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Diwali 2022: मार्बल रसमलाई और गोल्डन ओरियो बूंदी केक से करें मुंह मीठा

  1. मार्बल रसमलाई

सामग्री :

2 किलोग्राम दूध, 11/2 छोटे चम्मच कस्टर्ड पाउडर, थोड़ा सा केसर, 1/4 कप चीनी, 2 चुटकियां इलायची पाउडर, 8-10 पिस्ते, 8-10 मार्बल केक के पीस, 1/2 कप मलाई.

विधि :

दूध काढ़ते हुए जब आधा रह जाए तो 2 चम्मच ठंडे दूध में कस्टर्ड पाउडर घोल कर उबलते दूध में डाल दें. दूध गाढ़ा होने लगे तो उस में केसर, चीनी और इलायची पाउडर डाल कर 2 उबाल आने तक पकाएं. दूध को फ्रिज में खूब ठंडा होने तक रखें. मार्बल केक की स्लाइसें एक ट्रे में रखें. गाढ़ी मलाई को अच्छी तरह फेंट लें.

कुछ स्लाइसों पर यह मलाई लगाएं  और 2-3 स्लाइसों को उन के ऊपर रख कर सैंडविच जैसा बना लें. इन्हें मनचाहे आकार में काट लें. कटोरियों में गाढ़ा किया दूध डालें. मार्बल केक के तैयार टुकड़े ऊपर डालें. मार्बल रसमलाई खाने के लिए तैयार है.

2. काजू-मैंगो फज

सामग्री :

1 कप काजू दरदरे पिसे हुए, 100 ग्राम मीठा आमपापड़, 1/4 कप चीनी, 1 बड़ा चम्मच नारियल का बुरादा, कटे मेवे सजाने के लिए.

विधि :

एक पैन में चीनी घोल लें. आमपापड़ के छोटेछोटे टुकड़े काट लें. चीनी के घोल में काजू और आमपापड़ मिलाएं और अच्छी तरह हिलाएं. इस मिश्रण को एक चिकनी थाली में निकाल लें. थोड़ा ठंडा होने पर चम्मच से उठा कर थोड़ाथोड़ा मिश्रण प्लेट में रखें. ऊपर से नारियल का बुरादा और कटे मेवे बुरकें. ठंडा कर के परोसें.

3. शकरकंद फिरनी

सामग्री :

500 ग्राम शकरकंद उबली, 2 किलो दूध, 1 कप कंडैंस्ड मिल्क, 1/2 कप कटे मेवे, थोड़े से पिस्ते व गुलाब की पंखडि़यां सजाने के लिए, चुटकीभर छोटी इलायची पाउडर.

विधि :

शकरकंद को छील कर कद्दूकस कर लें. एक भारी तले के बरतन में दूध उबलने के लिए रखें. जब दूध उबल कर आधा रह जाए तो उस में कसी शकरकंद व इलाइची पाउडर डाल दें. दूध गाढ़ा होने तक पकाएं. फिर मेवे और कंडैंस्ड मिल्क डाल कर लगातार चलाती रहें. उबाल आने पर आंच से उतार लें. गरम फिरनी सर्विंग डिश में डालें. ऊपर पिस्ता व गुलाब की पंखडि़यों से सजाएं.

4. गोल्डन ओरियो बूंदी केक

सामग्री  :

6 बूंदी के लड्डू, 15-20 गोल्डन ओरियो बिस्कुट, 50 ग्राम मक्खन, थोड़ी सी चौकलेट सौस और शुगर बौल्स सजाने के लिए.

विधि :

बूंदी के लड्डुओं का फोड़ कर चूरा कर लें. बिस्कुटों को मिक्सी में पीस लें. एक बाउल में पिघला मक्खन लें. बिस्कुटों का चूरा मिला कर अच्छी तरह गूंध लें. एक चौकोर ट्रे लें. बिस्कुटों के चूरे के 2 भाग कर लें. एक भाग को ट्रे में नीचे अच्छी तरह फैला कर जमा दें. उस पर बूंदी का चूरा अच्छी तरह से दबाते हुए जमा दें. सब से ऊपर फिर से बिसकुट के चूरे की तह जमा दें.

चाकू की सहायता से ऊपरी सतह एकसार कर लें. इस ट्रे को कुछ देर के लिए फ्रिज में रख दें. जब यह अच्छी तरह सैट हो जाए तो ऊपर से चौकलेट सौस और शुगर बौल्स से सजाएं. परोसने से पहले मनचाहे आकार के टुकड़ों में काट लें.

दीवाली स्पेशल : खोखली रस्में

मेरी उम्र 24 साल है, एक साल हुआ मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई, शादी करना चाहती हूं सलाह दें?

