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शाह परिवार पर फिर एहसान करेगी Anupamaa, भड़क जाएगी डिंपी

Anupamaa Upcoming Twist : छोडे पर्दे पर रुपाली गांगुली और गौरव खन्ना का शो अनुपमा धमाल मचा रहा है. लगातार सीरियल की टीआपी बढ़ती जा रही हैं. शो में रोजाना दर्शकों को नए-नए ट्विस्ट एंड टर्न्स देखने को मिलते रहते हैं. अब एक बार फिर सीरियल में नया ट्विस्ट आने वाला है. दरअसल शो में जल्द ही माया का चैप्टर खत्म होने वाला है लेकिन अनुपमा की तकलीफें कम नहीं होंगी. बल्कि उसकी जिंदगी में एक नया तूफान आने वाला है.

अनुपमा के लिए वनराज गाएगा गाना

बीते एपिसोड में मेकर्स ने इस बात का हिंट दिया था कि अब आगे अनुपमा की जिंदगी में तूफान आएगा, जिससे उसका परिवार टूट सकता है. इसके आगे दिखाया जाएगा कि, अनुपमा सरप्राइज देख कर भावुक हो जाएगी और कहेगी, ‘अब लग रहा है कि जब इतना कुछ होने के बाद मैं अब यहां तक पहुंच गई हूं तो आगे भी कर लूंगी. धन्यवाद, मुझे इतनी सुंदर यादें देने के लिए.’

इसके बाद वनराज गिटार लेकर स्टेज पर चला जाएगा और कहेगा, ‘मैं जानता हूं तुम्हें मेरा गाना बहुत पंसद है लेकिन मैंने तुम्हारे लिए कभी भी कोई गाना नहीं गाया और अगर गाया भी है तो दिल से नहीं गाया. पर आज मैं तुम्हारे लिए पूरे दिल से गाना गाना चाहता हूं.’  इसके बाद वनराज ‘रुक जाना नहीं’ गाना अनुपमा के लिए गाता है.

शाह हाउस में फिर आएंगी खुशियां

वनराज का गाना खत्म होते ही सब लोग बातें करने लगेंगे. इसके बाद जहां एक तरफ, पारितोष और समर मिलकर पाखी और अधिक को पास लाने की कोशिश करेंगे. तो वहीं दूसरी तरफ अनुपमा, काव्या को शाह हाउस लौटने के लिए समझाती है. काव्या, अनुपमा की बात मान जाती है और शाह हाउस जाने के लिए तैयार हो जाती है. काव्या का फैसला जानने के बाद बा और वनराज खुश हो जाएंगे. वे अनुपमा से कहते हैं, ‘तूने जाते-जाते हमारे घर में खुशियां भर दीं. थैंक्यू अनुपमा. आज हमने तुम्हे जितनी खुशियां दी तुमने हमें उससे कहीं ज्यादा खुशियां दे दी. ‘

अधिक को पाखी के खिलाफ भड़काएगी डिंपी

हालांकि काव्या के शाह हाउस आने की खबर सुनने के बाद डिंपी भड़क जाती है. वह मन ही मन कहती है, ‘काव्या आ रही है मतलब पापा का रूम भी गया. वैसे ही यहां बहुत काम हैं और अब एक प्रेग्नेंट लेडी की जिम्मेदारी… हाय रब्बा मैं कहां फंस गई.’

इतना ही नहीं डिंपी अपनी भड़ास अधिक पर भी निकालती है. वह अधिक को पाखी के खिलाफ भड़काती है. इसके अलावा वह कहती है, ‘एक बार मम्मी अमेरिका चली जाएं फिर मैं इस पाखी के सारे पुर्जे सही जगह सही तरीके से फिट कर दूंगी.’ डिंपी की बातों से अब ऐसा लग रहा है कि आने वाले एपिसोड़ में डिंपी, अनुपमा और शाह परिवार के लिए मुसीबत खड़ी करेगी.

‘कोई मिल गया’ के बाद डिप्रेशन में चले गए थे Rajat Bedi, सालों बाद बताई इंडस्ट्री छोड़ने की वजह

Rajat Bedi : हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता रजत बेदी को किसी पहचान की जरूरत नहीं है. बेशक अभी उन्होंने फिल्मों से दूरी बना रखी है लेकिन आए दिन वह स्पॉट होते ही रहते हैं. फिल्म ‘कोई मिल गया’ में राज सक्सेना का किरदार निभाने के बाद रजत को काफी प्रसिद्धि मिली थी क्योंकि ये फिल्म ब्लॉकबस्टर रही थी. हालांकि इसकी वजह से वह डिप्रेशन में भी चले गए थे.

दरअसल हाल ही में एक्टर (Rajat Bedi) ने खुद खुलासा किया है कि वह ‘कोई मिल गया’ के बाद डिप्रेशन में चले गए थे. इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि आखिर क्यों उन्होंने इंडस्ट्री को छोड़ने का फैसला लिया था ?

एक्टर ने एक्टिंग से क्यों लिया ब्रेक?

