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2 मिलियन के पार हुए Rupali Ganguly के फॉलोवर्स ,एक्ट्रेस ने फैंस को कहा धन्यवाद

अनुपमा फेम रूपाली गांगूली ने अपने इंस्टाग्राम पर 2 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स को पार कर ली हैं. इस बात की खुशी अदाकारा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपने फैंस के साथ इस खुशी को जाहिर किया है. वह अपनी इस खुशी को शेयर करते हुए लिखी हैं कि इतना सारा प्यार देने के लिए आप सभी का शुक्रिया.

आप लोगों ने अपनी अनुपमा को जितना प्यार दिया है इसका कोई जवाब नहीं है. मैं चाहती हूं कि आप सभी के साथ मैं पर्सनली मिलूं लेकिन इतना ज्यादा संभव नहीं हो पा रहा है. हम सबका  रिश्ता अटूट है, आप सभी का धन्यवाद करती हूं जिन्होंने मुझे इतना ज्यादा प्यार दिया.

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अब हमारा परिवार 2 मिलियन का हो गया है और मैं उम्मीद करती हूं कि आगे भी हमारा परिवार और ज्यादा बढ़ेगा.

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सीरियल अनुपमा से  रूपाली गांगूली की लोकप्रियता और भी ज्यादा बढ़ गई है, फैंस पहले से भी ज्यादा उन्हें पसंद करने लगे हैं. अनुपमा की टीआरपी लिस्ट इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग उन्हें देखे बिना नहीं रह पा रहे हैं.

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अदाकारा अनुपमा टीवी सीरियल में काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं. रूपाली गांगूली की एक्टिंग लोगों को इतनी ज्यादा पसंद है कि लोग इस सीरियल को देखें बिना नहीं रह पाते हैं. सेट पर रूपाली गांगूली अपने साथी कलाकार के साथ काफी ज्यादा मस्ती करती नजर आती हैं. जिसका वीडियो आए दिन सोशल मीडिया पर वायरल होते रहता है. फैंस भी इस वीडियो को बहुच चाव से देखते हैं.

मैं अपने छोटे बेटे की शादी बहू की बहन से करवाना चाहती हूं, क्या यह सही है?

सवाल

मैं 53 वर्षीया महिला और 2 बेटों और 2 बेटियों की मां हूं. मेरे 3 बच्चों की शादी हो चुकी है और चौथे की होनी बाकी है. मेरी दोनों बेटियों की शादी एक ही घर में हुई है और मैं चाहती हूं कि मेरे छोटे बेटे की शादी बड़े बेटे की ससुराल में ही हो. मेरी बहू की बहन मेरे बेटे के लिए बहुत ही सही है और मेरे बेटे को बहुत पसंद भी है. लेकिन, मेरी बहू के मायके वाले यह कह कर बात टालते रहते हैं कि उन की बेटी अभी बस 21 साल की है और पढ़ाई कर रही है. मैं ने अपनी बहू से भी कहा है कि अपने घर में बात करे लेकिन वह भी आनाकानी करती रहती है. मुझे समझ नहीं आता कि बहू के घर वालों को अपनी दोनों बेटियों को एक ही घर में ब्याहने में क्या दिक्कत है. कुछ उपाय बताइए.

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जवाब

आप की बातें सुन कर पहले तो मैं आप को यही कहना चाहूंगी कि एक ही घर में बेटे या बेटियों की शादी करना जरूरी नहीं है. जरूरी नहीं कि एक घर के दोनों ही बेटे एक ही घर की दोनों बेटियों के लिए कुशल हों. आप की बहू आनाकानी कर रही है या उस के घरवाले बहाने बना रहे हैं तो इस का साफ सीधा सा अर्थ यह है कि वे नहीं चाहते कि उन की दूसरी बेटी की शादी भी आप ही के घर में हो. और यकीन मानिए इस में कुछ गलत भी नहीं है.

इस के पीछे कई कारण हो सकते हैं और हर कारण अपनी जगह सही भी होगा. यह आप के संबंधियों का निजी फैसला है कि वे अपनी दूसरी बेटी की शादी कहां करना चाहते हैं और कहां नहीं. आप को ऐसी स्थिति में किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए और स्थिति को समझना चाहिए. आप की एक ही घर में बेटों की शादी का खयाल सही नहीं है, आप को यह समझना चाहिए.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

अच्छे लोग : भाग 4

प्रियांशु के वकील ने एकएक सुबूत जब अपने तर्कों के साथ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए तो सब की आंखें आश्चर्य और अविश्वास से चौड़ी हो गईं. स्वयं न्यायाधीश हैरान थे. अखिला और उस के मांबाप सिर झुकाए एकतरफ खड़े थे. उन के वकील की बोलती बंद थी. भले ही उस ने सारे सुबूतों को झूठ और गढ़ा हुआ बताया था, परंतु सच को चीखने की आवश्यकता नहीं होती. अखिला और उस के आवाज की रिकौर्डिंग ने सारी साजिश से परदा उठा दिया था. अखिला ने अपने प्रेमी की सलाह पर ससुराल वालों पर मारपीट का झूठा मुकदमा दर्ज करवाया था.

अखिला के वकील ने तर्क दिया, ‘‘मी लार्ड, ये सारे सुबूत झूठे हैं और जानबूझ कर फैब्रिकेट किए गए हैं. इन की कोई फोरेंसिक जांच नहीं हुई है. इन को रिकौर्ड पर ले कर माननीय न्यायालय अपना समय बरबाद कर रहा है. इन की बिना पर मुलजिम को जमानत नहीं दी जा सकती.’’

न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘क्या आप चाहते हैं कि इस की फ़ोरेंसिक जांच हो? अगर हां, तो वादी और उस के तथाकथित प्रेमी की आवाज के सैंपल ले कर जांच करवाई जाए.’’

इस पर वकील ने अखिला और उस के मांबाप की तरफ देखा. अखिला तो अपना सिर इस तरह नीचे झुकाए खड़ी थी, जैसे किसी ने उस के ऊपर थूक दिया था. उस के मातापिता ने इनकार में सिर हिला दिया. वकील ने उन के पास आ कर पूछा, ‘‘जांच करवाने में क्या हर्ज है?’’

अखिला के पिता ने कहा, ‘‘मैं जानता हूं, ये सारे सुबूत सही हैं. आगे जांच करवा कर मैं और फजीहत नहीं करवाना चाहता. इस लडक़ी ने हमें कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा. आप इस मामले को यहीं समाप्त कर दें.’’

हालांकि कोई वकील ऐसा नहीं चाहता. वह किसी न किसी तरीके से मामलों को बढ़ाते रहना चाहता है. लेकिन यहां उस का तर्क किसी काम नहीं आया. अखिला के पिता से स्वयं न्यायाधीश ने पूछा, ‘‘क्या आप को मुलजिम की जमानत पर कोई एतराज है?’’