सवाल 

मेरी उम्र 24 साल है. एक साल हुआ मेरी एक लड़के से दोस्ती हुई. अब हमारी बहुत अच्छी फ्रैंडशिप हो गईर् है. हम आएदिन डेट पर जाते हैं. लास्ट डेट पर उस ने मुझे होटल जाने के लिए कहा तब मैं ने मना कर दिया. उस ने बहुत कहा कि हम फुल प्रोटैक्शन के साथ सैक्स करेंगेलेकिन मैं राजी नहीं हुई. वह  नाराज हो गया. लेकिन मैं ने भी उसे नहीं मनाया तब एक हफ्ते बाद उस ने मुझे खुद फोन किया कि उसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिएजो उसे नागवार थी.

मुझे अच्छा लगा कि उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. अब वह मुझे मिलने के लिए कहता है. बोलता है तुम्हारा मन करे मुझ से मिलने कामुझे बता देनामैं आ जाऊंगा.

मुझे उस की यह बेरुखी सहन नहीं हो रही. मैं वाकई उसे दिल से चाहती हूंबस शादी से पहले अपनी मर्यादा में रहना चाहती हूं. अब मैं क्या करूं कि उस के दिल में मेरे लिए पहला वाला प्यार आ जाए. मैं उसे खुश देखना चाहती हूं.

जवाब

शादी से पहले सैक्स करने के हक में तो हम भी नहीं हैं. तब तो बिलकुल भी नहीं जब आप का मन खुद इस के लिए गवाही न दे रहा हो. आप अपने बौयफ्रैंड को दोबारा प्यार से समझाइए कि आप शादी से पहले सैक्स के हक में नहीं हैं. शादी हो जाएगी तो आप उस की हर इच्छा पूरी करेंगीं.

आप बस अपने बौयफ्रैंड से रोमांटिक बनी रहिए. उन का गुस्सा अपनेआप नरम पड़ेगा और चेहरे पर स्माइल आएगी. रोमांटिक मैसेजवीडियो कौल करेंये प्यार जताने का क्यूट अंदाज है.

रिश्ते में चल रही नाराजगी को खत्म करने के लिए रोमांटिक सरप्राइज प्लान कर सकती हैं. जहां केवल आप दोनों हों और एकदूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकेंजहां खुल कर दिल की बातें कहसुन सकें.    

दीवाली 2022: खत्म होते रिश्ते, दोस्तों में तलाशें

लोगों के शहरों में बसने से रिश्तेदारी सिमटने लगी है हालांकि इस की जगह दोस्तों ने ले ली है. जरूरी है कि दोस्तों में ही रिश्तेदारी तलाशी जाए. हर संभव मदद का लेनदेन करते रहें. परिवार नियोजन यानी फैमिली प्लानिंग का मतलब यह होता है कि आप अपने परिवार की प्लानिंग आर्थिक संसाधनों के हिसाब से करें जिस से परिवार के सदस्यों का सही पालनपोषण, शिक्षा और विकास हो सके. हमारे देश में फैमिली प्लानिंग में परिवार के आर्थिक पक्ष को तो रखा गया पर सामाजिक पक्ष को छोड़ दिया गया. इस का धीरेधीरे असर यह हो रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ करीबी रिश्ते खत्म होने की कगार पर हैं.

जैसे, अब परिवार में एक लड़का या एक लड़की ही प्लान की जा रही है. जिस परिवार में केवल लड़की ही है उस परिवार में भाई नहीं होगा तो भाई और मामा का रिश्ता खत्म हो जाएगा. ऐसे ही अगर परिवार में केवल लड़का हुआ तो बहन और बूआ का रिश्ता आने वाले दिनों में बच्चे केवल किस्सेकहानी में सुनेंगे. ऐेसे ही अगर फैमिली प्लानिंग में केवल एक लड़का व एक लड़की रही तो दूसरा भाई नहीं होगा तो भाई और चाचा का रिश्ता नहीं होगा. इन रिश्तों से जुड़े तमाम रिश्ते खत्म हो जाएंगे जैसे मामा नहीं तो मामी और ममेरे भाई नहीं होंगे. चाचा नहीं तो चाची और चचेरे भाई नहीं होंगे. बूआ नहीं तो फूफा और फुफेरे भाईबहन नहीं होंगे. 2 बहनें नहीं होंगी तो मौसी का रिश्ता नहीं होगा.

मौसा और मौसेरे भाई नहीं होंगे. भारतीय समाज और परिवेश में हर रिश्ते का अलग महत्त्व है. उन के लिए अलग संबोधन होता है. विदेशों में इन रिश्तों में कौमन शब्द का प्रयोग होता है. चचेरे, फुफेरे और ममेरे भाईबहनों के लिए कजिन शब्द का प्रयोग होता है. ऐसे ही हर रिश्ते के साथ होता है. फैमिली प्लानिंग का एक प्रभाव यह भी समाज पर पड़ने वाला है. भारत में फैमिली प्लानिंग की जब शुरुआत हुई थी तो एक नारा दिया गया था, ‘बच्चे तीन ही अच्छे,’ लेकिन सरकार इस बात से सहमत नहीं थी. ऐसे में दूसरा नारा दिया गया ‘हम दो हमारे दो’. इस के जरिए समाज को यह सम?ाने की कोशिश की गई थी कि फैमिली प्लानिंग इस तरह से हो कि हमारा एक लड़का और एक लड़की हो. कुछ सालों बाद लोग जागरूक हुए और अब ‘एक ही बेटा या बेटी’ की प्लानिंग होने लगी है.

