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वाई-फाई की स्पीड बढ़ानी है तो अपनाएं ये टिप्स

आजकल कई लोगों के घर में वाई-फाई का कनेक्शन होता है. इसके जरिए वो किसी भी डिवाईस से वाई-फाई कनेक्ट कर इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसे में अगर वाई-फाई कनेक्शन स्लो हो जाए तो, काफी परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है.

ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स देने जा रहे हैं, जिसके जरिए आप बड़ी ही आसानी से वाई-फाई नेटवर्क को बूस्ट कर सकते हैं, यानि इसके जरिए आपके वाई-फाई कनेक्शन की स्पीड तेज हो जाएगी.

राउटर को घर में किसी ऐसी जगह लगाएं जहां उसे बेहतर सिग्नल मिले. अगर आपका राउटर घर में अंदर की तरफ लगा है तो उसे वहां से हटाकर बाहर की तरफ लगा दें. इससे आपको वाई-फाई के सिग्नल में काफी बदलाव नजर आएगा.

जब भी आप राउटर को अपने घर में कहीं लगाते है तो ध्यान रहे कि उसकी सिग्नल रेंज के बीच में किसी भी तरह का मेटल न आए. क्योंकि मेटल वाई-फाई तक सिग्नल पहुंचाने में बाधा बनता है.

जब भी आप वाई-फाई इस्तेमाल करें तो कोशिश करें आपकी डिवाईस वाई-फाई के पास हो. वाई-फाई को घर में किसी ऐसी जगह लगाएं जहां से आप उसके पास रह सकें. अगर आपका घर ज्यादा बड़ा है तो आपको घर में वाई-फाई के साथ एक्सटेंडर लगाने की जरुरत है.

क्या आप यह जानते है कि माइक्रोवेब आपके वाई-फाई को स्लो कर सकता है? ऐसा इसलिए क्योंकि माइक्रोवेब 2.4 गीगाहर्ट्ज की फ्रिक्वेंसी पर काम करता है जो कि 2.4 गीगाहर्ट्ज वाई-फाई बैंड के जितना ही होता है. ऐसे में जब भी माइक्रोवेब और वाई-फाई के सिग्नल एकसाथ टकराते हैं तो वाई-फाई स्लो हो जाता है.

दिल तो सामान हो गया

भाईभाई की रंजिश में

बड़ा नुकसान हो गया

घर, घर न रहा, मकान हो गया

रोज दफन होने लगीं जज्बातों की लाशें

जीवन तो जैसे अब श्मशान हो गया

कम पड़ जाती है उम्र जुड़ने में लेकिन

टूटना रिश्तों का आसान हो गया

खून के रिश्तों में भी

नहीं रही अब वो बात

मतलबी दुनिया में

इंसान मतलब का हो गया

दर्द नहीं होता

जख्म देने वालों के दिल में

दिल तो जैसे

बाजार का सामान हो गया.

भगवाइयों से भाजपा को चुनौती

31 मई को आए 15 उपचुनावों के नतीजों ने साफ कर दिया है कि वर्ष 2019 के आम चुनावों में विपक्षी दलों में गठबंधन हो पाए या न हो पाए लेकिन इतना पक्का है कि मोदी के विरोध में अधिकांश जनता अपना वोट किसी सक्षम दल को ही देगी. आज जनता आसानी से समझ लेती है कि पलड़ा किस का भारी है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वोटों के विभाजन के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया जबकि ऐसी ही स्थिति में, इसी वोट शेयर में, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटों के बंटवारे के कारण भाजपा जम कर जीत गई थी. कांग्रेस की उदारता 2019 में होने वाले आम चुनावों में काफी काम आएगी. कांग्रेस ने ही कर्नाटक में विपक्षी दलों को एक मंच पर एकत्र किया था. यह जनता दल (सैक्युलर) के देवगौड़ा या उन के पुत्र कुमारस्वामी के वश का नहीं था. जो उत्साह विरोधी दलों में अब पैदा हुआ है और जिस तरह भारतीय जनता पार्टी आक्रामक भूमिका से आत्मरक्षक भूमिका में चली गई है, वह कांग्रेसी नेताओं की धौंस जताने की प्रवृत्ति को छोड़ने से हुआ है. 2019 में दल चाहे एक न हों पर होगा सीधा मुकाबला ही.

