Download App

मेरा मन घर से भाग जाने का करता है, बताएं मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं 30 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. बचपन में ही मेरे अलावा घर में 3 बड़े भाई हैं. मैं इकलौती छोटी बहन थी. भाइयों की लाडली होने चाहिए थी, पर लाड़प्यार तो दूर कभी किसी ने मुझ से सीधे मुंह बात भी नहीं की. मां अकसर बीमार रहती थीं, इसलिए पढ़ाई के साथसाथ मैं घर का कामकाज भी करने लगी. बावजूद इस के मेरा मंझला भाई मुझ से पता नहीं क्यों नफरत करता था. हमेशा लड़ताझगड़ता और मारपीट करता था. एक बार तो उस ने गला दबा कर मुझे जान से मारने की भी कोशिश की. मां ने बीचबचाव कर के किसी तरह मुझे बचाया.

मेरा यह भाई शायद अपनी बेरोजगारी से तनाव में रहता था. और किसी पर तो उस का बस चलता नहीं था, इसलिए वह जबतब मुझे ही मारनेपीटने लगता. किसी ने उसे समझाने का प्रयास नहीं किया और एक दिन उस ने आत्महत्या कर ली. उस के मरने के बाद मां की सेहत दिनोंदिन गिरने लगी और फिर उन की भी मृत्यु हो गई. बड़े भाई ने शादी कर ली. मुझे लगा कि भाभी के घर में आने से मां के जाने के बाद घर में आया सूनापन दूर होगा. मुझे भी घर के काम में कुछ सहयोग मिलेगा. शायद मेरे जीवन में कुछ सुकून आएगा पर स्थिति और बदतर हो गई. भाभी घर के किसी काम को हाथ नहीं लगाती. मेरा काम और बढ़ गया. इस पर मुझे भरपेट खाना तक नहीं मिलता. आते ही उस ने मुझ पर शादी करने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. मेरी पढ़ाई तो मां की मृत्यु के बाद ही छूट गई थी. मुझे पढ़ने का शौक था. इसलिए मैं ने प्राइवेट परीक्षा दे कर ग्रैजुएशन कर ली.

मैं शादी नहीं करना चाहती और अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हूं पर दोनों भाई इस की इजाजत नहीं दे रहे. छोटा भाई मारपीट करता है और कहता है कि शादी नहीं करनी तो घर से निकल जाओ. इस घर में रहने का तुम्हें कोई हक नहीं है. घर पर उन दोनों का हक है.

कई बार मन करता है कि जहर खा कर अपना जीवन समाप्त कर दूं. बचपन से आज तक मैं ने सिर्फ दुख ही दुख देखे हैं. कभी किसी से प्यार के दो बोल सुनने को नहीं मिले.

मेरे पैदा होने के कुछ दिनों बाद पिता चल बसे तो मां मुझे मनहूस, कलमुंही और न जाने क्याक्या कहती रहीं. फिर भाईयों के हाथों पिटती, गालियां खाती रही. रहीसही कसर भाभी ने आ कर पूरी कर दी.

सारा दिन कोल्हू के बैल की तरह घर के कामों में पिस्ती रहती हूं. मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं. नौकरी वे मुझे करने नहीं देंगे, शादी मैं करना नहीं चाहती, क्योंकि पुरुषों पर से मेरा विश्वास उठ गया है. जब मुझे अपने घर पर अपने भाइयों से ही प्यार नहीं मिला तो किसी बाहर वाले से मैं क्या उम्मीद करूं कि वह मेरी परवाह करेगा. कभी जी करता है घर से भाग जाऊं तो कभी अपनी जीवन लीला को ही समाप्त कर लेने का मन करता है. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब

इसे संयोग ही कह सकते हैं कि बचपन से ले कर अब तक आप का जीवन त्रासदीपूर्ण रहा. इस के लिए घर के सदस्यों से ज्यादा आप के परिवार की प्रतिकूल परिस्थितियां जिम्मेदार रहीं.

पिता के अचानक चले जाने से 4-4 बच्चों की जिम्मेदारी आप की मां के कंधों पर आ गई. अकेली औरत के लिए ये सब संभालना और अकेले जीवन की जद्दोजहद को झेलना आसान नहीं था. इस के अलावा वे बीमार रहती थीं. अपनी परेशानियों से त्रस्त हो कर वे अपनी भड़ास आप पर निकालती थीं. इस से आप को यह नहीं समझना चाहिए कि उन्हें आप से प्यार नहीं था.

रही आप के भाइयों के आप के प्रति व्यवहार की बात तो मांबाप के न रहने से आप के विवाह की जिम्मेदारी भी आप के भाइयों पर आ गई. इसीलिए वे चाहते हैं कि आप शादी कर लें. आप के भाइयों का व्यवहार आप के प्रति सौहार्दपूर्ण नहीं रहा तो इस का निष्कर्ष यह नहीं निकालना चाहिए कि सभी मर्द उन्हीं की तरह निष्ठुर होते हैं.

आत्महत्या जैसी कायरतापूर्ण बात आप को अपने मन से निकाल देनी चाहिए. यह किसी समस्या का हल नहीं है. आप का दूसरा विकल्प घर से भागने का भी विवेकपूर्ण नहीं है. इस से आप किसी बड़े संकट में पड़ सकती हैं. इसलिए ऐसी भूल हरगिज न करें.

अपनी सोच को सकारात्मक रखें और घर वालों की बात मान कर शादी कर लें. हो सकता है कि शादी के बाद आप को वे सब खुशियां मिल जाएं, जिन से आप अब तक वंचित रही हैं. आप का अपना घर होगा, अपना परिवार होगा जहां आप पूरी तरह सुरक्षित होंगी.

Sunny Deol इसलिए बेटे को नहीं बनाना चाहते थे एक्टर, Rajveer Deol ने बताया कारण

Sunny Deol Son Rajveer Deol : बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल (Sunny Deol) इन दिनों अपनी फिल्म गदर 2(Gadar 2) की सक्सेस को एंजॉय कर रहे हैं. उनकी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ताबतोड़ कमाई की है. हालांकि इस बीच उनके छोटे बेटे राजवीर देओल (Rajveer Deol) की पहली फिल्म ‘दोनों’ का ट्रेलर रिलीज हुआ है. राजवीर देओल के साथ-साथ पूनम ढिल्लों की बेटी पलोमा ढिल्लों (Paloma Dhillon) भी इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं.

बीते दिनों फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया, जिसे लोगों का खूब प्यार मिल रहा है. हालांकि ट्रेलर लॉन्च इवेंट के दौरान राजवीर ने अपने पिता सनी देओल को लेकर खुल कर बात भी की.

क्यों सनी नहीं चाहते थे कि बेटे को एक्टर बनाना?

