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आइए आप को डिजाइनर ब्लाउज के नए रूपों से रूबरू कराते हैं

आजकल लड़कियां देशी स्टाइल बेहद पसंद कर रही हैं. ऐसे में साड़ी से ज्यादा खूबसूरत पोशाक भला उन के लिए और कौन सी होगी? आज के ट्रैंड के मुताबिक प्लेन साड़ी के साथ हैवी ब्लाउज का ट्रैंड चल पड़ा है.

इन डिजाइंस को ले कर डिजाइनर कोमल जोशी का कहना है कि डिफरैंट स्टाइल को अपनाने से पहले आप को अपना कंफर्ट नहीं खोना चाहिए. यदि आप नई तरह के डिजाइनर ब्लाउज पहनना चाहती हैं, तो आप को अपनी सुविधा का विशेष ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि यदि आप उन डिजाइनों को कैरी नहीं कर पाईं या असुविधा की वजह से हर वक्त सचेत रहीं, तो आप का लुक बुरी तरह बिगड़ सकता है. इसलिए आप अपने कंफर्ट का पूरी तरह से खयाल रखें.

ब्लाउज की ये नई डिजाइनें आप की खूबसूरती में चार चांद लगा देंगी:

राउंडनैक के साथ फुलस्लीव ब्लाउज: आजकल पूरी बांहों के गोल गले वाले ब्लाउज काफी चलन में हैं. इस तरह के ब्लाउज में कढ़ाई का काम बेहद सुंदर लगता है. चाहे जरदोजी हो या मिरर वर्क, इस डिजाइन में हर तरह की कढ़ाई जंचती है.

फ्रिल स्ट्रैप ब्लाउज: इन दिनों फ्रिल का फैशन फिर से ट्रैंड में है. ऐसे में आप फ्रिल बाजुओं वाले या फ्रिल गले के साथ ब्लाउज बनवा सकती हैं, जो आप को डिफरैंट लुक देने के लिए काफी होगा.

बोटनैक ब्लाउज: बोटनैक ब्लाउज आप के गले के भाग को हाईलाइट करने में मदद करता है. यह ब्लाउज फुल और हाफ स्लीव दोनों के साथ अच्छा लगता है. इस की डिजाइन में डोरी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

हाईनैक ब्लाउज: हाईनैक ब्लाउज का अपना ही लुक होता है. यह आप के गले और कंधों को खूबसूरती से उभारता है. यह ब्लाउज हर साड़ी के साथ अच्छा लगता है.

वेस्ट कोट स्टाइल: अगर आप अपने देशी लुक में वैस्टर्न स्टाइल का तड़का लगाना चाहती हैं, तो यह स्टाइल सिर्फ आप के लिए ही है. वेस्ट कोट स्टाइल आप को अलग और ट्रैंडी लुक देगा. इस ब्लाउज को आप किसी भी साड़ी के साथ पहन सकती हैं.

सिंगल स्लीव ब्लाउज: यह ब्लाउज आप को बेहद ट्रैंडी और बोल्ड लुक देता है. इस ब्लाउज को प्योर शिफौन की साड़ी के साथ पहना जा सकता है. इस की डिजाइन आप की सुडौल बांहों को हट कर लुक देगी.

स्पैगेटी स्टाइल: अगर आप आस्तीन वाले ब्लाउज पहनपहन कर बोर हो चुकी हैं या आप को अगले फंक्शन में वैस्टर्न और बोल्ड लुक चाहिए, तो यह स्टाइल आप को जरूर आजमाना चाहिए. इस स्टाइल में आप डोरी के साथ रंगबिरंगे बीट्स का इस्तेमाल कर सकती हैं.

हर बार नए लुक में नजर आना चाहती हैं तो मेकअप करने का तरीका बदलें

बात चाहे शादी की हो, पार्टी की हो या फिर अन्य किसी फंक्शन की, एक से बढ़ कर एक खूबसूरत ड्रैसेज पहनी सजीसंवरी महिलाओं की खूबसूरती देखते ही बनती है. मगर भीड़ में सब से अलग कैसे दिखें इस की जानकारी कम ही महिलाओं को होती है.

फेब मीटिंग के दौरान क्राइलौन की मेकअप ऐक्सपर्ट मेघना मुखर्जी ने बताया कि किसी भी पार्टी में जाने के लिए सब से पहले अपनी ड्रैस का चुनाव करें. फिर मेकअप का चयन करें. बहुत सी महिलाएं साड़ी, सूट, लहंगा, गाउन आदि पर एक ही तरह का मेकअप करती हैं, जिस से उन की खूबसूरती निखर कर नहीं आती, बल्कि और दब जाती है. हर ड्रैस में उन का लुक एकजैसा ही लगता है. अगर आप अपने लुक से कुछ डिफरैंट दिखना चाहती हैं, तो अपनाएं ड्रैस के हिसाब से मेकअप के ये खास अंदाज:

वैस्टर्न ड्रैस के साथ मेकअप

चेहरे को साफ करें. अगर डार्क सर्कल हैं तो औरेंज कलर डी-30 कंसीलर लगाएं और अच्छी तरह से मर्ज करें. कंसीलर को ब्रश से ही लगाएं. फिर पूरे चेहरे पर प्राइमर लगाएं. फिर बेस डीएफडी-4-5 को मिक्स कर के इस में डी 68 मेकअप ब्लैंड की 1 बूंद डाल कर बेस को सौफ्ट करें. फिर इसे लिक्विड बना कर डैबडैब कर के ब्रश से लगाएं. बेस के बाद डर्मापाउडर डी-3, डी-5 को मिक्स कर के इसे भी ब्रश से लगाएं. अब अगर जरूरत हो तो कंटूरिंग कलर डीजे-2 से नोज, चीक्स, फोरहैड की कंटूरिंग करें. टीवी ब्राउन आईशैडो से भी कंटूरिंग कर सकती हैं.

आई मेकअप: आई मेकअप के लिए आईशैडो प्राइमर की 1 बूंद ले कर उंगलियों से लगाएं ताकि ब्लैंडिंग अच्छी तरह हो जाए. आईब्रोज हमेशा हाईरैस्ट पौइंट पर ब्रश नं. 980 से कलर लगाते हुए अंदर की तरफ आएं. फिर हाईलाइटर क्रीम थ्रीफोर्थ लगाएं. अब आईबौल्स से ले कर नीचे की तरफ चौकलेट ब्राउन कलर लगाएं. फिर ब्लैक पैंसिल से कौर्नर पर शैडो लगाएं और अच्छी तरह से ब्लैंड करें.

आईज के नीचे वाटर लाइन एरिया में काजल पैंसिल से थ्रीफोर्थ काजल लगाएं. अब ब्रश से डार्क ब्राउन व चौकलेट कलर काजल एरिया के बाहर लगाएं. फिर केक लाइनर में सेल सीलर मिला कर लगाएं. बाहर की तरफ मोटा और अंदर की तरफ पतला लाइनर लगाएं. अंत में आईलैशेज को सुंदर, घना बनाने के लिए मसकारा लगाएं. वीवा का हाईलाइटर लगाएं. ब्लशर पीच कलर का तो लिपस्टिक लाइट पिंक कलर की लगाएं.

