Download App

नरेंद्र मोदी और मंहगाई का भूत

शायद आपको पता नहीं हो, मगर यह सच है कि जिस दिन से पांच राज्यों का चुनाव का आगाज हुआ है देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में मानो ब्रेक लग गया है.

इसका सीधा सा मतलब यह है कि केंद्र सरकार यह जब कहती है कि पेट्रोल-डीजल के दाम हमारे हाथों में नहीं है यह तो कंपनियां तय करती है, तो वह सफेद झूठ कहती है.

हम आपको अभी से बताते चलें कि जैसे ही उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्य की विधानसभा चुनाव संपन्न होंगे पेट्रोल डीजल के दाम फिर बढ़ने लगेंगे.

इस घटनाक्रम से संपूर्ण सत्य का उद्घाटन हो जाता है और सबसे बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की भाजपा सरकार का एक ऐसा सच उद्घाटित होता है जिससे यह पता चलता है कि एक रणनीति के तहत सारा खेल चलता रहता है. और भोले भाले नागरिक, अंधभक्त किसी दूसरी दुनिया में विचरण करते रहते हैं.

हम अगर यह कहे कि महंगाई एक सच है तो फिर सरकार को  भी इसके लिए तैयार रहना चाहिए कि वह देश की आम जनता को यह समझा सके कि सच क्या है और राहत भी दे सकें. इसके लिए एक चुनी हुई सरकार को ईमानदार सरकार की भूमिका का निर्वहन करना होगा.

आम जनमानस को यह महसूस होना चाहिए कि चुने हुए प्रतिनिधि सच्चे अर्थों में हमारा प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हमारे सुख दुख में भागीदार हैं. हमारे हित में निर्णय कर रहे हैं मगर आजादी के बाद धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती चली गई है और हमारे जनप्रतिनिधि 5 साल तक हमसे दूर दूर रहते हैं चुनाव आते ही हमारे सबसे बड़े वेलविशर हो जाते हैं.

ये भी पढ़ें- चुनाव: पूर्व अनुमानों का सच!

मंहगाई को रोकने के उपाय….

अब एक नया संकट सामने आ गया है-  रूस यूक्रेन के बीच शुरू हो रहा युद्ध. इससे देश दुनिया की आर्थिक स्थिति पर खासा असर दिखाई देने वाला है.

यूक्रेन पर रूस के हमले से बने दुनियावी हालात को देखते हुए कच्चे तेल की कीमत पहले नौ वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है. इससे आपको को महंगे पेट्रोलियम उत्पादों का बोझ तो उठाना ही पड़ेगा. और दूसरी महंगाई के लिए भी अब आपको तैयार हो जाना चाहिए.

दरअसल, रूस प्रतिदिन पैंसठ लाख बैरल कच्चा तेल निर्यात करता है और दुनिया भर में कुल गैस का सत्रह फीसद उत्पादन अकेले दम रूस करता है. अब हम देश की यानी घरेलू स्तर पर इसके असर की बात करें तो आम  आदमी को महंगे पेट्रोल-डीजल एवं महंगी रसोई गैस के लिए अपनी जेब हल्की करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए.

देश में अभी बड़ी ही चतुराई के साथ महंगाई को रोक के रखा गया है याने की केंद्र सरकार महंगाई के भूत से भयभीत है यह जानती है कि मतदान के समय तक महंगाई को रोक कर रखा जाए जैसे ही मतदान समाप्त होगा महंगाई आपके सर पर डोलने लगेगी.

दरअसल,पांच राज्यों के चुनाव के बाद तुरंत तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अवश्य बढ़ाएंगी,बस अब देखना यह है कि सारा बोझ एक साथ जनता पर पड़ेगा या यह दिन प्रतिदिन बढ़ेगी .

महंगाई तो सुरसा की तरह  खड़ी है मगर आम जनता के लिए सरकार क्या राहत ला रही है यह हमें देखना है.

ये भी पढ़ें- यूक्रेन: आपरेशन गंगा- अपने मुंह मियां मिट्ठू सरकार

राजस्थान सरकार के मुखिया अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को एक रास्ता दिखाया है पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करके उन्होंने एक तरह से बाजी मार ली है.

अब यह परिपाटी सबको स्वीकार करनी चाहिए देश की सभी राज्य सरकारों से अपेक्षा है कि वे पुरानी पेंशन का प्रावधान लागू करने की व्यवस्था अवश्य करें, जिसे जनवरी 2022 से पहले से लागू किया जाए, तो काफी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वर्तमान पेंशन व्यवस्था सभी के लिए काफी दुखदाई है और किसी को भी इससे कोई फायदा नहीं मिल रहा है.

देश में महंगाई जिस तो है सुरसा के मुंह की तरह बढ़ती जा रही है उसी प्रकार नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार को भी चाहिए कि महंगाई रोकने के उपाय करें जनता को राहत दे.

ये भी पढ़ें- यूक्रेन संकट: टाटा एयर, निजी करण का दंश

पैसा ही शक्ति है

Writer- राज लक्ष्मी

प्रश्न बहुत जटिल और असमंजस भरा है लेकिन है समय की जरूरत है. वास्तव में पैसा क्या है? क्या पैसे के अभाव में फैली विकट परिस्थितियां उपज सकती हैं जैसे ढेरों सवाल इस प्रश्न से जुड़े हैं.

कोविड के दौरान लोगों को पता चला कि अगर हाथ में पूंजी न होती, जान पर कितनी आफतें आ सकती हैं. यह कभी पता नहीं चलेगा कि पैसे की कमी के चलते कितनों को एंबुलैंस नहीं मिली, कितनों को औक्सीजन सिलैंडर नहीं मिला.

‘बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपया.’ पैसे को शक्ति मानना कहां तक उचित है, यह सोचने वाली बात है. इस बारे में हरेक की सोच अलग हो सकती है पर कहीं न कहीं बात पैसे को किसी न किसी रूप में शक्ति मानने पर ही ठहर जाती है.

बुनियादी जरूरत

मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘कफन’ पैसे के महत्त्व को एकदम से उजागर कर देती है. उस में नायक घीसू, भूख से परेशान होने के कारण, ने अपनी पत्नी के लिए एकत्रित उस के कफन के पैसों से भरपेट खाना खाया व शराब पी और उस के बाद मरने वाली को आशीर्वाद देने लगा कि जातेजाते भी वह उस के लिए खानेपीने का इंतजाम कर गई. इस कहानी ने पैसे के लिए व्यक्ति किसी हद तक गिर सकता है उजागर कर दिया. धर्म के ठेकेदार बारबार धर्म को मानने के साथ दानदक्षिणा पर ही जोर देते हैं. वे जानते हैं कि असल शक्ति उन का बनाया भगवान नहीं, उस के नाम पर वसूला पैसा है.

यह निर्विवाद सत्य है कि पैसा व्यक्ति की मूलभूत जरूरत है. उस के बिना एक कदम चल पाना भी मुश्किल है. हालांकि पैसों के अभाव में देश की 50 फीसदी जनसंख्या है.

भारत सरकार जो ढोंग पीट रही है कि वह 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है, वह टैक्स के पैसे की शक्ति के कारण कर पा रही है. अगर सरकार के पास लाखों करोड़ का बजट न होता तो उस के द्वारा यह दावा नहीं किया जा सकता था.