बीते दिन 4 सितंबर को फिल्म ‘दोनों’का ट्रेलर लॉन्च इवेंट रखा गया था. इस इवेंट की अब एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. वायरल वीडियो में राजवीर (Rajveer Deol) से मीडिया ने सवाल किया कि, जब उन्होंने अपने माता-पिता को बताया कि वह एक्टर बनना चाहते हैं तो इस पर उनका क्या रिएक्शन था? राजवीर ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, ‘घरवाले चाहते थे कि मैं पढ़ाई पर ध्यान दूं. यहां तक की उनके पिता सनी देओल को इस बात से नफरत थी कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री काफी अनप्रिडिक्टेबल है.’

इसी के आगे राजवीर ने कहा, ‘मेरा मतलब है कि पापा जी को अपने करियर में 22 साल बाद हिट फिल्म (Gadar 2) मिली थी. इसलिए उन्हें फिकर रहती थी कि, कहीं ये बात हमें भी मेंटली बहुत थका न दें. लेकिन अब मुझे एक्टिंग से प्यार हो गया है.’

5 अक्टूबर को रिलीज होगी फिल्म

आपको बताते चलें कि सनी देओल के बेटे राजवीर (Rajveer Deol) की ये फिल्म “दोनों” 5 अक्टूबर को बड़े पर्दे पर रिलीज होगी. फिल्म में राजवीर और पलोमा लीड रोल में नजर आएंगे. जिसे अविनाश बड़जात्या ने डायरेक्ट किया है और राजश्री के बैनर तले इस फिल्म को बनाया गया है.

INDIA का नाम BHARAT करने का प्रकाश राज ने किया विरोध! जानें क्या कहा

Prakash Raj on India Bharat Controversy : देश में इस समय ‘भारत’ बनाम ‘इंडिया’ का मुद्दा जोर-शोर से गरमाया हुआ है. राजनेता से लेकर बॉलीवुड एक्टर तक इस मुद्दे पर अपनी बात रख रहे हैं. दरअसल, 9 से 10 सितंबर के बीच दिल्ली में 20 समिट की बैठक होने वाली हैं, जिसमें शामिल होने के लिए देश-विदेश के कई नेता के साथ-साथ सेलेब्स को भी इन्वाइट भेजा गया है. लेकिन विवाद इस बात पर हो रहा है कि कार्ड में ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा हुआ है.

जैसे ही इस इन्विटेशन की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. वैसे ही विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरु कर दिया. उनका कहना है कि केंद्र सरकार देश का नाम ‘इंडिया’ से बदलकर ‘भारत’ करना चाहती है. इसी कड़ी में साउथ सिनेमा के पॉपुलर एक्टर प्रकाश राज (Prakash Raj on india bharat controversy) ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है.

प्रकाश ने सरकार पर साधा निशाना!

आपको बता दें कि साउथ एक्टर प्रकाश राज (Prakash Raj on india bharat controversy) जितना अपनी फिल्मों से सुर्खियां बटोरते हैं. उतना ही वह अपने ट्वीट के चलते भी लाइमलाइट में रहते हैं. इस बार उन्होंने ‘भारत’ बनाम ‘इंडिया’ के मुद्दे पर अपनी रखी. उन्होंने ट्वीटर पर लिखा, ‘आप डर के साथ केवल नाम बदल सकते हैं… हम भारतीय गर्व के साथ आपको और आपकी सरकार को भी बदल सकते हैं. #इंडिया #जस्ट_आस्किंग.’

‘चंद्रयान 3’ का उड़ाया था मजाक

आपको बताते चलें कि एक्टर प्रकाश राज (Prakash Raj) ने ‘चंद्रयान 3’ का भी मजाक उड़ाया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी काफी आलोचना हुई थी. यहां तक की उनके खिलाफ पुलिस स्टेशन में केस भी दर्ज करवाया गया था. लेकिन ‘चंद्रयान 3’ की सफलता के बाद उन्होंने इसरो को बधाई दी और उनकी तारीफ भी की थी.

सैक्स को लेकर पति से बात करने में झिझक होती है, मैं क्या करूं?

सवाल

लवमेकिंग में वे बहुत बुरे हैं. शादी हुए 2 साल हो चुके हैं. मेरी अरेंज मैंरिज हुई थी. शादी से पहले जब हम मिले थे तो हम ने अपने पास्ट रिलेशनशिप को ले कर कुछ खास बातचीत नहीं की थी और हमारे रिलेशनशिप पर कोई फर्क भी नहीं पड़ा है. मेरी बस, एक परेशानी है कि उन के प्यार में कोई पैशन नहीं है.

शादी से पहले मेरे 2 बौयफ्रैंड्स रह चुके हैं. बौयफ्रैंड से तो मैं कह देती थी उसे क्या, कैसे करना है, क्या नहीं लेकिन पति से यह कहने में झिझक होती है. अगर उन्होंने यह गलत तरीके से ले लिया और इस से हमारे रिश्ते पर फर्क पड़ा तो सिचुएशन बिगड़ भी सकती है.

जवाब

यह अच्छी बात है कि आप दोनों एकदूसरे की पास्ट रिलेशनशिप के बारे में कुछ खास बातचीत नहीं करते क्योंकि यकीनन इस से आप के प्रैजेंट पर असर पड़ सकता है लेकिन आप का अपने पति से अपनी सैक्सुअल लाइफ डिस्कस न करने की तुक समझ नहीं आई. वे आप के पति हैं और आप उन की पत्नी. अगर आप उन से खुल कर अपनी इच्छाएं व्यक्त नहीं करेंगी तो किस से करेंगी.

आप को इस बारे में अपने पति से बात करनी चाहिए. बात की शुरुआत छोटीछोटी चीजों से कीजिए, जैसे ‘किस’ आदि. यदि वे इतने से ही समझ जाएं तो आप उन की परफौर्मैंस को ले कर भी सहजता से बात कर सकती हैं. अभी आप दोनों के रिलेशनशिप की शुरुआती स्टेज है. जरूरी है कि आप अभी से ही एकदूसरे को समझाने लगें और इस फेज को एंजौय करें.

संदेह के सांप का जहर : महेंद्र सिंह ने क्यों कि अपनी की पत्नी की हत्या ?

परमिंदर कौर जालंधर के पृथ्वीनगर के मकान नंबर एन-ए-28 में रहती थी. उस के पति इकबाल सिंह दुबई के बहरीन में रहते थे. वहां वह किसी विदेशी कंपनी में नौकरी करते थे. उस की 2 बेटियां थीं, बड़ी 30 वर्षीया कमलप्रीत कौर और छोटी 26 वर्षीया रंजीत कौर. बड़ी बेटी कमलप्रीत कौर की शादी उस ने सन् 2001 में न्यूबलदेवनगर के मकान नंबर 197 में रहने वाले सुरजीत सिंह के सब से छोटे बेटे गुरमीत सिंह के साथ कर दी थी.

