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कांग्रेस “अध्यक्ष” : नव ऊर्जा नव जोश …

अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चुनाव लगभग दो दशक बाद   होने जा रहा है. अब दो शख्सियत अध्यक्ष पद के लिए आमने-सामने हैं प्रथम – मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरे शशि थरूर. यह माना जा रहा है कि खड़गे को सोनिया गांधी का, गांधी परिवार का आशीर्वाद है. मगर शशि थरूर भी छोटे खिलाड़ी नहीं है उनका कद भी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर का है. ऐसे में जब यह चुनाव संपन्न हो जाएगा और कोई एक शख्सियत लंबे अरसे के बाद गांधी परिवार से इतर कॉन्ग्रेस का खेवनहार बनेगा तब कांग्रेस और देश की राजनीति किस मोड़ पर आगे बढ़ेगी, यह देखना दिलचस्प होगा.

एक राजनीतिक प्रेक्षक  की दृष्टि से देखा जाए तो कहा जा सकता है कांग्रेस हर एक हालात में अनुभवी हाथों में होगी मलिकार्जुन खरगे का जहां लंबा राजनीतिक जीवन रहा है और उन्होंने कांग्रेस को एक तरह से आत्मसात कर लिया है.यह भी सच है कि ऐसे मौके बार-बार नहीं आते, यह हर राजनीतिक विभूति जानती है. इसलिए कहा जा सकता है कि चाहे मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष हों या शशि थरूर
देश की राजनीति एक नई करवट लेने जा रही है और यह सोनिया गांधी राहुल गांधी की छाया से अलग भी हो सकती है और छाया में भी. दोनों के ही अपने लाभ और नुकसान हैं.

अगर नवनियुक्त कांग्रेस अध्यक्ष अपनी शैली से कांग्रेस को एक दिशा देता है और सोनिया राहुल गांधी को हाशिए पर डाल दिया जाएगा और कांग्रेस और उसका नेतृत्व अगर देश की सत्ता पर काबिज हो जाए तो यह अपने आप में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है.मगर माना यह जा रहा है कि सोनिया राहुल की छाया से कांग्रेस  दूर नहीं जा सकती और किसी अध्यक्ष में इतना ताब नहीं है कि अपने बूते कांग्रेस की सत्ता केंद्र मे ला सके.

यह बातें राजनीतिक कयास मात्र हैं. हकीकत इससे अलग भी हो सकती है मगर आज कांग्रेस और देश जिस चौराहे पर खड़ा है वहां से यह आवाज लगाई जा सकती है कि कांग्रेस का भविष्य देश हित में उज्जवल होना ही चाहिए.

खड़गे बनाम थरुर

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिलचस्प चुनाव में अब एक नया अध्याय सामने है.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में नामांकन वापस लेने की अवधि पूरी होने के बाद अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर आमने सामने हैं. राहुल गांधी ने चुनाव लड़ रहे खरगे और थरूर को लेकर कहा है – उन्हें (दोनों को) रिमोट कंट्रोल से नहीं चलाया जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि चुनाव में उतरे दोनों शख्सियत की एक अपनी हैसियत है, एक दृष्टिकोण है और ये कद्दावर तथा अच्छी समझ रखने वाले व्यक्ति है.
अब 17 अक्तूबर को कांग्रेस के अध्यक्ष पद का मतदान होगा और 19 अक्तूबर को मतगणना होगी. दरअसल, दोनों उम्मीदवारों को इस चुनाव में समान अवसर मिल रहा है. उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में तीनों नेताओं ने नामांकन पत्र भरा था, लेकिन झारखंड के पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी का नामांकन पत्र खारिज हो गया .

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी   ने भारत जोड़ो यात्रा में पदयात्रा के दरमियान एक सवाल के जवाब में अध्यक्ष चुनाव के उम्मीदवार के बारे में पहली बार  अपनी बात रखते हुए इस धारणा को खारिज करने का प्रयास किया कि गांधी परिवार अगले कांग्रेस अध्यक्ष को रिमोट से नियंत्रित कर सकता है.  राहुल गांधी ने यह भी कहा कि वह स्वभाव से ‘तपस्या’ में विश्वास करते हैं और भारत जोड़ो यात्रा’ के माध्यम से लोगों से जुड़ना चाहती है और कांग्रेस, भाजपा-आरएसएस की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लोगों को एकजुट करना चाहती है.

वस्तुत: भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कन्याकुमारी से कश्मीर तक 3,500 किमी की दूरी तय की जा रही है. राहुल गांधी ने कहा  नफरत और हिंसा फैलाना एक राष्ट्र विरोधी कार्य है और हम इसमें शामिल हर व्यक्ति से लड़ेंगे. उन्होंने कहा हम नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि यह हमारे इतिहास, परंपराओं की विकृत कर रही है. हम एक विकेंद्रीकृत शिक्षा व्यवस्था चाहते हैं.

इस तरह अब एक नया इतिहास बनने की संभावना दिखाई देती है. नए कांग्रेस अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद कांग्रेस एक नई ऊर्जा और जोश के साथ नरेंद्र दामोदरदास मोदी और भाजपा के सामने होगी.

Diwali 2022: दीवाली की थाली- घोलें रिश्तों में मिठास

एक शहर में रहते हुए भी एक ही परिवार के लोग अलग अलग रह रहे हैं. शहर बडे़ हो गए हैं, परिवार के लोगों के घर दूरदूर होने लगे हैं. कोई शहर के एक कोने पर रहता है तो कोई दूसरे कोने पर. दीवाली के दिन सभी अपनेअपने घर में त्योहार मनाते हैं. ऐसे में अगर दीवाली के 4 से 5 दिन पहले से परिवार के लोग आपस में रोज एक जगह मिलें तो इस से रिश्तों को मधुर बनाने में मदद मिलेगी. जरूरत यह है कि परिवार के सभी लोग बारीबारी से डिनर पर बुलाएं. जिस में पूरा परिवार शामिल हो. इस से पूरा परिवार अलगअलग रहते हुए भी त्योहार में एकसाथ बैठ कर आनंद ले सकेगा. एक तरह से इसे डिनर डिप्लोमैसी की तरह देखा जा सकता है. डिनर डिप्लोमैसी का प्रयोग राजनीति में बहुत पहले से होता रहा है जिस में अलगअलग विचारधाराओं के लोग एकजुट हो जाते हैं. जबकि परिवार के लोग तो एक विचारधारा के ही होते हैं.

अब परिवार बढ़ने लगे हैं. ऐसे में एक ही शहर में अलगअलग रहना जरूरत और मजबूरी हो गई है. इसे अलगाव या परिवार के विघटन के रूप में नहीं देखना चाहिए. यह प्रयास जरूर किया जाना चाहिए कि परिवार के लोग त्योहार में एकसाथ अपना कुछ वक्त गुजार सकें. इस से आपस में प्यार बढ़ता है. अगर कोई मनमुटाव है तो वह भी आपसी बातचीत से दूर किया जा सकता है. पूरा परिवार एकसाथ बैठता है तो आपसी रिश्ते मधुर होते हैं. जब परिवार सहित लोग एकदूसरे से मिलते हैं तो परिवार में अगली पीढ़ी और पिछली पीढ़ी के बीच तालमेल बनाता है. खासकर, परिवार के बच्चे आपसी संबंधों को सहज करने का माध्यम बन जाते हैं.

खाना हो खास

दीवाली के डिनर के लिए जब खाने का मैन्यू तैयार हो तो इस बात का ध्यान रखें कि सब की पसंद का खाना हो. हर घर में कुछ न कुछ अलग टाइप की डिश जरूर बनती है जो एक तरह से परिवार की पारंपरिक डिश होती है. इस तरह की डिश को कभी मां या दादी बनाती थीं. ऐसी डिश को मैन्यू में जरूर शामिल करें. इस से बचपन की यादें ताजा हो जाती हैं. इस तरह की डिश के साथ बचपन की कोई न कोई कहानी जरूर जुड़ी होती है. जब यह डिश डिनर में होगी तो आपस

में पुराने दिनों की यादें ताजा होंगी जो पुराने समय के रिश्तों की ताजगी को उजागर करने में सहायक होंगी. अगर आपस में कोई मनमुटाव होगा तो वह भी दूर हो जाएगा.

डिनर में सब के लिए कुछ न कुछ खास होता है तो सब को अच्छा लगता है. मन में यह खयाल आता है कि डिनर का इंतजाम करने वाले ने मेरा कितना खयाल रखा. किस को क्या पसंद है, यह पता करने के लिए उन के करीबी लोगों से बात करें

जिस से खाने वाले को सरप्राइज मिले. जब अचानक डिनर टेबल पर कोई अपनी पसंद की डिश सामने आती है तो मन बेहद खुश हो जाता है. डिनर के लिए बहुत भव्य व्यवस्था न हो. इस को ऐसा रखा जाए कि मन को परिवार के  बीच होने का एहसास हो. खाना घर पर बने और कोशिश हो कि घर के लोग ही इसे बनाएं.

विवादित बातों से बचें

डिनर के समय अच्छी और एकदूसरे की पसंद वाली बातें करें. परिवार के बीच विवादों के विषय चर्चा में न लाएं. इस से मनमुटाव बढ़ सकता है. डिनर में केवल परिवार के लोग शामिल हों. करीबी रिश्तेदारों और मित्रों को भी इस का हिस्सा न बनाएं. अगर रिश्तेदार और मित्र इस में शामिल होंगे तो परिवार के साथ आने का आभास नहीं हो सकेगा. कई बार दूसरे लोगों की मौजूदगी परिवार के बीच तनाव का कारण बनती है. डिनर के समय बच्चों से बात कर सकते हैं. उन को अपने घरपरिवार के बारे में जानकारी दे सकते हैं. किस तरह अपने बचपन में आपस में सब मिल कर दीवाली और दूसरे त्योहार मनाते थे, यह चर्चा में लाएं. बचपन की पुरानी यादें मन को छू जाती हैं और चेहरे पर एक पल के लिए खुशियां बिखेर जाती हैं.

