसल्ली देता कि कुछ नहीं होगा, कभी मैं उसे सम?ाती कि अगले दिन तो सब ठीक हो ही जाता है. भई हमारा बचपन और जवानी तो पापा की धमकियों में ही बीत गई. फिर अचानक अनंत जोर से हंसा और कहने लगा, ‘‘धीरेधीरे हम बड़े हो ही गए और सम?ा आ गया कि पापा सिर्फ मम्मी को धमकियां देते हैं, हमारी प्यारी मां को छोड़ना इन के बस की बात नहीं.’’ प्रिया और सुधीर ने शेखर को बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा, ‘‘पापा, वैरी बैड. हम आप को क्या सम?ाते थे, और आप क्या निकले. बेचारे बच्चे आप की धमकियों में जीते रहे और हम आप दोनों की बौंडिंग के फैन होते रहे. क्यों पापा, ये धमकियां क्यों देते रहे?’’ शेखर ने सुधा की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘वैसे अच्छा ही हुआ कि आज तुम लोगों ने बात छेड़ दी, दिन भी अच्छा है आज.’’
उन के इतना कहते ही अंजू ने कहा, ‘‘अच्छा? दिन अच्छा हो गया अब मैरिज ऐनिवर्सरी का… बच्चों को परेशान कर के.’’ ‘‘हां बेटा, दिन बहुत अच्छा आज का जो मु?ो इस दिन सुधा मिली.’’ अब सब ने उन्हें चिढ़ाना शुरू कर दिया, ‘‘रहने दो पापा, हम आप की धमकियां नहीं भूलेंगे.’’ ‘‘सच कहता हूं, मैं गलत था, मैं ने सुधा को सच में तलाक की धमकी दे दे कर बहुत परेशान किया. मैं चाहता था कि मैं बहुत मौडर्न लड़की से शादी करूं, गांव की लड़की मु?ो पसंद नहीं थी. हमेशा शहर में रहने के कारण मु?ो शहरी लड़कियां ही भातीं. जब अम्मांपिताजी ने सुधा की बात की तो मैं ने साफसाफ मना कर दिया पर सुधा के पेरैंट्स की डैथ हो चुकी थी और भाई ने ही हमेशा सुधा की जिम्मेदारी संभाली थी. ‘‘अम्मां को सुधा से बहुत लगाव था. मैं ने तो यहां तक कह दिया था कि मंडप से ही भाग जाऊंगा पर पिताजी के आगे एक न चली और सारा गुस्सा सुधा पर ही उतरता रहा. हमारे 7 भाईबहनों के परिवार को सुधा ने ऐसे अपनाया कि सब मु?ो भूलने लगे. हर मुंह पर सुधा का नाम, सुधा के गुण देख कर सब इस की तारीफ करते न थकते पर मेरा गुस्सा कम होने का नाम ही न लेता. मगर धीरेधीरे मेरे दिल में इस ने ऐसी जगह बना ली कि क्या कहूं. मैं ही इस का सब से बड़ा दीवाना बन गया. ‘‘जब आनंद पैदा हुआ तो सब को लगा कि अब सब ठीक हो जाएगा पर मैं नहीं सुधरा. सुधा से कहता कि बस यह थोड़ा बड़ा हो जाए तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा, फिर 2 साल बाद अंजू हुई तो भी मैं यही कहता रहा कि बस बच्चे बड़े हो जाएं .