एक वर्ग ऐसा भी है जो ‘नो किड्स, डबल इनकम’ की धारणा पर चल रहा है. ऐसे लोग शादी तो करना चाहते हैं पर बच्चे नहीं पैदा करना चाहते. इन से भी दो कदम आगे कुछ ऐसे लोग भी हैं जो शादी ही नहीं करना चाहते. राहुल गांधी, सलमान खान जैसे बहुत सारे लोग ऐसे ही हैं. इस का समाज पर असर पड़ रहा है. फैमिली प्लानिंग के चक्कर में भारत ही नहीं, दूसरे तमाम देश भी आ गए हैं जहां अब जनसंख्या तेजी से घट रही है. आने वाले 50 सालों में वे देश मुश्किल में आने वाले हैं. इस की चिंता वहां की सरकारें करने भी लगी हैं. वे अब ज्यादा बच्चे पैदा करने की योजना पर काम कर रही हैं. भारत में भी 50 सालों के बाद ऐसे हालात दिखने लगेंगे. खत्म होते रिश्तों के साथ तालमेल कैसे बैठाएं यह तो सच है कि फैमिली प्लानिंग के चक्कर में कुछ रिश्ते खत्म होने की कगार पर पहुंच गए हैं.

संयुक्त परिवार खत्म हो गए हैं. परिवार के घटने से सहयोग करने वालों की संख्या घट गई है. इस का एक ही विकल्प सामने है कि अब हम समाज में रिश्ते बनाएं. दोस्तों में नजदीकियां तलाशें. वैसे भी जब हम अलगअलग शहरों में रहने लगे हैं तो यहां हमारे घर के लोगों की जगह हमारे पड़ोसी हमारे सब से बड़े मददगार होने लगे हैं. एक जगह पर रहतेरहते हमारे तमाम दोस्त बन जाते हैं. यही हमारी जरूरत पर सब से पहले काम आते हैं. यह कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. वह समाज में रहता है. हमें समाज में रहना, आपसी दूरियां, भेदभाव और मनमुटाव खत्म कर के भरोसा और विश्वास पैदा करना होगा. करीबी रिश्तों में एक जिम्मेदारी का भाव होता है.

यहां मदद को जिम्मेदारी सम?ा जाता है. दोस्त को मदद में जिम्मेदारी की जगह पर सहयोग सम?ा जाता है. इस का अर्थ यह होता है कि जैसी मदद आप अपने दोस्त की करेंगे वैसी ही मदद की उम्मीद आप उस से कर सकते हैं. दोस्ती में इस को सम?ों. आप को अपने दोस्त की मदद उस की जरूरत पड़ने पर करनी होगी. अगर आप उस की मदद नहीं करेंगे तो उस से मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए. रिश्तों में अपवाद को छोड़ दें तो लोकलाज और सामाजिक दबाव ही सही, रिश्तेदार मुसीबत में साथ खड़े जरूर होते हैं. बदलते समाज में दोस्त एक नई जरूरत है. इस बात को सम?ाने की जरूरत है. इस के अनुकूल ही व्यवहार करने की जरूरत है. दोस्तों के बीच संबंधों को ले कर बेहद सतर्क रहने की भी जरूरत होती है. उन के सुख और दुख में शामिल रहें. जब हम दोस्तों की बात करते हैं तो यह ध्यान रखें कि फेसबुक और सोशल मीडिया के जो फ्रैंड्स होते हैं, हम उन को दोस्त न मान लें.

कई लोग ऐसी गलती करते हैं और फिर डिप्रैशन में चले जाते हैं यह सोच कर कि उन के 5 हजार दोस्तों में से जरूरत पड़ने पर 5 दोस्त भी मदद करने नहीं आए. द्य रिश्तेदारों जैसे बनाएं दोस्त द्य सोशल मीडिया जैसे नहीं, रिश्तेदारों जैसे दोस्त बनाएं. द्य आपस में जरूरी तालमेल रखिए, एकदूसरे की मदद कीजिए. द्य केवल मदद ही नहीं, उन की खुशी के पलों में भी शामिल रहिए. द्य आर्थिक मदद लेने और देने में खयाल रखें, रिश्ते यहीं टूटते हैं. द्य कई बार दोस्ती में लोग मदद मांगने में संकोच करते हैं. ऐसे में बिना मांगे मदद देने का प्रयास करें. द्य अगर कोई बात ऐसी है जो आपस में दरार डालने का काम कर रही है तो उस को आपसी बातचीत से हल कर लें. द्य दोस्ती रिश्तेदारी से भी नाजुक होती है, इस बात का खयाल रखें. इस की केयर उसी तरह से करें. द्य रिश्तेदारी टूट कर जुड़ भी जाती है, रिश्तेदार आपसी विवाद भूल भी जाते हैं. लेकिन दोस्ती में पड़ी दरार को मिटाना कठिन होता है.

