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विवाद: चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी एमएमएस कांड

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में 60 छात्राओं के नहाते हुए कथित वायरल वीडियोज ने हड़कंप मचा दिया है. हैरानी यह है कि इसे वायरल करने वाली खुद एक लड़की है. पंजाब के मोहाली में स्थित चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में एक छात्रा द्वारा लगभग 60 छात्राओं के बाथरूम में नहाते हुए वीडियो बना कर वायरल कर देना कानून के लिए जहां आज एक प्रश्नचिह्न बना हुआ है, वहीं समाज के लिए भी एक चिंता का विषय है. ऐसे भयावह मामलों में आखिर क्या कदम उठाए जाएं.

सब से बड़ी बात है कि आगे ऐसा न हो, इस के लिए सरकार और समाज क्या कर सकते हैं. मामला सामने आने के बाद पूरे अपराध की जड़ छात्रा से चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कैंपस में पूछताछ का कथित वीडियो भी सामने आया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, होस्टल वार्डन ने जब पूछा तो उस ने कहा कि उस ने एक लड़के को ये वीडियोज भेजे थे जिसे वह नहीं जानती. वार्डन ने यह भी पूछा कि वह कब से वीडियो बना रही है तो उस ने जवाब नहीं दिया. एक वीडियो में कथित रूप से छात्रा कह रही है कि ‘गलती हो गई, आगे ऐसा नहीं करूंगी.’ दरअसल आज जिस तरह मोबाइल का चलन बढ़ चुका है, इसे हम एक हथियार कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. मोबाइल एक ऐसा हथियार बन चुका है जो दोतरफा वार करता है. आप को, समाज को लाभान्वित कर सकता है तो आप को और समाज को गहरे संशय में भी डाल सकता है.

ऐसे में इस हथियार के इस्तेमाल के लिए जहां समझदारी की आवश्यकता है वहीं अपने बचाव के लिए आज विशेष रूप से युवतियों को, जागरूक होना आवश्यक हो गया है. चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की घटना पूरे देश को चिंतित कर रही है. यह अपनेआप में एक अलग ही तरह का चिंताजनक मामला है जो देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. आज आवश्यकता है कि ऐसे मामलों पर सरकार और समाज ऐसे कदम उठाए कि जिस से आगामी समय में ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति न हो. आरोपी छात्रा और कथित लड़के को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि दूसरे 31 साल के एक युवक से पूछताछ जारी है. इन में एक युवक चंडीगढ़ की एक बेकरी में काम करता है.

इस मामले में पीडि़त लोगों और समर्थन में आए लोगों ने रातभर प्रदर्शन किया तब स्थिति का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के परिसर पहुंचे. पंजाब की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरप्रीत देव के मुताबिक, ऐसा लगता है कि आरोपी छात्रा ने अपना एक वीडियो युवक के साथ साझा किया और किसी अन्य छात्रा का कोई आपत्तिजनक वीडियो नहीं मिला है. विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने भी उन खबरों को निराधार बता कर खारिज कर दिया जिन में दावा किया गया था कि विश्वविद्यालय के छात्रावास में कई छात्राओं के वीडियो बनाए गए और सोशल मीडिया पर साझा किए गए व कुछ ने इस प्रकरण के बाद आत्महत्या का प्रयास किया.

विश्वविद्यालय परिसर में बड़ी संख्या में छात्रछात्राओं ने विरोध प्रदर्शन किया. इस मामले को ले कर रोष इतना ज्यादा था कि प्रदर्शनकारियों ने काले कपड़े पहन रखे थे और उन्होंने पुलिस की मौजूदगी में ‘सरकार से हमें न्याय चाहिए’ जैसे नारे लगा रहे थे. मोहाली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक विवेक शील सोनी के मुताबिक कई छात्राओं का वीडियो बना कर लीक किए जाने की अफवाह के बाद विश्वविद्यालय में आधी रात के बाद प्रदर्शन हुआ. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार छात्रा का मोबाइल फोन फोरैंसिक जांच के लिए जब्त कर लिया गया है और किसी छात्रा के आत्महत्या की कोशिश करने का मामला सामने नहीं आया है. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 354 सी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.

मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मामले को ले कर चिंतित हैं. उन्होंने कड़ी कार्रवाई और जांच का आदेश दे दिया है. वहीं पुलिस भी मुस्तैद हो गई है और आने वाले समय में पूरे मामले की सचाई सामने होगी. मगर अभी जो खबरें आ रही हैं उन के मुताबिक यह मामला अत्यंत गंभीर है और यह संदेश दे रहा है कि आज मोबाइल से स्वयं को बचाने का समय आ गया है. नहीं तो आप की निजता भंग होने का खतरा है और आप का कोई भी वीडियो व फोटो वायरल हो सकता है.

पवित्र बंधन : जीजासाली का अनोखा रिश्ता

क्या ‘कांग्रेस’ भाजपा के चक्रव्यूह में फंस गई

“कौवा कान ले गया” यह कहावत आपने सुनी होगी. क्या यह भारतीय राजनीति में भी आने वाले समय में एक किवदंती बन जाएगी. अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर प्रस्तुत है एक ऐसा विश्लेषण, जो आने वाले समय के लिए एक नजीर हो सकता है.

सच तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी के दो महत्वपूर्ण चेहरे नरेंद्र दामोदरदास मोदी और अमित शाह बारंबार यह हडबोंग लगाते और मचाते रहे हैं कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर श्रीमती सोनिया गांधी और उनके सुपुत्र राहुल गांधी की छाया है. यह तो मां बेटे की पार्टी है. ऐसे आरोप लगातार लगते लगते इन नेताओं ने देश भर में ऐसा माहौल बना दिया कि अंततः श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी आखिरकार उनके बुने गए “चक्रव्यूह” में फंसी गए .

आज जब अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में मलिकार्जुन खरगे का चयन हो गया है और यह सत्य आज देश के सामने है कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष अब गांधी परिवार से नहीं है इस सब के बाद अगर देखा जाए तो यह एक ऐतिहासिक मौका कहा जा रहा है और यह कहने में कोई पीछे नहीं है कि श्रीमती सोनिया और राहुल ने देखिए किस तरह कांग्रेस ने एक गैर गांधी परिवार के कद्दावर कांग्रेसी को अपना अध्यक्ष चुन लिया है. मगर पाठकों जरा रुकिए! आगे कहानी… कथानक में बहुतेरे पेंच है जो देश के हित में और कांग्रेस के हित में हैं. और देश हित में इस ओर दृष्टिपात करना आज नितांत आवश्यक है.

भाजपा का दांव सफल रहा

दरअसल, हम यह कहने जा रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी और उसके प्रमुख नेता विचारधारा के लोग कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी परिवार पर हमेशा यह आरोप लगाते रहे हैं कि कांग्रेस तो सोनिया और राहुल के जेब की पार्टी है मां बेटे की पार्टी है. लंबे समय से कांग्रेस नेहरू गांधी परिवार की छाया में ही रही है यह एक ऐसा सच है जिससे कोई इनकार नहीं कर सकता. अगर हम गांधी की बात करें तो महात्मा गांधी के समय काल में भी कांग्रेस पार्टी उनकी छाया में रही, भले ही वे कभी भी पार्टी के अध्यक्ष नहीं बने. इसी तरह मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू भी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे और पार्टी को नेतृत्व दिया. लंबे समय बाद श्रीमती इंदिरा गांधी की छाया में कांग्रेस पार्टी ने देश का नेतृत्व किय और दिशा दी. आगे राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में और नरसिम्हा राव के कार्यकाल को छोड़ दें तो कांग्रे सदैव गांधी नेहरू परिवार के छाया में ही देश की सेवा करती रही है मगर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने मानो एक नीति के तहत यह माहौल बनाना शुरू कर दिया कि कांग्रेस पार्टी मां और बेटे अर्थात सोनिया गांधी और राहुल गांधी की पार्टी मात्र है. और जब लगातार दो चुनाव कांग्रेस पार्टी हार चुकी है और देश भर में अनेक राज्यों से हाशिए पर पहुंच गई है ऐसे में कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर मलिकार्जुन खरगे अध्यक्ष बन करके पार्टी को संभालने वाले हैं.

यह कहा जा सकता है कि सीधे-सीधे यह प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी की एक सफल रणनीति रही है कि कांग्रेस को कैसे पतनोन्मुखी किया जाए. जिस तरह महाभारत में एक चक्रव्यूह बुनकर के अभिमन्यु की हत्या कर दी गई थी कांग्रेस को भी समाप्त कर दिया जाए. क्योंकि गांधी और नेहरू परिवार के बिना कांग्रेस ज्यादा समय तक राजनीति के अखाड़े में सरवाइव नहीं कर पायेगी .

