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अनुपमा का जीना मुश्किल करेगी राखी दवे, सामने आया Video

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ इन दिनों टीआरपी लिस्ट में कब्जा जमाए हुए है. शो में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि बरखा अनुज-अनुपमा के बीच जहर घोलने का काम कर रही है. वह अनुज को शाह परिवार के खिलाफ भड़का रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते है, शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि शो में राखी दवे की धमाकेदार एंट्री होगी. वह ‘अनुपमा’  की जिंदगी में फिर से तांडव मचाने वाली है. शो से जुड़ा वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है.

 

वीडियो में आप देख सकते हैं कि राखी दवे यानी तसनीम नेरुकर की वापसी हो चुकी है, जिसने आते ही शाह फैमिली की वाट लगाना शुरू कर दिया है. राखी दवे आते ही बा से लड़ती नजर आ रही है तो वहीं अनुपमा दोनों के बीच में सुलह कराने की कोशिश कर रही है.

 

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शो में दिखाया जा रहा है कि कपाड़िया हाउस में बरखा अनुपमा को जमकर परेशान कर रही है तो वहीं अब राखी दवे भी अनुपमा का जीना हराम करेगी. शो में आपने देखा कि  अनुज और अनुपमा के घर में किंजल गिर जाती है. किंजल के गिरते ही अनुपमा घबरा जाती है. अनुज और अनुपमा किंजल को अस्पताल लेकर जाते हैं. वनराज भी अनुज के घर पर पहुंच जाता है. वनराज की वजह से अनुपमा-अनुज के रिश्ते में दरार आने वाला है.

 

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शो में ये भी दिखाया गया कि वनराज इस घटना का जिम्मेदार अनुपमा को ठहराया. वनराज ने कहा कि अब उसके बच्चे अनुपमा के घर पर नहीं आएंगे. ये बात सुनकर अनुपमा घबरा जाती है. तो दूसरी तरफ बापूजी वनराज का गुस्सा शांत करवाने की कोशिश करते हैं.

क्या है बीजेपी का ऑपरेशन लोटस?

बीजेपी जीते बगैर सत्ता हथियाने में माहिर, इससे पहले भी कई राज्यों में चल चुका ऑपरेशन लोटस

‘ऑपरेशन लोटस’ BJP की उस स्ट्रैटजी के लिए गढ़ा गया शब्द है, जिसमें सीटें पूरी न होने के बावजूद पार्टी सरकार बनाने की कोशिश करती है. ऑपरेशन लोटस के तहत बीजेपी उन राज्यों को अपना टारगेट बनाती है जहां बीजेपी सत्ता में नहीं होती या कम सीटें होनी की वजह से वो सत्ता में आ नहीं पाती. महाराष्ट्र से पहले भी बीजेपी कई राज्यों में अपना ऑपरेशन लोटस चला चुकी है. जिसमें से कई राज्यों में बीजेपी को सफलता मिली तो कई राज्यों में बीजेपी को असफलता का स्वाद चखना पड़ा. इस ऑपरेशन के तहत बीजेपी अलग-अलग तरीकें से सत्ता को गिराकर अपनी सरकार बनाने की कोशिश करती है.

  1. मध्य प्रदेश में तख्तापलट मुहिम पास

योजना

कांग्रेस के असंतुष्ट नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को बीजेपी के पाले में करना और कमलनाथ की सरकार गिराकर अपनी सरकार बना लेना.  इस योजना की कमान बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा को सौंपी गई.

क्या-क्या हुआ

2018 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. कांग्रेस ने बीएसपी और निर्दलियों की बैसाखी पर सरकार बनाई. एक तरफ सरकार के पास मजबूत संख्याबल नहीं था, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी से नाराज चल रहे थे.

‘ऑपरेशन लोटस’ के लिए ये बेहद सहीं और बेहतर समय था. बीजेपी के बड़े नेताओं ने सिंधिया से संपर्क साधा और 9 मार्च 2020 को सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर दी. इन विधायकों को चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचा दिया गया.

तमाम कोशिशों के बाद भी सिंधिया नहीं माने और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई. 20 मार्च 2020 को महज 15 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई. जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने.

2.राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की साजिश

योजना

राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन पाने के कारण नाराज सचिन पायलट के जरिए कांग्रेस विधायकों को बीजेपी के पाले में कर अशोक गहलोत की सरकार को गिराना. इसके लिए राजस्थान बीजेपी की स्टेट यूनिट को अहम जिम्मेदारी सौंपी गई.

क्या-क्या हुआ

राजस्थान में 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतकर मुश्किल से बहुमत आंकड़ा छुआ था. बसपा और निर्दलियों को कांग्रेस के पाले में कर सीएम अशोक गहलोत ने अपनी कुर्सी मजबूत करने की कोशिश की. वहीं विधानसभा में कांग्रेस का चेहरा रहे सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखीं.