Diwali 2022: इस बार दीवाली पर कैसे रहें फिट

फिट रहना सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है और कोई भी इससे कोई भी समझौता करना नहीं चाहता है. आप चाहे  जितना व्यस्त हों, त्योहारों से घिरे हों पर फिटनेस से समझौता नहीं करना चाहिए. यहां कुछ ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं जिससे आपको दीवाली के त्योहारी मौसम में भी फिट रहने में मदद मिलेगी. इस बारे में बता रहे हैं क्लिनिक ऐप्प के सीईओ, श्री सतकाम दिव्य.

साल का वह समय फिर आ गया है जब आप स्वादिष्ट मिठाइयों और खाने की चीजों से घिरे रहेंगे. पर जिन लोगों को डायबिटीज है उन्हें दीवाली में मिठाइयों से बचना मुश्किल लग सकता है. ऐसे लोग स्वादिष्ट मिठाइयों की खुश्बू से कैसे बचें.

ये उपाय डायबिटीज के मरीजों के साथ उन सभी लोगों की सहायता करेंगे जो ज्यादा कैलोरी नहीं लेना चाहते हैं.

अपने आहार पर नियंत्रण रखिए

डायबिटीज को नियंत्रित रखने की कुंजी समय तय करना और डायबिटिक डायट लेना है. कार्बोहाइड्रेट्स और मोटापे वाली खाने की चीजों की एक सूची बनाइए. इसमें अपने शरीर की आवश्यकता और आयु का भी ख्याल रखिए. हर दिन की कैलोरी का हिसाब रखिए और उस संख्या से आगे मत बढ़िए. इस चार्ट को तैयार करने के लिए आप डायबिटिक डायट के शाश्वत नियमों की सहायता ले सकते हैं.

अपने भोजन में मैदा और चीनी से बचिए

दीवाली के दौरान ज्यादा खा लेना आम है. इसलिए, अपने आहार को नियंत्रित रखने के लिए आपको खाने की वैसी चीजों से बचना चाहिए जिसमें मैदा और चीनी हो. इन चीजों का आपके शरीर पर बुरा असर हो सकता है और आपके डायट चार्ट को असंतुलित कर सकता है. त्यौहारों के समय लोग अपनी खाने की आदतों का ख्याल रखना भूल जाते हैं. आप क्या खा रहे हैं उसपर नजर रखने की कोशिश कीजिए.

मिठाइयां घर में बनाइए

दीवाली पर या किसी भी त्यौहार के मौके पर मिठाइयां घर में बनाना सबसे अच्छा आईडिया है. यह बाजार से खरीदी गई मिठाइयों की तुलना में बहुत स्वास्थ्यकर होता है. यही नहीं, आप ताजा और हाइजेनिक भोजन भी करेंगे. आप इनमें चीनी की मात्रा कम रख सकते हैं या फिर शुगर फ्री का उपयोग कर सकते हैं. पसंद आपकी. अपनी पाक विधियों में पौष्टिक और स्वादिष्ट मेवे डालना न भूलें.

अकेले न खाएं

ज्यादा खाने से बचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है कि खाने वाले आयटम छोटे रखे जाएं और समूह में खाया जाए. दूसरे के साथ अपना खाना साझा करने से आपको कम या थोड़ा लेने में मदद मिलेगी और इस तरह आप ज्यादा नहीं खाएंगे. मुमकिन है यह तरीका आपको अच्छा न लगे पर अंत में आपको अपेक्षित नतीजा अच्छा मिलेगा.ऑनलाइन उपलब्ध स्वादिष्ट पाकि विधियों से छोटे आकार की मिठाइयां बनाइए. स्वादिष्ट पाकविधियों से आप जितनी अच्छी चीजें बनाएंगे खाने का मन उतना ही ज्यादा करेगा. खाना पकाने के अपने कौशल से प्रिय लोगों को चौंकाइए पर मिठाइयों का आकार छोटा रखिए. इससे आप ज्यादा नहीं खाएंगे.

अपने ग्लूकोज स्तर की जांच कराइए

अपने शुगर लेवल की जांच का सबसे अच्छा तरीका है उसपर नजर रखना और समय-समय पर उसकी जांच करना. अगर आपको दिखे कि चीनी का स्तर बढ़ रहा है तो मीठा खाना तुरंत बंद कर दीजिए. दीवाली से एक दिन पहले अपने स्वास्थ्य की निगरानी शुरू कर दीजिए और एक हफ्ते तक इसे रोज जारी रखिए.

