मोहम्मद शमी की पत्नी हसीन जहां द्वारा उनके उपर लगाएं गये कई गंभीर आरोपों के बाद अब शमी के समर्थन में दो अहम लोगों ने बयान दिया है. इनमें से एक हैं भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, जबकि दूसरे शख्स हैं मोहम्मद शमी के ससुर मोहम्मद हसन. धोनी ने शमी को लेकर कहा है कि वो एक बेहतरीन इंसान हैं. जहां तक मैं जानता हूं शमी ऐसे शख्स नहीं है कि पैसे के लिए अपनी पत्नी और अपने मुल्क को धोखा दें. हालांकि, धोनी का ये भी कहना है कि वह इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोलना चाहेंगे क्योंकि ये मामला परिवार और शमी की निजी जिंदगी से जुड़ा है. हम लोगों को इस पर कमेंट नहीं करना चाहिए.
मोहम्मद शमी के समर्थन में आएं दूसरे शख्स यानी कि शमी की पत्नी हसीन जहां के पिता मोहम्मद हसन ने एक हिन्दी समाचार पत्र से बातचीत करते हुए कहा कि शमी और हसीन जहां के बीच झगड़े की वजह उन्हें और उनके परिवार को पता नहीं है, इस बारे में जानकारी उन्हें मीडिया से ही मिली है. उन्होंने कहा कि सिर्फ शमी और हसीन ही इस बारे में जानकारी दे सकेंगे. मोहम्मद हसन ने कहा, “शमी एक अच्छे इंसान हैं. वह कम बोलते हैं, इसके बारे में हमें कोई शक नहीं है, सिर्फ ऊपर वाले को ही पता है कि चीजें इस तरह कैसे हो गईं. हसीन अपनी जिंदगी में जो कुछ भी पाना चाहती थीं उससे वह कभी पीछे नहीं हटी और उसने कभी भी गलत चीजे बर्दाश्त नहीं की.”
बता दें कि आईपीएल का सीजन नजदीक है और शमी दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाड़ी हैं. शमी ने भी मामले को सुलझाने के संकेत दिये हैं. शमी पर लगाए गए आरोपो की वजह से शमी की परेशानियां और बढ़ रही हैं. शमी का कहना है कि अगर यह मामला बातचीत से सुलझाया जा सकता है तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि वह अपनी बेटी के लिए जो अच्छा होगा वो करेंगे.
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जीएसटी काउंसिल ने 26वीं बैठक में कुछ अहम फैसले लिए. काउंसिल के फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राज्यों के बीच सामान की आवाजाही के लिए जरूरी ई-वे बिल को 1 अप्रैल 2018 से लागू कर दिया जाएगा. हालांकि एक ही राज्य के भीतर एक जगह से दूसरी जगह पर सामान की आवाजाही के लिए ई-वे बिल को क्रमबद्ध तरीके से 15 अप्रैल से लागू किया जाना शुरू किया जाएगा और 1 जून तक यह सभी राज्यों में लागू कर दिया जाएगा.
इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की इस अहम बैठक में व्यापारियों को समरी सेल्स रिटर्न वाला GSTR-3B फौर्म भरने के लिए तीन महीने का विस्तार दिया गया है. यानी कि अब अब व्यापारी को GSTR-3B फौर्म जून 2018 तक भरना होगा. जीएसटी काउंसिल की ओर से पहले इसकी डेडलाइन 31 मार्च 2018 निर्धारित की गई थी. हालांकि इस बैठक में जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को और आसान करने के विषय पर कोई फैसला नहीं लिया गया. इसके अलावा, निर्यातकों को दी जाने वाली कर छूट को भी और छह महीने के लिए यानी सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
ई-वे बिल एक नजर में
क्या है ई-वे बिल : अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को आवश्यक रूप से ई-वे बिल जनरेट करना होगा. अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं.
इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है. अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी.
कितनी अवधि के लिए मान्य होता है यह बिल : अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है. वहीं अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो यह बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए यह बिल मान्य होगा.
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कौमेडियन कपिल शर्मा एक बार फिर छोटे पर्दे पर वापसी करने जा रहे हैं. उनके कमबैक शो फैमिली टाइम विद कपिल शर्मा शुरू होने से पहले ही चर्चा में बना हुआ है. पिछले कुछ दिनों से कपिल के शो के पहले गेस्ट को लेकर चर्चा तेज थी. वहीं अब शो का एक प्रोमो धूम मचा रहा है. इस प्रोमो में कपिल के साथ बौलीवुड एक्टर अजय देवगन नजर आ रहे हैं. वह इस प्रोमो में कपिल को जमकर नखरे दिखा रहे हैं जबकि कपिल उन्हें शो पर आने के लिए लाख मिन्नतें करते नजर आ रहे हैं. इस प्रोमो में अजय कपिल को उनकी गलती भी याद दिला रहे हैं.
कपिल के इस शो का प्रोमो हाल ही में ट्विटर पर शेयर किया गया है. यह प्रोमो 45 सेकेंड का है, जिसमें कपिल अजय को फोन करते नजर आते हैं. अजय देवगन फोन उठाकर सभी लाइन व्यस्त होने की बात कहते हैं. उसके बाद कपिल दोबारा कौल करते हैं फिर अजय उनपर तंज कसते हुए कहते हैं कि जैसे आप सबको इंतजार करवाते हैं वैसे इंतजार करें.
इसके बाद कपिल माफी मांगते हैं और शो पर आने की गुजारिश करते हैं. वह कहते हैं कि आप रेड मारने ही आ जाओ. अजय यहां भी मौका नहीं छोड़ते हैं और कहते हैं कि इनकम टैक्स की रेड उनके यहां पड़ती है जिनकी इनकम होती है. शो का यह प्रोमो काफी दिलचस्प नजर आ रहा है.
बता दें पिछले काफी समय से कपिल शर्मा के फैन्स टीवी पर उनकी वापसी का इंतजार कर रहे थे. वहीं अब वह सोनी टीवी के नए शो फैमिली टाइम विद कपिल शर्मा से छोटे पर्दे पर कमबैक कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके शो के पहले गेस्ट के रूप में एक्टर अजय देवगन नजर आएंगे. वह अपनी अपकमिंग फिल्म रेड के प्रमोशन के लिए शो में नजर आएंगे.
अजय की फिल्म 16 मार्च को सिनेमाघरों में रिलीज होगी, इस फिल्म में अजय के साथ एक्ट्रेस इलियाना डीक्रूज लीड रोल में नजर आएंगी. बता दें कपिल शर्मा के इस नए शो का प्रसारण 25 मार्च से सोनी टीवी पर किया जा सकता है.
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फौक्सवैगन ने आधिकारिक लौन्च से पहले एक नए विडियो टीज़र में अपनी नई जेनरेशन की कार टौरेज का खुलासा कर दिया है. बता दें कि इस कार को बीजिंग मोटर शो में 23 मार्च को लौन्च किया जाना है. कंपनी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर कंपनी ने यह विडियो पब्लिश किया और इसमें बीजिंग तक नई टौरेज का रोडमैप दिखाया गया है.
ऐसा कहा जा रहा है कि 2019 फौक्सवैगन टौरेज अब तक कंपनी के स्लोवाकिया स्थित ब्राटिसलावा प्लांट से 16,000 किलोमीटर से ज़्यादा की यात्रा कर चुकी है और चीन पहुंचने से पहले यह 11 देशों से होकर गुजरी है. यह वीडियो टौरेज के पहले 3 दिनों के सफर का है और इसमें टौरेज एसयूवी के बारे में विस्तार से बात की गई है. नई जेनरेशन टौरेज के लुक में थोड़े-बहुत बदलाव किए गए हैं जबकि बाकी सबी चीजें पुरानी ही हैं.
नई जेनरेशन टौरेज कंपनी के एमएलबी प्लैटफौर्म पर आधारित है और इसमें आउडी क्यू7, बेंटले बेंटायगा, पोर्श कायेन और लैंबोर्गिनी उरूस जैसी कारों की तरह अंडरपिंनिंग है. जिसका मतलब है कि इस कार में एयर सस्पेंशन, रियल वील स्टीयरिंग और इलेक्ट्रौनिक ड्राइवर एड्स जैसे फीचर पहले से इंस्टौल आते हैं.
इसके अलावा, कार का लुक भी बदला हुआ दिखेगा और फ्रंट ग्रिल एकदम नई है और यह क्रोम स्लेट्स के साथ आएगी. कार के स्टाइलिश एलईडी हेडलैंप्स बेहतर हैं. फौक्सवैगन टौरेज के फ्रंट बंपर पतले हैं. पतले ओवीआरएम और दमदार ऐलौय वील्स के चलते कार देखने में आकर्षक लगती है.
नई जेनरेशन टौरेज को पेट्रोल व डीजल दोनों इंजन में पेश किया जाएगा. एक 2-लीटर पेट्रोल और डीजल इंजन विकल्प के साथ ज़्यादा दमदार 3 लीटर वी6 इंजन भी होगा. कंपनी ने कार में इंजन को 8-स्पीड डीएसजी ट्रांसमिशन दिया है और विकल्प के तौर पर औल-वील-ड्राइव फंक्शन भी मिलेगा. टौरेज को भारत में 2012 से 2014 के बीच उपलब्ध कराया गया था लेकिन मांग न होने के चलते कंपनी ने देश में कार की बिक्री बंद कर दी. अब हो सकता है कि भारत में इसे दोबारा लौन्च किया जाए लेकिन अभी इसकी तारीख से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली है.
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राजनीतिक दल जाति आधारित राजनीति का विरोध तो करते हैं पर जब टिकट देने का मौका आता है तो जातिगत समीकरण सबसे पहले देखे जाते हैं. केवल लोकसभा ही नहीं राज्यसभा में भी यह देखने को मिलता है.
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा चुनावों के लिये अपने जिन 8 नेताओं के नाम चुने उनमें से ब्राहमण चेहरे सबसे अधिक हैं. भाजपा उत्तर प्रदेश में ब्राहमणों को सबसे मजबूत मान कर अपनी रणनीति तैयार कर रही है. जिससे राज्यसभा के जरीये वह लोकसभा के लिये बेहतर मैदान तैयार कर सके. राज्यसभा के लिये उत्तर प्रदेश से भाजपा ने जिन 8 नेताओं के नाम चुने उनमें से 3 नाम ब्राहमण बिरादरी से आते हैं. इनमें केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हाराव और समाजवादी पार्टी से भाजपा में आये अशोक वाजपेई का नाम प्रमुख है. ब्राहमण बिरादरी के यह तीन बड़े और महत्वपूर्ण नाम हैं.
भाजपा ने ब्राहमण जातियों के मुकाबले दूसरी जातियों के जिन नामों का चुनाव किया है वह पार्टी की राजनीति को प्रभावित करने वाले नाम नहीं है. सकलदीप राजभर और हरनाथ यादव पिछडी जाति से हैं. कांता कर्दम दलित वर्ग से हैं. वह मेरठ से मेयर का चुनाव हार चुकी हैं. विजय पाल सिंह तोमर क्षत्रिय और डाक्टर अनिल जैन वैश्य बिरादरी से हैं.
वैसे तो भाजपा यह दिखाने की कोशिश में है कि उनकी पार्टी में हर जाति का ध्यान रखा जाता है. पार्टी जाति के आधार पर राजनीति नहीं करती है. राज्यसभा के टिकट देने में जाति समीकरणों का पूरा ध्यान रखा गया. भाजपा भले ही दलित और पिछडों की अगुवाई बढ़ाने की बात कर रही हो पर पार्टी की अगड़ी छवि बरकरार है.
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह आरोप सरकार पर लगने लगे थे कि सरकार में क्षत्रिय बिरादरी को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है. इस कारण राज्यसभा के चुनावों में भाजपा से सबसे अधिक 3 ब्राहमण जाति के नेताओं को टिकट दिया. भाजपा ने दलबदल को प्रोत्साहन देने के नाम पर सपा से आये अशोक वाजपेई और हरनाथ सिंह यादव को टिकट दिया. अशोक वाजपेई समाजवादी पार्टी में एमएलसी थे. उनको मुलायम सिह यादव का बेहद करीबी माना जाता है.
जब भाजपा को अपने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डाक्टर दिनेश शर्मा और केशव मौर्य सहित मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह और मोहसिन रजा के लिये उपचुनाव कराने की जरूरत थी, अशोक वाजपेई और कुछ दूसरे लोगों ने विधान परिषद से इस्तीफा देकर भाजपा के नेताओं को विधान परिषद के रास्ता सदन में पहुंचाने के लिये अपनी सीट छोड़ी थी. अपनी विधान परिषद सीट छोड़ने वालों में से केवल अशोक वाजपेई को ही राज्यसभा के लिये चुना गया है. इससे ब्राहमण नेताओं के महत्व का साफ पता चल जाता है.
बढ़ती महंगाई के इस दौर में पैरेंट्स शिक्षा पर होने वाले बेतहाशा खर्च से बेहद परेशान हैं. ऐसे में विद्यार्थियों को चाहिए कि वे अपनी पढ़ाई के खर्च, पौकेट मनी और अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए अपने हुनर का इस्तेमाल करते हुए खाली समय में कुछ क्रिएटिव काम करें और उसे अपनी इनकम का सोर्स बनाए. इस से सैल्फ कौन्फिडैंस तो आएगा ही, घर के लोग आप से खुश भी रहने लगेंगे. दो पैसे की आमदनी होते देख घर के अन्य सदस्य भी आप की मदद के लिए हाथ बढ़ाने में नहीं हिचकेंगे.
पढ़ने वाले युवाओं के लिए अग्रलिखित ऐक्टिविटीज बन सकती हैं अतिरिक्त कमाई का साधन :
फ्रीलांस राइटिंग
आप लिखनेपढ़ने का शौक रखते हैं और अपने विचारों की अभिव्यक्ति में माहिर हैं, तो फ्रीलांस राइटिंग के माध्यम से पैसा कमाना मुश्किल नहीं है. विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में कहानियां, लेख, कविताएं, रिपोर्ट्स आदि भेज कर आप अपने हुनर का अच्छा उपयोग कर सकते हैं. इस के अलावा ट्रांसलेशन, मीडिया हाउस की जरूरत के मुताबिक कंटैंट राइटिंग आदि कर के आप शीघ्र ही उन की जरूरत बन सकते हैं. इस के लिए आप को विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से संपर्क करना पड़ेगा. आप इंटरनैट पर अपना ब्लौग लिख कर भी अलग पहचान बना सकते हैं.
