सलमा पसोपेश में पड़ गई कि कहीं उस के इजाजत दे देने पर कमल बुरा न मान जाए. पर जेनी और डेविड को रोतेगिड़गिड़ाते देख वह भावुक हो उठी. उसे वह दिन याद आ गया जब कमल ने भी पहली बार अपने बच्चे की धड़कनें सुनने के लिए उस के पेट पर अपने कान लगा दिए थे. काफी देर इंतजार के बाद भी जब कमल नहीं आया तो वे दोनों काफी उदास हो गए और प्रस्ताव रखा कि इस इजाजत के वे 25 हजार रुपए और देंगे. सलमा लालच की गिरफ्त में आ गई और इजाजत दे दी.
सलमा की खूबसूरती देख डेविड दंग रह गए. फिर उन्होंने जैसे ही सलमा के पेट पर कान लगाए वैसे ही वहां कमल आ पहुंचा और यह नजारा देख कर वह आगबबूला हो गया. उस के मुंह से बरबस निकल पड़ा, ‘‘तो यह राज है इतने पैसे मिलने का. जो अपने मांबाप की न हुई, आदमी की क्या होगी?’’ मारे गुस्से के कमल का हाथ भरी पिस्तौल तक पहुंच गया और उस ने एक गोली डेविड पर दाग दी. डेविड को गिरते देख, कमल भाग लिया. गोली की आवाज सुन कर बगल के कमरे में बैठी नर्स कमरे की तरफ दौड़ी और उन्हें संभालने की कोशिश की. नर्सिंग होम को फोन किया गया. डेविड को वहां पहुंचाया गया.
सभी की गोटियां एकदूसरे से ऐसी फंसी थीं कि कोई भी कुछ करने से पहले काफी सोचसमझ लेना चाहता था. पुलिस केस होने पर कमल फंस रहा था, जिस का सीधा असर सलमा पर पड़ता और घुमाफिरा कर उस का असर होने वाले बच्चे पर पड़ता. जेनी को वह शर्त याद आई कि सलमा को सिर्फ जेनी ही देखेगी, डेविड नहीं. यों पुलिस रिपोर्ट में डेविड भी फंस रहे थे. नर्सिंग होम वालों को इतना पैसा मिला कि उन्होंने इलाज तो चुपचाप शुरू कर दिया था पर फिर भी घबराए हुए थे. डेविड को खतरे से बाहर बताए जाने के बाद ही सारे लोगों की सांस में सांस आई.
सारा खुशी का माहौल गमगीन और तनावपूर्ण हो चुका था. कमल के आरोप पर सलमा तड़प उठी थी. उस ने ही खामोशी तोड़ी, ‘‘मुझे आप लोगों से कोई पैसेवैसे नहीं चाहिए, मुझे मेरा आदमी वापस चाहिए. मैं तो इस के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी,’’ कहतेकहते वह रो पड़ी. इस पर जेनी ने डेविड की आंखों में कुछ झांका और फिर सलमा से कहा, ‘‘डेविड कमल का दर्द समझते हैं. उन के दिल में बदले की कोई भावना नहीं है. कमल को किसी भी कीमत पर वापस लाया जाएगा.’’
तभी नर्सिंग होम से एक फोन आया, ‘‘देखिए, यह मामला कहीं से लीक हो चुका है, पुलिस केस होने जा रहा है, सतर्क रहें.’’
इस बात से सामान्य होता वातावरण फिर गरम हो उठा. खैर, जेनी की आंखों में काफी संतोष दिख रहा था, शायद वह हिंदुस्तान के बारे में सबकुछ जान गई थी कि यहां पैसे से सबकुछ मुमकिन हो जाता है. लिहाजा, सलमा को धीरज बंधाया और खुद अपने डाक्टर के साथ नर्सिंग होम जा पहुंची. क ाफी पैसे खर्च करने के बावजूद मामला रफादफा करने में कई दिन लग गए पर जेनी को इस से बड़ा धक्का तब लगा जब उसे यह पता चला कि कमल चोरी की पिस्तौल खरीदने के मामले में कहीं पकड़ा जा चुका था. यह सभी के लिए बहुत खराब खबर थी. फिर भी जेनी ने सलमा को धीरज बंधाया कि उस के पास पैसों की कोई कमी नहीं है. वह किसी भी हद तक और कितना भी पैसा खर्च करने को तैयार था.
