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ओपन किचन को कुछ इस तरह बनाएं ब्यूटीफुल

पहले के जमाने में घर बड़े होते थे, जिस में बहुत से लोग रहा करते थे, एक बड़े कमरे को किचन के रूप में ढाला जाता था. लेकिन वक्त के साथ किचन और परिवार छोटे होते गए. ऐसे में ओपन किचन एक बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है.

भारतीय घरों के लिए ओपन किचन एक हौट ट्रैंड है. यह सुंदर दिखने के साथसाथ कंफर्टेबल भी होता है.

ओपन किचन के फायदे

– ओपन किचन का सब से बड़ा फायदा यह है कि अगर कोई महिला किचन में काम कर रही होती है तो वह पूरे घर पर निगरानी भी रख सकती है. बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथसाथ चाहे तोे टीवी प्रोग्राम देख सकती है. अपने मेहमानों के लिए चायनाश्ता बनाते हुए उन से बातें भी कर सकती है.

– ओपन किचन में काम करते वक्त घुटन महसूस नहीं होती.

– बंद किचन की तुलना में ओपन किचन स्वाभाविक रूप से अधिक चमकदार और प्राकृतिक रोशनी से भरपूर रहते हैं.

– ओपन किचन घर के डिजाइन को अनौपचारिकता आबोहवा देते हैं.

ओपन किचन: समस्याएं व समाधान

– ओपन किचन की एक समस्या यह है कि इस में काम करते वक्त बाहर से आने वाला कोई भी शख्स उस अव्यवस्था को सहजता से देख सकता है जो आप खाना पकाते वक्त हड़बड़ी में फैलाती हैं.

समाधान: किचन को व्यवस्थित दिखाने के लिए बेहतरीन स्टोरेज सिस्टम चुनें.

आप वुडन की जगह ग्लास के कैबिनेट्स बनवा सकती हैं. ये देखने में खूबसूरत लगेंगे और आप को सामान ढूढ़ने में असुविधा भी नहीं होगी.

– भारतीय खानों में पर्याप्त मात्रा में मसाले प्रयुक्त होते हैं. छौंक लगाने की भी जरूरत पड़ती है, जिस से खुशबू दूर तक फैल जाती है.

समाधान: इलैक्ट्रिक चिमनियों का प्रयोग कर के उचित वैंटिलेशन सैटअप स्थापित करें.

– मिक्सर, प्रैशर कुकर या डिश वाशर जैसे सभी कुकिंग उत्पादों की आवाज पास के कमरों तक सुनाई पड़ती है.

समाधान: कोशिश करें कि किचन से जुड़े सारे उत्पाद अच्छी क्वालिटी और नई तकनीक वाले हों ताकि आवाज कम पैदा हो. साथ ही इन के प्रयोग का समय भी निश्चित कर लें.

कुछ सरल टिप्स आजमा कर आप किचन के काम को सुविधाजनक बना सकती हैं:

– अपने किचन के लिए स्लाइड करने वाले बार्न डोर्स लगवाइए और ऐसा कर के आप का आधुनिक किचन आप की इच्छानुसार ओपन या क्लोज्ड बन सकता है.

– किचन और लिविंग रूम को अलग करने वाला कांच का पार्टिशन भी किचन को हमेशा प्राकृतिक रोशनी से जगमगाया हुआ रखेगा.

– आप किचन के एक छोटे हिस्से को बंद भी करा सकती हैं. इस हिस्से में आप वे काम कर सकती हैं जिन से ज्यादा शोर होता है.

– किचन और लिविंग रूम के बीच पौधों का प्रयोग कर के विभाजन रेखा खींची जा सकती है.

– अगर आप एक ओपन आधुनिक किचन चाहती हैं, लेकिन यह नहीं चाहतीं कि मेहमान पूरे समय ताकझांक करते रहें, तो मेहमानों के लिए बैठक की व्यवस्था ऐसे करें ताकि उन की पीठ किचन की ओर हो.

– गरिमा पंकज की इंटीरियर डिजाइनर शिंजिनी चावला, अर्बन क्लैप डौट कौम से की गई बातचीत पर आधारित

स्पाइसी ट्रीट : मटर मशरूम

मटर मशरूम

सामग्री

– 8-10 मशरूम

– 1/2 कप मटर

– 2 बड़े चम्मच औयल

– 2 प्याज मध्यम आकार के पिसे हुए

– 2 छोटे चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

– 1-2 छोटे चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच हलदी

– 1 बड़ा चम्मच धनिया पाउडर

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– सजाने के लिए थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार.

विधि

पानी में थोड़ा सा नमक डाल कर मशरूम को उबाल लें. फिर एक पैन में औयल गरम कर के उस में प्याजटमाटर  व अदरकलहसुन का पेस्ट डाल कर तब तक भूनें जब कि वह घी न छोड़ दे. फिर सारे सूखे मसाले डाल कर मिलाएं. अब मशरूम व मटर के साथ जरूरतानुसार पानी डाल कर तब तक पकाएं जब तक मटर नर्म न पड़ जाएं. धनियापत्ती से सजा कर गरमगरम सर्व करें.

स्पाइसी ट्रीट : आमलेट करी

आमलेट करी

सामग्री आमलेट बनाने की

– 4 अंडे – प्यार बारीक कटा हुआ

– 2 हरीमिर्चें

– 1-2 छोटे चम्मच औयल

– नमक स्वादानुसार

सामग्री करी बनाने की

– 2 बड़े चम्मच औयल

– 1/4 कप प्याज कटा हुआ

– 1/4 कप प्याज का पेस्ट

– 1 बड़ा चम्मच अदरकलहसुन का पेस्ट

– 1 बड़ा चम्मच कश्मीरी लालमिर्च पाउडर

– 1 छोटा चम्मच गरममसाला

– 1 छोटा चम्मच हलदी

– 2 टमाटर बारीक कटे

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

– नमक स्वादानुसार.

विधि

आमलेट बनाने की सारी सामग्री को एक बरतन में डाल कर अच्छी तरह मिक्स करें. अब एक पैन में तेल गरम कर के तैयार पेस्ट से 2 आमलेट बनाएं.