हेयरस्टाइल: वैस्टर्न के साथ स्ट्रैट हेयरया टौप नौट जूड़ा बनाएं, इस के अलावा ड्रैस के अनुसार ही हेयरस्टाइल का चयन करें. गाउन, बैकलैस ड्रैस, ट्यूनिक या टौप प्लाजो के साथ आप थ्रीडी मैजिक हेयरकट को प्रैफर कर सकती हैं. इस में ऊपर के बाल छोटे, नीचे के लंबे और बीच के सामान्य लैंथ में कटे होते हैं. यह स्टाइल आप को स्मार्ट लुक देते हैं और ट्रैडिशनल व मौडर्न दोनों ड्रैसों पर बैस्ट लगता है.

साड़ी के साथ मेकअप

सब से पहले चेहरे को साफ कर के मौइश्चराइजर लगाएं. फिर अल्ट्रा अंडर बेस लगाएं. इस बेस को आप किसी भी मौसम में लगा सकती हैं. अब इस बेस में ओबी 1 व 3 बेस अच्छी तरह से मिक्स कर के लगाएं. फिर उसे अच्छी तरह मर्ज करें. अब चेहरे की कंटूरिंग के लिए ओडीएस कंटूरिंग कलर ले कर नोज, चीक्स, फोरहैड व चिन पर कंटूरिंग करें. अब टीएल 11 ब्रश से पूरे चेहरे पर ट्रांसलूसैंट पाउडर लगाएं.

आईज मेकअप भी हो खास: आंखों के मेकअप के लिए सब से पहले शैडो प्राइमर लगाएं. फिर शिमरिंग विजन पैलेट से गोल्ड ब्रौंज कलर साइड में लगा कर आईबौल्स के सैंटर में पिंक कलर का शैडो लगा कर उसे अच्छी तरह मर्ज करें. आंखों के कौर्नर्स में लगाने के लिए मैटेलिक पैलेट से ब्लू कलर ले कर लगाएं. आंखों के नीचे के एरिया में ब्लू कौपर शैडो थ्रीफोर्थ लगाएं.

हाई लाइटिंग के लिए लिविंग कलर सिल्क गोल्ड का इस्तेमाल करें. फिर उसे मर्ज कर लें. जहां क्रीमी शैडो लगाया है वहां पाउडर शैडो लगाएं. आईज के नीचे भी पाउडर शैडो लगाएं. आईब्रोज को ब्रश में ब्राउन शैडो ले कर शार्प करें. फिर इस पर आर्टिफिशियल आईलैशेज या टीवी जेड का लैशेज ले कर लगाएं. इस के सूखने के बाद इस पर केक लाइनर में सील सीलर मिक्स कर के लगाएं. फिर ग्लिटर लगा कर कौपर मसकारा लगाएं.

लिप्स को बनाएं आकर्षक: गीली कौटन से पहले लिप्स को अच्छी तरह साफ कर लें. फिर लिपस्टिक में 2 बूंद सेल सीलर मिला कर लिप्स पर लगाएं. अब इस के ऊपर ग्लौस लिपस्टिक लगाएं. इस से लिपस्टिक लंबे समय तक टिकी रहती है.

चीक्स मेकअप: चीक्स की खूबसूरती बढ़ाने के लिए ग्लैमर ग्लो पैलेट्स से ब्लशर ले कर चीक्स बोंस पर नीचे से ऊपर तक लगाएं. इस से चीक्स शाइन करने लगेंगे, जिस से फेस को डिफरैंट लुक मिलेगा.

हेयरस्टाइल भी हो परफैक्ट: परफैक्ट ड्रैस व मेकअप के साथसाथ अगर हेयरस्टाइल भी परफैक्ट हो तो कहने ही क्या. हेयरस्टाइल आप के लुक को और बेहतरीन बना देगा. इस के लिए आप पहले बालों में अच्छी तरह से कंघी करें. फिर उन्हें 2 भागों में बांट लें. फिर फ्रंट से इयर टू इयर पार्टिंग करें.

पीछे के बालों की पोनी बना लें. आगे से बौक्स एरिया की पार्टिंग कर उन बालों की पीछे से खजूरी चोटी बनाएं. अब इस खजूरी चोटी का पफ बनाएं. पोनी के बालों को लपेट कर जूड़ा बनाएं. फिर आर्टिफिशियल हेयर ऐक्सैसरीज लगाएं. उस पर नैट लगाएं. हेयर ऐक्सैसरीज ड्रैस के अनुसार ही डिसाइड करें. अगर जरूरी हो तभी लगाएं.

नाजायज ताल्लुकात : जिस्म की भूख में कर दी पत्नी की हत्या

पेशे से पेंटर 36 साला दीपक रजक की कमाई ठीकठाक थी और उसे उम्मीद थी कि एक दिन दुनिया उस के हुनर का लोहा मानेगी. इस बाबत वह खूब मन लगा कर काम भी करता था और भागदौड़ भी करता रहता था.

इसी सिलसिले में दीपक रजक कुछ दिन पहले अपने शहर शिवपुरी से भोपाल आया था. उस की मंशा भोपाल के मशहूर भारत भवन में काम पाने की थी.

भोपाल आने का दीपक का असल मकसद उजागर हुआ 1 अप्रैल, 2017 को, जब वह अपनी 28 साला बीवी पूनम की हत्या के जुर्म में पकड़ा गया.

पुलिस हिरासत में अपनी दास्तां सुनाते हुए दीपक रजक ने बताया कि उस की शादी ग्वालियर की रहने वाली पूनम से तकरीबन 2 साल पहले हुई थी. शादी के बाद शुरुआती दिन तो अच्छे गुजरे, पर बाद में उसे पता चला कि पूनम के शिवपुरी के ही एक बाशिंदे गुल्ली साहनी से नाजायज ताल्लुकात हो गए हैं, तो वह परेशान हो उठा. गुल्ली साहनी केबल औपरेटर है.

दीपक ने अपने लैवल पर तसल्ली कर ली कि वह झूठा शक नहीं कर रहा. वाकई पूनम और गुल्ली के जिस्मानी ताल्लुकात बन चुके हैं और आएदिन बनते रहते हैं.

इस बात की चर्चा दबी जबान से शिवपुरी में होने भी लगी, तो दीपक को लगने लगा कि हर कोई उस पर हंस रहा है. उस का और उस की मर्दानगी का मजाक उड़ाया जा रहा है. पर समझ और अक्ल से काम लेते हुए उस ने बीवी को समझाया कि किसी गैरमर्द से इस तरह से ताल्लुकात बनाना अच्छी बात नहीं है.

मगर जाने ऐसा क्या था उस गुल्ली साहनी में कि पूनम लाख समझाने पर भी नहीं मानी, तो दीपक को अपनी जिंदगी बेमानी लगने लगी और उस ने पूनम को खुद सजा देने का फैसला ले लिया.

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यों किया कत्ल

मार्च महीने के तीसरे हफ्ते में दीपक ने पूनम से भोपाल चलने को कहा. इस पर उस ने सवालजवाब किए, तो दीपक ने भोपाल में अच्छी नौकरी मिलने का बहाना बनाया. पूनम अपने शौहर के दिलोदिमाग में पनप रहे खतरनाक इरादे को भांप नहीं पाई और घूमने के लालच में उस के साथ भोपाल चली आई.

भोपाल में उन दोनों को खानेपीने और ठहरने की कोई दिक्कत नहीं थी, क्योंकि दीपक का भाई संदीप सुभाष नगर इलाके में ‘कैपिटल पैट्रोल पंप’ के पास रहता था.

4-6 दिन तक तो दीपक यों ही दिखावे के लिए भोपाल में यहांवहां घूमता रहा, पर असल में वह इमारतों से घिर गए इस शहर में कत्ल के लिए सुनसान जगह ढूंढ़ रहा था, जो उसे आखिरकार मिली शाहजहांनाबाद इलाके में बड़ी एक पुरानी बिल्डिंग में, जिसे ‘भूत बंगला’ के नाम से जाना जाता है.

1 अप्रैल, 2017 को घुमाने के बहाने दीपक पूनम को यहां पर ले आया. ‘भूत बंगला’ के बारे में मशहूर है कि इस में भूत रहते हैं, इसलिए वह खाली पड़ा रहता है. इस के नजदीक ही वीआईपी गैस्ट हाउस बना है.

जब वे दोनों ‘भूत बंगला’ में दाखिल हुए, तो दीपक ने पूनम को समझाने की एक आखिरी कोशिश की, पर वह नहीं मानी और हमेशा की तरह पलट कर जवाब देने लगी. इस पर दीपक ने अपनी जेब में रखा रेडियम कटर निकाला और बेवफा बीवी का गला बेरहमी से रेत दिया.

छटपटाती पूनम जमीन पर गिरी, तो गुस्साए दीपक ने उस के चेहरे पर बड़ा सा पत्थर भी दे मारा.

दीपक ने इतमीनान से वहीं खून से लथपथ हो गए अपने कपड़े बदले और सीधा जा पहुंचा नजदीकी कोहेफिजां थाने और मौजूद पुलिस वालों से कहा, ‘मुझे गिरफ्तार कर लो. मैं ने अपनी बीवी का कत्ल कर दिया है.’  हैरान पुलिस वालों ने उसे पकड़ा और कुछ ही देर में पूनम की लाश और कपड़े भी बरामद कर लिए.

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क्या करे शौहर

दीपक की दिमागी हालत सहज ही समझी जा सकती है कि वह पूनम और गुल्ली साहनी के नाजायज ताल्लुकात को ले कर किस हद तक परेशान और तिलमिलाता रहता रहा होगा, पर बेवफा बीवी का कत्ल कर उसे सिवा निजी तौर पर सुकून के कुछ और हासिल नहीं हुआ है. अब वह जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा जेल में ही गुजार देगा, जहां पेंटिंग के एवज में उसे न नाम मिलेगा और न ही अच्छे दाम.

इस में कोई शक नहीं कि जब बीवी के किसी और से नाजायज संबंधों की चर्चा खुलेआम गांव या शहर में होने लगती है, तो शौहर का चैन छिन जाता है. बीवी बजाय सीधे रास्ते पर आने के मुंहजोरी करने लगे, तो खुद पर काबू रख पाना चुनौती वाला काम है. ऐसे में शौहरों को बजाय गुनाह करने के अक्लमंदी से काम लेते हुए इन बातों पर अमल करना चाहिए:

* अगर समझानेबुझाने से बात नहीं बनती है, तो इस से कोई खास फायदा नहीं होगा, उलटे और ज्यादा कलह शुरू हो जाती है.

* ऐसी बीवी को छोड़ देने में हर्ज नहीं, पर छोड़ने से पहले उस की पुख्ता वजह होनी चाहिए. सुबूतों को उजागर करने में भी हिचकिचाना नहीं चाहिए.

* समाज में इज्जत जाने और लोग क्या कहेंगे जैसी किताबी बातों के पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए. ये बातें जुर्म के लिए उकसाती ही हैं.

* बच्चे अगर हों, तो उन के सामने कलह और मारपीट नहीं करनी चाहिए. वैसे भी ये बातें इस परेशानी का हल नहीं हैं.

* बीवी को मायके या उस के ही किसी नजदीकी रिश्तेदार के यहां छोड़ने की कोशिश करनी चाहिए.

* तलाक एक बेहतर रास्ता है, जिस से बेवफा बीवी से छुटकारा पाया जा सकता है. पर इस के लिए उस की बदनामी के खिलाफ सारे सुबूत इकट्ठा कर लेने चाहिए और अदालत की लंबी कार्यवाही के लिए खुद को दिमागी तौर पर तैयार कर लेना चाहिए.

* समाज में बात उजागर कर देने का एक फायदा यह भी है कि बीवी का आशिक अगर घरगृहस्थी वाला होगा, तो इस से घबराएगा और आवारा टाइप का होगा, तो भी हिचकने लगेगा. ऐसे लोगों को कोई अपने साथ उठाताबिठाता नहीं, पर वह अगर अपराधी किस्म का हो, तो चुप रहने में ही भलाई है.

* अगर कुछ दिनों बाद बीवी खुद ही संबंध तोड़ने के लिए राजी हो जाए, तो उसे माफ करते हुए सुधरने का एक मौका और देना चाहिए और आगे के लिए नौकरी या रोजगार दूसरे शहर में ढूंढ़ने की कोशिश करनी चाहिए. कई बार उस का आशिक उस पर कुछ इस तरह हावी पड़ता है कि वह दोबारा उसी रास्ते पर चलने के लिए मजबूर हो जाती है.

* खुद में जिस्मानी कमजोरी हो, तो उसे बजाय छिपाने के इलाज कराना चाहिए.

* पत्नी के मामले में कोई कदम उठाने से पहले यह भी देख लेना चाहिए कि वह घरेलू कलह, पैसे की कमी या किसी दूसरी वजह से तंग तो नहीं है. आमतौर पर शौहर से या घर में किसी चीज या जरूरत की कमी भी उसे बाहर संबंध बनाने के लिए उकसाती है.

बीवियों को भी दीपक और पूनम का मामला सबक देने वाला है कि लाजशर्म छोड़ कर वे किसी दूसरे से ताल्लुकात बनाने का जोखिम उठा तो लेती हैं, पर शौहर तब अपनी पर आ जाता है, तो मरनेमारने पर भी उतारू हो सकता है.