भारतीय जनता पार्टी ने अपने 4 सालों के शासन से सिद्ध कर दिया है कि वह नितांत पेशवाईराज स्थापित करना चाहती है जिस में कहने को चाहे साहूजी महाराज राज कर रहे हों पर शासन की बागडोर ब्राह्मण पेशवा के हाथों में ही रहेगी. जमीनी हकीकत से बेखबर या उस की चिंता न करने वाले आज के ब्राह्मण शासक सदियों से रामायण, महाभारत, पुराणों, स्मृतियों को आदर्श मान कर राज करना चाहते हैं. इन ग्रंथों का न तब कोई आदर्श था न आज है. चूंकि इन्हें पढ़ने की इजाजत वर्गविशेष को ही थी इसलिए इन का उपयोगसदुपयोग वही जानते थे. यदि आज संविधान को गुप्तज्ञान बना दिया जाए और इसे केवल सरकार व जज ही पढ़ सकें तो क्या देश में लोकतंत्र रहेगा? वह हिटलरशाही होगी और जो जनता को मंजूर नहीं है.

महंगाई या बेरोजगारी आज जनता के लिए इतना महत्त्वपूर्ण विषय नहीं है जितना संवैधानिक अधिकार. इन अधिकारों के जरिए 85 प्रतिशत जनता को नया रास्ता मिला है. इन पर आक्रमण वही समझ सकता है जो इन का पहली बार उपयोग कर रहा हो. वहीं, जो सामाजिक तौर पर पहले से ही श्रेष्ठ हैं, वे संवैधानिक अधिकारों की मांग नहीं करते क्योंकि उन के पास उस से बढ़ कर अधिकार हैं. भारतीय जनता पार्टी के साथ दिक्कत यह है कि उस की अर्धशिक्षित, पाखंडवादी फौज यह समझने को तैयार नहीं है कि जहां बहुमत की चलती हो वहां जनता से अधिकार छीनना सब से बड़ा जुर्म होता है. भगवाधारी स्वयंसेवकों ने कानून हाथ में ले कर जो आतंक मचा रखा है, उस पर जनविद्रोह नहीं हो रहा क्योंकि उस के जनक पुलिस वाले नहीं हैं. पर लोगों को रुष्ट करने के लिए ये काफी हैं. 2019 में भाजपा को चुनौती उस के अपने ही पिट्ठू देंगे, विपक्षियों के मंच नहीं. यह 15 में से केवल 3 सीट जीत पाने से साफ है.

फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’ से अक्षय खन्ना की हुई विदाई

अभिनेता व सांसद स्व. विनोद खन्ना के बेटे व अभिनेता अक्षय खन्ना एक बेहतरीन अभिनेता हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है. इस बात को वह कई बार साबित कर चुके हैं. कई वर्ष बाद श्री देवी के संग अपनी वापसी वाली फिल्म ‘‘मौम’’ में अपनी जबरदस्त परफार्मेंस से हर किसी को चौंका दिया. मगर वह अपने एटीट्यूड व अड़ियल रवैए के कारण खुद ब खुद अपने करियर पर कुल्हाड़ी मारते रहते हैं.

‘‘मौम’’के बाद उन्हे निर्माता कुमार मंगत व निर्देशक मनीष गुप्ता की फिल्म ‘‘सेक्शन 375 : मर्जी या जबरदस्ती’’ के लिए रिचा चड्ढा के साथ अनुबंधित किया गया था. वह इस फिल्म को लेकर काफी उत्साहित थे. उन्होंने फरवरी माह से इस फिल्म की शूटिंग के लिए तारीखें भी दे दी थी. मगर इसी बीच उन्हे राजनीतिक ड्रामे वाली फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ करने का आफर मिल गया. इसकी शूटिंग विदेश में होनी थी. अक्षय खन्ना ने बिना कुछ सोचे समझे फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ को न सिर्फ अनुबंधित किया, बल्कि फिल्म ‘सेक्शन 375’ के निर्माता को सूचना दिए बगैर फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ की शूटिंग के लिए लंदन चले गए.

परिणामतः फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’ की शूटिंग अधर में ही लटक गयी. इतना ही नहीं इसके बाद अक्षय खन्ना ने अपना एटीट्यूड दिखाना शुरू कर दिया. सूत्रों की माने तो अक्षय खन्ना ने फिल्म ‘सेक्शन 375’ के निर्माता से अपनी पारिश्रमिक राशि को दुगना करने की मांग करने के साथ साथ फिल्म की पटकथा में भी कई तरह के बदलाव की मांग कर दी. निर्माता ने अक्षय खन्ना के साथ कई बार बैठकें की, मगर परिणाम शून्य रहा. परिणामतः अब तक इस फिल्म की शूटिंग शुरू नहीं हो पायी.

बहरहाल, अब बौलीवुड के गलियारों में खबर गर्म है कि फिल्म ‘‘सेक्शन 375’’ के निर्माता ने अपनी इस फिल्म से अक्षय खन्ना की विदाई कर दी है और अब निर्माता अक्षय खन्ना के खिलाफ कानूनी कारवाई करने की तैयारी में है. वैसे इस मसले पर फिलहाल फिल्म ‘सेक्शन 375’ के निर्माता व निर्देशक के साथ साथ अक्षय खन्ना ने भी चुप्पी साध रखी है.

यदि यह सच है तो इससे अक्षय खन्ना को क्या मिलेगा, यह तो वही जानें..पर वह एक अच्छी फिल्म करने से वंचित रह गए.

रोबोट 2.0 के रिलीज में आखिर क्यों हो रही है देरी, बड़ी खबर

फिल्म काला की रिलीज़ के बाद अपने सुपरस्टार रजनीकांत को बड़े परदे पर देख कर खुशी से झूम रहे उनके फैंस के लिए ये खबर बुरी हो सकती है. रजनी की मच अवेटेड फिल्म 2. 0 को देखने के लिए अगले साल तक का इंतजार करना होगा.

रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर जिस फिल्म 2.0 को लेकर बेहद उत्सुक रहे हैं, उसके रिलीज की अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं है और अब ताजा खबर है कि फिल्म को सिनेमाघरों तक आने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा. फिल्म का पिछले दो साल से इंतजार हो रहा है, जो अभी तक खत्म नहीं हुआ है.

खबर है कि शंकर के निर्देशन में बन रही रोबोट/इंधीरण की ये सीक्वल अब इस साल नहीं आ पायेगा. इसके सबसे बड़ा कारण फिल्म को लेकर किया जा रहा स्पेशल इफेक्ट्स का महत्वपूर्ण काम. खबर है कि 3 डी कन्वर्जन के साथ इंटरनेशनल स्तर के स्पेशल इफेक्ट्स पर अब तक काम पूरा नहीं हुआ है और निकट भविष्य में ऐसे कोई आसार भी नहीं है. सूत्रों के मुताबिक पहले ऐसा कहा जा रहा था की फिल्म दशहरा तक रिलीज हो जायेगी लेकिन ऐसा नहीं होगा.

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वैसे उसके बाद 2. 0 को नवम्बर और दिसंबर में आने का कोई चांस नहीं होगा क्योंकि पहले आमिर खान की ठग्स औफ हिन्दोस्तान और फिर शाहरुख खान की जीरो आएगी. फिल्म के निर्माता के तरफ से फिल्म की रिलीज को लेकर अभी कोई बात नहीं की जा रही है. वीएफएक्स की प्रक्रिया का दिन रात चल रहा है लेकिन काम बहुत ही ज्यादा बचा है. मिक्सिंग, रेंडरिंग और 3 डी इफेक्ट्स को भी पूरा करने में समय लग रहा है. सूत्रों के मुताबिक इस साल के अंत में 2. 0 की फाइनल डेट घोषित की जायेगी. यही नहीं फिल्म के बजट को लेकर भी अब चिंता बढ़ रही है जो कई गुना बढ़ चुका है. इस बीच रजनीकांत कार्तिक सुब्बराज की अगली फिल्म की शूटिग के लिए देहरादून चले गए हैं .

क्यों हुआ ये सब

दरअसल ये सारी गड़बड़ी उस अमेरिकी कंपनी की वजह से है जिसने फिल्म के स्पेशल इफेक्ट्स का काम बीच में ही छोड़ दिया. बता दें कि रजनीकांत और अक्षय कुमार स्टारर फिल्म 2.0 को पहले इस साल जनवरी में रिलीज होना था लेकिन स्पेशल इफेक्ट्स का काम बाकी होने के कारण डेट अप्रैल में कर दी गई. सूत्रों के मुताबिक इस फिल्म के वीएफएक्स का काम एक अमेरिकी डिजिटल कंपनी को सौंपा गया था. कंपनी इससे पहले अपना काम पूरा कर पाती, उसकी माली हालत खराब हो गई और कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित कर दिया. इस कारण 2.0 के निर्माता को 3डी और बाकी इफेक्ट्स का काम फिर से करवाना पड़ा.

ओवरबजट हो कर करीब 450 करोड़ की लागत तक पहुंच गई फिल्म 2. 0 में रजनीकांत अपने पुराने वाले रोल में हैं जबकि अक्षय कुमार बड़े ही विचित्र गेट अप में विलेन बने दिखेंगे. पिछली बार फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन थीं तो इस बार एमी जैक्सन फीमेल लीड में होंगी. अक्षय कुमार जिस डौक्टर रिचर्ड का रोल कर रहे हैं उसका गेटअप एक राक्षसी कौवे जैसा है.

कहीं आप भी ना कर दें स्मार्टफोन खरीदते समय ये गलती

स्मार्टफोन आज एक बड़ी जरूरत बन चुकी है. बाजार में साधारण बजट से लेकर ऊंचे दामों पर एक से बढ़कर एक फीचर्स वाले स्मार्टफोन मौजूद हैं. ऐसे में टेक्नोलॉजी और ढेरों विकल्प की वजह से आज इन्हें खरीदना भी एक बड़ी चुनौती है.

इनकी खरीददारी में अक्सर लोग अनजाने में बड़ी गलतियां कर जाते हैं. जिससे उन्हें नुकसान होता है. ऐसे में अगर आप भी स्मार्टफोन खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो पढ़ें ये पूरी खबर…

सबसे पहले खरीदना

अक्सर लोग नए स्मार्टफोन के रिलीज होते ही उसे सबसे पहले खरीदने का प्लान करने लगते हैं. कई लोग तो उसके रिलीज होते ही उसकी बुकिंग आदि कर देते हैं. जबकि कई बार यह एक बड़ी गलती साबित होती है.

ऐसे में अगर आप स्मार्टफोन खरीदने जा रहे हैं तो रिलीज के बाद उसके लॉन्च होने तक का इंतजार करें. कंपनियां अपने मानकों के मुताबिक रिलीजिंग के 12 महीने के अंदर स्मार्टफोन उतार देती है. ऐसे में इस बीच आपको स्मार्टफोन के बारे में हर जानकारी अच्छे से मिल जाएगी.

बेहतर इंटरनल स्टोरेज

अक्सर लोग स्मार्टफोन खरीदते समय अपने वर्तमान की जरूरत को ध्यान में रखते है. वे यह भूल जाते हैं कि हो सकता दो दिन बाद उनका काम बढ़ जाए. इसलिए हमेशा याद रखें कि स्मार्टफोन लेते समय इंटरनल स्टोरेज बेहतर होना चाहिए. इंटरनल स्टोरेज कम होने से आपको डाउनलोडिंग करने से पहले कई बार सोचना होगा. इसलिए बाजार में आज 4 जीबी, 8 जीबी, 16 जीबी, 32 जीबी, 64 जीबी और 128 जीबी इंटरनल स्टोरेज वाले स्मार्टफोन मौजूद हैं.

इनबिल्ट एप

कई बार स्मार्टफोन खरीदते समय लोग उन एप पर ध्यान नहीं देते जिनकी उन्हें जरूरत होती है. आज मार्केट में गूगल का एंड्रायड, एप्पल का आईओएस, माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज मोबाइल और ब्लैकबेरी ओएस 10 जैसे कई स्मार्टफोन मौजूद हैं. जिनमें गेम से लेकर कई हाईटेक एप होने से इनकी डिमांड भी है, लेकिन कुछ चीजों में ये आज भी मात खा जाते हैं.

बहुत से ऐसे एप हैं, जो एक आम कस्टमर की जरूरत के मुताबिक नही हैं. ऐसे में अगर आप अपनी जरूरत के एप के मुताबिक स्मार्टफोन लेना चाहते हैं, तो आप ब्रांड चेंज कर सकते हैं. आज कई बड़ी कंपनियां अच्छे स्मार्टफोन बाजार में उतार चुकी है.

सर्विस न देखना

स्मार्टफोन खरीदते समय उसके कस्टमर केयर सर्विस पर ध्यान न देना बड़ी लापरवाही है. आज स्मार्टफोन कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए फोन सस्ते कीमत में पेश करती है. जिससे लोग उन्हें बढ़कर खरीदें, लेकिन जब फोन या उनका चार्जर खराब हो जाता है, तो मोटी रकम वसूलने में पीछे नहीं रहती है. कंपनी की कस्टमर केयर पर फोन करके पहले ही उसके चार्जर-स्क्रीन रिप्लेसमेंट की कीमत के बारे में जान लें. इसके अलावा अपने आस-पास उसके सर्विस सेंटर के बारे में भी जानकारी लें लें.

स्टोर से एसेसरीज खरीदना

स्मार्टफोन के स्टोर से उसकी एक्स्ट्रा एसेसरीज खरीदना भी आपकी गलती साबित हो सकती है. जरूरत के मुताबिक की एसेसरीज तो स्मार्टफोन के साथ होती है लेकिन कई बार वहीं से उसका केस, हेडफोन, कार चार्जर भी लोग खरीदने लगते है. जबकि ये चीजें इतनी जरूरी नहीं होती हैं कि आप एक दिन भी इनके बगैर नहीं रह सकते हैं. हकीकत ये है कि स्टोर से ये चीजें खरीदने पर काफी मंहगी पड़ती हैं.

स्मार्टफोन से बढ़ गया ड्राई आई डिजीज का खतरा

स्मार्टफोन की लत एक गंभीर समस्या बन गई है. बच्चों के लिए तो यह लत और भी ज्यादा खतरनाक है. इसमें माता-पिता का भी दोष है. बच्चों के रोने पर उन्हें शांत करवाने के लिए कई माता-पिता स्मार्टफोन दे देते हैं, बच्चे भी शांत हो जाते हैं. वक्त बदलने के साथ ही बच्चों की देखभाल करने के तरीके भी बदल रहे हैं. स्मार्टफोन के इस्तेमाल से जिन्दगी आसान हो गई है इसमें कोई शक नहीं है, पर स्मार्टफोन का अधिक उपयोग सेहत के लिए हानिकारक है. एक रिसर्च से पता चला है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर के अधिक उपयोग से बच्चों में ड्राई आई डिजीज का खतरा बढ़ जाता है.

साउथ कोरिया के चुंग अंग विश्वविद्यालय में किए गए रिसर्च से इस बात का खुलासा किया गया है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर का ज्यादा यूज करने से बच्चों की आंखों को नुकसान होता है.

रिसर्च में पाया गया कि स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल से बच्चों में ड्राई आई डिजीज होने की संभावना बढ़ जाती है. स्कूल जाने वाले बच्चों में इस रोग के होने की संभावनायें अधिक होती हैं. रिसर्च में यह भी बताया गया कि शहरी इलाकों में रहने वाले बच्चों में यह रोग होने की अधिक संभावनायें हैं.

निवेश करने का सही तरीका जानते हैं आप

लोग अक्सर दूसरों की सफलता की कहानियां सुनकर पैसा कमाने के लिए तत्पर हो जाते हैं और इसी चक्कर में गलत जगह निवेश कर देते हैं. गलत निवेश आपके लिए फायदेमंद कम और नुकसानदेह ज्यादा साबित हो सकता है. लोगों को पता नहीं होता है कि उनके निवेश का लक्ष्य क्या है और पैसा लगा देते हैं. आमतौर पर निवेशक ऐसी ही गलतियां करते हैं. आज हम आपको ऐसी ही गलतियों से बचने के टिप्स बता रहे हैं, जिससे आप नुकसान से तो बचेंगे ही साथ ही आपको निवेश का सही तरीका भी पता चल जाएगा.

लक्ष्य पता हो तभी करें निवेश

निवेश का पहला कदम है लक्ष्य को निर्धारित करना. लक्ष्य का मतलब है कि आप किस उद्देश्य से निवेश करना चाहते हैं? जैसे घर खरीदना या बच्चों की पढ़ाई का खर्च इत्यादि. लक्ष्य पता होने पर ही आप तय कर सकते हैं कि भविष्य में आपको कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी. लक्ष्य पता होगा तभी आप सही विकल्प चुन पाएंगे और आपकी जरूरतें पूरी हो पाएंगी.

एक तरह के विकल्प में ना लगाएं पैसा

निवेशक आमतौर पर एक तरह के विकल्प में पैसे लगाने की गलती करते हैं. जैसे कई लोग सारा पैसा बैंक में रखना पसंद करते हैं या फिर प्रौपर्टी में लगा देते हैं. अगर आपने पैसा एक विकल्प में लगा रखा है तो नुकसान होने की संभावना ज्यादा है. निवेश के जोखिम को कम करने के लिए हमेशा अलग-अलग तरह के एसेट में पैसा लगाना चाहिए. अच्छा पोर्टफोलियो वह होता है, जिसमें सभी तरह के निवेश विकल्पों में पैसा डाइवर्सिफाइ हो.

एसआईपी निवेश का सही तरीका

निवेशकों के लिए शेयर बाजार की चाल समझना काफी मुश्किल भरा काम है. तेजी को देखते हुए जबतक निवेशक शेयरों में निवेश करना शुरू करते हैं, तब तक बाजार की चाल बदल जाती है. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए सिस्टेमेटिक इन्‍वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का तरीका सबसे अच्छा रहता है.

निवेश से पहले नुकसान का गणित जरूर समक्ष लें

लोग अधिक और जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में जोखिम को भूल जाते हैं और दूसरों की सलाह पर अपना पूरा पैसा लगा देते हैं. निवेश का नियम है कि पहले जोखिम को अच्छे से समझ लें. शेयर बाजार, प्रौपर्टी, सोना, कमोडिटी सभी के साथ जोखिम जुड़ा है. इसलिए सबसे पहले ये समझ लें कि नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. अगर आप में जोखिम उठाने की क्षमता है तो ही निवेश करें.

घाटे के समय तुरंत बदलें अपना निवेश

लोग अपने निवेश को लेकर भावनात्मक हो जाते हैं, जबकि निवेश से जुड़े फैसले दिमाग से लेने पड़ते हैं, न कि दिल से. अगर आपके निवेश पर घाटा हो रहा है तो आपको जल्द से जल्द अपना पैसा निकाल लेना चाहिए. किसी शेयर में पैसे लगाकर फंस गए हैं तो उछाल लौटने की उम्मीद में शेयर में इतने वक्त के लिए न बने रहें कि आपका सारा पैसा ही डूब जाए. समय रहते बाहर निकलकर आप अपना पूरा पैसा खोने के बजाये कुछ पैसा बचा सकते हैं.