एकदूसरे की सेहत, शौक और कैरियर की बातें कर सकते हैं. परिवार की आय और खर्चों पर बात करने से बचें. कई बार पैसों के बीच में आने से बात बिगड़ जाती है. बिजनैस में क्या अच्छा है और क्या बुरा, इस तरह की सामान्य चर्चा की जा सकती है. बच्चों की पसंद उन की शादी और कैरियर की बातें करते समय यह ध्यान रखें कि आप की बातों से उन की आजादी प्रभावित न हो रही हो. हलकीफुलकी शरारती बातें भी करें जिस से बड़े लोगों को उन के बचपन की याद आ जाए और छोटे बच्चों को यह सुन कर मजा आए कि उन के पेरैंट्स और ग्रैंड पेरैंट्स किस तरह से अपने बचपन में मजा करते थे.

सलाह दें, फैसले न थोपें

अगर यह लग रहा है कि परिवार का कोई सदस्य कुछ गलत कर रहा है तो उस को अलग से समझाएं, डिनर टेबल पर उस की चर्चा न करें. आप के समझाने का तरीका आप की सोच पर निर्भर करता है. उसे यह लगे कि आप एक अच्छी सलाह दे रहे हैं. सलाह जब फैसला लगने लगती है तो विवाद खड़ा हो जाता है. और पिछले वे सारे मसले खडे़ हो जाते हैं जो कभी विवाद का विषय बन चुके होते हैं. ऐसे में सलाह आदेश न लगे, यह खयाल जरूर रखें. अपनी बात कहते समय यह देख लें कि सामने वाला उसे सुनने के लिए कितना तैयार है. अगर यह लगे कि आप की बात का कोई मतलब नहीं है तो विषय बदल दें.

कई बार छोटे बच्चों और घर की बहुओं की बातों को कम सुना जाता है. ऐसे में इन लोगों की बातों को सुना जाए और इन के रचनात्मक गुणों को आगे बढ़ाया जाए. इस से कई फायदे होते हैं. एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी के करीब आती है. एकदूसरे की रुचियों को समझें और उन को बढ़ावा देने का काम भी करें. तारीफ से हरेक मन खुश होता है और दिलों की दूरियां कम होती हैं. अगर छोटे बच्चे या नई बहू ने कुछ खास किया हो तो उसे उपहार दे कर उस का हौसला बढ़ाएं. इस से पुरानी पीढ़ी के प्रति सम्मान बढ़ेगा.

पहनावे की करें तारीफ

त्योहार में फैशन और मेकअप को बढ़ावा दिया जाता है. सुंदर और स्मार्ट दिखने के लिए सभी अच्छी ड्रैस पहनते हैं. खासकर बच्चे, महिलाएं और युवा इस तरह के काम ज्यादा करते हैं. नई पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच पहनावा कभी आडे़ न आए, ऐसा प्रयास करें. कई बार पुरानी पीढ़ी इस को आलोचना का विषय बना लेती है. ऐसे में संबंध बनने के बजाय खराब होने लगते हैं. दीवाली सब से प्रमुख त्योहार है. वैसे भी अब सभी त्योहार बिजनैस का माध्यम बन गए हैं. ऐसे में जब कोई अपनी पसंद का पहनावा पहने तो उस की तारीफ करें. फैशन के विषय पर बातचीत करें. इस से उन को यह नहीं लगेगा कि पुरानी पीढ़ी को कोई जानकारी नहीं है. ऐसा करने से एकदूसरे के बीच अच्छे संवाद स्थापितहो सकेंगे.

घर से वापस जाने वाले रिश्तेदारों को महंगे नहीं, पर ऐसे उपहार जरूर दें जो रिश्तों की गरमाहट को बनाए रखें. यह बात केवल मेजबान के लिए ही जरूरी नहीं है, मेहमान के लिए भी बेहद जरूरी है. हम देखते हैं कि लोग दोस्ती में तमाम तरह के उपाय करते हैं, ताकि दोस्ती बनी रहे पर जब बात परिवार की आती है तो लोग इसे भूल जाते हैं. परिवार के लोग भी अब हमेशा साथ नहीं रहते. ऐसे में वे भी इस बात के हकदार होने लगे हैं कि उन का भी खयाल रखा जाए. जिस तरह नई पीढ़ी को लगता है कि पुरानी पीढ़ी उस का ध्यान रखे, उसी तरह पुरानी पीढ़ी को भी लगता है कि नई पीढ़ी उस का ध्यान रखे. घरपरिवार के रिश्तों के अलावा एक अन्य रिश्ता जो हमारे जीवन में अपनापन और खुशहाली का संदेश ले कर आता है वह रिश्ता होता है दोस्ती का. इस दीवाली पारिवारिक सदस्यों के साथसाथ यारदोस्तों की दीवाली को भी रोशन करने का संकल्प लें.

दोस्त यार संग दीवाली

दीवाली का त्योहार अपने साथ उत्साह औैर उमंग तो लाता ही है, लोगों में घर जाने की उत्सुकता को बढ़ा भी देता है. हर कोई इस त्योहार को अपने परिवार के साथ मनाना चाहता है. मगर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो रोजगार या पढ़ाई के मजबूरीवश त्योहार पर घर नहीं जा पाते. ऐसे में परिवार की कमी खलना और अकेलेपन से उबरना आसान नहीं होता. लेकिन अपनी मानसिकता को थोड़ा सा बदल लिया जाए तो परिवार से दूर रह कर भी एक नए परिवार के साथ दीवाली का आनंद उठाया जा सकता है.

यह परिवार कोई और नहीं, बल्कि आप के खुद के द्वारा बनाए गए दोस्त व सिंगल सगेसंबंधी होते हैं, जो आप की ही तरह अपने परिवार से अलग दूसरे शहर में न केवल आप के मित्र बल्कि सुखदुख के साथी भी बन जाते हैं. भले ही इन के साथ त्योहार मनाने के तौरतरीके बदल जाते हों लेकिन खुशियों के माने नहीं बदलते, बल्कि दोस्तों के साथ मनाए गए त्योहार का अनुभव बेहद खास होता है.

दीवाली पर घर न जा पाने वालों में केवल नौकरीपेशा ही नहीं, बल्कि बड़ी तादाद में छात्रछात्राएं भी होते हैं. होस्टल एवं पीजी में रहने वाले छात्र पढ़ाई की वजह से कई बार त्योहार पर अपने घर नहीं जा पाते क्योंकि दीवाली की छुट्टी केवल एक दिन की ही मिलती है और अटैंडैंस शौर्ट होने पर इम्तिहान के नंबरों पर इस का बुरा प्रभाव पड़ता है.

इस बाबत जयपुर के एक निजी विश्वविद्यालय में सेवारत प्रोफैसर रुचि सिंह कहती हैं, ‘‘कालेज के बहुत से छात्रछात्राएं दीवाली पर घर नहीं जा पाते क्योंकि यही वह समय होता है जब वर्कशौप और कौन्फ्रैंस होती हैं. मगर ऐसे वक्त में होम सिकनैस होना स्वाभाविक है. कालेज प्रशासन भी इस बात को अच्छे से समझता है, इसलिए हमारे कालेज में दीवाली पर कुछ फंड एकत्र कर उन बच्चों के लिए पार्टी का आयोजन किया जाता है जो त्योहार पर घर नहीं जा पाते.

‘‘साथ ही, यदि कोई बच्चा अपने दोस्त या लोकल गार्जियन के घर पर त्योहार मनाने जाना चाहता है तो उसे आउटपास दे दिया जाता है. कालेज की पार्टी मात्र 3 घंटे में ओवर तो हो जाती है मगर इस पार्टी का हैंगओवर जल्दी नहीं उतरता क्योंकि यह बहुत खास पार्टी होती है. इस में शामिल हर छात्र एकदूसरे के लिए परिवार से कम नहीं होता. यहां घर वाली दीवाली की फीलिंग भले ही न आए मगर कालेज की धूमधड़ाके वाली दीवाली मनाने की खुशी हर छात्र के चहरे पर साफ दिखती है.’’

छात्रों की ही तरह वे लोग जो दफ्तर के कामकाज में फंस कर घर नहीं जा पाते वे भी इस दिन को अपने साथी सहकर्मियों के साथ या उन के परिवार के साथ दीवाली मना सकते हैं. बात सिर्फ दिल से दिल मिलाने की होती है. और दिल से दिल तब ही मिलते हैं जब मेहमानों की तरह नहीं, परिवार के सदस्य की तरह दीवाली की तैयारियों में कुछ योगदान खुद का भी होता है.

तैयारियों का मजा

दीवाली की तैयारी कोई छोटीमोटी नहीं होती, बल्कि 1-2 महीने पहले से ही इस की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. जाहिर है परिवार की गैरमौजूदगी में मन में यही विचार आता होगा कैसी तैयारी? मगर अकेला व्यक्ति भी दीवाली की तैयारियों में लग कर अपने अकेलेपन को दूर कर सकता है. देखा जाए तो खुद को खुश रखने और त्योहार के उत्साह को कायम रखने के लिए दीवाली का त्योहार मनाने की तैयारियां ही अकेले व्यक्ति का आधा मनोरंजन करा देती हैं, फिर चाहे दीवाली पर कपड़ों, गहनों या सजावट के सामान की शौपिंग हो या कि अपने कमरे की साफसफाई और रंगरोगन कराने की बात. ये तैयारियां तब और भी मजेदार हो जाती हैं जब दोस्तयार भी इस में शामिल हो जाते हैं. हंसीठिठोली के साथ सारा काम कब निबट जाता है, पता ही नहीं चलता. साथ ही, हर काम के साथ अगले काम को करने का उत्साह भी बढ़ जाता है.

कुछ ऐसा ही अनुभव बेंगलुरु की आईटी कंपनी में काम करने वाली चित्रप्रिया गुप्ता का है. वे बताती हैं, मेरा शहर बेंगलुरु से 28 घंटे की दूरी पर है और मेरे संस्थान में दीवाली की एक दिन की ही छुट्टी होती है. ऐसे में घर जाना और जल्दी लौट कर

आना कई बार मुमकिन नहीं हो पाता है. इसलिए मैं अपने नौर्थ इंडियन कलीग्स के साथ यहीं दीवाली मनाती हूं. मेरे अपने शहर के भी कई दोस्त  बेंगलुरु में ही रहते हैं. हम भले ही पूरे साल एकदूसरे का चेहरा न देखें मगर दीवाली एक ऐसा मौका होता है जब हम सभी इकट्ठा हो कर धमाल मचाते हैं. हम किसी एक का घर दीवाली सैलिब्रेशन के लिए चुन लेते हैं और इस दिन को सैलिब्रेट करने के लिए हम हफ्तेभर पहले से शौपिंग करना शुरू कर देते हैं. कई बार हमें वह सारा सामान यहां नहीं मिल पाता, जिन से त्योहार की रौनक बढ़ जाती है. इसलिए इस के लिए हम औनलाइन शौपिंग कर लेते हैं. हम बिलकुल वैसे ही घर की हफ्तेभर पहले से सजावट कर देते हैं जैसे अपने घर को सजा रहे हों. दीवाली पर क्या पहनना है, इस के लिए हम एक महीने पहले से ही सोचने लगते हैं. कई बार तो हम सब साथ में ही दीवाली की शौपिंग करने निकल जाते हैं. इन सब के बीच हमें बिलकुल भी अकेलापन महसूस नहीं होता.

अकेले हैं तो क्या हुआ, रसोई में घुस कर पाककला में आप हाथ आजमा कर तो देखें. हो सकता है कि यह अनुभव एकदम नया हो मगर यह तय है कि यह कभी न भुला पाने वाला अनुभव जरूर बन जाएगा. खासतौर पर यदि रसोई में हाथ बंटाने के लिए आप का दोस्त भी मौजूद हो तो पकवान के स्वाद में मिठास के साथ प्यार का जायका भी घुल जाएगा.

कोशिश करें कि इस मौके पर थोड़ी मात्रा में ही सही, लेकिन दीवाली पर बनने वाले पकवान जरूर बनाएं और अपने साथियों को खिलाएं. ऐसा करने से त्योहार का उत्साह तो बढ़ेगा ही, साथ ही आपसी संबंधों में मिठास भी घुल जाएगी.

त्योहार के अवसरों पर जिस तरह पकवान मुंह का जायका बदल देते हैं उसी तरह संगीत मन का मिजाज बदल देता है. इसलिए थोड़ा भी अकेलापन महसूस हो तो संगीत सुन कर मन बहला सकते हैं. मौंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी में म्यूजिक प्रोफैसर इथन हीन की मानें तो, म्यूजिक हमें अकेले में भी दूसरे व्यक्ति से जोड़ती है. यह हमें कल्पनाओं में ले जाती है जहां हम किसी के साथ भी नाच सकते हैं और किसी के साथ भी गा सकते हैं.

परिवार से दूर रहने वाले लोग प्रोफैसर इथन हीन की इस थ्योरी से दीवाली के दिन अपने अकेलेपन को दूर भगा सकते हैं. वहीं, मन की संतुष्टि के लिए भी संगीत आप की मदद कर सकता है. एक रिसर्च के अनुसार, जब हम संतुष्ट होते हैं तो हमारे ब्रेन से डूपामेन (फील गुड कराने वाला) नामक न्यूरोकैमिकल रिलीज होता है, जो खुशी का अनुभव कराता है. कुछ ऐसा ही होता है जब हम संगीत सुन रहे होते हैं. इसलिए दीवाली पर अकेले हैं तो म्यूजिक आप के अकेलेपन का सच्चा साथी बन सकता है.

उपहार दे कर लाएं करीब

दीवाली का त्योहार सिर्फ 1 दिन का नहीं होता. दीवाली वाले दिन से 1 माह पूर्व ही तरहतरह के दीवाली मेले और दीवाली उत्सव शुरू हो जाते हैं. इन सभी का नहीं, तो कुछ का हिस्सा आप भी बन सकते हैं. इन मेलों में अकेले जाने की जगह अपने दोस्तों के साथ जाएं. दोस्तों की टोली जब साथ होगी तो आप मेले में अकेले नहीं होंगे. दोस्तों के मस्तीमजाक के साथ दीवाली के उत्सव का मजा चौगुना हो जाता है.

मेलों में बहुत सारी वस्तुएं उपलब्ध होती हैं जिन्हें अपने लिए या अपने परिवार के लिए उपहार के तौर पर खरीदा जा सकता है. माना कि आप इस बार अपने घर नहीं जा पा रहे, मगर कुछ समय बाद जब आप को घर जाने का मौका मिलेगा तब आप उन उपहारों को अपने परिवार को दे सकते हैं. दीवाली पर उपहार देने का मतलब सामने वाले व्यक्ति से स्नेह जताना होता है. इसलिए यह उपहार केवल परिवार वालों के लिए ही नहीं, बल्कि अपने दोस्तों के लिए भी आप खरीद सकते हैं. इस से एक बौंडिंग बनती है और यही बौंडिंग एक नए परिवार की मौजूदगी का एहसास कराती है. इसलिए त्योहार पर किसी भी वजह से घर नहीं जा पा रहे तो मायूस न हों क्योंकि एक नया परिवार खुशियां बांटने और पर्व मनाने के लिए खुली बांहों से आप को पुकार रहा है.

हम कामना करते हैं कि दीवाली के अवसर पर रिश्तों में मधुर रस घोलने की आप की यह कोशिश सिर्फ दीवाली के दिन ही नहीं, पूरे साल आप के जीवन में खुशियां और हर्षोल्लास भरती रहे.

 

रिश्तों को करीब ला सकती है दीवाली की मधुरता

दीवाली लोकप्रिय त्योहार है. इसे पूरा देश भरपूर उत्साह से मनाता है. यह परिवार को करीब लाने का सब से अच्छा जरिया हो सकता है. यह सच है कि अब एक परिवार शहर के अलगअलग इलाकों में रहने लगा है. ऐसे में दीवाली से 4 से 5 दिन पहले अगर बारीबारी से एकदूसरे परिवार के साथ उस के घर जा कर डिनर करें तो रिश्ते मधुर हो सकेंगे. परिवार के बीच नई ऊर्जा का संचार हो सकेगा.

–कल्पना शाह, फिल्म अभिनेत्री

डिनर रिश्तों को सब से करीब लाने का बेहतर रास्ता होता है. खाने का स्वाद, परोसने का तरीका और बातचीत करने की कला सब मिल कर डिनर की टेबल को पौजिटिव एनर्जी से भर देते हैं. जब हम खाने में एकदूसरे का इतना खयाल रखते हैं तो दूसरे को बहुत अच्छा लगता है. बस, ध्यान रहे कि खाने का मैन्यू रोज के रूटीन से हट कर हो. खाने में पसंद के अनुसार स्वीट डिश को जरूर शामिल करें.

–अजीता सिंह, मार्केटिंग ऐक्सपर्ट

डिनर साथ करने से परिवार में आपसी तारतम्य मजबूत होता है, साथ ही साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी करीब भी आती है. आज के समय में एक शहर में साथ रहते परिवारों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, यह उस को दूर करने का प्रमुख जरिया हो सकता है. अब शहर बडे़ हो गए हैं. परिवार के लोगों का आपस में मिलना कम हो गया है. एकसाथ बैठ कर खाना परिवार की एकता व मजबूती को बढ़ाता है.

–फाल्गुनी रजानी, अभिनेत्री

अपनों को दें सेहत का तोहफा

रोशनी का पर्व यानी खुशियों और उपहारों का लेनदेन. इस अवसर पर उपहारों का लेनदेन न हो तो त्योहार अधूरा सा लगता है. लेकिन समझ नहीं आता कि ऐसा क्या उपहार दें कि गिफ्टपैक खोलते ही सामने वाले की आंखों में चमक और चेहरे पर रौनक आ जाए. दीवाली के अवसर पर उपहार के रूप में अधिकतर मिठाइयों में मिलावट के चलते शुभचिंतकों के सेहत की चिंता होती है. मिठाइयों में प्रयोग होने वाले मिलावटी पनीर, दूध, खोया और आर्टिफिशियल स्वीटनर सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपहारों के विकल्प जो आप के अपनों के लिए होंगे सेहतभरे–

–       अपने दोस्तों, नातेरिश्तेदारों को फ्राइड स्नैक्स और मिठाइयों के बजाय हैल्दी असौर्टेड गिफ्ट की बास्केट उपहार में दें.

–       ड्राई फू्रट्स के साथ ब्राउन राइस, रौस्टेड नमकीन और मुरब्बे के बौक्सेज को मिला कर दीवाली गिफ्ट दे सकते हैं. ये सेहतमंद तो होंगे ही, साथ ही इन्हें काफी दिनों तक रखा भी जा सकता है. यानी जल्दी खराब होने का डर भी नहीं रहेगा.

–       बच्चों के लिए चौकलेट्स, ओट्स, जूस पैक व कुकीज से गिफ्ट बास्केट बनवा सकते हैं. इस गिफ्ट पैक को पा कर बच्चों के चेहरे पर रौनक आ जाएगी.

–       फिटनैस फ्रीक महिला दोस्तों और संबंधियों को स्पा व जिम का गिफ्ट वाउचर उपहारस्वरूप दे सकते हैं. ये अनोखे उपहार उन की दीवाली को खास बना देंगे और साथ ही आप के रिश्ते में मधुरता का रस भी घोलेंगे.

–       घर के अन्य सदस्यों के लिए कस्टमाइज फ्रूट बास्केट तैयार करवा कर उपहार स्वरूप दे सकती हैं. इन फ्रूट बास्केट को चौकलेट के साथ कंबाइन कर के बनाया जाता है जो हैल्दी होने के साथसाथ यूनिक गिफ्टिंग आइडिया होगा.

–       किसी भी गिफ्ट आइटम को पैक करवाते समय उस की एक्सपायरी डेट अवश्य जांच लें. साथ ही, उस की पौष्टिक गुणवत्ता जांचना न भूलें.

– शैलेंद्र सिंह और अनुराधा गुप्ता

Diwali 2022: काजू कतली- कम मीठी मिठाई

आमतौर पर मिठाई के बाजार में उस मिठाई को सब से ज्यादा पसंद किया जाता है, जो ज्यादा दिनों तक चल सके यानी जल्दी खराब न हो. चीनी और काजू से तैयार होने वाली काजूकतली ऐसी ही एक मिठाई है. मिठाई के बाजार में आज इसे बेहद पसंद किया जा रहा है. जिन लोगों को मेवों की मिठाई पसंद आती?है, पर वे ज्यादा घी पसंद नहीं करते, उन के लिए काजूकतली या काजूबरफी सब से बढि़या होती है.

काजूकतली उत्तर भारत की सब से खास मिठाई?है. इसे चांदी के वर्क में लगा कर खाने वालों को दिया जाता है. सूखी मिठाई के रूप में काजूकतली सब से अच्छी होती है. कम वजन होने के कारण यह ज्यादा संख्या में मिल जाती है. इसे बिना किसी खास देखभाल या पैकिंग के कहीं भी ले जाया जा सकता?है.

कैसे बनाएं काजूकतली

काजूकतली बनाने के लिए 200 ग्राम काजू, 100 ग्राम चीनी, पानी और थोड़ा सा घी लें.

सब से पहले काजू को साफ कर के ठीक से सुखा लें. फिर इसे पीस कर काजूपाउडर बना लें.

एक कढ़ाई में जरूरत के मुताबिक पानी गरम करें. पानी उबलने लगे तो उस में चीनी डाल दें.

धीमी आंच पर चीनी को पकने दें. बीचबीच में चलाते रहें, जिस से चीनी कढ़ाई में लगने न पाए.

जब 3 तार की चाशनी बन जाए, तो कढ़ाई को आंच से नीचे उतार लें.

अब इस में काजूपाउडर मिलाएं. फिर कढ़ाई को धीमी आंच पर चढ़ाएं और काजूपाउडर को चाशनी में अच्छी तरह मिलाएं. इस के बाद कढ़ाई आंच से उतार लें.

अब काजूकतली जमाने के लिए एक ट्रे लें.

ट्रे की तली में घी की कुछ बूदें डाल कर अच्छी तरह से फैला दें.

फिर चौथाई इंच मोटाई में काजूकतली का तैयार पेस्ट ट्रे में डालें.

बेलन का सहारा ले कर इसे चिकना करें.

करीब 20 मिनट के बाद पेस्ट जम जाएगा. तब मनचाहे आकार में इसे काटें. सजाने के लिए चांदी के वर्क का सहारा लें.

काजूकतली की सब से खास बात यह होती है कि यह खोए की बरफी के मुकाबले ज्यादा दिनों तक चल जाती है. यह 3 से 4 हफ्ते तक खराब नहीं होती है. इसे कहीं भी लाना या ले जाना आसान होता?है. सूखी और स्वादिष्ठ होने के कारण लोग इसे काफी पसंद करते हैं.

बढ़ता जा रहा इस्तेमाल

असम की रहने वाली मधु राज गुप्ता कहती हैं, ‘खोयाबरफी को खाने में डर लगता?है,?क्योंकि त्योहार के समय हर तरफ मिलावट वाली बातें होती रहती हैं. काजूकतली को बनाने के लिए किसी भी ऐसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिस में कुछ मिलावट की जा सकती हो. काजू और चीनी से बनी काजूकतली खोए की बरफी के मुकाबले सेहत के लिए बेहतर होती है. इसीलिए लोग इसे खूब खाते हैं. यह खोयाबरफी के मुकाबले महंगी होने के बाद भी ज्यादा पसंद की जा रही?है.’

काजू से कई तरह की मिठाइयां तैयार की जाती हैं. काजू वैसे भी बहुत स्वादिष्ठ होता?है. चीनी के साथ मिल कर यह और ज्यादा स्वादिष्ठ हो जाता?है. त्योहारों के अलावा शादी में दी जाने वाली मिठाइयों में भी इस की खपत खूब होने लगी है.

बहुत सारे लोगों के लिए काजूकतली कारोबार करने का जरीया भी बन सकती है. काजूकतली को तैयार करना वैसे तो सरल काम होता है, पर काजू की क्वालिटी सही होनी चाहिए. घटिया काजू इस के स्वाद को खराब कर सकता है, इसलिए काजू बहुत ही देखभाल कर खरीदने चाहिए और चीनी की चाशनी भी अच्छी होनी चाहिए.

Diwali 2022 : इस दीवाली ऐसे करें घर तैयार

इस दीवाली आप भी करें अपने घर की कुछ खास तैयारी ताकि जब रिश्तेदार या मेहमान आप के घर आएं तो साजसज्जा व तैयारियों को देख कर तारीफ करते न थकें. अगर आप को समझ नहीं आ रहा है कि कहां से इस की शुरुआत करें तो चिंता की कोई बात नहीं. हम आप को बता रहे हैं दीवाली पर घर की तैयारी के लिए कुछ खास बातें, जिन से आप अपने घर को सजा सकती हैं और अपने परिवार वालों व रिश्तेदारों के साथ दीवाली का भरपूर आनंद उठा सकती हैं.

घर की साफसफाई करें

वैसे तो हम घर की सफाई हर दिन करते हैं लेकिन त्योहारों के मौसम में इस पर खास ध्यान दें. घर की साफसफाई का काम बहुत मुश्किल होता है. कई बार ऐसा होता है कि हम ने सोफा तो साफ कर दिया पर पंखे की सफाई करना भूल गए.

जालों से करें शुरुआत : अकसर घर में मकडि़यों के जाले बन जाते हैं, दीवारों के कोने में गंदगी जमा हो जाती है. घर की सफाई से पहले इन जालों को हटाना जरूरी है. बाद में जाला हटाने पर घर फिर से गंदा हो जाएगा.

पंखों की सफाई : पंखे बहुत जल्दी गंदे हो जाते हैं. पंखों की सफाई करने से पहले फर्नीचर आदि पर पुरानी बैडशीट डाल दें, ताकि वे गंदे न हों. सब से पहले देख लें कि पंखे का स्विच बंद हो. फिर पंखे की सफाई सूखे कपड़े से करें और जरूरी हो तो उस के ब्लेडों को गीले कपड़े से पोंछें.

दरवाजे, खिड़की व फर्नीचर की सफाई : इन की सफाई के लिए डिटरजैंट वाले पानी में कपड़ा भिगो दें और निचोड़ कर उस से दरवाजेखिड़कियां पोंछ दें. साथ ही, घर के शैल्फ आदि की भी सफाई करें. बाद में सैल्फ के सामान को सूखे कपड़े से पोंछ कर रख दें.

परदे व कुशनकवर : परदे व कुशनकवर को अच्छे से साफ कर दें. लगाने से पहले यह ध्यान रखें कि पूरे घर की अच्छे से सफाई हो गई हो. अगर आप नए परदे व कुशनकवर लगाना चाहती हैं तो उन्हें दीवाली से 3-4 दिन पहले लगाएं.

किचन की सफाई : सब से मुश्किल काम किचन की सफाई है. किचन की सफाई के लिए सब से पहले बरतन आदि को बाहर निकालें. फिर किचन के स्लैब व टाइल्स को डिटरजैंट के पानी से साफ करें. किचन के स्लैब की सफाई के बाद बरतन स्टैंड व डब्बों की सफाई करें और उन्हें व्यवस्थित कर के लगाएं. इस के बाद सभी बरतनों को साफ कर के सही जगह पर रख दें.

बदलें घर का इंटीरियर

घर के इंटीरियर में 3 चीजें जरूरी होती हैं, घर का आकार, आप की पसंद और बजट. आर्ट ऐंड डेकोर डौट कौम के डिजाइन ऐक्सपर्ट दिव्यान गुप्ता कहते हैं, ‘‘घर को नया रूप देने के लिए इंटीरियर में बदलाव जरूरी है. घर की दीवारों के रंग में भी बदलाव कर सकती हैं, कोई नया शोपीस लगा सकती हैं या परदे व कुशनकवर बदल सकती हैं.’’

इस दीवाली कुछ इस तरह बदलें अपने घर का इंटीरियर-

परदों को बनाएं खास : परदे कमरे को एक अलग रूप प्रदान करते हैं. बाजार में परदों की भरमार देख कर आप जरूर सोचने लगेंगी कि कौन सा लगाया जाए, कौन सा छोड़ा जाए, इस के लिए अपने घर की दीवारों के हिसाब से परदे खरीदें. त्योहारों के मौसम में गहरे रंग के व भारी परदे अच्छे लगते हैं. यदि पतला परदा लगा रही हैं तो उस में लाइनिंग जरूर लगाएं. सोफे यदि प्लेन हैं तो परदे पिं्रटेड लें. इस से कमरा अच्छा लगेगा. ड्राइंगरूम में एक ही रंग के परदे लगाएं और वहां गहरे रंग का कालीन बिछाएं.

कुशनकवर बनाएं आकर्षक : हमेशा मेहमानों का ध्यान सोफे पर जाता है कि सोफा वही है या इस बार नया लिया है. इसलिए कमरे के मुताबिक सोफाकवर पिं्रटेड व प्लेन रख सकती हैं. सोफे के कवर से कुशनकवर हमेशा कंट्रास्ट ही लगाएं. उदाहरण के तौर पर अगर आप के सोफे के कवर का रंग क्रीम है तो कुशन आप 3 बड़े आकार के और 3 छोटे आकार के लें. छोटे वाले कुशन को गहरे रंग का रखें. आप अपने कुशन कवर का रंग अपने दरवाजे और खिड़कियों के रंग से मैच करता हुआ भी रख सकती हैं.

सजावट : घर के इंटीरियर में सजावटी वस्तुओं का विशेष महत्त्व होता है. घर की सजावट के लिए दीवारों पर पेंटिंग व वौल आर्ट भी लगा सकती हैं. कमरे के कोने में अरोमा थैरेपी के कैंडल जरूर लगाएं. यह कमरे को खूबसूरत बनाने के साथसाथ घर में एक हलकी सी खुशबू भी बिखेरता है. आप चाहें तो कमरे में पौटप्यूरी भी रख सकती हैं.

घर की सजावट के लिए लाइट व लैंप का भी प्रयोग कर सकती हैं. लैंप में हैंगिंग व फ्लोर कई तरह के लैंप उपलब्ध हैं, जो लकड़ी, जूट, कपड़े, कांच व पेपर के बने होते हैं.

फूलों व रंगों से सजाएं : घर को गेंदे के फूल से सजाइए. आप उन से भी घर सजा सकती हैं. घर के मुख्यद्वार पर रंगोली जरूरी बनाएं और इसे चारों ओर से डिजाइनर दीए से सजाएं. अगर आप को रंगोली बनानी नहीं आती तो कोई बात नहीं. मार्केट में रंगोली के स्टिकर्स भी मिलते हैं. इन्हें भी चिपका सकती हैं. दरवाजे पर बंदनवार या तोरण लगाएं. ये तोरण आप बाजार से खरीद सकती हैं या फूल व हरी पत्तियों से घर पर भी तैयार कर सकती हैं.

बजट पहले से ही तैयार कर लें

त्योहारों में पैसे कैसे खर्च हो जाते हैं, पता नहीं चलता. जितना भी खर्च करो, कहीं न कहीं कमी रह ही जाती है. पहले से ही एक बजट तैयार कर लें कि आप को कितना खर्च करना है ताकि बेवजह खर्च करने से बच सकें. रही बात खरीदारी की, तो शौपिंग लोकल मार्केट के बजाय थोक बाजारों में करें. इन जगहों से सस्ता व वैरायटी वाला सामान आसानी से मिल जाएगा.

शौपिंग करते समय

अकसर हम दीवाली के 5-7 दिन पहले शौपिंग करते हैं, ऐसा न करें. 15-20 दिन पहले ही एक लिस्ट तैयार कर लें. जानपहचान वालों से भी जानकारी हासिल कर लें कि कौन सा सामान कहां सस्ता मिलता है. इस से बचत करने में काफी आसानी होती है. इस के अलावा यदि कुछ समय पहले ही और औफर्स में उपहार खरीद लिया जाए तो काफी बचत हो सकती है व भीड़भाड़ से भी बचा जा सकता है. सारी शौपिंग एक ही दिन न करें, बल्कि 2-3 बार में करें, जैसे खानेपीने की चीजें एक दिन, दूसरे दिन गिफ्ट्स और सजावट की चीजें, तीसरे दिन कपड़ों की शौपिंग, ताकि सारी खरीदारी अच्छे से हो सके और आप को ज्यादा परेशानी न हो.

गिफ्ट्स तैयार कर लें

दीवाली के समय बाजारों में अलगअलग और आकर्षक उपहारों की बहार होती है. आप को अपने रिश्तेदारों और मेहमानों को किस तरह के गिफ्ट देने हैं, इसे अपने बजट के अनुसार पहले से ही तैयार कर लें. कई बार ऐसा होता है कि हम आखिरी वक्त में तय करते हैं कि किसे क्या देना है और हड़बड़ी में किसी और का गिफ्ट किसी दूसरे को दे देते हैं. अपनी सहूलियत के हिसाब से गिफ्ट खरीद कर उसे पैक कर लें और चाहें तो उस पर नाम भी लिख लें.

खानपान की तैयारी कर लें

त्योहार और मिठाई का मेल तो सभी जानते हैं, घर में तरहतरह की मिठाइयां व पकवान बनते हैं. आप इस दीवाली क्या स्पैशल बना रही हैं, जिसे आप अपने मेहमानों को परोसने वाली हैं, यह पहले से ही तय कर लें और उस की एक लिस्ट तैयार कर लें ताकि उन से संबंधित चीजें आप बाजार से ला कर रख सकें. कोशिश करें कि घर के सभी सदस्यों की कुछ न कुछ पसंदीदा चीज जरूर बनाएं. अगर आप उस दिन कुछ स्पैशल बना रही हैं, जिसे आप ने पहले कभी नहीं बनाया है, तो उसे एक बार पहले बना कर अभ्यास जरूर कर लें ताकि उस दिन आप बेवजह परेशान न हों कि डिश खराब हो गई है, अब क्या करें.

मेहमानों के बैठने की व्यवस्था

दीवाली के दिन घर पर बहुत सारे मेहमान आते हैं, इसलिए उन के बैठने की अच्छी व्यवस्था करें. कई बार ऐसा होता है कि एक मेहमान घर में बैठे होते हैं, तभी दरवाजे पर दूसरे मेहमान आ जाते हैं. ऐसे में घर में बैठे मेहमान को न चाहते हुए भी जाना पड़ता है. इसलिए आप मेहमानों के बैठने की अच्छी व्यवस्था करें ताकि सब मिल कर दीवाली का आनंद ले सकें.

खुद चमकीं कि नहीं

दीवाली की तैयारियों के बीच आप अपनेआप को भूल न जाएं. कई बार ऐसा होता है कि हम तैयारियों में इतने उलझे होते हैं कि अपनी खुद की तैयारी नहीं कर पाते. इसलिए तैयारियों के बीच खुद पर भी ध्यान दें कि दीवाली के दिन आप को क्या पहनना है, किस तरह का मेकअप करना है. सारी चीजों को एक जगह पर व्यवस्थित कर के रख दें ताकि उस दिन आप को मेकअप की छोटीछोटी चीजों को ढूंढ़ना न पडे़. इस तरह दीवाली की तैयारी कर आप इस बार पारिवारिक सदस्यों, मित्रों व मेहमानों के साथ प्रकाशोत्सव का भरपूर आनंद उठा सकती हैं.

फर्श की सफाई

पूरे घर की सफाई होने के बाद घर के फर्श की सफाई करनी चाहिए. जहां आप आसानी से धो सकती हैं, वहां पानी से धो दें. नहीं तो एक बालटी में पानी ले कर फिनाइल मिला कर कपडे़ को गीला कर उस से फर्श की सफाई करें.

बनाएं किचन आधुनिक

इस दीवाली पर घर का इंटीरियर बदलने के साथसाथ अपने किचन को भी आधुनिक और ट्रैंडी ऐप्लाएंसैस से सजाइए. बाजार में कई तरह के आधुनिक माइक्रोवेव ओवन, इलैक्ट्रिक तंदूर, मौडर्न कुकर, एअरफ्रायर, हैंडप्रोसैसर, ब्लैंडर, इंडक्शन, फूड प्रोसैसर, मेजरिंग इक्विपमैंट, स्टीमर इत्यादि उपलब्ध हैं. इन से मिनटों में आसानी से खाना तैयार हो जाता है और ये आप के किचन को ईजी टू कुक बनाते हैं. यह सोच कर इन से दूरी न बनाएं कि ये इस्तेमाल करने में कठिन होंगे. ये इस्तेमाल करने में आसान हैं और इन का रखरखाव भी काफी सरल है.

पेंट व पौलिश करवाएं

अगर आप दीवारों पर पेंट व पौलिश करवाने की सोच रही हैं तो आजकल एक ही कमरे की अलगअलग दीवारों पर अलगअलग रंग करवाने का चलन है. जैसे कमरे की 3 दीवार पर एक ही रंग करवाया है तो चौथी पर कोई दूसरा रंग करवाएं. आप को किस दीवार पर किस तरह का रंग करवाना है, इस का चुनाव सोचसमझ कर करें. जिस कमरे में आप को ज्यादा रोशनी चाहिए, वहां हलके और गहरे रंग का पेंट करवाएं. लेकिन अगर कमरा छोटा है तो कभी भी गहरे रंग का पेंट न करवाएं. इस से कमरा और भी छोटा लगता है.

यदि आप को लग रहा है कि पूरे घर में पेंट कराना आप के बजट से बाहर है तो चिंता की बात नहीं. आप पूरे घर में पेंट न करवा कर केवल ड्राइंगरूम की एक दीवार को गहरे रंग में रंगवा कर नया लुक दे सकती हैं.इस के अलावा सोफे के ऊपर की दीवार पर किसी खास आकार में पहले से मौजूद रंग का तीनगुना ज्यादा गहरा रंग लगा कर दीवार पर आर्टवर्क करा सकती हैं. आजकल पेपरवर्क, पेपर पेस्ंिटग द्वारा भी दीवारों को सजाने का चलन है. इस की लागत पेंट करवाने की तुलना में बेहद कम आती है और आप का घर भी बिलकुल नया सा दिखने लगता है.

बेवफा प्रेमी का बदला

रोजाना की तरह लखनऊ के जीआरएम मैरिज लौन के मालिक रोशन लाल का बेटा महेंद्र मौर्या उर्फ
पुष्कर मौर्या 25 जुलाई, 2022 को अपनी कपड़े की दुकान बंद कर कार से घर लौट रहा था. उस की कार ज्यों ही भुअर पुल के नीचे पहुंची, गाड़ी के सामने 2 बाइक आ कर रुक गईं.खराब रास्ते के चलते पुष्कर की कार धीरेधीरे चल रही थी. अचानक आई बाइकों के चलते पुष्कर ने भी कार रोक दी. उस समय आसपास कोई और नजर नहीं आ रहा था.

बाइक से मास्क लगाए दोनों सवार उतरे और कार पर अंधाधुंध फायरिंग करने लगे. आगे का शीशा तोड़ती कुछ गोलियां सीधे कार में बैठे महेंद्र को भी जा लगीं और पलक झपकते ही उस का सिर स्टीयरिंग पर जा टकराया.यह घटना उस की दुकान से महज 500 मीटर की दूरी पर भुअर अंडरपास के निकट हुई थी. दोनों हमलावर पहले से ही घात लगाए रुके हुए थे. घटनास्थल पर ही महेंद्र को मौत के घाट उतार चुके दोनों बाइक सवार वहां से फरार हो गए थे.

गोलियां चलने की आवाजें सुन कर नजदीक के भुअर पुलिस चौकी पर तैनात पुलिस वाले भागेभागे वहां पहुंच गए. गोलीबारी की वारदात की सूचना चौकी इंचार्ज परवेज अंसारी ने थाना ठाकुरगंज के प्रभारी हरिश्चंद्र को मोबाइल से दे दी.सूचना पाते ही थानाप्रभारी हरिश्चंद्र भी डीसीपी शिवा शिम्मी चिनअप्पा, एसीपी इंद्रप्रकाश सिंह और एडिशनल डीसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा को सूचना दे कर एडिशनल इंसपेक्टर (क्राइम) विजय कुमार यादव, एसआई राजदेव प्रजापति, कांस्टेबल सुबोध सिंह के साथ कुछ समय में ही घटनास्थल पर पहुंच गए.

खबर मिलने पर कुछ देर में ही मृतक के घर वाले भी आ गए. थानाप्रभारीने महेंद्र के पिता रोशन लाल मौर्या से भी आवश्यक पूछताछ की. घटनास्थल और लाश का निरीक्षण करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. थानाप्रभारी ने रोशन लाल की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कर ली.थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने विवेचना अपने हाथों में ले कर आगे की जांच शुरू की. इस के लिए मुखबिरों को भी लगा दिया.

जल्द ही महेंद्र की हत्या के बारे में कुछ जानकारियां उन्हें मिल गईं. उस के मुताबिक उसे सुपारी दे कर मरवाया गया था. यह काम उस की पत्नी के ममेरे ससुर संजय मौर्या के इशारे पर किया गया था. इस जानकारी के आधार पर ही पुलिस टीम ने इस हत्याकांड की जांच को आगे बढ़ाया.थानाप्रभारी हरिश्चंद्र ने महेंद्र मौर्या के पिता को साथ ले कर पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की. उन से गहन पूछताछ हुई. रोशन लाल ने भी हत्या का मुख्य कारण परिवारिक निजी कारणों की ओर इशारा किया. उन्होंने पुलिस को कुछ गोपनीय बातें भी बताईं.

जांच का सिलसिला आगे बढ़ा. मुखबिरों के जाल बिछाए गए और सर्विलांस प्रभारी राजदेव प्रजापति के माध्यम से महेंद्र के फोन नंबर की काल डिटेल्स जुटाने का काम किया गया. पुलिस को जल्द ही सफलता मिल गई और महेंद्र के सभी हमलावरों के बारे में पता लगा लिया गया.पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, हमलावरों के नाम सतीश गौतम और मुकेश रावत थे. जांच अधिकारी हरिश्चंद्र ने सहयोगी विवेचक इंसपेक्टर विजय कुमार यादव और भुअर पुलिस चौकी के इंचार्ज परवेज अंसारी को हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए लगा दिया. सर्विलांस से मिली लोकेशन के आधार पर दोनों 31 जुलाई, 2022 को आईआईएम रोड से करीब ढाई बजे दिन में गिरफ्तार कर लिए गए.

हमलावरों में सतीश गौतम लखनऊ की मलिहाबाद तहसील के अहमदाबदा कटोरी का रहने वाला था, जबकि दूसरा हमलावर मुकेश रावत लखनऊ के काकोरी थानांतर्गत सैफलपुर गांव का रहने वाला निकला.
दोनों से जब पुलिस अधिकारियों ने गहन पूछताछ की, तब जो कहानी सामने आई, वह काफी चौंकाने वाली थी.इसी के साथ उन्होंने महेंद्र मौर्या को गोली मार कर हत्या करने का जुर्म भी स्वीकार कर लिया. साथ ही यह भी बताया कि संजय मौर्या ने महेंद्र मौर्या की हत्या की सुपारी दी थी. उस से मिली जानकारी के आधार पर हमलावरों ने महेंद्र की हत्या से पहले उस के रोजाना की रुटीन के आधार पर वारदात की योजना बनाई थी.

संजय मौर्या ने बचाव और पुलिस को गुमराह करने के लिए कई इंतजाम भी किए थे. जैसे उस ने बाराबंकी जेल में बंद एक अपराधी ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवा कर दिनेश सिंह नामक युवक से उस की आईडी प्रूफ पर एक सिम लिया था.कथा लिखे जाने तक सआदतगंज निवासी संजय मौर्या और हत्याकांड में नाम आने वाले दूसरे आरोपियों में ज्ञानसिंह यादव और दिनेश सिंह ठाकुर फरार थे.
सतीश गौतम और मुकेश रावत के बयानों के आधार पर हत्याकांड के पीछे की सच्चाई इस प्रकार उजागर हुई.

बुद्धेश्वर मंदिर से गुजरता हुआ हरदोई बाईपास दुबग्गा के पास मिलता है. वहीं दूसरी ओर हरदोई से आने वाला सीधा राजमार्ग आगे बालागंज चौक से होता हुआ केजीएमयू मैडिकल कालेज केंद्र को जा कर निकलता है.महेंद्र मौर्या के पिता रोशन लाल का दुबग्गा बाईपास के किनारे अपना मकान है. वहीं उन का मैरिज लौन जीआरएम बना हुआ है. उन का बड़ा बेटा महेंद्र उन के कारोबार को सालों से संभाले हुए था.

लखनऊ हरदोई राजमार्ग के किनारे लखनऊ से 25 किलोमीटर की दूरी पर मलिहाबाद में राम प्रसाद मौर्या रहते हैं. उन के 2 बेटे राहुल और पंकज के अलावा एक बेटी पल्लवी है. संजय मौर्या की चचेरी बहन रामश्री इसी खानदान को ब्याही गई थी.पल्लवी और संजय का परिचय एक शादी के दौरान हुआ था. पहली नजर में ही पल्लवी संजय के दिल में उतर गई थी. उसे ले कर संजय सपने सजाने लगा था.

संजय मौर्या के पिता शिवकुमार मौर्या को जब इस की जानकारी हुई, तब वह बेहद नाराज हो गए. शिवकुमार ने पल्लवी के घर वालों से संजय के रिश्ते की बात करने से सिरे से इनकार कर दिया. वह संजय की शादी पल्लवी से करने के लिए हरगिज तैयार नहीं हुए.कारण, रिश्ते का घालमेल और उलटा पड़ जाना था, जो सामाजिक तौर पर मान्य नहीं होता. दरअसल, संजय जिस रिश्तेदारी में था, उस के मुताबिक उस की पल्लवी से शादी नहीं हो सकती थी.

इसे देखते हुए शिवकुमार ने अपने बेटे संजय का विवाह लखनऊ शहर में दूसरी जगह से कर दिया, जो जून 2022 में संपन्न हुआ था. हालांकि रामप्रसाद ने पहले ही जनवरी 2022 में अपनी बेटी पल्लवी की शादी दुबग्गा निवासी रोशन लाल के बेटे महेंद्र मौर्या के साथ कर दी थी.शादी के बाद संजय पल्लवी से मिलने के बहाने से उस की ससुराल आने लगा था, जो उसे अच्छा नहीं लगता था और तब उस ने अपने पति महेंद्र मौर्या से उन के अपने रिश्तेदार संजय मौर्या के घर आने पर रोक लगाने को कहा.

संजय अकसर महेंद्र की गैरमौजूदगी में पल्लवी के पास आने लगा था. शादी से पहले संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध के बारे में रोशन लाल, महेंद्र और परिवार के किसी सदस्य को कोई जानकारी नहीं थी.सामाजिक मर्यादा के कारण पल्लवी ने संजय से दूरी बनाना ही उचित समझा और पति से उसे घर आने से मना करने का आग्रह किया. ऐसा करते हुए उस ने अपने दिल पर पत्थर रख लिया था. संजय और महेंद्र के बीच भी रिश्तेदारी थी. वह महेंद्र का रिश्ते में मामा लगता था. इस लिहाज से संजय पल्लवी का ममेरा ससुर बन गया था.

जबकि संजय एक रसिक किस्म का युवक था. वह पल्लवी की सुंदरता और जवानी पर लट्टू हो चुका था. पल्लवी भी उसे बेहद पसंद करती थी. वे डिजिटल जमाने के प्रेमी थे. सोशल मीडिया से जुड़े थे. फेसबुक फ्रैंड भी थे. उन की डेटिंग मैसेजिंग बौक्स में गुड मौर्निंग और गुडनाइट से होती थी.इस सिलसिले में दोनों फेसबुक के जरिए अपने दिल की भावनाएं प्रदर्शित करते रहते थे. देर रात तक उन की चैटिंग होती रहती थी. किंतु उसे वह जीवनसाथी नहीं बना पाई थी.

जुलाई 2020 तक सब कुछ ठीकठाक चलता रहा. पल्लवी और संजय की बातचीत केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित रही, लेकिन यह बात उस की मां रामश्री से छिपी न रह सकी और एक दिन रामश्री ने अपने पति रामप्रसाद से पल्लवी का विवाह किसी अन्य स्थान पर करने को कहा. और फिर रामप्रसाद ने अपने एक रिश्तेदार रोशन लाल से उस के बेटे का हाथ अपनी बेटी के लिए मांग लिया.पल्लवी जनवरी, 2022 में अपनी ससुराल आ गई. उस के बाद से संजय काफी परेशान रहने लगा.

उस के मन में महेंद्र के प्रति ईर्ष्या और घृणा होने लगी. वह उस की प्रेमिका छीनने वाला दुश्मन की तरह नजर आने लगा. उस ने मन में ठान लिया कि वह उस के वैवाहिक जीवन में जहर घोल कर ही रहेगा, ताकि पल्लवी का संबंध उस से टूट जाए.उस के दिमाग में यहां तक खुराफाती कीड़ा कुलबुलाने लगा कि यदि उसे खत्म कर दिया जाए, तब वह विधवा पल्लवी का हाथ लेगा. बताते हैं कि वह इसी उधेड़बुन में लग गया.

एक दिन संजय और महेंद्र का आमनासामना आगरा एक्सप्रेसवे पर हो गया. संजय ने उस पर नाराजगी दिखाते हुए कहा कि तू अपनी नईनवेली बीवी के बहकावे में हमारे रिश्ते को खत्म करना चाहता है.
संजय ने कहा, ‘‘आज की लौंडिया हमारे मामाभांजे के रिश्ते में आग लगाना चाहती है, और तू उस की हर बात मान रहा है. अभी से ही बीवी का गुलाम बन गया. कल को तो अपने मांबाप को भी उस के चक्कर में छोड़ देगा.’’महेंद्र को यह बात चुभ गई, क्योंकि उस ने पल्लवी में न केवल एक आदर्श पत्नी का रूप देखा था, बल्कि एक आज्ञाकारी बहू को भी पाया था. यही नहीं वह अपने मामा की रंगीनमिजाजी और फरेबी आदतों को पहले से ही जानता था.

उसे जैसे ही पल्लवी ने बताया कि तुम अपने मामा संजय को यहां आने से मना कर दो, वैसे ही उस की मंशा को समझ गया था.उस रोज हाईवे पर संजय के साथ महेंद्र की तीखी नोकझोंक हुई. गुस्से में संजय ने धमकी दी कि उसे उस के घर आनेजाने से कोई नहीं रोक सकता है. उस की जब मरजी होगी, वह आएगा और जाएगा.पल्लवी को ले कर हुए विवाद के बाद महेंद्र ने भी संजय को चेतावनी दी थी कि वह उसे और पल्लवी को परेशान न करे.

दरअसल, महेंद्र को भी तब तक संजय और पल्लवी के बीच के प्रेम संबंध की जानकारी हो गई थी, लेकिन वह इसे तूल नहीं देना चाहता था. क्योंकि उस ने महसूस किया था कि पल्लवी शादी के बाद उस रिश्ते को खत्म कर चुकी है. महेंद्र ने संजय से साफ लहजे में कह दिया था कि वह उस के वैवाहिक जीवन के रास्ते से हट जाए. उस की गृहस्थी में जहर न घोले.

यह बात संजय को और भी कचोट गई. उस घटना के बाद उस ने महेंद्र मौर्या की हत्या करने की योजना बना ली. इसे कार्यरूप देते हुए कुछ माह निकल गए और इसी बीच उस की भी शादी हो गई. फिर भी संजय पल्लवी को हासिल करने की फिराक में लगा रहा.योजना के मुताबिक पहले उस ने बाराबंकी जेल में बंद अपने दोस्त ज्ञानसिंह यादव की जमानत करवाई. जमानत पर बाहर आने के बाद बदले में उस से महेंद्र की हत्या को अंजाम देने के लिए कहा.

उस के बाद ही ज्ञान सिंह यादव ने अपने कुछ सहयोगियों की मदद ली. उन से पहले महेंद्र की रेकी करवाई. उसे महेंद्र की हत्या के लिए संजय से 35 हजार रुपए मिले. जबकि संजय ने भाड़े पर लिए गए मुकेश रावत को मकान बनवाने के लिए 75 हजार रुपए देने का वादा किया. इस में से उसे 20 हजार दे दिए थे. बाकी पैसे काम हो जाने के बाद देने के लिए कहा था.इस तरह से निर्धारित तारीख पर भाड़े के हत्यारों ने महेंद्र की गोली मार कर हत्या कर दी. रोशन लाल ने पूछताछ में बताया कि संजय ने उसे भी फोन पर धमकी दी थी कि वह महेंद्र की हत्या करने के बाद उस की विधवा बहू से शादी करेगा.

इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया था. पल्लवी के साथ उस के संबंध और संजय की धमकियों की पुष्टि को ले कर जांच अधिकारी ने उस से भी पूछताछ की थी.इस कहानी के लिखे जाने तक हत्याकांड की योजना बनाने वाला आरोपी संजय पुलिस की पकड़ में नहीं आ पाया था. बाकी आरोपियों के कब्जे से हत्या में प्रयुक्त मोटरसाइकिलें बरामद कर ली गई थीं. पुलिस ने महेंद्र की अल्टो कार भी अपने कब्जे में ले ली थी .लखनऊ पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने हत्याकांड का खुलासा करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपए के ईनाम देने की घोषाणा की.

“ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम एक्ट्रेस ने की खुदखुशी, सदमें में स्टार कास्ट

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है के जरिए अपनी कैरियर कि शुरुआत करने वाली एक्ट्रेस वैशाली ठक्कर ने बीते दिनों इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. वैशाली का यूं चले जाना सभी को काफी ज्यादा परेशान करने वाला है.

एक्ट्रेस की जल्द शादी होने वाली थी जिसकी तैयारी जोरो शोरों से कर रही थीं, और वह शादी की शॉरिंग के लिए मुंबई जाने वाली थी, वैशाली के यूं अचानक मौत से टीवी के कई सितारों को जोर दार झटका लगा है.

 

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इस लिस्ट में रोहन मेहरा से लेकर अनुपमा के मुस्कान बामने तक शामिल हैं, सभी का एक ही सवाल है कि आखिर अचानक वैशाली ने खुदखुशी क्यों कि. बता दें कि वैशाली ठक्कर के साथ मुस्कान बामने ने ‘सुपरसिस्टर’ में साथ काम किया था.

वैशाली ठक्कर को याद करते हुए उन्होंने लिखा है कि मुझे मालूम नहीं आपने क्यों किया है दीदी लेकिन आप बहुत याद आओगे.

वहीं सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में वैशाली ठाक्करे ने रोहन मेहरा के बेस्ट फ्रेंड का किरदार निभाया था , जिससे रोहन मेहरा को भी सुनकर धक्का लगा है. रोहन  ने लिखआ अभी 3 दिन पहले तो सबकुछ ठीक था, अचानक क्या हो गया.

एक्ट्रेस कि दोस्ती विशाल सेठी से भी अच्छी थी, जैसे ही उन्हें खुदखुशी की खबर मिली उन्होंने इसे गलत बताया. वैशाली का अचानक चले  जाना सभी को दुख दे गया फैंस भी हैरान है.

GHKKPM: बेटे के लापता होने के बाद सई की दुश्मन बनेगी पाखी तो विराट लेगा ये फैसला

सीरियल गुम है किसी के प्यार में फिर वो समय आ गया है जब सई और विराट के बीच में लड़ाई होने लगी है, विनायक वो शख्स है जिसकी वजह से परिवार में फिर से बखेरा खड़ा होने वाला है. विनायक सई के मुंह से सुन लेती है कि वह सई की बेटा नहीं है.

इस बात को विनायक पाखी और विराट को बता देता है कि वह सई का बेटा नहीं है जिसे सुनते ही सई को काफी ज्यादा सदमा लगता है. विराट और पाखी सई से बात करने करने की कोशिश करते हैं तभी सई को बड़ा झटका लगता है.

इसी बीच विनायक एक चौकाने वाला फैसला लेने वाला है, विनायक खुद को कमरे में बंद कर लेगा अब उसकी नाराजगी को देखकर विराट का खून खौल उठेगा. विराट बिना देर किए सई को फोन करेगा और खूब खरी खोटी सुनाने की कोशिश करेगा.

विराट सई को डांटते हुए कहेगा कि आप भरोसे के काबिल नहीं है. जिसे सुनकर सई काफी ज्यादा टूट जाएगी. इस बात को सुनने के बाद सई विराट से बात करने च्वहाण हाउस पहुंचेगी.

तब सई देखेगी विनायक ने खुद को कैसे कमरे में बंद करके रखा है. इसका बुरा असर सई पर पड़ेगा.

 

दुनियादारी- भाग 1: किसके दोगलेपन से परेशान थी सुधा

सुधा स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी कि टैलीफोन की घंटी बज उठी. बाल बनातेबनाते उस ने रिसीवर हाथ में लिया. उधर से आवाज आई, ‘‘सुधा, मैं माला बोल रही हूं.’’

‘‘नमस्ते जीजी.’’

‘‘खुश रहो. क्या कर रही हो? प्रोग्राम बनाया अजमेर आने का?’’

‘‘जी, अभी तो बस स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी.’’

‘‘स्कूल में ही उलझी रहोगी या अपने परिवार की भी कोई फिक्र करोगी. तुम्हारे ससुर अस्पताल में भरती हैं, उन की कोई परवा है कि नहीं तुम्हें?’’

‘‘पर जीजी, उन की देखभाल करने के लिए आप सब हैं न. जेठजी, जेठानीजी व मामाजी, सभी तो हैं.’’

‘‘हांहां, जानती हूं, सब हैं, पर तुम्हारा भी तो कोई फर्ज है. दुनिया क्या कहेगी, कभी सोचा है? वह तो यही कहेगी न, कि बूढ़ा ससुर बीमार है और बहू को अपने स्कूल से ही फुरसत नहीं है.’’

‘‘पर जीजी, आप तो जानती ही हैं कि अभी परीक्षा का वक्त है और ऐसे में छुट्टी मिलना बहुत मुश्किल है. फिर मेरी कोई जरूरत भी तो नहीं है वहां. समीर वहां पहुंच ही गए हैं. वैसे भी बाबूजी को कोई गंभीर बीमारी नहीं है. सही इलाज मिल गया तो वे जल्दी ही घर आ जाएंगे. 2-4 दिनों में स्कूल के बच्चों की परीक्षा हो जाएगी तो मैं भी आ जाऊंगी.’’

‘‘भई, समीर तो अपनी जगह मौजूद है, पर तुम भी तो बहू हो. लोगों की जबान नहीं पकड़ी जा सकती. मेरी मानो तो आज ही आ जाओ. समाज के रीतिरिवाज और लोकदिखावे के लिए ही सही.’’

‘‘ठीक है जीजी, मैं देखती हूं,’’ कह कर सुधा ने फोन रख दिया और तैयार हो कर स्कूल के लिए चल पड़ी.

रास्तेभर वह सोचती रही कि जीजी ठीक ही कह रही हैं, मुझे वहां जाना ही चाहिए. चाहे यहां बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाए. पराए बच्चों के लिए मैं परिवार को तो नहीं छोड़ सकती.

तभी अंतर्मन से कई और आवाजें आईं, ‘छोड़ने के लिए कौन कह रहा है, 2-4 दिनों बाद चली जाना, वहां ज्यादा भीड़ लगाने से क्या होगा.

पार्टियां आपस में कर रही हैं लड़ाई

पार्टियों के झगड़े देश की सरकारों को ढंग से चलाने में कितने आड़े आ रहे हैं. यह कोई आज की बात नहीं है. वैसे तो रामायण और महाभारत दोनों में जड़ में परिवारों के झगड़े थे, न बाहरी जने का हमला, न जनता की नाराजगी, न कुदरत का कहर. इन पौराणिक ग्रंथों से निकले देवीदेवता आज भी पूरी तरह पूजे ही नहीं जाते, उन के नाम पर एकदूसरों का सिर कलम भी किया जाता है. पर लोग भूल जाते हैं जो सत्ता में बैठे होते हैं, उन के आपसी झगड़े कितने भारी पड़ते हैं.

जब भी सत्ता के लिए घरवालों में झगड़ा होता है, जनता की भलाई के कामों पर ब्रेक लग जाता है. सत्ताधारी का सारा समय तो अपनी गद्दी बचाने में लग जाता है. कल तक जो कंधे से कंधा मिला कर बोझ ठो रहा था वह कंधा तोडऩे में लग जाता है. फिलहाल यह गरमी महाराष्ट्र में ढो रही है जहां उद्धव ठाकरे और एकनाथ ङ्क्षशदे शिवसेना को चकनाचूर करने में लगे हैं.

एकनाथ ङ्क्षशदे अपने साथ 30-35 विधायकों को ले कर भारतीय जनता पार्टी के खेमे में चले गए है और वहां उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया. बाल ठाकरे के पुत्र उद्धव ठाकरे अब अपने पिता की बनाई पार्टी का बचाखुचा हिस्सा संभालने में लगे हैं. आमतौर पर इस तरह ने झगड़े भाइयों में होते है पर यहां ङ्क्षशदे शिवसेना के कार्यकर्ता थे लेकिन उन का रौब सब घरेलू सदस्य का सा था.

इस झगड़े में महाराष्ट्र को जनता के भले के लिए ही रहे हर काम में अड़चन आने लगी है. फैसले टल रहे हैं. फाइलों जमा हो रही हैं, सप्लायर, ठेकेदार बदले जा रहे हैं. हर पुराने काम को जांच की कोशिश की जा रही है ताकि साबित किया जा सके कि उद्धव ठाकरे ने कोई बेइमानी की और उन्हें बिहार के लालू यादव और हरियाणा के ओमप्रकाश चौटाला जैसे जेलों में सड़ाया जा सके.

अपने लोगों से विश्वासघात को देश में अब घरवापिसी जैसा नाम दिया जाने लगा है, जो दलबदल करता है, अपनी पार्टी में झगड़ा करता है, कोई बाहरी आ कर एक को भरपूर पैसा देने लगता है. अभी चूंकि पैसा भारतीय जनता पार्टी के पास है, फायदा उसी को हो रहा है. कल किसी और को हो सकता है.

पोलिटिकल पार्टी में झगड़ों पर कमी भी खुशी नहीं मनाई जानी जाती और इसे नमकहरामी और धोखा ही माना जाना चाहिए. मतभेद हों, मतभेद हो तो अलग रास्ते पर चल दें पर तोडफ़ोड़ न करें.

जो काम नेता करते हैं, जो देवीदेवता करते रहे हैं, जो मठों आश्रमों में होता है, जो मंदिरोंचर्चों में होता है, वह आम घरों में पहुंच जाता है. फूट का वायरस कोरोना वायरस की तरह है. बीमार भी करता है और जानलेवा भी. अफसोस यह है कि आम जनता ऐसे देवीदेवताओं को पूजती जिन्होंने घरपरिवार तोड़े, ऐसे नेताओं को हार पहनाती है जिन्होंने पाॢटयां तोड़ी, घर तोडू सोच को हमारे यहां उसी तरह बुरा नहीं माना जाता जैसे पिछले कुछ दशकों में पश्चिम में शादी को तोडऩा गलत नहीं माना जा रहा. दोनों जिस तरह घरवालों पर भारी पड़ते हैं ये वे सब जानते हैं जो इन अंधेरी गुफाओं के गद्दे कीचड़ से गुजर चुके हैं. हर झगड़ा पैसा खर्च कराता है.

ज्योति -भाग 3: सब्जबाग के जाल में

अगर उस ने प्रियंका को चाहा था, तो फिर अपने लिए दूसरी लड़की क्यों चुनी? वह समझ गई कि पिताजी का विरोध करने की हिम्मत उस में नहीं रही होगी और बिरादरी और रिश्तेदारों में अपने पिता की इज्जत भी उछलने का विचार आया होगा.

क्योंकि उस के पिता अमर सिंह राठौर को अपनी राठौरी पर बड़ा गुरूर था. अपनी बिरादरी की लड़की के अलावा किसी भी दूसक बिरादरी की लड़की से जुगल की शादी वे कभी कर ही नहीं सकते थे.

ज्योति को याद आ गए वो दिन, जब उस के पिता अमर नाथ सिंह राठौर ने छोटे भाई भ्रमर नाथ के एकलौते बेटे रमेश की इच्छा के अनुसार उस का विवाह किसी दूसरी बिरादरी की लड़की से कर दिया था.

तो, अमर नाथ अपनी मूंछों पर ताव देते हुए इतना गुस्सा हुए थे कि उन्होंने अपने सगे भाई से पूरी तरह नाता तोड़ लिया था.

भ्रमर नाथ उन की सब बात सह गए थे, पर उन्होंने अपनी जबान बंद ही रखी गुस्से के कारण अमर नाथ ने पैतृक घर का बंटवारा तक कर डाला तो भी उन्होंने स्वीकार कर लिया, पर जबान न खोली.

कानूनी लड़ाई के बाद अलग हो कर जब इस खानदानी घर का बंटवारा हुआ, तो 5 कमरों और बड़े से आंगन वाला ये घर आधा रह गया. बीच में दीवार खड़ी हो गई.

फिर चाचा भ्रमर नाथ अपने हिस्से का पोर्शन बेच कर इसी तहसील के एक दूसरे कोने में बस गए. तब से उस ने चाचा की शक्ल 1-2 बार तभी देखी, जब उन की बिरादरी में किसी रिश्तेदार की शादी होती या कोई बड़ा फंक्शन होता.

पिता की नजरें बचा कर वह वहां अपने प्रिय चाचा से मिल लेती थी. चाचा की आंखों में उसे पहले जैसा ही प्यार दीखता. उसे देखते ही वो उस के सिर पर हाथ रख कर कह देते थे, “अरे, तू तो बहुत बड़ी और प्यारी सी दिखने लगी है.”

पास खड़ी चाची भी उसे गले से लगा लेतीं. और तब वह सोचती कि उस के पिता इतने कठोर दिल और दकियानूसी विचारों के क्यों हैं.

प्रियंका ने उस के कंधे पर हाथ रखा, तो वो फिर विचारों से बाहर आई.

प्रियंका की आंखों में आंसू आ गए थे. उस के शब्दों में एक अजीब सी विनती थी, “ज्योति, तुझे ही मेरे लिए कुछ करना होगा, वरना मैं कहीं की नहीं रहूंगी और मर जाऊंगी.”

उस ने उठ कर प्रियंका को सीने से लगा लिया और बोली, “तू ने बहुत देर कर दी. तुझे तो पता था कि मेरे पिता अपनी बिरादरी से बाहर जुगल की शादी की बात सोच ही नहीं सकते हैं.”

तभी कमरे से बाहर कुछ आहट हुई… प्रियंका की मां सुनंदिनी थीं. कमरे में आ कर वे बोलीं, “बहुत दिनों के बाद तू प्रियंका से मिलने आई है? ले, ये ले प्रसाद खा. अभीअभी पूजा कर के उठी हूं. ”

प्रियंका तब तक अपने को संभाल चुकी थी. कुछ देर तक दोनों खामोश रहीं. फिर ज्योति ने ही पूछा, “तू भी अपनी मां की तरह कोई व्रत वगैरह रखती है क्या?”

“नहीं, मुझे व्रत वगैरह रखना बिलकुल भी पसंद नहीं है.”

अचानक ज्योति को याद आया कि उसे प्रियंका के घर आए हुए बहुत देर हो गई है. वह एकदम से उठ खड़ी हुई और चलते हुए बोली, “मैं तुझ से कोई वादा तो नहीं कर सकती हूं, पर इतना जरूर कह कर जा रही हूं कि मैं तेरे लिए प्रयास जरूर करूंगी.”

प्रियंका से विदा ले कर ज्योति ने अपनी साइकिल उठाई और घर की तरफ बढ़ गई.

शाम हो चली थी. अभी वह अगले मोड़ पर मुड़ी ही थी कि उस की साइकिल एक मोटरसाइकिल से टकरातेटकराते बची.

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