आशिक के साथ मारी गई अमरवती

35 साला अमरवती को उस के रिश्ते के दामाद गोलू उर्फ गणेश यादव ने उस के आशिक बालचंद इवने को पीटपीट कर बेरहमी से मार डाला. दरअसल, 26 मार्च, 2017 की रात अमरवती बालचंद के साथ भोपाल के अवधपुरी इलाके की गैलेक्सी सिटी में हमबिस्तरी कर रही थी. उस की भतीजी गोलाबाई ने उसे ऐसा करने से रोका, पर अमरवती पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

थोड़ी देर बाद गोलाबाई का शौहर गोलू वहां पहुंचा और इन दोनों को गैलेक्सी सिटी की छत पर ऐयाशी करते देखा, तो उस का खून खोल उठा. गोलू के साथ उस की बीवी गोलाबाई समेत दूसरे रिश्तेदार भूरीबाई और बच्चू भी थे, जिन्होंने अमरवती और बालचंद को पहले तो जम कर मारा, फिर दूसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया.

बैतूल जिले से मजदूरी करने आए ये लोग कच्ची झुग्गीझोंपड़ी बना कर रहते थे. अमरवती का शौहर गेंदालाल बीवी को उस के आशिक के साथ हमबिस्तरी की हालत में देख खुद को रोक नहीं पाया और इन सब ने मिल कर हमेशा के लिए नाजायज ताल्लुकात बनाने वाले इन दोनों को मौत के घाट उतार दिया

बुराइयों के खिलाफ दुलहनें : हम सबको इन लड़कियों पर नाज है

वाराणसी इलाहाबाद नैशनल हाईवे पर मोहनसराय से तकरीबन एक किलोमीटर दूर एक गांव बसंतपट्टी है. पहले इस गांव को कम ही लोग जानते थे, लेकिन 21 मई, 2017 को हुई एक घटना ने इस गांव को सुर्खियों में ला दिया. इन सुर्खियों की वजह इस गांव की एक बेटी है, जिस के बहादुरी भरे फैसले से गांव के लोग खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं.

हुआ यह कि इस गांव के एक बाशिंदे छुन्ना चौहान की बड़ी बेटी बबीता की शादी 21 मई को होने वाली थी. बरात मीरजापुर जिले के देहात कोतवाली थाना क्षेत्र के तहत धौरूपुर गांव के रहने वाले जागरण चौहान से तय हुई थी.

दरवाजे पर बरात आई, तो सभी घराती बरातियों के स्वागत में जुट गए थे.

द्वारचार के बाद जब दूल्हा स्टेज पर पहुंचा, तो उस की अजीब हरकतें देख दुलहन बनी बबीता थोड़ा असहज महसूस करने लगी, लेकिन दूल्हे की हरकतें जब हदें पार करने लगीं, तो वह तपाक से उठ खड़ी हुई और शादी से इनकार कर अपने कमरे में चली गई.

अचानक दुलहन के इस कठोर रूप को देख एकबारगी तो वहां मौजूद लोग दंग रह गए, लेकिन जब माजरा समझ में आया, तो बात बिगड़ गई.

दरअसल, बरातियों समेत खुद दूल्हे जागरण चौहान ने जम कर शराब पी रखी थी. जयमाल के दौरान वह लड़कियों से छेड़खानी करने लगा था.

विरोध करने पर उस ने बबीता के साथ भी गलत बरताव किया. बस, इसी पर बबीता भड़क उठी और शादी से इनकार कर दिया.

हद तो तब हो गई, जब बबीता का फैसला सुनने के बाद दूल्हे और उस के दोस्तों ने उस की बहन को जबरदस्ती पकड़ कर स्टेज पर बिठा लिया.

यह देख घराती पक्ष वाले भड़क उठे और नौबत मारपीट तक पहुंच गई. बरातियों ने स्टेज और मंडप तोड़ कर तहसनहस कर दिया.

इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह मामला शांत कराया. पंचायत करने के बाद भी बात न बनी, तो बरात को बैरंग ही लौटना पड़ा.

बबीता को अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है, लेकिन एक बात की चिंता उसे बराबर सताए जा रही है. वह यह कि उसे और उस के परिवार को मोबाइल फोन से जानमाल के नुकसान की धमकियां मिल रही हैं. ये धमकियां कोई और नहीं, बल्कि जागरण चौहान द्वारा दी जा रही हैं, जो अपनी बरात वापस लौटने से खासा खफा है.

मेहनतमजदूरी कर के परिवार का खर्च चलाने वाले बबीता के पिता छुन्ना चौहान इन धमकियों से गहरे सदमे में हैं.

वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नितिन तिवारी कहते हैं, ‘‘मेरे संज्ञान में धमकी की ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है. अगर ऐसी बात है, तो जरूर कार्यवाही की जाएगी, चाहे वह कोई भी हो.’’

देखा जाए, तो हमारे समाज में आज भी बेटियों को अपने फैसले लेने की मनाही है. दुलहन सुशील हो, कुशल हो, पढ़ीलिखी हो, यह सभी चाहते हैं, लेकिन दूल्हे को चुनने में समझदारी नहीं दिखाई जाती.

लड़का अच्छे घरपरिवार से है, बस इतना देख कर दुलहन को उस के मत्थे मढ़ दिया जाता है. कम ही मामलों में बेटियों की सलाह ली जाती है.

अब गाजीपुर की रेखा को ही देखें. जंगीपुर थाना क्षेत्र के शेखपुर गांव के बाशिंदे कमला बिंद की बेटी रेखा की 21 मई, 2017 को शादी थी. बरात गाजीपुर के ही नंदगंज थाना क्षेत्र के जाठपुर ढेलवा गांव से आ रही थी.

तय समय पर दूल्हा सुनील जैसे ही बरात संग शेखपुर गांव पहुंचा, वैसे ही घरातियों ने बरातियों की खातिरदारी की.

सुबह जब विदाई होने को आई, तो गांव के रिवाज के मुताबिक दूल्हे को ‘पलगवनी’ के लिए घर में बुलाया गया.

इस रस्म को पूरा करने के लिए दूल्हा जैसे ही घर में घुसा कि अचानक उसे मिरगी का दौरा पड़ने लगा, जिसे देखते ही वहां हड़कंप मच गया.

शोर सुन कर दुलहन बनी रेखा भी वहां आ गई और दूल्हे को इस रूप में देख उस ने साथ जाने से इनकार कर दिया. काफी मानमनौव्वल और कई दौर की पंचायत के बाद भी जब बात नहीं बनी, तो यह रिश्ता टूट गया.

दरअसल, शादी तय होने से पहले दूल्हे को मिरगी की बीमारी थी. इस बात को छिपाया गया था.

रेखा के इस फैसले से तमाम औरतें और उस की सखीसहेलियां भी सहमत दिखीं, जिन के फैसले के आगे मर्दों की एक न चल सकी.

कुछ ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में जौनपुर जिले के केराकत कोतवाली के तहत हौदवां गांव की भी है. 1 मई, 2017 को बांसबारी गांव से बरात आई हुई थी.

जयमाल के बाद जब दूल्हा और दुलहन स्टेज पर बैठे, तो शराब की बदबू महसूस होने पर दुलहन को थोड़ा असहज लगा. यह बदबू दूल्हे की ओर से आ रही थी.

शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद जब विदाई से पहले कोहबर में दूल्हे को ले जाया गया, तो वहां भी उस के मुंह से शराब की बदबू आ रही थी. बस, फिर क्या था. दुलहन ने दूल्हे के साथ जाने से साफ इनकार कर दिया और उस फैसले के आगे सभी को झुकना पड़ा.

मीरजापुर की सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा महिला मोरचा की जिलाध्यक्ष सुषमा पांडेय कहती हैं, ‘‘बदलते

समय के साथ लड़कियां भी जागरूक हो रही हैं. वे आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, तो फैसले लेने में वे पीछे क्यों रहें?

‘‘महिला सशक्तीकरण के दौर में जब तक औरत नौकरी कर सकती है, कारोबार संभाल सकती है, गाड़ी वगैरह चला सकती है, तो वह भला अपनी शादी का फैसला क्यों नहीं ले सकती?

‘‘घर की दहलीज और घूंघट की ओट से बाहर निकल कर औरतें खुद की बदौलत अपने को मजबूत कर रही हैं.’’

हिम्मती बेटी को मिला कमलेश का साथ बसंतपट्टी गांव की बहादुर बेटी बबीता की शादी टूट जाने के बाद उस के परिवार वालों को जहां बेटी के फैसले पर फख्र था, वहीं उन्हें बेटी के भविष्य की भी चिंता सताने लगी थी कि अब उस के हाथ कैसे पीले होंगे?

लेकिन चंद ही दिनों में बबीता के पिता के माथे से जहां बेटी की शादी को ले कर चिंता के उमड़घुमड़ रहे बादल छंट गए, वहीं उन लोगों की भी बोलती बंद हो गई, जो तरहतरह की चर्चाओं में समय काट रहे थे कि अब बबीता के हाथ कैसे पीले होंगे.

हुआ यह कि 21 मई, 2017 को बबीता की शादी टूटने और उस की बहादुरी के चर्चे अखबारों में पढ़नेसुनने के बाद पड़ोसी जनपद भदोही का ही एक नौजवान कमलेश चौहान बबीता से शादी करने को तैयार हो गया.

अपने घर वालों से बात करने के बाद वह 25 मई, 2017 को बाकायदा बरात ले कर बबीता के घर पहुंचा और उसे दुलहन बना कर अपने घर आ गया. उस के इस फैसले से जहां सभी खुश हैं, वहीं बबीता के बाद कमलेश के फैसले की भी खूब चर्चा हो रही है.

हाईस्कूल पास कमलेश सूरत में रह कर आटो मैकेनिक का काम करता है. नशे से पूरी तरह से परहेज करने वाला कमलेश बताता है, ‘‘मुझे बबीता को अपना कर खुशी हो रही है. बबीता न केवल बहादुर है, बल्कि सही फैसले लेने वाली है, तो भला ऐसी बहादुर लड़की को जीवनसंगिनी बनाने में मैं क्यों पीछे हटूं?’’

धन बनाम धन

देश के विकास के लिए सरकार विदेशी पूंजी को फौरेन डायरैक्ट इनवैस्टमैंट रूट के जरिए बड़े लालगलीचे बिछा कर स्वागत करने के लिए खड़ी रहती है. नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस बारे में कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखाया है. इस में शक नहीं कि चीन व अन्य कम विकसित देशों ने भी विदेशी कंपनियों का अपनी जमीन पर पैर जमाने के लिए खुलेदिल से स्वागत किया जैसा मुगल बादशाहों ने अंगरेजों का और मुसलिम आक्रमणकारियों के समय हिंदू राजाओं ने किया. नतीजा क्या हुआ, यह बताने की जरूरत नहीं है.

पर वही सरकार, जो विदेशी व्यापारियों को मुनाफा बनाने के लिए पैसा लाने पर उत्सुक दिखती है, विचारों, स्वास्थ्य, समाजसुधार, वनरक्षा, पशुप्रेम, पर्यावरण संरक्षण, ऐतिहासिक धरोहरों के पुनर्निर्माण आदि मामलों में पैसा देने वाली विदेशी संस्थाओं को भय से देखती है. भाजपा सरकार से पहले बना फौरेन रैमीटैंस कानून कांग्रेस सरकार ने बनाया था जो नहीं चाहती थी कि किसी ऐसे के हाथ में पैसा आए जो सरकार की पोलपट्टी अपरोक्ष रूप से भी खोल सके.

भाजपा सरकार तो इस बारे में बहुत बेचैन है क्योंकि वह मुनाफे की भाषा तो समझती है पर बाकी सब बातें उस के लिए निरर्थक हैं. पैसा बने, यह मंजूर है क्योंकि हिंदू धर्म इसी पर टिका है पर न्याय, पर्यावरण, बराबरी, बीमारी, गरीबी, भुखमरी, इतिहास उस के लिए निरर्थक हैं क्योंकि ये सब विश्वगुरु होने के दावे की पोल खोलते हैं. कांग्रेसी कानून के अंतर्गत लगभग 36,000 संस्थाओं ने विदेशी सहायता का जुगाड़ कर रखा था. मौजूदा सरकार ने लगभग 11,000 संस्थाओं पर विदेशी धन लाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. विदेशी पैसा मुफ्त में आता हो, यह तो संभव नहीं है. विदेशी स्वयंसेवी भारत आते हैं तो इसलिए नहीं कि उन का दिल यहां की गरीबी, बीमारी देख कर पसीजता है बल्कि इसलिए कि वे एक नया अनुभव चाहते हैं और एक ऐसे समाज के बारे में जानना चाहते हैं जो एक वर्ग को या एक प्रथा को यथावत रखना चाहता है. उन्हें भारत में पैर रखने की जगह चाहिए होती है और जब वे आ जाते हैं तो देश की बुरी हालत पर टिप्पणी किए बिना नहीं मानते.

यह न कांग्रेस सरकार को मंजूर था और न मौजूदा ज्यादा संकुचित सरकार को. अगर इन संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है तो बहुत गलत नहीं माना जाएगा पर ऐसा ही मुनाफा कमाने वाली कंपनियों पर भी लगाया जाए. अगर देश को न विदेशी तकनीक चाहिए, न गाडि़यां, न मोबाइल, न लड़ाकू हवाईजहाज, न पनडुब्बियां, न राइफलें, न टैंक तो शायद सरकार का फैसला सही माना जाता. पर जब सरकार खुद देश की रक्षा को विदेशियों के हाथों में खुले हाथों देने को तैयार है तो देश की कालिख की पोल खोल सकने वाली संस्थाओं को विदेशी सहायता पर प्रतिबंध लगाना गलत ही नहीं, सरकार की जबरदस्ती भी माना जाएगा.