ऐसे में बीजेपी के ‘ऑपरेशन लोटस’ के लिए सचिन पायलट सबसे बेहद पसंदीदा चेहरा थे. राजस्थान बीजेपी के नेताओं ने उनकी नाराजगी को भांप उनसे संपर्क किया. 11 जुलाई 2020 सचिन पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस के 18 विधायकों के साथ गुरुग्राम के एक होटल में पहुंच गए. गहलोत भी अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक्टिव हो गए. जिसके लिए उन्होंने अपने पाले वाले सभी विधायकों को एक होटल में रखा. इसके बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सचिन पायलट से 10 अगस्त 2020 को बातचीत कर उन्हें मना लिया. यहां बीजेपी पर कांग्रेस भारी पड़ गई और बीजेपी ॉ की कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की स्ट्रैटजी विफल हो गई.

3. कर्नाटक में कुमारस्वामी की सत्ता पलटी

योजना

कांग्रेस और JDS के विधायकों को अपने पाले में करके विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा कम करना और बीजेपी की सरकार बनाना. बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को इस पूरी योजना की कमान सौंपी.

क्या-क्या हुआ

2017 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने सीएम पद की शपथ भी ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए. जिसके बाद सरकार गिर गई.

इसके बाद कांग्रेस के 80 और JDS के 37 विधायकों ने मिलकर सरकार बना ली. 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि कर्नाटक में पॉलिटिकल क्राइसिस शुरू हो गया. जुलाई 2019 में कांग्रेस के 12 और JDS के 3 विधायक बागी हो गए. कांग्रेस-JDS सरकार के पास 101 सीटें बचीं. वहीं बीजेपी की 105 सीटें बरकरार रहीं.

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया. सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई और CM कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया.

4. महाराष्ट्र में अजीत पवार को तोड़ने का पैंतरा

योजना

शिवसेना के कांग्रेस और NCP के साथ जाने के प्लान को अजित पवार के साथ मिलकर बर्बाद करना.

क्या-क्या हुआ

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 अक्टूबर 2019 को घोषित हुए थे. बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला था. बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं. वहीं NCP को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली. मुख्यमंत्री पद को लेकर बात ना बन पाने पर बीजेपी और शिवसेना अलग हो गईं.

इसके बाद शिवसेना ने NCP और कांग्रेस से हाथ मिलकर सरकार बनाने की घोषणा की, लेकिन इसके एक दिन बाद 23 नवंबर 2019 को ही CM के रूप में देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ले ली. उनके साथ ही अजित पवार ने भी डिप्टी CM पद की शपथ ली.

जिसके बाद NCP प्रमुख शरद पवार ने पार्टी के विधायकों को अजित के साथ जाने से रोक लिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया. जब फडणवीस को लगा कि वह बहुमत नहीं हासिल कर पाएंगे तो उन्होंने 72 घंटे में ही CM पद से इस्तीफा दे दिया.

5. गोवा में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी, फिर भी BJP सरकार

योजना

कम सीटें होने के बावजूद सरकार बनाने का दावा पहले पेश करना.

क्या-क्या हुआ

फरवरी 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ा पार्टी बनकर उभरी. सत्ता की चाबी छोटे दलों और निर्दलियों के हाथ में थी.

इसके बाद मनोहर पर्रिकर ने बहुमत ना होने के बावजूद भी 21 विधायकों के समर्थन की बात कहते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया. राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें सरकार गठन का न्यौता दे दिया. जिसपर राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि गोवा में कांग्रेस के बहुमत का बीजेपी ने हरण किया. कांग्रेस का तर्क था कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार गठन के लिए उन्हें पहले बुलाया जाना चाहिए था.

6. अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी हुई बागी

योजना

कांग्रेस के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को तोड़कर नई सरकार बनाना.

क्या क्या हुआ

2014 चुनाव के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. लेकिन कांग्रेस विधायकों के बीच चल रही रंजिश को लेकर लगातार चर्चा चलती रही.

2 साल बाद 16 सितंबर 2016 को कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायक पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए.  PPA ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई.

7. उत्तराखंड में बहुगुणा की नाराजगी भुनाकर सत्ता को अपने कब्जे में करना

योजना

CM पद से हटाए गए कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा की नाराजगी को भुनाकर कांग्रेस को तोड़ना और विधानसभा में बहुमत हासिल करना था.

क्या-क्या हुआ

उत्तराखंड में 2012 के विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा रही. कांग्रेस 32 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि बीजेपी को 31 सीटें मिलीं.  ऐसे में बीजेपी इस हार को पचा नहीं पा रही थी, लेकिन जैसे ही कांग्रेस ने केदारनाथ आपदा के बाद विजय बहुगुणा को हटाकर 2014 में हरीश रावत को CM बनाया, बीजेपी को यहां उम्मीदें दिखने लगीं.

बीजेपी बहुगुणा की नाराजगी का फायदा उठाया. 18 मार्च 2016 को बहुगुणा समेत कांग्रेस के 9 विधायक बागी हो गए. हालांकि, उत्तराखंड के स्पीकर ने जब कांग्रेस के 9 बागियों को अयोग्य घोषित कर दिया तो केंद्र सरकार ने उसी दिन राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया.

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बागी विधायकों को दूर रखते हुए शक्ति परीक्षण कराया गया. 11 मई 2016 को बहुमत परीक्षण में रावत की जीत हुई. सुप्रीम कोर्ट के चलते यहां भी विधायकों को तोड़ने का BJP का पैंतरा काम नहीं आया.

ठंडे इलाकों की फसल: सेब की खेती राजस्थान जैसे गरम प्रदेश में भी मुमकिन

राजस्थान का मौसम सेब की खेती के अनुकूल नहीं है. यह सभी को मालूम है कि यहां धूल भरी आंधियां, गरमी में 45 डिगरी के पार पारा और सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड होती है. इन चुनौतियों के बाद भी यहां सेब उगाने की कोशिश किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि कृषि नवाचार एवं अनुसंधान सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सभी को राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्र के सेब खाने को मिलेंगे.

हिमाचल प्रदेश में तैयार हुई सेब की खास किस्म विशेष तौर पर ऊंचे तापमान के लिए है, जिस का नाम है, हरमन-99. यह किस्म ऐसे स्थान के लिए ही तैयार की गई है, जो गरम है और जहां तापमान ज्यादा हो, इसलिए सेब की इस नई किस्म हरमन-99 को राजस्थान में भी उगाया जा रहा है और खेती सफल हो रही है.

इस किस्म को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के एक प्रगतिशील किसान हरिमन शर्मा ने विकसित किया है, जिसे मैदानी, उष्णकटिबंधीय और उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है. सेब की इस किस्म को फूल आने और फल लगने के लिए ठंड की जरूरत नहीं होती है.

हरमन-99 किस्म का सेब किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, चाहे वह पथरीली मिट्टी हो या दोमट या लाल. इस फसल के लिए सब से जरूरी बात जलवायु है, जिसे देखते हुए हरमन-99 किस्म को तैयार किया गया है.

हरमन 99 सेब का पौधा 40 से 48 डिगरी तापमान पर भी आसानी से पनप सकता है. इस में स्वपरागण के जरीए प्रजनन होता है. इसे कोई भी अपने बगीचे में लगा सकता है.

हरमन-99 किस्म का पौधा देशी सेब के पेड़ पर ग्राफ्टिंग कर के तैयार किया जाता है. कैसे लगाए जाते हैं इस के पौधे. इस किस्म को अपने खेत में ऐसी जगह लगाया जाता है, जहां ज्यादा पानी खड़ा न होता हो. सभी तरह की मिट्टी में इसे उगाया जा सकता है.

उत्तम समय : अक्तूबर से दिसंबर महीने तक पौध लगाने का उचित समय है. फूल आने का समय फरवरी माह व फल आने का समय जूनजुलाई माह है. पौध रोपण के डेढ़ वर्ष बाद फल आने शुरू हो जाते हैं.

सिंचाई : सामान्य पानी में पनपने वाले इस पौधों को सर्दी में हफ्ते में एक बार और गरमी में 2 बार सिंचाई की जाती है.

उत्पादन : पहले साल 7 से 8 किलोग्राम फल आते हैं. पौधे बड़े होने पर 40 से 50 किलोग्राम पैदावार देता है. दावा है कि 25 साल तक खड़ा रहने वाला यह पौधा राजस्थान क्षेत्र की जलवायु के अनुकूल है.

सेब की इस किस्म की न्यूट्रीशन वैल्यू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सेबों से भी ज्यादा बताई जाती है.

कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के खास नवाचार व प्रगतिशील किसानों के प्रयासों से पश्चिमी राजस्थान में ‘समर एपल’ नाम से मशहूर सेब की किस्म हरमन-99 राजस्थान के 10 जिलों पैदा हो रही है.

इस किस्म का पौधा पश्चिमी राजस्थान में नवाचार के रूप में तकरीबन 10 हेक्टेयर क्षेत्र में 4 3 3 मीटर की दूरी से 6,000 पौधों लगाए गए हैं. इस की खेती कृषि विश्वविद्यालय, जोधपुर के अधीन क्षेत्र जोधपुर, नागौर, बाड़मेर, पाली, जालौर, सिरोही और कृषि विज्ञान केंद्र एवं अनुसंधान केंद्रों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र, गुड़ामालानी में भी पौधे लगाए गए हैं, जिन का अनुसंधान का काम चल रहा है.

बेरी सीकर की प्रगतिशील किसान संतोष खेदड़ जैविक तरीके से सेब की खेती कर रही हैं. साथ ही, नर्सरी में हरमन-99 की पौध भी तैयार कर रही हैं. वहीं, झुंझुनूं व चित्तौड़गढ़ के प्रगतिशील किसानों द्वारा भी इस की खेती की जा रही है. प्रति पौध 100 से 125 रुपए व अधिक रखरखाव की जरूरत न होने पर किसानों के लिए इस का बगीचा लगाना महंगा नहीं है.                                          ठ्ठ

‘‘समर एपल (हरमन-99) सेब की नई किस्म है, जो उच्च तापमान के लिए विकसित की गई है. इस का रोपण कलम ग्राफ्टिंग विधि से किया जाता है. इस की पौध हमारे केंद्र पर भी लगाई गई है, जिस का अध्ययन चल रहा है. इस किस्म की पौध लगाने के लिए किसान शीघ्र ही इस की नर्सरी लगाएंगे, जिस से किसानों को कम कीमत पर आसानी से पौधे उपलब्ध हो सकें.’’

– डा. प्रदीप पगारिया (वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, गुड़ामालानी, राजस्थान)

‘‘सेब की हरमन-99 किस्म की खास विशेषता यह है कि इस का फल गुलाबी और लाल रंग के अंदर आता है. इस में बीमारियां भी बहुत ही कम लगती हैं. वहीं कम पानी में भी यह किस्म आसानी से हो जाती है. जितने भी गरम इलाके हैं, वहां पर आसानी से इस किस्म को उगाया जा सकता है. इस की जो बढ़वार है, वह गरमियों में बहुत अधिक तेजी से वृद्धि करती है. इस के फल को पक्षियों से बचाने के लिए बर्ड नैट का उपयोग किया जाता है. यह किस्म मेरे गांव बेरी, सीकर के अंदर सफलतापूर्वक उगाई जा रही है और इस का जो परिणाम है, वह बहुत ही शानदार रहा है और किसान इस से अधिक मुनाफा कमा सकता है.’’

– संतोष खेदड़ (प्रगतिशील किसान वैज्ञानिक, उपराष्ट्रपति से सम्मानित, गांव बेरी, सीकर)

ऑडिट- भाग 3: क्या महिमा ऑफिस में घपलेबाजी करने से रोक पाई

‘‘सब से पहला तो यही है कि आप ने गाड़ी पूरे महीने के लिए किराए पर रखी है. लेकिन आप की लौगबुक कहती है कि आप इस का इस्तेमाल 15 दिनों से अधिक नहीं करतीं. यानी, आप ड्राइवर को मुफ्त का पैसा दे कर विभाग को चूना लगा रही हैं. क्यों न विभाग को होने वाले इस नुकसान की भरपाई आप के वेतन में से की जाए,’’ उत्तम ने फिर से दांत दिखाए.

‘‘बेशक ड्राइवर को पैसा पूरे महीने का मिल रहा है लेकिन गाड़ी कम चला कर हम सरकार का ईंधन भी तो बचा रहे हैं. आप इसे इस नजरिए से देखिए न. वैसे भी हमारी तो इमरजैंसी ड्यूटी है. कभी भी बाहर जाना पड़ सकता है, इसलिए गाड़ी तो पूरे महीने और चौबीसों घंटे के लिए ही रखनी पड़ेगी न,’’ महिमा ने अपना पक्ष रखा.

‘‘हम किसे किस नजरिए से देखें, यह आप हम पर छोडि़ए. दूसरी बात यह है कि कर्मचारियों ने आकस्मिक अवकाश पहले मना लिया और उन के प्रार्थनापत्र बाद की तारीख में दर्ज हुए हैं,’’ उत्तम ने अपनी आंखें महिमा के चेहरे पर टिका दीं.

‘‘तो क्या हुआ? आकस्मिक अवकाश का अर्थ ही है कि उसे आकस्मिक कार्य के लिए लिया जाता है. अब आकस्मिकता भी भला कभी बता कर आती है. कर्मचारी ने अवकाश स्वीकृत तो करवाया ही है, चाहे देर से ही सही,’’ महिमा ने फिर से अपना पक्ष रखा.

‘‘ये सब बातें आप औडिट पैरा के जवाब में लिखलिख कर देती रहिएगा. और भी कई खामियां हैं जो मैं लिख कर ऊपर सरकार को भेज दूंगा. फिर आगे जो भी विभाग की मरजी,’’ उत्तम ने कहा और अपने कागजपत्र समेटने लगा. महिमा को समझ में नहीं आया कि क्या कहे.

‘‘उत्तम साहब, चलिए नाश्ता ठंडा हो रहा है,’’ कहता हुआ राकेश उसे दूसरे कमरे में ले गया. उसे वहां छोड़ कर वह तुरंत ही महिमा के पास आया.

‘‘मैडम, औडिट के पैरा बहुत बुरे होते हैं. सालों निकल जाते हैं जवाब देतेदेते. इसीलिए सब लोग कुछ लेदे कर औफिस में ही सैट करने की कोशिश करते हैं. अपने औफिस के पैरा तो ऐसे हैं जिन्हें आप चाहें तो यहीं टेबल पर ही ड्रौप कर सकती हैं और न चाहें तो लंबे खींच सकती हैं. और फिर गाड़ी वाला पैरा तो आप पर व्यक्तिगत प्रहार है. जरा ठंडे दिमाग से सोचिए,’’ राकेश ने महिमा को समझाने की कोशिश की. बात शायद कुछकुछ महिमा को समझ में भी आ गई थी. राकेश की बातों में दम तो था.

‘‘ठीक है, आप देखिए क्या हो सकता है. विचार करते हैं.’’ महिमा राकेश से सहमत होने लगी.

‘‘जी मैडम, आप ने बिलकुल सही फैसला लिया है. मैं उत्तम से बात कर के देखता हूं. पार्टी को लंच पर ले कर जा रहा हूं, वहीं सब सैट करने की कोशिश करता हूं. उम्मीद है सब ठीक हो जाएगा,’’ यह कह कर राकेश चैंबर से बाहर निकल गया.

दोपहर बाद लगभग 4 बजे राकेश आया. महिमा ने देखा कि उस का मुंह उतरा हुआ था. उत्तम और उस की टीम उस के साथ नहीं थी. राकेश चुपचाप आ कर महिमा के सामने बैठ गया.

‘‘क्या तय हुआ राकेशजी, आप का उतरा हुआ चेहरा बता रहा है कि मामला सैट नहीं हुआ. क्या अपने बजट से बाहर जा रहा है?’’ महिमा की निगाह राकेश के चेहरे पर टिकी थी.

‘‘सिर्फ बजट से ही नहीं, इस बार तो मामला हद से भी बाहर जा रहा है,’’ राकेश ने कहा.

‘‘क्या बात है? मैं समझी नहीं. जरा खुल कर बताइए. अरे शीतल, जरा 2 गिलास पानी तो लाना,’’ महिमा ने आवाज लगाई तो शीतल तुरंत 2 गिलास ठंडा पानी ले कर हाजिर हो गई. ट्रे को टेबल पर रख कर वह भी वहीं खड़ी हो गई.

‘‘शीतल, तुम जाओ,’’ राकेश ने उसे भेज दिया और धीरेधीरे पानी के घूंट भरने लगा. ऐसा लग रहा था मानो वह पानी के साथ और भी बहुतकुछ निगलने की कोशिश कर रहा है. चैंबर में छाई चुप्पी महिमा को अखरने लगी.

‘‘कुछ बोलिए भी, उत्तम क्या चाह रहा है,’’ आखिर महिमा ने चुप्पी तोड़ी.

‘‘उत्तम को शीतल चाहिए,’’ राकेश किसी तरह से बोल पाया.

‘‘क्या? मैं कुछ समझी नहीं.’’ महिमा के माथे पर लकीरें गहरा गईं. राकेश आगे कुछ भी नहीं बोल सका. चुपचाप पानी के घूंट भरता रहा लेकिन महिमा सबकुछ समझ गई थी.

‘‘उस की हिम्मत कैसे हुई इस तरह का घटिया प्रस्ताव रखने की. विश्वास नहीं हो रहा कि कोई व्यक्ति इतना नीचे भी गिर सकता है. अरे, शीतल उस की बेटी की उम्र से भी छोटी होगी. निर्लज्ज कहीं का. कह दो उसे, जो रिपोर्ट बनानी है, बना दे. जो औब्जैक्शन लगाने हैं, लगा दे. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, मामला ड्रौप होने में बरसों लग जाएंगे. लग जाने दो. अरे, गलतियां तो हरेक से होती हैं. निकालने लगो तो कमियां हर जगह मिल जाती हैं. तो क्या हुआ, आखिर कमियां दूर भी तो होती ही हैं. जो होगा, देखा जाएगा. अगर कुछ पैसा जेब से भी भरना पड़ा तो भर दूंगी, लेकिन उस मासूम को औडिट के नाम पर बलि नहीं चढ़ाऊंगी.’’ महिमा गुस्से से उबलने लगी थी. शीतल का मासूम चेहरा महिमा की आंखों के आगे आ गया.

राकेश ने जेब से निकाल कर उत्तम द्वारा बनाए गए औडिट पैरा का बड़ा सा लैटर महिमा की टेबल पर रख दिया.

‘‘मैं जानता था आप का यही फैसला होगा, इसलिए उत्तम को लंच के बाद वहीं से स्टेशन विदा कर आया. अब सब मिल कर बनाते हैं उस के पैरा के जवाब,’’ राकेश मुसकरा दिया. राकेश को आज महसूस हो रहा था कि ईमानदारी व्यक्ति को कई बार कितना निडर बना देती है. मन ही मन वह महिमा के निर्णय से प्रभावित था.

‘‘पैसा तो सारी दुनिया कमाती है, राकेशजी, मैं ने अपने स्टाफ का विश्वास कमाया है. यह मेरे लिए बहुत बड़ी पूंजी है,’’ महिमा ने कहा और औडिट की लगाई हुई आपत्तियां पढ़ने लगी.

चैंबर के दरवाजे पर खड़ी शीतल अपने आंसू पोंछ रही थी. महिमा के प्रति उस के मन में सम्मान कई दरजे बढ़ गया था.

मैं एक Student हूं पर कुछ पैसे भी कमाना चाहती हूं, कृपया सलाह दें

सवाल

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मैंने लव मैरिज की है पर मेरे घरवाले दूसरी शादी करवाना चाहते हैं, मुझे क्या करना चाहिए ?

सवाल

मैं पिछले 3 सालों से एक लड़के के साथ संबंध बनाए हुए हूं. हमारे घर वाले इस रिश्ते के खिलाफ थे, इसलिए हम ने चुपके से मंदिर में शादी कर ली. मेरे जन्म प्रमाणपत्र के अनुसार मैं अब 18 वर्ष की हुई हूं जबकि वैसे मेरी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है. यही कारण था कि हम कोर्ट मैरिज नहीं कर पाए. अब मेरे घर वाले मेरी शादी कहीं और करने वाले हैं. कृपया बताएं मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप की उम्र अभी इतनी नहीं हुई कि आप जीवन का इतना अहम फैसला ले सकें. इस के अलावा मंदिर में चोरीछिपे शादी कर लेने को वैध नहीं माना जाएगा. इसलिए घर वालों की मरजी से शादी कर लें. वे आप की भलाई ही चाहेंगे.

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Monsoon Special: घर पर ऐसे बनाइए टेस्टी कॉर्न पालक रोल

हरी पत्तेदार सब्जियां स्वास्थ्य के लिए सब से अच्छी मानी जाती हैं. ये आप के शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को तो बढ़ाती ही हैं, वजन को भी संतुलित रखती हैं. पत्तेदार सब्जियां त्वचा में निखार लाने का काम भी करती हैं. महिलाओं के लिए ये बेहद जरूरी होती हैं क्योंकि इन सब्जियों में आयरन की अच्छी मात्रा होती है. कई बार बच्चों और बड़ों को पत्तेदार सब्जियां पसंद नहीं आतीं, लेकिन जरा सा रंगरूप बदल कर परोसा जाए तो ये लाजवाब हो जाती हैं.

  1. कौर्नपालक रोल

सामग्री :

100 ग्राम कौर्न, 15 से 20 पालक की बड़ी पत्तियां, 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 बड़ा चम्मच हरी धनियापत्ती बारीक कटी, 1/2 छोटा चम्मच चाटमसाला, 5 बड़े चम्मच कौर्नफ्लोर, 2 बड़े चम्मच सूजी, 2 बड़े चम्मच बेसन, 2 बड़े चम्मच मैदा, 50 ग्राम पनीर और तलने के लिए तेल.

विधि :

-कौर्न को थोड़ा सा क्रश कर लें. एक बाउल में कौर्न और पनीर कद्दूकस कर लें.

-लालमिर्च, धनिया, चाटमसाला और नमक डालें. अच्छी तरह मैश कर लें.

-एक बाउल में मैदा, सूजी, कौर्नफ्लोर, बेसन और नमक मिक्स कर लें और पानी की मदद से गाढ़ा घोल तैयार करें.

-पालक के पत्ते के बीच में कौर्न का भरावन करते हुए सावधानी से रोल कर लें.

-कौर्नफ्लोर के घोल में डुबो कर तल लें. ऊपर से जरा सा चाटमसाला बुरक लें और हरी चटनी या सौस के साथ सर्व करें.

2. हरियाला परांठा

सामग्री :

250 ग्राम बारीक कटा सरसों का साग (सिर्फ पत्ते), 1/2 कप उबले हुए काले चने, 1/4 छोटा चम्मच अजवायन, 2 बारीक कटी हरीमिर्चें, 1/2 बड़ा चम्मच बारीक कटा अदरक, 1 कप गुंधा हुआ आटा, नमक स्वादानुसार और परांठे में लगाने के लिए देसी घी.

विधि :

-एक पैन में आधा चम्मच घी डालें. इस में सरसों के पत्ते डालें. नमक डालें. सरसों के साग को तेज आंच पर

-सूखा होने तक भून लें ताकि उस का सारा पानी सूख जाए.

-उबले मैश किए चने व अजवायन डाल दें और आंच बंद कर दें.

-हलका ठंडा होने दें. फिर हरीमिर्च और अदरक डाल दें.

-आटे की बड़ीबड़ी लोई बनाएं.

-तैयार सामग्री लोई में थोड़ीथोड़ी भर कर परांठे बना लें. घी लगा कर करारी सिंकाई करें.

-सौस या अचार के साथ सर्व करें.

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3. हरियाली मूंग

सामग्री :

1 कप साबुत हरा मूंग, 1 बड़ा चम्मच बारीक कटा अदरक, 2-3 सूखी लालमिर्च, 1/4 छोटा चम्मच मेथीदाना, 1/2 कप पालक का पेस्ट, 1/4 छोटा चम्मच गरम मसाला, 2 मध्यम आकार के बारीक कटे प्याज, 2 बारीक कटे टमाटर, 2 बड़े चम्मच कसूरी मेथी, 2 बड़े चम्मच कद्दूकस किया हुआ पनीर, 1 बड़ा चम्मच मलाई और 3 बड़े चम्मच तेल.

विधि :

-साबूत मूंग को पालक के आधे पेस्ट में पानी डाल कर अच्छी तरह से उबाल लें.

-पैन में तेल डालें. मेथीदाना डालें. सूखी लालमिर्च डालें. प्याज डाल कर सुनहरा होने तक भूनें.

-टमाटर और मलाई डालें. थोड़ा सा भूनें और पालक का बचा हुआ पेस्ट भी डाल दें.

-उबली हुई दाल डालें. गरममसाला डालें. कद्दूकस किया हुआ पनीर भी डाल दें.

-एकदो उबाल आने दें. अब कसूरी मेथी डाल दें.

-मलाई से सजाएं. नान या रोटी के साथ परोसें.

Monsoon Special: अदरक खाना भी हो सकता है खतरनाक जानें क्यों?

जी हां, अदरक चाय, सब्जी और दूसरी डिशेज बनाने के साथ-साथ पाचन दुरुस्त रहता है और इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स आपको कई बीमारियों से बचाते हैं. मगर कई ऐसी स्वास्थ्य समस्याएं या स्थितियां हैं, जिनमें अदकर खाना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है.

पित्त में पथरी

पित्त की पथरी होने पर अदरक का सेवन खतरनाक हो सकता है. दरअसल अदरक के सेवन से शरीर में बाइल जूस (पाचक रस) ज्यादा मात्रा में बनना शुरू हो जाता है. पित्त की पथरी होने पर ये ज्यादा बाइल जूस का निर्माण खतरनाक हो सकता है. इसलिए ऐसी स्थिति में अदरक का सेवन न करें.

सर्जरी या औपरेशन

किसी सर्जरी या औपरेशन से 2 सप्ताह पहले आपको अदरक का सेवन बंद कर देना चाहिए. इसका कारण यह है कि अदरक का सेवन करने से रक्त पतला हो जाता है, जो सामान्य स्थिति में शरीर के लिए सही है. मगर सर्जरी के समय अदरक का सेवन करने से आपके शरीर से ज्यादा मात्रा में रक्त बह सकता है.

गर्भवती महिलाएं के लिए है हानिकारक

अदरक में ऐसे तत्व होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं. मगर प्रेग्नेंसी के दौरान अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए. अदरक खाने से बच्चे का जन्म समय से पहले (प्रीटर्म बर्थ) हो सकता है, जो बच्चे की सेहत के लिए सही नहीं है. डौक्टर्स के मुताबिक आखिरी छठवें महीने के बाद अदरक का सेवन बेहद कम करना चाहिए. मौर्निंग सिकनेस से निजात पाने के लिए आप इसके छोटे-छोटे 2-3 टुकड़ों का सेवन कर सकते है.

दुबले-पतले लोग अदरक का सेवन कम करें

अगर आप दुबले-पतले हैं, तो आपको अदरक का सेवन कम करना चाहिए. अदरक में फाइबर होता है और ये शरीर के पीएच लेवल को बढ़ा देता है, जिससे भोजन को पचाने वाले एंजाइम्स एक्टिवेट हो जाते हैं. इससे आपका फैट तेजी से बर्न होता है और भूख कम लगती है, जिससे वजन कम होने लगता है. यही कारण है कि दुबले-पतले लोग थोड़ी मात्रा में अदरक का सेवन करें मगर बहुत ज्यादा सेवन करने से उनका वजन और भी कम हो सकता है. इसके उलट, जिन लोगों का वजन ज्यादा है, उन्हें अदरक का सेवन अधिक करना चाहिए.

करण जौहर को लेकर वरुण धवन ने खोला ये सीक्रेट, पढ़ें खबर

बॉलीवुड एक्टर  वरुण धवन अपनी एक्टिंग से दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं.   अब वह फिल्म जुग जुग जियो में नजर आने वाले हैं. यह फिल्म करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस के तले बनाया जा रहा है. एक्टर ने फिल्म के रिलीज से पहले करण जौहर के बारे में ऐसा स्टेटमेंट दिया है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे. आइए बताते है, क्या कहा है वरुण धवन ने..

दरअसल  वरुण धवन फिल्म जुग जुग जियो का प्रमोशन जोर-शोर से कर रहे हैं. एक इंटरव्यू के एक्टर ने बताया कि कैसे फिल्म में पॉप कल्चर है और ये सब करण जौहर की वजह से हुआ.

 

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एक रिपोर्ट के अनुसार, वरुण ने कहा है कि ‘करण जौहर यंग लोगों के साथ हैंगआउट करना पसंद करते हैं. वे अनन्या पांडे, सारा अली खान, जाह्नवी कपूर के साथ डिनर पर जाते हैं. तो वहीं एक्ट्रेस कियारा ने कहा कि करण और भी यंग लोगों के साथ टाइम स्पेंड करते हैं जैसे शनाया कपूर और सुहाना खान.

 

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आपको बता दें कि वरुण ने करण जौहर की फिल्म स्टूडेंट ऑफ द ईयर से ही बॉलीवुड डेब्यू किया था. वरुण के साथ-साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा और आलिया भट्ट ने भी इसी फिल्म से बॉलीवुड में एंट्री ली.

 

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आदिवासी महिला नेता को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के पीछे क्या है बीजेपी की सोच?

अगले महीने की 25 तारीख को देश को नया राष्ट्रपति मिलेगा. 29 जून को नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख है. इसी बीच बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घोषणा करते हुए कहा कि NDA ने झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाए जाने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने द्रौपती मुर्मू को बधाई दी. साथ ही पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि वह देश की एक महान राष्ट्रपति साबित होंगी.

कौन है द्रौपदी मुर्मू?

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था. वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से आनेवाली आदिवासी नेता हैं. उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं. झारखंड की नौंवी राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं. वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया. इससे पहले बीजेपी-बीजेडी गठबंधन सरकार में साल 2002 से 2004 तक वह मंत्री भी रहीं.

नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं. ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया.

आदिवासियों और महिलाओं को साधना मकसद!

गौरतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 47 सीट ST श्रेणी के लिए आरक्षित हैं. 60 से अधिक सीटों पर आदिवासी समुदाय का प्रभाव है. मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में आदिवासी वोटर निर्णायक स्थिति में हैं. ऐसे में आदिवासी नाम पर भी चर्चा चल रही थी. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बन जाने से बीजेपी को चुनाव में भी बहुत फायदा मिल सकता है. देश में अब तक आदिवासी समुदाय का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति नहीं बन पाया है. इससे पहले महिला, दलित, मुस्लिम और दक्षिण भारत से आने वाले लोग राष्ट्रपति बन चुके हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय इससे वंचित रहा है. ऐसे में यह मांग उठती रही है कि दलित समाज से भी किसी व्यक्ति को देश के सर्वोच्च पद पर बैठाया जाए.

महिलाएं बीजेपी के लिए कोर वोट बैंक बन चुकी हैं. इस वोट बैंक को साधने की भाजपा की कोशिश जारी है. बताया जा रहा है कि महिलाओं के नाम पर सबसे तेजी से विचार किया जा रहा था. इसमें UP की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी शामिल थीं. आनंदी बेन के अलावा पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके भी इस रेस में शामिल बताई जा रही थीं.

यशवंत होंगे विपक्ष के राष्ट्रपति प्रत्याशी

विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार तय किया है. इसके बाद सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. NCP प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के बाद अब महात्मा गांधी के पौत्र और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी ने भी राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनने के विपक्ष के ऑफर को ठुकरा दिया है.

25 जुलाई को ही खत्म होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल

नीलम संजीव रेड्‌डी ने देश के 9वें राष्ट्रपति के तौर पर 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी. तब से हर बार 25 जुलाई को ही नए राष्ट्रपति कार्यभार संभालते आए हैं. रेड्‌डी के बाद ज्ञानी जैल सिंह, आर वेंकटरमन, शंकरदयाल शर्मा, केआर नारायणन, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद 25 जुलाई को शपथ ले चुके हैं.

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