सत्ता में बने रहने के लिए हिंदू बनाम ईसाई खाई को युद्धक्षेत्र में बदल कर न केवल मणिपुर के ट्राइबल कुकी और नागाओं को एक गलत संदेश दिया गया है बल्कि मैतेई हिंदुओं ने आग जलाजला कर गरीब मणिपुर की रहीसही अर्थव्यवस्था को भी चौपट कर दिया है. अब स्थिति कंट्रोल से बाहर निकल गई है. यह कहना कि यहां तो चीनी, म्यांमारी, देशद्रोही, अलगाववादी सक्रिय हैं, बेमानी बात है और सच को छिपाने की साजिश है.

जहां मणिपुर के निवासी सारे देश में काम करने निकले हुए हैं और अब अपने परिवारों व अपनी सुरक्षा के प्रति भयभीत हैं वहीं दूसरों राज्यों से गए मणिपुर में काम कर रहे या पढ़ रहे लोग भी परेशान हैं. मणिपुर के विश्वविद्यालयों में बहुत से छात्र दूसरे राज्यों से हैं और अब वे या तो वहां फंसे हुए हैं या निकल आए तो गुजरते बुरे दिनों की वजह से कैरियर पर पड़ते असर से वे सब चिंतित हैं.

दिक्कत यह है कि सरकार की चेष्टा इस समस्या को हल करने की नहीं, बल्कि उस की वीभत्स खबरें छिपाने की है. यूरोपियन यूनियन की पार्लियामैंट और ब्रिटिश पार्लियामैंट में आरोप लगाया गया है कि 60 हजार लोगों के घर और 100 से ज्यादा चर्च जला दिए गए हैं. मणिपुरी जहां भी हैं, अब अपने परिवारों के प्रति चिंतित हैं और देशभर के लोगों के संबंधी जो मणिपुर में हैं वे भी चिंतित हैं.

अखंड भारत का सपना दिखाने वाले, जो भारत आज हाथ में है, उसे ही हाथों से फिसलने देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. धर्म की सत्ता के नाम यानी हिंदुत्व के नाम पर वहां भी किसी भी तरह का विवाद शुरू किया जा सकता है. गोवा के भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री खुलेआम कह रहे हैं कि वे पुर्तगाली राज का नामोनिशान मिटा देना चाहते हैं, जिस का असली अर्थ है कि वे गोवा के ईसाई समुदाय को खदेड़ देना चाहते हैं या उन की पहचान मिटा देना चाहते है. गोवा में तेजी से मंदिर निर्माण किया जा रहा है. यही मणिपुर में करने का प्रयास है कि जो पूजापाठी नहीं वह डर कर रहे.

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