ये भी पढ़ें- दूसरी औरत के सुबूत, पति से छूट जाते हैं करतूतों के संकेत

पैसा शक्ति है

इस में संदेह नहीं है कि अगर आप के पास पैसा है तो सारी दुनिया आप की मुट्ठी में है. लेकिन पैसे की कमी आप की सारी योग्यता और आत्मविश्वास को नगण्य कर देती है. नौकरी के लिए आवेदन करना है तो पैसा चाहिए. उपयुक्त पद पर चयन हेतु पैसे का चढ़ावा देना पड़ेगा.

अगर आप के बटुए में पर्याप्त पैसा है तो सफर के दौरान या खरीदारी के दौरान गर्व से दीप्त चेहरा व्यक्ति के व्यक्तित्व को खुद ही बढ़ा देता है. सच यह है कि पैसे के आगे सारे के सारे नियमकानून धरे के धरे रह जाते हैं. अगर आप के पौकेट में पैसा है तो आप रैडलाइट जंप करने से भी नहीं हिचकेंगे. क्योंकि आप को पता है ज्यादा से ज्यादा चालान हो जाएगा और आप को कुछ पैसा देना पड़ेगा. यही नहीं, आप बिना मास्क के भी चल सकते हैं और दुकान भी लौकडाउन में खोल सकते हैं.

पैसा है तो डर, भय, आशंका सब एक ?ाटके से दूर हो जाते हैं. पैसे की शक्ति व्यक्ति को गलती के भय को सही बनाने की सामर्थ्य दे देती है. आईएएस प्रतियोगिता के लिए कोचिंग इंस्टिट्यूट चलाने वाली टीचर का कहना है, ‘‘पैसा शक्ति है, यह कुछ हद तक सही है. जब मेरे पास पर्याप्त पैसा होता है तो मेरी सृजनशीलता बढ़ जाती है. उस समय मेरा दिमाग तेजी से काम करता है. मु?ो पता होता है कि कैसे काम जल्दी से करना है. ऐड बनवाना है, औफिस मैनेजमैंट करना है या फिर घर में ही कोई पार्टी अरेंज करनी है, सबकुछ अच्छे से हो जाता है क्योंकि बटुए में पर्याप्त पैसा मेरे आत्मविश्वास को बढ़ा देता है और मैं सारे कार्य सुचारु रूप से कर पाती हूं.’’

योग्यता नहीं, पैसा भारी

पैसे के पावर में बहुत दम है. कुछ टेढ़ेमेढ़े कार्यों को करवाने के लिए भी पैसा मददगार है. वैसे भी चांदी का जूता किसी के मुंह पर मारा जाए तो इस से किसी को कष्ट नहीं होता बल्कि लोग इसे सहर्ष स्वीकारते हैं.

पैसा होने पर अपनी प्राइवेट फर्म में एमडी की कुरसी पर बैठा नाकाबिल बौस भी अपने से 10 गुना बुद्धिमान व योग्य कर्मचारियों को बेवकूफ और निकम्मा कह कर हर वक्त उन्हें प्रताडि़त कर सकता है. जबकि असलियत में वह बौस अगर कहीं दूसरी जगह कोई नौकरी करने जाए तो शायद उसे चपरासी का पद भी न मिले. उस के पास चूंकि बापदादा का पैसा है, सो वह शक्तिशाली है और पैसे के इस पावर के बल पर वह अपने से ज्यादा सक्षम कर्मचारियों पर रोब मार सकता है.

ये भी पढ़ें- बलात्कार: महिलाओं के खिलाफ होने वाला सबसे आम अपराध!

नशा है पैसा

ड्रग एडिक्शन की तरह पैसा भी एक तरह का नशा है. इस की अधिकता व्यक्ति को गरूर और घमंड से भर देती है. पैसे वाला व्यक्ति अपने सामने वाले को कीड़ेमकोड़े से ज्यादा कुछ नहीं सम?ाता. कहा भी गया है, ‘कनककनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय…’ पैसे का नशा धतूरे से भी तेज है क्योंकि नशीले पदार्थ का नशा तो समय के साथ उतर जाता है पर रुपए की खनखन का नशा हरदम सिर चढ़ कर बोलता है.

पैसा फेंको, तमाशा देखो

मनपसंद पढ़ पाने के लिए लाखों रुपए की रिश्वत देने में भी कोई हिचकता नहीं. इतना ही नहीं, अगर आप को किसी सरकारी विभाग में नौकरी चाहिए तो उस में कोई दिक्कत नहीं है बशर्ते आप के पास पैसा है जिसे सही तरीके से नियुक्तिकर्ता तक पहुंचाया जा सके. बस, आप का काम हो जाएगा. एक पद के लिए लाखों लोग अप्लाई करते हैं पर जिस के पास पैसे की शक्ति है उस का सलैक्शन हो जाता है.

इस तरह के मामले अकसर समाचारों की सुर्खियों में आते रहते हैं. विभिन्न घोटाले भी पैसे के महत्त्व को ही बताते हैं. मतलब यह है कि पैसा है तो सबकुछ संभव है, वरना जूते घिसटते रहो, कुछ भी नहीं होने वाला. आप की डिग्री, काम के प्रति डैडिकेशन आदि सब व्यर्थ है.

प्यार में भी पैसा शक्ति

पैसे की महत्ता हर जगह है. उस की शक्ति सर्वविदित है. पैसे से सबकुछ खरीदा जा सकता है. पहले कहा जाता था कि पैसे से प्यार नहीं खरीदा जा सकता परंतु वर्तमान में यह बात ?ाठी सिद्ध हो गई है. अब तो पैसे की सहायता से प्यार भी खरीदा जा सकता है. कितने ही युवक अपने पैसे के बल पर जबरदस्ती शादी करने में सफल हो जाते हैं.

युवतियां भी पिता के पैसे से जबरदस्ती रोब दिखा कर शादी कर लेती हैं. क्या फर्क पड़ता है पैसा सारे अवगुणों को छिपा जो देता है. वैसे भी रुपयों का मुलम्मा चढ़ा कर मेंढकी भी परी बनाई जा सकती है और लंगूर को भी हीरो बनते देर नहीं लगती. अमीर पति या पत्नी कैसा या कैसी भी हो, गरीब से अच्छा या अच्छी है.

ये भी पढ़ें- प्यार ने तोड़ी मजहब की दीवार

पैसा साधन है

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कंप्यूटर हार्डवेयर पार्ट्स का व्यवसाय करने वाले एक व्यवसायी का कहना है, ‘‘पैसा शक्ति है लेकिन सबकुछ नहीं, एक स्तर पर यह नगण्य हो जाता है. तरक्की के लिए पैसा फ्यूल की तरह है. यह ऐसी आग है जो जलाती तो नहीं लेकिन इस के बिना आग भी नहीं लगती.

‘‘सफलता के लिए पैसे जरूरी हैं. आप की सोच, आप की क्रिएटिविटी उस के बिना व्यर्थ है. जब तक आप के विचारों में नयापन नहीं होगा, आप उस का सही उपयोग नहीं कर सकते. सही मानो में पैसा साधन है, शक्ति नहीं, क्योंकि पैसा किसी को तमीज नहीं सिखा सकता. हां, यह जरूर है कि इनकम टैक्स, टैंडर पास करवाने आदि जैसे मामलों में यह सहायक होता है और उसी समय ही पैसे की शक्ति का पता चलता है.’’

