Cyber Fraud : साइबर फ्रौडों के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो रिजर्व बैंक औफ इंडिया, बैंकिंग उद्योग और आधारकार्ड थोपने वाली केंद्र सरकार है. इन तीनों की पाली हुई संस्थाओं ने साइबर फ्रौडों के लिए बेहद उपजाऊ जमीन पैदा कर दी.
पहले लूटने के लिए शातिरों को किसी के घर पर धावा मारना होता था, चैक पर जाली दस्तखत करने होते थे, राह चलते जने को चाकू से डरा कर उस का पर्स छीनना होता था. अब शातिर एयरकंडीशंड कमरों में बैठ कर मोबाइल बैंकिंग का फायदा उठाते हुए साइबर फ्रौड की अपनी करतूतों को अंजाम देते हैं जिन में बैंकों में जमा लोगों के रुपए गायब हो जाते हैं और धमकियों से वे डिजिटल अरैस्ट के शिकार भी हो जाते हैं.
शातिरों ने समझ लिया है कि आमजन, जिन के तार हरदम मोबाइल के जरिए उन के अकाउंट से जुड़े रहते हैं, बेहद डरपोक हैं. वे एक फोन कर के उन्हें तरहतरह की सूचनाएं दे कर भयभीत कर सकते हैं जिन में क्रैडिट कार्ड का दुरुपयोग, बैंक अकाउंट में भारी रकम क्रैडिट हो जाने की भ्रामक सूचना, फोन बंद हो जाने की सूचना आदि हो सकती हैं. चूंकि इस तरह की सूचनाएं सरकार के आदेशों पर चल रहे बैंक और टैलीकौम कंपनियां वैसे ही लीगली भी देने लगी हैं, इसलिए आम आदमी दिए गए लिंक पर बिना हिचक कौन्टैक्ट करता है.
कौन्टैक्ट करते ही इंसान फंस जाता है. उस के मोबाइल के सारे कौन्टैक्ट्स चुरा लिए जाते हैं. पासवर्ड मैनेजर से पासवर्ड ले लिए जाते हैं और उक्त इंसान को व्हाट्सऐप वीडियो पर ले जा कर कहा जाने लगता है कि जो पैसा उस के एक फर्जी अकाउंट में आया है वह क्राइम है, सो इस मामले को इकोनौमिक औफैंसैस विंग में भेजा जा रहा है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन