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ये हैं सरे के नए कप्तान, इनकी कप्तानी में खेलेंगे कोहली

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली इंग्लैंड दौरे की तैयारियों में जुट गए हैं. इसके लिए वह जून में सरे की तरफ से काउंटी क्रिकेट खेलेंगे. आईपीएल 2018 के बाद विराट कोहली मई के अंत में इंग्लैंड पहुंचना है. अब चूंकि बेंगलुरु की टीम आईपीएल के इस सीजन में प्लेऔफ की दौड़ से बाहर हो गई है इसलिए विराट कोहली इंग्लैंड जाने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं. काउंटी क्रिकेट खेलने की वजह से विराट कोहली अफगानिस्तान के खिलाफ खेले जाने वाले एकमात्र टेस्ट मैच में नहीं खेलेंगे. अफगानिस्तान भारत के खिलाफ बेंगलुरु में 14 जून से टेस्ट मैच खेलना शुरु करेगा.

टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट एक नए कप्तान की कप्तानी में खेलेंगे. सरे में विराट कोहली के नए कप्तान रोरी बर्न्स होंगे. विराट कोहली काउंटी में 27 साल के रोरी बर्न्स के अंडर में खेलेंगे. रोरी बर्न्स ने 96 फर्स्ट क्लास मैचों में 48.43 की औसत से 6548 रन बनाए हैं. इनमें 12 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं.

बाएं हाथ के बल्लेबाज रोरी बर्न्स 42वें फर्स्ट क्लास मैच में सरे का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसमें रोरी बर्न्स 36.31 की औसत से 1271 रन बना चुके हैं. इनमें 10 अर्द्धशतक शामिल हैं.

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टीम इंडिया का इंग्लैंड दौरा

तय शेड्यूल के अनुसार, भारत को इंग्लैंड दौरे पर 3 टी-20, 3 वनडे और पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी हैं. इंग्लैंड दौरे से पहले भारत आयरलैंड के खिलाफ दो टी-20 मैच खेलेगा. ये मैच 27 और 29जून को खेले जाएंगे.

2018 में काउंटी खेलने वाले विराट चौथे भारतीय

इस साल काउंटी क्रिकेट खेलने वाले विराट कोहली चौथे भारतीय हैं. चेतेश्वर पुजारा फिलहाल यौर्कशायर की तरफ से खेल रहे हैं. जबकि, ईशांत शर्मा और वरुण एरोन क्रमशः ससेक्स और लेसिस्टरशायर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली छठे भारतीय होंगे, जो सरे का प्रतिनिधित्व करेंगे.

विराट कोहली से पहले जहीर खान पहले भारतीय जो 2004 में सरे के लिए खेले थे. हरभजन सिंह (2005 और 2007 में), अनिल कुंबले 2006 में, प्रज्ञान ओझा 2011 में और मुरली कार्तिक 2012 में सरे के लिए खेल चुके हैं.

2011 में टेस्ट डेब्यू करने के बाद से विराट कोहली टेस्ट में 53.40 की औसत से 5554 रन बना चुके हैं. वह वनडे में भी 58.10 की औसत से 9588 रन बना चुके हैं.

इंग्लैंड में फ्लौप रही है टीम इंडिया

विराट कोहली इंग्लैंड में 2014 के दौरे पर नाकाम साबित हुए थे. इस दौरे पर उनके बल्ले से एक अर्धशतक भी नहीं निकल पाया था. बता दें कि 2007 के बाद टीम इंडिया ने इंग्लैंड में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती है. विराट कोहली के नेतृत्व में अगर टीम इंडिया ने टेस्ट सीरीज जीती तो यह टीम इंडिया के द्वारा इंग्लैंड 11 साल बाद टेस्ट जीत होगी. इससे पहले 2007 में टीम इंडिया ने राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में टेस्ट सीरीज जीती थी. तब टीम इंडिया ने यह कमाल 21 साल बाद किया था. टीम इंडिया ने इंगलैंड में अब तक 17 टेस्ट सीरीज खेली हैं. इनमें से उसने सिर्फ 3 बार टेस्ट सीरीज ही जीती हैं. एक टेस्ट सीरीज ड्रा रही है. बाकी सभी सीरीज पर इंग्लैंड ने अपना कब्जा जमाया था.

बचाएं अपने लैपटौप को ओवरहीट होने से

आजकल हमारा ज्यादातर काम लैपटौप पर ही होता है. गर्मियों का मौसम आ चुका है और इस मौसम में लैपटौप ज्यादा ओवरहीट होता है. ज्यादा ओवरहीट होने के कारण लैपटौप खराब हो सकता है. अगर आपके लैपटौप के साथ भी इस तरह की समस्या आ रही है तो कुछ बातों को ध्यान में रखकर आप लैपटौप को ओवर हीटिंग से बचा सकते हैं.

  • कभी भी इलेक्ट्रानिक डिवाइसेज को पोंछने के लिए गीले कपड़े का प्रयोग न करें. यदि लैपटौप का सीपीयू फैन काम नहीं कर रहा है, तो ध्यान रखें की उसको अधिक समय तक प्रयोग न करें. यदि आप ऐसा करते हैं, तो उसमें ओवर हीटिंग की समस्या आ सकती है.
  • आमतौर पर कई लैपटौप यूजर कूलिंग किट का प्रयोग कर सकते हैं. यदि लैपटौप पुराना हो गया है, तो ज्यादा देर तक प्रयोग करने पर उसमें कूलिंग की समस्या आ ही जाती है. ऐसे में अतिरिक्त कूलिंग किट बेहतर विकल्प है. यदि कूलिंग किट के बाद भी बैटरी गर्म हो रही है, तो बैटरी बदल दें.
  • लैपटौप में बार-बार चार्जर लगाने से भी ओवर हीटिंग की समस्या हो जाती है.
  • अधिकतर लैपटौप कूलिंग के लिए नीचे से एयर लेते हैं. ऐसे में यदि आप लैपटौप को किसी तकिए या कंबल पर रखते हैं, तो लैपटौप में सही तरीके से एयर वेंटिलेशन नहीं हो पाता है. लैपटौप को किसी फ्लैट सरफेस पर रखा जाए, तो उसके ओवर हीट होने की संभावना थोड़ी कम हो जाती है.
  • कूलिंग किट के स्थान पर कूलिंग मैट पर लैपटौप को रखकर काम करने से भी यह समस्या बहुत हद तक कम हो जाएगी.
  • बैटरी के पिनों या फैन में धूल जमने से लैपटौप के गर्म होने का खतरा रहता है. इसलिए एक-दो महीने में इनकी सफाई होती रहनी चाहिए. बैटरी को साफ करने के लिए पहले उसे लैपटौप से अलग कर लें. इसके बाद इसे कैन्नड एयर से ब्लो करें. ऐसा करने से इसके अंदर की धूल निकल आएगी. ध्यान रखें सीपीयू के फैन की सफाई के दौरान हवा का प्रेशर कम हो.

फिर परदे पर दिखेगी मुन्नाभाई और सर्किट की जोड़ी

‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘लगे रहो मु्न्नाभाई’ का जादू दर्शकों के सिर पर इस कदर छाया कि हर कोई मुन्नाभाई और सर्किट के किरदार में खुद को देखने लगा. जब यह फिल्म सुपरहिट हुई तो खबरें आने लगी कि फिल्म का तीसरा पार्ट भी जल्द ही आने वाला है. लोग इस फिल्म के पार्ट 3 का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, लेकिन किसी ने इस खबर की आधिकारिक पुष्टी नहीं की. अब इस सीरीज के फैंस के लिए खुशखबरी है. आपको बता दें कि डायरेक्टर राजकुमार हिरानी ने खुद अपने एक इंटरव्यू के दौरान कहा है कि वो मुन्नाभाई का तीसरा पार्ट बेहद ही जल्द लेकर आएंगे.