गिफ्ट रैपिंग
अकसर शादीविवाह के अवसर पर दूल्हा और दुलहन के घर वालों को ढेर सारी सामग्री पैकिंग करनी होती है, जैसे साडि़यां, सूट, कौस्मेटिक्स एवं अन्य उपहार सामग्रियां, जिन के लिए आज की बिजी लाइफ में उन के पास न तो इतना टाइम होता है और न ही हर व्यक्ति के पास गिफ्ट रैपिंग का हुनर होता है. आप चाहें तो ऐसे परिवारों या उन कौरपोरेट हाउस, जो अपने सालाना जलसे/सैमिनार या दीवालीहोली के मौके पर अपने क्लाइंट या स्टाफ के लिए गिफ्ट रैपिंग करवाना चाहते हैं, से संपर्क कर के यह काम ले सकते हैं. एक बार आप का नाम हो जाए और काम लोगों को भा जाए तो सालभर आप को कहीं न कहीं से ऐसे और्डर मिलते ही रहेंगे.
इवैंट और पार्टी प्लानर
शादीविवाह जैसे बड़े फंक्शन में तो बड़े स्तर पर इवैंट मैनेजर हायर किए जाते हैं. वहीं गृहप्रवेश, बर्थडे, किटी पार्टी, मैरिज एनिवर्सरी, आदि को भी लोग पूरे जश्न व मूड के साथ अपने घर पर मनाना चाहते हैं. पर कितने ही लोग तैयारी के लिए छुट्टी न होने की वजह से पार्टी कैंसिल करने को मजबूर हो जाते हैं. बिजी शेड्यूल वाले लोग चाह कर भी घर पर पार्टी आयोजित नहीं कर पाते. ऐसी स्थिति में अच्छे इवैंट प्लानर के लिए काफी संभावनाएं बनती हैं. इस के लिए आप को पार्टी से जुड़े हर छोटेबड़े पहलू पर नजर डाल कर तैयारी पूरी करनी पड़ेगी.
वैबसाइट डिजाइनिंग
इन दिनों वैबसाइट का बड़ा क्रेज है. हर छोटाबड़ा बिजनैस औनर वैबसाइट बनाना चाहता है. अपने आसपास के छोटे बिजनैसेज को टारगेट कर के इस काम में आप उन की मदद कर सकते हैं.
शुरुआत में आप को मौका तभी मिलेगा जब आप बाजार के रेट से कम पैसों में काम कर के देंगे. जब कोई दुकानदार यह जानेगा कि कम पैसों में उस के बिजनैस का प्रचार इंटरनैट जैसे प्रभावशाली माध्यम पर हो जाएगा, तो वह खुशीखुशी आप को यह काम देने को तैयार हो जाएगा. हां, काम मन लगा कर और उस के लिए प्रोडक्टिव हो, ऐसा कर के देना आप की जिम्मेदारी होगी.
किड्स ट्रेनिंग
मातापिता अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य, उन के आईक्यू लैवल और फिजिकल फिटनैस को ले कर बेहद जागरूक हैं. ऐसे पैरेंट्स अपने बच्चों को स्कूल के साथसाथ उन की पर्सनैलिटी के बहुमुखी विकास के लिए हौबी क्लासेज में भी भेजते हैं. आजकल बहुत छोटी उम्र से ही बच्चे डांसिंग, सिंगिंग आदि सीखने लगते हैं. स्पोर्ट्स में रुचि रखने वाले बच्चे स्केटिंग, क्रिकेट, टैनिस आदि सिखाने वाले सैंटर जौइन करते हैं. अपने हुनर के मुताबिक आप बच्चों के स्किल ट्रेनर बन कर पैसे कमा सकते हैं.
औनलाइन सैलिंग
औनलाइन शौपिंग के बढ़ते चलन में आज हर दूसरी चीज औनलाइन उपलब्ध हो रही है. ऐसे में अपनी पसंद के प्रोडक्ट्स की औनलाइन सैलिंग शुरू कर सकते हैं. यह काम आप का पार्टटाइम होगा और आप को इस के लिए ज्यादा स्टाफ भी नहीं रखना होगा. औनलाइन बाजार बहुत विस्तृत है. यहां एक बार पांव जमा लेने के बाद राह आसान हो जाती है.
टीचर या कंसल्टैंट
आप को जिस भी क्षेत्र में माहिर है, उस में आप दूसरों की मदद कर सकते हैं. यह मदद भी अपनेआप में एक कैरियर है. यह मदद आप टीचर बन कर भी कर सकते हैं और सलाहकार बन कर भी. किसी विषय विशेष की पढ़ाई या किसी हुनर का प्रशिक्षण दे कर आप खासी कमाई कर सकते हैं. कंसल्टैंसी में उतरने के लिए जरूरी है कि पहले आप के पास पर्याप्त अनुभव हो. प्रशिक्षण के लिए भी अनुभव जरूरी है.
रिक्रूटर
सभी रिक्रूटमैंट रोल्स में बेसिक फंक्शन स्क्रीनिंग, हायरिंग और रिटेनिंग होता है. टैक्निकल और लीडरशिप रिक्रूटर्स के लिए स्पेसिफिकेशन और एक्सपीरियंस जरूरी है. टैक्निकल व बिजनैस नौलेज का महत्त्व भी बढ़ जाता है. अब स्टार्टअप इस पद के लिए ज्यादा से ज्यादा आउटसोर्स करने लगे हैं. आप के अंदर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए. आप द्वारा लिए गए निर्णर्य से कंपनी पर असर पड़ेगा. कई बार एचआर फर्म्स भी रिक्रूटमैंट रोल्स के लिए अच्छे कैंडिडेट्स की तलाश में रहती हैं.
स्किल ट्रेनिंग
आप को किसी क्षेत्र में दक्षता हासिल हो या उस की अच्छीखासी जानकारी हो, तो आप अपने घर में उपलब्ध समय के मुताबिक उस स्किल की ट्रेनिंग क्लासेज शुरू कर सकते हैं. ये हुनर सिलाईकढ़ाई, कुकिंग, ड्राइंग, डांसिंग, पेंटिंग, सिंगिंग आदि कुछ भी हो सकते हैं. आप चाहें तो एकदो प्रशिक्षकों के साथ मिल कर थोड़ा बड़े रूप में भी ट्रेनिंग सैंटर चला सकते हैं या फिर सिर्फ अपने बूते पर छोटे रूप में.
सोशल मीडिया मैनेजर
सोशल मीडिया मैनेजर कंपनी को विभिन्न सोशल प्लेटफौर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर प्रेजैंट करता है. कई बार इस का मतलब ब्रैंड को मजबूत करना भी होता है. इस जौब प्रोफाइल में सफल होने के लिए सोशल प्लेटफौर्म की समझ के साथसाथ उस कंपनी के काम के बारे में जानकारी होनी भी बहुत जरूरी है, तभी आप कंटैंट को सही तरह से प्रेजैंट कर सकते हैं. सोशल मीडिया मैनेजर बनने के लिए आप को एक ऐक्टिव व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनानी होगी.