मुकेश खन्ना को दिए एक इंटरव्यू में रजत बेदी (Rajat Bedi) ने बताया कि ‘कोई मिल गया’ फिल्म में ऋतिक रोशन और प्रीति जिंटा के साथ उनके कई सीन्स काटे गए थे, जिससे वह बहुत निराश थे. उन्होंने कहा, ”भले ही राकेश रोशन के डायरेक्शन में बनी ‘कोई मिल गया’ सुपरहिट रही, लेकिन वो फिल्म के आखिरी सीन्स के कट जाने से काफी निराश थे.” इसी वजह से उन्होंने एक्टिंग से ब्रेक लेने का सोचा और अपनी नई जिंदगी की शुराआत की. इसके लिए वह कनाडा चले गए.

प्रमोशन से रखा गया था दूर

इसके अलावा उन्होंने (Rajat Bedi) बताया कि, जब ‘कोई मिल गया’ की टीम प्रमोशन के लिए अलग-अलग पर जगह जा रही थी तो तब भी उन्हें इसका हिस्सा नहीं बनाया गया था. रजत ने खुलासा करते हुए कहा, ‘मेरी सबसे बड़ी निराशा की वजह ये थी कि जब फिल्म रिलीज हुई तो उन्होंने मुझे इसके प्रमोशन से पूरी तरह से अलग कर दिया था।’ इसके आगे उन्होंने कहा, ‘एक अभिनेता के रूप में हमारी भी कुछ अपेक्षाएं होती हैं.’

इन फिल्मों में निभाया अहम किरदार

बता दें कि, ‘कोई मिल गया’ फिल्म के अलावा रजत बेदी ने कुछ और फिल्मों में भी काम किया है. उन्होंने इंटरनेशनल खिलाड़ी, गोल गप्पे, द ट्रेन और हेरा फेरी जैसी सुपरहिट फिल्मों में अहम किरदार निभाया है.

नहीं बिक पाई धर्मार्दी फिल्म आदिपुरुष

यह फिल्म बनाई ही क्यों गई, सब से पहले इसी पर सवाल होने चाहिए. धर्म के नाम पर पैसाउगाई पहले मंदिरों तक सीमित था, आजकल टीवी चैनलों, टीवी धारावाहिकों से ले कर सिनेमा में भी खूब होने लगा है.

न‘आदिपुरुष’ रामायण के राजकुमार राम लक्षमण सीता की कथा है न कोई मनोरंजन देने वाली. ओम के आदिपुरुष में सीता, राम और लक्ष्मण की कहानी नहीं है. उस ने राघव, जानकी, शेष, बजरंग और लंकेश की कहानी को चुना है.

फिल्म की कहानी और पटकथा लिखने वालों ने खूब छूट ली है, जो वैसे फिल्मकारों का हक़ पर पर जो लिखा है वह दर्शक देखना नहीं चाहते हैं क्योंकि वे तो भगवान राम का गुणगान देखना चाहते हैं.

दशकों से रामकथा को मंच पर टीवी धारावाहिकों और फिल्मों में आम जनता को बारबार दिखाया गया है. रामचरितमानस में रामकथा के माध्यम से ब्राह्मण श्रेष्टता के कसीदे गढ़े गए हैं. इस फिल्म में निर्देशक राम की पूरी कहानी नहीं रावण द्वारा सीताहरण से ले कर रावण के मारे जाने तक की कहानी कही है, उस ने किरदारों को अपने नजरिए से पेश किया है, जो भक्ति भाव वालों को पसंद नहीं आएगी और जो रामकथा को एक राजा की कहानी मात्र मानते हैं वे भी संतुष्ट नहीं होंगे.

फिल्म शुरू होते ही ‘सिया रामसियाराम जयजय राम’का स्तुतिगान किया गया है. जो फिल्म की मूल मंशा के खिलाफ है. इस फिल्म में अगर रामनाम का प्रचार करवाने का प्रयास था तो दाल नहीं गली.

निर्देशक ने राम और उस के परम भक्त हनुमान को आज के माहौल का दिखा कर क्रिएटिविटी दिखाने की कोशिश की पर पूरी फिल्म भी ऐसी होनी चाहिए थी जिस में जय श्री राम जय श्री राम के नारों की जरूरत नहीं होती. सड़क छाप संवादों को लेना अपनेआप में गलत नहीं है क्योंकि फिल्म 2023 में बनी है पर जो आदर्श भाव लोगों के मन में बैठा है उस से यह मेल नहीं खाता.

फिल्म की भाषा में जो प्रयोग किए गए हैं अगर पूरी फिल्म में किए जाते तो यह कब की बैन हो चुकी होती. राम लक्षमण सीता हनुमान जैसे पात्रों का जो चित्रण वाल्मीकि रामायण में किया गया है यदि उसे 21वीं सदी में ला कर कहने का प्रयोग ओम राउत करते तो उन्हें धार्मिक भावनाओं के ठेस पहुंचाने के नाम पर वर्षों बिना जमानत जेल भेज दिया जाता. जो शब्द वाल्मीकि रामायण में इन पात्रों ने संस्कृत में कहे हैं उन का पटरी की भाषा में अनुवाद किया जाए तो वैसा सा ही होगा जो आदिपुरुष में होगा पर वह फिल्म राम विरोधी होगी. राम का गुणगान करने और भगवान के पद पर बैठाने वाली नहीं.