आपको बता दें कि संजय दत्त ‘मुन्नाभाई’ की फिल्म से ही बौलीवुड में कमबैक करना चाहते थे, लेकिन राजकुमार हिरानी ने पहले उनकी बायोपिक ‘संजू’ बनाई. लेकिन अब जल्द ही मुन्नाभाई और सर्किट की जोड़ी एक बार फिर से बिग स्क्रिन पर धमाल मचाते दिेख सकती है.

एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा- ‘हम मुन्नाभाई की सफलता के बाद फैंस के लिए तीसरी फिल्म करना चाहते थे और स्क्रिप्ट लिख भी लिया था, लेकिन स्क्रिप्ट पहले दो भाग से मेल नहीं खा रही थी. इसलिए हम इसपर आगे काम नहीं कर सकें. पर अब मुझे कुछ मिला है, लेकिन उसे लिखना बाकी है.’

दोनों फिल्मों के सह-लेखक अभिजात जोशी ने एक हिन्दी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था, ‘सबसे मुश्किल उसे मैच करना है, जो हमने लगे रहो मुन्नाभाई में किया है. हम कुछ ऐसे की तलाश में हैं, जो लगे रहो मुन्नाभाई के स्टैंडर्ड को मैच कर पाए. हमारे पास एक आइडिया है. जो एकदम नया है.

सिर्फ महेंद्र सिंह धोनी के फैन ही कर सकते हैं ऐसा

आईपीएल 2018 में दो साल के बैन के बाद लौटी चेन्नई की टीम का प्रदर्शन अबतक शानदार रहा है. आईपीएल प्लेऔफ में अपनी जगह बनाने वाली चेन्नई दूसरी टीम रही है. टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का प्रदर्शन काबिले-तारीफ रहा है. आईपीएल के इस सीजन में जिस तरह महेंद्र सिंह धोनी के फैन्स का जलवा देखने को मिल रहा है, उससे कहा जा सकता है इतने देसी-विदेशी खिलाड़ियों के बीच धोनी का करिश्मा अब भी बरकरार है. महेंद्र सिंह धोनी ने अपने पूरे करियर में कभी अपने प्रदर्शन से तो कभी अपने व्यवहार से सुर्खियां बटोरी हैं. उनके चाहने वाले पूरी दुनिया में मौजूद हैं, लेकिन धोनी ने कभी अपनी सफलता को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने दिया. उनका पूरा ध्यान हमेशा क्रिकेट पर ही फोकस रहा है.

36 साल की उम्र में क्रिकेट के प्रति उनका जुनून पहले जैसा बना हुआ है. आज भी उनके मन में रनों की भूख बनी हुई है. उनके नाम बेपनाह रिकौर्ड दर्ज हैं. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्होंने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं. उनके नेतृत्व में न जाने कितने युवा क्रिकेटरों को सही दिशा मिली है.

महेंद्र सिंह धोनी की फैन फौलोआइंग भी जबरदस्त है. फैन्स का धोनी के प्रति प्रेम अद्भुत है. पिछले कुछ मैचों में जब भी भी धोनी बल्लेबाजी करने मैदान पर उतरे तो उनके कुछ फैन्स चेन्नई की जर्सी पहने उनका स्वागत करते दिखाई दिए.

हाल ही में धोनी के एक प्रशंसक ने धोनी के प्रति अपना प्यार कुछ अलग अंदाज में दिखायाया. दिल्ली के साथ पिछले मैच में, फिरोजशाह कोटला मैदान पर उनका एक फैन हाथ में एक बैनर लिए बैठा था.

बैनर पर लिखा था, मैं धोनी को देखने के लिए अपनी गर्लफ्रैंड के साथ डेट मिस कर रहा हूं. बाद में चेन्नई के औफिशियल टि्वटर हैंडिल ने उस फैन की फोटो और उस बैनर को पोस्ट किया.

बता दें कि फिलहाल देश में आईपीएल का 11वां संस्करण खेला जा रहा है. महेंद्र सिंह धोनी चेन्नई की कप्तानी कर रहे हैं. धोनी के नेतृत्व में चेन्नई ने भी पिछले 8 सीजन में सफलता की नई इबारतें लिखीं हैं. दो साल बाद आईपीएल में लौटी चेन्नई इस बार तीसरी बार आईपीएल खिताब अपने नाम करने के लिए प्रतिबद्ध है.

31 मई तक बैंक अकाउंट में रखें 342 रूपये, नहीं तो होगा नुकसान

अगर आप भी अपने परिवार को 4 लाख रुपए का सुरक्षा कवच देना चाहते हैं और केंद्र सरकार की योजना का फायदा उठाना चाहते हैं तो अपने बैंक अकाउंट में 342 रुपए जरूर रखें. क्योंकि इस महीने के अंत में आपको यह बैलेंस अपने बैंक खातों में रखना होगा. दरअसल, मोदी सरकार की दो योजनाएं प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना है तहत आपको इंश्योरेंस की सुविधा मिलती है. इसके लिए आपको बतौर किश्त 342 रुपए रखने होते हैं. यदि आपने भी इन दोनों स्कीमों में खुद को पंजीकृत कराया है तो आपको यह बात जरूर ध्यान रखनी चाहिए.

मई में जाता है वार्षिक प्रीमियम

प्रधानमंत्री जीवन ज्योती बीमा और सुरक्षा बीमा योजना का वार्षिक प्रीमियम मई महीने के अंत में जाता है. जीवन ज्योति बीमा योजना का वार्षिक प्रीमियम 330 रुपए है. जबकि सुरक्षा बीमा योजना का प्रीमियम 12 रुपए है. कुल मिलाकर दोनों इंश्योरेंस का प्रीमियम 342 रुपए है. अगर मई के अंत तक यह बैलेंस आपके अकाउंट में नहीं रहा तो इंश्योरेंस रद्द हो जाएगा. 4 लाख रुपए का सुरक्षा कवच दोनों योजना की कुल कवर रकम है.

किस योजना में कितना लाभ

सालाना हिसाब से दोनों इंश्योरेंस को मई में रिन्यू किया जाता है. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना का वार्षिक प्रीमियम 330 रुपए है. इस योजना में 18 साल से 50 साल तक की उम्र के लोगों को लाभ मिलता है. बैंक खाते के जरिए योजना को लिंक जाता है. योजना के तहत इंश्योरेंस धारक को 55 साल का कवर मिलता है. कवर पूरा होने से पहले अगर इंश्योरेंस धारक की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में उसके नौमिनी को 2 लाख रुपए तक का कवर मिलता है.

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क्या है योजना की शर्तें

  • अकाउंट बैलेंस मेनटेन नहीं होने पर इंश्योरेंस रद्द हो जाएगा.
  • बैंक अकाउंट बंद होने की स्थिति में इंश्योरेंस रद्द हो जाएगा.
  • एक बैंक अकाउंट ही इस योजना से जोड़ा जा सकता है.
  • प्रीमियम जमा नहीं करने पर दोबारा रिन्यू नहीं होगा.
  • अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें.

