कंट्रोल रूम में छाई खामोशी वातावरण को अधिक गंभीर बना रही थी. सामने की दीवार पर एक नक्शा टंगा था. नक्शे के पास ही विंग कमांडर पंकज गंभीर मुद्रा में खड़े थे. सामने कुरसियों पर स्क्वैड्रन लीडर जसवीर, राजेश, दीपक और अमर बैठे थे. सभी की नजरें नक्शे पर टिकी थीं.

विंग कमांडर ने बड़ी सावधानी से धीरे से कहा, ‘‘तुम लोगों के पिछले रिकौर्ड से प्रभावित हो कर ही मैं ने आज तुम्हें बुलाया है. आज एक ऐसा कार्य तुम्हें सौंप रहा हूं जो हर हाल में पूरा होना चाहिए. इस काम को तुम में से कौन करेगा, यह निर्णय तुम्हें खुद लेना होगा. गुप्तचर विभाग के अनुसार, आज शाम 7 बजे सरगोधा एयरफील्ड पर एक गुप्त मीटिंग है, जिस में दुश्मन के कई सीनियर अफसर भाग ले रहे हैं. यदि उन की यह मंत्रणा सफलतापूर्वक पूरी हो गई तो हमें एक भयानक संकट का सामना करना पड़ेगा. इस से बचने का एक ही उपाय है, उस स्थान को मीटिंग शुरू होते ही ध्वस्त कर दिया जाए. 7 बजे मीटिंग शुरू होनी है इसलिए सवा 7 बजे वहां पर बमबार्डमैंट हो जानी चाहिए.’’

इस काम के लिए जसवीर तैयार हुआ. सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद और्डर मिलते ही उसे फ्लाइट लेनी थी. फिर सरगोधा हवाईअड्डे पर पहुंच कर उसे उस स्थान का पता लगाना था जहां मीटिंग थी. फिर बमबार्डमैंट.

उस के मस्तिष्क में कई सवाल कौंध रहे थे. वह देख रहा था, लगातार चलती हुई ऐंटी एयरक्राफ्ट तोपें और उड़ते हुए सेबर जैट. हां, इन्हीं के बीच तो उसे वह स्थान ढूंढ़ना है. ध्यान करते ही वह रोमांचित हो उठता और एक विशेष प्रकार की चमक उस की आंखों में आ जाती. उस ने दृढ़ संकल्प कर लिया था. वह अपने कार्य को पूरा कर के ही रहेगा.

एक बार फिर उस ने अपने प्लेन की जांच की. तत्पश्चात वह कैंटीन में एक कोने में जा कर बैठ गया और अपनी मां को खत लिखने लगा.

‘मां, जब तक यह पत्र तुम्हारे हाथों में पहुंचेगा, तुम्हारा बेटा उस सफर को तय कर चुका होगा जिस की तुम वर्षों से बाट जोह रही थी. जब से मैं एयरफोर्स में चुना गया, तुम मेरे विवाह के लिए लालायित थीं. तुम्हें आश्चर्य होगा, तुम्हारा बेटा आज खुद ही विवाह के लिए राजी हो गया है. मां, तुम्हारी होने वाली बहू के बारे में कई लोगों से सुना था पर विश्वास नहीं होता था कि वह इतनी गुणवान व रूपवती होगी. आज जब विश्वास हुआ है तो मैं उस के प्यार में इतना दीवाना हो गया हूं कि तुम से आज्ञा लिए बिना ही उस से विवाह कर रहा हूं. लेकिन मुझे आशा है, तुम्हें अपने पुत्र की पसंद पर पूर्ण विश्वास होगा. मैं तुम्हारी बहू को पाने के लिए इतना लालायित हो उठा हूं कि एक मिनट भी नहीं गंवाना चाहता. कहीं ऐसा न हो कि मौके का लाभ उठा कर उसे कोई और ब्याह कर ले जाए और मैं तरसती निगाहों से देखता रह जाऊं.

‘तुम्हारा बेटा,

‘जसवीर.’

लिफाफे में पत्र बंद करतेकरते एक बार जसवीर की उंगलियां कांप गईं. उस की आंखों के सामने पुरानी स्मृतियां उभरउभर कर आती और लुप्त हो जाती थीं. मां की सौम्य मूर्ति उभर रही थी. घर का खिलखिलाता वातावरण मस्तिष्क में कहीं कचोट रहा था. गली के कोने वाली पम्मी याद आ रही थी. जब वह दौड़ती हुई सीधी उस के कमरे में चली आती तो उसे कितना अच्छा लगता था. न मालूम क्यों, वह चाहता था कि पम्मी उस के पास बैठी रहे, ढेर सारी बातें करती रहे. छुट्टियों में वह जब भी घर जाता, पम्मी पहले से ही उस की प्रतीक्षा कर रही होती. जब वह अपनी फ्लाइट की कहानी सुनाता तो वह सहम जाती. तब पम्मी उसे बहुत अच्छी लगती और उस का दिल चाहता कि वह एक बार, सिर्फ एक बार पम्मी को… तभी कहीं दूर से टनटन की ध्वनि गूंज पड़ी. उसे लगा, जैसे उस के कर्तव्य की हुंकार कहीं दूर घाटियों में गूंज रही है. उस का मस्तिष्क शिथिल हो गया, वह सबकुछ भूल गया था. बस, याद रह गया था सरगोधा एयरफील्ड.

फिर उस के होंठों पर अजब मुसकान उभर आई. सहसा मुंह से निकला, ‘‘कमीनो… दिल्ली हड़पने के ख्वाब देखते हो…’’

अंधेरा घिरने लगा था. निशा शायद अकेले आने में घबराती थी इसलिए साथ सितारे ले कर आई थी. जसवीर प्लेन पर कदम रखतेरखते निशा के इस भय पर मुसकरा पड़ा. वह रहम खा कर रह गया उस पर. माइक्रोफोन कानों पर घरघराने लगा और पहिए हवाई पट्टी पर फिसलने लगे. प्लेन अपनी रफ्तार से अपनी मंजिल की ओर उड़ चला.

जसवीर के मन में विचार कौंध रहे थे. वह अर्जुन नहीं है जो अपनी सारी शक्ति एक पक्षी की आंख पर केंद्रित कर सकेगा. एक क्षण को भी वह अपनी संपूर्ण दृष्टि और सारी शक्ति उस स्थान को लोकेट करने में केंद्रित कर दे तो उड़ते सेबर और चलती गनें उस के अस्तित्व को ही शून्य में मिला देंगी. तो क्या उस का तीर आंख फोड़ने में असमर्थ रहेगा? एक क्षण के लिए घबराहट उस के चेहरे पर उभर आई और पसीने की बूदें माथे पर चमकने लगीं. नहीं, वह अर्जुन नहीं है.

उस ने एक डाइव मारी और उड़ान नीचेनीचे करने लगा. पीछे छूट रही भारतीय सीमा को उस ने ललचाई नजरों से देखा. उस की आंखें भर आईं. सहसा उसे याद आया, किसी जमाने में अंगरेजों से लोहा लेने वाले भारतीय क्रांतिकारी गाया करते थे, ‘शहीदों की चिताओं पर…’

पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश करते ही वह पूरी तरह से चौकन्ना हो गया. फ्लाइट करते समय पायलट के लिए स्वयं को दुश्मन के राडार की पकड़ से बचाए रखना एक बहुत कठिन परीक्षा होती है. राडार से बचने का एक ही उपाय है, फ्लाइट जितनी संभव हो सके उतनी नीचे की जाए. सामने पहाड़ी है, जरा सी असावधानी हुई नहीं कि प्लेन टुकड़ेटुकड़े हो कर दुश्मन को मारने के बजाय पायलट की ही जिंदगी ले बैठेगा… जसवीर यही सब अपने मन में समेटे उड़ान भर रहा था.

सरगोधा आने वाला था. कहींकहीं जानीपहचानी वस्तुएं दिखाई पड़ रही थीं. उस ने नक्शे का बहुत गहरा अध्ययन किया था. एकाएक आकाश में लाल गोले उभरने लगे. वह चौकन्ना हो गया. उस ने घड़ी देखी, वह सरगोधा एयरफील्ड पर था. गोले लगातार बरस रहे थे, नीचे से ऊपर की ओर दाएंबाएं, ऊपरनीचे.

किसी तरह जसवीर अपना प्लेन बचा रहा था और प्लेन को बचाने के साथसाथ वह अपने लक्ष्य को भी ढूंढ़ रहा था. उस की नजरें मीटिंग वाले स्थान को लोकेट करने में व्यस्त थीं, लेकिन अभी तक ऐसा कोई चिह्न दिखाई नहीं पड़ा था, जिस से उसे कुछ सहारा मिल सकता. अचानक गोलों की रफ्तार तेज हो गई. वे वृत्ताकार समूह में प्लेन को घेर कर तबाह करने की कोशिश में थे.

फिर गोलों की गति धीमी पड़ने लगी और एकाएक खामोशी छा गई. गोले बरसने बंद हो गए. शायद प्लेन उन की परिधि से बाहर था. अभी वह कुछ समझ पाता कि गोलों की खामोशी का कारण उसे तुरंत पता चल गया. कई सेबर उस के चारों ओर मक्खियों के समान भिनभिना रहे थे. सभी उस की ओर झपट्टा मारने की तैयारी में थे.

अभी तक मीटिंग वाले स्थान का पता नहीं चल सका था और वह बुरी तरह घिर चुका था. ऐसी हालत में बमबार्डमैंट करना उचित रहेगा? एक के बाद एक कई प्रश्न उस की आंखों में तैर रहे थे. तभी प्लेन को बचाने के लिए उस ने एक डाइव मारी और फिर एकदम मोड़ कर प्लेन को ऊपर को ले गया. बहुत खूबी से वह सेबरों की मार से बच रहा था.

अचानक उसे उस ऊंची इमारत का बुर्ज नजर आ गया जिस के ठीक पीछे मीटिंग चल रही थी. इतने सेबरों से घिरा होने के बावजूद उस के चेहरे पर खुशी झलक आई.

तभी उसे सुनाई पड़ा, ‘‘तुम चारों ओर से घेर लिए गए हो, बच नहीं सकते. बेहतरी इसी में है कि तुम समर्पण कर दो और यहीं उतर जाओ.’’

उस ने कुछ सोचा और फिर दृढ़प्रतिज्ञा करते हुए उत्तर दिया, ‘‘मैं स्वयं को समर्पित करता हूं. उतरने का रास्ता दिखाइए.’’

उसे संकेत प्राप्त होने लगे. 2 जैट उस के आगे, 2 पीछे, 2 दाएं, 2 बाएं चल रहे थे. वे बहुत धीमी गति से उतर रहे थे. जसवीर का मस्तिष्क बहुत तेजी से कुछ सोच रहा था. तभी उस के प्लेन के पिछले भाग से धुआं उठने लगा. जसवीर ने अपने ही प्लेन में आग लगा ली. सेबरचालक निश्चिंत हो गए कि उन का निशाना ठीक बैठा है और दुश्मन चाहे भी तो अब भाग नहीं सकता. उधर जसवीर खुश था कि उस का दांव बहुत ठीक बैठा है.

धुएं की कालिमा बढ़ रही थी. उस का प्लेन एक क्षण को डोला और यह क्या? सामने वाले दोनों सेबरों का संतुलन बिगड़ चुका था. वे तेजी से पृथ्वी की ओर जा रहे थे… जसवीर ने प्लेन घुमाया, दाएं वाले सेबर पर वार किया और तेजी से पीछे वाले सेबर पर निशाना साधा. दोनों जैट शोलों में बदल गए थे.

जसवीर का प्लेन लपटों में खेल रहा था और उस में भयंकर तेजी और फुरती आ गई थी. उस ने प्लेन में रखे सभी बमों के पिन निकाल लिए थे. किसी भी क्षण कोई भी बम फूट सकता था और उसे शून्यता में बिखेर सकता था. पांचों जैट उस पर लगातार वार कर रहे थे और वह बखूबी वार बचा रहा था. इस के बावजूद उस के चेहरे पर गहरी स्थिरता और दृढ़ता थी.

एकाएक उस के प्लेन ने गति पकड़ी और एक भयानक धमाका आकाश में चीत्कार कर गया. सारा आकाश धुएं से भर गया था. दूरदूर तक कहीं कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. अगर कुछ दिखाई दे रहा था तो बुर्ज वाली उस ऊंची इमारत का वह पिछला भाग, जो आग में जल रहा था.

संपूर्ण सरगोधा गहरी खामोशी के आंचल में सिमट गया. संध्या की कालिमा और गहरी हो गई थी और पराजित दृष्टियां उस पर कुछ ढूंढ़ रही थीं. जहां से वह आया था.

आरएमएस का सार्टर पत्रों को छांटछांट निर्दिष्ट खानों में रखता हुआ गुनगुना रहा था, ‘‘मरते हुए शहीदों ने सबक यह सिखाया, जीना उन्हें क्या आए, मरना जिन्हें न आया.’’

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