टैक्निकल राइटर
यहां आप को सिर्फ कंटैंट नहीं लिखना है, इसलिए राइटिंग स्किल्स के साथसाथ विषय पर मजबूत पकड़ होनी भी बहुत जरूरी है. टेक्निकल डौक्यूमैंट तैयार करने में भी महारत हासिल होनी चाहिए. आप को टैक्निकल बातों को सरलता के साथ कहने की कला भी आनी चाहिए. औनलाइन प्लेटफौर्म पर टैक्निकल कंटैंट को प्रेजैंट करने की कला आनी भी बहुत जरूरी है. पब्लिकेशन सौफ्टवेयर और टैक्नीकल टूल्स की समझ आवश्यक है.
प्रौपर्टी डीलिंग
क्षेत्र के लोगों से अच्छाखासा परिचय हो, आप का जनसंपर्क और सामाजिक नैटवर्क अच्छा हो, तो आप घर बैठे प्रौपर्टी खरीदने व बेचने के इच्छुक लोगों के बीच डील करवा कर कमीशन ले कर कमाई कर सकते हैं. इस के लिए आप को निरंतर लोगों के संपर्क में रहना होगा, आसपास बिक रही पुरानी प्रौपर्टी या नए बन रहे कौंप्लैक्स व खाली पड़े प्लौट्स की जानकारी रखनी होगी. जैसेजैसे इस फील्ड में आप का अनुभव और संपर्क बढ़ता जाएगा, वैसेवैसे काम का वौल्यूम भी बढ़ जाएगा.
टिफिन सर्विस
आजकल अच्छी टिफिन सर्विस की बड़ी डिमांड है. बाहर से आप के शहर में पढ़ने आए स्टूडैंट्स और औफिस जाने वाले लोगों को टिफिन के जरिए स्वादिष्ठ और अच्छी क्वालिटी का खाना सप्लाई कर सकें, तो जल्दी ही आप की धाक जम जाएगी. काम ज्यादा होने पर आप रसोइया भी रख सकते हैं. सप्लाई करने के लिए महल्ले के बेरोजगार युवाओं की मदद ली जा सकती है. अपनी इस सर्विस के क्लाइंट ढूंढ़ने के लिए आप को स्कूल, कालेज, कोचिंग सैंटर और औफिस एरिया में अपना प्रचार करना पड़ेगा.
पार्लर सर्विसेज
बेहद व्यस्त महिलाएं ब्यूटीपार्लर जाने के बजाय स्किल्ड ब्यूटी ऐक्सपर्ट को अपने घर बुला कर ही अपने रूपसौंदर्य की देखभाल करना चाहती हैं. ऐसे में अगर आप ने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है, तो अपनी ब्यूटी किट तैयार रखें. शुरूशुरू में कामकाजी महिलाओं के बीच आप को अपनी सर्विस का प्रचार करना होगा. जरूरत पड़े तो आप अपनी जैसी रुचि वाली एकाध अन्य महिलाओं से भी कौंटैक्ट रखें ताकि आप को समय न हो, तो आप उन्हें कमीशन बेसिस पर भेज कर अपना क्लाइंट बेस भी बनाए रख सकें.
एल्डर केयर एजेंसी
पतिपत्नी के कामकाजी होने, एकल परिवारों के चलन या घर के युवा सदस्यों के नौकरीपेशा होने की वजह से बुजुर्गों की देखभाल सही ढंग से नहीं हो पाती. समय की जरूरत को देखते हुए आज कई लोग एल्डर केयर एजेंसियां चला रहे हैं. इन के लोग इन बुजुर्गों के साथ उन के घर जा कर समय गुजारते हैं और उन की देखभाल करते हैं. आप भी भरोसेमंद लोगों को हायर कर के ऐसी सर्विस मुहैया करवा सकते हैं. इस के लिए आप को संवेदनशील और सतर्क केयरटेकर की भूमिका निभानी होगी.
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एचआईवी का संक्रमण आज भी देशभर के आम लोगों के लिए आफत है. बिना सावधानी बरते सैक्स करने से तो यह होता ही है, अस्पतालों में जहां लोग इलाज के लिए जाते हैं, वहां से भी एचआईवी ला सकते हैं. हमारे गांवों, देहातों, कसबों में सैक्स की खुली बिक्री होती रहती है और कंडोम खरीदना, हमेशा साथ रखना और जरूरत के समय बारबार बदलना एक आफत का काम है और जो जबरन और ज्यादा सैक्स के आदी हो चुके हैं, उन से तो यह उम्मीद करना बेकार है.
यह आदमी से औरत में, औरत से बच्चों और बच्चों से दूसरों तक हो सकता है. कई छोटे बच्चों को यदि एक ही सिरिंज से इंजैक्शन दिया जाए तो बिना किसी अपने दोष के वे एचआईवी फैलाने का जरीया बन सकते हैं. लखनऊ के उन्नाव जिले में जिस शातिर नीमहकीम की वजह से सैकड़ों लोग एड्स के बीमार हो गए हैं उन में 5 साल के बच्चे तक हैं और अब वे समाज, स्कूल, खेल के मैदान से निकाल दिए गए हैं. उन्हें अपने घर छोड़ने पड़ रहे हैं.
अफ्रीका के जंगलों से आया यह रोग पहले केवल समलैंगिकों में था पर धीरेधीरे सब तरह के लोगों में फैलने लगा है और इस की अचूक दवा अभी तक नहीं मिली है. हमारे गांवों में तो इस का इलाज ही नहीं किया जाता, उसे पापी मान कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है और समाज के श्मशान में जलाने तक नहीं दिया जाता. ऊपर से पाखंड की दुकानदारी हमारे यहां गांवगांव में खूब पनप रही है.
वैबसाइट पर नीचे वाला उपचार दिया गया है: ‘‘भगवान सूर्य ने ही पतंजलि ऋषि को वैज्ञानिक क्रिया बताई थी कि सूर्य नमस्कार प्रतिदिन 13 बार करने से रीढ़ की हड्डी में स्थित स्वाधिष्ठान चक्र में दिव्य ऊर्जा का विस्फोट होने लगता है जिस से एड्स के कीटाणु तेजी से मरने लगते हैं.’’
उन्नाव का नीमहकीम पकड़ा गया है पर सैकड़ों नहीं हजारों नीमहकीम भगवा दुपट्टा ओढ़े इस तरह का इलाज देशभर में कर रहे हैं और पागल बेवकूफ जनता पहले इन के चक्कर में बीमारी छिपाए रखती है फिर गांव तक छोड़ देने को मजबूर हो जाती है. अकसर गांव वाले छोड़े गए इन मकानों को आग लगा देते हैं और फिर दबंग लोग जमीन पर कब्जा कर लेते हैं. एड्स का भी नाजायज फायदा जम कर उठाया जा रहा है.