पैसे के संबंध में लोगों के अलगअलग विचार हैं. कहीं पर यह साधन है, कहीं बुनियादी जरूरत तो कहीं सफलता का सहायक उपादान, पर किसी न किसी रूप में यह एक ऐसी शक्ति है जो हरेक के लिए सिर चढ़ कर बोलती है. जिस के पास है उस पर भी और जिस के पास

नहीं है उस पर भी. व्यभिचार, भ्रष्टाचार, लूटखसोट आएदिन हो रहे सरकारी तथा नैतिक घोटाले पैसे की शक्ति की ध्वजा ही फहराते प्रतीत होते हैं.

डौंट वरी, मेरे बटुए में पैसा है

बेटे या बेटी के एग्जाम में अच्छे मार्क्स नहीं आए, कालेज में एडमिशन की समस्या है, कोई बात नहीं क्योंकि बटुए में पैसा है, काम हो जाएगा.

बेटी ज्यादा सुंदर नहीं है. पढ़ने में मन भी नहीं लगता पर पति स्मार्ट हैंडसम चाहिए, कोई बात नहीं, बैंक बैलेंस है, काम हो जाएगा.

लाइसैंस बनवाना है लेकिन ऐड्रैस प्रूफ नहीं है. गाड़ी भी ढंग से ड्राइव करनी नहीं आती. कोई बात नहीं, पैसा है न, काम हो जाएगा.

इनकम टैक्स का मामला फंसा है, लंबी चपत है. कोई बात नहीं. पैसा है तो काम आसान हो जाएगा.

बिजली, टैलीफोन के बिल ज्यादा आ गए हैं, कम करवाना है. डौंट वरी यार, पैसा है न.

बेटे ने दंगाफसाद कर दिया है, शायद जेल जाना पड़ेगा. पैसे का रसूख है न, फिर दिक्कत क्या है.

गर्लफ्रैंड रूठ गई है, उस ने मु?ो किसी दूसरी लड़की के साथ देख लिया है. टेक इट ईजी यार, क्रैडिट कार्ड है न, बढि़या सा गिफ्ट दे दो, मान जाएगी.

बेटे ने शराब के नशे में पुलिस वालों पर गाड़ी चढ़ा दी. इस में टैंशन की क्या बात है, रुपया है. दे दो, कुछ नहीं होगा.

किसी ने मर्डर करते या अन्य संगीन जुर्म करते देख लिया है. चिंता की क्या बात है, रुपए का जूता मार दो, गवाह बदलने में मिनट भी नहीं लगेंगे.

Holi Special: होली खेलने के बाद बेसन फेस पैक से पाएं निखार

बेसन फेस पैक पूरी तरह से नेचुरल होने के साथ ही चेहरे पर निखार लाने में भी सहायक है. यदि होली के दिन रंगो ने आपके चेहरे पर अपनी जगह बना ली है तो बेसन का उपयोग आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा. आज हम आपको बेसन से फेस पैक बनाना सिखाएंगे. जिसका उपयोग कर आप भी खूबसूरत त्वचा पा सकेंगी.

1 बेसन, नींबू और बादाम

इस पैक को बनाने के लिये रातभर बादाम को पानी में भिगो दें और सुबह इसे छिलके सहित पीस लें. फिर इसमें नींबू की कुछ बूंदे और 1 चम्‍मच बेसन डालें. बेसन पैक से त्‍वचा पर पड़े दाग-धब्‍बे साफ हो जाएंगे और त्‍वचा में विटामिन ई की वजह से निखार आएगा.

2 बेसन और दूध

बेसन में तकरीबन आधा कप दूध मिलाएं और एक गाढा पेस्‍ट तैयार कर लें. आप चाहें तो इसमें शहद भी मिला सकती हैं. यह फेसमास्‍क सर्दियों में मौइस्‍चराइजर का कार्य करेगा. इससे रंगो का असर भी त्वचा पर नही होगा.

ये भी पढ़ें- Holi Special: होली के रंगों से भरें रूठे रिश्तों में रंग

3 बेसन और अंडे का सफेद भाग

यदि आपके चेहरे पर jरंगो की वजह से बहुत से पिंपल होते हैं तो 2 अंडों का सफेद भाग ले और उसमें 1 चम्‍मच बेसन डाल कर फेंट लें. इस पेस्‍ट को चेहरे पर लगा कर 10 मिनट के लिये छोड़ दें. अंडे का सफेद भाग चेहरे पर से एक्‍स्‍ट्रा तेल को सोख लेगा.

4 हल्‍दी और बेसन

इस फेसमास्‍क को लगाने से काली पड़ी त्‍वचा में निखार आ जाता है और उसका रंग साफ हो जाता है.

5 बेसन और दही

तेज धूप की वजह से जब आपकी त्वचा पर टैनिंग हो जाए तो ऐसे में बेसन और दही का पैक तैयार करें. इससे त्‍वचा को राहत मिलेगी और सन टैनिंग भी मिटेगी.

ये भी पढ़ें- इतना बुरा भी नहीं है चौकलेट

Holi Special: एक-दूसरे पर जब रंग बरसे

होली पर रंगों से खेलना पुरानी परंपरा है. मगर अब रंगों का रूप बदल गया है. जहां पहले अबीर, गुलाल, टेसू, केसर आदि रंगों से होली खेली जाती थी वहीं आज पेंट मिले पक्के रंगों से खेली जाती है. ये रंग शारीरिक व मानसिक नजरिए से तो पीड़ादायक होते ही हैं, सौंदर्य की दृष्टि से भी कम नुकसानदायक नहीं होते. होली अकसर 2 तरह के रंगों से खेली जाती है-सूखे रंगों से व गीले रंगों से. सूखे रंग त्वचा को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितने गीले रंग पहुंचाते हैं. मगर आजकल सूखे रंग भी ऐसे मिलावटी पदार्थों से बनाए जाते हैं जो यदि त्वचा पर ज्यादा देर तक लगे रहें तो त्वचा फट जाती है. स्थायी या अस्थायी तौर पर लाल चकत्ते भी उभर सकते हैं.

रंगों का सीधा प्रभाव

सूखे रंगों में अधिकतर गुलाल का प्रयोग होता है. यदि आप ध्यान से देखें तो आप उस में एक चमकीला सा पदार्थ पाएंगे. वह अभ्रक होता है जो बहुत खुरदरा होता है. विभिन्न रंगों में रंगा गुलाल भी चूना, रेत व राख जैसी सस्ती चीजों से बनाया जाता है. इस प्रकार का मिलावटी व घटिया गुलाल यदि ज्यादा देर तक त्वचा व बालों में लगा रहे तो कुप्रभाव डालता है. ऐसे गुलाल को यदि कोई रगड़ कर त्वचा पर लगा दे तो त्वचा छिल भी सकती है. इसलिए त्वचा के बचाव के लिए आप होली खेलने से पहले पूरे शरीर पर वैसलीन या कोल्डक्रीम लगा लें. इस से आप की त्वचा पर रंगों का सीधा प्रभाव नहीं पडे़गा, बल्कि त्वचा इतनी कोमल हो जाएगी कि खुरदरे व पक्के रंग भी त्वचा पर जलन व खुश्की पैदा नहीं करेंगे. हां, कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप पर सूखा रंग डाले उसे तुरंत त्वचा व बालों से झाड़ दें. यदि आप की त्वचा संवेदनशील हो तो उसे तुरंत ठंडे पानी से धो लें.

