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पाकिस्तान का नया दांव

अफगानिस्तान के इलाकों में पाकिस्तान जिस तरह की बर्बर करतूतों को अंजाम दे रहा है, उस पर पूरी दुनिया की नजर है. पाकिस्तानी फौज के जुल्म को दुनिया अब बहुत लंबे वक्त तक नजरअंदाज नहीं करेगी. पख्तूनों और बलोचों के लगातार कत्लेआम की खबरें रह-रहकर सुर्खियां बटोरती रही हैं. दुनिया की बड़ी शक्तियां भी अब यह महसूस करने लगी हैं कि इस्लामाबाद की नीतियां इन इलाकों व अफगानिस्तान में अस्थिरता की वजह हैं.

चूंकि पाकिस्तान दक्षिण एशिया और दुनिया के लिए अब एक बड़ा सिरदर्द बन गया है, इसलिए वह एक नया दांव चलकर विश्व बिरादरी का ध्यान अपनी जमीन के आतंकी शिविरों से भटकाना चाहता है. उसके इस नए खेल का दृश्य नवाज शरीफ द्वारा कश्मीर के लिए खास दूत मुशाहिद हुसैन की नियुक्ति करना रहा, जिन्होंने वाशिंगटन में यह कहा कि अफगानिस्तान में शांति कश्मीर मसले से जुड़ा हुआ है. मुशाहिद का यह बयान साबित करता है कि दुर्दांत दहशतगर्द जमातों की हिमायत करके इस इलाके की सदारत हासिल करने की पाकिस्तानी रणनीति नाकाम हो गई है. यह बयान उसके दोमुंहेपन की भी तस्दीक करता है.

अफगानिस्तान का अमन कश्मीर बाबस्ता नहीं है, क्योंकि काबुल का उससे लेना-देना नहीं है. हालांकि, इन दोनों में समानताएं जरूर हैं. पाकिस्तान भाड़े के टट्टुओं का इस्तेमाल अफगानिस्तान व कश्मीर, दोनों जगहों पर अवाम व हिफाजती दस्तों पर हमले के लिए करता रहा है. इस क्षेत्र की शांति और स्थिरता उसे जरा भी नहीं सुहाती, यही कारण है कि उसकी तमाम नीतियां आतंकवाद के इस्तेमाल को ध्यान में रखकर बुनी जाती हैं.

इस्लामाबाद न सिर्फ बलूचिस्तान में आजादी के संघर्ष का अपनी फौज के जरिये हिंसक दमन करता है, बल्कि वह दहशतगर्दों व भाड़े के टट्टुओं की मदद से पड़ोसी मुल्कों में भी अशांति फैलाने में जुटा है. जब से बलूचिस्तान की आजादी की जंग को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन मिलना शुरू हुआ है और पख्तून अपने पख्तूनिस्तान की लड़ाई फिर से छेड़ने का इरादा जताने लगे हैं, पाकिस्तान दबाव में आ गया है. पर दुनिया का ध्यान बंटाने की कोशिश करके अब वह अपनी बर्बरता छिपा नहीं पाएगा.

कानून की मर्यादा और संसद की सदस्यता

पाकिस्तान निर्वाचन आयोग (ईसीपी) ने शनिवार को संसद के 336 सदस्यों की सदस्यता इसलिए निलंबित कर दी, क्योंकि उन्होंने अपनी संपत्ति की घोषणा नहीं की थी. कानून के अनुसार, संसद के सभी सदस्यों को हर साल 30 सितंबर से पहले अपनी संपत्तियों की घोषणा करनी होती है, जिनमें पत्नी और बच्चे की संपत्ति भी शामिल है.

यह पहली बार नहीं हुआ, जब पाकिस्तान में इतने सदस्यों की सदस्यता निलंबित हुई हो. आयोग निलंबन पहले भी करता रहा है और कानूनी औपचारिकता पूरी होने के बाद सदस्यता की बहाली भी हो ही जाती है. मगर यहां सवाल यह है कि कानून बनाने वाले वे लोग, जिनसे समाज के लिए रोल मॉडल बनने की उम्मीद करते हैं, कानून और संविधान के प्रति थोड़ा सा भी सम्मान प्रदर्शित क्यों नहीं करते? दुर्भाग्यपूर्ण है कि कानून की अनदेखी के इन मामलों में सभी राजनीतिक दल, यहां तक कि संसद में प्रतिपक्ष के नेता सैयद खुर्शीद शाह, मंत्री खुर्रम दस्तगीर, शेख राशिद अहमद और डॉ. आरिफ अल्वी तक शिामल हैं.

संपत्ति की घोषणा का यह मामला इसलिए भी जटिल नहीं है कि यह सिर्फ जन-प्रतिनिधियों पर ही लागू नहीं है. देश के कानून के अनुसार, तमाम सरकारी कर्मचारियों को सामान्य प्रक्रिया के तहत हर वर्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा देना ही होता है और माना जाता है कि इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी. यह सही है कि ऐसे लोग अपनी संपत्ति से संबंधित दस्तावेज सौंप ही देंगे और उनकी सदस्यता भी बहाल हो ही जाएगी, लेकिन यह संबंधित कानून के सम्मान का मामला है.

यह भी देखा गया है कि जन-प्रतिनिधि संसद में हफ्तों, कई बार तो महीनों तक नहीं आते, लेकिन अपना वेतन नियमित रूप से उठाते रहते हैं. सदन में कोरम का पूरा न होना रोजमर्रा की बात है. मंत्री तक संसद की कार्यवाही और सत्रों में रुचि नहीं लेते दिखते. खैर जो भी हो, उम्मीद की जानी चाहिए कि पाकिस्तान के सांसद अपनी संपत्तियों का न सिर्फ ब्योरा देंगे, बल्कि पूरी ईमानदारी से देंगे, क्योंकि अपवाद को छोड़ दें, तो ब्योरा देने की यह परंपरा मात्र एक रस्म अदायगी बनकर रह गई है.

BCCI को लगी सुप्रीम कोर्ट की फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को फटकार लगाते हुए पूछा कि बीसीसीआई बताए कि लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को वह कबतक लागू करेगी?

सुप्रीम कोर्ट अब ये तय करेगा कि क्या क्रिकेट के लिए बीसीसीआई प्रशासक नियुक्त किया जाए या फिर बीसीसीआई को और वक्त दिया जाए जिससे BCCI लिखित अंडरटेकिंग दे कि वह लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को तय वक्त में लागू करेगी.

बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कहा, 'लोढ़ा कमिटी की अनुशंसा को लागू करने के लिए बहुमत नहीं था. अभी ये मामला न्यायालय में है और हम इसपर कुछ नहीं बोलेंगे. हम सभी राज्यों से इस बारे में पूछेंगे कि वो लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को मानने के लिए तैयार हैं या नहीं. लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों को लागू करने के लिए तीन चौथाई बहुमत की जरूरत है. बिना इसके हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.' अनुराग ने साथ ही कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से इसे लागू करने के लिए और वक्त मागेंगे.

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया गया हलफनामा

इससे पहले लोढ़ा पैनल की सिफारिशों पर बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर कर दिया था. बोर्ड अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा कि उन्होंने लोढ़ा पैनल की सिफारिशों का विरोध नहीं किया है.

कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया. ठाकुर ने अपने हलफनामे में बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष शशांक मनोहर पर निशाना साधा. ठाकुर ने कहा कि दुबई में छह और सात अगस्त को आईसीसी की, फाइनैंस से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर बैठक थी जिसमें भाग लेने के लिए वह दुबई गए थे.

वहां उन्होंने चेयरमैन शशांक मनोहर के सामने सवाल उठाया था कि जब वह बीसीसीआई के अध्यक्ष थे तब उनका कहना था कि जस्टिस लोढ़ा की सिफारिशों जैसे बीसीसीआई में सीएजी की नियुक्ति से बोर्ड के कामकाज में सरकार की दखलअंदाजी बढ़ जाएगी और इसके चलते उन्हें आईसीसी से सस्पेंड भी होना पड़ सकता है.

ठाकुर ने कहा था कि शशांक मनोहर जब BCCI अध्यक्ष थे तब यह निर्णय लिया गया था और उस समय सुप्रीम कोर्ट का लोढ़ा पैनल पर कोई फैसला नहीं आया था. हालांकि 18 जुलाई 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी किसी आशंका को खारिज कर दिया था. कोर्ट का कहना था कि चूंकि सीएजी की नियुक्ति से बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी इसलिए आईसीसी इसका स्वागत ही करेगी.

करण शर्मा 16 नवंबर को रचाएंगे टियारा से शादी

‘‘प्यार का बंधन’’, ‘‘बा बहू और बेबी’’ सहित दर्जन भर सीरियलों में अभिनय कर चुके करण शर्मा की असली पहचान बनी सीरियल ‘‘मोही -एक ख्वाब’’ में आयुष गोखले का किरदार निभाने पर. उसके बाद वह ‘यह है आशिकी’ और ‘खिड़की’ जैसे सीरियलों में अभिनय करते हुए नजर आए. मगर इन दिनों वह अपनी अभिनय प्रतिभा की बनिस्बत अपनी निजी जिंदगी के रिश्तों को लेकर चर्चा में हैं.  वास्तव में करण शर्मा ने फरवरी 2016 में प्रेमिका टियारा कर के संग गुप्त रूप से सगाई कर ली थी. उनकी इस सगाई का राज अब खुल चुका है और अब करण शर्मा ने कबूल कर लिया है कि वह टियारा के संग 16 नवंबर को शादी करने जा रहे हैं.

टियारा कर मूलतः गायक हैं, पर अब वह भी अभिनेत्री बन चुकी हैं. ‘इंडियन आयडल’ के सीजन 5 का हिस्सा बनने पर टियारा कर चर्चा में आयी थीं. उसके बाद उन्होंने करण शर्मा के साथ सीरियल ‘‘यह है आशिकी’’ में अभिनय किया. इसी सीरियल के दौरान करण शर्मा और टियारा कर एक दूसरे के नजदीक आए थे.

बहरहाल, जब करण शर्मा से हमारी बात हुई, तो करण शर्मा ने कहा-‘‘यह सच है कि टियारा के संग हमारी सगाई हो चुकी है. अब हम 16 नवंबर को शादी करने जा रहे हैं. हमारी शादी के कार्यक्रम मेरे घर देहरादून में संपन्न होंगे. हम लोग पहले ढ़वाली रीति रिवाज से शादी करेंगे. क्योंकि मैं गढ़वाली हूं. उसके बाद हम बंगाली रीति रिवाज से भी शादी करेंगे. क्योंकि टियारा बंगाली हैं. हम एक दूसरे के परिवार की इच्छाओं का सम्मान करना चाहते हैं.’’

न्याय मगर कैसा

सरकार की आलोचना करने का हक हर नागरिक का मौलिक अधिकार है पर धर्म के लबादे में लिपटी भारतीय जनता पार्टी का मत है कि सरकार तो पौराणिक राजाओं के समान है और सरकार की निंदा ईशनिंदा है, इसलिए देशद्रोह का आरोप लगा कर सरकार के पास किसी को भी बंद करने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कानून की व्याख्या की है कि यह गलत है और असंवैधानिक है. इस से मामले दर्ज होने बंद हो जाएंगे, यह जरूरी नहीं.

मुकदमों को शुरू करने की प्रक्रिया अब बहुत आसान है. कोई भी व्यक्ति पुलिस थाने में जा कर शिकायत कर सकता है कि किसी व्यक्ति के कुछ कहने पर देश या धर्म का अपमान हुआ है और उस की स्वयं की भावना को ठेस पहुंची है. पुलिस को यदि रुचि हुई तो वह तत्काल मामला दर्ज कर उस व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है चाहे वह संपादकप्रकाशक हो, नेता हो, लेखक हो, विचारक हो, प्रोफैसर हो या महज छात्र हो.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जरूर दिया है पर शायद इस का मतलब यह नहीं कि बलिया का थानेदार इस आदेश को माने. उसे नेताजी या पंडितजी या मौलानाजी का आदेश मानना ज्यादा फायदेमंद लगता है. यदि आरोपी ने अपराध नहीं किया है, तो खुदबखुद 4-5 साल तक अदालतों के चक्कर लगा कर छूटने का अधिकार रखता है न.

इस दौरान उसे जेल में रहना पड़े, जमानत पर छूटना पड़े, वकील करने पड़ें, एक शहर से दूसरे शहर में जाना पड़े, इस से न तो शिकायतकर्ता को मतलब है न पुलिस को. 4-5 साल बाद बाइज्जत बरी हो जाने के बावजूद आधे आदमियों की जबान पर कानूनी फैवीकोल लग ही जाता है. वे कानून से नहीं, कानूनी प्रक्रिया के शिकार हैं और सुप्रीम कोर्ट इस का कोई इलाज नहीं कर रहा.

सरकार की आलोचना करने से सरकार का कुछ बिगड़ता नहीं है. आलोचना से सरकारें गिरती नहीं हैं. उन का काम नहीं रुकता. उन की आर्थिक हानि नहीं होती. संसद में तो सरकार की बहुत ही सख्त आलोचना की जाती है जहां यह कानून नहीं चलता. पर आम नागरिक को संविधान की प्रस्तावना में दिए गए इस अधिकार को छीनने पर अफसरों को जरा सी हिचक नहीं होती.

अगर सुप्रीम कोर्ट आम नागरिक के अधिकारों के प्रति गंभीर है तो वह हर गलत मुकदमे के गलत साबित होने पर मुकदमा शुरू करने वाले को जुर्माना देने को कहे ताकि बेगुनाह आरोपी का खर्चा तो कम से कम पूरा हो और शिकायत करने से पहले लोग चार बार सोचें.

कल से आपको नहीं मिलेगा पेट्रोल!

पेट्रोलियम डीलर्स के विरोध के चलते बुधवार को आपको शाम के समय पेट्रोल-डीजल लेने में परेशानी हो सकती है. 19 अक्‍टूबर से ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने अपनी मांग के समर्थन को लेकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, एसोसिएशन की मांग है कि वर्तमान में उन्‍हें जिस फॉर्मूले के अनुसार कमीशन दिया जाता है, उसमें बदलाव किया जाए. पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने 19 अक्‍टूबर से चार चरणों में विरोध करने का फैसला किया है. इस दौरान, पेट्रोल पंप आंशिक और पूर्ण रूप से बंद रहेंगे.

19 और 26 अक्‍टूबर को 15 मिनट के लिए बंद रहेंगे पेट्रोल पंप

एसोसिएशन के अनुसार, 19 और 26 अक्टूबर को देश के सभी 53,400 पेट्रोल पंप 15 मिनट के लिए बंद रहेंगे. पेट्रोल पंप बंद रहने का समय शाम के 7 बजे से 7.15 तक रहेगा. 15 नवंबर को सभी 53,400 पेट्रोल पंप पूरे दिन के लिए बंद रहेंगे.

एथेनॉल की मिलावट को भी बताया समस्‍या

ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन का कहना है कि पेट्रोल में एथेनॉल की मिलावट एक बड़ी समस्या है. ट्रांसपोर्ट और टेंडर की समस्या तो बनी ही रहती है. 

4 अक्‍टूबर को बढ़ाया गया था डीलरों का कमीशन

डीलर कमीशन बढ़ने से पेट्रोल के दाम में 4 अक्‍टूबर को 14 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई थी. इसके अलावा डीजल भी 10 पैसे लीटर महंगा हुआ था. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने कीमत बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए कहा था कि अन्य राज्यों में भी डीजल कमीशन में बदलाव की वजह से पेट्रोल, डीजल कीमतों में संशोधन होगा. डीलर्स लंबे समय से कमीशन बढ़ाने की मांग कर थे. ऐसा नहीं करने उन्होंने हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी.

रद्द हो सकती है भारत-पाक क्रिकेट सीरीज

भारत और पाकिस्तान की महिला क्रिकेट टीमों के बीच होने वाली सीरीज पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं. उड़ी हमले के बाद से दोनों देशों में तनाव और तल्खी दोनों बढ़ रही हैं. ऐसे में भारत के खेल संघ पाकिस्तान के साथ किसी भी स्तर पर कोई खेल खेलने को तैयार नहीं हैं. बैडमिंटन और कबड्डी के बाद अब महिला क्रिकेट सीरीज के पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच अक्टूबर के अंत तक महिला क्रिकेट सीरीज खेली जानी है जिसमें आईसीसी महिला चैंपियनशिप अंकों का निर्णय होना है. लेकिन बीसीसीआई ने अभी तक पीसीबी को सीरीज खेलने या रद्द करने को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है. यदि सीरीज रद्द होती है तो अंकों के बंटवारे का निर्णय चैंपियनशिप की तकनीकी समिति करेगी.

सीरीज रद्द होने पर भारत को नहीं मिलेंगे अंक

आईसीसी के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान की मेजबानी में होने वाली इस सीरीज को यदि भारत खेलने से मना करता है तो उसे अंक नहीं दिये जाने चाहिये. इस सीरीज में दोनों देशों के बीच तीन वनडे होने हैं और पीसीबी संयुक्त अरब अमीरात में भारत की मेजबानी करने को तैयार है.

उल्लेखनीय है कि आईसीसी महिला चैंपियनशिप के बाद शीर्ष चार स्थानों पर रहने वाली टीमों को इंग्लैंड में अगले साल होने वाले 2017 वर्ल्ड कप के लिए स्वत: प्रवेश मिल जाएगा.

भारत-पाक तनावपूर्ण रिश्ते

भारत और पाकिस्तान के बीच फिलहाल रिश्ते काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं और ऐसी स्थिति में महिला क्रिकेट सीरीज होने के आसार काफी कम ही हैं. भारतीय पुरुष टीम ने भी पाकिस्तान के साथ 2012-13 से ही द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है. हालांकि पाकिस्तान ने भारत की मेजबानी में हुए आईसीसी 20-20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप में क्रिकेट खेला है.

पहले भी रद्द की गई है सीरीज

भारत और पाकिस्तान के बीच मई 2014 में एक करार भी हुआ था जिसके तहत दोनों देशों के बीच साल 2015 से 2023 के बीच छह द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज खेली जानी हैं. गत वर्ष भी दिसंबर में पाकिस्तान की मेजबानी में भारत के साथ सीरीज होनी थी लेकिन विवाद और काफी चर्चा के बावजूद वो द्विपक्षीय सीरीज बीसीसीआई की ओर से रद्द कर दी गयी थी.

रैंकिंग में हो सकता है नुकसान

गैर क्रिकेट कारणों से सीरीज रद्द किये जाने की स्थिति में टीमों को अंक गंवाने पड़ सकते हैं. ऐसे में भारतीय महिला टीम के लिए भी यह स्थिति पैदा हो सकती है. आईसीसी महिला चैंपियनशिप में भारत तालिका में 13 अंकों के साथ छठे स्थान पर है और शीर्ष की चार टीमों से पांच अंक के फासले पर है. पाकिस्तान तालिका में आठ अंक लेकर सातवें स्थान पर है.

पीसीबी बना रहा दबाव

यदि इस सीरीज से मिलने वाले सभी छह अंक पाकिस्तान को मिल भी जाते हैं तब भी उसके या भारत के पास वर्ल्ड कप के लिए सीधे क्वालीफाई करने का मौका नहीं बनता है. पाकिस्तान की महिला टीम को 13 से 17 नवंबर तक तीन वनडे मैचों की सीरीज के लिए न्यूजीलैंड के दौरे पर भी जाना है. ऐसे में पीसीबी भारत के साथ सीरीज को लेकर काफी दबाव बना रहा है.

भारत और पाकिस्तानी महिला टीमों को 25 नवंबर से पांच दिसंबर तक थाईलैंड में होने वाले एशिया कप टूर्नामेंट में भी एक दूसरे के साथ खेलना है.

फर्नीचर के शीशे में फिट होगी ‘इनविजिबल टीवी’

कहानियां तो आपने कई सुनी होंगी. रोमांचक कहानियां जो आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती हैं. इस दुनिया में आपके पास कई ऐसी चीजें होती हैं जिनका असल में होना न मुमकिन सा लगता है. लेकिन यदि वो सच हो जाए तो! पैनासॉनिक का नया टीवी कुछ ऐसा ही है.

कल्पना कीजिए एक ऐसे टीवी का, जो कांच की तरह दिखता हो और आपके फर्नीचर के शीशे में फिट हो सकता हो. पैनासोनिक ने ऐसा ही एक 'अदृश्य' टीवी का प्रोटोटाइप विकसित किया है. यह टीवी किसी सामान्य टीवी की तरह ही चमकीली और साफ तस्वीरें-वीडियो दिखाता है.

एनगैजेट वेबसाइट के मुताबिक, पैनासोनिक ने नए प्रोटोटाइप की तस्वीरों की गुणवत्ता में सुधार किया है. इस रिपोर्ट में आगे कहा गया, "यह ओएलइडी स्क्रीन पतली जाली से बना है, जिसे कांच के दरवाजे में जोड़ा गया है."

अगर इस टीवी को किसी आलमारी के आगे लगया जाए तो इस टीवी को बंद करने पर इसके पीछे की आलमारी के दराजों को देखा जा सकता है. लेकिन जब इसे चालू किया जाता है तो यह किसी सामान्य टीवी की तरह ही काम करती है. पैनासोनिक के मुताबिक, यह टीवी अगले तीन साल में बाजार में आ जाएगा.

अब साइबर क्राइम से बचाएगा साइबर इंश्योरेंस

सोशल मीडिया पर लिखना कभी-कभी आपको मुश्किलों में डाल देता है और आपको मानहानि के मुकदमों और जुर्माने तक का सामना करना पड़ जाता है. हालांकि जल्दी ही मार्किट में एक ऐसी साइबर इंश्योरेंस पॉलिसी आने जा रही है जो आपको ऐसी घटनाओं के समय कवर देगा. इंश्योरेंस कंपनी ऐसे मामलों में केस का खर्चा और जुर्माने की रकम भी देने का दावा कर रही है, बस क्लेम साबित करना होगा.

बजाज आलियांज जल्दी ही एक ऐसी पॉलिसी ला रहा है जिसे लेने के बाद आपको सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखने से पहले सौ बार सोचना नहीं पड़ेगा. बजाज किसी भी सोशल मीडिया कंटेंट पर केस होने की स्थिति में कवर उपलब्ध कराएगी. बजाज ने सोशल मीडिया यूजर्स को कवर देने की पूरी तैयारी कर ली है और ये अपने तरह की पहली इंश्योरेंस पॉलिसी होगी.

साइबर चोरी और हैकिंग में भी मिलेगा कवर

कंपनी के मुताबिक बीमा कराने वाले व्यक्ति को दिए जानेवाले साइबर कवर में उसकी साख, डाटा सेंध और किसी निजी, फाइनेंशियल या संवेदनशील जानकारी चोरी हो जाने के मामले में भी कवर मिलेगा. कंपनी का मानना है कि इंटरनेट के पर्सनल लाइफ में बढ़ते इस्तेमाल के मद्देनज़र इस तरह की पॉलिसी की ज़रुरत काफी समय से महसूस की जा रही थी. ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के बढ़ते चलन की वजह से नए खतरे पैदा हुए हैं और सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर काफी मात्रा में निजी जानकारी मौजूद है इसकी सुरक्षा के लिए इंश्योरेंस कवर बेहद ज़रूरी है.

एक हजार करोड़ से ज्यादा का है मार्किट

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में साइबर बीमा का मार्केट करीब 1,000 करोड़ रुपए का है. यह मार्केट लायबिलिटी के 7 से 10 फीसदी हिस्सों को कवर करता है. देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है. इसमें सबसे ज्यादा नए इंटरनेट यूजर्स का झुकाव सोशल मीडिया की तरफ होता है. चीन के बाद भारत में इंटरनेट यूजर्स के लिहाज से दूसरा सबसे बड़ा देश है.

यहां शुरू हुई ऐसी पॉलिसी

फिलहाल पर्सनल साइबर इश्योरेंस पॉलिसी के तहत फिशिंग, आइडेंडिटी थेफ्ट, साइबर स्टाकिंग, शोषण और बैंक अकाउंट्स की हैकिंग को कवर किया जाता है. साइबर इश्योरेंस आईटी फर्मों, बैंकों, ई-कॉमर्स और फार्मा कंपनियों को बेचे जाते हैं. इसके तहत कॉरपोरेट्स को प्राइवेसी और डाटा ब्रीच, नेटवर्क सिक्युरिटी क्लेमस और मीडिया लायबिलिटी का कवर मिलता है.

डूब गई ‘यारों की बारात’

बौलीवुड में अभिनेता रितेश देशमुख और फिल्म निर्देशक साजिद खान उन लोगों में से हैं, जो कि लगातार असफल हो रहे हैं. बौलीवुड में इन दोनों की गिनती उन रचनात्मक लोगों में होती है, जो कि खुद को सही बताते हैं और इन्हे यह पसंद नहीं है कि कोई इनसे असफल फिल्मों या इनके करियर में मिल रही असफलता को लेकर सवाल करे. यदि किसी पत्रकार ने इनसे इनकी फिल्म की असफलता को लेकर सवाल कर दिया तो यह तुरंत उस पत्रकार से कहते हैं कि उसका अखबार भी अधिक संख्या में क्यों नहीं बिकता है?

जब ‘जी टीवी’ ने इन दोनों असफल व घमंडियों को अपने चैनल के चैट शो ‘यारों की बारात’ के एंकर के रूप में चुना था, तभी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में कानाफूसी शुरू हो गयी थी कि इस चैट शो को अब असफल होने से कोई नहीं बचा सकता. बहरहाल, अब तक यारों की बारात की जो टीआरीपी आयी है, उससे लोगों की शंका सच साबित हो रही है. गौरतलब है कि इस शो के पहले एपीसोड में अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा व दूसरे एपीसोड में करण जोहर, फरहा खान आए थे.

सूत्रों का दावा है कि जी टीवी के लोग आज अपने निर्णय पर पछता रहे हैं. रितेश देशमुख पहले ऐसे नहीं थे. उनका स्वभाव भी फ्रेंडली था और फिल्म ‘एक विलेन’ में उनके अभिनय की काफी तारीफ हुई. उसके बाद रितेश ने बतौर निर्माता और अभिनेता मराठी फिल्म ‘लय भारी’ की, इस फिल्म को भी जबरदस्त सफलता मिली. मगर इस फिल्म के बाद उन्हें लगने लगा कि उनसे बड़ा अभिनेता इस संसार में नहीं हो सकता.

घमंड में चूर होते ही रितेश का हिंदी फिल्मों में करियर पतन की ओर अग्रसर हो गया. मराठी फिल्म लय भारी के बाद रितेश की ‘बैंगिस्तान’, ‘हाउसफुल 3’, ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ और ‘बैंजो’ सहित सभी प्रदर्शित हिंदी फिल्मों ने बाक्स ऑफिस पर पानी नहीं मांगा. हालात यह हैं कि ‘यशराज फिल्म्स’ अब अपनी कंपनी की फिल्म ‘बैंक चोर’ को प्रदर्शित करने का निर्णय नहीं ले पा रही है, जिसमें रितेश की मुख्य भूमिका है.

मजेदार बात यह है कि रितेश कुछ समय पहले सफल मराठी गेम शो ‘विकता का उत्तर’ का संचालन कर चुके हैं. मगर ये चमत्कार वो हिंदी फिल्मों और चैट शो के साथ नहीं कर पा रहे हैं. इस असफलता का कारण क्या है ये तो रितेश ही बता सकते हैं और जिसका जवाब वो देना नहीं चाहते.

यही हाल साजिद खान का है. 2012 में प्रदर्शित फिल्म ‘हाउसफुल 2’ की सफलता के बाद साजिद खान भी सांतवें आसमान पर पहुंच गए. यदि सूत्रों पर यकीन किया जाए, तो उनके इसी ‘मुझसे बेहतर निर्देशक कोई नहीं’ सोच के कारण ही उनसे उनकी प्रेमिका व अभिनेत्री जैकलीन ने दूरी बना ली. 2013 में प्रदर्शित फिल्म ‘हिम्मतवाला’ और 2014 में प्रदर्शित फिल्म ‘हमशकल्स’ भी कोई कमाल नहीं कर पाई.

फिल्म ‘हमशकल्स’ के प्रदर्शन के बाद सैफ अली ने साजिद खान के खिलाफ काफी कुछ कहा था. इसके बाद साजिद खान को किसी भी फिल्म को निर्देशित करने का मौका नहीं मिला. फिल्म ‘हाउसफुल 3’ का निर्देशन भी उनकी बजाय दूसरे को सौंपा गया था. अब बौलीवुड व टीवी इंडस्ट्री सवाल उठाए जा रहे हैं कि घर पर बेकार बैठे असफल निर्देशक साजिद खान और असफल अभिनेता रितेश देशमुख को जी टीवी ने क्या सोचकर चैट शो ‘यारों की बारात’ के संचालन की जिम्मेदारी सौंपी थी?

उधर जी टीवी के अंदर भी हड़कंप मचा हुआ है. जीटीवी को इस शो के असफल होने से काफी नुकसान हो रहा है. सूत्र बताते हैं कि जीटीवी ने साजिद खान व रितेश देशमुख को बहुत बड़ी रकम दी है. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि इस शो में आने के लिए भी हर सेलेब्रिटी काफी मोटी रकम ले रहे हैं. इन सब के कारण चैनल का घाटा हर एपीसोड के बाद बढ़ता ही जा रहा है. उधर जी टीवी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो अब जी टीवी इस चैट शो को समय से पहले ही बंद करने पर विचार कर रही है

माना कि फिल्म या टीवी कार्यक्रम की सफलता की गारंटी पहले से नहीं दी जा सकती. सब कुछ दर्शकों की इच्छा पर निर्भर करता है. पर लगातार असफलता मिलने पर क्या अभिनेता या निर्देशक का यह कर्तव्य नहीं बनता कि वह अपने अंदर वजह तलाश करे कि वह कहां गलती कर रहा है? सब कुछ दर्शक के सिर माथे डालकर अपनी कमियों पर परदा डालना ठीक नहीं है.

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