तो मैं तुम्हें तलाक दे दूंगा अगर तुम चाहो तो गांव में अम्मां के साथ रह सकती हो, फिर बच्चे बड़े हो रहे थे तो मेरी बहनों की शादी का नंबर आता रहा. ‘‘सुधा अपनी हर जिम्मेदारी दिल से पूरी करती रही और मेरे दिल में जगह बनाती रही पर मैं इतना बुरा था कि तलाक की धमकियों से बाज न आता, सुधा घर के इतने कामों के साथ अपना पूरा ध्यान पढ़ाईलिखाई में लगाती और इस ने धीरेधीरे अपनी पीएचडी भी पूरी कर ली और एक दिन एक कालेज में जब इसे जौब भी मिल गई तो मैं पूरी तरह से अपनी हर गलती के लिए इतना शर्मिंदा था कि इस से माफी भी मांगने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. ‘‘आज तक मन ही मन इतना शर्मिंदा था कि आज इसलिए इस दिन को अच्छा बता रहा कि आज मैं तुम सब के सामने सुधा से माफी मांगने की हिम्मत कर पा रहा हूं. बच्चों, तुम से भी शर्मिंदा हूं कि मेरी तलाक की धमकियों से तुम्हारा बाल मन आहत होता रहा और मु?ो खबर भी नहीं हुई, सुधा, अनंत और अंजू तुम सब मु?ो आज माफ कर दो.’’ प्रिया ने सुधा की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘मम्मी, आप भी कुछ कहिए न?’’ सुधा ने एक ठंडी सांस लेते हुए कहा, ‘‘शुरू में तो एक ?ाटका सा लगा जब पता चला कि मैं इन्हें पसंद नहीं… मातापिता थे नहीं… भाई ने बहुत मन से मेरा विवाह इन के साथ किया था. लगा भाई को बहुत दुख होगा अगर उस से अपना दुख बताऊंगी तो,
इसलिए कभी किसी से शेयर ही नहीं किया कि पति तलाक की धमकी दे रहा है… सोचा समय के साथ शायद सब ठीक हो जाए. और ठीक हुआ भी. ‘‘तुम दोनों के पैदा होने के बाद इन का अलग रूप देखा, तुम दोनों को ये खूब स्नेह देते… कालेज से आते ही तुम दोनों के साथ खूब खेलते… मैं ने यह भी महसूस किया कि मु?ो अपने पेरैंट्स के सामने या उन के आसपास होने पर ये तलाक की धमकियां ज्यादा देते हैं. ‘‘अकेले में इन का व्यवहार कभी खराब भी नहीं रहा. मेरी सारी जरूरतों का हमेशा ध्यान रखते, मैं सम?ाने लगी थी कि ये हम सब को प्यार करते हैं, हमारे बिना नहीं रह सकते. ये धमकियां पूरी तरह से ?ाठी हैं, सिर्फ अपने पेरैंट्स को गुस्सा दिखाने के लिए ज्यादा करते हैं. ‘‘ये अपने पेरैंट्स से इस बात पर नाराज थे कि उन्होंने इन के विवाह के लिए इन की मरजी नहीं पूछी, सीधे अपना फैसला थोप दिया. ‘‘जब मैं ने यह सम?ा लिया तो जीना मुश्किल ही नहीं रहा. पढ़ने का शौक था…
किताबें तो ये ही ला कर दिया करते. पूरा सहयोग किया. तभी तो पी एच डी कर पाई, रातभर बैठ कर पढ़ती तो ये कभी चाय बना कर देते, कभी गरम दूध का गिलास जबरदस्ती पकड़ा देते और अगर अगले दिन अम्मांपिताजी आ जाएं तो तलाक का पुराण शुरू हो जाता, पर मैं इन के मौन प्रेम का स्वाद चख चुकी थी. फिर मु?ा पर कोई धमकी असर न करती,’’ कहतेकहते सुधा हंस दीं. शेखर हैरानी से उन का मुंह देख रहे थे, बोले, ‘‘मतलब तुम्हें जरा भी चिंता नहीं हुई कभी?’’ ‘‘नहीं जनाब, कभी भी नहीं,’’ सुधा मुसकराईं. अनंत और अंजू ने एकदूसरे की तरफ देखा, फिर अनंत बोला, ‘‘ले बहन, और सुनो इन की कहानी. मतलब हम ही बेवकूफ थे जो सारा बचपन डरते रहे कि हाय, मम्मीपापा का तलाक न हो जाए, हमारा क्या होगा. ‘‘हम बच्चे तो कई बार यह बात भी करने बैठ जाते कि पापा के पास कौन रहेगा, मम्मी के पास कौन, हमें तो फिल्मों में देख कोर्ट के सीन याद आते और हम अलग ही प्लानिंग करते. मम्मीपापा बहुत जुल्म किया आप ने बच्चों पर. ये धमकियां हमारे बचपन पर बहुत भारी पड़ी हैं.
’’ शेखर ने अब गंभीरतापूर्वक कहा, ‘‘हां बच्चो, यह मैं मानता हूं कि तुम दोनों के साथ मैं ने अच्छा नहीं किया, मु?ो कभी महसूस ही नहीं हुआ कि मेरे बच्चों के दिलों पर ये धमकियां क्या असर कर रही होंगी… सौरी, बच्चो.’’ अंजू ने चहकते हुए शरारत से कहा, ‘‘वह तो अच्छा है मम्मी ने यह बात एक दिन महसूस कर ली कि आप की तलाक की ये धमकियां हमें डिस्टर्ब करती हैं तो उन्होंने हमें बैठा कर एक दिन सम?ा दिया था कि आप का यह गुस्सा दादादादी को दिखाने का एक नाटक है… कुछ तलाकवलाक कभी नहीं होगा. तब जा कर हम थोड़ा रिलैक्स हुए थे.’’ शेखर अब मुसकराए और फिर नाटकीय स्वर में बोले, ‘‘मतलब मेरी खोखली धमकी का किसी पर भी असर नहीं पड़ रहा था और मैं खुद को तीसमारखां सम?ाता रहा.’’ सुधीर ने प्रिया को देखते हुए कहा, ‘‘प्रिया, अनंत और अंजू कोई धमकी कभी दें तो सीरियसली मत लेना. यार, हमें तो बड़े धमकीबाज ससुर मिले हैं पर यह भी सच है कि आप दोनों की बौंडिंग है तो कमाल… एक सारी उम्र धमकी देता रहा, दूसरा एक कान से सुन कर दूसरे से निकालता रहा… बस बेचारे 2 बच्चे डरते रहे.’’ समवेत हंसी से घर के दरोदीवार चहक रहे थे. शेखर सुधा को मुग्ध नजरों से निहारते रहे.