अब रिमोट कंट्रोल की सरकार

पाठकों को हम याद दिलाते चलें कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में वर्चस्व बनाने के लिए अमित शाह ने समाजवादी पार्टी में ऐसे ही मुलायम सिंह और अखिलेश सिंह में फूट डलवाने के लिए अपवाह का सहारा लिया था जो हाल ही में मुलायम सिंह के निधन के बाद चर्चा में आई .ऐसे में, कांग्रेस के नए अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के निर्वाचन के बाद भाजपा की चक्रव्यूह में नए शिगुफे अब देखने को मिलेंगे जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है मलिकार्जुन खरगे को लेकर. आप तो सोनिया गांधी के राहुल के रिमोट से चल रहे हैं अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सोनिया गांधी के अदृश्य रिमोट में काम कर रहे है ऐसी बातें और अफवाहें फैलाने में यह श्री मान लग जाएंगे.

दरअसल, नैतिक अफवाहें और शिगुफा फैलाने में भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता सिद्धहस्त हैं. और यह नहीं भूलना चाहिए कि मीडिया का एक बहुत बड़ा वर्ग इनके साथ हो जाता है. आगे देश भर में यह माहौल बनाने का प्रयास किया जाएगा कि बेचारे खरगे तो आज भी बेचारे हैं. कांग्रेस पार्टी का कोई भविष्य नहीं है इसलिए देश की जनता हम आपको नेतृत्व देंगे और देश को आगे ले जाएंगे ऐसी बातें करके आने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी चुनाव मैदान में होगी. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या भाजपा के इस चक्रव्यूह में देश की जनता फंसने को तैयार है.

धरा – भाग 4 : धरती पर बोझ नहीं बेटियां

“अरुण… देखना, हमारी बेटियां भी एक दिन हमारा नाम जरूर रोशन करेंगी, यह मेरा विश्वास है. अरुण… देखो, छुओ मेरे पेट को कि क्या तुम्हारे दिल में अपनी बच्ची के लिए दर्द नहीं हो रहा? फिर कैसे तुम इसे मरते देख सकते हो अरुण? प्लीज, अपना फैसला बदल दो. बेटियां तो आने वाला सुनहरा कल होती हैं. हमें ही देख लो न, हम 4 बहनें ही हैं, तो क्या हम अपने मांपापा का ध्यान नहीं रखते? रखते हैं न?बारीबारी से हम उन की ज़िम्मेदारी बड़ी सिद्दत से निभाते आए हैं. बेटियां बोझ नहीं होती हैं. अरुण, एक बार मेरी बात पर विचार कर के देखो, अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है.”

लेकिन, अरुण लैपटौप शर्टडाउन करते हुए बोला कि वो अपनी मां की बात से बाहर नहीं जा सकता है, सो प्लीज, वही बातें बारबार दोहरा कर उस का मूड न खराब करे.

यह बात तो तय थी कि यह सब सुमित्रा के कहने पर ही हो रहा था. वही नहीं चाहती थी कि शिखा बेटी पैदा करे. वही चाह रही थी कि जितनी जल्दी हो, इस बच्चे को गिरवा दिया जाए. हां, माना कि अरुण को भी बेटे की चाह है, पर अपनी बच्ची को मारना उसे भी अच्छा नहीं लग रहा था. अरुण ने आज तक अपनी मां की एक भी बात नहीं काटी, उन्होंने जो कहा, किया. यहां तक कि शिखा से शादी भी उस ने अपनी मां के कहने पर ही की थी, वरना तो उस की पसंद कोई और थी. तो आज वह अपनी मां के फैसले से अलग कैसे जा सकता था.

समाज और लोग यह क्यों नहीं समझते कि प्रकृति ने बेटियों को भी बेटे के बराबर जीने का हक दिया है. उसे भी इस हवा में सांस लेने का उतना ही अधिकार है, जितना लड़कों को. और मां के पेट में, बेटों की तरह बेटियां भी तो 9 महीने रहती हैं. फिर वह इस दुनिया में क्यों नहीं आ सकती? कोई तो जवाब दे? अपने मन में ही सोच शिखा बिलख पड़ी, पर कौन था उस का रोना सुनने वाला, कोई तो नहीं. वह पति जो उस के साथ सात वचनों में बंधा था, वह भी नहीं.‘

कहते हैं, ‘प्रकृति और पुरुष मिल कर सृष्टि का संचालन करते हैं. लेकिन, जब प्रकृति ही नहीं बचेगी, फिर सृष्टि का संचालन क्या संभव है?’ अपने मन में ही सोच शिखा ने अरुण की तरफ देखा, जो चैन की नींद सो रहा था. लेकिन शिखा को नींद कैसे आ सकती थी भला. घड़ी में देखा तो सुबह के 4 बज रहे थे. शिखा वहां से उठ कर बेटियों के कमरे में जाने ही लगी कि देखा सुमित्रा अपने कमरे में ध्यान लगा कर बैठी थी.

वह रोज सुबहसवेरे उठ कर ध्यान लगा कर बैठ जाती है. फिर स्नान आदि से निवृत हो कर पूजापाठ, मंदिर आदि के बाद ही नाश्ता करती है. मन हुआ शिखा का कि वहां जा कर उन के पैर पकड़ ले और कहे, बख्श दे उन की बच्ची को. इस के लिए जीवनभर वह सुमित्रा की गुलाम बन कर रहेगी. परंतु वह अपनी सास के स्वभाव को अच्छे से जानती थी. बहुत ही कड़क मिजाज की औरत है, जो कह दिया सो कह दिया. उन की बात पत्थर की लकीर होती है.

कल को अगर सुमित्रा कह दे कि अरुण अपनी पत्नी शिखा को छोड़ दे, तो वह भी करने को तैयार हो जाएगा अरुण. तभी तो सुमित्रा कहते नहीं थकती कि अरुण उस का श्रवण बेटा है. शिखा को लग रहा था कि समय बस यहीं ठहर जाए. अपने पेट पर हाथ रख वह रो पड़ती. सोच कर ही वह सिहर उठती कि आज उस का बच्चा हमेशा के लिए उस से बिछड़ जाएगा.

फोन की आवाज से शिखा चौंक उठी. अरुण का फोन बज रहा है. उसे जगा कर शिखा खुद किचन में चली गई. सुमित्रा को चाय दे कर वह अरुण के लिए चाय ले कर कमरे में पहुंची तो देखा कि वह बाथरूम में था. आश्चर्य हुआ कि बिना चाय पिए अरुण की तो नींद ही नहीं खुलती कभी, तो आज कैसे ?‘ शायद बेटी के मरने की खुशी में नींद खुल गई होगी,’ सोच कर ही शिखा का मन कड़वा हो गया. वह कंबल समेट ही रही थी कि अरुण कहने लगा कि जल्दी से उस के कपड़े जमा दे. अभी आधे घंटे में निकलना है.

“पर कहां?” शिखा ने अचकचा कर पूछा, “आज तो आप ने छुट्टी ले रखी है. और हमें अस्पताल जाना था अबोर्शन के लिए…”

“वह सब छोड़ो अभी,” शिखा की बात को बीच में ही काटते हुए अरुण बोला, “मुझे अभी दिल्ली के लिए रवाना होना पड़ेगा. कल बहुत बड़े क्लाइंट के साथ अर्जेंट मीटिंग है. जानती हो शिखा, अगर यह मीटिंग सक्सेस रही तो इस बार मेरा प्रमोशन होना तय है. और सब से बड़ी बात कि बौस ने इस काम के लिए मुझे चुना है, यह बहुत बड़ी बात है,” अरुण काफी खुश लग रहे थे. उन की खुशी उन के चेहरे से साफ झलक रही थी. लेकिन जातेजाते अस्पताल का काम सुमित्रा को थमा गए.

शिखा यह सोच कर बस रोए जा रही थी कि जिस बच्ची को उस ने अपनी कोख में 3 महीने संभाल कर रखा, आज उसे उस के शरीर से नोच कर फेंक दिया जाएगा.

जूही को गोद में लिए शिखा अस्पताल जाने के लिए घर से निकल ही रही थी कि सुमित्रा का फोन घनघना उठा. जाने उधर से किस ने क्या कहा कि फोन सुमित्रा के हाथ से छूट कर नीचे गिर पड़ा और वह खुद भी लड़खड़ा कर जमीन पर गिर पड़ी.

“मम्मीजी… मम्मीजी… क्या हुआ आप को?” शिखा घबरा कर सुमित्रा को उठाने लगी. लेकिन सुमित्रा, ’वो… निशा’ बोल कर बेहोश हो गई.

शिखा ने जब फोन उठाया, तो सुन कर वह भी सन्न रह गई. अस्पताल से फोन था. निशा का एक्सीडेंट हो गया, लेकिन अब शिखा क्या करेगी, क्योंकि अरुण तो मीटिंग में है और उस ने अपना फोन भी म्यूट कर के रखा हुआ था. तभी उसे पड़ोस के राहुल का खयाल आया, जो शिखा को अपनी बहन की तरह मानता है.

सारी बातें जानने के बाद वह सुमित्रा के साथ मुंबई जाने को तैयार हो गया और जो सब से पहली फ्लाइट मिली, उस में टिकट करा कर वे तुरंत मुंबई के लिए रवाना हो गए.

शिखा इसलिए नहीं गई, क्योंकि सोनी और मोही अभी स्कूल से आए नहीं थे. अरुण को जब निशा के एक्सिडेंट का पता चला, तो वह भी वहीं से फ्लाइट पकड़ कर मुंबई पहुंच गया. शिखा भी अपने भाई को बुला कर तीनों बच्चों को ले कर मुंबई पहुंच गई, क्योंकि यहां उस का जी घबरा रहा था. मन में अजीब बुरेबुरे खयाल आ रहे थे.

दरअसल, निशा अपनी गाड़ी से जब घर आ रही थी, तभी पीछे से एक ट्रक ने उसे ज़ोर का धक्का दे दिया और गाड़ी दूर जा कर पलट गई. ट्रक वाला तो वहां से नौ दो ग्यारह हो गया. लेकिन आसपास के लोगों ने तुरंत पुलिस को फोन कर निशा को गाड़ी से बाहर निकालने की कोशिश की. खून से लथपथ शिखा को जल्दी अस्पताल पहुंचाया गया, तब जा कर उस का इलाज शुरू हुआ. वरना तो शायद वह बच भी न पाती. पता चला कि ट्रक ड्राइवर शराब पी कर गाड़ी चला रहा था. अकसर हमें सुनने को मिलता रहता है कि शराब पी कर गाड़ी चालक ने 4 लोगों को कुचल डाला. फूड स्टाल पर खाना खा रहे लोगों पर गाड़ी चढ़ा दी. जाने क्यों लोग ऐसी हरकतें करते हैं? खुद की जान तो जोखिम में डालते ही हैं, बल्कि दूसरों की जिंदगी भी तबाह कर देते हैं. खैर, शुक्र था कि निशा की जान बच गई, लेकिन अभी उसे एकडेढ़ महीना और अस्पताल में रहना होगा. डाक्टर का कहना था कि निशा के कमर और हाथपैरों की हड्डी जुड़ने में वक्त लगेगा.

अपनी बेटी की हालत देख अभी भी सुमित्रा के आंसू रुक नहीं रहे थे. बारबार उस के दिमाग में यही बात चल रही थी कि अगर निशा को कुछ हो जाता तो, तो वह भी मर जाती.

“मां… अब दीदी ठीक है. आप चिंता मत करो और डाक्टर ने कहा है कि दीदी अब खतरे से बाहर हैं, फिर आप क्यों रो रही हो? मां, अब मुझे निकलना होगा, क्योंकि शिखा को डाक्टर के पास भी तो ले कर जाना है न? अभी थोड़ी देर पहले डाक्टर का फोन आया था, कह रहे थे कि इस काम में जितनी ज्यादा देर होगी, रिस्क उतना ही ज्यादा बढ़ेगा. इसलिए जा कर यह काम निबटा ही लेता हूं,” अरुण बोला.

आज सुमित्रा भली प्रकार से शिखा का दर्द महसूस कर पा रही थी. अपने बच्चे के लिए मां की तड़प वह बहुत गहराई से महसूस कर रही थी.

शिखा भले ही चुप थी, मगर उस के दिल में क्या चल रहा है, सुमित्रा से छुपा न रहा. यही कि आज जब अपनी बेटी की जान पर बन आई तो किस कदर सुमित्रा छटपटा उठी. फिर यही उस ने शिखा के लिए क्यों नहीं महसूस किया? मां और बच्चे का रिश्ता तो हर रिश्ते से बड़ा होता है, क्योंकि उन का रिश्ता 9 महीने ज्यादा होता है. एक मां अपने बच्चे को अपने खून से सींचती है, फिर कैसे एक मां उस के बहते खून को देख सकती है भला… अपनी करनी की सोच कर सुमित्रा का रोमरोम सिहर उठा… कि कैसे वह एक मां की गोद उजाड़ने चली थी. और होती कौन है वह ऐसा करने वाली? आज जब उस की बेटी पर मुसीबत आ पड़ी, तब उसे एहसास हुआ कि वह शिखा के साथ कितना बड़ा अन्याय करने जा रही थी.

‘ये मैं क्या करने जा रही थी? प्रकृति के साथ खिलवाड़ करने जा रही थी. एक मां से उस के बच्चे को छीनने का पाप करने जा रही थी? ओह, कितनी बड़ी पापिन हूं मैं? नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी. मेरी पोती इस दुनिया में जरूर आएगी,’ अपने मन में ही सोच सुमित्रा उठ खड़ी हुई.

“रुको अरुण, अब कोई अबोर्शन नहीं होगा, बल्कि मेरी पोती इस दुनिया में आएगी,” यह सुन अरुण हैरान हो गया कि मां सुमित्रा यह क्या बोल रही हैं? कल तक तो यही पीछे पड़ी थी कि जितनी जल्दी हो इस मुसीबत से छुटकारा पाओ.

“क्या सोच रहे हो? यही न कि कल तक मैं जिस बच्चे से नफरत करती थी, अचानक आज मुझे क्या हो गया… तो आज मुझे अपनी गलती का एहसास हो चुका है अरुण कि मैं जो करने जा रही थी, वह गलत ही नहीं, बल्कि महापाप था. अपनी बेटी को जिंदगी और मौत से जूझते देख मैं खुद कितनी मौतें मरी हूं, यह मैं ही जानती हूं. एकएक पल कैसे कटा मेरा, नहीं बता सकती तुम्हें. तो फिर उस मां का क्या हाल होगा, जिस की आंखों के सामने ही उसbकी बेटी के टुकड़े कर दिए जाएंगे?”

“मैं ने तय कर लिया है कि मेरी धरा… यानी इस धरती पर वह जरूर आएगी,” शिखा को अपने सीने से भींचते हुए सुमित्रा कलपते हुए बोली, “बहू, मुझे माफ कर दो. मैं पुत्र मोह में अंधी हो गई थी, इसलिए तुम्हारा दर्द समझ नहीं पाई.”

यह सुन शिखा भी सुमित्रा के गले लग कर फूटफूट कर रोने लगी. आज अरुण भी दिल से अपनी मां का शुक्रगुजार था कि उन्होंने उस की अजन्मी बेटी की जिंदगी बख्श दी. नहीं पता है शिखा को, पर कितना दुख हो रहा था उसे अपनी ही बेटी को मारने का सोच कर भी.

सुमित्रा के कारण वह चुप था, वरना तो वह कभी ऐसा सोच भी नहीं सकता था. कई बार अपने आंसुओं को अंदर ही रोके रखने के प्रयास में अरुण की आंखें लाल हो जाया करती थीं. और फिर वही जमा आंसू को बाथरूम में जा कर वह बहाता था. लेकिन आज वह बहुत खुश है. अरुण और शिखा के साथसाथ सुमित्रा को भी धरा के आने का बेसब्री से इंतजार था.