 

रेस 3 : क्या सलमान खान का करिश्मा डूबने से बचा पायेगा

2008 में अब्बास मस्तान के  निर्देशन में पहली बार सफल एक्शन फिल्म ‘रेस’ बनी थी. उसके बाद ‘रेस 2’ आयी. अब ‘रेस 3’ आयी है, जिसमें अभिनय करने के साथ ही बतौर निर्माता सलमान भी जुडे़ हैं. मगर ‘‘रेस 3’’, ‘रेस’ सीरीज की सर्वाधिक कमजोर फिल्म है.

फिल्म ‘‘रेस 3’’ की कहानी के केंद्र में हैं मशहूर हथियार विक्रेता शमशेर सिंह (अनिल कपूर). फिल्म शुरू होने पर एक सीन से यह बात उभरकर आती है कि शमशेर सिंह इतने तेज तर्रार व चलाक हैं कि उन्हे कोई मात नहीं दे सकता. वह तो इंटरपोल के अफसर खन्ना (स्व.नरेंद्र झा) से भी सीधे बात करते रहते हैं.

बहरहाल, कहानी आगे बढ़ती है तो इंटेलीजेंस ब्यूरो को खबर मिलती है कि भारत में इलाहाबाद के पास हंडिया जिले के निवासी अवैध शस्त्र के कारोबार में पकडे़ जाने से बचने के लिए थाईलैंड के अलसाफिया में आकर बस गए हैं. शमशेर सिंह का एक सौतेला बेटा सिकंदर सिंह (सलमान खान) के अलावा बेटा सूरज सिंह ( साकिब सलीम) और बेटी संजना सिंह (डेजी शाह) है. सिकंदर सिंह के लिए काम करने वाला शूटर है यश(बौबी देओल).

जबकि राणा (फ्रीडा दारूवाला), शमशेर सिंह का सबसे बड़ा दुश्मन है. इंटेलीजेंस ब्यूरो की तरफ से जेसिका (जैकलीन फर्नांडिज) को शमशेर सिंह के परिवार के बारे में सच जानने व सबूत इकट्ठा करने की जिम्मेदारी दी गयी है. इधर जब सूरज व संजना 25 वर्ष के होते हैं, तो इन्हे पता चलता है कि इनकी मां ने वसीयत में जायदाद का पचास प्रतिशत सिकंदर को दिया है. बाकी के पचास प्रतिशत में से पचीस पचीस प्रतिशत के हकदार सूरज व संजना हैं. इससे सूरज व संजना नाराज होते हैं और सिकंदर को नेस्तानाबूद करने के लिए सूरज व संजना मिलकर जेसिका की मदद लेते हैं.

पता चलता है कि ऐसा करने के पीछे यश की ही सलाह थी क्योंकि यश और संजना एक दूसरे से प्यार करते हैं, इसकी भनक सूरज, सिकंदर व शमशेर सिंह को भी नहीं है. मगर सिंकदर सिंह, जेसिका को अपने प्रेम जाल में फांस लेता है. इधर यह पता चलता है कि यश और राणा के बीच भी कुछ संबंध हैं. सिकंदर हर हकीकत को जानते हुए कहता है कि वह अपने परिवार को टूटने व व्यापार में बंटवारा नहीं होने देगा. भाई के बीच आपसी दुश्मनी के बीच ही भारतीय नेताओं की अश्लील सीडी का मसला आता है, जिसे भुनाकर शमशेर सिंह सम्मानजक तरीके से भारत वापस जाना चाहता है. और साथ में वह सिकंदर, सूरज व संजना को भी रास्ते से हटा देना चाहता है.

क्लायमेक्स में पता चलता है कि सिकंदर, सूरज व संजना सगे भाई बहन हैं. इनके पिता का खून शमशेर सिंह ने ही किया था और यश, शमशेर का असली बेटा है. तथा शमशेर ने राणा के साथ दोस्ती बना रखी है. अंत में जेसिका, शमशेर सिंह व यश को हंडिया जेल पहुंचा देती है. पर शमशेर का वादा है कि रेस अभी खत्म नहीं हुई है.

अति धीमी गति वाली फिल्म ‘‘रेस 3’’ की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसके लेखक हैं. फिल्म की कहानी व पटकथा का ताना बाना इतना गड़बड़ है कि फिल्म का हीरो या विलेन सहित किसी भी किरदार को सही ढंग से चित्रित नहीं कर पाए. दर्शक दिमाग लेकर फिल्म देखने जाए, तो पगला जाए. कहानी कब व कैसे हथियारों के व्यापार से ड्रग्स व वेश्यावृत्ति में लिप्त भारतीय नेताओं तक पहुंच जाती है, यह समझ में ही नहीं आता. पूरे विश्व को शस्त्र बेचने वाला व्यापारी, जिसके खिलाफ इंटेलीजेंस ब्यूरो की टीम जांच कर रही है, वह खुले आम मोबाइल पर इंटरपोल के बड़े अफसर से बात करता है, बड़ा अजीब सा लगता है.

लेखक की कमजोरी के चलते पारिवारिक अंतर कलह भी मजाक ही लगती है. कहानी हिचकोले लेते हुए आगे बढ़ती है, तमाम एक्शन दृश्यों के साथ कहानी में इतने मोड़ आते हैं कि दर्शक का दिमाग चकरा जाता है और वह सोचने लगता है कि फिल्म में हो क्या रहा है? पूरी फिल्म दर्शकों को बांधकर रखने की बजाय उन्हे निराश ही करती है.

फिल्म के बचकाने संवाद भी फिल्म को घटिया बनाने में अपना योगदान देते हैं. फिल्म में कहीं कोई इमोशन या संवेदना उभरती ही नहीं है. सबसे बड़ा अफसोस तो यह है कि फिल्म को भारत के छोटे शहर से जोड़ने के मकसद से लेखक के साथ साथ कलाकारों ने भी इलाहाबाद की हिंदी भाषा के कुछ संवाद बोलते हुए पूरी भाषा का बेड़ा गर्क करके रख दिया है.

सलमान खान व टिप्स के रमेश तौरानी ने फिल्म ‘‘रेस 3’’ से अधिकाधिक धन कमाने के लिए इसका ‘‘थी डी’’ वर्जन भी बनाया है, पर इन्हे इस बात का अहसास ही नहीं है कि ‘‘थ्री डी’’ के लिए किस तरह की कहानी व दृश्य चाहिएं. ‘थ्री डी’ वर्जन की गुणवत्ता बहुत घटिया है. ‘थ्री डी’ में ‘‘रेस 3’’ देखते वक्त दर्शक दोहराता रहता है-कहां फंसायो नाथ..’’

फिल्म को बेहतरीन लोकशन पर फिल्माया गया है. कुछ एक्शन सीन जरूर अच्छे बन पड़े हैं. मगर डेजी शाह व जैकलीन फर्नांडिज के बीच का एक्शन सीन काफी बचकाना सा लगता है. जहां तक अभिनय का सवाल है तो किसी भी कलाकार ने ऐसा अभिनय नहीं किया है, जिसकी तारीफ की जाए. इसके लिए कुछ हद तक फिल्म के पटकथा लेखक भी जिम्मेदार हैं.

