एक बार एक व्यक्ति ने फोन पर एक क्यूआर कोड भेज कर कहा कि आप की इंश्योरैंस कंपनी ने आप को एक रिवार्ड दिया है. आप इस क्यूआर कोड को स्कैन करें तो आप को मिले रिवार्ड के पैसे आप के अकाउंट में चले जाएंगे. जिस के फोन पर कौल आया, वह पहले तो सोच में पड़ गया कि मेरी कौन सी ऐसी पौलिसी है जो मु झे रिवार्ड दे रही है, फिर उस ने क्यूआर कोड को जूम किया तो उस पर बहुत बारीकी से लिखा था कि आप को 2 हजार रुपए मिलेंगे और अकाउंट से 6 हजार रुपए कट जाएंगे.

असल में फोन करने वाले से गलती यह हुई थी कि उस ने जिस से क्यूआर कोड स्कैन करने को कहा, वह व्यक्ति बैंक में काम करता है, इसलिए उस ने इसे अच्छी तरह से देखा. जबकि साधारणतया व्यक्ति इन बातों पर अधिक ध्यान नहीं देते और बहुत सारा पैसा बैंक अकाउंट से निकल जाता है. बाद में इस फ्रौड व्यक्ति को पकड़ना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में औनलाइन पेमेंट को अच्छी तरह जानना क्या जरूरी नहीं?

इस बारे में पंजाब नैशनल बैंक के चीफ मैनेजर अमिताभ भौमिक कहते हैं, ‘‘डिमोनेटाइजेशन के बाद से देश कैशलैस सिस्टम की तरफ तेजी से बढ़ रहा है लेकिन अभी इस देश में इतनी संख्या में ग्राहक नहीं हैं जितना सरकार सोच रही थी क्योंकि छोटे गांव और शहरों में वयस्क और महिलाएं पूरी तरह से कैशलैस ट्रांजैक्शन करने के तरीके को जानती नहीं हैं. वे औनलाइन पेमेंट से डरते हैं लेकिन कोरोना वायरस की वजह से औनलाइन का ट्रैंड काफी बढ़ गया है. आजकल लोग बैंक जाने से बच रहे हैं.’’

वे आगे कहते हैं, ‘‘अधिकतर पेमेंट और मनी ट्रांसफर औनलाइन ही हो रहे हैं. किसी जानने वाले को या फैमिली मैंबर को पैसे भेजने या कुछ घरेलू सामान मंगवाने हों तो व्यक्ति औनलाइन मनी ट्रांसफर कर देता है. डिजिटल पेमेंट को सही मानने की एक वजह यह भी है कि ये अपने ग्राहकों को निर्बाध रूप से पेमेंट के औप्शन और कई प्रकार के डिस्काउंट देते हैं. इस से कस्टमर की कैश पर निर्भरता में कमी, फास्ट मनी ट्रांसफर और आसानी से किसी ट्रांजैक्शन को किया जा सकता है. इस तरह के ट्रांजैक्शन को अधिक से अधिक प्रयोग करने के पीछे कैशलैस और पेपरलैस लेनदेन को बढ़ाना है और इंडिया की इकोनौमी को कैशलैस सोसाइटी बनाने से है.’’

औनलाइन पेमेंट के कई औप्शन हैं और व्यक्ति अपनी सहूलियत के अनुसार ट्रांजैक्शन कर सकता है-

बैंकिंग कार्ड्स ग्राहकों को अधिक सुरक्षा, आसानी और मनी कंट्रोल करने की सुविधा व बाकी सभी पेमेंट फैसिलिटीज देते हैं. इस में कई प्रकार के कार्ड होते हैं, मसलन क्रैडिट कार्ड या डैबिट कार्ड, प्रीपेड कार्ड पेमेंट आदि में कई फ्लैक्सिबिलिटीज होती हैं. साथ ही, इस में पेमेंट की गारंटी ‘पिन’ या ‘ओटीपी’ से की जाती है. इस के द्वारा व्यक्ति कहीं भी, किसी भी माध्यम से शौपिंग कर सकता है.

