आज वनिता सोसाइटी के प्रांगण में बड़ी गहमागहमी थी. मिसेज वर्मा की तेज आवाजें सब के कानों को चीर रही थीं, ‘‘किस ने कहा कि मेरे बेटेबहू का तलाक होने वाला है? तलाक हो मेरे दुश्मनों का. पता नहीं लोग कहां से बातें बना कर ले आते हैं. पहले अपने घर में झांक कर देखो तब दूसरों के बारे में बात करना. जो कहना है मेरे सामने कहो. पीछे बातें करने से क्या लाभ.’’

सब को सुना कर मिसेज वर्मा तो बड़बड़ाती हुई अपने घर चली गईं, परंतु सोसाइटी की अन्य महिलाओं को बातें बनाने का बहुत बड़ा मसाला दे गईं.

‘‘हम ने तो सुना था... पर यार परसों ही तो हम बात कर रहे थे. किस ने बता दिया जा कर वर्मा को... कल रात को भी तो मिसेज वर्मा और उन के बेटेबहू की जोरजोर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी. उन के घर की तो यह रोज की कहानी है. कभी सास के रोने की आवाजें आती हैं तो कभी बहू की. मिसेज वर्मा बहू की बुराई करती हैं तो उन की बहू अपनी सास की. कोई किसी से कम नहीं है,’’ सभी पड़ोसिनें मिसेज वर्मा के बारे में अपनेअपने कयास लगा रही थीं. आश्चर्य की बात यह है कि इस के तीसरे दिन ही उन्हीं में से कुछ महिलाएं मिसेज वर्मा के पास बैठ कर हंसहंस कर बातें करते हुए चायनाश्ता भी कर रही थीं.

वीणा और उस की पड़ोसिन रश्मि के परिवार के बीच घनिष्ठ संबंध थे. दोनों आपस में घरपरिवार की प्रत्येक बात शेयर करती थीं. एक दिन रश्मि को अपनी ही एक पड़ोसिन से वे बातें पता चलीं जो उस ने केवल वीणा के साथ ही शेयर की थीं. रश्मि को ये सब जान कर बहुत दुख हुआ कि जिस सखी पर उस ने भरोसा कर के अपनी अंतरंग बातें तक साझा कर दीं, उस ने ही उस के साथ ऐसा व्यवहार किया. धीरेधीरे रश्मि ने वीणा के परिवार से दूरी बना ली. वीणा की जरा सी नासमझी के कारण दोनों परिवारों के बरसों के बनेबनाए संबंध खराब हो गए.

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