ये भी पढ़ें- Holi Special: इस बार मनाएं हेल्दी होली

जब उतारना हो रंग

बालों पर भी रंगों का दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए रात को ही बालों में कोई तेल लगा लें. इस से सूखे या गीले रंगों के कारण बालों में रूखापन या खुरदरापन महसूस नहीं होगा. बालों से रंग उतारने के लिए आप चाहे शैंपू से धोएं या साबुन से, मगर पानी गरम ही इस्तेमाल करें. इस से रंग उतारने में आसानी होगी. रंगों से नाखूनों को भी जरूर बचाएं, क्योंकि यदि पक्का रंग नाखूनों पर चढ़ गया तो जल्दी नहीं उतरेगा. नाखूनों पर रंग न चढ़े, इसलिए पहले से ही कोई नेलपौलिश नाखूनों पर लगा लें. इस से रंग नाखूनों पर न चढ़ कर नेलपौलिश पर ही चढ़ेगा. जब आप होली खेल कर नेलपौलिश उतारने लगेंगी तो रंग भी अपनेआप उतर जाएगा. यदि रंग नाखूनों के अंदर या आसपास की त्वचा पर चढ़ जाए तो उसे साबुन से रगड़ने के बजाय 2-3 बार नीबू से रगड़ें. यदि आप की एडि़यां फटी हुई हैं तो पैरों में मोजे पहन कर होली खेलें. वरना फटी एडि़यों में रंग चला गया तो उसे रगड़ कर उतारना मुश्किल होगा. अपने शरीर को अधिक से अधिक कपड़ों से ढक कर रखें ताकि रंग त्वचा पर न लग कर कपड़ों पर ही लगे.

ताकि दुष्प्रभाव न हो

गीले रंगों का प्रयोग पानी अथवा तेल में डाल कर भी किया जा सकता है. ये रंग पक्के तो होते ही हैं, साथ ही इन में कुछ विषैले रासायनिक तत्त्व भी मिले होते हैं. यदि ये शीघ्र न उतारे जाएं तो तब तक नहीं उतरेंगे जब तक नई त्वचा न आ जाए. त्वचा पर ये अपना असर फौरन दिखा सकते हैं और कुछ घंटे बाद भी. इसलिए कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप के चेहरे पर गीला रंग, कालिख या पेंट मले उसे सूखने से पहले ही हटा लें.

ये भी पढ़ें-  और्गेनिक फूड सेहत के लिए फायदेमंद

यदि रंग सूख गया तो उसे उतारने में मुश्किल होगी. इसलिए गीले रंग को जल्दी से किसी कपड़े से पोंछ कर पानी व साबुन से धो लें. यदि रंग बहुत पक्का हो और साबुन से भी न उतरे तो रुई के फाहे में थोड़ा सा मिट्टी का तेल लगा कर उसे रंग वाले स्थान पर हलकाहलका रगड़ें. इस से रंग उतर जाएगा. मगर हां, मिट्टी के तेल को त्वचा पर इस्तेमाल करने के बाद किसी ऐंटीसैप्टिक क्रीम या कोल्डक्रीम का इस्तेमाल जरूर करें. यदि ये चीजें घर में उपलब्ध न हों तो दूध व हलदी का लेप ही थोड़ी देर तक लगा लें. इस से आप की त्वचा पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

विराट को मनाने में सई होगी कामयाब! पाखी को होगी जलन

सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में विराट का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. होश में आने के बाद उसने अपने परिवार के हर सदस्य से शिकायत की है. विराट ने कहा कि किसी ने भी उस पर भरोसा नहीं किया. वह अपनी मां से कहता है कि आप मुझ पर भरोसा नहीं करती लेकिन अपनी परवरिश पर तो भरोसा करती. विराट का परिवार उसे लगातार मनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हो रहा है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में आपने देखा कि विराट सई से बात करने से इनकार कर देता है. इसी बीच सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी में एक नई ट्विस्ट आने वाला है. विराट को मनाने के लिए पहले तो सई चौहान हाउस में एंट्री करेगी. घर में आते ही सई विराट के कमरे में घुस जाएगी, विराट सई को अपने कमरे में देखकर भड़क जाएगा.

ये भी पढ़ें- Aditya Narayan ने शेयर की अपनी बेटी की पहली फोटो

 

View this post on Instagram

 

A post shared by sairat ❤ (@sairat_sp)

 

विराट सई को पूरी तरह से नजरअंदाज करेगा तो वहीं विराट और सई को साथ देखकर पाखी को जलन होने लगेगी. शो में आप ये भी देखेंगे कि जल्द ही सई विराट के साथ होली का जश्न मनाएगी. इस दौरान सई विराट को खूब परेशान करेगी.

ये भी पढ़ें- भारती सिंह की डिलिवरी डेट आई सामने, इस दिन बनेंगी मां

 

View this post on Instagram

 

A post shared by sairat ❤ (@sairat_sp)

 

विराट के कमरे में जगह बनाने के बाद सई उस पर हुक्म चलाएगी. सई की हरकतें देख विराट को गुस्सा आएगा. लेकिन विराट चाहकर भी कुछ नहीं कर सकेगा. शो में ये भी दिखाया जाएगा कि सई विराट को मना लेगी.

ये भी पढ़ें- शादी से पहले ही अक्षू और अभिमन्यु के रिश्ते में आएगी दरार, देखें Video

 

View this post on Instagram

 

A post shared by sairat ❤ (@sairat_sp)

 

Aditya Narayan ने शेयर की अपनी बेटी की पहली फोटो

आदित्य नारायण (Aditya Narayan) इन दिनों सुर्खियों में छाये हुए हैं. हाल ही में उनकी पत्नी श्वेता अग्रवाल ने बेटी को जन्म दिया है. फैंस दोनों को लगातार बधाईयां और शुभकामनाएं दे रहे हैं. आदित्य नारायण ने अपनी बेटी का नाम फैंस के साथ शेयर किया था. उन्होंने अपनी बेटी का नाम त्विषा रखा है. अब उन्होंने अपनी बेटी की पहली झलक सोशल मीडिया पर शेयर किया है.

आदित्य नारायण ने अपने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह अपनी बेटी को संभालते नजर आ रहे हैं. उन्होंने पोस्ट शेयर कर बताया कि वह अगले कुछ सप्ताह अपनी परी जान के साथ बिताना चाहते हैं. इस तरह उन्होंने उन्होंने सोशल मीडिया से ब्रेक लेने का भी फैसला किया है.

ये भी पढ़ें- TMKOC: फिर आया पोपटलाल के लिए शादी का रिश्ता, देखें Video

 

आदित्य नारायण ने त्विषा की फोटो शेयर कर लिखा, आभारी, भाग्यशाली. अपनी इस परी के साथ अगले कुछ सप्ताह बिताने जा रहा हूं. डिजिटल दुनिया, आपसे जल्द ही मिलुंगा.