यूएसएसडी नए तरह की पेमेंट सर्विस है. इसे मोबाइल बैंकिंग ट्रांजैक्शन, मोबाइल फोन द्वारा किया जाता है. इस में मोबाइल इंटरनैट डेटा की कोई जरूरत नहीं होती. बैंक में खाताधारक इस का प्रयोग आसानी से कर सकता है. इस में फंड ट्रांसफर, बैलेंस इन्क्वायरी, मिनी स्टेटमैंट आदि सभी की सुविधा होती है. ऐसी सर्विस की सुविधा देश के 51 बड़े बैंकों में 12 भाषाओं में उपलब्ध कराई गई है.

एईपीएस बैंक द्वारा बनाया गया एक औप्शन है. यह औनलाइन अंतर-संचालित फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन होता है, जिस में पौइंट औफ सैल या माइक्रो एटीएम द्वारा बिजनैस कोरेस्पौडैंट के साथ जुड़ जाता है, जिस की प्रामाणिकता आधार कार्ड द्वारा की जाती है.

यूपीआई सिस्टम में कई बैंकों के अकाउंट को एक मोबाइल ऐप्लीकेशन के तहत जोड़ा जाता है. इस से पेमेंट करना और बैलेंस को चैक करना आसान होता है. हर बैंक का यूपीआई ऐप अलगअलग होता है जिसे बैंक देता है.

मोबाइल वौलेट्स एक भुगतान सेवा है जिस के माध्यम से व्यवसाय और व्यक्ति मोबाइल उपकरणों से लेनदेन कर सकते हैं. ये ईकौमर्स का एक मौडल है जिसे सुविधा और आसान पहुंच की वजह से प्रयोग किया जा सकता है. मोबाइल वौलेट को मोबाइल मनी, मोबाइल ट्रांसफर मनी भी कहा जाता है. इस में फोनपे, गूगलपे, पेटीएम आदि कई हैं जिन का आजकल खूब प्रयोग होता है.

प्रीपेड क्रैडिट कार्ड बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा जारी किए जाते हैं और क्रैडिट कार्ड के सामान ही लेनदेन के लिए उपयोग किए जा सकते हैं. खरीदारी करने, बिलों का भुगतान करने या एटीएम से नकद प्राप्त करने में इन का प्रयोग किया जाता है.

प्रीपेड कार्ड दिखने में डैबिट और क्रैडिट कार्ड जैसे ही प्लास्टिक कार्ड मैगनेटिक स्ट्रिप के साथ होते हैं. अंतर केवल इतना है कि प्रयोग से पहले इस में कुछ फंड जोड़ना पड़ता है, ताकि इस से खर्च कर सकें. प्रीपेड कार्ड कस्टमर को उतनी सुरक्षा नहीं देते जितनी डैबिट और क्रैडिट कार्ड में मिलती है. अगर कोई प्रीपेड के साथ फ्रौड करने की कोशिश करता है तो भी उतनी सुरक्षा नहीं मिलेगी जितनी डैबिट और क्रैडिट कार्ड में मिलती है. इस के अलावा प्रीपेड कार्ड प्रदाता बहुत अधिक फीस चार्ज करते हैं.

पौइंट औफ सैल (पीओएस) में एक मशीन द्वारा पेमेंट की जाती है. इस में दुकान या खुदरा स्टोर से जब ग्राहक सामान खरीदता है तो डैबिट या क्रैडिट कार्ड को मशीन में सरका कर भुगतान करता है. राशन की दुकान, पैट्रोल पंप, मौल्स आदि जगहों पर इस से पेमेंट किया जाता है.

इसे स्वाइपिंग मशीन भी कहते हैं. इस का काम 2 प्रकार से होता है, मसलन कार्ड को स्वाइप करना या फिर कार्ड को लगा कर छोड़ देना, जिस में कार्ड व्यक्ति के अकाउंट से सीधा जुड़ जाता है. पेमेंट हो जाने के बाद मशीन से 2 पर्चियां निकलती हैं जिन में से एक अपने पास तो दूसरी ग्राहक को दे दी जाती है. हर दिन व्यवसाय खत्म होने के बाद दुकानदार उस मशीन को बैच प्रोसैसिंग के लिए भेजता है जिस में से दुकानदार के पैसे उस के खाते में जमा हो जाते हैं. यह मशीन बैंकों द्वारा दी जाती है, इसलिए बैंक का उस में कुछ कमीशन होता है, जिसे दुकानदार ग्राहक से ही वसूलता है. इसे पौइंट औफ परचेज भी कहा जा सकता है.