‘‘नहीं, मी लार्ड.’’‘‘वादी का क्या कहना है?’’अखिला थोड़ा आगे बढ क़र बोली, ‘‘मुझे कोई एतराज नहीं, परंतु मैं अपनी ससुराल नहीं जाना चाहती.’’ ‘‘यह बात मुकदमे के दौरान कहना. आज केवल प्रतिवादी की जमानत की सुनवाई हो रही है.’’अखिला ने सहमति दे दी. कोर्ट ने प्रियांशु की जमानत मंजूर कर ली. शाम को वह जेल से छूट कर घर आ गया.

अब सारी चीजें शीशे की तरफ साफ थीं. आसमान से धुंध छंट चुकी थी. अखिला के असामान्य व्यवहार का कारण पता चल गया था. रमाकांत के परिवार के पास ऐसे सुबूत आ गए थे कि वे अगली दोतीन सुनवाई में मामले में बाइज्जत बरी हो सकते थे. मामले में बहुत ज्यादा गवाह भी नहीं थे. अखिला का बयान अहम था, परंतु सुबूतों के मद्देनजर उस के बयान की धज्जियां उड़ जाएंगी.

रमाकांत को अखिला के मातापिता की चुप्पी खल रही थी. वे उन से बात करना चाहते थे. जब उन्हें पता था कि उन की बेटी जिद्दी और क्रोधी है, हर प्रकार से अपनी बात मनवा लेती है, तो फिर उन के बेटे से शादी कर उन्हें क्यों मुसीबत में डाला. शादी भी हो गई, तो क्यों नहीं अपनी बेटी को समझा पाए. घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होने के बाद भी उन्हें सचाई से अवगत नहीं कराया. अपनी बेटी का ही पक्ष लेते नजर आए.

रमाकांत ने अवनीश को फोन किया, ‘‘भाईसाहब, हम आप से कुछ बात करना चाहते हैं? क्या आप हमारे घर आ सकते हैं?’’अवनीश ने शर्मिंदगी के साथ कहा, ‘‘भाईसाहब, मुझे खेद है कि  अखिला की वजह से आप के परिवार को इतनी मुसीबत झेलनी पड़ी.’’‘‘आप चाहते तो यह मुसीबत कम हो सकती थी,’’ रमाकांत ने कुछ तल्खी के साथ कहा.

‘‘मैं समझता हूं कि मुझ से बहुत बड़ी गलती हुई है, परंतु आप मेरी मजबूरी समझ सकते हैं. कोई भी बाप अपनी बेटी को जानबूझ कर बरबादी के गड्ढे में नहीं धकेल सकता. वह जिस लडक़े के साथ शादी करना चाहती थी, उस की न तो कोई सामाजिक हैसियत है, न कोई अच्छा कमानेखाने वाला है.’’‘‘आप मुझे तो अपने दिल की बात बता सकते थे,’’ रमाकांत ने कहा.

‘‘भाईसाहब, शादीब्याह में कौन मांबाप अपनी बेटी के प्रेम के बारे में बताता है. ये सब बातें तो छिपाई जाती हैं. परंतु मुझे नहीं पता था कि अखिला उस लडक़े के बहकावे में आ कर इस हद तक गिर जाएगी. उसे तलाक चाहिए था तो और भी तरीके थे. आप के खिलाफ  हिंसा का मामला दर्ज करवा कर जेल भिजवा दिया. मैं बहुत शर्मिंदा हूं.’’

‘‘आप उसे यह झूठा मुकदमा दर्ज करने से तो रोक सकते थे?’’‘‘इसी बात का तो मुझे मलाल है. वह आप के घर से निकलने के बाद सीधे थाने गई थी. मुकदमा  दर्ज करवा कर ही घर आई थी. मुझे पता ही नहीं चला.’’‘‘चलिए, अब आप के शर्मिंदा होने से भी क्या फर्क पड़ता है. आप के ऊपर जो कीचड़ उछलना था, वह उछल चुका. हमारे जीवन में जो कष्ट लिखे थे, वे हम भुगत चुके. अब सोचिए, आगे क्या करना है? आप की बेटी क्या चाहती है?’’

‘‘आप लोग क्या चाहते हैं?’’ अवनीश ने बहुत विनम्रता से पूछा.‘‘अभी हम कुछ नहीं कह सकते. मुकदमा खत्म होगा, तभी कुछ विचार करेंगे. आप क्या समझते हैं कि इतना कष्ट झेलने के बाद, जेल की हवा खाने के बाद क्या हम इतना उदार होंगे कि अखिला को अपने घर की बहू बना कर रख सकें.’’

‘हां, भाईसाहब, ऐसा तो मुमकिन नहीं लगता, परंतु आप बहुत उदार हैं, क्षमाशील हैं. अखिला की नादानी को भूल कर उसे माफ कर सकते हैं. उस ने अपने दांपत्य जीवन को बरबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, परंतु आप चाहेंगे, तो…’’ अवनीश ने जानबूझ कर वाक्य को अधूरा छोड़ दिया.

‘‘आप एक बार अखिला से बात कर के देखिए. अगर वह तलाक चाहती है, तो हम सहर्ष उसे देने के लिए तैयार हैं.’’‘‘अगर वह आप के घर जाना चाहे तो…?’’‘‘वह तो भरी अदालत में कह चुकी है कि हमारे यहां नहीं आना चाहती. फिर भी हमें प्रियांशु से बात करनी होगी. सबकुछ उस के ऊपर निर्भर करता है. एक बार हम उस की जिंदगी नर्क बना चुके हैं. दोबारा उसे नर्क में नहीं धकेल सकते.’’

‘‘ठीक है, हम अखिला से बात कर के एकदो दिनों में आप से मिलते हैं.’’उचित अवसर पर अवनीश ने अखिला को समझाते हुए कहा, ‘‘बेटा, अपने भविष्य के लिए तुम ने जो रास्ता चुना है, वह तुम्हें कहीं नहीं ले जाएगा. तुम ने देख लिया कि अब तुम मुकदमा नहीं जीत सकतीं. झूठे तथ्यों के आधार पर तुम्हें प्रियांशु से तलाक भी नहीं मिल सकता. अगर वे देना चाहेंगे, तभी यह संभव है, परंतु इतनी मक्कारी और फरेब के बाद भी क्या तुम्हें अक्ल नहीं आएगी कि इज्जतपूर्ण वैवाहिक जीवन अच्छा है या सारे नातेरिश्तों को तोड क़र एक अजनबी व्यक्ति के साथ जीवन व्यतीत करना.