शारीरिक गतिविधि भी जोड़िए

दीवाली के दौरान, थोड़ा ज्यादा सक्रिय हो जाइए और शारीरिक व्यायाम बढ़ा दीजिए. उदाहरण के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियां चढ़िए या फिर मित्र के पास अथवा बाजार जाना हो तो पैदल चले जाइए. इससे खाद्य पदार्थों को पचाने में सहायता मिलेगी. यही नहीं, खाने के बाद भारी महसूस नहीं होगा. हर दिन की इन गतिविधियों से आप ज्यादा कैलोरी जला पाएंगे और कैलोरी की मात्रा को आसानी से संतुलित कर लेंगे.

शराब पीना सीमित करें

शराब कई कारणों से शरीर के लिए स्वास्थ्यकर नहीं है. स्वस्थ रहने के लिए, शराब के सेवन से बचिए और सिर्फ सीमित मात्रा में लीजिए. खासकर तब जब आप डायट के प्रति जागरूक हों और अपने स्वास्थ्य से समझौता करना नहीं चाहते हों. मामूली उपेक्षा भी आपके शरीर की क्षमता कम करती है और सेल्यूलोज को तोड़ देगी जिससे डायबिटीज में हाइपोग्लाइसेमिया होता है.

यह शरीर के अंदर शुगर लेवर का उत्पादन रोक देता है और हाइपोग्लाइसेमिया के महत्वपूर्ण लक्षणों को छिपा देता है जो भूख लगने, पसीना आने और कंपकपी के कारण सामने आते हैं.

अच्छी नींद सोइए

त्यौहारों के मौसम में अक्सर देर रात तक मिलना-जुलना चलता रहता है और मस्ती मनोरंजन के चक्कर में आपको देर तक जगे रहना पड़ सकता है. देर तक जगे रहने से संभव है कि आपकी नीन्द पूरी न हो और इसका असर मेटाबोलिज्म पर हो सकता है. इस स्थिति से बचने का बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि छह से सात घंटे अच्छी तरह सोएं. इससे अगले दिन जब आप जगेंगे तो तरोताजा महसूस करेंगे और त्यौहारों की मस्ती जारी रख सकेंगे.

रात का अपना खाना जल्दी बना लीजिए

त्यौहारों के मौसम में हर कोई मुख्य रूप से त्यौहारों के लिए व्यंजन तैयार करने में लगा रहता है और रात के लिए अच्छा खाना बनाना भूल जाता है. दिन के लिए आप कृत्रिम स्वीटनर के साथ खाने की चीजें बना सकते हैं और शाम के लिए स्वस्थ भोजन तैयार कीजिए.

अतिरिक्त उपाय :

अपने आस-पास का परिवेश साफ रखिए

दीवाली में पटाखे चलाने से बचिए. अगर पटाखें चलाना ही चाहें तो सुनिस्चित कीजिए कि आप अपना चेहरा ढंग से. नाक मुंह को भी ढंक लीजिए. छोटे पटाखे से भी हवा की गुणवत्ता खराब होती है. इसलिए, अगर आप पहले ही अस्थमा (दमा) के शिकार हैं या सांस लेने की दिक्कत है तो चेहरे के साथ मुंह और नाक को ढंकना ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है.

उम्मीद है, उपरोक्त तरीकों से आपको दीवाली के दौरान फिट रहने में सहायता मिलेगी त्यौहारों का मतलब होता है साथ रहना और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लेना. इसीलिए आपको डायट पर नजर रखने की जरूरत है और ऐसी कोई भी चीज ज्यादा नहीं खाइए जिससे आपको जीवन भर परेशानी हो.

ज्योति -भाग 2: सब्जबाग के जाल में

इस का एक कारण यह भी था कि ज्योति के घर में ऐसा कोई अतिरिक्त कमरा नहीं था, जहां वे दोनों पौलीटैक्निक की पढ़ाई संजीदगी से कर सकें, जबकि हरीश और प्रियंका को उस के पिता ने अलगअलग कमरे दे रखे थे. और उस का घर भी ज्योति और जुगल के घर से बड़ा था.

समय के साथसाथ ज्योति और प्रियंका की पढ़ाई आगे बढ़ती रही. दोनों की स्कूल में तो मुलाकातें होतीं, पर एकदूसरे के घर दोनों न पहुंच पातीं.

3 साल से ज्यादा का समय बीत चुका था. दोनों इंटर फाइनल का रिजल्ट स्कूल बोर्ड पर देख कर अपनीअपनी साइकिलों से लौट रही थीं, तो अपने रिजल्ट से उदास प्रियंका के विशेष अनुरोध पर वह उस के घर रुक गई.

बाहरी ड्राइंगरूम में बैठ कर ज्योति ने जब प्रियंका से पूछा, “मुझे बड़ा आश्चर्य है कि तू एक्जाम में फेल हो गई?

“तेरे भाई जुगल से प्यार के उतावलेपन के कारण मैं फेल हो गई. मेरा पढ़नेलिखने में बिलकुल भी मन नहीं लगा और हम दोनों एकदूसरे में समा जाने को इतने आतुर हो गए कि मैं ने प्यार में जुगल को पूरी तरह सौंप दिया.”

“तू भी अजीब लड़की है, ऐसे कैसे तू ने अपना सर्वस्व शादी से पहले किसी को सौंप दिया.”

इसलिए कि एक तो वह तेरा भाई था, जिस पर मुझे तुझ से ज्यादा भरोसा हो गया था. दूसरे, मैं उसे अपना दिल दे कर यह सोच चुकी थी कि जब भी शादी करूंगी तो उसी से. और उस ने भी मुझ से वादा किया था.

“मेरा भाई था तो क्या…?कभी सोचा नहीं कि तेरी उम्र क्या है और इस उम्र का प्यार क्या गुल खिला सकता है. ये बता कि जब तुम दोनों एकदूसरे के समीप होते थे, तो उस समय हरीश कहां होता था.”

“भैया या तो मां के किसी काम से बाजार गए हुए होते थे. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि जब जुगल संयुक्त पढ़ाई करने आया तो भैया नहाने के लिए गुसलखाने में घुसा होता था और हम दोनों ही जानते थे कि वह नहाने घुसता है, तो घंटाभर लगाता ही है.”

“और, तुम्हारी मां कहां होती थीं उस समय?”

“मां तो पूजापाठ या घर के कामों में ही बिजी रहती थीं. और यही समझती थीं कि हम दोनों अपनेअपने कमरों में पढ़ाई कर रहे हैं.”

“पिताजी को तो तू जानती ही है. सवेरे जो अपनी पूजन सामग्री वाली दुकान खोल कर बैठते हैं, तो रात को ही लौटते हैं.”

“एक को दूसरे के कमरे में जाते हुए कभी नहीं देखा किसी ने?”

“चोरीछिपे प्यार करने वाले बड़े सतर्क रहते हैं. फिर तू तो जानती है कि मेरे कमरे से भैया के कमरे में जाने के लिए बीच में भी तो दरवाजा है, जो यों तो बंद रहता है, पर जब दोनों कमरों में रहने वाले चाहें तो खोल सकते हैं.”

ज्योति के दिमाग में एक बार फिर पुराना दृश्य घूम गया, जब उसी दरवाजे से हरीश ने आ कर मजे ले लिए थे.

उस ने तो अपने को संभाल लिया, पर प्रियंका फंस गई.16-17 साल की उम्र का दोष है या दूरदर्शिता की कमी. कितनी लड़कियां ऐसी स्थिति से अपने को बचा पाती होंगी. वो क्या करें? यहां वह जवान युवक उस का भाई है, जिस ने उस की सहेली के शरीर से जी भर कर खिलवाड़ किया. आज वह ये सब उसे तब बता रही है, जब सबकुछ घट चुका है.

ऐसा नहीं है कि 2-4 बार हरीश भी जुगल से मिलने उस के घर आया, पर क्या मजाल कि वह उस के करीब आ पाया हो. उसे अपनी सीमाएं और घर की मर्यादाएं पता थीं.

परंतु, प्रियंका का स्वभाव उस से भिन्न था. हो सकता है कि उस ने पहले दिन से ही जुगल की छिछोरी हरकत का विरोध न कर के उस से मिलने वाले आनंद को आत्मसात कर लिया हो और उसे लगातार बढ़ावा देती गई हो.

उस ने गौर किया कि कैंपस सेलेक्शन होने के बाद पिताजी ने जुगल की शादी की बात चलाई, तो वह फौरन ही राजी हो गया. उस समय तो ऐसा लग रहा था, जैसे आज तक उस ने किसी लड़की को आंख उठा कर भी न देखा हो. वह तो जुगल को बहुत सीधा समझती थी. वह समझ गई कि जैसे और मर्दों की फितरत होती है कि वह किसी एक के प्यार से संतुष्ट नहीं होते. उस का भाई भी तो इसी समाज का अंग है. फिर उसे अपने राठौर होने का भी तो गुरूर है.

Bigg Boss 16: श्रिजिता डे को सलमान खान ने दिखाया घर से बाहर का रास्ता

सलमान खान का सबसे चर्चित शो बिग बॉस 16 में आएं दिन नए-नए अपडेट आते रहते हैं, शो में कंटेस्टेंट आएं दिन कुछ न कुछ नया बोलते नजर आ रहे हैं , जिससे उनकी बातें दर्शकों तक पहुंच रही हैं.

अब शो में एलिमिनेश का दौर शुरू हो गया है, हर दिन नए- नए कंटेस्टेंट एलिमिनेट होते रहते हैं,इस शो से कोई एक सदस्य घर से बाहर होने वाला है. इस लिस्ट में अभी तक 5 लोगों का नाम आ चुका है, बता दें कि पहला नाम श्रीजिता डे का आया है , जैसे ही यह खबर सामने आई है सभी फैंस हैरान हो गए.

 

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फैंस श्रिजिता डे को दमदार कंटेस्टेंट मानते हैं, बता दें कि शो में इससे पहले श्रिजिता और टीना दत्ता के बीच जमकर बहस हुईं है, जिसे देखने के बाद से दर्शक कयास लगा रहे हैं कि श्रिजिता डे के नॉमिनेट होने का यही कारण हो सकता है.

हालांकि अभी तक कंटेस्टेंट का नॉमिनेशन नहीं हुआ है, फैंस नहीं चाहते हैं कि श्रिजिता डे इस शो को बीच में छोड़कर जाए. क्योंकि श्रिजिता डे एक दमदार कंटेस्टेंट हैं. सलमान खान ने श्रिजिता डे की क्लास भी लगाई थी.

इससे पहले शो में दलजीत कौर के एक्स पति शालिन भनोट को लेकर बात हो रही थी.

उर्फी जावेद और पारस कलनावत का क्या सच में हो गया है पैचअप ?

उर्फी जावेद और पारस कलनावत अक्सर अपनी ब्रेकअप की खबरों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं, पारस से ब्रेकअप के बाद भी उर्फी उन्हें अपना अच्छा दोस्त मानती हैं. हाल ही में उर्फी जावेद ने अपनी प्री बर्थ डे पार्टी रखी थी, जिसमें उनके खास दोस्त शामिल थें.

जहां पारस कलनावत भी उर्फी जावेद के प्री बर्थ डे पार्टी मनाने पहुंचे, इस दौरान पारस कलनावत भी अपनी एक्स गर्लफ्रेंड के साथ जमकर फोटो खींचवाई हैं. इन दोनों की तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा की विषय बनी हुई है.

 

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जिसे देखकर साफ लग रहा है कि उर्फी जावेद और पारस कलनावत फिर से अच्छे दोस्त बन गए हैं.जिसे देखकर कुछ लोग यह भी कयास लगा रहे हैं कि क्या इन दोनों का फिर से पैचअप हो गया है. इस तस्वीर को देखने के बाद से कुछ ऐसे ही इशारा सामने आ रहे हैं.

बता दें कि टीवी स्टार उर्फी जावेद 25 साल की हो गई हैं. वह अपना 25 वां जन्मदिन मना रही हैं. उर्फी जावेद ने अपनी प्री बर्थ डे पार्टी की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर किया है. जिसे लोग खूब पसंद कर रहे हैं.

अपने प्री बर्थ डे पर उर्फी जमकर पार्टी करती नजर आईं, बता दें कि उर्फी जावेद अक्सर अपने कपड़ों को लेकर चर्चा में बनी रहती हैं. उर्फी जावेद के नए पोस्ट का इंतजार उनके फैंस को भी होता है.

Diwali 2022: कैसे मनाएं ईकोफ्रैंडली दीवाली

20 वर्षीय प्रभात बहुत खुश था. दीवाली का त्योहार उसे काफी अच्छा लगता था. प्रभात के कालेज में समझाया जा रहा था कि दीवाली पर पटाखे नहीं चलाने चाहिए. प्रभात को इन बातों पर भरोसा नहीं हो रहा था. अपने घर वालों से जिद कर के प्रभात ने पटाखे और फुलझडि़यां खरीद ली थीं. उस ने दीवाली पर अपने रिश्तेदारों को भी बुलाया था.

सब ने तय किया कि आज महल्ले में खूब धमाल मचाएंगे. उस के कुछ साथी तो तेज आवाज वाले बमपटाखे भी लाने वाले थे. शाम होते ही महल्ले के सभी लड़के एक जगह आ गए. प्रभात के घर की छत काफी बड़ी थी, इसलिए सभी वहीं पर आ गए. प्रभात और उस के साथियों का धमाल शुरू हो गया. पटाखों का धुआं चारों ओर फैलने लगा था.

अचानक प्रभात को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उसे खांसी भी आ गई. वह घबरा कर नीचे आया. घरपरिवार के लोगों ने मामले को हलके में लिया. प्रभात की तकलीफ बढ़ने लगी. कुछ देर में ही वह बेहोश हो गया.

घर के लोग प्रभात को ले कर अस्पताल की तरफ भागे. वहां डाक्टरों ने बताया कि प्रभात को दमे की बीमारी थी जो दीवाली के पटाखों के धुएं से और बढ़ गई है, जिस से प्रभात की तबीयत खराब होने लगी थी. डाक्टरों के काफी इलाज के बाद ही वह ठीक हो सका. डाक्टरों ने प्रभात और उस के परिवार के लोगों को हिदायत देते हुए कहा कि कभी इस को धुएं में मत भेजिएगा. इस से दमे की बीमारी दोबारा उभर सकती है. अब प्रभात कभी पटाखे नहीं चलाता और दूसरों को भी चलाने से मना करता है.

