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अब आ रहा है 5जी, 5 सेकेंड में डाउनलोड होगी फिल्म

इंटरनेट पर सबसे परेशानी वाला वक्त वो होता है, जब हम कोई वीडियो डाउनलोड कर रहे हों और इंटरनेट की स्पीड कम होने की वजह से वह वीडियो डाउनलोड होने में बहुत ज़्यादा वक्त लगता है. 3जी मोबाइल इंटरनेट और तेज़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन आने से पहले तो मूवी डाउनलोड करना कुछ मिनटों नहीं, बल्कि घंटों का काम हुआ करता था. ऐसे में यह जानना एक बड़ी हैरानी का विषय हो सकता है कि 5जी से पूरी मूवी सिर्फ 5 सेकेंड्स में ही डाउनलोड हो जाएगी.

मौजूदा तेज मोबाइल इंटरनेट स्पीड से होगी 100 गुना तेज
जी हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा है. नई टेक्नोलॉजी, जिस पर फिलहाल काम चल रहा है, यह संभव बना देगी कि आपको वर्तमान में मिल रही इंटरनेट स्पीड से 100 गुना ज़्यादा तेज़ डाउनलोड स्पीड मिले. दरअसल एक्सपर्ट्स 5जी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं, जिससे आप पूरी मूवी को अविश्वसनीय लगने वाली स्पीड पर केवल 5 सेकेंड में ही डाउनलोड कर सकेंगे. अभी हम जो इंटरनेट स्पीड यूज़ कर रहे हैं, यह स्पीड उससे 100 गुना ज़्यादा तेज़ होगी.

यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे में नई तकनीक पर काम जारी
इसके लिए नेटवर्क को पहले से तेज़ बनाने की योजना बनाई गई है, जिससे यूज़र्स आसानी से, बिना किसी बफरिंग के वीडियो देख सकेंगे और बहुत ही तेज़ गति से उन्हें डाउनलोड भो कर सकेंगे. दुनिया भर के रिसर्चर्स इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे में इस नई तकनीक पर काम में जुटे हुए हैं. सैमसंग और फुजिट्सू जैसी दुनिया की बड़ी टेकनोलॉजी कंपनियां भी ऐसी मोबाइल इंटरनेट तकनीक की खोज में सहयोग कर रहे हैं, जो अभी मौजूद किसी भी इंटरनेट स्पीड से कहीं ज़्यादा तेज़ हो.

2018 तक यूज़र्स के पास पहुंच सकती है 5जी इंटरनेट सर्विस
बताया जाता है कि 2018 तक वायरलेस 5जी यूज़र्स के लिए बाज़ार में उतरी जाएगी और उसकी स्पीड 4जी की एडवांस टेकनोलॉजी से भी ज़्यादा तेज़ होगी. 5जी फोन्स के शुरुआती प्रोटोटाइप्स पर इंटरनेट की गति 3.77 जीबी प्रति सेकेंड दर्ज की गई है, जो कि गूगल फाइबर नेटवर्क से 300 गुना ज़्यादा तेज़ है और आज की सबसे तेज़ मोबाइल इंटरनेट 4जी से भी 

25 की उम्र में इस तरह बनिए फाइनेंशियली स्मार्ट

इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आउट होते ही 23 साल की उम्र में ही कार्तिक को बैंगलुरू की आईटी कंपनी में नौकरी मिल गई थी. कार्तिक का पैकेज काफी बढि़या था. नौकरी लगते ही उसकी लाइफस्‍टाइल ही बदल गई. लेकिन नौकरी लगने के साल भर के भीतर ही उसकी यूएस बेस्‍ड कंपनी बंद हो गई. कार्तिक जॉब लैस हो गया, लाइफस्‍टाइल पर खर्च तो क्‍या उसे अपने जरूरी खर्च के लिए पैसे भी अपने पैरेंट्स से मांगने पड़े.

नौकरी करते वक्‍त उसे लगता था कि अब कभी भी घर वालों से पैसे नहीं मांगने पड़ेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कार्तिक ने इस बारे में काफी सोचा. अंत में जाकर उसे कुछ ऐसी बातों का अहसास हुआ कि वह कहां गलत जा रहा था. आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह 25 की उम्र में आप स्‍मार्ट तरीके से इंवेस्‍टमेंट कर सिक्‍योर हो सकते हैं.

70 फीसदी का रूल फॉलो करना
एक अच्छी वेल टू डू फैमली में परवरिश होने की वजह से कभी कार्तिक को खर्चों की दिक्कत नहीं हुई. लेकिन बड़े शहर में नौकरी करने के बाद उसे इस बात का पता चला कि उसकी सैलरी से केवल रोजमर्रा के खर्चे ही हो पा रहे थे. उसके बाद कार्तिक ने नौकरी छोड़ी तो पता चला कि अगर वह अपनी सैलरी का 70 फीसदी खर्च करता और अपने बेफिजूल खर्चों पर लगाम लगाता. तो जरूरत के दिनों में उसके पास एक अच्छी खासी सेविंग्स होती. नौकरी के शुरुआती दिनों में आप पर जिम्‍मेदारियां कम होती हैं. ऐसे में आप आसानी से 30 फीसदी सैलरी को बचा सकते हैं.

इमरजेंसी फंड का निर्माण करना
शुरुआती वर्षों में पार्टी और मूवीज में अनावश्यक खर्चे के कारण कभी भी बचत नहीं कर पाया. इन सब के बाद उसे समझ आया कि हर महीने अपनी सैलरी का 20 फीसदी से 30 फीसदी तक की सेविंग करनी चाहिए. यदि आप भी अपनी सेविंग्‍स का एक हिस्‍सा इमरजेंसी फंड के रूप में बचाते हैं तो नौकरी जाने जैसी स्थिति में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं होती.

सामान्‍य मामलों में आपकी करीब 6 महीने की सैलरी के बराबर आपके पास इमर्जेंसी फंड होना चाहिए. इमर्जेंसी फंड होने के चलते आप अपने लंबे समय के लक्ष्यों पर फोकस कर सकते हैं. साथ ही होम लोन लेने या फिर बड़े खर्चों के लिए भी आपके पास कॉर्पस इकट्ठा हो जाता है.

बिना सोचे समझे बड़ी राशि से खरीदारी न करें
ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन से खुद को उनकी आकर्षक डील्स में फंसने से रोक पाना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन खरीदारी से पहले कार्तिक ने इस पर और विचार किया और सोचा कि ये सब वे खर्चे हैं जिसकी कोई खास जरूरत नहीं है. 50 फीसदी डिस्काउंट देखते ही लोग अक्सर अपनी सेविंग्स के लिए जुटाई गई राशि खर्च कर देते हैं. यदि आप भी ऐसा करते हैं, तो अपने को रोकें, आपकी आज की बचत ही आपको लंबे समय के लिए फाइनेंशियली सिक्‍योर बनाते हैं. इसलिए जरूरी है कि अपनी मंथली सैलरी आने के 3 से 5 दिनों के भीतर ही आवश्‍यक निवेश जैसे एसआईपी में इंवेस्‍ट कर दें.

अपने क्रेडिट कार्ड के बिलों का समय पर भुगतान करना
कार्तिक को जब उसका पहला क्रेडिक कार्ड मिला तो यह सोचकर बहुत खुश हुआ कि अब उसे अपने माता पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. वह जब चाहे शॉपिंग कर सकता है. ऐसे में कई बार उसने अपनी लिमिट भी एक्सीड कर दी. जिसके वजह से उसके पिता को उसके एकाउंट में पैसे ट्रांस्फर करने पड़ गए. तब जाकर उसे अहसास हुआ कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए. इससे वह बेफिजूल के खर्चों से बच सकेगा.

सिर्फ सेविंग्स ही नहीं निवेश भी जरूरी है
जब तक कार्तिक सीनियर एग्जेक्यूटिव बना तब तक उसकी अच्ची खासी सेविंग्स इकट्ठी हो गई थी. उस उसे समझ आय़ा कि कि पैसों को बढ़ाने के लिए सेविंग्स ही काफी नहीं है. समय के साथ-साथ महंगाई की वजह से पैसों की वैल्यु कम होती जाती है. सरल भाषा में 5 फीसदी का कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स रेट (यानि कि जनवरी में सीपीआई 5.69 फीसदी था), तो साल की शुरुआत के 100 रुपए की कीमत साल के अंत तक 95 फीसदी रह जाती है. इसलिए आप चाहे एफडी में निवेश करें या म्युचुअल फंड्स में आपका लक्ष्य महंगाई को मात देने वाले रिटर्न्स पर होना चाहिए.

पत्रलेखा किसे और क्यों मानती हैं अपना गुरू

हंसल मेहता निर्देशित फिल्म ‘‘सिटी लाइट्स’’ से चर्चा में आयी अभिनेत्री पत्रलेखा इन दिनों विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म ‘‘लव गेम्स’’ को लेकर चर्चा में है. मगर पत्रलेखा के इस दावे से लोग हैरान हैं कि वह फिल्मकार हंसल मेहता को अपना गुरू मानती हैं. लोगों के हैरान होने की कई वजहे हैं.

फिल्म ‘‘सिटी लाइट्स’’ में राजकुमार राव के पत्रलेखा, पति पत्नी के किरदार में थे. इस फिल्म में राज कुमार राव व पत्रलेखा के इंटीमेंट दृश्यों की भी काफी चर्चा हुई थी. इन दृश्यों को करने में पत्रलेखा शायद इसलिए सहज रहीं थीं, क्योंकि निजी जिंदगी में पत्रलेखा, राज कुमार राव के साथ डेटिंग कर रही हैं. राज कुमार राव अपने आप में बेहतरीन अभिनेता हैं और वह हंसल मेहता के निर्देषशन में ‘‘सिटी लाइट्स’’ के अलावा ‘‘शाहिद’’ और ‘‘अलीगढ़’’ सहित तीन फिल्में कर चुके हैं.

इतना ही नहीं ‘‘सिटी लाइट्स’’ और ‘‘लव गेम्स’’ इन दोनों फिल्मों के निर्देशक अलग अलग हैं, मगर इन दोनों ही फिल्मों का निर्माण महेश भट्ट कैंप यानी कि ‘‘विशेष फिल्मस’’ के बैनर तले हुआ है.

ऐसे में पत्रलेखा महेष भट्ट का जिक्र करने की बजाय सिर्फ हंसल मेहता के गुण गा रही हैं. यह बात बौलीवुड में किसी को भी हजम नहीं हो रही है. पर पत्रलेखा कहती हैं-‘‘अब तक मैंने सिनेमा और अभिनय के बारे में जो कुछ सीखा, वह सब हंसल मेहता से ही सीखा है. इसलिए मैं हंसल मेहता को अपना गुरू मानती हूं. उनके निर्देशन में फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ में अभिनय करना स्कूल की पढ़ाई करने जैसा ही था. जब मेरे पास किसी नई फिल्म का आफर आता है,तो उस फिल्म को साइन करने से पहले मैं हंसल मेहता जी से एक बार राय जरुर लेती हूं.’’

अंडर वाटर फाइटिंग में व्यस्त हैं राणा डग्गूबटी

वीएफएक्स के क्षेत्र में नाम कमाने के बाद अभिनय की तरफ मुड़े राणा डग्गूबटी अब तक दक्षिण भारतीय फिल्मों के अलावा हिंदी फिल्मों में भी अभिनय कर चुके हैं. इन दिनों वह 1971 युद्ध के समय विशाखापट्टनम के पास डूबे पाकिस्तानी जलयान ‘‘पीएनएस गाजी‘‘ की अनकही कहानी और भारतीय जल सेना यानी कि नेवी पर आधारित फिल्म ‘‘गाजी’’ में एक नेवी अफसर का किरदार निभा रहे हैं.

यह फिल्म हिंदी के अलावा तमिल व तेलगू में एक साथ बन रही है. यह भारत की पहली सब मरीन पर आधारित युद्ध फिल्म है. सूत्रों के अनुसार पिछले एक माह से इस फिल्म की शूटिंग करते हुए राणा डग्गूबटी अंडर वाटर युद्ध के दृश्यों की शूटिंग कर रहे हैं.राणा डग्गूबटी के लिए अंडर वाटर युद्ध के दृश्यों की शूटिंग करना आसान हो रहा है, क्योंकि वह प्रशिक्षित स्कूबा डायवर हैं.

इस फिल्म की चर्चा चलने पर राणा डग्गूबटी कहते हैं-‘‘इस फिल्म के लिए निर्देशक के साथ मिलकर काफी रिसर्च करने के बाद हमने तीन जनवरी 2016 से फिल्म की शूटिंग करनी शुरू की थी. हैदराबाद के विशाल स्वीमिंग पुल में हमने दो जलयान तैयार किए. मैं प्रशिक्षित स्कूबा डायवर हूं. मगर पिछले चार साल से मैने स्कूबा डायविंग नहीं की थी. मगर इस फिल्म की शूटिंग के लिए मुझे सुबह छह बजे से रात दो बजे तक पानी के नीचे ही रहना पड़ता था. यह बहुत कठिन व कष्टदायी था, मगर मैंने किरदार के साथ न्याय करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. अब मैने 12 दिन का ब्रेक लिया है और पुनः 10 मार्च से शूटिंग शुरू करूंगा. हमें इस तरह की फिल्मों के लिए कठिन मेहनत करनी ही पड़ती है. इससे पहले मैने फिल्म ‘बाहुबली’ के लिए भी 120 दिनों तक कठिन युद्ध दृश्य फिल्माए ही थे. मैंने ‘बाहुबली’ के लिए वजन बढ़ाया था, जबकि फिल्म ‘गाजी’ के लिए मुझे अपना वजन कम करना पड़ा है. फिलहाल हम ‘गाजी’ को हिंदी और तेलगू भाषाओं में फिल्मा रहे हैं, जिसे बाद में हम तमिल भाषा में डब करेंगे. मैने रिसर्च के दौरान कुछ ऐसे नेवी अफसरों से बात की, जो कि उस वक्त आईएनएस विक्रांत पर कार्यरत थे.’’

अमृता राव को अब छोटे परदे का सहारा

‘‘अब के बरस’’, ‘‘विवाह’’, ‘‘इश्क विश्क’’, ‘‘मैं हूं ना’’, ‘लव यू मिस्टर कलाकार’’ जैसी दो दर्जन भर फिल्मों में अभिनय कर चुकी फिल्म अभिनेत्री अमृता राव ने अब अपनी छोटी बहन प्रीतिका राव के पदचिन्हो पर चलते हुए छोटे परदे की शरणागति स्वीकार कर ली है. वास्तव में 2011 के बाद से अमृता राव घर पर खाली बैठी हुई थी. पिछले पांच साल के अंतराल में उन्हे एक भी फिल्म का आफर नहीं मिला. परिणामतः उन्हें खालीपन खाए जा रहा था. इस खालीपन से उबरने के लिए ही अब अमृता राव ने अपनी छोटी बहन प्रीतिका राव की तरह टीवी पर काम करना स्वीकार कर लिया है.

वह बहुत जल्द ‘एंड टीवी’ पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘‘मेरी आवाज ही पहचान है’’ में अभिनय करते हुए नजर आने वाली हैं. यानी कि अब उनकी प्रतिस्पर्धा उनकी अपनी छोटी बहन के संग होने वाली है. मगर अमृता राव ऐसा नही मानती हैं. वह कहती हैं-‘‘यह सच है कि मैं टीवी पर काम कर रही हूं. पर मेरी बहन प्रीतिका से मेरी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है. मैने तो उसे काम करते हुए देखकर बहुत कुछ सीखा है. वह अक्सर कहती थी कि उसके सीरियल का एक एपीसोड मेरी एक फिल्म के बराबर है. अब मैं भी उसी अनुभव से गुजरने वाली हूं. मैं फिल्मों में अभिनय करते हुए भी किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करती थी, तो फिर अब बहन के संग कैसी प्रतिस्पर्धा..? मुझे तो उससे मदद मिल रही है.’’

हास्य अभिनेता असरानी पहली बार भावुक किरदार में

पिछले पचास दशकों से अभिनय करते आ रहे असरानी हास्य व ह्यूमरस किरदारों के पर्याय सा बने हुए हैं. मगर पचास साल बाद पहली बार वह निर्देशक सुजाद इकबाल खान की फिल्म ‘‘मुरारी:द मैड जेंटलमैन’’ में एक अति भावुक किरदार में नजर आने वाले हैं. असरानी का दावा है कि इस फिल्म में वह खुद रोए हैं और फिल्म देखते हुए दर्शक भी रोएंगे. इससे अधिक वह इस फिल्म को लेकर बात नहीं करना चाहते.

क्या मोनी राय और मोहित रैना ने की सगाई…?

टीवी इंडस्ट्री में चर्चाएं गर्म है कि अभिनेत्री मोनी राय ने अपने प्रेमी व अभिनेता मोहित रैना के साथ सगाई कर ली है. वास्तव में इन दिनों सीरियल ‘‘नागिन’’ में अभिनय कर रही मोनी राय की रिंग फिंगर में एक अंगूठी नजर आ रही है, जिससे यह चर्चा गर्म हुई है कि मोनी राय ने अपने प्रेमी मोहित रैना के संग सगाई कर ली है.

सूत्र दावा करते हैं कि फिलहाल मोहित रैना के पास कोई काम नही है, इसलिए सगाई की खबर को छिपाया जा रहा है. सूत्रों की माने तो सीरियल ‘‘महादेव’’ के सेट पर ही मोहित रैना और मोनी राय के बीच प्रेम परवान चढ़ा था. तब से यह दोनो डेटिंग करते आ रहे हैं. यही वजह है कि इनकी सगाई की खबरों पर लोग आसानी से यकीन कर रहे हैं. मगर इस बारे में मोनी राय और मोहित रैना ने चुप्पी साध रखी है.

पहली गेंद पर छक्का मारने की सोचता हूं: हार्दिक पांड्या

टीम इंडिया के ऑलराउंडर और बहुत कम समय में टीम एक खास जगह बना चुके हार्दिक पांड्या को कुछ लोग महज पिंच हिटर मानते हैं. हालांकि इस क्रिकेटर ने जोर देकर कहा है कि वो महज पिंच हिटर नहीं बल्कि प्रॉपर बल्लेबाज हैं.

'ऐसे ही खेलते आया हूं मैं'
बांग्लादेश के खिलाफ एशिया कप के पहले मैच में 18 गेंद में 31 रन बनाने वाले पांड्या की कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी तारीफ की. पांड्या ने कहा, 'यह मेरी शैली है और मैं ऐसे ही खेलता आया हूं. मुझे कभी पिंच हिटर के रूप में नहीं भेजा गया. मेरा मानना है कि मैं प्रॉपर बल्लेबाज हूं. यही वजह है कि मुझे किसी ने किसी खास शैली में बल्लेबाजी के लिए नहीं बोला. यह अच्छी बात है कि मैं उस रफ्तार से बल्लेबाजी कर पा रहा हूं जिसकी टीम को जरूरत है.'

'बचपन से पहली गेंद पर छक्का मारने का शौक रहा है'
उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं पता कि आक्रामक बल्लेबाजी का मैंने कहां से सीखा. बचपन से मेरी आदत छक्के लगाने की थी. मैं हमेशा गेंद को पीटना चाहता था.' पांड्या ने कहा, 'जब मैं 16 या 17 साल का था तब भी छक्के लगाना मेरा शौक था. मुझे लगता था कि पहली गेंद से ही मुझे छक्का लगाना है. मैंने अभी तक ऐसी ही क्रिकेट खेली है. कई बार यह कामयाब रहता है तो कई बार नहीं.' उन्होंने कहा कि उनका कोई रोल मॉडल नहीं है लेकिन उन्हें दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स और धौनी की बल्लेबाजी पसंद है.

 

 

 

मैसी ने अफगान में अपने नन्हे फैन के लिए भेजी जर्सी

अर्जेटीना के स्टार फुटबॉलर लियोनल मैसी ने अफगानिस्तान में रहने वाले पांच वर्ष के अपने नन्हे प्रशंसक के लिए हस्ताक्षर की हुई जर्सी काबुल भेजी है.

दुनियाभर में मैसी के करोड़ों प्रशंसक हैं लेकिन दुनिया के इस दिग्गज फुटबॉलर ने अपने मात्र पांच वर्ष के इस प्रशंसक को सबसे अधिक सराहा और यही कारण है कि मैसी ने उपहार स्वरूप मुर्तजा अहमदी के लिए खासतौर पर हस्ताक्षर कर जर्सी भेजी है जो अर्जेंटीना से अफगानिस्तान का सफर तय करने के बाद मुर्तजा के पास पहुंची.

मैसी ने इस नन्हे प्रशंसक के लिए दो जर्सी भेजी हैं जिसे लेने के लिए मुर्तजा अपने परिवार के साथ गजनी प्रांत से लंबा सफर तय करके काबुल पहुंचा. मैसी ने अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनीसेफ की मदद से इस बच्चे को यह उपहार भेजा है. मैसी यूनीसेफ में गुडविल एम्बेसेडर हैं.

अशांति और उथल पुथल का शिकार अफगानिस्तान में रहने वाला यह बच्चा इंटरनेट के जरिए मशहूर हुआ.प्लास्टिक के एक बैग पर मैसी लिखकर बनाई गई जर्सी पहनकर खेलते हुए मुर्तजा की तस्वीरें दुनिया में चर्चा का विषय बन गई. यूनीसेफ के अफगानिस्तान में प्रवक्ता डेनिस शेफर्ड जानसन ने बताया कि मुर्तजा मैसी की जर्सी देखकर इतना खुश था कि वह लगातार हंस रहा था और बार-बार यही कह रहा था कि मुझे मैसी से बहुत प्यार है.

मैसी ने अपनी जर्सी पर स्पेनिश में लिखा ‘विद लव’.मैसी के नन्हे प्रशंसक के परिजनों ने बताया कि उनके लिए मैसी की जर्सी को खरीदना संभव नहीं था क्योंकि वे बहुत गरीब हैं. यह परिवार काबुल के निकट बेहद अशांत गजनी प्रांत में रहता है और अल्पसंख्यक हजारा समुदाय से है.

इस बीच दुनियाभर में लोकप्रिय हो चुके मुर्तजा से मिलने के लिए मैसी भी बहुत उत्सुक हैं और अफगान फुटबॉल संघ ने बताया कि मैसी उनके साथ संपर्क में है और मुर्तजा के साथ मुलाकात को लेकर प्रयास कर रहे हैं. काबुल स्थित स्पेनिश एंबेसी ने भी मुर्तजा के परिवार वालों को मैसी से मिलवाने के लिए हर संभव मदद देने की बात कही है. गौरतलब है कि अफगानिस्तान में फुटबॉल और क्रिकेट दोनों ही बेहद लोकप्रिय खेल हैं.

दरिंदगी की शर्मनाक हद

गोवा में नए साल के जश्न के बाद एक नौजवान की रहस्मयी मौत के मद्देनजर पूछताछ के दौरान एक लड़की के अंग में मिर्च का पाउडर डाल देने का मामला सामने आया. लेकिन यह कोई अकेला मामला नहीं था. औरतों के नाजुक अंग पर इस तरह की दरिंदगी की वारदात आम है. औरत तो औरत, छोटी बच्चियों के साथ भी ऐसे वाकिए पेश आते हैं.

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के परपोड़ी इलाके में दुकलहीन बाई नामक एक औरत पर तांत्रिक होने के शक के चलते पूरे गांव के सामने उस के सारे कपड़े उतारे गए और फिर उस के अंग में मिर्च का पाउडर डाल दिया गया. करनाल, हरियाणा में एक रिकशा चलाने वाले ने अपनी पत्नी पर बदचलनी का आरोप लगा कर उस के अंग में मिर्च का पाउडर डाल दिया था. शर्म के मारे उस औरत ने किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन जब हालत बिगड़ती चली गई, तो मामला सामने आया. तब जा कर पुलिस ने अस्पताल में उस का इलाज कराया.

आरोपी के बेटे के मुताबिक, उस के पिता ने ऐसा घिनौना काम पहले भी कई बार किया था. पश्चिम बंगाल में वीरभूम जिले के नानूर थाने के कीर्णाहार इलाके में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच बमबारी की घटना हुई.

इस घटना के दौरान तृणमूल कांग्रेस के पंचायत प्रधान के घर पर भी बम से हमला हुआ. इस घटना में पुलिस ने पाडुई के सात्तोर गांव के शेख मिठुन नाम के एक शख्स को नामजद किया था. बताया जाता है कि शेख मिठुन भाजपा का समर्थक है और स्थानीय भाजपा नेताओं के उकसावे में आ कर उस ने पंचायत प्रधान के घर पर बम से हमला किया था. इस हमले में शेख मिठुन खुद भी घायल हुआ था. पुलिस का मानना है कि हमले की घटना के बाद पानागढ़ के एक प्राइवेट नर्सिंगहोम में इलाज के बाद वह अपनी काकी के मायके में जा छिपा था.

उधर मामले की जांच टीम तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं के साथ शेख मिठुन की गिरफ्तारी के लिए उस के घर गई. लेकिन घर पर वह नहीं मिला, तो पुलिस ने देवशाला गांव में उस के रिश्तेदारों के घर पर छापा मारा. वहां भी शेख मिठुन को न पा कर तृणमूल कांग्रेस नेताओं के दबाव में आ कर पुलिस मिठुन की काकी सईफुन्नेसा बीबी को उठा लाई. आरोप है कि फरार शेख मिठुन का पता पूछने के लिए पाडुई थाने के प्रभारी अमरजीत विश्वास, बोलपुर थाने के अफसरों और स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के 2 नेताओं की मौजूदगी में 18 जनवरी की ठिठुरती ठंड में रातभर जंगल में सईफुन्नेसा बीबी पर बेरहमी से जोरजुल्म किया गया.

सब से पहले तो सईफुन्नेसा बीबी को जंगल में एक पेड़ से बांध कर पीटा गया. उसे इतना पीटा गया कि पुलिस की 2-2 लाठियां टूट गईं. पिटाई से सईफुन्नेसा बीबी के दोनों हाथों की उंगलियां टूट गई थीं. ब्लेड से उस के शरीर पर चोट पहुंचाई गई. दोनों हथेलियों को ब्लेड से काट कर जख्मी कर दिया गया. इतना ही नहीं, सईफुन्नेसा बीबी के अंग में खुजली और जलन पैदा करने वाली जहरीली पत्तियों को रगड़ दिया गया.

इतने जोरजुल्म के बाद सईफुन्नेसा बीबी जब बेहोश हो गई, तब थाने ला कर उसे रातभर के लिए पटक दिया. गंभीर रूप से जख्मी हालत में पुलिस ने सुबह उसे छोड़ दिया. गिरतेपड़ते सुबह जब वह किसी तरह गांव पहुंची, तो घर वाले उसे सिउड़ी के स्वास्थ्य केंद्र ले गए. बाद में स्वास्थ्य केंद्र ने उसे वीरभूम जिला अस्पताल को रैफर कर दिया. जब पीडि़ता का पति सबूर शेख पाडुई थाने में पुलिस के खिलाफ शिकायत का मामला दर्ज कराने पहुंचा, तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से न केवल मना किया, बल्कि उसे धक्के दे कर बाहर कर दिया. पुलिस की यह दरिंदगी देख गांव वालों के बीच गुस्सा भड़क उठा. तब घटना का राजनीतिक फायदा लेने के लिए वामपंथियों से ले कर कांग्रेसी भी बीच में कूद पड़े. मामला फिलहाल कलकत्ता हाईकोर्ट में लंबित है. ऐसी ही एक घटना पिछले साल टीटागढ़ पुलिस स्टेशन के तहत भी सामने आई थी. टीटागढ़ की एक औरत संध्या सेन ने अपनी 6 साल की बेटी को बिस्तर में पेशाब करने की सजा के तौर पर उस के अंग में मिर्ची का पाउडर डाल दिया था.

टीटागढ़ पुलिस के मुताबिक, श्यामल सेन और संध्या के कोई औलाद नहीं थी. उन्होंने 6 साल की एक बच्ची को गोद लिया था. दरअसल, बच्ची के मातापिता की मौत हो गई थी. वह अपनी एक काकी के यहां पलबढ़ रही थी. लेकिन काकी ने माली तंगी के चलते सेन दंपती को बच्ची दे दी थी. गोद लेने के लिए कानूनी खानापूरी नहीं की गई थी. बहरहाल, यह मामला सामने आने के बाद पुलिस ने सेन दंपती को गिरफ्तार किया और गंभीर हालत में बच्ची को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में इलाज के लिए भेजा. इलाज के बाद बच्ची की काउंसलिंग चल रही है.

हालांकि गिरफ्तारी के बाद श्यामल सेन को जमानत मिल गई, लेकिन संध्या सेन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. फिलहाल तो इस मामले की जांच का जिम्मा जिला बाल कल्याण समिति के पास है.

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