PMSBY योजना में क्या लाभ

इस योजना का लाभ 18 से 70 साल तक की उम्र के लोग उठा सकते हैं. इस योजना का वार्षिक प्रीमियम सिर्फ 12 रुपए है. इस योजना का प्रीमियम भी सीधे बैंक खाते से कटता है. योजना लेने के वक्त ही बैंक खाते को योजना से लिंक कराना होता है. योजना के तहत इंश्योरेंस धारक की एक्सीडेंट में मृत्यु होने पर या विकलांग होने पर 2 लाख का दुर्घटना बीमा मिलता है. स्थायी रूप से आंशिक विकलांग होने पर 1 लाख रुपए का कवर मिलता है. हालांकि, इस योजना में कभी भी प्रीमियम जमा कराकर इससे जुड़ा जा सकता है. लेकिन, मई अंत तक अगर बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं है तो इंश्योरेंस रद्द हो जाएगा.

रजिस्‍ट्रेशन कराना है बहुत आसान

किसी भी बैंक शाखा में जाकर आप इन योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं. बैंक मित्र भी इस योजना को घर-घर पहुंचाने का काम करते हैं. आप उनसे भी इसकी मदद ले सकते हैं. बीमा एजेंट से भी संपर्क किया जा सकता है. सरकारी बीमा कंपनियां और कई प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां भी इस योजना को देती हैं.

अकेली हों घर में तो रहें सावधान, ये हैं चोरों के नए पैंतरे

दोपहर के समय फ्लैट की घंटी बजी, तो उस समय रश्मि घर में बिलकुल अकेली थीं. उन के पति औफिस और बेटा स्कूल गया हुआ था. वे दरवाजे पर पहुंचीं, तो सामने एक युवती हाथ में बैग लिए खड़ी थी. लड़की थी, लिहाजा बिना ज्यादा सोचेसमझे रश्मि ने दरवाजा खोल दिया.

उन के दरवाजा खोलते ही युवती बोली, ‘‘हैलो मैम, मैं कौस्मैटिक प्रोडक्ट बेचने वाली कंपनी से हूं. हमारे प्रोडक्ट बहुत अच्छे हैं. एकदम डिफरैंट.’’

‘‘सौरी मुझे नहीं चाहिए,’’ रश्मि ने रूखे अंदाज से जवाब दे कर उसे टालना चाहा.

मगर युवती उत्साह में थी. बोली, ‘‘मेरी बात तो सुनिए मैम. हमारी कंपनी का औफर ऐसा है कि आप खुश हुए बिना नहीं रह सकेंगी. मैं अपने प्रोडक्ट से आप की मुफ्त में मसाज और मेकअप करूंगी और यदि आप प्रोडक्ट लेंगी तो एक के साथ एक मुफ्त मिलेगा.’’

युवती कुछ पल रुक कर फिर बोली, ‘‘इतना ही नहीं मैम, आप हमारी कस्टमर बनेंगी, तो हम साल में 12 फेशियल का मुफ्त औफर भी देंगे और वह भी घर आ कर.’’

युवती का प्रस्ताव अच्छा लगा तो उन्होंने युवती को फ्लैट में आने दिया. युवती ने बैग से मेकअप के कई प्रोडक्ट्स निकाल कर उन्हें दिखाए तो वे खुशीखुशी उसे अपने बैडरूम में ले गईं. युवती ने उन्हें ड्रैसिंगटेबल के सामने बैठाया. उस ने पहले क्रीम से उन के चेहरे की मसाज की और फिर चेहरे पर निखार लाने की बात कहते हुए एक लेप लगा दिया.

रश्मि इस बात से बहुत खुश थीं कि सब कुछ मुफ्त में हो रहा है. युवती ने उन्हें आंखें बंद कर के उसी अवस्था में कुरसी पर बैठे रहने को कहा. रश्मि नहीं जानती थीं कि उन के साथ क्या होने वाला है. इस बीच युवती ने अपने मोबाइल से किसी का नंबर डायल किया और कुछ मिनट बाद ही चुपके से बाहर का दरवाजा खोल दिया. एक युवक घर के अंदर आ गया. लेप की गंध से रश्मि बेहोश हो गई थीं.

करीब आधे घंटे बाद रश्मि की आंखें तो खुल गईं, लेकिन बैडरूम का हाल देख कर उन के होश फाख्ता हो गए. अलमारी से नकदी व गहने गायब थे. सारा सामान इधरउधर बिखरा था. रश्मि समझ गईं कि वे लूट का शिकार हो गई हैं. उन्होंने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई. युवती के हुलिए व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने युवकयुवती को कुछ दिनों में गिरफ्तार कर लिया.

निशाने पर अकेली महिलाएं

बड़ेछोटे शहरों में ऐसे कई गैंग सक्रिय हैं, जो बहाने से कालोनियों, सोसाइटियों के अंदर आ जाते हैं. वे उन घरों, फ्लैटों की पहचान करते हैं, जिन में महिलाएं एक खास समय पर अकेली होती हैं. बदमाशों के लिए महिलाओं को काबू में करना आसान होता है, इसलिए वे उन्हें ही अपना सौफ्ट टारगेट बनाते हैं.

नोएडा के सैक्टर 50 के पौश इलाके में रहने वाली अरुणा जैन के पति तेज बहादुर रिटायर्ड ऐग्जीक्यूटिव इंजीनियर थे. ये पतिपत्नी चूंकि अकेले रहते थे, इसलिए इन्होंने अपने घर का एक हिस्सा किराए पर देने की सोची और इस बारे में एक ब्रोकर को बता दिया. ब्रोकर के ही माध्यम से एक दिन 2 लोग घर देखने आए. उन्होंने कहा कि घर उन्हें पसंद आ गया है. जल्द ही ऐडवांस दे कर शिफ्ट हो जाएंगे.

2 दिन बाद शाम के करीब 4 बजे थे. तेज बहादुर उस समय बाहर गए हुए थे. घंटी बजी, तो अरुणा ने दरवाजे पर पहुंच कर देखा कि 3 लोग खड़े हैं. उन में से एक शख्स वह भी था जो घर देखने के लिए आ चुका था. उन्होंने सोचा कि वे ऐडवांस देने के लिए आए होंगे. अत: उन्होंने दरवाजा खोल दिया. लेकिन इस के बाद जो हुआ उस की उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. तमंचे के बल पर डराधमका कर वे घर में रखी नकदी, आभूषण व कार लूट कर फरार हो गए. जांच में पता चला कि उन्हें घर दिखाने वाला ब्रोकर जानता तक नहीं था.

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कई दिनों बाद पुलिस ने लूट करने वाले उन बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया. तब उन्होंने बताया कि वे ऐसी ही अकेली महिलाओं को अपना निशाना बनाते थे.

चोरी के बाद हत्या भी

उत्तराखंड के हरिद्वार शहर की हरिलोक कालोनी में रहने वाली प्रकाशवती अपने साथ हुई घटना को शायद ही कभी भुला पाएं. वे लूट की शिकार तो हुईं ही, साथ ही उन की जान भी जातेजाते बची. दरअसल, एक दिन दोपहर में 2 लोग चंदा मांगने के बहाने उन के घर पहुंचे. उन के दरवाजा खोलते ही दोनों लोग अंदर आ गए और हथियारों के बल पर उन्हें डराधमका कर लूटपाट करने लगे.

इसी बीच प्रकाशवती के पति केदार सिंह आ गए, तो उन के सिर पर बैट से प्रहार कर के उन्हें घायल कर दिया. प्रकाशवती के साथ भी मारपीट की गई. शोरशराबा सुन कर पड़ोस की महिला स्वाति उन के घर पहुंची, तो बदमाशों ने उसे भी अपना शिकार बना लिया. उस की भी अंगूठियां लूट लीं. घटना को अंजाम दे कर बदमाश भाग गए. गनीमत थी कि प्रकाशवती की जान बच गई.