रंजीत कौर की अभी शादी नहीं हुई थी. वह जालंधर के पटेल अस्पताल में स्टाफ नर्स थी और मां के साथ रहती थी. कमलप्रीत कौर के पति की मौत हो चुकी थी. वह अपनी 2 बेटियों, 12 वर्षीया खुशप्रीत कौर और 10 वर्षीया राजवीर कौर के साथ ससुराल में रहती थी.

4 मार्च, 2014 की दोपहर 2 बजे के लगभग कमलप्रीत कौर अपनी मैरून कलर की एक्टिवा स्कूटर से गई तो लौट कर नहीं आई. जब इस बात की जानकारी परमिंदर को हुई तो उस ने बेटी को फोन किया. कमलप्रीत के पास 2 फोन थे. दोनों ही फोनों की घंटी बजती रही, लेकिन फोन उठा नहीं. इस के बाद रात को दोनों फोन बंद हो गए.

अगले दिन सवेरा होते ही परमिंदर कौर बेटी की तलाश में निकल पड़ी. उस ने नातेरिश्तेदार, जानपहचान वालों के यहां ही नहीं, हर उन संभावित जगहों पर बेटी को तलाशा, जहां उस के मिलने की संभावना थी. लेकिन कमलप्रीत का कहीं पता नहीं चला.

कमलप्रीत का कहीं कुछ पता नहीं चला तो परमिंदर कौर ने जालंधर के थाना डिवीजन नंबर 8 में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. कमलप्रीत के ढूंढ़ने की जिम्मेदारी ड्यूटी पर तैनात एएसआई अजमेर सिंह को सौंपी गई. यह 4-5 अप्रैल, 2014 के मध्यरात्रि की बात है.

एएसआई अजमेर सिंह ने लापता कमलप्रीत कौर का हुलिया और उस की स्कूटर का नंबर वायरलेस द्वारा प्रसारित करवा दिया. इस के अलावा जिले के सभी थानों को सूचना दे कर कमलप्रीत कौर की तलाश में मदद मांगी. अगले दिन मुखबिरों को भी कमलप्रीत कौर के फोटो दे कर उस के बारे में पता लगाने को कहा गया.

लेकिन इस सब का कोई नतीजा नहीं निकला. चूंकि बीती रात से ही कमलप्रीत के दोनों फोन बंद थे, इसलिए एएसआई अजमेर सिंह ने कमलप्रीत के दोनों फोनों के नंबर एक सिपाही को दे कर ड्यूटी लगा दी थी कि वह लगातार दोनों नंबरों पर फोन करता रहे. उस सिपाही की मेहनत रंग लाई और शाम को कमलप्रीत के एक फोन की घंटी बज उठी.

उस ने यह बात एएसआई अजमेर सिंह को बताई तो उन्होंने अपने मोबाइल से कमलप्रीत के उस नंबर पर फोन मिला दिया तो इस बार फोन रिसीव कर लिया गया. फोन रिसीव करने वाले का नाम सुरेंद्र था. उस से कमलप्रीत कौर के बारे में पूछा गया तो उस ने कहा, ‘‘मैं किसी कमलप्रीत कौर को नहीं जानता. यह फोन भी मेरा नहीं है. मैं बस से जालंधर से फगवाड़ा जा रहा था तो बस में सीट के नीचे से मुझे यह फोन मिला था.’’

कमलप्रीत का फोन लावारिस हालत में बस में मिला, यह बात एएसआई अजमेर सिंह की समझ में नहीं आई. अपना परिचय देते हुए उन्होंने सुरेंद्र को फोन के साथ थाने बुला लिया. थाने आ कर भी सुरेंद्र ने वही सब बताया, जो उस ने फोन पर बताया था. अजमेर सिंह ने सुरेंद्र से फोन ले कर जमा कर लिया. पूछताछ में उन्हें लगा कि सुरेंद्र सच बोल रहा है तो उन्होंने उसे जाने दिया.

शाम को सारी बातें अजमेर सिंह ने थानाप्रभारी इंसपेक्टर विमलकांत को बताईं तो उन्होंने उन की मदद के लिए उन के नेतृत्व में एक टीम बना दी. यह पुलिस टीम लगातार दो दिनों तक कमलप्रीत कौर की तलाश करती रही, लेकिन कहीं से भी कोई सुराग नहीं मिला.

6 मार्च को कमलप्रीत की बहन रंजीत कौर ने थानाप्रभारी विमलकांत को फोन कर के बताया, ‘‘सर, मुझे संदेह है कि मेरी बहन कमलप्रीत कौर के गायब होने के पीछे उस के जेठ महेंद्र सिंह का हाथ हैं. क्योंकि वह मेरी बहन से दुश्मनी रखता था. मुझे पूरा विश्वास है कि उसी ने मेरी बहन को अगवा कर कहीं छिपा दिया है या फिर उस की हत्या कर दी है.’’

इस के बाद थानाप्रभारी ने रंजीत कौर को थाने बुला कर उस से एक तहरीर ले कर कमलप्रीत कौर के अपहरण का मुकदमा उस के जेठ महेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज करा दिया. महेंद्र सिंह गांव बलीना, दोआबा के गुरुद्वारा भगतराम में मुख्य ग्रंथी था. यह गुरुद्वारा साहिब गांव वालों के अधीन था. गांव वाले उसे पाठअरदास व गुरुद्वारा की सेवा के लिए 4 हजार रुपए मासिक वेतन देते थे.

महेंद्र सिंह के रहने और खाने की भी व्यवस्था गुरुद्वारा साहिब की ओर से थी. इंसपेक्टर विमलकांत सीधे उस पर हाथ नहीं डालना चाहते थे. इसलिए वह उस के बारे में पूरी जानकारी जुटाने लगे. इस छानबीन में पता चला कि 4 भाइयों में महेंद्र सिंह दूसरे नंबर पर था, जबकि कमलप्रीत का पति गुरमीत सिंह चौथे नंबर पर सब से छोटा था.

लगभग 25 साल पहले महेंद्र सिंह का विवाह हुआ था. उस के 3 बच्चों में 2 बेटे और 1 बेटी थी. लगभग 10 साल पहले किन्हीं कारणों से उस की पत्नी उसे छोड़ कर चली गई थी. अब तक उस के बडे़ बेटे और बेटी की शादी हो चुकी थी. शादी के बाद उस का बेटा उस से अलग रहने लगा था. इस समय सिर्फ छोटा बेटा 14 वर्षीय गगनदीप सिंह ही उस के साथ रहता था.

थानाप्रभारी विमलकांत ने कमलप्रीत कौर की दोनों बेटियों, खुशप्रीत कौर और राजवीर कौर से भी पूछताछ की थी. उन्होंने बताया था कि उस दिन उन की मां दोपहर 2 बजे के आसपास ताऊ महेंद्र सिंह के बेटे गगनदीप के साथ अपनी स्कूटर से गई थीं. जाते समय उन्होंने कहा था कि वह ताऊ से पैसे लेने जा रही हैं.