पपीते की फसल में विषाणु रोग प्रबंधन

लेखक-आरएस सेंगर और रेशू चौधरी

पपीते की फसल में विषाणु रोग प्रबंधन भारत के ज्यादातर हिस्सों में पपीते की खेती होती है. इस फल को कच्चा और पका कर दोनों ही तरीके से इस्तेमाल में लाया जाता है. इस फल में विटामिन ए की मात्रा अच्छी पाई जाती है, वहीं अच्छी मात्रा में इस में पानी भी होता है, जो त्वचा को नम बनाए रखने में मददगार है. अगर पपीते की उन्नत तरीके से खेती की जाए, तो कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस की खेती के साथ इस की अंत:वर्तीय फसलों को भी बोया जा सकता है, जिन में दलहनी फसल जैसे मटर, मेथी, चना, फ्रैंचबीन व सोयाबीन आदि हैं.

अब पपीते की खेती पूरे भारत में की जाने लगी है. सालोंसाल आसानी से मिलने वाला पपीता बहुत ही फायदेमंद फल है और आज के समय में पपीता ज्यादातर लोगों की पसंद भी है, क्योंकि यह ऐसा गुणकारी फल है, जो पेट की अनेक समस्याओं को दूर करता है. इस की खेती करना भी आसान है. कम समय में यह अच्छाखासा मुनाफा देने वाली फसल हैं. शौकिया तौर पर लोग सालोंसाल अपने घर के बगीचे में इसे लगाते आए हैं या खाली पड़ी आसपास की जगह पर इस को उगा कर फायदा लेते रहे हैं. आज के दौर में अनेक किसान पपीते की खेती कर के अपनेआप को प्रगतिशील किसानों की दौड़ में शामिल कर चुके हैं, क्योंकि इसे उगाना आसान, बेचना आसान और मुनाफा ज्यादा है.

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सघन बागबानी पपीता उत्पादकों के लिए यह एक नई विधि है, जिसे अपना कर वे उत्पादकता और अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं. इस विधि का इस्तेमाल पपीता उत्पादकों द्वारा किया जाने लगा है, लेकिन अभी भी अनेक पपीता उगाने वाले किसान इस विधि से अनजान हैं. सघन बागबानी तकनीक में पौध की प्रति इकाई संख्या बढ़ा कर जमीन का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है, जिस से ज्यादा पैदावार ली जा सके. पपीते की कुछ किस्मों के पौधे बौने होते हैं, जो सघन बागबानी के लिए उत्तम हैं. दिनप्रतिदिन खेती की जोत कम होती जा रही है. ऐसे में पपीते की सघन बागबानी कर के पैदावार बढ़ाने के लिए यह एक खास तरीका है. पपीते का इस्तेमाल कच्चे व पके फल के रूप में किया जाता है.

इस के अलावा इस से मिलने वाला पपेन का भी इस्तेमाल अनेक औद्योगिक कामों में किया जाता है. खेत में अगर ड्रिप इरिगेशन यानी बूंदबूंद सिंचाई की विधि से पानी दिया जाता है, तो इस से पानी सीधे पौधे की जड़ों में जाता है और बरबाद नहीं होता. इस पद्धति से खेती करने पर सरकार आम किसानों को 50 फीसदी अनुदान और एसटी और एससी, लघु, सीमांत और महिला किसानों को 50 फीसदी अनुदान देती है. बूंदबूंद सिंचाई से पपीते में पानी देते हैं. आप देख सकते हैं कि हम सामान्य विधि से पूरे खेत में पानी देते हैं और इस विधि में सिर्फ पौधे की जड़ों में पानी जा रहा है.

इस से तकरीबन 85 फीसदी पानी की बचत होती है. यदि किसान पपीते की बागबानी से ज्यादा उत्पादन लेना चाहते हैं, तो समय रहते इन सब की रोकथाम जरूरी है. यहां बागबानों के लिए पपीते के प्रमुख विषाणु रोग, उन के लक्षण और रोकथाम की जानकारी का पूरा ब्योरा दिया जा रहा है. पपीते की खेती के लिए सही जलवायु इस की खेती गरम नमीयुक्त जलवायु में की जा सकती है. इसे अधिकतम 38 से 44 डिगरी सैल्सियस तक के तापमान पर उगाया जा सकता है. इस के साथ ही न्यूनतम 5 डिगरी सैल्सियस से कम तापमान नहीं होना चाहिए. पपीते को लू और पाले से भी बहुत नुकसान होता है. पपीते की खेती का उचित समय इस की खेती साल के बारहों महीने की जा सकती है.

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लेकिन फरवरी, मार्च व अक्तूबर के मध्य का समय सही माना जाता है. इन महीनों में उगाए गए पपीते की बढ़वार काफी अच्छी होती है. पपीते की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी पपीता बहुत ही जल्दी बढ़ने वाला पेड़ है, इसलिए इसे साधारण जमीन, थोड़ी गरमी और अच्छी धूप मिलना अच्छा होता है. इस की खेती के लिए 6.5-7.5 पीएच मान वाली हलकी दोमट या दोमट मिट्टी सही मानी जाती है, जिस में जल निकास का अच्छा इंतजाम हो. पपीते की उन्नत किस्में * पूसा डोलसियरा * पूसा मेजेस्टी * रैड लेडी 786 (संकर किस्म) पपीते से मिली उपज पपीते की उन्नत किस्मों से प्रति पौधे 35 से 50 किलोग्राम उपज मिल जाती है. पपीते का एक स्वस्थ पेड़ एक सीजन में तकरीबन 40 किलोग्राम तक फल देता है.

पपीते की फसल में विषाणु रोग प्रबंधन बागबानी में अधिक लाभ की दृष्टि से पपीते की फसल अति लाभकारी है, किंतु पपीते की फसल में विषाणु एक प्रमुख समस्या है, जिस की जानकारी की कमी में किसानों को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है. अगर समय रहते इन का प्रबंधन न किया गया, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. रिंग स्पौट वायरस इस रोग का कारण विषाणु है, जो कि माहू द्वारा फैलता है. इस के कारण पौधे की वृद्धि रुक जाती है. पत्ती कटीफटी सी हो जाती है और हर गांठ पर कटेफटे पत्ते निकलते हैं. पत्ती, तनों और फलों पर गोलाकार धब्बे बन जाते हैं. नतीजतन, फल व पौध वृद्धि प्रभावित होती है. इस रोग के गंभीर आक्रमण के हालात में 50-60 फीसदी तक नुकसान हो जाता है.

नियंत्रण

* बागों में साफ सफाई रखें.

* शाम को खेत में धुआं करें.

* रोगग्रस्त पौधे को उखाड़ कर जला दें.

* पपीते के बगीचे के आसपास कद्दूवर्गीय कुल के पौधे नहीं होने चाहिए.

* नीम सीड कर्नल अर्क या नीम के तेल का इस्तेमाल 10 से 15 दिन के अंतराल पर करते रहें.