हाई ब्लडप्रैशर, डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त महिलाओं की गर्भावस्था अधिक जोखिम वाली मानी जाती है. इस दौरान ऐसी महिलाओं पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है.
अधिक जोखिम वाली गर्भावस्था (हाई ब्लडप्रैशर, गर्भावस्था के दौरान ऐक्लैंसिया) और हार्ट अटैक व स्ट्रोक आने की आशंका बढ़ने (8 से 10) के बीच संबंध पाया गया है. ये आंकड़े सामान्य गर्भावस्था वाली महिलाओं की तुलना में जुटाए गए हैं.
जोखिमभरी गर्भावस्था वाली महिलाओं की पहचान की जानी चाहिए और नियमित तौर पर हाई ब्लडप्रैशर, कोलैस्ट्रौल व डायबिटीज के लिए उन की जांच की जानी चाहिए. अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के दिशानिर्देशों के अनुसार, अधिक जोखिम वाली गर्भावस्था के एक साल के भीतर इन महिलाओं की स्वास्थ्य जांच होनी चाहिए.
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आयरन की कमी से हृदय रोग :
एनीमिया में रक्त में औक्सीजन ले जाने वाली मौलिक्यूल हीमोग्लोबीन का स्तर कम हो जाता है और इस से सीधे हार्ट अटैक हो सकता है या फिर व्यक्ति की हृदय संबंधी बीमारियों की गंभीरता बढ़ सकती है.
विटामिन बी1 की कमी के कारण होने वाले एनीमिया से हार्ट पर सीधे असर हो सकता है जिस से हार्ट फेल भी हो सकता है. हालांकि, तुरंत विटामिन बी1 की डोज देने से इस स्थिति को बदला जा सकता है.
एनीमिया आमतौर पर कंजैस्टिव हार्ट फेल्योर और कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसी हृदय संबंधी बीमारियों को बढ़ा देता है. हार्ट फेल होने या एंजाइना की स्थिति में अगर रोगी का हीमोग्लोबीन स्तर 7-8 ग्राम से कम है तो रोगी के लक्षण और प्रोग्नोसिस को ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए सुधारा जा सकता है.
हृदय संबंधी बीमारियों के ज्यादातर रोगी जो दवाएं लेते हैं उन में खून को पतला करने वाले तत्त्व होते हैं, जिस से खून की मात्रा कम हो सकती है. एनीमिक रोग में हृदय संबंधी बीमारी का पता चलने पर इन बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए.
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स्वस्थ हृदय के लिए भोजन :
हमेशा से ही मनुष्य को होने वाली बीमारियों को उस के द्वारा खाए जा रहे भोजन से जोड़ा जाता रहा है. आधुनिक युग में लोगों को होने वाली हृदय संबंधी सब से आम बीमारी कोरोनरी आर्टरी डिजीज का भोजन के साथ गहरा रिश्ता है. आधुनिक भोजन में फैट की मात्रा बहुत अधिक होती है. विशेषतौर पर, सैचुरेटेड फैट का सीधा संबंध कोरोनरी आर्टरी डिजीज से होता है. वहीं दूसरी ओर, फलों और हरी सब्जियों जैसे स्वस्थ भोजन में कई ऐसे तत्त्व पाए जाते हैं जो हृदय की सुरक्षा में प्रभावकारी होते हैं.
कुछ ऐसे भोजन जो स्वस्थ हृदय के लिए सही हैं. जैसे…
स्लीप एप्निया :
इस से अचानक कार्डियेक डैथ यानी एससीडी (लक्षण दिखने के 1 घंटे के भीतर मौत) का जोखिम बढ़ जाता है. औब्स्ट्रक्टिव स्लीप एप्निया यानी ओएसए से एससीडी होने की आशंका 2.5 गुना बढ़ जाती है. ओएसए के दौरान रक्त में बारबार औक्सीजन की कमी (हाइपोक्सिया) होती है. हाइपोक्सिया की इस अवधि के दौरान हृदय में हार्ट रिदम संबंधी विकास उत्पन्न होने लगते हैं. इन रिदम डिस्और्डर में से एक वैंट्रिक्यूलर टैकीकार्डिया/ फाइब्रिलेशन सडन कार्डियेक डैथ के लिए जिम्मेदार होता है.
