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अनुपमा को जान से मारने की धमकी देगा पारितोष! क्या करेगी किंजल?

टीवी शो ‘अनुपमा’ लगातार टीआरपी लिस्ट में टॉप पर बना हुआ है. इन दिनों शो की कहानी का ट्रैक दर्शकों का दिल जीत रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि  एक तरफ किंजल की बेटी का रोना बंद नहीं होता है तो वहीं उसे बचाने के चक्कर में अनुज गिर जाता है और उसके सिर पर चोट लग जाती है. ये सब देखकर ‘अनुपमा’ बुरी तरह घबरा जाती है.  उसे लगाता है कि उसके कारण ही सबकुछ हो रहा है. वह खुद कोसती लेकिन अनुज उसे समझाता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के नए एपिसोड में आप देखेंगे कि बा कपाड़िया हाउस जाकर खूब तमाशा करने वाली है. वह अनुपमा के घर जाकर किंजल से उसकी बेटी छीनने लगती हैं. लेकिन अनुपमा उनके हाथ से बच्ची ले लेती है और कहती है कि वह कोई खिलौना नहीं है. लेकिन बा अनुपमा को कहती है कि इसने खुद का घर तोड़ दिया है, वो किंजल का घर भी तोड़ देगी. बा, अनुपमा को ताना मारती हैं कि अपने ही बेटे का बर्बाद करने पर क्यों तुली है.

 

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बा अनुपमा को  खूब सुनाती है. ऐसे में अनुज का पारा बढ़ जाता है. वह बा पर चीख पड़ता है औऱ कहता है कि इतनी देर से आप अनुपमा को भला-बुरा कह रही हैं, लेकिन अब प्लीज यहां से चले जाइए.

 

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तो दूसरी तरफ वनराज को पता चलता है कि बा, किंजल और परी से मिलने के लिए कपाड़िया हाउस गई हैं तो वो परेशान हो जाता है. वह कहता है कि बा को ऐसा नहीं करना चाहिए था. उसका दिल परितोष से मिली धमकी से बैठ जाता है. वह कहता है कि परितोष क्या करेगा, क्या नहीं कुछ नहीं पता है.

 

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शो में आप देखेंगे कि परितोष कपाड़िया हाउस  जाएगा और किंजल से उसकी बेटी छीनेगा. वह हाथ में चाकू लेकर कहेगा कि किंजल अगर तुमने मुझे माफ नहीं किया तो मैं अपनी जान दे दूंगा. इसी बीच अनुपमा उससे कहेगी कि “हां तो दे ना.” रिपोर्ट के अनुसार परितोष अपनी जगह अनुपमा की जान लेने की कोशिश करेगा. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा अपने बेटे को कैसे सुधारती है?

प्यार ने तोड़ी धर्म की दीवार : भाग 2

मोमिन हो गई घर से फरार

पलक झपकते ही उस की बाइक हवा से बातें करने लगी थी. मोमिन खातून को साथ ले कर सूरज कोई 5 मिनट में ही अपने गांव पहुंच गया. मोमिन खातून और सूरज के गांव आसपास ही थे. दोनों के गांव में मुश्किल से 2 किलोमीटर की ही दूरी थी. सूरज के घर आते ही उस ने अपने शरीर का वजन कुछ हलका किया. उस ने अपना बुरका उतार कर एक तरफ रख दिया.

मोमिन खातून ने सूरज के घर जाते ही उस के मम्मीपापा के पैर छू कर आशीर्वाद लिया. हालांकि सूरज के मम्मीपापा मोमिन के इस कदम से नाखुश थे. लेकिन अपनी औलाद की खुशी के लिए उन्हें यह जहर का प्याला पीने पर मजबूर होना पड़ा था.उन्हें मालूम था कि मोमिन खातून मुसलिम समुदाय से ताल्लुक रखती है. कन्हैयालाल की निर्मम हत्या के बाद वैसे ही देश में बवाल मचा पड़ा था. उन्हें डर था कि कहीं मोमिन खातून के घर छोड़ने की खबर पा कर उस के परिवार वाले उस के घर आ कर हंगामा खड़ा न कर दें.

इस बात को गहराई से लेते हुए सूरज के मम्मीपापा ने सूरज और मोमिन खातून को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ही अपनी जिद पर अड़े थे.मोमिन खातून ने बताया कि उस ने अपने परिवार वालों से तो 2 साल पहले ही नाता रखना बंद कर दिया था. लेकिन उस घर में रह कर शरण लेना उस की बहुत बड़ी मजबूरी थी.मोमिन खातून ने सूरज के घर वालों को दिलासा दिलाया कि मेरे होते आप के परिवार पर किसी तरह की कोई परेशानी आने वाली नहीं. वह इस वक्त बालिग है. उसे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने का पूरा अधिकार है.

मोमिन खातून को अपने घर से निकले हुए 2 दिन गुजर गए. उस के घर वालों की तरफ से कोई ऐसी बात सामने नहीं आई, जिस से सूरज का परिवार मुसीबत में फंसे. सूरज के घर वालों ने चुपकेचुपके से उस के परिवार वालों का जायजा लिया. लेकिन उस के परिवार वाले मोमिन खातून के जाने से एकदम सामान्य थे.मोमिन खातून के घर वाले पहले ही जानते थे कि एक न एक दिन यह लड़की समाज में उन की नाक कटवा कर ही रहेगी. फिर वही हुआ. उस की जो मरजी थी, उस ने वही किया. वह आगे भी उन की एक नहीं सुनने वाली थी. इसी कारण उन्होंने न तो उस के घर छोड़ कर जाने का गांव में ढिंढोरा ही पीटा और न ही पुलिस में उस के और सूरज के खिलाफ कोई रिपोर्ट ही दर्ज कराई.

मोमिन खातून के सूरज के घर आने के बाद से ही गांव में तरहतरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. गांव वालों ने सूरज के पापा जोखू सिंह को कई बार समझाने की कोशिश की.उन्होंने कहा कि देश में पहले ही कन्हैयालाल की घटना से सांप्रदायिकता का माहौल पैदा हो गया है. फिर यह तो गांव के पास का ही मामला है. कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारे बेटे के कारण गांव में किसी तरह का फसाद हो जाए.
लेकिन वह भी सूरज की जिद के आगे हार मान बैठे थे. सूरज के पिता ने हालात से संघर्ष करने के लिए गांव के कुछ बुजुर्गों को बैठा कर इस मसले पर बात की तो गांव के कुछ लोग इस मामले में उन का साथ देने के लिए आगे आए.

फिर योजना बनी कि जो होगा देखा जाएगा. मोमिन खातून और सूरज की शादी का निर्णय लेते ही शादी का दिन भी रख लिया गया था.13 जुलाई, 2022 के दिन आजमगढ़ के अतरौलिया स्थित सम्मो माता मंदिर में शादी होनी तय हुई. इस शादी को ले कर सूरज के घर वालों ने पूरी तरह से तैयारियां कर ली थीं. शादी के लिए एक पंडित को भी बुला लिया गया था.

सब तैयारियां पूरी होने के बाद घर वालों की तरफ से मोमिन खातून को तैयार होने के लिए कहा गया. शादी की बात सुनते ही मोमिन खातून का दिल बागबाग हो उठा. खुशी के मारे उस के पांव जमीं पर नहीं टिक पा रहे थे.नहाधो कर मोमिन खातून ने एक लाल साड़ी पहनी. गीले बाल सुखाने के बाद वह आईने के सामने खड़ी हुई और फिर हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार उस ने भरपूर शृंगार किया.

मोमिन ने माथे पर दमकती बिंदिया, गुलाबी अधरों पर मनमोहक लिपस्टिक, नाजुक कलाइयों में लाललाल चूडि़यां पहनीं. फिर सोलह शृंगार करने के बाद वह सूरज के साथ ही सम्मो माता मंदिर में जा पहुंची. मंदिर पहुंचते ही हिंदू रीतिरिवाज से पंडित के मंत्रोच्चार के बीच दोनों परिणय सूत्र में बंध गए.

ढहा दी धर्म की दीवार

 

उपराज्यपाल और ‘आप’

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने आम आदमी पार्टी के 5 सदस्यों को मानहानि का नोटिस भेजा है. इन आम आदमी पार्टी के नेताओं ने उपराज्यपाल पर आरोप लगाए हैं कि जब वे खादी ग्रामोद्योग विकास आयोग के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने 1,400 करोड़ रुपए के नोट 2016 में नोटबंदी के दौरान बदलवाए थे. जबकि, वी के सक्सेना के अनुसार, नोटबंदी के दौरान खुली केवल 50 दिन की खिडक़ी के दौरान आयोग की बिक्री ही इतनी नहीं थी कि पुराने नोट जमा कर के बैंकों से नए नोट लिए जा सकें.

आप के नेताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें शक है कि यह कांड हुआ और सीबीआई, ईडी, पीएमएलए को जांच करनी चाहिए. आप नेताओं का कहना है कि उन्हें संदेह है कि ऐसा हुआ और जांच एजेंसियां दूध का दूध पानी का पानी कर सकती हैं.

वी के सक्सेना के तर्क में दम है पर केवल उसी तर्क के दम पर फैसले मान्य हों तो देशभर में आयकर, जीएसटी, पुलिस मामले जो लाखों में चल रहे हैं उन में गिरफ्तारियां और छापे अवैध हो जाएंगे. एन्फोर्समैंट डायरैक्टोरेट या सैंट्रल ब्यूरो औफ इन्वैस्टिगेशन अफवाहों के आधार पर नोटिस भेजते हैं और छापे मारते हैं. देश में अफवाह को सुबूत मान लिया गया है और तभी अरविंद केजरीवाल, अन्ना हजारे, किरण बेदी, अनुपम खेर, रामदेव जैसों ने 2012-13 में विनोद राय, कंप्ट्रोलर जनरल औफ इंडिया, की नितांत झूठी रिपोर्ट पर तब की यूपीए सरकार को घेरे में डाल दिया था.

जब अपने पर आरोप लगे तो तर्कों और तथ्यों का सहारा लिया जाए और जब दूसरों पर आरोप लगाना हो तो कोई भी तिनका ले कर ताड़ बना दिया जाए और देश की न्याय व्यवस्था इसे मुद्दा मान कर कुछ को महीनोंसालों बंद कर के सलाखों के पीछे रख दे या उन का राजनीतिक कैरियर बरबाद कर दिया जाए, यह कैसे माना जा सकता है?

दूसरों पर झूठे आरोप लगाना और न केवल खाने की मेज पर उन्हें कहना या चाय के टपरे पर दोहराना हमारे समाज की परंपरा है. हमारी सारी धार्मिक पुस्तकों में सैंकड़ों कहानियां भरी हुई हैं जिन में तरहतरह के आरोप लगाए गए हैं. शास्त्रों में श्राद्ध की बड़ी महिमा गाई गई है. हमारे नीतिनिर्धारक इन पुराणों, शास्त्रों, स्मृतियों को संविधान और कानूनों से ऊपर मानते हैं. पर इन में किस तरह ब्राह्मïण को श्राद्ध के समय किन लोगों से खाना या दान नहीं लेना चाहिए उस की सूची में बिना तथ्यों व तर्कों के बहुतों को आरोपी बना दिया गया है.

कूर्म पुराण अपने अध्याय 21 में कहता है कि विधवा स्त्री से विवाह करने वाले, काने, अपंगों, स्त्रियों के साथ संबंध बनाने वाले, समुद्र की यात्रा करने वाले जैसों से श्राद्ध का दान या भोजन नहीं लेना चाहिए. पर यह फैसला किया जाएगा कि ये लोग ???…………??? हैं. सूची तो बहुत लंबी है और उस युग में जब पुराण लिखा गया कौन सी ईडी जांच कर के बताती थी कि ये आरोप सही हैं.

पौराणिक युग को संस्कारमयी मानने वाले लोगों को सोचना होगा कि जब पुराणों में आरोप लगाना मात्र किसी को अपराधी घोषित कर देना है तो आज एक एफआईआर, ईडी, सीबीआई, एनआईए का छापा किसी को अपराधी घोषित कर देने के लिए काफी है. सो, जनप्रतिनिधियों के आरोप को राजनीति से प्रेरित झूठ कैसे माना जा सकता है जब तक जांच न हो जाए?

वी के सक्सेना ने मानहानि के नोटिस अवश्य भेजे हैं पर वे वास्तव में दावे की दलील दे पाएंगे, इस में संदेह है क्योंकि मानहानि के दावे में आरोप लगाने वाले से भी बहुत से सवाल पूछे जाते हैं. वी के सक्सेना उपराज्यपाल चाहे हों, पर वे यह जोखिम लेंगे, इस में संदेह है.