असल में तो इस देश को गरीबी, बेअक्ली के एड्स ने घेर रखा है. इस एड्स ने 125 करोड़ लोगों को बीमार कर रखा है, असल एड्स क्या मुकाबला करेगा.
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‘‘किताबों के बजाय युवाओं का झुकाव सिनेमा की ओर अधिक है.’’ यह बात जब साहित्य अकादमी व पदमश्री पुरस्कार से सम्मानित लेखक रस्किन ब्रैंड कहते हैं तो अंदाजा लग जाता है कि इस देश में फिल्मों को ले कर युवाओं में जबरदस्त क्रेज है. कुछ समय पहले पाकिस्तानी सांसदों ने भी कहा था कि उन के देश में हिंदी फिल्मों की बाढ़ आ गई है और इन्हें देख कर युवाओं का दिमाग खराब हो रहा है.
यह बातें 2 अहम मसलों की तरफ इशारा करती हैं. पहला यह कि यूथ व टीनेजर्स का फिल्मों से स्ट्रौंग कनैक्शन है और दूसरा यह कि ज्यादातर फिल्में युवाओं को मनोरंजन के नाम पर सिर्फ सैक्स, अपराध, नशा, कामचोरी के शौर्टकट्स और हिंसा का कू़ड़ा परोस रही हैं.
यूथ सिनेमा के नाम पर जिन फिल्मों को मल्टीप्लैक्स में बेचा जा रहा है उन में न तो यूथ या टीनेजर्स को इंस्पायर करने वाली कहानी या संदेश होते हैं और न ही उन में उन की उम्र के मुताबिक मुद्दे होते हैं. और तो और इन फिल्मों में काम करने वाले सारे ऐक्टर, अक्षय कुमार, सलमान खान, शाहरुख खान, संजय दत्त और आमिर खान सभी 40-50 साल से ऊपर के हैं, खुद को यूथ आइकन मानते हैं. जाहिर है यूथ को फिल्मों में उन की उम्र के हिसाब से न तो कहानियां मिल रही हैं, न ही ऐक्टर्स.
औप्शंस से दूर युवा
इस साल रिलीज हुई फिल्मों का यूथ से दूरदूर तक का नाता नहीं था. इस के बावजूद अगर सिनेमाघरों में युवा लंबी कतारों में टिकट लेने के लिए खड़े होते हैं तो सिर्फ इसलिए कि उन के पास कोई औप्शन नहीं बचा है. साल 2017 में रिलीज फिल्मों में कमाई के हिसाब से टौप ग्रोसर फिल्मों में ‘टौयलेट एक प्रेमकथा’, ‘बाहुबली 2’, ‘रईस’, ‘जौली एलएलबी 2’, ‘काबिल’, ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’, ‘हैरी मेट सेजल’ और ‘हिंदी मीडियम’ जैसे नाम प्रमुख हैं. इन फिल्मों में युवाओं के मतलब की कहानियां सिरे से गायब हैं.
कोई फिल्म शराब किंग की लाइफ को ग्लैमरस स्टाइल में पेश कर रही है तो कोई बीवी के रेप के रिवेंज पर बेस्ड है. कोई फिल्म कोर्टकचहरी के पेचीदा मसलों पर है तो कोई राजामहाराजाओं के फर्जी इतिहास में लिपटे धार्मिक अंधविश्वास को बढ़ावा देती है. यह बात सिर्फ इस साल रिलीज फिल्मों पर लागू नहीं होती, बल्कि हर साल ऐसी ही फिल्में रिलीज और कामयाब होती हैं. कुल मिला कर यूथ के पास जो भी फिल्में देखने के लिए बतौर विकल्प आती हैं, उन में उन की दिलचस्पी के फैक्टर्स बिलकुल ही गायब होते हैं.
यूथ की प्रौब्लम्स, इश्यूज और गाइडैंस
आज का यूथ किन समस्याओं से दोचार है? बेरोजगारी से परेशान है. उसे नौकरी मिल भी रही है तो उस की काबिलीयत के हिसाब से कमतर है. रोमांस और लव के मोरचे पर भी यूथ लड़खड़ा जाता है. लव, सैक्स और धोखे में गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड के उलझे रिश्ते कब अपराध या गलत रास्ते की तरफ मुड़ जाते हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता.
इंटरनैट और सोशल मीडिया के जाल में फंस कर युवा किताबों और अपने सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों से दूर हो रहा है. वह फेसबुक की दुनिया में फैले वर्चुअल रिश्तों को हकीकत मान कर असली रिश्तों व जिम्मेदारियों से कट रहा है. जौब और एजुकेशन के बढ़ते तनाव के चलते वह सुसाइड कर रहा है. मोबाइल गैजेट से घिरा युवा कम उम्र में ही वयस्कों को होने वाली बीमारियों को न्योता दे रहा है. ‘ब्लू व्हेल्स’ सरीखे हिंसक वीडियो गेम्स में उलझ कर युवा जान गंवा रहा है. पौकेटमनी के लिए वह गलत संगत में लूटपाट करने से नहीं चूकता है. कोचिंग, कैरियर के मकड़जाल में फंस कर युवा अपने भविष्य को ले कर पसोपेश में है.
अब जरा सोच कर देखिए, इन में किस मुद्दे पर युवाओं के लिए किसी फिल्मकार या सुपरस्टार ने कोई फिल्म बनाई है? उपरोक्त तमाम समस्याओं या उलझनों से निकालने के सुझाव देती कोई फिल्म याद नहीं आती. कोई फिल्म यह नहीं बताती कि बेहतर कैरियर की दिशा में क्या करना चाहिए. न यह बताती है कि प्रेम के पेचीदा रिश्तों की गांठ कैसे सुलझाई जाए. शिक्षा और रोजगार के बढ़ते बोझ और डिप्रैशन से बाहर निकलने का सही रास्ता भी नहीं दिखाती कोई फिल्म. टूटते रिश्तों, दोस्ती के सही माने और परिवार को जोड़ कर साफसुथरा मनोरंजन दिखाने वाली फिल्में नहीं बना रहा कोई.
फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ को अपवाद मान सकते हैं, लेकिन ऐसी फिल्में हमेशा ऊंट के मुंह में जीरा समान ही होती हैं. कभीकभार 10 साल में एक बार ‘थ्री इंडियट्स’ या ‘ओह माई गौड’ सरीखी फिल्में आ जाना या ‘कच्चा लिम्बू’, ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘मुझ से फ्रैंडशिप करोगे’, ‘गिप्पी’, ‘चारफुटिया छोकरे’ और ‘पुरानी जींस’ जैसी अननोटिस फिल्में देश के इतने बड़े यूथ के लिए ना काफी हैं.
ऐसे में किस तरह उम्मीद की जा सकती है कि युवाओं को सार्थक मनोरंजन मिलेगा? दरअसल, फिल्मकार आज के यूथ और टीनेजर की समस्या समझना ही नहीं चाहते. और जब तक वे उन की समस्या समझेंगे नहीं, तब तक मनोरंजन के साथ सही गाइडैंस, सही रास्ता दिखाने वाली फिल्में कैसे बनाएंगे?
मौजमस्ती, दारू, जुआ, अपराध और कैजुअल सैक्स
युवाओं के लिए सकारात्मक और सार्थक मनोरंजन से लैस, गाइड करने वाली फिल्मों का न बनना जितनी बड़ी समस्या है, उस से भी बड़ी समस्या यह है कि बौलीवुड समेत हर रीजन या लैंग्वेज का सिनेमा यूथ को 4 बोतल वोडका पी कर सारी रात पार्टी करने की सलाह दे रहा है.
फिल्मों के गाने हों या कहानी, हर जगह यूथ को रेव पार्टियों में दारू पी कर गर्लफ्रैंड की बांहों में झूमते ऐसे दिखाया जाता है मानो देश का हर युवा बड़ी आसानी से इतने महंगे शौक पाल सकता है. इन फिल्मों की देखादेखी यूथ भी ऐसे शौक पालने के चक्कर में कभी घर में चोरी करता है तो कभी बाहर.
एक बार नशे और सैक्स की बदनाम गली में फंसा युवा जब तक संभलता है, तब तक काफी देर हो चुकी होती है. फिल्म ‘बेफिक्रे’ से ले कर ‘नील और निक्की’ तक ‘उड़ता पंजाब’ से ले कर ‘आशिकी 2’, ‘ये जवानी है दीवानी’ के नशेड़ी हीरो आज युवाओं के आइक्रेस हैं तो समझा जा सकता है कि इन आइकंस से युवा भला क्या सबक लेते होंगे.
युवाओं को भटकाएं नहीं
फिल्मकार युवाओं के लिए बेहतर फिल्में नहीं बना सकते तो न सही, लेकिन जिंदगी को लड़की, दारू और पार्टी में डुबाने की फिलौसफी बेचना कहां तक जायज है? सलमान खान से ले कर संजय दत्त और शाहरुख खान सरेआम नशा करते हैं, धूम्रपान करते हैं. सोशल मीडिया पर नशे में गालियां देते और अश्लील हरकतें करते इन के वायरल वीडियो हर युवा के स्मार्टफोन पर जमा हैं.
नतीजतन, युवा भी ऐसे ही लाइफस्टाइल को फौलो करने लगते हैं. रातभर गर्लफ्रैंड के साथ रेव पार्टी करना, सैक्स पार्टीज में पैसे और समय बरबाद करना, कहीं न कहीं वे फिल्मों से ही सीखते हैं. फिल्मों में तो हीरो तमाम गलतियां कर आखिर में सुधर जाता है और हैपी एंडिंग हो जाती है, लेकिन असल जिंदगी में हैपी एंडिंग नहीं होती. कोई युवा फिल्मी स्टाइल में बैंक या एटीएम लूट रहा है तो कोई अपनी नकली किडनैपिंग का प्लौट रच रहा है. फिल्में जो उन्हें दिखाती हैं, वे वही सीख लेते हैं.
स्क्रीन कौर्नर में चेतावनी काफी नहीं
धूम्रपान या शराब पीने वाले सीन में स्क्रीन के कौर्नर में सिर्फ चेतावनी देना काफी नहीं होता. युवा जब अपने चहेते फिल्मस्टार्स को नशे में डूबा हुआ देखते हैं तो वे उन के हेयरस्टाइल, फैशन और हर शौक को फौलो करने की आदत के चलते इस गलत शौक को भी अपना लेते हैं. आशा है कि पहलाज निहलानी की जगह आए प्रसून जोशी इस बात को समझेंगे.
सामान्यतया बड़ों की तुलना में छोटे बच्चे, किशोर और युवा फिल्मेनिया की चपेट में आते हैं. कुछ फिल्मों से समाज तथा युवावर्ग पर अच्छा प्रभाव भी पड़ता है लेकिन ज्यादातर फिल्में उलटा और शौर्टकट रास्ता ही सुझाती हैं. जिन फिल्मों में युवावर्ग में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और मानव मूल्यों का प्रसार करने वाला कथानक होना चाहिए, उन में अश्लील डांस और नशे की वकालत होती है. जिन फिल्मों में जातिप्रथा, दहेजप्रथा, भ्रष्टाचार, कामचोरी और भाईभतीजावाद जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने की प्रेरणा होनी चाहिए, वहां संपत्ति विवाद, गुलामी, लंपट चरित्रचित्रण और धर्म व अपराध का महिमामंडन होता है. यही वजह है कि आज यूथ को सही दिशा देने वाला सिनेमा कहीं नहीं दिखता.
दायित्व समझें फिल्मकार
फिल्मकारों को यह पता होना चाहिए कि युवा देश का भविष्य निर्माता है, उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऐसी फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिन में मनोरंजन व मार्गदर्शन दोनों का सम्मिलित पुट हो. युवाओं के अति संवेदनशील मन को सामाजिक व नैतिक गुणों से भरपूर फिल्मों के माध्यम से जिम्मेदार नागरिक के रूप में तैयार किया जा सकता है. जब तक फिल्म निर्माता युवापीढ़ी के प्रति अपने इस दायित्व को नहीं समझेंगे तब तक युवाओं के लिए मनोरंजन की दुनिया सिवा अंधेरे और बर्बादीभरे रास्तों के कुछ भी नहीं होगी.
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आज वनिता सोसाइटी के प्रांगण में बड़ी गहमागहमी थी. मिसेज वर्मा की तेज आवाजें सब के कानों को चीर रही थीं, ‘‘किस ने कहा कि मेरे बेटेबहू का तलाक होने वाला है? तलाक हो मेरे दुश्मनों का. पता नहीं लोग कहां से बातें बना कर ले आते हैं. पहले अपने घर में झांक कर देखो तब दूसरों के बारे में बात करना. जो कहना है मेरे सामने कहो. पीछे बातें करने से क्या लाभ.’’
सब को सुना कर मिसेज वर्मा तो बड़बड़ाती हुई अपने घर चली गईं, परंतु सोसाइटी की अन्य महिलाओं को बातें बनाने का बहुत बड़ा मसाला दे गईं.
‘‘हम ने तो सुना था… पर यार परसों ही तो हम बात कर रहे थे. किस ने बता दिया जा कर वर्मा को… कल रात को भी तो मिसेज वर्मा और उन के बेटेबहू की जोरजोर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी. उन के घर की तो यह रोज की कहानी है. कभी सास के रोने की आवाजें आती हैं तो कभी बहू की. मिसेज वर्मा बहू की बुराई करती हैं तो उन की बहू अपनी सास की. कोई किसी से कम नहीं है,’’ सभी पड़ोसिनें मिसेज वर्मा के बारे में अपनेअपने कयास लगा रही थीं. आश्चर्य की बात यह है कि इस के तीसरे दिन ही उन्हीं में से कुछ महिलाएं मिसेज वर्मा के पास बैठ कर हंसहंस कर बातें करते हुए चायनाश्ता भी कर रही थीं.