ये भी पढ़ें- भारती सिंह की डिलिवरी डेट आई सामने, इस दिन बनेंगी मां

 

आदित्य नारायण की इस फोटो पर फैंस और सेलिब्रिटी लगातार रिएक्शन दे रहे हैं. इस फोटो को एक लाख से भी ज्यादा बार लाइक किया जा चुका है. जैस्मिन भसीन, भारती सिंह, विक्रांत मेसी, अली गोनी, सुगंधा मिश्रा ने भी हार्ट शेप इमोजी रिएक्ट किया है.

ये भी पढ़ें- विराट के घर में जबरदस्ती रहेगी सई, भवानी निकालेगी बाहर?

 

कुछ दिन पहले ही आदित्य नारायण ने होस्टिंग छोड़ने का फैसला किया. उन्होंने इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की थी. आपको बता दें कि उन्होंने 18 सालों बाद होस्टिंग छोड़ने फैसला किया. आदित्य ने कहा है कि वह अपनी सिंगिंग, फिटनेस और परिवार पर ध्यान देना चाहते हैं.

 

विद्यार्थियों से बेसुध सरकार

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार की विदेशी नीति के परखच्चे अगर किसी ने उड़ाए हैं तो वे यूक्रेन में फंसे छात्र रहे. यूक्रेन में करीब 20 हजार छात्र मैडिकल की पढ़ाई कर रहे थे और वे बहुत साधारण घरों से आते हैं जो बड़ी मुश्किल से पैसा जुटा कर डिग्री पाने के लिए ठंडे, बेगाने देश में मांबाप से दूर रह कर पढ़ रहे थे. उम्मीद थी कि जिस बेवकूफी से भारत सरकार ने यूक्रेन पर रूसी हमले में रूस का साथ दिया है, बदले में रूस इन छात्रों को सुरक्षित रखने की गारंटी देगा.

ऐसा कुछ नहीं हुआ. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक शब्द भी इन छात्रों के लिए नहीं बोला. उधर, यूक्रेन के लोगों ने इन छात्रों के साथ कोई खास दुर्व्यवहार तो, उन के देश के खिलाफ भारत के रूस को नंगे समर्थन के बावजूद, नहीं किया पर जब खुद उन की जान के लाले पड़े हों तो वे दूसरों की सहायता कैसे करते.

देश का सोशल मीडिया भारत सरकार के निकम्मेपन और उस के अपने गाल थपथपाने की आदत की थूथू से भर गया. प्रचार मंत्री को डमरू बजाने और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने की लगी थी, यूक्रेन में 19 से 25 साल के अनुभवहीन भारतीय छात्रों, जिन की जेब में पैसे न के बराबर होते हैं, की सहायता की चिंता नहीं थी. मंदिरों के नाम पर करोड़ों नहीं, अरबों रुपए वसूलने और खर्च करने वाली सरकार ने इन छात्रों के साथ वैसा ही बरताव किया जैसा मार्च 2020 में लगाए गए लौकडाउन में फंसे दिहाड़ी मजदूरों से किया यानी अपनी देखभाल खुद करो.

ये भी पढ़ें- यूक्रेन में हर घर बना लड़ाई का मैदान

यूक्रेन में भारतीय एम्बैसी ने एक नोट जारी कर दिया कि यूक्रेन में स्थिति खराब हो रही है, छात्र सतर्क रहें और तैयारी कर लें. उस ने न हवाईजहाज भेजे जब एयरपोर्ट चल रहे थे, न पैसे दिए, न भारत सरकार का कोई मंत्री कीव पहुंचा, न प्रधानमंत्री के मुंह से चार शब्द ही निकले. प्रधानमंत्री को तो कांग्रेस को कोसने की लगी थी जबकि कांग्रेस सरकारें कुवैत और अन्य जगहों से बिना शोरशराबा किए युद्ध में फंसे भारतीयों को भरभर कर लाने का तरीका पहले दिखा चुकी हैं.

‘आज जो हो रहा है, वह आप के भाग्य में लिखा हुआ है’ का पाठ पढ़ाने वाले जानते हैं कि पाखंडों की शिकार मूर्ख भारतीय जनता दोचार रोज रोधो कर फिर पूजापाठ में पड़ कर अपने उन्हीं नीतिनिर्माताओं का गुणगान करने लगेगी जिन की वजह से उसे भयंकर कष्ट हुए.

इन छात्रों के मांबापों के लाखों रुपए तो बरबाद हुए ही. जो लौट आए वे भी मरतेपिटते, ठंड में ठिठुरते, मीलों पैदल चल कर यूक्रेन सीमा से बाहर पहुंचे. रूसी सेना ने कभी नहीं कहा कि, चूंकि भारत सरकार ने उस का साथ दिया है, वह स्पैशल बसें लगा कर भारतीय छात्रों को अपने एयरपोर्टों तक ले जाएगी और वहां से भारतीय विमान उन्हें अपने देश ले जाएंगे.

ये भी पढ़ें- वन रैक वन पेंशन का मुद्दा

यह काम रूसी सेना के लिए संभव था पर राष्ट्रपति पुतिन को न नरेंद्र मोदी से कोई प्यार है, न भारतीयों से. वे पूरी तरह अपने अहं, श्रेष्ठता के अहंकार और बल के छद्म भरोसे पर जीने वाले तानाशाह हैं. आज रूसी सेना भी भारतीयों को बराबर का नहीं मानती क्योंकि वहां पश्चिमी देशों की इक्वैलिटी, लिबर्टी और फ्रीडम औफ एक्सप्रैशन की कोई भावना नहीं है, जैसे हमारी वर्तमान आदतों में नहीं है.

हमें कौन से अस्त्रशस्त्र रूस दे रहा है, यह इतना आवश्यक नहीं है जितना यह कि वह हमारे नागरिकों से व्यवहार कैसे करता है. इस पत्रिका के संपादक का खुद का अनुभव बताता है कि रूसी नौकरशाही भारतीयों को हमेशा संदेह से देखती है. एक बार काफी देर तक रूस से सडक़मार्ग से निकलते समय इस पत्रिका के संपादक को रोका गया. वह तो साथ में अमेरिकी व जरमन साथी थे जिन के चलते उन्हें जाने दिया गया लेकिन वे क्षण वैसे ही थे जैसे, रूसी सेना के कारण, भारतीय छात्र आज यूक्रेन में झेल रहे हैं.

Manohar Kahaniya: जब जीजा पर चढ़ा साली का नशा

सौजन्य: मनोहर कहानियां

हंसीमजाक के रिश्ते में रंगीनमिजाजी जब नशा बन जाता है, तब इस में किसी भी तरह की रुकावट बरदाश्त नहीं होती. ऐसा ही नागपुर के एक कारोबारी के साथ हुआ, जिस ने अपनी साली के रिश्ते को न केवल नापाक कर दिया, बल्कि विरोध होने पर 5 लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया…
भरी दोपहर का वक्त था. आलोक की दुकान में मटकतीलचकती अमिषा घुसते ही बोली, ‘‘क्यों जीजाजी, अब लेडीज का भी सामान बेचने लगे?’’