हनुमान बने किरदार में अशोक वाटिका में रावण उस से अबेतबे कर के बात करता है, ‘तेरी बूआ का बगीचा है कि टहलने चला आया.’हनुमान का भी मजाक उड़ाया गया है, ‘अपने बंदरों को ले कर निकल यहां से.’

इस तरह के वाक्य कई रामायणों में ही नहीं होते मंचों में होनी वाली रामलीलाओं में भी बोले जाते हैं पर जब फिल्म में जानबूझ कर बारबार जय श्री रामका उद्घोष किया गया है तो लगता है कि निर्देशक पटकथा लेखक एकदम दोगले और दिशाहीन हैं.

मध्यांतर तक फिल्म सुंदर कांड ही पार करती है. मध्यांतर के बाद लंका कांड है जो अपनेआप में एक कांड से कम नहीं है. ‘अवेटार’ जैसी फिल्मों से प्रेरित, चमगादड़ जैसे पुष्पक विमान, चमगादड़ों की फौज दिखा कर कंप्यूटर ग्राफिक्स और वीएफएक्स पर करोड़ों रुपए स्वाहा किए गए हैं. फिर भी ये सीन अपना असर नहीं छोड़ पाते.

गीतसंगीत कमजोर रहा. हां, इस फिल्म को देख कर गलीमहल्लों की रामलीला की याद ताजा हो आती है पर आज का अंधविश्वासी तर्क व तथ्यों से दूर हो चुका दर्शक इसे पचा नहीं पाएगा.

अपमान के बदले : रामप्रकाश को क्यों मिल रही है गालियां ?

“अंबर (रामपाल को घर में सभी अंबर कहते थे) तुम्हारे और बड़े भइया के बीच हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है, अब क्या हो गया?” रामप्रकाश ने पलट कर जवाब में कहा. “पहले तो वह कह रहे थे कि मेरी शादी में सारा खर्च वह करेंगे. लेकिन गहने बनवाने लगे तो 40 हजार रुपए मुझ से ले लिए.

उस समय मैं ने पिंटू से 70 हजार रुपए ले कर उस में से 40 हजार रुपए उन्हें दिए थे. अब वह अपने पैसे मांग रहे हैं. मैंने भइया से कुछ रुपए देने को कहा तो उन्होंने मुझे गाली दे कर भगा दिया.” “अंबर, तुम भइया का स्वभाव अच्छी तरह जानते हो. उन की आदत ही ऐसी है. इस में नाराज होने की कोई बात नहीं है.”

रामप्रकाश ने छोटे भाई रामपाल को समझाने के उद्ïदेश्य से कहा. लेकिन रामपाल समझने के बजाय रामप्रकाश को भी बड़े भाई राजकुमार के खिलाफ भडक़ाते हुए बोला, “तुम भइया को जितना सीधा समझते हो, वह उतने सीधे हैं नहीं. तुम तो उन की ओर से आंखें मूंदे हुए हो, इसलिए उन की बुराई तुम्हें दिखाई
नहीं देती. गांव वाले क्या कहते हैं, तुम्हें पता है? पूरे गांव में चर्चा है कि रंजना भाभी और बड़े भइया के बीच गलत संबंध है.”

रामपाल का इतना कहना था कि रामप्रकाश को गुस्सा आ गया. वह थोड़ी ऊंची आवाज में बोला, “तुम्हारा दिमाग तो ठीक है अंबर, तुम झूठ कह रहे हो. भइया ऐसा काम नहीं कर सकते. उन पर इस तरह का घिनौना आरोप लगा कर तुम मेरी नजरों में गिर गए.”

“अगर तुम सच देखना चाहते हो तो जब बड़े भइया तुम्हें और आशा भाभी को किसी रिश्तेदार के यहां भेजें तो रात में अचानक आ कर तुम देख लेना, बड़े भइया भाभी रंजना के साथ मिलेंगे.” रामपाल ने ने भी थोड़ी ऊंची आवाज में कहा. छोटे भाई की इस बात से नाराज हो कर रामप्रकाश पैर पटकता हुआ चला गया. उस के पीछेपीछे रामपाल भी चला गया.

रामपाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना माल के गांव थावर में अपने बड़े भाइयों राजकुमार और रामप्रकाश के साथ रहता था. राजकुमार मूलरूप से लखनऊ के ही थाना मलिहाबाद के गांव चौसझा का रहने वाला था. 20 साल पहले वह अपना गांव छोड़ कर थावर आ गया था और यहीं रहने लगा था. यहां वह अपनी क्लिनिक चलाता था. उस ने बीयूएमएस की डिग्री ले रखी थी.

उस की क्लिनिक ठीकठाक चलने लगी थी तो उस ने अपने दोनों भाइयों रामप्रकाश और रामपाल को भी यहीं बुला लिया था. इस तरह तीनों भाई एक साथ रहने लगे थे. राजकुमार ही पूरे परिवार की देखभाल करता था. उस के दोनों ही भाई उम्र में उस से काफी छोटे थे.

