एचआईवी का संक्रमण आज भी देशभर के आम लोगों के लिए आफत है. बिना सावधानी बरते सैक्स करने से तो यह होता ही है, अस्पतालों में जहां लोग इलाज के लिए जाते हैं, वहां से भी एचआईवी ला सकते हैं. हमारे गांवों, देहातों, कसबों में सैक्स की खुली बिक्री होती रहती है और कंडोम खरीदना, हमेशा साथ रखना और जरूरत के समय बारबार बदलना एक आफत का काम है और जो जबरन और ज्यादा सैक्स के आदी हो चुके हैं, उन से तो यह उम्मीद करना बेकार है.
यह आदमी से औरत में, औरत से बच्चों और बच्चों से दूसरों तक हो सकता है. कई छोटे बच्चों को यदि एक ही सिरिंज से इंजैक्शन दिया जाए तो बिना किसी अपने दोष के वे एचआईवी फैलाने का जरीया बन सकते हैं. लखनऊ के उन्नाव जिले में जिस शातिर नीमहकीम की वजह से सैकड़ों लोग एड्स के बीमार हो गए हैं उन में 5 साल के बच्चे तक हैं और अब वे समाज, स्कूल, खेल के मैदान से निकाल दिए गए हैं. उन्हें अपने घर छोड़ने पड़ रहे हैं.
अफ्रीका के जंगलों से आया यह रोग पहले केवल समलैंगिकों में था पर धीरेधीरे सब तरह के लोगों में फैलने लगा है और इस की अचूक दवा अभी तक नहीं मिली है. हमारे गांवों में तो इस का इलाज ही नहीं किया जाता, उसे पापी मान कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है और समाज के श्मशान में जलाने तक नहीं दिया जाता. ऊपर से पाखंड की दुकानदारी हमारे यहां गांवगांव में खूब पनप रही है.
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