‘‘आप के लिए ही तो लाए हैं,’’ आलोक मुसकराते हुए बोला. ‘‘मेरे लिए! क्या मतलब है आप का?’’ अमिषा बोली.‘‘मतलब यह कि अब आप को अंडरगारमेंट्स के लिए दूसरी दुकान पर नहीं जाना पड़ेगा. ब्रांडेड आइटम लाया हूं. एकदम आप की फिटिंग के लायक.’’ आलोक दुकान के एक कोने की ओर इशारा करते हुए बोला, जहां मौडलों की बड़ी फोटो लगी थी. ‘‘जीजाजी, तब तो आप को सेल्सगर्ल रखनी पड़ेगी,’’ अमिषा झट से बोल पड़ी.

ये भी पढ़ें- जमीन में हिस्सेदारी, विधवाओं की जान पर भारी

‘‘सेल्सगर्ल क्यों, ग्राहक को मैं नहीं दिखा सकता क्या?’’ आलोक बोला.
‘‘अच्छा चलो, मैं ट्रायल करती हूं. मेरे लिए दिखाइए.’’ ‘‘तुम्हारा साइज तो मुझे पता है,’’ आलोक चुटकी लेते हुआ बोला. ‘‘धत्त! बड़े बेशर्म हो.’’ यह कहती अमिषा शरमाती हुई जैसे मटकती आई थी, वैसी ही तेज कदमों से चली गई. आलोक देर तक उसे जाते देखता रहा. यह बात 2 साल पहले की है. अधेड़ उम्र के आलोक माथुरकर नागपुर में गारमेंट की दुकान चलाता था. दुकान से मात्र 10 मीटर की दूरी पर ही बोबडे परिवार रहता था. बोबडे परिवार से उस का गहरा रिश्ता था, कारण वह उस की ससुराल थी.परिवार में उस के 60 वर्षीय ससुर देवीदास बोबडे, 55 वर्षीया सास लक्ष्मी बाई और 22 वर्षीया अविवाहित साली अमिषा बोबड़े रहते थे. ससुर देवीदास एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते थे. देवीदास की बड़ी बेटी विजया से आलोक ने प्रेम विवाह किया था. विजया भी विवाह से पहले अकसर आलोक की दुकान पर आती थी, वहीं वह आलोक से प्रेम करने लगी थी. अमिषा विजया से करीब 10 साल छोटी थी.

मिट गईं दूरियां आलोक के पिता उपेंद्र माथुरकर सालों पहले रोजीरोटी के लिए नागपुर शहर आ कर बस गए थे. उन्होंने पांचपावली इलाके में कपड़ों की सिलाई का काम शुरू किया था. आलोक उन का इकलौता बेटा था. उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा. इस कारण वह पिता के पुश्तैनी काम में लग गया था. कपड़े की सिलाई के अलावा कपड़े की अच्छी जानकारी थी, सो उस ने अच्छीखासी गारमेंट की दुकान खोल ली थी, जिस से परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी हो गई थी. आलोक का अपना सुखीसंपन्न परिवार था. उस के 2 बच्चे थे, जिन में बेटी परी 14 साल की और बेटा साहिल 11 साल का था. विजया आलोक के साथ खुश रहते हुए दांपत्य जीवन का निर्वाह कर रही थी, लेकिन आलोक रंगीनमिजाज किस्म का आदमी था.
दूसरी लड़कियों पर नजरें रखना और फूहड़ मजाक करना उस की आदत में शामिल था. साली को देखते ही उस के मन में तरहतरह के रोमांटिक विचार उमड़ने लगते थे.

ये भी पढ़ें- Top 10 Crime Story in Hindi : टॉप 10 बेस्ट क्राइम कहानियां हिंदी में

जब भी मौका लगता, दुकान से ससुराल चला जाता था, साली के साथ हंसीमजाक कर समय बिताया करता था. उस की सास न चाहते हुए भी चुप रहती थी. मजाकमजाक में एक दिन आलोक ने साली को अकेला पा कर बांहों में भर लिया. अमिषा उस दिन किसी तरह से उस की बाहों से छूटी, लेकिन जल्द ही जीजा के आगे आत्मसमर्पण कर दिया. आलोक ने इस बारे में किसी को नहीं बताने की हिदायत दी.
अमिषा भी एक बार सैक्स का स्वाद लगने पर बेचैन रहने लगी. दूसरी तरफ आलोक उस के साथ अंतरंग संबंध बनाने के लिए मौके की तलाश में रहने लगा. साली की सुंदरता और सैक्स का काकटेल उस के दिमाग में नशे की तरह छा गया था. और फिर उन्होंने अनैतिक संबंध को ही जीवन का एक हिस्सा बना लिया. दोनों इस रिश्ते को ज्यादा दिनों तक छिपा कर नहीं रख पाए. पहले आलोक की पत्नी विजया ने जीजासाली को अंतरंग रिश्ते बनाते रंगेहाथों पकड़ा. उस ने अपने पति की जम कर झाड़ लगाई. बहन को भी समझाया. फिर भी दोनों अपनी मस्ती में डूबे रहे.

.जल्द ही इस की भनक अमिषा की मां और पिता को भी लग गई. उन्होंने अमिषा को तो आडे़ हाथों लिया ही, साथ में आलोक माथुरकर को भी नहीं छोड़ा. हालांकि बेटी की इस हरकत पर उन्हें गहरा धक्का लगा था.उन्होंने अमिषा को प्यार से समझाया अपनी रिश्तेदारी, समाज में बदनामी और उस की बहन के घर की बरबादी का वास्ता दिया. मांबाप के समझानेबुझाने का असर अमिषा पर सिर्फ इतना हुआ कि उस ने आलोक से दूरियां बना लीं. यह बात जनवरी, 2021 की थी.

सिर से पांव तक अमिषा के रंग में डूबे आलोक को उस की दूरियां बरदाश्त नहीं हो रही थीं. वह जितना ही अमिषा के पास जाने की कोशिश कर रहा था, वह उस से उतनी दूर होती जा रही थी.कई बार मौका देख कर अपनी ससुराल भी गया, लेकिन सासससुर के मौजूद रहने के कारण अमिषा से बात तक नहीं कर पाया. वह जब भी ससुराल जाता, उसे नसीहत सुनने को मिलती.बेटी और दामाद का रिश्ता न खराब हो, इस के लिए उन्होंने अमिषा के योग्य कोई अच्छा सा लड़का ढूंढ कर उस की शादी कर देने में ही भलाई समझी.
इस बात की जानकारी जब आलोक को लगी तो उस का खून खौल उठा. उस ने मन ही मन यह तय किया कि अगर अमिषा उस की नहीं तो वह उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. इसी बात को ले कर वह अमिषा को फोन पर तरहतरह की धमकियां भी देने लगा था.