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ओएसए को कई बार कार्डिएक जोखिम बढ़ाने वाले कारकों जैसे मोटापा, हाइपरटैंशन, डायबिटीज से भी जोड़ा जा सकता है, जिन की वजह से कोरोनरी आर्टरी डिजीज होती हैं. कोरोनरी आर्टरी डिजीज अपनेआप में सडन कार्डिएक डैथ की बड़ी वजह होती हैं. यह भी देखा गया है कि ओएसए और संबंधित बीमारियों का इलाज कराने से एससीडी के मामलों में गिरावट आई है.
हार्ट अटैक के जोखिम कारक :
जोखिम कारक ऐसी क्लीनिकल परिस्थितियां होती हैं जो किसी व्यक्ति या समाज में मौजूद होती हैं, जिन से कोई विशिष्ट बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है. हार्ट डिजीज की बात करें तो इस के लिए कई जोखिम कारकों की पहचान की गई है.
जोखिम कारकों के सब से बड़े अध्ययन, जिस में 52 देशों के पुरुषों व महिलाओं समेत 30 हजार से अधिक लोगों ने प्रतिभागिता की, में सामने आया है कि किसी व्यक्ति को हृदय संबंधी बीमारियां होने की मुख्यतया 9 बुनियादी वजहें होती हैं–
इन जोखिम कारकों की मौजूदगी के मामले में महिलाएं भी पुरुषों से अलग नहीं होती हैं, सिर्फ इन 2 लिहाज से कि महिलाओं में ट्राइग्लिसराइड्स लिपिड व एस्ट्रोजन और ओरल कंस्ट्रासैप्टिव्स भी भूमिका निभाते हैं. इस के अतिरिक्त कोई अंतर नहीं है.
जिन महिलाओं को मासिकधर्म हो रहा हो, उन्हें इस बीमारी से थोड़ी सुरक्षा रहती है. लेकिन डायबिटीज, हाइपरटैंशन, धूम्रपान और मोटापे जैसी समस्याओं ने इस लाभ को काफी हद तक कम कर दिया है.
साइलैंट हार्ट अटैक :
करीब 20 से 25 फीसदी मामलों में हार्ट अटैक का सीने में दर्द जैसा सामान्य लक्षण नहीं दिखता, बल्कि इस में सांस लेने में तकलीफ, अचानक कमजोरी महसूस होना, बेहोशी होना इत्यादि लक्षण दिखते हैं. इस वजह से लोगों का ध्यान इस की तरफ नहीं जाता. इस की तरफ ध्यान तभी जाता है जब व्यक्ति फिजीशियन के पास जा कर ईसीजी और अल्ट्रासाउंड कराता है और उस में हार्ट अटैक होने के लक्षण मिलते हैं.
यह सब से ज्यादा डायबिटीज से पीडि़त व्यक्तियों या बुजुर्गों में दिखता है और इसलिए जब इस आबादी में असाधारण लक्षण दिखें तो उन की ध्यानपूर्वक जांच करना बहुत महत्त्वपूर्ण हो गया है. साइलैंट हार्ट अटैक का इलाज भी सीने में दर्द करने वाले सामान्य हार्ट अटैक जैसा ही होता है.
सामान्य गलतफहमियां :
मौजूदा समय में सब से अधिक मौतों की प्रमुख वजहों में हार्ट अटैक भी शामिल है. इस बीमारी के कारण बड़ी संख्या में होने वाली मौतों को देखते हुए इसे ले कर गई गलत अवधारणाएं भी बन गई हैं.
भारत में हृदय संबंधी बीमारियों को ले कर शीर्ष गलत अवधारणाएं निम्न हैं-
ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम :
अगर किसी महिला नहीं, बल्कि किसी और वजह से आप का दिल टूटा है तो यह गंभीर समस्या है. यह ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम साबित हो सकता है. आमतौर पर इस की वजह गंभीर तनाव वाली परिस्थितियां, जैसे किसी प्रिय की मृत्यु होना या तलाक इत्यादि होती है. यह हार्ट अटैक जैसा ही होता है और इस से हार्ट फेल भी हो सकता है. इस की कोरोनरी एंजियोग्राम और हृदय का अल्ट्रासाउंड (ईको) से जांच कराएं. यह पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है. अच्छी बात यह है कि ज्यादातर मामलों में हृदय कुछ हफ्तों में ही इस से उबर जाता है.
(डा. प्रमोद कुमार, फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली, कार्डियोलौजी विभाग प्रमुख.)