थानाप्रभारी विमलकांत ने गगनदीप को बुला कर कमलप्रीत के बारे में पूछा तो उस ने बताया, ‘‘चाची मेरे साथ आई जरूर थीं, लेकिन पठानकोट रोड पर फ्लाईओवर पर उन्होंने मुझ से कहा था कि तुम चलो, मैं थोड़ी देर में आ रही हूं.’’

थानाप्रभारी विमलकांत गगनदीप से पूछताछ कर ही रहे थे कि रंजीत कौर ने थाने आ कर अपना फोन दिखाते हुए कहा, ‘‘सर, 4 मार्च को मेरे फोन पर कमलप्रीत का यह मैसेज आया था, जिसे मैं ने आज पढ़ा है. देखिए सर, इस में उस ने क्या लिखा है?’’

थानाप्रभारी विमलकांत ने रंजीत का फोन ले कर वह मैसेज पढ़ा. वह 4 मार्च को 1 बज कर 20 मिनट पर आया था. मैसेज था, ‘‘मैं अपने जेठ के साथ जा रही हूं. मुझे कोई प्रौब्लम आए तो फौरन फोन उठा लेना.’’

अब तक की तफ्तीश से महेंद्र सिंह वैसे ही शक के घेरे में आ गया था, इस मैसेज से स्पष्ट हो गया कि कमलप्रीत कौर के लापता होने के पीछे किसी न किसी रूप में ग्रंथी महेंद्र सिंह का ही हाथ है. अब समय बेकार करना ठीक नहीं था, इसलिए थानाप्रभारी ने तुरंत उस के घर छापा मार दिया. लेकिन वह घर पर नहीं मिला.

थानाप्रभारी ने महेंद्र सिंह के पीछे मुखबिरों को लगा दिया इस के बाद उन्हीं की सूचना पर 7 मार्च को पठानकोट रोड चौक पर नाका लगा कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर उस से पूछताछ शुरू हुई तो उस ने जल्दी ही स्वीकार कर लिया कि उसी ने कमलप्रीत की हत्या कर दी है.

लाश के बारे में पूछा गया तो उस ने बताया कि कमलप्रीत की लाश को उस ने गुरुद्वारा साहिब के सीवर में फेंक दी है. महेंद्र के अपना अपराध स्वीकार कर लेने के बाद इंसपेक्टर विमलकांत ने तुरंत इस बात की सूचना एडीसीपी (प्रथम) नरेश डोगरा तथा एसीपी सतीश मल्होत्रा को दे दी थी.

अधिकारियों की उपस्थिति में अभियुक्त ग्रंथी महेंद्र सिंह की निशानदेही पर गुरुद्वारा भगतराम के सीवर पाइप से मृतका कमलप्रीत कौर की लाश बरामद कर ली गई. लाश केवल अंदर के कपड़ों यानी ब्रा पैंटी में थी. इस से लोगों को लगा कि हत्या से पहले मृतका के साथ दुष्कर्म किया गया था.

इंसपेक्टर विमलकांत ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया और थाने आ कर कमलप्रीत के अपहरण के मुकदमे के साथ हत्या और लाश को खुर्दबुर्द करने की धाराएं जोड़ दीं.

अगले दिन यानी 8 मार्च को जेएमआईसी सिमरन सिंह की अदालत में महेंद्र सिंह को पेश कर के पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में  महेंद्र ने जो बताया, वह इस प्रकार था.

महेंद्र सिंह ने पुलिस को बताया था कि उस ने छोटे भाई की पत्नी कमलप्रीत की हत्या इसलिए की है, क्येंकि उस ने उस के भाई गुरमीत सिंह की हत्या की थी. उस के प्रिंस और सत्ती से अवैध संबंध थे. इसी वजह से उस ने गुरमीत को जहर दे कर मार दिया था.

महेंद्र सिंह के बताए अनुसार, गुरमीत तनदुरुस्त और अच्छाखासा नौजवान था. उसे कोई बीमारी भी नहीं थी, इसलिए जिस दिन वह मरा था, उसी दिन उसे शक हो गया था कि उस के भाई गुरमीत की मौत स्वाभाविक नहीं थी. उसे साजिश रच कर मारा गया था. इस के बाद वह पता लगाने लगा. तब उसे पता चला कि गुरमीत की पत्नी कमलप्रीत के प्रिंस और सत्ती से अवैध संबंध थे.

इस के बाद महेंद्र सिंह कमलप्रीत पर नजर रखने लगा. इसी साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में एक रात उस ने एक सपना देखा. सपने में गुरमीत ने आ कर उस से कहा था कि उसे जहर दे कर मारा गया था. यह काम कमलप्रीत ने अपने हाथों से किया था.

बस इसी के बाद से अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए महेंद्र मौके की तलाश में लग गया था. वह प्रिंस, सत्ती और कमलप्रीत की हत्या कर के अपने भाई की मौत का बदला लेना चाहता था. लेकिन 3-3 हत्याएं करना उस के वश की बात नहीं थी.

कमलप्रीत के मृतक पति गुरमीत सिंह की लाम्मा पिंड चौक के पास ‘राजा भांगड़ा ग्रुप’ के नाम से भांगड़ा पार्टी थी. वह शादीब्याह एवं अन्य अवसरों पर गाना व भांगड़ा करता था. उस का यह काम बहुत बढि़या चल रहा था. अपने इस काम से उस ने खूब पैसा कमाया, जिसे उस ने ब्याज पर उठा दिया था. 23 अक्टूबर को ज्यादा शराब पीने की वजह से उस की मौत हो गई थी. उस ने जो पैसा उठा रखा था, उस की मौत के बाद तमाम लोगों ने वापस नहीं किया था.

गुरमीत का पैसा बहुत लोगों ने दबा रखा है, यह महेंद्र सिंह को पता था. कमलप्रीत की हत्या करने से कुछ दिनों पहले उस ने कमलप्रीत को फोन किया कि गुरमीत ने बुलारा गांव के एक आदमी को डेढ़ लाख रुपए दे रखे थे. वह आदमी 3 किश्तों में वे रुपए लौटाना चाहता है.

कमलप्रीत जेठ की बात पर विश्वास कर के उस आदमी से मिलने को तैयार हो गई. तब महेंद्र ने रुपए दिलवाने के एवज में उस से 3 हजार रुपए कमीशन के तौर पर मांगे. कमलप्रीत ने उस की यह शर्त स्वीकार कर ली. इस के बाद महेंद्र ने बातचीत करने के लिए उसे गुरुद्वारा के अपने कमरे पर बुलाया. उस दिन बातचीत कर के कमलप्रीत घर लौट गई.

4 मार्च, 2014 को सुबह महेंद्र ने कमलप्रीत को फोन कर के अपने कमरे पर बुलाया. कमलप्रीत ने अकेली आने में असमर्थता व्यक्त की तो उस ने अपने बेटे गगनदीप को भेज दिया. कमलप्रीत गगनदीप के साथ किशनपुरा उस की बताई जगह पर एक्टिवा स्कूटर से पहुंची.

ग्रंथी महेंद्र सिंह वहां पहले से ही मौजूद था. वह उसे अपने साथ अपने कमरे पर ले गया. वहां कमरे में बंद कर के महेंद्र उस से अपने भाई गुरमीत की मौत के बारे में पूछने लगा. सपने की बात बता कर उस ने कहा कि उसी ने अपने अवैध संबंधों की वजह से गुरमीत को जहर दे कर मारा था.

कमलप्रीत ने रोते हुए कहा, ‘‘यह सब झूठ है. न तो मेरा किसी से अवैध संबंध है और न मैं ने तुम्हारे भाई की हत्या की है. जरा सोचो, मैं अपने पति की हत्या कर के स्वयं को क्यों विधवा बनाऊंगी. एक विधवा की जिंदगी क्या होती है, यह मुझ से ज्यादा और कौन जान सकता है. जिस प्रिंस और सत्ती पर तुम आरोप लगा रहे हो, वह मुझे अपनी बहन मानते हैं.’’

कमलप्रीत के रोने को महेंद्र सिंह ने ढोंग समझा. उस ने उसे डांटते हुए जान से मारने की धमकी दी तो कमलप्रीत डर गई और पति की हत्या की बात स्वीकार कर ली. इस के बाद उस ने एक कागज दे कर गुरमीत को जहर दे कर मारने की बात लिखने को कहा.

कमलप्रीत ने सोचा, लिख कर देने से वह उस का पीछा छोड़ देगा, इसलिए उस ने लिख दिया, ‘प्रिंस, सत्ती और मैं ने गुरमीत को शराब में सल्फास की गोलियां मिला कर पिला दी थीं, जिस से उस की मौत हो गई थी.’ दरअसल उस समय महेंद्र के सिर पर खून सवार था. उस की आंखों में हैवानियत नाचती देख कमलप्रीत डर गई थी और उस ने वह सब लिख दिया था, जो वह चाहता था.

कमलप्रीत द्वारा लिखी बात पढ़ कर महेंद्र की आंखों में खून उतर आया. उस ने बैड पर बैठी कमलप्रीत का गला पकड़ा और पूरी ताकत से दबा दिया. कमलप्रीत बैड पर गिर पड़ी. वह जिंदा न रह जाए, इस के लिए उस ने उस के गले में पड़ी चुन्नी को लपेट कर पूरी ताकत से कस दिया. इस के बाद लाश को वहीं कमरे में बंद कर के उस के दोनों फोन ले कर वह रामा मंडी, जालंधरअमृतसर रोड पर गया और लुधियाना जाने वाली बस की सीट के नीचे रख कर वापस आ गया.

इस के बाद कमलप्रीत का स्कूटर ले जा कर उस ने जालंधर कैंट के रेलवे स्टेशन की पार्किंग में खड़ा कर दिया. स्टेशन से लौटतेलौटते रात के 8 बज चुके थे. अब उसे लाश को ठिकाने लगाना था. लाश को ठिकाने लगाने से पहले उस ने कमलप्रीत की सलवारकमीज को कैंची से काट कर शरीर से अलग कर दिया.

उन कपड़ों को जला कर उस ने उस की राख को ले जा कर जेहला गांव के निकट गुरुद्वारे के पास खेतों में फेंक दिया, ताकि कोई सुबूत न रहे. उस के कमरे पर आतेआते गांव में सन्नाटा पसर चुका था. उस ने कमलप्रीत की लाश उठाई और गुरुद्वारा में बने सीवर में डाल दिया. इस तरह से कमलप्रीत की हत्या कर के उस ने सारे सुबूत मिटा दिए. लेकिन उस ने कुछ ऐसी गलतियां कर दी थीं, जिस की वजह से वह पुलिस गिरफ्त में आ गया था.

महेंद्र से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर विमलकांत ने प्रिंस और सत्ती को थाने बुला कर पूछताछ की. उन का कहना था कि वे कमलप्रीत को अपनी बहन मानते थे और भाई की तरह उस के छोटेमोटे काम कर दिया करते थे. मृतका कमलप्रीत की मां और बहन तथा पड़ोसियों ने भी उन की बात को सच बताया.

थानाप्रभारी ने एक बार फिर महेंद्र से पूछताछ की तो इस बार उस ने कमलप्रीत की हत्या की जो कहानी बताई, वह कुछ और ही निकली.

दरअसल, मृतक गुरमीत का कामधंधा बहुत अच्छा चल रहा था, जिस से महेंद्र उस से जलता था. गुरमीत का पृथ्वीनगर में एक मकान था, जो काफी कीमती था. महेंद्र उसे हथियाना चाहता था. इसीलिए उस ने कमलप्रीत के प्रिंस और सत्ती से अवैध संबंधों की बात फैला कर कमलप्रीत की हत्या कर दी, ताकि उस मकान को वह हासिल कर सके.

इंसपेक्टर विमलकांत ने महेंद्र की निशानदेही पर कमलप्रीत की एक्टिवा स्कूटर, मोबाइल फोन और वह कैंची भी बरामद कर ली थी, जिस से उस ने उस के कपड़े काटे थे. तमाम पुलिस काररवाई पूरी कर के महेंद्र सिंह को एक बार फिर 10 मार्च, 2014 को अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. मृतका कमलप्रीत कौर की दोनों बेटियां खुशप्रीत कौर और राजवीर कौर अपनी मौसी रंजीत कौर के पास रह रही थीं.द्य

-कथा पुलिस सूत्रों व मृतका के परिजनों द्वारा बातचीत पर आधारित

खतरनाक है यूरिक एसिड का बढ़ना

श्यामली काफी दिनों से परेशान थी. मेट्रो स्टेशन की सीढ़ियां चढ़ते वक्त तो उसकी आंखों में आंसू ही आ जाते थे. वजह थी उसके टखने, एड़ी और अंगूठे के पास लगातार बना रहने वाला तीव्र दर्द. उसके दोनों पैर के अंगूठे के पास रह-रह कर टीस उठती थी. इधर कुछ दिनों से घुटनों में भी कसाव महसूस होने लगा था. पैरों में सूजन भी रहने लगी थी. सरपट दौड़ने वाली श्यामली के लिए कदम-कदम चलना भी मुश्किल होता जा रहा था. श्यामली को लगता था कि यह फील्ड जौब की वजह से ऐसा हो रहा है. क्लाइंट्स से मिलने के चक्कर में उसे सारा दिन इधर-उधर घूमना पड़ता था और ज्यादातर समय वह पैदल चलती थी. उसने मां को बताया तो मां ने गर्म पानी से सिंकाई का मशवरा दिया. एक हफ्ते से वह हर रात सोने से पहले गर्म पानी में नमक डाल कर पैरों की सिंकाई कर रही थी, मगर फायदा रत्ती भर नहीं पड़ा. दर्द निवारक गोलियां खा-खाकर दिन गुजर रहे थे.

उस दिन तो दर्द असहनीय हो गया था. श्यामली शाम को दफ्तर से बाहर निकली तो औफिस की सीढ़ियां देखकर उसे पसीना आ गया. ‘कैसे उतरूं’ वह सोच ही रही थी कि रागिनी आ गयी. रागिनी का सहारा लेकर वह धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर कर नीचे आयी. उस दिन रागिनी उसे जबरदस्ती डौक्टर के पास ले गयी. डॉक्टर ने श्यामली के पैर के अंगूठे के पास दबाया तो दर्द के मारे उसकी चीख निकल गयी. डौक्टर ने ब्लड टेस्ट लिखा. दूसरे दिन ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आयी तो पता चला उसके खून में यूरिक एसिड की मात्रा बहुत ज्यादा है. एक हफ्ते की दवाईयों और कुछ परहेज के बाद श्यामली नौर्मल हो गयी, मगर पहली बार उसको यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि पैरों का दर्द सिर्फ थकान से नहीं, शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने से भी हो सकता है.

यूरिक एसिड बढ़ने की मुख्य वजह खानपान में बदलाव आना है. श्यामली की साल भर पहले ही शादी हुई थी. उसके मायके में जहां बहुत सादा खाना खाया जाता था, वहीं ससुराल में घी-मैदे का इस्तेमाल ज्यादा होता था. इसके साथ ही राजमा, छोले, सोयाबीन भी हर दूसरे-तीसरे दिन बनते थे. खानपान में यह बदलाव श्यामली के शरीर को नुकसान पहुंचा रहा था.

रक्त में यूरिक एसिड बढ़ने पर वह महीन गोलियों के रूप में हड्डियों के जोड़ों के बीच जमा होने लगता है. जिसकी वजह से सूजन और दर्द पैदा होता है. यदि समय से इसका इलाज न हो तो यह गाउट और अर्थराइटिस में बदल जाता है. दरअसल जब किसी वजह से किडनी की फिल्टर यानी छानने की क्षमता कम हो जाती है तो यूरिया यूरिक एसिड में परिवर्तित हो जाता है, जो हड्डियों के बीच में जमा होने लगता है. आमतौर पर यूरिक एसिड का ज्यादातर हिस्सा किडनियों के जरिए फिल्टर होकर पेशाब के जरिए शरीर से बाहर निकल जाता है, लेकिन जब यूरिक एसिड शरीर में ज्यादा बनने लगे और किडनी उसे पूरी तरह से फिल्टर न कर पाये तो खून में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है. जब यह शरीर में जगह-जगह हड्डियों के बीच जमा हो जाता है तो गाउट की समस्या पैदा हो जाती है. यूरिक एसिड के बढ़ने से शरीर की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है, जिससे तीव्र दर्द महसूस होता है. यह दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है, खासकर टखने, कमर, गर्दन, घुटने  और पांव के अंगूठे के आसपास.

यूरिक एसिड बढ़ने के मुख्य कारण

यूरिक एसिड क्यों बढ़ जाता है, यह जान लेना जरूरी है, ताकि आप उन चीजों से दूर रहें, जिनसे यूरिक एसिड बढ़ता है. खानपान में बदलाव यूरिक एसिड बढ़ने का मुख्य कारण है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो आपके शरीर में यूरिक एसिड का बढ़ना तय है क्योंकि डायबिटीज की दवाओं से भी यूरिक एसिड बढ़ता है. रेड मीट, सी फूड, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, मटर, पनीर, भिंडी, अरबी और चावल के अधिक प्रयोग से यूरिक एसिड बढ़ता है. भोजन के रूप में लिया जाने वाला प्यूरिन प्रोटीन भी यूरिक एसिड के लेवल को बढ़ाता है. जो लाग व्रत रखते हैं उनमें भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है. जबरदस्ती एक्सरसाइज के चक्कर में पड़ने से भी यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है. इसके अलावा ब्लड प्रेशर की दवाएं, पेन किलर्स और कैंसर रोधी दवाएं खाने से भी यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है.

यूरिक एसिड बढ़ने के लक्षण

शुरुआत में यूरिक एसिड के बढ़ने का पता नहीं लग पाता है. ज्यादातर लोगों को इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि यूरिक एसिड के बढ़ने को कैसे पहचानें. कुछ लक्षण हैं जिन्हें देख कर आप पहचान सकते हैं कि आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है. जैसे जोड़ों में दर्द होना, उठने बैठने में परेशानी होना, उंगलियों में सूजन आ जाना, जोड़ों में गांठ की शिकायत होना. इसके अलावा पैरों और हाथों की उंगलियों में चुभने वाला दर्द होता है, जो कई बार असहनीय हो जाता है. यूरिक एसिड बढ़ने से थकान भी जल्दी लगती है.

अपनाएं कुछ घरेलू उपाय

यूरिक एसिड के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर से परामर्श लें और अपना ब्लड टेस्ट करवाएं. दवाएं लेने से यूरिक एसिड की अतिरिक्त मात्रा मूत्र के जरिए शरीर से बाहर निकल जाती है. लेकिन भविष्य में यह फिर न बढ़े इसके लिए कुछ नियमित घरेलू उपाय भी अपनाएं.

–  रोज सुबह दो से तीन अखरोट खाएं. ऐसा करने से बढ़ा हुआ यूरिक एसिड धीरे-धीरे कम होने लगेगा.

–  हाई फायबर फूड जैसे ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राइस खाने से यूरिक एसिड की ज्यादातर मात्रा एब्जौर्ब हो जाती है आरैर उसका लेवल खून में ठीक बना रहता है.

–  अजवाइन का सेवन रोजाना करें. इससे भी यूरिक एसिड की मात्रा कम होगी.

–  विटामिन-सी से भरपूर चीजें ज्यादा से ज्यादा खाएं क्योंकि विटामिन-सी यूरिक एसिड को मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है.

– सलाद में रोजाना आधा या एक नींबू निचोड़ कर खाएं. इसके अलावा दिन में कम से कम एक नींबू-पानी जरूर पियें.

–  राजमा, छोले, अरबी, चावल, मैदा, रेड मीट जैसी चीजें ज्यादा न खाएं.

–  रोजाना एक सेब जरूर खाएं. सेब में मौजूद मैलिक एसिड यूरिक एसिड को न्यूट्रिलाइज कर देता है, जिससे ब्लड में इसका लेवल कम हो जाता है.

–  रोजाना खाना खाने के बाद एक चम्मच अलसी के बीज चबाएं, इससे यूरिक एसिड की मात्रा कम होगी.

–  यूरिक एसिड बढ़ जाने पर अगर गठिया की परेशानी हो गयी हो और तेज दर्द रहे तो घबराएं नहीं. बथुए के पत्तों का जूस निकाल कर रोज सुबह खाली पेट पियें, उससे दो घंटे बाद तक कुछ न खाएं. रोजाना ऐसा करने पर कुछ वक्त बाद यूरिक एसिड की मात्रा कम हो जाएगी और गठिया के दर्द में आराम आ जाएगा.

डर : क्या उसे मौत का खौफ था?

story in hindi

एक देश एक चुनाव का फुस शिगूफा

एक देश एक चुनाव का बेमतलब का मुद्दा उठा कर भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक दलों का ध्यान बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, सरकार के पल्लू से बंधे हर रोज अमीर होते धन्ना सेठों, अरबों रुपए के सेठों के कर्जों की ओर से हटा देने की कोशिश कर रही है. यह कदम नरेंद्र मोदी का हर चुनाव जीत ही लेने की ताकत की पोल भी खेलता है.

एक चुनाव का मतलब है कि जब लोकसभा के चुनाव हों तभी विधानसभाओं के भी हों. शायद तभी शहरी कारपोरेशनों, जिला परिषदों और पंचायतों के भी हों. एकसाथ आदमी वोट देने जाए तो वह 4-5 चुनावों में एक बार वोट दे दे और फिर 5 साल तक घर बैठे, रोए या हंसे.

एक देश एक चुनाव का नारा एक देश एक टैक्स की तरह का है जिस ने हर चीज पर कुल मिला कर टैक्स पिछले 6 सालों में दोगुना कर दिया है. इसी के साथ एक विवाह नियम की बात भी होगी. फिर शायद कहना शुरू करेंगे कि सारी शादियां भी 5 साल में एक बार हों और बच्चे भी एकसाथ पैदा हों.

इस जमात का भरोसा नहीं है कि यह कौन सा शिगूफा कब ले कर खड़ी हो जाए. मोदी सरकार लगातार शिगूफों पर जी रही है. 2016 में नोटबंदी 2 घंटे में लागू कर दी गर्ई कि अब नकदी का राज खत्म, काला धन गायब. फिर टैक्स के बारे में यही कहा गया. फिर कोविड के आने पर एक देश एक दिन में लौकडाउन का शिगूफा छेड़ा गया. हर बार का वादे किए गए, जो कभी पूरे नहीं हुए.

अभी सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि एक देश एक कानून के हिसाब से धारा 370 जो कश्मीर से हटाई गई है उस के बाद वहां के हालात कब ठीक होंगे कि उसे केंद्र शासित राज्य की जगह दूसरों जैसी राज्य सरकार मिल सके.

एक ही मालिक है वाली सोच स्वयंसेवक संघ के सदस्यों को पहले दिन से पढ़ानी शुरू कर दी जाती है. मंदिरों, मठों में जिन के पास जनता की दान की गई अरबों की संपत्ति होती है एक बार ही, शायद जन्म से तय, बड़े महंत को गद्दी मिलती है, फिर उस के बेटे को. कहींकहीं जहां शादी की इजाजत न हो, वहां एक बार एक चेला महंत बना नहीं, वह जब तक चाहे गद्दी पर बैठेगा.

सरकार की मंशा एक देश एक ‘बार’ चुनाव की है, ठीक वैसे जैसे हिंदू संयुक्त परिवार में एक बार कर्ता बना तो हमेशा वही रहेगा चाहे जितना मरजी खराब काम करे. परिवार को तोड़ना पड़ता है, पार्टीशन होता है. मंदिरों में झगड़ेदंगे होते हैं, दूसरा बड़ा चेला मंदिर के दूसरे हिस्से पर जबरन कब्जा कर लेता है.

क्या यह देश में राजनीति में दोहराया जाएगा? क्या लेनिन, स्टालिन, माओ, हिटलर की तरह एक चुनाव का मतलब एक बार चुनाव होगा? नतीजा क्या हुआ, वह इन देशों के बारे में जानने से पता चल सकता है. व्यापारिक घरानों में एक बार चुनाव का मतलब व्यापारिक घर छूटना होता है. अंबानी का घरव्यापार टूटा, बिड़लों के टूटे तो एक हिस्से का 20,000 करोड़ एक अकाउंटैंट के हाथ लग गए.

खापों में एक बार मुखिया चुन लिया गया तो इस का मतलब होता है उस की धौंस, उस की उगाही, उस की बेगार कराने की ताकत. एक देश एक चुनाव जिसे एक ‘बार’ चुनाव कहना ठीक होगा. इसी ओर एक कदम है. फिर तो जैसे इंद्र अपनी गद्दी बचाने के लिए मेनकाओं का और वज्रों का इस्तेमाल करता था, भाजपा का एक बार चुना गया नेता करेगा. रूस के पुतिन और चीन के शी जिनपिंग ने 2 बड़े देशों को अब पतन की राह पर ले जाना शुरू कर दिया है. लाखों अमीर, पढ़ेलिखे रूसीचीनी भाग रहे हैं, फिर लाखों भारतीय भी भागेंगे.

Anupamaa के नए प्रोमो को देख भड़के लोग, कहा- बंद करो शो

Anupamaa Trolling : स्टार प्लस के सबसे पसंदीदा शो “अनुपमा” के हर एक एपिसोड को लोगों का खूब प्यार मिलता हैं. लेकिन इस समय शो में जो ट्रैक दिखाया जा रहा है. उसे देखने के बाद दर्शक भड़क गए हैं.

दरअसल बीते दिनों शो का नया प्रोमो जारी किया गया. इसमें दिखाया गया है कि पाखी के घर से गायब होने के बाद शाह और कपाड़िया दोनों फैमिली में बूरी तरह बवाल मच जाता है. जहां एक तरफ पाखी के गायब होने के पीछे अधिक, अनुपमा को दोषी ठहराने की कोशिश करता है. तो वहीं दूसरी तरफ बाकी घरवालों को शक है कि अधिक ने पाखी को गायब किया है. हालांकि ये प्रोमो अनुपमा के लॉयल फैंस को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया है. उन्होंने एक बार फिर शो को बंद करने की मांग उठाई है.

लोग ने शो को बताया इरिटेटिंग

आपको बता दें कि जब से शो (Anupamaa trolling) का नया प्रोमो जारी किया गया है तभी से दर्शक भड़के हुए हैं. जहां एक यूजर ने लिखा है, ”इतने बकवास-बकवास ट्रैक्स कहां से लाते हो? अभी तो वो मालती देवी का भी नाटक बाकी है. एक बार फिर अनुपमा उसे घर लेआएगी और वो फिर से अनुपमा-अनुज की जिंदगी खराब करेगी और फिर से अनुपमा महान बनेगी, कितना प्रिडिक्टिबल है.” वहीं एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘मेरी जिंगदी का सबसे बेकार शो है ये.’ एक और यूजर ने लिखा- ”अब ये शो इरिटेटिंग हो गया है.”

पहले भी शो को बंद करने की उठी थी मांग

इसके अलावा एक यूजर ने तो शो (Anupamaa trolling) को बंद करने की बात ही कह डाली. उसने लिखा, ‘इसी ड्रामे की वजह से शो की टीआरपी प्रतिदिन गिरती जा रही है. अगर आपके पास कोई अच्छी स्टोरी नहीं है तो इस बकवास को बंद कर दीजिए.’

आपको बताते चलें कि इससे पहले भी शो को बंद करने की मांग उठी थी. लोगों का कहना है कि अगर मेकर्स के पास कोई अच्छी स्टोरी नहीं बची है तो बकवास दिखाने से अच्छा है कि सीरियल को बंद कर दिया जाए.

“इंडिया” से क्यों बौखलाए हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ?

यह एक दफा फिर साफ दिखाई दे रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सभी विपक्षी दलों की एकता और इंडिया नाम रखे जाने से बौखलाहट और घबराहट है. इसका सबूत यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमा मय व्यक्तित्व और “राष्ट्रपति पद” को उनकी सरकार ने कटघरे में खड़ा कर दिया. इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जो पहली बार राष्ट्रपति भवन से एक आमंत्रण पत्र में इंडिया की जगह भारत शब्द का उपयोग किया गया.

दरअसल, सच्चाई यह है कि 2023 में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं और 2024 में देश में लोकसभा का चुनाव. ऐसे में नरेंद्र मोदी की सरकार विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा के समानान्तर “इंडिया” नाम रखकर जिस तरह एकजुट हुई है उससे घबरा गए यह एक दफा फिर सिद्ध हो गया. भारत का नाम दुनिया के देशों के सामने नीचे करते हुए हुआ यह की जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसीडेंट आफ भारत’ प्रकाशित कर केंद्र सरकार में यह सिद्ध कर दिया कि उसकी सोच कितनी छोटी और तुच्छ नरेंद्र मोदी की सरकार किसी को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही है.

कहा जाता है कि अगर आप बड़े हैं तो आपका हृदय भी विशाल होना चाहिए बड़प्पन इसी में है, मगर नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह का व्यवहार विपक्ष के साथ और देश की जनता के साथ कर रहे हैं उसे अगर गहराई से महसूस किया जाए तो वह ना कबीले तारीफ होगा.

नोटबंदी हो या फिर जीएसटी का मामला हर एक फैसले में उन्होंने उन्होंने मानो अपने पैरों तले सब कुछ रौंद दिया. यह एक बार प्रमाणित रूप से सिद्ध हो गया जब राष्ट्रपति भवन से आमंत्रण पत्र पर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ आमंत्रण सामने आया, यह पहली दफा हुआ है. जब प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है. यही कारण है कि जहां नरेंद्र मोदी की देश भर में आलोचना शुरू हो गई वही सच तो यह है कि भारत के राष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद और शख्सियत को भी केंद्र सरकार ने दांव पर लगा दिया.

कांग्रेस ने इसे देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया है और दावा किया कि विपक्षी गठबंधन इंडिया से डर एवं नफरत के कारण सरकार देश का नाम बदलने में जुट गई है. यह आपत्ति कांग्रेस ने एक्स पर जाहिर की.

कांग्रेस ने कहा कि कहा-” विपक्षी गठबंधन ‘बांटने वाली’ इस राजनीति के सामने नहीं झुकेगा और वह जीत हासिल करेगा.” कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया -” भाजपा का विध्वंसक दिमाग सिर्फ यही सोच सकता है कि लोगों को कैसे बांटा जाए. एक बार फिर वे ‘इंडियंस’ और भारतीयों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं। स्पष्ट है कि हम सभी एक है! जैसा कि अनुच्छेद 1 कहता है इंडिया, – जो भारत है, राज्यों का एक संघ होगा, यह तुच्छ राजनीति है क्योंकि वे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की वजह से बेचैन हो गई है भाजपा.”

राजद नेता मनोज झा ने कहा -” भारतीय जनता पार्टी विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की वजह से बेचैन हो गई है. लोग जल्द ही उन्हें सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएंगे.” मनोज झा ने आगे कहा-” आप ‘रिपब्लिक आफ इंडिया’ को ‘रिपब्लिक आफ भारत’ में बदलने के लिए प्रस्ताव ला रहे हैं। ‘इंडिया’ से डरते हैं. जो करना है कर लो मोदी जी जुड़ेगा भारत, जीतेगा इंडिया !”

कांग्रेस के बड़े चेहरे शशि थरूर ने कहा -” इंडिया को ‘भारत’ कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, जो कि देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है. इतिहास को फिर से जीवंत करने वाले नाम, दुनिया भर में पहचाने जाने वाले नाम पर अपना दावा छोड़ने के बजाय हमें दोनों शब्दों का उपयोग जारी रखना चाहिए.”

देश का नाम बदलने का अधिकार किसी को नहीं

देश के वयोवृद्ध नेता और जिनका सम्मान नरेंद्र मोदी भी करते रहे हैं राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने इंडिया नाम बदले जाने पर आपत्ति करते हुए महत्वपूर्ण बात कही -” किसी को भी देश का नाम बदलने का अधिकार नहीं है.” उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस के उस दावे के बाद आई है कि जी -20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को ‘प्रेसीडेंट आफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसीडेंट आफ भारत’ कहकर संबोधित किया गया है. शरद पवार ने तल्ख लहजे में कहा है -” मुझे समझ नहीं आता कि सत्तारूढ़ दल देश से संबंधित नाम को लेकर क्यों परेशान है.”

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने दावा किया कि जी-20 सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र में ‘रिपब्लिक आफ इंडिया’ की जगह ‘रिपब्लिक आफ भारत’ लिखा जाना प्रधानमंत्री मोदी की बौखलाहट नहीं, बल्कि सनक है. उन्होंने कहा -” वे ‘इंडिया’ से घबराते हैं यह तो हमें पता था, पर इतनी नफरत कि देश का नाम ही बदलने लग जाएंगे.”

दरअसल, वर्तमान केंद्र सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंधेरे की और जाती हुई एक भटकी हुई सरकार है जो अपनी गलत उद्देश्य के कारण देश को भी अंधेरे की ओर ले जा रही है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें