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डिजिटल सैक्स का मकड़जाल

आजकल सबकुछ डिजिटल हो रहा है. स्कूलकालेज, औफिस, पुलिस स्टेशन, अदालत सबकुछ डिजिटल हो रहे हैं, ठीक इसी प्रकार संबंध भी डिजिटल हो रहे हैं. शादीब्याह के न्योते हों या कोई अन्य खुशखबरी या फिर शोक समाचार सबकुछ ईमेल, व्हाट्सऐप, एसएमएस, ट्विटर या फेसबुक के जरिए दोस्तों और सगेसंबंधियों तक पहुंचाया जा रहा है. मिठाई का डब्बा या खुद कार्ड ले कर पहुंचने की परंपरा धीरेधीरे लुप्त हो रही है.

कुछ ऐसा ही प्रयोग युवकयुवतियों के संबंधों में भी हो रहा है. ऐसे युवकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो यौन सुख के लिए वास्तविक सैक्स संबंधों के बजाय डिजिटल सैक्स और औनलाइन पोर्नोग्राफी पर ज्यादा निर्भर हैं. ऐसे युवकों को वास्तविक दुनिया के बजाय आभासी दुनिया के सैक्स में ज्यादा आनंद आता है और ज्यादा आसानी महसूस होती है. इन्हें युवतियों को टैकल करना और उन से भावनात्मक व शारीरिक संबंधों का निर्वाह करना बेहद मुश्किल लगता है, इसलिए ये उन से कन्नी काटते हैं. पढ़ेलिखे और शहरी लोगों में डिजिटल सैक्स की आदत ज्यादा देखी जाती है. मनोवैज्ञानिक इन्हें ‘हौलो मैन’ यानी खोखला आदमी कहते हैं. ऐसे लोगों को वास्तविक यौन सुख या इमोशनल सपोर्ट तो मिल नहीं पाता नतीजतन ये ऐंग्जायटी और डिप्रैशन का शिकार होने लगते हैं और भावनात्मक रूप से टूट जाते हैं.

मुंबई की काउंसलर शेफाली, जो ‘टीन मैटर्स’ पुस्तक की लेखिका भी हैं, हफ्ते में कम से कम एक ऐसे युवक से जरूर मिलती हैं, जो पोर्न देखने का अभ्यस्त होता है और वास्तविक सैक्स से कतराता है. दरअसल, युवावस्था में लगभग हर युवक डिजिटल सैक्स का शौकीन होता है. कुछ युवक इस के इतने अभ्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें इस का नशा हो जाता है और वे सामाजिक जीवन से कतराने लगते हैं. उन्हें जो युवतियां मिलती भी हैं उन में वे आकर्षण नहीं ढूंढ़ पाते, क्योंकि उन की ब्रैस्ट या अन्य अंग पोर्न ऐक्ट्रैस जैसे नहीं होते. कई बार घर वालों के कहने या सामाजिक दबाव में आ कर ये शादी तो कर लेते हैं, लेकिन अपनी बीवी से इन की ज्यादा दिन तक पटरी नहीं बैठती, क्योंकि ये अपनी बीवी के साथ सैक्स संबंध बनाते वक्त उस से पोर्न जैसी ऊटपटांग हरकतें और वैसी ही सैक्सुअल पोजिशंस चाहते हैं. कोई भी बीवी यह सब कब तक बरदाश्त कर सकती है? नतीजतन या तो बीवी इन्हें छोड़ देती है या फिर ये खुद ही ऊब कर अलग हो जाते हैं.

व्यवहार विशेषज्ञों के मुताबिक इंटरनैट पर पोर्न साइट्स की बाढ़, थ्रीडी सैक्स गेम, कार्टून सैक्स गेम, वर्चुअल रिएलिटी सैक्स गेम और अन्य तरहतरह की पोर्न फिल्में जिन में एक युवती या युवक को 3-4 लोगों के साथ सैक्स संबंध बनाते हुए दिखाया जाता है, ने युवाओं के दिमाग को बुरी तरह डिस्टर्ब कर के रख दिया है. स्मार्टफोन पर आसानी से इन की उपलब्धता ने स्थिति ज्यादा बिगाड़ दी है. यह स्थिति सिर्फ भारत की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की है. ‘मेन (डिस) कनैक्टेड : हाउ टैक्नोलौजी हैज सबोटेज्ड व्हाट इट मीन्स टू बी मेल’ में मनोविज्ञानी फिलिप जिम्वार्डो ने लिखा है, ‘औनलाइन पोर्नोग्राफी और गेमिंग टैक्नोलौजी पौरुष को नष्ट कर रही है. अलगअलग देशों के 20 हजार से ज्यादा युवाओं पर किए गए सर्वे में हम ने पाया कि आसानी से उपलब्ध पोर्न से हर देश में पोर्न एडिक्टों की भरमार हो गई. यूथ्स को युवतियों के साथ यौन संबंध बनाने के बजाय पोर्न देखते हुए हस्तमैथुन करने में ज्यादा आनंद आता है.’

मेन (डिस) कनैक्टेड की सह लेखिका निकिता कूलोंबे कहती हैं, ‘इंटरनैट युवाओं को अंतहीन नौवेल्टी और वर्चुअल हरमखाने की सुविधा देता है. 10 मिनट में ये यूथ इतनी निर्वस्त्र और सैक्सरत युवतियों को देख लेते हैं, जितनी इन के पुरखों ने ताउम्र नहीं देखी होंगी.’

व्यवहार विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल युग में कई यूथ ऐसे मिलेंगे जो स्क्रीन पर चिपके रहेंगे और सोशल साइट्स पर तो युवतियों से खूब गुफ्तगू करेंगे, लेकिन वास्तविक दुनिया में उन्हें युवतियों के सामने जाने पर घबराहट होती है और ये अपनी भावनाएं उन के साथ शेयर करने का सही तरीका नहीं ढूंढ़ पाते.

ये युवा फेस टू फेस बात करने के बजाय फेसबुक, व्हाट्सऐप, टैक्स्ट मैसेज या मोबाइल फोन का सहारा लेते हैं. जाहिर सी बात है कि ये युवतियों के सामने नर्वस हो जाते हैं और उन से संबंध बनाने से कतराते हैं. पोर्न से उन्हें तत्काल आनंद और संतुष्टि मिलती है, जबकि वास्तविक दुनिया में सैक्स संबंध बनाने से पहले मित्रता, प्रेम, आत्मीयता या शादीविवाह जरूरी होता है.

