परमिंदर कौर जालंधर के पृथ्वीनगर के मकान नंबर एन-ए-28 में रहती थी. उस के पति इकबाल सिंह दुबई के बहरीन में रहते थे. वहां वह किसी विदेशी कंपनी में नौकरी करते थे. उस की 2 बेटियां थीं, बड़ी 30 वर्षीया कमलप्रीत कौर और छोटी 26 वर्षीया रंजीत कौर. बड़ी बेटी कमलप्रीत कौर की शादी उस ने सन् 2001 में न्यूबलदेवनगर के मकान नंबर 197 में रहने वाले सुरजीत सिंह के सब से छोटे बेटे गुरमीत सिंह के साथ कर दी थी.

रंजीत कौर की अभी शादी नहीं हुई थी. वह जालंधर के पटेल अस्पताल में स्टाफ नर्स थी और मां के साथ रहती थी. कमलप्रीत कौर के पति की मौत हो चुकी थी. वह अपनी 2 बेटियों, 12 वर्षीया खुशप्रीत कौर और 10 वर्षीया राजवीर कौर के साथ ससुराल में रहती थी.

4 मार्च, 2014 की दोपहर 2 बजे के लगभग कमलप्रीत कौर अपनी मैरून कलर की एक्टिवा स्कूटर से गई तो लौट कर नहीं आई. जब इस बात की जानकारी परमिंदर को हुई तो उस ने बेटी को फोन किया. कमलप्रीत के पास 2 फोन थे. दोनों ही फोनों की घंटी बजती रही, लेकिन फोन उठा नहीं. इस के बाद रात को दोनों फोन बंद हो गए.

अगले दिन सवेरा होते ही परमिंदर कौर बेटी की तलाश में निकल पड़ी. उस ने नातेरिश्तेदार, जानपहचान वालों के यहां ही नहीं, हर उन संभावित जगहों पर बेटी को तलाशा, जहां उस के मिलने की संभावना थी. लेकिन कमलप्रीत का कहीं पता नहीं चला.

कमलप्रीत का कहीं कुछ पता नहीं चला तो परमिंदर कौर ने जालंधर के थाना डिवीजन नंबर 8 में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. कमलप्रीत के ढूंढ़ने की जिम्मेदारी ड्यूटी पर तैनात एएसआई अजमेर सिंह को सौंपी गई. यह 4-5 अप्रैल, 2014 के मध्यरात्रि की बात है.

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