हर कोई चाहता है कि उस की जीवनसंगिनी बला की खूबसूरत हो. जब युवक शादी के लिए लड़की देखने जाता है तब उस की हां खूबसूरती पर आ कर टिकती है, हालांकि, जरूरी नहीं कि हर सुंदर लड़की गुणवान भी हो. आमतौर पर हर युवक रूपवान यानी खूबसूरत बीवी की चाह रखता है और इसे पाने के लिए वह साधारण लड़कियों को नापसंद कर देता है, फिर चाहे वह लड़की कितनी ही गुणवान क्यों न हो.
जब कभी रूपवान और गुणवान लड़की में से किसी एक को चुनना हो तो अधिकांश लड़के रूपवती को ही चुनते हैं. क्या उन का निर्णय एकदम सही है? कहीं ऐसा न हो कि बाद में रूप के कारण गुणों को नजरअंदाज करने का उन्हें पछतावा हो? अब गुणों की बात लीजिए. यदि लड़की साधारण नैननक्श की है, सांवली है, मोटीपतली है, नाटीलंबी है, लेकिन गुणों की खान है तो क्या उस के वैयक्तिक गुणों का कोई मोल नहीं? कोई लड़की कितनी ही सुंदर क्यों न हो, लेकिन वह अवगुणी है, क्रोधी या तुनकमिजाज स्वभाव की है, ?ागड़ालू प्रवृत्ति की है, कामकाज से जी चुराती है, अपने आगे किसी को कुछ नहीं सम?ाती, तो वह किस काम की? क्या ऐसी लड़की दांपत्य जीवन को सुखद बना सकती है?
सुंदरता की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए भिन्न होती है. कोई गोरे रंग को खूबसूरती का मानदंड मानता है तो कोई तीखे नैननक्श को. किसी के लिए लड़की का छरहरा होना माने रखता है तो किसी को उस की कदकाठी लुभाती है. किसी को उस की मुसकराहट पसंद होती है तो किसी को उस की हंसी. इसलिए सुंदरता की सर्वमान्य परिभाषा नहीं हो सकती. जिस को जो भाए, वही सुंदर. जहां तक रूप का प्रश्न है, उम्र के साथ उस की चमक फीकी पड़ने लगती है और एक समय के बाद उस का आकर्षण समाप्त हो जाता है. लेकिन गुण ऐसी अनमोल चीज है जो जीवनपर्यंत मिठास प्रदान करती रहती है.
इसलिए रूप पर गुमान करना ठीक नहीं है. लेकिन जब रूप या गुण में से किसी एक विकल्प को चुनना हो तो सम?ादारी इसी में है कि गुणों को वरीयता दी जाए. इस से कभी भी पछतावा नहीं होगा. कई बार ज्यादा खूबसूरत लड़कियां अपने रूपसौंदर्य पर इतना इतराने लगती हैं कि अपने आगे पति को हेय सम?ाती हैं. पति पर हावी होने की कोशिश करती हैं. ऐसी लड़की में पति के प्रति समर्पित रहने की चाह नहीं होती. वे अपने रूपसौंदर्य के बूते पर अपनी हर जायजनाजायज बात मनवाने की कोशिश करती हैं. ऐसे में पति अपनेआप को ठगा हुआ सा पाता है. दरअसल, रूप से ज्यादा मोल समर्पण का होता है. यदि पत्नी असुंदर भी है लेकिन पति के प्रति समर्पित हो कर उस का हर कदम पर साथ निभाती है तो वह अधिक माने रखता है. संपन्न परिवार के कुछ लड़के अपनी शानोशौकत का प्रभाव दिखा कर किसी गरीब परिवार की खूबसूरत लड़की से शादी कर लेते हैं.
वे अपनी सूरत आईने में नहीं देखते कि क्या वे इतनी सुंदर लड़की के काबिल भी हैं? ऐसे में जब वे घर से बाहर निकलते हैं तो उन्हें देख कर लोग कमैंट करते हैं- ‘गधा गुलाबजामुन खा रहा है या कौए की चोंच में अनारकली.’ पुरुष स्वभाव से शंकालु प्रवृत्ति के होते हैं. जब स्वयं का कोई व्यक्तित्व न हो और हुस्न की परी को पत्नी बना कर ले आएं तो उन के मन में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि कहीं उन की पत्नी का अफेयर किसी हैंडसम पुरुष से न हो जाए? ऐसे में पुरुष अपनी पत्नी के चरित्र को संदेह की दृष्टि से देखने लगता है जबकि ऐसी कोई बात नहीं होती. शक की दवा लुकमान हकीम के पास भी नहीं है. ऐसे में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद दांपत्य सुखद नहीं रहता.
शादी गुड्डे गुडियों का खेल नहीं है कि क्षणिक आकर्षण देख निर्णय कर लिया जाए. यह देखना ज्यादा जरूरी है कि वह आप की अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरेगी? आप की रुचि, स्वभाव, आदतों, संस्कार आदि से वह समझता कर पाएगी या नहीं? कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के और उस के विचार मेल ही न खाएं. रूपसौंदर्य से ज्यादा अहमियत लड़की के स्वभाव और गुणों को देनी चाहिए. एक गुणवान लड़की ही घर के माहौल को खुशनुमा बना सकती है. फिर चाहे वह सुंदर हो या न.
यदि लड़की में अच्छे गुण हैं तो वह ससुराल में जा कर सभी को खुश कर सकती है. अन्यथा वह चाहे जितनी खूबसूरत हो, कोई भी उस से खुश नहीं रहेगा. यदि कोई लड़की कुदरती तौर पर सुंदर है तो यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन उसे अपने गुणों पर भी ध्यान देना चाहिए. पत्नी अपने अवगुणों को त्याग कर आप के जीवन में ?गुणों का समावेश करे, तभी दांपत्य सुखद होगा. हां, यदि किसी लड़की में दोंनों ही बातें हों, अर्थात वह सुंदर भी है और गुणी भी है तो सोने पर सुहागा. इस से अच्छी बात हो ही नहीं सकती. ऐसी लड़की सर्वगुण संपन्न मानी जाती है. जो युवक ऐसी लड़कियों से शादी करते हैं, वे ताउम्र सुखी और प्रसन्न रहते हैं.