यहां तक कि अनिल कपूर जैसे कलाकार को तो इस फिल्म में जाया किया गया है. बौबी देओल अपनी वापसी वाली फिल्म में अपनी शर्ट उतारकर भी ऐसा कोई प्रभाव नहीं छोड़ते, जिससे उम्मीद की जाए कि वह बेहतर अभिनय कर सकते हैं. ‘रेस 3’ देखकर दर्शक अच्छी तरह से समझ जाता है कि बौबी देओल का अभिनय करियर क्यों चौपट हुआ.

फिल्म में लंबे लंबे गीत भी दर्शकों को बोर ही करते हैं. कई असफल फिल्मों के निर्देशक रेमो डिसूजा ने एक बार फिर साबित कर दिखाया कि उनसे गुणवत्ता वाले काम की उम्मीद करना मूर्खता है.

फिल्म ‘‘रेस 3’’ में ऐसा कुछ नहीं है, जिसकी वजह से दर्शक इसे देखना चाहेगा.  ऐसे में फिल्म ‘‘रेस 3’’ को सलमान खान का जादुई करिश्मा डूबने से बचा पाएगा, इसमें भी शक है. क्योंकि सिनेमाघर से निकलते हुए हमने सलमान खान के प्रशंसकों को भी खुश नहीं पाया.

दो घंटे चालीस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘रेस 3’ का निर्माण रमेश एस तौरानी और सलमा खान ने किया है. फिल्म के निर्देशक रेमो डिसूजा, लेखक सिराज अहमद, संगीतकार सलीम सुलेमान, विशाल मिश्रा, विक्की हार्दिक, शिवाय व्यास, गुरिंदर सेहगल, कैमरामैन अयंका बोस तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं-अनिल कपूर, सलमान खान, जैकलीन फर्नांडिज, बौबी देओल, डेजी शाह, साकिब सलीम, फ्रीडा दारूवाला व अन्य.

धोनी के लिये मैंने गंवाई अपनी जगह : दिनेश कार्तिक

महेंद्र सिंह धोनी जिस दौर में विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका की नई परिभाषा गढ़ रहे थे तो ऐसे में दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी की टीम में शामिल होने की राह कतई आसान नहीं थी. आखिरी बार 2010 में टेस्ट खेलने वाले कार्तिक आत्ममंथन के बाद बेबाकी से आकलन करते हुए कहते हैं कि धोनी जैसे शानदार खिलाड़ी के रहते उनके लिए टीम में जगह बनाना आसान नहीं था.

कार्तिक ने अफगानिस्तान के खिलाफ गुरुवार से शुरू होने वाले एकमात्र टेस्ट मैच से पहले कहा, ‘मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका. प्रतिस्पर्धा बहुत अधिक थी और धोनी जैसे खिलाड़ी से प्रतिस्पर्धा थी. वह भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट कप्तानों में से एक बने और विश्व क्रिकेट पर अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी.’

धोनी के लिए गंवाई जगह

चोटिल रिद्धिमान साहा के विकल्प के तौर पर आए कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ 2010 में अपने करियर का 23वां टेस्ट खेला था. उसके बाद से भारतीय टीम ने 87 टेस्ट खेले, जिनमें कार्तिक टीम में नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘मैंने अपना स्थान किसी आम क्रिकेटर के लिए नहीं गंवाया. धोनी खास थे और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं. उस समय मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन भी नहीं कर सका. अब मुझे एक और मौका मिला है और मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा. मुझे अच्छे स्कोर की जरूरत है.’

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धोनी के कारण 2014 तक वह टेस्ट टीम से बाहर रहे और उसके बाद साहा ने टीम में जगह बना ली थी. साहा के चोटिल होने से कार्तिक को एक बार फिर मौका मिला है. उन्होंने कहा, ‘मैंने रणजी ट्रौफी के दौरान कुछ मैचों में अच्छे स्कोर किए. उस दौरान कोई मैच देखने नहीं आया. मैं तमिलनाडु टीम का हिस्सा बनकर खुश हूं. मैंने अपने प्रदर्शन का श्रेय तमिलनाडु टीम को भी देना चाहता हूं जिसने खराब समय में मुझे टीम में बनाए रखा. सीनियर खिलाड़ी होने के नाते तमिलनाडु टीम को मुझसे उम्मीद थी कि अच्छा प्रदर्शन करूं और मैं खुश हूं कि ऐसा करने में सफल रहा.’

हमारी अनुभवी टीम

कार्तिक ने अफगानिस्तान टीम को लेकर कहा कि उनका सफर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में खूबसूरत रहा है लेकिन हमारी टीम अनुभवी है. मुझे नहीं पता कि विपक्षी टीम के खिलाड़ी क्या कह रहे हैं. लेकिन हमारे खिलाडि़यों के पास टेस्ट मैचों के साथ घरेलू और चार दिनी मैचों का भी अनुभव है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को यह भी नहीं पता कि अफगान टीम क्रिकेट भी खेलती है. इस टीम ने खराब परिस्थितियों से लड़कर अपना प्रभाव छोड़ा है. वे कम सुविधाओं के चलते भी हर किसी को हराने की कोशिश करते हैं. मुझे उम्मीद है कि अफगान टीम और भी टेस्ट मैच खेलेगी.

व्हाट्सऐप में आ रही हर समस्या का यहां मिलेगा समाधान

कई बार यूजर्स को व्हाट्सऐप पर स्टोरेज की समस्या होती है तो कई बार मैसेज भेजने में दिक्कत आती है. इसके अलावा भी उन्हें कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खैर, चलिए आज हम आपको व्हाट्सऐप में आने वाली कुछ दिक्कतों और उनके समाधान के बारे में बताते हैं.

व्हाट्सऐप की स्पीड कैसे बढ़ाएं

इसके लिए व्हाट्सऐप की कैशे मेमोरी डिलीट करें. इसके लिए सेटिंग्स में जाकर व्हाट्सऐप ऐप को सर्च करें और फिर उसके स्टोरेज में जाकर कैशे क्लियर करें लेकिन इससे पहले अपने व्हाट्सऐप डाटा का बैकअप जरूर ले लें, क्योंकि कैशे मेमोरी क्लियर करने पर आपका पूरा चैट डिलीट हो जाएगा.

व्हाट्सऐप कैशे क्लियर करने के लिए यहर स्टेप फौलो करें-

– Settings पर जाएं

– अब App Settings के विकल्प पर जाएं.

– यहां पर Installed apps पर क्लिक करें.

– फिर इसके बाद Delete cache/data पर क्लिक करें.

मेमोरी चेक करें

इसके बाद भी ऐप स्लो है तो उसे अपडेट करें. अगर आपका व्हाट्सऐप स्लो है या फिर फोटो-वीडियो डाउनलोड नहीं हो रहे हैं तो मेमोरी चेक करें. फोन की सेटिंग्स में जाएं और रैम के साथ-साथ स्टोरेज भी देखें कि फोन में कितना स्पेस बचा है.