अब एक ही कार्ड से कर सकेंगे बस, मेट्रो और टोल का भुगतान

देश के सभी महानगरों में मेट्रो रेल, लोकल बस और औटो-टैक्सी आदि सार्वजनिक परिवहन के सभी साधनों के किराये का भुगतान एक ही कार्ड से करने की सुविधा में टोल-टैक्स और पार्किंग के भुगतान को भी शामिल कर लिया गया है. केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने ‘नेशनल कौमन मोबिलिटी कार्ड (एनसीएमसी) से मिलने वाली सुविधाओं में इजाफा करते हुये टोल प्लाजा और पार्किंग एजेंसियों से इस कार्ड को अपनी औनलाइन भुगतान सेवा से जोड़ने को कहा है. आवास एवं शहरी मामलों के राज्यमंत्री हरदीप सिंह पुरी ने हाल ही में इस परियोजना की समीक्षा बैठक में एनसीएमसी की सुविधाओं का दायरा बढ़ाते हुये संबद्ध प्राधिकरणों को यथाशीघ्र कार्ड को भुगतान सेवा से जोड़ने को कहा है.

परियोजना से जुड़े मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शुरुआती चरण में एनसीएमसी का उपयोग मेट्रो रेल परियोजनाओं से जुड़े सभी स्मार्ट शहरों में किया जायेगा.  पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर फिलहाल दिल्ली और कोच्चि में मेट्रो रेल और लोकल बस में एक ही कार्ड से किराये का भुगतान किया जा रहा है.

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नेशनल कौमन मोबिलिटी कार्ड

अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय की ओर से नेशनल कौमन मोबिलिटी कार्ड सेवा राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है. सभी शहरों में इस्तेमाल किये जा सकने वाले कार्ड भी बनकर तैयार है. सिर्फ टोल प्लाजा और पार्किंग का संचालन करने वाली एजेंसियों द्वारा इसे अपनी औनलाइन भुगतान सेवा से जोड़ने का इंतजार है.

परियोजना का उद्देश्य भविष्य में एनसीएमसी को डेबिट कार्ड की तरह इस्तेमाल करने की सुविधा से लैस करना है. इससे कार्डधारक सार्वजनिक परिवहन के साधनों के किराये, टोल टैक्स, पार्किंग और सामान्य खुदरा खरीददारी का भुगतान भी इससे कर सकेंगे. उल्लेखनीय है कि एनसीएमसी को लागू करने के लिये मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर सितंबर 2015 में भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) को स्थानीय परिवहन सेवा के लिये पूरे देश में एक ही भुगतान कार्ड को विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की सौफ्टवेयर कंपनी ‘सीडेक’को देश भर में मेट्रो रेल के किराया वसूली की स्वचालित प्रणाली विकसित करने के कहा गया था.

एनपीसीआई और सीडेक द्वारा विकसित प्रणाली से एनसीएमसी के इस्तेमाल को दिल्ली और कोच्चि के अलावा मुंबई, नागपुर, बेंगलुरु और अहमदाबाद में लोकल बस और मेट्रो प्राधिकरणों ने लागू करने की मंजूरी दे दी है. मंत्रालय ने बाद में इस कार्ड के द्वारा टोल, पार्किंग और मामूली खरीददारी के भुगतान को भी जोड़ने का फैसला किया. इसे लागू करने के लिये राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी), सीडेक, एनपीसीआई, भारतीय मानक ब्यूरो और वित्त मंत्रालय के विशेषज्ञों की एक समिति ने दुनिया भर में प्रचलित कौमन कार्ड के मौडल का अध्ययन कर भारत में ‘ईएमवी ओपन लूप कार्ड’अपनाने का सुझाव दिया है.

अधिकारी ने बताया कि समिति की सिफारिशों के आधार पर एनसीएमसी की कार्यप्रणाली तय करते हुये कार्ड तैयार कर लिया गया है. भविष्य में इसे देश के सभी छोटे बड़े शहरों में लागू करने की महत्वाकांक्षी योजना है.

इंग्लैंड में गरजा पृथ्वी शौ का बल्ला, जीत के साथ किया दौरे का आगाज

इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड इलेवन के खिलाफ पहले अभ्यास मैच में इंडिया ए की टीम ने श्रेयस अय्यर के नेतृत्व में पहला मैच जीता लिया है. इंडिया ए ने पहले ही मैच में इंग्लैंड क्रिकेट  बोर्ड एकादश को 125 रनों से मात दी है. हैडिंग्ले, लीडस में हुए इस मैच में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के कप्तान एलेक्स डेविस ने टौस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया. मयंक अग्रवाल के जल्दी आउट होने के बाद युवा बल्लेबाज पृथ्वी शौ  ने 61 गेंदों पर शानदार 71 रनों की पारी खेली. बता दें कि पृथ्वी शौ की कप्तानी में भारत ने आईसीसी वर्ल्ड कप अंडर 19  का खिताब अपने नाम किया था. आईपीएल में भी पृथ्वी शौ  ने अपनी बल्लेबाजी से सभी को प्रभावित किया था. अपनी शानदार परफौर्मेंस के दम पर शौ इंडिया ए में जगह बनाने में कामयाब हुए थे.

पृथ्वी शौ  ने पहले ही मैच में शानदार पारी खेलकर बता दिया है कि सलेक्टर्स ने उनपर जो भरोसा जताया है वह बिल्कुल ठीक है. मुंबई के इस बल्लेबाज ने अपनी 71 रनों की पारी में 7 चौके और तीन छक्के लगाए. मयंक के आउट होने के बाद पृथ्वी शौ और हनुमा विहारी ने दूसरे विकेट के लिए 84 रनों की साझेदारी कर टीम का स्कोर 127 तक पहुंचाया.

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पृथ्वी शौ  और हनुमा के पवेलियन लौटने के बाद कप्तान श्रेयस अय्यर और विकेटकीपर बल्लेबाज ईशान किशन ने मोर्चा संभाला. दोनों बल्लेबाजों ने पांचवे विकेट के लिए 99 रनों की ताबड़तोड़ साझेदारी कर एक बड़े स्कोर की नींव रख दी. निचले क्रम में क्रुणाल पांड्या ने 34 और अक्षर पटेल ने नाबाद 28 रनों की पारी खेलकर टीम को 300 के पार पहुंचा दिया. इंडिया ए ने 8 विकेट पर 328 का स्कोर बनाया. पृथ्वी शौ के अलावा कप्तान श्रेयस अय्यर ने 54 और विकेट कीपर ईशान किशन ने 50 रनों की पारी खेली. इसके जवाब में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड 36.5 ओवरों में 203 रनों पर ढेर हो गई.

मैथ्यू क्रिटचली ने सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 40 गेंदों में सबसे अधिक 48 रन बनाए. दीपक चाहर ने 7.5 ओवरों में 48 रन देकर 3 विकेट लिए. इंडिया ए को अगला अभ्यास मैच मंगलवार (19 जून) को खेलना है. इसके बाद इंग्लैंड लॉयन्स और वेस्टइंडीज के बीच डर्बी में शुक्रवार से त्रिकोणीय सीरीज शुरू होगी.

इंडिया ए फाइनल से पहले हर टीम के खिलाफ दो दो मैच खेलेगी. फाइनल मैच 2 जुलाई को केनिंग्टन, लंदन में खेला जाएगा. इसके बाद 3 जुलाई से टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा शुरू होगा. इस दौरे पर भारत को इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट, 3 वनडे और 3 टी-20 मैचों की सीरीज खेलनी है. इंग्लैंड के खिलाफ भारत के क्रिकेट सीरीज की शुरुआत 3 जुलाई से ओल्ड ट्रेफर्ड में टी-20 मैच के साथ होगी

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