इंटरनैट बैंकिंग को औनलाइन बैंकिंग, ईबैंकिंग या वर्चुअल बैंकिंग कहा जाता है. यह एक इलैक्ट्रौनिक पेमेंट सिस्टम है जो ग्राहक को उस के नैट बैंकिंग अकाउंट से वित्तीय और गैरवित्तीय ट्रांजैक्शन करने की सुविधा प्रदान करता है. इंटरनैट बैंकिंग की सुविधा बैंकों के माध्यम से प्रदान की जाती है और ग्राहक को उस के लिए उपलब्ध सुविधा प्राप्त करने के लिए किसी भी बैंक में खाताधारक होना चाहिए. बैंक खाताधारक इंटरनैट पर जा कर नैट बैंकिंग अकाउंट में औनलाइन ट्रांजैक्शन, नैशनल इलैक्ट्रौनिक फंड ट्रांसफर या रियल टाइम ग्रौस सैटलमैंट कर सकते हैं. यह काम मोबाइल, लैपटौप या कंप्यूटर द्वारा किया जा सकता है.

इस की विशेषताएं निम्न हैं-

ग्राहक अकाउंट स्टेटमैंट देख सकता है.

ग्राहक संबंधित बैंक द्वारा किसी निश्चित अवधि में हुए ट्रांजैक्शन की जानकारी जान सकता है.

बैंक, स्टेटमैंट, विभिन्न प्रकार के फौर्म, एप्लिकेशन डाउनलोड किए जा सकते हैं.

ग्राहक फंड ट्रांसफर कर सकता है, किसी भी तरह के बिल का भुगतान कर सकता है.

मोबाइल डीटीएच कनैक्शन इत्यादि का रिचार्ज कर सकता है.

ग्राहक ईकौमर्स प्लेटफौर्म पर खरीद और बेच सकता है.

ग्राहक व्यापार का निवेश और संचालन कर सकता है.

ग्राहक परिवहन, यात्रा पैकेज और मैडिकल पैकेज बुक कर सकता है. इस के अलावा ग्राहक तुरंत और सुरक्षित ट्रांजैक्शन भी कर सकता है.

मोबाइल बैंकिंग एक सेवा है, जो बैंक या किसी फाइनैंशियल इंस्टिट्यूशन द्वारा खाताधारक को दी जाती है. यह मोबाइल डिवाइस (सैलफोन, टेबलेट आदि) पर वित्तीय लेनदेन करने का कार्य करती है. इस में प्रयोग किए जाने वाले सौफ्टवेयर ऐप बैंक देता है जिस से व्यक्ति अपना लेनदेन का काम आसानी से कर सके.

माइक्रो एटीएम एक छोटी मशीन है जो कार्ड स्वाइपिंग मशीन की तरह दिखती है और मूलभूत बैंकिंग सुविधा प्रदान करने में सक्षम होती है. इस तरह के एटीएम बहुत फायदेमंद हैं क्योंकि जहां सामान्य एटीएम स्थापित नहीं किए जा सकते, वहां इसे लगाया जाता है. ग्राहक की पहचान करने के लिए इस में एक फिंगरप्रिंट स्कैनर भी लगा होता है.

माइक्रो एटीएम में आधार नंबर दर्ज करने और अंगूठे या उंगली से पहचान सत्यापित होने के बाद यह आप के बैंक अकाउंट के डिटेल ले लेता है. इस के बाद उस अकाउंट से पैसों का भुगतान कारोबारी के अकाउंट में हो जाता है और वह ग्राहक को उस रकम का भुगतान कर देता है. यह अधिकतर लोकल किराना में प्रयोग होता है.

ये सभी औनलाइन लेनदेन व्यक्ति अपनी सुविधा के अनुसार कर सकता है. इस में दिए गए निर्देशों का पालन करने पर व्यक्ति की लेनदेन की प्रक्रिया पूरी तरह से सुरक्षित रहती है. थोड़ी सी लापरवाही ग्राहक को भारी पड़ती है, इसलिए सोचसम झ कर औनलाइन पेमेंट करें.

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