डेस्कटौप पर व्हाट्सऐप कैसे इस्तेमाल करें

अगर इन सबके बावजूद आपके व्हाट्सऐप में दिक्कत आ रही है और आपके पास लैपटौप है तो आप व्हाट्सऐप को आसानी से अपने लैपटौप और डेस्कटौप पर चला सकते हैं. इसके लिए लैपटौप के ब्राउजर में web.whatsapp.com टाइप करें और फिर व्हाट्सऐप ओपन करके दाहिनी ओर दिख रहे तीन डौट पर क्लिक करें. अब आपको व्हाट्सऐप वेब का विकल्प मिलेगा, उस पर क्लिक करें और अब लैपटौप की स्क्रीन पर दिख रहे क्यूआर कोड को स्कैन करें. हालांकि लैपटौप पर आप व्हा्ट्सऐप तभी चला सकते हैं जब उसमें इंटरनेट कनेक्शन हो.

जानिए स्मार्टफोन को फटाफट चार्ज करने का बेहतरीन तरीका

अगर आपको भी अपने हैंडसेट को पूरे दिन चलाने के लिए बीच में चार्ज करना पड़ता है? आप फोन को लगातार चार्ज करते करते परेशान हो चुके हैं? और आपका फोन चार्ज होने में बेहद समय लेता है? तो अब घबराइए नहीं, क्योंकि आज हम आपको फोन को फटाफट चार्ज करने का तरीका बता रहे हैं. हालांकि कंपनियां लगातार स्मार्टफोन की बैटरी का बैकअप बढ़ाने पर काम कर रही हैं.

फ्लाइट मोड: फोन चार्ज करते समय अपने स्मार्टफोन का फ्लाइट मोड आन कर दें. फ्लाइट मोड आन करने के बाद फोन में नेटवर्क नहीं आएगा. दरअसल कई बार ऐसा होता है नेटवर्क आता जाता रहता है जिससे कि बैटरी चार्ज होने के साथ साथ वीक भी होती रहती है. इसलिए बैटरी काफी देर में चार्ज होती है. एंड्रायड फोन में फ्लाइट मोड होम स्क्रीन पर ऊपर से नीचे स्लाइड करके आन या आफ किया जा सकता है. तो जब फोन को चार्जिंग पर लगाएं तो फोन का फ्लाइट मोड आन कर दें. जब फोन की बैटरी फुल चार्ज हो जाए तो इसका फ्लाइट मोड हटा दें.

फोन आफ कर दें: अगर मुमकिन हो तो फोन को चार्ज करते वक्त उसे आफ कर दें. ऐसा करने से आपके फोन की बैटरी बहुत जल्दी चार्ज होगी, क्योंकि जब बैटरी चार्ज हो रही होगी तो उसका उस वक्त कहीं इस्तेमाल नहीं हो रहा होगा तो वीक नहीं होगी, सिर्फ चार्ज होगी.

चार्जिंग मोड आन कर लें: ज्यादातर एंड्रायड डिवाइसेज में चार्ज मोड डिवेलपर विकल्प में छिपा होता है. सबसे पहले अपने फोन के डिवेलपर विकल्प को आन कर लें. इसके लिए फोन की सेटिंग्स में जाकर अबाउट फोन (About Phone) पर टैप करें. इसके बाद बिल्ड नंबर ( Build Number) पर जाएं. अब इस पर जल्दी जल्दी 7 बार टैप करें. 2 टैप के बाद ही स्क्रीन पर आने लगेगा कि आपको कितनी बार और टैप करना है. इसके बाद फिर सेटिंग्स में आ जाएं. यहां डिवेलपर विकल्प आ गया होगा. अब इस पर टैप करें. इस पर टैप करते ही Select USB Configuration का विकल्प मिल जाएगा. अब इस पर टैप करें और कई विकल्प मिल जाएंगे. इसमें चैक करें कि कौन सा विकल्प सिलेक्ट कर रखा है. इसमें चार्जिंग विकल्प को सिलेक्ट करना है. इसके बाद आपका फोन पहले की अपेक्षा जल्दी चार्ज होने लगेगा.

यहां दिए गए उपर्युक्त तरीकें अपनाकर आप अपने फोन को जल्दी चार्ज कर सकते हैं.

मारुति की नई स्विफ्ट ने बनाया रिकौर्ड, 5 महीने में 1 लाख कारों की हुई बिक्री

मारुति (Maruti) की नई स्विफ्ट ने कम समय में झंडे गाड़ दिए हैं. पिछले दिनों रिकौर्ड बुकिंग का आंकड़ा छूने के बाद मारुति की इस पसंदीदा कार ने बिक्री का नया रिकौर्ड बनाया है. मारुति ने स्विफ्ट के नए मौडल को ग्रेटर नोएडा में फरवरी 2018 में आयोजित किए गए औटो एक्सपो में लौन्च किया था. लगता है लौन्चिंग के दिन से ही नई स्विफ्ट ने कार प्रेमियों के दिल और दिमाग पर राज कर लिया है. इसी का नतीजा है कि कार ने 5 महीने से भी कम समय में 1 लाख कारों की बिक्री का रिकौर्ड बना लिया है.

145 दिन में बनाया रिकौर्ड

कार को बिक्री के इस आंकड़े को छूने में महज 145 दिन (साढ़े चार महीने) का समय लगा है. पहली बार साल 2005 में लौन्च होने वाली स्विफ्ट की देश में कुल 1.89 मिलियन (करीब 19 लाख कार) कारें बिक चुकी है. कंपनी का दावा है कि कुछ महीने बाद यह कार बिक्री के 20 लाख कारों के आंकड़े को पार कर लेगी. न्यू जेनरेशन स्विफ्ट आकर्षक डिजाइन के कारण ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय हुई है.

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अप्रैल में भी सेल्स में नंबर 1

इससे पहले अप्रैल 2018 में भी स्विफ्ट 22,776 कारों के साथ सेल्स के मामले में नंबर 1 कार बन गई थी. अप्रैल 2017 में भी स्विफ्ट औल्टो को पछाड़कर बिक्री के मामले में नंबर वन कार बनी थी. कार ने बुकिंग के मामले में तो कुछ समय बाद ही एक लाख का आंकड़ा पार कर लिया था. मारुति सुजुकी स्विफ्ट का 1.2 लीटर पेट्रोल मौडल नई दिल्ली में 4.99 लाख रुपये की एक्स-शोरूम कीमत पर मिल रहा है. वहीं इसका बेस 1.3 लीटर वर्जन दिल्ली में 5.99 लाख रुपये की एक्स शोरूम कीमत पर मिल रहा है.

कार को कंपनी ने स्पेशियस इंटीरियर और न्यू प्लेटफौर्म पर लौन्च किया है. इस बार कार में दिया गया टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम इसे और भी खास बनाता है. नई स्विफ्ट में एलईडी डे टाइम रनिंग लाइट और एलईडी प्रोजेक्टर हैडलैंप दिया गया है.

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