मगर गाजियाबाद के इंदिरापुरम की एक महंगी सोसाइटी में रहने वाली मधु अग्रवाल को अपनी जान गंवानी पड़ी. दरअसल, उन के बेटे का अपना कारोबार था. वह सुबह होते ही औफिस चला जाता था. मधु घर में अकेली रह जाती थीं. एक रात जब बेटा घर लौटा, तो फ्लैट का दरवाजा खुला पाया. घर के अंदर मधु मृत पड़ी हुई थीं और घर का सारा सामान बिखरा हुआ था. घर में रखी नकदी व गहने गायब थे.

पुलिस ने मामले में जांचपड़ताल कर दीपक नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया. दरअसल, दीपक सोसाइटी में ही रहता था और लोगों के छोटेमोटे काम करता था.

मधु को उस ने अपना आसान शिकार इसलिए बनाया, क्योंकि वे अकसर अकेली होती थीं. घटना वाले दिन वह वायरिंग चैक करने के बहाने उन के फ्लैट में आया. मधु ने उसे सोसाइटी में लोगों के यहां काम करते देखा था, इसलिए उस पर शक नहीं कर सकीं. वे अपने काम में लग गईं, तो दीपक ने अलमारी में रखे गहने चुरा लिए. मधु ने दीपक को देख कर डांटा, तो उस ने चाकू निकाल कर उन पर वार कर दिया. मधु ने बचाव के लिए बहुत संघर्ष किया, लेकिन दीपक ने उन की हत्या कर दी.

भरोसा किस पर

इस तरह की वारदातों को अंजाम देने वाले इस ताक में रहते हैं कि महिलाएं घर पर अकेली हों. उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर का मामला भी कुछ ऐसा ही रहा. दोपहर के समय शिरोमणि अपने घर पर अकेली थीं. उन की बहन शैलजा टीचर थी और बेटा भी नौकरी करता था. दोपहर में रोज शिरोमणि अकेली होती थीं.

एक दिन बाइक सवार 2 युवक मीटर रीडिंग चैक करने के बहाने उन के घर में आ गए और हथियारों के बल पर डराधमका कर शिरोमणि को बंधक बना लिया. बदमाश नकदी व जेवरात लूट कर फरार हो गए.

हरियाणा के करनाल शहर की एक वारदात ने तो लोगों को दहला कर रख दिया. उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि आखिर किस पर भरोसा किया जाए.

दरअसल, सैक्टर 13 ऐक्सटैंशन में एक कपड़ा कारोबारी रविंद्र की पत्नी 55 वर्षीय पूजा की बेरहमी से हत्या कर दी गई. हत्या करने वाले घर का जरूरी सामान भी लूट कर ले गए थे.

कुछ दिनों की जांच के बाद पुलिस ने जब वारदात का खुलासा किया, तो हर कोई चौंक गया, क्योंकि वारदात को उन के यहां 30 साल से नौकर रहे एक व्यक्ति के बेटे मोहित ने ही अपने दोस्तों के साथ अंजाम दिया था. मोहित को पता था कि पूजा दोपहर के समय घर में बिलकुल अकेली होती हैं.

पुलिस अधिकारी रुचिता चौधरी कहती हैं कि सावधान रह कर ही ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है. किसी भी अनजान के लिए घर का दरवाजा न खोलें. घर के गेट पर सीसीटीवी कैमरा भी अपराध करने वालों में डर पैदा करता है. बदलते दौर में लूट के लिए नएनए तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. अत: महिलाओं को सावधान रहने की जरूरत है खासकर तब जब वे घर में अकेली हों.

प्रैगनैंट महिलाओं पर घरेलू हिंसा का ऐसे पड़ता है प्रभाव

मुंबई की 24 साल की मनीषा जब गर्भवती हुई तो कुछ परेशान सी रहने लगी. वह न तो अपनी मनपसंद का खाना बना सकती थी और न ही खा सकती थी, क्योंकि परिवार में सासससुर हमेशा उसे अच्छा खाना बना कर खाने पर ताने देते थे. अगर मनीषा का पति अपने मांबाप से कुछ कहता तो वे उसे भी भलाबुरा कहते.

एक दिन तो इतनी कहासुनी हुई कि सासससुर ने मनीषा को घर से निकल जाने को कह दिया. मनीषा के घर छोड़ने के कदम में उस के पति ने भी उस का साथ दिया और दोनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी अलग गृहस्थी जमाई. अब मनीषा को इस बात का डर सताने लगा था कि पता नहीं उस की डिलिवरी ठीक से होगी या नहीं. अपनेआप को काफी संभालने के बाद भी उस की प्रीमैच्योर डिलिवरी हुई. बच्ची ने काफी समय बाद बोलनाचलना सीखा.

नवजात पर बुरा असर

ऐसी कई घटनाएं हैं जहां डिलिवरी के समय या बाद में बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास कम होने पर डाक्टर जब इस की बारीकी से जांच करते हैं तब कई बार घरेलू हिंसा की बात सामने आती है. एक सर्वे में पाया गया कि 5 प्रैगनैंट महिलाओं में से एक महिला घरेलू हिंसा की शिकार अवश्य होती है. इन में से कुछ महिलाएं तो पहले इस बारे में बता देती हैं तो कुछ छिपाती हैं, जिस का पता डिलिवरी के बाद चलता है. यह घरेलू हिंसा ज्यादातर 21 से 35 वर्ष की महिलाओं के साथ होती है और खासकर गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली महिलाओं के साथ और कुछ खास समुदाय और उच्च वर्ग की महिलाओं के साथ.

इस बारे में मुंबई के मल्हार नर्सिंगहोम की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा, डा. रेखा अंबेगांवकर कहती हैं, ‘‘घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को केवल प्रैगनैंसी के दौरान या बाद में ही नहीं, बल्कि गर्भधारण के पहले से भी अगर उन्हें डोमैस्टिक वायलैंस का सामना करना पड़ता है, तो उस का असर प्रैगनैंसी के बाद भी बच्चे पर होता है. यह अधिकतर उन परिवारों में अधिक होता है जहां पति किसी नशे का आदी हो. निम्नवर्ग में यह अधिक है.

‘‘कई बार महिला नहीं चाहती कि उस का बच्चा ऐसे माहौल में जन्म ले, जहां उसे अच्छी परवरिश न मिले. ऐसे में गर्भधारण के बाद वह जरूरत के अनुसार खानापीना छोड़ देती है. सही समय पर अपना चैकअप नहीं कराती, जिस से बच्चे का विकास गर्भ में कम होता है और प्रीमैच्योर डिलिवरी हो जाती है, जिस से बाद में बच्चे में कई प्रकार की समस्याएं जन्म लेती हैं. मसलन, विकास सही तरह से न होना, बात न कर पाना. देरी से चलना आदि.

‘‘इस के अलावा अगर किसी ने पत्नी के पेट पर जोर से लात मारी हो या धक्का दिया हो तो कई बार प्लैसेंटा अलग हो जाने से भी बच्चा प्रीमैच्योर हो जाता है या फिर गर्भपात होने का डर रहता है.’’

डा. रेखा आगे कहती हैं, ‘‘शारीरिक हिंसा तो बाहर से दिखती है, लेकिन मानसिक यातनाओं को समझना मुश्किल होता है, क्योंकि महिलाएं उसे बताना नहीं चाहतीं. ऐसी कई महिलाएं मेरे पास आती हैं जो ट्रामा में होती हैं कि बच्चा लड़का है या लड़की. ऐसे केसेज को बहुत सावधानी से हैंडल करना पड़ता है.

‘‘शारीरिक यातनाओं की शिकार महिलाएं अधिकतर सरकारी अस्पतालों में दिखाई पड़ती हैं, क्योंकि वहां गरीब महिलाएं अधिक जाती हैं और उन के घरों में घरेलू हिंसा अधिक होती है.

‘‘थोड़े पढ़ेलिखे परिवारों में मेल चाइल्ड पर लोग अधिक फोकस्ड होते हैं, क्योंकि उन्हें 1 या 2 बच्चे ही चाहिए, उन्हें लड़का अवश्य चाहिए. उन्हें लिंग की जांच कराने के लिए मजबूर किया जाता है, जो वे नहीं कराना चाहतीं. ऐसे में अधिकतर महिलाएं मानसिक रूप से प्रताडि़त होती हैं.’’

हिंसा की शुरुआत

घरेलू हिंसा की शुरुआत पुरुष का पहले अपनी पत्नी को चांटा मारने से होती है. इस के बाद आती है शारीरिक और सैक्सुअल वायलैंस. कई बार घरेलू हिंसा इतनी अधिक होती है कि महिला की जान पर भी बन आती है. इस में अगर महिला कामकाजी है, तो कुछ विरोध करती है, लेकिन ऐसा करने पर परिवार के अन्य लोग और समाज उसे ही दोषी मानता है.

इस बारे में मुंबई के सूर्या हौस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ डा. मेहुल दोषी कहते हैं, ‘‘घरेलू हिंसा की वजह से प्रैगनैंट वूमन हमेशा डरी रहती है. इस में चाहे शादी लव मैरिज हो या अरेंज्ड किसी में भी यह समस्या हो सकती है. ऐसी प्रताडि़त महिला का ब्लडप्रैशर सही नहीं होता. वह ऐनीमिक हो जाती है, उसे मधुमेह की बीमारी भी हो सकती है. इस से बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास सही नहीं हो पाता और उस का वजन कम होता है. बच्चा कुपोषण का शिकार होता है. मृत्यु दर भी इन बच्चों की अधिक है.’’

यह हिंसा उन परिवारों में भी अधिक है. जहां पतिपत्नी अकेले रहते हैं. संयुक्त परिवारों में इन की संख्या कम है. इस की वजह के बारे में मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. राजीव आनंद बताते हैं, ‘‘प्रैगनैंसी के बाद महिला को कई सारे शारीरिक और मानसिक दौर से गुजरना पड़ता है. अकेले होने पर इस बदलाव को अपने ऊपर देख कर उन्हें अजीब अनुभव होता है, इस में पति का साथ न मिलने पर वे चिड़चिड़ी हो जाती हैं और पति इसे समझ नहीं पाता, परिणामस्वरूप, कहासुनी, बहस, मारपीट आदि शुरू हो जाती है जबकि संयुक्त परिवारों में सब का साथ मिलने से यह थोड़ा आसान हो जाता है. महिला अपनी समस्या को किसी के साथ शेयर कर सकती है.

बच्चे को जन्म देने के लिए पतिपत्नी दोनों को एकदूसरे के प्रति निष्ठावान होने की आवश्यकता होती है. कुछ दंपतियों में तो शादी के दूसरे साल से ही अनबन शुरू हो जाती है. ऐसे में पत्नी सोचने पर मजबूर हो जाती है कि वह बच्चे को जन्म दे या नहीं.

औडियोलौजिस्ट ऐंड स्पीच थेरैपिस्ट देवांगी दलाल का कहना है, ‘‘बचपन से अगर बच्चा कुपोषण का शिकार है, तो उस की बौडी मूवमैंट भी देर से होती है. अधिकतर ऐसे बच्चे 1 साल के बाद बोलने लगते हैं. इस की वजह उन का गर्भ में सही तरह विकास न होना है.

‘‘घरेलू हिंसा की शिकार अधिकतर महिलाओं के पति अशिक्षित और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, जिन्हें बच्चा इसलिए नहीं चाहिए क्योंकि उन के लिए बच्चा बोझ है और वे अपनी पत्नी को गर्भपात के

लिए मजबूर करते हैं. उन के न मानने पर मारपीट करते हैं. इसे कम करने के लिए महिलाओं का शिक्षित और आत्मनिर्भर होना आवश्यक है.’’

बच्चे की जिम्मेदारी पतिपत्नी दोनों की होती है, लेकिन अगर पति या पारिवारिक माहौल ठीक नहीं है तो निराश न हों, क्योंकि बच्चे की जिम्मेदारी मां की भी है और कुछ सावधानियां बरतने से इस से छुटकारा पाया जा सकता है. डाक्टर रेखा के अनुसार डोमैस्टिक वायलैंस से बचने के उपाय निम्न हैं:

  • सब से पहले पति का व्यवहार ठीक न होने पर परिवार के दूसरे सदस्यों का सहारा लें.
  • अधिक समस्या है, तो मनोरोग चिकित्सक के पास जाएं.
  • नशे या ड्रग के आदी पति से दूर रहें.
  • घरेलू हिंसा को सहें नहीं, बल्कि पुलिस में रिपोर्ट करें.
  • किसी एनजीओ की भी हैल्प ले सकती हैं.

विदेश में बदले प्यार के मायने : पिंकी के साथ सफदर ने क्या किया

25 वर्षीय पिंकी चंदा हैदराबाद में पुरानी सिटी के मलकजगिरी इलाके में अपने परिवार के साथ रहती थी. वह शेखर चंदा की एकलौती संतान थी. शेखर चंदा का अपना छोटा सा घरसंसार था. वह अच्छाभला कमाते थे, इसलिए उन के पास हर तरह की भौतिक सुखसुविधा थी. इन सब से अलग उन में जो खासियत थी, वह यह थी कि वे स्वच्छंद विचारों वाले जीवंत इंसान थे. इसी परिपाटी पर उन का परिवार भी चलता था.

शेखर चंदा का सपना था कि वह अपनी एकलौती बेटी को पढ़ालिखा कर इस काबिल बना दें कि वह कोई बड़ी अफसर बन जाए. पिंकी का भी यही सपना था कि वह कुछ ऐसा करे, जिस से मांबाप का नाम इज्जत से लिया जाए.

पिंकी बातचीत करने और पढ़नेलिखने में अव्वल थी. वह मन लगा कर पढ़ती रही. ग्रैजुएशन करने के बाद पिंकी चंदा को हैदराबाद के सोमाजुगुडा क्षेत्र की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी मिल गई. वह उस कंपनी के कंप्यूटर सैक्शन में थी. यह सन 2013-14 की बात है.

जिस बहुराष्ट्रीय कंपनी में पिंकी जौब करती थी, उसी कंपनी के कंप्यूटर सैक्शन में दारुलशफा का रहने वाला सफदर अब्बास खलीम अख्तर जैदी नाम का युवक भी नौकरी करता था. वह सौफ्टवेयर इंजीनियर था. सफदर जैदी बेहद ईमानदार, मेहनती और लगनशील युवक था. वाकपटुता उस की रगरग में भरी हुई थी. अपनी कलात्मक बातों से वह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित करने में माहिर था.

पिंकी चंदा सफदर जैदी के बगल वाली सीट पर बैठती थी. उस की बातों की वह भी मुरीद थी. सफदर जब भी फुरसत में होता या उसे मौका मिलता तो वह अपनी बातों से सभी को गुदगुदाता रहता था.

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हंसीठिठोली के बीच पिंकी चंदा और सफदर जैदी जल्द ही आपस में घुलमिल गए और अच्छे दोस्त बन गए. खास बात यह थी कि दोनों ही खुले विचारों के थे और उन के विचार आपस में काफी मिलतेजुलते थे.

एक दिन बातोंबातों में पिंकी सफदर से पूछ बैठी, ‘‘सफदर, मैं तुम से एक बात पूछूं, बुरा तो नहीं मानोगे?’’

‘‘नहीं, बिलकुल भी बुरा नहीं मानूंगा. पूछो.’’ सफदर ने जवाब दिया.

‘‘हर वक्त हंसीठिठोली करते तुम्हारा मुंह नहीं थकता?’’ पिंकी ने कहा.

‘‘जी नहीं मैडम, मेरा बस चले तो मैं 24 घंटे टेपरिकौर्डर बना रहूं. लेकिन कोई ऐसा होने दे तब न.’’ सफदर जैदी ने कहा, ‘‘एक बात और बताऊं मैडम, जब मैं घर पर इस तरह की बातें करता हूं तो सभी लोग एंजौय करते हैं. मेरी बातों से उन का एंटरटेनमेंट होता है.’’

‘‘अच्छा, यह बताओ, ये मैडममैडम क्या लगा रखा है.’’ पिंकी चंदा तुनक कर बोली, ‘‘तुम मेरा नाम ले कर नहीं बुला सकते क्या?’’

‘‘जो हुकूम मल्लिका-ए-आला.’’

‘‘क्या? क्या कहा तुम ने?’’ वह मुसकरा कर बोली.

‘‘मेरे कहने का मतलब है कि आज से मैं तुम्हें पिंकी कह कर बुलाऊंगा, पिंकी…पिंकी… पिंकी.’’ सफदर ने अपने स्टाइल में कहा.

शाम को छुट्टी के बाद औफिस से निकलते वक्त सफदर ने पिंकी को अपनी कार में बैठने का औफर दिया तो वह इनकार नहीं कर पाई. दोनों एक ही राह के मुसाफिर थे. पिंकी का घर रास्ते में पहले पड़ता था.

उस दिन के बाद से सफदर औफिस से निकल कर पिंकी को उस के घर छोड़ कर जाने लगा. धीरेधीरे सफदर का पिंकी के घर भी आनाजाना शुरू हो गया. अपनी वाकपटुता से उस ने पिंकी के मांबाप के दिलों में जगह बना ली. पिंकी के मांबाप सफदर के व्यवहार से काफी खुश थे.

चूंकि शेखर चंदा भी खुले विचारों के इंसान थे, इसलिए सफदर की कंपनी उन्हें अच्छी लगती थी. जब भी सफदर पिंकी को औफिस से घर छोड़ने आता, शेखर चंदा उसे घर में बुला लेते थे और चाय पिलाने के बाद ही घर से जाने देते थे. रोजमर्रा के साथ से पिंकी चंदा और सफदर जैदी की दोस्ती प्यार में बदल गई.

पिंकी और सफदर दोनों बालिग थे. दोनों समाज के रीतिरिवाजों और ऊंचनीच के भेदभाव को बखूबी जानते और समझते थे. उन के बीच में सिर्फ समुदाय का फर्क था. दोनों अलगअलग समुदाय से थे. प्यार में उन के बीच यह भेद भी मिट गया था कि वे 2 भिन्नभिन्न समुदायों के हैं. धीरेधीरे पिंकी और सफदर के घर वालों को उन के प्रेमप्रसंग की बातें पता चल गई थीं.

पिंकी के पिता शेखर चंदा और मां श्रेया चंदा को बेटी के प्रेमप्रसंग की बात पता चली तो वे हैरान रह गए. वे भले ही लाख खुले विचारों के थे, भले ही सफदर को सम्मान देते थे लेकिन यह बात पसंद नहीं थी कि उन की बेटी किसी दूसरे धर्म के लड़के से प्यार करे.

उन्होंने पिंकी को समझाया कि सफदर का साथ छोड़ दे. इस बात पर पिंकी मांबाप से लड़ बैठी. उस ने साफ शब्दों में कह दिया कि वह सफदर से प्रेम करती है और उसी से शादी करेगी. यही हाल सफदर का था.

उस के अब्बू खलीम अख्तर जैदी और चाचा हैदर जैदी को उस के प्रेम के बारे में पता चला तो वे आगबबूला हो गए. उन्होंने उस से कहा कि वह पिंकी से मिलना बंद कर दे. लेकिन सफदर बगावत पर उतर आया. उस ने कह दिया कि वह किसी कीमत पर पिंकी को नहीं छोड़ेगा, बल्कि निकाह भी उसी से करेगा.

इस के बाद सफदर ने पिंकी के घर जाना बंद कर दिया. वह उसे घर से कुछ देर पहले ही छोड़ कर अपने घर चला जाता था. जिस दिन से मांबाप ने पिंकी को हिदायत दी थी, तब से वह अपने प्यार को ले कर परेशान रहती थी. इसी चिंता में एक दिन उस ने सफदर से पूछा, ‘‘सफदर, प्यार तो हम दोनों एकदूसरे से करते ही हैं. तुम यह बताओ कि मुझे धोखा तो नहीं दोगे?’’

‘‘ये कैसी बेतुकी बात कर रही हो पिंकी, मैं वादा करता हूं कि जीवन भर मैं तुम्हारा साथ निभाऊंगा.’’ सफदर बोला, ‘‘एक बात और है.’’

‘‘वो क्या?’’ पिंकी चौंकी.

‘‘हम दोनों के धर्म अलगअलग हैं. मेरे मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या तुम्हारे घर वाले इस के लिए तैयार होंगे?’’ सफदर ने गंभीर हो कर कहा.

‘‘देखो सफदर, मेरे घर वाले राजी हों न हों, मैं ने जो फैसला ले लिया उस से मैं हरगिज पीछे नहीं हटूंगी.’’ पिंकी दृढ़ता से बोली.

‘‘पिंकी, जब तुम मेरे लिए अपने घर वालों से बगावत करने को तैयार हो तो मैं भी तुम्हारी खातिर कुछ भी करने को तैयार हूं.’’

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प्रेमी के ये शब्द सुनते ही पिंकी उस के सीने से लग गई. उस का स्पर्श पाते ही सफदर के तनबदन में आग लग गई. कुछ ही देर में दोनों एकदूसरे में खो गए. उन के बीच एक तूफान आ कर गुजर गया.

उस दिन के बाद से उन दोनों के बीच जो भी दूरियां रहीं, वो सब मिट गईं. अब तो जब भी उन्हें मौका मिलता, दोनों दो जिस्म एक जान हो जाते. धीरेधीरे पिंकी और सफदर के मांबाप जान चुके थे कि दोनों एक दूसरे को बहुत मोहब्बत करते हैं. फिर एक दिन पिंकी ने अपने मांबाप को अपने प्यार के बारे में बता दिया.

पिंकी के मांबाप नहीं चाहते थे कि वह उस की शादी दूसरे धर्म के लड़के के साथ करें. लेकिन पिंकी उन की बहुत लाडली थी, इसलिए बेटी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.

यही हाल सफदर के घर वालों का भी था. सफदर के अब्बू खलीम जैदी और चाचा हैदर जैदी इस शादी के खिलाफ थे लेकिन बेटे के फैसले के आगे आखिर उन्हें भी विवश होना पड़ा.

बच्चों की खुशी की खातिर दोनों परिवारों के सदस्यों ने सोच कर अपने खयालातों से समझौता कर लिया. उन की खुशी में ही उन्होंने अपनी खुशी समझी. मांबाप की तरफ से हरी झंडी मिलते ही उन की मुराद पूरी हो गई. इसी बीच सफदर की जिंदगी से एक और खुशी आ कर जुड़ गई.

सफदर को दुबई की एक कंपनी में नौकरी मिल गई. नौकरी मिलने के बाद वह दुबई जाने की तैयारी करने लगा तो पिंकी उस के साथ जाने की जिद पर अड़ गई. इस पर न तो पिंकी के मांबाप ने ऐतराज किया और न ही सफदर के मांबाप ने.

पिंकी की जिद पर सफदर उसे दुबई ले जाने के लिए तैयार हो गया. उस का पासपोर्ट भी बनवा दिया. सब कुछ होने के बाद सफदर और उस के परिवार वालों ने पिंकी के सामने एक शर्त रख दी कि वह दुबई तभी जा सकती है, जब वह इसलाम कबूल करेगी. यह सुन कर पिंकी और उस के मांबाप अवाक रह गए. उन के लिए यह अप्रत्याशित शर्त रख दी.

लेकिन सफदर के प्यार में पागल पिंकी धर्म परिवर्तन के लिए भी तैयार हो गई. पिंकी के इस फैसले से उस के मांबाप को काफी दुख हुआ, लेकिन वे कर भी क्या सकते थे. औलाद के सामने वे हारे हुए थे, इसलिए उन्होंने उसे उस के हाल पर छोड़ दिया.

हैदराबाद हज हाउस में पिंकी का धर्म परिवर्तन करा दिया गया. हिंदू धर्म छोड़ कर पिंकी ने इसलाम कबूल कर लिया. उस का नाम पिंकी चंदा से फातिमा जेहरा रखा गया. उस ने मुसलिम रवायतों को अपनाया, इबादत की. सफदर के कहे मुतातिब हिजाब पहनना भी शुरू कर दिया. यह सन 2013-14 की बात है.

सफदर पिंकी को ले कर दुबई चला गया. जिस कंपनी में सफदर की नौकरी लगी थी, उस ने वहीं पर फातिमा जेहरा उर्फ पिंकी की नौकरी भी लगवा दी. कंपनी की ओर से दोनों के रहने का इंतजाम अलगअलग हौस्टलों में किया गया था. वे एकदूसरे से मिलते रहे. धीरेधीरे पिंकी और सफदर को दुबई में रहते 4 साल बीत गए.

इस बीच पिंकी सफदर से पूछती रही कि वह निकाह कब करेगा, इस पर सफदर कोई तवज्जो नहीं देता था, बल्कि यह कह कर बात टालने की कोशिश करता था कि अभी जल्दी क्या है, शादी भी कर लेंगे, थोड़ा और सब्र करो.

एक ही जवाब सुनतेसुनते पिंकी के कान पक गए थे. पिंकी जो पहले सफदर पर पागलों की तरह मरती थी, अब वह अपने लिए गए फैसले पर सोच कर तनाव में रहने लगी.

सफदर के हावभाव में भी काफी बदलाव आ गया था. न तो वह पहले की तरह पिंकी से बात करता था और न ही उसे लिफ्ट देता था. सफदर के ये हावभाव पिंकी को अच्छे नहीं लग रहे थे. पता नहीं क्यों सफदर को ले कर उस के मन में नकारात्मक भावनाएं हावी होती जा रही थीं.

अब पिंकी को महसूस होने लगा था कि उस ने मांबाप से बगावत कर के अच्छा नहीं किया. उस ने सोचा कि यदि सफदर ने उसे सचमुच में धोखा दे दिया तो उस की तो जिंदगी बरबाद हो जाएगी. कहीं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी. इसी तरह की चिंता में उस का बुरा हाल हो रहा था.

जिस बात का पिंकी को डर था, वह बात उसे सच होती दिख रही थी. प्यार के चक्कर में उस ने अपना सब कुछ गंवा दिया था. जब वह शादी के लिए सफदर पर दबाव डालती तो वह परेशान हो जाता था.

सफदर की सोच सचमुच बदल चुकी थी, उस का मुख्य उद्देश्य उस के जिस्म से खेलना था. अब वह यह सोच रहा था कि उस से किस तरह पीछा छुड़ाए.

वह उस से पीछा छुड़ाने के उपाय खोजने लगा. इस के बाद तो वह छोटीछोटी बातों पर पिंकी से कलह करने लगा. पिंकी की छोटी सी बात भी उसे कांटे की तरह चुभने लगी थी. रोजरोज की कलह से तंग आ कर एक दिन पिंकी उस से पूछ बैठी, ‘‘पिछले कुछ दिनों से देख रही हूं कि तुम बदलेबदले से नजर आ रहे हो. बात क्या है सफदर?’’

‘‘मैं नहीं बदल रहा बल्कि तुम्हारे तेवर ही बदल गए हैं.’’ सफदर ने झल्ला कर जवाब दिया.

‘‘तुम ने मुझ में ऐसा क्या देख लिया कि तुम्हें मेरे तेवर बदले नजर आने लगे?’’ वह बोली.

‘‘छोड़ो यार, क्या बताऊं?’’ सफदर ने कहा.

‘‘नहीं, तुम बता दो कि मुझ में ऐसा क्या देख लिया कि तुम्हें मेरे तेवर बदले नजर आ रहे हैं?’’

॒‘‘सच बताऊं, तुम्हारा यही एटीट्यूड मुझे अच्छा नहीं लगता. तुम किसी भी बात को पकड़ कर जिद पर अड़ जाती हो.’’ सफदर ने बताया.

‘‘अब तो तुम्हें मेरी बात बुरी लगेगी ही. सच्ची बात जो कह दी मैं ने. शादी के लिए 4 सालों से आजकलआजकल कर के टरका रहे हो. इसी से तुम्हारी नीयत का पता चलता है.’’ वह गुस्से में बोली.

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‘‘हां, टरका रहा था मैं.’’ सफदर ने भी गुस्से में जवाब दिया, ‘‘जाओ, जो करना है, कर लो. अब मैं तुम से निकाह नहीं करूंगा.’’

‘‘क्यों? जरा मैं भी तो जानूं कि तुम मुझ से निकाह क्यों नहीं करोगे?’’

‘‘इसलिए कि तुम ने इसलाम धर्म का ईमानदारी से पालन नहीं किया है. न तो तुम 5 वक्त की नमाजी बन पाई और न हिजरा का पालन किया, इसलिए मैं तुम से निकाह नहीं कर सकता, समझी.’’ सफदर ने बताया.

‘‘धोखेबाज, मक्कार.’’ पिंकी सफदर पर फट पड़ी, ‘‘मेरी जिंदगी तो खराब हो ही गई, पर मैं तुम्हें भी चैन से नहीं जीने दूंगी. मैं इतनी आसानी से तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूं. तुम पर यकीन कर के मैं ने बहुत बड़ी गलती की. तुम्हारे ही कारण मैं अपने मांबाप से बगावत कर बैठी और तुम कहते हो कि मैं ने तुम्हारे धर्म का पालन नहीं किया. अरे 5 वक्त नमाज पढ़ती थी मैं. बुरका पहन कर बाहर निकलती थी मैं. तुम्हारे लिए मैं वह सब करती थी जो तुम ने कहा. इतने पर भी तुम कहते हो कि शादी नहीं करूंगा. तुम्हें मैं तुम्हारी औकात बता कर रहूंगी. इस की सजा जरूर दिलाऊंगी, तभी मुझे सुकून मिलेगा.’’

पिंकी को कुछ समझ में नहीं आया तो उस ने अपने वतन लौट जाने का फैसला कर लिया. वह जान चुकी थी कि दुबई में रही तो उस की जान को खतरा हो सकता है. सफदर राज छिपाने के लिए उसे जान से भी मार सकता है. यह सोचते ही पिंकी चुपके से जनवरी, 2018 के दूसरे सप्ताह में अपने घर हैदराबाद लौट आई और मांबाप से अपनी आपबीती कह डाली.

रोती हुई पिंकी मां से बोली, ‘‘मां, मुझ से बहुत बड़ी भूल हुई, जो मैं ने आप सब की बातें नहीं मानीं. सफदर ने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है. शादी के नाम पर उस ने मेरा धर्म परिवर्तन कराया और मेरे जिस्म से खेलता रहा. अब कहता है कि मैं तुम से शादी नहीं करूंगा, क्योंकि तुम ने मेरे हिसाब से मेरा धर्म कबूल नहीं किया. मां, मुझे माफ कर दो. काश, मैं ने तुम्हारी बात मान ली होती तो आज ये दिन देखने को नहीं मिलते.’’ कह कर पिंकी मां के सीने से लिपट कर रोने लगी तो श्रेया चंदा का मन पिघल गया.

बेटी की यह पहली गलती थी, सो मां ने एक ही झटके में उस की गलती माफ कर दी. अब सवाल यह था जिस ने बेटी की जिंदगी बरबाद की है, उसे सजा कैसे दिलाई जाए.

31 जनवरी, 2018 को श्रेया चंदा पिंकी को ले कर मलकजगिरी थाना पहुंची. थाने के इंसपेक्टर जानकी रेड्डी से मिल कर उन्होंने सारी बात बताई. साथ ही बेटी के साथ हुए धोखे के संबंध में एनआरआई सफदर अब्बास जैदी के खिलाफ लिखित तहरीर भी दी. तहरीर के साथ वे सभी दस्तावेज भी संलग्न किए जो पिंकी के पास मौजूद थे.

मामला हाईप्रोफाइल और एनआरआई से जुड़ा देख कर थानाप्रभारी चौंक गए. उन्होंने तत्कालीन एसीपी जी. संदीप को फोन कर के इस बारे में अवगत कराया. मामला लव जिहाद से जुड़ा हुआ था. प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए एसीपी जी. संदीप ने जांचपड़ताल कर के एनआरआई सफदर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया.

जांचपड़ताल में मामला सही पाया गया. इंसपेक्टर जानकी रेड्डी ने आरोपी एनआरआई सफदर अब्बास जैदी के खिलाफ भादंवि की धाराओं 376, 417 और 420 के तहत केस दर्ज कर लिया है.

कथा लिखे जाने तक आरोपी सफदर अब्बास जैदी गिरफ्तार नहीं किया जा सका था. उसे गिरफ्तार करने के लिए भारत सरकार की ओर से दुबई सरकार को पत्र भेजे.

– कथा में पीडि़ता का नाम परिवर्तित है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

द्वापर का इंटरनैट और धृतराष्ट्र की आंखों का औपरेशन

त्रिपुरा के नएनवेले मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देव ने अपने मुंह से उगल दिया कि इंटरनैट द्वापर में भी था जिस के जरिए संजय ने धृतराष्ट्र को महाभारत का आंखों देखा हाल सुनाया था. लगेहाथ उन्होंने युवाओं को नौकरी के बजाय पान की दुकान और डेयरी खोलने की सलाह भी दे डाली.

बहरहाल, पौराणिकवादियों के गिरोह की एक शाखा विज्ञान को धर्म साबित करने पर तुली है, विप्लब उस के नए रंगरूट हैं जिन पर गांवदेहातों की यह कहावत सटीक बैठती है कि कल के जोगी और जांघ तक जटा.

इस गैंग की निगाह में सबकुछ सनातन धर्म में है पर कलियुग के प्रभाव के चलते मोह और वासनाग्रस्त पापी उसे मानते नहीं, उलटे यह पूछ कर लाजवाब कर देते हैं कि सबकुछ था, लेकिन एक भी डाक्टर ऐसा नहीं था जो धृतराष्ट्र की आंखों का औपरेशन कर उस की नजर लौटा देता. अब इस बात का जवाब भी शायद वे किसी धार्मिक ग्रंथ में तलाश रहे हों.

नकदी की कमी से आफत में आई जनता की जान

नकदी की एक बार फिर कमी ने जनता की जान आफत में डाल दी है. एटीएमों के बाहर लाइनें लगने लगी हैं और व्यापार ढीला पड़ गया है क्योंकि नकदी की कमी में लेनदेन कम होने लगा है. जब लोगों को काम करने के बजाय लाइन में अपना ही पैसा निकालने के लिए खड़ा होने की मुसीबत झेलनी पड़े तो सरकार को कोसने के अलावा बचता ही क्या है. ‘नो कैश’ के बोर्डों का मतलब है ‘नो सरकार’.

नकदी की कमी का कारण वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक की गलती है. वित्त मंत्री लगातार कोशिश कर रहे हैं कि देश में सारा व्यापार, लेनदेन, जमा कैशलैस हो, चाहे इस से आम आदमी को जो मरजी कठिनाई हो. उन को लगता है कि अगर कैशलैस अर्थव्यवस्था होगी तो काला धन न होगा, बेईमानी न होगी.

वे यह याद ही नहीं रखना चाहते कि बैंकों के मारफत ही नीरव मोदी, मेहुल चौकसी, विजय माल्या जैसे बीसियों धन्ना सेठों ने पैसे निकाले ही नहीं, विदेश भी ले गए. कम नकदी असल में आम व्यापारी, किसान, मजदूर, छोटे कर्मचारी को परेशान करती है जिसे हर खर्च के लिए बैंक का मुंह ताकना पड़ता है.

जेब में नकदी हो तो सामान खरीदा और मामला खत्म. चैक, क्रैडिट कार्ड से खरीद का मतलब है कि महीने के आखिर तक इंतजार करो कि लेनदेन का ब्योरा आए और फिर एकएक खर्च को जांचो. कोई गड़बड़ी हो तो सिर धुनो, क्योंकि बैंक तो आप की सुनने वाला नहीं है. बैंक क्रैडिट कार्ड देते समय आप को लुभावने सपने दिखाएगा पर बाद में वह आप को दिन में तारे गिनवा देगा. कोई बैंक न अपने किसी अधिकारी का नाम बताने को तैयार होता है न नंबर.

कैश की कमी बताती है कि सरकार अब संभल ही नहीं रही है और देश धीरेधीरे अराजकता की ओर बढ़ रहा?है. यहां कैसे भी बलात्कार, मारपीट, जातीय झगड़ों का माहौल बन गया है. अच्छे दिन तो भूलिए, आम दिन भी दिख नहीं रहे.

आप का कैश आप का हक है. इसे किसी को जबरन रखने का हक नहीं है. सरकार हर बार आप को बैंकों के सामने कतार लगाने को मजबूर नहीं कर सकती. एक निकम्मी जनता ही इस तरह का अन्याय सह सकती है. जिस कौम को अपने ही लूट ले जाते हैं वह कभी भी देश को नहीं बना सकती, देश को नहीं बचा सकती. अगर जनता इस जबरन लूट पर चुप है तो इस का मतलब है कि वह बेजबान जानवरों की भीड़ ही है.

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