वीणा और उस की पड़ोसिन रश्मि के परिवार के बीच घनिष्ठ संबंध थे. दोनों आपस में घरपरिवार की प्रत्येक बात शेयर करती थीं. एक दिन रश्मि को अपनी ही एक पड़ोसिन से वे बातें पता चलीं जो उस ने केवल वीणा के साथ ही शेयर की थीं. रश्मि को ये सब जान कर बहुत दुख हुआ कि जिस सखी पर उस ने भरोसा कर के अपनी अंतरंग बातें तक साझा कर दीं, उस ने ही उस के साथ ऐसा व्यवहार किया. धीरेधीरे रश्मि ने वीणा के परिवार से दूरी बना ली. वीणा की जरा सी नासमझी के कारण दोनों परिवारों के बरसों के बनेबनाए संबंध खराब हो गए.
दरअसल, जिस सहेली को वीणा ने रश्मि के बारे में बताया था उस ने ही रश्मि को फोन कर के समस्त वार्त्तालाप जस का तस सुना दिया.
अर्चना जब अपने नए घर में शिफ्ट हुई तो उस की एक पड़ोसिन ने दूसरी के बारे में सचेत करते हुए कहा, ‘‘अपनी बगल वाली से जरा होशियार रहना. बड़ी तेज है.’’
अर्चना बोली, ‘‘अच्छा वे जो गाउन पहने रहती हैं और ग्रामीण परिवेश से हैं.’’
अर्चना के द्वारा सामान्य शब्दों में कही गई यह बात और अधिक नमकमिर्च लगा कर उस की पड़ोसिन के पास कब और कैसे पहुंच गई उसे पता ही नहीं चला. काफी समय बाद जब एक दिन बातों ही बातों में उस ने अपनी उस पड़ोसिन को अपने घर आमंत्रित किया तो वह बोली, ‘‘न रे बाबा न हम गांव के बेअक्ल लोगों को आप अपने घर न बुलाएं तो ही अच्छा है.’’
पड़ोसिन की बातें सुन कर अर्चना को तो कोई जवाब ही नहीं सूझा. दरअसल, एकदूसरे की चुगली करने के लिए महिलाएं बदनाम हैं. कहावत है कि महिलाएं अपने पेट में बात पचा ही नहीं पातीं. उन्हें अपने से अधिक दूसरे के घर में क्या हो रहा है इस की चिंता रहती है. एकदूसरे की चुगली करते कब घंटों बीत जाते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता.
निंदा रस का मजा
हरिशंकर परसाईजी ने आज से बरसों पूर्व निंदा रस के बारे में लिखा था कि यह एक ऐसा रस है जिस का रसपान करने में महिलाओं को सर्वाधिक मजा आता है पर दुनिया गोल है के सिद्धांत की ही भांति 4 महिलाओं के द्वारा 5वीं के बारे में की हुई चुगली एक से दूसरी तक होते हुए कब 5वीं तक वृहदस्वरूप में पहुंच जाती है यह चुगली करने वाली तक को भी पता नहीं चलता और इस का नतीजा कई बार बड़े ही भयावह रूप में सामने आता है.
अस्मि की नई पड़ोसिन जब आई तो सर्दियों के दिनों में अकसर अस्मि उसे चाय पर बुला लेती. अगलबगल के फ्लैटों की महिलाएं भी आ जातीं. चाय के साथ पड़ोस की कुछ चर्चा होना तो स्वाभाविक सी बात थी. उधर अस्मि की नई पड़ोसिन अन्य पड़ोसिनों के घर जा कर वहां की गई बातों को नमकमिर्च लगा कर दूसरों को बताती, जिस में वह स्वयं को तो साफ बचा लेती और बाकियों को फंसा देती.
इस प्रकार की चुगली में कामकाजी महिलाएं समय की कमी के कारण कम ही शामिल हो पाती हैं, परंतु घर का काम समाप्त कर के पासपड़ोस के हर घर के बारे में बातें करना आमतौर पर महिलाओं की आदत में शुमार होता है. इस का कारण है उन की सोच के दायरे का बेहद सीमित होना और व्यर्थ की बातें करने के लिए भरपूर समय होना. कई बार जानेअनजाने में दूसरे के बारे में हमारे द्वारा कही गई बात जब हमारे ही सामने आती है तो काफी शर्मनाक स्थिति हो जाती है और अपनी स्थिति साफ करने के लिए आप को बारबार अपना स्पष्टीकरण देना पड़ता है, इसलिए जहां तक हो इन सब से यथासंभव बचने का प्रयास करना चाहिए.
पहले तोलें फिर बोलें
यह सही है कि निंदा रस में बड़ा मजा आता है, परंतु यह निंदा रस आप के अंदर तो नकारात्मकता भरता ही है, कई बार दूसरों के सामने भी आप की स्थिति को खराब कर देता है. कहा जाता है कि दीवारों के भी कान होते हैं, इसलिए आज आप के द्वारा दूसरों के बारे में कही गई बात कभी न कभी सामने वाले के पास पहुंच ही जाएगी. ऐसे में आप के संबंध बिगड़ते देर नहीं लगेगी.
अपने पड़ोसियों से सदैव एकजैसा व्यवहार रखें, न स्वयं किसी दूसरे के व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानने की जिज्ञासा रखें और न ही दूसरों को अपने बारे में व्यर्थ की जानकारी दें. आप के जीवन या परिवार से जुड़ी कोई समस्या यदि आप के जीवन में है तो उसे पड़ोसियों के बीच में न गाएं, क्योंकि वे आप की समस्या का कोई समाधान तो दे नहीं सकते, फिर उन के सामने गाना गाने से क्या लाभ. समस्या सदैव उसे बताएं जो आप की समस्या का समाधान कर सके.
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प्यार खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि युवाओं पर चढ़े प्यार का खुमार शादी होने के बाद तेजी से उतरने लगता है. हाथों में हाथ ले कर प्यार में जीनेमरने के वादे करने वाले जल्द ही मरनेमारने पर उतारू हो जाते हैं. दरअसल, शादी के बाद रिश्ते को कानूनी अधिकार व सामाजिक मान्यता मिलने से नवयुगल की एकदूसरे से चाहत और उम्मीदें भी अधिक बढ़ जाती हैं. अब वे एकदूसरे में अपने मनमुताबिक बदलाव देखना चाहते हैं.
ब्रिटिश रिसर्च एजेंसी जिंजर द्वारा नए शादीशुदा कपल्स पर एक सर्वे किया गया. इस सर्वे में कई रोचक परंतु चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.
रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट और साइकोलौजिस्ट डोना डावसन कहती हैं, ‘‘इस सर्वे में कई चौंका देने वाली बातें सामने आई हैं, जिन से पता चलता है कि नए कपल्स को एकदूसरे के प्यार की किस कदर जरूरत महसूस होती है. स्त्रियों के मुकाबले पुरुषों में अपने पार्टनर से स्नेह की अधिक चाह होती है. शादी के बाद एक पत्नी की चाहत होती है कि पति शादी से पहले की अपनी तमाम बुरी आदतों को छोड़ दे. बातबात में उस से नाराज न हो और उस की बातों को ध्यान से सुने, उस की तारीफ करे.’’
जबकि पति चाहता है कि पत्नी से वह अधिक प्यार करे. वह यह भी चाहता है कि उस की पत्नी दूसरे की पत्नी से ज्यादा ग्लैमरस दिखे. वह अपनी पत्नी को दूसरी औरतों से ज्यादा स्मार्ट रखना चाहता है. वह चाहता है कि उस की पत्नी थकी न दिखे. शादी होते ही एकदूसरे में बहुत कुछ बदलाव देखना चाहते हैं न्यू कपल. इन बदलावों के न होने पर उन्हें मायूसी हाथ लगती है, जो धीरेधीरे खीज में बदल जाती है.
बदलने की शिकायत
जहां एक तरफ नईनई हुई शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे में बदलाव देखना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर शादी के बाद कई पतिपत्नी यह भी कहते सुने जाते हैं, ‘तुम पहले तो ऐसे न थे या शादी के बाद तुम बहुत बदल गए हो.’
इस की जड़ में मूलतया यही बात होती है कि शादी के बाद हर वक्त साथ रहने से पतिपत्नी को एकदूसरे के बारे में कई नई बातें पता चलती हैं, जिन्हें वे शादी से पहले नहीं जान पाते. मसलन, पार्टनर का देर तक सोना, देर से नहाना, काम टालना, किसी दूसरे रिश्ते को ज्यादा महत्त्व देना, अपने कमरे व सामान को बेतरतीब रखना इत्यादि, कई लोग शादी के पहले अपने पार्टनर को इंप्रैस करने के चक्कर में वे काम भी करने लगते हैं, जो उन की आदत में शामिल नहीं होते. फलतया शादी के बाद वे जब अपने असली रूप में आते हैं तो पार्टनर को लगता है कि वह बदल गया.
पहले तो ऐसे नहीं थे
सुयश की दीवानी विभा को शादी होते ही सुयश की कई नई आदतों का पता चला जो उसे बिलकुल अच्छी नहीं लगीं. शादी के पहले उस ने सुयश को हमेशा टिपटौप देखा था. उसे लगा था कि खुद को इतने अच्छे तरीके से प्रेजैंट करने वाला सुयश घर में भी ऐसे ही साफसफाई और सलीके से रहता होगा. पर वास्तव में सुयश ऐसा नहीं था. सिर्फ विभा को इंप्रैस करने के लिए वह स्मार्ट बन कर रहता था.
सच तो यह था कि सुयश कईकई दिनों तक नहाता भी नहीं था. बाथरूम यूज करने के बाद फ्लश नहीं चलाता था. यहां तक कि अपना वार्डरोब और कमरा भी बेहद गंदा रखता था. उस की आदतें देख विभा के मुंह से अब अकसर यही निकलता कि कितने बदल गए हो तुम. पहले तो ऐसे न थे और इन्हीं बातों पर अकसर उन की हलकी सी कहासुनी एक बड़ी झड़प में बदल जाती.
बदलाव के मूल में परिस्थितियां
हकीकत में शादी के बाद बदलता कुछ भी नहीं है. न ही पतिपत्नी की सोच, न ही उन का व्यवहार या रवैया. हां, यदि इस बीच उन में कोई बदलाव दिखाई देता है तो उस बदलाव के मूल में होती हैं परिस्थितियां. ये बदलाव अनायास हमारी जिंदगी के साथ होते हैं, जो बदलती परिस्थितियों के साथ स्वाभाविक तौर पर हमारे स्वभाव में शामिल होते चले जाते हैं.
पहले जिन्हें सिर्फ अपनी व्यक्तिगत लाइफ से सरोकार था, स्वछंद जिंदगी जीना जिन की आदत में शुमार था, पर चूंकि शादी के बाद दोनों मिल कर एक परिवार बनाते हैं, इस नाते वे कई नई पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी जुड़ जाते हैं. कभीकभी समय व उचित प्रबंधन की कमी भी उन्हें अपने पार्टनर की कसौटी पर खरा नहीं उतरने देती, जिस से पार्टनर अपनेआप को उपेक्षित मानने लगता है और शिकायत करने लगता है.
इस वक्त थोड़ी सी समझदारी
जरा सा आपसी तालमेल रिश्तों की इस नई पौध को नवजीवन दे सकता है. आइए, जानें कि कौनकौन सी बातें नवदंपती को जीवनपर्यंत एकदूसरे से जोड़े रख सकती हैं:
– कोई भी व्यक्ति सर्वगुणसंपन्न नहीं होता, इसलिए पार्टनर को उस की कमियों के साथ स्वीकार करें. धीरेधीरे उन कमियों को दूर करने की कोशिश की जा सकती है.
– अगर अपने पार्टनर में कोई सकारात्मक बदलाव देखना चाहते हैं तो उस के लिए प्यारमनुहार का सहारा लीजिए, क्योंकि क्रोध और जबरदस्ती रिश्तों की जड़ को सुखाने का काम करते हैं.
– लाइफ पार्टनर पर भरोसा जताएं, उसे बताएं कि आप उस की फिक्र करते हैं. इस के लिए छोटेछोटे मौकों पर छोटेछोटे गिफ्ट दे कर अपनी भावनाओं को व्यक्त किया जा सकता है, क्योंकि पार्टनर के लिए आप का प्रयास और भावनाएं अधिक महत्त्वपूर्ण हैं बजाय वस्तु की कीमत के.
– याद रखें किसी भी बात को छिपाना या झूठ बोलना किसी भी रिश्ते पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है. अत: अपने से हुई किसी भी गलती को छिपाने के बजाय ईमानदारी से अपने हमराही को बता दें.
– रूठनामनाना हर रिश्ते के लिए संजीवनी का काम करता है. इस रिश्ते में भी इस संजीवनी बूटी को उपयोग में लाएं. हमसफर से रूठें परंतु जल्द ही मान भी जाएं और उसे प्यार से मनाएं भी.
– शादी होने के बाद यह न सोचें कि आप के प्यार को मंजिल मिल गई. अब आप को उस के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं,
बल्कि शादी तो सिर्फ एक पड़ाव है पूरी जीवनयात्रा जीवनसाथी के साथ तय करनी बाकी है. अत: अपने साथी को खुश करने हेतु प्रयास जारी रखें.
– एकदूसरे के रिश्तेदारों को ले कर टकराहट का माहौल न बनने दें. अपनेअपने घर वालों को सही साबित करने की फिराक में न लगें.
– खुद को दूसरे से बेहतर साबित करने वाली किसी होड़ का हिस्सा न बनें, बल्कि जीवनसाथी के मन व भावनाओं का सम्मान करें. सौरी, प्लीज, थैंक्यू जैसे छोटेछोटे शब्द जीवनसाथी के जीवन में आप की गरिमा निश्चित रूप से बढ़ा देते हैं.
– छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करना सीखें. पार्टनर पर बेवजह शक कर के उसे शर्मिंदा न करें. याद रखें 2 दिलों के इस पवित्र बंधन में अहं व वहम का कोई स्थान नहीं होना चाहिए.
शादी के बाद हुए बदलावों को हौआ समझ कर बवाल खड़ा न करें, बल्कि हर बदलाव या परिवर्तन को समझें और उसे स्वीकार करें. वक्त व हालात के अनुसार स्वयं को ढालने की कोशिश आप दोनों की जिंदगी को बेहतर मोड़ दे सकती है. एकदूसरे से हुई छोटीमोटी गलतियों को माफ करते चलें, मुसकरा कर.
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