* माहू के नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट दवा 0.1 फीसदी का इस्तेमाल करें.

* बारिश के बाद बाग लगाने पर यह रोग कम दिखाई देता है. लीफ कर्ल विषाणु रोग यह भी विषाणुजनित रोग है, जो सफेद मक्खी के द्वारा फैलता है. इस वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं. इस रोग से 70-80 फीसदी तक नुकसान हो जाता है.

नियंत्रण

* स्वस्थ पौधों का रोपण करें.

* शाम को खेत के आसपास धुआं करें.

* रोगी पौधों को उखाड़ कर खेत से दूर गड्ढे में दबा कर नष्ट करें.

* सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए नीम का तेल 0.2 5-7 दिन के अंतराल पर या इमिडाक्लोप्रिड कीटनाशक 0.1 का इस्तेमाल करें.

* फसल रोपण से पहले ज्यादा जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, हस्तिनापुर, मेरठ से संपर्क करें. मात्रा पाउडरी मिल्ड्यू रोग की रोकथाम के लिए हेक्सास्टौप की 300 ग्राम/एकड़ मात्रा सही रहती है. पपीते का वलयचित्ती रोग पपीते के वलयचित्ती रोग को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है. जैसे कि पपीते की मोजेक, विकृति मोजेक, वलयचित्ती (पपाया रिंग स्पौट), पत्तियों का संकरा व पतला होना, पर्ण कुंचन और विकृति पर्ण आदि.

पौधों में यह रोग उस की किसी भी अवस्था पर लग सकता है, पर एक साल पुराने पौधे पर रोग लगने की अधिक संभावना रहती है. रोग के लक्षण सब से ऊपर की मुलायम पत्तियों पर दिखाई देते हैं. रोगी पत्तियां चितकबरी व आकार में छोटी हो जाती हैं. पत्तियों की सतह खुरदरी होती है और इन पर गहरे हरे रंग के फफोले से बन जाते हैं. पर्णवृत छोटा हो जाता है और पेड़ के ऊपर की पत्तियां खड़ी होती हैं.

पत्तियों का आकार अकसर प्रतान (टेनड्रिल) के अनुरूप हो जाता है. पौधों में नई निकलने वाली पत्तियों पर पीला मोजेक और गहरे हरे रंग के क्षेत्र बनते हैं. ऐसी पत्तियां नीचे की तरफ ऐंठ जाती हैं और उन का आकार धागे के समान हो जाता है. पर्णवृत व तनों पर गहरे रंग के धब्बे और लंबी धारियां दिखाई देती हैं.

फलों पर गोल जलीय धब्बे बनते हैं. ये धब्बे फल पकने के समय भूरे रंग के हो जाते हैं. इस रोग के कारण रोगी पौधों में लैटेक्स और शर्करा की मात्रा स्वस्थ पौधों की अपेक्षा काफी कम हो जाती है. रोग के कारण यह रोग एक विषाणु द्वारा होता है, जिसे पपीते का वलयचित्ती विषाणु कहते हैं.

यह विषाणु पपीते के पौधों और अन्य पौधों पर उत्तरजीवी बना रहता है. रोगी पौधों से स्वस्थ पौधों पर विषाणु का संचरण रोगवाहक कीटों द्वारा होता है, जिन में से ऐफिस गोसिपाई और माइजस पर्सिकी रोगवाहक का काम करती है. इस के अलावा रोग का फैलाव, अमरबेल व पक्षियों द्वारा होता है. पर्ण कुंचन पर्ण कुंचन (लीफ कर्ल) रोग के लक्षण केवल पत्तियों पर दिखाई पड़ते हैं.

रोगी पत्तियां छोटी व झुर्रीदार हो जाती हैं. पत्तियों का विकृत होना और इन की शिराओं का रंग पीला पड़ जाना रोग के सामान्य लक्षण हैं. रोगी पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं और नतीजतन ये उलटे प्याले के अनुरूप दिखाई पड़ती हैं. यह पर्ण कुंचन रोग का विशेष लक्षण है. पत्तियां मोटी, भंगुर और ऊपरी सतह पर अतिवृद्धि के कारण खुरदरी हो जाती हैं. रोगी पौधों में फूल कम आते हैं. रोग की तीव्रता में पत्तियां गिर जाती हैं और पौधे की बढ़वार रुक जाती है.

रोग के कारण यह रोग पपीता पर्ण कुंचन विषाणु के कारण होता है. पपीते के पेड़ स्वभावत: बहुवर्षी होते हैं, इसलिए इस रोग के विषाणु इन पर सरलतापूर्वक उत्तरजीवी बने रहते हैं. बगीचों में इस रोग का फैलाव रोगवाहक सफेद मक्खी बेमिसिया टैबेकाई के द्वारा होता है. यह मक्खी रोगी पत्तियों से रस चुसते समय विषाणुओं को भी प्राप्त कर लेती है और स्वस्थ पत्तियों से रस चुसते समय उन में विषाणुओं को संचरित कर देती है. मंद मोजेक इस रोग का विशिष्ट लक्षण पत्तियों का हरित कर्बुरण है, जिस में पत्तियां विकृत वलय चित्ती रोग की भांति विकृत नहीं होती हैं.

इस रोग के शेष लक्षण पपीते के वलय चित्ती रोग के लक्षण से काफी मिलतेजुलते हैं. यह रोग पपीता मोजेक विषाणु द्वारा होता है. यह विषाणु रससंचरणशील है. यह विषाणु भी विकृति वलय चित्ती विषाणु की भांति ही पेड़ व दूसरे परपोषियों पर उत्तरजीवी बना रहता है. रोग का फैलाव रोगवाहक कीट माहू द्वारा होता है. रोग प्रबंधन विषाणुजनित रोगों की रोग प्रबंधन संबंधित समुचित जानकारी अभी तक नहीं हो पाई है, इसलिए निम्नलिखित उपायों को अपना कर रोग की तीव्रता को कम किया जा सकता है :

* बागों की सफाई रखनी चाहिए व रोगी पौधे के अवशेषों को इकट्ठा कर के नष्ट कर देना चाहिए.

* नए बाग लगाने के लिए स्वस्थ व रोगरहित पौधे को चुनना चाहिए.

* रोगग्रस्त पौधे किसी भी उपचार से स्वस्थ नहीं हो सकते हैं, इसलिए इन को उखाड़ कर जला देना चाहिए, वरना ये विषाणु का एक स्थायी स्रोत हमेशा ही बने रहते हैं और साथसाथ अन्य पौधों पर रोग का प्रसार भी होता रहता है.

* रोगवाहक कीटों की रोकथाम के लिए कीटनाशी दवा औक्सीमेथिल ओ. डिमेटान (मेटासिस्टौक्स) 0.2 फीसदी घोल 10-12 दिन के अंतर पर छिड़काव करना चाहिए.

फुरसतिया इश्क

फुरसतिया इश्क – भाग 1 : लोकेश के प्यार में पागल थी ममता

बार बार बजती मोबाइल की घंटी से परेशान हो कर ममता ने स्कूटर रोक कर देखा. जैसा कि उसे अंदेशा था, दादी का ही फोन था. झुंझलाते हुए ममता ने फोन काट कर स्कूटर आगे बढ़ा दिया.

‘‘क्या घड़ीघड़ी फोन कर के परेशान करती रहतीं… आप तो सारा दिन खाली बैठी रहती हैं… लेकिन मुझे तो नौकरी करनी है न… बौस जब छोड़ेगा तभी आऊंगी… प्राइवेट जौब है… बाप की कंपनी नहीं कि मेरी मनमरजी चले…’’ आधे घंटे बाद दनदनाती हुई ममता घर में घुसी और घुसते ही अपनी दादी गायत्री पर बरस पड़ी.

‘‘घड़ी देखी है? रात के 10 बज रहे हैं… फिक्र नहीं होगी क्या?’’ गायत्री आपे से बाहर होते हुए उसे हाथ पकड़ कर घड़ी के सामने ले गई.

‘‘बच्ची नहीं हूं मैं जो घड़ी से बंध जाऊं… और आप? कब तक मैं आप का बोझ ढोती रहूंगी? मैं ने जिंदगीभर आप को पालने का ठेका नहीं ले रखा… बूआजी के पास क्यों नहीं चली जातीं ताकि मैं शांति से रह सकूं…’’ ममता गुस्से में चिल्लाई. उसे दादी की यह हरकत बहुत ही नागवार गुजरी. उस ने उन का हाथ झटक दिया. गायत्री दर्द से बिलबिला उठीं, आंखों में आंसू भर आए. वे चुपचाप अपने बिस्तर पर लेट गईं. उन्हें ममता से इस व्यवहार की जरा भी उम्मीद नहीं थी. शरीर से भी ज्यादा दर्द दिल में हो रहा था.

‘‘यह वही ममता है जिसे पिछले 10 सालों से मैं अपने दिल से लगाए जी रही हूं. बेटेबहू को दुर्घटना में खोने के बाद उन की इस आखिरी निशानी को सहेजने में मैं ने अपनी सारी उम्र झोंक दी और आज जवान होते ही मैं उसे बोझ लगने लगी…’’ गायत्री रातभर सोचती और सिसकती रहीं. आज उन्होंने खाना भी नहीं खाया. ममता ने भी पूछा नहीं.

सुबह होते ही गायत्री ने अपनी बेटी रमा को फोन कर रात की सारी घटना कह सुनाई. रमा ने तुंरत फोन पर ममता को आड़े हाथों लिया. मगर ममता भी रात से भरी बैठी थी. उस ने भी बूआ को खरीखोटी सुना दी. गुस्साती हुई रमा दोपहर तक आईं और शाम होतेहोते गायत्री को अपने साथ ले गईं.

ममता यही तो चाहती थी. अब वह पूरी तरह आजाद थी. उस के और लोकेश के बीच अब कोई दीवार नहीं रहेगी. वह उस के साथ उन्मुक्त विचरण करेगी. लोकेश के साथ की कल्पना करते ही उस के गाल लाल हो गए.

लोकेश उस का बौस है. 40 साल के लोकेश और 25 साल की ममता की जोड़ी कहीं से भी मेल नहीं खाती, मगर इश्क उम्र कहां देखता है. वह तो बस हो जाता है… ममता को भी हो गया.

लोेकेश शादीशुदा है, मगर अपनी पत्नी को यहां शहर में अपने साथ नहीं रखता. वह गांव में उस के मांबाप की सेवा करती है. लोकेश के 2 बच्चे भी हैं, मगर ममता को इन सब से कोई लेनोदना नहीं. वह तो लोकेश की दीवानी है.

कितना प्यार आता है उसे लोकेश पर जब वह उस की बांह छुड़ा कर औफिस से घर के लिए रवाना होती है और वह उसे दीवानों की तरह अपलक ताकता रहता है. लोकेश ने कितनी ही बार इशारोंइशारों में ममता के साथ रात बिताने की इच्छा जाहिर की, मगर दादी के चलते वह उसे स्वीकार नहीं कर सकी थी. मगर अब वह दादी नाम की उस बेड़ी को उतार फेंक चुकी है. अब उस के पांवों को कोई नहीं रोक सकता लोेकेश के पास जाने से.

अभी परसों की ही तो बात है. जब वह औफिस से घर के लिए निकल रही थी. लोकेश ने रोमांटिक होते हुए उस का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और फिर गुनगुनाया, कि अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं. बस तभी से वह उस की बांहों में पूरी तरह सिमट जाने को बैचैन हो उठी थी.

‘‘लो, मैं आ गई… अब कर लो अपनी हसरतें पूरी…’’ सुबहसुबह ममता को आया देख कर लोकेश चौंक गया. उस के पीछेपीछे आती उस महिला को देख कर ममता भी सकपका गई. उस महिला ने अपनी प्रश्नवाचक नजरें लोकेश पर गड़ा दीं.

‘‘यह ममता हैं… दिल्ली से आई हैं…

आज यहां औफिस में मीटिंग है… मैं ने ही इन से कहा था कि सीधे घर आ जाएं, फिर साथ ही चलेंगे… ममता यह मालती है… मेरी पत्नी…’’ लोकेश ने स्थिति को संभालने की कोशिश की, लेकिन किसी आंतरिक डर के कारण उस की लड़खड़ाती जबान को साफसाफ महसूस किया जा सकता था.

ममता इस अप्रत्याशित स्थिति के लिए तैयार नहीं थी. वह अपनेआप को बहुत अपमानित सा महसूस कर रही थी. उस ने किसी तरह वहां 2 घंटे बिताए और फिर लोकेश के साथ गाड़ी में बैठ गई. उस का मूड उखड़ा हुआ था.

‘‘अरे यार, तुम भी कमाल करती हो… इस तरह धमकने से पहले बता तो देती,’’ लोकेश ने उस का मूड ठीक करने की कोशिश की. ममता चुप रही.

‘‘यह तो मालती जरा सीधीसादी गांव की महिला है वरना बवाल मच जाता,’’ लोकेश ने फिर से बातचीत शुरू करने की कोशिश की.

ममता खिड़की से बाहर देखती रही. औफिस आ चुका था. लोकेश ने गाड़ी पार्किंग में लगा दी.

‘‘शाम को मेरा इंतजार करना, घर छोड़ दूंगा,’’ लोकेश ने उस के गाल थपथपाने चाहे, मगर ममता ने उस का हाथ झटक दिया. आज उस का काम में जरा भी मन नहीं लग रहा था. वह तय भी नहीं कर पा रही थी कि यह लोेकेश से सिर्फ नाराजगी है या उन के रिश्ते में दरार पड़ चुकी है. वह लोकेश को तो चाहती थी, मगर मालती की मौजूदगी को स्वीकार नहीं कर पा रही थी. मालती की सचाईर् से भी वह वाकिफ थी तो फिर दिल में दर्द क्यों महसूस कर रही है?

‘‘आज यहीं रुकने का इरादा है क्या? कहो तो बिस्तर मंगवा लूं?’’ लोकेश की आवाज सुन कर ममता चौंकी. कोई और दिन रहा होता तो उस का प्रस्ताव सुन कर वह भी चुहल पर उतर आती, मगर आज उस का उत्साह बिलकुल फीका पड़ चुका था.

‘‘चलो, तुम्हें घर छोड़ दूं,’’ लोकेश ने कहा तो ममता उस के पीछेपीछे चल दी. घर पहुंचते ही दिनभर से रोका हुआ उस के आंसुओं का बांध टूट गया और वह जोरजोर से रोने लगी. लोकेश ने उसे कस कर जकड़ लिया. ममता के पास कहने को बहुत कुछ था, मगर शब्दों का जैसे अकाल सा पड़ गया था.

वह रोती रही, लोकेश उस की पीठ सहलाता रहा… उस के बालों में हाथ फिराता रहा. उसे चूमता रहा… दर्द और मानसिक पीड़ा से गुजरती हुई वह कब उसे समर्पित हो गई दोनों को ही पता नहीं चला.

‘‘सुनो ममता, प्रेम का रिश्ता बहुत नाजुक होता है.. जरा सी ठेस से टूट जाता है… मालती को किसी तरह का कोई शक नहीं होना चाहिए… हमें बहुत सावधानी रखनी होगी… तुम समझ रही हो न मेरी बात… जब तक वह यहां है, तुम मुझे मैसेज या कौल मत करना… व्हाट्सऐप पर भी जरूरी हो तो ही मैसेज करना…’’ कपड़े पहनते हुए लोेकेश ने उसे हिदायतें दीं और फिर गुनगुनाता हुआ चला गया.

ममता रातभर अपने रिश्ते के बारे में सोचती रही. कभी उसे लोकेश सही लगता तो कभी बहुरुपिया… कभी लोकेश के प्यार पर संशय उभरता तो कभी उस की वास्तविक स्थिति पर दया सी आती… कभी मालती पर तरस आता और खुद पर अभिमान… तो कभी अपनेआप को नितांत बेबस और लाचार समझ कर पलकें भीग जातीं. इसी उहापोह में रात बीत गई. सुबह होते ही आदतन उस का हाथ मोबाइल की तरफ बढ़ गया. रोज सुबह उठते ही पहला ‘गुड मौर्निंग’ का मैसेज लोकेश को भेजने की आदत जो ठहरी. लेकिन कल रात की बात याद आते ही उस के हाथ रुक गए. वह अपनेआप को बंधा हुआ सा महसूस करने लगी. फिर दिमाग को झटका और औफिस के लिए तैयार होने लगी.

 

फुरसतिया इश्क – भाग 3 : लोकेश के प्यार में पागल थी ममता

‘‘वह प्यार नहीं बल्कि सौदा था… हम सभी एकदूसरे से प्यार के बदले कुछ उम्मीदें पाले हुए थे… मगर दादी ने मुझ से कभी कोई उम्मीद नहीं रखी… उन्होंने फुरसत या जरूरत न होते हुए भी सदा मेरा साथ दिया… मैं कल ही बूआ के घर जा कर उन्हें मना लाऊंगी.’’

‘‘एक बार फिर सोच लो… कहीं अपमानित न होना पड़े… आखिर दादी भी तो इसी ग्रह की प्राणी हैं.’’ मन से उसे चेताया.

‘‘देखा जाएगा… कुछ और मिले न मिले, राज कपूर की फिलम ‘तीसरी कसम’ की तरह मिला एक सबक ही सही… मैं जरूर जाऊंगी…’’ ममता अपने अंतस के विरोध पर विजय पा चुकी थी. अब ममता रमा बूआ के घर जाने की तैयारी करने लगी थी.

फुरसतिया इश्क – भाग 2 : लोकेश के प्यार में पागल थी ममता

जब तक मालती यहां शहर में रही तब तक ममता और लोकेश का रिश्ता कभी खुशी कभी गम वाली स्थिति में रहा. लोकेश का पत्नी को वक्त देना ममता को नागवार गुजरता… अपने प्रेम और समर्पण का अपमान लगता… वह नाराज हो जाती… कईकई दिनों तक  रूठी रहती… फिर किसी दिन लोकेश उस के फ्लैट पर आता… उस के साथ 2-4 घंटे बिताता… उसे मनाता… अपने प्यार का भरोसा दिलाता… ममता खुश हो जाती… मगर 5-6 दिन बाद फिर वही ढाक के तीन पात… कहानी जहां से शुरू होती, घूमफिर कर वहीं आ जाती.

आखिरकार 4 महीने बाद जब मालती वापस गांव लौट गई तब ममता ने राहत की सांस ली. अब लोकेश पर भी कोई बंधन नहीं था. वह पूरी तरह से ममता का हो गया. फिर से वही देर रात तक फोन और चैटिंग का सिलसिला चल निकला. अकसर दोनों की बातें रोमांटिक वीडियो चैट पर ही खत्म होती थीं. लोकेश पहले की ही तरह ममता के सारे नाज उठाने लगा. ममता अपनी जीत पर फूली न समाती थी.

आज ममता बहुत खुश नजर आ रही थी. इसी महीने के दूसरे शनिवार को उस का जन्मदिन था. ममता ने एक यादगार शाम लोकेश के साथ बिताने का पूरा प्लान बना लिया. उस ने तय भी कर लिया था कि इसी खास दिन वह लोकेश से अपने रिश्ते पर सामाजिक मुहर लगाने की बात करेगी. उसे यकीन था कि लोकेश मना नहीं करेगा. ममता बेसब्री से दूसरे शनिवार का इंतजार कर रही थी.

आखिर वह दिन आ ही गया. शुक्रवार की रात 12 बजते ही जैसा कि ममता को यकीन था, लोेकेश का फोन आ गया. ममता ने अदा से इठलाते हुए कौल रिसीव की.

‘‘हैलो ममता… मुझे अभी इसी वक्त गांव के लिए निकलना होगा, मालती सीढि़यों से गिर गई… शायद उसे पांव में गहरी चोट आई है… तुम औफिस संभाल लेना प्लीज…’’ कह कर लोकेश ने फोन रख दिया.

ममता सकते में थी. वह लगातार अपने मोबाइल को घूर रही थी जिस पर अभीअभी कौल कर के लोकेश ने उस के सारे सुनहरे सपने चकनाचूर कर दिए थे.

‘लोकेश मेरे प्यार को खेल समझता रहा या फिर मैं ही उस के खेल को प्यार समझती रही… मैं चाहे लोकेश के प्यार में खुद को खत्म भी कर लूं तब भी सामाजिक रूप से उसे नहीं पा सकती… हमारा रिश्ता भी फुरसत या जरूरत पर निर्भर हो गया… उस की पहली प्राथमिकता आज भी मालती ही है… यदि वह प्रैक्टिकल हो सकता है तो फिर मैं ही क्यों भावनाओं में बह रही हूं… मुझे भी दुनियादार होना चाहिए… अगर वह मुझे इस्तेमाल कर रहा है तो मैं भी क्यों न प्रैक्टिकल हो जाऊं…’ गुस्से और अपमान से जलती हुई ममता ने एक ठोस निर्णय ले लिया.

10 दिन के बाद गांव से लौटा लोकेश सीधा ममता के फ्लैट पर गया. ममता अभी औफिस से लौटी ही थी. उसे देखते ही एक बार तो ममता ने मुंह फेर लिया, मगर तत्काल उस के गले में बांहें डाल दीं.

‘‘अब मालती की तबीयत कैसी है?’’ उस ने पूछा.

‘‘ठीक है… पांव में मोच आई है… तुम कहो क्या किया यहां अकेले?’’ लोकेश के हाथ उस के बालों से होते हुए उस की पीठ पर फिसलने लगे.

‘‘लोकेश, सुनो मुझे ऐप्पल का मोबाइल चाहिए… वैसे भी मेरे बर्थडे पर तुम मेरे साथ नहीं थे… सजा तो भुगतनी पड़ेगी न…’’ ममता इठलाई.

‘‘ओके बेबी… लाओ अभी और्डर करते हैं… लेकिन पहले केक तो खिला दो…’’ लोकेश ने रोमांटिक होते हुए कहा. वह ममता को पाने के लिए उतावला हुआ जा रहा था. उस ने ममता को और भी कस कर जकड़ लिया.

‘‘न… न… पहले गिफ्ट उस के बाद केक…’’ ममता ने उसे प्यार से झटक दिया.

‘‘जैसी मेरे हुजूर की मरजी. पहले मोबाइल ही और्डर करते हैं…’’ लोकेश ने जरा नाटकीय अंदाज में झुक कर कहा तो ममता खिलखिला दी.

धीरेधीरे ममता ने लोकेश के क्रैडिट कार्ड से नया स्कूटर, महंगे गैजेट्स, डायमंड के गहने एवं अन्य विलासिता का सामान इकट्ठा कर लिया. अब उस की चाह पौश इलाके में एक फ्लैट लेने की थी.

‘‘लोकेश, यार आजकल ये सोसाइटी वाले तुम्हारे आनेजाने पर सवाल करने लगे हैं… फ्लैट के मालिक ने अल्टीमेटम भी दे दिया है… प्लीज, ग्रीन हाउस सोसाइटी में एक फ्लैट दिलवा दो न…. डाउन पैमेंट तुम कर दो, किस्तें में चुका दूंगी… एक रात ममता ने लोकेश को शीशे में उतार ही लिया.

फ्लैट की चाबी हाथ में आते ही ममता अपनी जीत पर झूम उठी. 40 का लोकेश अब 45 की तरफ बढ़ने लगा था. मालती के कहने से लोकेश ने अपनेबेटे को शहर के कालेज में एडमिशन दिलवा दिया था. इस कारण ममता से उस का मिलनाजुलना थोड़ा कम हो गया था. आजकल वह ममता का झुकाव औफिस में आए विशाल की तरफ महसूस करने लगा था. ममता का उस से घुटघुट कर बातें करना लोकेश को फूटी आंख नहीं सुहाता था.

‘‘आजकल विशाल से कुछ ज्यादा ही दोस्ती हो रही है.’’ एक दिन आखिर चिढ़ कर लोकेश ने कह ही दिया.

‘‘मैं ने कभी मालती को ले कर तुम से कोई सवाल किया क्या?’’ ममता ने प्रश्न के बदले में प्रश्न दागा.

‘‘वह मेरी पत्नी है.’’

‘‘हो सकता कल को मैं भी विशाल की पत्नी बन जाऊं.’’

‘‘क्या बकवास कर रही हो? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो? क्या तुम मेरे साथ फुरसत में टाइमपास कर रही थी.’’ लोकेश तिलमिला उठा.

‘‘तुम ने भी तो यही किया था… तुम्हारा इश्क भी तो फुरसतिया ही था न… फिर मुझ पर बेवफाई का इलजाम क्यों?’’

‘‘तुम्हें तो मेरे और मालती के बारे में सब पता था न… बात खुलने पर समाज में मेरी क्या इज्जत रह जाती… मेरा घर बरबाद नहीं हो जाता?’’

‘‘तुम करो तो अपनी गृहस्थी बचाने का नाम दे दो और मैं करूं तो टाइमपास? वाहजी वाह… तुम्हारे दोहरे मानदंड…’’ ममता ने नाटकीय अंदाज में ताली बजाते हुए कहा.

‘‘मैं विशाल को तुम्हारी सचाई बता दूंगा,’’ लोकेश ने अपना ट्रंप कार्ड फेंका.

‘‘जरूर बताओ… मगर क्या इस आग की लपटें मालती तक नहीं पहुंचेंगी. जिस गृहस्थी को बचाने की कोशिश तुम आज तक करते रहे, क्या वह बिखर नहीं जाएगी? मेरा क्या है… विशाल चला जाएगा तो कोई और आ जाएगा… मगर तुम मालती को कैसे लौटा कर लाओगे?’’ ममता ने ठहाका लगाया.

लोकेश हारे हुए जुआरी की तरह लौट गया. लोकेश के जाने के बाद ममता बहुत बेचैन हो गई. रहरह कर दुख और बेबसी से दिल में हूक सी उठ रही थी.

‘क्या करे? किस से बात कर के मन हलका करे? किस के सामने दिल खोल कर रखे.’ सोचते हुए उस ने विशाल को फोन लगाया. कौल मिस हो गई. 2-3 बार ट्राई करने के बाद भी विशाल ने फोन नहीं उठाया. तभी एसएमएस अलर्ट बजा, ‘घर वालों के साथ बैठा हूं… बारबार फोन कर के परेशान मत करो… फ्री हो कर कौल करता हूं.’ विशाल का मैसेज पढ़ कर ममता की रुलाई फूट गई.

‘‘फिर वही कड़वी सचाई… फुरसत…

या जरूरत… बस? विशाल का इश्क भी फुरसतिया ही निकला… वह भी जरूरत या फुरसत होने पर ही उसे याद करता है… लेकिन वही क्यों? मैं खुद भी तो यही कर रही थी… फुरसत का टाइमपास… दुनिया में तमाम रिश्ते इसी सूरत में ही तो निभाए जा रहे है.’’ ममता की आंखें भर आईं.

‘‘तुम तो दुनियादारी जान गई थी न… फिर यह शिकायत क्यों?’’ उस के भीतर से आवाज आई.

‘‘हां, जान गई थी… मगर भौतिकता के पीछे भागतेभागते मैं थक गई हूं… कुछ देर निस्वार्थ प्रेम की ठंडी छांव में बैठ कर सुस्ताना चाहती हूं… क्या यहां बिना स्वार्थ कोई रिश्ता नहीं निभाता?’’

‘‘दादी… हां, दादी ही हैं. जिन्होंने मुझे निस्वार्थ प्रेम किया था… मुझे इस लायक बनाने में उन्होंने अपना पूरा जीवन होम कर दिया था… मगर मैं ने क्या किया? अपनी जरूरत पूरी होते ही दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया… मैं किस मुंह से उन्हें फोन करूं?’’ ममता दादी से किए अपने व्यवहार को याद कर ग्लानि से भर गई.

‘‘नहीं, मुझे भरोसा है, दादी मुझे जरूर माफ कर देगी…’’ ममता ने दिल ने कहा.

‘‘भरोसा तो तुम्हें लोकेश और विशाल पर भी था न… भीतर से विरोधी स्वर उभरे.’’

 

अब हेयर फॉल रोकना आसान 

आपने सुना ही होगा कि महिलाओं की खूबसूरती को बढ़ाने में खूबसूरत बालों का अहम रोल होता है. और खासकर फेस्टिवल्स पर अगर खूबसूरत ड्रेस के साथ खिले खिले व सिल्की बाल और मिल जाए , फिर तो खूबसूरती में चारचांद लग जाता है. लेकिन सोचिए कि अगर आप फेस्टिवल्स के लिए पूरी तरह से रेडी हैं , लेकिन आपके बालों में वो बात न हो तो सारी मेहनत पर पानी फिरने के साथसाथ आपका कोन्फिडेन्स भी कम होगा. ऐसे में जरूरी है कि चाहे फेस्टिवल्स हो या फिर कोई भी मौसम अपने बालों की खास तरह से केयर करें, जिससे आपके बालों की हर कोई तारीफ करे.

आयुर्वेदा है बेस्ट ओप्शन 

जब भी हम हेयर फॉल को रोकने या फिर बालों की ग्रोथ को बढ़ाने के बारे में सोचते हैं या फिर अन्य हेयर प्रोब्लम सोलूशन के बारे में , तो हमारा ध्यान सबसे पहले केमिकल्स वाले हेयर प्रोडक्ट्स की ओर ही जाता है. क्योंकि मार्केट इन प्रोडक्ट्स से भरा जो पड़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केमिकल्स आपके बालों की हालत को और खराब कर सकते हैं , उन्हें डैमेज कर सकते हैं , हेयर फॉल की समस्या को और बड़ा सकते हैं. इसलिए इन प्रोडक्ट्स से जितना हो दूरी बनाकर ही रखना चाहिए. इसकी बजाय अपने बालों की हैल्थ को सुधारने के लिए केश किंग आयुर्वेदिक हेयर आयल का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपके बालों को झड़ने से रोकने के साथसाथ बालों की ग्रोथ को भी बढ़ाने का काम करते हैं . क्योंकि इसमें मौजूद 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां आपको हेयर प्रोब्लम्स को दूर करने में मदद करती है, जिससे आपको मिलते हैं सिल्की व शाइनी हेयर्स.

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क्यों है फायदेमंद 

इसमें हैं विभिन्न हर्ब्स , जो हैं बालों के लिए इस तरह से लाभकारी.

– भृंगराज- ये ब्लड सर्कुलेशन को बूस्ट करके बालों की ग्रोथ को बढ़ाने का काम करता है.

– आंवला- ये हेयर फोलिकल्स को मजबूत बनाने में सक्षम है.

– मेथी- ये बालों को झड़ने से रोकने में मददगार है.

– जटामांसी – ये समय से पहले बालों को ग्रे होने से रोकने का काम करता है.

– मंजिष्ठा- ये हैल्दी व तेजी से बालों को बढ़ने में सक्षम है .

– लोधरा – ये बालों को ठंडक पहुंचाने का काम करता है.

– जापा – ये हेयर ग्रोथ को बढ़ाने का काम करता है.

– ब्राह्मी- ये भी बालों को तेजी से बढ़ाने में काम करता है.

रोजाना बालों की मसाज है जरूरी 

अगर बात करें आयुर्वेदिक आयल की , तो इसके बालों में बेहतरीन रिजल्ट के लिए आपको रोजाना इससे बालों की मसाज करने की जरूरत होती है. ताकि ये जड़ों में पहुंच कर उन्हें मजबूती प्रदान करें और डैंड्रफ, हेयर फॉल जैसी समस्याओं से भी आपको छुटकारा मिल सके. बता दें कि इस तेल की मालिश से आपके सिर की कोशिकाओं काफी सक्रिय हो जाती है, जिससे बाल तेजी से लंबे होते हैं. इसलिए खूबसूरत बालों के लिए मसाज है जरूरी.

हेयर फॉल रोकने के लिए 

इन टिप्स को भी अपनाएं 

अगर आप अपने बालों को झड़ने से रोकना चाहते हैं , तो उसके लिए इन टिप्स को अपनाना न भूलें. आइए जानते हैं उन टिप्स के बारे में-

– स्कैल्प की मसाज करना न भूलें. क्योंकि इससे जड़ों व बालों को मजबूती जो मिलती है.

– न्यूट्रिशन से भरपूर डाइट लें.

–  कभी भी गीले बालों में कंघी न करें, क्योंकि इस स्टेज में बाल कमजोर होने के कारण उनके टूटने व कमजोर होने का डर रहता है.

– खुद को हमेशा हाइड्रेट रखें, ताकि बालों में शाइन आने के साथ ग्रोथ भी बढ़े.

– हॉट टॉवल की मदद से बालों को स्टीम जरूर दें, क्योंकि इससे हेयर फोलिकल्स ओपन होने से हेयर आयल जड़ों तक जाकर बालों को स्ट्रोंग बनाने का काम करता है.

– कभी भी हेयर प्रोडक्ट्स की क्वालिटी के साथ समझौता न करें.

– बालों की हमेशा आयुर्वेदा हेयर प्रोडक्ट्स से ही केयर करें.

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