संन्यासी बाबुल एक प्राइवेट बैंक की नौकरी से जिंदगी का सफर शुरू करने वाले बाबुल सुप्रियो के गले का जादू जब दुनिया के सामने आया तो देखते ही देखते वे स्टार बन गए.
कोलकाता और पश्चिम बंगाल से बाहर भी उन्हें दौलत व शोहरत दोनों मिलीं. लेकिन साल 2014 में उन्हें लगा कि संगीत और कला से इतर भी एक मायावी दुनिया और दर्शन है जिस का मकसद हिंदुत्व है तो वे भाजपा के टिकट पर आसनसोल सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ बैठे. जीतने का इनाम उन्हें केंद्र में मंत्री पद की शक्ल में भगवा खेमे ने दिया, लेकिन विधानसभा चुनाव में टालीगंज सीट से उन्हें अप्रत्याशित हार मिली. जिस से उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ कि बंगाल के लोग बेकार के ढकोसले व कट्टरवाद नहीं चाहते.
लिहाजा, उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी. अब जल्द ही सामने आ जाना है कि यह त्याग कहीं और ज्यादा भोग के लालच में तो नहीं किया गया. अब्बा या पापा उत्तर प्रदेश में अब कुछ नहीं होना सिवा चुनाव के. इस का मतलब यह नहीं कि अभी तक वहां कुछ हुआ था. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद को बड़ा हिंदू कह कर योगी आदित्यनाथ की दुखती रग पर हाथ रख दिया है, जिन की नजर में कोई पिछड़ा, दलित हिंदू नहीं हो सकता और मुसलमानों का हिमायती तो कतई नहीं हो सकता, जैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी थीं जिन के चंडीपाठ ने भाजपा को धूल चटा दी थी. उत्तर प्रदेश अखिलेश के लिए एकदम आसान नहीं है. लेकिन चुनावी आगाज उन का सटीक है. जिस से बौखला कर योगी ने मुलायम सिंह यादव को उन का अब्बा कहते भाजपाई एजेंडा सामने रख दिया कि उन की तरफ से मुद्दा राममंदिर ही होगा क्योंकि उन के पास गिनाने को ठोस कुछ है ही नहीं.
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अब भगवा गैंग अगर चुनावी लड़ाई को धर्म, हिंदुत्व और मंदिर के इर्दगिर्द समेटेगी तो उसे नुकसान बंगाल जैसा भुगतना पड़ सकता है. मेनका और ताड़का ताड़का एक यक्ष सुकेतु की पुत्री थी जो सुंदर और विदुषी थी. उस में हजार हाथियों का बल भी था. इस ताड़का से सारे ऋषिमुनि, खासतौर से सफेद दाढ़ी वाले विश्वामित्र, कांपते थे क्योंकि वह उन्हें यज्ञहवन नहीं करने देती थी. वजह यह थी कि इन कर्मकांडों में पेड़ बहुतायत से कटते थे जिस से पर्यावरण प्रभावित होता था और निरीह पशुओं की बलि भी दी जाती थी. श्रेष्ठियों ने राम से ताड़का को मरवा डाला और फिर खूब मनमानी की. उसे बदनाम करने के लिए उसे बदसूरत और राक्षसी कहा गया. अब भगवा गैंग की मेनका बनी मुंहफट व उद्दंड अभिनेत्री कंगना रानौत ने ममता बनर्जी को ताड़का कह डाला, जिस पर एतराज की कोई बात नहीं, क्योंकि ममता, मोदी-शाह-भागवत के यज्ञ में बड़ा अड़ंगा हैं और लाख कोशिशों व साजिशों के बाद भी मतदाताओं ने उन्हें ही असली और भेदभावरहित शासक माना.
रूपसी कंगना का पौराणिक ज्ञान श्रुतिस्मृति पर ही आधारित है जो ताड़का की ताकत नहीं जानती कि वह सूरत नहीं, बल्कि सीरत है. मीनाक्षी ने दिखाया आईना उम्मीद की जा रही थी कि जम्मूकश्मीर से धारा 370 बेअसर होने के बाद वहां सरकार कश्मीरी पंडितों के पांव पूज कर बसाने ले जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ तो देशभर में फैले कश्मीरी पंडितों का भ्रम टूट रहा है जिसे चूरचूर करते हाल ही में मंत्री बनाई गईं नई दिल्ली की तेजतर्रार सांसद मीनाक्षी लेखी ने कहा, ‘पंडित खुद घाटी में वापस नहीं जाना चाहते तो हम क्या कर सकते हैं.’ इतना ही नहीं, उन्होंने कश्मीरी पंडितों की तुलना कोरोनाकाल के भगोड़ों से भी कर दी.
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इस पर खूब बवंडर मचा और भाजपा व आरएसएस भी सकते में आ गए कि मीनाक्षी को दीक्षित और संस्कारित करने में कहां चूक हो गई. अब जो भी हो, मीनाक्षी ने बिना किसी डर व पूर्वाग्रह के हकीकत बयान कर दी है जिस के लिए शाबाशी की हकदार तो वे हैं.