लेखक-आरएस सेंगर और रेशू चौधरी

पपीते की फसल में विषाणु रोग प्रबंधन भारत के ज्यादातर हिस्सों में पपीते की खेती होती है. इस फल को कच्चा और पका कर दोनों ही तरीके से इस्तेमाल में लाया जाता है. इस फल में विटामिन ए की मात्रा अच्छी पाई जाती है, वहीं अच्छी मात्रा में इस में पानी भी होता है, जो त्वचा को नम बनाए रखने में मददगार है. अगर पपीते की उन्नत तरीके से खेती की जाए, तो कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस की खेती के साथ इस की अंत:वर्तीय फसलों को भी बोया जा सकता है, जिन में दलहनी फसल जैसे मटर, मेथी, चना, फ्रैंचबीन व सोयाबीन आदि हैं.

अब पपीते की खेती पूरे भारत में की जाने लगी है. सालोंसाल आसानी से मिलने वाला पपीता बहुत ही फायदेमंद फल है और आज के समय में पपीता ज्यादातर लोगों की पसंद भी है, क्योंकि यह ऐसा गुणकारी फल है, जो पेट की अनेक समस्याओं को दूर करता है. इस की खेती करना भी आसान है. कम समय में यह अच्छाखासा मुनाफा देने वाली फसल हैं. शौकिया तौर पर लोग सालोंसाल अपने घर के बगीचे में इसे लगाते आए हैं या खाली पड़ी आसपास की जगह पर इस को उगा कर फायदा लेते रहे हैं. आज के दौर में अनेक किसान पपीते की खेती कर के अपनेआप को प्रगतिशील किसानों की दौड़ में शामिल कर चुके हैं, क्योंकि इसे उगाना आसान, बेचना आसान और मुनाफा ज्यादा है.

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