BJP : लोकसभा में एक अहम बहस के दौरान भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री ने कटाक्ष किया कि यह कैसा विपक्ष है जो संविधान की शपथ लिए हुए विदेश मंत्री जयशंकर की बात को सहीं नहीं मानता जबकि विदेशी डोनाल्ड ट्रंप को सही मानता है. बहस इस बात पर हो रही थी कि औपरेशन सिंदूर के बाद 4 दिनों में भारत ने पाकिस्तान से सुलह क्यों कर ली जबकि युद्ध की शुरुआत भारत ने ही की थी.
विपक्ष ही क्या, देश को सोचनेसमझने वाला हर देशवासी सरकारी प्रचार को अब मुश्किल से ही सही मानता है क्योंकि पिछले 11 सालों में सत्ता पर काबिज़ भाजपा द्वारा जनता से इतनी बार ‘अश्वत्थामा मारा गया है’ वाला झूठ बोला गया है कि धर्मराज युधिष्ठिर की तरह भाजपा की बातों पर अब कोई पूरी तरह भरोसा नहीं कर सकता.
भारतीय जनता पार्टी के झूठों की लिस्ट तो लंबी है, राम जन्म स्थान वहीं अयोध्या में है, यह सच कैसे है, आज तक नहीं पता क्योंकि रामायण और महाभारत का कोई पुरातत्त्व अवशेष आज तक नहीं मिला है. राममंदिर के निर्माण के समय अयोध्या में फैले दशरथ और बाद में भरत, शत्रुघ्न और अंत में राम व लक्ष्मण के महलों की कोई नींव 10-20 या 50 फुट गहराई तक नहीं मिली है कि जिस की किसी विदेशी पुरातत्त्व विशेषज्ञ ने पुष्टि की हो.
वर्ष 2016 में नोटबंदी पर नरेंद्र मोदी के वादों पर कोर्ई भरोसा नहीं कर रहा है क्योंकि आज भी कालाधन और आतंकवाद वैसा ही है जैसा 2016 में था. 2,000 रुपए के नोटों को वापस लेने का मतलब यही था न कि लोगों के पास कालाधन कैसा था, कैसा है. 500 रुपए के नोट बंद करने की अफवाहों पर ध्यान दिया जा रहा है, सरकार की सफाई पर कोई भरोसा नहीं कर रहा.
कोविड का लौकडाउन 17 दिनों में घंटों, घड़ियालों और टौर्चों से नहीं गया. यह बात भी साबित करती है कि भाजपा के दावों में कितनी सच्चाई है, उस पर क्यों कोई विश्वास करे.
देश का एक बड़ा वर्ग जीएसटी के टैक्स से परेशान है जबकि बारबार झूठ बोला गया कि इस से टैक्स देना सरल होगा, पूरे देश में एक टैक्स होगा, व्यापार बढ़ेगा, आसान होगा. जबकि, ऐसा कुछ नहीं हुआ. जीएसटी इतना जान लेवा है कि हैदराबाद की पटरी पर सब्जी बेचने वाली को 42 लाख रुपए का नोटिस थमाया गया है.
किसानों को सरकार के 3 कृषि कानूनों पर कोई भरोसा नहीं रहा और वे धरनों पर तब तक जमे रहे जब तक माफी मांगते हुए नरेंद्र मोदी ने तीनों कानून वापस नहीं ले लिए.
चुनाव प्रक्रिया के फ्रंट पर अब चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं रह गया है. चुनाव पार्टी नहीं जीतती, चुनाव आयोग्य जीतता है, ऐसा लोगों का अब विशवास बन गया है. इलैक्ट्रौनिक वोटिंग मशीनों और अब बिहार में की जा रही मतदाता सूची का पुनर्निरीक्षण जैसे कदमों से लोगों का भरोसा कम ही हुआ है.
सब से बड़ी बात यह है कि आज समझदार लोग उस मीडिया पर भरोसा नहीं कर सकते जो भारतीय जनता पार्टी व उस की सरकार का भोंपू बन कर रह गया है. भाजपाइयों के कहने पर गोदी मीडिया ने ‘4 दिनों में भारतीय सेना ने लाहौर और कराची पर कब्जे’ तक की खबरें चला डाली थीं.
ऐसी सरकार के ऐसे प्रचार माध्यम, ऐसे बयानों पर भरोसा कोई कैसे करे, यह बड़ा सवाल है. डोनाल्ड ट्रंप खुद भरोसे के लायक नहीं हैं क्योंकि वे तो घेरलू खाने की चीजों के दाम 1,000 फीसदी (जी, एक हजार फीसदी) कम करने वाले हैं. लेकिन, ऐसा कौन कह रहा है कि उन के 26 बयान- भारतपाक युद्ध उन्होंने कस्टम ड्यूटी की धमकियां दे कर रुकवाया था- गलत हैं, झूठ हैं.
दरअसल, विदेश मंत्री जयशंकर या गृहमंत्री अमित शाह या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहें तो सही माना जाएगा कि डोनाल्ड ट्रंप झूठ बोल रहे हैं. लेकिन, ये तीनों तो इस विषय पर मुंह ही नहीं खोल रहे.