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कैसी बीवी चाहिए आपको सुंदर या काबिल?

हर कोई चाहता है कि उस की जीवनसंगिनी बला की खूबसूरत हो. जब युवक शादी के लिए लड़की देखने जाता है तब उस की हां खूबसूरती पर आ कर टिकती है, हालांकि, जरूरी नहीं कि हर सुंदर लड़की गुणवान भी हो. आमतौर पर हर युवक रूपवान यानी खूबसूरत बीवी की चाह रखता है और इसे पाने के लिए वह साधारण लड़कियों को नापसंद कर देता है, फिर चाहे वह लड़की कितनी ही गुणवान क्यों न हो.

जब कभी रूपवान और गुणवान लड़की में से किसी एक को चुनना हो तो अधिकांश लड़के रूपवती को ही चुनते हैं. क्या उन का निर्णय एकदम सही है? कहीं ऐसा न हो कि बाद में रूप के कारण गुणों को नजरअंदाज करने का उन्हें पछतावा हो? अब गुणों की बात लीजिए. यदि लड़की साधारण नैननक्श की है, सांवली है, मोटीपतली है, नाटीलंबी है, लेकिन गुणों की खान है तो क्या उस के वैयक्तिक गुणों का कोई मोल नहीं? कोई लड़की कितनी ही सुंदर क्यों न हो, लेकिन वह अवगुणी है, क्रोधी या तुनकमिजाज स्वभाव की है, ?ागड़ालू प्रवृत्ति की है, कामकाज से जी चुराती है, अपने आगे किसी को कुछ नहीं सम?ाती, तो वह किस काम की? क्या ऐसी लड़की दांपत्य जीवन को सुखद बना सकती है?

सुंदरता की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए भिन्न होती है. कोई गोरे रंग को खूबसूरती का मानदंड मानता है तो कोई तीखे नैननक्श को. किसी के लिए लड़की का छरहरा होना माने रखता है तो किसी को उस की कदकाठी लुभाती है. किसी को उस की मुसकराहट पसंद होती है तो किसी को उस की हंसी. इसलिए सुंदरता की सर्वमान्य परिभाषा नहीं हो सकती. जिस को जो भाए, वही सुंदर. जहां तक रूप का प्रश्न है, उम्र के साथ उस की चमक फीकी पड़ने लगती है और एक समय के बाद उस का आकर्षण समाप्त हो जाता है. लेकिन गुण ऐसी अनमोल चीज है जो जीवनपर्यंत मिठास प्रदान करती रहती है.

इसलिए रूप पर गुमान करना ठीक नहीं है. लेकिन जब रूप या गुण में से किसी एक विकल्प को चुनना हो तो सम?ादारी इसी में है कि गुणों को वरीयता दी जाए. इस से कभी भी पछतावा नहीं होगा. कई बार ज्यादा खूबसूरत लड़कियां अपने रूपसौंदर्य पर इतना इतराने लगती हैं कि अपने आगे पति को हेय सम?ाती हैं. पति पर हावी होने की कोशिश करती हैं. ऐसी लड़की में पति के प्रति समर्पित रहने की चाह नहीं होती. वे अपने रूपसौंदर्य के बूते पर अपनी हर जायजनाजायज बात मनवाने की कोशिश करती हैं. ऐसे में पति अपनेआप को ठगा हुआ सा पाता है. दरअसल, रूप से ज्यादा मोल समर्पण का होता है. यदि पत्नी असुंदर भी है लेकिन पति के प्रति समर्पित हो कर उस का हर कदम पर साथ निभाती है तो वह अधिक माने रखता है. संपन्न परिवार के कुछ लड़के अपनी शानोशौकत का प्रभाव दिखा कर किसी गरीब परिवार की खूबसूरत लड़की से शादी कर लेते हैं.

वे अपनी सूरत आईने में नहीं देखते कि क्या वे इतनी सुंदर लड़की के काबिल भी हैं? ऐसे में जब वे घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें देख कर लोग कमैंट करते हैं- ‘गधा गुलाबजामुन खा रहा है या कौए की चोंच में अनारकली.’ पुरुष स्वभाव से शंकालु प्रवृत्ति के होते हैं. जब स्वयं का कोई व्यक्तित्व न हो और हुस्न की परी को पत्नी बना कर ले आएं तो उन के मन में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि कहीं उन की पत्नी का अफेयर किसी हैंडसम पुरुष से न हो जाए? ऐसे में पुरुष अपनी पत्नी के चरित्र को संदेह की दृष्टि से देखने लगता है जबकि ऐसी कोई बात नहीं होती. शक की दवा लुकमान हकीम के पास भी नहीं है. ऐसे में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद दांपत्य सुखद नहीं रहता.

शादी गुड्डे गुडियों का खेल नहीं है कि क्षणिक आकर्षण देख निर्णय कर लिया जाए. यह देखना ज्यादा जरूरी है कि वह आप की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरेगी? आप की रुचि, स्वभाव, आदतों, संस्कार आदि से वह समझता कर पाएगी या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के और उस के विचार मेल ही न खाएं. रूपसौंदर्य से ज्यादा अहमियत लड़की के स्वभाव और गुणों को देनी चाहिए. एक गुणवान लड़की ही घर के माहौल को खुशनुमा बना सकती है. फिर चाहे वह सुंदर हो या न.

यदि लड़की में अच्छे गुण हैं तो वह ससुराल में जा कर सभी को खुश कर सकती है. अन्यथा वह चाहे जितनी खूबसूरत हो, कोई भी उस से खुश नहीं रहेगा. यदि कोई लड़की कुदरती तौर पर सुंदर है तो यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन उसे अपने गुणों पर भी ध्यान देना चाहिए. पत्नी अपने अवगुणों को त्याग कर आप के जीवन में ?गुणों का समावेश करे, तभी दांपत्य सुखद होगा. हां, यदि किसी लड़की में दोंनों ही बातें हों, अर्थात वह सुंदर भी है और गुणी भी है तो सोने पर सुहागा. इस से अच्छी बात हो ही नहीं सकती. ऐसी लड़की सर्वगुण संपन्न मानी जाती है. जो युवक ऐसी लड़कियों से शादी करते हैं, वे ताउम्र सुखी और प्रसन्न रहते हैं.

प्यार के लिए दबंगई : इश्क की आग में जलते आशिक ने उठाया बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश के महानगर मुरादाबाद के लाइनपार इलाके के रहने वाले महावीर सिंह सैनी के परिवार में उस की पत्नी शारदा के अलावा एक बेटा अंकित और 3 बेटियां थीं. 2 बेटियों की शादी हो चुकी थी. तीसरे नंबर की बेटी पूनम 9वीं कक्षा में पढ़ रही थी. महावीर राजमिस्त्री था. रोजाना की तरह 10 दिसंबर, 2016 को भी वह अपने काम पर चला गया था. बेटा अंकित ट्यूशन पढ़ने गया था. घर पर शारदा और उस की बेटी पूनम ही थी. सुबह करीब 10 बजे जब शारदा नहाने के लिए बाथरूम में गई तब पूनम घर के काम निपटा रही थी. शारदा को बाथरूम में घुसे 5-10 मिनट ही हुए थे कि उस ने चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुनीं. चीख उस की बेटी पूनम की थी.

चीख सुन कर शारदा घबरा गई. उस ने बड़ी फुरती से कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर निकली तो देखा पूनम आग की लपटों से घिरी थी. उस के शरीर पर आग लगी थी. शोर मचाते हुए वह पूनम के कपड़ों की आग बुझाने में लग गई. उस की आवाज सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए. किसी तरह उन्होंने बुझाई. तब तक पूनम काफी झुलस चुकी थी और बेहोश थी. आननफानन में लोग उसे राजकीय जिला चिकित्सालय ले गए. बेटी के शरीर के कपड़ों में लगी आग बुझाने की कोशिश में शारदा के हाथ भी झुलस गए थे.

अस्पताल से इस मामले की सूचना पुलिस को दे दी गई. कुछ ही देर में थाना मझोला के थानाप्रभारी नवरत्न गौतम पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए. खबर मिलने पर पूनम के पिता महावीर भी अस्पताल आ गए. डाक्टरों के इलाज के बाद पूनम होश में आ गई थी. पूनम के बयान लेने जरूरी थे. इसलिए पुलिस ने इलाके के मजिस्ट्रैट को सूचना दे कर अस्पताल बुलवा लिया.

पुलिस और मजिस्ट्रैट की मौजूदगी में पूनम ने बताया कि शिवदत्त ने उस के ऊपर केरोसिन डाल कर आग लगाई थी. उस के साथ उस के पिता महीलाल भी थे. शिवदत्त पूनम के घर के पास चामुंडा वाली गली में रहता था. पता चला कि वह पूनम से एकतरफा प्यार करता था.

थानाप्रभारी नवरत्न गौतम ने यह जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दे दी. मामला मुरादाबाद शहर का ही था इसलिए तत्कालीन एसएसपी दिनेशचंद्र दूबे और एएसपी डा. यशवीर सिंह जिला अस्पताल पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने पूनम का इलाज कर रहे डाक्टरों से बात की.

तब तक पूनम की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ने लगी थी. डाक्टरों ने उसे किसी दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दी. पूनम के घर वालों ने उसे दिल्ली ले जाने को कहा तो जिला अस्पताल से पूनम को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया.crime story

महावीर की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली. चूंकि पूनम ने शिवदत्त और उस के पिता पर आरोप लगाया था, इसलिए पुलिस ने शिवदत्त के घर दबिश दी पर उस के घर कोई नहीं मिला. पुलिस संभावित जगहों पर उन्हें तलाश करने लगी, पर दोनों बापबेटों में से कोई भी पुलिस के हत्थे नहीं लगा.

उधर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भरती पूरम की हालत में कोई सुधार नहीं हो रहा था. उस की हालत बिगड़ती जा रही थी. बर्न विभाग के डाक्टरों की टीम पूनम को बचाने में लगी हुई थी पर उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. आखिर 10 दिसंबर की रात को ही पूनम ने दम तोड़ दिया.

अगले दिन जवान बेटी की हृदयविदारक मौत की खबर जब उस के मोहल्ले वालों को मिली तो पूरे मोहल्ले में जैसे मातम छा गया. आरोपी को अभी तक गिरफ्तार न किए जाने से लोग आक्रोशित थे. कहीं लोगों का गुस्सा भड़क न जाए इसलिए उस इलाके में भारी तादाद में पुलिस तैनात कर दी गई.

रविवार होने की वजह से पूनम की लाश का पोस्टमार्टम सोमवार 12 दिसंबर को हुआ. दोपहर बाद उस की लाश दिल्ली से मुरादाबाद लाई गई. पुलिस मोहल्ले के गणमान्य लोगों से बात कर के माहौल को सामान्य बनाए रही. अंतिम संस्कार के समय भी भारी मात्रा में पुलिस थी.

उधर पुलिस की कई टीमें आरोपियों को तलाशने में जुटी हुई थीं. जांच टीमों पर एसएसपी का भारी दबाव था. आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. 12 दिसंबर को पुलिस ने शिवदत्त को गिरफ्तार कर लिया. उस के गिरफ्तार होने के बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ.

थाने ला कर एसएसपी और एएसपी के सामने थानाप्रभारी नवरत्न गौतम ने अभियुक्त से पूछताछ की तो पहले तो वह पुलिस को बेवकूफ बनाने की कोशिश करता रहा पर उस का यह झूठ ज्यादा देर तक पुलिस के सामने नहीं टिक सका. उस ने पूनम को जलाने का अपराध स्वीकार कर उस की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

जिला मुरादाबाद के लाइनपार इलाके में मंडी समिति गेट के सामने की बस्ती में रहने वाला महावीर सिंह अपने राजगीर के काम से परिवार का पालनपोषण कर रहा था. इसी की कमाई से वह 2 बेटियों की शादी कर चुका था. पूनम 9वीं की पढ़ाई के साथ महिलाओं के कपड़े सिलती थी. घर के पास ही उस ने बुटीक खोल रखा था.

उस के घर के पास ही महीलाल का मकान था. महीलाल का बेटा शिवदत्त बदमाश प्रवृत्ति का था. उस की दोस्ती मंडी समिति के पास स्थित बिजलीघर में तैनात कर्मचारियों के साथ थी. उन्हीं की वजह से उसे ट्रांसफार्मर रखने के लिए बनाए जाने वाले चबूतरों का ठेका मिल जाता था.

चूंकि शिवदत्त का पड़ोसी महावीर राजमिस्त्री था, इसलिए उसी के द्वारा वह चबूतरे बनवा देता था. इस से कुछ पैसे शिवदत्त को बच जाते थे. काम की वजह से शिवदत्त का महावीर के घर आनाजाना शुरू हो गया था.

महावीर की छोटी बेटी पूनम पर शिवदत्त की नजर पहले से ही थी. जब भी वह घर से निकलती तो वह उसे ताड़ता रहता था. पर पूनम ने उसे लिफ्ट नहीं दी. जब शिवदत्त का पूनम के घर आनाजाना शुरू हो गया तो उस ने पूनम के नजदीक पहुंचने की कोशिश की.

जब वह पूनम को ज्यादा ही परेशान करने लगा तो एक दिन पूनम ने इस की शिकायत अपनी मां से कर दी. इस के बाद शारदा ने यह बात पति को बताई तो महावीर ने शिवदत्त के पिता महीलाल से शिकायत करने के साथ शिवदत्त से बातचीत बंद कर दी. इस के अलावा उस ने अपने घर आने को भी उसे साफ मना कर दिया.

शिवदत्त दबंग था. महावीर द्वारा उस के पिता से शिकायत करने की बात उसे बहुत बुरी लगी. वह पूरी तरह से दादागिरी पर उतर आया और अब पूनम को खुले रूप से धमकी देने लगा कि वह उस से शादी करे नहीं तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. महावीर ने फिर से महीलाल से शिकायत की. इस बार महीलाल ने अपने बेटे शिवदत्त का ही पक्ष लिया.

महावीर कोई लड़ाईझगड़ा नहीं करना चाहता था. बात बढ़ाने के बजाय वह चुप हो कर बैठ गया. महावीर के रिश्तेदारों और मोहल्ले के कुछ लोगों ने उस से थाने में शिकायत करने का सुझाव दिया पर बेटी की बदनामी को देखते हुए वह थाने नहीं गया.

महावीर के चुप होने के बाद शिवदत्त का हौसला और बढ़ गया. वह पूनम को और ज्यादा तंग करने लगा. इतना ही नहीं, वह कई बार पूनम के घर तमंचा ले कर भी पहुंचा.

हर बार वह उस से शादी करने की धमकी देता. घटना से एक दिन पहले भी वह पूनम के घर गया. तमंचा निकाल कर उस ने धमकी दी कि वह शादी के लिए अभी भी मान जाए वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहे.

10 दिसंबर को शिवदत्त फिर से पूनम के घर जा धमका. उस दिन वह अपने साथ एक केन में केरोसिन भी ले गया था. पूनम उस समय घर में झाड़ू लगा रही थी, तभी उस ने उस पर केरोसिन उड़ेल कर आग लगा दी और वहां से भाग गया.

शिवदत्त से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. पुलिस मामले की जांच कर रही है.

तत्कालीन एसएसपी दिनेशचंद्र दूबे का कहना था कि इस मामले में शिवदत्त के अलावा और कोई दोषी पाया गया तो उस के खिलाफ भी कानूनी काररवाई की जाएगी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रहरी : कैसे उतरा विभा की आंखों पर पड़ा नासमझी का परदा

घर पर बनाएं दही पूरी, मेहमान भी होंगे खुश

हर कोई अपने छुट्टी के दिन को खास बनाना चाहता है. भले ही इन दिनों रेस्तरां खुल गए हैं लेकिन लोग घर का खाना ज्यादा पसंद करते हैं. ऐसे में आज हम बात करने जा रहे हैं. दही पूरी की जो खाने में बहुत ज्यादा स्वादिष्ट लगता है.

समाग्री

1 उबला हुआ आलू (मसला हुआ)

नमक

लाल मिर्च पाउडर

नमकीन बूंदी

हरी मूंग (उबला हुआ)

1 कप दही

1/2 चम्मच चीनी

1/2 छोटा चम्मच जीरा पाउडर

पुरी

इमली की चटनी

हरी चटनी

सेव

धनिया (कटा हुआ)

विधि

-सबसे पहले, उबले हुए आलू को मैश करें. अब इस मैश किए हुए आलू में नमक और लाल मिर्च पाउडर मिलाएं. अब नमकीन बूंदी में 5 मिनट के लिए पानी में भिगो दें.

-इसके बाद आप भिगोए हुए हरी साबुत मूंग में कुछ नमक मिलाएं और उसे 5 से 7 मिनट तक स्टीम  करें. दही में थोड़ा नमक, चीनी और जीरा पाउडर मिलाएं, उन्हें ठीक से मिलाएं. ध्यान रखें कि दही पूरी बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दही ठंडी हो.

-अब दही पूरी बनाने के लिए, पूरी में आलू, हरी दाल, नमकीन बूंदी डालें, फिर ऊपर से इमली की चटनी, हरी चटनी, दही और सेव डालें और रंग के लिए लाल मिर्च पाउडर छिड़कें, थोड़ा जीरा पाउडर, धनिया फिर दही डालें बस आपकी चटाकेदार दही पूरी खाने के लिए तैयार है.

-इसका स्वाद यकीनन बेमिसाल होता है. इसे बनाने वालों का अनुभव है कि जब आपको इसे खाना हो, तभी आप इसे बनाएं, अन्यथा पूरी की क्रंचीनेस नहीं रहती और फिर दही पूरी का भी आपको पूरा स्वाद नहीं मिलता.

पति बहुत ही आलसी हैं, वे मुझसे सैक्स करने में भी रुचि नहीं लेते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 33 वर्षीय विवाहिता हूं. पति बहुत ही आलसी हैं, वे घर की किसी भी चीज में दिलचस्पी नहीं रखते. यहां तक कि अपने बेटे से भी उन्हें कोई मतलब नहीं है. वे मुझ से सैक्स करने में भी रुचि नहीं लेते हैं. उन्हें कैरियर में पहले काफी असफलताएं मिली थीं जिस के कारण अब उन का हर चीज से मोहभंग सा हो गया है. हालांकि मैं ने उन्हें कभी भी पैसों के लिए दबाव और तनाव नहीं दिया. आज मैं ही घर में एकमात्र कमाने वाली हूं.

जवाब
आप की बातों से तो ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे आप के पति स्वभाव से ऐसे नहीं हैं बल्कि परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा बना दिया है. नौकरी में असफलता मिलने के कारण वे खुद को हर चीज में असमर्थ समझने लगे हैं.

हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे और बुरे दोनों समय आते हैं. ऐसे में अगर हम उन से हार मान कर बैठ जाएंगे तो हम अपने कल की चिंता कर कर के अपना आज भी खो देंगे. इसलिए आज में जीना सीखें और सफलता के लिए प्रयास करते रहें. इस के लिए आप उन के साथ ज्यादा से ज्यादा टाइम बिताएं, उन्हें घरगृहस्थी के कार्यों में अपने साथ शामिल करें. उन्हें समझाएं कि आप को बेटे की खुशी के लिए उस के साथ समय बिताना होगा. यदि समय और पैसे की सुविधा हो तो  थोड़े दिनों बाद कहीं घूमने निकल जाएं.

घर में लोगों को चाय पर ज्यादा बुलाएं और किसी का न्योता न ठुकराएं. इस तरह साथ बिताए पल आप के जीवन में खुशियां लाएंगे. अपनी समस्याओं को चेहरे पर न आने दें, सदा कुछ गाने गुनगुनाती रहें या घर में संगीत बजाती रहें पर धार्मिक संगीत न चलाएं क्योंकि वह नकारात्मक होता है.

विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है. इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर करने चाहिए. अपनी सैक्स अपेक्षाओं पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस के अलावा उन कारणों को भी ढूंढ़ें जिन की वजह से साथी सैक्स में रुचि नहीं लेता, फिर उन्हें दूर करने की कोशिश करें. ये कारण हर कपल के अलगअलग होंगे. आप को बस उन्हें दूर करना है, तब आप की सैक्स लाइफ फिर से पहले जैसी खुशहाल हो जाएगी.

यह भी एक कारण

उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी क्यों नहीं लेती है? अमेरिका में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की पूरी टीम इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में जुट गई. इस में एक अहम जानकारी सामने आई, जो निश्चित तौर पर एक स्त्री की सैक्स संबंधी दिलचस्पी की पड़ताल करती है. दरअसल, यह सवाल स्त्री की उम्र और सैक्स के रिश्ते से जुड़ा है. कई लोग मानते हैं कि स्त्री की उम्र उस की सैक्स संबंधी दिलचस्पी पर काफी असर डालती है. यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेती.

हालांकि शोध से यह बात साफ हो गई कि मध्य आयुवर्ग की महिलाओं में संभोग के प्रति दिलचस्पी होना अथवा न होना सिर्फ बढ़ती उम्र पर निर्भर नहीं करता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन के लाइफपार्टनर का स्वास्थ्य कैसा है? और सैक्स संबंधी गतिविधियों में वे कितनी रुचि लेते हैं.

भावनात्मक कारण

आम धारणा के विपरीत शोध में यह पाया गया कि मध्य आयु में भी महिलाएं न सिर्फ सैक्सुअली सक्रिय होती हैं, बल्कि कई मामलों में उन की दिलचस्पी बढ़ती हुई नजर आई. शोध के दौरान जब यह जानने की कोशिश की गई कि जो महिलाएं सैक्स में सक्रिय नहीं हैं उस के पीछे क्या वजह है तो पता चला कि कई भावनात्मक कारणों से उन की सैक्स और अपने पार्टनर में दिलचस्पी खत्म हो चुकी होती है. पार्टनर में दिलचस्पी घटना या किसी प्रकार की अक्षमता का सीधा असर महिलाओं की यौन सक्रियता पर पड़ता है. ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन की सैक्स में दिलचस्पी खत्म होने की और भी वजहें हैं. मगर उन की संख्या कम है.

उम्र से नहीं है कोई संबंध

इस शोध में मध्य आयुवर्ग की सैक्स संबंधी हर दिलचस्पी को शामिल किया गया था, जिस में हस्तमैथुन भी शामिल था. शोध के दौरान महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सैक्सुअल ऐक्टिविटीज में उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा सक्रिय होता पाया गया. शोध से यह स्पष्ट सामने आया कि किसी भी स्त्री की सैक्स संबंधी सक्रियता का उस की उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. इस आधार पर मनोवैज्ञानिकों और सैक्स सलाहकारों ने कुछ कारण और सुझाव भी रखे:

– ध्यान दें कि आप का पार्टनर किसी दवा के साइड इफैक्ट की वजह से भी सैक्स में दिलचस्पी खो सकता है. यदि ऐसा है तो डाक्टर से सलाह लें.

– कई महिलाएं मानसिक दबाव के चलते भी सैक्स में रुचि नहीं लेतीं.

– बच्चों में ज्यादा व्यस्त हो जाने और सामाजिक मान्यताओं के चलते महिलाओं को लगता है कि सैक्स में बहुत दिलचस्पी लेना उचित नहीं है.

– कई बार बच्चों के हो जाने के बाद महिलाएं अपने शरीर को ले कर असहज हो जाती हैं और हीनभावना का शिकार हो जाती हैं. इस के चलते भी वे सैक्स से जी चुराने लगती हैं.

– बढ़ती उम्र में घरपरिवार और कामकाज की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वे थकने लगती हैं और सैक्स के लिए उन में पर्याप्त ऐनर्जी नहीं बचती.

– कई महिलाएं अपने पति के साथ एकांत चाहती हैं और ऐसा न होने पर सैक्स के प्रति उन की रुचि घटने लगती है.

– अगर पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और रिश्ता आपस में सही नहीं है तो इस से भी सैक्स लाइफ पर विपरीत असर पड़ता है.

गाइनोकोलौजिस्ट, डाक्टर अंजली वैश के अनुसार कुछ बीमारियां भी होती हैं, जिन की वजह से सैक्स में रुचि कम हो जाती है. ड्रग्स, शराब, धूम्रपान का सेवन करने से भी सैक्स में रुचि कम हो जाती है, डाइबिटीज की बीमारी भी महिलाओं में सैक्स ड्राइव को घटाती है, गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद हारमोन चेंज के कारण सैक्स में महिला कम रुचि लेती है, अगर डिप्रैशन की समस्या हो तो हर समय अवसाद में डूबी रहती हैं. वे ऊटपटांग बातें सोचने में ही अपनी सारी ऐनर्जी लगा देती हैं. सैक्स के बारे में सोचने का टाइम ही नहीं मिलता है.

कई महिलाएं बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे के कारण सैक्स करने में उन्हें काफी दिक्कत होती है. अत: वे सैक्स से बचने लगती हैं.

दवा भी कम जिम्मेदार नहीं

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई ऐसी दवाएं हैं जिन से सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है. सैक्स के लिए जरूरी हारमोंस शरीर की जरूरत व संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तत्त्व डोपामाइन व सैरोटोनिन और सैक्स अंगों के बीच तालमेल बहुत जरूरी होता है. डोपामाइन सैक्स क्रिया को बढ़ाता है और सैरोटोनिन उसे कम करता है. जब दवाएं इन हारमोंस के स्तर में बदलाव लाती हैं तो कामेच्छा में कमी आती है. पेनकिलर, अस्थमा, अल्सर की दवा, हाई ब्लडप्रैशर और हारमोन संबंधी दवा से कामेच्छा में कमी हो सकती है.

मगर यह जरूरी नहीं कि आप की सैक्स लाइफ में अरुचि सिर्फ दवा की वजह से ही हो. इसलिए अगर आप को अपनी सैक्स लाइफ में बदलाव महसूस हो रहा है, तो दवा बंद करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

सैक्स में रुचि कैसे पैदा करें

सैक्स में जरूरी है मसाज: जब आप पार्टनर के नाजुक अंगों पर हाथों से हौलेहौले तेल लगा कर मसाज करेंगे तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होगा. तेल आप के और पार्टनर के बीच जो घर्षण पैदा करता है उस से प्यार में बढ़ोतरी होती है और सैक्स की इच्छा जाग उठती है. मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस से न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है, बल्कि अपनी बोरिंग सैक्स लाइफ को भी फिर से पहले जैसी बना सकती हैं.

ऐक्सपैरिमैंट कर सकते हैं: अगर आप का पार्टनर सैक्सुअल ऐक्सपैरिमैंट नहीं करता है या ऐक्सपैरिमैंट करने से बचता है तो फेंटैसी की दुनिया में आप का स्वागत है. अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी फेंटैसी कर सकती हैं तो अपने बैडरूम से बाहर निकले बिना आप अपने पार्टनर के साथ जंगल में मंगल कर सकती हैं. आप अपने पार्टनर के साथ जो चाहती हैं उसे फेंटैसी के जरीए महसूस करिए. आप की अपने पार्टनर से सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, क्योंकि आप का पार्टनर आप को खयालों में जो मिल गया है.

बारबार हनीमून मनाएं: सैक्स संबंधों में बोरियत न हो, इस के लिए पतिपत्नी को चाहिए कि हर साल वे हनीमून पर जाएं और इसे वे आपस में घूमने जाना न कह कर हनीमून पर जाना कहें. इस से उन के बीच ऐक्साइटमैंट बना रहता है. जब हनीमून पर जाएं तो एकदूसरे को वहां पहली बार बिताए लमहे याद दिलाएं. इस तरह घूमने और हनीमून के बारे में बात करने पर सैक्स संबंधों की याददाश्त ताजा हो जाएगी.

सैक्स में नयापन लाएं: कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के सैक्स करने का एक ही तरीका हो और उस तरीके से आप की पत्नी बोर हो गई हो? अत: उस से इस विषय पर बात करें और सैक्स करने के परंपरागत तरीके छोड़ कर नएनए तरीके अपनाएं. इस से सैक्स संबंधों में एक नयापन आ जाएगा.

अपने साथी को समय दें: शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़ों को लगता है कि सहवास में उन की रुचि कम होती जा रही है. सहवास उन्हें एक डेली रूटीन जैसा उबाऊ कार्य लगता है. इसलिए सहवास को डेली रूटीन की तरह न लें, बल्कि उसे पूरी तरह ऐंजौय करें. रोज करने के बजाय हफ्ते में भले ही 1 बार करें लेकिन उसे खुल कर जीएं और अपने पार्टनर को एहसास दिलाएं कि ऐसा करना और उस के साथ होना आप के लिए कितना खास है.

सैक्स ऐसा जिसे दोनों ऐंजौय करें: सिर्फ आप अपने मन की बात ही पार्टनर पर न थोपते रहें, बल्कि सैक्स में उस की इच्छा भी जानें और उस का सम्मान करें. जिन तरीकों में आप दोनों कंफर्टेबल हों और ऐंजौय कर सकें, उन्हें अपनाएं.

नियमित करें सैक्स: यह सच है कि तनाव और थकान का पतिपत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है. मगर वहीं यह भी सच है कि सैक्स ही आप के जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टौनिक बनता है. इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम 3 बार संबंध जरूर बनाएं. इस से सैक्स लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.

एकदूसरे के प्रति प्यार को बढ़ावा दें : अधिकतर जोड़ों के शादी के बाद कुछ सालों तक संबंध अच्छे रहते हैं, लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसे काम व अन्य कारणों से उन के बीच दूरी बढ़ती जाती है, जिस से उन्हें आपस में प्यार करने का मौका नहीं मिलता. इस से उन के बीच सैक्स संबंधों में खटास आने लगती है. वैवाहिक जीवन में उत्पन्न हुई इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में बातचीत करने के लिए कुछ समय निकालें. एकदूसरे से अच्छी बातें करें और एकदूसरे की बातों को सुनें, शिकायतों को दूर करने की कोशिश करें. एकदूसरे का सम्मान करें, इस से सैक्स लाइफ भी काफी बेहतर होगी.

पहल करें: अकसर महिलाएं सैक्स के लिए पहल करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए आप द्वारा पहल करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आप का पहल करना महिला को सुखद एहसास में डुबो देता है. यदि बच्चे छोटे हैं तो सैक्स लाइफ में मुश्किलें तो आती ही हैं और महिलाएं इतनी खुली व रिलैक्स भी नहीं रह पातीं. ऐसे में बच्चों के सोने का इंतजार करने से अच्छा है कि जब मौका मिले प्यार में खो जाएं.

फिटनैस का भी खयाल रखें: अच्छी सैक्स लाइफ के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना भी जरूरी है. इस के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. थोड़ीबहुत ऐक्सरसाइज करें. भरपूर नींद लें. सिगरेट, शराब का सेवन न करें.

कल्पना करें: अगर आप को सैक्स करते समय किसी और पुरुष की या फिर किसी बौलीवुड ऐक्टर आदि की कल्पना उत्तेजित करती है और सैक्स का आनंद बढ़ाती है तो ऐसा करें. इस के लिए मन में किसी तरह का अपराधबोध न आने दें. ऐसा करना गलत नहीं है क्योंकि सब का सैक्स करने और उस के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है.

फ्रैश मूड में आनंद उठाएं: अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, व्यस्त हैं, रात को देर से आते हैं, तो उन की सैक्स लाइफ न के बराबर होती है और महिला ऐसे में इसे बोझ की तरह लेती है. इसलिए अगर वह थकी हुई है तो जबरदस्ती न करें. सुबह उठ कर फ्रैश मूड में सैक्स का आनंद उठाएं.

गंदी बातें अच्छी हैं: सैक्स के लिए मूड बनाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है. आप को लगता है कि कहीं आप की डर्टी टौक्स और डार्क फेंटैसी सुन कर पार्टनर का मूड न बिगड़ जाए, इसलिए आप चाहते हुए भी उन से यह सब शेयर नहीं करते हैं तो जान लें कि ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि हर लड़की अपने पार्टनर से ऐसी बातें सुनने के लिए बेकरार रहती है. इसलिए बेझिझक उन से ऐसी बातें करें. जैसे ही आप की बातें शुरू होंगी उन की बेचैनी भी बढ़ती जाएगी.

सैक्स लाइफ का अंत नहीं है बच्चे का आना

अगर आप का मानना है कि बच्चे के आने के बाद सैक्स लाइफ खत्म हो जाती है तो जरा रुकिए. दुनिया भर में हो रही स्टडी के मुताबिक मां बनने के कुछ समय बाद कामेच्छा स्वाभाविक रूप से लौट आती है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते बाद डाक्टर महिलाओं को सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं. लेकिन इतने समय में भी सब महिलाएं सहज नहीं हो पातीं. कई महिलाओं की सैक्स संबंध इच्छा को लौटने में साल भर तक का समय लग जाता है. शुरू में अंतरंग पलों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है. लेकिन धीरेधीरे गाड़ी ट्रैक पर लौटने लगती है, इसलिए बच्चे का होना सैक्स पर पूर्णविराम नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है.

रिसर्च बताती है कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमैक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. इस का कारण है नर्व एंडिंग का ज्यादा सैंसिटिव होना.

बनाएं पत्नी का मूड ऐसे

– महिलाओं की पीठ काफी सेंसिटिव होती है. थोड़ा सा अंधेरा कीजिए, म्यूजिक प्ले कीजिए और पत्नी की पीठ पर हौलेहौले हाथ फिराते हुए मसाज कीजिए. फिर आगे का जादू खुद ही चल जाएगा.

– पार्टनर के कानों से खेलिए और हौले से कुछ कहिए. एकदम से यह न कहें कि आप का करने का मन है.

– गले में गुदगुदी कीजिए. देखिएगा कुछ ही देर में पत्नी आंहें भर रही होगी.

– फुट मसाज दीजिए. पत्नी के पैरों को सहलाते हुए बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. बस वह एकदम से आप को बांहों में भर लेगी और उस के लिए पत्नी का तुरंत मूड बन जाएगा.

यह कैसा धर्म है : किस अंधविश्वास में जी रहा था संजय

‘‘यह क्या? इस उम्र में प्याज और अंडा खाने लगी हो, प्रभु के चरणों में ध्यान लगाओ, सारे पाप दूर हो जाएंगे,’’ संजय ने अपनी पत्नी को ताना मारा, ‘‘सारी उम्र तो तुम ने इन चीजों को हाथ नहीं लगाया और अब न जाने कैसे इन का स्वाद आने लगा है तुम्हें. पहले जब मैं खाता था तो तुम्हें ही इस पर आपत्ति होती थी. अब तुम कहां इन चक्करों में पड़ रही हो. ईश्वरभक्ति करो, बस. सारी बीमारियां दूर हो जाएंगी.’’ ‘‘मेरी मजबूरी है, इसलिए खा रही हूं. यह बात तुम्हें भी पता है कि डाक्टर ने कहा है कि शरीर में विटामिन सी और डी की कमी हो गई है. जिस से हड्डियों में इन्फैक्शन हो गया है.

घुटनों और कमर में दर्द की वजह से ठीक से चल तक नहीं पाती हूं. वैजिटेरियन डाइट से ये विटामिन कहां मिलते हैं. आप जानते हुए भी ताना देने से बाज नहीं आ रहे हैं. प्याज और अंडा खाना अगर पाप होता तो दुनियाभर के अधिकांश लोग पापी कहलाते. इस बात का प्रभुभक्ति से क्या ताल्लुक? ‘‘वैसे, आप मुझे बताओगे कि मैं ने कौन से पाप किए हैं? रही बात प्रभु के चरणों में ध्यान लगाने की और तुम यह कहो कि सारा दिन बैठ कर भजन करूं या तुम्हारी तरह टीवी पर आने वाले बाबाओं के प्रवचन या उन का कथावाचन सुनूं तो मैं इसे जरूरी नहीं समझती.

निठल्ले लोग धर्म की आड़ में अपने दोषों को छिपाने के लिए सारे दिन ऐसे प्रोग्राम देख खुद को जस्टिफाई करने की कोशिश करते हैं.’’ शगुन लगातार बोलती गई, मानो आज वह मन में बरसों से दबाए ज्वालामुखी को फटने देने के लिए तैयार हो. ‘‘शगुन, कुछ ज्यादा नहीं बोल रही हो तुम?’’ चिढ़ते हुए संजय ने कहा, ‘‘मुझ से ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है. मुझे पता है कि क्या सही है और क्या गलत. कितना ज्ञान और सुकून प्राप्त होता है प्रवचन सुन कर. प्रवचनों को सुनने से ही तो पापों से मुक्ति मिलती है.’’ ‘‘तो मानते हो न कि तुम ने पाप किए हैं?

झूठ बोलना, किसी का दिल दुखाना या बुरे काम करना जितना पाप है उतना ही अपनी जिम्मेदारियां न निभाना भी पाप है. सच बात तो यह है कि इस तरह से तुम्हारा टाइम पास हो जाता है और अपने को झूठा दिलासा भी दे लेते हो कि मैं तो सारा दिन ईश्वरभक्ति में लीन रहता हूं. अपने आलसी स्वभाव की वजह से तुम तो सारे काम छोड़ कर बैठ गए हो. बिजनैस पर ध्यान देना तक छोड़ दिया, तो वह चौपट होना ही था. ‘‘मेरी नौकरी से घर चल रहा है. लेकिन आजकल एक व्यक्ति की कमाई से क्या होता है. जब तक बच्चे सैटल नहीं हो जाते, तब तक तो उन्हें संभालना तुम्हारी ही जिम्मेदारी है.

मेरी जिम्मेदारी तो खैर तुम क्या उठाओगे. क्या तुम्हारा भगवान कहता है कि तुम उस की पूजा करना चाहते हो तो सब काम छोड़ कर बैठ जाओ. सबकुछ अपनेआप मिल जाएगा.’’ ‘‘ज्यादा भाषण न झाड़ो, अपनी औकात में रहो. और जो तुम कमाने का ताना दे रही हो, तो इस के लिए तुम्हें ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है, भगवान सब संभाल लेंगे.’’ संजय ने आज से पहले शगुन की बात कब सुनी थी जो अब सुनते. वे तो सदा ही उस की अवमानना करते आए थे. शगुन की बातबात पर बेइज्जती करना, बच्चों के सामने उस की खिल्ली उड़ाना और बाहर वालों के सामने उस का अपमान करना तो जैसे उन के लिए आम बात थी. शादी के बाद ही शगुन को पता चल गया था कि संजय रुढि़वादी सोच का व्यक्ति है जो कामचोर होने के साथसाथ बीवी की कमाई पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझता है पर उसे समान दर्जा देने में उस का अहम आड़े आता है. शादी के बाद तो संजय अकसर उस पर हाथ भी उठा देते थे.

गालियां देना, उस के हर काम में कमियां निकालना तो जैसे वे अपना हक समझते थे. ‘पुरुष हूं, जो चाहे कर सकता हूं’ की सोच ही उन्हें शायद घुट्टी में पिलाई गई थी. न खुद हंसना, न ही किसी की खुशी उन्हें बरदाश्त थी. यहां तक कि वे बच्चों के साथ मजाक तक करने से कतराते थे. शगुन के अंदर बीतते वक्त के साथ एक खीझ भरती गई थी कि आखिर संजय क्यों नहीं आम लोगों की तरह व्यवहार करते हैं. होटल में खाना खाना हो या कभी मूवी देखने जाना हो या घर पर किसी मेहमान को ही आना हो, हर बात उन्हें खलती थी. किसी के घर या फंक्शन में जाने की बात सुन कर ही चिढ़ जाते.

अपनी बात जारी रखते हुए संजय आगे बोले, ‘‘रोजरोज मुझ से इस बात पर बहस करने की जरूरत नहीं और न ही काम करने के लिए कहने की, मैं अपने और भगवान के बीच किसी को नहीं आने दूंगा. वही सब संभालेंगे.’’ ‘‘हां हां, सब भगवान ही संभालेंगे, पर उन को जिंदा रखने के लिए कर्म भी हम मनुष्यों को ही करना पड़ता है. मंदिरमसजिद क्या अपनेआप पेड़ों की तरह उग आते हैं. रोटी सामने रखी हो पर निवाला तभी मुंह में जाएगा जब उसे खुद तोड़ कर खाया जाए. संजय, अब भी संभल जाओ. अभी हमारी उम्र ही क्या हुई है. तुम 49 के हो और मैं 45 की. हमारी शादीशुदा जिंदगी को अपनी पलायन करने वाली सोच से बरबाद मत करो. पलायन करने से कोई मोक्षवोक्ष नहीं मिलता.

कर्म करने से ही मुक्ति मिलती है. ‘‘मैं तो अपनी नौकरी, बीमारी और घर के कामों की वजह से ज्यादा समय नहीं निकाल सकती, पर तुम तो सारा दिन घर में बैठे रहते हो. तुम बच्चों पर थोड़ा ध्यान दो वरना उन का कैरियर बरबाद हो जाएगा. उन के साथ बात किया करो, हंसा करो और उन्हें टीवी पर इन बाजारू प्रवचनों को देखने के लिए उकसाना बंद करो. नीरज को देखो, वह भी तुम्हारे साथ टीवी देखता रहता है या सोता रहता है. इस बार इसे 12वीं का एग्जाम देना है, पढ़ेगा नहीं तो पास कैसे होगा. कहीं ऐडमिशन कैसे होगा. आजकल कंपीटिशन कितना टफ हो गया है.’’ ‘‘उस की चिंता तुम मत करो. भगवान उसे पास कर देंगे. तुम्हारी बेटी नीरा तो दिनरात पढ़ती है, उसी से तुम तसल्ली रख लो.

नीरज के मामले में दखल मत दो. नहीं पढ़ेगा तो मेरा बिजनैस संभाल लेगा.’’ ‘‘बस करो संजय, यह राग अलापना. अरे, पढ़ेगा नहीं तो भगवान क्या आ कर उस के पेपर सौल्व कर देंगे. क्यों मूर्खों जैसी बातें करते हो. तुम्हें पढ़नेलिखने या तरक्की करने की इच्छा नहीं है तो नीरज को भी अपने जैसा क्यों बनाना चाहते हो, कैसे पिता हो तुम.’’ शगुन का मन कर रहा था कि वह संजय को झ्ंिझोड़ डाले, आखिर क्यों वे अपने ही बच्चों को अंधविश्वास के कुएं में ढकेलना चाहते हैं. ‘‘बेकार की बातों में उलझने के बजाय मेरे साथ वृंदावन चला करो. वहां घर इसीलिए तो बनाया है ताकि वहां जा कर मैं प्रभु के चरणों में पड़ा रहूं और अपना आगे का जीवन सुधार सकूं. यह जन्म तो कट गया, अगला जन्म सुधारना है, तो बस सारे दिन ईश्वर की पूजा किया करो, तुम्हें भी मैं यही सलाह दूंगा.’’ ‘‘मैं भी वृंदावन चली गई तो बिना नौकरी के घर कैसे चलेगा? बेटी की शादी कौन करेगा? बेटे को कौन संभालेगा?

तुम्हारे खर्चे कौन उठाएगा? तुम्हें रोज शराब पीने की लत है, उस के लिए भी पैसे क्या भगवान देगा? रोज शराब पीते हो तो क्या तुम्हारा ईश्वर इस की तुम्हें इजाजत देता है. वृंदावन जाते हो तो कौन सा शराब पीना छोड़ देते हो. बस, तुम्हें तो अपने दायित्वों से भागने का बहाना चाहिए. ‘‘सब से बड़ी बात तो यह है कि ईश्वर से लौ लगाने वाले शांत रहते हैं, उन्हें क्रोध नहीं आता, वे किसी पर चिल्लाते नहीं हैं या उन का अपमान नहीं करते हैं. इतने सालों से तुम बाबाओं के प्रवचन सुन रहे हो, पर तुम में तो रत्तीभर भी बदलाव नहीं आया. गुस्सा करना और हमेशा चिढ़े रहना कहां छोड़ा है तुम ने. क्या फायदा ऐसे धर्म का जो दूसरों को दुख पहुंचाए या कर्तव्यों से विमुख करे.

‘‘धर्म के नाम पर तुम दान करते हो कि पुण्य मिलेगा, पर सोचा है कि बच्चों की कितनी जरूरतों का तुम गला घोंटते हो. और देखा जाए तो धर्म के नाम पर जो लाखों रुपए का चढ़ावा चढ़ाया जाता है, भला उस की क्या जरूरत है. भगवान को सोने का मुकुट दे कर आखिर इंसान क्या साबित करना चाहता है? अपनी बेवकूफी और क्या. धर्म के नाम पर चढ़ाए गए चढ़ावे अगर हम अपनी जरूरतों पर खर्च करें तो ज्यादा सुख मिलेगा. धार्मिक स्थलों पर जा कर देखो तो, आजकल सब पंडेपुजारी कारोबारी हो गए हैं.’’ ‘‘मम्मी, रहने दो न. बेकार बहस करने से क्या फायदा. पापा इस समय होश में नहीं हैं,’’ नीरज ने बात बढ़ती देख बीचबचाव करने की कोशिश की.

‘‘बेटा, तुझे ले कर मैं कितनी परेशान रहती हूं, यह नहीं बता सकती. डर लगता है कि कहीं तू अपने पापा के कदमों पर न चले,’’ शगुन की आंखें भर आई थीं. ‘‘चुप हो जा, तेरी जबान कुछ ज्यादा ही चलने लगी है. मुझे नहीं रहना तेरे साथ. जब देखो तब भूंकती रहती है. चला जाऊंगा हमेशा के लिए वृंदावन, फिर संभाल लेना बच्चों को. अपनेआप को कुछ ज्यादा ही स्मार्ट व पढ़ीलिखी समझती है,’’ संजय का तेज थप्पड़ शगुन के गाल पर पड़ा. संजय के इस व्यवहार से थरथरा गई शगुन. शराब पीने से हुई उस की लाल आंखें और डगमगाते कदमों को देख उस के दोनों बच्चे कांप गए. आखिर वे धर्म का ही पालन कर रहे थे कि औरत पाप की गठरी है, पैरों की जूती है. संजय का वीभत्स रूप और निरंतर उस के मुंह से निकलती गालियां सुन नीरा चुप न रह सकी. ‘‘अच्छा यही होगा पापा कि आप यहां से चले जाओ. जहां मन है, चले जाओ. आप के इस रूप को देख धर्म और ईश्वर पर से हमारा विश्वास उठ गया है.

प्यार की जगह आप ने हम में जो घृणा भर दी है, उस से हम दूर ही रहना चाहते हैं,’’ नीरा बोल पड़ी. ‘‘तू भी अपनी मां की जबान बोलने लगी है,’’ संजय ने उसे मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि नीरज ने उस का हाथ पकड़ लिया. ‘‘खबरदार पापा, जो आप ने दीदी या मम्मी पर हाथ उठाया,’’ नीरज क्रोधित होते हुए बोला. ‘‘अरे, तू तो मेरा राजा बेटा है न, चल हम बापबेटे दोनों यहां नहीं रहेंगे,’’ संजय की आवाज की लड़खड़ाहट की वजह से उन से ठीक से बोला नहीं जा रहा था. वे बिस्तर पर गिर गए. ‘‘मुझे कहीं नहीं जाना. पर बेहतर यही होगा कि आप यहां से चले जाएं.

हमें आप के झूठे पाखंडों और धर्म के नाम पर बनाए खोखले आदर्शों के साए तले नहीं जीना. आप जैसे जीना चाहते हैं, जिएं, पर अपनी बेकार की बातों को हम पर थोपने की कोशिश न करें. अब बहुत हो गया. और नहीं सहेंगे हम,’’ नीरज ने शगुन और नीरा को कस कर अपने से चिपका लिया था मानो वह उन्हें चिंतामुक्त रहने का आश्वासन दे रहा हो.

 

क्या आपको पता है प्याज के ये 6 फायदे

खाने में स्‍वाद बढ़ाने के साथ-साथ प्‍याज एक बेहतरीन औषधि भी है. ये कई बीमारियों के लिए कारगर है. गरगियों में कच्चा प्याज खाना किसी दवा से कम नहीं है. प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. प्‍याज एंटीबैक्टीरियल, शुगर को कंट्रोल करने वाला और पथरी हटाने में कारगर हैं.

1. बालों को भी रखें हेल्दी…

गरमियों में पसीने के चलते बाल अधिक टूटते हैं. लेकिन कच्चे प्याज का सेवन इस चीज को काफी कम कर देता है. बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही हेल्पफुल है. गिरते हुए बालों के जगह पर प्याज का रस लगाने से बालों का गिरना बंद हो जाता है और प्‍याज का लेप बालों में लगाने से काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं.

2. लू को रखे दूर…

इसके अलावा यह गरमियों में प्याज खाने से लू नहीं लगती है. लू लगने पर प्याज के दो चम्मच रस को पीना चाहिए और सीने पर रस की कुछ बूंदों से मालिश करने से भी फायदा होता है. ये लू की रामबाण दवा है.

3. डाईजेस्टिव सिस्टम को रखे हेल्दी..

गरमियों में हमारा डाईजेस्टिव सिस्टम उस तरह से काम नहीं कर पाता है जिस तरह से सर्दियों में करता है. जिसे कच्चा प्याज दूर कर देता है. कब्‍ज की समस्‍या होने पर कच्‍चा प्‍याज खाना बहुत लाभकारी होता है. प्‍याज में मौजूद रेशा पेट के अंदर के चिपके हुए भोजन को निकालता है जिससे पेट साफ हो जाता है. सर्दी, जुकाम और  खराश की समस्‍या होने पर ताजे प्‍याज का रस लें, फायदा होगा. इसे आप गुड़ या शहद मिलाकर भी ले सकते हैं.

4. दांत की समस्या को रखें दूर

दांत में पायरिया की समस्‍या है, तो प्‍याज के टुकड़ों को तवे पर गर्म करके दांतों के नीचे दबाकर मुंह बंद कर लें. ऐसा करने से आपके मुंह में लार इकट्ठी हो जाएगी. उसे कुछ देर मुंह में रखने के बाद बाहर निकाल दें. ऐसा कुछ दिन में 4-5 बार करने से पायरिया की समस्‍या समाप्‍त हो जाएगी.

 5. यूरीन संबंधित समस्या का रखें ख्याल

प्‍याज के रस को पानी में उबालकर पीने से यूरीन संबंधित समस्या खत्म हो जाती है. अगर यूरीन आना बंद हो जाए तो दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलवा बना लें. इसे गर्म करके पेट पर इसका लेप लगाने से यूरीन की समस्‍या दूर हो जाती है. इसके अलावा अगर किसी को डायबिटीज की समस्‍या है तो उसे कच्‍चा प्‍याज खाना शुरू कर देना चाहिए. क्‍योंकि इससे शरीर में इंसुलिन का स्‍तर सामान्‍य होता है.

6. सेक्‍स पौवर को बढ़ाने में करता है मदद

प्याज हमेशा से शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता आया है. प्‍याज खाने से सेक्‍स क्षमता बढ़ती है. पुरुषों के लिए तो प्‍याज सेक्‍स पॉवर बढ़ाने का सबसे अच्‍छा टॉनिक है.

 Edited By – Neelesh Singh Sisodia 

मुझसे से एक भूल हो गई जिस कारण मेरा सुखी दांपत्य टूटने के कगार पर पहुंच चुका है, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 46 वर्षीय विवाहिता व 2 जवान बेटियों की मां हूं. मुझ से एक भूल हो गई जिस कारण मेरा सुखी दांपत्य टूटने के कगार पर पहुंच चुका है. मेरे पति का एक मित्र अकसर हमारे घर आता था. उस का बिंदास स्वभाव मुझे भा गया. हम दोनों फोन पर व फेसबुक पर अकसर एकदूसरे के संपर्क में रहते. यह बात मेरे पति को नागवार गुजरी. 1-2 बार उन्होंने मुझे चेताया भी पर मेरी समझ में नहीं आया. फिर पति ने समझाना बंद कर दिया और वे अकसर शराब पी कर घर आने लगे. रातदिन हमारे बीच कलह रहने लगी है. मेरे मातापिता उन्हें समझा चुके हैं पर अब चाहते हैं कि मैं पति से तलाक ले लूं और उन से संपत्ति में अपना हिस्सा मांग लूं. इस से मेरा भविष्य सुरक्षित रहेगा. बेटियों के नाम पहले ही उन्होंने काफी रकम जमा कर रखी है. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप स्वीकार करती हैं कि आप से गलती हुई है. पति के आगाह करने के बावजूद आप ने अपने कदम पीछे नहीं खींचे और इस रिश्ते को कायम रखा. इस से उन का आहत होना स्वाभाविक है. इसलिए आप का दांपत्य बिखर रहा है. जहां तक तलाक की बात है तो आप को समझना चाहिए कि तलाक किसी भी समस्या का हल नहीं है और फिर समस्या भी आप की तरफ से है. आप के आचरण का आप की बेटियों के विवाह पर दुष्प्रभाव पड़ेगा इसलिए आप उक्त युवक से कोई संबंध न रखें. पति को विश्वास दिलाएं कि आप भविष्य में उन्हें शिकायत का मौका नहीं देंगी. हां, उन का भरोसा वापस पाने में समय लग सकता है, इसलिए आप को थोड़ा सब्र से काम लेना होगा. वक्त के साथ सब ठीक हो जाएगा.

हिमाचल के जले पर कर्नाटक का नमक

एक दौर था, जब भाजपाई बड़े व्यंग्य से कहते थे कि राहुल गांधी जहां प्रचार करने जाते हैं, वहां हमारी जीत आसान हो जाती है, क्योंकि उन के कहने पर वोट नहीं डलते. अब जबकि कर्नाटक में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत वाली एल सरकार बनाने जा रही है, तब यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भी सोची जानी चाहिए कि इस साल हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक के मतदाता ने भी उन के कहने पर भाजपा को वोट नहीं दिया.

मतदान के 3 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां कर्नाटक में की, बजरंगबली तक का वास्ता दिया, कांग्रेस और गांधीनेहरु परिवार को बिना पानी पिए कोसा, लेकिन तमाम टोटके आजमाने के बाद भी वोटर ने न तो उन का भरोसा किया और न ही भाजपा का, तो यह इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चिंता की बात भगवा खेमे के लिए है कि आखिर चूक कहां हो रही है.

चूक यह हो रही है कि भाजपा और मोदी को धर्म और हिंदुत्व की भड़काऊ राजनीति के अलावा कुछ और सूझता नहीं. कांग्रेस, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बुराई भी पहले जैसी असरदार साबित नहीं हो रही, क्योंकि मतदाता 8 साल से यही सुन रहा है, जिस से उस के कान पक चुके हैं. इस पर प्रियंका गांधी का यह हमला अपील कर गया कि भाजपा भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. कर्नाटक की गृहणियों, युवाओं और किसानों ने बजरंगबली के नाम पर वोट नहीं किया, जैसा कि हिंदीभाषी राज्यों में आमतौर पर वोटर जज्बाती हो कर वोट फेंक आया करता है.

यह मानसिकता अब हिंदीभाषी राज्यों में भी दिखने लगी है. 4 दिन पहले ही मध्य प्रदेश के दिग्गज भाजपाई दीपक जोशी, जो कि पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे हैं, भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए. उन्होंने बेहद दुखी हो कर शिवराज सिंह सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था. यही छत्तीसगढ़ में भाजपा के जमीनी आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने किया था.

लेकिन कर्नाटक में भाजपा के सत्ता में बाहर होने की एक बड़ी वजह केंद्र सरकार की मनमानी और प्रशासनिक आतंक भी रहा. स्थानीय मुद्दों से परे लोगों ने अतीक अहमद का प्रायोजित एनकाउंटर भी देखा, दिल्ली में आप सरकार को किस नाजायज तरीके से परेशान कर काम नहीं करने दिया जा रहा है, यह भी देखा और सरकारी एजेंसियों ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग तो 8 साल से हर कोई देख रहा है. मुमकिन नहीं, बल्कि तय है कि कर्नाटक के जागरूक वोटर ने लोकतंत्र की रक्षा की भी चिंता की.

बेंगलुरु की एक आईटी कंपनी में काम कर रहे धनबाद के गौरव सिन्हा की मानें, तो यहां के उत्तर भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर गौर करते भाजपा को वोट किया, जिस से शहरी इलाकों में वह बढ़त पर रही, पर ऐसा लगता है कि साउथ में अगर भाजपा को भगवा लहराना है, तो एकचौथाई बिहार और उत्तर प्रदेश यहां शिफ्ट करना पड़ेगा.

गौरव सिन्हा यह मानते हैं कि लिंगायतों का दो फाड़ होना एक अहम घटना थी और इस की वजह येदियुरप्पा की अनदेखी रही, जिन के दम पर भाजपा कुरसी हथियाती रही थी. अब यह सिलसिला भी खत्म हो गया है.

असल में कांग्रेस ने इस चुनाव में बेहद चतुराई से काम लिया. उस ने हनुमान को हाईजैक करने में कोई लिहाज नहीं किया. जीत के बाद कर्नाटक में कांग्रेसी हनुमान का मुखौटा लगा कर घूमते दिखे और प्रियंका गांधी हिमाचल के हनुमान मंदिर में पूजाअर्चना करती नजर आईं. शनिवार हनुमान का दिन होता है और इसी दिन के नतीजे में भाजपा का सत्ता से बाहर होना यह बता गया कि हनुमान अगर कहीं हैं तो वे भाजपा से रुष्ट हैं, क्योंकि भगवा गैंग का देशभर में हनुमान चालीसा का पाठ भी उन का दिल बहला नहीं पाया और उन की कृपा कांग्रेस पर बरसी.
अब जो भी होगा, सियासी घटनाएं और हमेशा की तरह होने वाली उठापटक होगी. मसलन, मुख्यमंत्री कौन होगा, मंत्रिमंडल कैसा होगा, लेकिन इकलौती अहम बात और संदेश कर्नाटक से यह आया है कि धार्मिक नौटंकी नहीं चलेगी. आप को लोगों से जुड़े मुद्दों पर बात करनी ही पड़ेगी, नहीं तो 3 राज्यों में होने जा रहे चुनावों में भी घाव ही मिलेंगे, जो हिमाचल प्रदेश में भी मिले थे. कर्नाटक में तो इन पर नमक छिड़का गया है.

सियासी इमरान खान का महिलाओं पर चौंकाने वाला नजरिया

तकरीबन एक दशक पहले भारत में एक कार्यक्रम के दौरान विवादास्पद लेखक सलमान रूश्दी ने कहा था कि कर्नल गद्दाफी और इमरान खान की शक्लें मिलती हैं और अगर भविष्य में कोई लीबिया के पूर्व नेता पर फिल्म बनाता है तो इमरान खान गद्दाफी के रोल के लिए सब से उपयुक्त होंगे. यह इत्तिफाक ही है कि लीबिया का तानाशाह गद्दाफी तानाशाही के साथसाथ ऐयाशी के लिए भी बदनाम रहा और इमरान खान की जिंदगी भी कुछ कम नहीं है.

क्रिकेटर और अब पाकिस्तान के अहम सियासी किरदार इमरान खान की दूसरी पत्नी रेहम खान की किताब ‘टेल आल’ में इमरान खान उस रंगीले किरदार की तरह पेश किए गए हैं, जिसे कोई बंधन पसंद नहीं है और वह अपनी पसंद और अपनी शर्तों पर जीता है.

इमरान खान से रेहम खान की शादी महज 15 महीनों में ही टूट गई थी. रेहम खान ने लंदन में रहने वाले इमरान खान के खास सहयोगी बुखारी के बारे में यह खुलासा भी किया था कि उस ने लंदन में एक युवा लड़की के गर्भपात की व्यवस्था की थी, जिसे इमरान खान ने प्रेग्नेंट किया था.

रेहम खान के यह भी दावा किया है कि इमरान खान अपनी पार्टी तहरीक ए इंसाफ में ऊंचा पद पाने की चाह रखने वाली महिलाओं से यौन संबंधों की मांग करते रहे हैं.

इमरान खान की पार्टी पीटीआई की एक नेता आएशा गुलालई ने दावा किया था कि पार्टी के प्रमुख इमरान खान पर मोबाइल फोन के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजते थे. उन्होंने यह भी कहा था कि इमरान खान और उन के आसपास मौजूद लोगों के हाथों में सम्मानित औरतों की इज्जत और आबरू सुरक्षित नहीं है. इस मामले में देश और विदेश में संगीत की दुनिया में खासा नाम कमाने वाली गायिका कुर्तुलएन बलोच ने भी इमरान खान की निंदा की थी.

महिलाओं के खिलाफ बढ़ती यौन हिंसा के लिए प्रधानमंत्री रहते हुए इमरान खान ने पहनावे को जिम्मेदार माना था और महिलाओं को नसीहत दी थी कि वे परंपराओं का पालन सुनिश्चित करें. इस पर पलटवार करते हुए विपक्षी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की सीनेटर शेरी रहमान ने कहा था कि महिलाएं क्या पहनें, यह बताने का किसी को अधिकार नहीं है. हमारे प्रधानमंत्री ऐसा कर रहे हैं, इस से हैरान हूं. उन्होंने इमरान खान पर निशाना साधते हुए कहा कि वे ऐसा कह कर महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले और उन का दमन करने वालों की हरकतों को जायज ठहरा रहे हैं.

इमरान खान ने रेप और यौन हिंसा के बढ़ते मामलों को ले कर सरकार की योजना के संबंध में संसद में कहा था कि समाज को खुद को अश्लीलता से बचाना होगा. अश्लीलता के बढ़ने का असर होता है. हर इंसान में विल पावर नहीं होती और सभी के पास खुद को कंट्रोल करने की ताकत नहीं होती.

इमरान खान के महिला विरोधी बयानों का कई अधिकारवादी संगठनों ने विरोध किया था. इस में पाकिस्तान मानवाधिकार संगठन वार अगेंस्ट रेप और पाकिस्तान बार काउंसिल शामिल थे. यहां तक कि देश की मीडिया ने भी इसे असंवेदनशील बताया था. वहीं जानीमानी पत्रकार मेहर तरार ने प्रधानमंत्री को शिक्षित होने की नसीहत देते हुए इसे यह सत्ता का विकृत अमानवीय पहलू बताया था.

यह भी दिलचस्प है कि सियासी जिंदगी के पहले इमरान खान की जिंदगी बेहद खुली नजर आती है. ब्रिटेन की मशहूर औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ा यह शख्स 1970 और 1980 के दशक के दौरान लंदन के एनाबेल्स और ट्रैंप्स जैसे नाइट क्लबों की पार्टियों में निरंतर मशगूल होने के कारण सोशलाइट के रूप में भी मशहूर रहा. सुजाना कांसटेनटाइन, लेडी लीजा कैंपबेल जैसे नवोदित युवा कलाकारों और चित्रकार एम्मा सार्जेंट के साथ इमरान खान के रोमांस ब्रिटेन में बेहद चर्चित रहे हैं और बाद में यह भी सामने आया कि सीता व्हाइट कथित रूप से उनकी नाजायज बेटी की मां बनीं. अमेरिका में एक न्यायाधीश ने इस की पुष्टि भी की और टीरियन जेड व्हाइट को इमरान खान की बेटी बताया था, हालांकि इमरान खान इस से मुकर गए थे.

इंगलैंड की जेमिमा गोल्डस्मिथ के साथ इमरान खान का पहला निकाह हुआ था, जो नौ साल के रिश्ते के बाद जून, 2004 में टूट गया. इस के बाद उन का निकाह रेहम खान से हुआ जो तकरीबन 10 महीने चला. इमरान खान ने तीसरी शादी अपने से बहुत कम उम्र की लड़की से की है.

इमरान खान के प्रधानमंत्री रहते 2020 में पाकिस्तान का मोटरवे रेप केस चर्चित हुआ था जिस ने देश को झकझोर दिया था. आधी रात को एक महिला को कार से खींच कर उस के बच्चों के सामने बलात्कार किया गया था. वहीं पुलिस अधिकारी ने इस घटना के लिए महिला को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि 3 बच्चों की मां को रात में अकेले अपनी गाड़ी में नहीं निकलना चाहिए था.

बहरहाल, इमरान खान की निजी जिंदगी और सियासी सोच में बहुत अंतर नजर आता है. देश की कट्टरपंथी ताकतों का विश्वास अर्जित करने के लिए इमरान खान ने महिला अस्मिता और आजादी को बाधित करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी.

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