खुशी कम, धुआं ज्यादा

दीवाली खुशियों का त्योहार है. इस त्योहार की सब से बड़ी बुराई यह है कि खुशियां मनाने के लिए लोग पटाखों और फुलझडि़यों का सहारा लेते हैं जिन से जहरीला धुआं फैलता है और वह वातावरण को विषैला बना देता है. यह धुआं अस्थमा के मरीजों को नुकसान पहुंचाता है. इन में बच्चे, बूढ़े, जवान सभी उम्र के लोग होते हैं. सांस की बीमारी के अलावा पटाखों की तेज आवाज कानों को भी नुकसान पहुंचाती है. इस की आवाज से आदमी ही नहीं, जानवर भी बेचैन हो जाते हैं. इस को ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है. ध्वनि प्रदूषण कम करने के लिए ही अस्पतालों और स्कूलों में साइलैंस जोन बनाए जाते हैं, वहां पर तेज आवाज में हौर्न बजाने की मनाही होती है.

देखा जाता है कि जब लोग तेज आवाज वाले पटाखे, बम और दूसरी चीजें चलाते हैं तो अपना मुंह दूसरी ओर कर के कान पर हाथ रख लेते हैं यानी यह आवाज उन को भी अच्छी नहीं लगती है. सोचने की बात यह है कि जब हमारे कानों को कोई चीज अच्छी नहीं लगती तो वह दूसरों को कैसे अच्छी लगेगी? इसलिए तेज आवाज के पटाखे नहीं चलाने चाहिए.

जोखिमभरा पटाखा कारोबार

पटाखे केवल चलाने वालों को ही नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि बनाने वालों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. पटाखे बनाने में बारूद का इस्तेमाल होता है जो बनाने वाले के हाथों को नुकसान पहुंचाता है. इस के अलावा जब यह बारूद नाक के रास्ते फेंफड़ों तक पहुंचता है तो यह व्यक्ति को गंभीर बीमारी का शिकार बना देता है.

दीवाली के दौरान पटाखों की दुकानों में आग लगने और विस्फोट होने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. कई बार तो इस से बाजारों में आग भी लग जाती है. इसलिए सरकार ने पटाखों की दुकानें खुली जगह पर लगाने का आदेश दिया है. इस के बाद भी पटाखा बेचने वाले गलीमहल्ले में दुकानें लगाते हैं, जिस से दुर्घटनाएं होती हैं. यदि पटाखों का यह कारोबार बंद हो जाए तो तमाम तरह की परेशानियां अपनेआप खत्म हो जाएंगी. पटाखे खुशी कम और दुख ज्यादा देते हैं.

रोशनी खड़ी करे परेशानी

दीवाली में खुशियां मनाने का दूसरा तरीका बिजली की रोशनी का है. इस के लिए लोग बड़ी संख्या में बिजली की झालरें, बल्ब और दूसरे सजावटी सामानों का इस्तेमाल करते हैं. इस में सब से बड़ी बात यह है कि लोग एकदूसरे की देखादेखी में अपने घर पर ज्यादा से ज्यादा रोशनी करना चाहते हैं. इस से बिजली का खर्च बढ़ता है. इस का परिणाम यह होता है कि बिजली सप्लाई में परेशानी आती है. अस्पतालों, औफिसों, रेलवे स्टेशनों और बाजारों को समुचित मात्रा में बिजली नहीं मिल पाती. बिजली का सजावटी सामान लगाने के लिए लोग बिजली चोरी करते हैं. इस वजह से जगहजगह पर फ्यूज उड़ जाते हैं, जिस से बिजली जाने की परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है.

दीवाली रोशनी का त्योहार माना जाता है. लोग बाजारों में देररात तक खरीदारी करते हैं. जिस से बिजली की व्यवस्था खराब हो जाती है. इसलिए बिजली की फुजूलखर्ची रोकने के लिए कम बिजली जलानी चाहिए. रोशनी करने के लिए दीयों का प्रयोग करें, यह वातावरण के लिए ठीक रहता है.

रंगोली से दीवाली में घर की सजावट की जाती है, लेकिन इसे बनाने के लिए हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए जरूरत इस बात की है कि रंगोली बनाने के लिए प्राकृतिक चीजों को ही आजमाएं. इस के लिए फूल और पत्ती का प्रयोग कर सकते हैं. चावल रंगने के लिए हलदी का इस्तेमाल करें. पत्तियों को बारीक काट लें, इन का इस्तेमाल रंगोली को आकर्षक बनाने के लिए कर सकते हैं. इसी तरह प्राकृतिक रंग बनाने में अलगअलग रंगों के फूलों के भी रंग निकाल सकते हैं.

ईकोफ्रैंडली दीवाली मनाने के लिए कृत्रिम रंगों का बहिष्कार करें. लखनऊ में रंगोली की बड़ी कलाकर ज्योति रतन कहती हैं कि प्राकृतिक रंगों से आकर्षक रंगोली बनाई जा सकती है. रंगोली में डिजाइन और रंगों का प्रयोग महत्त्वपूर्ण होता है. आज बाजार में तरहतरह के फूल आने लगे हैं जिन से रंगबिंरगी रंगोली बनाई जा सकती है.

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