डिजिटल सैक्स का यह एडिक्शन युवतियों की तुलना में युवकों को अधिक प्रभावित करता है. इस की वजह यह है कि इंटरनैट पोर्न में यौन संबंधों का आनंद उठाते हुए युवकों को ही अधिक दिखाया जाता है.

मनोवैज्ञानिक कहते हैं, ‘‘हमारे देश में सैक्स के बारे में बात करना एक प्रकार से गुनाह माना जाता है. ऐेसे में यूथ्स के लिए अपनी सैक्सुअल जिज्ञासाओं को शांत करने का सब से आसान जरिया इंटरनैट पोर्न ही है. इस का एक दुष्प्रभाव यह है कि ये युवक इन पोर्न क्लिपिंग्स या फिल्मों के जरिए सैक्स ज्ञान प्राप्त करने के बजाय मन में ऊटपटांग ग्रंथियां पाल लेते हैं.’’

पोर्न नायक के अतिरंजित मैथुन और उस के यौनांग के अटपटे साइज को ले कर ये युवा अपने मन में हीनभावना पाल लेते हैं और खुद को नाकाबिल या कमजोर मान कर युवतियों का सामना करने से कतराते हैं. ये युवक अपने छोटे लिंग और कथित शीघ्रपतन की समस्या को ले कर अकसर मनोवैज्ञानिक या सैक्स विशेषज्ञों के चक्कर काटते नजर आते हैं. कुछ युवा तो झोलाछाप डाक्टरों या तंत्रमंत्र के चंगुल में भी फंस जाते हैं.

‘इंडिया इन लव’ की लेखिका इरा त्रिवेदी के मुताबिक डिजिटल सैक्स के मकड़जाल में फंस कर कई यूथ्स तो अपनी बसीबसाई गृहस्थी को भी तबाह कर बैठते हैं. दरअसल, पोर्न फिल्मों में हिंसक यौन संबंध दिखाए जाते हैं, जिन में युवतियों को जानवरों की तरह ट्रीट किया जाता है और उन के चीखनेचिल्लाने के बावजूद उन के साथ जबरन सैक्स करते दिखाया जाता है.

हाल ही में कोलकाता में एक महिला ने तलाक की अपील करते हुए शिकायत की कि उस का पति पोर्न फिल्मों के ऐक्शन उस पर दोहराना चाहता है. अजीबोगरीब आसनों में सैक्स करना चाहता है, जिसे सहन करना उस के बस की बात नहीं. पति के साथ यौन संबंध बनाने में उसे न तो रोमांस का अनुभव होता है, न ही आनंद आता है बल्कि सैक्स संबंध उस के लिए टौर्चर बन चुके हैं.

कुछ हद तक डिजिटल सैक्स की इस आधुनिक बीमारी का शिकार कई महिलाएं बन चुकी हैं. गायनोकोलौजिस्ट बताती हैं कि उन के पास कुछ महिलाएं वैजाइनल ब्यूटीफिकेशन के उपाय पूछने भी आती हैं, तो कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो अपने पति से संतान तो चाहती हैं मगर सैक्स नहीं करना चाहतीं. संतान की उत्पत्ति के लिए वे कृत्रिम रूप से गर्भाधान करना चाहती हैं.

82 वर्षीय जिंबारडो कहते हैं कि युवाओं को डिजिटल सैक्स के इस मकड़जाल से निकालने के लिए वास्तविक दुनिया में इन्वौल्व होने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा. उन्हें डिजिटल दुनिया से दूर रहने और अपने जैसे हाड़मांस के दूसरे लोगों से मिलनेजुलने और खासकर युवतियों से मिलनेजुलने के लिए प्रेरित करना पड़ेगा.               

पोर्न फैक्ट, जो चौंकाते हैं

–  आमतौर पर हम पोर्न की खपत विदेश में ज्यादा मानते हैं, लेकिन 2014 में हुए एक औनलाइन सर्वे में ‘पोर्नहब’ ने पाया कि भारत पोर्न कंटैंट का सब से बड़ा उपभोक्ता है.

–  भारतीय डैस्कटौप के बजाय स्मार्टफोन पर पोर्न ज्यादा देखते हैं.

–  देशभर में आंध्र प्रदेश के लोग पोर्न हब पर सब से कम समय 6 मिनट 40 सैकंड बिताते हैं जबकि पश्चिम बंगाल में रोज 9 मिनट 5 सैकंड और असम में यह आंकड़ा 9 मिनट 55 सैकंड का है.

– सनी लियोनी अब तक की सब से फेवरिट पोर्न स्टार है.

– दुनिया के ज्यादातर देशों में पोर्न फिल्म सोमवार को देखी जाती है जबकि भारत में शनिवार को.

प्यार का फैवीकोल सैक्स

कहते हैं प्यार जब अपनी ऊंचाइयों पर पहुंचता है तो वह अपनी सारी हदें पार कर जाता है और इन हदों के परे सबकुछ एकाकार हो जाता है, चाहे वह मन हो या फिर तन. प्रेम में शारीरिक मिलन अकसर एक चुंबक की तरह काम करता है. तमाम नाकाम कोशिशों के बावजूद मिलन के इस आकर्षण से बचा नहीं जा सकता. म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग के साथ शुरू हुए इस रिश्ते में शुरू में तो खूब गर्माहट होती है, मरमिटने के कसमेवादे होते हैं, पर वक्त के साथसाथ ये सब फीके पड़ने लगते हैं, जब तक इसे संसर्गता की डोर से बांधा न जाए. अधिकतर प्लैटोनिक रिश्ते एक मोड़ पर आ कर टूट जाते हैं, बशर्ते वे किसी कमिटमैंट के साथ शुरू न किए गए हों.

ऐसा भी नहीं है कि सैक्सुअल बौंडिंग, लवबौंडिंग को बनाए रखने की एक अहम कड़ी है, पर हां, प्रेम की ताजगी को बनाए रखने के लिए शारीरिक संबंध बनाना बहुत जरूरी है. यदि एक स्त्री और पुरुष के बीच प्रेम है तो वह तब तक लगातार बना रहेगा जब तक उन में शारीरिक संबंध जारी रहेंगे. इसलिए अगर आप प्रेम करते हैं तो सहवास के लिए भी तैयार रहें. कभी भी अपने मन में कुंठा न पालें कि आप गलत कर रही हैं. वैसे भी प्यार में शारीरिक निकटता स्वाभाविक है. इस में कुछ भी अनैतिक नहीं है. हां, पर यह जरूरी है कि शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने पार्टनर की लोआयलिटी टैस्ट जरूर कर लें. रिश्तों की मजबूती व स्वयं की सुरक्षा के लिए बेहद आवश्यक है कि आप अपने पार्टनर को ठीक से जानसमझ लें.