अप्रैल, 2021 के महीने में लौकडाउन के समय तो आलोक ने हद ही कर दी. एक दिन दोपहर को मौका देख कर वह अपनी ससुराल गया. जाते ही अमिषा के साथ जोरजबरदस्ती करने लगा. वह अपनी हरकत में कामयाब होता, इस के पहले वहां अमिषा के मांबाप आ गए.उन्होंने आलोक को न केवल डांटाफटकारा, बल्कि उस के खिलाफ स्थानीय थाने में शिकायत भी दर्ज करवा दी. पुलिस ने परिवारिक मामले को ध्यान में रखते हुए आलोक पर फौरी तौर पर काररवाई की. उस से माफीनामा लिखवाया और चेतावनी दे कर छोड़ दिया. बदले की आग

बात आईगई हो गई, किंतु आलोक अमिषा के साथ वासना पूर्ति की आग में तपता रहा. वह मौके की ताक में रहते हुए बदले की भावना से भी भर चुका था.पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अमिषा के घर वालों को थोड़ी राहत जरूर मिली थी, जबकि आलोक ने पुलिस की काररवाई और माफीनामे को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था. अब उसे अपनी ससुराल और अमिषा से नफरत हो गई थी. उन्हें सबक सिखाने के लिए उस ने एक खतरनाक योजना बना ली थी.उस ने मई महीने में औनलाइन कुछ घरेलू सामान मंगाया. उस में उस ने एक लंबा मटन काटने का चाकू भी मंगवा लिया.

23 जून की रात 10 बजे के करीब आलोक अपनी ससुराल जा पहुंचा. घर पर अमिषा अकेली थी. पिता देवीदास अपनी ड्यूटी पर चले गए थे. मां लक्ष्मीबाई पड़ोस के बच्चे के नामकरण कार्यक्रम में गई हुई थी.
अमिषा अपने कमरे में बैठी अपनी दोस्त के साथ मोबाइल पर चैट कर रही थी. अचानक अपने कमरे में आलोक को देख वह चौंक गई. हड़बड़ाते हुए पूछा, ‘‘जीजाजी आप?’’उस ने मोबाइल को वैसे ही छोड़ दिया. जिस में उन के बीच की बातें रिकौर्ड होने लगीं.‘‘हां मैं, तुम किस से बातें कर रही थीं?’’ आलोक ने कहा.
‘‘आप से मतलब, मैं अपने मन की मालकिन हूं, जिस से चाहूंगी बात करूंगी.’’ अमिषा ने कड़क शब्दों में कहा.आलोक जलभुन गया. वह बोला, ‘‘तुम ने मेरी शिकायत पुलिस में क्यों की थी?’’
‘‘आप की हरकत से घर वाले सब परेशान हो गए थे. बेशर्मी की हद होती है. सब के सामने मुझे जलील कर दिया.’’ अमिषा ने सख्ती से कहा.

इस बात पर आलोक का गुस्सा फूट पड़ा था. उस ने कहा, ‘‘अब मैं तुम्हें इस लायक ही नहीं छोड़ूंगा कि तुम पुलिस थाने जा सको.’’यह कहते हुए आलोक ने अमिषा को पकड़ लिया था. अमिषा खुद को आलोक से छुड़ाने की कोशिश करने लगी. काफी कोशिशें कीं मगर सफल नहीं हुई. सैक्स का उन्माद उतर जाने के बाद ही अमिषा उस के चंगुल से आजाद हो पाई. आलोक द्वारा हाथ से मुंह बंद किए जाने के कारण शोर नहीं मचा पाई. घर से बाहर जाने की कोशिश करने लगी. मगर आलोक ने उसे इस का मौका नहीं दिया. छिपा कर लाए चाकू से एक झटके में अमिषा का गला रेत दिया. वह जमीन पर गिर पड़ी.

खून से लथपथ अमिषा तड़पती रही और आलोक बुत बना उसे देख रहा. इस के पहले कि अमिषा के प्राणपखेरू उड़ते, कमरे में अमिषा की मां लक्ष्मीबाई आ गई. बेटी अमिषा की हालत देख कर चीखते हुए बोली, ‘‘आलोक, यह तुम ने क्या किया?’’आलोक ने लक्ष्मीबाई के गले पर चाकू फिराते हुए कहा, ‘‘चिल्लाओ मत, पड़ोसी आ जाएंगे.’’और फिर उस ने लक्ष्मीबाई का गला भी एक झटके में रेत डाला. आधे घंटे तक वहीं रहने के बाद वह अपने घर आ गया था. बताते हैं कि अपनी ससुराल से वापस घर आने के बाद भी आलोक का क्रोध शांत नहीं हुआ. उसी क्रोध में उस ने पहले अपनी पत्नी की हत्या कर दी. फिर मासूम बेटे साहिल और बाद में बेटी परी को भी मौत की नींद सुला दिया.

अपने पूरे परिवार की हत्या के बाद आलोक का मन शांत हुआ, लेकिन वह विक्षिप्तावस्था में आ चुका था. उस ने कमरे के पंखे से लटक कर अपनी जीवनलीला भी समाप्त कर ली. इस तरह से एक घंटे के भीतर 6 हत्या- आत्महत्या की वारदात की जानकारी अगले रोज हुई.जून महीने की 24 तारीख को दिन के करीब 11 बज चुके थे, नागपुर में में पाचपावली के रहने वाले आलोक माथुरकर का दरवाजा नहीं खुला था. उन के पड़ोस में रहने वाले भोसले परिवार को हैरानी हुई.

रोज सुबह 8 बजे फ्रैश हो कर अपने काम में लग जाने वाले का घर बंद होने पर भोसले परिवार के लोगों ने मकान की कालबेल दबाई. दरवाजा खटखटाया, आवाज दी.कई बार ऐसा करने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला और न मकान के भीतर से कोई आवाज आई, तब वह किसी अनहोनी की आशंका से घबरा गए.
मकान के पीछे लगी खिड़की के पास गए. हलके से धक्के के साथ खिड़की खुल गई. भीतर का मंजर देख कर भोसले परिवार के होश उड़ गए. उन की आंखों के सामने आलोक का सब से छोटा बेटा खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था.उन्होंने मामले की खबर पहले मकान मालिक प्रमोद भिभिकर और फिर थानाप्रभारी जयेश भंडारकर को दी.

कई हत्याओं से सहमा शहर

थाने की ड्यूटी पर तैनात एसआई राज राठौर को मामले की डायरी बनाने का आदेश मिला. जबकि इस की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को देने के बाद एएसआई संदीप बागुल, एसआई राज राठौर, हैडकांस्टेबल रवि पाटिल कुछ समय में ही घटनास्थल पर पहुंच गए. इस बीच यह खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई थी.पुलिस टीम ने दरवाजा तोड़ कर मकान में प्रवेश किया. अंदर 3 लाशें जमीन पर खून से सनी हुई थीं, जबकि एक पंखे से झूल रही थी. पंखे से झूलती लाश की पहचान आलोक माथुरकर के रूप में हुई और बाकी लाशें उस की पत्नी विजया और उस के बच्चों परी एवं साहिल की थीं.

थानाप्रभारी जयेश भंडारकर अपने सहायकों के साथ अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि तभी पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार, एडिशनल पुलिस कमिश्नर सुनील फुलारी के साथ फोटोग्राफर और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए.
उसी समय उन्हें पास में ही एक दूसरे हत्याकांड की सूचना मिली. थानाप्रभारी ने पुलिस की दूसरी टीम को दूसरे घटनास्थल पर भेज दिया.

