एक दौर था, जब भाजपाई बड़े व्यंग्य से कहते थे कि राहुल गांधी जहां प्रचार करने जाते हैं, वहां हमारी जीत आसान हो जाती है, क्योंकि उन के कहने पर वोट नहीं डलते. अब जबकि कर्नाटक में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत वाली एल सरकार बनाने जा रही है, तब यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में भी सोची जानी चाहिए कि इस साल हिमाचल प्रदेश के बाद कर्नाटक के मतदाता ने भी उन के कहने पर भाजपा को वोट नहीं दिया.

मतदान के 3 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताबड़तोड़ रैलियां कर्नाटक में की, बजरंगबली तक का वास्ता दिया, कांग्रेस और गांधीनेहरु परिवार को बिना पानी पिए कोसा, लेकिन तमाम टोटके आजमाने के बाद भी वोटर ने न तो उन का भरोसा किया और न ही भाजपा का, तो यह इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होने जा रहे विधानसभा चुनावों और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चिंता की बात भगवा खेमे के लिए है कि आखिर चूक कहां हो रही है.

चूक यह हो रही है कि भाजपा और मोदी को धर्म और हिंदुत्व की भड़काऊ राजनीति के अलावा कुछ और सूझता नहीं. कांग्रेस, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की बुराई भी पहले जैसी असरदार साबित नहीं हो रही, क्योंकि मतदाता 8 साल से यही सुन रहा है, जिस से उस के कान पक चुके हैं. इस पर प्रियंका गांधी का यह हमला अपील कर गया कि भाजपा भ्रष्टाचार, महंगाई और बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है. कर्नाटक की गृहणियों, युवाओं और किसानों ने बजरंगबली के नाम पर वोट नहीं किया, जैसा कि हिंदीभाषी राज्यों में आमतौर पर वोटर जज्बाती हो कर वोट फेंक आया करता है.

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