फिजिकल रिलेशन बनाने से पहले इन बातों का खयाल जरूर रखें :

–       फिजिकल रिलेशन बनाने से पहले ट्रस्ट बिल्डिंग ऐक्सरसाइज जरूर करें.

–       फिजिकल रिलेशन आपसी रजामंदी पर निर्भर करते हैं इसलिए अपने पार्टनर पर एकतरफा दबाव न बनाएं.

–       फिजिकल बौंडिंग आप की रिलेशनशिप को सिर्फ स्मूद और स्ट्रौंग बनाती है, लेकिन यह लौंग लास्टिंग रिलेशन की कतई गारंटी नहीं देती. इसलिए सोचसमझ कर कदम बढ़ाएं.

–       फिजिकल रिलेशन आप के लवमेकिंग प्रोसैस को मजबूती प्रदान करते हैं पर इस के अच्छे और बुरे परिणाम के बारे में जरूर जानें. कभीकभी ज्यादा फिजिकल होना भी रिश्ते के लिए नुकसानदेह साबित होता है.

–       प्रेम की आड़ में शारीरिक संबंध बनाना कई युवकों का शगल होता है इसलिए अपने पार्टनर को परखें, जल्दबाजी न करें. कई बार फिजिकल होने के बाद युवकों का इंटरैस्ट खत्म हो जाता है और वे पार्टनर को नजरअंदाज करने लगते हैं, इसलिए इस हैबिट को रूटीन में लाने से पहले पार्टनर की ब्रेन मैपिंग जरूर करें.

–       अपनी सुरक्षा का पूरा खयाल रखें.  संबंध बनाते समय कंट्रासैप्टिक का इस्तेमाल जरूर करें.

प्रेम में यदि धोखा मिलना होगा तो मिलेगा ही, चाहे आप अपने पार्टनर के साथ फिजिकल हों या प्लैटोनिक, पर इस बात की तो पक्की गारंटी है कि फिजिकल रिलेशन आप के प्रेम को टिकाऊ और लचीला बनाता है और यह भी सही है कि प्लैटोनिक लव को ज्यादा लंबा नहीं खींचा जा सकता. प्रेम करने वालों को सैक्स का आकर्षण अपनी ओर खींच ही लेता है और क्या पता यही सैक्स आप के प्रेम के लिए टौनिक का काम कर जाए. लेकिन ध्यान रखें कि जिस्म की यह जरूरत कहीं वासना न बन जाए. कहीं इस की आड़ में आप का शोषण न हो.

आपसी समझ और साझेदारी ही दीर्घ रिश्ते की गारंटी है. आप अपने प्रेम को बनाए रखना चाहती हैं तो उस में सैक्स का फैवीकोल तो मिलाना ही पड़ेगा. प्रेम है तो सैक्स है और सैक्स है तो प्रेम जिंदा है, यही आज का फलसफा भी है.               

एथिकल हैकिंग में कैरियर

सूचना तकनीक के रूप में कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनैट के बढ़ते प्रयोग के फलस्वरूप हाल के वर्षों में साइबर क्राइम का दायरा भी बड़ी तेजी से बढ़ता जा रहा है. किसी यूजर के कंप्यूटर से इंटरनैट की मदद से उस के पर्सनल डाटा की चोरी से ले कर इंटेलैक्चुअल प्रौपर्टी के कौपीराइट का गैरकानूनी प्रयोग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी, बुलिंग, वित्तीय धोखाधड़ी से ले कर कई अन्य अपराध भी साइबर क्राइम के अंतर्गत आते हैं.

वर्तमान में इस प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी की वारदातों के अतिरिक्त बड़े कौर्पोरेट और्गेनाइजेशंस से ले कर गवर्नमैंट डिपार्टमैंट्स के महत्त्वपूर्ण डाटा और इनफौर्मेशन के लीक होने और हैक कर लिए जाने की खबरें अकसर मीडिया में छाई रहती हैं.

लिहाजा, डाटा की प्राइवेसी की मैंटेनैंस और फिशिंग की अन्य घटनाओं पर नियंत्रण करने के लिए एथिकल हैकिंग का कौन्सैप्ट अब बड़े कैरियर औप्शन के रूप में विकसित हो चुका है.

इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता है कि 1990 के आर्थिक सुधार के बाद जिस तरह से ग्लोब्लाइजेशन का विकास हुआ है और दुनिया सिमट कर एक ग्लोबल विलेज के रूप में तबदील हो गई है, उस में इंटरनैट की तेजी से विकास के साथ बिजनैस और कौर्पोरेट और्गेनाइजेशंस से ले कर बैंकिंग मैनेजमैंट, शौपिंग और कम्युनिकेशन की दुनिया में औनलाइन डीलिंग्स में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है. इसी के साथ औनलाइन धोखाधड़ी के मामलों में भी काफी वृद्धि हुई है.

इंटरनैट के मौडर्न युग में महत्त्वपूर्ण डाटा और इनफौर्मेशन की सिक्योरिटी एक बड़ी प्रौब्लम और चैलेंज के रूप में उभर कर आई है. औनलाइन जिस के ट्रांजैक्शन की प्राइवेसी और सैंसिटिव डाटा की चोरी पर नियंत्रण के लिए एथिकल हैकर का रोल काफी अहम हो गया है. हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार 2016 तक देश के विभिन्न डिपार्टमैंट्स में 5 लाख से अधिक साइबर सिक्योरिटी प्रोफैशनल्स की आवश्यकता होगी.

क्या करता है एथिकल हैकर

हैकिंग को कानूनी रूप से एक अपराध माना गया है लेकिन यह दंडनीय अपराध भी है. जब कोई हैकर अपनी और्गेनाइजेशन के लिए किसी कौंट्रैक्ट और सहमति के अंतर्गत डाटा और इनफौर्मेशन की सिक्योरिटी के लिए हैकिंग करता है तो उसे एथिकल हैकर कहा जाता है. एथिकल हैकर को ‘वाइट हैट हैकर’ भी कहते हैं, क्योंकि वह किसी भी सिस्टम और डाटा की प्राइवेसी में कानूनी रूप से नैतिकता के आधार पर प्रवेश करता है. इन्हें पेनेट्रेशन टैस्टिंग ऐक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है. एक एथिकल हैकर  जिस और्गेनाइजेशन के लिए काम करता है वह उस के डाटा, कौन्फिडैंशिएल डौक्यूमैंट्स और अन्य प्रकार की प्राइवेसी के लिए उस के सिस्टम और सर्वर का कास्टोडियन होता है और वह निरंतर इन की जांच करता रहता है.