दोनों घटनास्थल महज 10 मीटर की दूरी पर ही थे. दूसरा स्थान आलोक की ससुराल था, जहां उस की सास लक्ष्मीबाई और साली अमिषा मृत पड़ी थीं. दोनों घटनाओं में सभी की गरदन भी चाकू से रेती गई थी.
परिवार के मुखिया देवीदास ने पुलिस को बताया कि सभी हत्याओं के पीछे उस के दामाद आलोक का ही हाथ है.दोनों घटनास्थल की तमाम औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लाशों का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए नागपुर मैडिकल कालेज भेज दिया गया. उस के एकमात्र गवाह के तौर पर देवीदास से थाने में पूछताछ की गई.

मौके पर बरामद मोबाइल की रिकौर्डिंग से आलोक और अमिषा के बीच संबंधों का खुलासा हो गया. फिंगरप्रिंट से भी आलोक द्वारा हत्याओं को अंजाम दिए जाने की पुष्टि हो गई.
एक ही दिन में 6 लोगों की हत्या और आत्महत्या के मामले की गुत्थी को कुछ घंटों में ही सुलझा लिया गया और जांच एडिशनल पुलिस कमिश्नर सुशील फुलारी को सौंप दी गई. 2 परिवारों में अगर कोई बचा था तो वह थे आलोक के ससुर देवीदास. उन की किस्मत थी जो उस रात अपनी ड्यूटी पर थे. किंतु वे उस किस्मत का क्या करते, जब उन्हें कोई अपना कहने वाला ही नहीं रहा.

प्याज व लहसुन फसल: रोग और कीटों से रहें सावधान

Writer- प्रो. रवि प्रकाश मौर्य

लगातार मौसम में बदलाव होने से इस समय प्याज और लहसुन की फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती है. अगर समय रहते इन का प्रबंधन नहीं किया गया, तो प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

इस बारे में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक और अध्यक्ष, प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी है कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर दोनों फसलों में ?ालसा, मृदुरोमिल फफूंदी, बैगनी धब्बा रोग और थ्रिप्स कीट से सावधान रहने की आवश्यकता है.

वे कहते हैं कि अलसा रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियां एक तरफ पीली और दूसरी तरफ हरी रहती हैं, वहीं मृदुरोमिल रोग में पत्तियों की सतह पर बैगनी रोएंदार बढ़वार दिखाई पड़ती है, जो बाद में हरा रंग लिए पीली हो जाती हैं.

दोनों रोगों की रोकथाम के लिए मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें, वहीं बैगनी धब्बा रोग में प्रभावित पत्तियों और तनों पर छोटेछोटे गुलाबी रंग के धब्बे पड़ जाते हैं, जो बाद में भूरे हो कर आंख के आकार के हो जाते हैं और इन का रंग बैगनी हो जाता है. इस रोग के प्रबंधन के लिए डिफेनोकोनाजोल 2.5 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

प्याज व लहसुन में थ्रिप्स कीट का प्रकोप भी ऐसे मौसम में अधिक होता है. ये कीट छोटे पीले रंग के होते हैं. इन के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों का रस चूसते हैं, जिस के कारण पत्तियों पर हलके हरे रंग के लंबेलंबे धब्बे दिखाई पड़ते हैं, जो बाद में सफेद रंग के हो जाते हैं. इस के प्रबंधन के लिए साइपरमेथ्रिन 1 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें.

ये भी पढ़ें- बड़े काम के छोटे ट्रैक्टर

ध्यान रहे कि प्याज व लहसुन की पत्तियां चिकनी होती हैं. यही वजह है कि उस पर दवा चिपक नहीं पाती है, इसलिए चिपचिपा पदार्थ ट्राइटोन या सेंडोविट 1 मिलीलिटर प्रति लिटर  पानी में घोल कर छिड़काव करें.

दवाओं के छिड़काव के कम से कम

2 हफ्ते बाद ही प्याज व लहसुन को खाने में प्रयोग करें. दवा के छिड़काव के बाद नहाएं और कपड़ों को अच्छी तरह साबुन से धो लें.

जैव उर्वरक उपयोग करने से पहले जानें कुछ बातें हमारे यहां खेती में जैव उर्वरकों में राइजोबियम बैक्टीरिया, एजोटोबैक्टर, फास्फोरस  घोलक जीवाणु, पोटाश मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया, एजोस्पिरिलम के साथ ही माइक्रोराइजा का इस्तेमाल किया जाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल

* बीज या जड़ों को शोधित किया जाता है.

* भूमि शोधन में इस्तेमाल किया जाता है.

* शोधन करने के लिए बीजोपचार

200 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से करें या फिर 50 से 100 ग्राम गुड़ के घोल में मिला कर शोधन करते हैं.

* भूमि शोधन के लिए जड़ या कंद के उपचार के लिए 15 से 20 लिटर पानी में

1 किलोग्राम जैव उर्वरक का घोल बना कर पौधे की जड़ों या कंदों को 10 से 20 मिनट तक शोधित कर के खेत में रोपाई करें.

* मिट्टी के उपचार के लिए 5 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जैव उर्वरक को 200 से 300 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद में मिला कर आखिरी जुताई के समय खेत में इस्तेमाल करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- बजट 2022-23 किसानों के लिए ड्रोन युवाओं को कृषि में देगा रोजगार

इस्तेमाल से पहले कुछ खास सावधानियां

* जैव उर्वरक खरीदने और इस्तेमाल करने से पहले उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* जैव उर्वरक का इस्तेमाल कड़ी धूप में कभी भी न करें. हमेशा सुबह या शाम के समय इस का इस्तेमाल करना चाहिए.

* खेत में सही नमी होना बहुत ही जरूरी है.

* किसी भी कैमिकल के साथ इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

ये भी पढ़ें- गरमी में भिंडी की खेती

कोर्ट मैरिज करने के लिए किन किन डौक्यूमैंट्स की जरूरत होती है?

सवाल

मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. यह बात हम दोनों के घर वालों को मालूम है. हम शादी करना चाहते हैं. मेरे घर वालों की सहमति है, पर लड़के के माता पिता इस रिश्ते के लिए राजी नहीं हैं. इसीलिए हम दोनों ने कोर्ट मैरिज करने का फैसला किया है. जानना चाहती हूं कि इस के लिए किन किन डौक्यूमैंट्स की आवश्यकता होती है?

जवाब

आप ने स्पष्ट नहीं किया कि लड़के के माता पिता इस रिश्ते के खिलाफ क्यों हैं? यदि लड़के में कोई ऐब नहीं है, उस के माता पिता के एतराज के पीछे कोई ठोस वजह नहीं है और आप इस रिश्ते के प्रति पूरी तरह गंभीर हैं, खासकर लड़का, तभी विवाह का फैसला लें.

भरसक प्रयत्न करें कि घर वालों को राजी कर लिया जाए. परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार या किसी पारिवारिक मित्र से उन पर दबाव बनवाया जा सकता है.

यदि वे किसी भी तरह विवाह के लिए तैयार नहीं होते तभी कोर्ट मैरिज के विषय में सोचें. इस के लिए आप दोनों को जन्म प्रमाण पत्र और आवासीय प्रमाण पत्र की आवश्यकता होगी. इन के अलावा दोनों की ओर से 2-2 गवाहों की दरकार होगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें