यह कहावत सत्य है कि इंसान के हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं, यह भी कि उन के आकार के साथ ही उन की गुणवत्ता भी पृथक होती है. इसी प्रकार अरविंद और शांति के चारों बच्चे 4 स्वभाव के थे. सब से बड़े गौतम कुशाग्र बुद्धि के होने के साथ ही सरल और निश्छल स्वभाव के थे. शांतिप्रिय होने के कारण उन की प्रशासनिक सर्विस में रुचि नहीं थी. एमएससी श्रेष्ठ नंबरों से उत्तीर्ण होते ही उन की डिगरी कालेज में प्रोफैसर के पद पर नियुक्ति हो गई. कुछ समय के बाद वे विश्वविद्यालय में कैमिस्ट्री के हैड औफ द डिपार्टमैंट नियुक्त किए गए.
अरविंद के दूसरे पुत्र रमेश अंतर्मुखी और गूढ़ प्रवृत्ति के थे. उन को समझ पाना आसान न था. बहनें दोनों भाइयों से छोटी थीं. बड़ी बहन रीता स्पष्टवादी तो थी लेकिन दिल की साफ न थी. छोटी बेटी मीता अपनी बड़ी बहन के पदचिह्नों पर चलती कुछ कठोर और गूढ़ आचरण की थी. जबकि मातापिता सर्वथा सरल स्वभाव के और हद दरजे के संभ्रांत थे. कभी किसी से कटु बोलना या अपशब्द कहना उन की आदत में न था. अपने मांपिता की पूरी छाप गौतम में समावेश थी.
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अरविंद ने अपने बेटों को पढ़ालिखा कर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया था. बेटियों की शादी भी अच्छे घरों में कर वे अपने उत्तरदायित्व से मुक्त हो चुके थे. उन का 4 भाइयों का संयुक्त परिवार था. इस कारण बच्चों के अपनेअपने परिवार के साथ रहने पर भी अरविंद और शांति को अकेलापन नहीं महसूस होता था.