क्या अनवांटेड 72 लेने के बाद भी प्रैग्नैंट होने का खतरा रहता है ?

सवाल

मैं 22 साल की हूं. मेरा एक बौयफ्रैंड है. 15 दिन पहले की बात है हम दोनों के बीच अनसेफ सैक्स हुआ. हम दोनों को आइडिया नहीं था ऐसा हो जाएगा. बौयफ्रैंड ने कहा वह संभाल लेगा पर फिर डाउट था कि कुछ गड़बड़ न हो गई हो. मैं ने उसे 2 दिन बाद अनवांटेड 72 लाने को कहा. तीसरे दिन मैं ने पिल ले ली, पर चिंता सता रही है कि कहीं अनहोनी न हो गई हो. मैं पूछना चाहती हूं कि अनवांटेड 72 लेने के बाद भी प्रैग्नैंट होने का खतरा रहता है क्या?

जवाब

देखिए, अनवांटेड 72 लेने के बाद प्रैग्नैंसी की संभावना कम है लेकिन 100 प्रतिशत की गारंटी नहीं है. अगर समय निकलने के बाद पिल ली है तो प्रैग्नैंसी का खतरा रहता है. हालांकि यह बहुत सारे फैक्टर्स पर डिपैंड करता है, जैसे कि मंथली साइकिल किस फेज में है, पिल अनसेफ सैक्स के कितनी देर बाद ली. अगर पिल 72 घंटों बाद ली तो हां, प्रैग्नैंसी के चांस बनते हैं.

आप कह रही हैं आप ने यह पिल सैक्स के बाद 3 दिन के भीतर ले ली तो प्रैग्नैंसी की संभावना तो नहीं होनी चाहिए. आप के लिए जरूरी यह है कि इस तरह के संबंधों में यदि जाएं तो लापरवाही बिलकुल भी नहीं बरतनी चाहिए. आज की नई पीढ़ी फास्ट है, प्रोटैक्शन की सारी चीजें मैडिकल स्टोर में उपलब्ध रहती हैं जिन्हें लेने में संकोच नहीं करना चाहिए.

जब भी बौयफ्रैंड के साथ आप सैक्स संबंध बनाएं इस बात का ध्यान रखें कि प्रोटैक्शन जरूरी है. अगर प्रोटैक्शन नहीं है तो अपने मन पर नियंत्रण रख कर बौयफ्रैंड को अपने करीब आने से रोकें क्योंकि आगे कुछ गड़बड़ हो गई तो भुगतना आप को ही पड़ेगा.

इस के अलावा प्रोटैक्शन सिर्फ गर्भधारण को ही नहीं रोकता बल्कि कई यौन बीमारियों से भी बचाता है. फिलहाल आप निश्ंिचत हो सकती हैं पर आगे के लिए इन बातों का ध्यान रखें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

सितंबर महीने में खेती- किसानी के खास काम

कृषि संवाददाता

बरसात के मौसम के बाद सितंबर महीने का आगाज होता है. खेतीकिसानी के लिहाज से यह खासा खुशगवार महीना होता है. खेतीबारी के हिसाब से सितंबर महीने में आलू बोए जाते है. आइए, गौर करते हैं सितंबर महीने में होने वाली खेतीकिसानी संबंधी गतिविधियों पर :

* अगर बारिश न हो, तो गन्ने की सिंचाई का खयाल रखें. अगर ज्यादा पानी बरस जाए और खेतों में पानी भर जाए, तो उसे निकालना बेहद जरूरी है, वरना गन्ने की फसल पर बुरा असर पड़ेगा.

* इस बीच गन्ने के पौधे खासा बड़े हो जाते हैं. लिहाजा, उन का ज्यादा खयाल रखना पड़ता है. ये मध्यम आकार के पौधे तीखी हवाओं को बरदाश्त नहीं कर पाते, इसलिए उन्हें गिरने से बचाने का इंतजाम करना चाहिए.

* गन्ने के पौधों को ठीक से देखें और बीमारी की चपेट में आए पौधों को जड़ से उखाड़ दें. इन बीमार पौधों को या तो जमीन में गहरा गड्ढा खोद कर गाड़ दें या फिर उन्हें जला कर नष्ट कर दें.

* धान के खेतों की जांच करें और पानी न बरसने की हालत में जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. अगर पानी ज्यादा बरसे और धान के खेतों में भर जाए, तो उसे निकालने का इंतजाम करें.

* धान के खेतों में अगर गंधी बग कीट का प्रकोप नजर आए, तो उस की रोकथाम के लिए 5 फीसदी मैलाथियान के घोल को फसल पर छिड़कें. कीटों के अलावा बीमारी का भी खतरा रहता है. रोगों के लिहाज से भी धान की देखभाल जरूरी होती है.

* देर से तैयार होने वाली धान की किस्मों के खेतों में अभी तक नाइट्रोजन की बची मात्रा नहीं डाली गई हो, तो उसे जल्दी से जल्दी डालें.

* कीटों के लिहाज से भी अरहर के खेतों की जांच करें. यदि फलीछेदक कीट का हमला दिखाई दे, तो रोकथाम करें.

* सोयाबीन के खेतों का जायजा लें और देखें कि खेत की सतह सूखी तो नहीं है. अगर ऐसा हो तो खेत की बाकायदा सिंचाई करें. दरअसल, फसल में फूल आने व फलियां तैयार होने के दौरान खेत में नमी होना जरूरी है.

* यह भी देखना जरूरी है कि कहीं ज्यादा बरसात की वजह से सोयाबीन के खेत में ज्यादा पानी तो नहीं भर गया. ऐसा होने पर उसे निकालने का माकूल इंतजाम करें.

* यह भी देखना जरूरी है कि कहीं सोयाबीन की फसल में फलीछेदक व गर्डिल बीटल कीटों का हमला तो नहीं हुआ. ऐसा होने पर बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी वाली दवा की डेढ़ लिटर मात्रा काफी पानी में मिला कर प्रति हेक्टेयर की दर से फसल पर छिड़कें. कीटों का असर इस के बाद भी खत्म न हो, तो 2 हफ्ते बाद दवा की इतनी ही मात्रा दोबारा फसल पर छिड़कें.

* सितंबर माह में आमतौर पर मूंगफली के पौधों में फूल निकलते हैं और उस दौरान खेत में नमी होना जरूरी है. अगर खेत सूखा लगे, तो फौरन सिंचाई का इंतजाम करें, लेकिन ज्यादा बरसात की वजह से अगर खेत में पानी जमा हो गया हो, तो उसे निकालने का जुगाड़ करें.

* मूंगफली के खेत में अगर दीमक का असर नजर आए, तो रोकथाम के लिए क्लोरोपाइरीफास 20 ईसी वाली दवा की

4 लिटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के वक्त पानी के साथ डालें.

* मक्के के खेतों में अगर नमी कम महसूस हो, तो जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. अगर इस बीच ज्यादा बरसात  होने से मक्के के खेत में फालतू पानी भर गया हो, तो उसे निकालने का इंतजाम करें.

* अगर तोरिया बोनी हो, तो उस की बोआई का काम सितंबर के दूसरे हफ्ते यानी

15 सितंबर तक निबटा लें.

* सितंबर महीने में आलू की अगेती बोआई की जाती है. अगेती बोआई के लिए आलू की कुफरी बहार, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी सूर्या या कुफरी पुखराज किस्मों का चुनाव करें या अपने क्षेत्र के अनुकूल प्रजाति का चयन करें.

* इसी महीने टमाटर की भी नर्सरी डाली जाती है. पिछले महीने डाली गई नर्सरी के पौधे तैयार हो गए होंगे, लिहाजा उन की रोपाई करें.

* टमाटर की रोपाई से पहले निराईगुड़ाई कर के खरपतवार निकाल कर खेत को अच्छी तरह तैयार करना जरूरी है.

* अगेती मटर, मूली व शलगम की बोआई भी सितंबर महीने में की जाती है. बोआई से पहले खेत की अच्छी तरह तैयारी करना बहुत जरूरी है.

* अदरक के खेतों का जायजा लें. अगर खेत सूखे नजर आएं, तो सिंचाई का इंतजाम करें और कहीं उन में बारिश का पानी भर गया हो, तो उसे निकालने का इंतजाम करें.

* हलदी के खेतों का भी जायजा लें और नमी कम लगे तो सिंचाई करें. लेकिन अगर खेतों में बरसात का पानी भर गया हो, तो उसे निकालने का इंतजाम करें.

* अदरक के पौधों पर ध्यान दें. अगर उन में झुलसा रोग के लक्षण दिखाई दें, तो रोकथाम के लिए जल्दी से जल्दी इंडोफिल एम 45 दवा के 0.2 फीसदी घोल को फसल पर छिड़कें.

* हलदी के पौधों में भी इस दौरान झुलसा रोग का खतरा रहता है, लिहाजा जांच कर के जरूरत के मुताबिक इंडोफिल एम 45 दवा के 0.2 फीसदी घोल का छिड़काव करें.

* आम के पेड़ों पर भी इस दौरान बीमारियों का खतरा मंडराता रहता है, लिहाजा उन की देखभाल बेहद जरूरी है. यदि उन में एंथ्रेक्नोज या गमोसिस रोगों का असर दिखाई दे, तो कौपर औक्सीक्लोराइड दवा की 600 ग्राम मात्रा को 200 लिटर पानी में घोल कर छिड़कें.

* सितंबर महीने के दौरान अकसर लीची के पेड़ों पर तनाछेदक कीटों का हमला हो

जाता है. ऐसी हालत में रुई को पैट्रोल में

डुबो कर कीटों द्वारा बनाए गए छेदों में भर दें. इस के बाद छेदों को गीली मिट्टी से कायदे से ढक दें.

* जाती बारिश के इस महीने में अपने तमाम मवेशियों की जांच माहिर पशु डाक्टर से कराएं, ताकि वे स्वस्थ व महफूज रहें.

* जांच के बाद डाक्टर द्वारा बताए गए टीके वगैरह लगवाने में लापरवाही न बरतें.

* मुरगी व मुरगे वगैरह की हिफाजत का पूरा खयाल रखें. बारिश में उन्हें भीगने न दें.

* इस सूखेगीले महीने में भी सांप, गोह व नेवले जैसे जानवरों का जोर रहता है, लिहाजा अपने पशुपक्षियों को उन से बचा कर रखें.

* खुद भी खेतों में मोटे व अच्छे किस्म के जूते पहन कर जाएं, ताकि कीड़ेमकोड़ों से महफूज रहें.

* रात के वक्त अपने साथ टौर्च व डंडा जरूर रखें व मोबाइल पर तेज संगीत बजाते रहें, ताकि खतरनाक जानवर शोर सुन कर नजदीक न आएं.

Manohar Kahaniya: खुश्बू के प्यार की दुर्गंध

पहली जून, 2002 की बात है. सुबह के 4 बज रहे थे. आगरा के खंदौली थाने में तैनात कांस्टेबल के.डी. बाबू और अंकित चौधरी गश्त से लौट रहे थे. आगराजलेसर मार्ग पर गांव आबिदगढ़ के मोड़ पर सड़क किनारे पेड़ की आड़ में एक शव जल रहा था. यह देख कर दोनों कांस्टेबलों ने अपनी बाइक रोकी और वहां पहुंच गए.

वहां शव जलता दिखा तो उन्होंने तत्काल थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह को फोन से सूचना दी. थानाप्रभारी ने भी तत्परता दिखाई. वह थाने से कंबल ले कर मौके पर पहुंच गए. तब तक  दोनों कांस्टेबलों ने रेत आदि डाल कर किसी तरह आग बुझाने की कोशिश जारी रखी. थानाप्रभारी के पहुंचने के बाद कंबल डाल कर आग पूरी तरह बुझा दी गई.

जल रहा शव एक युवती का था. तब तक युवती का पेट और नीचे का ज्यादातर हिस्सा जल चुका था. चेहरे व हाथ का कुछ भाग भी झुलस गया था. उधर से गुजर रहे ग्रामीणों को जैसे ही इस की जानकारी मिली, वह भी वहां पहुंच गए.

थानाप्रभारी आनंदवीर सिंह ने अधजले शव का निरीक्षण किया. मृतका लगभग 20-22 साल की युवती थी.

थानाप्रभारी ने इस सनसनीखेज घटना की जानकारी से उच्चाधिकारियों को भी अवगत करा दिया. शव की शिनाख्त न होने पर पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को मोर्चरी भिजवा दिया. यह बात पहली जून, 2022 की है.

युवती कौन थी? उस की हत्या किस ने, कहां और क्यों की? युवती के पास मोबाइल अथवा ऐसी कोई चीज भी नहीं मिली थी, जिस से उस की शिनाख्त हो सके. पुिलस का प्रयास था कि शव की शिनाख्त जल्दी हो जाए ताकि उस के हत्यारों को गिरफ्तार कर हत्या का परदाफाश किया जा सके.

मथुरा में यूपी 112 की पीआरवी पर तैनात सिपाही वीरपाल सिंह की बड़ी बेटी 20 वर्षीय खुशबू जो बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय में बीकौम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. वह 30 मई, 2022 को सुबह  10 बजे कालेज जाने के लिए घर से निकली थी. इस के बाद वह दोपहर 3 बजे तक वापस नहीं आई.

इस पर उस के दादा रामचरन ने खुशबू को फोन किया, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई. वह लगातार फोन मिलाते रहे. उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था.

किसी अनहोनी की आशंका पर उन्होंने बेटे वीरपाल सिंह को इस की जानकारी दी. वीरपाल जानकारी मिलते ही आगरा आ गए. पहले उन्होंने खुशबू की सहेलियों से पूछताछ की.

काफी तलाश करने के बाद भी जब बेटी का कोई पता नहीं चला, तब वीरपाल ने बेटी के लापता होने की रिपोर्ट आगरा के थाना एत्माद्दौला में 31 मई को दर्ज करा दी.

सिपाही वीरपाल सिंह मूलरूप से एटा जिले के जलेसर के नगला नैनसुख गांव के रहने वाले हैं. उन का परिवार थाना एत्माद्दौला क्षेत्र की शांताकुंज कालोनी में रहता है. 2 बेटियों में खुशबू बड़ी थी.

खुशबू के लापता होने पर पुलिस ने घर वालों से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि 30 मई की सुबह 10 बजे घर से खुशबू पड़ोसी दुर्गेश के साथ उस की बाइक पर कालेज जाने के लिए निकली थी. उस की परीक्षाएं चल रहीं थीं. उस का 4 जून को पेपर था. इस के लिए उसे कालेज की लाइब्रेरी में कुछ किताबें जमा करनी थीं, जबकि कुछ किताबें ले कर आनी थीं. इस के बाद वह लापता हो गई. इस पर पुलिस ने पड़ोसी दुर्गेश से पूछताछ की. दुर्गेश ने बताया उस ने खुशबू को वाटरवर्क्स पर छोड़ दिया था.

पुलिस ने कई स्थानों के सीसीटीवी कैमरे भी चैक किए. खुशबू के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली और जांच शुरू की. पुलिस को खुशबू की आखिरी लोकेशन 30 मई की रात पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी की मिली. इस के बाद मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था.

पुलिस ने ट्रांस यमुना कालोनी में भी उसे तलाशा. अब तक पुलिस के हाथ ऐसा कोई सुराग नहीं लगा था, जिस से खुशबू के बारे में जानकारी मिल पाती. पुलिस 30 मई के उन नंबरों की जांच में जुट गई, जिन पर खुशबू की बात हुई थी.

इसी बीच वीरपाल सिंह को रात को जानकारी मिली कि 20-21 साल की एक युवती की अधजली लाश थाना खंदौली पुलिस को मिली है. इस पर वीरपाल सिंह घर वालों के साथ रात में ही पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गए.

चेहरे और कपड़ों से घर वालों ने उस शव की शिनाख्त बेटी खुशबू के रूप में की. खुशबू की हत्या की जानकारी होते ही घर में कोहराम मच गया. बेटी की मौत से मां कुसुम लता के आंसू रुक नहीं रहे थे.

वीरपाल सिंह ने अपनी बेटी की हत्या का आरोप नाऊ की सराय के नवनीत नगर निवासी आशीष तोमर पर लगाते हुए उस के खिलाफ थाना खंदौली में हत्या व सबूत मिटाने की धारा में रिपोर्ट दर्ज करा दी.

आरोप में कहा गया था कि आशीष काफी समय से उन की बेटी को परेशान कर रहा था. वह उस पर शादी का दबाव बना रहा था. शादी से इंकार करने पर उस ने खुशबू की हत्या कर दी और सबूत मिटाने के लिए शव को जलाने का प्रयास किया.

खुशबू ने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में ही की थी. इस के बाद वह आगरा आ गई. 9वीं से 12वीं कक्षा तक एक पब्लिक स्कूल में पड़ी. वर्तमान में वह बलकेश्वर स्थित संत रामकृष्ण कन्या महाविद्यालय से बीकौम कर रही थी. यह उस का दूसरा साल था.

आशीष और खुशबू दोनों एकदूसरे को कई सालों से जानते थे. पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा में आशीष और खुशबू साथसाथ पढ़ते थे. पढ़ाई के दौरान ही दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हो गए. दोनों चोरीछिपे मिलते और बातचीत करने लगे. आशीष और खुशबू दोनों ही एकदूसरे को बहुत पसंद करने लगे थे.

किसी तरह दोनों की दोस्ती की जानकारी खुशबू के घर वालों को हो गई. तब उन्होंने खुशबू को समझाने के साथ ही आशीष को भी खुशबू से दूर रहने की हिदायत दी. जहां खुशबू आशीष को प्यार करती थी तो वहीं खुशबू के सिपाही पिता उसे पसंद नहीं करते थे.

पिता वीरपाल ने आशीष को 3 बार समझाया भी था. बीकौम करने के लिए उन्होंने बेटी का एडमिशन भी गर्ल्स कालेज में करा दिया था. लेकिन आशीष पर ऐसी दीवानगी छाई थी कि समझाने के बाद भी उस ने खुशबू का पीछा नहीं छोड़ा. वह उस से मिलता और फोन पर बात भी करता.

उधर अपने पिता के डर से खुशबू ने अब आशीष से मिलना छोड़ दिया था. कभीकभी दोनों की मोबाइल पर ही बातचीत हो पाती थी. यह बात आशीष को नागवार गुजरी.

घटना से 6 महीने पहले आशीष ने खुशबू के साथ खींचे फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिए थे. जब इस बात की जानकारी खुशबू के पिता वीरपाल को हुई तो उन्होंने आशीष के खिलाफ थाना एत्माद्दौला में शिकायत कर आशीष को थाने में बंद करा दिया.

इस पर आशीष माफी मांगने लगा, वादा  किया कि वह फिर कभी खुशबू को परेशान नहीं करेगा. तब इस पर उसे थाने से छोड़ दिया गया और शिकायत वापस ले ली गई. लेकिन आशीष बेटी की जान ले लेगा, यह किसी ने नहीं सोचा था. खुशबू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने 2 जून, 2022 को आशीष तोमर और उस के पिता मुकेश तोमर को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर दोनों से पूछताछ की गई.

आशीष ने खुशबू की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए बताया कि वह खुशबू से काफी समय से प्यार करता था. खुशबू भी उसे चाहती थी. दोनों मोबाइल पर एकदूसरे से बातें करते थे. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन अपने घर वालों के दवाब में खुशबू शादी से मना कर देती थी.

30 मई को सोमवती अमावस्या थी. आशीष के मातापिता गंगा स्नान के लिए राजघाट गए थे. पिता मुकेश तोमर प्राइवेट ठेकेदारी का काम करते हैं. उन के जाने के बाद आशीष ने खुशबू से मिलने का अच्छा मौका देख कर उसे फोन किया और आखिरी बार मिलने का वादा कर उसे अपने घर पर बुला लिया. खुशबू के घर में आते ही आशीष ने उसे आगोश में ले लिया. दोनों एकदूसरे की गलबहियां डाले काफी देर तक बातचीत करते रहे.

शाम करीब 4 बजे खुशबू अपने घर जाने के लिए उठी. उस ने कहा, बहुत देर हो गई है. आज मैं कालेज भी नहीं जा सकी, घर वाले इंतजार कर रहे होंगे.  तब भावुक हो कर आशीष ने कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता. मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

शादी की बात करने पर खुशबू बोली, ‘‘आशीष, तुम तो जानते ही हो कि हमारा प्रेम अमर है. प्यार कभी शादी का मोहताज नहीं होता. फिर मेरे घर वाले भी तुम से शादी के अभी खिलाफ हैं.’’

उस ने शादी से इंकार कर दिया. इस पर दोनों में विवाद होने लगा. बात बढ़ गई और गुस्से में आशीष ने खुशबू की दुपट्टे से गला घोंट कर हत्या कर दी.

खुशबू की हत्या करने के बाद उस ने उस के शव को अपने पलंग के नीचे छिपा दिया. गुस्से में आशीष ने अपनी प्रेमिका की हत्या तो कर दी थी, लेकिन हत्या के बाद वह परेशान हो गया.

उस के जेहन में बारबार एक ही प्रश्न घुमड़ रहा था कि लाश को अब ठिकाने कैसे लगाया जाए? वह रात भर शव के साथ ही रहा.  पूरी रात उस की आंखों में जाग कर कटी. दूसरे दिन यानी 31 मई को उस के मातापिता आ गए.

गरमी का मौसम होने और कमरा बंद होने से लाश से दुर्गंध आने लगी थी. इस पर उस ने कमरे में धूपबत्ती भी जलाई थी. लेकिन अब दुर्गंध तेज हो गई थी. दुर्गंध आने पर पिता मुकेश तोमर ने जब आशीष से इस संबंध में पूछताछ की तो वह कुछ जबाव नहीं दे पाया.  इस पर पिता को शक हो गया. उन्होंने कमरे की तलाशी ली. तब उन्हें खुशबू का शव पलंग के नीचे मिल गया.

लड़की की लाश देख कर मुकेश तोमर घबरा गए. तब आशीष ने हत्या के बारे में उन्हें बताया, ‘‘मुझ से गलती हो गई.’’

मुकेश तोमर ने पुलिस को इस संबंध में जानकारी नहीं दी. दोनों ने शव को ठिकाने लगाने की साजिश रची. शव को रजाई के कवर में लपेट कर वापस पलंग के नीचे रख दिया.

35 घंटे तक शव पलंग के नीचे छिपाए रखने से तीक्ष्ण दुर्गंध आने लगी थी.  मंगलवार रात करीब 3 बजे उन्हें शव की गठरी बांधी. फिर उसे बाइक पर रख कर घर से 5 किलोमीटर दूर जलेसर मार्ग पर ले गए.

बाइक पिता मुकेश ने चलाई जबकि शव को ले कर आशीष बाइक पर पीछे बैठा. एक सुनसान जगह पर बाइक को रोकी. सड़क किनारे पेड़ की आड़ में शव को फेंक दिया और उस पर पैट्रोल डाल कर लाइटर से आग लगा दी.

बापबेटे की साजिश थी कि शव जलने के बाद पहचाना नहीं जा सकेगा और पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकेगी. लेकिन होनी को तो कुछ और ही मंजूर था.

पहली जून की सुबह 4 बजे गश्त से वापस आ रही पुलिस ने आग को बुझा कर शव पूरी तरह जलने से बचा लिया. दोनों कांस्टेबलों की सूझबूझ से छात्रा खुशबू हत्याकांड का परदाफाश आसान हो गया.

हत्यारोपी प्रेमी आशीष और उस के पिता मुकेश तोमर ने खुशबू के शव को पहले यमुना में फेंकने की योजना बनाई थी. लेकिन उन्हें लगा कि यमुना में फेंकने के लिए काफी दूर जाना पड़ेगा. इस दौरान खंदौली मार्ग पर भी आना होगा. ऐसे में पुलिस उन्हें पकड़ सकती है.

तब खाली जगह पर शव को गड्ढे में दफनाने के बारे में भी सोचा, लेकिन तब भी दोनों को लगा कि गड्ढा खोदने में काफी समय लगेगा.

अंत में शव को घर से दूर फेंक कर उसे आग के हवाले करने की योजना बनाई.

आरोपी आशीष जानता था कि खुशबू के लापता होने पर पुलिस सब से पहले उस के मोबाइल की लोकेशन पता करेगी. रूह कंपा देने वाली घटना को अंजाम देने के बाद पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए शातिर आशीष प्रेमिका के मोबाइल फोन को अपनी जेब में रख कर इधरउधर घूमता रहा.

हत्या वाली 30 मई की रात लगभग पौने 10 बजे ट्रांस यमुना कालोनी में पहुंच कर मोबाइल को स्विच्ड औफ कर दिया था. उसे लगा था कि पुलिस यहीं आसपास खुशबू को तलाश करेगी. खुशबू के जूते और मोबाइल आदि आशीष के घर पर ही रह गए थे. पुलिस ने बाइक सहित सारे सबूत बरामद कर लिए.

खुशबू के घर वालों का कहना है कि घटना में और भी लोग शामिल थे. आरोपी के घर में उस की मां भी थी. पुलिस ने उसे आरोपी नहीं बनाया, जबकि उसे घर में खुशबू का लाश होने की पूरी जानकारी थी.

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने खुशबू हत्याकांड का परदाफाश करते हुए बताया  कि हत्याकांड में शामिल पितापुत्र दोनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आशीष की मां को भी आरोपी बनाया जाएगा.

पुलिस ने खुशबू की हत्या के आरोपी प्रेमी आशीष व उस के पिता मुकेश को न्यायालय में पेश किया, जहां न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया.

धृतराष्ट्र की तरह पुत्रमोह में पड़ कर जहां मुकेश ने बेटे आशीष के अपराध को पुलिस को बताने के बजाए 35 घंटे तक शव को पलंग के नीचे छिपाए रखा. शव ठिकाने लगाने में बेटे का पूरा साथ दिया. मुकेश के इस काम ने उसे भी हत्या का आरोपी बना दिया. यदि वह अपने बेटे के अपराध को न छिपाता तो बुढ़ापे में उसे जेल की सलाखों के पीछे न जाना पड़ता.द्य

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ऑडिट: क्या महिमा ऑफिस में घपलेबाजी करने से रोक पाई

प्यार ने तोड़ी धर्म की दीवार : भाग 1

11जुलाई, 2022 ज्योंज्यों शाम की रंगत ढलती जा रही थी, वैसेवैसे मोमिन खातून की आंखों में किसी
के प्यार की गुलाबी आभा गहराती जा रही थी. उस दिन उस ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आज की रात उस की जिंदगी की अहम रात होगी. आज रात उस की हसीन दुनिया की पहली सीढ़ी होगी. यही कारण था कि आज उस की आंखों से नींद कोसों दूर और मन प्रफुल्लित था.

मोमिन खातून की अम्मी रजिया खातून बच्चों को खाना खिलाने के बाद घर के कामकाज निबटा कर अपने कमरे में चली गई थी. उस के बाद मोमिन खातून भी भाईबहनों के साथ बिस्तर पर जा लेटी थी.
थोड़ी ही देर बाद घर के सभी सदस्य गहरी नींद में डूब चुके थे. लेकिन मोमिन खातून की आंखों में नींद की खुमारी नहीं, बल्कि न जाने कितने जानेअनजाने सपनों के रंग मचल रहे थे.सब के सो जाने के बाद मोमिन खातून आहिस्ता से उठी. उस ने चारों ओर नजर डाली. सब को सोया देख उस के होंठों पर मुसकान उभरी. वह दबे पांव अलमारी की ओर बढ़ी. फिर उस ने अलमारी में रखा पैकेट बाहर निकाला और बैड के नीचे रखे बैग में सरका दिया. बैग में उस ने पहले ही अपने कुछ कपड़े डाल रखे थे.

बैग को तैयार कर उस ने बैड पर सोए अपने भाईबहनों पर एक सरसरी निगाह डाली. फिर उस ने दीवार पर टंगी घड़ी से टाइम का जायजा लिया. रात के 12 बजने वाले थे.उस के मोबाइल पर काफी समय से सूरज की मिसकाल आ रही थी. लेकिन उस वक्त उस ने अपना मोबाइल साइलेंट मोड में कर रखा था, ताकि उस की घंटी सुन कर उस के परिवार वाले जाग न जाएं.फिर बड़ी फुरती से हाथ में एक नया लाल सूट थामे वह बाथरूम की ओर बढ़ गई. लाल सूट के ऊपर उस ने काला बुरका डाल लिया था, ताकि रास्ते में गांव का कोई भी इंसान उसे पहचान न पाए.

बाथरूम में थोड़ा फ्रैश होने के बाद वह सामने लगे आईने के सामने अपने चेहरे को निहारने लगी थी. उस वक्त उस के चेहरे पर 2 रंग उभरे हुए थे. एक तरफ उदासी और दूसरी तरफ खुशी की लालिमा उभर रही थी. वहीं उस की हिम्मत भी साथ छोड़ रही थी. उस के शरीर का तापमान ऐसे बढ़ गया था, जैसे उसे काफी तेज बुखार चढ़ आया हो.कारण था, जो राह उस ने आज पकड़ी थी, वह जातिमजहब की सीमा लांघ कर जाती थी. उसे यह भी डर सता रहा था कि अचानक उस के परिवार वाले उठ गए तो उस का बुरा हाल हो जाएगा.

तभी उस के मोबाइल पर फिर से सूरज की मिसकाल आ गई. सूरज की मिसकाल आते ही उस ने फुरती से अपना बैग कंधे पर लटकाया और दबे पांव घर के बाहर आ गई. उस ने दरवाजा बाहर से ही बंद कर दिया था.घर से निकलने के बाद उस ने चारों ओर निगाहें दौड़ाईं. चारों तरफ सन्नाटा पसरा था. घर को आखिरी बार अलविदा कहते हुए वह अपनी मंजिल की ओर रवाना हो गई.

गांव के बाहर कुछ ही दूरी पर सड़क के किनारे सूरज अपनी बाइक लिए उस का इंतजार कर रहा था. मोमिन खातून के आते ही उस ने अपनी बाइक स्टार्ट कर ली थी. मोमिन ने उस के बैठते ही बाइक आगे बढ़ा दी.

त्यौहार 2022: ऐसे बनाएं आटा गोंद मखाना लड्डू

यह एक जल्दी बनने वाली मिठाई है. इस को किसी भी मौसम में बनाया जा सकता है. बच्चों के लिए यह बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक है. साथ ही गर्भवती महिलाओं के लिए ये लड्डू खाना काफी लाभदायक होता है. घर में आए मेहमानों को भी आप ये लड्डू बना कर खिला सकते हैं. उत्तरी भारत के विभिन्न ग्रामीण इलाकों में ये लड्डू काफी लोकप्रिय हैं. इन के बनाने की विधि भी काफी सरल है. कोई भी इन को आसानी से तैयार कर सकता है.

जरूरी सामग्री

2 कप गेहूं का आटा,

आधा कप पिसी हुई चीनी,

आधा कप गुड़ की शक्कर,

1 कप देशी घी,

2 चम्मच बादाम गिरी,

2 चम्मच काजू गिरी,

आधा कप गोंद (भुना और दरदरा),

आधा कप मखाने (भुने और दरदरे),

1 चम्मच पिस्ता,

1 चांदी का वर्क,

2 चम्मच नारियल का चूरा,

1 चम्मच सोंठ.

बनाने की विधि

  • कड़ाही में घी गरम करें. घी में धीमी आंच पर आटे को छान कर भून लें.
  • अब फ्राई पैन में पिसी हुई चीनी, भुना आटा, बादाम गिरी, काजू गिरी, गोंद, मखाना, सोंठ और नारियल का चूरा मिलाएं.
  • तैयार मिश्रण को ठंडा होने दें और फिर हाथ से गोल और मध्यम आकार के लड्डू बनाएं.
  • लड्डुओं को पिस्ते और चांदी वर्क से सजाएं. प्लेट में रखें और पेश करें.

क्या नरेंद्र मोदी-“पानीदार नहीं रहे”

जिस रास्ते पर आज भारतीय जनता पार्टी के नेता चल रहे हैं अगर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भी यही करती तो आज देश में भारतीय जनता पार्टी तो क्या अन्य दूसरी पार्टियां के कोई नामलेवा भी नहीं होते और उनकी राजनीति के गर्भ में ही भ्रूण हत्या हो जाती.

मगर कांग्रेस के नेताओं ने चाहे पंडित जवाहरलाल नेहरु हों अथवा श्रीमती इंदिरा गांधी अथवा अन्य ने लोकतंत्र पर सदैव विश्वास आस्था रखी और विपक्ष की विचारधारा को सदैव सम्मान दिया. गोवा में जिस तरह 8 विधायकों बदल बदल हुआ है और घटनाक्रम सामने आया है उससे एक सबसे बड़ा प्रश्न आज यह उठ खड़ा हुआ है कि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी क्या अब पानीदार नहीं रहे हैं.

दरअसल, सत्ता और विपक्ष लोकतंत्र के दो ऐसे पहिए हैं जिनके बूते देश आगे बढ़ता है अगर सत्ताधारी यह समझ ले और ठान लें कि विपक्ष को निर्मूल करना है तो यह संभव है. मगर इससे जिस तानाशाही का जन्म होगा वह न तो देश के हित में हैं और ना ही देश के लोकतंत्र के हित में.

गोवा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के 8 विधायकों का जिस तरह इस्तीफा दिलवा भाजपा प्रवेश करवाया गया है राजनीति के इतिहास में शर्मनाक घटना के रूप में याद किया जाएगा.
सवाल है, आज देश में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो देश किस दिशा में अग्रसर होगा एक तरफ है लोकतंत्र तो दूसरी तरफ है नाजी
हिटलर शाही शासन .

भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है हमें गर्व करते हैं कि भारत में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है जहां सभी संविधानिक दायित्व के तहत देश के चारों स्तंभ अपने अपने कर्तव्य निर्वहन करते हैं. मगर आज स्थिति जैसी बनाई जा रही है उसे लोकतंत्र के लिए हितकारी कभी नहीं कहा जा सकता.
दरअसल, दलबदल एक ऐसा मसला है जिस पर किसी का कोई अंकुश नहीं है गोवा के मामले में यह आज सामने है. वहां सभी विधायकों को ईश्वर के नाम पर शपथ दिलाई गई थी और सभी ने यह कसम खाई थी कि हम दल बदल नहीं करेंगे मगर बड़े ही हास्यास्पद स्थिति में जिसे देश में देखा है गोवा में विपक्ष को खत्म करने का खेल हो गया.

गोवा और भारत जोड़ो यात्रा

भारत जोड़ो यात्रा के साथ राहुल गांधी ने जिस तरह देश को संदेश दिया है उससे कांग्रेस की स्थिति मजबूत बनने लगी है माना जा रहा है, शायद इसी से घबरा करके भाजपा ने गोवा में यह खेल किया  है.
कांग्रेसी नेता पवन खेड़ा में बड़ी गहरी बात कही है – “सुनाई है भारत जोड़ो यात्रा से बौखलाई भाजपा ने गोवा में “ऑपरेशन कीचड़” आयोजित किया है. सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो… जो भारत जोड़ने के इस कठिन सफ़र में साथ नहीं दे पा रहे, वो भाजपा की धमकियों से डर कर तोड़ने वालों के पास जाएं तो यह भी समझ लें कि भारत देख रहा है.’”

सचमुच आज देश में जिस तरह की गंदली राजनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी कि भारतीय जनता पार्टी उनके संरक्षण में कर रही है यह सब कभी भुलाया नहीं जा सकेगा और आने वाला समय प्रत्युत्तर तो मांगेगा ही.

ईश्वर के नाम पर शपथ लेकर के विधायकों ने संकल्प लिया था कि हम दल बदल नहीं करेंगे अब जब यह खेल हो गया है तब गोवा में सत्तारूढ़ भाजपा के पास होंगे 40 में से 33 विधायक हो गए हैं. मार्च2022  में सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ कांग्रेस के विधायक दल के विलय के साथ, तटीय राज्य में सत्तारूढ़ दल के पास 40 में से 33 विधायक हो गए हैं इनमें से 20 विधायक बीजेपी के टिकट पर जीते हुए हैं, 2 विधायक महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से और तीन निर्दलीय जिन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया. इसके पहले माइकल लोबो और कामत पर जुलाई में पहली बार जब वो दलबदल करना चाह रहे थे तब कांग्रेस पार्टी ने उनका ये प्रयास विफल कर दिया था.

अब  कांग्रेस के साथ रहने वाले तीन विधायक अल्टोन डी’कोस्टा, यूरी अलेमाओ और कार्लोस फरेरा हैं. कांग्रेस विधायकों ने फरवरी विधानसभा चुनाव से पहले एक मंदिर और एक चर्च सहित विभिन्न पूजा स्थलों पर दलबदल को लेकर शपथ ली थी. इस संबंध में उन्होंने एक शपथ पत्र पर भी हस्ताक्षर किए थे.
गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने  जो कहा है वह सारे देश की आवाज है- “कांग्रेस के जिन आठ विधायकों ने सभी राजनीतिक औचित्य, बुनियादी शालीनता और ईमानदारी के खिलाफ, धन के अपने लालच और सत्ता की भूख को आगे बढ़ाने का फैसला किया है, वे आज अपने बेशर्म स्वार्थ, लोभ और कपट का प्रदर्शन करते हुए,सर्वशक्तिमान ईश्वर की अवहेलना करते हुए बुराई के प्रतीक के रूप में खड़े हैं.”

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