फिर एक कड़ाही में औयल गरम कर के उस में प्याज डाल कर सुनहरा होने तक भूनें. फिर उस में प्याज व अरदकलहसुन का पेस्ट डालें. अच्छी तरह भुनने के बाद इस में टमाटर के साथ सभी सूखे मसाले डाल कर थोड़ा पानी डाल तब तक पकाएं जब तक वह तेल न छोड़ दे. फिर पानी डाल कर 5-10 मिनट तक पकाएं. अब तैयार आमलेट के टुकड़े कर के ग्रेवी में डाल कर धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

सपनों से सस्ता सिंदूर : भाग 2

कल्पना पर जब पति के समझाने का कोई असर नहीं हुआ तो वह उसे छोड़ कर वहीं पर जा कर रहने लगा, जहां वह नौकरी करता था. इस के बावजूद वह अपनी पूरी पगार ला कर कल्पना को दे जाता था.
हालांकि कल्पना के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी. बसवराज बसु के जाने के बाद वह और भी आजाद हो गई थी. वह अपने चारों दोस्तों के साथ बारीबारी से घूमतीफिरती और मौजमजा करती. इस के अलावा वह उन से अच्छीखासी रकम भी ऐंठती थी. वह पूरे समय अपने रूपयौवन को सजानेसंवारने में लगी रहती थी. यहां तक कि अब वह घर पर खाना तक नहीं बनाती थी. खाना पकाने के लिए उस ने अपने प्रेमी अब्दुल शेख की पत्नी सिमरन शेख को सेवा में रख लिया था.

2 अप्रैल, 2018 को बसवराज बसु की जिंदगी का आखिरी दिन था. एक दिन पहले उसे जो पगार मिली थी, उसे पत्नी को देने के लिए वह 2 अप्रैल को दोपहर में फ्लैट पर पत्नी के पास पहुंचा. घर का जो माहौल था, उसे देख कर उस का खून खौल उठा. कल्पना ने बेशरमी की हद कर दी थी. वहां पर सुरेश सोलंकी, आदित्य और अब्दुल शेख जिस अवस्था में थे, उसे देख कर साफ लग रहा था कि कल्पना उन के साथ क्या कर रही थी. यह देख कर बसवराज का खून खौल गया.

वह पत्नी को खरीखोटी सुनाते हुए बोला, ‘‘मैं तुम्हें खर्चे के लिए पैसे देने के लिए आता हूं. लेकिन तुम्हारा यह घिनौना रूप देख कर तुम्हें पैसा देने और यहां आने का मन नहीं होता. लेकिन बच्चों के लिए यह सब करना पड़ता है.’’

बसवराज की मौत आई रस्सी में लिपट कर

पति की बात सुन कर कल्पना डरी नहीं बल्कि वह भी उस पर हावी होते हुए बोली, ‘‘तो मत आओ. मैं ने तुम्हें कब बुलाया और पैसे मांगे. तुम क्या समझते हो, मेरे पास पैसे नहीं हैं? तुम कान खोल कर सुन लो, मैं जिस ऐशोआराम से रह रही हूं, वह तुम्हारे पैसों से नहीं मिल सकता. तुम्हारी पूरी पगार से तो मेरा शैंपू ही आएगा. रहा सवाल बच्चों का तो उन की चिंता तुम छोड़ दो.’’

कल्पना की यह बात सुन कर बसवराज बसु को जबरदस्त धक्का लगा. इस के बाद पतिपत्नी के बीच झगड़ा बढ़ गया. तभी गुस्से में आगबबूला कल्पना ने अपने तीनों प्रेमियों को इशारा कर दिया. कल्पना का इशारा पाते ही उस के तीनों प्रेमियों ने मिल कर बसवराज बसु को पीटपीट कर बेदम कर दिया.
शारीरिक रूप से कमजोर बसवराज बसु बेहोश हो कर जमीन पर गिर गया. उसी समय अब्दुल शेख की बीवी सिमरन भी वहां आ गई. तभी कल्पना के घर के अंदर बंधी नायलौन की रस्सी खोल कर बसवराज के गले में डाल कर पूरी ताकत से उस का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई. यह देख कर सिमरन सहम गई.

टुकड़ों में बंट गया पति

अब्दुल शेख और कल्पना ने सिमरन को धमकी दी कि अपना मुंह बंद रखे. अगर मुंह खोला तो उस का भी यही हाल होगा. डर की वजह से सिमरन चुप रही. कल्पना और उस के प्रेमियों का गुस्सा शांत हुआ तो वे बुरी तरह घबरा गए. हत्या के समय पंकज वहां नहीं था.

थोड़ी देर सोचने के बाद कल्पना और उस के प्रेमियों ने बसवराज बसु की लाश ठिकाने लगाने का फैसला ले लिया. कल्पना ने शव ठिकाने लगवाने के मकसद से पंकज को फोन कर के बुला लिया. लेकिन पंकज को जब हत्या का पता चला तो वह घबरा गया. पहले तो पंकज ने इस मामले से अपना हाथ खींच लिया, लेकिन अपनी प्रेमिका कल्पना को मुसीबत में घिरी देख कर वह उस का साथ देने के लिए तैयार हो गया.
चारों ने मिल कर बसवराज बसु के शव को बाथरूम में ले जा कर उस के 3 टुकड़े किए और उन टुकड़ों को कपड़ों में लपेट कर प्लास्टिक की 3 बोरियों में भर दिया. मौका देख कर उसी रात 12 बजे इन लोगों ने तीनों बोरियों को अब्दुल शेख की कार की डिक्की में रख दिया. इस के बाद ये लोग कुड़चड़े महामार्ग के अनमोड़ घाट गए और उन बोरियों को एकएक किलोमीटर की दूरी पर घाट की घाटियों में दफन कर के लौट आए.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे इस हत्याकांड के सभी अभियुक्त बेखबर होते गए. उन का मानना था कि इस हत्याकांड से कभी परदा नहीं उठेगा और उन का राज राज ही रह जाएगा. लेकिन वे यह भूल गए थे कि उन के इस राज की साक्षी अब्दुल शेख की बीवी सिमरन शेख थी, जिस की आंखों के सामने बसवराज बसु की हत्या का सारा खेल खेला गया था. वह इस राज को अपने सीने में छिपाए हुए थी.
पता नहीं क्यों सिमरन को हत्या में शामिल लोगों से डर लगने लगा था. यहां तक कि अपने पति से भी उस का विश्वास नहीं रहा. उसे ऐसा लगने लगा जैसे उस की जान को खतरा है. वे लोग अपना पाप छिपाने के लिए कभी भी उस की हत्या कर सकते हैं. इस डर की वजह से सिमरन शेख बेलगांव की जानीमानी पत्रकार ऊषा नाईक देईकर से मिली और उस ने बसवराज बसु हत्याकांड की सारी सच्चाई बता दी.