राजकुमार की शादी आशा के साथ हुई थी. शादी के कई सालों के बाद भी जब उसे खुद की कोई संतान नहीं हुई तो उस ने सन 2006 में अपनी साली रंजना की शादी अपने छोटे भाई रामप्रकाश से करा दी थी. शादी के बाद रंजना को 2 बेटे, 6 साल का तुषार, 3 साल का ईशान और 4 माह की एक बेटी अनिष्का थी. रंजना ब्यूटीपार्लर का कोर्स किए हुए थी, इसलिए राजकुमार ने उसे घर के ही एक कमरे में ब्यूटीपौर्लर खुलवा दिया था.

कुछ दिनों पहले राजकुमार ने अपने सब से छोटे भाई रामपाल की शादी कराई थी. उस की शादी में उन्होंने करीब एक लाख रुपए के गहने बनवाए थे. शादी के समय राजकुमार ने रामपाल से कहा था कि शादी के खर्च में वह भी कुछ मदद करे. तब रामपाल ने इधरउधर से पैसों का जुगाड़ कर के राजकुमार को 40 हजार रुपए दिए थे.

न जाने क्यों राजकुमार और उस की पत्नी आशा रामपाल को पसंद नहीं करते थे. रामपाल को इस बात का अहसास भी था. भाईभाभी के इस व्यवहार से उसे लगता था कि भइया मंझले भाई रामप्रकाश और उस की पत्नी रंजना को ही अपनी सारी जायदाद देंगे. रामपाल में कुछ बुरी आदतें थीं, जिस की वजह से उस ने कई लोगों से कर्ज ले रखा था. कर्ज चुकाने के लिए वह जब भी बड़े भाई राजकुमार से पैसे मांगता, वह उसे बेइज्जत कर के भगा देता था.

रामपाल ने मंझले भाई रामप्रकाश के मन में शंका का बीज डाल दिया था. एक दिन रामप्रकाश की रिश्तेदारी में शादी थी. राजकुमार ने अपनी पत्नी आशा से कहा कि वह रामप्रकाश और दोनों बेटों को ले कर शादी में चली जाए. आशा ने वैसा ही किया. रामप्रकाश ने अपनी पत्नी रंजना से भी शादी में चलने को कहा तो उस ने सुबह ब्यूटीपौर्लर खोलने का बहाना कर के शादी में जाने से मना कर दिया.

इस बात से रामप्रकाश की शंका यकीन में बदल गई. उसे रामपाल की बात सच लगी. वह भाभी आशा और दोनों बेटों को लेकर शादी में चला तो गया, लेकिन सभी को वहां छोड़ कर रात में चुपके से घर आ गया. घर पहुंच कर उस ने पत्नी रंजना और बड़े भाई राजकुमार को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया. इस के बाद उसे पत्नी रंजना और बड़े भाई से नफरत हो गई.

इस के बाद वह बड़े भाई से बदला लेने के लिए छोटे भाई रामपाल से मिल गया. अपने अपमान का बदला लेने के लिए दोनों भाइयों ने बड़े भाई की हत्या की योजना बना डाली. 5 नवंबर की रात करीब ढाई बजे रामपाल मोटरसाइकिल से थावर पहुंचा. योजना के अनुसार, रामप्रकाश ने घर का दरवाजा पहले से ही खोल रखा था. रामपाल घर में घुसा और क्लीनिक में हंसिया और बांका ले कर छिप गया.

इस के बाद रामप्रकाश ने पीठ में दर्द होने की बात कह कर रंजना को इंजेक्शन लाने के लिए कहा. रंजना जैसे ही उठ कर क्लीनिक की ओर गई, वहां छिपे रामपाल ने उसे पकड़ लिया और ब्यूटीपौर्लर वाले कमरे में घसीट ले गया. उस के पीछेपीछे रामप्रकाश भी वहां पहुंच गया तो दोनों ने उसे खत्म कर दिया. इस के बाद दोनों पहली मंजिल पर गए, जहां राजकुमार पत्नी आशा के साथ सो रहा था.

दोनों ने पहले आशा पर वार किया. आशा की चीख से राजकुमार जाग गया तो दोनों उस पर टूट पड़े. जब रामपाल और रामप्रकाश को लगा कि दोनों मर गए हैं तो रामप्रकाश ने बांका और हंसिया घर के बाहर फेंक दिया और रामपाल को भाग जाने को कहा. जब रामपाल भाग गया तो वह दरवाजा खोल कर चिल्लाने लगा कि घर में बदमाश घुस आए हैं.

शोर सुन कर गांव वाले इकट्ïठा हो गए. उस समय राजकुमार कराह रहा था, लेकिन अस्पताल ले जाते समय उस की मौत हो गई. रामप्रकाश ने गांव के ही 2 लोगों, राजाराम और प्रेमरैदास के खिलाफ हत्या का शक जताते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने जांच की तो नामजद लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला.

मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर ने इस हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए पुलिस पर दबाव डाला तो गांव वालों ने भी सडक़ जाम कर के पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. तब लखनऊ के एसएसपी राजेश कुमार पांडेय ने थाना माल के थानाप्रभारी विनय तिवारी, एसएसआई गणेश तिवारी, क्राइम ब्रांच के भगवान सिंह, अनिल सिंह चंदेल और हमीदउल्ला की एक टीम बनाई, जिस का नेतृत्व मलिहाबाद के सीओ जावेद खान को सौंपा.

आखिर 4 दिनों के बाद 9 नवंबर को इस टीम ने राजकुमार, आशा और रंजना की हत्या के आरोप में राजकुमार के दोनों सगे भाई रामप्रकाश और रामपाल को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में रामपाल और रामप्रकाश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

दरअसल, जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची थी तो वहां लूट का कोई सबूत नहीं मिला था. आसपड़ोस वालों ने बदमाशों के आनेजाने की भी आवाज नहीं सुनी थी. रामपाल जब वहां पहुंचा था तो उसे देख कर ही लग रहा था कि वह अभीअभी नहा कर आया है. उस के बाल भी गीले थे. नहाने वाली जगह पर भीगा तौलिया मौजूद था. उस पर खून के कुछ दाग भी लगे थे.

रामप्रकाश ने बताया था कि बदमाशों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था, लेकिन जब पुलिस ने गांव वालों से पूछा कि घर का दरवाजा किस ने खोला था तो कोई सामने नहीं आया. इस से पुलिस को लगा कि हत्या में घर वालों का ही हाथ है. बाद में पूछताछ में ये बातें सामने आ गईं. पूछताछ में रामप्रकाश ने कहा, “मैं भाभी आशा को बहुत मानता था. वह हमें भी बेटे की तरह मानती थीं. रंजना उन की सगी छोटी बहन थी. उन्हें रंजना की हत्या में मेरे शामिल होने का पता चलता तो वह हमारे खिलाफ हो जातीं. रंजना ने जो किया था, मुझे उस बात से उस से चिढ़ हो गई थी. इस हालत में न चाहते हुए भी मुझे भाभी की हत्या करनी पड़ी.”
पूछताछ के बाद पुलिस ने रामपाल और रामप्रकाश को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था, कथा लिखे जाने तक दोनों भाई जेल में थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

हमारे रिश्ते में प्यार की कमी खल रही है, अब मैं क्या करूं?

सवाल

हमारी शादी हुए 2 महीने हुए हैं. हम बेंगलुरु में शिफ्ट हो गए हैं क्योंकि दोनों की जौब वहीं लग गई है. दोनों अलगअलग आईटी कंपनी में हैं. सब अच्छा है. अच्छा घर, अच्छा माहौल, अच्छी जौब, अच्छा पैसा. बस, कमी खल रही है तो प्यार की. रिश्ते में कुछ अधूरापन सा महसूस हो रहा है. रूटीन लाइफ ने जैसे एक नीरसता ला दी है लाइफ में. शादी की शुरुआत में यह हाल है तो आगे न जाने क्या होगा. डर लग रहा है कि कहीं हमारा रिश्ता टूटने की कगार पर न पहुंच जाए. मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहता. क्या करूं, कुछ सु?ाइए.

जवाब

आप दोनों की नईनई शादी हुई है लेकिन अपनी लाइफ सैट करने के चक्कर में आप दोनों भूल गए हैं कि आप को एकदूसरे के लिए पूरापूरा समय निकालना है. काम, औफिस जरूरी है लेकिन आप दोनों के रिश्ते से बढ़ कर नहीं. औफिस से घर आ कर आप दोनों को बस वह वक्त अपने दोनों के लिए खास बनाना है. इतना खास कि आप के दिमाग में रहे कि शाम को वक्त से घर पहुंचना है, यह जोश दिल में भरा रहना चाहिए.

आप दोनों को रोजाना औफिस से आने के बाद अपना क्वालिटी टाइम एकदूसरे के साथ बिताना है. इवनिंग वौक एक बैस्ट औप्शन है. उस वक्त फोन में न उल?ों. एकदूसरे का हाथ पकड़ कर कुछ कदम चलें. पूरा समय पार्टनर को दें और अपनी तमाम दिनभर की बातें बताएं. इस से प्यार भी जाहिर होगा और रिश्ता भी मजबूत होगा.

आप की पत्नी भी वर्किंग हैं और वर्कप्लेस से लौटने के बाद घर की जिम्मेदारियों को भी संभालती हैं तो ऐसे में आप अगर उन्हें सहयोग करेंगे तो उन्हें बहुत अच्छा महसूस होगा. उन्हें लगेगा कि आप उन के बारे में कितना सोचते हैं और उन से कितना प्यार करते हैं.

आप की पार्टनर आप के लिए बहुत कुछ करती है, लेकिन आप कभी उसे थैंक्यू नहीं कहते क्योंकि आप के दिमाग में एक बात रहती है कि यह तो उस का काम है. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए. वह अगर पूरे समर्पण से आप की खुशियों का खयाल रखती है तो समयसमय पर उसे थैंक्यू बोलना बहुत जरूरी है.

जरूरी नहीं कि हर बार आप अपने पार्टनर को महंगा गिफ्ट दे कर ही प्यार का एहसास कराएं. अगर आप उसे अचानक से एक गुलाब भी ला कर देते हैं तो आप की पार्टनर इस से बहुत खुश होगी. यह गुलाब आप के रिश्ते में नई ऊर्जा भर देगा.

कई बार हम जानेअनजाने गलतियां कर बैठते हैं, जिस से पार्टनर का मन भी दुखी हो जाता है. ऐसे में सौरी कह देने से आप छोटे नहीं हो जाएंगे. अगर आप ने गलती की है तो अपनी गलती को मान कर सौरी बोलना सीखिए. इस से आप का रिश्ता और बेहतर होगा और पार्टनर की नाराजगी दूर हो जाएगी. बस, आज से ही शुरू हो जाइए और ये दोचार बातें अपना कर अपनी लाइफ में स्पार्क लाइए.

रिश्तों में जरूरी है आपसी समझ, नहीं तो हो सकती है कई परेशानियां

संबंधों का मतलब है साथ सहयोग द्वारा जीवनयात्रा का आनंद प्राप्त करना, समस्याओं का मिलजुल कर हल निकालना और सही मंजिल तक पहुंचना. खासकर, पतिपत्नी को एकदूसरे का पूरक बन कर रहना. आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं की आग तीक्ष्ण न बने, यह देखने की जिम्मेदारी पतिपत्नी दोनों की ही है परंतु कुछ लोग स्वभाव से पलायनवादी होते हैं. इस स्थिति में भ्रम अधिक पैदा होता है, जिस से संबंधों में तनाव बढ़ता है. यह पलायनवाद जीवन में अलगअलग मौके पर अलगअलग असर डालता है.

परिवार में आर्थिक जिम्मेदारी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है. बिल, बच्चों की फीस, दवा और घर के रूटीन खर्च को व्यवस्थित रूप से चलाना बहुत जरूरी है. कई ऐसे पति हैं जो सबकुछ जानते हुए भी इस से भागते हैं. वे इस दिशा में सोचना ही नहीं चाहते. परिणामस्वरूप, घर में क्राइसिस बढ़ती है. भागने की यह प्रवृत्ति पहले से व्यवस्था करने से दूर होती है. अगर कोई व्यवस्था न हो तो मेहनत करने या उसे हल करने की दिशा कहां से मिलेगी?

जीवन में अनेक मौकों पर पलायनवाद की अपेक्षा मुकाबला करने की हिम्मत ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. जिम्मेदारी से भागने से यह कम नहीं होती, जबकि और समस्याएं पैदा करती है.

मात्र आर्थिक जिम्मेदारी ही नहीं, तमाम ऐसे लोग हैं जो घर के छोटेमोटे कामकाज की जिम्मेदारी से भी भागते हैं. जैसे किसी छोटीमोटी बीमारी में डाक्टर के यहां जाने में बहाने बनाते हैं और जब बीमारी बढ़ जाती है तो दूसरे को परेशान करते हैं. ऐसे लोग इस भ्रम में रहते हैं कि किसी जादुई छड़ी से सारी समस्याओं का हल निकल आएगा. एक आदमी बचने का रास्ता खोजता है तो दूसरों की जिम्मेदारी और तनाव दोनों बढ़ जाते हैं.

ऐसे तमाम लोग हैं जो लड़ाई?ागड़े से डरते हैं. कभीकभी संबंधों में सच बात कहना भी जरूरी होता है. गलत काम करने वाले को टोकना भी जरूरी है. सच और गलत को साबित करने के लिए ?ागड़ा भी होता है. जहां तर्क, दलील या बातचीत है वहां ?ागड़े के साथ पारदर्शिता और सत्य भी है.

हो सकता है कभी बात का बतंगड़ भी हो जाए, पर ?ागड़े के डर से चुप रहने से या घर के बाहर चले जाने से स्थिति संभलने के बजाय बिगड़ सकती है. व्यक्ति सही होते हुए भी गलत साबित हो सकता है, जिस का लोग गलत फायदा उठा सकते हैं. लड़ाई?ागड़े के डर से पत्नी 5 सौ के बदले 5 हजार रुपए खर्च कर दे तो चुप नहीं रहा जा सकता. पति अगर देर से आता है तो आंख मूंद कर नहीं रहा जा सकता.

ऐेसे भी लोग हैं जो गुस्से से भागते हैं. जीवनसाथी के गुस्से वाले स्वभाव के कारण चुप रह जाना, घर के बाहर निकल जाना या टीवी में लग जाना, ऐसे तमाम लोग देखने को मिल जाएंगे. ऐसे लोगों की वजह से सामने वाले व्यक्ति को मनमानी करने का मौका मिलेगा. चुप रह कर व्यक्ति खुद अपनी कीमत जीरो कर लेता है. किसी भी मामले की अनदेखी करने से वह दूर होने के बजाय और अधिक बढ़ती है.

ज्यादातर पुरुष औरतों के आंसुओं से डर कर मौन के दरिया में डुबकी मार लेते हैं और गलत निर्णय ले लेते हैं. संघर्ष और तनाव से डरने वाले लोग समस्याओं और निर्णय को पीछे धकेलते हैं. वास्तव में उचित समय पर सवालों को उठाना सफलता की पहली निशानी है. जिंदगी में जीतने के लिए जोखिम और प्रयास दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं.