इस के अतिरिक्त कई अन्य तकनीकी समस्याओं और सिस्टम की कमियों को दूर कर के वह अपने क्लाइंट्स को सिक्योरिटी और प्राइवेसी प्रोवाइड करता है. कुल मिला कर एक एथिकल हैकर किसी प्रोफैशनल हैकर को हैक करने का नैतिक और कानूनी कार्य करता है.

एथिकल हैकर बनने के लिए किन स्किल्स की जरूरत होती है

एथिकल हैकर की जिम्मेदारी काफी संवेदनशील होती है. उसे बड़ी कठिन और संकट की परिस्थितियों में काम करने की आवश्यकता होती है. यही कारण है कि एथिकल हैकिंग में कैरियर बनाने के लिए इच्छुक कैंडिडेट में साहस, धैर्य और संकट सहन करने की क्षमता होनी चाहिए.

इस के अतिरिक्त कैंडिडेट में क्रिएटिविटी, प्रौब्लमसौल्विंग, एनालिटिकल एबिलिटी और क्विक डिसिजनमेकिंग जैसे गुणों का होना भी आवश्यक है. साथ ही तार्किक क्षमता से भरपूर और अच्छी सोच वाले कैंडिडेट इस प्रकार के सैंसिटिव कार्यों के लिए अधिक योग्य और उपयुक्त समझे जाते हैं.

एक एथिकल हैकर को अपना असाइनमैंट पूरा करने के लिए विदेश भी जाना पड़ता है. लिहाजा, उसे विदेश ट्रैवलिंग के लिए भी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार रहना चाहिए. एथिकल हैकर की चाह रखने वाले प्रौस्पैक्टिव कैंडिडेट को कंप्यूटर, नैटवर्किंग और प्रोग्रामिंग का भी गहरा ज्ञान होना जरूरी है.

जौब प्रौस्पैक्ट्स

ग्लोबल भारत आज डिजिटल संस्करण की क्रांति के दौर से गुजर रहा है. रोजमर्रा की चीजों से ले कर बिजनैस की सारी गतिविधियां डिजिटल एडिशन की तरफ बढ़ती जा रही हैं. यही कारण है कि एक समय एथिकल हैकर की डिमांड केवल आईटी कंपनियां ही करती थीं, लेकिन आज इस की डिमांड औनलाइन डीलिंग करने वाली सभी संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा की जा रही है. ऐसी स्थिति में भविष्य में एथिकल हैकर की डिमांड में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं.

कोर्स

एथिकल हैकिंग में कैरियर बनाने के लिए 2 ही मुख्य कोर्स हैं :

1. सर्टिफिकेट कोर्स इन एथिकल हैकिंग.

2. पीजी डिप्लोमा इन इनफौर्मेशन सिक्योरिटी ऐंड सिस्टम ऐडमिनिस्ट्रेशन.

कोर्स और रिक्वायर्ड क्वालिफिकेशन

हैकर का मुख्य कार्य कंप्यूटर, नैटवर्किंग और प्रोग्रामिंग की नौलेज पर आधारित होता है. यही कारण है कि एथिकल हैकिंग में कैरियर बनाने की चाह रखने वाले उम्मीदवार का कंप्यूटर साइंस या आईटी में कोर्स करना बहुत जरूरी है, क्योंकि बड़ीबड़ी कंपनियों द्वारा अपने डाटा की प्राइवेसी और फिशिंग जैसे फ्रौड की घटनाओं से बचने के लिए कंप्यूटर साइंस या इनफौर्मेशन टैक्नोलौजी में डिग्री होल्डर्स का रिक्रूटमैंट किया जाता है.

कभीकभी ये कंपनियां अपने एथिकल हैकर की योग्यता और कुशलता से संतुष्ट नहीं होतीं और फिर उसे अपनी जरूरतों के मुताबिक ट्रेंड करती हैं. मौलिक रूप से कोई कैंडिडेट जो एथिकल हैकर के रूप में अपना कैरियर बनाने का इच्छुक है तो उसे कंप्यूटर साइंस में बीएससी और आईटी में बीटैक करना जरूरी है. इस के अतिरिक्त इस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उत्सुक उम्मीदवार को बीसीए या एमसीए की डिग्री प्राप्त करने की आवश्यकता होती है. कंप्यूटर साइंस और आईटी में इन बेसिक डिग्री के अतिरिक्त एथिकल हैकिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने पर भी काफी सहायता मिलती है. इस तरह के प्रोफैशनल कोर्स कैंडिडेट को रिक्रूटमैंट कंपनियां प्रैफर करती हैं और अच्छा सैलरी पैकेज भी देती हैं. एथिकल हैकिंग में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स औफलाइन और औनलाइन दोनों तरह से किया जा सकता है.

सामान्य रूप से एथिकल हैकिंग में कैरियर बनाने के लिए कैंडिडेट को कंप्यूटर नैटवर्किंग की नौलेज और प्रोग्रामिंग की अच्छी जानकारी होनी चाहिए. जावा या C++ अथवा किसी एक ऐप्लिकेशन में कैंडिडेट का ऐक्सपर्ट होना जरूरी है. इन स्किल्स में बिना मास्टरी के एथिकल हैकर की सफलता की राह आसान नहीं होती.

सैलरी पैकेज

किसी और्गेनाइजेशन के लिए काम करने वाले एथिकल हैकर की शुरुआती सैलरी 20 से 30 हजार रुपए मासिक होती है, लेकिन एथिकल हैकिंग का सैगमैंट जौब प्रोस्पैक्ट्स की दृष्टि  से काफी नया और संभावनाओं से भरा है. इसीलिए ऐक्सपीरियंस और स्किल प्राप्त करने के साथ एथिकल हैकर का पारिश्रमिक बहुत तेजी से बढ़ता है.

वैसे इस क्षेत्र में सैलरी पैकेज क्लाइंट्स के टर्नओवर पर भी निर्भर करता है. बड़ीबड़ी मल्टीनैशनल कंपनियों में काम कर रहे एथिकल हैकर्स को आकर्षक पैकेज और पर्क्स प्राप्त होते हैं. यूरोपीय देशों में एथिकल हैकर 50 लाख रुपए तक की वार्षिक सैलरी प्राप्त कर सकता है. कुल मिला कर एथिकल हैकिंग के सैगमैंट में सैलरी पैकेज एथिकल हैकर की व्यक्तिगत स्किल्स और ऐक्सपीरियंस के साथसाथ उस के ऐंप्लौयर के लाभ और प्रसिद्धि पर भी निर्भर करती है.

ऐंप्लौयमैंट्स कहां उपलब्ध हैं

वैसे तो एथिकल हैकर का कौन्सैप्ट काफी नया है, लेकिन साइबर क्राइम के बढ़ते ग्राफ के कारण एथिकल हैकर की डिमांड भी काफी बढ़ गई है. बड़ी मल्टीनैशनल कंपनियां अपने सिस्टम में सैंसिटिव डाटा की प्राइवेसी मैंटेन करने और उन्हें हैकिंग से बचाने के लिए एथिकल हैकर रिक्रूट करती हैं. डिफैंस डिपार्टमैंट में जहां देश की सिक्योरिटी संबंधी अति संवेदनशील और महत्त्वपूर्ण डाटा मैंटेन किया जाता है, उस डाटा की प्राइवेसी और सिक्योरिटी के लिए सरकार एथिकल हैकर रिक्रूट करती है.

इस के अतिरिक्त सरकार के अन्य महत्त्वपूर्ण डिपार्टमैंट्स जैसे सीबीआई, इसरो, फोरैंसिक लैबोरेटरी, आईटी फर्म, फाइनैंशियल कंपनी, बैंक, एयरलाइंस, रिसर्च ऐंड डैवलपमैंट, होटल्स, रियल्टी और अन्य कई क्षेत्रों में डाटा की प्राइवेसी के लिए एथिकल हैकर की डिमांड रहती है.

प्रमुख इंस्टिट्यूट्स

 

एथिकल हैकिंग के कोर्स के लिए प्रमुख संस्थान हैं :

 

1. स्कूल औफ वोकेशनल ऐजुकेशन ऐंड ट्रेनिंग, इंदिरा गांधी नैशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू).

 

 2. नैशनल इंस्टिट्यूट औफ इलैक्ट्रौनिक ऐंड इन्फौर्मेशन टैक्नोलौजी.

 

 3. आईआईआई टी, इलाहाबाद.

 

 4. एसआरएम यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु.

 

 5. इंडिया स्कूल औफ हैकिंग, कोलकाता.

 

 6. प्रेस्टीन इन्फोसौल्यूशन कैरियर डैवलपमैंट ऐंड ट्रेनिंग सैंटर, पुणे.

 

7. आईएमटी गाजियाबाद.

तेल का खेल

पश्चिम एशिया के देशों में कामगारों को नौकरियां मिलना एक अद्भुत सपना रहा है. तेल के ऊंचे दामों ने इन देशों में खूब पैसा बरसाया. उन्हें जब मजदूरों की जरूरत हुई ताकि मकान, सड़कें, फैक्टरियां, व्यवसाय बना सकें तो दुनियाभर से लोग जमा किए गए. अब तेल की मांग घट गई है, क्योंकि आर्थिक प्रगति धीरेधीरे शून्य पर आ गई है. दूसरी तरफ  अमेरिका में शेल गैस का उत्पादन तेजी से बढ़ा, जिस से तेल के दाम आधे रह गए.

नतीजा यह है कि सऊदी अरब और कुवैत जैसे देशों में हजारों मजदूर, जिन में लगभग अनपढ़ व छोटे काम करने वाले ज्यादा हैं, बेकार हो गए हैं. उन को काम देने वाली कंपनियों का दिवाला निकल गया है और उन्होंने बकाया वेतन भी नहीं दिया है. उन मजदूरों में से बहुतों ने भारत में कर्ज ले कर वहां नौकरी पाई थी. अब भारत लौटने पर उन की दुर्गति होगी, यह पक्का है.

भारत सरकार का विदेश मंत्रालय इस बार थोड़ा सक्रिय है और सऊदी अरब में काम करने वाले 1 हजार भारतीयों को मुफ्त में भारत ला भी रहा है. फिलहाल वह वहां उन के खाने का इंतजाम कर रहा है. लेकिन यह दया नहीं है, एक तरह का मुआवजा है, क्योंकि हमारे विदेशी मुद्रा के भंडार में इन लोगों के पैसे ही की भरमार रही है. भारत की चमक के पीछे भारत से बाहर जा कर कमा कर लाने वालों का बहुत योगदान है.

भारतीय मजदूर आज दुनिया के बहुत देशों में छोटे काम कर रहे हैं. उन में से कुछ लौटते हैं, कुछ वहीं बस जाते हैं और उन की अगली पीढ़ी अपने पांवों पर खड़ी हो जाती है. पहली पीढ़ी को हर मुसीबत सहनी पड़ती है. उन्हें न केवल दड़बे टाइप मकानों में रहना पड़ता है, अपनों से बिछुड़ना पड़ता है, बल्कि उन का बहुत पैसा सूदखोर और एजेंट खा भी जाते हैं. जो पैसा वे घर भेजते हैं वह मकान, शादी, कपडे़, बीमारी में खर्च हो जाता है.

भारत वापस आ कर वे बेकार हो जाते हैं, क्योंकि उन्हें यहां उसी स्तर की नौकरियां मिलती हैं, तो यहां मिलने वाला वेतन उन्हें बहुत कम लगता है. लिहाजा, वे कुंठा में घिरे रहते हैं. भारत में लौट कर वे बेगाने से हो जाते हैं और इसीलिए नौकरी समाप्त हो जाने के बाद भी महीनों वहीं बने रहते हैं. वे एक तरह से गिरमिटिया मजदूर ही हैं जिन्हें 150 साल पहले दुनियाभर में भेजा गया था.

भारत सरकार की पेशकश कि वह उन का खयाल रखेगी, अच्छी बात है. वैसे, वे देश को कहीं ज्यादा दे ही चुके हैं.

‘मुन्ना माइकल’ की कहानी चोरी का विवाद पहुंचा कोर्ट

सबीर खान निर्देशित और टाइगर श्राफ के अभिनय से सजी फिल्म ‘‘बागी’’ भी अदालत में फंसी थी. सबीर खान पर एक विदेशी फिल्म को चुराकर ‘बागी’ बनाने का आरोप लगा था. अब एक बार फिर सबीर खान और टाइगर श्राफ विवादों में हैं. इस बार इन पर फिल्म ‘‘मुन्ना माइकल’’ को चोरी की कहानी पर बनाने का आरोप है.

जब फिल्म ‘‘मुन्ना माइकल’’ की घोषणा हुई थी, तभी लेखक व निर्देशक कृतिक कुमार पांडे ने आरोप लगाया था कि यह कहानी उनकी है, जिसे उन्होंने टाइगर श्राफ को दी थी और टाइगर श्राफ अब उनकी ही कहानी चुराकर ‘मुन्ना माइकल’ बनवा रहे हैं. मगर कृतिक के आरोपों को दरकिनार करते हुए निर्देशक सबीर खान और अभिनेता टाइगर श्राफ ने फिल्म ‘‘मुन्ना माइकल’’ की शूटिंग शुरू कर दी है. फिल्म की शूटिंग लगातार जारी है.

जब कृतिक कुमार पांडे ने देखा कि उनके आरोपों पर कोई कुछ नहीं कर रहा है, तो कृतिक पांडे ने ‘मुन्ना माइकल’ के खिलाफ 13 अक्टूबर को मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.

कृतिक कुमार पांडे कहते हैं-‘‘यह फिल्म माइकल जैक्सन के एक प्रशंसक की जिंदगी पर आधारित है. यह कहानी मैंने टाइगर श्राफ को दिमाग में रखकर लिखी थी. हमने टाइगर श्राफ को यह कहानी सुनायी थी. उसके बाद करीबन एक साल तक टाइगर श्राफ से इस कहानी को लेकर ईमेल के जरिए भी लंबी बातचीत होती रही. टाइगर की टीम ने भी मुझसे ईमेल पर काफी जानकारी मांगी. फिर एक दिन मुझे पता एक समाचार पत्र में छपी खबर से पता चला कि मेरी कहानी पर सबीर खान फिल्म बना रहे हैं और हीरो टाइगर श्राफ हैं, तो मैने टाइगर श्राफ व उनकी टीम से संपर्क करने की कोशिश की, पर इन लोगों ने मुझसे बात करनी बंद कर दी. फिर मैंने मीडिया में इस बारे में बात की. पर कोई फायदा नहीं हुआ, तब मजबूरन अपने हक व न्याय के लिए मुझे अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है.’’

जब कृतिक पांडे ने पहली बार टाइगर श्राफ पर कहानी चोरी का आरोप लगाया था, तब टाइगर श्राफ ने खुद को पाक साफ बताते हुए कहा था-‘‘मुझे इस विवाद के बारे में कुछ पता नहीं है. मैंने कहानी नहीं चुरायी. मैं चोर नहीं हूं. मैं झूठ नहीं बोल रहा. मैं धोखेबाज नहीं.’’ पर अब मामला अदालत पहुंचा है, देखना है कि अदालत का निर्णय क्या आता है.

मुलायम और मायावती को नीतीश की नसीहत

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिह यादव और बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती को मुफ्त में सियासी सलाह दी है. इतना ही नहीं मुलायम को चेताया भी है कि अगर उनकी सलाह पर अमल नहीं किया तो उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की फजीहत हो सकती है. लगे हाथ यही नसीहत उन्होंने मायावती ओर सोनिया गांधी को भी दे डाली है.

मुलायम पर निशाना साध कर नीतीश ने एक तीर से 2 शिकार कर डाले हैं. महागठबंधन को ठुकराने के बाद ऐन चुनाव के मौके पर अपने ही परिवार की लड़ाई में उलझे मुलायम को बता दिया कि उनसे हाथ नहीं मिला कर मुलायम ने कितनी बड़ी गलती की थी. इसके साथ ही बिहार में महागठबंधन के अपने साथी मुलायम के समधी लालू यादव को भी तिलमिला दिया है. लालू बार-बार कहते रहे हैं कि वह उत्तर प्रदेश के चुनाव में तटस्थ रहेंगे और अपने समधी के लिए किसी तरह की चुनौती और परेशानी खड़ी नहीं करेंगे. इसके बाद भी नीतीश बार-बार मुलायम को महागठबंधन बनाने की सलाह देते रहते हैं.

बिहार के राजगीर में जदयू की राष्ट्रीय परिषद की 2 दिनी बैठक में नीतीश और उनके सिपाहसलारों ने जदयू को मुख्यधरा की राष्ट्रीय पार्टी बनाने की पुरजोर वकालत की और भाजपा पर जम कर निशाना साधा. इसके साथ ही गैर भाजपाई दलों को आगाह किया कि अगर वे एक बैनर के तले नहीं आएंगे, तो भाजपा की जीत आसान होती रहेगी. उन्होंने मुलायम, मायावती और कांग्रेस को नसीहत दी कि उत्तर प्रदेश चुनाव में भी     महागठबंधन का बिहार मौडल अपनाएं, वरना गैर भाजपाई दलों की हालत खास्ता हो जाएगी.

पिछले साल हुए बिहार विधान सभा के चुनाव में लालू और नीतीश के गठजोड़ ने साबित कर दिया है कि उनके पास मजबूत वोट बैंक है. 243 सदस्यों वाले बिहार विधान सभा में 178 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. इसमें जदयू की झोली में 71, राजद के खाते में 80 और कांग्रेस के हाथ में 27 सीटें हैं. नीतीश की पार्टी जदयू को 16.8, राजद को 18.4 और कांग्रेस को 6.7 फीसदी वोट मिले जो कुल 41.9 फीसदी हो जाता है. ऐसे में महागठबंधन को फिलहाल किसी दल या गठबंधन से चुनौती मिलना दूर की कौड़ी ही लग रही है. इस दमदार आंकड़ें एवं अपने दोनों बेटों को विधायक और मंत्री बना कर लालू ने एक बार फिर से बिहार की राजनीति में अपने पांव मजबूती से जमा लिए हैं.

नीतीश ने मुलायम सिह यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार विधान सभा चुनाव से पहले जनता दल परिवार ने उन्हें अपने गठबंधन का नेता चुना था और उन्हें नई पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह रखने को कहा गया था, पर उन्होंने उसे ठुकरा दिया था. बिहार विधान सभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के खिलाफ प्रचार किया. नीतीश ने इशारों-इशारों में जता दिया कि जनता दल परिवार का मुखिया बनना मुलायम को गंवारा नहीं हुआ और आज वह अपने परिवार के भीतर ही कलह झेल रहे हैं और कोई उनकी बात नहीं सुन रहा है. विधान सभा चुनाव सिर पर हैं और भाजपा से दो-दो हाथ करने के बजाए वह अपने ही परिवार में ही लड़ाई लड़ रहे हैं. अब भी समय है और वह चेत जाएं और महागठबंधन के बिहार मौडल को अपना लें.

बैठक में बार-बार इस बात पर जोर दिया गया कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में सपा, बसपा और कांग्रेस के हाथ मिलाए बगैर भाजपा को रोकना मुश्किल है. इसके साथ ही जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के कुल 171 सदस्यों ने अगले लोक सभा चुनाव में नीतीश को प्रधनमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने के मामले में सुर में सुर मिलाया. जदयू सांसद केसी त्यागी ने कहा कि समूचे देश में प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सबसे दमदार और भरोसेमद चेहरा नीतीश कुमार का ही है.

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल और झारखंड समेत 20 राज्यों से पहुंचे मित्रा दलों के नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि नीतीश कुमार को अब दूसरे राज्यों में भी समय देना चाहिए, क्योंकि वही नरेंद्र मोदी के सबसे बेहतरीन विकल्प हैं.      

1996 का दौर मैच फिक्सिंग का थाः शोएब अख्तर

पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर ने कहा कि 1996 के दौरान मैच फिक्सिंग अपने चरम पर था, लेकिन वह खुद को इसका शिकार बनने से रोकने में सफल रहे. अख्तर ने कहा, 'उस समय पाकिस्तान क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम का माहौल बहुत विचित्र होता था. मेरा विश्वास करें ड्रेसिंग रूम का उससे खराब माहौल नहीं हो सकता.'

आमिर को गलत लोगों से न मिलने-जुलने की सलाह दी थी

दुनिया के कुछ सबसे तेज गेंदबाजों में शुमार और 'रावलपिंडी एक्सप्रेस' के उपनाम से जाने जाने वाले अख्तर ने कहा कि उन्होंने हमेशा इन सबसे दूरी बनाए रखी और दूसरों को भी इससे बचते हुए गरिमा और गंभीरता से खेलने की सलाह देते रहे.

अख्तर ने दावा किया कि 2010 के दौरान उन्होंने मोहम्मद आमिर को भी ऐसे लोगों से मिलने-जुलने से बचने की सलाह दी थी, जो मैच फिक्सिंग के लिए खिलड़ियों को लालच दे सकते हैं. उल्लेखनीय है कि आमिर उसी वर्ष मैच फिक्सिंग के दोषी पाए गए थे जिसके चलते उन्हें पांच वर्षो का प्रतिबंध झेलना पड़ा. आमिर ने पिछले वर्ष दोबारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी कर ली है.

जावेद भाई और अफरीदी को विवाद खत्म करने की सलाह दी थी

अख्तर ने यह भी कहा कि हाल ही में पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद और शाहिद अफरीदी के बीच पनपे विवाद को खत्म करने के लिए भी हस्तक्षेप किया था पाकिस्तान के दोनों पूर्व कप्तानों से बातचीत के जरिए विवाद खत्म करने के लिए कहा था.

अख्तर ने कहा, 'बातचीत के जरिए विवाद खत्म करना सबसे संभावित तरीका है. मैंने अफरीदी और जावेद भाई से मामला अदालत की बजाय आपस में सुलझाने के लिए कहा. अगर यह मामला अदालत में जाता तो बहुत से नाम घसीटे जाते.'

उन्होंने आगे कहा, "मेरी सबसे बड़ी चिंता भी यही थी. मैंने अफरीदी को कानूनी नोटिस भेजने से मना किया और जावेद भाई को अपने गुस्से पर काबू रखने की सलाह दी और सार्वजनिक तौर पर कोई विवादित बयान देने से बचने के लिए कहा. उन्होंने अनुचित बातें कहकर हद पार कर दी थी.'

उल्लेखनीय है कि अफरीदी और मियांदाद के बीच यह विवाद मियांदाद द्वारा अफरीदी पर पैसों के लिए मैच फिक्स करने का आरोप लगाने के साथ शुरू हुआ. हालांकि हाल ही में मियांदाद ने सफाई देते हुए कहा था, 'गुस्से में कुछ बातें निकल गईं और मैंने भी कुछ अनुचित बातें कह दीं. मैं अपने बयान वापस लेता हूं.'

इस ट्रिक से किसी भी डोंगल में चलाएं Jio सिम

रिलायंस जियो अपने 4जी सिम कार्ड को खरीदने पर ग्राहक को जियो वेलकम ऑफर दे रहा है. वेलकम ऑफर के तहत जियो के कस्टमर्स को अनलिमिटेड एचडी वॉयस और वीडियो कॉलिंग, अनलिमिटेड 4जी डेटा, मैसेजिंग और जियो एप्स की फ्री सब्सक्रिप्शन दी जा रही है.

इस ऑफर की वैधता 31 दिसंबर तक होगी. यही वजह है कि काफी संख्या में उपभोक्ता इस नई कंपनी की ओर रुख कर रहे हैं. हालांकि इस सिम का इस्तेमाल सिर्फ 4जी स्मार्टफोन में ही किया जा सकता है. इसके अलावा कंपनी ने एक वाई-फाई हॉटस्पॉट डिवाइस भी पेश की है, जिससे एक साथ 10 डिवाइस को कनेक्ट किया जा सकता है. लेकिन अगर आप अपने डोंगल में इस सिम का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो इस ट्रिक से यह संभव हो सकता है.

फॉलो करें ये 5 स्टेप्स:

1. Insert the SIM: सबसे पहले अपने 4जी सपोर्टेड डोंगल में जियो सिम को डालें. अब डोंगल को PC या लेपटॉप से कनेक्ट करें और कनेक्ट होने का इंतजार करें.

2. Set APN: डोंगल कनेक्ट करने पर एक Error का नोटिफिकेशन दिखेगा. अगर ऐसा नहीं भी होता है तब भी डोंगल सेटिंग में जाइए. लेकिन अगर आप विंडोज 8 या 10 का इस्तेमाल कर रहे हैं तो नोटिफिकेशन पैनल में जाएं और APN settings को चेंज करें. यहां आपको Access Point Name: Jionet रखना होगा. इसके अलावा सभी कॉलम को खाली छोड़ दें और ok पर क्लिक करें.