लेदे कर वह भी मामला निबटाया गया, तब जा कर सलमा सामान्य हो पाई. कमल की जमानत की काररवाई पूरी की गई. उसे जमानत पर छुड़वा कर लाया गया पर इस दौरान उसे पुलिस वालों को अपने पुराने साथियों के नाम बताने पड़े. उस के जमीर को इस से काफी धक्का लगा था. उसे एक बार तो यह लगा जैसे वह सलमा को खोने जा रहा हो.
लाख न चाहते हुए सलमा को इस कांड का काफी सदमा लगा था पर वह और डेविड दोनों ही अच्छे इलाज की बदौलत तेजी से सुधार की ओर अग्रसर थे. इस से भी बड़ी तसल्ली की बात यह थी कि कमल ने डेविड को अपनी मनोस्थिति बताते हुए माफी मांग ली थी. समय कितनी तेजी से बीता, पता ही नहीं चला. जेनी और डेविड को, जिस सुखद घड़ी का बेसब्री से इंतजार था, वह आ ही गई. पर सलमा के लिए यह एक बड़े दुख का सबब था, क्योंकि उसे जो सुविधाएं, डेविड ने इस दौरान मुहैया कराई थीं, सब खत्म होने जा रही थीं. कमल पर चोरी की पिस्तौल के अलावा भी 2 मुकदमे दायर हो चुके थे. वह फिर बहुत उदास रहने लगी थी. भविष्य में आने वाली मुसीबतों के बारे में सोचसोच कर वह सहम सी उठती थी. उस का दिल बैठा जाता था.
अत: तमाम मेडिकल सुविधाओं के बावजूद आखिरी दिनों में उस का ब्लडप्रेशर काफी नीचे रहने लगा. प्रसव के समय वह काफी घबराई हुई सी लगी. बच्चे को जन्म देने के 12 घंटे बाद ही उस ने दम तोड़ दिया. जेनी और डेविड जो एक तरफ बेहद खुश थे, दूसरी तरफ सलमा की मौत से इतने दुखी हुए कि अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए, बरबस रो पड़े. उन का मन था कि बच्चे की पहले 1 माह की परवरिश के लिए उसे सलमा के साथ ही रहने दिया जाता, पर नर्स ने उन्हें यह कह कर तसल्ली दिलानी चाही कि फिर मोह के कारण सलमा से उसे छुड़ाना अधिक दुखद हो जाता.
नर्सिंग होम से कमल जब सलमा का निष्प्राण शरीर ले कर निकला तो उस के परिवार के अलावा सलमा के परिवार के लोग भी आ चुके थे. पिता के कहने पर लाश को कमल अपने पिता के घर ले गया. इस दुखद और अकाल मौत पर जो सुनता दौड़ पड़ता. अंतिम संस्कार के लिए श्मशान तक जाने वाली विकराल भीड़ में जेनी और डेविड सब से आगे थे. कमल की छोटी बेटी तो नर्सिंग होम में नर्स के ही पास थी. बड़ी बेटी को कमल अपने सीने से चिपकाए दहाड़ें मारमार कर रोए जा रहा था. जिन धर्म के ठेकेदारों ने इन की शादी के चक्कर में पड़ना उचित नहीं समझा था वे इस भीड़ को कैश कराने की गरज से वहां पहुंच चुके थे. सलमा की लाश पर राजनीति शुरू कर दी कि वह मुसलमान थी, इसलिए दफनाया जाना चाहिए. विरोधियों का कहना था कि वह हिंदू से शादी कर के हिंदू हो चुकी थी इसलिए जलाया जाना चाहिए. एक मत और उभर रहा था कि ईसाई बच्चे को जन्म देने के कारण उस को ईसाइयों के रीतिरिवाज से दफनाया जाए.
आखिरी फैसला यह हुआ कि हिंदू रीति ही अपनाई जाए. इस फैसले पर हिंदू पंडों की बाछें खिल उठीं. भीड़ देख कर उन के भाव बढ़ गए. मुखाग्नि के वक्त बोले, ‘‘बिना स्वर्ण दान के आत्मा नहीं तरती है.’’