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क्या आपके हेयर केयर प्रोडक्ट्स हो गए हैं एक्सपायर?

Writer- दीप्ति गुप्ता

बाथरूम में लंबे समय से रखे हेयर केयर प्रोडक्ट्स एक समय पर आकर खराब हो जाते हैं. कई बार बोतल से लेबल हट जाता है , जिस वजह से एक्सपायरी डेट पता नहीं चलती. बोतल आधी से ज्यादा भरी  होने के कारण लोग इसे फेंकने से बचते हैं और फिर से इस्तेमाल कर लेते हैं.  यहां कुछ तरीके हैं, जिनसे  आप जान सकते हैं कि आपका प्रोडक्ट एक्सपायर हुआ है या अभी भी आप इसे यूज कर सकते हैं.

ये तो आप जानते हैं कि हर प्रोडक्ट की अपनी शेल्फ लाइफ होती है. एक समय तक की यह अपना असर दिखाता है, एक्सपायर होने के बाद इसका असर नहीं दिखता. कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स की तरह हेयर केयर प्रोडक्ट्स भी एक्सपायर होते हैं. लेकिन क्या करें, जब आपके बालों की देखरेख करने वाला हेयर प्रोडक्ट की डेट खत्म  हो गई हो और आप समझ नहीं पा रहे हैं कि अब ये इस्तेमाल करने लायक है या नहीं. हममें से ज्यादातर लोगों के बाथरूम में आधे अधूरे शैंपू और कंडीशनर होते हैं, लेकिन सभी की एक्सपायरी डेट को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. यदि आपके पस ऐसे प्रोडक्ट्स हैं, जिन्हें आपने पिछले कुछ समय से हाथ तक नहीं लगाया है, तो यहां बताया गया है कि आप कैसे तय कर सकते हैं कि यह प्रोडक्ट एक्सपायर हो गया है कि अभी भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

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टैक्सचर में बदलाव

फॉर्मूला खराब हेने पर जो पहली चीज आप नोटिस केर सकते हैं , वो प्रोडक्ट का अलग दिखना. आप अपेन शैंपू और कंडीशनर होते हैं में एक चिकना तरल पदार्थ देख सकते हैं. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि समय के साथ बैक्टीरिया का निर्माण फॉर्मूला को अलग करना शुरू कर देता है. कभी -कभी आपको शैंपू या कंडीशनर में पानी ज्यादा दिखाई देगा, तो समझ जाएं कि अब ये इसेतमाल करने लायक नहीं है.

अजीब दिखने लगेगा

अगर आपका हेयर प्रोडक्ट टूट सा गया है और थोड़ा अजीब दिखने लगा है, तो इसका मतलब है कि आप इसे यूज नहीं कर सकते. क्योंकि इसकी एक्सपायरी डेट खत्म हो चुकी है. शैंपू, कंडीशनर या मास्क खराब होने के बाद इनमें छोटे-छोटे गुच्छे बनने लगते हैं, जिससे अब ये लगाने में चिकने और अच्छे नहीं लगते. हालांकि ठंडे मौसम में प्रोडक्ट थोड़ा जम जाता है, लेकिन जब इनमें थोड़ा सख्तपन आ जाए, तो समझ लीजिए कि ये खराब हो चुके हैं.

गंध आना

हेयर प्रोडक्ट्स में आमतौर पर खुशबू आती है, जो हमें काफी अच्छी भी लगती है. अगर आपके बालों की देखभाल करने वाले प्रोडक्ट्स में अब पहले की तरह खुशबू नहीं, बल्कि एक अलग गंध आ रही है, तो शायद इसकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है. भोजन की तरह ही किसी भी चीज के खराब होने का पहला संकेत है एक गंदी बदबू आना.

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रंग का बदल जाना

आपके किसी हेयर प्रोडक्ट का रंग अगर हरा हो गया है, तो यह इसके खराब होने का संकेत है. आपको इसे फिर से इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. लेकिन अगर आपको इस प्रोडक्ट को खरीदे हुए समय नहीं हुआ है और इसकी एक्सपायरी डेट भी नहीं निकली है , तो प्रोडक्ट को अच्छी तरह से हिलाएं . कभी-कभी गर्मी अलगाव का कारण बन सकती है. अगर बोतल को हिलाने के बाद भी हरा रंग बरकरार रहे, तो फिर यह खराब हो चुका है.

पहली की तरह काम नहीं करता

अगर आपका प्रोडक्ट पहले जैस काम नहीं कर रहा है, तो संभावना है कि इसकी समय सीमा खत्म  हो गई है. कोई भी हेयर केयर, स्किनहेयर या मेकअप प्रोडक्ट तब ही तक अच्छा है, जब तक की सामग्री एक साथ अच्छी तरह से मिली रहे. अगर आप इनका उपयोग करना बंद कर देते हैं, तो फिर से इस्तेमाल करने से पहले पैकेट पर दी गई एक्सपायरी डेट की जांच जरूर कर लें.

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अगर आपकी बाथरूम में भी बालों की देखभाल करने वाले प्रोडक्ट्स लंबे समय से रखे हैं, तो यहां बताए गए संकेतों पर ध्यान दें. अगर इनकी एक्सपायरी डेट निकल चुकी है, तो इन्हें बिल्कुल भी इस्तेमाल न करें बल्कि तुरंत फेंक दें. एक्सपायर्ड प्रोडक्ट के लगातार उपयोग से खुजली, संक्रमण के अलावा बाल झडऩे की भी समस्या पैदा हो सकती है.

‘वो’ का साइड इफेक्ट

सौजन्य- मनोहर कहानियां

Writer- रविंद्र शिवाजी दुपारगुड़े/के. रवि 

सात जन्मों तक जीनेमरने की सौगंध इंजीनियर रामसिलोचन ने नर्स पूनम के साथ ले तो ली थी, लेकिन मुंबई से 110 किलोमीटर दूरी पर बेहद ही खूबसूरत टूरिस्ट स्पौट माथेरान है. यह महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में है. छुट्टियों के दिनों में वहां अकसर

सैलानियों का आनाजाना लगा रहता है. माथेरान के कई इलाकोंमें सस्तेमहंगे लौज और होटल बने हुए हैं. उस के बाहरी इलाके में बसा हुआ इलाका इंदिरा नगर है. वहां स्थित साईं सदन लौज में 12 दिसंबर, 2021 की सुबहसुबह हड़कंप मच गया.

दरअसल, लौज के एक कमरे की सफाई करते वक्त सफाईकर्मी ने बैड के नीचे एक युवती की लाश देखी थी. लाश निर्वस्त्र थी, लेकिन उस का सिर कटा हुआ था. आसपास कमरे या वाशरूम वगैरह में भी कहीं उस का सिर नजर नहीं आ रहा था. लाश के चारों तरफ खून फैल चुका था. लाश सामान्य कदकाठी की छरहरी काया वाली किसी युवती की थी. सुबहसुबह जिस ने भी कमरे में इस दृश्य को देखा, वह सन्न रह गया.

इस की सूचना लौज के मैनेजर ने तुरंत माथेरान पुलिस को दे दी. इंस्पेक्टर संजय बांगर  ने इस सूचना एसपी अशोक दुधे को दे दी और इंस्पेक्टर स्वर्णा व अन्य पुलिसकर्मियों के साथ लौज में पहुंच गए.

पुलिस अधिकारियों ने कमरे की गहन जांच की. घटनास्थल पर पुलिस ने सूक्ष्मता से जांच की और मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. फोरैंसिक टीम ने भी वहां से आवश्यक सबूत जुटाए.

लाश के हाथ पर बने टैटू को ब्लेड या किसी नुकीली चीज से खुरचने के जख्म बने हुए थे. सिर कटी लाश की पहचान के लिए सब से पहले पुलिस ने लौज के रजिस्टर की जांच की.

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रजिस्टर में लौज के उस कमरे में ठहरने वाले के 2 लोगों के नाम दर्ज थे. एक नाम अमजद खान और दूसरा रुबीना बेगम का था. रजिस्टर के मुताबिक दोनों पतिपत्नी थे. उन्होंने 11 और 12 दिसंबर के लिए कमरा बुक करवाया था. अपना पता मुंबई में अंधेरी (वेस्ट) का दिया था.

पुलिस ने तुरंत मुंबई के उस पते की जानकारी मंगवाई. जवाब चौंकाने वाला मिला. कारण, उस पते पर उन नामों का कोई शख्स नहीं रहता था. इस से यह स्पष्ट हो गया कि लौज में दी गई जानकारी जानबूझ कर गलत दी गई थी. पुलिस को यह भी आशंका हुई कि शायद वे पतिपत्नी भी नहीं होंगे.

फिर भी अहम सवाल था कि आखिर जिस युवती का शव मिला था, उस का सिर नहीं था और न ही उस के कोई कपड़े, तो फिर लाश किस की हो सकती थी? हो सकता है कि लाश लौज के उस कमरे में ठहरने वाले के अलावा किसी तीसरे की हो. उसे इस कमरे में ठहरे लोगों ने ही हत्या कर दी हो और फरार हो गए हों.

पुलिस के सामने समस्या लाश की पहचान करने की थी. रजिस्टर चैक करने के बाद पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की जांच शुरू कर दी. सीसीटीवी फुटेज से दोनों के बारे में कुछ जानकारी मिली, उस आधार पर जांच की प्रक्रिया आगे बढ़ी

11 दिसंबर, 2021 की सीसीटीवी फुटेज में एक युवती और एक युवक के लौज में आने के कई दृश्य थे. फुटेज के एक दृश्य में युवती मास्क लगाए दिखी. उस के साथ युवक भी मास्क लगाए हुए था. युवक की पीठ पर एक बैग था और लड़की के हाथ में एक छोटा सा थैला नजर आ रहा थ.

अगले रोज 12 दिसंबर की फुटेज में तड़के लौज से बाहर जाता हुआ वही युवक दिखाई दिया. वह तेजी से जा रहा था. उस की पीठ पर वही बैग था, जो पहले दिन के फुटेज में था. उतनी सुबह उस युवक का लौज से जाना पुलिस के लिए अहम सुराग था.

इस शक के आधार पर पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी. उस का पता लगाना पुलिस के लिए चुनौती थी.

खाई में मिला सिर

पुलिस ने उसी फुटेज के आधार पर तफ्तीश शुरू की. दृश्य में उस युवक के जाने की दिशा में पुलिस बल आसपास छानबीन करने लगी. झाडि़यों और पेड़ों के बीच से गुजरने वाले रास्ते के दोनों ओर पैनी नजर गड़ाए हुए पुलिस टीम आगे बढ़ती रही.

कुछ दूरी पर रेलवे ट्रैक दिख गया. उस के पास ही करीब 250 फुट गहरी खाई थी. पुलिस टीम उस खाई में उतर कर छानबीन करने लगी. वहां कुछ दूरी पर ही खून से सना एक पौलिथीन दिखा.

पुलिस ने तुरंत पौलिथीन को कब्जे में ले लिया. पौलिथीन खोली तो उस में एक युवती का कटा सिर मिला. उसे देख कर पुलिस को विश्वास हो गया कि कटा सिर उसी युवती का है, जिस का धड़ लौज के कमरे में मिला था. उस के बाद पुलिस सिर के आधार पर लड़की की पहचान करने में जुट गई.

पुलिस टीम ने इसी के साथसाथ इलेक्ट्रौनिक सर्विलांस और पैसे के ट्रांजैक्शन के आधार पर मालूम कर लिया कि दोनों विवाहित कपल थे. उस के मुताबिक उन के नाम भी बदले हुए थे.

अब सवाल यह उभरा था कि आखिर ऐसी क्या वजह थी, जो युवती का इतनी बेरहमी से कत्ल कर दिया गया.

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हत्या भी बड़ी बेरहमी से की गई थी. शव के 2 टुकड़े कर दिए गए थे. जो निश्चित तौर पर गला घोंटने या बेहोश करने के बाद किए गए होंगे. शव के दोनों टुकड़े को अलगअलग जगहों पर ठिकाने लगाया गया था.

रायगढ़ जिले के एसपी अशोक दुधे ने पुलिस टीम को कटे सिर से एक बार फिर फुटेज मिलान करने को कहा. ऐसा कर पुलिस उस तक पहुंच गई, जो एक युवक फुटेज में पीठ पर बैग टांगे हुए था.

सीसीटीवी कैमरों की जांच में वही युवती उसी युवक के साथ जाती हुई नजर आई. इसी तसवीर के सहारे सभी लौज और होटलों की जांच की गई, तब आरोपी को पनवेल से गिरफ्तार कर लिया गया. उस की पहचान रामसिलोचन पाल के रूप में हुई, जो न्यू पनवेल इलाके में रहता था.

रामसिलोचन से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि मृतका उस की पत्नी पूनम पाल थी.

दोनों की शादी हाल ही में हुई थी. रामसिलोचन ने अपनी नवविवाहिता की हत्या की जो कहानी बताई, वह सहकर्मी के रोमांस पर रचीबसी निकली—

पूनम जिस अस्पताल में नौकरी करती थी, वह उस के मायके के नजदीक था, इसलिए वह अकसर मायके में ही रहती थी. वीकेंड पर 2 दिन के लिए ही वह पति के पास आ पाती थी. फिर वे 2 दिन किसी लौज में बिताते थे.

पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार दोनों वीकेंड की छुट्टियां मनाने 11 दिसंबर, 2021 को माथेरान गए थे. ऐसा वे पहले भी करते रहे थे. किंतु पहली बार रामसिलोचन ने मुंबई से काफी दूर टूरिस्ट स्पौट पर जाने का प्रोग्राम बनाया था.11 दिसंबर को साढ़े 7 बजे दोनों ने माथेरान के इंदिरानगर इलाके के साईं सदन लौज में एक कमरा बुक किया था. वहां से 12 दिसंबर की सुबह 8 बजे निकलने वाले थे.

मुंबई के एक आईटी कंपनी में काम करने वाला 30 वर्षीय सौफ्टवेयर इंजीनियर रामसिलोचन पाल की अरेंज मैरेज मलाड की रहने वाली 27 वर्षीया पूनम पाल से हुई थी. पूनम एक निजी अस्पताल में नर्स थी.

वैसे तो दोनों के परिवार उत्तर प्रदेश में संत रविदास नगर (भदोही) के मूल निवासी थे, लेकिन लंबे समय से मुंबई के अलगअलग इलाकों में रह रहे थे. कोरोना के दूसरे फेज की लहर खत्म होते ही 21 मई, 2021 को उन की शादी हो गई थी.

शादी के बाद भी रहते थे अलगअलग

रामसिलोचन एक नर्स पत्नी को पा कर बेहद खुश था. वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही समझदार और सलीकेदार भी. इसी तरह से पूनम भी खुद से बड़े ओहदे वाले इंजीनियर पति से काफी प्रभावित थी.

दोनों मुंबई के अलगअलग इलाके में जौब करते थे. वैसे रामसिलोचन बेलापुर की एक आईटी कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था, वह अपने मातापिता के साथ पास के ही न्यू पनवेल इलाके में रहता था. दोनों के घरों के बीच की दूरी 54 किलोमीटर से अधिक थी. इस कारण शादी के बाद भी वे दांपत्य जीवन एक साथ शुरू नहीं कर पाए थे. उन का मिलना वीकेंड में ही हो पाता था.

कभी रामसिलोचन अपनी पत्नी के पास मलाड चला जाता था, तो कभी पूनम अपने पति के पास न्यू पनवेल रहने के लिए चली आती थी.

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इस तरह दोनों 2 दिनरात साथ गुजार कर सोमवार को अपनेअपने काम पर लौट आते थे. कहने को तो वे 2 दिनों तक साथसाथ रह लेते थे, लेकिन उन्हें छोटे से घर में पर्सनल लाइफ का वह माहौल नहीं मिल पाता था, जैसा हर नवविवाहित जोड़ा कल्पना करता है. यह कहें कि दिल तो मिल गया था, लेकिन मानसिक संतुष्टि नहीं मिल पाई थी.

मुंबई में भागमभाग के माहौल में उन की सैक्स लाइफ पर प्रोफेशनल लाइफ भारी पड़ती जा रही थी. इसे कम करने का दोनों ने एक अलग तरीका निकाल लिया था.

उन्होंने शांतएकांत जगह पाने के लिए 2 दिनों तक किसी होटल या लौज में रहने की योजना बनाई. वे चाहते थे कि कुछ समय पारिवारिक झंझटों और शोरशराबे से दूर रहते हुए अपनी पर्सनल लाइफ को यादगार और शानदार बना लें.

इस का जब सिलसिला शुरू हुआ, तब वे किसी टूरिस्ट प्लेस पर घूमने और ठहरने के लिए मनपसंद जगह पर जाने लगे. पहले तय कार्यक्रम के अनुसार दोनों अकसर हर वीकेंड पर किसी लौज में 2 दिनों के लिए कमरा बुक करवा लिया करते थे.

मन में बैठ गया शक

नवंबर के महीने में एक वीकेंड पर दोनों साधारण लौज में ठहरे हुए थे. दीपावली का त्यौहार नजदीक था. वे आसपास के इलाके से घूमफिर कर रात के करीब 10 बजे लौज के कमरे में आ गए थे. जो कुछ खरीदारी की थी, वह सब एकएक कर अपने थैले से निकालते हुए दिखाने लगे थे.

‘‘अरे यह टाई तुम ने मेरे लिए खरीदी? कब ली?’’ रामसिलोचन टाई का पैकेट हाथ में ले कर बोला.

‘‘नहीं, यह तुम्हारे लिए नहीं है. यह हमारे हौस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डाक्टर के लिए है. उन का 2 दिन बाद बर्थडे है. मैं उन्हें गिफ्ट देना चाहती हूं,’’ पूनम बोली.

‘‘और मेरे लिए?’’ रामसिलोचन ने पूछा.

‘‘तुम्हारा गिफ्ट! मैं कम हूं क्या?’’ कहती हुई पूनम हंसने लगी. फिर बोली, ‘‘अच्छा बताओ, तुम ने मेरे लिए क्या खरीदा?’’

‘‘कुछ नहीं.’’

‘‘मेरे लिए कुछ नहीं, और मुझ से उम्मीद लगाए बैठे हो. देखो, मेरी सैलरी तुम से कम है,’’ पूनम ने शिकायत की.

‘‘हांहां, मेरी सैलरी अधिक है इस का मतलब यह थोड़े है कि फिजूलखर्ची करता रहूं. 2 दिन लौज में ठहरने और खानेपीने का खर्च कम आता है क्या?’’ रामसिलोचन बोला.

‘‘अरे, तुम तो लगे हिसाबकिताब करने. छोड़ो इन बातों को, यह बताओ कि तुम्हारे औफिस में कितनी लड़कियां काम करती हैं?’’ पूनम ने बात बदलने की कोशिश की.

‘‘हैं न कई लड़कियां, आधी से अधिक तो होंगी ही. सभी सौफ्टवेयर इंजीनियर हैं,’’ रामसिलोचन बोला.

‘‘किसी से तो अच्छी फ्रैंडशिप होगी ही.’’

‘‘हां, है क्यों नहीं, लेकिन वह सब प्रोफेशनल फ्रैंडशिप है. फ्रैंडशिप औफिस तक ही रहती है. उस के बाद तो वह कहां, और मैं कहां.’’ रामसिलोचन बोला.

इसी बीच पूनम अपने एक थैले से छोटा सा पैकेट निकाल कर उस के हाथ पर रखते हुए बोली, ‘‘यह रहा तुम्हारा गिफ्ट.’’

‘‘अरे वाह, तुम ने तो सच में मुझे सरप्राइज दे डाला,’’ रामसिलोचन बोलते हुए पैकेट खोलने लगा.

पैकेट में उस के पसंद के महंगे परफ्यूम की 2 शीशियां थीं. वह बोला, ‘‘तुम्हारा गिफ्ट बहुत पसंद आया. अब मैं भी तुम्हें एक सरप्राइज देना चाहता हूं. आंखें बंद करो.’’

बातोंबातों में पत्नी ने बता दी हकीकत

उस के कहने पर पूनम ने आंखें बंद कर लीं. रामसिलोचन ने अपनी जेब से एक छोटी डब्बी निकाली और उस की हथेली पर रख दी.

पूनम ने जब आंखें खोलीं, तब महंगी अंगूठी देख कर हतप्रभ रह गई.

झट पति के गले लग गई. भावुक हो बोली, ‘‘तुम कितने अच्छे हो. बहुत ही सुंदर अंगूठी है.’’

कुछ पल पत्नी की पीठ सहला कर रामसिलोचन ने उसे खुद से अलग किया, फिर अंगूठी उस की अंगुली में पहनाने लगा. पूनम उसे प्यार से देखने लगी. रामसिलोचन बोला, ‘‘पूनम, मैं तुम से एक बात पूछूं. सचसच बताना.’’

‘‘क्या? पूछो न, जो पूछना है. वैसे भी मैं ने अपने बारे अभी तक जो भी बताया है वह सब सच है,’’ पूनम बोली.

‘‘इस से पहले तुम्हें किसी ने ऐसी कोई गिफ्ट दी है?’’

‘‘हां, दी है न. संयोग से उस ने भी मुझे अंगूठी ही गिफ्ट में दी थी,’’ पूनम बोली.

‘‘तब तो तुम खुशी से उस के भी गले लग गई होगी. वैसे कौन था वह?’’

‘‘गले लगने की बात करते हो, मैं तो उस का गिफ्ट पा कर इतनी खुश हो गई थी कि खुशी में उसे चूम लिया था,’’ पूनम ने बताया.

‘‘कौन था वह खुशनसीब?’’ रामसिलोचन ने सहज भाव से पूछा.

‘‘अरे था कोई, अब वह मेरी जिंदगी से जा चुका है. हम ने कभी साथसाथ मैडिकल की तैयारी की थी. दोनों ने डाक्टर बनने का सपना देखा था.

वह तो डाक्टर बन गया, लेकिन मेरा एडमिशन मैडिकल कालेज में नहीं हो पाया और मैं पीछे रह गई. फिर मैं ने नर्सिंग की पढ़ाई कर ली. छोड़ो भी, अब जाने दो उन बातों को,’’ पूनम रुकरुक कर बोलती चली गई.

‘‘उस की अंगूठी का क्या किया? अभी भी याद आती है न उस की?’’ रामसिलोचन धीरेधीरे पूनम को अपने विश्वास में ले चुका था.

वह उस की बीती जिंदगी के बारे में जानने के लिए व्याकुल था. आज उसे छेड़ कर उस की जिंदगी में झांकने का अच्छा मौका मिल गया था.

बातोंबातों में पूनम ने अपने पूर्व प्रेमी के बारे में पूरी बात बता दी. यह भी बताया कि वह गैरजाति का था, इसलिए शादी नहीं हो पाई. हाथ पर पूनम ने उस की पसंद का टैटू भी बनवा रखा था. वह मराठी था, जबकि पूनम पूर्वांचल की रहने वाली. मुंबई में वैसे भी मराठी परिवार यूपी के लोगों से खुद को अलग रखने की कोशिश करते हैं.

पूनम ने बताया कि किस तरह से लौकडाउन के दिनों में उस ने उस की मदद की थी और उसे डिप्रेशन से बाहर निकाला था. इसलिए वह उस की एक तरह से एहसानमंद भी है.

रामसिलोचन ने उस से मिलवाने की इच्छा जताई, लेकिन पूनम ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. इसी के साथ उस ने बताया कि उस की भी बीते 21 मई को शादी हो चुकी है.

रामसिलोचन को पत्नी की बातों पर शक हो गया. इस के बाद उस ने खुद ही पत्नी के क्रियाकलापों की जांच करनी शुरू कर दी.

इस पड़ताल में उसे पता चला कि पूनम जिस अस्पताल में नौकरी करती है, वहीं के एक डाक्टर के साथ उस का काफी दिनों से चक्कर चल रहा है. जबकि उस ने उस डाक्टर के बारे में कुछ नहीं बताया था. अपना पूर्वप्रेमी उस ने किसी और को बताया था.

इस से रामसिलोचन को गुस्सा आ गया. वह पत्नी को धोखेबाज समझने लगा. अब उस के मन में पत्नी के प्रति नफरत भर गई. इस नफरत ने उस के दिमाग में अपराध का बीज अंकुरित कर दिया. यानी उस ने तय कर लिया कि वह ऐसी धोखेबाज औरत को सबक सिखा कर रहेगा.

रामसिलोचन ने पत्नी की हत्या की योजना पहले ही बना ली थी. योजना के अनुसार, उस ने लौज में गलत नाम और पता लिखवाया था. इस का पूनम को भी पता नहीं चलने दिया था.

इस के लिए रामसिलोचन ने क्राइम फिल्में और शोज देख कर हत्या की साजिश रची थी. इतना ही नहीं, उस ने यह भी कोशिश की थी कि वह सारे सबूत मिटा दे. चाहे वो घटनास्थल पर वाले सबूत हों या फिर मोबाइल फोन से जुड़ी लोकेशन की.

इस के लिए उस ने 11 दिसंबर को अपने घर यानी न्यू पनवेल से निकलते समय अपना फोन बंद कर दिया था. ताकि उस की आखिरी लोकेशन घर की ही रहे. उस के बाद जब तक उस ने घटना को अंजाम दिया तब तक फोन बंद रखा.

लौज में उस ने पत्नी की चाय में नींद की गोली मिला दी थी. जैसे ही पूनम को नींद आई तो रामसिलोचन ने साथ लाए चाकू से उस की गरदन काट कर धड़ से अलग कर दी. और उस के सारे कपड़े भी उतार दिए ताकि उस की शिनाख्त न हो सके.

उस के हाथ पर जो टैटू बना था, वह भी उस ने चाकू से खुरचने की कोशिश की. इस के अलावा पत्नी के कटे हुए सिर को रेलवे ट्रैक के किनारे खाई में फेंकने के बाद उस फोन को भी किसी दूसरे सुनसान जगह पर फेंक दिया.

बहरहाल, इंजीनियर पति ने पत्नी की हत्या के बाद बचने के चाहे जितनी भी कोशिश की हो, लेकिन टेक्नोलौजी और पुलिस की तेजी से की गई तफ्तीश से 24 घंटे के भीतर मामले को निपटा लिया गया.

यह वारदात वैसे नवदंपतियों के लिए एक सबक है, जो अपने पिछले राज को साथ लिए चलते हैं और बेवजह शक की बुनियाद बना लेते हैं. पुलिस ने रामसिलोचन से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जंक फूड को हेल्दी बनाने के कुछ शानदार टिप्स

Writer- दीप्ति गुप्ता

पिज्जा, बर्गर और नूडल्स सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाला जंक और फास्ट फूड हैं. इनके लाजवाब स्वाद के कारण बच्चे तो क्या बड़े भी इन्हें बड़े चाव से खाते हैं. हालांकि इसमें मिलाई जाने वाली सब्जियों के कारण ज्यादातर लोग इसे हेल्दी मानते हैं, लेकिन सच मानिए तो ये पूरी तरह से अनहेल्दी होते हैं. हालांकि विशेषज्ञ इसमें हेल्दी इंग्रीडिएंट्स मिलाए जाने का दावा करते हैं, लेकिन इसमें मौजूद कैलोरी और सैचुरेटेड फैट की अधिक की मात्रा के चलते ये सभी आपके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हैं. ऐसा माना जाता है कि दिन में 2000 कैलोरी तक कैलोरी की मात्रा का प्रबंधन करने से आपको शरीर के वजन को प्रबंधित करने में मदद मिलेगी, लेकिन पिज्जा और बर्गर से भरी प्लेट आपकी सभी डाइट प्लान को बर्बाद कर सकती है. हम मानते हैं कि जंक फूड से बचना बहुत मुश्किल  है, इसलिए यहां कुछ जीनियस हैक्स दिए गए हैं, जिनसे आप अपनी भूख को संतुलित कर अपने पसंदीदा जंक फूड को घर पर ही टेस्टी और हेल्दी बना सकते हैं.

पकाने का तरीका

आप कोई भी पकवान कैसे बनाते हैं, स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत जरूरी है. बात अगर बर्गर की करें, तो आप पैटी को तेल में तलने के बजाय ग्रिल या डीप फ्राई कर सकते हैं. तली हुई पैटी में तेल की मौजूदगी के कारण यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है. इस प्रकार घर पर पैटी को बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसे या तो ग्रिल करें या फिर एयर ड्राय करें. इसी तरह आप पिज्जा में अतिरिक्त तेल का इस्तेमाल करने के बजाय इसे बेक कर सकते हैं.

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खुद घर में आटा बनाएं

बाजार में मिलने वाला ज्यादातर जंक फूड मैदा से बना होता है. जाहिर तौर पर यह हमारे स्वास्थ्य को बहुत नुकसान पहुंचाता है. हो सकता है कि घर में इन जंक फूड्स को बनाने की तैयारी करना थोड़ा मुश्किल हो, लेकिन यह असंभव नहीं है. आप घर में गेहूं का आटे का उपयोग करके नूडल्स बन सकते हैं. इसी तरह पिज्जा और बन के आटे को हेल्दी बनने के लिए गेेहूं के आटे का इस्तेमाल करके घर में ही बेक किया जा सकता है. बता दें कि रिफाइंड आटे में साबुत गेहूं के आटे या अन्य अनाज आधारित आटे की तुलना में अधिक मात्रा में कार्ब होता है.

फैट को कम  करें

चीज, पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स में फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और जंक या फास्ट फूड में ज्यादातर इन्हीं का इस्तेमाल होता है. ऐसे में आप पिज्जा को स्वादिष्ट बनाने के लिए प्रोसेस्ड चीज की जगह पर होममेड मोजेरेला चीज या कॉटेज चीज का उपयोग कर सकते हैं. अगर आपको बर्गर में पनीर शामिल करना है, तो लो फैट पनीर का ऑप्शन चुनें. इनमें डाले जाने मसालों की जगह आप दही, खसखस, लो फैट क्रीम से घर का बना डिपर तैयार कर सकते हैं. इससे आप फैट से भरपूर मसालों का सेवन करने से बच जाएंगे.

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यहां बताए गए टिप्स आपके जंक और फास्ट फूड को हेल्दी बनाने के लिए बहुत अच्छे हैं. इससे न केवल भोजन स्वस्थ बनेगा बल्कि इसका स्वाद भी दोगुना बढ़ जाएगा. अगर आप भी जंक फूड के दीवाने हैं, तो इन टिप्स को ट्राय करें और स्वस्थ रहें.

रोड सेफ्टी ‘‘बी द बेटर गाई’’

दिल्ली के कनॉट प्लेस का एक लेट नाईट दृश्य है, जिस में एक महिला जाने माने कैफे से हाथ में काफी का कप लेकर निकलती है. और इधरउधर देखे बिना अपनी गाड़ी में बैठ जाती है. हाथ में कॉफी का कप लेकर ही गाड़ी को स्टार्ट करती है. न सीट बेल्ट पहनती है और न चेहरे पर मास्क लगाती है. और सैकंडों में तेज स्पीड में गाड़ी को लेकर निकल जाती है. ये नजारा देख मैं घबरा जाती हूं. क्योंकि मेरी कार में मेरे साथ मेरे हस्बैंड व बच्चे जो थे. एक महिला होने के नाते जब मैं रोड सेफ्टी के बारे में अच्छे से समझ कर उस के नियमों का पालन करती हूं तो फिर इस महिला को भी इसे समझना चाहिए. क्योंकि इन की छोटी सी लापरवाही इन के साथसाथ दूसरों के लिए भी बड़ी मुसीबत का सबब बन सकती है. बात सिर्फ एक महिला या फिर एक पुरुष की ही नहीं है, बल्कि देश के हर नागरिक को रोड सेफ्टी के नियमों का पालन करना चाहिए. ऐसे मेंं थैंक गाड टु हुंडई मोटर इंडिया, जिस ने रोड सेफ्टी के अंतर्गत ‘बी द बेटर गाई’ अवेयरनेस कैंपेन चलाया है ताकि किसी की सेफ्टी के नियमों को समझ कर उस का पालन करें.

‘मेरा नाम पुष्पा है, मुझे शुरुआत में गाड़ी चलाने का कोई अनुभव नहीं था. लेकिन मेरे हस्बैंड को जॉब के कारण बहुत जल्दी-जल्दी बाहर जाना पड़ता था, ऐसे में कभी स्कूल वैन नहीं आने के कारण बच्चों को स्कूल से लाने के लिए कभी कैब का लंबा इंतजार करना पड़ता था तो कभी हड़बड़ी में मेरे साथ हादसा होतेहोते बचा. ऐसे में मुझे एहसास हुआ कि कब तक इस के लिए दूसरों पर निर्भर करूंगी, मुझे अब खुद ड्राइव करना सीखना होगा. क्योंकि घर में कार, स्कूली सब है, लेकिन हस्बैंड के बिना ये वाहन बस खड़े के खड़े ही हैं और काम के वक्त पर भी किसी काम के नहीं हैं. ऐसे में मैं ने एक्सपर्ट से ड्राइव करनी सीखी और आज मैं सडक़ों पर आराम से ड्राइव कर रही हूं. बस इस बीच मन में यही डर रहता है कि मैं तो आराम से सब का ध्यान रख कर गाड़ी चला रही हूं, लेकिन सडक़ पर अपनेअपने वाहनों से निकले कुछ लोग इस बात का जरा भी ध्यान नहीं रखते, जिस से हर समय मन में बस हादसे का डर बना रहता है.’

एक सडक़ हादसे की शिकार शिखा भी हुई. उस का हंसताखेलता परिवार बिखर गया. असल में एक दिन वह पास की मार्केट में अपनी गाड़ी से घर का सामान लेने गई. वह मार्केट के काफी निकट ही थी कि पीछे से तेज रफ्तार में आती गाड़ी ने उस की गाड़ी को टक्कर मार दी. उस ने सीट बेल्ट यह सोच कर नहीं पहनी थी कि पास ही तो जो रही हूं. इस हादसे में दिमाग में चोट लगने के कारण उस ने अपना मानसिक संतुलन खो दिया. वह क्या सोच कर घर से निकली थी और क्या से क्या हो गया. एक लापरवाही भरे सडक़ हादसे से उस की ङ्क्षजदगी क्या से क्या हो गई. यही नहीं बल्कि हर रोज न जाने कितने लोग सडक़ दुर्घटना का शिकार होते हैं. ऐसे में हुंडई का ‘बी द बेटर गाई’ कैंपेन लोगों को रोड सेफ्टी नियमों के बारे में जागरूक कर के हादसों में कमी लाने में मददगार साबित होगा.

रेखा जो रोज ऑफिस अपनी गाड़ी से जाती थी, लेकिन रास्ते की ढेरों परेशानियों का सामना करते हुए. कभी कोई तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हुए उसे डरा जाता था, तो कभी गलत तरीके से वाहन चलाने के कारण रास्ते में जाम के कारण घंटों इंतजार करना पड़ता था.

एक दिन तो रेखा ने जो अपनी नजरों से देखा, उसे देख आज भी उस का दिल सहम उठता है. असल में एक महिला अपने छोटे बच्चे के साथ रेड लाइट होने पर रोड क्रॉस कर रही थी कि अचानक से पीछे से रेड लाइट होने के बावजूद भी बिना हॉर्न मारे एक बाइक वाला महिला व बच्चे को रौंद कर चला गया. ये सब देख वह पूरी तरह से कांप उठी. और तब से आज तक उसके मन में डर बैठ गया है. और ये कोई पहली आखिरी घटना नहीं है, बल्कि इस तरह की घुटनाएं आए रोज घटित होती हैं. ऐसे में ये कैंपेन लोगों को नई सीख देने का काम करेगा.

इस संबंध में फरीदाबाद के एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के इमरजेंसी सॢवसेज के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. सतीश चाकू बताते हैं कि लोगों के द्वारा रोड सेफ्टी नियमों का पालन नहीं करने की वजह से एम्बुलेंस को भी समय पर मरीज तक पहुंचने व उसे हॉस्पिटल पहुंचाने में देरी का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से स्थिति को संभालना कई बार काफी मुश्किल हो जाता है. और बहुत बार तो लोग एम्बुलेंस को सीरियस लेते ही नहीं है. उन्हें लगता है कि हम क्यों रास्ता दें, जो बिलकुल गलत धारणा है. ऐसे में रोड सेफ्टी नियमों के तहत जागरूकता की बहुत जरूरत है.

ऐसे में हुंडई के स्पैशल कैंपेन के अंतर्गत कौन सी बातें हैं, जिन्हें रोड सेफ्टी नियमों के अंतर्गत अमल में लाना चाहिए, आइए जानते हैं –

ऑलवेज वियर सीट बेल्ट

गाड़ी में चाहे शार्ट ड्राइव पर जाने की बात हो या फिर लौंग ड्राइव पर, सीट बेल्ट को नजरअंदाज न करें. फिर चाहे आप ड्राइव कर रहे हों या फिर साथ वाली सीट पर बैठे हों. ये सोच कर हमेशा सीट बेल्ट पहनें कि ये हमें सेफ्टी नियमों का पालन करने के साथ साथसाथ हमें व हमारे अपनों को सुरक्षित भी रखने का काम करेगी, क्योंकि जब किसी कारणवश गाड़ी अचानक से किसी चीज से टकरा जाती है, तो वाहन के अंदर बैठे व्यक्तियों को तेजी से आगे की ओर झटका लगने के कारण व्यक्ति के सिर में भी चोट लग सकती है. ऐसे मेंं सीट बेल्ट बड़े हादसे से काफी हद तक बचाने का काम करती है.

अवोइड डिस्ट्रैक्शन

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी, ये तो आपने सुना ही होगा. ऐसे में वाहन चलाते वक्त ज्यादा एन्जॉयमेंट में न आएं. जैसे गाड़ी चलाते हुए फोन पर बात करना, गाड़ी चलाने से ज्यादा आसपास के लोगों से बातें करना इत्यादि. क्योंकि जरा सा ध्यान हटने से बड़ी दुर्घटना घटने मेंं समय नहीं लेता है. हो सकता है कि आप की इस लापरवाही का खामियाजा दूसरे को अपनी जान गवां कर देना पड़े. इसलिए सेफ्टी नियमों के तहत वाहन चलाते वक्त किसी भी तरह के डिस्ट्रैक्शन को अवोइट करें.

डोंट ङ्रिंक एंड ड्राइव

हमारी गाड़ी है तो फैसला भी हमारा होगा कि हमें कैसे अपनी गाड़ी को चलाना है. पीकर ड्राइव करनी है या बिना पीए. बता दें कि भले ही गाड़ी आप की है, लेकिन रोड सेफ्टी नियमों के अंतर्गत अगर आप शराब पी कर गाड़ी चलाते हैं तो आप पर जुर्माना लगने के साथसाथ आप को सजा भी हो सकती है. इसलिए खुद भी सेफ रहें और दूसरों को भी सेफ रखें. इस के लिए जरूरी है इस बात पर अमल करने की कि डोंट ङ्क्षड्रक एंड ड्राइव.

रोंग वे ड्राइविंग

हमारे हाथ में गाड़ी क्या आ गई या फिर हम गाड़ी के मालिक क्या बन गए कि हम अब सडक़ पर चलने वाले वाहनों या फिर लोगों को अपने आगे कुछ नहीं समझेंगे. अगर आप ऐसा सोचते हैं तो खुद को बदल डालें. क्योंकि आपकी रोंग वे ड्राइङ्क्षवग मुसीबत का कारण बन सकती है. इसलिए ओवर स्पीड गाड़ी न चलाएं. इपनी धुन में गाड़ी न चलाएं बल्कि सडक़ पर चलने वाले लोगों को ध्यान में रख कर स्पीड को मैंटैन रख कर गाड़ी चलाएं, अपनी लेन का ध्यान रखें, लाइट को क्रॉस न करें. इस से आप खुद के साथसाथ औरों की सुरक्षा का भी ध्यान रख पाएंगे.

कम उम्र में ड्राइविंग को प्रोत्साहित न करें

हमारे पास तो पैसों की कोई कमी नहीं है, इसलिए हमारे बच्चों के एक कहने भर से कई बार उन्हें छोटी उम्र में ही उन के स्पेशल डे पर उन्हें गाड़ी गिफ्ट कर देते हैं. जिस से बच्चों के हाथ तो मानो ऐसा खजाना लग जाता है, जिस की कल्पना भी उन्होंने नहीं की होती. ऐसे में जवानी के जोश के चक्कर में ये रैश ड्राइङ्क्षवग करने में पीछे नहीं रहते और बाकी सेफ्टी नियमों का पालन करने की तो बहुत ही बहुत दूर की होती है. उन्हें तो बस टशन दिखाने के लिए सब करना है, भले ही उन का ये टशन दूसरों पर भारी पड़ जाए. ऐसे में आप कम उग्र में ड्राइङ्क्षवग को प्रोत्साहित न करें. बल्कि सही उम्र आने पर ही उन्हें ड्राइङ्क्षवग करने दें.

पैदल चलने वालों का खयाल रखना

हम तो गाड़ी में है, इसलिए पैदल चलने वालों पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता. हम तो बस तेज स्पीड में गाड़ी को दौड़ाते हैं, कभी टशन में भी स्पीडब्रेकर पर गाड़ी को लेकर चड़ जाते है. हमारी गाड़ी की तेज रफ्तार पैदल चलने वालों को भी कई बोर चोटिल कर देती है. उन में हमेशा खौफ रहता है कि सडक़ पर चलते हुए कहीं हमें कोई तेज रफ्तार गाड़ी रौंद कर न चली जाए. इसलिए आप गाड़ी में बैठ कर खुद को शहंशाह न समझें बल्कि अपनों की केयर करने की तरह ही पैदल चलने वालों को भी ख्याल रखें.

वियर मास्क

गाड़ी में है तो मास्क क्यों लगाना, अगर हर कोई ऐसा ही सोचेगा तो स्थिति और ज्यादा बिगड़ सकती है. इसलिए जरूरी है हैल्थ और हाइजीन वे से, मास्क व सोशल डिस्टेंङ्क्षसग का पालन करने की.

कार सैनिटाइजेशन

आज समय की डिमांड है कि खुद को बीमारियों से बचाने के लिए समयसमय पर कार को सैनिटाइज करने की ताकि आप व आपके अपने सेफ रहें.

ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि अगर हर कोई ‘बी द बेटर गाई’ अवेयरनेस कैंपेन के अनुसार ड्राइङ्क्षवग करने की कोशिश करेगा तो रोड एक्सीडेंट्स में निश्चित ही कमी देखने को मिलेगी.

इन बातों का रखें ध्यान

जब भी आप की गाड़ी में आपका बच्चा बैठा हो, तो आप चाइल्ड लॉक जरूर लगाएं. ताकि आपके बच्चे की सुरक्षा पर आंच न आए. इस बात का भी ध्यान रखें कि जब भी गाड़ी से आप उतरें तो एक बार पीछे जरूर देख लें कि कोई पीछे से या पास से तो नहीं आ रहा है ताकि हादसा होने से बच सके. साइड व्यू मिरर और रियर व्यू मिरर को ठीक से सेट कर के रखें ताकि आप को पीछे व साइड से आने वाले लोगों के बारे में पता चल सके.

कब क्या जरूरत पड़ जाए, कहां नहीं जा सकता. ऐसे में अगर आप प्रैगनैट हैं और आप को किसी कारणवश ड्राइव करनी पड़ रही है तो आप अपनी गाड़ी पर ‘प्रैगनैंट ऑन बोर्ड’ नामक स्टीकर लगा लें. जिससे आसपास वाले ध्यान रख कर गाड़ी चलाएं. ठीक इसी तरह अगर आप लर्नर हैं तो ध्यान रखें कि आप किसी एक्सपर्ट के साथ ही गाड़ी चलाएं और आपकी गाड़ी पर लर्नर का स्टीकर भी हो. ताकि आसपास वाले लोग संभल कर चलें. आप भी संभल कर गाड़ी चलाएं.

होली पार्टी में पति Vicky Jain पर भड़कीं अंकिता लोखंडे

टीवी की मशहूर एक्ट्रेस अंकिता लोखंडे (ankita lokhande) अपनी मैरिड लाइफ को लेकर सुर्खियों में छायी रहती हैं. एक्ट्रेस अक्सर अपने पति विकी जैन के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. शादी के बाद दोनों ने एक-दूसरे के साथ पहली होली सेलिब्रेट की. ऐसे में एक वीडियो सामने आया है जिसमें अंकिता लोखंडे अपने पति पर भड़कते हुए नजर आ रही हैं.

हाल ही में एक टीवी रिएलिटी शो में अंकिता अपने पति की जमकर तारीफ करती नजर आ रही थी. लेकिन अब उनका एक ऐसा वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह विक्की जैन पर भड़कती हुई नजर आ रही हैं. ये वीडियो होली पार्टी का है. जो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.

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बता दें कि अंकिता और विक्की ने इस होली पर पार्टी रखी थी, जिसमें कई सेलिब्रिटी शामिल हुईं. इस दौरान डांस करते-करते अंकिता अचानक विक्की पर भड़कती नजर आईं तो वहीं  विक्की उन्हें शांत होने के लिए कह रहे हैं. वीडियो में अंकिता का आवाज क्लियर नहीं है, लेकिन ये देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अर्चना अपने पति से बहुत नाराज हैं.

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इस वीडियो के वायरल होने के बाद अब यूजर्स तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं. एक यूजर ने तो ये लिखा, असलियत यही है, बाकि सब दिखावा है.

 

बता दें कि अर्चना और विक्की टीवी शो ‘स्मार्ट जोड़ी’ में नजर आ रहे हैं, जहां दोनों एक-दूसरे की तारीफ करते दिखाई देते हैं. अर्चना ये भी कह चुकी हैं कि विक्की ने उनके सबसे मुश्किल वक्त में भी संभाला. ये वो टाइम था, जब उनके एक्स-बॉयफ्रेंड सुशांत सिंह राजपूत की मौत हो गई थी और उन पर भी काफी सवाल उठे थे.

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Pandya Store फेम Akshay Kharodia के घर जल्द ही गूंजेंगी किलकारियां

‘पांड्या स्टोर’ (Pandya Store) फेम एक्टर अक्षय खरोड़िया (Akshay Kharodia) ने कुछ महीनों पहले ही अपनी गर्लफ्रेंड दिव्या पुनेथा (Divya Punetha) से शादी की. अब वह जल्द ही पेरेंट्स बनने वाले हैं. जी हां, सही सुना आपने, अक्षय खरोड़िया के घर जल्द ही किलकारियां गूंजने वाली है.

अक्षय खरोड़िया ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये फैंस के साथ ये खुशखबरी शेयर किया है कि वह जल्द ही पिता बनने वाले हैं. एक्टर ने एक फोटो शेयर किया है, जिसमें अक्षय खरोड़िया और दिव्या पुनेथा एक सात पोज देते नजर आ रहे हैं.

 

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इस तस्वीर में दिव्या पुनेथा बेबी बंप फ्लॉन्ट कर रही हैं. तस्वीर में दिव्या पुनेथा और अक्षय खरोड़िया काफी खुश दिख रहे हैं. एक्टर ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि तुमने मुझे वो सब कुछ दे दिया है जिसकी मैंने कल्पना की थी. मेरे इस सपने को पूरा करने के लिए तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद.

 

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अक्षय खरोड़िया को फैंस लगातार बधाईयां और शुभकामनाएं दे रहे हैं. बता दें कि दिव्या पुनेथा और अक्षय खरोड़िया ने 19 जून 2021 में शादी की थी. शादी के एक महीने बाद ही दिव्या पुनेथा और अक्षय खरोड़िया के बीच अनबन की खबर आने लगी थी. लेकिन बाद में बताया गया कि यह महज एक अफवाह थी. जल्द ही दिव्या पुनेथा और अक्षय खरोड़िया के घर नया मेहमान आने वाला है.

 

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कश्मीर फाइल्स: “सत्ता” का आशीर्वाद

सत्ता चाहे वह कोई भी हो, कभी किसी राजा, महाराजा की या फिर आज के भाजपा की चुनी हुई नरेंद्र दामोदरदास मोदी सरकार की. जिस पर कृपा हो जाए वह निहाल हो जाता है. मालामाल हो जाता है. और यही हुआ है कश्मीर फाइल्स  फिल्म के साथ.

विवेक अग्निहोत्री की मूवी “कश्मीर फाइल्स” 12 करोड़ में बनकर तैयार हुई और सत्ता के आशीर्वाद से रिकॉर्ड तोड़ कमाई की ओर आगे बढ़ती जा रही है.

मगर इसके साथ देश में मचे बवाल का सार यह है- जो यह मूवी नही देखेगा, वह देशभक्त नही है. ऐसा नैरेटिव भी बिल्ड किया जा रहा है. यह एक  संवेदनशील मुद्दा था और अपरिपक्व ऑडियंस के आगे इसे और ज्यादा अपरिपक्वता से परोसा गया. परिणामस्वरूप समाज में ध्रुवीकरण बढ़ेगा और बीच की दीवार और ज्यादा चौड़ी  होगी  अंततः इसका लाभ किसको होगा वोटों की फसल कौन काटेगा और सबसे बढ़कर संप्रदायिकता की आंच फैलाकर देश पे सत्ता संचलन की किस की मंशा है यह भी जगजाहिर है.

दरअसल, कश्मीर पंडितों की  कहानी इस मूवी में अति रंजना के साथ दिखाई गई है. और यही खेल आज हमारे देश में भाजपा खेल रही है- जहां ब्राह्मण, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिम के साथ एक खेल करके अपनी कुर्सी बचाए रखने का खुला खेल.

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मजेदार बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार यह चाहती है कि यह फिल्म हर देशवासी को देखनी चाहिए इसे राज्य टैक्स फ्री कर दे, मगर इसके लिए खुद आगे नहीं आ रही है. यह भी दोहरा चरित्र ही तो है.

कश्मीर पंडितों का  दुख दर्द जो  भाजपा की देन माना जाता है . अब चाहत यह है कि यह मूवी देखकर देखकर लोग आज की समस्याओं को भूल जाएं और आज के ज्वलंत प्रश्न करना छोड़ दें.

देश में ऐसा पहली दफा हुआ है जब फिल्म के रिलीज होते ही पहले सप्ताह में ही देश के प्रधानमंत्री ने फिल्म की प्रशंसा कर दी, सवाल है प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनके कैबिनेट ने क्या यह फिल्म देखी भी है?

यही नहीं संसदीय दल की बैठक में जहां पांच राज्यों के चुनाव के पश्चात भाजपा को मिली 4 राज्यों की विजय पर अपनी पीठ थपथपानी थी बात कश्मीर फाइल्स पर होने लगी.

नरेंद्र मोदी ने कहा- कश्मीर फाइल्स में कश्मीर पंडितों का सच दिखाया गया है  ऐसा ही आपातकाल और देश की विभाजन के संदर्भ में भी होना चाहिए.

क्या नरेंद्र मोदी यह भूल गए कि देश का विभाजन हो या फिर आपातकाल पर चर्चित  फिल्में और सिरियल बने हैं और बहुत कुछ लिखा भी गया है.

शायद प्रधानमंत्री की मंशा यह है कि इन विषयों पर दोबारा लिखा जाना चाहिए और दूसरी मूवी उनकी और उनकी मातृ संस्था के अनुरूप भी बननी चाहिए. दरअसल, इस सब के पीछे भावना यह है कि भारतीय जनता पार्टी की मंशा के अनुरूप अभी तक ना जहर फैलाती मूवी बनाई गई है और ना ही इतिहास लिखा गया है. यानी कि जब तक राष्ट्रीय स्वयं संघ और भाजपा के मनमाफिक फिल्म नहीं आएंगी इतिहास लेखन नहीं होगा! और  सब पर प्रश्न उठाए जाते रहेंगे आग जलती रहेगी. और जैसे ही कश्मीर फाइल्स जैसी  मूवी बनकर आएगी तो हिंदू हिंदू के नारे लगाकर देश में संप्रदायिकता का जहर घोला जाएगा.

हिंदुत्व की पाठशाला

हमारे देश की विशेषता यह है कि यहां अनेक जाति, जनजाति समुदाय के लोग बड़े ही प्रेम और सौहार्द तथा रहते हैं यह भी सच है कि जहां चार बर्तन होंगे वहां आवाज भी होती है. मगर जहां कानून का राज है वहां सब कुछ नियम कानून के तहत चलता है और चलना भी चाहिए.

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अगर कहीं अत्याचार हुआ है विसंगति हुई है तो उसे ठीक करने का काम कानून का है, अर्थात चुनी हुई सरकार का. अगर यहां भी उसे ठीक नहीं किया जा रहा है तो फिर दूसरा दोषी कौन है.

फिल्म दिखा कर, आप समस्या का समाधान कैसे कर सकते हैं या उसकी प्रशंसा करके ढोल बजाकर समस्या का हल नहीं किया जा सकता. इसके लिए आपको जमीनी काम करना चाहिए. इस दिशा में आप क्या कर रहे हैं क्या किया है, यह बताइए.

वस्तुत: देश में आज नरेंद्र मोदी की सरकार है उसका एकमात्र लक्ष्य यह है कि जैसे भी हिन्दू मुस्लिम संघर्ष को उभारकर देश में हम राज करते रहें देश की जनता रोजगार, बिजनेस, विकास, हॉस्पिटल, जीडीपी सब भूल जाइए .

जैसे, एक हफ़्ते से देश सब भूल गया है.लाख टके का सवाल है सत्ता में जब “भाजपा” होती है, तब बड़ी बड़ी घटनाएं कैसे घटित हो जाती हैं.

कश्मीर से ब्राह्मणों का पलायन 1990 में ही हुआ था तब भाजपा के जगमोहन राज्यपाल थे. 2002 में गुजरात में गोधरा नरसंहार हुआ, आज के इतिहासकार और ज्ञानी महापुरुष नरेंद्र दामोदरदास मोदी उस वक्त मुख्यमंत्री थे. कारगिल हुआ अटल बिहारी वाजपेई  प्रधानमंत्री थे .

2016 जाट नॉन जाट दंगे हुए हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री थे . 2019 पुलवामा घटना  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे. संसद पर हमला, अटल बिहारी वाजपेयी  प्रधानमंत्री थे.

नहीं तीन किसी कानून भी नरेंद्र दामोदरदास मोदी कि सरकार ने लाया और इस जिद तक की यह किसानों के हित में है और जैसे ही पांच राज्यों के चुनाव सामने आए हैं अपनी हालत पतली देखकर इन कानूनों को वापस ले लिया.

कुल जमा देश की जनता को संप्रदायिकता की आग में झोंक कर सत्ता हासिल करना और उस पर काबिज रहना यह भाजपा का उद्देश्य है यह कब तक ऐसा चलता ही रहेगा यह तो अब इस देश की जनता के हाथों में है.

जागने लगी उम्मीदें : भाग 1

शेखर ने अपना ब्लडप्रैशर फिर चैक किया, काफी हाई था. अपनी हैल्थ को ले कर उन का चिंतित होना स्वाभाविक था. आसान तो है ही नहीं अजय के बिना जीना. कोशिश कर रहे हैं पर तनमन पर जैसे कोई बस ही नहीं. पूरीपूरी रात अजय के कमरे के चक्कर लगाते रहते हैं, कभी उस का सामान ठीक करने लगते हैं, तो कभी उस की अलमारी खोल कर खड़े रह जाते हैं. कुदरत ने क्रूर मजाक किया है उन के साथ. एक रिटायर्ड पिता का इकलौता बेटा जब कोरोना जैसी महामारी का शिकार हो गया हो, देखते ही देखते दुनिया छोड़ गया हो, तो जीना आसान होगा क्या?

उन की पत्नी रेखा भी बीमारी के बाद उन का साथ छोड़ चुकी थीं और अब अजय भी चला गया तो अकेले घर में बंद… न दिन में चैन आता, न रात को नींद. लौकडाउन का समय था. बहुत परेशान हो रहे थे शेखर. टीचर थे, साथ के कई दोस्त इस महामारी ने छीन लिए थे, जो बचे थे, एकदम डरे हुए अपनेअपने घरों में बंद थे. उन से फोन पर बात भी होती, तो वही विषय थे जिन पर बात कर के दिल घबरा जाता और बीमारी और मौत के अलावा कोई बात ही नहीं होती.

शेखर ने पड़ोस के अपने डाक्टर मित्रर रवि को फोन किया, ”रवि, तबीयत घबरा रही है, रात से सिरदर्द भी बहुत है, ब्लडप्रैशर हाई है, चैक किया है, क्या करूं?”

”बीपी की रोज की दवाई ले रहे हो न?””हां.‘’”खाने का क्या कर रहे हो?””कभी खिचड़ी बना लेता हूं, कभी दालचावल, मैड तो आजकल आ नहीं रही है, नहीं तो वही सब करती थी. एक टाइम कभी भी बना लेता हूं, वही खाता रहता हूं जब भूख लगती है, वैसे भूख भी नहीं लगती है.‘’

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”शेखर, ऐसे तो बिलकुल नहीं चलेगा, इस समय खुद को संभालना है तुम्हें, अपनी डाइट का ध्यान रखना है. एक काम करो, पड़ोस में ही एक महिला उमा ने टिफिन देने का काम शुरू किया है. उस के पति हैं नहीं, 2 बच्चे हैं, उसे भी काम की जरूरत है, उसे दोनों टाइम के टिफिन का और्डर दे दो, उस के बच्चे दे जाएंगे, अच्छी डाइट लोगे तो तबीयत थोड़ी संभलेगी. मैं तुम्हें उस का नंबर व्हाट्सऐप पर भेज रहा हूं, थोड़े दिन ढंग से खाओपियो, अपनी दवा लो. मैं उमा को बता देता हूं कि तुम्हारा खाना हाई ब्लडप्रैशर के हिसाब से भेजे.”

”ठीक है, रवि, तुम्हारा बड़ा सहारा है मुझे.‘’शेखर ने रवि के दिए नंबर पर उमा से बात कर ली. पता चला कि इसी गली के कोने में ही उस का घर है. शेखर को याद आया कि सुबह की सैर के समय जाते हुए उस छोटे से घर पर नजर तो कई बार पड़ी थी. रेखा थी तो पड़ोस के लोगों के बारे में थोड़ा पता चल जाता था, नहीं तो अब तो पितापुत्र ऐसे ही जी रहे थे.

रेखा और अजय की याद फिर आ गई. शेखर बैठ कर फूटफूट कर रो पड़े. कैसे कटेगा जीवन? वैसे तो वे एक सरल स्वभाव के अपने काम से काम रखने वाले पुरुष थे. सहारनपुर के एक अच्छे इलाके में यह सुंदर सा घर था, सरकारी स्कूल से रिटायर हुए थे, अच्छी पेंशन मिलती थी, पैसे की कमी तो बिलकुल नहीं थी, पर मन अकेलेपन से भर गया था और उस का हल समझ नहीं आ रहा था.

पहले रेखा और अब अजय के जाने के बाद रिश्तेदार एकदम उन से कट गए थे कि कहीं उन की देखरेख किसी के जिम्मे न आ जाएं. वे सब समझ रहे थे, उन्होंने अब सब को फोन करना भी बंद कर दिया था और न ही किसी का भूलेभटके फोन आता भी. उन्हें अकेले ही जीना है, वे समझ चुके थे पर यह आसान था क्या? उन का सिरदर्द उन्हें बहुत परेशान करने लगा तो उन्होंने दूध और एक टोस्ट खा कर दवा ले ली, रातभर सो नहीं पाए थे, तो आंख लग गई. थोड़ी देर सोते रहे थे. डाक्टर रवि के फोन से ही आंख खुली. रवि उन की तबीयत पूछते रहे. वे अकसर ही उन के संपर्क में रहते थे.

नहाधो कर शेखर को कुछ ठीक लगा. लगभग 12 बजे डोरबेल बजी. एक प्यारी, मुसकराती लड़की टिफिन ले कर खड़ी थी,”हैलो, अंकल, मैं नेहा, मम्मी ने यह टिफिन भेजा है और रवि अंकल ने कहा है कि मैं आप के खाने तक आप के साथ ही बैठी रहूं और खाली टिफिन ले कर ही घर जाऊं,” लड़की की प्यारी सी स्माइल देख कर शेखर भी पता नहीं कितने दिन बाद मुसकराए, बोले,”आओ, लो, अपने हाथ सैनीटाइज कर लो, आराम से बैठो फिर रवि ने कहा है तो बात माननी ही पड़ेगी.‘’

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नेहा डाइनिंग टेबल पर टिफिन रख कर वहीं एक चेयर पर बैठ गई. शेखर प्लेट और चम्मच ले कर खाना निकाल कर खाने लगे. दाल, रोटी, भिंडी की सब्जी और थोड़ा सा चावल, सलाद… पता नहीं उन्होंने यह खाना कितने दिनों बाद देखा था. बहुत कोशिश की आंसुओं को रोकने की पर आंसू बह ही निकले.

नेहा को उन का दुख रवि बता चुके थे, वह उन्हें रोते देख बहुत दुखी हुई. कैसे तसल्ली दे, समझ ही नहीं आ रहा था, बच्ची ही तो थी, यों ही बात शुरू की, ”अंकल, मम्मी ने कहा है कि खाने में कोई भी कमी हो तो आप बता दें, अगली बार मम्मी ध्यान रखेंगी.‘’

”नहीं, बेटा, खाना तो बहुत अच्छा है, बहुत दिनों बाद ऐसा खाना खाया है,” फिर न चाहते हुए भी मुंह से निकल ही गया, ”तुम्हारी आंटी भी ऐसे ही बनाती थीं भिंडी और अजय बहुत शौक से खाता था.‘’

राजनीति का DNA: भाग 2- चालबाज रूपमती की कहानी

रूपमती ने वापस जाते समय मन ही मन कहा, ‘मैं क्यों चिंता करूं. तुम मरो या वह मरे, मुझे क्या?

‘लेकिन हां, अवध को अचानक नहीं आना चाहिए था. उस के आने से मेरी मुश्किलें बढ़ गईं. सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. सूरजभान को भी ध्यान रखना चाहिए था. इतनी जल्दबाजी ठीक नही. अब भुगतें दोनों.

‘मुझे तो दोनों चाहिए थे. मिल भी रहे थे, पर अब दोनों का आमनासामना हो गया है, तो कितना भी समझाओ, मानेंगे थोड़े ही.’

घर आने पर रूपमती ने अवध से कहा, ‘‘सूरजभान का कहना है कि मैं फोटो तुम्हारे पति को माफी मांग कर दूंगा. शराब के नशे में मुझ से गलती हो गई. इज्जत लूटने की कोशिश में कामयाब तो हुआ नहीं, सो चाहे वे जीजा बन कर माफ कर दें. मैं राखी बंधवाने को तैयार हूं. चाहे अपना छोटा भाई समझ कर भाई की पहली गलती को यह सोच कर माफ कर दें कि देवरभाभी के बीच मजाक चल रहा था.’’

अवध चुप रहा, तो रूपमती ने फिर कहा ‘‘देखोजी, वह बड़ा आदमी है. तुम उसे कुछ कर दोगे, तो तुम्हें जेल हो जाएगी. फिर तो पूरा गांव मुझ अकेली के साथ न जाने क्याक्या करेगा. फिर तुम क्या करोगे? माफ करना सब से बड़ा धर्म है. तुम कल मेरे साथ चलना. वह फोटो भी देगा और माफी भी मांगेगा. खत्म करो बात.’’

अवध छोटा किसान था. उस में इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि वह गांव के सरपंच के बेटे का कुछ नुकसान भी कर सके. पुलिस और कोर्टकचहरी के नाम से उस की जान सूखती थी. उस ने कहा, ‘‘ठीक है. अगर फोओ फोटो वापस कर के माफी मांग लेता है, तो हम उसे माफ कर देंगे. और हम कर भी क्या सकते हैं?’’

रूपमती अवध की तरफ से निश्चिंत हो गई. उस ने सूरजभान को भी समझा दिया था कि शांति से मामला हल हो जाए, इसी में तीनों की भलाई है. माफी मांग कर फोटो वापस कर देना.

रूपमती पति और प्रेमी को आमनेसामने कर के देखना चाहती थी कि क्या नतीजा होता है, अगर वे दोनों अपनी मर्दानगी के घमंड में एकदूसरे पर हमला करते हैं, तो उस के हिसाब से वह अपनी कहानी आगे बढ़ाने के लिए तैयार रखेगी. पति मरता है, तो कहानी यह होगी कि सूरजभान ने उस की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की. पति ने विरोध किया, तो सूरजभान ने उस की हत्या कर दी. बाद में भले ही वह सूरजभान से बड़ी रकम ले कर कोर्ट में उस का बचाव कर दे.

अगर प्रेमी मरता है, तो सच है कि सूरजभान ने उस के साथ छेड़छाड़ करने की कोशिश की. पति ने पत्नी की इज्जत बचाने के लिए बलात्कारी की हत्या कर दी. अपनी तरफ से रूपमती ने सब ठीकठाक करने की, कोशिश की बाकी किस के दिल में क्या छिपा है, वह तो समय ही बताएगा.

रूपमती, अवध और सूरजभान आमनेसामने थे. सूरजभान ने माफी मांगते हुए फोटो लौटाई और कहा, ‘‘भैया, धन्य भाग्य आप के, जो आप को ऐसी चरित्रवान और पतिव्रता पत्नी मिलीं.’’

अवध ने भी कह दिया, ‘‘गलती सब से हो जाती है. तुम ने गलती मान ली. हम ने माफ किया.’’

रूपमती फोटो ले कर वापस आ गई. बिगड़ी बात संभल गई. मामला खत्म. रूपमती खुश हो गई. अब वह बहुत सावधानी से सूरजभान से मिलती थी.

वासना का दलदल आदमी को जब तक पूरा धंसा कर उस की जिंदगी खत्म न कर दे, तब तक उस दलदल को वह जीत का मैदान समझ कर खेलता रहता है. किसी की शराफत को वह अपनी चालाकी मान कर खुश होता है. ऐसा ही रूपमती ने भी समझा.

रूपमती और अवध अकेले रहते थे. रूपमती की एक ननद थी, जिस की शादी काफी दूर शहर में हो चुकी थी. उस के सासससुर बहुत पहले ही नहीं रहे थे. शादी के 8 साल बाद भी उस के कोई औलाद नहीं हुई. अवध मातापिता द्वारा छोड़ी खेतीबारी देखता था. इसी से उस की गुजरबसर चलती थी.

औलाद न होने का दोष तो औरत पर ही लगता है. रूपमती अपना इलाज करवा चुकी थी. डॉक्टरों ने उस में कोई कमी नहीं बताई थी. जब डाक्टर ने कहा कि अपने पति का भी चैकअप कराओ, तो अवध की मर्दानगी को ठेस पहुंची. उस का कहना था कि बच्चा न होना औरतों की कमी है. आदमी तो बीज डालता है. बीज में भी कहीं दोष होता है. औरत जमीन है. हां, जमीन बंजर हो सकती है.

अवध शराबी था और नशे की कोई हद नहीं होती जो हद पार कर दे उसी का नाम नशा है. वह रूपमती को बहुत चाहता था, लेकिन कभीकभी शराब के नशे में वह उसे बांझ कह देता और वंश चलाने के लिए दूसरी शादी की बात भी कर देता था.

रूपमती को यह बात बहुत बुरी लगती थी कि जिस में उस का दोष नहीं है, उस की सजा उसे क्यों मिले? फिर देहात की देहाती औरतों की सोच भी वही. जब रूपमती उन के आगे अपना दुखड़ा रोती, तो एक दिन एक औरत ने कह दिया कि वंशहीन होने से अवध की शराब की लत बढ़ती जा रही है. इस से पहले कि वह नशा कर के सब खेतीबारी बेच दे, अच्छा है कि औलाद के लिए तुम कोई सहारा खोजो. इसी खोज में वह सूरजभान से जुड़ गई. सूरजभान ने संबंध तो बना लिए, पर यह कह कर डरा भी दिया कि अगर बच्चा हमारे ऊपर गया, तो पूरे गांव में यह बात छिपी नहीं रहेगी.

सूरजभान गांव के जमीदार का बेटा था. उस के मातापिता के पास बहुत सारे खेत थे. सूरजभान शादीशुदा था. उस की पत्नी अनुपमा खूबसूरत थी. एक बच्चा भी था. सासससुर ने अपनी बड़ी हवेली में एक हिस्सा बेटे और बहू को अलग से दे रखा था.

सूरजभान का बेटा गांव के ही स्कूल में चौथी क्लास में पड़ता था. सूरजभान का एक नौकर था दारा. वह नौकर के साथसाथ उस का खास आदमी भी था. वह अखाड़े में कुश्ती लड़ता था. 6 फुट का नौकर दारा खेतीकिसानी से ले कर घरेलू कामकाज सब देखता था. उस का पूरा खर्च सूरजभान और उस का परिवार उठाता था.

सूरजभान के पिता ने हवेली के सब से बाहर का एक कमरा उसे दे रखा था, ताकि जब चाहे जरूरत पर घर के काम के लिए बुलाया जा सके बाहर काम के लिए भेजा जा सके या सूरजभान गांव में कहीं भी आताजाता, तो दारा को अपने साथ सिक्योरिटी गार्ड की तरह ले जाता.

बड़े आदमी का बेटा होने के चलते सूरजभान में कुछ बुराइयां भी थीं. मसलन, वह जुआ खेलता था, शराब पीता था. भले ही गांव में पानी भरने के लिए कोस जाना पड़े, लेकिन शराब की दुकान नजदीक थी.

सूरजभान ने दारा को यह काम भी सौंपा था कि अवध जब बाहर जाए, तो वह उस का पीछा करे. अवध के लौटने से पहले की सूचना भी दे, ताकि अगर वह रूपमती के साथ हो, तो संभल जाए. इस तरह दारा को भी रूपमती और सूरजभान के संबंधों की खबर थी.

एक दिन सूरजभान ने रूपमती से पूछा, ‘‘तुम्हारे पति को काबू में करने का कोई तो हल होगा?’’

‘‘है क्यों नहीं.’’

‘‘तो बताओ?’’

‘‘शराब.’’

2 नशेबाज जिगरी दोस्त से भी बढ़ कर होते हैं और शराब की लत लगने पर शराबी कुछ भी कर सकता है.

‘‘मिल गया हल,’’ सूरजभान ने खुश होते हुए कहा.

‘‘लेकिन, वह तुम्हारे साथ क्यों शराब लेगा?’’ रूपमती ने पूछा.

‘‘शराब की लत ऐसी है कि वह सब भूल कर न केवल मेरे साथ पी लेना, बल्कि अपने घर भी ला कर पिलाएगा, खासकर जब मैं उसे पिलाऊंगा और पिलाता ही रहूंगा.’’

रूपमती को भला क्या एतराज हो सकता था. अगर ऐसा कोई रास्ता निकलता है, तो उसे मंजूर है, जिस में पति ही उस के प्रेमी को घर लाए.

शराब की जिस दुकान पर अवध जाता था, उसी पर सूरजभान ने भी जाना शुरू कर दिया. पहलेपहले तो अवध ने उसे घूर कर देखा, कोई बात नहीं की. सूरजभान के नमस्ते करने पर अवध ने बेरुखी दिखाई, लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि अवध के पास पैसे नहीं थे. शराब की लत के चलते वह शराब की दुकान पर पहुंच गया. शराब की बोतल लेने के बाद उस ने कहा, ‘‘हमेशा आता हूं, आज उधार दे दो.’’

शराब बेचने वाले ने कहा, ‘‘यह सरकारी दुकान है. यहां उधार नहीं मिल सकता.’’

इस बात पर अवध बिगड़ गया, तभी सूरजभान ने आ कर कहा, ‘‘भैया को शराब के लिए मना मत किया करो. पैसे मैं दिए देता हूं.’’

‘‘लेकिन, तुम पैसे क्यों दोगे?’’ अवध ने पूछा.

‘‘भाई माना है. एक गांव के जो हैं,’’ सूरजभान ने कहा.

सूरजभान की भलमनसाहत और शराब देख कर अवध खुश हो कर सब भूल गया. सूरजभान ने रूपमती की खातिर अपनी जेब खोल दी. अब दोनों में दोस्ती बढ़ गई. दोनों शराब की दुकान पर मिलते, जम कर पीते और इस पिलाने में पैसा ज्यादा सूरजभान का ही रहता.

शराब की तलब मिटाने के चलते अवध पिछला सब भूल कर सूरजभान को अपना सचमुच का भाई मानने लगा. जब शराब का नशा इतना हो जाता कि अवध से चलते नहीं बनता, तो सूरजभान उसे घर छोड़ने जाने लगा.

कम पानी पीने से हो सकते हैं ये नुकसान

इंसान के जीने के लिए खाने से ज्यादा पानी महत्वपूर्ण है. खाना 4 दिन ना मिले तो भी इंसान जिंदा रह सकता है, पर पानी के बिना एक से दो दिन होने भर जान निकलने लगती है. पर लोग पानी पीने को ले कर सबसे ज्यादा लापरवाह होते हैं. हमारा शरीर का करीब 70 फीसदी हिस्सा पानी से बना है. ऐसे में कम पानी पीने के कारण ज्यादातर समस्याएं होती हैं.

एक सेहतमंद व्यक्ति को स्वस्थ रहने के लिए दिन भर में 8 ग्लास पानी पीना चाहिए. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से कई तरह की बीमारियां दूर रहती हैं. इसके अलावा खून को साफ रखने में भी पानी का अहम योगदान है. पर्याप्त मात्रा से कम पानी पीने से शरीर में कई तरह की परेशानियां पैदा होने लगती हैं.

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इस खबर में हम आपको बताएंगे कि जरूरत से ज्यादा कम पानी पीने पर किस तरह की परेशानियां आपको हो सकती हैं.

कब्ज

पर्यापत मात्रा में पानी ना पीने का सबसे ज्यादा असर पेट पर होता है. इससे पाचन क्रिया पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे कब्ज की समस्या होने की संभावना ज्यादा होती है. इसलिए जरूरी है कि आप भरपूर पानी पीएं. पानी के आभाव में पेच की आंते अच्छे से साप नहीं हो पाती, कब्ज के लिए ये भी एक महत्वपूर्ण कारण है.

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यूरिन का कम आना

अगर आपको यूरिन कम आती है, तो इसका मतलब यह है कि शरीर में पानी की कमी है. दिन में 6 से 7 बार यूरिन जाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं है, तो पानी ज्यादा से ज्यादा पिएं.

ड्राई स्किन

कम पानी पीने के कारण आपका स्किन ड्राई रहता है. ठंढ में आप मौस्चराइजर लगाते हैं, लेकिन फिर भी आपकी स्किन ड्राई है. हाइड्रेटेड स्किन के लिए बहुत जरुरी है कि आप ज्‍यादा से ज्‍यादा पानी पीएं.

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सिरदर्द और बेचैनी

पानी की कमी से सिरदर्द और बेचैनी की परेशानी भी अक्सर लोगों में देखी गई है. अगर आपको ज्यादा सिरदर्द या बेचैनी की परेशानी ज्यादा हो रही हो तो आपको अपने पानी पर ध्यान देना चाहिए.

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मुंह से बदबू आना

पानी की कमी से आपके मुंह से बदबू आ सकती है. इसका असर आपकी सांसो पर भी पड़ता है. दरआसल पानी की कमी की वजह से मुंह में लार कम उत्पन्न होती है और मुंह शुष्क और बदबूदार हो जाता है.

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