आखिर राज खुल ही गया

बसवराज बसु की हत्या की सच्चाई जान कर ऊषा नाईक के होश उड़ गए. उन्होंने सिमरन शेख को साहस और सुरक्षा का भरोसा दे कर मामले की सारी जानकारी बेलगांव कुड़चड़े पुलिस थाने के थानाप्रभारी रवींद्र देसाई और उन के वरिष्ठ अधिकारियों को दी. वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन में थानाप्रभारी रवींद्र देसाई ने अपनी जांच तेजी से शुरू कर दी.

उन्होंने 24 घंटे के अंदर बसवराज बसु हत्याकांड में शामिल कल्पना बसु के साथ पंकज पवार, अब्दुल शेख और सुरेश सोलंकी को गिरफ्त में ले कर वरिष्ठ अधिकारियों के सामने पेश किया, जहां सीपी अरविंद गवस ने उन से पूछताछ की. पुलिस गिरफ्त में आए चारों आरोपी कोई पेशेवर अपराधी नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था.

9 मई, 2018 को उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस अनमोड़ घाट की उस जगह पर ले कर गई, जहां उन्होंने बसवराज बसु के शव के टुकड़े दफन किए थे. उन की निशानदेही पर पुलिस ने शव के तीनों टुकड़ों को बरामद कर लिया. घटना के समय बसवराज जींस पैंट पहने हुए था. उस की पैंट की जेब में उस का ड्राइविंग लाइसेंस मिला, जिस से यह बात सिद्ध हो गई कि शव बसवराज का ही था. शव को कब्जे में लेने के बाद उसे पोस्टमार्टम के लिए मडगांव के बांबोली अस्पताल भेज दिया.

पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए कल्पना बसु, पंकज पवार, सुरेश सोलंकी और अब्दुल शेख से विस्तृत पूछताछ कर के उन के विरुद्ध भांदंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. फिर चारों को मडगांव मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक इस हत्याकांड का एक आरोपी आदित्य गुंजर फरार था, जिस की पुलिस बड़ी सरगरमी से तलाश कर रही थी.

छीन ली सांसों की डोर : भाग 3

वह उन्हें तब तक निहारता रहता था जब तक रागिनी और सिया उस की आंखों से ओझल नहीं हो जाती थीं. जबकि दोनों बहनें उस की बातों को नजरअंदाज कर के बिना कोई प्रतिक्रिया किए स्कूल के लिए निकल जाती थीं.

ऐसा नहीं था कि दोनों बहनें उन के इरादों से अंजान थीं, वे उन के मकसद को भलीभांति जान गई थीं. रागिनी प्रिंस से जितनी दूर भागती थी, प्रिंस उतना ही उस की मोहब्बत में पागल हुआ जा रहा था.

17 वर्षीय आदित्य उर्फ प्रिंस उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बजहां गांव का रहने वाला था. उस का पिता कृपाशंकर तिवारी गांव का प्रधान था. प्रधान तिवारी की इलाके में तूती बोलती थी. उस से टकराने की कोई हिमाकत नहीं करता था. जो उस से टकराने की जुर्रत करता भी था, वह उसे अपनी पौवर का अहसास करा देता था. उस की सत्ता के गलियारों में अच्छी पहुंच थी. ऊंची पहुंच ने प्रधान तिवारी को घमंडी बना दिया था.

ग्रामप्रधान कृपाशंकर तिवारी का बेटा प्रिंस भी उसी के नक्शेकदम पर चल रहा था. पिता की ही तरह प्रिंस भी अभिमानी स्वभाव का था. जिसे चाहे वह उस से उलझ जाता था और मारपीट पर आमादा हो जाता था. वह जब भी चलता था उस के साथ 5-7 लड़कों की टोली चलती थी.

उस की टोली में नीरज तिवारी, सोनू तिवारी और दीपू यादव खासमखास थे. ये तीनों प्रिंस के लिए किसी भी हद तक जाने को हमेशा तैयार रहते  थे. इसीलिए वह इन पर पानी की तरह पैसा बहाता था.

घातक बनी एकतरफा मोहब्बत

प्रिंस रागिनी से एकतरफा मोहब्बत करता था. उसे पाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था जबकि रागिनी उस से प्यार करना तो दूर उस से बात तक करना उचित नहीं समझती थी.

रागिनी के प्यार में प्रिंस इस कदर पागल था कि उस ने खुद को कमरे में कैद कर लिया था. न तो यारदोस्तों से पहले की तरह ज्यादा मिलता था और न ही उन से बातें करता था. प्रिंस की हालत देख कर उस के दोस्त नीरज और दीपू परेशान रहने लगे थे. यार की जिंदगी की सलामती के खातिर तीनों दोस्तों ने फैसला किया कि चाहे कुछ भी क्यों न हो जाए, वह उस का प्यार यार के कदमों में ला कर डालेंगे.

नीरज, सोनू और दीपू तीनों ने मिल कर एक दिन रागिनी और सिया को स्कूल जाते समय रास्ते में रोक लिया. तीनों के अचानक से रास्ता रोकने से दोनों बहनें बुरी तरह से डर गईं, ‘‘ये क्या बदतमीजी है? तुम ने हमारा रास्ता क्यों रोका? हटो हमें स्कूल जाने दो.’’ रागिनी हिम्मत जुटा कर बोली.

‘‘हम तुम्हारे रास्ते से भी हट जाएंगे और तुम्हें स्कूल भी जाने देंगे, बस तुम्हें हमारी कुछ बातें माननी होंगी.’’ नीरज बोला.

‘‘न तो मैं तुम्हारी कोई बात मानूंगी और न ही सुनूंगी. बस तुम हमारा रास्ता छोड़ दो. हमें स्कूल के लिए देर हो रही है.’’ रागिनी नाराजगी भरे लहजे में बोली.

‘‘देखो रागिनी, ये किसी की जिंदगी और मौत की सवाल है. मेरी बात सुन लो, फिर चली जाना.’’ नीरज ने कहा.

‘‘मैं ने कहा न, मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनने वाली. क्या मुझे ऐसीवैसी लड़की समझ रखा है. जो राह चलते आवारा किस्म के लड़के के मुंह लगे.’’ रागिनी बोली.

‘‘देखो रागिनी, तुम्हारा गुस्सा अपनी जगह जायज है. मैं जानता हूं कि तुम ऐसीवैसी लड़की नहीं, खानदानी लड़की हो. लेकिन तुम ने मेरी बात नहीं सुनी तो मेरा भाई जो तुम से प्यार करता है, मर जाएगा. तुम उसे बचा लो.’’ नीरज रागिनी के सामेन गिड़गिड़ाया.

‘‘तुम्हारा भाई मरता है तो मेरी बला से. मैं उसे प्यार नहीं करती. एक बात कान खोल कर सुन लो कि आज के बाद इस तरह की वाहियात बात फिर मेरे सामने मत दोहराना, वरना इन का परिणाम बहुत बुरा होगा, समझे.’’ नीरज को खरीखोटी सुनाती हुई रागिनी और सिया चली गईं.

रागिनी की बातें नीरज के दिल को लग गई थी. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि रागिनी उसे ऐसा जवाब दे सकती है. रागिनी की बातों से उसे काफी गहरा आघात पहुंचा था. चूंकि मामला उस के भाई के प्यार से जुड़ा हुआ था इसलिए उस ने रागिनी के अपमान को अमृत समझ कर पी लिया था. उस समय तो नीरज और उस के दोस्तों ने उसे कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन नीरज ये बात अपने तक सीमित नहीं रख सका.

उस ने घर जा कर यह बात प्रिंस से बता दी. भाई की बात सुन कर प्रिंस गुस्से से उबल पड़ा कि रागिनी की ऐसी मजाल जो उस ने उस के प्यार को ठुकरा दिया. अगर वो मेरे प्यार को ठुकरा सकती है तो मैं भी उसे जीने नहीं दूंगा. अगर वो मेरी नहीं हो सकती तो मैं किसी और की भी नहीं होने दूंगा.

society

प्रिंस के गुस्से को नीरज और उस के दोस्तों ने और हवा दे दी थी. रागिनी के प्यार में मर मिटने वाला जुनूनी आशिक प्रिंस ठुकराए जाने के बाद एकदम फिल्मी खलनायक बन गया था.

उस दिन के बाद से रागिनी जब भी कहीं आतीजाती दिखती थी, प्रिंस चारों दोस्तों के साथ मिल कर अश्लील शब्दों की फब्तियां कस कर उसे जलील करता, उसे छेड़ता रहता था. और तो और वह दोस्तों को ले कर उस के घर तक धमकाने के लिए पहुंच जाता था.

लिख दिया मौत का परवाना

प्रिंस के इस रवैये से उस के घर वाले परेशान हो गए थे. डर के मारे रागिनी ने घर से बाहर निकलना छोड़ दिया था. उस ने स्कूल जाना भी  बंद कर दिया था. प्रिंस का खौफ रागिनी के दिल में बैठ गया था. जब बात हद से आगे बढ़ गई तो रागिनी ने पिता जितेंद्र दुबे ने बांसडीह रोड थाने में प्रिंस और उस के दोस्तों के खिलाफ लिखित शिकायत की.

लेकिन प्रधान कृपाशंकर की राजनैतिक पहुंच की वजह से मामला वहीं रफादफा हो गया था. इस के बाद प्रिंस और भी उग्र हो गया. वह सोचता था कि जितेंद्र दुबे ने उस के खिलाफ थाने में शिकायत करने की जुर्रत कैसे की.

बात अप्रैल, 2017 की है. प्रिंस अपने तीनों दोस्तों नीरज, सोनू और दीपू यादव को ले कर जितेंद्र दुबे के घर गया और उन्हें धमकाया कि आज के बाद तुम्हारी बेटी रागिनी अगर स्कूल पढ़ने गई तो वो दिन उस की जिंदगी का आखिरी दिन होगा.

इस की धमकी के बाद रागिनी के घर वाले डर गए. उन्होंने उसे स्कूल भेजना बंद कर दिया. वह कई महीनों तक स्कूल नहीं गई.

इस वर्ष उस का इंटरमीडिएट था. स्कूल में परीक्षा फार्म भरे जा रहे थे. परीक्षा फार्म भरने के लिए वह 8 अगस्त, 2017 को छोटी बहन सिया के साथ स्कूल जा रही थी. पता नहीं कैसे प्रिंस को रागिनी के आने की खबर मिल गई और उस ने उस का गला रेत कर हत्या कर दी.

बहरहाल, पुलिस ने रागिनी हत्याकांड के नामजद 5 आरोपियों में से 2 आरोपियों प्रिंस और दीपू यादव को तो गिरफ्तार कर लिया. बाकी के 3 आरोपी प्रधान कृपाशंकर, नीरज तिवारी और सोनू फरार होने में कामयाब हो गए. आरोपियों को गिरफ्तार करने को ले कर मृतका की बड़ी बहन नेहा तिवारी सैकड़ों छात्रछात्राओं के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची और धरने पर बैठ गई.

उन लोगों ने परिवार के सदस्यों को मिल रही धमकी के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. कांग्रेस के नेता सागर सिंह राहुल ने भी लापरवाही बरतने के लिए पुलिस प्रशासन को कोसा. तब कहीं जा कर बाकी के आरोपियों प्रधान कृपाशंकर तिवारी, सोनू तिवारी और नीरज तिवारी ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया.

कथा लिखे जाने तक पांचों में से किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हुई थी. होनहार बेटी की मौत से पिता जितेंद्र दुबे काफी दुखी हैं. उन्होंने शासनप्रशासन से गुहार लगाई है कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकारें यदि बेटियों की सुरक्षा नहीं कर सकतीं तो उन्हें पैदा होने से पहले ही कोख में मार देने की इजाजत दे दें, ताकि बेटियों को ऐसी जिल्लत और जलालत की मौत रोजरोज न मरना पड़े.        ?

  – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मैं 17 साल का युवक हूं, मेरे चेहरे पर बहुत ज्यादा मुंहासे हैं जिन से मैं काफी परेशान हूं. कोई उपाय बताएं.

सवाल
मैं 17 साल का युवक हूं, मेरे चेहरे पर बहुत ज्यादा मुंहासे हैं जिन से मैं काफी परेशान हूं. कोई उपाय बताएं जिस से मैं अपना खोया कौन्फिडैंस वापस पा सकूं?

जवाब
चाहे युवक हो या युवती हर कोई खूबसूरत दिखने की चाह रखता है. आप के चेहरे के मुंहासे आप की परेशानी का कारण बने हुए हैं, तो आप परेशान न हों क्योंकि इस उम्र में हारमोनल चैंजेज की वजह से ही ऐसी दिक्कतें आती हैं या फिर पेट संबंधी समस्याओं के कारण.

इस के लिए आप सब से पहले औयली स्किन वाले फेसवाश इस्तेमाल न करें और जितना हो सके तलीभुनी चीजों से दूर रहें. जब भी बाहर से आएं तो फेसवाश करें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं. अगर इस से भी आप को कोई फर्क नहीं पड़ता तो स्किन विशेषज्ञ को दिखा कर सही ट्रीटमैंट लें ताकि आप की स्किन भी साफ हो जाए और आप का खोया कौन्फिडैंस भी लौट सके.

