यह एक दफा फिर साफ दिखाई दे रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश के सभी विपक्षी दलों की एकता और इंडिया नाम रखे जाने से बौखलाहट और घबराहट है. इसका सबूत यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमा मय व्यक्तित्व और "राष्ट्रपति पद" को उनकी सरकार ने कटघरे में खड़ा कर दिया. इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ जो पहली बार राष्ट्रपति भवन से एक आमंत्रण पत्र में इंडिया की जगह भारत शब्द का उपयोग किया गया.

दरअसल, सच्चाई यह है कि 2023 में पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हैं और 2024 में देश में लोकसभा का चुनाव. ऐसे में नरेंद्र मोदी की सरकार विपक्ष की बढ़ती लोकप्रियता और भाजपा के समानान्तर "इंडिया" नाम रखकर जिस तरह एकजुट हुई है उससे घबरा गए यह एक दफा फिर सिद्ध हो गया. भारत का नाम दुनिया के देशों के सामने नीचे करते हुए हुआ यह की जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को 'प्रेसीडेंट आफ भारत' प्रकाशित कर केंद्र सरकार में यह सिद्ध कर दिया कि उसकी सोच कितनी छोटी और तुच्छ नरेंद्र मोदी की सरकार किसी को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही है.

कहा जाता है कि अगर आप बड़े हैं तो आपका हृदय भी विशाल होना चाहिए बड़प्पन इसी में है, मगर नरेंद्र दामोदरदास मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद जिस तरह का व्यवहार विपक्ष के साथ और देश की जनता के साथ कर रहे हैं उसे अगर गहराई से महसूस किया जाए तो वह ना कबीले तारीफ होगा.

नोटबंदी हो या फिर जीएसटी का मामला हर एक फैसले में उन्होंने उन्होंने मानो अपने पैरों तले सब कुछ रौंद दिया. यह एक बार प्रमाणित रूप से सिद्ध हो गया जब राष्ट्रपति भवन से आमंत्रण पत्र पर इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ आमंत्रण सामने आया, यह पहली दफा हुआ है. जब प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा गया है. यही कारण है कि जहां नरेंद्र मोदी की देश भर में आलोचना शुरू हो गई वही सच तो यह है कि भारत के राष्ट्रपति जैसे गरिमामय पद और शख्सियत को भी केंद्र सरकार ने दांव पर लगा दिया.

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