3. बता दें कि कुछ डोंगल ऑटोमैटिकली खुद ही APN सेट कर लेते हैं. इसके लिए आपको ब्राउजर में जाकर चेक करना होगा कि इंटरनेट काम कर रहा है या नहीं. अगर इंटरनेट नहीं चला है तो APN को मैनुअली सेट कर लें.

4. अगर सभी स्टेप्स सही ढंग से किए गए हैं तो उम्मीद है अब आप Reliance Jio 4G सिम के जरिए अपने पीसी या लेपटॉप पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाएंगे.

5. अगर कोई दिक्कत आती है तो एक बार सिस्टम reboot करके फिर से कोशिश करें.

लेकिन ध्यान रहे कि जियो 4G सिम कार्ड पाने के कई तरीके हैं. अगर आप Lyf स्मार्टफोन या HP प्रिव्यू ऑफर वाला सिम इस्तेमाल कर रहे हैं तब यह ट्रिक इस्तेमाल नहीं हो पाएगी. इसके लिए आपको पास सैमसंग या अन्य किसी 4जी स्मार्टफोन के लिए खरीदा गया सिम ही डोंगल में डालना होगा. 

महंगा हुआ उबर, ओला से सफर करना

ओला और उबर आमदनी बढ़ाने और खर्च घटाने के लिए कई कदम उठा रही हैं. पहले दोनों कंपनियां मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए काफी पैसा खर्च कर रही थीं. दोनों कंपनियों ने इसके लिए बड़े शहरों में किराया बढ़ाना शुरू कर दिया है. वे ड्राइवर्स को दिए जाने वाले इंसेंटिव्स में भी कटौती कर रही हैं. ओला और उबर ने ड्राइवर्स के फ्रॉड को रोकने के लिए निगरानी भी बढ़ा दी है. यह जानकारी कंपनी एग्जिक्युटिव्स, इन्वेस्टर्स और ड्राइवर्स से बातचीत से मिली है.

बड़े शहरों में दोनों कंपनियों की ग्रोथ रेट पीक पर पहुंच गई है. ऐसे में वे प्रति पैसेंजर लॉस कम करने की कोशिश कर रही हैं. इस बिजनस पर नजर रखने वाले इन्वेस्टर्स और ऐनालिस्टों ने बताया कि ओला और उबर, दोनों को हर महीने अभी 3-4 करोड़ डॉलर का नुकसान हो रहा है. उबर इंडिया के प्लान से वाकिफ एक सूत्र ने बताया, 'सब्सिडी हमेशा के लिए नहीं दी जा सकती. कस्टमर्स को धीरे-धीरे इसकी आदत डालनी होगी.' इस बारे में ईमेल से पूछे गए सवालों का दोनों कंपनियों से जवाब नहीं मिला.

इस साल फंडिंग कम होने के बाद कंज्यूमर इंटरनेट कंपनियों का ध्यान मुनाफा कमाने पर बढ़ा है. ओला और उबर ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब वे बेंगलुरु में सर्ज प्राइजिंग पर बैन का सामना कर रही हैं और दिल्ली में उनके प्लैटफॉर्म पर ड्राइवर्स की संख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है. पिछले दो साल से अधिक कस्टमर्स हासिल करने और ड्राइवर्स को प्लैटफॉर्म से जोड़ने के लिए वे करोड़ों डॉलर खर्च कर रही थीं, लेकिन अब वे नए फेज में दाखिल हो रही हैं.

किराये में बढ़ोतरी से उबर और ओला के कार पूलिंग सर्विस की मांग बढ़ सकती है. उबर ने बेंगलुरु और हैदराबाद में 15 किलोमीटर से लंबी यात्रा के लिए साल भर पहले किराये बढ़ाए थे. उसने कहा था कि लंबी यात्रा में ड्राइवर्स अधिक दिलचस्पी दिखाएं, इसके इंसेंटिव के तौर पर ऐसा किया गया है. पिछले हफ्ते उसने दिल्ली-एनसीआर में 20 किलोमीटर से अधिक दूरी के किराये बढ़ाए. ओला भी इसी रूल पर चल रही है.

व्हाट्सएप जल्द करेगा अपने फीचर्स में बदलाव

व्हाट्सएप अपने आईओएस और एंड्रायड यूजर्स के लिए कई नए फीचर्स और अपडेट्स लाने की तैयारी में है. ऐसे में अगर यूजर के पास आईफोन है तो आईओएस 10 के रिलीज होते ही यूजर को कई बड़े बदलाव नजर आ सकते हैं जैसे सिरी सपोर्ट, हैंड्सफ्री मैसेजिंग, स्क्रीन लॉक होते हुए भी व्हाट्सएप कॉल और मैसेजेस का जवाब देना आदि. इसके अलावा व्हाट्सएप वॉयस कॉल भी सीधे कॉन्टैक्ट लिस्ट से ही की जा सकेंगी.

एंड्रायड यूजर के लिए भी कई बड़े बदलाव किए जाएंगे. एंड्रायड पुलिस के मुताबिक, व्हाट्सएप बीटा वर्जन यूजर्स को किसी भी इमेज का डूडल बनाने की इजाजत देगा.

इन सब के अलावा फ्रीस्टाइल राइटिंग और नए शानदार स्टीकर्स भी व्हाट्सएप के इस अपडेट में शामिल होंगे.

इसके साथ ही जल्द ही यूजर्स इमोजी को बड़े फॉर्मेट में भी भेज पाएंगे. जाहिर है व्हाट्सएप के पुराने अपडेट से यूजर्स काफी नाखुश नजर आ रहे थे. ऐसे में एंड्रायड और आईओएस के लिए किए जाने वाले सभी सभी लेटेस्ट अपडेट्स यूजर्स को खुश करने के लिए ही बनाए गए हैं.

व्हाट्सएप के पुराने अपडेट के मुताबिक यूजर चाहे या न चाहे उनकी डिटेल्स फेसबुक के साथ शेयर की जाएंगी. इसका मतलब अगर आप व्हाट्सएप यूजर हैं तो व्हाट्सएप को आपकी डिटेल्स को फेसबुक पर शेयर करने का पूरा अधिकार है.

कंपनी के मुताबिक, फेसबुक द्वारा नियत मार्केटिंग एजेंसियों के एड के लिए व्हाट्सएप यूजर्स का कॉन्टैक्ट नंबर इस्तेमाल किया जाएगा यानि यूजर को जिस भी चीज की जरुरत हैं उन्हें उसी का एड अपने फेसबुक पेज पर दिखेगा.

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