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मुंहासों से यों पाएं छुटकारा

मौनसून अपने साथ बहुत सी समस्याएं भी ले कर आता है. उन में सब से ज्यादा परेशान करने वाली समस्या है पसीना. पसीना कई बार पिंपल्स का कारण भी बनता है. क्या हैं इस से बचने के उपाय, आइए बताते हैं:

– जब चेहरे पर पसीना आता है तो वह चेहरे को चिपचिपा बना देता है, जिस से धूल के कण चेहरे पर चिपक जाते हैं और रोमछिद्र बंद हो जाते हैं. इस से घमौरियों की समस्या होने लगती है. इस के अलावा कई महिलाओं की स्किन बहुत ज्यादा सैंसिटिव होती है. ऐसे में जब चेहरे पर पसीने की वजह से धूल चिपकती है तो उस में खुजली और रैशेज जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

– औयली स्कैल्प भी पिंपल्स का एक बड़ा कारण है. पसीने की वजह से औयली हुई स्कैल्प पिंपल्स को जन्म देती है.

– पसीने की वजह से चेहरा तैलीय न लगे, इसलिए कई महिलाएं चेहरे पर पाउडर लगा लेती हैं. अगर आप भी ऐसा करती हैं तो फौरन सावधान हो जाएं, क्योंकि पाउडर का ज्यादा प्रयोग रोमछिद्रों को ब्लौक कर मुंहासों की समस्या को जन्म देता है.

उपाय

– इस मौसम में जितना हो सके हलका मेकअप ही करें और सोने से पहले उसे साफ जरूर कर लें.

– औयल मेकअप प्रोडक्ट का प्रयोग न करें.

– क्ले मास्क का प्रयोग करें. इस से चेहरे पर पसीना कम आता है.

– 2 बूंदें लैमन जूस की रोज वाटर में मिला कर चेहरे पर लगाएं. फिर 10 मिनट बाद चेहरे को धो लें. इस से पसीने की वजह से चेहरे पर जमा हुआ अतिरिक्त औयल साफ हो जाता है और अगर मुंहासे हुए हों तो वे भी जल्दी ठीक हो जाते हैं.

– मस्टर्ड पाउडर में शहद मिला कर चेहरे पर लगाएं व

15 मिनट बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें. इस से भी पसीने की समस्या कम होती है और पिंपल्स से भी राहत मिलती है.

– बर्फ को सूती कपड़े या तौलिए में लपेट कर चेहरे पर

1-2 मिनट तक रब करें. इस से भी पिंपल्स और अतिरिक्त तेल से मुक्ति मिलेगी.

इस के बारे में पुलत्स्या कैडल स्किन केयर सैंटर के डर्मैटोलौजिस्ट डा. विवेक मेहता का कहना है कि इसे करते वक्त आंखों के आसपास इस का प्रयोग न करें. इस के अलावा कभी इसे 2 मिनट से ज्यादा देर तक न करें. सब से महत्त्वपूर्ण बात बर्फ को कभी स्किन पर सीधे अप्लाई न करें वरना फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ सकता है.

इको फ्रैंडली खेती जैविक जीवनाशी की उपयोगिता

जब जैविक खेती की बात आती है तो फसलों में कीटों के हमले से सुरक्षा किस तरह की जाए, यह समस्या सब से पहले सामने आती है. इस के लिए हमारे यहां कीटनाशकों के?ज्यादा इस्तेमाल से पर्यावरण प्रदूषण, जमीन की उर्वरता पर उलटा असर, इनसान की सेहत पर बुरा असर और उत्पादन लागत का बढ़ना वगैरह प्रमुख समस्याएं हैं.

जैविक जीवनाशियों के इस्तेमाल द्वारा हम इन सभी समस्याओं से नजात पा सकते हैं. खेती में जैविक जीवनाशियों का इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है. हमारे देश में इन का इस्तेमाल पुराने समय से ही होता आया है. किसान इन सब से भलीभांति परिचित हैं.

जैविक जीवनाशी के रूप में कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो उत्पादन लागत को कम करने के साथसाथ पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी महत्त्वपूर्ण है.

जैविक जीवनाशी की सूची वैसे तो काफी लंबी है, पर प्रमुख जीवनाशी जो आज भी प्रचलित हैं और किसानों के बीच लोकप्रिय हैं, वे इस तरह हैं:

नीम, तंबाकू, करंज, मिर्च, हींग, गोमूत्र, छाछ, राख वगैरह का इस्तेमाल जैविक कीटनाशी के?रूप में किया जा सकता है. नीम कीटनाशी के तौर पर इस तरह से काम करता है:

* कीटों का असर खत्म करने या रोकने के रूप में.

* कीटों की बढ़वार को रोक कर.

नीम का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल नीम की पत्तियों का अर्क

* एक किलोग्राम नीम की पत्तियों का 10 लिटर पानी में तैयार किया गया अर्क टिड्डा, माहू, सैनिक कीट वगैरह से ग्रसित फसल पर छिड़काव करने से इन कीटों पर प्रभावी नियंत्रण होता है.

* नीम की पत्तियों को अनाज के साथ मिला कर रखने से भंडारण के दौरान अनाजों में कीटों का हमला रोका जा सकता है.

नीम का फल

* नीम का फल जिसे निंबोली भी कहा जाता?है, को पीस कर इस की एक ग्राम मात्रा प्रति लिटर पानी की दर से घोल बना कर फसलों पर छिड़काव करने से इल्ली, माहू, तेलिया वगैरह कीटों के असर को नियंत्रित किया जा सकता है.

* 1.2 किलोग्राम निंबोली के पाउडर को 100 किलोग्राम गेहूं बीज के साथ मिला कर रखने से बीज को चावल की सूंड़ी नामक कीट से तुरंत सुरक्षा दी जा सकती है.

नीम का तेल

* 125 मिलीलिटर नीम के तेल को 15 ग्राम साबुन के साथ थोड़े से पानी में घोलते हैं. इस के बाद 4.5 लिटर पानी मिला कर पतला कर आलू, कपास वगैरह फसलों पर छिड़कने से माहू कीट को रोका जाता है. साथ ही, कपास की फसल को भी इस कीट से सुरक्षित किया जा सकता है.

नीम की खली

जिन खेतों में गर्डल बीटल व नेमाटोड की समस्या पाई जाती है, वहां नीम की खली 8 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से खेत में मिला कर उपचार करने से इन का प्रकोप नहीं रहता है.

तंबाकू का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल : तंबाकू में निकोटीन पाया जाता है, जिस में कीटनाशक गुण होते हैं. इस का जीवनाशी के रूप में इस्तेमाल इस तरह किया जाता है:

तंबाकू का घोल : 750 ग्राम तंबाकू की सूखी पत्तियां ले कर उन्हें 7 लिटर पानी में उबाल कर रातभर इस घोल को ऐसे ही पड़ा रहने दें. सुबह इस को छान कर फसल पर छिड़कने से कीटों पर काबू पाया जा सकता है.

तंबाकू का चूर्ण: बारीक पिसे हुए तंबाकू के चूर्ण को पानी में घोल कर छिड़काव करने से रस चूसने वाले कीटों का खात्मा होता है.

तंबाकू का धूम्रक : एक किलोग्राम तंबाकू की पत्तियों का चूर्ण 5 लिटर पानी में घोल बना कर रातभर रखते हैं.

अगले दिन इस घोल को 250 ग्राम साबुन के साथ उबालते हैं. इस के बाद इसे छान कर इस का इस्तेमाल मिट्टी के धूम्रक के रूप में किया जाता है, जिस से खेत में मौजूद कीट जैसे दीमक, ह्वाइट ग्रब वगैरह को नियंत्रित किया जा सकता है.

करंज का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल : तकरीबन 5 किलोग्राम करंज की पत्तियों को 2 लिटर पानी में तब तक उबाला जाता?है जब तक कि पानी आधा न रह जाए. इस के बाद 20 मिलीलिटर करंज अर्क को एक लिटर पानी में मिला कर फल पर छिड़काव करने से रस चूसने वाले कीटों का खात्मा होता है.

मिर्च का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल : 100 ग्राम मिर्च को पीस कर 5 लिटर पानी में घोल बना कर तैयार कर लेते?हैं. इस घोल में एक चम्मच डिटर्जैंट पाउडर मिला कर कीटों से प्रभावित फसल पर छिड़काव करने से फसल कीटों से सुरक्षित रहती है.

हींग का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल : हींग परूलापिलिड नामक पौधे के भूमिगत तने और जड़ों पर लगा कर गोंद जैसा एक पदार्थ होता है, यह पानी में घोलने पर दूधिया रंग का हो जाता है.

* हींग को नीम की पत्तियों के?घोल के साथ मिला कर छिड़काव करने से विभिन्न प्रकार के कीटों और जीवाणुजनित रोगों से फसलें सुरक्षित हो जाती हैं.

* 100 ग्राम हींग के 300 लिटर नीम की पत्तियों के?घोल में मिला कर छिड़काव करने से कीटों का प्रभावी नियंत्रण होता है.

गोमूत्र का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल?: 10 लिटर देशी गाय का मूत्र एक साफ बरतन में ले कर इस में एक किलोग्राम नीम के पत्ते डाल कर 15 दिन तक ऐसे ही छोड़ देते हैं.

इस के बाद इसे तब तक उबालते हैं जब तक कि घोल की मात्रा आधी न रह जाए. इस की तीव्रता बढ़ाने के लिए उबालते समय इस में 50 ग्राम लहसुन कूट कर डाल दिया जाता है.

इस तरह से तैयार जीवनाशी की 1 लिटर मात्रा को 100 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. जरूरत पड़ने पर 4-5 छिड़काव करें जिस से कि कीट पूरी तरह से नष्ट हो जाएं.

छाछ का कीटनाशक के रूप में इस्तेमाल : छाछ को मिट्टी के एक घड़े में भर कर साफ कपड़े से ढक कर इसे जमीन में गाड़ दिया जाता है. 21 दिन बाद इस घड़े को निकाल कर 15-20 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से छिड़काव करने से रस चूसने वाले कीट और इल्लियों का खात्मा होता है.

राख : फसलों पर राख का भुरकाव करने से भी माही कीट पर नियंत्रण किया जा सकता है.

हरा चारा ज्वार पशुओं के लिए फायदेमंद

हमारे गांवों की 73 फीसदी आबादी पशुपालन से जुड़ी है. जिन किसानों के पास जोत कम है, वे भी चारे की फसलों की अपेक्षा नकदी फसलों की ओर ज्यादा ध्यान देते हैं.

हरा चारा खिलाने से पशुओं में भी काम करने की कूवत बढ़ती है वहीं दूध देने वाले पशुओं के दूध देने की कूवत बढ़ती है, इसलिए उत्तम चारे का उत्पादन जरूरी है, क्योंकि चारा पशुओं को मुनासिब प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज पदार्थों की भरपाई करते हैं.

हरा चारे का उत्पादन कुल जोत का तकरीबन 4.4 फीसदी जमीन पर ही किया जा रहा?है. 60 के दशक में पशुओं की तादाद बढ़ने के बावजूद भी चारा उत्पादन रकबे में कोई खास फर्क नहीं हुआ है.

अच्छी क्वालिटी का हरा चारा हासिल करने के लिए ये तरीके अपनाए जाने चाहिए:

जमीन : ज्वार की खेती के लिए दोमट, बलुई दोमट और हलकी व औसत दर्जे वाली काली मिट्टी जिस का पीएच मान 5.5 से 8.5 हो, बढि़या मानी गई है.

यदि मिट्टी ज्यादा अम्लीय या क्षारीय है तो ऐसी जगहों पर?ज्वार की खेती नहीं करनी चाहिए.

खेत और बीज 

पलेवा कर के पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें या हैरो से. उस के बाद 1-2 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से कर के पाटा जरूर लगा देना चाहिए.

एकल कटाई यानी एक कटाई वाली किस्मों के लिए 30-40 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और बहुकटान यानी बहुत सी कटाई वाली प्रजातियों के लिए 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में डालना चाहिए.

उन्नतशील किस्में चुनें

हरे चारे के लिए ज्वार की ज्यादा पैदावार और अच्छी क्वालिटी लेने के लिए अच्छी प्रजातियों को ही चुनें.

बीजोपचार

बोने से पहले बीजों को 2.5 ग्राम एग्रोसन जीएन थीरम या 2.0 ग्राम कार्बंडाजिम प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज उपचारित करना काफी फायदेमंद रहता है. ऐसा करने से फसल में बीज और मिट्टी के रोगों को कम कर सकते हैं.

ज्वार को फ्रूट मक्खी से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलिटर प्रति किलोग्राम के हिसाब से बीज उपचारित करना फायदेमंद रहेगा.