मैं शादी करना चाहती हूं पर घरवाले मना कर रहे हैं, मैं क्या करूं

सवाल

मैं 2 साल से एक युवक से बहुत प्यार करती हूं. वह भी मुझे बहुत चाहता है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं, पर दोनों अलग कास्ट के हैं, जिस की वजह से मेरे परिवार वाले उस युवक से मेरी शादी नहीं करेंगे. कई बार मैं ने अपनी फैमिली से दोनों की शादी की बात करनी चाही पर कह नहीं पाई. हम दोनों एकसाथ रहना चाहते हैं. कई बार घर छोड़ने की भी सोची पर घर वालों की बदनामी न हो इसलिए घर नहीं छोड़ पाई. अब आप ही बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

यह अच्छी बात है कि आप अपने परिवार वालों के बारे में अभी भी सोच रही हैं और उन की इज्जत के कारण घर से भाग कर शादी करने का फैसला टाल रही हैं. यह याद रखें कि नए रिश्तों को संवारने के साथसाथ पुराने रिश्ते न बिखरने पाएं. आप परिवार वालों से खुद शादी की बात न करें, बल्कि अपनी बड़ी बहन या परिवार का ऐसा कोई सदस्य जिस के सामने आप खुल कर बात कर सकती हैं, को अपने परिवार वालों से बात करने का माध्यम बनाएं. समस्या का समाधान मुश्किल नहीं होता, लेकिन व्यवहार की जटिलता से समस्या पर समस्या खड़ी होती जाती है. हर किसी की भावना की इज्जत करते हुए शांति से बातचीत के रास्ते खोलें.

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ये है दुनिया की सबसे रिस्की सेक्स पोजीशन

साइंटिस्ट्स ने सबसे कॉमन सेक्स पोजीशंस में से एक को सबसे खतरनाक बताया है. साइंटिस्ट्स के मुताबिक, आधे से ज्यादा पीनाइल फ्रैक्चर्स के लिए वूमन ऑन टॉप पोजीशन जिम्मेदार है. ब्राजील के रिसर्चर्स ने तीन हॉस्पिटल्स में केसेज की स्टडी के बाद ये खुलासा किया है.

इस पोजीशन में महिलाएं अपने पूरे बॉडी वेट के साथ पेनिस को कंट्रोल करती हैं. अगर पेनेट्रेशन में जरा भी गड़बड़ी हुई तो मर्द कुछ नहीं कर पाते. इसमें महिलाओं को तो दर्द नहीं होता लेकिन पेनिस को चोट पहुंचती है. डॉगी स्टाइल सेक्स भी 29 परसेंट फ्रैक्चर्स के लिए जिम्मेदार माना गया है.

रिसर्च में, मिशनरी पोजीशन सेक्स के लिए सेफेस्ट पोजीशन के तौर पर सामने आई है. रिसर्चर्स ने हॉस्पिटल में इलाज कराने आए 44 पुरुषों का अध्ययन किया. इनमें से 28 फ्रैक्चर्स हेट्रोसेक्सुअल सेक्स से हुए, 4 होमोसेक्सुअल से और 6 पेनिस मैनिपुलेशन से. हालांकि बाकी 4 फ्रैक्चर्स का कारण डॉक्टर्स को समझ नहीं आया.

रिसर्चर्स ने नोट किया कि केसेज में चोट अनकॉमन है और जिन्हें फ्रैक्चर होता है, वे बताने से डरते हैं. ऐसे में इस तरह के फ्रैक्चर्स की असल संख्या और ज्यादा हो सकती है. रिसर्च पेपर के कंक्लूजन में लिखा है, “हमारी स्टडी के मुताबिक, वूमन ऑन टॉप पोजीशन के साथ सेक्सुअल इंटरकोर्स पीनाइल फ्रैक्चर्स के लिए सबसे रिस्की है. जब एक मर्द मूवमेंट को कंट्रोल करता है तो वो पेनेट्रेशन के दौरान पेनिस में दर्द को रोकने की स्थिति में होता है.”

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ड्राई फ्रूट्स की मदद से ऐसे बनाएं अखरोट लड्डू और खजूरी बिस्कुट

अखरोट लड्डू

सामग्री
20 नग दो टुकड़े वाली अखरोट की गिरी, 8 बीजरहित काले खजूर, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरे बादाम और छोटे चम्मच बारीक कतरा पिस्ता.

विधि
खजूर को नौनस्टिक पैन में धीमी गैस पर गरम करें फिर मैश कर लें. इस में बादाम की कतरन मिलाएं. आधे अखरोट के टुकड़ों पर थोड़ा सा यह मिश्रण रखें व उसे अखरोट के आधे टुकड़ों से ढक दें. स्टफ्ड अखरोट के चारों तरफ पिस्ता चिपका दें. अखरोट के ये छोटेछोटे लड्डू खाने में सभी को स्वादिष्ठ लगेंगे.

खजूरी बिस्कुट

सामग्री
100 ग्राम मैदा, 25 ग्राम पिसी चीनी, 50 ग्राम नमकीन मक्खन, 1/2 कप खजूर बीजरहित, 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर, 2 बड़े चम्मच भुने व बारीक कतरे बादाम, 1 बड़ा चम्मच दूध, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरा पिस्ता और 1/2 बड़ा चम्मच वनीला ऐसेंस.

विधि
मैदे में बेकिंग पाउडर डाल कर छानें. मक्खन में पिसी चीनी डाल कर फेंटें. खजूर को दूध के साथ हैंड मिक्सर में चर्न करें. पिस्ता छोड़ कर सभी सामग्री मिलाएं और मुलायम आटे की तरह गूंधें. मिश्रण को फ्रिज में 15 मिनट तक ठंडा कर के तेज चाकू से चौकोर छोटेछोटे बिस्कुट काट लें. ऊपर से पिस्ता चिपका दें. पहले से गरम किए ओवन में 150 डिगरी सैल्सियस पर 15-20 मिनट पकाएं. जब बिस्कुट लाल होने लगें तो ओवन बंद कर दें. खजूरी बिस्कुट तैयार हैं.

मुसेली कुकीज

सामग्री  
12 मैरी बिस्कुट, 3/4 कप काले गूदे वाले बीजरहित खजूर, 1/2 कप मुसेली, 3 बड़े चम्मच मक्खन, 1 बड़ा चम्मच बारीक कतरे बादाम, 4-5 बूंदें वनीला ऐसेंस और बड़े चम्मच नारियल बुरादा.

विधि
मैरी बिस्कुट व मुसेली को हैंडमिक्सर से थोड़ा सा चर्न कर के दरदरा बुरादा बना लें. खजूर को भी हैंडमिक्सर से चर्न करें और बिस्कुट वाले चूरे में मिलाएं. बिस्कुट के चूरे में वनीला ऐसेंस और बारीक कतरे बादाम व मक्खन मिलाएं. यह सख्त पूरी लायक आटा सा बन जाएगा. थोड़ाथोड़ा मिश्रण ले कर बेलें और कटर से काट लें. एक प्लेट में नारियल बुरादा फैलाएं और उस में यह कुकीज रख कर रोल करें. शुगर फ्री कुकीज तैयार हैं.

Diwali 2022 : संतुलित आहार हैल्दी त्योहार

पिछले साल दीवाली के बाद गीता और उस के पति पूरे 2 महीने हौस्पिटल के चक्कर ही काटते रहे. वजह थी गीता की सास, जिन का शुगर लैवल 400 से ऊपर चला गया था. दरअसल, गीता की सास डायबिटीज की मरीज थीं. वैसे तो दवाओं से उन का शुगर लैवल ठीक रहता था, मगर दशहरा और दीवाली के त्योहार के दौरान घर में बने पकवानों, बाहर से आने वाली देशी घी की मिठाइयों और नमकीन का उन्होंने भरपूर लुत्फ उठाया, साथ ही ड्राईफ्रूट्स का भी खूब सेवन किया. इस ओवरईटिंग का नतीजा यह हुआ कि न सिर्फ उन का शुगर लैवल खतरनाक स्थिति में पहुंच गया, बल्कि ब्लडप्रैशर भी काफी हाई हो गया, जिस के चलते उन्हें हौस्पिटल में भरती कराना पड़ा.

त्योहार के मौसम में खानपान बिगड़ने से सेहत पर असर पड़ना स्वाभाविक है, खासतौर पर दीवाली के मौके पर. हम भारतीय यह मानते हैं कि दीवाली मतलब खूब सारा खाना और मौजमस्ती. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादातर लोग इस त्योहार के वक्त करीब 20 प्रतिशत वजन बढ़ा लेते हैं. यह ठीक है कि यह साल का सब से बड़ा त्योहार है, जिस में खूब सारी मिठाइयां और अन्य पकवान बनते हैं, मगर यही मिठाइयां और पकवान सेहत के दुश्मन भी हो जाते हैं.

ऐसे में आप को सावधानी बरतने की भी जरूरत है. खासतौर पर बाजार से खरीदी गई मिठाइयों को ले कर सचेत रहने की जरूरत है क्योंकि मुनाफाखोर दीवाली की मिठाइयों में मिलावट भी खूब करते हैं जो आप के स्वास्थ्य के लिए न सिर्फ हानिकारक है बल्कि आप को कई बीमारियों का शिकार भी बना देती हैं. इस के अलावा बाजारों में त्योहार से कई दिनों पहले से मिठाइयां बननी शुरू हो जाती हैं और आप के घर पहुंचतेपहुंचते हफ्तों गुजर जाते हैं. वे जल्द खराब और बासी हो जाती हैं. बेहतर होगा कि मिठाइयां हमेशा अच्छी दुकानों से खरीदें.

इन बातों पर गौर करने की जरूरत है ताकि ऐसा न हो कि त्योहार के चक्कर में आप और आप के घर के लोग अपनी सेहत और चैन खो बैठें. यहां हम आप को कुछ ऐसे शानदार तरीके बताएंगे जिन से आप दीवाली को एंजौय भी करेंगे और ओवरईटिंग से भी बच जाएंगे.

शुगर इनटेक कम करें

शुगर में मौजूद फ्रक्टोज शुगर फैट बढ़ाती है. इस से लिवर और किडनी को नुकसान होता है. शुगर के मरीज दीवाली जरूर मनाएं, मगर ध्यान रखें कि कम मात्रा में मिठाइयां खाना ही बेहतर है. बाजार की मिठाई खाने से अच्छा है कि घर में बनी मिठाइयां ही खाई जाएं क्योंकि बाजार की मिठाइयों में शक्कर और खांड की मात्रा बहुत ज्यादा होने के साथ ये मिठाइयां त्योहार से काफी दिन पहले ही बना कर रख दी जाती हैं. फिर इन में डाला गया घी, खोया या मावा कितना शुद्ध है, इस की भी कोई गारंटी नहीं होती है.

अगर आप त्योहार के बाद भी पूरी तरह फिट और फ्रैश दिखना चाहते हैं तो कोशिश करें कि त्योहार आने से एक महीने पहले से ही मीठे का इनटेक कम कर दें और शहद जैसे नैचुरल स्वीट का इस्तेमाल करें. साथ ही, डेयरी प्रोडक्ट्स भी कम करें क्योंकि इन से म्यूकस बनता है, जो डाइजेशन को स्लो कर के शरीर में टौक्सिंस को बढ़ाता है.

चौकलेट मगर कम

आजकल गिफ्ट में चौकलेट्स और ड्राईफ्रूटस देने का रिवाज बढ़ता जा रहा है, जिस के चलते घर में ढेर सारे चौकलेट के डब्बे आ जाते हैं और एक बार जो यह मुंह से लग जाए तो फिर जब तक डब्बा खाली नहीं हो जाता, हम उस के इर्दगिर्द ही मंडराते रहते हैं.

चौकलेट से बचने का अच्छा तरीका है कि उसे फ्रिज में रखने के बजाय किसी जगह पर छिपा दिया जाए, जैसे ड्रौअर या कबर्ड के अंदर. जब वह सामने ही नहीं होगी तो आप और बच्चे ज्यादा चौकलेट नहीं खा पाएंगे.

दीवाली का वक्त है, अपने आसपास नजर दौड़ाएं तो आप को अपनी कामवाली, गार्ड, माली, ड्राइवर, आप का रिकशेवाला, ऐसे बहुत से लोग दिखेंगे जिन के बच्चों को चौकलेट का स्वाद भी नहीं मालूम होगा, तो इस बार आप अपने घर में आने वाली चौकलेट्स से इन के बच्चों का मुंह मीठा करें.

संतुलित आहार लें

अकसर लोग त्योहार में खानेपीने में संतुलन नहीं रखते हैं, इस कारण त्योहार खत्म होते ही बीमार पड़ जाते हैं. अगर कुछ मामूली बातों का आप ध्यान रख लें तो हैल्दी त्योहार मना सकते हैं. दीवाली पर फिट रहने के साथ एंजौय करने के लिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है. अकसर देखा जाता है कि लोग त्योहार में स्नैक्स, ड्राईफ्रूट और मिठाइयां ही खाते रहते हैं, ऐसा बिल्कुल न करें. इस से वजन बढ़ जाता है और आप की खूबसूरती छूमंतर हो जाती है. यह आप के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है.

भारतीय रसोई में त्योहारों में साधारण खाने के बजाय पकवान ही अधिक बनते हैं, जिस में घी, दूध, मेवे का प्रयोग बहुत होता है. इस के अलावा मैदे का प्रयोग भी काफी पकवानों में होता है. ऐसे में अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए आप पकवान बनाने के लिए आटे का प्रयोग करें और उस में जौ, बाजरे के आटे को गेहूं के आटे के साथ मिक्स कर लें, यह मिक्सचर हैल्दी भी होगा और आप को फिट भी रखेगा.

दिन में एक बार खाने में सलाद, फू्रट्स इत्यादि लें, इस से आप की डाइट बैलेंस्ड रहेगी और आप की सेहत नहीं बिगड़ेगी. त्योहार के दिनों में फिट रहने के लिए आप एकसाथ भरपेट न खाएं, बल्कि थोड़ीथोड़ी देर के अंतराल में खाएं. हार्ड डिं्रक, कोक इत्यादि की जगह जूस या सूप लें. सब्जियों का सूप हैल्दी और स्वादिष्ठ होता है. तरोताजा रहने के लिए सुबह खाली पेट नीबू पानी लें, इस से आप के शरीर से विषैले तत्त्व आसानी से निकल जाएंगे. कैफीन इनटेक कम करें. ज्यादा कैफीन से लिवर पर लोड बढ़ जाता है. डाइजेशन की प्रौब्लम भी हो सकती है. चायकौफी के बजाय दिनभर में 2-3 कप ग्रीन टी पीना एक बेहतर औप्शन है.

ओवरईटिंग से बचें

पारंपरिक नाश्ता ही करें : थोड़ा मुश्किल जरूर है, पर यदि आप हैल्थ कौंशस हैं तो डाइट चार्ट बना लें और उसी के अनुसार खाएं. एक रिसर्च के मुताबिक, प्रोटीनयुक्त नाश्ता करने से डोपामिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है और इस से काफी देर तक भूख का एहसास नहीं होता. इस से ओवरईटिंग से बचा जा सकता है.

बेवजह खाते रहने से बचें : त्योहारों पर कोई भी चीज खाने से पहले सोचें कि अभी मुझे इस से भी स्वादिष्ठ कोई चीज मिल सकती है, जिस के लिए पेट में जगह बचा कर रखी जाए. इस से आप बेवजह खाते रहने से बच जाएंगे.

जब खाएं, कम खाएं : त्योहार पर पकवान, मिठाई और स्नैक्स को पूरी तरह नजरअंदाज करना तो मुश्किल है, इसलिए इन्हें खाएं, लेकिन कम मात्रा में. इस से आप का मन भी भर जाएगा और आप ओवरईटिंग से भी बच जाएंगे.

पानी से मिलेगी हैल्प : पानी पीते रहना भी आप को कुछ हद तक ओवरईटिंग से बचा सकता है. इस से पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाने की इच्छा कम होती है. कोल्ड डिं्रक्स से बचना चाहिए क्योंकि इन में हाई कैलोरी होती है.

फलसलाद खाएं : गरिष्ठ भोजन से पेट खराब होने की आशंका होती है. इस से बचने के लिए खाने में सलाद, अंकुरित अनाज, फल और ओट्स शामिल करें. इन में फाइबर होता है जो आप का पेट ठीक रखता है.

खूब चबा कर खाएं : जो खाएं, खूब चबा कर खाएं. इस से आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं. एक रिसर्च में पता चला है कि अच्छे से चबा कर खाने वाले एक बार के खाने में लगभग 70 कैलोरी कम लेते हैं.

औप्शन हैं न : मिठाई और पकवान में कुछ ऐसे विकल्प हैं जिन से आप के शरीर में कम कैलोरी पहुंचेगी और आप ओवरईटिंग से बचेंगे. अगर आप गुलाबजामुन की जगह रसगुल्ला खाएं और खाने से पहले उस का रस निचोड़ लें. इसी तरह इमरती की जगह जलेबी, बिना चाश्नी वाली मिठाइयां. बेसन के नमकीन की जगह मुरमुरा या पोहे से बने नमकीन खाएं.

छोटी प्लेट में खाएं : यदि खाना बड़ी प्लेट में सर्व किया जाएगा तो ज्यादा सर्व किया जाएगा. एक अनुमान के अनुसार, उस में 150 कैलोरीज एक्स्ट्रा ऐड हो जाएंगी. आप की प्लेट में जितना ज्यादा खाना होगा, आप उतना ज्यादा खाएंगे, इसलिए बेहतर होगा कि आप छोटी प्लेट, कटोरी और गिलास का ही इस्तेमाल करें और ओवरईटिंग से बचें.  द्य

ऐसा करने से बचें

मुंह चलता ही रहता है : त्योहार के वक्त घर पर बनने वाले स्नैक्स और स्वीट्स सब के सामने ही रखे होते हैं, जिन्हें घर के सारे लोग थोड़ाथोड़ा खाते रहते हैं. बेसन, मैदा, शक्कर, मेवा, घीतेल और खोये से बने ये पकवान डाइजेशन बिगाड़ देते हैं.

बेपरवाह हो जाते हैं : सैलिब्रेशन के मूड में हम अकसर परहेज को दरकिनार कर देते हैं यह सोच कर कि एक दिन मन की कर लेने से सेहत को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता. पर यही हमारी सब से बड़ी भूल साबित होती है. हम हफ्तों पकवान पर हाथ साफ करते रहते हैं और अपनी सेहत का सत्यानाश कर लेते हैं.

मना नहीं कर पाते : त्योहारों पर रिश्तेदारों और परिचितों के घर जाने पर वे हमारे स्वागत में सामने ढेरों पकवान रख देते हैं और हम से बारबार खाने का अनुरोध करते हैं, जिसे हम ठुकरा नहीं पाते. उन का मन रखने के लिए हम काफीकुछ डकार जाते हैं, जो बाद में हमारी सेहत को नुकसान पहुंचाता है.

सब ट्राई करना है : त्योहार के मौके पर रिश्तेदारों, जानपहचान वालों और खासतौर पर पड़ोसियों के यहां से पकवानों की इतनी वैरायटियां आती हैं कि हमारा सभी को टेस्ट करने का मन करता है. ऐसे में हम जरूरत से ज्यादा खा जाते हैं.

खाना सैकंडरी हो जाता है : त्योहार के दिनों में नाश्ताखाना तो सैकंडरी हो जाता है, मिठाईनमकीन से ही पेट भर जाता है. ये सब चीजें धीमे डाइजैस्ट होती हैं. खाने में ज्यादा गैप न रखने से स्थिति और बिगड़ जाती है.

बिग बॉस 16: आखिर क्यों फूट-फूट कर रोए अब्दु रोजिक, जानें वजह

बिग बॉस 16 ने लोगों का दिल जीत लिया है, इस शो को देखकर दर्शक खूब एंजॉय कर रहे हैं, शो में अर्चना गौतम के अंदाज से लेकर प्रियंका चहल चौधरी की दोस्ती को खूब पसंद किया जा रहा है. हालांकि पूरे घर में एंटरटेनमेंट का केंद्र सिर्फ अब्दू रोजिक ही बने रह रहे हैं. इन्हें खूब प्यार मिल रहा है.

अपने चुलबुले अंदाज से लोगों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन अब बिग बॉस 16 का घर ऐसा हो गया है कि खुद अब्दु रोजिक भी अपने आंसू को नहीं रोक पा रहे हैं, वह वॉशरूम में जाकर फूट फूट कर रोए, इस बात का खुलासा अब्दु रोजिक ने बिग बॉस के घर पर बातचीत के दौरान बताया.

 

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अब्दु रोजिक ने कहा था कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कौन अच्छा दोस्त है औऱ कौन बुरा दोस्त है, उन्होंने कहा कि वह खूब घर में जाकर रोए थें, अब्दु रोजिक से जुड़े किए गए ट्विट भी फैंस को भावुक कर दिए हैं. किसी ने शिव ठाकरे को अब्दु रोजिक का दोस्त बताया है तो किसी ने खुद के लिए स्टैंड लेने की बात कही है.

किसी ने कहा कि अब्दु रोजिक के दोस्त शिव हैं लेकिन साजिद ने खुद को उसपर इतना ज्यादा हावी कर दिया है कि वह किसी और कि सुन नहीं रहे हैं. वहीं दूसरे यूजर ने अब्दु को सांत्वना देते हुए कहा कि  अब्दु आप रोना नहीं, खुश रहो बाकियों कि चिंता मत करों.

वैशाली ठक्कर के आरोपी के घर पर पड़ा छापा, पुलिस कर रही है कार्यवाही

ये रिश्ता क्या कहलाता है एक्ट्रेस वैशाली ठक्कर की मौत से जुड़े एक नया मामला सामने आया है. खबर है कि वैशाली को परेशान करने वाले उनके एक्स बॉयफ्रेंड राहुल नवलीन और उनकी पत्नी दिशा नवलीन को  गिरफ्तार कर लिया गया है.

बता दें कि दोनों को आईपीएस 306 धारा और 34 धआरा की तहत गिरफ्तार कर लिया गया है. वैशाली ठक्कर बीते सोमवार को अपने घर पर मृत पाई गई थीं. उनके शव के पास एक सुसाइड नोट मिला था जिसमें उन्होंने पड़ोसी राहुल का जिक्र किया था.

 

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जबसे वैशाली ठक्कर की मृत्यु हुई है मध्यप्रदेश पुलिस जांच में जुटी हुई है. वैशाली की जल्द शादी होने वाली थी, जिस वजह से राहुल नवलानी उन्हें परेशान कर रहे थें.

मध्य प्रदेश के एसीपी रहमान ने बताया कि राहुल के घर पर छापा मारा गया है, जल्द ही सारा मामला सामने आ जाएगा, लेकिन छापा मारने के बाद से पता चला कि राहुल वहां नहीं था, हालांकि अभी इस मामले में जांच होना बाकी है.

वैशाली के मम्मी पापा ने बताया कि दिसंबर में उसकी शादी होने वाली थी, जिसकी खरीदारी के लिए वह मुंबई आने वाली थी, बता दें कि वैशाली के अचानक मौत से सभी को सदमा लगा हुआ है, सभी परेशान हैं कि आखिर वैशाली ने ऐसा क्यों किया.

ज्योति -भाग 4 : सब्जबाग के जाल में

ज्योति ने तेजी से साइकिल के ब्रेक लगाते हुए अपने को टक्कर से बचाने के लिए हैंडल बाईं तरफ काटा था और मोटरसाइकिल वाले ने अपने बाएं काटते हुए ब्रेक पर पैरों का दबाव बढ़ा दिया था, जिस से दोनों के वाहन टकराए नहीं, गिरे भी नहीं.

दोनों पैरों को सड़क पर टेकते हुए ज्योति ने मोटरसाइकिल सवार को गुस्से से देखा, कुछ कहने जा ही रही थी कि रुक गई. हरीश था.

ज्योति से नजरें टकराते ही उस के चेहरे पर अजीब सी चमक उभर आई. पैरों के जोर से अचानक बंद हो चुकी अपनी बाइक को पीछे कर के ज्योति के करीब लाता हुआ बोला, “ओह, तो तुम हो… अगर मैं इस समय कुछ और सोच रहा होता, तो वो भी मुझे मिल जाता…”

ज्योति जानती थी कि चलतीफिरती सड़क पर वह कोई छिछोरी हरकत नहीं करेगा, इसलिए बड़ी सहजता से उस ने पूछा, “क्या सोच रहे थे?”

“यही कि कुछ दिनों बाद तो नौकरी ज्वाइन करने जाना ही है. और काश, जाने से पहले तुम से एक मुलाकात कर के अपनी गलती की माफी मांग सकूं.

“मैं जानता हूं कि मेरी उस बात को ले कर तुम अभी तक मुझ से नाराज हो.”

ज्योति ने वहां ज्यादा देर यों साइकिल के, इधरउधर पैर कर के सड़क पर खड़े रहना उचित नहीं समझा. अचानक वह बोली,” नाराज तो बहुत हूं, पर कल तुम भैया से मिलने के बहाने आ सकते हो.”

इतना कह कर वह उचक कर साइकिल की गद्दी पर बैठी और घर की तरफ बढ़ गई.

हरीश ने भी बाइक स्टार्ट की और अपने घर की तरफ चला गया. ज्योति ने उस से बात कर ली थी, इसलिए उस की खुशी देखते ही बनती थी.

ज्योति घर पहुंची तो देखा कि पिता अमर नाथ को एंबुलेंस में बिठाया जा रहा है. मां भी उन के साथ हैं. जुगल उसे देखते ही बोला, “अच्छा हुआ तू आ गई. पिताजी को दिल का दौरा पड़ा है. मैं ने एंबुलेंस बुला ली है. उन्हें तुरंत अस्पताल ले कर जा रहा हूं.”

“मैं भी चलूं क्या?” ज्योति ने पूछा, तो जुगल ने मना कर दिया. फिर वह अपनी बाइक स्टार्ट कर एंबुलेंस के पीछे चला गया.

अमर नाथ को आईसीयू में भरती कर लिया गया था.

अस्पताल की सारी प्रक्रिया निबटा कर मां को वहां छोड़ जुगल घर आया. ज्योति उस का इंतजार कर रही थी. जुगल के आराम से बैठते ही उस ने पूछा, “जब मैं अपनी सहेली से मिलने जा रही थी, तब तो ऐसी कोई बात नहीं थी, फिर अचानक पिताजी को ये हार्ट अटैक…?

“अरे, मेरे होने वाले ससुर विश्व नारायण राठौर का फोन आया था. सुनते ही पिताजी गुस्से में भर कर चिल्लाने लगे थे, ‘पता नहीं, अपनी बिरादरी के लोगों को क्या हो गया है. कहीसुनी बातों पर विश्वास कर के मेरे लड़के पर इलजाम लगा रहे हैं. अरे, उन की लड़की में ही दोष होगा. मेरा जुगल कभी ऐसा नहीं कर सकता’.”

“कहतेकहते, अचानक वह अपना सीना दबा कर वहीं पलंग पर बैठ गए. जिस मोबाइल पर बात हो रही थी, वह मोबाइल उन के हाथ से छूट कर गिर गया और वो दर्द से तड़पने लगे,”
सारी जानकारी दे कर जुगल ने आगे बताया, “ज्योति, दरअसल बात यह थी कि नीलिमा अर्थात तुम्हारी होने वाली भाभी ने मुझ से शादी करने से मना कर दिया.”

“ऐसा क्यों…? मंगनी के दिन तो तुम दोनों ने एकदूसरे को पसंद कर लिया था, बल्कि तुम तो कह रहे थे कि पहले उस ने तुम्हे पसंद किया था,” ज्योति ने पूछा, तो जुगल बोला, “हां, उस ने ही मुझे पसंद किया था और मैं स्वयं उस की सुंदरता पर इस कदर मोहित हो गया था कि मैं ने भी हां कर दी थी.”

“लेकिन, मुझे आश्चर्य यह हो रहा है कि नीलिमा के कान में किस ने ये झूठ भर दिया कि मेरा चक्कर किसी और से चल रहा है और वो किसी और को चाहने वाले से कभी शादी नहीं कर सकती.”

“तो तुम्हारा किसी और से भी चक्कर चल रहा क्या?” सबकुछ जानते हुए भी ज्योति ने जुगल से पूछा, ताकि वह उस के दिल की थाह ले कर समझ सके कि सामने बैठा जुगल कितना सच्चा है और कितना झूठा.

“नहीं ज्योति, इस संसार में नीलिमा से ज्यादा सुंदर कौन है, जो मेरे जैसे हीरो के मन को भा जाए.”

“भैया, मन को भा जाने के लिए सुंदरता की जरूरत नहीं होती. कभीकभी इनसान अपनी वासना की पूर्ति के लिए भी किसी को चाहने लगता है.”

ज्योति की बात सुन कर जुगल के चेहरे का रंग एकदम से बदल गया. कुछ देर तक ज्योति को गौर से देखने के बाद वह बोला, “तुझे बड़ा ज्ञान आ गया है.” क्रोध में अपनी आवाज में तेजी लाता हुआ वह बोला, तो ज्योति ने पूछा, “मैं ने तो एक साधारण सी बात की थी, उस में इतना गुस्सा तुम को क्यों आ गया?”

“तू ने बात ही कुछ इस ढंग से कही, जैसे वह मुझ पर ही लागू होती हो.”

“अगर आप पर लागू नहीं होती, तो आप चीख कर नहीं बोलते.”

“तेरे कहने का मतलब क्या है?” इस बार जुगल झुंझला उठा.

“मेरे कहने का मतलब है कि आज पिताजी को जो ये अटैक आया है, उस के पीछे का कारण आप ही हो.”

“क्या आप इस बात से इनकार करते हो कि आप ने अपने दोस्त हरीश की बहन, प्रियंका को प्यार के सब्जबाग दिखाए, फिर उस के साथ शादी के वादे किए और उसे मझधार में छोड़ किसी और से शादी करने की सोची. भैया, यह उसी की हाय का नतीजा है.”

ज्योति के आगे वह अपनी हार नहीं मानना चाहता था, इसलिए उस ने पहले तो जोरदार अट्टहास लगाया, फिर बोला, “लगता है, तुझे भी गलतफहमी हो गई है. भला मै प्रियंका से क्यों प्यार करूंगा?”

“भइया, तुम पिताजी के डर से सच भले ही ना कबूलो, पर यह सच है कि तुम प्रियंका के साथ प्यार का खेल खेल कर उसे धोखा देने जा रहे थे. अगर इस बात में सचाई नहीं होती, तो तुम्हारा रिश्ता नहीं टूटता. और पिताजी भी अस्पताल में न होते.”

“इस का मतलब है कि प्रियंका ने ये झूठी खबर नीलिमा तक पहुंचाई है.”

“अजीब सोच है तुम्हारी. अपनी बदनामी वह खुद क्यों कराएगी?”

“कोई बात नहीं. मुझे बदनाम करने के लिए ये खबर जिस ने भी नीलिमा के घर पहुंचाई है, मैं उसे जिंदा नहीं छोडूंगा,” कहते हुए जुगल ज्योति को घूरता हुआ बाहर जाने लगा, तभी उस के मोबाइल की घंटी बज उठी.

जुगल ने फोन उठाया, तो उधर से चाचा भ्रमर नाथ की आवाज सुनाई दी, “अरे जुगल, क्या हो गया भाई साहब को? अभीअभी तुम्हारी मामी का फोन आया था. कह रही थीं कि तुम शीघ्र चले आओ. तुम्हारे बड़े भइया बहुत सीरियस हैं.

“लेकिन, चाचा आप को आने की जरूरत नहीं है. वे आईसीयू में एडमिट हैं. दिल का दौरा पड़ा है उन्हें, पर डाक्टर का कहना है कि खतरे की कोई बात नहीं है. ठीक हो जाएंगे. फिर आप को देख कर तो उन्हें कुछ भी हो सकता है.”

“जरा ज्योति बिटिया को फोन देना,” उधर से चाचा ने कहा, तो जुगल ने मोबाइल डिस्कनेक्ट कर दिया और तेजी से घर के बाहर निकल गया.

ज्योति बातों से समझ गई कि चाचा का फोन था.

उठ कर उस ने बाहर का दरवाजा बंद किया और अंदर आ कर जुगल के व्यवहार के बार में सोचने लगी.

अचानक उसे ध्यान आया कि अभी तो शाम के 7
बजे हैं. मां वहां अगर रात में रुकती हैं तो भूखी कैसे रह पाएंगी. उस से गलती हो गई. उसे मां के लिए खाना बना कर टिफिन में रख कर भाई के हाथों भिजवा देना चाहिए था.

चाचा ने शायद इसीलिए फोन किया हो. वह जानती थी कि पिताजी अपने छोटे भाई से कितनी भी नफरत करें, चाचा ने कभी भी उन के लिए अपने मुंह से कभी कोई गलत शब्द नहीं निकाला.

उस का मन चाचा से बात करने के लिए छटपटाने लगा, तभी डोर बेल बज उठी. उस ने जा कर दरवाजा खोला और हैरान रह गई. सामने चाचा और चाची दोनों ही थे.

“ये ले टिफिन रख ले. इस में तुम्हारा और जुगल का खाना है. भाभी के लिए दूसरे टिफिन में खाना ले कर हम अस्पताल जा रहे हैं.”

“सालों बाद तो आप दोनों इस दरवाजे पर आए हैं. कुछ देर अंदर बैठिए,” अपने लिए लाया हुआ टिफिन चाची से लेते हुए ज्योति बोली.

“नहीं बेटी, अस्पताल जाना जरूरी है. चलते हैं,” कहते हुए भ्रमर नाथ ने बाइक स्टार्ट की और पीछे बैठी हुई चाची को साथ लिए अस्पताल चले गए.

पिताजी की तबीयत में कोई सुधार न हो पाया. डाक्टर के अनुसार वे कोमा में चले गए थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रख दिया गया था.

चाचाचाची के लगातार अस्पताल चक्कर लग रहे थे और जुगल इस बात से खुश था कि पिता के इलाज में चाचा ही आगे बढ़ कर रुपए पानी की तरह खर्च कर रहे हैं. उस के पिता का पैसा बच रहा है.

उधर, किशन को जब पता चला कि ज्योति के पिता गंभीर हालत में अस्पताल में भरती हैं, तो वह उन्हें देखने अस्पताल पंहुचा. उस समय चाचा अपनी भाभी यानी ज्योति की मां के पास बैठे थे.

मां चूंकि किशन को पहचानती थीं, इसलिए उन्होंने अपने देवरदेवरानी को उस से परिचित करवाया और बोलीं, “इसी के साथ पढ़ाई कर के जुगल ने आज इंजीनियरिंग का डिप्लोमा हासिल कर लिया है और दोनों को नौकरी भी मिल गई है.”

किशन से बातों ही बातों में चाचा ने दोस्ती कर ली. किशन चाचा को एक नजर में ही भा गया था. वे किशन से अचानक ही पूछ बैठे, “नौकरी तो तुम्हारी लग ही गई है. शादी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?”

“मै पहले अपनी बहन की शादी करूंगा और उस की शादी उसी से करना चाहता हूं, जिसे वह चाहती है.”

“कौन है वह…?” जब चाचा ने पूछा, तो किशन बोला, “है वो इसी तहसील का. मेरे साथ का ही पढ़ा हुआ एक लड़का और मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं. पर दुख तो यह है कि उस ने मेरी बहन से वादा कर के अपनी ही बिरादरी में किसी और से मंगनी कर ली.”

ये सब बातें हो ही रहीं थीं कि तभी डाक्टर ने सूचना दी कि मरीज को होश आ गया है. वह परिवार के सदस्यों को याद कर रहे हैं.

भ्रमर नाथ एक बार झिझके और उन्होंने अपनी भाभी को अंदर जाने का इशारा किया, तब वे बोलीं, “तुम भी साथ चलो देवरजी,” इतना कह कर उन्होंने अपने देवर का हाथ पकड़ा और अंदर वार्ड में ले गईं.

वेंटिलेटर के पास ही बेड पर मुंह पर पारदर्शी औक्सीजन मास्क लगाए बीमार आंखों से उन्होंने अपने छोटे भाई को देखा और जब उन की पत्नी ने इशारे से बताया कि जब से आप एडमिट हैं, ये एक पल भी नहीं सोए हैं.

आंखों के इशारे से भ्रमर नाथ को अपने करीब बुला कर उन्होंने अपनी पत्नी का हाथ अपने भाई के हाथों में दे दिया और उन के होंठ जाने क्या बुदबुदाए, फिर अगले ही पल उन का सिर एक ओर लुढ़क गया और पीछे चलती हार्ट मीटर की ऊपरनीची होती रेखाएं एकदम से शांत हो कर सीधी हो गईं.

सब को उस रूम से बाहर निकाला गया. रोनाधोना शुरू हो गया. अस्पताल की सारी फार्मेलिटी के बाद अमर नाथ के शव को घर वालों को सौंप दिया गया.

अगले दिन सवेरे उन का दाह संस्कार किया गया. मृत्युभोज आदि रीतियों को चाचा नहीं मानते थे.

चाचा के कहने से जुगल और किशन ने अपनी ज्वाइनिंग डेट बढ़वा ली थी.
2 महीने बाद जब उन के जाने का समय आ गया, तो एक दिन अपने घर में भ्रमर नाथ अपने संग भाभी और ज्योति को ले कर आ गए, ताकि एक से वातावरण में रहतेरहते उन का मन बदल जाए. उन्होंने जुगल को भी वहीं बुला लिया.

किशन तो उन से दोस्ती के बाद कई बार चाचा के यहां आ चुका था और उस ने अपने मन की सारी बातें उन से शेयर कर ली थीं. आज भी वो चाचा द्वारा दिए गए समय से पहले पहुंच गया था. उन्हें ये पता चल गया था कि किशन ज्योति को बहुत प्यार करता है और उस से ही शादी करना चाहता है, तो भ्रमर नाथ ने उन दोनों की पहले मंगनी, फिर शादी करवाने का पक्का इरादा कर लिया था. उन्हें पता था कि ज्योति कभी भी उन की बात नहीं टालेगी.

जुगल उन सब के पहुंचने के बाद अपनी मोटरसाइकिल से पहुंचा. सब को अपने बीच पा कर चाचा भ्रमर नाथ बहुत खुश थे.

उन्होंने भाभी को अंदर वाले कमरे में आराम करने और पत्नी सुनिधी को उन की सेवा में लगा दिया था. चाचा के बेटाबहू छुट्टियां मनाने शिमला गए हुए थे. बाहर ड्राइंगरूम में बच्चों से बातें करतेकरते अचानक वे किशोर से पूछ बैठे, “नौकरी तो तुम्हारी लग ही गई है और शादी भी तुम जल्दी करने की सोचोगे. बस तुम यह बताओ कि अपने मम्मीपापा की पसंद की लड़की से शादी करोगे या अपनी पसंद की?”

“चाचाजी, चूंकि मेरे पिताजी ने भी अपनी पसंद की लड़की से शादी की थी, इसलिए उन्हें कोई एतराज नहीं होगा, यदि मैं अपनी पसंद की लड़की से शादी करना चाहूंगा तो… पर, मैं चाहता हूं कि पहले मेरी बहन की शादी हो जाए.”

“एक लड़का भी उस ने पसंद कर रखा है, पर वह लड़का अपनी बिरादरी की किसी दूसरी लड़की को पसंद किए बैठा है और मेरी बहन का कहना है कि वह या तो अपने प्रेमी से ही शादी करेगी, नहीं तो अपनी जान दे देगी.”

बिना जुगल की तरफ देखे किशोर अपनी बात कह गया, लेकिन ज्योति लगातार जुगल के चेहरे पर आतेजाते भाव परखती रही.

चाचाजी ने बात जारी रखते हुए फिर किशोर से पूंछा, “क्या तुम उस लड़के को जानते हो?”

जानते हुए भी अनजान बनते हुए किशोर बोला, “यही तो बात है चाचाजी कि मैं उसे नहीं जानता.

“जान जाऊंगा तो उस से रिक्वेस्ट करूंगा, अपनी बहन की खातिर उस के पैर पडूंगा, उसे मनाऊंगा और जो भी हो सकेगा करूंगा.”

“अच्छा मान लो कि वह लड़का मिल गया और राजी हो गया, तो फिर तुम बहन की शादी के बाद अपनी पसंद की लड़की से शादी करोगे ना?”

“बिलकुल चाचाजी. ये मेरा आप से वादा है कि मैं उसी से शादी करूंगा.”

“तो उस का कुछ नाम भी तो होगा, जिसे तुम चाहते हो…?”

“नाम तो नहीं बताऊंगा, पर ये बता सकता हूं कि वह इसी कमरे में मेरे सामने बैठी है.”

ज्योति अचानक यह सुन कर सब समझ गई और मुसकराती हुई चाचाजी व किशोर की तरफ देख कर अंदर अपनी चाची के पास चली गई.

तभी जुगल के अंतर्मन ने उसे समझाया कि उसे अपनी छवि सुधारने का यही एक मौका है और वो प्रियंका से अपना वादा भी निभा लेगा और अपने दोस्त पर भी उपकार कर देगा.

आखिर उस ने उस की बहन ज्योति का हाथ मांगा है और चाचाजी अपनी भतीजी की शादी करने में कोई कसर नहीं रखेंगे. पिता के बाद ज्योति की शादी कराने के बोझ से भी वह बच जाएगा.

इसलिए अपने दोस्त किशोर के कंधे पर हाथ रखते हुए वह उस से बोला, “अगर तुम्हारी बहन का चाहने वाला नहीं मिला, तो क्या तुम्हारी बहन प्रियंका मुझ से शादी करने को तैयार हो जाएगी?”

“अरे दोस्त, तुम अगर चाहोगे तो मैं और चाचाजी मिल कर प्रियंका को समझा लेंगे. आखिर उस का जीवनसाथी मेरे इस दोस्त से बढ़ कर और कौन हो सकता है,” कह कर किशन ने जुगल को गले लगा लिया. गले मिलते समय चूंकि जुगल की पीठ चाचाजी की तरफ थी, इसलिए चाचाजी की योजना सफल होते देख उस ने अपनी एक आंख सामने बैठे चाचा को देख कर दबा दी.

क्योंकि चाचा किशन द्वारा यह भी जान गए थे कि अपनी बहन की सारी कहानी किशन जानता था और कुछ तसवीरों के साथ टाइप करा कर एक गुप्त पत्र विश्व नारायण के घर गुमनाम पते से किशन ने ही भेजा था.

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