जोखिम के डर से पलायनवादी लोग जंग में उतरने से पहले ही हार स्वीकार कर लेते हैं. इस तरह के लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से पीछे रह जाते हैं और परिवार को दुखी करते हैं. घर में कोई चीज खराब हो तो उसे रिपेयर कराने की जिममेदारी दूसरे पर डाल देते हैं. अगर सैक्स लाइफ में कोई प्रौब्लम है तो जीवनसाथी के साथ चर्चा करने के बदले पोर्नोग्राफी की ओर ?ाक जाते हैं.

सही हल खोजने के बजाय इधरउधर भटकने से नुकसान ही होता है. उचित समय पर निर्णय न लेने से बाद में पछताना ही पड़ता है. पलभर की शांति लंबी अशांति खड़ी कर सकती है.

दिमाग की सेल्स के लिए बहुत जरूरी है ओमेगा-3 से भरपूर ये 3 फूड्स

Omega-3 foods : दिमाग की सेल्स और ब्रेन बूस्टर के लिए ओमेगा-3 को काफी फायदेमंद माना जाता हैं. कहा जाता है कि जो लोग नियमित रूप से इससे भरपूर चीजों का सेवन करते है, उनका दिमाग काफी तेज चलता है. इसमें डीएचए (DHA/docosahexaenoic acid) और इपीऐ (EPA/eicosapentaenoic acid) नामक फैटी एसिड की उच्च मात्रा पाई जाती हैं, जो कि ब्रेन सेल्स को बेहतर बनाने के साथ-साथ इसके काम को सही करने में भी सहायक होता हैं.

इसके अलावा ये (Omega-3 foods) आंखों और मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच के कामकाज को भी आसान बनाता है. ऐसे में प्रत्येक इंसान को अपने भोजन में ओमेगा-3 से भरपूर फूड्स को जरूर शामिल करना चाहिए.

ओमेगा-3 किस-किस में पाया जाता है?

  • अखरोट (Walnuts)

अखरोट में अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (एएलए) के साथ-साथ ओमेगा-3 (Omega-3 food) की भी भरपूर मात्रा होती है. प्रतिदिन इसे खाने से ब्रेन की गतिविधियां सही रहती है और इसके कामकाज को भी बढ़ावा मिलता है. इसके अलावा अखरोट को खाने से ब्रेन सेल्स भी हेल्दी रहते हैं. इसलिए रोजाना 4 अखरोट भिगोकर जरूर खाने चाहिए.

  • चिया सीड्स (Chia seeds)

ओमेगा-3 (Omega-3 food) से भरपूर चिया सीड्स मानव शरीर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. नियमित रूप से चिया सीड्स का सेवन करने से दिमाग की गतिविधियां बेहतर बनती है. साथ ही तनाव भी कम होता है, जिससे अच्छी नींद आती है.

  • एवोकाडो (Avocado)

ब्रेन हेल्थ के लिए एवोकाडो बहुत ज्यादा फायदेमंद होता है. इसके अलावा इसके सेवन से दिल और पेट के साथ-साथ सेहत से जुड़ी कई बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता हैं.

बेटी को छोड़कर काम पर जाने पर छलका Charu Asopa का दर्द, तलाक के बाद पति से मांगी मदद

Charu Asopa Video : टीवी एक्ट्रेस चारू असोपा पिछले काफी समय से सुर्खियों में बनी हुई हैं. हाल ही में चारू ने अपने पति राजीव सेन से तलाक लिया है, जिसके बाद अब वह अपने काम पर वापस लौट गई है. एक्ट्रेस ने अपने टीवी शो ‘कैसा है ये रिश्ता अंजाना’ की शूटिंग शुरू कर दी है, जिसमें वह वैंप का किरदार निभाएंगी.

हालांकि इस बीच उन्होंने (Charu Asopa Video) अपने यूट्यूब चैनल पर अपना एक वीडियो शेयर किया हैं, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी जियाना (ziana) को छोड़कर काम पर आने का दर्द बयां किया है.

चारू ने बयां किया अपना दर्द

बता दें कि, वीडियो की शुरुआत में देखा जा सकता है कि चारू (Charu Asopa Video) अपनी बेटी को गोद में लिए दूध पिला रही होती है, जिसके बाद सेट पर जाते समय एक्ट्रेस अपने फैंस से कहती हैं, ‘मैं अपने शूट के पहले दिन के लिए जा रही हूं. मैं एक्साइटेड तो हूं पर घबराई भी हूं. पहले की बात अलग थी. मैं बहुत खुश हुआ करती थी लेकिन अब ये एक मिक्सड फिलिंग है क्योंकि मुझे ज़ियाना (ziana) को छोड़कर जाना पड़ रहा है. जब मैं चली गई तो वो सो रही थी. हालांकि मुझे इस बात से ज्यादा हैरानी होती है कि मैं उससे दूर कैसे रहूंगी.’

इसके आगे वह कहती हैं, ‘हो सकता है कि वह मुझे उतना याद न करती हो लेकिन मैं यकीनन उसे याद करती हूं. जब मैं उससे दूर जाती हूं तो उसके बारे में ही सोचती रहती हूं. उसके फोटो व वीडियो देखती हूं. मैं उसमें इतना डूब गई हूं कि उससे दूर रहना मेरे लिए मुश्किल हो रहा है लेकिन मैं शूटिंग के लिए बाहर हूं जो एक ब्लेसिंग भी है. हर किसी को मौका नहीं मिलता. इसलिए मैं अपना 100 परसेंट जरूर दूंगी.’

चारू ने मांगी एक्स हसबैंड की मदद

हालांकि इसी के साथ चारु (Charu Asopa Video) ने जियाना की देखभाल के लिए अपने एक्स हसबैंड राजीव से भी मदद मांगी हैं क्योंकि अब वह एक नए टीवी शो में काम कर रही है तो वह वहां आज ज़ियाना को अपने साथ नहीं ले जा सकती. एक्ट्रेस आगे कहती हैं, “मैंने आज राजीव से जियाना के साथ रहने की रिक्वेस्ट की है क्योंकि मुझे वहां के अरेंजमेंट्स, लोकेशन और कमरों के बारे में पता नहीं है. कल से मैं उसे अपने साथ ले जाऊंगी.”

इसके आगे उन्होंने बताया कि, ‘प्रोडक्शन हाउस ने उनसे कहा है कि शुरुआत में उन्हें अपना रूम शेयर करना होगा. बजट की कमी के कारण वह सभी को अलग-अलग कमरे नहीं दे पाएंगे लेकिन मैंने उनसे कहा है कि ज़ियाना (ziana) की वजह से मुझे एक कमरे की जरूरत होगी, ताकि मैं उसे उसके खिलौने और मैट के साथ वहां छोड़ सकूं क्योंकि ये एक डेली सोप है और एक दिन का मामला नहीं है.”

निगेटिव रोल में नजर आएंगी एक्ट्रेस

वीडियों में चारू (Charu Asopa Video) ने अपना लुक भी रिवील किया. उन्होंने बहुत ही लाउड मेकअप करवाया है क्योंकि वह कोमोलिका की तर्ज पर एक नेगेटिव रोल अदा कर रही हैं. व्लॉग के आखिर में एक्ट्रेस बताती है कि बारिश की वजह से वह जियाना (ziana) के पास नहीं जा पा रही है. मौसम की वजह से वो सेट पर ही फंस गई है. ये कहते ही वह फूट-फूट कर रोने लगी.

चारू ने कहा, “मैंने पहले भी कई बार बारिश में शूटिंग की है लेकिन मुझे कभी इतनी चिंता महसूस नहीं हुई. बारिश के साथ-साथ अब अंधेरा भी हो रहा है.” इसके आगे वह कहती हैं, ‘मुझे पता है कि राजीव उसके साथ हैं लेकिन एक मां के तौर पर ये बहुत परेशान करने वाला है. मैं नहीं जानती कि इसे कैसे बयां करूं लेकिन यह डरावना है. मैं सभी मांओं को सलाम करती हूं. मुझे हैरानी है कि वह ऐसा कैसे करती हैं.’

Ravi Kishan की बेटी ईशिता करेंगी देश की सेवा, 21 साल की उम्र में डिफेंस ज्वाइन करने का ठाना

Ravi Kishan Daughter : भोजपुरी इंडस्ट्री के स्टार और बीजेपी सांसद रवि किशन (Ravi Kishan) एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालांकि इस बार वह अपने किसी बयान के चलते चर्चा में नहीं आए है, बल्कि इस बार वह अपनी बेटी की सफलता की वजह से खुश हैं। दरअसल एक्टर की बेटी ईशिता शुक्ला (Ishita Shukla) मात्र 21 साल की उम्र में डिफेंस ज्वाइन करने वाली हैं। इस खबर को सुनने के बाद अभिनेता के फैंस खुश है और उन्हें बधाई दे रहे हैं।

अग्निपथ स्कीम के तहत डिफेंस ज्वाइन करेंगी ईशिता

बता दें कि, ईशिता शुक्ला (Ishita Shukla) के डिफेंस ज्वाइन करने की जानकारी किसी और ने नहीं बल्कि सेलिब्रिटी फोटोग्राफर वरिंदर चावला ने दी हैं। वरिंदर ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की है, जिसमें एक तरफ रवि किशन और उनकी बेटी की साथ में सेल्फी की फोटो है। वहीं दूसरी तरफ ईशिता की। इस फोटो को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, ‘भोजपुरी अभिनेता रवि किशन की 21 साल की बेटी ईशिता शुक्ला अग्निपथ योजना (Agnipath Recruitment Scheme) के तहत रक्षा बलों में शामिल होंगी।’

परेड में भी शामिल हुई थी ईशिता

इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में भी ईशिता शुक्ला (Ravi Kishan) ने भाग लिया था, जिसकी खुशी रवि किशन ने एक ट्वीट कर जाहिर की थी। उन्होंने ईशिता की फोटो शेयर कर लिखा था, ‘मेरी बिटिया ईशिता शुक्ला, आज सुबह बोली पापा I wanna b in #AgnipathRecruitmentScheme I said go ahead beta’.

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