बोने का तरीका

हरे चारे के लिए जायद मौसम में बोआई का सही समय फरवरी से मार्च तक है. ज्यादातर किसान ज्वार को बिखेर कर बोते हैं, पर इस की बोआई हल के पीछे कूंड़ों में और लाइन से लाइन की दूरी 30 सैंटीमीटर पर करना ज्यादा फायदेमंद है.

खाद और उर्वरक

खाद और उर्वरक की मात्रा का इस्तेमाल जमीन के मुताबिक करना चाहिए. अगर किसान के पास गोबर की सड़ी खाद, खली या कंपोस्ट खाद है तो बोआई से 15-20 दिन पहले इन का इस्तेमाल खेत में करना चाहिए.

एकल कटान यानी एक कटाई वाली प्रजातियों में 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें और बची 40-50 किलोग्राम नाइट्रोजन फसल बोने के एक महीने बाद मुनासिब नमी होने पर खड़ी फसल पर इस्तेमाल करना चाहिए.

बहुकटान वाली किस्मों में 60-75 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40 किलोग्राम फास्फोरस बोआई के समय और 15-20 किलोग्राम नाइट्रोजन हर कटाई के बाद प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करना चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण

आमतौर पर बारिश के मौसम में पानी देने की जरूरत नहीं होती. अगर बारिश न हो तो पहले फसल को हर 8-12 दिन के फासले पर सिंचाई की जरूरत होती है. फसल की बोआई के तुरंत बाद खरपतवार को जमने से रोकने के लिए 1.5 किलोग्राम एट्राजिन 50 डब्ल्यूपी या सिमेजिन को 1000 लिटर पानी में घोल बना कर जमाव से पहले खेत में छिड़कना चाहिए.

ज्वार के कीट व रोग प्रबंधन

मधुमिता रोग : फूल आने से पहले 0.5 फीसदी जीरम का 5 दिन के फासले पर 2 छिड़काव करने से इस रोग से बचाव हो सकता है. बाली पर अगर रोग दिखाई दे रहा हो तो उसे बाहर निकाल कर जला दें.

दाने पर फफूंद : फूल आते समय या दाना बनते समय अगर बारिश होती है तो इस रोग का प्रकोप ज्यादा होता है. दाने काले व सफेद गुलाबी रंग के हो जाते हैं. क्वालिटी गिर जाती है. इसलिए अगर फसल में सिट्टे आने के बाद आसमान में बादल छाएं और आबोहवा में नमी ज्यादा हो तो मैंकोजेब 75 फीसदी 2 ग्राम या कार्बंडाजिम दवा 0.5 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 दिन के फासले पर 2 छिड़काव करें.

चारकोल राट : इस रोग का प्रकोप रबी ज्वार के सूखे रकबे में छिली मिट्टी में होता है. इस का फैलाव जमीन पर होता है. इस रोग की रोकथाम के लिए नाइट्रोजन खाद का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए और प्रति हेक्टेयर पौधों की तादाद कम रखनी चाहिए. बीज को बोआई के समय थाइरम 4.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित करना चाहिए.

पत्ती पर धब्बे (लीफ स्पौट) : इस की रोकथाम के लिए डाईथेन जेड 78 0.2 फीसदी का 2 बार 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करने से बचाव हो जाता है.

मुख्य कीट

प्ररोह मक्खी : यह कीट ज्वार का घातक दुश्मन है. फसल की शुरुआती अवस्था में यह कीट बहुत नुकसान पहुंचाता है. जब फसल 30 दिन की होत है, तब तक कीट से फसल को 80 फीसदी तक नुकसान हो जाता है.

इस कीट की रोकथाम के लिए बीज को इमिडाक्लोप्रिड गोचो 14 मिलीलिटर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर के बोना चाहिए.

बोआई के समय बीज की मात्रा 10 से 12 फीसदी ज्यादा रखनी चाहिए. जरूरी हो तो अंकुरण के 10-12 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 5 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. फसल काटने के बाद खेत में गहरी जुताई करें और फसल के अवशेषों को एकत्रित कर जला दें.

तनाभेदक कीट : इस कीट का हमला फसल लगने के 10-15 दिन से शुरू हो कर फसल पकने तक रहता?है. इस के नियंत्रण के लिए फसल काटने के तुरंत बाद खेत में गहरी जुताई करें और बचे हुए फसल अवशेषों को जला दें.

खेत में बोआई के समय खाद के साथ 10 किलोग्राम की दर से फोरेट 10 जी या कार्बोफ्यूरान दवा खेत में अच्छी तरह मिला दें. बोआई के 15-20 दिन बाद इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल 5 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर या कार्बोरिल 50 फीसदी घुलनशील पाउडर 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

सिट्टे की मक्खी : यह मक्खी सिट्टे निकलते समय फसल को नुकसान पहुंचाती है. इस की रोकथाम के लिए जब 50 फीसदी सिट्टे निकल आएं तब प्रोपेनफास 40 ईसी दवा 25 मिलीलिटर प्रति 10 लिटर पानी में घोल बना कर 10 से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.

टिड्डा : यह कीट ज्वार की फसल को छोटी अवस्था से ले कर फसल पकने तक नुकसान पहुंचाता है और पत्तियों के किनारों को खा कर धीरेधीरे पूरी पत्तियां खा जाता है. बाद में फसल में मात्र मध्य शिराएं और पतला तना ही रह जाता है.

इस कीट के नियंत्रण के लिए फसल में कार्बोरिल 50 फीसदी घुलनशील पाउडर 2 ग्राम प्रति लिटर पानी में घोल बना कर 10 से 15 दिन के अंतराल पर 2 छिड़काव करना चाहिए.

पक्षियों से बचाव : ज्वार पक्षियों का मुख्य भोजन है. फसल में जब दाने बनने लगते?हैं, तो सुबहशाम पक्षियों से बचाना बहुत जरूरी है अन्यथा फसल को काफी नुकसान होता है.

कटाई : पशुओं को पौष्टिक चारा खिलाने के लिए फसल की कटाई 5 फीसदी फूल आने पर अथवा 60-70 दिन बाद करनी चाहिए. बहुकटान वाली प्रजातियों की पहली कटाई बोआई के 50-60 दिनों के बाद और बाद की कटाई 30-35 दिन के अंतर पर जमीन की सतह से 6-8 सैंटीमीटर की ऊंचाई पर या 4 अंगुल ऊपर से काटने पर कल्ले अच्छे निकलते हैं.

उपज : प्रजातियों के हरे चारे की उपज 250-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है, जबकि बहुकटान वाली किस्मों की उपज 750-800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.

डा. ऋषिपाल, डा. राजेंद्र सिंह

अब स्मार्टफोन में लगेंगे ई-सिम, ये होंगे फायदे

मोबाइल यूजर्स जल्द ही एक ऐसी सुविधा मिलने जा रही है, जिससे आपको स्मार्टफोन में सिम लगाने या बदलने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यही नहीं, मोबाइल आपरेटर बदलने पर यानी कि नंबर पोर्टेबिलिटी कराने पर भी नई सिम खरीदने या फिर बदलने की जरूरत नहीं होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंबेडेड सिम (ई-सिम) के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी हैं. जिसके मुताबिक, सभी टेलीकौम कंपनियां ई-सिम की सुविधाएं दे सकती हैं. फिलहाल, ई-सिम की टेक्नोलौजी का इस्तेमाल रिलायंस जियो और एयरटेल एप्पल वाच में करती हैं.

क्या है ई-सिम?

ई-सिम को इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल कहा जाता है. यह तकनीक सौफ्टवेयर के जरिए काम करती है. फिलहाल, इस तकनीक का इस्तेमाल स्मार्टवौच में किया जा रहा है. लेकिन इस तकनीक को अब समार्टफोन पर रोल-आउट कर दिया जाएगा, जिससे यूजर्स केवल सौफ्टवेयर के जरिए टेलीकौम सेवाएं ले सकेंगे. इसके अलावा एक आपरेटर से दूसरे आपरेटर में स्विच करने में भी आसानी होगी. आसान भाषा में समझें तो यह एक ऐसा सिम कार्ड होगा, जो डिवाइस बोर्ड में लगाया जाएगा. चिप होल्ड करने वाले कार्ड की जरूरत खत्म होगी.

टेलीकौम कंपनियां दर्ज करेंगी जानकारी

नई गाइडलाइंस के मुताबिक, अब यूजर्स किसी भी सर्विस प्रोवाइडर टेलीकौम कंपनी से नया कनेक्शन लेता है तो उसके स्मार्टफोन में इंबेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मौड्यूल यानी ई-सिम डाल दिया जाएगा. जिसके बाद ई-सिम इस्तेमाल करने वाले यूजर्स की जानकारी टेलीकौम कंपनी अपने डाटाबेस में दर्ज कर लेंगी.

एक यूजर को मिलेंगे अधिकतम 18 ई-सिम

डौट ने सिर्फ मोबाइल फोन के लिए नौ सिम के साथ मशीन-टू-मशीन मिलाकर कुल 18 सिम के प्रयोग की इजाजत दी है. यानी की एक यूजर को केवल अधिकतम 18 सिम कार्ड ही इश्यू की जा सकेंगी.

सुनिश्चित करनी होगी सुरक्षा

ई-सिम की सेवाओं के तहत सभी कंपनियों को ई-सिम की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की गारंटी देनी होगी. साथ ही टेलीकौम कंपनियों को ये भी सुनिश्चित करना होगा कि ई-सिम के लाइसेंस की शर्तों का भी उल्लघंन ना हो. इसके अलावा कंपनियों को ई-सिम में भी नंबर पोर्टिबिलिटी की सुविधा देनी होगी. ई-सिम के लिए कंपनियों को डाटा सेंटर व सर्वर भारत में ही बनाना होगा. नियमों के मुताबिक, सेंटर भारत के बाहर नहीं होना चाहिए.

स्वर्णिम युग में प्रवेश कर रही है भारतीय अर्थव्यवस्था : चीन

भारतीय अर्थव्यवस्था नई उड़ान भरने को तैयार है और वह स्वर्णिम युग में प्रवेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों को जमकर पैसा लगाना चाहिए. यह अपील किसी और की नहीं, बल्कि चीन के शीर्ष सरकारी बैंक की है. भारत में निवेश की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए चीन का यह बैंक खास तैयारी कर रहा है.

इंडस्ट्रियल एंड कौमर्शियल बैंक औफ चाईना (आइसीबीसी) ने भारत समर्पित निवेश फंड लांच किया है. इसमें चीन के लोग निवेश कर सकेंगे. यह राशि भारत में निवेश की जाएगी. परिसंपत्तियों के लिहाज से यह दुनिया का सबसे बड़ा बैंक है. चीन के बैंक का यह कदम इस वजह से खास अहम माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अनौपचारिक वार्ता होने के एक सप्ताह बाद यह पहल की गई है. दोनों देशों के नेताओं ने आर्थिक संभावनाओं के दोहन के लिए द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने पर जोर दिया था.

इंडस्ट्रियल एंड कौमर्शियल बैंक क्रेडिट स्यूज इंडिया मार्केट फंड यूरोप और अमेरिका के 20 से ज्यादा स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध उन एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में निवेश करेगा, जो भारतीय बाजारों पर आधारित हैं. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत में निवेश के लिए चीन का यह पहला पब्लिकली औफर्ड फंड है.

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यह फंड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य में निवेश करेगा. बैंक ने इंडेक्स में प्रमुख उद्योगों के महत्व के लिहाज से विभिन्न सेक्टरों को निवेश के लिए सूचीबद्ध किया है. इसमें वित्तीय क्षेत्र को सबसे ज्यादा अहमियत मिल सकती है. इसके बाद आइटी, वैकल्पिक उपभोग, एनर्जी, आवश्यक उपभोग, कच्चा माल, फार्मास्युटिकल्स, हेल्थकेयर और अन्य उद्योगों पर फोकस होगा.

दुनिया के सबसे बड़े इस चीनी बैंक आइसीबीसी की परिसंपत्तियां 3.6 लाख करोड़ डौलर (241 लाख करोड़ रुपये) हैं. बैंक ने फंड लांच करते हुए भारत की शानदार तस्वीर पेश की है. आइसीबीसी क्रेडिट स्यूज इंडिया मार्केट फंड में सात मई से 25 मई के बीज निवेश किया जा सकता है.

आइसीबीसी के एक लेख के अनुसार तमाम विदेशी बाजारों में भारत दुनिया की दूसरी सबसे उभरती अर्थव्यवस्था है. वह आर्थिक विकास के अपने स्वर्णिम युग में प्रवेश करने वाला है. यह एक ऐसा देश है, जहां घरेलू और विदेशी पूंजी के बीच स्पर्धा है. 2017 से ग्लोबल रिकवरी के साथ उभरती अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है. इनमें भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा है.’

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