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Diwali 2022: थैंक्स कॉलेज रियूनियन

“आज उन से पहली मुलाकात होगी, फिर आमनेसामने बात होगी, फिर होगा क्या, क्या पता, क्या खबर, फिर होगा क्या, क्या पता, क्या खबर…” निमिष गुनगुनाते हुए तैयार हो रहा था.

‘मानो सदियां बीत गई हों रीना को देखे। जाने मेरे बारे में सोचती भी होगी या नहीं, मैं उसे याद भी हूं या नहीं, बस क्लासमैट या अच्छा दोस्त था एक निमिष नाम का… कहीं ऐसा तो नहीं सोचती होगी? शादी क्यों नहीं की उस ने, कितना प्यार था हमदोनों में। फिर न जाने क्या हुआ कि बिना बताए ही चल दी। कोई नहीं, आज तो रीयूनियन में हर बात पूछ लूंगा, बहुत हुआ… क्यों मुझे छोड़ कर चल दी?

‘अरे वाह, यहां तो अंत्याक्षरी चल रही है। रीना कहां है, नजर नहीं आ रही…’ सोचतेसोचते निमिष भी अंत्याक्षरी का हिस्सा बन गया.

“ओह, यहां तो लगभग सभी हैं। कैसे हो भई? अरे सोनल, कैसी हो?” निमिष रीयूनियन में सभी को देख कर बहुत ही खुश हो रहा था.

“मैं ठीक हूं, तुम कैसे हो? काफी हैंडसम हो गए हो, कौन सी चक्की का आटा खाते हो?” सोनल ने निमिष को शरारतभरी नजरों से देखते हुए बोला.

“तुम ने भी तो शादी नहीं की, बोलो क्या इरादा है… चलें शादी करने,” निमिष ने भी मौके पर चौका मार दिया.

रीना से मिले सोनल ने निमिष से पूछा,”दिख नहीं रही कि कहां छिपी है वह,” निमिष रीना से मिलने के लिए बहुत बेचैन सा हो रहा था.

तभी निमिष को एक मीठी आवाज ने दस्तक दी, जिसे सुनने को हमेशा बेचैन रहता था वह। रीना अंत्याक्षरी में गाना गा रही थी,”याद किया दिल ने कहां हो तुम, झूमती बहार है कहां हो तुम…”

निमिष रीना का गाना सुनते ही, गाने का हिस्सा बनने को उठने लगा, सोनल ने उस का हाथ पकड़ बैठा लिया, “बस करो निमिष, उसे अकेले ही गाने दो, वैसे भी तुम ने उसे अकेला हो जाने को मजबूर कर दिया है, अब उसे अपनी दुनिया में खुश रहने दो।”

“पर मैं ने, मैं तो आज तक समझ ही नहीं पाया कि उस ने मुझे छोड़ा क्यों? बिना बताए वह मेरी जिंदगी से चली क्यों गई…” निमिष रीना को देखे जा रहा था.

“ओह, तो तुम कहना चाहते हो कि तुम कुछ नहीं जानते, रीना क्यों अकेली है?” सोनल ने हैरान हो कर कहा.

“क्या जानना चाहिए मुझे, बोलो सोनल,” निमिष कुछ समझ नहीं पा रहा था.

“रीयूनियन की पार्टी के बाद तुम रीना से खुद ही पूछ लेना। मेरा, तुम्हारे और उस के बीच में बोलना ठीक नहीं होगा, पर बात जरूर करना रीना से,” सोनल ने निमिष के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला.

और अगला गाना सुन निमिष को लगा जैसे कुछ तो है, अब तो रीना से पूछना ही होगा कि उस ने मुझे क्यों छोड़ा?

“आप आए तो खयाल ए दिल ए निशाद आया, कितने भूले हुए जख्मों का पता याद आया…” यह सुन निमिष रीना से मिलने को और बेचैन हो गया। रीना अंत्याक्षरी में मगन थी। निमिष ने उसे अपने पास आने का इशारा किया। कोल्ड ड्रिंक ले कर रीमा का इंतजार करने लगा.

निमिष का किसी और से बात करने का मन नहीं कर रहा था। हजारों सवालों में उलझा उस का दिल और दिमाग उस को चैन नहीं लेने दे रहे थे. रीयूनियन पार्टी में बहुत से क्लासमैट्स थे जिन से मिल कर निमिष को बहुत अच्छा लगा पर उस का मन रीना का इंतजार कर रहा था.

“निमिष, कैसे हो?” रीना की आवाज सुन निमिष ने राहत की सांस ली।

“मैं ठीक हूं, तुम कैसी हो, कहां हो आजकल? जिंदगी कैसे गुजर रही है,” निमिष ने एक सांस में ही
सवाल पूछ डाले.

“मैं ठीक हूं, तुम कैसे हो? रीयूनियन पार्टी में तुम्हें देख अच्छा लगा। आंटी कैसी हैं और बाकी सब घर में कैसे हैं?”

“मुझ से दूर रह कर खुश हो, जान कर अच्छा लगा,” निमिष व्यंग करते बोला.

“अच्छी सोच है तुम्हारी तो… और बताओ बच्चेवच्चे कितने हैं? आंटी तो
अपनी मनपसंद बहू पा कर खुश होंगी?”

“रीना, लगभग 5 साल हो गए तुम्हें गए। मां भी मुझे छोड़ कर चली गईं, 3 साल अपनी बीमारी से लड़ती रहीं। 6 महीने पहले दीदी भी कनाडा शिफ्ट हो गईं. शादी करने का वक्त ही नहीं मिला। तुम्हारे छोड़ कर चले जाने और मां की बीमारी में समय निकल गया। तुम बताओ तुम ने शादी क्यों नहीं की?” निमिष ने आह भरते हुए सब बोल दिया.

“ओह, खैर…कल मेरे घर छोटी सी पार्टी है जन्मदिन की। शाम को 4 बजे आ जाना। सब लोगों को 5 बजे बुलाया है, तुम थोड़ा जल्दी आ जाना। बैठ कर बातें भी हो जाएंगी। अभी तुम रीयूनियन पार्टी ऐंजौय करो, मैं तुम्हें अपना पता मैसेज कर दूंगी। मगर आना जरूर,” रीना ने भी एक ही सांस में सब बोल दिया.

“रीना, तुम मुझे बिना बताए क्यों चली गईं और मेरे कौल का जवाब भी नहीं दिया। नंबर भी बदल लिया। क्यों किया ऐसा तुम ने बोलो, रीना?” निमिष अपने सवालों का जवाब चाहता था.

“मैं आई थी तुम से मिलने। दीदी ने बताया था कि तुम्हारी बात पक्की हो गई है। आंटी ने बताया कि तुम्हीं ने
शादी करने की फरमाइश रखी थी। कल करेंगे बात और सब हिसाब,” रीना की आंखों में सवाल नजर आ रहे थे.

पार्टी के दौरान हौल में अंत्याक्षरी में कोई गाना गा रहा था,” तुम बिन जीवन कैसे बीता पूछो मेरे दिल से,
पूछो मेरे दिल से…”

“ठीक है, कल ही सही, पर सारे जवाब तैयार रखना,” निमिष ने मुसकराते हुए कहा.

“ठीक है, कल मिलते हैं,” रीना ने जाते हुए बोला।

“रीना, यह तो बता दो कि कल किस की जन्मदिन पार्टी है? गिफ्ट भी तो उसी हिसाब से लाना होगा, क्योंकि
तुम्हारा जन्मदिन तो कल नहीं है,” निमिष मुसकराते हुए बोला.

“मेरी बेटी का, कल वह 5 साल की हो जाएगी। कल आना जरूर,” रीना एक ही सांस में बोल पार्टी छोड़ चली गई.

‘बेटी का…’ निमिष स्तब्ध रह गया. ‘रीना की 5 साल की बेटी है?’ निमिष को कुछ नहीं सूझ रहा था.

तभी पीछे से आवाज आई, “चलो भाई, हम भी चलते हैं, थैंक्स कि सभी रीयूनियन पार्टी में आए,” सोनल, निमिष की ओर इशारा करते बोली.

“सोनल, रीना की 5 साल की बेटी है, पर तुम तो कह रही थीं वह अकेली है। बच्ची है तो उस के पिता भी होंगे, तो वह अकेली कैसे हुई?” निमिष कुछ नहीं समझ पा रहा था.

“ओह, समझी…तुम सच में कुछ नहीं जानते, कल जा कर खुद रीना से पूछ लेना. देखो भाई, यह तुम्हारे और रीना के बीच का मामला है, वह जाने या तुम, मुझ से कोई जवाब मत मांगो,” सोनल भी जल्दी से वहां से चली गई.

मोबाइल ने मैसेज आने का संकेत दिया, मैसेज रीना का था। उस ने अपना पता भेजा था।

‘रीना, बहुत से सवालों का जवाब देना होगा। शादी कर ली, बच्ची भी हो गई मगर तुम ने मुझे बताया क्यों नहीं?’ निमिष ने मैसेज लिख कर सैंड कर दिया.

‘रीयूनियन, व्हाट द जोक… क्या यही सब जानने के लिए मैं यहां आया था। आखिर रीना शादी कर कैसे कर सकती है? वादा मुझ से की और शादी किसी और से…एक बार मुझ से बोल तो देती. पर, सोनल ने कहां की वह तो अकेली है। हो सकता है कि वह सच में अकेली हो उस का पति नहीं… नहींनहीं, यह क्या सोच रहा हूं मैं, पर अगर ऐसा है तो…अब मैं रीना को अपने से दूर नहीं जाने दूंगा,’ निमिष ने म्यूजिक सिस्टम का वौल्यूम बढ़ा दिया। बस और नहीं सोचना चाहता था वह।

निमिष की जिंदगी की शायद सब से लंबी रात थी यह और आज, अभी तो बस सुबह ही है, शाम के 4 कब बजेंगे…निमिष रीना के घर 3 बजे ही पहुंच गया। घंटी बजने पर रीना ने दरवाजा खोला,”आओ न, बैठो, मैं पानी ले कर आती हूं,” रीना बोल कर किचन में चली गई.

‘घर खली सा लग रहा है, बाकी सब कहां हैं?’ निमिष सोचने लगा कि बात कैसे शुरू करें।

“आई होप कि घर मिलने में कोई परेशानी नहीं हुई,” रीना ने बात शुरू की. निमिष कुछ कहता, इस से पहले छोटी सी बच्ची मिठाई की प्लेट हाथ में लिए मुसकराते निमिष को मिठाई खाने को कह रही थी.

“अरे वाह, इधर आओ, हैप्पी बर्थडे टू यू… और यह रहा आप का गिफ्ट। क्या नाम है आप का?” निमिष बच्ची को गिफ्ट देते बोला.

गिफ्ट मिलते ही बच्ची थैंक्स करती अंदर कमरे में चली गई,”रीना, बच्ची बहुत प्यारी है, बिलकुल तुम सी, इस के पापा नजर नहीं आ रहे? कहां हैं वे?” निमिष ने सवाल कर ही दिया.

“पापा…पापा को नहीं पता कि उन की एक बच्ची भी है। मैं ने बताया नहीं,” रीना नजरें झुकाती हुई बोली। वह निमिष से नजरें नहीं मिला पा रही थी.

“क्या, क्या मतलब… बच्ची के पिता को नहीं पता कि उस की एक बच्ची भी है? क्या तुम लोग अलग
हो गए? वे इस बच्ची का पिता हैं रीना, अलग होने पर भी बाप और बेटी का रिश्ता तो नहीं बदलता। यह कहीं तुम्हारी वह जिद वाली बात तो नहीं है. अगर मैं इस के पिता की जगह होता तो तुम पर केस कर देता। एक बच्ची को पिता के प्यार से वंचित रखने पर मैं तुम पर केस कर देता और फिर तुम बच्ची को देखने को भी तरस जातीं,” निमिष ने बस बोल दिया, बिना सोचेसमझे।

इतने में बच्ची अपना गिफ्ट खोल कर ले आई और खुशी से अपनी मां को दिखाने लगी। पर मां को रोता देख, गिफ्ट फेंक मां के गले लग गई.

“नीमा, नीमा नाम है इस का। कर दो केस, क्योंकि यह निमिष की नीमा है,” नीमा की आंखों से आंसू बहने लगे.

“नीमा, यहां आओ मेरे पास,” निमिष ने नीमा को गले से लगा लिया. कालेज रीयूनियन तो फैमिली रीयूनियन बन गया. निमिष ने रीमा को भी गले से लगा लिया. सभी सवालों के जवाब रीमा ने एक वाक्य में दे डाले थे। निमिष भी अपने आंसू न रोक पाया.

तेजिंदर कौर

Diwali 2022: बेसन के लड्डू- किफायती और मजेदार

लड्डू बेसन के हों या बूंदी के, सब से ज्यादा खाए और बेचे जाते हैं. इन्हें किसी भी छोटीबड़ी दुकान से खरीदा जा सकता है. मिठाई कारोबार में बेसन के लड्डुओं की बहुत ज्यादा अहमियत है. इन को कहीं ले जाने में किसी तरह से खराब होने की परेशानी नहीं होती है.

मोतीचूर का लड्डू छोटीछोटी बेसन की बूंदियों से तैयार किया जाता है. इस का रंग बेसन या बूंदी के लड्डू से अलग होता है. जहां साधारण लड्डू पीले रंग के होते हैं, वहीं मोतीचूर के लड्डू केसरिया रंग के होते हैं. देशी घी से बनने वाले मोतीचूर के लड्डू खाने में अलग स्वाद देते हैं.

रिफाइंड और डालडा से बनने वाले लड्डुओं के मुकाबले देशी घी से तैयार लड्डू कीमत में महंगे जरूर होते हैं, पर इन का स्वाद निराला होता है.

कुछ समय पहले शादी में लड़की की विदाई के समय लड्डुओं को बड़ेबड़े टोकरों में भर कर दिया जाता था. इन टोकरों से लड़की वालों की हैसियत का अंदाजा भी लगाया जाता था. बदलते समय में विवाह की इस परंपरा में दूसरी मिठाइयां भी शामिल हो गई हैं, पर लड्डू की जगह अभी कायम है. शगुन के रूप में लड्डुओं को अभी भी खास माना जाता है. कुछ लोग अपनी खुशियों में 51 और 101 किलोग्राम के स्पेशल लड्डू भी बनवाते हैं.

‘लड्डू बनाने के लिए बेसन, घी, चीनी, काजू, बादाम और इलायची का इस्तेमाल किया जाता है. अगर बूंदी का लड्डू बनाना है, तो बेसन से पहले बूंदी बनाई जाती है, इस के बाद चाशनी में डाल कर उस से लड्डू तैयार किए जाते हैं.’

कैसे बनाते हैं लड्डू

  • ‘बेसन के लड्डू बनाने के लिए 2 कप बेसन के साथ आधा कप घी, 1 कप पिसी चीनी, 5-6 काजूबादाम और इलायची की जरूरत होती है.
  • काजू, बादाम और इलायची को दरादरा पीस लें. बेसन को छान लें.
  • कड़ाही को गरम करें. उस में घी डालें.
  • फिर बेसन और दरदरे पीसे काजू, बादाम व इलायची डाल कर मध्यम आंच पर भूनें.
  • जब बेसन का रंग सुनहरा हो जाए तो उस में चीनी मिला दें. चीनी पिघल कर बेसन में ठीक से मिल जाती है.
  • कड़ाही को आंच से उतार कर बेसन के मिश्रण को ठंडा होने दें.
  • ठंडा होने के बाद थोड़ाथोड़ा मिश्रण हथेली के बीच में ले कर गोलगोल आकार के लड्डू बनाएं.

बूंदी के लड्डू बनाने के लिए पहले बेसन से बूंदी बनाई जाती है. उस में खाने वाला रंग मिला कर बेसन से अलग रंग के लड्डू भी तैयार किए जा सकते हैं. बूंदी के आकार से ही लड्डू का स्वाद जुड़ा होता है.

महीन बूंदी वाले लड्डू को मोतीचूर का लड्डू कहते हैं. तैयार बूंदी को चीनीपानी से तैयार चाशनी में मिलाया जाता है. कुछ ठंडा होने पर लड्डू बना कर तैयार किए जाते हैं. सजावट के लिए मेवों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

Diwali 2022: मां, तुम्हें भी जीने का हक है

‘‘मां, तुम रो रही थी न,’’ सोनल ने सुधा जी से कहा.

‘‘अरे नहीं बेटू, वह प्याज काट रही थी न, इसीलिए आंखें जरा सी लाल हो गईं,’’ सुधा जी किसी अपराधी की भांति नजरें छिपाती हुई बोलीं.

‘‘मां, क्यों छिपा रही हो मुझ से, पापा के जाने का दर्द हर दिन तुम्हारी आंखों में दिखाई देता है मुझे. कब तक मां, 2 साल हो गए उन्हें हम से दूर गए, कोई दिन नहीं गया जब तुम्हारे दुपट्टे को आंसुओं से भीगा न देखा हो. मां, तुम चलो मेरे साथ,’’ सोनल ने कहा.

‘‘तू पागल है क्या? तेरी ससुराल वाले क्या कहेंगे, तेरे नाना जब भी मेरे यहां आते थे, पानी भी नहीं पीते थे अपनी बेटी के घर का. तू मुझे अपनी ससुराल में रहने की बात कर रही है. यहां सब है, बेटा. तेरे पापा का प्यार, उन की यादें, कहां हूं मैं अकेली?’’ सुधा जी ने सोनल के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

सोनल जान गई थी कि मां को समझाना आसान नहीं. पर मां धीरेधीरे सिमटती जा रही हैं अपनेआप में. 30 साल जिस हमसफर के साथ बिताए वह जब तनहा छोड़ जाए तो जिंदगी आसान तो नहीं रह पाती. सोनल के साथ अनुज ने भी कई बार कहा कि वे उन के साथ रहने आ जाएं, पर सुधा जी का जवाब हमेशा वही होता.

‘‘कब आई तुम, कैसी है मम्मी की तबीयत अब,’’ अनुज घर में आए तो देखा सोनल सोफे पर औंधेमुंह लेटी है, उस के सिर पर हाथ फिराते हुए उस ने पूछा. न चाहते हुए भी सोनल फफक कर रो पड़ी. अनुज ने उसे सहला कर शांत किया.

‘‘अनुज, मां गुम सी हो गई हैं, चुप खामोश. उन की चुप्पी मुझे अंदर ही अंदर डरा देती है. मुसकान का लबादा ओढ़े कितना दर्द उन में भरा है, क्या मैं समझती नहीं. कभीकभी मुझे बहुत गुस्सा आता है इस समाज पर, जहां बेटी को इस कदर पराया कर दिया जाता है. आज अगर मैं बेटा होती तो क्या मां मेरे साथ नहीं रह सकती थीं. वे कहती हैं कि मेरी गृहस्थी हमेशा खुशहाल रहे, इसीलिए वे मेरे साथ नहीं रह सकतीं. मम्मी जी, पापा जी भी तो इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे, वे क्या समझते नहीं,’’ सोनल आंखों में आंसू लिए बोली.

‘‘सोनल, हम कुछ नहीं कर सकते. वह बड़े लोगों की सोच है, वह इतनी आसानी से नहीं बदलने वाली,’’ अनुज ने कहा.

‘‘अनुज, तो क्या मैं मां को यों ही अकेलेपन का दंश भुगतने के लिए छोड़ दूं? नहीं अनुज, यह अकेलापन डस लेगा उन्हें किसी दिन,’’ अनुज की बात बीच में काट सोनल बोली.

2 साल हो गए थे अनिल जी का देहांत हुए. सोनल अपने मांपापा की इकलौती बेटी थी. सुधा जी ने अपनेआप को उन दोनों में इस कदर व्यस्त कर लिया कि उन की जिंदगी सिर्फ उन 2 लोगों के बीच ही सिमट कर रह गई. 3 साल पहले उन्होंने सोनल की शादी की तो उन के पति उन का इकलौता सहारा थे पर शायद होनी को कुछ और ही मंजूर था. एक रात अनिल जी ऐसा सोए कि अगले दिन उठ ही न पाए.

सोनल अगली सुबह अखबार पढ़ रही थी कि उस की नजर एक खबर पर गई और ठिठक गई. हजारों खयाल उस के मन में उमडऩे लगे. दूसरे ही पल उस के हाथों की उंगलियां लैपटौप पर चलने लगीं. पूरा दिन इसी उधेड़बुन में रहा कि क्या जो वह सोच रही है, सही है? अगले दिन उस ने एक दृढ निश्चय किया और उस की उंगलियां फिर से लैपटौप पर थीं.

‘‘सोनल, लगता है तुम्हारा दिमाग फिर गया है, तुम होश में तो हो?’’ अनुज ने गुस्से में कहा.

‘‘हां अनुज, मैं पूरे होशोहवास में हूं. किसी के जाने से जिंदगी खत्म तो नहीं होती न अनुज, जीना तो फिर भी पड़ता है चाहे हर दिन घुटघुट कर जियो या खुश रह कर. क्या किसी इंसान को हक नहीं खुश रहने का, अपनी जिंदगी फिर से शुरू करने का, क्या बुराई है इस में? अनुज, जिंदगी बहुत छोटी है पर जिंदगी में कुछ मोड़ ऐसे भी आते हैं जब जिंदगी पहाड़ सरीखी हो जाती है और जीना मुश्किल लगने लगता है. रही बात समाज की, तो जिस समाज की हम परवा करते हैं उसे हमारी कितनी परवा है. 2 साल हो गए पापा को गए, किस ने क्या किया? अनुज, मुझे इस समाज की नहीं, अपनी मां की परवा है. मैं अपनी मां को जिंदा लाश की तरह नहीं देख सकती. अब यह तुम पर है कि तुम मेरा साथ निभाते हो या नहीं,’’ सोनल ने कहा.

अनुज कई दिन इसी उधेड़बुन में लगा रहा, फिर उसे एहसास हुआ कि यह कदम तो सोनल के लिए भी आसान नहीं, फिर भी वह अपनी मां के लिए कर रही है, क्या वह उस का साथ नहीं निभा सकता.

‘‘सोनल, मैं तुम्हारे साथ हूं,’’ अनुज ने कहा तो सोनल ने उसे गले से लगा लिया.

‘‘अनुज, यह प्रोफाइल देखो, ये सुनील श्रीवास्तव हैं, रिटायर्ड बैंक मैनेजर हैं. इन की बीवी की 3 साल पहले कैंसर से मौत हो गई थी. उन के 2 बेटे हैं जो कि अलगअलग जगह सैटल हैं. मुझे इन का प्रोफाइल बहुत अच्छा लगा, तुम बात करो न,’’ सोनल ने कहा. अनुज ने फोन पर उन से बात की.

अगले ही दिन अनुज और सोनल ने उन से मुलाकात की. उन्हें वे पसंद आए. मां की तरह वे भी अकेलेपन का दंश भोग रहे थे और किसी एक साथी की तलाश में थे जो उन के इस अकेलेपन को दूर कर सके.

अगला कदम मां को मनाने का था. सोनल जानती थी कि यह इतना आसान नहीं है पर फिर भी उस ने कदम उठाया. वह पीछे हटने वाली नहीं थी.

‘‘मां, देखो मैं ने आर्ट औफ लिविंग क्लासेस में तुम्हारा नाम लिखवा दिया है, कल से तुम्हें वहां जाना है,’’ सोनल ने कहा.

‘‘सोनल, तू ये सब क्या करती रहती है, मैं कहीं नहीं जाने वाली,’’ मां बोलीं.

‘‘मां, मैं ने फीस भर दी है और ड्राइवर को भी बोल दिया. तुम कल सुबह 7 बजे तैयार रहना,’’ सोनल ने कहा. अब सुधा जी के पास जाने के अलावा और कोई चारा नहीं था.

अनुज और सोनल को पता था कि सुनील जी आर्ट औफ लिविंग में इंस्ट्रक्टर भी हैं, इसीलिए उन्होंने यह तरीका अपनाया.

अगले दिन से सुधा जी आर्ट औफ लिविंग में जाने लगीं. धीरेधीरे उन का मन वहां रम गया. वहां जा कर वे खुद को बहुत प्रफुल्लित महसूस करतीं. 6 महीने में वह उन की दिनचर्या का हिस्सा बन गया. वहां सभी सदस्यों के साथ वे घुलमिल गईं. सुनील जी का स्वभाव ऐसा था कि दोस्त बनाते उन्हें समय नहीं लगा.

बातों ही बातों में सुनील जी को पता चला कि सुधा जी को कविताएं लिखने का बड़ा शौक है पर शादी के बाद उन्होंने इस शौक को ठंडे बस्ते में डाल दिया. उन्होंने सुधाजी को कर्ई किताबें भेंट कीं और फिर से लिखने को प्रोत्साहित किया.

‘‘सुधा जी, मेरे पास लिटरेचर फैस्टिवल के 2 टिकेट्स हैं, क्या आप चलेंगी,’’ सुनील जी ने कहा.

सुधा जी एकबारगी ठिठकीं, पर अगले ही पल उन्होंने हां कर दी. अगले दिन जब वे लिटरेचर फैस्टिवल से लौटीं तो बड़ी खुश थीं.

‘‘पता है सोनू, कितने जानेमाने कवि आए थे. जिन को हम टीवी में देखते है, वो सामने बैठे थे और एक से बढक़र एक किताबें,’’ सुधा जी बरतन धोती हुई बोल रही थीं.

मां बोलती जा रही थीं और सोनल मन ही मन मुसकराते हुए उन के लिखे हुए चेहरे को देख रही थी. इसी मुसकान को देख एक आंसू सोनल की आंख से बह निकला, खुशी का आंसू. इसी बीच सुनील जी और सुधा साथ में लाइब्रेरी भी जाते जहां वे किताबें पढ़ते और उन पर चर्चा भी करते.

‘‘शायद अब समय आ गया है जब हमें मम्मी से बात कर लेनी चाहिए,’’ अनुज ने कहा तो सोनल ने हां में सिर हिला दिया.

‘‘सोनल, तुम होश में तो हो, क्या कह रही हो. फिर से शादी वह भी इस उम्र में. पागल तो नहीं हो गई हो. एक बार भी सोचा कि दुनिया क्या कहेगी और अनुज इस की बेवकूफी में तुम भी शामिल हो गए,’’ सुधा जी ने गुस्से से कहा.

‘‘मां, शांत हो जाओ, गलत क्या है इस में? पापा को गए 3 साल हो गए हैं, मेरे साथ तुम रह नहीं सकतीं, तो फिर इस में गलत क्या है? क्या तुम्हें खुश रहने का हक नहीं. कब तक तुम यों रहोगी, मां? क्या तुम्हें जीने का हक नहीं, खुश रहने का हक नहीं. सुनील जी बहुत अच्छे इंसान हैं, मां, तुम खुश रहोगी,’’ सोनल ने कहा.

‘‘सुनील जी…’’ सुधा जी चौंक गईं. अब शायद उन्हें सब समझ में आ गया. उन्होंने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और अनुज व सोनल से जाने को कहा.

फोन की घंटी बज रही थी, सामने कौल पर सुनील जी थे. वह फोन रखना चाहती थी कि उन्होंने कहा कि कल वे उन्हें लाइब्रेरी के बाहर मिलें.

अगले दिन न चाहते हुए भी वे गईं.

‘‘मुझे पता है, आप नाराज हैं. आप की नाराजगी भी जायज है. पर आप ही बताएं कि गलत क्या है अगर 2 लोग अपनी एक नई जिंदगी शुरू करना चाहते है. आप और मैं तो एक ही दर्द से गुजर रहे हैं. कुछ न सही पर शायद एक दर्द का रिश्ता हमारे बीच है ही. फिर भी, मैं हमेशा आप के निर्णय का स्वागत करूंगा. अच्छा, मैं चलता हूं,’’ सुनील जी ने कहा और चले गए.

सुधा जी को कई रातों नींद नहीं आई. कुछ दिनों बाद वे फिर से अपने सैंटर गईं. लाइब्रेरी भी गईं, पर वह चेहरा जिस की उन्हें तलाश थी, नहीं मिला.

अगले दिन सुनील जी ने फोन पर एक जानापहचाना नंबर देखा. यह नंबर सुधा जी का था. अगले ही पल उन के चेहरे पर मुसकान आ गई.

आज से हम दोनों पतिपत्नी हैं. मैरिज रजिस्ट्रार के औफिस में सुधा जी और सुनील जी ने एकदूसरे को वरमाला पहनाई. सुनील जी के दोनों बेटों ने और अनुज, सोनल ने भी रजिस्टर में बतौर गवाह दस्तखत किए.

सोनल ने अपनी मां के हाथ में कुछ थमाया. यह सिंदूर की डबिया थी. मां की आंखें छलछला आईं.

‘‘पापा, आप मां की मांग में सिंदूर नहीं करेंगे?’’ सोनल ने पूछा.

सुधाजी का चेहरा सिंदूर की लालिमा से चमचमाने लगा.

औरत की औकात- भाग 3: प्रौपर्टी में फंसे रिश्तों की कहानी

“देखो नेहा, तुम पिछले 10 दिनों से इस बात को ले कर घर का माहौल तंग बनाए हुए हो. कल रात से तो हद ही कर दी है तुम ने. मेरे पूछे बिना तुम ने उस वकील …क्या नाम था… हां … विभा सहाय को अपने घर के मामले में डाला तब मैं ने कुछ नहीं कहा लेकिन अब तो पानी सिर से ऊपर जा रहा है. मम्मी कह रही थीं तुम ने आज सुबह पंडितजी को भी भलाबुरा कह कर उन की हाजिरी में मम्मी की इन्सल्ट की. अपनी औकात में रहना सीखो वरना मुझे भी अपनी उंगली टेढ़ी करना आती है,” राकेश ने जला देने वाली नजर उस की तरफ डाली तो एक पल को वह सहम गई लेकिन फिर अगले ही क्षण विभा सहाय की दी गई सलाह उस के जेहन में तैर गई और वह पूरे आत्मविश्वास से बोलने लगी, “ठीक है, मैं अपनी औकात में ही रहूंगी लेकिन मेरी औकात क्या है, यह मैं खुद तय करूंगी.”

“तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? धमकी दे रही हो या समझौता कर रही हो?” राकेश ने उस का जवाब सुन कर शंकाभरी नजर उस पर डाली.

उस ने अब एक ठंडी आह भरी और आगे कहा, “जिंदगी में पैसा झगड़ा करवाता है. यह बात सुन रखी थी लेकिन अब अनुभव भी कर ली है. पापा के मुझे दिए गए पैसों को ले कर हमारे घर की सुखशांति भंग हो रही है, तो सोच रही हूं उन का दिया सारा पैसा उन्हें वापस कर दूं. इस से घर में शांति तो बनी रहेगी. नया मकान आज नहीं तो दसपन्द्रह साल बाद तुम खुद अपनी कमाई से ले ही लोगे.”

जैसे ही उस ने अपनी बात पूरी की, राकेश का चेहरा सफेद पड़ गया. वह हड़बड़ाता हुआ बोला, “तुम ऐसा हरगिज नहीं कर सकतीं.”

“क्यों नहीं कर सकती? मैं यह फैसला ले सकूं, इतनी तो औकात है मेरी राकेश,” जवाब देते हुए उस ने राकेश को घूरा तो उस के तेवर और आत्मविश्वास देख कर राकेश तुरंत कुछ नहीं बोल पाया. उस ने अपनी मम्मी की तरफ देखा और उन की आंखों से एक इशारा पा कर वह बिगड़ी हुई बात संभालते हुए उसे समझाने लगा, “यह समय आवेश में आ कर इस तरह का फैसला लेने का नहीं है. इस वक्त तुम गुस्से में हो, अपने परिवार का हित ध्यान में रख कर फिर से सोचो और हम फिर किसी दिन इस बारे में बात करेंगे.”

“वह दिन कभी नहीं आएगा राकेश. मैं अच्छी तरह से समझ गई हूं. मेरे नाम से संपत्ति कर देने से तुम खुद को इनसिक्योर या छोटा फील करोगे, इसी से तुम यह फैसला नहीं ले पा रहे हो लेकिन मैं अपने फैसले पर अडिग हूं या तो मकान मेरे नाम से होगा या फिर मैं अपने पापा का सारा पैसा उन्हें लौटा दूंगी.”

“तुम गलत समझ रही हो नेहा. बात खुद को छोटा फील करने वाली नहीं है. जब तक मैं हूं तब तक संपत्ति वगैरह जैसे लफड़ो में तुम्हें नहीं पड़ना चाहिए,” राकेश ने उस की बात का जवाब दिया तो नेहा ने अब विस्तार से कहा, “अगर तुम्हारा सोचना ऐसा ही है तो तुम गलत हो राकेश. अपने जीवनसाथी को जीवन की आवश्यक चीजों से दूर रख कर तुम उसे केवल औरत होने के नाम पर कमजोर बना रहे हो. याद करो वह दिन जब पापाजी के जाने के बाद गांव वाली जमीन को ले कर कितनी दिक्कतें हुई थीं. मम्मीजी को उस बारे में थोड़ा भी पता होता तो वह जमीन तुम्हारे ताऊजी हड़प न कर पाते.”

उस की बात सुनकर कुछ देर के लिए कोई कुछ नहीं बोला. वह अपनी जगह से उठ कर चायनाश्ते की खाली प्लेट्स ले कर रसोई में जाने लगी. तभी पीछे से उसे उस की सास की आवाज सुनाई दी, “राकेश, बहू की बात कुछ हद तक सही तो है. तेरे पापा ने मकान-संपत्ति के मामले में मुझे बिलकुल अनजान रखा था, इसी से आज जो कुछ हमारा होना था वह हमारे पास नहीं है. बहू को कम से कम अपने अधिकारों के बारे में तो पता है और अपने अधिकार को ले कर अगर वह अपनों से भी लड़ रही है तो कुछ गलत नहीं कर रही है.”

“लेकिन मम्मी…मकान उस के नाम…” राकेश ने कुछ कहना चाहा तो उन्होंने उसे टोकते हुए आगे कहा, “तुम दोनों एक ही गाड़ी के दो पहिए हो. क्या फर्क पड़ता है अगर घर बहू के नाम भी हुआ तो… आखिर मकान को घर तो उसे ही बनाना है.”

अपनी मम्मी के फैसले पर सहमति जताते हुए राकेश आगे कुछ नहीं बोला. नेहा ने पीछे पलट कर उसे देखा तो उस की तरफ देख कर वह मुसकरा दिया.

 

अंधविश्वास से आत्मविश्वास तक-भाग 1: रवीना पति से क्यों परेशान थी

अंधविश्वास में जकड़ा नरेन अपने साथ स्वामीजी और उन के एक चेले को अपने घर ले तो आया पर मुसीबत उस की पत्नी रवीना को ?ोलनी पड़ी. ऐसी क्या बात हुई कि नरेन के मन में स्वामीजी के प्रति नफरत भर गई? ‘‘देवी, स्वामीजी को गरमागरम फुल्का चाहिए,’’ स्वामीजी के साथ आए चेले ने कहा. रोटी सेंकती रवीना का दिल किया, चिमटा उठा कर स्वामीजी के चेले के सिर पर दे मारे जिस की निगाहें वह कई बार अपने बदन पर फिसलते महसूस कर जाती थी. ‘‘ला रही हूं.’’ न चाहते हुए भी उस की आवाज में तल्खी घुल गई. तवे की रोटी पलट, गरम रोटी की प्लेट ले कर वह सीढ़ी चढ़ कर ऊपर चली गई.

आखिरी सीढ़ी पर खड़ी हो उस ने एकाएक पीछे मुड़ कर देखा तो स्वामीजी का चेला मुग्ध भाव से उसे ही देख रहा था. लेकिन जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो कोई क्या करे. वह अंदर स्वामीजी के कमरे में चली गई. स्वामीजी ने खाना खत्म कर दिया था और तृप्त भाव से बैठे थे. उसे देख कर वे भी लगभग उसी मुग्ध भाव से मुसकराए, ‘‘मेरा भोजन तो खत्म हो गया, देवी. फुल्का लाने में तनिक देर हो गई. अब नहीं खाया जाएगा.’’ ‘उफ्फ, सत्तर नौकर लगे हैं न यहां. स्वामीजी के तेवर तो देखो,’ फिर भी वह उन के सामने यह बोली, ‘‘एक फुल्का और ले लीजिए, स्वामीजी.’’

‘‘नहीं देवी, बस, तनिक हाथ धुलवा दें,’’ रवीना ने वाशरूम की तरफ नजर दौड़ाई. वाशबेसिन के इस जमाने में भी जब हाथ धुलाने के लिए कोई कोमलांगी उपलब्ध हो तो ‘कोई वो क्यों चाहे, ये न चाहे’ रवीना ने बिना कुछ कहे पानी का लोटा उठा लिया, ‘‘कहां हाथ धोएंगे स्वामीजी?’’ ‘‘यहीं, थाली में ही धुलवा दें.’’ स्वामीजी ने वहीं थाली में हाथ धोया और कुल्ला भी कर दिया. यह देख रवीना का दिल अंदर तक कसमसा गया पर किसी तरह छलकती थाली उठा कर वह नीचे ले आई. स्वामीजी के चेले को वहीं डाइनिंग टेबल पर खाना दे कर उस ने बैडरूम में घुस कर दरवाजा बंद कर दिया. अब कोई बुलाएगा भी तो वह जाएगी नहीं जब तक बच्चे स्कूल से आ नहीं जाते. 40 वर्षीया रवीना खूबसूरत, शिक्षित, स्मार्ट, उच्च पदस्थ अधिकारी की पत्नी, अंधविश्वास से कोसों दूर, आधुनिक विचारों से लबरेज महिला थी पर पति नरेन का क्या करे, जो उच्च शिक्षित व उच्च पद पर तो था पर घर से मिले संस्कारों की वजह से घोर अंधविश्वासी था. इस वजह से रवीना व नरेन में जबतब ठन जाती थी. इस बार नरेन जब कल टूर से लौटा तो स्वामीजी और उन का चेला भी साथ थे. उन्हें देख कर वह मन ही मन तनावग्रस्त हो गई. सम?ा गई, अब यह 1-2 दिन का किस्सा नहीं है.

Diwali 2022: शक्कर- टेस्ट में अच्छी, हेल्थ के लिए खराब

खाने की हर चीज में मिठास उस के स्वाद को बढ़ाती है. खाने की करीबकरीब सभी चीजों में मिठास होती है. किसी में मिठास कम होती है तो किसी में ज्यादा. इस मिठास को नैचुरल शुगर कहते हैं. शुगर दरअसल कार्बोहाइड्रेट का एक हिस्सा होती है. जब यह शरीर को जरूरत से ज्यादा मिलती है तो शरीर में यह कार्बोहाइड्रेट के रूप में इकट्ठी हो जाती है. बाद में यही वसा यानी फैट बन जाता है.

शरीर में मौजूद पैंक्रियाज का काम फैट के रूप में एकत्र शुगर को शरीर की जरूरत के मुताबिक प्रयोग करने का होता है. शुगर शरीर को एनर्जी देने का काम करती है. जब पैंक्रियाज सही से काम नहीं करता तो शुगर का शरीर में सही इस्तेमाल नहीं हो पाता. जिस से डायबिटीज हो जाती है. डायबिटीज का डर ही चीनी को बेस्वाद बनाने लगा है. इसीलिए कहा जाता है कि चीनी स्वाद के लिए तो अच्छी, पर सेहत के लिए खराब है.

असल में चीनी सेहत के लिए हानिकारिक नहीं है. चीनी मुख्यरूप से गन्ने और चुकंदर से बनती है. गन्ने से चीनी सब से ज्यादा मात्रा में बनती है. भारत चीनी पैदा करने वाले प्रमुख देशों में से एक है. यहां चीनी का प्रतिव्यक्ति प्रयोग भी सब से ज्यादा होता है.

चीनी में प्रमुख तौर पर सुक्रोज, लैक्टोज और फ्रक्टोज नामक तत्त्व पाए जाते हैं. चीनी में कैलोरी सब से अधिक पाई जाती है. 10 ग्राम चीनी में 387 कैलोरी होती हैं. शरीर में चीनी की सब से अधिक जरूरत मस्तिष्क को होती है. शरीर को चीनी 2 तरह से मिलती है. एक तो वह चीनी जो कैमिकल चीनी होती है जो हमें चाय, मिठाई, खीर जैसी खाने की चीजों से मिलती है. यह खाने में मिठास को बढ़ाने के लिए प्रयोग की जाती है. कैमिकल चीनी ही सेहत के लिए नुकसानदायक होती है, दूसरी तरह की नैचुरल चीनी होती है जो फल और खाने के दूसरे स्रोतों से मिलती है. यह चीनी नुकसान नहीं करती है.

न्यूट्रीवैल इंडिया की डाइटीशियन डाक्टर सुरभि जैन कहती हैं, ‘‘कैमिकल चीनी के ज्यादा सेवन करने और शारीरिक गतिविधियां कम करने के चलते डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. अगर कैमिकल चीनी के साथसाथ ऐक्सरसाइज पर ध्यान दें, बौडी में ज्यादा कैलोरी जमा न होने दें तो डायबिटीज रोग की संभावना कम हो जाती है.

‘‘चीनी स्वाद को बढ़ाती है. यह सेहत के लिए उतनी नुकसानदेह नहीं है जितनी कि यह बदनाम है. डायबिटीज के लिए हमारी जीवनशैली जिम्मेदार है. इस में तनाव महसूस करना, ऐक्सरसाइज न करना, असमय सोनाजागना प्रमुख हैं. यह जरूर है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर में फैट का जमाव बढ़ जाता है. ऐसे में आप कैमिकल चीनी की जगह पर नैचुरल शुगर या फिर शुगरफ्री टैबलेट्स का प्रयोग भी कर सकते हैं.’’

चीनी से नहीं, डायबिटीज से बचें

खाने की लगभग सभी चीजों में शुगर होती है. ऐसे में कोशिश यह होनी चाहिए कि कैमिकल चीनी का प्रयोग कम से कम किया जाए. इस के साथ ही साथ अपनी जीवनशैली में भी सुधार करें. अगर व्यक्ति खाने में कैमिकलयुक्त सफेद चीनी का इस्तेमाल बंद कर दे तो डायबिटीज का खतरा कम हो सकता है.

डायटीशियन और शेफ स्वाति एस अहलूवालिया कहती हैं, ‘‘फलों का जूस पीने के बजाय साबुत फल के सेवन की आदत डालनी चाहिए. इस से पाचन प्रक्रिया बेहतर रहती है. जूस के मुकाबले फलों का खाना सेहत के लिए ज्यादा बेहतर होता है. इस से शरीर में फैट नहीं बढ़ता है. ऐसे में चीनी की मिठास के साथ सेहत का ध्यान भी रखा जा सकता है. फलों से हमें जो नैचुरल शुगर मिलती है वह काफी लाभकारी होती है.’’

स्वाति आगे कहती हैं, ‘‘एक शेफ होेने के नाते मैं बताना चाहती हूं कि खाने की डिश तैयार करते समय भी हमें चीनी की मात्रा और प्रकार का ध्यान रखना चाहिए. खाने की तैयार होने वाली मीठी डिश में चीनी का बेहद संतुलित प्रयोग करना चाहिए. इस के साथ अगर नैचुरल शुगर का प्रयोग हो सके तो बेहतर उपाय है.

‘‘कैमिकल चीनी की जगह अब गुड़ का प्रयोग भी मिठाई बनाने में होने लगा है. गन्ने के गुड़ के साथ ही साथ खजूर का गुड़ भी इस्तेमाल किया जा रहा है. इस के अलावा मीठे के रूप में शहद का प्रयोेग बढ़ गया है. खजूर या गन्ने के गुड़ के साथ परेशानी कई बार उस के रंग की होती है. इस से खाने की डिश का कलर बदल जाता है. ऐसे में खाने की डिश में प्रयोग करने के लिए शुगरफ्री का प्रयोग किया जा सकता है. इस से कलर भी नहीं बदलेगा और स्वाद भी वही रहेगा.’’

नैचुरल शुगर का बढ़ता प्रयोग

डाइटीशियन डाक्टर सुरभि जैन कहती हैं, ‘‘सफेद कैमिकल शुगर डायबिटीज का सब से अधिक खतरा पैदा करती है. डायबिटीज खुद में भले ही कोई रोग न हो पर यह शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देती है, जिस से कई रोग शरीर को घेर लेते हैं. ऐसे में चीनी का प्रयोग बंद करने की जरूरत नहीं है. जरूरत इस बात की है कि खानेपीने और अपनी जीवनशैली में सुधार किया जाए. इस से आप को चीनी छोड़ने की जरूरत नहीं रह जाएगी.

‘‘सफेद कैमिकल चीनी का प्रयोग बेहद कम करना चाहिए. खाने की डिश इस तरह की हो जिस में गन्ने और खजूर के गुड़ का प्रयोग किया गया हो. खाने की दुनिया में बहुत क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं. अब शुगरफ्री मिठाई तक तैयार होने लगी है. ठंडे पेय पदार्थों में कम कैलोरी वाली शुगरफ्री का प्रचलन बढ़ गया है.

‘‘मिठाई को बनाने में आर्टिफिशियल शुगर का प्रयोग बढ़ रहा है. मेवा से तैयार होने वाली मिठाई का स्वाद बिना डायबिटीज के खौफ के  ले सकते हैं.’’

लखनऊ की मशहूर मिठाई शौप छप्पन भोग के रवींद्र गुप्ता कहते हैं, ‘‘अंजीर, खजूर और ड्राईफ्रूट्स के प्रयोग से बनने वाली मिठाइयों ने अपनी अलग पहचान बनाई है. ये नुकसान नहीं करतीं. इन में नट बेरी, रोज बेरी, डेट बेरी आदि प्रमुख मिठाइयां शामिल हैं. अंजीर और खजूर में मिठाई का गुण तो होता ही है, ये सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होती हैं.’’

बंगाल की मशहूर मिठाई ‘संदेश’ भी अब खजूर के गुड़ से तैयार की जा रही है. अच्छी बात यह भी है कि लोग इस का सेवन बहुत कर रहे हैं. कंचन स्वीट्स के नरेंद्र तोलानी बताते हैं, ‘‘बंगाल की मिठाइयां मशहूर हैं. हम ने इन में शुगर के प्रभाव को कम करने के लिए खजूर गुड़ का प्रयोग करना शुरू किया. लोगों ने इसे बेहद पसंद किया. धीरेधीरे हम ने हर बंगाली मिठाई खजूर के गुड़ में बनानी शुरू की. इस का असर यह पड़ा कि लोगों में डायबिटीज का खतरा कम हो गया. अब शुगर के मरीज भी त्योहारों में मिठाई खाने का आनंद ले सकते हैं. वे त्योहारों की खुशियां मिठाई के संग मना सकते हैं.’’

अब्दू रोजिक के दुश्मन करेंगे बिग बॉस 16 को ज्वॉइन

बिग बॉस 16 के घर में अब्दू रोजिक खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं, हाल ही में अब्दू रोजिक को रोते हुए देखा गया था, जिसके बाद से अब सबकुछ ठक हो गया है.

अब्दू रोजिक के चार्म ने सबका दिल जीत लिया है, इससे सभी फैंस उनके दीवाने हो गए हैं,आए दिन कुछ न कुछ ऐसा करते हैं जो लोगों को खूब पसंद आता है. अब खबर ये आ रही है कि जल्द ही बिग बॉस 16 में अब्दू रोजिक के दुश्मन की एंट्री होने वाली है.

 

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खुद सलमान भी अब्दू रोजिक की तारीफ करते नहीं थकते हैं, जिससे अब्दू रोजिक का फेम लगातार बढ़ते जा रहा है. वहीं खबर ये हैं कि जल्द बिग बॉस 16 अब्दु रोजिक के दुश्मन की एंट्री होने वाली है.

हसबुल्ला मोगोदेवो को अप्रोच किया जा रहा है, अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द हसबुल्ला की एंट्री होगी. वैसे हसबुल्ला और अब्दु रोजिक की लड़ाई के बारे में सब जानते हैं. सोशल मीडिया पर हसब्बुला  और अब्दु रोजिक की लड़ाई की वीडियो वायरल हो रही है. अब बिग बॉस टीआरपी बटोरने के लिए ये सब कुछ करने वाला है.

वैसे ये पहली बार नहीं है जब मेकर्स ने बिग बॉस में 2 दुश्मनों को कैद कर लिया है, इससे पहले भी बिग बॉस में कई लोगों की ऐसी एंट्री हो चुकी है.

VIDEO: उर्फी जावेद को स्टाइल मारना पड़ा महंगा, झूले से गिरी धड़ाम

अपनी बोल्ड सेक्सी अदाओं से लोगों का दिल जीतने वाली उर्फी जावेद एक बार फिर से चर्चा में आ गई हैं, हाल ही में उनका एक गाना रिलीज हुआ है जिसमें उनका मिला जुला रिएक्शन मिला है. इसी बीच उनका एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं.

इस वीडियो को देखकर लोग जमकर मजे ले रहे हैं, और कमेंट भी कर रहे हैं, इस वीडियो में आप देख सकती हैं कि उर्फी झूला झूल रही हैं , झूला झूलते हुए उर्फी धड़ाम से गिरती हैं , जैसे ही उर्फी जावेद झूला पर चढ़ती हैं वैसे ही बैलेंस बिगड़ जाता है और नीचे आ जाती हैं.

 

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इस वीडियो का लोग खूब मजे ले रहे हैं, फैंस भी खूब कमेंट कर रहे हैं, दरअसल, इस वीडियो को उर्फी जावेद ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया है, वीडियो  शेयर करते हुए उर्फी ने लिखा हाय राम ये तो सच में हाय हाय हो गया.

 

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हालांकि इस वीडियो में उर्फी ने नारंगी रंग की साड़ी पहनी हुई हैं, अचानक झूलते -झूलते अनबैलेंस हो जाती हैं. लड़के उन्हें संभआलने लगते हैं. लोग उनका खूब मजे ले रहे हैं. एक ने कमेंट करते हुए लिखा कि बहन अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो एंटरटेनमेंट का क्या होता.

इस दिवाली अपने पेट्स का भी रखें ध्यान

दिवाली का त्योहार वैसे तो खुशियों का है लेकिन पटाखे की आवाज, धुएं और गंध से सबसे अधिक परेशान पालतू जानवर होते हैं, खासकर कुत्ते. वे तेज आवाज से घबराकर खाना छोड़ देते हैं. कहीं दुबककर बैठ जाते हैं. जो उनके शरीर के लिए मुश्किल भरा होता है.

दिवाली को मनाने के साथ-साथ पेट्स का भी ख्याल अवश्य करें ताकि आपकी खुशियाँ और अधिक हो. इस बारें में साउथ ईस्ट एशिया मार्स इंडिया के वाल्थम साइंटिफिक कम्युनिकेशन मैनेजर डॉ. कल्लाहल्ली उमेश कहती है कि दिवाली का समय पेट्स के लिए बहुत ही क्रूशियल समय होता है. जब वे समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें करना क्या है. चारों तरफ रौशनी और आवाज उन्हें दुविधा में डाल देती है.

जैसा कि छोटे बच्चे को दिवाली के पटाखे और आवाज को समझने में समय लगता है, वैसे ही पेट्स को भी समझने में समय लगता है. खासकर अगर ‘पपी’ आपके घर में हो तो उसे अधिक सम्हालना पड़ता है. ऐसे में घर में रहने वाले लोगों को उसके इस डर को दूर भगाना पड़ता है. पेट्स को इन आवाजों से परिचय करवाने के लिए पहले से कुछ तैयारियां करनी पड़ती है.

पेट्स को करायें आवाज से परिचय

टेप या रिकॉर्ड से आवाज सुनाकर पेट्स को उस आवाज से परिचय करवाया जा सकता है.

आवाज को सुनाकर उसे कुछ मनपसंद खाना दिया जा सकता है ताकि उस आवाज से उसका ध्यान हट जाय

इस काम के लिए वेटेनरी डॉक्टर की सलाह भी लिया जा सकता है.

लेकिन अगर आपने ऐसा नहीं किया है तो पेट्स का खास ख्याल रखें, ताकि वह भी इस दिवाली में आपके साथ हो.

ऐसे करें अपने पेट्स का डर कम

पटाखे बजाने से पहले पेट्स को बाहर घूमा कर लायें.

घर की खिड़की और दरवाजे बंद रखें, पर्दा गिरा दें, ताकि रौशनी की चमक दिखायी न पड़े.

टीवी और रेडियो के वॉल्यूम को थोड़ा ऊपर रखें जिससे उसे पटाखे की आवाज सुनाई न पड़े.

उसे अकेला न छोड़े बल्कि साथ में रखे और थोड़ी-थोड़ी देर बाद मनपसंद खाना देंअगर वह अधिक सेंसिटिव है तो कानों थोड़ी रुई डाल दें.

उसे जहाँ बैठने की इच्छा हो उसे वही रहने दें, परेशान न करें

नेचुरल वातावरण बनाये रखने के लिए फूलों की सुगंध या लैवेंडर का छिड़काव करें

कुछ काम दिवाली को खुशनुमा बनाने के लिए कभी न करें

स्ट्रीट डॉग्स के ऊपर पटाखे न फेकें, न ही उनके दुम में पटाखे बांधे, ये आपके लिए मजेदार हो सकती है पर उनके जान पर बन आती है, कई बार वे जल जाते हैं.पटाखों या फुलझड़ी से उन्हें डरायें नहीं, इससे डरकर वे ट्रैफिक के नीचे आकर मर सकते हैं.

अगर वे आहत हो गए हो तो उन्हें शरण दें और इलाज़ करवाएं.

शादी को 10 साल हो गए हैं, मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाता , कुछ सुझाव दें

सवाल
हमारी शादी हुए 10 साल हो चुके हैं. हमारी 5 साल की एक बच्ची भी है. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं. वे भी मुझे सैक्सुअली पूरी तरह संतुष्ट करने की कोशिश करते हैं लेकिन मुझे और्गेज्म तक पहुंचने में बहुत देर लग जाती है. पति को खुश करने के लिए कईर् बार मैं  बोल देती हूं कि मेरा और्गेज्म हो गया है लेकिन होता नहीं है. पति की खुशी से ही मैं संतुष्ट हो जाती हूं. लेकिन फिर भी अंदर ही अंदर मुझे कई बार बहुत खराब लगता है. कहीं इस से मेरी सैक्स लाइफ खराब न हो जाए. क्या करूं?
जवाब
ऐसा कई महिलाओं के साथ होता है कि उन्हें और्गेज्म तक पहुंचने में काफी समय लग जाता है. ऐसी स्थिति में वे खुद की सैक्स लाइफ खराब मानने लगती हैं. हो सकता है आप का पार्टनर आप को सही तरीके से उत्तेजित नहीं कर पा रहा हो. अगर आप इस तरह की परेशानी का सामना कर रही हैं तो इस में ओरल सैक्स आप की मदद कर सकता है. इस के अलावा फिंगर सैक्स से महिलाओं को और्गेज्म तक पहुंचने में मदद मिलती है. यानी सैक्स का यह तरीका न केवल आप को चरमसुख तक पहुंचाता है बल्कि सैक्सलाइफ को रोमांचक बनाता है. इस में पुरुष महिला की योनि में उगलियों को प्रवेश कराता है. सैक्स के इस तरीके से वैंजाइना में उत्तेजना आती है और और्गेज्म तक पहुंचने में आसानी होती है. आप अपने पति से इस बारे में खुल कर बात करें. अपनी समस्या उन से शेयर नहीं करेंगी तो उन्हें पता कैसे चलेगा. पति से बात करें. जरूर आप की प्रौब्लम सौल्व हो जाएगी और आप सैक्स एंजौए करेंगी.
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